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भारत में साल भर में करीब 1 करोड़ टूरिस्ट आते हैं, उसका 20% तक मार्च-अप्रैल में आ जाते हैं; वीजा पर प्रतिबंधों से सरकार को 33 से 34 हजार करोड़ का नुकसान संभव

नई दिल्ली.कोरोनावायरस केडर से दुनिया सहमी हुई है। कोरोना को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल तक दुनियाभर के लोगों के वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया है। मतलब, 15 अप्रैल तक अब कोई भी विदेशी व्यक्ति भारत नहीं आ सकेगा। हालांकि, डिप्लोमैटिक और एम्प्लॉयमेंट वीजा को इस दायरे से बाहर रखा गया है। सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर टूरिज्म सेक्टर पर पड़ेगा। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सालभर में जितने विदेशी पर्यटक आते हैं, उनका करीब 15 से 20% अकेले मार्च-अप्रैल में ही आते हैं। 2019 में मार्च-अप्रैल के दौरान 17 लाख 44 हजार 219 विदेशी पर्यटक भारत आए थे। जबकि, पूरे सालभर में 1.08 करोड़ पर्यटकों ने भारत की यात्रा की थी। वीजा रद्द होने से सरकार को 33 से 34 हजार करोड़ रुपए का नुकसान भी हो सकता है। पिछले साल मार्च-अप्रैल में सरकार को टूरिज्म सेक्टर से 33 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई थी।

बिजनेस: 2019 में जितनी कमाई हुई, उसकी 16% अकेले मार्च-अप्रैल महीने में हुई

टूरिज्म सेक्टर से सरकार को हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती है। 2019 में सरकार को विदेशी पर्यटकों से 2.10 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। इसमें से 16% यानी 33 हजार 186 करोड़ रुपए की कमाई अकेले मार्च-अप्रैल में हुई थी। पिछले 5 साल के आंकड़े भी यही कहते हैं कि सरकार को विदेशी पर्यटकों से सालभर में जितनी कमाई होती है, उसमें से 15 से 20% की कमाई अकेले मार्च-अप्रैल में ही हो जाती है। मार्केट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि पिछले साल के आंकड़ों को देखें तो मार्च-अप्रैल में पर्यटकों के नहीं आने से सरकार को 33 हजार से 34 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। ये कमाई सरकार को फॉरेन करंसी में होती है।

कोरोना की दहशत:इस साल जनवरी में पिछले 10 साल में सबसे कम रही पर्यटकों की ग्रोथ

कोरोना का असर दुनियाभर के टूरिज्म सेक्टर पर पड़ा है। दुनिया के प्रमुख पर्यटक स्थल सूने हो गए हैं। भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी में 11.18 लाख विदेशी पर्यटक ही आए, जबकि जनवरी 2019 में 11.03 लाख पर्यटक भारत आए थे। जनवरी 2019 की तुलना में जनवरी 2020 में विदेशी पर्यटकों की संख्या भले ही बढ़ी है, लेकिन ग्रोथ रेट 10 साल में सबसे कम रहा। जनवरी 2020 में विदेशी पर्यटकों का ग्रोथ रेट सिर्फ 1.3% रहा। जबकि, जनवरी 2019 में यही ग्रोथ रेट 5.6% था।

10 साल में जनवरी में आने वाले पर्यटकों की संख्या और ग्रोथ रेट

साल पर्यटकों की संख्या ग्रोथ रेट
जनवरी 2020 11.18 लाख 1.3%
जनवरी 2019 11.03 लाख 5.6%
जनवरी 2018 10.45 लाख 8.4%
जनवरी 2017 9.83 लाख 16.5%
जनवरी 2016 8.44 लाख 6.8%
जनवरी 2015 7.90 लाख 4.4%
जनवरी 2014 7.57 लाख 5.2%
जनवरी 2013 7.20 लाख 5.8%
जनवरी 2012 6.81 लाख 9.4%
जनवरी 2011 6.22 लाख 9.5%

राहत की बात: जनवरी 2020 में विदेशी पर्यटकों से होने वाली कमाई 12.2% बढ़ी

भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की ग्रोथ रेट में भले ही कमी आई हो, लेकिन उनसे होने वाली कमाई बढ़ी है। जनवरी 2020 में सरकार को विदेशी पर्यटकों से 20 हजार 282 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जो पिछले साल से 12.2% ज्यादा रही। जबकि, जनवरी 2019 में सरकार को 18 हजार 79 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी, जो जनवरी 2018 की तुलना में सिर्फ 1.8% ही ज्यादा थी। हालांकि, फरवरी के बाद कोरोनावायरस के मामले बढ़ने और मार्च-अप्रैल में वीजा पर प्रतिबंध लगने की वजह से विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आनी तय है। इससे सरकार की आमदनी पर भी असर पड़ेगा।

पांच साल में जनवरी महीने में सरकार को पर्यटन सेक्टर से होने वाली आमदनी

साल कमाई ग्रोथ रेट
जनवरी 2020 20,282 12.2%
जनवरी 2019 18,079 1.8%
जनवरी 2018 17,755 9.9%
जनवरी 2017 16,135 18%
जनवरी 2016 13,671 13%

सबसे ज्यादा पर्यटक दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते हैं, लेकिन घूमने के लिए तमिलनाडु पसंदीदा जगह
पर्यटन मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों से आने वाले पर्यटक सबसे ज्यादा दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते हैं। 2018 में दिल्ली एयरपोर्ट पर 30.43 लाख पर्यटक उतरे थे। लेकिन पर्यटकों को घूमने के लिए तमिलनाडु सबसे पसंदीदा जगह है। 2018 में 60.74 लाख विदेशी पर्यटक तमिलनाडु गए थे। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तीसरे पर उत्तर प्रदेश है।

5 एयरपोर्ट या इंटरनेशनल चेक पोस्ट, जहां सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक उतरते हैं

एयरपोर्ट/ इंटरनेशनल चेक पोस्ट पर्यटकों की संख्या
दिल्ली 30.43 लाख
मुंबई 16.36 लाख
हरिदासपुर 10.37 लाख
चेन्नई 7.84 लाख
बेंगलुरु 6.08 लाख



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38 साल पहले हरियाणा से शुरू हुई थी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स, तब से अब तक 9 राज्यों में 14 बार सरकार बचाने-बनाने के लिए विधायकों को होटल भेजा गया

भास्कर रिसर्च. मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम में भाजपा-कांग्रेस, कमलनाथ-सिंधिया के अलावा एक और शब्द है, जिसकी चर्चा जोरों पर है। वो शब्द है- रिसॉर्ट पॉलिटिक्स। इस शब्द की चर्चा इसलिए भी क्योंकि भाजपा ने पहले अपने 107 में से 105 विधायक दिल्ली, मनेसर और गुरुग्राम के होटल भेजे। उसके बाद कांग्रेस ने भी अपने 80 विधायक जयपुर के होटल में भेज दिए। कांग्रेस के ही 20 बागी विधायक पहले से बेंगलुरु के एक होटल में हैं। देश में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स का इतिहास 38 साल पुराना है। मई 1982 में हरियाणा में आईएनएलडी के चीफ देवी लाल ने इसकी शुरुआत की थी। तब से अब तक ये 9 राज्यों में ये 14वीं बार है, जब सरकार बचाने-बनाने के लिए विधायकों को होटल भेजा गया है। इसमें से भी 9 बार सीधी लड़ाई भाजपा-कांग्रेस के बीच रही। 4 बार एक ही पार्टी के बीच रही और एक बार क्षेत्रीय पार्टियों के बीच हुई। एक बार फिर इतिहास पर नजर डालते हैं और देखते हैं कि देश में कब-कब रिसॉर्ट पॉलिटिक्स देखने को मिली...

पहली बार : मई 1982 । हरियाणा
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

विधानसभा चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और भाजपा के बीच गठबंधन हुआ। यहां की 90 सीटों में से किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। भाजपा-आईएनएलडी ने 37 और कांग्रेस ने 36 सीटें जीतीं। उस समय आईएनएलडी के चीफ देवी लाल ने भाजपा-आईएनएलडी के 48 विधायकों को दिल्ली के एक होटल में भेज दिया था। एक विधायक तो होटल के वाटर पाइप के जरिए वहां से भागकर भी आ गया था। उसके बाद तत्कालीन गवर्नर जीडी तपासे ने देवी लाल को बहुमत साबित करने को कहा, लेकिन वे बहुमत साबित ही नहीं कर पाए। उसके बाद कांग्रेस ने गठबंधन बनाकर सरकार बनाई, जिसमें भजन लाल मुख्यमंत्री बने।

देवी लाल और भजन लाल।- फाइल फोटो

दूसरी बार : अक्टूबर 1983 । कर्नाटक
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

उस समय कर्नाटक में जनता पार्टी की सरकार थी और रामकृष्ण हेगड़े मुख्यमंत्री थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हेगड़े सरकार गिराना चाहती थीं। इससे बचने के लिए हेगड़े ने अपने 80 विधायकों को बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में भेज दिया। हालांकि, हेगड़े बाद में विधानसभा में बहुमत साबित करने में कामयाब रहे थे।

रामकृष्ण हेगड़े। - फाइल फोटो


तीसरी बार : अगस्त 1984 । आंध्र प्रदेश
किस-किसके बीच : टीडीपी v/s टीडीपी

उस समय राज्य में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार थी और मुख्यमंत्री एनटी रामा राव थे। उस समय एनटीआर अमेरिका गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में गवर्नर ठाकुर रामलाल ने टीडीपी के ही एन. भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया। लेकिन,भास्कर राव के मुख्यमंत्री बनते ही पार्टी में अंदरुनी कलह पैदा हो गई। अमेरिका से लौटने से पहले ही एनटीआर ने अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु भेज दिया। एक महीने में ही भास्कर राव को इस्तीफा देना पड़ा और एनटीआर मुख्यमंत्री बन गए।

एनटीआर और भास्कर राव।- फाइल फोटो


चौथी बार : सितंबर 1995 । आंध्र प्रदेश
किस-किसके बीच : टीडीपी v/s टीडीपी

आंध्र प्रदेश में ही 10 साल बाद फिर एनटीआर को अंदरुनी कलह का सामना करना पड़ा। इस बार उनके सामने उनके ही दामाद चंद्रबाबू नायडू थे। नायडू ने अपने समर्थक विधायकों को हैदराबाद के वायसराय होटल भेज दिया। 1 सितंबर 1995 को चंद्रबाबू नायडू पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। एनटीआर उसके बाद कभी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।

एनटीआर के बगल में बैठे चंद्रबाबू नायडू।- फाइल फोटो


पांचवीं बार : अक्टूबर 1996 । गुजरात
किस-किसके बीच : भाजपा v/s भाजपा

शंकर सिंह वाघेला पहले भाजपा के नेता थे, लेकिन 1996 में उन्होंने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय जनता पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई। गुजरात में उस समय भाजपा की ही सरकार थी, जिसमें केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री थे। वाघेला बागी हो गए। उन्होंने अपने 47 समर्थक विधायकों को मध्य प्रदेश के खजुराहो के एक होटल में भेज दिया। उस समय जिन विधायकों ने वाघेला का साथ दिया, उन्हें "खजुरिया' कहा जाने लगा और जिन विधायकों ने साथ नहीं दिया, उन्हें ‘‘हजुरिया’’कहा जाने लगा। हजुरिया का मतलब वफादार। उसके बाद वाघेला ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला।- फाइल फोटो


छठी बार : मार्च 2000 । बिहार
किस-किसके बीच : जदयू v/s राजद-कांग्रेस

2000 के विधानसभा चुनाव के बाद जब राजद-कांग्रेस विश्वास मत हार गए, तो उसके बाद नीतीश कुमार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। 3 मार्च को नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। विश्वास मत से पहले जदयू ने अपने विधायकों को पटना के एक होटल भेज दिया, लेकिन उसके बाद भी नीतीश बहुमत साबित नहीं कर पाए और 10 मार्च को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राबड़ी देवी दूसरी बार बिहार की मुख्यमंत्री बनीं।

नीतीश कुमार।- फाइल फोटो

सातवीं बार : जून 2002 । महाराष्ट्र
किस-किसके बीच : भाजपा-शिवसेना v/s कांग्रेस-राकांपा

1999 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार बनी। लेकिन तीन साल के अंदर ही महाराष्ट्र में सियासी उठापठक शुरू हो गई। कांग्रेस-राकांपा ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को रोकने के लिए अपने 71 विधायकों को मैसूर के एक होटल में ठहराया। तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता स्वर्गीय विलासराव देशमुख भी विधायकों से मिलने बार-बार होटल जाते थे। हालांकि, भाजपा-शिवसेना सरकार नहीं बना सकी थी।

स्व. विलासराव देशमुख।- फाइल फोटो

आठवीं बार : मई 2016 । उत्तराखंड
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

9 कांग्रेस विधायक और 27 भाजपा विधायकों ने तत्कालीन गवर्नर केके पॉल से मिलकर तत्कालीन हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। इसके बाद भाजपा ने अपने 27 विधायकों को दो ग्रुप में जयपुर के अलग-अलग होटल भेजा। एक ग्रुप को होटल जयपुर ग्रीन्स में ठहराया गया, जबकि दूसरे ग्रुप को जयपुर के एक फार्म हाउस में ठहराया गया। भाजपा-कांग्रेस ने एक-दूसरे पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया। कई दिनों तक चली उठापठक के बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव हार गई और भाजपा की सरकार बनी।


नौवीं बार : फरवरी 2017 । तमिलनाडु
किस-किसके बीच : अन्नाद्रमुक v/s अन्नाद्रमुक

दिसंबर 2016 में जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया। कारण था- अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) में ही गुटबाजी होना। इससे नाराज तत्कालीन मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जयललिता की भतीजी शशिकला मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन,सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बेनामी संपत्ति के मामले में सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। इसके बाद शशिकला ने पलानीसामी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया। पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी गुट की वजह से शशिकला ने अपने 130 समर्थक विधायकों को चेन्नई के एक होटल भेज दिया। हालांकि, कुछ समय बाद जब फ्लोर टेस्ट हुआ तो पलानीसामी की जीत हुई।

ओ पन्नीरसेल्वम और ई पलानीसामी।- फाइल फोटो

दसवीं बार : अगस्त 2017 । गुजरात
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

इस साल गुजरात की तीन राज्यसभा सीट पर चुनाव होने थे। दो पर भाजपा की जीत पक्की थी। इन दो सीटों में से एक पर अमित शाह और दूसरी पर स्मृति ईरानी खड़ी हुईं। तीसरी पर कांग्रेस के अहमद पटेल थे, जिनकी जीत भी लगभग तय थी। लेकिन भाजपा ने कांग्रेस से बागी बलवंत राजपूत को अहमद पटेल के खिलाफ खड़ा कर दिया। राज्यसभा चुनाव से पहले शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने से कई कांग्रेस विधायक भी बागी हो गए। कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए बेंगलुरु के ईगलटन रिजॉर्ट में बंद कर दिया। इन्हें 8 अगस्त को वोटिंग वाले दिन ही विधानसभा लाया गया। हालांकि, काफी देर चली खींचतान के बाद अहमद पटेल ही जीते।

बेंगलुरु के रिसॉर्ट मेंकांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल के साथ कांग्रेस के 44 विधायक। फोटो-जुलाई 2017

