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सालों से आस्था निकुंज में रह रहीं बुजुर्ग माताओं को उम्मीद कि उनके बच्चे आएंगे

धरमपुरा के आस्था निकुंज में रह रहीं बुजुर्ग महिलाएं यहां सिर्फ इसलिए रह रही हैं, क्योंकि उनके बच्चों ने उन्हें घर से निकाल दिया है। सालों से यहां अपने जैसी महिलाओं के साथ रह रहीं बुजुर्ग महिलाएं आज भी अपने बच्चों को याद कर कई बार रोती हैं, लेकिन यहां आने के बाद न तो उनके बच्चों ने उनकी सुध ली और न ही किसी भी प्रकार से उनसे संपर्क करने की कोशिश की।
बच्चों ने ही अपने मां को परिवार से बहिष्कृत कर दिया है। बावजूद यहां रह रही बूढ़ी मांओं को आज भी अपने बच्चों का इंतजार है और वे हमेशा कहती हैं कि एक दिन उनके बच्चे उन्हें यहां से लेकर अपने घर चले जाएंगे। इसी उम्मीद में उनकी आंखें पथरा सी गई हैं।
और भी कई बुजुर्ग मां यहां रह रहीं, जिन्हें उम्मीद है कि उनके बच्चे आएंगे
ऐसी ही और भी बुजुर्ग महिलाएं यहां रह रही हैं, जो सालों से यहां रह रही हैं। उन्हें देखने अब तक न तो परिवार से कोई आया और न ही उनके बेटे ही यहां उनका हाल जानने पहुंचे। बावजूद हर रोज वे अपने बच्चों के बारे में ही सोचते हुए दिन काट देती हैं।

बच्चों को याद करनम हो जाती हैं आंखें

आस्था निकुंज में 20 सालों से रह रहीं महिलाओं का अब यही परिवार बन चुका है। अपने जैसे लोगों के बीच पहुंचकर बुजुर्गों को इस बात को लेकर टीस नहीं पालती कि वे अपनों से अलग रह रहे हैं। सुख-दु:ख बांटकर यहां रह रहे 13 बुजुर्ग एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि महिलाओं की अपने बच्चों को याद करते हुए नम हो जाती हैं।

1999 से रामबाई कर रहीं बच्चों का इंतजार

साल 1999 से यहां रह रहीं कुम्हारपारा की रामबाई बताती हैं कि वृद्धाश्रम खुलने के एक साल बाद से ही वे यहां हैं। पति की मौत के बाद बच्चों ने घर से निकालकर दर-दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया। बावजूद आज भी उन्हें इस बात की उम्मीद है कि एक दिन उनके बच्चे आएंगे और उन्हें लेकर अपने घर जाएंगे। हर रोज वे अपने बच्चों का इंतजार करती हैं।

बेटे की मजबूरी थी, इसलिए यहां छोड़ गया
साल 2002 में यहां कुम्हारपारा से ही आईं सोनादई का कहना है कि उनके बच्चों ने मजबूरी में उन्हें यहां रख छोड़ा है। आज भी वे यह नहीं मान पातीं कि उनके बच्चों ने उन्हें परिवार से निकाल दिया है। वे बताती हैं कि परिवार की आय काफी कम है, इसलिए बेटे ने उन्हें यहां छोड़ा है। बीते करीब 18 सालों से यहां रहते हुए हर दिन वे अपने बेटे के आने के इंतजार में सामने ही बैठी रहती हैं।



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Elderly mothers living in Faith Nikunj for years expect their children to come




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विशेष बच्चों के लिए पहली मां बनती हैं ये 11 नर्स, लुटाती हैं ममता

जरूरी नहीं कि सिर्फ जन्म देने वाली मां के अंदर ही ममता होती है, बच्चों के लिए ममता हर महिला के अंदर छिपी होती है।नवजात के लिए कुछ ऐसी ही ममता दंतेवाड़ा जिला अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में देखने को मिलती है। यहां 24 घंटे शिशुओं की किलकारियां गूंजती रहती हैं और इन्हीं विशेष नवजातों की देखभाल के लिए 24 घंटे तत्पर रहकर मां की भूमिका निभाती हैं यहां की 11 नर्सें। ये ड्यूटी कब ममता व जुड़ाव में बदल जाती हैं, इन्हें खुद को पता नहीं चलता। दरअसल, प्री-मैच्योर बेबी को स्वस्थ्य करने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर होती है। रोने की आवाज सुनकर दौड़ी चली आती हैं, सीने से लगाकर ममता न्योछावर करती हैं।
बच्चे का जन्म इन्हीं नर्सेस के हाथों में होते हैं। मां की भूमिका तब तक अदा करती हैं जब तक ये विशेष नवजात पूरी तरह से स्वस्थ्य न हो जाएं। ये सिर्फ नवजातों की मां नहीं बनती, बल्कि बच्चों की मां की भी देखभाल करती हैं। नोडल अधिकारी डॉक्टर राजेश ध्रुव कहते हैं इनके कामों को मैंने करीब से देखा है। ये सिर्फ ड्यूटी नहीं जिम्मेदारी समझकर काम करती हैं, विशेष नवजातों की मां बनकर देखभाल करती हैं।
3 साल में इतने बच्चे आए

  • 2017- 39
  • 2018- 535
  • 2019- 358
  • 2020- 161

ऐसे करती हैं देखभाल

यहां ऐसे बच्चे रखे जाते हैं जिनका जन्म 9 महीने से पहले हो गया हो। यूनिट की नर्सेज के सामने चुनौती इस बात की होती है कि प्री-मेच्योर बेबी को स्वस्थ्य कैसे करना है। इस वक़्त तो जन्म देने वाली मां भी साथ नहीं होतीं और न ही परिवार का कोई भी सदस्य। सही फीडिंग के तरीके मां को बताती हैं। शिशुओं का पोषण मदर मिल्क पर ही टिका होता है, ऐसे में समय का पूरा ख्याल रखती हैं।ट्यूब फीडिंग, स्पून फीडिंग या फॉर्मूला फीडिंग भी कराती हैं।

तसल्ली यह कि सालभर संपर्क में रहते हैं

यूनिट की इंचार्ज सीनियर नर्स ममता पॉल हैं। इनके अलावा उर्मिला साहू, मधु साहू, गीतांजलि, मीनाक्षी साहू, सीमा साहू, सुनीता लहरे, त्रिवेणी सिन्हा, रानू रामटेके, रश्मि चक्रधारी, सोनिका कश्यप हैं। ये सभी बताती हैं बच्चों का केयर करना बड़ी चुनौती होती है। इनकी देखभाल करते करते जुड़ाव बहुत ज़्यादा हो जाता है। तब तक नहीं छोड़ते हैं जब तक बच्चे का वजन 1500 ग्राम से ज़्यादा न हो जाए। इन शिशुओं के साथ जुड़ाव काफी अच्छा लगता है। बच्चे जब कई कई दिन रह लेते हैं तो काफी जुड़ाव हो जाता है। भेजते वक्त मन भर आता है। लेकिन तसल्ली इस बात की होती है कि सालभर तक हम बराबर संपर्क में रहते हैं।

तीन साल पहले हुई थी शुरुआत

जिले में एनएमडीसी सीएसआर मद से 3 साल पहले स्पेशल न्यूबॉर्न चाइल्ड यूनिट की शुरुआत हुई थी। यहां 4 डॉक्टर्स के साथ 11 नर्सें भी हैं। अब तक 1000 से ज्यादा विशेष नवजात बच्चे यहां भर्ती किए जा चुके हैं। इनमें से कुछ बच्चों को रेफर भी किया गया। जबकि कई स्वस्थ्य होकर घर लौटे हैं। पहले ऐसे मामले जगदलपुर भेजे जाते थे।



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These 11 nurses become the first mothers for special children, looting Mamta




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चूना पत्थर और रेत ले जाती 11 गाड़ियां जब्त

जिले में खनिज पदार्थों के अवैध परिवहन के खिलाफ खनिज विभाग की कार्रवाई लगातार जारी है। शनिवार को विभाग के जांच दल ने बड़ाजी, कोडे़नार, भानपुरी एवं घोटिया बस्तर क्षेत्र में औचक जांच के दौरान गौण खनिज चूना पत्थर एवं रेत का अवैध परिवहन करते हुए 11 वाहनों को जब्त किया। प्रभारी खनिज अधिकारी हेमंत चेरपा ने बताया कि सभी वाहनों को खनिज के साथ जब्त कर पुलिस अभिरक्षा में सौंपते हुए वाहन मालिकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि गौण खनिज का अवैध भंडारण और परिवहन को लेकर मिल रही शिकायतों बाद यह कार्रवाई की जा रही है ।



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11 carts carrying limestone and sand seized




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हफ्ते में दो दिन बंद रहेगा शहर, पहले दिन सूनी दिखी सड़कें

लॉकडाउन के तीसरे चरण में जहां शहर की दुकानों को खोलने छूट दी गई है, वहीं राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार की शाम से सोमवार की सुबह तक पूरे लॉकडाउन की घोषणा के बाद शनिवार को बाजार में पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि सुबह कुछ दुकानें खुलीं, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने दुकानें बंद कर दीं। दरअसल इन दुकानदारों को समय को लेकर असमंजस की स्थिति रही कि आदेश कब से लागू होगा, जबकि कलेक्टर ने स्पष्ट रूप से हर हफ्ते शुक्रवार की शाम से साेमवार की सुबह तक बाजार बंद रखने का आदेश दिया गया था। जवान चौक-चौराहों में तैनात घर पर रहने की समझाईश देते दिखे।
दूध की दुकानें और बेकरी रही खुली

शुक्रवार की शाम 7 बजे से लागू कर्फ्यू के बाद शनिवार की सुबह शहर की कुछ दुकानें शाम 4 बजे तक खुलीं। इसमें दूध की दुकानों के अलावा बेकरी सहित कुछ सेवाएं खुली रहीं। जबकि पूरा बाजार पूरी तरह से बंद रहा। इस दौरान लोगों को जरूरत का सामान मिलता रहा। वहीं शुक्रवार की शाम से लागू कर्फ्यू की खबर लगते ही लोगों ने दिन में ही सारा सामान ले रखा था।

चौक-चौराहों मेंतैनात रहे जवान

शहर के चांदनी चौक सहित अन्य चौक-चौराहों में जवान तैनात रहे। इस दौरान उन्होंने हर आने-जाने वालों से पूछताछ की और उन्हें घर जाने की हिदायत दी। इसके अलावा जरूरी सामानों परिवहन भी जारी रहा। इसके अलावा कई लोग शहर में बिना मास्क के भी घूमते दिखे, जिन्हें रोककर पुलिस ने कोई कार्रवाई तो नहीं की, लेकिन समझाइश देकर उन्हें घर जाने कहा गया।



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The city will remain closed for two days in a week, roads seen on the first day




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मेकॉज में सिर्फ 4 विभागों की होगी ओपीडी

मेडिकल कॉलेज में अभी सिर्फ 4 डिपार्टमेंट की ओपीडी चल रही है। यह चार डिपार्टमेंट सर्जरी, मेडिसिन, शिशुरोग और अस्थिरोग हैं। इन चार डिपार्टमेंट की ओपीडी चलने से यहां आने वाले गंभीर बीमार मरीजों को हॉस्पिटल में भी भर्ती किया जा रहा है। इसके अलावा दांत, नाक, कान, गला, कैंसर सहित अन्य विभागों की ओपीडी के बंद होने से इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों को विशेषज्ञ डाॅक्टरों से इलाज नहीं मिल पा रहा है।
मेकॉज प्रबंधन का कहना है कि अभी कोरोना के चलते ही पहले ही दो सौ बिस्तर वाला एक अलग हॉस्पिटल बनाया गया है। ऐसे में बड़ी संख्या में वहां पर कर्मचारियों की तैनाती की गई है। कोरोना डिपार्टमेंट में स्टाफ देने के लिए अन्य डिपार्टमेंट के स्टाफ को इधर लगाया गया है इसके अलावा यदि सारे विभागों की ओपीडी शुरू कर दी जाएगी तो ओपीडी और वार्डों में भी मरीजों की खासी भीड़ हो जाएगी। कोरोना संक्रमण काल तक भीड़ जमा करना भी खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में अभी सिर्फ चार डिपार्टमेंट में ही इलाज की व्यवस्था जारी रखी गई है। इधर एक दर्जन से ज्यादा ओपीडी के बंद होने से मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है और उन्हें निजी क्लिनिक जाना पड़ रहा है।
आपातकाल में इलाज जारी, ऑपरेशन भी करेंगे
इधर मेकॉज के अधीक्षक डॉ. केएल आजाद ने बताया कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अभी कुछ प्रमुख विभागों की ही ओपीडी चलाई जा रही है। इसके अलावा मरीजों को परेशानी न हो इसलिए अन्य विभागों के मरीजों की जांच आपातकाल ओपीडी से करवाई जा रही है। इसके अलावा यदि कोई मरीज आपात स्थिति में आता है और उसे ऑपरेशन या अन्य मेडिकल सुविधाओं की जरूरत है तो ऑनकॉल पर डाॅक्टरों को बुलाकर इलाज करवाया जा रहा है।



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Only 4 departments will have OPD in Maycause




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रेडक्रॉस ने मनरेगा मजदूरों को किया जागरूक

कोरोना वायरस को लेकर रेडक्रास टीम लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में विश्व रेडक्रास दिवस के अवसर पर सेवा मित्रता और परोपकार के उद्देश्य से शिक्षक संघ व रेडक्रास भानुप्रतापपुर की टीम ब्लॉक के सुदूर संवेदनशील और पहाड़ी ग्राम तरांदुल, धनेली, कठोली पहुंची। मुंगवाल के मनरेगा कार्य स्थल आइसोलेशन सेंटर तथा तीनों ग्रामों में कोरोना महामारी की संक्रमण से बचाव के उपाय बताए।
धनेली में पांच व कठोली में पांच आर्थिक रूप से असहाय लोगों को दल द्वारा आलू, प्याज, तेल, हल्दी, मिर्च, धनिया, बिस्कुट के पैकेट प्रदान किए गए। धनेली में एक वृध्द बीमार व्यक्ति के घर जाकर उन्हें आर्थिक मदद दी गई। इस दौरान वालिंटियर राधे लाल नुरूटी, टिकेश ठाकुर, पारस उसेंडी, प्रदीप सेन, प्रेमलाल हुपेंड़ी, कीर्तन मंडावी, आधार सिंह दुग्गा आदि उपस्थित थे।



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Red Cross made MNREGA workers aware




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जवानों ने जरूतरमंदों को बांटा राशन

बीएसएफ 167 वीं वाहिनी के जवान कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के चलते ग्रामीणों को हो रही दिक्कतों से राहत पहुंचाने मदद करने में जुटे हुए हैं।
शनिवार को जवानों द्वारा दुर्गूकोंदल के मंडी परिवार में कमांडेंट मयंक उपाध्याय की उपस्थिति में अति जरूरतमंद 12 परिवार को राशन सामग्री का वितरण किया। बीएसएफ के जवान लगातार क्षेत्र के गांवों में पहुंचकर ग्रामीणों की मदद कर रहे हैं। जवानों द्वारा भुसकी, मसूर में भी जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, फल का वितरण किया गया। कमांडेंट मयंक उपाध्याय ने ग्रामीणों को लाकडाउन का पालन करने व घरों में ही रहने कहा गया। इस दौरान रेडक्रास वालिंटियर्स संजय वस्त्रकार व अन्य सदस्यों द्वारा लोगों को मास्क, सामाजिक दूरी बनाए रखने, बार-बार हाथ धुलाई करने कहा।
उन्होंने ग्रामीणों को घर में ही नीम पत्ता, तुलसी पत्ताए, फिटकिरी व कपूर से सेनेटाइज बनाने की विधि भी बताई। इस दौरान वालिंटियर ललित नरेटी, बांगोमा चक्रवर्ती, रीता वस्त्रकार, भूपेंद्र गुप्ता, जयप्रकाश चौधरी, दुर्गुकोंदल सरपंच पार्वती सोरी, उमेश दुग्गा, महत्तम दुग्गा, बीरो मंडावी आदि उपस्थित थे।



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The soldiers distributed ration to the needy




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100 महिलाओं को समूहों से रोजगार मिला, दूसरों के लिए बनीं प्रेरणास्रोत

ग्राम पंचायत परवी में 10 महिला स्व सहायता समूह द्वारा लगभग 100 से ज्यादा महिलाएं समूह से जुड़कर वर्षो से जीविकापार्जन कर रही हैं। वहीं अन्य समूहों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी हुई हैं। यह गांव अंदरूनी एवं संवेदनशील क्षेत्र में बसा हुआ है। लगभग 600-700 से आबादी वाले इस गांव में एक सौ से अधिक महिलाएं है, जो समूह के माध्यम से आय का स्रोत बनाकर जीविकापार्जन कर रही है।
ज्योति समूह द्वारा वन विभाग द्वारा वनोपज खरीदी कार्य में लगी है। वतर्मान में महुआ की आवक होने से महुआ खरीदी कर रही हैं। इनके अलावा मौसम के अनुरूप वनोपजों की खरीदी करते हैं। उजाला समूह की महिलाआं द्वारा गांव में ही जैविक खाद बनाने का कार्य किया जा रहा है।
विकास समूह एवं एकता समूह की महिलाएं स्कूलों में मध्याह्न भोजन का संचालन कर रही हैं। जागृति समूह मछली पालन एवं उन्नति समूह होटल का व्यवसाय करते हुए आ रहे हैं। अभिलाषा समूह, प्रकाश समूह, युग समूह एवं सत्यम समूह की महिलाएं गांव के जरूरत मंद लोगों के समय में राशि उपलब्ध करा रही है और इससे होने वाले आय से अपना व परिवार का जीविकापार्जन कर रहे हंै। महिला समूह के सदस्य कमलेश्वरी, सूरजबाई मंडावी, कौशिल्या उइके, अमेरिका मंडावी, कांति नेताम, अंजना मंडावी, दुर्गा मंडावी ने बताया स्व सहायता समूह के माध्यम से वर्षो कार्य करते हुए आ रहे हंै। इससे हमें रोजगार मिल गया है और अच्छी आमदनी भी हो रही है। पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर के डीएफओ आरसी दुग्गा ने कहा कि महिलाएं स्व सहायता समूहों को वनोपज खरीदीने के साथ कई कार्य दिया जा रहा है, इससे महिलाएं स्वावलंबी बन रही है।



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100 women get jobs from groups, others become inspiration




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आज से तेंदूपत्ता तोड़ाई 38 हजार बोरे का लक्ष्य

वन परिक्षेत्र दुर्गूकोंदल में 10 मई से तेंदूपत्ता की खरीदी शुरू हो जाएगी। विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। कोरोना वायरस के चलते लोगों को सावधानी बरतने कहा गया है। तेंदूपत्ता तोड़ाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने व बार-बार हाथ धोते रहने कहा गया है।
क्षेत्राधिकारी देवलाल दुग्गा ने बताया तेंदूपत्ता खरीदी वर्ष 2019-20 में 38100 हजार मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया है। पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर के अंतर्गत परिक्षेत्र ने तैयारी पूरी कर ली है। 10 मई से खरीदी प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने कहा कि वन परिक्षेत्र के अंतर्गत 18 समिति के अंतर्गत जिसमें तीन समिति चिखली, हामतवाही, गुमडीडीही के ठेकेदार नहीं पहुंचने के कारण वन विभाग की ओर से समिति के माध्यम से खरीदी की जाएगी। वह इसके लिए समितियों से संपर्क हुआ। इसके रखरखाव के लिए भी तैयारी की जा रही है। वही बेमौसम बारिश के कारण नुकसान होता है, जिसे भी ध्यान में रखते हुए मैदानी इलाकों को चिंहित किए जाने की कोशिश की जा रही है।



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Tendu patta plucking target of 38 thousand sacks from today




