औरंगाबाद से विशेष ट्रेन से आए 1223 मजदूर, 43 बस और 9 जीप से 24 जिलों के लिए रवाना
45 दिन से लॉकडाउन में फंसे मजदूर अपने घर जाते समय काफी खुश थे, उन्हें लग रहा था कि अब घर पहुंचकर उनकी सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। दूसरे प्रदेशों में काम बंद होने से उनके सामने भोजन के भी लाले पड़ गए थे। ऐसे 24 जिलों के 1223 मजदूरों को औरंगाबाद से लेकर एक स्पेशल ट्रेन शुक्रवार की सुबह 7 बजे रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज रेलवे स्टेशन पर पहुंची।
यहां प्रशासन, पुलिस, डॉक्टरों की 8 टीमें पहले से ही मौजूद थीं। ट्रेन से उतरे मजदूर मयंक चतुर्वेदी के चेहरे पर एक गजब की चमक और मुस्कुराहट थी और आंखों में बड़ा सुकून और खुशी के आंसू। मयंक छतरपुर जिले के हरपालपुर का रहने वाला है जो औरंगाबाद की आयरन फैक्ट्री में मजदूर के रूप में काम कर रहा था। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी क्योंकि अब उसे अपने घर वालों से मिलने के लिए बस कुछ घंटे का इंतजार करना था। रेलवे स्टेशन पर 7 बजे पहली घोषणा हुई कि औरंगाबाद से आने वाली पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन प्लेटफार्म पर कुछ ही मिनटों में आ रही है। इसकी सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य अमला सतर्क हो गया। एडीएम अनिल डोमर, एएसपी एपी सिंह, गौहरगंज एसडीएम विनीत तिवारी ने वहां की व्यवस्थाएं संभाली। तहसीलदार संतोष बिटोलिया ने बताया कि विशेष ट्रेन से आने वाले श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उन्हें उनके गृह जिलों के लिए भेज दिया।
आपबीती : पुलिस वाले भैया बने देवदूत
छतरपुर के मयंक चतुर्वेदी बताते है कि वे जिस आयरन कंपनी में काम करते थे। उसने लॉकडाउन के बाद पैसा नहीं दिया। भूखे मरने की नौबत आ गई थी। तब एक पुलिस वाले भैया देवदूत बनकर आए 40 दिन तक उन्होंने मुझे भोजन कराया। कंपनी से किसी तरह की सहायता ना मिलने के कारण मैंने वापस घर आने का निर्णय लिया और इस विशेष ट्रेन से वापस लौट आया।
40 किमी पैदल चले तब बन पाया ई-पास
बालाघाट के कन्जेई निवासी बृजेश निवारे 22 वर्ष बताते है कि वे औरंगाबाद के पास स्थित अंबाला शहर में एलएनटी फैक्ट्री में ऑपरेटर का काम करते थे। वे बताते हैं कि औरंगाबाद रेड जोन में है और हमारे साथ काम करने वाले इंजीनियर औरंगाबाद से ही अप-डाउन करते थे। इसके अलावा हम एक रूम में 10-12 लड़के एक साथ रहते थे। 40 किमी चलकर थाने में ई-पास बनवाया और इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन से यहां तक पहुंचे। अब काम करने वह वापस औरंगाबाद नहीं जाएगे।
ये भी जरूरी : जांच के बाद गृह जिलों के लिए भेजा
बीएमओ डॉ. अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि सभी 1223 मजदूरों की मेडिकल स्क्रीनिंग कराई गई। इस दौरान ग्वालियर जिले के बेहट निवासी बृजकिशोर धाकड़ (26 वर्ष) को सांस लेने में दर्द और चक्कर आने की शिकायत मिली। जिसे प्राथमिक उपचार देने के बाद हमीदिया रेफर कर दिया गया।
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