11वीं बार : मई 2018 । कर्नाटक
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस-जेडीएस

मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। भाजपा 104 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। राज्यपाल ने भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली। लेकिन तभी सुप्रीम कोर्ट ने 48 घंटे के अंदर येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने का आदेश दिया। हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए कांग्रेस-जेडीएस ने अपने विधायकों को हैदराबाद के एक होटल में भेज दिया। हालांकि, फ्लोर टेस्ट से पहले ही येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी।

कांग्रेस-जेडीएस के विधायक कर्नाटक के होटल से हैदराबाद के होटल जाते हुए। फोटो- मई 2018

12वीं बार : जुलाई 2019 । कर्नाटक
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस-जेडीएस
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार से 17 विधायकों ने अचानक इस्तीफा दे दिया। इन विधायकों को मुंबई के रेनेसां होटल में ठहराया गया। कुछ दिन बाद इन्हें गोवा के एक रिसॉर्ट में शिफ्ट कर दिया गया। 23 जुलाई 2019 को कुमारस्वामी सरकार को बहुमत साबित करना था, लेकिन ये विधायक वहां भी नहीं पहुंचे और कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई। इसके बाद येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा ने भी फ्लोर टेस्ट से पहले अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु के चांसरी पैवेलियन होटल में ठहराया था। इन 17 में से 15 विधायकों ने दोबारा चुनाव लड़ा, जिसमें से 11 जीतकर आए।

कर्नाटक के बागी कांग्रेस विधायक मुंबई के होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान। फोटो- जुलाई 2019

13वीं बार : नवंबर 2019 । महाराष्ट्र
किस-किसके बीच : भाजपा v/s शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना में गठबंधन था, लेकिन नतीजे आने के बाद शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग पूरी नहीं होने पर गठबंधन तोड़ दिया। बाद में राकांपा के अजित पवार भाजपा से मिले और आनन-फानन में देवेंद्र फडनवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। इसके बाद टूट के डर से शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने अपने विधायकों को मुंबई के हयात होटल में ठहरवाया। हालांकि, इससे पहले भी इसी डर से शिवसेना के विधायक होटल द ललित, राकांपा के विधायक द रेनेसां और कांग्रेस के विधायक जेडब्ल्यू मैरियट होटल में ठहरे थे। निर्दलीय विधायकों को भी गोवा के एक रिसॉर्ट में ठहराया गया था। हालांकि, फ्लोर टेस्ट से पहले ही अजित पवार भी अलग हो गए और देवेंद्र फडनवीस ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राज्य में शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार बनी।

नवंबर में महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक उठापठक के बीच मुंबई के रेनेसां होटल जाते राकांपा के विधायक।

14वीं बार : मार्च 2020 । मध्य प्रदेश
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस
10 मार्च को कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया। इससे एक दिन पहले से ही उनके समर्थक विधायकों के फोन बंद हो रहे थे। बाद में पता चला कि इन विधायकों को बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में रखा गया है। इसके बाद 10 मार्च की रात ही भाजपा ने भी अपने 107 में से 105 विधायकों को गुरुग्राम के आईटीसी ग्रैंड होटल में भेज दिया। 11 मार्च को कांग्रेस के 80 विधायक जयपुर के एक होटल भेजे गए।



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जयपुर एयरपोर्ट से बस से रिसॉर्ट जाते कांग्रेस विधायक




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फरवरी में 3 मरीज थे; महीनेभर तक कोई मामला नहीं आया, 2 मार्च के बाद 320 मामले आए, पिछले 10 दिन में ही 454% की बढ़ोतरी

नई दिल्ली.देश में कोरोनावायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। उसके बाद 1 और 2 फरवरी को भी केरल में 1-1 मरीज मिला। ये तीनों मरीज कुछ ही समय में ठीक हो गए। इसके बाद पूरे महीनेभर देशभर में एक भी कोरोनावायरस का नया मामला नहीं आया। लेकिन, 2 मार्च के बाद से मामलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती गई। 2 मार्च को कोरोनावायरस के 5 मामले (इसमें 3 केरल के केस, जो अब ठीक हो चुके हैं) थे। इसके बाद 21 मार्च तक 320 नए मामले सामने आए। पिछले 10 दिन में ही 11 मार्च से 21 मार्च के बीच देश में कोरोना के मामलों में 454% की बढ़ोतरी हुई है। 11 मार्च को 71 मामले थे और 21 मार्च को रात 11 बजे तक कुल 323 केस हो गए। संक्रमण के चलतेदेश में 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। अब तक सबसे ज्यादा 64मामले महाराष्ट्र में आए हैं। उसके बाद केरल (52 मामले) और दिल्ली (26 मामले) हैं। अभी तक जितने भी लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं, उनमें से ज्यादातर की ट्रैवल हिस्ट्री रही हैयानी ये लोग हाल में विदेश से लौटे थे।

मार्च के पहले हफ्ते में 36 नए मामले आए थे, तीसरे हफ्ते में 176 नए मामले मिले

देश में कोरोनावायरस के नए मामले 2 मार्च के बाद से ही बढ़ने शुरू हो गए। मार्च के पहले हफ्ते यानी 2 मार्च से 8 मार्च के बीच कोरोनावायरस के 36 नए मामले सामने आए थे।दूसरे हफ्ते यानी 9 मार्च से 15 मार्च के बीच 70 नए मामले सामने आए। लेकिन, तीसरे हफ्ते यानी 16 मार्च से 21 मार्च के बीच 181 नए मामले सामने आ चुके हैं। शनिवार को ही शाम 7:30बजे तक 57 नए मामले सामने आ गए।

ईरान में सबसे ज्यादा 255 भारतीय कोरोना संक्रमित

18 मार्च को लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन के दिए जवाब के मुताबिक, 7 देशों में 276 भारतीय कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। ईरान में सबसे ज्यादा 255 भारतीय कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। उसके बाद यूएई है, जहां 12 भारतीय संक्रमित हैं।

देश

कोरोना से संक्रमित भारतीय

ईरान 255
यूएई 12
इटली 5
हॉन्ग कॉन्ग 1
कुवैत 1
रवांडा 1
श्रीलंका 1

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# दुष्यंत ने 13 मार्च को सिंगर कनिका के साथ पार्टी की, उसके बाद 3 दिन लोकसभा गए, 18 तारीख को यूपी-राजस्थान के 96 सांसदों के साथ राष्ट्रपति से भी मिले



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लॉकडाउन से गंगा में मानव मल की मात्रा लक्ष्मण झूले के पास 47 और हरिद्वार में 25 प्रतिशत कम हुई

इन दिनों गंगा-यमुना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। सुखद आश्चर्य के साथ लोग इन वीडियो में बता रहे हैं कि कैसे देश भर में हुए लॉकडाउन के बाद इन नदियों का पानी स्वतः ही बेहद साफ नजर आने लगा है। दिल्ली तक आते-आते जो यमुना पूरी तरह से गंदा नाला दिखने लगती है, इन दिनों फिर से नदी लगने लगी है। ऐसे ही गंगा भी इन दिनों इतनी साफ लगने लगी है कि ऋषिकेश-हरिद्वार तक तो उसके पानी को पीने योग्य बताया जाने लगा है।


उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट बताती है कि ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला क्षेत्र में इन दिनों गंगा के पानी में फ़ीकल कॉलिफोर्म (मानव मल) की मात्रा में 47 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं ऋषिकेश में बैराज से आगे यह कमी 46 प्रतिशत, हरिद्वार में बिंदुघाट के पास 25 प्रतिशत और हर की पौड़ी पर 34 प्रतिशत दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है लॉकडाउन के दौरान हर की पौड़ी पा गंगा का पानी ‘क्लास-ए’ स्तर का हो चुका है। यानी इसे ट्रीट किए बिना ही सिर्फ़ क्लॉरिनेशन करके भी पिया जा सकता है।


ऐसे में यह सवाल बेहद प्रासंगिक लगता है कि गंगा-यमुना सफ़ाई के नाम पर खर्च हो चुके हज़ारों करोड़ रुपए और तमाम सरकारी प्रयास जो नहीं कर सके, क्या लॉकडाउन ने नदियों को साफ करने का वो काम कर दिया है? इस सवाल के जवाब में ‘इंडिया वॉटर पोर्टल’ के संपादक केसर सिराज कहते हैं, ‘काफ़ी हद तक किया है। लेकिन इसके कई पहलू हैं। नदी के प्रदूषित होने के कई कारण हैं। ये कारण शहरों में अलग हैं और पहाड़ों में अलग। इनमें सबसे बड़े कारण कारख़ानों से निकलने वाले रसायनों का नदी में मिलना है और दूसरा बिना ट्रीट हुए मानव मल का इनमें मिलना। इन दिनों चूंकि पूरे देश में कारख़ाने हैं लिहाज़ा पानी का स्तर कुछ बेहतर हुआ है।’

सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के डेटा के मुताबिक गंगा नदी के 36 मॉनिटरिंग यूनिट हैं जिनमें से 27 पर पानी नहाने और वाइल्ड लाइफ और फिशरीज के लिहाज से सुरक्षित है। (फोटो : 15 जनवरी 2020, गंगासागर मेला)


हरिद्वार में स्थित ‘मातृ सदन’ गंगा को बचाने के लिए बीते कई दशकों से अभियान चला रहा है। इस अभियान में सदन से जुड़े स्वामी निगमानंद और प्रोफ़ेसर जीडी अग्रवाल समेत कई लोगों ने तो अपने प्राण तक त्याग दिए हैं। इस सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद कहते हैं, ‘लॉकडाउन के बाद गंगा का पानी कुछ हद तक साफ हुआ है। इससे एक बात तो यही स्पष्ट होती है कि सरकार जो दावा करती है कि हरिद्वार से ऊपर सिर्फ़ ट्रीट किया हुआ सीवेज ही गंगा में मिलता है, वह दावा झूठा है। इन दिनों क्योंकि यात्रा बंद है, पहाड़ पर पर्यटकों की भरमार नहीं है इसलिए अंट्रीटेड सीवेज गंगा में नहीं जा रहा और तभी ये पानी साफ नजर आ रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी हरिद्वार में गंगा का पानी पीने लायक़ नहीं हुआ है। हम गंगा किनारे रहते हैं, इसलिए ये बात दावे से कह सकते हैं। जो वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं मैं उन्हें चुनौती देता हूँ कि अगर गंगा का पानी पीने लायक़ हो गया है तो वे यहां आकर ये पानी पीकर दिखाएं।’


स्वामी शिवानंद कुछ और महत्वपूर्ण पहलुओं का भी ज़िक्र करते हैं। वे कहते हैं, ‘गंगा या यमुना को एक पैसे की ज़रूरत नहीं है। वो ख़ुद को साफ करने में सक्षम है और यह बात इस लॉकडाउन ने काफ़ी हद तक साबित भी की है। हमें सिर्फ़ इतना करना है कि गंगा की अविरलता को बने रहने दिया जाए। लेकिन आप देखिए कि हरिद्वार पहुँचने से पहले ही गंगा को सैकड़ों जगह बांध दिया गया है। अलकनंदा, मंदाकिनी, भागीरथी जैसी गंगा की सभी धाराओं पर डैम बना दिए गए हैं तो उसकी अविरलता तो वहीं बाधित हो चुकी है। ऐसे में गंगा ख़ुद को साफ कैसे करेगी जब उसका प्रवाह ही रोक दिया जाएगा।’


गंगा के मुक़ाबले यमुना इस लिहाज़ से ख़ुशक़िस्मत है कि उस पर जल विद्युत परियोजनाओं का ऐसा बोझ नहीं है। लेकिन यमुना जैसे ही पहाड़ों से मैदान में पहुँचती है, इसकी हत्या शुरू हो जाती है। डाक पत्थर नाम की जगह से ही यमुना पर बैराजों और नहरों का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह स्थिति इतनी ख़राब हो चुकी है कि यमुना के नाम पर बसे यमुनानगर तक पहुँचने से पहले ही यमुना पूरी तरह मर चुकी होती है। इसकी मुख्यधारा का लगभग पूरा पानी नहरों में मोड़ दिया जाता है और तब सिर्फ़ कुछ नालों, बरसाती नदियों और छोटी-बड़ी धाराओं के साथ फैक्ट्रियों की गंदगी लिए जो कथित नदी आगे बढ़ती है, वह सिर्फ़ नाम की ही यमुना होती है।

उफनते नाले सी दिखने वाली यमुना नदी शायद पहली बार नीले साफ पानी से लबालब नजर आई है, पहली बार यहां प्रवासी पक्षी और मछलियां दिखाई दी हैं। (फोटो : 5 अप्रैल 2020, आईटीओ ब्रिज, नई दिल्ली)


साल 2000 में आई सीएजी की एक रिपोर्ट बताती है कि 1985 में शुरू हुआ ‘गंगा ऐक्शन प्लान’ 15 सालों में क़रीब 902 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी अपना ये उद्देश्य पूरा नहीं कर पाया कि गंगा के पानी को नहाने लायक़ भी साफ किया जा सके। लगभग यही स्थित ‘यमुना ऐक्शन प्लान’ की भी है जिसके तीन चरणों में अब तक 1656 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं और नतीजा दिल्ली में बदबू मारती यमुना के रूप में सबके सामने है।


यमुना जिए अभियान से जुड़े मनोज मिश्रा एक लेख में बताते हैं कि इतने सालों तक गंगा और यमुना सफ़ाई के नाम पर कारख़ानों से निकलने वाले रसायनों को अनदेखा किया गया जबकि ज़्यादा ध्यान सीवेज ट्रीटमेंट पर दिया गया। इन दिनों भी सीवेज तो हमेशा की तरह नदी में जा ही रहा है लेकिन कारख़ाने पूरी तरह बंद हैं और नदियों में पानी काफ़ी साफ दिख रहा है। इससे समझा जा सकता है कि नदियों को दूषित करने का बड़ा कारण क्या रहा है।


मनोज मिश्रा इस तथ्य पर भी ध्यान दिलाते हैं कि इस साल अच्छी वर्षा होने के कारण नदियों में पानी ज़्यादा छोड़ा गया है। यह भी एक बड़ी वजह है कि लॉकडाउन के दौरान नदियाँ साफ दिख रही हैं क्योंकि उनमें प्रवाह ज़्यादा है।


स्वामी शिवानंद कहते हैं, ‘गंगा हो यमुना हो या कोई भी नदी हो, उसमें ख़ुद को साफ रखने की क्षमता होती है। इन नदियों ने ही सभ्यताएँ बसाई हैं, सभ्यताओं ने नदियाँ नहीं। नदी को साफ़ करने की बात कहना सिर्फ़ ढोंग है और इस देश में तो भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल है। नदियों को बस उनके प्राकृतिक बहाव के साथ अविरल बहने दिया जाए, बड़े बांध बनाकर उनका प्रवाह न रोका जाए, कारख़ानों और मानव मल के सीवेज उनमें न छोड़े जाएँ, वो ख़ुद ही साफ रह लेंगी रहेंगी और हम सबको जीवन भी देती रहेंगी। जिन्हें ये बात पहले नहीं समझ आती थी, इस लॉकडाउन में मिली झलक से समझ सकते हैं। नदियों को सफ़ाई के लिए पैसों की नहीं, नीयत की ज़रूरत है।’