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पखांजूर, कापसी और बांदे में पूर्ण तालाबंदी का दिखा असर

राज्य शासन द्वारा शनिवार-रविवार पूर्ण तालाबंदी करने के निर्णय का क्षेत्र में काफी असर रहा। अंचल में जरूरी सेवाओं को छोड़ सभी दुकानें बंद रही। इस तरह के तालाबंदी का पहला दिन होने के कारण प्रशासन के कई दल क्षेत्र में सक्रिय रहे, ताकि लोग अन्य दिनों की तरह घरों से न निकले और दुकानें भी न खुले। पुलिस दल भी गश्त करती रही। प्रशासन ने उन लोगों पर भी कार्यवाही की गई, जो बिना मास्क लगाए घरों से निकले थे। प्रशासन और नगर पंचायत के दल ने बिना मास्क पहने घूमने वाले कई लोगों से जुर्माना वसूला।
प्रशासन का दल नगर के साथ कापसी, बांदे के बाजार में भी घूमता रहा। बांदे के साप्ताहिक बाजार होने के कारण ग्रामीण बंादे न पहुंचे और दुकानें न खुले इसको लेकर प्रशासन मुस्तैद थी। बांदे नायब तहसीलदार मोहित साहू ने बताया शनिवार-रविवार को तालाबंदी को ले सभी को जानकारी दे दी गई थी। सभी ने सहयोग दिया। आज एक भी दुकान नहीं खुली। साप्ताहिक बाजार भी नहीं लगा। पखांजूर और कापसी क्षेत्र में भी दुकानें पूर्ण रूप से बंद रही और लोग बाहर भी नहीं निकले। सड़क पूरी तरह से सूनी रही। नगर पंचायत के वार्ड क्र 1 में दल ने मुख्य मार्ग में कैंप लगाया और बिना मास्क लगाए घूमने वालों से 100-100 का जुर्माना वसूला।
दुकानदार निर्धारित समय के बाद भी खोल रहे दुकान : प्रशासन द्वारा रोजाना सुबह 8 से 4 बजे से दुकान खोलने की अनुमति दी है। इसके बाद भी कुछ दुकानदार देर शाम तक दुकान खोले रख रहे हैं। इसकी शिकायत पर शुक्रवार को टीम ने कापसी और पखांजूर का भ्रमण किया। कापसी बाजार में 4 बजे के बाद भी कई दुकानें खुले मिली, जिसे प्रशासन ने चेतावनी देकर बंद कराया। पखांजूर बाजार में भी दो इलेक्टानिक्स दुकानें खुली हुई थी। इस पर प्रशासन ने 500-500 का जुर्माना लगाया।
पखांजूर तहसीलदार शेखर मिश्रा ने कहा प्रशासन की इस कार्यवाही से लोगों में कुछ जागरूकता आई है। अधिकांश लोग मास्क लगा कर ही घरों से निकल रहे हैं।



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Full lockout effect in Pakhanjur, Kapasi and Bande




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मारे गए तीन इनामी नक्सली कांकेर के

राजनांदगांव के मदनवाड़ा में हुए मुठभेड़ में पुलिस ने चार नक्सलियों को मार गिराया। इसमें तीन की शिनाख्त कांकेर जिले के निवासी तथा एक अन्य महिला नक्सली की शिनाख्त दक्षिण बस्तर निवासी के रूप में की गई है।
इन तीनों हार्डकोर नक्सलियों के खिलाफ शासन ने लाखों रूपए इनाम घोषित कर रखा था। मुठभेड़ के दूसरे दिन शनिवार शाम तक इनकी लाश लेने इनके परिजनों में से कोई भी राजनांदगांव मेडिकल कालेज नहीं पहुंचा था। 48 घंटे तक यदि इनकी लाश पर दावा नहीं किया गया तो पुलिस उनका अंतिम संस्कार करा देगी।
शुक्रवार रात मदनवाड़ा के जंगल में हुई मुठभेड़ में भले ही चार नक्सलियों को मार गिराने में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। लेकिन इस मुठभेड़ में पुलिस ने अपना एक जाबांज एसआई खो दिया। इस मुठभेड़ में मदनवाड़ा थाना प्रभारी एसआई श्याम किशोर शर्मा गोली लगने से शहीद हो गए। मुठभेड़ के बाद आसपास इलाके की सर्चिंग की गई तो वहां से चार वर्दीधारी नक्सलियों के शव मिले। जिसमें दो महिला व दो पुरूष हैं। मारे गए नक्सलियों में एक की शिनाख्त कांकेर राजनांदगांव बार्डर डिवीजन कमेटी सदस्य अशोक उर्फ रैनू हुर्रा उम्र 35 वर्ष निवासी एड़ानार थाना ताड़ोकी जिला कांकेर के रूप में की गई है। जिसके खिलाफ सरकार ने 8 लाख रूपए इनाम घोषित कर रखा था। इसके अलावा एरिया कमेटी सदस्य कृष्णा नरेटी 26 वर्ष निवासी कांकेर तथा महिला नक्सली मोहला औंधी संयुक्त एलओएस की सदस्य सविता सलामे 25 साल निवासी कांकेर के रूप में शिनाख्त की गई है। जिसमें कृष्णा के खिलाफ पांच लाख तथा सविता सलामे के खिलाफ एक लाख रूपए का इनाम घोषित था।
मुठभेड़ में मृत चौथी महिला नक्सली को परमिला 22 साल निवासी दक्षिण बस्तर के रूप में शिनाख्त की गई है। इन सभी की शिनाख्ति मानपुर मदनवाड़ा इलाके में नक्सली संगठन में काम कर चुके आत्मसमर्पित नक्सलियों ने की है। पुलिस अब इनके परिजनों का इंतजार कर रही है।
राजनांदगांव एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में तीन कांकेर जिले तथा एक महिला नक्सली दक्षिण बस्तर की है। इन पर कुल 15 लाख रूपए का इनाम था। इनके परिवार की जानकारी जुटाई जा रही है, ताकि वे शव ले जा सकें। उनके नहीं आने की स्थिति में दो दिन बाद अंतिम संस्कर पुलिस ही करेगी।



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सर्वर डाउन, किसानों को समय पर नहीं मिल रहा खाद-बीज


कांकेर लेैंपस में किसानों को खाद, बीज मिलने में काफी दे हो रही है। किसानों को एक दिन में खाद, बीज नहीं मिल पा रहा है। इससे किसान परेशानी हो रही है। वहीं बार-बार सर्वन डाउन होने के किसानों को समय पर खाद-बीज नहीं मिल पाता। इसके चलते बड़ी संख्या में लैम्पस में किसानों की भीड़ लग जाती है और इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है। कांकेर लेंपस में 1400 किसान पंजीकृत है। कुछ दिनों में कांकेर लैंपस में बड़ी संख्या में किसान खाद, बीज लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इससे अव्यवस्था उत्पन्न हो रही है। कई किसानों को लेंपस में एक दिन में खाद, बीज नहीं मिल पा रहा है और इसके लिए काफी इंतजार किसानों को करना पड़ रहा है। किसानों को खाद, बीज मिलने में दो से तीन दिन लग रहे हंै। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया जा रहा है।
लैंपस में रजिस्टर के आधार पर खाद, बीज नहीं मिल पाता है। थंब लगाने पर ही किसानों को खाद, बीज प्रदान किया जाता है। इसके कारण समय लगता है। साथ ही कई बार सर्वर डाऊन की परेशानी रहती है। इससे समय और ज्यादा लग जाता है। अभी तक 380 किसानों को खाद, बीज प्रदान किया जा सका है।
गोल घेरे भी बने, मास्क तक नहीं लगा रहे : लेंपस में सोशल डिस्टेसिंग के नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। कांकेर लैंपस के परिसर में गोल घेरा बनाया गया है, लेकिन इसके आधार पर किसान गोल घेरा में नहीं बैठ रहे हैं और पास पास बैठ रहे हैं। इससे सोशल डिस्टेसिंग के नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। कई किसान तो मास्क भी नहीं लगा रहे हैं।



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Server down, farmers not getting compost seeds in time




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कोटा से आए छात्रों को बस और कार से गृह जिले भेजा

जिला मुख्यालय कांकेर के ईमलीपारा स्थित बालक छात्रावास में कोटा से आए छात्रों को क्वारेंटाइन किया गया था। शनिवार को छात्रों व पुलिस जवानों को उनके गृह जिला बस और कार से रवाना किया गया।
छत्तीसगढ़ शासन ने पहल करते हुए कोटा राजस्थान के कोचिंग संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रोंको वापस छत्तीसगढ लाकर राज्य के विभिन्न जिलों के क्वारेेंटाइन सेंटर में ठहराया था। ईमलीपारा कांकेर के क्वारेंटाइन सेंटर में रुके हुए मुंगेली, कवर्धा, दुर्ग, रायपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, कोरिया, कोरिया, बिलासपुर, राजनांदगांव, बेमेतरा, बालोद एवं बलौदाबाजार इत्यादि जिलों के छात्रों और पुलिस के जवानों को मिलाकर 61 व्यक्ति रुके हुए थे।
उन्हें शनिवार को तीन बस और दो बोलेरो वाहन से उनके गृह जिला के लिए रवाना किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर केएल चौहान, वनमंडलाधिकारी कांकेर अरविंद पीएम, अपर कलेक्टर सीएल मार्कंडेय, आदिवासी विकास विभाग के उपायुक्त विवेक दलेला, आरटीओ ऋषभ नायडू, एसडीएम कांकेर उमाशंकर बंदे, डिप्टी कलेक्टर उत्तम पंचारी, तहसीलदार मनोज मरकाम उपस्थित थे।



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Students from Kota sent to home district by bus and car




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टोटल लॉकडाउन में भी सब्जी बाजार लगा, आज साप्ताहिक बाजार ना लगाने का ऐलान

जिला प्रशासन ने शनिवार रविवार को पूर्णत: लॉकडाउन की घोषणा की है। जिसमें अति आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सभी दुकानों व प्रतिष्ठानों को बंद रखने कहा गया था। लेकिन प्रदेश स्तर से ही आदेश में लगातार परिवर्तन को लेकर असमंजस में पड़े सब्जी विक्रेताओं ने शनिवार को नया बाजार में दुकान लगा दी। जिसे देख नगर पालिका को दोबारा एेलान करना पड़ा कि रविवार को साप्ताहिक बाजार नहीं भरेगा। पूर्णत: लॉकडाउन का पूरा पालन किया जाए। यदि कोई दुकान लगाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शुक्रवार को प्रदेश से आए आदेश के अनुसार शनिवार रविवार को पूर्णत: लॉकडाउन का एलान किया गया था। पहले आदेश में सिर्फ अति आवश्यक सेवाएं मेडिकल, दूध, फल, पेट्रेाल पंप, एलपीजी गैस तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ही छूट प्रदान की गई थी। लेकिन शाम तक प्रदेश से दोबारा आदेश आने पर उसमें काफी फेरबदल कर दिया गया। जिसमें सब्जी आदि को भी लॉकडाउन से छूट दी गई। लेकिन इसके विक्रय के लिए सुबह 6 बजे से 9.30 बजे तक का समय दिया गया था। सुबह दुकान नहीं लगाने व ग्राहक नहीं आने की बात कहते पहले ही सब्जी विक्रेता दुकान नहीं खोलने का मन बना लिए थे। जिससे सुबह कुछ ही दुकानें बाजार में लगी। लेकिन इसके बाद किसी ने यह कह दिया कि शाम 4 बजे तक दुकान लगाई जा सकती है। जिसके बाद अन्य सब्जी विक्रेता भी नया सब्जी बाजार में दुकानें लगाने लगे। लेकिन पूर्णत: लॉकडाउन की खबर प्रसारित होने के चलते ग्राहक बाजार नहीं पहुंचे। जिससे दिनभर सब्जी विक्रेता ग्राहकों का इंतजार करते रहे। सब्जी विक्रेताओं ने कहा कि आदेश स्पष्ट निकलना चाहिए। ताकि लोगों को जानकारी हो सके।
सब्जी के अलावा मोबाइल रिचार्ज दुकानें भी खुली रहीं। जबकि पूर्णत: लॉकडाउन के चलते अन्य दिनों की अपेक्षा शनिवार को शहर की सड़कों में सन्नाटा पसरा रहा। सार्वजनिक वाहनों की भी आवाजाही थमी रही।
इसलिए कराया जा रहा साप्ताहिक बाजार बंद
प्रशासन को आशंका है कि सभी दुकानें बंद होने के बाद यदि साप्ताहिक बाजार को छूट दी गई तो वहां भारी भीड़ जमा हो जाएगी। लोग सब्जी खरीदने के नाम से बाजार में टूट पड़ेंगे। वहां भी दुकानों की संख्या बढ़ जाएगी और भीड़ बढ़ती जाएगी। जिससे लॉकडाउन का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा। इसलिए साप्ताहिक बाजार को बंद किया जा रहा है ताकि लॉकडाउन अच्छे से पालन हो सके।
आदेश का पालन करवाना बनी चुनौती
जिले का सबसे बड़ा साप्ताहिक बाजार रविवार को जिला मुख्यालय कांकेर में लगता है। इसके अलावा रविवार को ही पखांजूर, भानुप्रतापपुर, दुधावा, कलेपरस, कापसी में भी साप्ताहिक बाजार भरता है। ये सभी बड़े बाजार हैं, जहां बड़ी संख्या में ग्रामीण खरीदारी के लिए पहुंचते हैं। चारामा में हटरी भरता है। लॉकडाउन में शनिवार को कांकेर में सब्जी बाजार खुलने के बाद अब इन सभी जगहों में रविवार को साप्ताहिक बाजार बंद कराना चुनौती होगी। हालांकि प्रशासन ने सभी जगहों पर साप्ताहिक बाजार बंद रखने का आदेश दिया है।

कुछ घंटों के लिए ही खुलेंगी ये दुकानें
नगर पालिका सीएमओ सौरभ तिवारी ने बताया शासन के निर्देशानुसार पूर्णत: लॉकडाऊन में रविवार को साप्ताहिक बाजार बंद रखा जाएगा। इसकी मुनादी करा दी गई है। पूर्णत: लॉकडाउन में अति आवश्यक सेवाएं मेडिकल स्टोर्स, पेट्रोल पंप, एलपीजी गैस व आपात काल सेवा पूरे समय चालू रहेगी। इसके अलावा दूध, फल, अंडा, ब्रेड, मटन, चिकन, मछली का विक्रय रविवार को दोपहर 12 बजे तक ही करने की अनुमति होगी।
अन्य कस्बों में नहीं लगे साप्ताहिक बाजार
पूर्णत: लॉकडाउन के पहले दिन शनिवार को जिला मुख्यालय के अलावा अन्य नगर व कस्बों में इसका असर दिखाई दिया। भानुप्रतापपुर, पखांजूर, नरहरपुर, चारामा, अंतागढ़, दुधावा में इसका असर दिखाई दिया। यहां लॉकडान पूरी तरह सफल रहा। शनिवार को सरोना, बडग़ांव, लखनपुरी, बांदे, कोलर सरंडी, भीरागांव में साप्ताहिक बाजार भरता है। लेकिन यहां भी लॉकडाउन के चलते सन्नाटा पसरा रहा।



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Vegetable market also started in total lockdown, announced not to set up weekly market today




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सेवा समाप्त होने से 10 हजार अतिथि शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट

कोरोना संक्रमण के विकट काल के दौरान अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त करने के आदेश का छत्तीसगढ़ अतिथि शिक्षक संघ ने विरोध जताया है। इसको लेकर कोयलीबेड़ा संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम पखांजूर निशा नेताम को ज्ञापन सौंपा और सेवा समाप्त न करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सेवा समाप्ति से रोजी-रोटी का संकट आ गया है।
ज्ञापन में कहा कि उन्होंने उनके घोषणा पत्र को याद दिलाया। इसमें उनकी सेवा स्थाई करने का वादा किया गया है, साथ ही भर्ती के दौरान आदेश में तब तक के लिए नियुक्त किया गया है, जब तक की उस पद में वर्ग एक शिक्षाकर्मी की पदस्थापना नहीं हो जाती। वर्तमान में शिक्षकों की कोई पदस्थापना नहीं होने के बाद भी उनकी सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया गया है। अतिथि शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष राकेश राय चौधरी ने कहा कि हर जिले में अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति आदेश जारी किया जा रहा है।
इससे प्रदेशभर में दस हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा शासन अभी कोरोना संकट के चलते सभी के लिए अपने कर्मचारियों की सेवा समाप्त न करने की अपील कर रहा है, वहीं स्वयं अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त करने में लगा है। इसी सरकार ने उन्हें स्थाई करने का वादा अपने घोषण पत्र में किया था। इसके बाद भी मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। कोरोना संकट के दौरान शिक्षकों की सेवा समाप्त करने से उन पर संकट आ जाएगा। इस दौरान शिक्षक बलाई मिस्त्री, गोविंद मंडल, अभजीत दत्ता, पायल ब्रम्ह, आशीाष मंडल आदि उपस्थित थे।



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End of service, livelihood crisis in front of 10 thousand guest teachers




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42 गरीब बच्चों को गोद ले मुफ्त में 10वीं तक पढ़ाने का उठाया जिम्मा

शहर की राधिका गुप्ता (60), जो पेशे से प्राइवेट स्कूल की संचालिका और शिक्षक हैं, निःस्वार्थ सेवाभाव से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है। आत्मनिर्भर बनाने 42 गरीब बच्चों को गोद लेकर निशुल्क नर्सरी से 10वीं तक अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने का जिम्मा इन्हांेने उठाया है।
वे कहती हैं मुझे टीचर नहीं मां और बड़ी मम्मी कहलाना पसंद है। मुझे बच्चे मां जैसा बड़ी मम्मी कहकर पुकारते हैं। मां जैसी सभी को प्यार देती हूं। 18 साल पहले जब प्राइवेट स्कूल खोली थी, तब से अब तक 42 बच्चों को गोद ले चुकी है। हर साल जरूरतमंदोंकी जानकारी मिलने के बाद वह पालकों की सहमति से बच्चों को अपने स्कूल में एडमिशन कराकर पढ़ाती है।
खास बात यह भी है कि स्कूल में काम करने वाली सभी महिलाएं हैं। इसमें 15 शिक्षिकाएं और 2 प्यून शामिल हैं। बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए राधिका को 11 नेशनल अवाॅर्ड मिल चुके हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाली राधिका गुप्ता को मातृ दिवस पर भुलाया नहीं जा सकता।
अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने का मिला मौका
गोद लिए 42 में से 15 बच्चे यहां पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। बाकी 27 बच्चे अब भी यहां पढ़ाई कर रहे हैं। अभी लॉकडाउन के कारण सभी अपने घर पर हैं। बालोद की कविता ने बताया कि बड़ी मम्मी यानी राधिका गुप्ता के कारण ही बिना फीस के अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने का मौका मिल रहा है। पैसे की तंगी के कारण परिवार वालों ने सोचा नहीं था कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दाखिला हो पाएगा। पेन, कॉपी, किताब भी स्कूल में ही मिली है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर काम कर रही: राधिका बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ थीम पर काम कर रही हैं। इसके तहत उन्हें विभिन्न कार्य करने के लिए अवाॅर्ड मिल चुके हैं। वे जरूरत पड़ने पर अपने वेतन से कई बेटियों को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है। शिक्षा जगत में 39 साल से जुड़ी हुई हैं। अधिकतर समय बच्चों के हित में काम करती है। इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल की है।

गोद लेकर शिक्षा देने का यह है उद्देश्य

राधिका गुप्ता ने कहा कि गरीब बच्चों के पालक जो फीस नहीं दे पाते, पैसे की तंगी के कारण बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं दे पाते, ऐसे बच्चों को आगे बढ़ाकर शिक्षा देना मुख्य उद्देश्य है। हर पालक का यह सपना होता है कि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाई करें। हीनता की भावना को दूर कर आत्मनिर्भर, स्वावलंबी बनाने मैं कार्य कर रही हूं, ताकि पैसे की कमी के कारण प्रतिभावान बच्चों का भविष्य अंधकारमय न हो। शादी से पहले कॉलेज में स्टूडेंट्स को पढ़ाती थी। हर स्तर पर मैंने बच्चों को पढ़ाया। बालोद में 30 साल से रह रही हूं। भिलाई मायका है। प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित होना चाहिए और इसके लिए अपनी संस्था के माध्यम से लगातार प्रयास कर रही हूं। हर कोई शिक्षित होना चाहता है। लेकिन महंगी शिक्षा के कारण पालक अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में नहीं पढ़ा सकता, लेकिन मैं अपनी तक्षशीला एजुकेशन अकादमी में गरीब बच्चों को गोद लेकर अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दे रही हूं और आगे भी देती रहूंगी। ताकि गरीब तबके से जुड़े बच्चे शिक्षित हो सकें।
यह अवाॅर्ड इनके नाम, हुईं सम्मानित
2019 में अंतरराष्ट्रीय विजय दिवस पर दिल्ली में आयोजित कायर्क्रम में 23 राज्यों के 153 लोगों का सम्मान हुआ था। जिसमें राधिका गुप्ता भी शामिल हैं। उन्हें इन्द्राणी राम अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया था। भारतीय दलित साहित्य अकादमी रायपुर ने आदर्श शिक्षक 2016 के रूप में सम्मानित किया। 8 मार्च 2010 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बालोद जेसीरेट विंग ने सम्मानित किया।



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42 poor children adopted and raised to teach till 10th free




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कई किमी चलकर आए, अब कोंटा के पास सीमा पर फंसे सैकड़ों लोग

एम वरुण कुमार|कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में रोजगार छिन जाने से बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और ओडिशा के हजारों मजदूर अब अपने घरों को लौट रहे हैं। दक्षिण भारत की ओर से ये मजदूर कोंटा से होकर छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। कोई पैदल तो कोई साइकल से हजारों किमी दूर अपने गांव जाने की यात्रा पर हैं। काम बंद होने के बाद दक्षिण भारत में काम करने गए बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और ओडिशा के मजदूर दो दिनों से छत्तीसगढ़ की सीमा पर कोंटा के उस पार डेरा डाले हुए हैं।अपने साधनों से आने वाले मजदूरों को तो नाम पता दर्ज करने के बाद स्क्रीनिंग कर आने दिया जा रहा है लेकिन पैदल आ रहे इन मजदूरों को छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। लेकिन सीमा के उस पार आंध्रप्रदेश के चिड़मुर में पेड़ों के नीचे डेरा डाले इन श्रमिकों की स्क्रीनिंग तक नहीं हो पाई है। जबकि ये मजदूर रेड और ऑरेंज जोन से होकर यहां पहुंचे हैं। कोंटा के बार्डर पर उस पार आंध्रप्रदेश में इस समय मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड और ओडिशा के करीब 700 से अधिक मजदूर फंसे हैं।

संस्थाएं कर रहीं मदद तो कुछ फायदा भी उठा रहे

कोंटा की श्रीश्री माणिकेश्वरी सेवा संस्था व स्वामी विवेकानंद सेवा संस्थान से जुड़े लोग दिन रात कोंटा पहुंच रहे सैकड़ों मजदूरों के लिए हर दिन भोजन व्यवस्था कर रहे हैं। तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मजदूरों से एक व्यक्ति का 3 से लेकर 4 हजार रुपए किराया मांग रहे हैं जो देना संभव नहीं है।
छत्तीसगढ़ के मजदूरों को ही मिल रही एंट्री
मुंगेली जिले के रहने वाले जोगिंदर ने बताया कि वे परिवार और 20 साथियों के साथ काम करने तेलंगाना के हैदराबाद गए थे। जहां वे भवन निर्माण और मजदूरी कर रहे थे। 4 दिन से वे यहां पर पेड़ के नीचे छोटे-छोटे दूधमुंहे बच्चों के साथ रह रहे थे। भोजन की भी किल्लत बनी है। यहां तक तो आ गए लेकिन हाथ में पैसे भी नहीं हैं। इस बीच छत्तीसगढ़ के मजदूरों को सीमा में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है। एसडीएम हिमांचल साहू ने बताया कि मुंगेली और अन्य जिले के मजदूरों को बस से भिजवाने की व्यवस्था की जा रही है। जबकि दूसरे राज्यों के मजदूरों के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं होने से उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

मजदूरों के लिए की गई है व्यवस्था: एसडीएम
एसडीएम हिमांचल साहू ने कहा कि पड़ोसी राज्यों से आने वाले मजदूरों के लिए छत्तीसगढ़ में सभी तरह की व्यवस्था की गई है। लॉक डाउन की वजह से ये आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और तामिलनाडू की सरकार ने इन मजदूरो की परवाह न करते हुए इन्हें पैदल जाने से नही रोका है। रेड और ओरेंज जोन से आने वाले ये सभी लोग छत्तीसगढ़ होते हुए अपने राज्यो में प्रवेश करेंगे। ऐसे में छत्तीसगढ़ में संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इस लिए शासन के आदेशानुसार इन लोगो को छत्तीसगढ़ में प्रवेश पर रोक लगाया गया है। उन्होंने कहा कि जो लोग मजदूरों को उनके मुकाम तक पहुंचाने के लिए मनमाना किराया मांग रहे हैं उनका पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा मजदूरों के लिए कोंटा में दो क्वारेंटाइन सेंटर पहले से ही काम कर रहे हैं। मजदूरों की संख्या बढ़ी तो कलेक्टर चंदनकुमार ने आईटीआई को भी क्वारेंटाइन सेंटर बनाने का आदेश दिया है। अब यहां 3 सेंटर है।



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Walked many km, now hundreds of people trapped on the border near Konta




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उन्हीं के दिए हाैसलाें से इतनी ताकत मिली कि काेराेना से लड़े और हराया भी

भिलाई। भिलाई में कोरोना का पहला पॉजिटिव मरीज खुर्सीपार में मिला। प्रदेश में रायपुर की 23 वर्षीय युवती पहली मरीज थी। अब इमरान और निष्ठा स्वस्थ है। कोरोना को जंग से हराने के पीछे इमरान ने बड़ी बात बताई है। कोरोना को हराने में उनकी अम्मी साजिदा बेगम का रोल अहम है। आज मदर्स डे पर पढ़िए इमरान ने कैसे मां के दिए हौसलों से कोरोना को हराया, पढ़िए उनकी जुबानी...।

नाम- इमरान अहमद

उम्र- 34 साल
अम्मी- साजिदा बेगम
बात 25 मार्च की है। रात 12 बजे स्वास्थ्य विभाग की टीम मेरे घर पहुंची। उन्होंने बताया कि आप काेराेना संक्रमित हैं। मैं 11 को सऊदी से लौटा था, तब कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे। संक्रमण होने की बात सुनकर अम्मी फूट-फूटकर राेने लगी। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि मुझे अपने साथ न दो जोड़ी कपड़े रखने का मौका मिला और न ही मोबाइल चार्जर। मैं एम्स पहुंचा, इसके कुछ घंटे बाद ही सुबह-सुबह मेरी अम्मी, अब्बू सहित परिवार के 7 सदस्याें को क्वारेंटाइन सेंटर भेज दिया गया। अम्मी से मोबाइल पर बात हुई, वो तब भी राे रहीं थीं। बहुत दुखी थीं। दूसरे दिन तक मोबाइल की बैटरी खत्म हो चुकी थी। चार्जर भी नहीं था। फैमिली से बात होनी भी बंद हो गई।
एम्स में दिनभर यही सोचता रहता कि मेरे कारण घरवालों को कष्ट सहना पड़ रहा है। एक परिचित की मदद से चार्जर मिला। फोन चार्ज होते ही पहला कॉल अम्मी को किया। उन्होंने समझाया, खुद काे मत काेसाे। सब अच्छा हाेगा। चार दिन बाद 30 मार्च को काेराेना टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई। मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया। घर पहुंचा तो घर पर कोई नहीं था। पूरा परिवार क्वारेंटाइन सेंटर में था। तीन दिन खुद खाना बनाकर खाया। 2 अप्रैल की शाम अम्मी और बाकी फैमिली मेंबर्स क्वारेंटाइन सेंटर से घर पहुंचे। मम्मी मुझे देखकर बेहद खुश थीं। उनकी आंखाें में इस बार खुशी के आंसू थे। मैंने अम्मी से पूछा वो क्या खाएंगी। उन्होंने तहरी खाने की इच्छा जताई। कई तरह की सब्जियों को मिलाकर तहरी बनाई जाती है। मैंने खुद उनके लिए ये डिश बनाई। पूरे परिवार ने साथ बैठकर खाना खाया। बेटे इमरान के मुंह से काेराेना की जंग जीतने की कहानी सुनने के बाद रुंधे गले से मां साजिदा बाेलीं- हर पल अल्लाह से बेटे की सलामती की दुआमांगती थी। वो ठीक हो गया तो मैंने शुक्राना नमाज भी पढ़ी। उसे खीर बहुत पसंद है। खीर खिलाकर अपने लाडले का मुंह मीठा किया। रमजान के महीने में हम सब साथ हैं। सब मिलकर राेजा रखते हैं। अब सब ठीक है।

नाम- निष्ठा अग्रवाल

उम्र- 23 साल
मां - सरिता अग्रवाल

बात 15 मार्च की है। मैं लंदन से रायपुर स्थित अपने घर समता काॅलाेनी पहुंची। नहीं चाहती थी कि मेरे कारण परिवार के किसी भी व्यक्ति को कोरोना का खतरा हो, लिहाजा दूसरे ही दिन टेस्ट कराने एम्स पहुंच गई। 18 मार्च को एम्स से मां को फोन आया। फोन उठाते ही उनके चेहरे का रंग बदल गया। ऐसा लगा मानो उन्हें कोई बड़ा झटका लगा है। इतने में रुंधे गले से मां सरिता बोलीं- वाे मेरी जिंदगी का सबसे बुरा पल था। पहले लगता था कि लोग मुझे किन नजरों से देखेंगे, स्वीकारेंगे या नहीं, पर अब सब ठीक हो रहा है। लोगों का नजरिया पॉजिटिव है।



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He got so much power from his given positions that he fought and defeated Kareena too.




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कुम्हारी का एक कोरोना पॉजिटिव एम्स से डिस्चार्ज, अब 14 दिन होम आइसोलेशन

शनिवार को दुर्ग जिले के लिए राहत की खबर आई। कुम्हारी में मिले दो कोराना पॉजिटिव मरीजों में से एक की एम्स से छुट्टी हो गई है। कुम्हारी के वार्ड-10 निवासी 44 वर्षीय मरीज को एम्स ने शनिवार को डिस्चार्ज कर दिया। पांच दिनों के इलाज से ही दूसरी और तीसरी रिपोर्ट निगेटिव आई तो एम्स प्रशासन ने उसे रिकवर होने की पुष्टि की। प्रोटाकॉल अनुसार आन ड्यूटी डॉक्टर ने सीएमएचओ डॉ. गंभीर सिंह को सूचना देने के बाद शाम में करीब 07:30 बजे मरीज को एंबुलेंस से उसके घर के लिए रवाना कर दिया। सीएमएचओ डॉ. गंभीर सिंह ने बताया कि रिकवर होने के बाद भी एहतियात 14 दिनों के लिए डिस्चार्ज मरीज को होम क्वारेंटाइन में रखेंगे। 24 अप्रैल को सीलीगुड़ी से आने के सात दिनों बाद उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। 3 मई को कुल आठ लोगों के साथ ही इस मरीज की भी रिपोर्ट पॉजीटिव आई। तब सबके साथ ही इसको भी एम्स शिफ्ट कराया गया। बताया गया कि जिले के बाकी 7 मरीज स्टेबल है।
6 दिन में छुट्‌टी: शुरू से ही लक्षण नहीं थे, इनके संपर्क में आने वाले 15 से ज्यादा की रिपोर्ट निगेटिव
भगवान का रूप डॉक्टर, मेरी जिंदगी बचाई...
3 मई को मुझे एम्स ले जाने जब एंबुलेंस पहुंची, तब दिल की धड़कने बढ़ गई। लेकिन एम्स पहुंचने के बाद सबकुछ सामान्य हो गया। वहां के स्टॉफ और डॉक्टर ने सभी मरीजों की तरह मेरा भी पल-पल ख्याल रखा। दवा ही नहीं सभी समय-समय पर खाना-पानी भी देते रहें। इस क्रम में छठवें दिन उन्होंने जब मुझे ठीक हो जाने की जानकारी दी तो आंखों से आंसू निकलने लगे। मैंने पूरी टीम से कहा कि आप लोग ही आज के भगवान हो।

दुर्ग से आने से पहले गुवाहाटी भी गया था

  • 24 अप्रैल को सीलीगुड़ी से कुम्हारी आया।
  • तीन दिनों बाद क्वारेंटाइन सेंटर में रखा।
  • 1 मई को जिला अस्पताल में जांच कराई।
  • उसी दिन दुर्ग के आश्रय स्थल भेजा।
  • 3 को रिपोर्ट आई तब एम्स शिफ्ट करया।
  • 9 मई को रिपोर्ट निगेटिव आई तब छुट्‌टी।

111 की आरडी किट से जांच, सभी निगेटिव
शनिवार को जिले में 111 लोगों की आरडी किट से कोरोना की जांच की गई। तत्काल संभावित नतीजा बताने वाली इस किट की जांच में एक भी पॉजीटिव नहीं मिला। जिनकी जांच की गई, सभी अलग-अलग माध्यमों से दूसरे प्रदेशों से जिले में आए हैं। दुर्ग सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह ने इसकी जानकारी दी है।

होम आइसोलेशन में 14 दिन रहना होगा
एम्स से छुट्टी होने के बाद एसडीएम की अगुवाई में स्थानीय टीम ने मरीज को रिसीव कर होम आइसोलेशन में रखने की प्रक्रिया पूरी की। इसके तहत उसके घर के सामने दीवार पर पोस्टर चस्पा कर 14 दिनों के होम आइसोलेशन की मार्किंग कराई कंटेनमेंट जोन में स्वास्थ्य विभाग की टीम डोर-टू-डोर सर्वे कर रही है।
आइसोलेश सेंटर से दो की छुट्‌टी, घर भेजा
जिले में संचालित दो आइसोलेशन सेंटर में से एक में रखे गए दो संभावित मरीजों की भी शनिवार को छुट्टी कर दी गई। दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आने के साथ ही फिलहाल दोनों में किसी भी प्रकार को सिमटम नहीं था। अब आइसोलेशन सेंटर में रखे गए संभावित मरीजों की संख्या 7 से घटकर 5 हो गई है।
ट्रेन से आने वाले मजदूरों की रैपिड किट से होगी जांच, बनाई गई टीम
ट्रेन से आने वाले मजदूरों की स्टेशन पर रैपिड किट से रेंडमली जांच की जाएगी। इसके लिए सीएमएचओ डॉ. गंभीर सिंह ने शनिवार को 4 डॉक्टरों सहित कुल 21 स्वास्थ्य कर्मियों की टीम बना दी। मजदूरों को आने के बाद सबको दी गई जिम्मेदारियों के संदर्भ में ट्रेंड भी कर दिया गया। उन्होंने बताया कि ट्रेन से आने वाले मजदूरों की संख्या 1000 से ज्यादा हैं, इसलिए सबकी जांच करना संभव नहीं। ऐसे में उन्होंने हर कोच से कम से कम चार लोगों की सिमटोमेटिक जांच करने की प्लान तैयार किया है। भीड़ ज्यादा होने पर सोशल डिस्टेंसिंग कैसे मेंटेन होगी, रेलवे के अधिकारियों से बात-चीत कर इसकी भी योजना बना ली गई है। इस संबंध में तैयारी शुरू हो गई है।



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डोर-टू-डोर सर्वे कर रही टीम




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सुपेला थाने के पीछे शिफ्ट होगा थोक सब्जी मार्केट

आकाशगंगा सुपेला स्थित थोक सब्जी मार्केट को सुपेला थाने के पीछे ग्राउंड में शिफ्ट किया जा रहा है। इसकी सहमति कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने मेयर व विधायक देवेंद्र की मांग पर दे दी है।
मेयर यादव ने शनिवार को कृषि मंत्री चौबे से मुलाकात की। मंत्री से मिलकर मेयर ने किसानों और शहर के सब्जी व्यापारियों के हित के संबंध में चर्चा की। बताया कि आकाश गंगा सुपेला स्थिति सब्जी थोक मार्केट को सुपेला पुलिस थाना के पीछे खाली मैदान में शिफ्ट किया जाएगा। मेयर देवेंद्र ने बताया कि सुपेला थाना के पीछे बड़ा खाली मैदान में है। जहां सब्जी मार्केट को शिफ्ट किया जाना है। लोगों को राहत देने यह निर्णय लिया गया है।
कृषि मंत्री से मिलने के बाद लिया गया निर्णय
मेयर देवेंद्र यादव ने कृषि मंत्री चौबे को बताया कि एमआईसी में इस विषय पर प्रस्ताव रखा गया था। जिसे सर्व सम्मति से पास कर दिया गया है। शासन को भेज दिया गया है। मेयर देवेंद्र ने कृषि मंत्री से निवेदन किया है कि वे जल्द ही इस प्रस्ताव पर शासन की स्वीकृति दिलाए। ताकि जल्द ही क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों सभी को लाभ मिल सकें।



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Wholesale vegetable market will shift behind Supela police station




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शिक्षिका ने बंद कमरे में फांसी लगाकर की खुदकुशी

निजी स्कूल की महिला शिक्षक ने शनिवार को फांसी लगा ली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजन के सहयोग से दरवाजा तोड़कर शव का बाहर निकाला। घटना का पता तब चला। जब दोपहर को उसकी मां खाना खाने के लिए बुलाने गई थी। कोतवाली पुलिस के मुताबिक, मृतक कुमारी लक्ष्मी (22) निवासी मठपारा है। टीआई राजेश बागड़े ने बताया कि घटना का पता दोपहर करीब डेढ़ बजे चला था। युवती दोपहर करीब 12 बजे अपने कमरे में गई थी। मां उसे बुलाने गई तो अंदर से कोई आवाज नहीं आई। इसके बाद उसने खिड़की से झांका तो पता चला कि युवती ने गले में फंदा कस लिया है। दरवाजा तोड़कर उसे अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने युवती को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पीएम कराने के बाद शव परिजन को सौंप दिया है। युवती का कमरा सील कर दिया गया है। परिजन के बयान,युवती का मोबाइल और कमरे की छानबीन के बाद उसके आत्महत्या का कारण पता चल पाएगा।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में अब तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। परिजनों से पूछताछ के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाज जांच जारी है।



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गृह मंत्री साहू ने कहा- इंटेलिजेंस को मजबूत बनाएं

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बाहर से आने वाले मजदूरों की जानकारी के लिए सूचना तंत्र को मजबूत बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में समुचित प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच, पटवारी और पंचायत सचिव तीनों के समन्वय से सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत बनाएं। बाहर से आने वाले श्रमिकों की जानकारी तत्काल संबंधित थाना प्रभारियों और तहसीलदारों को देने के लिए कहा। गृह मंत्री साहू ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शनिवार को बिलासपुर और गरियाबंद जिले के कलेक्टर और एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। गृह मंत्री साहू ने जिले और राज्य की सीमा पर मालवाहक ट्रकों के वाहन चालक, हेल्पर आदि का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद ही प्रवेश की अनुमति देने तथा उनका नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि का विवरण रखने के निर्देश दिए।
मजदूरों की मदद करें
उन्होंने कलेक्टरों से कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को लाने की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे मजदूर जो पंजीकृत नहीं है और पैदल, ट्रकों एवं अन्य साधनों से आ रहे हैं। उनकी जानकारी रखें और मानवीय आधार पर जितना हो सके उनके लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आदि की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि इस माह प्रत्येक शनिवार और रविवार को लगभग 55 घंटे पूर्ण लॉकडाउन रहेगा।