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सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के डेटा के मुताबिक गंगा नदी के 36 मॉनिटरिंग यूनिट हैं जिनमें से 27 पर पानी नहाने और वाइल्ड लाइफ और फिशरीज के लिहाज से सुरक्षित है। (फोटो : 11 अप्रैल 2020, प्रयागराज)




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कई गांव सील, किसान गन्ना भी नहीं काट पा रहे; जहां कटाई को मंजूरी, वहां मजदूर नहीं; चीनी मिलों पर 420 करोड़ रु. बकाया

(पारस जैन)बागपत जिले का औसिक्का गांव कोरोना संक्रमित जमातियों के मिलने के बाद से पूरी तरह सील है। खेतों में गन्ने, गेहूं और सरसों की फसल पककर तैयार है, लेकिन यह घर तक कैसे आएगी? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। गांव के हर रास्ते पर बैरियर है। किसान और मजदूर खेतों पर भी नहीं जा रहे हैं।
किसान मेहरपाल कहते हैं, ‘‘खेतों में गेंहू और गन्ने की फसल पक चुकी है, लेकिन अनुमति न मिलने के कारण फसलों को काट नहीं पा रहे। हम अपना खर्चा तो जैसे-तैसे चला भी लेंगे लेकिन अगले कुछ दिनों में पशुओं के लिए चारा कहां से लाएंगे, ये समझ नहीं आ रहा।’’किसान जयवीर ने अपने खेतों में गन्ने के साथ सरसों भी लगाया है। वे बताते हैं कि अब बस रात-दिन प्रशासनिक अधिकारियों से फसल काटने की गुहार लगा रहे हैं।
औसिक्का की तरह ही बागपत जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां कोरोना संक्रमित जमाती मिले थे। ये सभी गांव अब पूरी तरह सील हैं। यहां भी गांववालों की समस्या एक जैसी ही है।जिन गांवों में सीलबंदी नहीं है, वहां भी हालात ज्यादा अलग नहीं है।

मजदूर नहीं मिल रहे तो घर के ही लोग गन्ने की कटाई कर रहे
बागपत के टिकरी गांव के जसबीर राठी सुबह-सुबह पूरे परिवार के साथ खेत पर आते हैं और एक से डेढ़ घंटे काम करने के बाद घर लौट जाते हैं। वे बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण फसलें काटने के लिए न तो मशीन मिल रही है और न ही मजदूर। ऐसे में हम परिवार के साथ मिलकर ही खेतो में गन्ने और गेहूं की फसल काट रहे हैं।
टिकरी के ही रहने वाले नरेश कहते हैं कि हम लोग गन्ना काट तो रहे हैं, लेकिन यह मिलों तक पहुंच भी पाएगा या नहीं, ये हम नहीं जानते। गेहूं को तो घरों में रखा भी जा सकता है लेकिन गन्ना नहीं काटा तो खेतों में सड़ जाएगा और काट लिया तो भी इस बार शायद इसे खेतों में ही सड़ते हुए देखना पड़े।
निरपुडा गांव के रहने वाले बाबूराम कहते हैं कि किसानों को तो अब तक गन्ने का पुराना बकाया ही नहीं मिला। आज के हालात में तो हमें चीनी मिलों से हमारा पुराना पैसा मिल जाए, वही बहुत है। कम से कम उस पैसे से खेत मे दवा-बीज तो डाल देंगे।

गन्ने की फसल 10 से 11 महीने की होती है। एक बार गन्ना काटने के बाद उसकी दोबारा बुआई नही की जाती, बल्कि जड़ों को छोड़ दिया जाता है। खाद, पानी देने से फिर फसल हो जाती है।

चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ से ज्यादा बकाया

हर साल गन्ना किसानों को चीनी मिलों से पैसा मिलने में देरी होती रही है, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार देरी तो बढ़ी ही है, साथ ही बकाया भी बढ़ गया है। 14 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश की 100 से ज्यादा मिलों पर गन्ना किसानों का कुल 15 हजार 686 करोड़ रुपए बकाया था। पिछले साल इस समय तक यह आंकड़ा 10 हजार करोड़ के आसपास था। अकेले बागपत जिले के गन्ना किसानों के ही चीनी मिलों पर 420 करोड़ रुपए बकाया हैं।

नगद पैसा देने वाले कोल्हू भी बंद पड़े हैं
आमतौर पर यहां किसान ज्यादातर गन्ना तो मिलों में पहुंचा देते हैं, लेकिन कुछ हिस्सा लोकल कोल्हू मशीन के जरिए गुड़ और खांदसारी शकर बनाने वालों को बेच देते हैं। ये लोग राज्य सरकार द्वारा जारी समर्थन मूल्य से कम कीमत पर किसान से गन्ना खरीदते हैं, लेकिन पैसा तुरंत दे देते हैं। इससे जरूरतमंद किसानों का काम चल जाता है।लॉकडाउन के चलते इन दिनों कोल्हूमशीनें भी बंद हैं।



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इस साल देश में करीब 35 करोड़ मीट्रिक टन गन्ना पैदा होने का अनुमान। इसमें से 45% (15.76 करोड़ मीट्रिक टन) पैदावर सिर्फ उत्तर प्रदेश से। - सोर्स: शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टिट्यूट, कोयंबटूर




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2.5 लाख हेक्टेयर में आम के बाग, 40 करोड़ के आम विदेश जाते हैं, इस बार आसपास की मंडियों में भी नहीं पहुंच पा रहे

मलीहाबादी... मलीहाबादी...। ये शब्द पढ़कर एक खास स्वाद आपको जरूर याद आया होगा। वह स्वाद, जिसके लिए गर्मजोशी से गर्मियों का इंतजार होता है। हर साल इन दिनों में चौक-चौराहे पर ये शब्द गूंजते रहते थे। लेकिन इसबार न ये शब्द सुनाई दे रहे हैं और न ही लोग इस आम की खास किस्म का स्वाद ले पा रहे हैं।

उत्तरप्रदेश में करीब 2.5 लाख हेक्टेयर में आम के बाग हैं। लॉकडाउन के कारण इस बार ये सूने पड़े हैं। यहां मजदूर और कोरोबारीनजर नहीं आ रहे।हम मलीहाबाद में मैंगोमैन के नाम से मशहूर पद्मश्री कलीम उल्लाह खां के बाग में पहुंचे।कलीम प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ कई हस्तियों के नामों पर आम की किस्में ईजाद कर चुके हैं। वे बताते हैं किइस साल ज्यादा ठंड और फिर बारिश के कारण वैसे ही आम की पैदावार कम हुई है और जो हुई है वह भी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है।

मलीहाबाद के कलीम उल्लाह खां पद्मश्रीसे सम्मानित हैं। वे एक ही पेड़ पर आम की 350 किस्में उगा चुके हैं।

कलीम कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण मजदूर घर से निकल नहीं पा रहे हैं। बागों की चौकीदारी तक के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। पके आमजानवर खा रहे हैं। कहीं मजदूर मिल भी रहे हैं तोआम को मंडी तक ले जाने के साधन नहीं हैं। मंडी में भी खरीदार हो तो ले जाने का मतलब है। बाहर ही मांग नहीं है तो मंडी में व्यापारी आम खरीद कर क्या करेगा?

ऑल इंडिया मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष इसराम अली कहते हैं कि यूपी से दशहरीआम समेत कईकिस्मों के आमकी सप्लाई मुंबई, पुणे जैसे बड़े शहरों की मंडियों में होती है, लेकिन इस बार ऐसा होना मुश्किल लग रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो आम की सप्लाई 70 से 80 प्रतिशत तक कम होगी, यानी इतने प्रतिशत नुकसान होगा।

यूपी के दशहरी, चौसा, लंगड़ा, फजली, मल्लिका, गुलाब खस और आम्रपाली आम की किस्में देशभर में मशहूरहैं।

एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के सदस्य शबीहुल खान बताते हैं कि पहले आम की फसल के लिए जनवरी से लेकर मार्च तक बुकिंग हो जाती थी, लेकिन इस बार अब तक एक भी बुकिंग नहीं है। खाड़ी देशों में लगभग 60 टन आम हर साल भेजा जाता है। हर साल बाहरी देशों में लगभग 40 करोड़ रुपए का आम निर्यात होता है, लेकिन इस बार किसानों को यह नुकसान झेलना पड़ सकता है।



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2004 की एक गलती ने 2013 में दस हजार लोगों की जान ली, पर सजा आज तक किसी को नहीं मिली

16 साल पहले इन्होंने केदारनाथ से पहली रिपोर्ट की थी

अगले हफ्ते केदारनाथ के कपाट खुलेंगे। कहते हैं करीब हजार साल पुराना है यह मंदिर। आदि शंकराचार्य ने बनवाया था। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के इस शहर कीऐसी पहचान है कि उसी के नाम से जाना भी जाता है।

सात साल पहले यानी 2013 में इस शहर ने सबसे बड़ी त्रासदी झेली थी। तब दस हजार लोगों की मौत हो गई थी। और कितने अब भी गायब बताए जाते हैं। दैनिक भास्कर के एडिटर लक्ष्मी पंत ने उस त्रासदी को कवर किया था। पर ऐसा होने वाला है, इसकी आशंका उन्होंने 2004 में अपनी एक रिपोर्ट में जता दी थी। 16 साल पुरानी उस पहली खबर से लेकर त्रासदी तक की कहानी उन्होंने ही बांची हैं...तो पढ़ें इसे...

वह 15-16 जुलाई 2004 का खूबसूरत दिन था। सूरज घर के बरामदे में अच्छा लगने लगा था। काले और नमी से भरे बादल लंबी और सूखी गर्मी के खत्म होने का इशारा कर रहे थे। आप कह सकते हैं कि मानसून हिमालय में पहुंच गया था और अब पहाड़ की खूबसूरत तस्वीर एक स्वप्न की मानिंद हमारे सामने आने ही वाली थी। देहरादून घाटी में पहाड़ की कठिनाई और ऊंचाई तो नहीं है लेकिन उसकी आब-ओ-हवा बदस्तूर महसूस कर सकते हैं। दूसरे लफ्जों में शहर का शहर और पहाड़ का पहाड़।

किसी से सुना है कि जिंदगी लकीरों और तकदीरों का खेल है। मेरे कलम की लकीरें, पहाड़ की पथरीली पगडंडियों से यूं ही नहीं जुड़ जातीं। पहाड़ और इससे मेरा कभी न खत्म होने वाला आकर्षण कोई इत्तेफाक नहीं है। बस यूं कहिए कि एक-एक वाकया और बात चुन-चुनकर लिखी और रखी गई है।

पत्रकार के तौर पर चाहे वो देहरादून में रहते हुए एन्वायरमेंट और वैदर रिपोर्टिंगकरना हो या इसी जिम्मेदारी के रहते कपां देने वाली केदारनाथ त्रासदी की वैज्ञानिक भविष्यवाणी इसके घटने से दस साल पहले कर देना हो। आपको याद दिलाना जरूरी है कि केदारनाथ त्रासदी जून 2013 में हुई। इस हादसा में दस हजार से ज्यादा लोग मारे गए। कितने लापता हैं यह आज तक राज ही है।

लेकिन एक दूसरा सच यह है कि तमाम रिसर्च और सूबतों के आधार पर मैंने 2004 में अपनी एक रिपोर्ट में इसकी भविष्यवाणी 2004 में ही कर दी थी। पत्रकार के तौर पर यह एक सनसनीखेज खुलासा था। लेकिन सरकारी व्यवस्था केदारनाथ मंदिर और अपने कामकाजी सम्मोहन में इस कदर लिप्त थी उसे मेरे सारे दस्तावेजी सच पूरी तरह झूठे ही लगे।

और पूरी जिम्मेदारी से यह भी कह रहा हूं कि आप जिस वक्त या जिस भी कालखंड में केदारनाथ त्रासदी की इस कहानी से गुजरेंगे इसे पढ़ते वक्त त्रासदी की कराहऔर कराहकर रोते लाखों श्रद्धालुओं की चीखें आपको जरूर सुनाई देंगी।

यह कहानी कुछ पुरानी जरूर है लेकिन आज भी बिलकुल ताजा। इसके एक-एक पात्र किसी दुराग्रह से नहीं गढ़े गए हैं। सभी सच के साक्षी हैं। कहानी का अनदेखा-अनजाना यह घटनाक्रम कुछ तरह है। हुआ यूं कि मैं उन दिनों दैनिक जागरण के देहरादून संस्करण में विशेष संवाददाता हुआ करता था। हिमालय और उसके ग्लेशियर मेरी जिंदगी का हिस्सा तो थे ही, अब रिपोर्टिंग का हिस्सा भी थे।

वह तबाही मंदाकिनी के किनारे केदानाथ से लेकर 18 किमी दूर सोनप्रयाग तक सबकुछ बहाकर ले गई थी।

इसी कारण जब भी मेरे सर्किल में किसी को पहाड़ से जुड़ी किसी हलचल की जानकारी मिलती, खबर मुझतक पहुंच जाती। मेरा काम होता उसकी जड़ तक पहुंचना और सच सामने लाना। इसी रौ में जब मुझे पता चला कि केदारनाथ के ठीक ऊपर स्थित चैराबाड़ी ग्लेशियर पर ग्लेशियोलॉजिस्ट की एक टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है तो मेरी भी बेचैनी बढ़ गई। मैं देहरादून से ऊखीमठ और फिर गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ जा पहुंचा।

केदारनाथ से चैराबाड़ी ग्लेशियर की दूरी 6 किलोमीटर है। 8 जुलाई 2004 को जब मैं उस ग्लेशियर लेक के पास पहुंचा तो वहां मेरी मुलाकात वाडिया इंस्टीट्यूट के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. डीपी डोभाल से (अब वे यहां एचओडी हैं) हुई। डोभाल उस वक्त वहां उस झील की निगरानी के लिए अपने यंत्र इन्स्टॉल कर रहे थे। झील का जलस्तर 4 मीटर के आसपास रहा होगा।

मैंने पूछा- जलस्तर नापने और ग्लेशियर के अध्ययन के मायने क्या हैं? डोभाल कुछ हिचकते हुए बोले- मंदिर के ठीक ऊपर होने के कारण चैराबाड़ी झील के स्तर से केदारनाथ सीधे जुड़ा है। यदि जलस्तर खतरे से ऊपर जाता है तो कभी भी केदारनाथ मंदिर और आसपास के इलाके में तबाही आ सकती है।

लक्ष्मी प्रसाद पंत की यह रिपोर्ट 2 अगस्त 2004 को प्रकाशित हुई थी।

मेरी जिज्ञासा डोभाल के जवाब से और बढ़ गई। मैंने पूछा कि क्या इतना पुराना मंदिर भी इस झील के सैलाब में बह सकता है? उनका जवाब था, हां। यह संभव है, लेकिन अभी तक झील का स्तर खतरनाक होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। यदि यह 11 से 12 मीटर तक पहुंचता है तो जरूर खतरा होगा। उन्होंने बात संभालते हुए कहा- एवलांच तो इस इलाके के लिए आम हैं। ये कितने खतरनाक हो सकते हैं, किसी से छुपा नहीं है।

यदि झील का स्तर बढ़ा तो एवलांच के साथ मिलकर यह किसी बम से भी ज्यादा खतरनाक असर वाला होगा। यूं समझिए कि बम के साथ बारूद का ढेर रखा है। बम फटा तो बारूद उसका असर कई गुणा बढ़ा देगा। मेरे माथे पर शिकन पड़ गई। खबर का कुछ मसौदा मिलता दिखाई दिया।