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Home Minister Sahu said - strengthen intelligence




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राहुल गांधी ने रेणु से फोन पर जाना हाल, अगले तीन दिन बेहद अहम

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रेणु जोगी को फोन कर अजीत जोगी के तबीयत की जानकारी ली। इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और पूर्व सांसद मोतीलाल वोरा, स्पीकर चरणदास महंत, केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन, राज्यपाल अनसुइया उइके, पूर्व सीएम रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने जोगी का हालचाल जानने के लिए रेणु जोगी और अमित जोगी को फोन किया। छत्तीसगढ़ के आर्च बिशप विक्टर हैनरी ठाकुर ने भी फोन किया। दूसरी तरफ, उनका हाल चाल जानने के लिए दिन भर लोग अस्पताल पहुंचते रहे। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री ताम्रध्वज साहू और कवासी लखमा, विधायक धरमजीत सिंह, नंदकुमार बघेल, पूर्व विधायक आरके राय, प्रदेश शिवसेना प्रमुख धनंजय परिहार, सुब्रत डे, संजीव अग्रवाल, राहिल रउफी भी अस्पताल पहुंचे।

72 घंटे उनके लिए बेहद अहम: खेमका
अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर सुनील खेमका का कहना है कि जोगी को कार्डियक अरेस्ट हुआ था। अब रिकवरी हो रही है। हालांकि, स्थिति अब भी गंभीर है। अगले 48-72 घंटे उनके लिए बेहद अहम है। खेमका ने जोगी को एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाने की बात से इनकार करते हुए कहा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है।
लोगों की प्रार्थना और ईश्वर पर निर्भर: अमित
अमित जोगी ने ट्वीट किया है...पापा की तबियत बहुत गंभीर है। ढाई करोड़ छत्तीसगढ़वासियों की प्रार्थनाओं और ईश्वर की इच्छा पर ही अब सब कुछ निर्भर है। वे एक योद्धा हैं। हम को पूर्ण विश्वास है कि वो जल्द ही एक बार फिर इस परिस्थिति को हराकर स्वस्थ और अजेय होंगे। दवाओं के साथ उन्हें आपकी दुआओं की जरूरत है।



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Rahul Gandhi calls Renu on phone, next three days are very important




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ग्रामीण क्षेत्र के क्वारेंटाइन सेंटरों में गाड़ा जाएगा कचरा, जलाने के इंतजाम नहीं

प्रवासी मजदूरों के लिए जिले और ब्लॉक में बनाए जा रहे क्वारेंटाइन सेंटर में कोरोना संदिग्धों का कचरा जमीन में गाड़कर नष्ट किया जाएगा। संक्रमित कचरा नष्ट करने की यह तकनीकी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, लेकिन इसके अलावा विकल्प भी नहीं है। वजह ये है कि अब तक केवल दो ही संभाग रायपुर और बिलासपुर में क्वारेंटाइन किए गए या कोरोना मरीजों के कचरे को गाइडलाइंस के मुताबिक नष्ट करने के सेटअप हैं। बाकी तीन संभागों दुर्ग, बस्तर और सरगुजा में इसका इंतजाम नहीं है। राज्य में अगले कुछ दिन में एक लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों से लौटने वाले हैं। लेकिन लाॅकडाउन की वजह से गांव-गांव में बनाए जाने वाले क्वारेंटाइन सेंटरों में कई तरह की दिक्कतों आगई हैं। विकासखंड और जिला स्तर पर बनाए जा रहे क्वारेंटाइन सेंटर में प्रवासियों के डिस्पोजल में ही खाना नाश्ता चाय आदि देने के निर्देश हाल ही में जारी हुए हैं। जानकारों का कहना है कि क्वारेंटाइन वेस्ट को नष्ट करने के लिए गड्ढा इतना गहरा खोदना होगा, ताकि मवेशी या जानवर इसे खोदकर बाहर न निकाल सकें। फिलहाल 21 हजार से ज्यादा प्रवासी होम क्वारेंटाइन में हैं।

हजार डिग्री में जलना चाहिए
अब तक प्रदेश में करीब 90 हजार से ज्यादा लोग क्वारेंटाइन पीरियड पूरा कर चुके हैं। केवल शहरों में ही नहीं, गांवों में भी लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है। ज्यादातर गांवों में कोरोना संदिग्ध का कचरा जमीन में गाड़ा जा रहा है। कोरोना और क्वारेंटाइन वेस्ट को एक हजार डिग्री पर जलाकर नष्ट करने का प्रावधान है। जमीन में गड़ाए जाने पर खतरे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। खुले में कचरे को जलाना भी घातक माना जा रहा है।
मजदूरों में कोरोना केस मिलने से बढ़ी चिंता
हाल ही में सूरजपुर और कवर्धा जैसे दो नए जिलों में कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं। जो कि क्वारेंटाइन किए गए प्रवासी हैं। इस लिहाज से देखें तो क्वारेंटाइन कचरे का नष्ट करने का सेटअप तैयार न हो पाना चिंता बढ़ाने वाला है। दरअसल, कोरोना संक्रमण को खतरनाक मानते हुए केंद्र और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से इसको डिस्पोज करने का प्रोटोकॉल तय किया गया है। जिसमें बायोमेडिकल वेस्ट से इसके निष्पादन की प्रक्रिया थोड़ी अलग रखी गई है। चूंकि क्वारेंटाइन में रखे गए लोग भी कोरोना के संदिग्ध माने जाते हैं, लिहाजा उनके द्वारा इस्तेमाल होने वाले किसी भी प्रकार की सामग्री के कचरे से संक्रमण की आशंका बनी रहती है। इसके कचरे के उठाने, कलेक्शन प्वाइंट से डिस्पोजल प्लांट तक पहुंचाने के कड़े नियम होते हैं।



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Garbage will be buried in quarantine centers in rural areas, no arrangements for burning




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झारखंड के मजदूरों को पहले करवाया भोजन, फिर दो बसों से भेजा बॉर्डर तक

छत्तीसगढ़ होकर झारखंड जा रहे मजदूरों उस समय सुखद आश्चर्य हुआ, जब नाश्ते और भोजन के बाद उन्हें राज्य के बॉर्डर तक छोड़ने के लिए दो बसों से रवाना किया गया। सीएम भूपेश बघेल की पहल के मजदूर परिवार कायल हो गए। दरअसल, औरंगाबाद में हुए रेल हादसे व कई सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर सीएम बघेल ने निर्देश दिए हैं कि दूसरे राज्यों के जो भी मजदूर यहां से गुजर रहे हैं, उन्हें अतिथि मानते हुए भोजन, आवास और स्वास्थ्य परीक्षण के साथ उनके राज्य के बॉर्डर तक छोड़ने की व्यवस्था की जाए। इसी कड़ी में सीएम बघेल को शनिवार सुबह झारखंड के कुछ श्रमिकों के बारे में पता चला, जो पैदल ही अपने राज्य की ओर जा रहे थे। उन्होंने तत्काल रायपुर कलेक्टर एस. भारतीदासन को सारी व्यवस्था करने के निर्देश दिए। कलेक्टर भारतीदासन ने टाटीबंध के पास पहुंचे मजदूरों के लिए नाश्ते और भोजन की व्यवस्था की। इस बीच उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली, फिर दो बसों से झारखंड के लिए रवाना किया। इस तरह आवभगत और व्यवस्था देखकर मजदूर भाव-विभोर हो गए। उन्होंने सीएम के साथ वहां मौजूद अधिकारी-कर्मचारियों को भी धन्यवाद दिया। बता दें कि बड़ी संख्या में मजदूर छत्तीसगढ़ के रास्ते अपने राज्यों की ओर जा रहे हैं। सीएम ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि दूसरे राज्यों के जो भी मजदूर गुजर रहे हैं, उनके भोजन व स्टेट बॉर्डर तक छोड़ने की व्यवस्था की जाए।



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Food was first served to the workers of Jharkhand, then sent to the border by two buses




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जांबाज श्याम ने सीने पर खाई गोली

राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा में शुक्रवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जिले के दरिमा क्षेत्र के खाला निवासी सब इंस्पेक्टर श्याम किशोर शर्मा के पार्थिव शरीर को शनिवार को हेलीकाप्टर से दरिमा लाया गया। उनकी शहादत से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। राजकीय सम्मान के साथ गृहग्राम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पिता बृजमोहन शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी।
अंतिम संस्कार से पहले शहीद श्याम किशोर को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान बुजुर्ग पिता बृजमोहन शर्मा बेटे के पार्थिव शरीर के पास बैठकर रोने लगे। वे बार-बार यही कह रह थे कि मेरे को ले जाना था, तू कैसे चला गया। शहीद श्याम किशोर 5 भाई बहनों में सबसे छोटे थे। इसी साल उनकी शादी की तैयारी चल रही थी। करीब 7 साल पहले उन्होंने पुलिस की वर्दी पहनी थी। शहीद श्याम किशोर अपने इलाके में काफी लोकप्रिय थे। अंतिम संस्कार में मंत्री अमरजीत भगत, विधायक प्रीतम राम, आईजी रतनलाल डांगी, कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर, एसपी आशुतोष सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में शामिल हुए।
सर्चिंग में निकली थी पुलिस टीम, घात लगाए नक्सलियों ने किया हमला
राजनांदगांव जिले के नक्सल प्रभावित मदनवाड़ा थाना क्षेत्र में शुक्रवार देर रात पुलिस की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई थी। इसमें 4 नक्सली मारे गए थे, जबकि सब इंस्पेक्टर श्याम किशोर शर्मा शहीद हो गए। पुलिस की टीम क्षेत्र के जंगलों में सर्चिंग के लिए निकली थी। इसी दौरान वहां घात लगाए नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी।
शहीद की अर्थी को एसपी ने दिया कंधा, जवानों ने शमशान घाट में दिया गार्ड ऑफ ऑनर
दरिमा से श्याम के पार्थिव शरीर को गृहग्राम खाला लाया गया। यहां उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। श्मशान घाट में पुलिस के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। प्रशासनिक व पुलिस अफसरों की उपस्थिति में उनका अंतिम संस्कार किया गया। दरिमा हवाई पट्टी पर शहीद के पार्थिव शरीर को एसपी आशुतोष सिंह सहित पुलिस के अधिकारियों ने कंधा दिया।
कुछ महीने पहले पिता को दी थी अपनी फोटो
शहीद एसआई ने कुछ महीने पहले ही अपनी फोटो फ्रेमिंग करा कर पिता को दी थी। शनिवार को घटना की खबर पर जनप्रतिनिधि और अधिकारी उनके घर पहुंचे तो पिता ने कहा कि बेटे ने जब अपनी फोटो दी थी तो मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे। आखिर उसने फोटो क्यों दी।
मेरे बेटे ने देश के लिए बलिदान दिया
श्याम किशोर शर्मा के पिता ने कहा गर्व है मेरा बेटा देश के लिए कुर्बान हुआ। उन्होंने कहा मुझे दुख नहीं है क्योंकि मरना तो सबको है। हालांकि उन्होंने यह कहा कि सरकार ऐसी व्यस्था करे कि इस प्रकार का इन एनकाउंटर न हो ताकि किसी और के बेटे को शहीद होना पड़े। कहीं न कहीं कुछ कमी है। अकेले तो वह लड़ने नहीं गया होगा। दो आदमी लड़ें और 10 आदमी देखें। बड़े भाई ने कहा कि मुझे और मेरे पूरे परिवार को उस पर गर्व है। वह कहता था कि जब तक जिंदा रहूंगा, शेर की तरह रहूंगा और आज शेर की तरह लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।
घटना की जानकारी देने पहुंचे तो पिता ने पूछा- एनकाउंटर हुआ है क्या
एसआई श्याम किशोर शर्मा के गृहग्राम में शुक्रवार को ही इस घटना की खबर आ गई थी, लेकिन परेशान न हों इसलिए उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई। गांव के लोग सुबह उनके घर पहुंचे तो श्याम किशोर के बड़े भाई घर के सामने टहल रहे थे। पिता कुर्सी पर बैठे थे। एक युवक ने जब उन्हें बताया कि चाचा राजनांदगांव से कुछ खबर आ रही है तो उन्होंने पूछा एनकाउंटर हुआ है क्या? कुछ देर बाद दरिमा थाने से फोन आया और परिजनों को बताया कि श्याम अब इस दुनिया में नहीं रहे।

बिलासपुर, रविवार 10 मई , 2020
दोस्तों से कहा था जल्द आएंगे

एसआई की शहादत से पूरे गांव में मातम है। उनके दोस्तों और गांव के लोगों के उनके साथ बिताए हुए दिनों को याद कर आंखों में आंसू आ गए। एक युवा ने बताया कि कुछ महीने पहले जब श्याम छुट्टी पर आए थे तब हम लोग कई दिन साथ थे। हम लोगों ने कहा था कि वापस सरगुजा क्यों नहीं आ जाते। इस पर उन्होंने कहा था कि हां, बहुत दिन हो गए बाहर रहते हुए, मन भी नहीं लगता। जल्द आने की कोशिश करेंगे।
शहीद शर्मा के अंतिम दर्शन के लिए जुटा पूरा गांव
शहीद श्याम किशोर का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके घर पहुंचा अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ लग गई। श्याम किशोर शर्मा की मां का कुछ साल पहले ही निधन हो चुका है। तिरंगे में लिपटे बेटे के पार्थिव शरीर को देखकर परिजन का रो-रो का बुरा हाल था। कोरोना के संक्रमण के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार में परिवार के लोगों के अलावा अधिकारी ही मौजूद रहे।



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Jambaz Shyam shot at chest




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वंदना बेसहारा बच्चों को घर में रखकर मां की तरह पालन पोषण कर संवार रहीं जीवन

शहर निवासी वंदना दत्ता गरीब व जरूरतमंद बच्चों के लिए मां से बढ़कर फर्ज निभा रही हैं। पिछले 40 सालों से बच्चों की सेवा कर रहीं वंदना ने दैनिक भास्कर से अपने अनुभव साझा किए।

इस दौरान उन्होंने बताया कि पढ़ाई के लिए इच्छुक बच्चों को वह अपने घर पर ही रखती हैं और अपने बच्चे की तरह ही सेवा करती हैं। अब तक वह 14 से अधिक बच्चों की पढ़ाई करवा चुकी हैं। महिला बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी और बाल संप्रेक्षण गृह की अधीक्षिका पद से सेवानिवृत्त वंदना दत्ता ने बताया कि कक्षा 12वीं की पढ़ाई के बाद पारिवारिक समस्या के कारण उन्होंने एक निजी स्कूल में जॉब कर ली। इसके साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। इसी दौरान एक बच्ची उनसे टीसी मांगने पहुंची और बताया कि वह मौसी के साथ रहती है, जो अब यहां से जा रही हैं। इस कारण उसे स्कूल छोड़ना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने लड़की से अपने घर में रहने की अपील की और पढ़ाई न छोड़ने को कहा। इस पर लड़की उनके घर पर रहने लगी और अपनी सहेलियों को भी रखने के लिए कहा। इसके बाद सरकारी सेवा में आने के बाद भी वंदना ने अपना सेवा कार्य जारी रखा। उन्होंने अपने घर पर ही रखने की व्यवस्था बनाई। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई और अब तक वह 14 बच्चों की पढ़ाई पूरी करवा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों की 12वीं या ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई के दौरान वह अपने घर पर ही उनकी देखभाल करती हैं।
मातृ छाया की अध्यक्ष हैं, यहां भी 15 बच्चे हैं
वंदना दत्ता वर्तमान में मातृ छाया की अध्यक्ष के तौर पर काम कर रही हैं। यहां 15 बच्चे रह रहे हैं। इनकी देखभाल के लिए भी वह एक मां के रूप में ही सदैव तत्पर रहती हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके पास दो बच्चे रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं गरीब बच्चों के परिवार की स्थिति को देखते हुए दो लड़कियों और एक लड़की की शादी भी करवा चुकी हैं।

घर में रह रहे बच्चों की बेटे की तरह करती हैं सेवा
वंदना ने बताया कि जो भी बच्चे उनके घर पर रहते हैं। उनकी सेवा वह अपने बेटों की तरह ही करती हैं। उनके खाने के लिए स्वयं ही खाना बनाती हैं। उनकी पढ़ाई व अन्य जरूरतों के लिए खुद के पैसों से ही इंतजाम करती हैं। उन्होंने बताया कि वह अविवाहित हैं, लेकिन एक मां का फर्ज निभा रही हैं।



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Vandana kept her life in her home by raising her destitute children like a mother




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स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड अस्पताल का जायजा लिया

कोरोना नियंत्रण के लिए मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में बने विशेष कोविड-19 केंद्र का शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा से ज्यादा हम व्यवस्थित तैयारी कर लें वह हमारे लिए जरूरी है। हमने मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में भी बेहतर तैयारी की है। विशेष गहन कक्ष में बेड तक ऑक्सीजन पाइप लगाने का व्यवस्थित कार्य चल रहा है जो संतोषजनक है। अब तक सरगुजा में एक भी केस नहीं आया है। यह सभी की सतर्कता है, लेकिन जिस दिन हमने सतर्कता तोड़ी और थोड़ा भी लापरवाह हुए उसी दिन कोरोना आप तक पहुंच जायेगा। अ हमें सतर्क होने की जरूरत है, जो भी बाहर से आ रहे हैं। उसकी सूचना प्रशासन को मिले और 15 दिन के होम आइसोलेशन का गंभीरता से पालन करें तो सभी के लिए बेहतर रहेगा। सिंह देव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज की तैयारी से संतुष्ट हूं। उन्होंने अस्पताल में 25 एसी लगाने के निर्देश दिए हैं।
गोली किसी समस्या का समाधान नहीं...
स्वास्थ्य मंत्री टीएससी देव ने नक्सली हमले में शहीद हुए एसआई श्याम किशोर शर्मा के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए पारिवारिक क्षति है। सरगुजा का एक लाल देश व प्रदेश की सुरक्षा में शहीद हुआ है। एक सवाल के जवाब में सिंहदेव ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान गोली नहीं है। यदि नक्सली फिर भी नहीं माने और लगातार गोली चलाते रहे तो सरकार भी इसका मुंहतोड़ जवाब देगी।



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टीकाकरण के दाैरान बरतें सतर्कता: बीएमओ