अब मेरा सवाल था, इतना खतरा? फिर तो काफी दिन से निगरानी चल रही होगी? मेरे सीधे सवालों से लगातार परेशान हो रहे डोभाल ने झल्लाते हुए कहा- हां, 2003 से। इसके बाद उन्होंने मेरे बाकी सवाल अनसुने कर दिए। हकीकत यही है कि मेरा उनसे संपर्क इससे आगे नहीं बढ़ पाया।

अब केदारनाथ के ठीक ऊपर पल रहे एक खतरे ने मुझे चौकन्ना कर दिया। फिर एक खबरनवीस के तौर पर खबर ब्रेक करने की बेचैनी कैसी रही होगी, आप समझ सकते हैं। जानकारी बेहद अहम थी। सवाल सिर्फ हिन्दू आस्था के एक बड़े तीर्थ केदारनाथ से ही नहीं, कई लोगों की जिंदगी से भी सीधे जुड़ा था। चैराबाड़ी ग्लेशियर झील की कुछ तस्वीरें लेकर मैं देहरादून पटेल नगर स्थित अपने दफ्तर लौट आया।

केदारनाथ के खतरे और चैराबाड़ी ग्लेशियर की नाजुक स्थिति पर खबर लिखकर मैंने पहला ड्राफ्ट अपने संपादक अशोक पांडे को सौंपा। इसे पढ़कर वे भी चौंक गए। बोले, ग्लेशियर, झील और एवलांच कैसे केदारनाथ जैसे ऐतिहासिक मंदिर के लिए खतरा हो सकते हैं? मैंने इतना ही कहा, विशेषज्ञ ग्लेशियर झीलों पर जाकर 2003 से ग्राउंड स्टडी कर रहे हैं। डाटा इकठ्‌ठा किया जा रहा है। टीम बनी है। इतना सब कुछ किसी आधार पर ही कर रहे होंगे। मैं खुद उन्हें ये सब करते हुए देखकर आया हूं।
जवाब मिला- लेकिन कोई कुछ बता क्यों नहीं रहा? प्रशासन को तो कोई जानकारी होगी? क्या सीएम या किसी मंत्री से कुछ पूछा? सबके वर्जन हैं या नहीं? मैं चुप था। मैंने समझाने की कोशिश की- सर। अगर बात इतनी आगे पहुंच गई तो खबर सबको मिल जाएगी। फिर मेरे वहां रातों रात जाने का क्या फायदा? अब मैंने अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारी का हवाला देते हुए खबर छापने पर जोर दिया। केदारनाथ में कितना बडा खतरा पल रहा है इसके दस्तावेजी सबूत उनकी टेबल पर रखें।
फिर भी लंबे तर्क-वितर्क हुए। खबर में कुछ काट-छांट भी। इसके बाद खबर छपने के लिए तैयार हुई। मामला चूंकि बड़ा था इसलिए पांडे जी ने कानपुर स्थित हैड ऑफिस में फोन कर जानकारी दे दी। अंत में, एक अगस्त के दिन फैसला हुआ कि खबर वाकई बड़ी है और फ्रंट पेज की लीड बनाई जाए।

केदारनाथ से सिर्फ 2 किमी दूर चौराबाड़ी झील जो 400 मीटर लंबी, 200 मीटर चौड़ी और 20 मीटर गहरी थी, फटने से 10 मिनट में खाली हो गई।

खबर छपने के बाद चैराबाड़ी झील तो खैर नहीं फटी, लेकिन मेरे ऑफिस में पूछताछ का एवलांच सा आ गया। वाडिया इंस्टीट्यूट के कार्यवाहक डायरेक्टर और भू-वैज्ञानिक ए के नंदा (डायरेक्टर प्रो. बीआर अरोड़ा उस वक्त छुट्टी पर थे) ने गुस्से में मुझे फोन किया। बौखलाहट में बोले- यह क्या छाप दिया है। आपको कुछ गलतफहमी है। हमारा कोई वैज्ञानिक चैराबाड़ी लेक पर गया ही नहीं है और न ही हम कोई ऐसी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

एकबारगी तो मैं भी हैरान रह गया। मैंने कहा यह खबर दफ्तर में बैठकर नहीं लिखी है। झील पर होकर आया हूं। वही लिखा है जो मुझे आपके ही एक वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया है। न तो उन्होंने मेरी दलील सुनी और न यकीन किया। और तो और उन्होंने खबर के गलत और बेबुनियाद होने का एक लंबा-चैड़ा नोटिस भी इंस्टीट्यूट की ओर से भेज दिया। मुझ पर खंडन छापने के लिए दबाव डाला गया। इंस्टीट्यूट में आने के लिए भी मुझ पर पाबंदी लगा दी गई।

पत्रकार जानते हैं कि जब किसी रिपोर्टर की खबर फ्रंट पेज की लीड खबर बनी हो और उसे गलत करार दे दिया जाए तो उस पर कितना दबाव रहता है। साथी पत्रकार भी टेढे-मेढे कयास लगाने लगते हैं। मेरे पास पर्याप्त सबूत और रिकॉर्डिंग्स होने के कारण खंडन तो नहीं छपा लेकिन मेरी इस खबर ने मुझ पर संदेह का एवलांच जरूर छोड़ दिया। जाहिर है, इंस्टीट्यूट ने सवाल-जवाब डोभाल से भी किए। मैंने भी बाद में उनसे मिलकर अपनी खबर पर बात करनी चाही कि आखिर इसमें गलत क्या था? जवाब तो नहीं मिला, लेकिन उन्होंने मुझसे दूरी जरूर बना ली। खबर से मची हलचल भी धीरे-धीरे थम गई। लेक की निगरानी कर रही टीम देहरादून लौट आई। प्रोजेक्ट रोक दिया गया।

अक्टूबर 2004 में मैंने दैनिक जागरण देहरादून छोड़ दिया। खबर भी भुला दी गई। खुद पर उठे सवालों का जवाब देने की बेचैनी मन में ही बनी रही। मैं उत्तराखंड से राजस्थान, फिर कश्मीर और फिर राजस्थान आ गया। बेहतर से और बेहतर होने की यह यात्रा चलती रही। जिंदगी सिखाती रही, मैं सीखता रहा।

समय के साथ बहुत कुछ बदला। बेहिसाब चुनौतियां भी आईं लेकिन कुछ चीजों की पहचान कभी खत्म नहीं हुई। देहरादून छोड़ने के नौ साल बाद 15-16 जून 2013 की अल-सुबह चैराबाड़ी का सच केदारनाथ की तबाही के तौर पर पहाड़ से नीचे उतरा। मेरी खबर के सच का खुलासा इस तरह होगा, मैंने कभी नहीं सोचा था।

कुछ ऐसे कि इसने मुझे हिला दिया और दुनिया को भी। मैं दुखी था। दिल भी रो पड़ा। चांद की तरह गोल चैराबाड़ी झील पहाड़ों को भी खा गई। सब बहा ले गई। पीड़ा और उत्तेजना दोनों मुझ पर हावी होने लगे। आज मैं उस दिन को कोस रहा था जब इस खबर के सही होने की जिद पकड़े था। तब मैं चाहता था कि यह खबर सही हो, आज मुझे अपनी चाहत पर अफसोस और क्षोभ था। पत्रकार की जीत थी, मगर जीवन प्रकृति से हार गया था।

2013 की घटना के बाद सेना के दस हजार जवान, 11 हेलिकॉप्टर, नौसेना के 45 गोताखोर और वायुसेना के 43 विमान यहां फंसे यात्रियों को बचाने में जुटे हुए थे।20 हजार लोगों को वायुसेना ने एयरलिफ्ट किया था।

दुनिया छोटी है और गोल भी। 2004 में छोड़ी अपनी बीट पर जून 2013 में मैं फिर तैनात था। देहरादून जाकर डोभाल से मिला। मेरे जाने के बाद उनके साथ इस खबर के बारे में क्या-क्या हुआ मैं नहीं जानता। लेकिन तबाही के बाद एके नंदा ने डोभाल को फिर फोन किया और कहा- डोभाल तुम भी उस वक्त सही थे और पंत की वह खबर भी सही थी। ये स्वीकारोक्ति महज औपचारिक थी। खबर पर तो प्रकृति की निर्मम मुहर पहले ही लग चुकी थी।

देहरादून सचिवालय में मेरी मुलाकात मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा (अब बीजेपी में शामिल) से भी हुई। मेरा सवाल था-दस हजार मौतों का जिम्मेदार कौन? क्या आपदा रोकी जा सकती थी? इस सवाल पर उनका जवाब था...यह इंसानी नहीं दैवीय आपदा है। डरपोक और कायर सरकारें अपनी नाकामी ऐसी ही छिपाती हैं।


मैं चैराबाड़ी ग्लेशियरभी गया। जिस नीली झील को नौ साल पहले मैंने लबालब देखा था आज जैसे यहां किसी ने ट्रैक्टर चलाकर उसे सपाट कर दिया हो। झील नहीं यहां उसके अवशेषही शेष थे। केदारनाथ तबाही का ये एपिसेंटर उजाड़ और वीरान पड़ा था। तबाही ने मौत और जिंदगी सबके मायने बदल दिए थे।  

और क्या लिखा जाए। नंदा कुछ साल पहले रिटायर हो चुके हैं। डोभाल अब वाडिया में विभाध्यक्ष हैं और किसी और ग्लेश्यिर पर काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे आज भी केदारनाथ त्रासदी का दर्द परेशान करता है। क्योंकि धूर्त और अंहकारी व्यवस्था के कारण चैराबाड़ी झील को पालने-पोसने की भारी कीमत केदारनाथ हादसे के रूप में पूरे देश ने चुकाई है।

और हां, मैं यकीनी तौर पर कह सकता हूं कि आपदा के तीन अक्षर, आशाके दो अक्षरों पर भारी रहे हैं। और यह कहानी भरोसे के बनने की नहीं, भरोसे के टूटने की कहानी भी है।

-लक्ष्मी प्रसाद पंत दैनिक भास्करराजस्थान के स्टेट एडिटर हैं।



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साल के कुछ महीनों के लिए खुलनेवाले इस केदारनाथ मंदिर में 2013 में आई त्रासदी के वक्त पहली बार पूजा रोकी गई थी।




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बर्फबारी के कारण देश ही नहीं कश्मीर से भी कटी रहती है 40 हजार की आबादी वाली यह घाटी, 6 महीने बाद भेजे गए जरूरी सामान के ट्रक

लाइन ऑफ कंट्रोल पर बसी कश्मीर की गुरेज घाटी का कुछ हिस्सा भारत में हैं और कुछ हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है। भारत के हिस्से वाली गुरेज घाटी बांदीपोरा जिले में आती है। आठ हजार फुट की उंचाई पर बसी यह घाटी बर्फबारी के दिनों में चारों ओर सेबर्फ के पहाड़ों से घिर जाती है। हालात यह हो जाते हैं कि हर साल छह-छह महीने तक यह कश्मीर से पूरी तरह कटी हुई रहती है।

बांदीपोरा से गुरेज को जोड़ने वाला रोड करीब 86 किमी लम्बा है। इसी रास्ते पर राजदान पास आता है, जो समुद्र तल से 11 हजार 672 फीट की ऊंचाई पर है। यहां बर्फबारी के दिनों में 35 फीट तक बर्फ जमा हो जाती है। पिछले साल नवंबर में इस रोड को बंद किया गया था। पिछले हफ्ते ही (17 अप्रैल) इसे खोला गया है।

तस्वीर पुराना तुलैल गांव की है। आगे किशनगंगा नदी बह रही है। नदी के किनारे रेजर वायर फेंस लगा हुआ है ताकि पाक अधिकृत कश्मीर से अवैध घुसपैठ को रोका जा सके।

गुरेज घाटी की जनसंख्या करीब 40 हजार है। कश्मीर से 6 महीने तक संपर्क कट जाने के कारण यहां मार्च-अप्रैल के समय दवाईयों और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की किल्लत होने लगती है। दो दिन पहले ही 25 अप्रैल को यहां जरूरी सामान को पहुंचाने का सिलसिला शुरू हुआ। शनिवार को एलपीजी के 2 और डीजल के 4 ट्रक रवाना किए गए थे। रविवार को फल, सब्जी और राशन से भरे 20 ट्रक और भेजे गए।

शनिवार को एलपीजी गैस की टंकियों से भरे 2 ट्रक बांदीपोरा से गुरेज घाटी की ओर रवाना किए गए थे।

बांदीपोरा से गुरेज जाने वाला यह रोड फिलहाल सिर्फ जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए ही खुला हुआ है। आम लोगों का आना-जाना बंद है। कोरोनावायरस संक्रमण के फैलाव से गुरेज घाटी को बचाने के लिए ही यह फैसला किया गया है। बांदीपोरा डेप्यूटी कमिश्नर शहबाज अहमद मिर्जा बताते हैं कि जिन ट्रकों में सामान जा रहा है, उन्हें भी अच्छी तरह से सेनिटाइज किया जा रहा है। ट्रकों को चलाने के लिए उन्हीं ड्राइवरों को चुना गया है, जिन्हें चेकअप के बाद डॉक्टरों की टीम ने स्वस्थ पाया था।

मिर्जा बताते हैं, “कोशिश यही है कि कश्मीर का जो हिस्सा अब तक कोरोना संक्रमण से बचा हुआ है, उसे आगे भी महफूज रखा जाए। इसलिए पूरी सावधानी के साथ गाड़ियों को घाटी में भेजा जा रहा है।”

जम्मू-कश्मीर में अब तक कोरोना के 500 से ज्यादा मामले आ चुके हैं। 7 लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में गुरेज जाने वाले हर वाहन को इसी तरह सैनिटाइज किया जा रहा है।

बांदीपोरा-गुरेज रोड खुलने से पहले ही लोग पैदल चलकर गुरेज घाटी पहुंचने लगे थे। कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुएअप्रैल के पहले हफ्ते में अहमदमिर्जा ने गुरेज में जाने वाले बाहरी लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंनेकहा था कि बाहरी लोगों का इस तरह गुरेज में पहुंचना, भौगोलिक रूप से अलग-थलग इस घाटी में कोराना की एंट्री का कारण बन सकता है। मिर्जाने तत्काल प्रभाव से गुरेज में लोगों के जाने पर बैन लगा दिया था और इसका सख्ती से पालन कराने की जिम्मेदारी त्रगबाल की बीएसएफ यूनिट को दी थी।



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बर्फबारी के दिनों में बांदीपोरा से गुरेज को जोड़ने वाले रोड के एक हिस्से पर बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है। इसीलिए 6 महीने तक गुरेज घाटी का कश्मीर से संपर्क नहीं रहता।




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मशीनों में कैश डालने वाली इस कंपनी में 4500 कैश कस्टोडियन के बीच देशभर में सिर्फ 3 महिलाएं, कारगिल और जम्मू जैसे इलाकों में ड्यूटी करती हैं