पटना क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों और टीकाकरण केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग कड़ाई से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा रहा है। बीएमओ डॉ. श्रेष्ठ मिश्रा ने बताया कि पटना सेक्टर के अंतर्गत नियमित टीकाकरण के सत्र आयोजित हो रहे हैं। सभी अस्पतालों में नियमित रूप से गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच, टीकाकरण और प्रसव हो रहे हैं। हाथ धुलाने के लिए एक काॅर्नर बनाया गया है, जहां साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धुलवाकर अंदर आने दिया जाता है। आरएचओ श्रेयांश जायसवाल ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, गृह भ्रमण के दौरान मां बच्चे को बिना छुए बात करें, गृह भ्रमण से पहले और बाद में साबुन अाैर पानी से 20 सेकंड तक अच्छी तरह से हाथ धोएं, गृह भ्रमण के दौरान मितानिन मास्क जरूर पहनें, उच्च जोखिम वाले नवजात को प्राथमिकता के आधार पर सेवाएं दें, बच्चे को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराने को प्रेरित करें, अगर लाॅकडाउन के दौरान कोई बच्चा पैदा हुआ है, तो कोशिश करें कि बच्चे को अस्पताल में ही जन्म के समय ही यह टीका लगवा लिया जाए, वैसे तो टीका को तय शेड्यूल के अनुसार ही लगवाना बेहतर होता है, लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस से खुद को और बच्चों को बचाना ज्यादा जरूरी है।
अस्वस्थ होने पर ड्यूटी पर न आएं कार्यकर्ता
बीएमओ डां. श्रेष्‍ठ मिश्रा ने यह भी बताया स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी सुरक्षा संबंधी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। टीकाकरण और किसी भी जांच से पहले एएनएम को सैनिटाइजर से हाथों को अच्छी तरह से साफ करने को कहा गया है। अगर किसी कार्यकर्ता में इन्फ्लुएंजा यानि सर्दी, खांसी अाैर बुखार के लक्षण नजर आएं तो उनको सत्र के दौरान ड्यूटी पर न बुलाया जाए।
वैक्सीन लगाकर सफाई रखने दी समझाइश
अनूपपुर| जिले के बिजुरी भालूगुडार वार्ड 7-1 के आंगनबाड़ी केन्द्र में वार्ड के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी से बचाव के लिए सुझाव दिए गए। गर्भावस्था में अच्छा खाने व भारी वजन नहीं उठाने और समय-समय पर अस्पताल में चेकअप कराते रहने और घर में रहते हुए सफाई का ध्यान रखते हुए हैंडवाॅश करें और बिना मास्क लगाए बिना घर से न निकलें। इस दौरान सुपरवाइजर इशवरी लकड़ा, स्वास्थ्य विभाग से एएनएम श्वेता गुप्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता बोदरे आदि उपस्थित रहीं।



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Be vigilant during vaccination: BMO




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देवगढ़ में 15 किलो कम दे रहे थे चावल हंगामा कर राज्यमंत्री से की गई शिकायत

एक ओर कोरोना संक्रमण से निपटने शासन ने 2 माह का राशन एकसाथ देने का आदेश दिया है, ताकि ग्रामीणों को परेशानी न हाे। लेकिन यहां गरीबों के चावल पर ही दुकान संचालक हाथ साफ करने में लगा है। चावल वितरण में गड़बड़ी हुई तो सैकड़ों ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया और इसकी शिकायत राज्यमंत्री गुलाब कमरों से की। ग्रामीणों ने बताया कि 10 से 15 किलो तक चावल राशन दुकान संचालक कम दे रहा है। इससे पहले साल 2018 में पूरे भरतपुर ब्लाॅक में चना घोटाला किया गया था। इस पर अब तक जांच पूरी कर कार्रवाई नहीं की गई है। अब सरपंच समेत कंजिया के ग्रामीण संचालक बदलने की मांग कर रहे हैं।

मामला ब्लाॅक भरतपुर के देवगढ़ कंजिया का है। राज्यमंत्री के आने की खबर मिलते ही संचालक आवंटन कम होने का हवाला देने लगा, लेकिन इतने से ग्रामीणों का हंगामा कम नहीं हुआ। दरअसल मामला तब तूल पकड़ने लगा, जब भूमिपूजन के दौरान ग्राम कंजिया पहुंचे राज्यमंत्री गुलाब कमरों से राशनकार्ड धारकों ने लिखित शिकायत करते हुए बताया कि शासकीय उचित मूल्य की दुकान कंजिया के संचालक द्वारा शासन द्वारा आवंटित मात्रा से कम मात्रा में चावल दे रहा है। हितग्राहियों ने शासन द्वारा जारी खाद्यान्न आवंटन से संबंधित लिस्ट दिखाते हुए बताया कि उन्हें 10 से 15 किलो कम चावल दिया जा रहा है, जो हितग्राही शिकायत करते हैं उनको सही मात्रा में राशन देकर शांत करा दिया जाता है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सितम्बर 2018 में बड़े पैमाने पर ब्लाॅक की राशन दुकानों में चना घोटाला किया गया था, जिसकी अब तक जांच शुरू नहीं की गई। शिकायत करने के दौरान ग्राम पंचायत देवगढ़ के सरपंच लालसाय बैगा, सचिव पंकज सिंह समेत सैकड़ों ग्रामीण शामिल रहे। मामले में जिला खाद्य अधिकारी अपूर्व प्रियेश टोप्पो से संपर्क करने कई बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नही किया।
ग्राम देवगढ़ में राशन वितरण में अनियमितता
ग्राम पंचायत देवगढ़ के सरपंच लालसाय बैगा ने रेस्ट हाउस में विधायक कमरों से मिलकर कम चावल बांटने की लिखित शिकायत करते हुए दुकान संचालक को बदलने की मांग की। वहीं खाद्य अधिकारी ने जांच के बाद हितग्राहियों को पूरा चावल लेने की बात कही, लेकिन ग्रामीण दुकान संचालक को बदलने की मांग पर अड़े रहे। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2018 में सितम्बर माह का चना ब्लाॅक मुख्यालय जनकपुर, बरहोरी, डोम्हरा, देवगढ़ सहित 50 से अधिक ग्राम पंचायतों में दुकानदारों ने किसी भी हितग्राही को राशन नहीं दिया था। इस संबंध में ग्राम कंजिया के ग्रामीणों ने कलेक्टर को लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन शिकायत के डेढ़ साल बीतने के बाद भी घोटाले की जांच नहीं की गई। वहीं खाद्य विभाग शिकायत को ही फर्जी बता रहे हैं।
ग्राम सलका में भी गड़बड़ी की मिली शिकायत
जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर ग्राम सलका में भी पीडीएस राशन दुकान से ग्रामीणों को राशन नहीं मिलने की शिकायत अफसरों से की थी, लेकिन मामले में दुकान संचालक के खिलाफ खानापूर्ति की गई है। मामले की शिकायत ग्रामीणों ने विधायक अंबिका सिंहदेव से भी की है। यहां 3 माह से ग्रामीणों को राशन बांटने में संचालक आना-कानी कर रहा था।
गड़बड़ी मिली ताे दुकान संचालक काे हटा देंगे
कलेक्टर डोमन सिंह ने कहा कि देवगढ़ पंचायत की राशन दुकान में चावल वितरण को लेकर गड़बड़ी होने की जानकारी मिली है। तय मात्रा में ग्रामीणों को पूरा चावल देना होगा, क्योंकि यह शासन का आदेश है। इसमें राशन वितरण में गड़बड़ी हो रही है, तो जांच कराने के बाद दुकान संचालक को हटाने की कार्रवाई करेंगे।
तय मात्रा से कम चावल देने पर किया हंगामा
देवगढ़ में राशन वितरण में अनियमितता की शिकायत मिलते ही खाद्य निरीक्षक श्याम वस्त्रकार देवगढ़ पहुंचे। यहां गड़बड़ी से परेशान ग्रामीणों ने विक्रेता को बदलने की मांग उठाई। उनका कहना है कि 90 किलो चावल मिलना था लेकिन 80 किलो मिला, जिनको 80 किलो मिलना था, उनको 65 किलो दिया गया, जिनको 50 किलो मिलना था, उनको 35 किलो ही दिया गया।



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Complaint made to Minister of State for giving rice up to 15 kg in Devgarh




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जिला मुख्यालय में गुरुवार, चिरमिरी में मंगलवार व मनेंद्रगढ़ में बुधवार को लगेगा साप्ताहिक बाजार

जिला प्रशासन ने जिले में 2 दिन शनिवार और रविवार को टोटल लॉकडाउन का आदेश दिया गया है, जबकि शनिवार को चिरमिरी गोदरीपारा साप्ताहिक बाजार लगता है और रविवार को बैकुंठपुर में साप्ताहिक बाजार रहता है। लॉकडाउन वाले दिन ही लोगों को इस बात की जानकारी मिली, जिससे व्यापारी निराश है। दरअसल लॉकडाउन-3 में मिले छूट का दुरूपयोग करने के कारण एैसा निर्णय लिया गया है। यहां बता दें कोरिया जिले के ग्रीन जोन में होने के कारण कई तरह की छूट जिला प्रशासन ने दी थी, लेकिन लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने जैसे सहज नियमों का पालन नहीं किया। गौरतलब है कि शनिवार को जिन सब्जी व्यापारियों ने चिरमिरी में सब्जी दुकान लगाने के लिए हरी सब्जियों की खरीदी की थी। बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा। वहीं जिला मुख्यालय में भी रविवार को साप्ताहिक बाजार बंद रहेगा। जिला प्रशासन के द्वारा देरी से आदेश जारी करने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों से सुबह पहुंचे सब्जी विक्रेताओं को लाल बहादुर स्टेडियम से पुलिस ने लौटा दिया। स्टेडियम में बाजार नहीं लगने के कारण बाजार करने आए अन्य लोगों को भी लौटना पड़ा। कोरोना वायरस के बचाव व इसकी रोकथाम के लिए बाजार में भीड़ रोकने सुबह 8 बजे ही पुलिस बल समेत नगर निगम के कर्मचारी डटे रहे। नगर निगम कमिश्नर सुमन राज ने बताया कि मंगलवार साप्ताहिक बाजार लगाया जाएगा, इसलिए सब्जी व्यापारियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।

पटना के सबसे बड़े शनिचरी बाजार में पसरा सन्नाटा

कोरिया जिले के पटना में 100 से भी अधिक साल से लगने वाला शनिचरी बाजार लाॅकडाउन से पहली बार नहीं लगा। बाजार में न तो व्यापारी पहुंचे और न ही सब्जियां लेकर किसान और खरीदार। पटना सहित कोयलांचल कटकोना, पाण्ड़वपारा और क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 84 गांवों में संपूर्ण लाॅकडाउन का असर सुबह से ही देखने को मिला। शनिवार को किसी भी दुकान का शटर नहीं उठा। दिन भर क्षेत्र की दुकान, मकान के दरवाजे बंद, सड़कें और सार्वजनिक स्थान पर सन्नाटा पसरा रहा। कोरोना वायरस संक्रमण से लोगों को बचाने प्रदेश सरकार ने मई तक हर शनिवार और रविवार को संपूर्ण लाॅकडाउन लागू किया है। क्षेत्र के बुजुर्ग व व्यापारियों के अलावा क्षेत्र के प्रबुद्वजनों की मानें तो आज से पहले शनिचरी बाजार कभी स्थगित नहीं हुआ था। कभी होली पड़नेसे एक या दो दिन पहले ही शनिचरी बाजार लग जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। बाजार लगने से भीड़ बढ़ती है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता, इसलिए एक दिन पहले शनिचरी बाजार नहीं लगाया गया।



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Weekly market will be held in district headquarters on Thursday, Tuesday in Chirmiri and Wednesday in Manendragarh




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सीएम के आश्वासन के 100 घंटे बीते, आरटीआई कार्यकर्ता पर हमला करने वाला मुख्य आरोपी फरार

मुक्तिधाम की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता बुजुर्ग रमाशंकर गुप्ता जानलेवा हमला होने के बाद पिछले 6 दिनों से रायपुर एम्स में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं, लेकिन हाई प्रोफाइल इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आश्वासन के 100 घंटे बीतने के बाद भी वारदात में शामिल मुख्य आरोपी को पुलिस नहीं पकड़ सकी है।
4 मई दोपहर 12 बजे रमाशंकर गुप्ता अपनी बाइक से आमाखेरवा मुक्तिधाम में अतिक्रमण कर चल रहे अवैध निर्माण कार्य की फोटो लेने और वीडियोग्राफी करने गए थे, जहां 6 से अधिक लोगों ने लाठी और डंडे से उन पर जानलेवा हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। उनकी नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टर ने उन्हें रायपुर रेफर कर दिया। रायपुर एम्स में उनका इलाज किया जा रहा है। लॉकडाउन में जिले की सभी सीमाएं सील हैं। वहीं ट्रेन, सड़क परिवहन और हवाई सेवाएं सब बंद हैं, ऐसे में आरोपी का फरार होना पुलिस की घोर लापरवाही को उजागर करता है। वारदात में शामिल जिन 5 आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात पुलिस कह रही है उन्होंने घटना के तीसरे दिन 6 मई को खुद थाने पहुंचकर सरेंडर किया है। 6 मई को मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि मुख्य आरोपी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा, लेकिन सीएम के आश्वासन के 100 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी मुख्य आरोपी काे पुलिस नहीं पकड़ सकी। ऐसे में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
5 मई को स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ट्वीट
मैंने फसल बीमा में धोखाधड़ी के बारे में रमाशंकर जी से बहुत कुछ सीखा है। उन पर हमला किसानों पर हमला है। मैंने आज शाम को उनसे बात की। उन्होंने अपने हमलावरों की पहचान कर ली है। उन्हें तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए।
संभावित स्थलों पर तलाश जारी
मनेंद्रगढ़ एसडीओपी कर्ण कुमार उइके का कहना है कि हर संभावित स्थल पर टीम भेजकर आरोपी की पतासाजी की जा रही है।
मुख्यमंत्री बघेल ने 6 मई को किया ट्वीट
हमला दु:खद है। एफआईआर दर्ज कर अब तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।



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100 hours of CM's assurance, the main accused who attacked the RTI activist absconded




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100 करोड़ की लघु सिंचाई योजनाओं पर ब्रेक अब नहरों की मरम्मत कर खेतों में पहुंचाएंगे पानी

जिले में सिंचाई के लिए बन रहे जलाशयों के निर्माण पर ब्रेक लग गया है। 100 करोड़ के जलाशय व डायवर्सन का काम अभी नहीं हो पाएगा। अब एक हजार हेक्टेयर तक सिंचाई का रकबा बढ़ाने पुरानी नहरों की मरम्मत कराई जा रही है। 51 जलाशयों में से आधे में पानी लबालब है। मानसून के पिछड़ने पर पानी की कमी नहीं होगी। खरीफ फसल का रकबा एक लाख हेक्टेयर है। जिसमें 27 प्रतिशत में ही सिंचाई हो पाती है।

कटघोरा ब्लाॅक में नहरों का निर्माण कराया जा रहा है। इसकी सिंचाई क्षमता 192 हेक्टेयर है। साथ ही रामपुर जलाशय के लिए भी नहर निर्माण जारी है। इसकी भी सिंचाई क्षमता 2000 हेक्टेयर है। दोनों ही प्रोजेक्ट की लागत लगभग 90 करोड़ रुपए है। इनका काम भी बंद है। तेलसरा एनीकट का निर्माण भी शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। पुरानी योजनाओं की नहरों को सुधारा जा रहा है। जिससे सिंचाई का रकबा एक हजार हेक्टेयर तक बढ़ जाएगा। बेला, बताती, सलिहाभाठा जलाशय 40 से भी पुराने हैं। जिनकी सिंचाई क्षमता कम हो गई है। इसके अलावा लाफा, छुरी, अरदा जलाशय भी पुराने हैं। इनकी क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। सलिहाभाठा जलाशय के नहर को सुधारा जा रहा है।
लघु योजनाओं से 13 हजार हेक्टेयर में हो रही है सिंचाई
लघु सिंचाई योजनाओं से अभी 13 हजार हेक्टेयर में ही सिंचाई हो रही है। बाकी तालाब, सौर उर्जा, कुएं समेत अन्य स्रोतों से 14 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो पाती है। बाकी किसान मानसून पर ही निर्भर हैं। इसी वजह से ही हर साल पोड़ी उपरोड़ा व पाली ब्लाॅक में खंड वर्षा से धान की फसल प्रभावित होती है।
घिनारा, परसाखोला, कछुआ नाला एनीकट को मिली मंजूरी
पोड़ी उपरोड़ा ब्लाॅक में कछुआनाला एनीकट को मंजूरी मिली है। जिसकी लागत 284.36 लाख है। इसके बनने से 96 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। कोरबा ब्लाॅक में परसाखोला व्यावर्तन की लागत 2 करोड़ 99 लाख है। इसकी सिंचाई क्षमता 100 हेक्टेयर है। करतला ब्लाॅक में घिनारा व्यावर्तन की लागत 5 करोड़ 33 लाख है। इससे भी 200 हेक्टेयर में सिंचाई होगी।
पुराने कामों को पूरा कराने हो रहा प्रयास
जल संसाधन विभाग के ईई सीके धाकड़ का कहना है कि पुराने कार्यों को शुरू कराया जा रहा है। तीन कार्यों के लिए अनुमति मिल चुकी है। साथ ही सभी पुराने जलाशयों की नहरों की मरम्मत भी जारी है। मनरेगा से इसकी मंजूरी मिली थी। इससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी।
5 साल बाद जलाशयों से तालाबों को भी भरा गया
जलाशयों में पर्याप्त पानी होने के कारण गांवों के तालाबों को भी भरा गया। केहरानाला जलाशय से दलहासागर तालाब के लिए पानी छोड़ा गया था। इसी तरह नवापारा जलाशय, पुरैना एनीकट, मुकुंदपुर एनीकट, जुनवानी जलाशय, छुरी, अरदा, घनाकछार, झोंकानाला, सेंदरी, लिटियाखार, सलिहापारा, हरदी, नेवसा जलाशयों मेें भी लबालब पानी है।
जमनीपाली, कोथारी केनाल की योजना फाइल में बंद
करतला ब्लाॅक के बायीं तट नहर से जमनीपाली, कोथारी व पुरैना के लिए केनाल का निर्माण किया जाना था। इसकी मंजूरी भी मिल गई थी। रेलवे प्रबंधन ने सर्वे का काम भी पूर्ण कर लिया है। केनाल रेलवे लाइन से गुजरेगी। लेकिन इसकी फाइल अब बंद हो गई है, केनाल बनने से 4 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो सकती है।



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Breaks on mini irrigation schemes of 100 crores, will now repair canals and bring water to fields




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एसईसीएल का मुख्य चिकित्सालय बनेगा आइसोलेशन वार्ड

जिले के ऑरेंज जोन से ग्रीन जोन की ओर बढ़ने के बीच एकाएक जिला प्रशासन द्वारा एसईसीएल कोरबा के मुड़ापार स्थित मुख्य चिकित्सालय को कोरोना आइसोलेशन वार्ड हॉस्पिटल बनाने के लिए अधिग्रहित कर लिया है।

जहां कोरोना संक्रमण के संदिग्ध मरीजों के साथ ही हाई रिस्क वाले व्यक्तियों को भर्ती किया जाएगा। इसके साथ ही इस चिकित्सालय में एसईसीएल कर्मी व उनके परिजनों के लिए ओपीडी व आईपीडी सुविधा बंद कर दी गई है। एसईसीएल प्रबंधन ने कर्मचारियों व उनके आश्रितों के इलाज की व्यवस्था एसईसीएल के बांकी-सुराकछार अस्पताल में की है। एसईसीएल कोरबा पूर्व के क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक ने सकुर्लर जारी करके अस्पताल के अधिग्रहण व इलाज के वैकल्पिक व्यवस्था की जानकारी कर्मियों को दी है। जिले में इससे पहले प्रशासन ने एनटीपीसी के अस्पताल को आइसोलेशन सेंटर बनाया था। जहां 50 बेड की व्यवस्था है। जहां पिछले दिनों कटघोरा के कोरोना हाई रिस्क के व्यक्तियों को भर्ती भी किया गया था। वहीं एसईसीएल हॉस्पिटल के अधिग्रहण किए जाने के बाद आईसोलसन वार्ड में बेड संख्या 160 पहुंच गई है।
इलाज के लिए लगानी पड़ेगी 20-22 किमी दौड़
एसईसीएल के कोरबा क्षेत्र में मुड़ापार स्थित मुख्य चिकित्सालय ही सबसे बड़ा अस्पताल है। जहां क्षेत्र के दूसरे विभागीय चिकित्सालय से मरीज रेफर किए जाते हैं। ऐसे में अब प्रशासन द्वारा कोरोना आइसोलेशन सेंटर के लिए उसके अधिग्रहण से एसईसीएल कर्मियों व उनके परिजनों की परेशानी बढ़ जाएगी। उन्हें ओपीडी व आईपीडी में इलाज कराने के लिए शहर से बांकी-सुराकछार जाने के लिए एक ओर 20 से 22 किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ेगी। गंभीर केस में मरीज को एसईसीएल के गेवरा एनसीएच रेफर करना पड़ेगा।
आइसोलेशन में बेड संख्या बढ़कर हुई 160
जिले में सबसे पहले जिला अस्पताल में कोरोना आइसोलेशन सेंटर बनाया गया। जहां के वार्ड में 10 बिस्तर की सुविधा है। इसके बाद प्रशासन ने आइसोलेशन सेंटर के लिए डिंगापुर स्थित ईएसआईसी हॉस्पिटल को कोविड-19 हॉस्पिटल के रूप में तैयार किया। जहां वेंटिलेटर व अन्य सुविधा के साथ 50 बेड की सुविधा है। इसके बाद प्रशासन ने एनटीपीसी अस्पताल के 50 बेड का आइसोलेशन सेंटर के लिए अधिग्रहण किया। इस तरह जिले में तीनों अस्पताल को मिलाकर आइसोलेशन सेंटर में 110 बेड उपलब्ध थे। जो अब 160 हो गए हैं।
बाहर से मजदूरों के लौटने से पहले तैयारी
एक अधिकारी के मुताबिक जिले में शहर से एक व कटघोरा से 27 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले थे। सभी ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। कोरोना हॉट स्पॉट बने कटघोरा में 3 सप्ताह से नया केस नहीं आने पर संक्रमण का खतरा लगभग टल गया है। लेकिन इस बीच दूसरे राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मरीजों की वापसी की तैयारी शुरू हो गई है। जिले से भी बड़ी संख्या में लोग कमाने-खाने के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं इसलिए दूसरे राज्यों से आने वालों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा।