कोरोनावायरस से जारी युद्ध में जिस शिद्दत से डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी जुटे हैं, उसी जुनून से बैंककर्मी भी। सोचिए यदि एटीएम जाएं और वहां पैसा न मिले तब? यहां बात उन तीन महिलाओं की हो रही है जो एटीएम में पैसा डालने वाली कंपनी एजीएस में काम करती हैं। देशभर में इस कंपनी के 12000 कर्मचारी हैं। इनमें से करीब साढ़े चार हजार कैश कस्टोडियन हैं। इन साढ़े हजार कैश कस्टोडियन में सिर्फ 3 महिलाएं हैं। कंपनी ने इन्हें सालभर के अंदर ही अपॉइंट किया है। फिलहाल इनकी ड्यूटी बर्फ के रेगिस्तान कहलाने वाले लद्दाख सेक्टर के कारगिल और जम्मू में हैं।जहां देश में सबसे ऊंचाई पर स्थित एटीएम के लिए यह काम करती हैं।

गर्भवती हैं, सर ने कहा-छुट्‌टी ले लो तो मना कर दिया

जम्मू शहर में रहने वाली बिल्किस बानों गर्भवती हैं। 6 माह पहले की कैश कस्टोडियन की नौकरी मिली। कोरोनावायरस आया तो कंपनी की तरफ से कहा गया कि, आप गर्भवती हैं, इसलिए चाहो तो छुट्‌टी ले लो। लेकिन बिल्किस ने छुट्‌टी लेने से इंकार कर दिया और प्रेग्नेंसी के आठवें महीनें में भी फील्ड पर जाकर अपना फर्ज निभा रही हैं।

बोलीं, मैं रोजाना सुबह साढ़े नौ बजे एक गनमैन, ड्राइवर और सहयोगी के साथ निकलती हूं। जो भी हमारा रूट होता है, हम उन मशीनों में कैश डालते हैं।
कोरोनावायरस आने पर मुझे कंपनी की ओर से फील्ड में जाने का मना किया गया था, लेकिन मैं नहीं मानी। मुझे लगता है कि ऐसे समय में हम जो भी सेवाएं दे सकते हैं हमे देना चाहिए। मैं पूरी सेफ्टी के साथ अपनी ड्यूटी निभा रही हूं। मुझे ये दिन हमेशा याद रहेंगे कि जब दुनिया में कोई महामारी आई थी तो हमने भी लोगों की मदद की थी।

पति की दुकान बंद, घर भी संभालती हैं और ड्य्टी का फर्ज भी

सईदा पिछले 6 माह से कैश कस्टोडियन के पद पर कंपनी में सेवाएं दे रही हैं।

33 साल की सईदा बेगम की 12 साल की बेटी है। पति की दुकान है लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका काम धंधा बंद है। कहती हैं, मुझे कई लोगों ने बोला कि, अभी कोरोनावायरस चल रहा है, छुट्टी ले लो लेकिन मेरे लिए अपना फर्ज पहले है।
चेहरे पर मास्क, हाथों में ग्लव्ज और हैंड सैनिटाइजर लेकर हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अभी तक हमने अपने इलाके के किसी भी एटीएम में कैश की कमी नहीं आने दी। हालांकि लॉकडाउन के कारण अब कैश निकल भी कम रहा है, लेकिन रोजाना फील्ड पर जाते ही हैं और जहां पैसा डालना होता है, वहां डालते हैं।
सईदा के पास इस काम का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन ट्रेनिंग ली और काम शुरू कर दिया। बोलती हैं, अब कोरोनावायरस के बीच अपनी जिम्मेदारी निभा कर गर्व की अनुभूति भी होती है। मशीनों में कैश डालने जाते हैं तो कई बार लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं, कि देखो लड़कियां भी अब यह जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह सुनकर अच्छा लगता है।

कारगिल में दो-तीन मामले आए, लेकिन सावधानी रखकर काम में जुटीं

कारगिल में स्थित एटीएम में कैश पहुंचाने का काम करती हैं जाकिया बानो।

देश के सबसे ऊंचे इलाकों में से एक लद्दाख के कारगिल के एटीएम तक पैसे पहुंचाने का काम जाकिया बानो कर रही हैं। जाकिया 27 साल की हैं और इनके परिवार में चार बहनें और एक भाई है। बोलीं, कारगिल में एक एटीएम में कैश पहुंचाने की जिम्मेदारी मेरी है। कोरोना से डर लगता है? ये पूछने पर बोलीं, हमारे यहां दो-तीन केस आए हैं, लेकिन हम मास्क और ग्लव्ज पहनकर अपना काम कर रहे हैं।

देशभर में 60 हजार से ज्यादा एटीएम को मैनेज करने वाली एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजी लिमिटेड के एचआर (ग्रुप हेड) पाथ समाई कहते हैं कि, फील्ड में काम कर रहे हमारे कर्मचारियों के लिए भी उनकी फैमिली फिक्रमंद रहती है। जितना रिस्क डॉक्टर, नर्स उठा रहे हैं, उतना ही रिस्क एटीएम तक पैसा पहुंचाने वाली टीम भी उठा रही है। खतरे के बावजूद हर कोई अपना सौ प्रतिशत दे रहाहै, इसी का नतीजा है कि एटीएम में कैश की किल्लत नहीं हो रही।



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Coronavirus In Jammu Kashmir/Kargil Lockdown Update; Meet Woman Who Deliver Money to ATM




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मानसरोवर में 90 और अमरनाथ में 45 किमी की चढ़ाई, 12 साल में एक बार होने वाली नंदा देवी यात्रा में 280 किमी का सफर 3 हफ्ते में

नेशनल लॉकडाउन के कारण अमरनाथ यात्रा से लेकर कैलाश मानसरोवर तक की यात्राओं पर संशय के बादल हैं। केदारनाथ के कपाट खुल चुके हैं लेकिन अभी वहां जाने पर रोक है। अमरनाथ, केदारनाथ और मानसरोवर तीनों ही दुर्गम यात्राएं मानी जाती हैं। यहां पहुंचना आसान नहीं है। पर्वतों के खतरों से भरे रास्तों से गुजरना होता है। लेकिन, ये तीन ही अकेले ऐसे तीर्थ नहीं हैं। दर्जन भर से ज्यादा ऐसे कठिन रास्तों वाले तीर्थ हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बूते का नहीं है। कुछ स्थान तो ऐसे हैं, जहां पहुंचने में एक दिन से लेकर एक हफ्ते तक का समय लग सकता है।

ऊंचे पर्वत क्षेत्रों के मंदिर आम भक्तों के लिए कब खोले जाएंगे, ये स्पष्ट नहीं है। हाल ही में केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनौत्री धाम के कपाट खुल गए हैं, बद्रीनाथ के कपाट भी खुलने वाले हैं, लेकिन यहां आम भक्त अभी दर्शन नहीं कर पाएंगे। भारत के 14 ऐसे दुर्गम तीर्थों जहां हर साल लाखों भक्त पहुंचते हैं, लेकिन इस साल ये यात्राएं अभी तक बंद हैं...

अमरनाथ यात्रा

सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक है अमरनाथ की यात्रा। से कश्मीर के बलटाल और पहलगाम से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है। ये तीर्थ अनंतनाग जिले में स्थित है। अमरनाथ की गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। यहां पहुंचने का रास्ता चुनौतियों से भरा है। प्रतिकूल मौसम, लैंडस्लाइड, ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं के बावजूद लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं। शिवजी के इस तीर्थ का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां स्थित शिवलिंग पर लगातार बर्फ की बूंदें टपकती रहती हैं, जिससे 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग निर्मित होता है। गुफा में शिवलिंग के साथ ही श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी निर्मित होते हैं।

हेमकुंड साहिब

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां बर्फ की बनी झील है जो सात विशाल पर्वतों से घिरी हुई है, जिन्हें हेमकुंड पर्वत भी कहते हैं। मान्यता है कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह ने करीब 20 सालों तक तपस्या की थी। जहां गुरुजी ने तप किया था, वहीं गुरुद्वारा बना हुआ है। यहां स्थित सरोवर को हेम सरोवर कहते हैं। जून से अक्टूबर तक हेमकुंड साहिब का मौसम ट्रैकिंग के लिए अनुकूल रहता है। इस दौरान अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान -4 डिग्री तक हो जाता है। यहां पहुंचने के लिए ग्लेशियर और बर्फ से ढंके रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।

कैलाश मानसरोवर

शिवजी का वास कैलाश पर्वत माना गया है और ये पर्वत चीन के कब्जे वाले तिब्बत में स्थित है। ये यात्रा सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक है। यहां एक सरोवर है, जिसे मानसरोवर कहते हैं। मान्यता है कि यहीं माता पार्वती स्नान करती हैं। प्रचलित कथाओं के अनुसार ये सरोवर ब्रह्माजी के मन से उत्पन्न हुआ था। इसके पास ही कैलाश पर्वत स्थित है। इस जगह को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म में भी बहुत पवित्र माना जाता है। मानसरोवर का नीला पानी पर्यटकों के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र है। यह यात्रा पारंपरिक रूप से लिपुलेख उत्तराखंड रूट और सिक्किम नाथुला के नए रूट से होती है।

वैष्णोदेवी

जम्मू के रियासी जिले में वैष्णोदेवी का मंदिर स्थित है। ये मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। यहां भैरव घाटी में भैरव मंदिर स्थित है। मान्यता के अनुसार यहां स्थित पुरानी गुफा में भैरव का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया और शरीर इस गुफा में रह गया था। प्राचीन गुफा में गंगा जल प्रवाहित होता रहता है। वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई पड़ाव पार करने होते हैं। इन पड़ावों में से एक है आदि कुंवारी या आद्यकुंवारी।

केदारनाथ

बुधवार, 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है। ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मान्यता है कि प्राचीन समय में बदरीवन में विष्णुजी के अवतार नर-नारायण इस क्षेत्र में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करते थे। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए थे। केदारनाथ मंदिर का निर्माण पाण्डव वंश के राजा जनमेजय द्वारा करवाया गया था और आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जिर्णोद्धार करवाया था। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 16 किमी की ट्रेकिंग शुरू होती है। मंदाकिनी नदी के किनारे बेहद खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। एक यात्रा गुप्तकाशी से भी होती है। नए रूट में सीतापुर या सोनप्रयाग से यात्रा शुरू होती है। गुप्तकाशी रूट पर ट्रैकिंग ज्यादा करना होती है।

श्रीखंड महादेव

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में श्रीखंड महादेव शिवलिंग स्थित है। यहां शिवलिंग की ऊंचाई करीब 75 फीट है। इस यात्रा के लिए जाओं क्षेत्र में पहुंचना होता है। यहां से करीब 32 किमी की ट्रेकिंग है। मार्ग में जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर स्थित हैं। मान्यता है शिवजी से भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। तब भगवान विष्णु ने भस्मासुर को इसी स्थान पर नृत्य करने के लिए राजी किया था। नृत्य करते-करते भस्मासुर ने खुद का हाथ अपने सिर पर ही रख लिया था, जिससे वह भस्म हो गया।

नंदादेवी यात्रा

उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में हर 12 साल में एक बार नंदादेवी की यात्रा होती है। नंदा देवी पर्वत तक जानेवाली यह यात्रा छोटे गांव और मंदिरों से होकर गुजरती है। इसकी शुरूआत कर्णप्रयाग के नौटी गांव से होती है। 2014 में ये यात्रा आयोजित हुई थी। मान्यता है कि हर 12 साल में नंदा मां यानी देवी पार्वती अपने मायके पहुंचती हैं और कुछ दिन वहां रूकने के बाद भक्तों के द्वारा नंदा को घुंघटी पर्वत तक छोड़ा जाता है। घुंघटी पर्वत को शिव का निवास स्थान और नंदा का सुसराल माना जाता है।

मणिमहेश

हिमाचल के चंबा जिले में स्थित है मणिमहेश। यहां शिवजी मणि के रूप में दर्शन देते है। मंदिर भरमौर क्षेत्र में है। भरमौर मरु वंश के राजा मरुवर्मा की राजधानी थी। मणिमहेश जाने के लिए भी बुद्धिल घाटी से होकर जाना पड़ता है। यहां स्थित झील के दर्शन के लिए भक्त पहुंचते हैं।

शिखरजी

झारखंड के गिरीडीह जिले में जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ शिखरजी स्थित है। ये मंदिर झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था।

यमनोत्री

यमुनादेवी का ये मंदिर उत्तराखंड के चारधामों में से एक है। यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। ये यमुना नदी का उद्गम स्थल है और ऊंची पर्वतों पर स्थित है। हनुमान चट्टी से 6 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है और जानकी चट्टी करीब 4 किमी ट्रेकिंग करनी होती है।

फुगताल या फुक्ताल

लद्दाख के जांस्कर क्षेत्र में स्थित है फुगताल यानी फुक्ताल। यहां 3850 मीटर ऊंचाई पर बौद्ध मठ स्थित है। ये मंदिर 12वीं शताब्दी का माना जाता है।

तुंगनाथ

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के संबंध में मान्यता है कि ये हजार साल पुराना है। यहां मंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी बहती है। इस क्षेत्र में चोपटा चंद्रशिला ट्रेक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

गौमुख

उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री स्थित है। यहां से करीब 18 किमी दूर गौमुख है। यहीं से गंगा का उद्गम माना जाता है। इस क्षेत्र में गंगा को भागीरथी कहते हैं। ये क्षेत्र उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।

रुद्रनाथ

रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित है। यहां शिवजी का मंदिर है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,600 मीटर है। मान्यता है कि रुद्रनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। सभी पांडव यहां शिवजी की खोज में पहुंचे थे। महाभारत युद्ध में मारे गए यौद्धाओं के पाप के प्रायश्चित के लिए पांडव यहां आए थे।



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Pilgrimage in India | 14 Famous Pilgrimage in India Full List Updates; Amarnath Yatra to Kailash Mansarovar




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शराब नहीं बिकने से राज्यों को हर दिन 700 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो रहा था; जब बिकती है तो हर साल 24% तक की कमाई कर लेती हैं सरकारें

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए देश में लगे लॉकडाउन में अब थोड़ी ढील मिलने लगी है। जान के साथ-साथ अब जहान की भी फिक्र होने लगी है।


इस बार जब लॉकडाउन में क्या छूट मिलेगी गृह मंत्रालय ने लिस्ट जारी की तो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा शराब की दुकानें खुलने को लेकर थीं।

किस जोन में ये दुकानें खुलेंगी और कहां नहीं इसे लेकर जमकर पूछ परख होने लगी और सोशल मीडिया पर मीमभी चल पड़े।

सोमवार से शराब की दुकानें खुलने भी लगीं। इन्हीं पर सबसे ज्यादा भीड़ भी देखी गई। और तो और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी यहीं उड़ीं। इतनी किकई जगह पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

लेकिन, सवाल यह है कि जब 40 दिन से देश में टोटल लॉकडाउन था और 17 मई तक भी लॉकडाउन ही रहेगा, तो फिर शराब की दुकानें खोलने की क्या जल्दबाजी थी? जवाब है- राज्यों की अर्थव्यवस्था। दरअसल, शराब की बिक्री से राज्यों को सालाना 24% तक की कमाई होती है।

कुछ दिन पहले पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से शराब की दुकानें खोलने की इजाजत मांगी थी। लेकिन, सरकार ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया। अमरिंदर सिंह ने एक इंटरव्यू में बोला भी कि उनकी सरकार को 6 हजार 200 करोड़ रुपए की कमाई एक्साइज ड्यूटी से होती है। उन्होंने कहा, 'मैं ये घाटा कहां से पूरा करूंगा? क्या दिल्ली वाले मुझे ये पैसा देंगे? वो तो 1 रुपया भी नहीं देने वाले।'