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Isolation ward to become main hospital of SECL




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शराब दुकान खुलने पर पार्षद ने दी विरोध की चेतावनी

जिला मुख्यालय के सबसे करीब बालको मुख्य मार्ग पर स्थित रामपुर शराब दुकान लॉकडाउन के दौरान बंद है। ज्यादा बिक्री होने की वजह से अन्य शराब दुकानों की तरह इसे भी शुरू करने के लिए प्रशासन ने तैयारी कर ली है।

इसके लिए सड़क पर खरीदारों की भीड़ न पहुंचे बैरिकेड्स लगा लिया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोल घेरा भी बनाया है। दूसरी ओर पथर्रीपारा के पार्षद चंद्रलोक सिंह के नेतृत्व में वार्डवासी शराब दुकान को खोलने के विरोध में है। इसके लिए पार्षद चंद्रलोक सिंह ने प्रशासन को पत्र लिखकर रामपुर शराब दुकान को ढेंगुरनाला पुल के पास खाली जगह पर शिफ्ट करने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने वार्डवासियों के साथ मिलकर शराब दुकान के विरोध-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। उनके मुताबिक उन्होंने पिछले 5 वर्षीय व वर्तमान कार्यकाल के दौरान शराब दुकान दूसरी जगह शिफ्टिंग के लिए 7 बार प्रशासन को पत्र सौंपा है। हर बार आश्वासन के बाद अधिकारी भूल जाते हैं। नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले ही शिफ्टिंग की मांग प्रशासन से रखी गई थी।
10 वर्ष से मांग, राजस्व विभाग के कारण अटकी
पथर्रीपारा निवासी सुभाष राठौर ने बताया कि वार्ड के पास शराब दुकान होने से माहौल खराब हो गया है। दिनभर शराबियों के मंडराने से महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है। शराबियों के कारण सड़क पर जाम की स्थिति होती है। जिससे लोग परेशान होते हैं। महिलाओं से छींटाकशी भी होती है। इस कारण करीब 10 साल से रामपुर शराब दुकान को दूसरे जगह शिफ्ट करने की मांग चल रही है।
बस्ती से सटकर दुकान कोरोना का है खतरा
पार्षद चंद्रलोक सिंह के मुताबिक पथर्रीपारा वार्ड और रामपुर शराब दुकान के बीच एक सड़क का अंतर है। एक तरह से शराब दुकान बस्ती से सटकर स्थित है। इसलिए शराब खरीदने व पीने के लिए वहां पहुंचने वाले ज्यादातर लोग बस्ती से होकर आवाजाही करते हैं। नशा चढ़ने पर बस्ती में घूमते हुए बेहोश भी हो जाते हैं। इसलिए शराब दुकान खुलने से शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों की आवाजाही वार्ड क्षेत्र में होगी।



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काेराेना वारियर्स हैं जिले की मदर्स, बच्चों को सुरक्षित रख निभा रहीं फर्ज

​​​कहते हैं मां का दर्जा भगवान से भी ऊंचा है, उनके ममता की छांव में दुनिया की हर खुशी मिल जाती है। ऐसा यूं ही नहीं कहा जाता क्योंकि वे हर स्थिति-परिस्थिति में अपने आपको ढालकर साबित किया है। आपदा की घड़ी में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चिकित्सा पेशे से जुड़ीं वर्किंग मदर कोरोना को हराने में जुटी हैं। जो बच्चों की देखभाल के बीच अपना बखूबी फर्ज भी निभा रही हैं। कोरोना काल को चुनौती मानकर अपने फर्ज और घर के बीच सामंजस्य बनाकर लोगों के जान की सुरक्षा के लिए मोर्चे पर डटी हैं। दैनिक भास्कर ने मदर्स डे पर ऐसे माताओं से बातचीत की तो उनकी पीड़ा उभरी, लेकिन कर्तव्य परायणता के आगे उनकी पीड़ा कहीं नहीं दिखी। कोरोना वारियर्स के रूप में उभरी ये मां अपने कर्तव्य को भी पूरी मुस्तैदी से निभा रही हैं। जानिए चर्चा के दौरान उन्होंने क्या कहा...।

कलेक्टर: समस्या का निराकरण करने में ज्यादा समय नहीं लगाती हैं
कलेक्टर किरण कौशल को रोज समस्या को लेकर कॉल आता है, लेकिन वे निराकरण करने में अधिक समय नहीं लगातीं। वे कहती हैं कि जिले के कलेक्टर होने के साथ ही मेरी पारिवारिक जिम्मेदारियां भी हैं। बुजुर्ग माता-पिता, सासू मां के साथ दो छोटे बच्चों के कारण घर में काफी सावधानी रखनी पड़ती है। घर में अलग रास्ते से आती-जाती हूं। खुद को सभी से अलग कर केवल एक कमरे में ही अपना काम करती हूं। जहां तक हो सके परिवार के अन्य सदस्यों से दूरी बनाकर रहती हूं।
टैक्नीशियन: बच्चों की चिंता है, पर आपात स्थिति में फर्ज को दी तवज्जो
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में भगवती कोसले सीनियर लैब टैक्नीशियन हैं। ब्लड ट्रांसफ्यूजन, एलाइजा जांच में मुस्तैदी से सेवाएं दे रही हैं। वे बतातीं हैं कि उनके दो छोटे बच्चे हैं। घर में उनकी सास है जिन्हें दूसरे की जरूरत पड़ जाती है। उनके भरोसे में बच्चों को छोड़े रहने से चिंता रहती है। मुश्किल की घड़ी में लोगों की सेवा करने का जो मौका मिला है उसे वे गंवाना नहीं चाहती हैं। इसलिए आपात स्थिति में फर्ज को तवज्जो दी है। कई बार अतिरिक्त कार्य करने या फिर टेस्ट की वजह से देरी से घर पहुंचना पड़ता है।
एसडीएम: घर के गार्डन में दूर से बच्चों को खेलते देख होती है खुशी
कटघोरा एसडीएम सूर्यकिरण तिवारी की दिनचर्या अब बदल गई है। वे बताती हैं कि जबसे कटघोरा हॉट स्पॉट बना तब से परिवार को कम समय दे पा रही हूं। बच्चों से दूर से ही बात करती हूं। घर के गार्डन में बच्चों को खेलते देखकर खुशी होती है। व्यस्तता के बीच परिवार के लिए भी थोड़ा समय निकाल पाती हूं। कटघोरा को कोरोना मुक्त करने में प्रशासन की टीम के साथ काम करने का अलग ही अनुभव है। इससे ड्यूटी और काम के प्रति जज्बा बढ़ा है।

डॉ. ज्योति: बच्ची की देखभाल के बीच मरीजों का इलाज भी कर रहीं
जिला अस्पताल में डॉ. ज्योति बाला ऑडियोलॉजिस्ट हैं। उनकी डेढ़ साल की बच्ची है। डॉ. बाला ने बताया कि ईएनटी विभाग में ओपीडी शुरू कर देने से बच्ची के देखभाल की चुनौती के बीच ड्यूटी कर अपना फर्ज निभा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने आया भी काम पर नहीं आ रही है। 20 मार्च से उनके पति की ड्यूटी कोविड स्पेशल टीम में लगी है। इस वजह से सुरक्षा के लिहाज से उनका सहयोग नहीं मिल सकता। दूसरी ओर चिकित्सा पेशे से जुड़े होने से संकट की घड़ी में फर्ज का दामन नहीं छोड़ सकते।



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लबेद सेंटर में मजदूरों को ठहराया

करतला ब्लाॅक के सीमावर्ती क्षेत्र लबेद में बैरियर लगाकर आवाजाही करने वाले लोगों की जांच की जा रही है। यहां हाई स्कूल भवन को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। जहां अभी 8 मजदूरों को रखा गया है। जो उड़ीसा से लौटे थे। उनकी क्वारेंटाइन अवधि अभी पूरी नहीं हो पाई है, बैरियर में जांजगीर-चांपा के नगरदा व उरगा थाने के जवानों की ड्यूटी बारी-बारी से लगाई जा रही है।भैसमा से तुमान होते हुए सड़क सक्ती गई है।

लबेद जांजगीर-चांपा व कोरबा जिले का बार्डर है। बाहर के लोग जिले में प्रवेश न करें इसके लिए चौकसी बढ़ा दी गई है। बाराद्वार थाने से भी जवान ड्यूटी करने आते हैं। अभी क्वारेंटाइन सेंटर में रेंगाली उड़ीसा से आए रामखिलावन केंवट, वेंकट रेड्‌डी, युधिष्ठिर साहू व रोहित कुमार को रखा गया है। जो दर्री व कोहड़िया के रहने वाले हैं। इसी तरह भंवरखोल के राजकुमार कंवर, रथराम यादव, दशरथ यादव व कमलेश कुमार को हिमगिर उड़ीसा से आने पर रखा गया है। साथ ही रुपेन्द्र मन्नेवार को भी जांच के लिए जिला अस्पताल भेजा गया था उसे भी क्वारेंटाइन किया जाएगा।



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Laborers held at Labed Center




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कॉलेजों की परीक्षा जून में शुरू हुई तो केंद्र प्रभारियों को रहना होगा ज्यादा सजग

कोरोना संक्रमण के चलते जारी लॉक डाउन का सीधा असर शैक्षणिक सत्र पर पड़ा है। स्कूल शिक्षा विभाग की परीक्षाएं तो लगभग पूरी हो चुकी हैं, लेकिन कॉलेजों की परीक्षा जो अब तक समाप्त हो जानी थी वह सिर्फ शुरू ही हो पाई है। 17 मई तक लॉक डाउन घोषित है। उसके बाद अगर तिथि घोषित होती भी है तो कम से कम 10 से 15 दिन का समय छात्रों को देना पड़ेगा। ऐसे में जून में परीक्षाएं कराने की बात सामने आ रही है। अगर ऐसा होता है तो परीक्षा केन्द्र प्रभारियों को गाइड-लाइन का पालन कराने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। केन्द्र में छात्रों की बैठक व्यवस्था से लेकर सैनिटाइजर तक की सुविधा पर फोकस करना होगा।

प्रदेश में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। जिसे देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी के कुलपतियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर परीक्षा के लिए उनकी राय मांगी गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कॉलेजों की परीक्षाएं जून के दूसरे सप्ताह में कराने पर सहमति जाहिर की है। हालांकि यह तभी संभव है जब कोरोना महामारी में कमी होगी। इस संबंध में एक शासकीय कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से गठित कमेटी में अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी बिलासपुर के कुलपति डॉ. जीडी शर्मा, पंडित रविशंकर शुक्लनगर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. केशरीलाल वर्मा, कुलसचिव डॉ. गिरीशकांत पाण्डेय, दुर्ग यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा, उच्च शिक्षा विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. पीसी चौबे शामिल हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शनिवार को उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख को सौंप दी है। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद परीक्षा आयोजित करने अथवा नहीं कराने को लेकर निर्णय लिया जाना है।
40 नहीं 20 छात्रों को बिठाना होगा एक कमरे में
जून में परीक्षा शुरू होती है तो प्रत्येक कमरे में जहां अब तक 40 छात्रों को बिठाया जा रहा है वहां अब 20 को ही बिठाया जाएगा। इसके कारण परीक्षकों की संख्या भी बढ़ानी पड़ेगी। जहां अधिक छात्र संख्या होगी। वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए छात्रों को कक्ष से अलग व्यवस्था भी करनी पड़ सकती है।
छात्र न हों मायूस तैयारी के लिए मिलेगा पर्याप्त समय

शासकीय पीजी कॉलेज (लीड) के प्राचार्य डॉ. आरके सक्सेना ने बताया कि छात्रों को परीक्षा के नाम पर तनाव लेने की जरूरत नहीं है। यूनिवर्सिटी से अभी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है। लेकिन जब भी होगा उन्हें पर्याप्त समय मिलेगा। इसलिए विषयों की तैयारी अपनी सुविधा के अनुसार करें। यूनिवर्सिटी की अधिकृत वेबसाइट का अवलोकन करते रहें।
15 जुलाई तक परीक्षा अगस्त से शुरू होगा सत्र
अब तक की स्थिति में यह तो तय है कि 15 जून से कॉलेजों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती। जून के दूसरे सप्ताह से परीक्षाएं शुरू होती हैं तो कम से कम 15 जुलाई तक जारी रहेंगी। ऐसे में नए सत्र की शुरुआत व एडमिशन की प्रक्रिया 15 जुलाई के बाद वह भी स्नातक प्रथम वर्ष में होगा। अगली कक्षाओं के लिए छात्रों को रिजल्ट आने का इंतजार करना पड़ेगा।



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चौक और चौराहों पर ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मी क्वारेंटाइन सेंटरों व शराब दुकानों पर भेजे गए

लॉकडाउन-3 के साथ ही शहर के कई चौक-चौराहों व बैरियर पर तैनात पुलिस जवान कम हो गए हैं। इससे सड़क पर लोगों की आवाजाही के दौरान जांच में ढील मिल गई है। ऐसा लॉकडाऊन में नरमी की वजह से नहीं बल्कि जिले की सीमाओं पर बने बैरियर-चेकपोस्ट व क्वारेंटाइन सेंटर की संख्या बढ़ने की वजह से हुआ है। दरअसल जिले में प्रवासी मजदूरों समेत अनधिकृत आवाजाही को रोकने के लिए सीमाओं समेत अन्य स्थानों पर कुल 21 बैरियर बनाए गए हैं। वहीं प्रवासी मजदूर समेत बाहरी राज्यों से आने वाले जिले के मजदूरों को रखने के लिए 75 क्वारेंटाइन सेंटर खोले गए हैं। ऐसे में बैरियर व सभी क्वारेंटाइन सेंटर में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। जिसके लिए लाइन समेत शहर के कई चौक-चौराहों समेत बैरियर से बल हटाकर भेजा गया है। थाना-चौकी से भी बल लगाया जा रहा है। वहीं सुरक्षा व्यवस्था में कमी न रहे इसके लिए कोटवार व एसपीओ की भी मदद ली जा रही है। दूसरी लॉकडाउन-3 के साथ ही झगड़ा-मारपीट व चोरी की घटनाएं होने से थाना-चौकी में भी काम का दबाव बढ़ने लगा है। ऐसे में वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों पर काम का दबाव भी बढ़ता जा रहा है।

लॉकडाउन में पुलिस व्यस्त, हत्या के दो मामले की जांच प्रभावित
लॉकडाउन के दौरान गंभीर अपराध में बांकीमोंगरा क्षेत्र के सुराकछार खदान में 28 मार्च की रात सुरक्षा कर्मी जयपाल सिंह कंवर व बालको नगर के बेलाकछार के पास 23 अप्रैल की रात अर्जुन दास की हत्या हुई। दोनों ही मामले की जांच में लगी पुलिस के लॉकडाउन के दौरान व्यस्त हो जाने से जांच पर असर पड़ रहा है। पुलिस ने दोनों ही मामले को जल्द सुलझाने का दावा किया था। लेकिन अब तक मामले अनसुलझे हैं।
शराब दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने बहा रहे पसीना
शराब दुकानों के खुलने के बाद वहां खरीदारों की भीड़ लगने से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए पुलिस को जूझना पड़ रहा है। रोजाना प्रत्येक शराब दुकान खुलने से बंद होने तक संबंधित क्षेत्र के थाना-चौकी से पुलिस बल वहां तैनात रहता है। पुलिस जवानों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने धूप में पसीना बहाना पड़ता है। इसके बाद दोपहर में दुकानों को बंद कराने पुलिस जवानों को पेट्रोलिंग करना पड़ता है।
पुलिस जवानों को दूसरे स्थानों पर किया गया है शिफ्ट
डीएसपी रामगोपाल करियारे के मुताबिक कोविड-19 के रोकथाम के लिए पुलिस विभाग मुस्तैदी से जुटा है। वर्तमान में बैरियर व क्वारेंटाइन सेंटर की संख्या बढ़ाई गई है। शहर समेत आउटर के कई स्थानों से बल कम करके प्राथमिकता वाले स्थान पर शिफ्ट किया गया है। इस कारण शहरी क्षेत्र में पहले की अपेक्षा अब कम पुलिस जवान तैनात दिख रहे हैं। हालांकि कड़ाई पहले की तरह है। पुलिस के जवानों के साथ ही वॉलंटियर्स मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे हैं। एसपी ऑफिस के सामने लगे इस बैरियर के साथ पुलिस जवानों को हटा दिया गया।



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Policemen on duty at the square and squares were sent to quarantine centers and liquor shops




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कोरोना की आड़ लेकर सरकारें श्रम कानूनों को कमजोर कर रहीं : दीपेश

कोरोना वायस के संक्रमण को लेकर कुछ राज्यों की सरकारों ने आर्थिक गतिविधियों को सुगम बनाने की बात कर रही हैं। इसके लिए वे श्रम कानूनों को पूरी तरह शिथिल कर रही हैं। दरअसल यह सिर्फ उद्योग घरानों को मदद पहुंचाने की कवायद की कड़ी का हिस्सा है।

यह बात एटक के दीपेश मिश्रा ने कही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने राज्य में लागू श्रम विधियों से अस्थाई छूट अध्यादेश 2020 को लाया और इसके फलस्वरूप 1000 दिनों के लिए सभी श्रम कानूनों को अपने राज्य में स्थगित कर दिया है। इसका आशय यह हुआ कि अब मजदूर यह शिकायत नहीं कर सकता कि उनसे ज्यादा काम लिया जा रहा है या निश्चित वेतन नहीं दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश की सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट, कांट्रेक्ट एक्ट व इंडस्ट्रियल एक्ट में बड़ा बदलाव किए हैं। इसके साथ ही गुजरात की सरकार ने काम के घंटे को 8 से 12 तक बिना ओवरटाइम भुगतान के बढा़ने का गैरकानूनी निर्णय लिया है। कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने कुछ चुनिंदा बड़े बिल्डरों के दबाव में प्रवासी मजदूरों को राज्य से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि इसी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को अपने घरों में भेजने के लिए 10 ट्रेनों की अनुमति ले ली थी पर फिलहाल इसे कैंसिल कर दिया गया है। मिश्रा ने आगे कहा कि प्रवासी मजदूरों को राज्य से बाहर जाने पर रोक लगाना पूरी तरह असंवैधानिक है क्योंकि कोई भी राज्य सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि कौन श्रमिक कहां रहेगा। उन्होंने कहा कि श्रम व श्रमिक इस देश की धरोहर हैं। इनके साथ किसी भी किस्म की राजनीति नहीं होनी चाहिए। जो प्रवासी मजदूर घर जाना चाहते हैं उन्हें रजिस्ट्रेशन व फार्म भरने के खेल में ना उलझाया जाए बल्कि जल्द से जल्द उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को मदद करना चाहिए। ऐसा करने से प्रवासी मजदूरों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा और भविष्य में देश की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए अपनी सेवाएं देने में पीछे नहीं रहेंगे।