ये तस्वीर पूर्वी दिल्ली के चंदेर नगर में बनी एक वाइन शॉप के बाहर की है। लोग यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, इसके लिए मार्किंग तो थी, लेकिन फिर भी लोग एक-दूसरे से चिपक कर खड़े हुए थे।

आखिर कैसे शराब से राज्य सरकारों की कमाई होती है?
राज्य सरकारों की कमाई के मुख्य सोर्स हैं- स्टेट जीएसटी, लैंड रेवेन्यू, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट-सेल्स टैक्स, शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और बाकी टैक्स।

सरकार को होने वाली कुल कमाई में एक्साइज ड्यूटी का एक बड़ा हिस्सा होता है। एक्साइज ड्यूटी सबसे ज्यादा शराब पर ही लगती है। इसका सिर्फ कुछ हिस्सा ही दूसरी चीजों पर लगता है।

क्योंकि, शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इसलिए, राज्य सरकारें इन पर टैक्स लगाकर रेवेन्यू बढ़ाती हैं।

पीआरएस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा कमाई स्टेट जीएसटी से होती है। इससे औसतन 43% का रेवेन्यू आता है। उसके बाद सेल्स-वैट टैक्स से औसतन 23% और स्टेट एक्साइज ड्यूटी से 13% की कमाई होती है। इनके अलावा, गाड़ियों और इलेक्ट्रिसिटी पर लगने वाले टैक्स से भी सरकारें कमाती हैं।

ये तस्वीर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है।40 दिन के लॉकडाउन के बाद जब सोमवार को शराब की दुकानें खुलीं, तो लोग इकट्ठे चार-पांच बोतलें खरीदकर ले गए।

पिछले साल ही शराब बेचने से राज्य सरकारों को 2.5 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था।

लेकिन, लॉकडाउन की वजह से देशभर में शराब बंदी भी लग गई थी। अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, शराब की बिक्री बंद होने से सभी राज्यों को रोजाना 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

यूपी-ओड़िशा की 24% कमाई शराब बिक्री से
शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से राज्य सरकारों को 1 से लेकर 24% तक की कमाई होती है। इससे सबसे कम सिर्फ 1% कमाई मिजोरम और नागालैंड को होती है। जबकि, सबसे ज्यादा 24% कमाई उत्तर प्रदेश और ओड़िशा को होती है।

कमाई प्रतिशत में। सोर्स- पीआरएस इंडिया

बिहार और गुजरात दो ऐसे राज्य हैं, जहां पूरी तरह से शराबबंदी है। 1960 में जब महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात नया राज्य बना, तभी से वहां शराबबंदी लागू है। जबकि, बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी है। इसलिए, इन दोनों राज्यों को एक्साइज ड्यूटी से कोई कमाई नहीं होती।

पहले दिन 5 राज्यों में ही बिक गई 554 करोड़ रुपए की शराब

इसको ऐसे भी देख सकते हैं कि देश के 5 राज्यों में एक ही दिन में 554 करोड़ रुपए की शराब बिक गई। सोमवार को उत्तर प्रदेश में 225 करोड़, महाराष्ट्र में 200 करोड़, राजस्थान में 59 करोड़, कर्नाटक में 45 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 25 करोड़ रुपए की शराब बिकी।

देश में हर व्यक्ति सालाना 5.7 लीटर शराब पीता है
भारत में शराब पीने वाले भी हर साल बढ़ते जा रहे हैं। 2018 में डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इसके मुताबिक, देश में 2005 में हर व्यक्ति (15 साल से ऊपर) 2.4 लीटर शराब पीता था, लेकिन 2016 में ये खपत 5.7 लीटर हो गई। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि देश का हर व्यक्ति शराब पीता है।

इसके साथ ही पुरुष और महिलाओं में भी हर साल शराब पीने की मात्रा भी 2010 की तुलना में 2016 में बढ़ गई। 2010 में पुरुष सालाना 7.1 लीटर शराब पीते थे, जिसकी मात्रा 2016 में बढ़कर 9.4 लीटर हो गई। जबकि, 2010 में महिलाएं 1.3 लीटर शराब पीती थीं। 2016 में यही मात्रा बढ़कर 1.7 लीटर हो गई।

साल देश पुरुष महिला
2010 4.3 7.1 1.3
2016 5.7 9.4 1.7

(आंकड़े लीटर में)

ये तस्वीर भी दिल्ली के चंदेर नगर में बनी वाइन शॉप के बाहर की है। यहां शराब खरीदने के लिए सुबह से ही लोग दुकान के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो गए थे। यहां सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ीं।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में भारत में शराब पीने की वजह से 2.64 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। इनमें 1 लाख 40 हजार 632 जानें सिर्फ लिवर सिरोसिस से गई थी। जबकि, 92 हजार से ज्यादा लोग सड़क हादसों में मारे गए थे।

शराब पीने की वजह से हुई मौतें

लिवर सिरोसिस 1,40,632
सड़क हादसों में 92,878
कैंसर 30,958
कुल 2,64,468


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India Liquor Lockdown News | State Liquor Tax Revenue and Economy Update: Rajasthan Haryana Maharashtra Chhattisgarh Madhya Pradesh




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सुबह 4 बजे नजारा देखा तो सन्न रह गए, कोई डिवाइडर पर पड़ा था, कोई नाले में गिरा, सब इधर-उधर भाग रहे थे

विशाखापट्‌टनम के आरआरवेंकटपुरम गांव में एलजी पॉलिमर इंडस्ट्री से तड़के 3 बजे के करीब गैस लीक हुई। लोकल रिपोर्टर से जानकारी मिलने के बाद जब सुबह 4 बजे के करीब हम लोग वहां पहुंचे तो नजारा देखकर सन्न रह गए।

जहरीली गैस के संपर्क में आने से कई लोग सड़क पर बेहोश होकर गिर गए।

चारों तरफ अफरा-तफरी मची थी। लोग इधर-उधर भाग रहे थे। पुलिसकर्मी लोगों की मदद कर रहे थे। वे लोगों को बचाने के लिए गाड़ियों में बैठा रहे थे। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई अपनी जान बचाने में लगा था। बहुत सारे लोग चक्कर खाकर गिर रहे थे। कोई नाले में गिरा तो कोई सड़क पर ही गिर पड़ा। कोई डिवाइडर पर पड़ा था। जो भी गैस के संपर्क में आया, उसे कुछ ही मिनटों में बेहोशी आ गई।

बचावकर्मी के साथ बाइक पर मरीज को ले जाता हुआ शख्स।

लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। घबराहट हो रही थी। शरीर पर चकत्ते आने लगे थे। आंखों से पानी आने लगा था। पलकें झपकने और खोलने तक में दिक्कत होने लगी थी।

सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि जानवर भी गैस के संपर्क में आने से मर गए। कई गाय अब भी सड़क पर मरी पड़ी हैं।

जो लोग ठीक थे, वे बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। शुरुआतमें किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कोई अपने बच्चे को बचाने की कोशिश कर रहा था तो कोई बुजुर्ग मां-बाप को दूर ले जाते हुए दिख रहा था। कुछ लोग अपनी बाइक से ही पीड़ितों को हॉस्पिटल ले जाते हुए दिखे।

बड़ी संख्या में एम्बुलेंस से लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

कुछ ही देर में पुलिस के साथ ही एम्बुलेंस भी आ गईं थीं। लोगों को एम्बुलेंस और पुलिस वाहनों के जरिए सीधे केजीएच हॉस्पिटल ले जाया गया। अब इस पूरे क्षेत्र को खाली करवा दिया गया है। यहां से मीडियाको भी बाहर कर दिया गया है। अंदर सिर्फ पुलिसकर्मी और बचावकर्मी हैं। पुलिस ने यहां बहुत अच्छा काम किया है। यदि पुलिस लोगों को समय पर हॉस्पिटल ले जाना शुरू नहीं करती तो कई लोगों की जान जा सकती थी।

पहले शहर के बाहर थी यह जगह
वेंकटपुरम गांव के गोपालनट्‌टनम इलाके में एलजी पॉलिमर्स का प्लांट 1997 से है। पहले यहां निर्माणकार्य नहीं हुए थे। बसाहट भी नहीं थी और यह एरिया शहर से बाहर गिना जाता था।2000 के बाद से बसाहट बढ़ना शुरू हो गई। इमारतें बनने लगीं। कई लोग रहने लगे। गैस लीक क्यों हुई, इसका अभी तक कारण पता चल नहीं पाया है। लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री तो बीते कई दिनों से बंद थी।

हादसे की खबर लगते ही आसपास से कई लोग मदद के लिए पहुंचे, लेकिन वो ही प्रभावित एरिया में पहुंचते ही बेहोश होकर गिर गए।आसपास के घरों में भी लोग बेहोश मिले। कुछ लोगों के शरीर पर लाल निशान पड़ गए।



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Visakhapatnam Gas Leak News | Visakhapatnam Plant Gas Leak Live Ground Report Latest News Updates On Andhra Pradesh Vizag Gas Leak




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जब से पेट्रोल की कीमत रोज तय होने लगी तब से पहली बार 45 दिन से एक ही भाव

देश में जून 2017 से डायनेमिक फ्यूल प्राइस मेथड शुरू हुई थी। इसमें तेल कंपनियों को यह अनुमति दी गई थी कि वह पेट्रोल, डीजल की कीमत हर दिन तय कर सकते हैं। यह व्यवस्था लागू होने के लगभग 3 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि लगातार 45 दिनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के कारण ऐसा हुआ। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत काफी कम है, लेकिन इसका आयात बंद है। दूसरा बिक्री भी लगभग ठप पड़ी है। ऐसे में कम दाम का कोई फायदा न तो लोगों को मिल पा रहा है, न डीलरों को और न पंप वालों को।

  • पेट्रोल78.36
  • डीजल69.20

90 रुपए से ऊपर जा चुका भाव : जब से यह डायनेमिक प्राइसिंग सिस्टम चालू हुआ है, तबसे पेट्रोल के भाव बहुत ज्यादा तो कभी केम भी हो चुके हैं। इन तीन साल में अक्टूबर 2018 में पेट्रोल की कीमत है 90.58 रुपए तक जा चुकी है। सबसे कम भाव 72.50 रुपए रहा है। जब कीमतें 90 रुपए को पार हुई थी तब टैक्स में कमी करके 5 रुपए की कमी एक दिन में कम की गई थी।

चुनाव में उतार-चढ़ाव कम हुए
पेट्रोल, डीजल की कीमतों में इसके पहले उतार-चढ़ाव या तो लोकसभा चुनाव या फिर विधानसभा चुनाव के दौरान काफी कम हुए थे। विधानसभा चुनाव के दौरान अक्टूबर 2018 में 15 से 21 तारीख तक पेट्रोल की कीमत 82.25 रुपए रही।

आगे क्या होगा
पेट्रोल पंप संचालक मुर्तुजा पिटोलवाला का कहना है पेट्रोल की बिक्री अभी ना के बराबर है। पेट्रोल और डीजल दोनों की जितनी बिक्री हर दिन होती थी, उससे 10% बची है। जो स्टॉक है वही चल रहा है। ऐसे में हमें फायदा नहीं है। बिक्री कम होने का नुकसान ही है। लॉकडाउन खुलता है और बाहर से तेल आयात भी होता है तो इस बात की उम्मीद कम है कि फायदा लोगों को या हमें मिलेगा। कीमतें लगभग इतनी ही रह सकती है।

बैठक में बोले संचालक किसका आदेश मानें
मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में हुई जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में नूरुद्दीन पिटोलवाला ने कलेक्टर के सामने सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, पेट्रोल पंप संचालकों के सामने समस्या यह आ रही है कि वह आखिर किस का आदेश माने। तहसीलदार का अलग आदेश, एसडीएम का अलग आदेश और कलेक्टर का अलग आदेश होता है। कोई 1 बजे बंद करने का कहता है, कोई पेट्रोल पंप पूरी तरीके से बंद रखने को कहता है। कलेक्टर ने कहा एक ही आदेश जारी किया जाएगा।



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Ever since the price of petrol was fixed daily, for the first time the same price since 45 days




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दो सदस्य खोने के बाद सराफा परिवार 14 दिन घर में रहा क्वारेंटाइन, दवाइयां लीं, पॉजिटिव आए पर लक्षण नहीं मिले

कोरोना के कारण अपने दो वरिष्ठ सदस्यों को खो चुके सराफा व्यापारी परिवार ने गजब का साहस दिखाया और कुछ सदस्यों के पॉजिटिव आने के बाद भी एक तरह से कोरोना को मात दे दी। दरअसल, परिजन की मौत के बाद सभी 16 सदस्यों ने खुद को 14 दिन तक घर में बंद रखा। अपनी इम्युनिटी बढ़ाई। एकजुटता का असर ये हुआ कि नौ लोग पॉजिटिव जरूर निकले लेकिन किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं मिले।
मंगलवार को प्रशासन की टीम ने पॉजिटिव आए लोगों के साथ घर के सभी 16 सदस्यों को होम क्वारेंटाइन किया। सभी सदस्य अब 10 मई तक होम क्वारेंटाइन में रहेंगे। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने भी बगैर लक्षण वाले लोगों को घर में क्वारेंटाइन किए जाने की इजाजत दी है।
परिवार के एक सदस्य ने बताया- हम अपने परिवार के दो सबसे वरिष्ठ सदस्यों को खो चुके थे। इसके बाद किसी को भी खोना नहीं चाहते थे। घर में सबसे उम्रदराज दादी के अलावा सवा साल के बच्चे भी थे। चूंकि घर काफी बड़ा है, इसलिए क्वारेंटाइन नियम का पालन करना आसान था। दादी को अलग रखा और सिर्फ एक ही सदस्य उन्हें दवाई और खाना देने के साथ देखभाल करता था। ऐसे ही बच्चों की परवरिश का इंतजाम भी अलग किया गया। एचसीक्यूएस के साथ ही कई घरेलू इलाज भी नियमित करते रहे। 14 दिन तक क्वारेंटाइन का भी पूरी तरह पालन किया। शायद इन्हीं सब वजहों से घर में किसी की भी तबीयत नहीं बिगड़ी न ही किसी में कोरोना के लक्षण मिले।
प्रशासन की टीम भी संतुष्ट, इसलिए घर में ही रखा
मंगलवार दोपहर प्रशासन की टीम व्यापारी भाइयों के घर पहुंची और सभी सदस्यों की जांच की। पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद उन्होंने सभी को घर में ही क्वारेंटाइन करने का फैसला किया। परिजन के अनुसार सभी लोग 10 मई तक घर में ही रहेंगे।

पॉजिटिव हैं, लक्षण नहीं तो घर रहेंगे

ऐसे पॉजिटिव मरीज, जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, उन्हें अस्पताल नहीं भेजा जाएगा। ऐसे मरीजों को भर्ती करने की बजाय घरों में ही रखा जाएगा। यानी होम क्वारेंटाइन किया जाएगा। भारत सरकार ने इस आशय की गाइडलाइन भी जारी कर दी है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अब से बिना लक्षण वाले पॉजिटिव मरीजों को होम क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। दरअसल परिवार या आस-पड़ोस में किसी व्यक्ति के पॉजिटिव आने पर परिवार के अन्य सदस्यों के सैंपल लिए जाते हैं। ऐसे में ज्यादातर परिवार के सदस्य पॉजिटिव आ रहे हैं जबकि उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुई। गाइडलाइन में बदलाव करते हुए अब ऐसे पॉजिटिव मरीजों को होम क्वॉरेंटाइन करने का निर्णय लिया है। बशर्ते घर इतना बड़ा हो, जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसानी से किया जा सके।



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After losing two members, the bullion family stayed in the house for 14 days, took quarantine, medicines, came positive but did not get symptoms.