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सीयू 54 पाठ्यक्रमों की 16 केंद्रों में लेगी प्रवेश परीक्षा

सीयू में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा की सूचना जारी कर दी गई है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। आवेदन की अंतिम तारीख 30 मई है। छात्र 25 विषयों के 54 स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन के लिए सामान्य श्रेणी, आर्थिक रूप से पिछड़े व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 500 रुपए और अजा, अजजा, दिव्यांग छात्र 250 रुपए जमा करना होगा। हालांकि यूनिवर्सिटी ने अभी तक कोरोना के चलते परीक्षा की तारीख घोषित नहीं की है। परीक्षा दो पाली सुबह 9.30 से 12 बजे तक और दोपहर 2.30 से शाम 5 बजे तक होगी। सीयू ने प्रवेश परीक्षा के लिए देशभर में 16 परीक्षा केंद्र बनाई है। छत्तीसगढ़ में 8 परीक्षा केंद्र हैं। इसमें बिलासपुर, रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, राजनांदगांव है। बिहार में पटना में परीक्षा केंद्र बनाया है। रांची, विशाखापट्टनम, प्रयागराज (इलाहाबाद), भुवनेश्वर, कोलकाता, गोंदिया और जबलपुर में परीक्षा केंद्र बनाया है। खास बात है कि बीएड और एमएड, बीए एलएलबी, बीकाम एलएलबी के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है। शेष विषयों के लिए उम्र तय है।

पहले दिन बीएससी, बीए की परीक्षा होगी
परीक्षा तिथि घोषित होने के बाद पहले दिन सुबह 9.30 से दोपहर 12 बजे तक बीएससी आनर्स -जैव प्रौद्योगिकी, प्राणीशास्त्र, मानव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस, गणित, भौतिकी, इलेक्ट्रानिक्स, बीए आनर्स - मानव विज्ञान (कला), अंग्रेजी, हिंदी, पत्रकारिता एवं जनसंचार, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, बैचलर ऑफ सोशल वर्क की परीक्षा होगी। द्वितीय पाली दोपहर 2.30 से शाम 5 बजे तक एमएसडब्ल्यू, बी.लिब. इंफर्मेशन साइंस, बीएससी आनर्स फोरेन्सिक साइंस, बीएससी आनर्स रसायन विज्ञान, डिप्लोमा इन फार्मेसी, बी. फार्म, बीएससी आनर्स -ग्रामीण प्रौद्योगिकी, बीएससी वानिकी, शिक्षा, विशेष शिक्षा (एचआई), विशेष शिक्षा (एलआई) में परीक्षा होगी।
शुल्क वापस नहीं होगी : सीयू ने कहा कि यदि अभ्यर्थी का अर्ह-कारी परीक्षा में प्राप्तांक का कुल प्रतिशत, निर्धारित न्यूनतम प्रतिशत से कम है, जो उसका अनंतिम प्रवेश स्वयं निरस्त हो जाएगा और अभ्यर्थी शुल्क की वापसी के लिए दावा नहीं कर सकेगा।
दूसरे दिन एमएससी, एम, एमकॉम की परीक्षा : दूसरे दिन सुबह पाली में एमसीए, एमपीएड, बीपीएड, बी.काम (आनर्स) की परीक्षा होगी। दूसरी पाली में एमएससी-भौतिकी, गणित, प्राणीशास्त्र, वनस्पति शास्त्र, रसायन शास्त्र, कम्प्यूटर साइंस, एमएड, एमएससी फोरेन्सिक साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, ग्रामीण प्रौद्योगिकी, वानिकी, जैव प्रौद्योगिकी, एमए एमएससी मानव विज्ञान, एमए राजनीति विज्ञान, इतिहास, अर्थसास्त्र, अंग्रेजी, हिंदी, पत्रकारिता एवं जनसंचार सहित अन्य विषयों की परीक्षा होगी।



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सरकार ने रुकवाया, खाना घरों से आ रहा

कोरोना वायरस के मद्देनजर क्वारेंटाइन सेंटर में तैयारी शुरू तो हो चुकी है लेकिन जो मजदूर आ चुके हैं, उनके लिए उनके घर से ही खाना आ रहा है। पंचायत ज्यादा मजदूरों के आने पर खाना स्कूल में ही पकवाने की बात कह रहा है। कुछ पंचायतें तो मजदूरों को भोजन की सामग्री देकर खाना पकाकर खाने कह रहे हैं। तुरकाडीह स्कूल में कोई ड्यूटी पर नहीं था। मजदूर का परिवार सरकारी सेंटर में सेल्फ क्वारेंटाइन मिला। 60 हजार से अधिक मजदूरों के लिए 1066 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए हैं। जो मजदूर पहुंचे उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में ठहराया गया है। हजारों का आना बाकी है। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने कुछ क्वारेंटाइन सेंटर का जायजा लिया। ग्राम पंचायत घुटकू जहां सर्वाधिक 5 सेंटर और 46 कमरों में मजदूरों को ठहराने की तैयारी है। वहां सफाई होती नजर आई। सरपंच जीवेंद्र सिंगरौल ने बताया कि आंधी-तूफान की वजह से रोज कचरा हो जा रहा है। नवापारा स्कूल में दगेश्वर, उसकी पत्नी अरुणा व बच्चा क्वारेंटाइन किए गए हैं। ये हैदराबाद गए थे और लॉकडाउन में फंस गए थे। सरपंच ने खाना का इंतजाम कराने की बात कही। दगेश्वर के भाई मोतीलाल ने ही उसके लिए खाना अपने चाचा घासीराम से भिजवाया। हालांकि उसने बताया कि सरपंच ने राशन दिया है। टाड़ा गांव के स्कूल में भी दो लोगों को क्वारेंटाइन किया है। उन्हें भी उनके घर वालों ने खाना दिया। तुरकाडीह प्राथमिक शाला में अनिल खांडे और उनकी पत्नी सीता खांडे व उनके तीन बच्चे क्वारेंटाइन हैं। अनिल से पूछा कि जिनकी ड्यूटी लगी वे कहां हैं, तो बोला कि कोटवार यहीं रहने बोलकर चला गया है। वे दिसंबर में हैदराबाद गए थे और कल आए हैं। पंचायत ने उन्हें राशन दे दिया है और कहा कि वे खुद खाना बनाकर खाएं।

निरतू स्कूल में पसरा सन्नाटा
निरतू स्कूल को 90 मजदूरों को ठहराने के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है लेकिन वहां कोई नहीं मिला। कमरों में ताला लटका रहा। यहां के मजदूर गुजरात सहित देश के अन्य राज्यों में फंसे हैं और आने वाले हैं। गांव में अभी मजदूरों के ही आने की चर्चा है।
न बेरिकेडिंग न ड्यूटी में गंभीरता : हालांकि अभी मजदूरों का आना शुरू हुआ है और ज्यादा संख्या में आना बाकी है लेकिन क्वारेंटाइन सेंटर के इंतजाम उम्दा व सुरक्षित नहीं कहे जा सकते। वजह ये कि न तो वहां बेरिकेडिंग की गई है और न ही ड्यूटी पर तैनात किए गए कर्मचारी ही गंभीर है। वे डरे हुए हैं।
क्या कह रहे जिम्मेदार

"ज्यादा मजदूर आएंगे तो टाइम टू टाइम लगाएंगे। अभी जरूरत नहीं है। मजदूरों को खाद्य सामग्री दे दिए हैं।"
-जयप्रकाश लोनिया, प्रभारी, तुर्काडीह सेंटर
"मजदूर अभी नहीं आए हैं इसलिए स्कूल में कोई नहीं मिला होगा। सेनेटाइजेशन व सभी इंतजाम हो चुका है।"
- अशोक कौशिक, प्रभारी, निरतू सेंटर
"46 कमरों का इंतजाम किया गया है। रसोईया को खाना बनाने बोल चुका है। दो-तीन के लिए खाना बनवाना संभव नहीं है।"
- जीवेंद्र सिंगरौल, सरपंच, घुटकू पंचायत
सेंदरी में जहां सेंटर बनाया, वहां बिजली विभाग के श्रमिक : सेंदरी के राजीव गांधी सेवा केंद्र को भी क्वारेंटाइन सेंटर बना दिया गया है लेकिन वहां बिजली विभाग के ठेका श्रमिक ठहरे हैं। हालांकि प्रभारी से बात करने पर उन्होंने बताया कि ये केंद्र रद्द कर दिया गया है।
कल 1200 मजदूरों को लेकर आएगी ट्रेन
छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर फंसे मजदूरों को लाने के लिए ट्रेनों का इंतजाम किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने जिन 4 ट्रेनों को कन्फर्म किया है। उनमें पठानकोट पंजाब से चांपा, साबरमती अहमदाबाद से बिलासपुर, ट्रेन साबरमती अहमदाबाद से बिलासपुर व विजयावाड़ा आन्ध्रप्रदेश से बिलासपुर शामिल है। पहली ट्रेन 11 मई को सुबह नौ बजे तक यहां साबरमती गुजरात से 1200 मजदूरों को लेकर आएगी। सरकार ने इन ट्रेनों में सफर के लिए एप का लिंक जारी है :http://rebrand.ly/z9k75qp है। इस एप में आवेदन कर वापस आ सकेंगे।



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Government stopped, food coming from homes




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शिवनाथ नदी पर बने एनिकट का पानी सात गांवों तक पहुंचाने की तैयारी ताकि रकबा बढ़े

शिवनाथ नदी पर बने एनिकट से 7 गांवों को सिंचाई के लिए पानी देने की तैयारी चल रही है। पानी इसलिए देंगे ताकि खरीफ और रबी फसल का रकबा बढ़े और अच्छी फसल हो। इसके लिए सिंचाई विभाग, कृषि और बिजली विभाग तीनों मिलकर तैयारी कर रहे हैं। सर्वे का काम शुरू हो गया है। बिजली विभाग नदी के किनारे खंभे लगाकर बिजली की व्यवस्था करेगा। कृषि विभाग ने मोटर पंप लगाने की जिम्मेदारी ली है। सिंचाई विभाग मदकू, मोतिमपुर और कुदवाकोनी तीनों एनिकटों से पानी देने की लिए तैयार है। तीनों विभाग मिलकर इस योजना को सफल बनाने में जुटे हैं। जानकारों ने बताया कि शिवनाथ नदी पर बने एनिकट में बहुत पानी है। अगर इस पानी को किसानों तक पहुंचाया जाए तो सिंचाई का रकबा और बढ़ेगा। इस योजना पर काम करना शुरू कर दिया गया है। अब 2021 में इसका लाभ मिलने संभावना है।

इन सात गावों में सिंचाई के लिए पानी मिलने से रकबा हो सकता है दोगुना
बता दें कि छह दिन पहले सिंचाई, बिजली और कृषि विभाग के अफसर बढ़ियाडीह, देवाकर, बारगांव, खजुरी, मोतिमपुर, धूमा और सावंतपुर गांव गए थे। उन्होंने पूरे गांवों के किसानों से बात की और खरीफ और रबी की फसल की जानकारी ली। सिंचाई विभाग के जानकारों ने बताया सातों गांव में अच्छी फसल हो रही है। और अच्छी हो इसके लिए शिवनाथ दी के पानी को इन तक पहुंचाने की तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि माेतिमपुर, मदकू और कुदवाकोनी में हमारे एनिकट हैं। इनमें पानी भी पर्याप्त है। अगर ये पानी किसानों को सिंचाई के लिया मिले तो फसल दो गुनी भी होने की संभावना है। इसलिए बिजली विभाग नदी के किनारे खंभे लगाकर बिजली की व्यवस्था करेगा और कृषि विभाग मोटर पंप से गांवों तक पानी पहुंचावाएगा।



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3 की रिपोर्ट निगेटिव, कोरोना वार्ड में सिर्फ 3 भर्ती

सिम्स के कोरोना वार्ड में 6 लोग भर्ती थे। शनिवार की स्थिति में यहां तीन लोग ही बचे है। बाकी तीन की रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद उन्हें दूसरे वार्डों में शिफ्ट कर दिया गया है। मीडिया प्रभारी आरती पांडेय के अनुसार जो भर्ती किए गए हैं,बाहर से आए लोग है और इनमें कोरोना के लक्षण नहीं है। कोरोना संक्रमण संदेह पर जिले से कुल 933 सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। इनमें से अभी तक केवल एक ही पाजिटिव रिपोर्ट आई। महिला का इलाज कराया गया। वह अब पूरी तरह स्वस्थ्य है। 707 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। बाहर से आए व्यक्तियों में से 1704 लोगों ने 28 दिन का क्वॉरेंटाइन पूरा कर लिया है। जिले में 26 मार्च से सर्वे जारी है। इसमें 33232 घरों में कुल 158912 लोगों की जांच की जा चुकी है। सीएमएचओ प्रमोद महाजन के अनुसार स्क्रीनिंग के दौरान सामान्य सर्दी खांसी के मरीज मिले। इनका इलाज किया जा रहा है। जिले में कोरोना प्रबंधन के लिए आवश्यक लॉजिस्टिक तथा सहायक दवाइंयो पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है।



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कोरोना संबंधित मामलों पर हाईकोर्ट में सुनवाई कल

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण से बचाव सहित अन्य मामलों पर सोमवार को सुनवाई होगी। यह मामला चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ में होगी। हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के प्रयासों और दिशा निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान में लेकर जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है। मामले में अब तक कई निर्देश भी दिए गए हैं, जिसका पालन किया जा रहा है। वहीं कुछ नए आवेदनों पर भी सुनवाई लगातार हो रही है।



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सिर्फ फोन से पूछकर कर दिया मजदूर का अंतिम संस्कार और अब कह रहे जैसा ऊपर वालों ने कहा वैसा किया

क्योंकि आपका जानना जरूरी सिम्स के करोना वार्ड में भर्ती झारखंड के मजदूर रवि मुंडा की मौत व उसके 7 अन्य साथियों के अस्पताल से अचानक चले जाने के बाद सिम्स की कार्रवाई को लेकर लोगों के मन में कुछ सवाल आ रहे हैं। दैनिक भास्कर इन सवालों का जवाब अखबार के माध्यम से उन तक पहुंचा रहा है। हमने सिम्स में कोरोना डेस्क प्रभारी डाॅ. आरती पांडेय से बातचीत की। सवालों का उन्होंने क्या जवाब दिया आप खुद ही पढ़ लीजिए-
सवाल 1- सिम्स के कोरोना वार्ड में झारखंड के मजदूर रवि मुंडा की मौत की जानकारी दूसरे दिन क्यों दी गई?
जवाब- रूटिन में बीमारी से मौत हो रही है तो मीडिया को जानकारी देना है ऐसा कोई नियम नहीं है।
सवाल 2- किसी भी साधारण मौत पर सिम्स ने कभी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की। रवि मुंडा की मौत यदि साधारण बीमारी से हुई थी तो फिर मीडिया को बुलाकर जानकारी देने की नौबत क्यों आई?
जवाब- इस केस में इसलिए जरूरत पड़ी, मुझे ऊपर से फोन आया था। किसी ने इस मामले को नेशनल न्यूज बनाने की कोशिश की पर मुझे नहीं पता कि किसने क्या कहा। ऊपर से फोन करने वाले ने पूछा कि मैडम प्रवासी मजदूर का क्या मामला है? उन्होंने मीडिया को बुलाकर ब्रीफिंग करने के लिए कहा और मैंने कर दिया।
सवाल 3- ऊपर से आपको फोन करने वाले कौन थे?
जवाब- कौन लोग थे मायने? कलेक्टर के लोग थे। उन्होंने मुझसे बोला था। कलेक्टर स्वयं फोन नहीं किए थे। मेरे पास मीडिया के इतने सारे फोन आने लग गए थे कि मुझे इन तीनों वजह से प्रेस कांफ्रेंस करना पड़ा।
सवाल 4- झारखंड के मजदूर रवि मुंडा की मौत के बाद यहां भर्ती उनके दूसरे 7 अन्य साथी मजदूर अचानक कहां चले गए?
जवाब- बाकी लोग क्लीनिकली फिट थे इसलिए हमने प्रशासन से बात कर उन्हें रवाना कर दिया।
सवाल 5- क्या उनके क्वारेंटाइन की अवधि पूरा हो गया था?
जवाब- क्वॉरेंटाइन होम टाउन पर होता है। जैसे अपने यहां अहमदाबाद गुजरात से आ रहे तो उन्हें बिलासपुर में क्वारेंटाइन किया जाएगा तो ये लोग झारखंड में क्वारेंटाइन होंगे। प्रशासन ने हमको झारखंड की सरकार से बात कर गाड़ी की व्यवस्था की। हमारे पास प्रशासन का आदमी आया और उन्हें गाड़ी में लेकर गए। उन्हें छुड़वा दिया।
सवाल 6- क्या जिस गाड़ी में मजदूर अपने घर गए,क्या उनके साथ शव नहीं भेजा जा सकता था?
जवाब- नहीं भेजा जा सकता था क्योंकि रवि मुंडा का सैंपल भेजा गया था और जांच रिपोर्ट नहीं आई थी। पॉजिटिव होता तो घरवालों को शव नहीं देना होता है। मजदूरों को भेजने के लिए गाड़ी आ चुकी थी। हमको उन्हें भेजना था। हमने उनके घरवालों को बोला कि रिपोर्ट आने तक शव नहीं दे पाएंगे। मैंने कहा जैसे ही रिपोर्ट आएगी मैं आपसे बात कर लूंगी। उन्होंने कहा ठीक है।
सवाल 7 - मजदूरों को झारखंड भेजने में इतनी हड़बड़ी क्यों दिखाई गई?
जवाब- झारखंड की बस आ गई थी। हमको प्रशासन को इन्फॉर्म करना था। फिर हमने मरने वाले के परिजनों से फोन पर पूछा था कि क्या रिपोर्ट निगेटिव आएगी तो बॉडी डोनेशन करेंगे या दाह संस्कार करेंगे। उन्होंने कहा दाह संस्कार कर दीजिए और फोटो भेज दीजिए।
सवाल 8 -मृतक के भाई ने फोन पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी तो क्या फोन पर भाई होने की पुष्टि हो जाती है? क्या फोन पर अनुमति मिल जाए तो किसी भी लाश को जला दी जाती है?
जवाब- जो नंबर उन्होंने (जो साथ में आए थे) अपने यहां लिखवाए थे उन्हीं से हमने नंबर लेकर बातचीत की। उन्हें हर चीज पहले ही बता दिया था, समझा दिया था और वे (रवि मुंडा के परिजन) मान गए थे।
सवाल 9- आपके अनुसार रवि मुंडा के अंतिम संस्कार के लिए उसके भाई ने मोबाइल पर अनुमति दी। आपने उससे बात की तो उसका मोबाइल नंबर क्या था?
जवाब- नहीं मेरे पास है, मुझे शासकीय लोगों को देना था दे दिया। उन्होंने भी बात कर ली। मीडिया को नहीं दे सकती। आपको लेना है तो प्रशासन से ले लीजिए।



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3 साल से अटकी है सीटी स्कैन व एमआरआई मशीन की खरीदी

छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स। कहने को बड़ा अस्पताल। सुविधाओं की कमी के चलते हजारों लोग परेशानी झेल रहे हैं। पहले तो सीटी और एमआरआई मशीन की खरीदी की प्रक्रिया। फिर सोनोग्राफी मशीन का बंद हो जाना। ऐसे में यह कहना कि प्रबंधन मरीजों को सुविधा देने में नाकाम है। गलत नहीं होगा। आरोप यह भी लगने लगे हैं कि चंद लोगों ने जानबूझकर इसकी प्रक्रिया अटका रखी है। क्योंकि उनकी बाहर के निजी पैथोलैब संचालकों से मिलीभगत है। इसलिए ही इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। दैनिक भास्कर ने पड़ताल में पाया कि अस्पताल में इकलौते रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संदीप कुमार ने निजी कारणों से कुछ महीने पहले अपने काम से इस्तीफा दे दिया है। तभी से सिम्स में मरीजों की सोनोग्राफी बंद है। ऐसी आपात स्थिति में उन मरीजों को ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है जिन्हें इसकी जरूरत है। खासतौर पर प्रसुताओं को। जिन्हें लोगों ने इस उम्मीद के साथ यहां भर्ती करवाया है कि उनका इलाज यहां ठीक होगा। इसके उलट उन्हें इस काम के लिए निजी सेंटरों का रुख करना पड़ रहा है। इसके अलावा रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संदीप के कंधे पर ही एक्सरे डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी सौंपी थी। उनके जाने के बाद यह भी काम ना के बराबर चल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक्सपर्ट नहीं हैं। जिन डॉक्टरों को जरूरत पड़ती है वे मरीजों को एक्सरे का लिखते जरूर हैं। पर उन्हें भी काफी भटकाव सहना पड़ रहा है। जिन कुछ मरीजों का एक्सरे हो भी रहा है। उनकी रिपोर्ट को संबंधित डॉक्टर ही देखकर उन्हें इलाज की सलाह दे रहे हैं। इसी तरह तीसरी परेशानी एमएलसी को लेकर है। प्रबंधन ने महीनेभर से इसका काम भी बंद कर दिया है। अभी तक सिम्स प्रबंधन ने किसी रेडियोलाजिस्ट की भर्ती नहीं की है। इससे लोग परेशान हैं।

ऐसे परेशान हो रहे लोग
सरकंडा के आकाश निर्मलकर का कहना है कि वे अपने रिश्तेदार राहुल श्रीवास्व को लेकर सिम्स पहुंचे। राहुल के शरीर पर अंदरुनी चोट थी। कारण जानने के लिए सोनोग्राफी जरूरी थी। पहले तो वे दिनभर भटकते रहे। डॉक्टरों ने सोनोग्राफी का लिखा तो वे सिम्स के रेडियोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट में पहुंचे। यहां साफतौर पर बड़े अक्षरों में लिख दिया गया है कि डॉक्टर नहीं होने से सोनोग्राफी बंद है। इसके बाद वे बाहर के सोनोग्राफी सेंटर पहुंचे। यहां उनसे ज्यादा पैसे वसूले गए। यह अकेला केस नहीं था। ऐसे कई दर्जन प्रकरण सिम्स में रोज आ रहे हैं। जिन्हें सोनोग्राफी के लिए भटकना पड़ रहा। और प्रबंधन यही कह रहा है कि जब डॉक्टर आएंगे तब सोनोग्राफी शुरू होगी।
सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन की खरीदी की अटकी हुई
सिम्स में सीटी स्कैन मशीन और एमआरआई मशीन नहीं होने से कई तरह की जांच और सुविधाएं लोगों को नहीं मिल रही है। इसके कारण वे परेशान हैं। उन्हें इसके लिए बाहर का रुख करना पड़ रहा है। इसकी खरीदी के लिए ऑनलाइन खरीदी के लिए टेंडर करने का दावा किया गया। पर अभी तक यह मामला अटका है। खरीदी को लेकर भी रेडियालॉजिस्ट की कमी आड़े आ रही है। मामले में सिम्स का पक्ष जानने के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. पुनीत भारद्वाज और प्रभारी अधिकारी डॉ. राकेश नहरेल को कॉल किया गया। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।



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कुलपतियों ने कहा - 20% कोर्स आनॅलाइन हो, वीडियो लेक्चर ऐसे हों, जिन्हें छात्र समझ सकें

कोरोना वायरस कोविड-19 ने उच्च शिक्षा विभाग को ठप कर दिया है। इस पर मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के 7 कुलपतियों ने मंथन किया। वेबिनार का संचालन एयू के कंप्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एचएस होता, डॉ. सीमा बेलोरकर ने किया। इस पर सभी कुलपति ने कहा कि कम से कम 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन करना होगा। शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों को भी ऑनलाइन शिक्षा के लिए ट्रेंड करना होगा। ऑनलाइन वीडियो लेक्चर ऐसे तैयार हों, जिसे ग्रामीण एरिया के छात्र भी आसानी से समझ सकें। ग्रामीण एरिया में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है, वहां के कॉलेजों में वीडियो लेक्चर पेनड्राइव या डीवीडी के माध्यम से भेजा जाए। वर्चुअल क्लास व लैब की तरफ सभी यूनिवर्सिटी को बढ़ना होगा। पीएचडी की आरडीसी, डीआरसी ऑनलाइन हो। ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्कूल स्तर पर ही छात्रों को कंप्यूटर की शिक्षा देनी होगी। तकनीकी सिस्टम के तहत यूनिवर्सिटी को भी अपने आप को डेवलपर करने की जरूरत। कंप्यूटर विभाग के अलावा अन्य विभाग के शिक्षक व कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना होगा। आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ. सुधीर शर्मा ने किया। वेबिनार में कुल 153 शिक्षकों ने भाग लिया। डॉ. यूके श्रीवास्तव, डॉ. डीके श्रीवास्तव, डॉ. कावेरी दाभड़कर, इमरान अली ने प्रश्न पूछे।
प्रो.जीडी शर्मा, अटल यूनिवर्सिटी बिलासपुर
परीक्षा नहीं होने से छात्र तनाव में हैं। क्लास रूम शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है, पर परिस्थिति को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा हमें अपनाना होगा। 40 प्रतिशत पाठ्यक्रम ऑनलाइन करने की जरूरत है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देनी होगी। ऑनलाइन परीक्षा के लिए सिलेबस में भी बदलाव करने की जरूरत है।
राघवेंद्र प्रताप तिवारी,डॉ हरिशंकर गौर सीयू सागर
टेक्नॉलॉजी को समग्र रूप में देखना होगा। ई-कंटेंट को बढ़ावा देना होगा। ओपन लर्निंग सिस्टम प्रारंभ करने की जरूरत है। लर्निंग आउटकम बेस पद्धति अपनाना ही होगा। यूजीसी ऑनलाइन के क्षेत्र में 18 प्रकार के प्लेटफार्म दी है, उसे अधिकारिक रूप से अपनाना होगा। ऑनलाइन पद्धति अपनाने से यूनिवर्सिटी, कॉलेज आने-जाने में छात्रों के पैसे व पेट्रोल खर्च हो रहे हैं। इसके पैसे भी बचेंगे। जो प्रदूषण के लिए अच्छा होगा।
डॉ. एमके वर्मा, स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी
कोविड-19 समस्या नहीं, अवसर है। शिक्षक को ऑनलाइन शिक्षा भी ऐसी देनी होगी कि शिक्षक व छात्रों के बीच क्लास रूम की तरह अनुभूति का अहसास हो। परीक्षा सब्जेक्टिव, ऑब्जेक्टिव या डिस्क्रिप्टिव हो, इस पर विचार करना सबसे ज्यादा जरूरी। क्योंकि अभी छात्र ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तैयार नहीं है। हमें इन्हें ट्रेंड करना होगा।
डॉ. केशरीलाल वर्मा पं. रविशंकर यूनिवर्सिटी
शिक्षा में गुणवत्ता लाने हमें टेक्नॉलॉजी का उपयोग करना होगा। उच्च शिक्षा जीईआर बढ़ाने की बात कर रही है। नियमित छात्र से ज्यादा प्राइवेट छात्र अध्ययनरत हैं। आनॅलाइन पद्धति में जीईआर कम होगा। कोरोना वायरस ने अध्ययन-अध्यापन की दिशा बदल दी है। ये समय हमें नवीन तकनीकी अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
डॉ. बंशगोपाल सिंह, ओपन यूनिवर्सिटी
4 पहले यूजीसी ने ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआात कर दी है, इसे हमें अब अपनाना होगा। नई शिक्षा नीति के अनुसार 2030 तक जीईआर 50 प्रतिशत करना है, पर छत्तीसगढ़ में 34 प्रतिशत ओबीसी, एससी, एसटी छात्र अध्ययन करते हैं, ऐसे में नियमित शिक्षण नहीं होने से परेशानी आएगी और जीईआर भी घटेगा, गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। कोविड-19 में हमें दिनचर्या व व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों को भी ऑनलाइन शिक्षा की ट्रेनिंग देनी होगी।
डॉ. पीयूष रंजन अग्रवाल, अवधेश प्रताप यूनिवर्सिटी रीवा:

यूनिवर्सिटी व कॅालेज में केवल कंप्यूटर विभाग के शिक्षक ही ट्रेंड होते हैं। इन पर सभी निर्भर रहते हैं। अब सभी विभाग के शिक्षकों को ट्रेंड होना की जरूरत है। स्टाॅफ, शिक्षक व छात्रों को ऑनलाइन पद्धति के लिए ट्रेंड करना होगा।
डॉ. प्रकाशमनी त्रिपाठी, अमरकंटक यूनिवर्सिटी:

हमें डिजिटल होना ही पड़ेगा। वर्चुअल क्लास रूम की तरफ हमें अब जाना चाहिए। वाइ-बा स्काइप के माध्यम से की जा सकती है, पर प्रायोगिक कार्य व मूल्यांकन ऑनलाइन कैसे हो इस पर विचार करने की जरूरत है।



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औद्योगिक संस्थानों में क्या होंगे बदलाव, कैसे करें नौकरी की तैयारी, इंजीनियरिंग कॉलेज के 20 पूर्व छात्र बताएंगे

गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को 20 एल्युमिनी कोरोना के प्रभाव से देश और विदेश के औद्योगिक संस्थानों में क्या बदलाव होंगे इसकी जानकारी देंगे। इंजीनियरिंग के छात्र इस दौर में नौकरी की तैयारियां कैसे करें ग्लोबल टॉक सीरीज के जरिए वह बताएंगे। इसके लिए शनिवार का दिन फिक्स किया गया है। जो लाइव प्रोजेक्ट या लाइव फेसबुक पर अपने-अपने जगहों से बच्चों के सामने अपने विचार रखेंगे। कॉलेज के प्राचार्य डॉ बीएस चावला ने इसके लिए उन प्रमुख नामी कंपनी के बड़े अधिकारियों को तैयार कर लिया है जो भारत और दूसरे देशों में बड़े पदों पर बैठे हैं। आने वाले शनिवार से बच्चों को ऑनलाइन जानकारी देने का काम शुरू कर दिया जाएगा। सबसे पहले 1980 बैच के इंजीनियर बच्चों को एनटीपीसी के क्षेत्र में कोरोना वायरस के प्रभाव से नौकरियों में होने वाले बदलाव की जानकारी देंगे। इसके लिए नोएडा के जीएम कमल किशोर बच्चों से रूबरू होंगे। वे बताएंगे कि आने वाले दिनों में बच्चे किस तरह से आगे की पढ़ाई करें। आने वाले दिनों में उनके यहां संस्थान का सीन कैसा होगा। इसके अलावा कुछ और जरूरी जानकारियां भी बच्चों के समक्ष रखी जाएगी। प्राचार्य डॉ चावला का कहना है कि लॉकडाउन की स्थिति में उनके यहां से पढ़कर निकले छात्र बच्चों के कॅरिअर को लेकर काफी संजीदा हैं। इसलिए ही वे ऑनलाइन छात्रों को जरूरी जानकारियां देंगे।
इंजीनियरिंग कॉलेज में ऐसा पहली बार
यहां ऐसा पहली बार हो रहा है जब कॉलेज के कोई 500 छात्रों को सीधे तौर पर उन पूर्व के छात्रों से संवाद करने का मौका मिला है जो उन्हें भरपूर अनुभव देंगे। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि इससे छात्रों का स्किल डेवलपमेंट होगा और लॉकडाउन के दौरान बड़े संस्थानों की नौकरियों की दिशा किस तरफ जा रही है। देश विदेशों का माहौल किस तरह तैयार हो रहा है यह जानने का अवसर मिलेगा।
अमेरिका व चीन से ऑनलाइन जानकारी देंगे
पहले चरण में एनटीपीसी नोएडा के जीएम कमल किशोर बच्चों से लाइव होने के बाद दूसरे चरण में अमेरिका के एल्युमिनी जुड़ेंगे। इसके बाद तीसरे चरण में चीन से बॉस कंपनी के मैनेजर आशीष गोरे बच्चों से रूबरू होंगे। इसका सीधा फायदा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पढ़ने वाले उन बच्चों को मिलेगा जो सीधे तौर पर इन एल्युमिनी से विचार विमर्श करेंगे। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि इस दौरान बच्चों को सवाल करने का भी मौका दिया जाएगा।



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जूता-चप्पल दुकानें मंगलवार से खोलने की तैयारी, बाकी कारोबारियों ने चैंबर पर बढ़ाया दबाव, दो फाड़ की नौबत

कई तरह के विवादों के बाद आखिरकार प्रशासन ने पंडरी और उससे लगे 5 कपड़ा बाजारों को सोमवार से शुरू करने की इजाजत दी, और यह खबर फैलते ही राजधानी के पूरे कारोबार जगत में बवाल मच गया है। माना जा रहा है कि पंडरी कपड़ा बाजार के 8 दुकानदारों पर शुक्रवार को हुए जुर्माने की बात सरकार में उच्चस्तर तक पहुंच गई थी। इसके बाद कांग्रेस विधायक कुलदीप जुनेजा चैंबर ऑफ कामर्स के पदाधिकारियों के साथ शनिवार को सुबह से सक्रिय हो गए। उन्होंने चैंबर अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा और पंडरी अध्यक्ष चंदर विधानी को साथ लेकर कलेक्टर और निगम कमिश्नर से मुलाकात की। कारोबारी महापौर एजाज ढेबर से भी मिले। इसके बाद प्रशासन ने देर शाम पंडरी बाजार खोलने का आदेश जारी कर दिया। यह संकेत भी मिले कि मंगलवार से जूता-चप्पल की दुकानों भी खोल दी जाएंगी। इससे कारोबारियों का एक वर्ग तो संतुष्ट हुआ, लेकिन संगठन में ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया है और नौबत चैंबर के दो-फाड़ होने तक आगई है।
दरअसल पंडरी के आठ व्यापारियों ने शुक्रवार को दुकानें खोल ली थीं और प्रशासन ने उन्हें बंद करवाने के बाद 16 हजार रुपए जुर्माना भी वसूल लिया था। इससे विवाद बढ़ा और पंडरी के कुछ कारोबारियों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी। इसके बाद शनिवार को रायपुर उत्तर के विधायक जुनेजा कपड़ा बाजार खुलवाने के लिए सक्रिय हो गए। उनके साथ चैंबर पदाधिकारी भी जुड़ गए। यह टीम प्रशासन के अफसरों से भी मिली और उन्हें भरोसा दिलाया कि दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए, शासन की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन होगा। इसके बाद अफसर भी मान गए। अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य से कहा गया कि वे कारोबारियों से बात कर सिस्टम तैयार करें। एक घंटे से ज्यादा समय तक चली बैठक के बाद तय हो गया कि सोमवार से पंडरी समेत आसपास के चार बाजार खुल जाएंगे।
कपड़े के बाद खुलेगा शू मार्केट : कपड़ा बाजार खोलने के बाद शहर के जूता-चप्पल दुकानों को खोला जाएगा। प्रशासन ने इसकी भी तैयारी कर ली है। शादियों और त्योहार का सीजन होने की वजह से जूता कारोबारियों को भी दुकानें खोलने की अनुमति दी जा रही है। सोमवार को इसका आदेश जारी हो सकता है। अफसरों की माने तो मंगलवार से शहर के सभी सिंगल जूता-चप्पल की दुकानें खुल जाएंगी। इसके लिए भी सिस्टम पंडरी जैसे ही रहेगा। यानी जहां दुकानें ज्यादा हैं वहां हर दिन एक-एक लाइन की दुकानें खुलेंगी।

चैंबर अध्यक्ष-महामंत्री भिड़े, इस्तीफे की धमकियां

कपड़ा दुकानों को अनुमति मिलने के तुरंत बाद इस मुद्दे पर प्रदेश के सबसे बड़े कारोबारी संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर के अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा और महामंत्री लालचंद गुलवानी में टकराव के हालात पैदा हो गए हैं। महामंत्री ने अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि उन्हें केवल पंडरी के दुकानदारों की परेशानी दिख रही है। शहर में बाकी कारोबार भी बंद हैं, लेकिन उन्हें खुलवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। एक व्यापारी वर्ग को खुश कर बाकी को नाराज किया जा रहा है। इससे चैंबर की छवि धूमिल हो रही है। गुलवानी के साथ चैंबर के पूर्व अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी और उपाध्यक्ष राजेश वासवानी भी शामिल हो गए। इसके बाद बाकी पदाधिकारियों ने भी कहा है कि कपड़ा दुकानदारों के साथ बाकी व्यापारियों को भी राहत मिलनी चाहिए। कई व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों ने चैंबर से इस्तीफे की भी धमकी दे दी है।

कई कारोबारों से जुड़े संगठनों ने खोला मोर्चा
कपड़ा दुकानें खुलने के बाद मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, बर्तन, स्टील, फैंसी स्टोर, कॉस्मेटिक, प्लास्टिक समेत कई व्यापारिक एसोसिएशन ने भी मोर्चा खोल दिया है। इन कारोबारों से जुड़े संगठनों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि एक मार्केट के बजाय सभी की चिंता करनी चाहिए। केवल कपड़ा कारोबारी ही व्यापार नहीं कर रहे हैं। कई एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि उनके कारोबार नहीं खुले तो वे कलेक्टोरेट में प्रदर्शन करेंगे। चैंबर अध्यक्ष का कहना है कि एक-एक करके ही बाजार खोले जाएंगे। एक साथ सभी बाजार नहीं खोले जा सकते हैं।

सभी छोटे कारोबारियों को दुकान खोलने की अनुमति दे सरकार : बृजमोहन

विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सप्ताह में 2 दिन के कर्फ्यू लगाने के राज्य सरकार के औचित्य पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के कायदों की धज्जियां तो शराब दुकान खुलने के बाद से ही उड़ गई हैं। बृजमोहन ने कहा कि सरकार अब सभी छोटे व्यापारियों की सुध ले। 50 दिनों से उनकी दुकानें बंद हैं। आर्थिक तंगी से वे जूझ रहे हैं। ठेले-खोमचे वालों की भी कुछ ऐसी ही दशा है। सरकार चाहे तो विभिन्न व्यवसायों को तीन भागों में विभक्त कर दें और सभी के खुलने का अलग-अलग 4-4 घंटा समय निर्धारित कर दे, ताकि लोग अपनी जरूरत का सामान खरीद सकें।
बृजमोहन ने कहा कि वैसे भी राज्य में शराब दुकान खोले जाने के बाद से जनता का अब सरकार से भरोसा उठ गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर वह अपनी सुरक्षा के लिए पहले से ज्यादा सतर्क है। राज्य सरकार का यह 2 दिनी कर्फ्यू का निर्णय उनकी अपनी मौजूदगी बताने का ही प्रयास प्रतीत होता है न कि कोरोना से लड़ने की उनकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है।



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