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3 क्वारेंटाइन सेंटरों में रखे गए 170 लोगों में से 134 हुए डिस्चार्ज

पेटलावद में बनाए गए तीन क्वारेंटाइन सेंटरों में कुल 170 लोगों को रखा गया था, इसमें से अब तक 134 को अब तक डिस्चार्ज कर दिया गया है। यहां कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, कन्या शिक्षा परिसर व अंग्रेजी माध्यम स्कूल को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया था। जहां प्रशासन बाहर से आए लोगों व मजदूरों को क्वारेंटाइन कर रही है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय पर 101 लोगों को लाया गया था। इनमें से 51 को डिस्चार्ज कर दिया, 50 लोग अब भी यहां रखे गए हैं। साथ ही कन्या शिक्षा परिसर में 36 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था, जिसमें से 21 को डिस्चार्ज कर दिया है।
वर्तमान में यहां 24 लोग रखे गए हैं। इसी तरह अंग्रेजी माध्यम में 33 लोगों को रखा गया था, जिनमें से 11 को डिस्चार्ज कर दिया गया है। वर्तमान में 22 लोग यहां और हैं। बीएमओ डॉ. एमएल चोपड़ा ने बताया कुल 170 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था। तीनों सेंटरों में से अब तक 134 को घर भेज दिया है। इसके अलावा उन्हें होम क्वारेंटाइन में रहने की सलाह दी है। नोडल अधिकारी ओएस मेड़ा ने बताया केंद्र पर विशेष साफ-सफाई की जा रही है। प्रतिदिन सैनिटाइजर भी किया जा रहा है।



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134 out of 170 people kept in 3 quarantine centers




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पिछले साल अप्रैल में 400 से ज्यादा तापमान 23 दिन रहा, इस साल 9 दिन ही

लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम हुआ तो गर्मी भी कम पड़ रही है। अप्रैल में भी लू के थपेड़े अब जाकर महसूस हो रहे हैं। जबकि हर साल मार्च के आखिर में मौसम ऐसा हो जाता है। पिछले साल मार्च के आखिरी तीन दिन जितना तापमान था, वो इस साल अप्रैल के आखिरी में हुआ। ो
साल 2019 में अप्रैल महीने में 23 दिन अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। इस बार ऐसा 9 दिन हुआ। गुरुवार को महीने का आखिरी दिन है। आज भी पारा 40 डिग्री रहा तो कुल 10 दिन होंगे।
ज्यादा तापमान और लू के थपेड़ों के बीच दोपहर बाद आसमान में बादल भी छाए। लेकिन इनके कारण गर्मी कम नहीं हुई। फिलहाल लोग घरों में हैं तो गर्मी से राहत मिली हुई है। मई में अगर लॉकडाउन खुलता है तो गर्मी सहन कर पाना मुश्किल होगा। मौसम विभाग के अनुसार अब तापमान ज्यादा बना रह सकता है। मौसम विभाग से मिले पूर्वानुमान के अनुसार फिलहाल 3 मई तक तो पारा 40 डिग्री से ज्यादा ही रहेगा। अच्छे मानसून के लिए ये जरूरी भी है।

अधिकतम तापमान1 डिग्री कम
साल 2019 की 27 अप्रैल को अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था। इस बार सबसे ज्यादा तापमान 15 अप्रैल काे 42 डिग्री सेल्सियस रहा। मार्च काे देखा जाए तो 2019 के मार्च की 29, 30 और 31 तारीख को तापमान 40 डिग्री से ज्यादा था। इस बार मार्च भी ठंडा था। 13 मार्च को तापमान 28 डिग्री से ऊपर नहीं गया। इस दिन न्यूनतम तापमान 10.6 डिग्री था।



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Last year in April, more than 400 temperatures were 23 days, this year only 9 days.




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पॉजिटिव आने की रफ्तार गिरी, स्वस्थ होने वालों की तादाद बढ़ी; तीन अस्पतालों से घर लौटे 44 मरीज, अब तक 221 स्वस्थ

कोरोना से गंभीर पीड़ित मकमुद्दीन आखिर 25 दिन चले इलाज के बाद स्वस्थ होकर बुधवार को घर लौट गए। अधिक उम्र और फेफड़ों में इंफेक्शन जैसी कई परेशानियों से जूझ रहे मकमुद्दीन का इलाज करना एमआर टीबी अस्पताल के डॉक्टर्स के लिए भी चुनौतीपूर्ण था। चेस्ट फिजिशियन डॉ. सलिल भार्गव ने बताया कि 4 अप्रैल को मकमुद्दीन को जब आईसीयू में लाए, तब हालत काफी गंभीर थी और सांस लेने में परेशानी आ रही थी। तेज बुखार के साथ खांसी भी बहुत ज्यादा चल रही थी। उस समय उनका ऑक्सीजन लेवल 76% रह गया था। उन्हें तुरंत ऑक्सीजन के साथ नॉन इनवेंसिव वेंटिलेटर पर रखा। साथ ही एंटीबायोटिक, हाइड्राॅक्सी क्लोरोक्विन टैबलेट, एजीथ्रोमायसिन, स्ट्रोइड, विटामिन सी के साथ सपोर्टिव ट्रीटमेंट दिया।

जब इनके ब्लड से स्पेशल जांच एबीजी कराई तो उसमें वे मॉडरेट एआरडीएस की कैटेगरी में मिले। इनका एक्स-रे भी बहुत खराब आया। दोनों फेफड़ों में निमोनिया और ग्राउंड ग्लास ऑपेसिटी थी। इस तरह के मरीजों को सारी (सीवियर एक्यूटरे स्पिरेट्री इंफेक्शन) में रखा जाता है। करीब 10 से 12 दिनों तक नॉन-इनवेंसिव वेंटीलेटर पर रखने के बाद उन्हें बाहर निकालने में सफल रहे। उसके बाद 10 दिन तक ऑक्सीजन पर रखा। ऑक्सीजन हटाने के बाद भी स्थिति ठीक रही। उनका ऑक्सीजन स्तर 94% है और एक्स-रे भी सामान्य हो गया है। इसके बाद हमने 24 घंटे के अंतराल में दो टेस्ट करवाए, जो निगेटिव निकले। अब वे स्वस्थ हैं। - डॉ. सलिल भार्गव, सीनियर चेस्ट फिजिशियन


ये थे टीम में शामिल
एमआरटीबी हॉस्पिटल की इलाज करने वाली टीम में डॉ. संजय अवर्सिया, डॉ. दीपक बंसल, डॉ. मिलिंद बल्दी, डॉ. सुनील मुकाती, डॉ. दिलीप चावड़ा, डॉ. विजय अग्रवाल, डॉ. शैलेंद्र जैन, डॉ. तपन, डॉ. सुदर्शन शामिल थे।आप इंदौर में अटके हैं या अन्य जिलों में तो indore.nic.in पर अपलोड करें जानकारी।

2 मई से सैनिटाइज की सब्जी घर-घर मिलेगी, एक पैक में 8 सब्जियां, रेट 150 रुपए

नगर निगम की घर-घर सब्जी पहुंचाने की योजना 2 मई से शुरू होगी। लोगों को इसका ऑर्डर किराना वालों को देना होगा, उसी दिन से डिलीवरी मिलेगी। 4 किलो के पैक में 8 तरह की सब्जियां होंगी, जिसका रेट 150 रुपए रहेगा। खंडवा रोड पर 7 स्थानों पर इनकी पैकिंग के बाद अल्ट्रावॉयलेट किरणाें से सैनिटाइजेशन होगा। कलेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त आशीष सिंह ने सभी 85 वार्ड के प्रभारियों के साथ बैठक कर योजना को फाइनल किया। ये पैकेट 10 रुपए डिलीवरी चार्ज जोड़कर 150 रुपए में लोगों को मिलेगा। एक व्यक्ति का एक ही ऑर्डर लेंगे।। यह होगा पैक में- मिर्ची-200 ग्राम, अदरक-100 ग्राम, धनिया-200 ग्राम, नींबू-2, लौकी/गिलकी-1 किलो, भिंडी-500 ग्राम, टमाटर-1 किलो, सीजनल सब्जी 1 किलो (बैंगन, पालक, ककड़ी, गाजर, गोभी)



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फाइल फोटो




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मंत्रालय में कामकाज और एम्स में कोरोना मरीजों पर नई दवा का ट्रायल शुरू, 4 मई से लॉकडाउन में बड़ी राहत मिल सकती है

लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने मेंमहज 4 दिन बचे हैं। इससे पहले गुरुवार से कामकाज शुरू हो गया। उधर, भोपाल एम्स मेंरोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा का कोरोना संक्रमितोंपर ट्रायल शुरू हो गया है। तीन मरीजों को दवा का पहला डोज दिया गया है। प्रदेश में अलग-अलग जिलों से जारी रिपोर्ट के मुताबिक,संक्रमितोंकी संख्या 2625 हो गईहै। 514 मरीज ठीक हो चुके हैं। 137लोगों की जान गई।इंदौर में 1486, भोपाल में 508लोग कोरोना पॉजिटिव हैं।

उधर,केंद्र सरकार ने बुधवार को लॉकडाउन में लगीपाबंदियों में बड़ी ढील का ऐलान किया। 36 दिन से देशभर में फंसे मजदूरों, छात्रों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों और अन्य लोगों को घर लौटने की छूट मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 4 मई से लॉकडाउन में बड़ी राहत देने की घोषणा की है।

राज्य सरकार ने भी तैयारी शुरू की

राज्य सरकार ने भीलॉकडाउन से बाहर आने की योजना बनानी शुरू कर दी है। इंदौर, उज्जैन में लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है, जबकि भोपाल, धार, खरगोन औरहोशंगाबाद के कंटेनमेंट क्षेत्र को छोड़कर बाकी जगह कामकाज में ढील दी जाएगी। ग्रीन जोन के 25 जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों के साथशहरी इलाकों में भी गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। यहां ऑफिस और फैक्ट्रियों में मेनपॉवर 33 से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की तैयारी है। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग्स, धार्मिक स्थल, मैरिज हॉल, सिनेमा, शॉपिंग मॉल, बस अड्‌डे, शराब दुकानें औरबड़े बाजार खोलने पर 3 मई के बाद ही फैसला होगा।

भोपाल के बरखेड़ी इलाके में पुलिस का सख्त पहरा है। ऐसे में लोग रेलवे ट्रैक से निकल कर आ रहे हैं। पुलिसकर्मी ने यहां से एक महिला को घर वापस भेजा।

मंत्रालय में केंद्र की गाइडलाइन का पालन हो रहा
लॉकडाउन के कारण बंद रहे मंत्रालय, सतपुड़ा भवनऔर विंध्याचल भवन में 38 दिन बाद गुरुवार से कामकाज शुरू हो गया। हालांकि कार्यालयों में रोस्टर के हिसाब से सिर्फ 30% अधिकारी औरकर्मचारियों को बुलाया गया है। बाकी कर्मचारी घर से ही काम करेंगे। 23 मार्च से प्रदेश में सभी सरकारी कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं। सिर्फ जरूरी सेवाओं से जुड़े अधिकारी औरकर्मचारी ही दफ्तर पहुंच रहे हैं। सभी कार्यालयों को केंद्र की गाइडलाइन का पालन करने, ऑफिस को नियमित रूप से सैनिटाइज करने और कर्मचारियों के लिए सैनिटाइजर औरहैंडवॉश उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्रालय में वाहन चालकों का प्रवेश भी प्रतिबंधित रहेगा।

ऑफिस में कामकाज के लिए ये है गाइडलाइन

  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन।
  • कर्मचारियों को मास्क पहनना होगा।
  • सैनिटाइजर औरहैंडवॉश की व्यवस्था।
  • ऑफिस आते-जाते समय सभी कीथर्मल स्कैनिंग होगी।
  • बाहरी लोगों का आना प्रतिबंधित रहेगा।
  • कार्यालय में गुटखा, तंबाकू लाना और खानाप्रतिबंधित रहेगा।
  • मीटिंग में अधिकारी एक-दूसरे से कम से कम 6 फीट की दूरी पर बैठेंगे।
  • लिफ्ट में क्षमता के हिसाब से दो या चार लोग ही जाएंगे।

एम्स में कोरोना मरीजों पर नई दवा का ट्रायलशुरू हुआ

एम्स भोपाल में कोरोना संक्रमितोंपर माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (एमडब्ल्यू) दवा के ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गुरुवार सुबह एम्स के आईसीयू में भर्ती तीन गंभीर मरीजोंको पहला डोज दिया गया। हर मरीज को इंजेक्शन के रूप में एमडब्ल्यू दवा के 3 डोज दिए जाएंगे। इस दवा का वैक्सीन के रूप में पहले भी ट्रायल हो चुका है। लंग कैंसर, कुष्ठ, टीबी और निमोनिया जैसी बीमारियों के इलाज में इसके परिणाम सकारात्मक रहे थे। इस दवा का इंसानों पर कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। यह दवा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और मरीजठीक हो जाता है।

गुना में लॉकडाउन में छूट मिलते ही किसान अपनी फसल बेचने के लिए मंडी आने लगे हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • अनूपपुर: गुरुवार को दो व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिले। भोपाल से लौटे एक मजदूर को क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया था, उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके साथ एक अन्य मजदूर कोरोना पॉजिटिव मिला। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
  • मध्य प्रदेशके बाहर फंसे 20 हजार श्रमिक अब तक वापस लाए जा चुके हैं। बुधवार को जैसलमेर, नागौर, जोधपुर औरजयपुर से 200 बसों से श्रमिकों को लाया गया। गुजरात से भी 500 लोग लाए गए। इनके अलावा रोज 2 से 3 हजार श्रमिक पैदल आ रहे हैं। इधर, राजस्थान के श्रमिकों को भी वापस भेजा। अब तक 30 हजार श्रमिकों को उनके गृह स्थान पहुंचायागया है। 30 अप्रैल को राजस्थान से करीब 7 हजार औरउप्र से 3 हजार श्रमिक लाए जाएंगे। गोवा से भी 1600 श्रमिकों को लाने की तैयारी है।
  • भोपाल:कोरोना संक्रमण के कारण रेड जोन में शामिल 52 वार्डों में से 13 वार्ड आगामी 3 मई के बाद ऑरेंज जोन में बदल सकते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने इन 52 वार्ड में पिछले 14 दिन के भीतर मिले पॉजिटिव मरीजों के डेटा का एनालिसिस शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन की 24 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक रेड जोन में शामिल 13 वार्ड ऐसे हैं, जहां पिछले दो सप्ताह में कोरोना का सिर्फ एक-एक नया पॉजिटिव मरीज मिला। 3 मई तक अगर इन वार्ड में कोरोना का नया मरीज नहीं मिला, तो इन सभी 13 वार्ड को रेड जोन से बाहर किया जा सकता है।
  • हमीदिया अस्पताल के ट्रामा सेंटर के तीसरे, चौथे और पांचवें मंजिलको कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व कर दिया गया है। यहां तीनों फ्लोर पर 350 बेड कोविड-19 के पेशेंट के लिए रिजर्व होंगे। यहां तीन शिफ्टों में 65 डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ की ड्यूटी होगी। इसमें पल्मोनरी, मेडिसिन और एनस्थिसिया के तीन सीनियर डॉक्टर्स के साथ तीन जूनियर डॉक्टर्स रहेंगे। 10 दिन की ड्यूटी के बाद ये पूरा स्टाफ क्वारैंटाइन हो जाएगा।अटेंडर्स की दिन में एक बार वीडियो कॉल पर उनके मरीजों से बात कराई जाएगी। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन टैब खरीदेगा। प्रबंधन ने तय किया है कि कोविड-19 वार्ड में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों के भोजन और पानी के लिए अलग प्रबंध होगा। इन्हें पैक्ड भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
  • इंदौर:नगर निगम की घर-घर सब्जी पहुंचाने की योजना 2 मई से शुरू होगी। लोगों को इसका ऑर्डर किराना वालों को देना होगा, उसी दिन से डिलीवरी मिलेगी। 4 किलो के पैकेट में 8 तरह की सब्जियां होंगी, जिसका रेट 150 रुपए रहेगा। खंडवा रोड पर 7 स्थानों पर इनकी पैकिंग के बाद अल्ट्रावॉयलेट किरणों से सैनिटाइजेशन होगा। पैकेट मेंमिर्ची-200 ग्राम, अदरक-100 ग्राम, धनिया-200 ग्राम, नींबू-2, लौकी/गिलकी-1 किलो, भिंडी-500 ग्राम, टमाटर-1 किलो, सीजनल सब्जी 1 किलो (बैंगन, पालक, ककड़ी, गाजर, गोभी) होगी।

यह तस्वीर भोपाल के जहांगीराबाद की है। यहां 75 संक्रमित हैं। प्रशासन ने इस इलाके को सुपर हॉटस्पॉट घोषित किया है। इसके बाद भी यहां लोग सड़कों पर निकल रहे हैं।

पत्नी का चेहरा झुलसा, ड्यूटी पर तैनात कॉन्स्टेबल मिलने नहीं जा सका

इंदौर के लसूड़िया थाने में पदस्थकांस्टेबल धीरेंद्र सिंह ने बताया कि 25 अप्रैल को उनकी बेटी का जन्मदिन था। उसने मां से दाल-बाटी बनाने को कहा। खाना बनाते समय गैस भभक गई और पत्नी का चेहरा झुलस गया, लेकिन वे उन्हें देखने घर नहीं जा सके। दरअसल,धीरेंद्र कोरोना महामारी के बीचड्यूटी पर हैं। संक्रमण का खतरा होने की वजह सेउन्हें धर्मशाला में ठहराया गया है।

इंदौर के लसूड़िया थाने में पदस्थ कांस्टेबल धीरेंद्र सिंह की पत्नी खाना बनाते समय गैस भभकने से झुलस गईं।
  • स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक संक्रमितों की संख्या 2625: इंदौर 1486, भोपाल 508, उज्जैन 138, जबलपुर 85, खरगोन 70, धार 48, खंडवा 46, रायसेन 55, होशंगाबाद 35, बड़वानी 26, देवास 24, रतलाम में 14, मुरैना-विदिशा में 13-13, आगर मालवा 12, मंदसौर 9, शाजापुर 6, सागर और छिंदवाड़ा 5-5, ग्वालियर और श्योपुर 4-4, अलीराजपुर-शहडोल में 3-3, रीवा-शिवपुरी और टीकमगढ़ में 2-2, बैतूल, डिंडोरी, हरदा, बुरहानपुर, अशोकनगर एक-एक संक्रमित मिला। अन्य राज्य के 2 मरीज हैं।
  • अब तक 130 की मौत: इंदौर 68, उज्जैन 24, भोपाल 15, खरगोन और देवास में 7-7, खंडवा 4, होशंगाबाद में 3, रायसेन और मंदसौर 2-2, धार, जबलपुर, आगर मालवा, छिंदवाड़ा, अशोकनगर में एक-एक की मौत हो गई।
  • स्वस्थ्य हुए 482 मरीज: इंदौर 177, भोपाल 162, मुरैना और विदिशा 13-13, खरगोन 22, खंडवा 31, बड़वानी और होशंगाबाद 14-14, जबलपुर 7, उज्जैन 5, देवास में 7, शाजापुर, ग्वालियर, श्योपुर 4, छिंदवाड़ा और शिवपुरी 2-2, रायसेन और सागर में एक-एक मरीज स्वस्थ हुआ। (स्वास्थ्य विभाग द्वारा 30अप्रैल को जारी बुलेटिन के अनुसार)


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यह तस्वीर भोपाल में सतपुड़ा भवन की है। यहां आज से कामकाज शुरू हो गया है। अपने विभागों में जाने से पहले कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई।




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इंदौर के 72 में से 45 मृतकों को थी शुगर या अन्य बीमारी; कोरोना पॉजिटिव ने दिया बच्चे को जन्म, उसका भी होगा टेस्ट

इंदौर में कोरोना से जान गंवाने वाले 72 में से 45 मरीज ऐसे थे, जिन्हें शुगर, ब्लड प्रेशर सहित अन्य कई बीमारियां थीं। मृतकों में 40 मरीजों की उम्र 50 से 70 साल के बीच थी। इनमें बीमारी का घातक प्रसार क्यों हुआ, इसका पता लगाने के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज डेथ ऑडिट करवा रहा है। वह इनके सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजेगा। टीमों ने गुरुवार को 550 सैंपल लिए, जो हर दिन के 300 से 400 सैंपल के मुकाबले ज्यादा हैं। दूसरी ओर वाटर लिली क्वारेंटाइन सेंटर से गुरुवार रात करीब 8 बजे एक मरीज भाग निकला। सुनेश पाहुजा नामक इस मरीज को हफ्तेभर पहले ही यहां लाए थे। सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिया ने बताया कि अभी तक पाहुजा की रिपोर्ट नहीं आई है।
ज्यादा से ज्यादा टेस्ट लें : पीएस
चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने ज्यादा से ज्यादा सैंपल लेने और टेस्ट करने को कहा है। समीक्षा बैठक में शुक्ला ने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने को कहा ताकि भविष्य में हर तरह की स्थिति से निपटा जा सके।

40 मृतक 50 से 70 सालके बीच के

  • 40 मृतकों की उम्र 50 से 70 साल के बीच थी। इनमें बीमारी का घातक प्रसार क्यों हुआ, पता लगाने के लिए एमजीएम सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजेगा।
  • 60% मरीज ए-सिम्प्टोमेटिक यानी बिना लक्षण वाले थे। इन्हें छींक भी नहीं आई, संक्रमित के संपर्क में आने से वे पॉजिटिव हो गए।
  • 1485 में से 80% पर बीमारी का अधिक असर नहीं हुआ। शहर में मिले मरीजों की औसत आयु 57 वर्ष के आसपास है।
  • हाई रिस्क ग्रुप को खतरा ज्यादा रहा। इसमें 5 साल से छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, वृद्ध व बीमार शामिल हैं।
  • सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया के मुताबिक, मरीज अन्य बीमारी से पीड़ित होता है तो उसकी प्रतिरोधी प्रणाली तुलनात्मक रूप से कमजोर हो जाती है।

कोरोना पॉजिटिव इमरा ने दिया बच्चे को जन्म, उसका भी होगा टेस्ट

कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच 20 साल की इमरा के घर गुरुवार को खुशियों ने दस्तक दी। सेम्स कोविड अस्पताल में वह खुद कोरोना से लड़ रही हैं। फिलहाल मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। ग्रीन पार्क कॉलोनी निवासी 20 साल की इमरा और उनके पति दोनों कोरोना पॉजिटिव हैं। पीपीई किट से लैस डॉक्टरों और नर्सिंग टीम ने बुधवार रात इमरा की नाॅर्मल डिलीवरी करवाई। अब बच्चे का भी सैंपल भेजेंगे। बच्चे को मां के साथ ही रखा गया है।



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कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच 20 साल की इमरा के घर गुरुवार को खुशियों ने दस्तक दी। सेम्स कोविड अस्पताल में वह खुद कोरोना से लड़ रही हैं।




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बेवजह घूमते मिले 4 लोगों को अस्थाई जेल में डाला, 20 हजार रुपए के मुचलके पर दोपहर में छोड़ा

कर्फ्यू का पालन कराने के लिए पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी रही। सुबह से पुलिस का अमला जगह-जगह तैनात हो गया। पहले दिन की कार्रवाई का खौफ इतना था कि दूसरे दिन गुरुवार को कम ही लोग घरों से बाहर निकले।
एसडीओपी धीरज बब्बर, टीआई दिनेश सोलंकी, ट्रैफिक टीआई शिवम गोस्वामी, नपा से स्वच्छता परिवेक्षक धमेंद्र सोलंकी सड़कों पर कार्रवाई के लिए निकले। एमजी रोड, हाट गली, रणछोड़ राय मार्ग, बाहरपुर, बस स्टैंड आदि क्षेत्रों से पुलिस के वाहन निकले। इस दौरान बेवजह घूमने वाले 4 लोगों को पकड़ा गया। पुलिस वाहन में डालकर उन्हें बस स्टैंड लाए। यहां सभी के सैनिटाइजर से हाथ धुलकार उन्हें शरबत पिलाया और ले जाकर सर प्रताप स्कूल में बनाई गई अस्थाई जेल में डाल दिया गया। दोपहर बाद मुचलके पर उन्हें छोड़ दिया गया। दूसरे दिन की कार्रवाई की भी शहर में चर्चा रही। एसडीओपी धीरज बब्बर ने कहा कि कर्फ्यू का पालन सख्ती से कराएंगे। कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। उन्हें लोगों से आह्वान किया कि वे घरों में रहे, स्वयं और अपने परिवार को सुरक्षित रखें। पुलिस प्रशासन सभी के साथ है आप सब भी घरों में रहकर सहयोग करें।
और... दोपहर बाद फिर सड़कों पर घूमते मिले लोग
सुबह की सख्ती के बाद पुलिस के वाहन तो घूमते रहे लेकिन कुछ लोग घरों से बाहर निकलने से बाज नहीं आए। सड़कों पर वाहन घूमते दिखाई दिए। जगह-जगह चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका। हांलाकि सही कारण बताने पर उन्हें छोड़ भी दिया गया। पुलिस ने लगभग हर गलियां सील कर दी है। लेकिन कई रास्ते अब भी खुले हैं। जहां से लोग निकलकर मुख्य सड़कों पर निकलते हैं और पुलिस के वाहन देखते ही गलियों में घुस जाते हैं।



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Inexplicably found 4 people roaming in temporary prison, left in the afternoon on a bond of 20 thousand rupees




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मुंबई से पैदल निकले थे, नासिक से साइकिल खरीद कर 400 किमी दूर खलघाट पहुंचे, प्रशासन ने जांच व भाेजन कराने के बाद बस से भेजा इलाहाबाद

लॉकडाउन के दूसरे चरण में मुंबई, नासिक में फंसे अन्य राज्याें के लाेग पैदल अपने घर के लिए निकल पड़े हैं। गुरुवार काे बड़ी संख्या में पैदल और साइकिल से मजदूर क्षेत्र में पहुंचे। मनावर एसडीएम दिव्या पटेल के निर्देशनुसार बसों को अधिग्रहण कर आठ बसों से झांसी, सतना, रीवा आदि क्षेत्रों के मुंबई से आए मजदूरों को भेजने का कार्य पुलिस-प्रशासन ने किया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की। इसके पूर्व सभी काे भाेजन कराया। पटवारी कमलेश सेन, सरपंच यसोशबाई कटारे, सरपंच प्रतिनिधि अजय कटारे, पंचायत सचिव सेवकराम चौधरी अादि ने मजदूरों को बारी-बारी से बस में बैठाया। सभी से निश्चित दूरी बनाए रखने की सलाह दी।
इलाहाबाद के राजू चौहान ने बताया लॉकडाउन में मुंबई में फंस गए थे। खलघाट प्रशासन के सहयोग से भोजन हुआ और हम लोगों को व्यवस्थित बॉर्डर तक रवाना किया। नत्थन पिता मैथेलाल ने बताया उल्लास नगर काम के लिए गए थे। जहां से साइकिल से करीब 500 किमी चलकर खलघाट अाए। प्रशासन ने हम लोगों के लिए बस सुविधा देकर हमे सुरक्षित घर भेजा। अजय पिता जगन्नाथ कोसंभी ने बताया कल्हण उल्लास नगर में फंसने के बाद 200 किमी चलकर नासिक पहुंचा। नासिक से 3500 रु. में साइकिल खरीद कर 400 किमी चलकर खलघाट पहुंचा। प्रशासन ने जांच कर भाेजन कराने के बाद घर भेजा।
8 लाेगाें काे बस से उत्तर प्रदेश पहुंचाया
गांव में पाॅली हाउस का काम करने के लिए उत्तप्रदेश के गांजीपुर से 8 लाेग अाए थे। लाॅकडाउन में यहीं पर फंस गए। प्रशासन ने अादेश पर ग्राम पंचायत द्वारा हरसिद्धि मंदिर प्रांगण में भोजन कराया। गुरुवार काे बस से सभी काे इनके गांव भेजा। राजेंद्र पाटीदार, धर्मेंद्र चौहान, पटवारी अरविंद यादव का सहयाेग रहा।
घर पर ही प्रतिदिन सहज योग कर राेग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे
लाॅकडाउन में नगर के कई सहज योगी सहज योग के माध्यम से प्रसन्न चित एवं तरोताजा रख रहे हैं। घर पर ही प्रतिदिन सहज योगा से काेराेना के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे है। अनेक लाेग आयुर्वेदिक उपचार भी ले रहे हैं। सहज योगी अनिल सातालकर ने बताया काेराेना महामारी से बचने की कोई दवाई नहीं है। ऐसे में सहजयोग से अपने आप को मजबूत बनाकर इस घातक बीमारी से लड़ा जा सकता है। सहज योग से हम अपने शरीर की ऊर्जा का संचार कर सोशल डिंस्टेंसिंग का पालन कर घर में आसानी से किया जा सकता है। भारत में पुणे स्थित सहज योग आश्रम से प्रतिदिन प्रातः 5 एवं सायं 7 बजे से विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से सहज याेग कराया जा रहा है।



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Came out on foot from Mumbai, bought a bicycle from Nashik and reached 400 km from Khalghat, after sending the inquiry and sending the administration to Allahabad




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आधी आबादी मजदूर, मनरेगा में 20 हजार को मिला काम, लक्ष्य 40 हजार का ही जबकि जरूरत दो से ढाई लाख को

आज मजदूर दिवस यानी मई दिवस है। वैसे ही बुरे हाल में रहने वाले मजदूरों के इस साल के उनके दिन पर हाल और बुरे हैं। जहां काम कर रहे थे, वहां से लौटना पड़ा। घर पर काम नहीं है और जो अनाज मिल रहा है, उससे परिवार पल रहा है। दूसरे खर्च करने की हैसियत नहीं बची। कोरोना संकटकाल में गुजरात से बड़ी संख्या में मजदूर अपने गांवों में लौट आए। यहां अब काम की तलाश है और काम है नहीं। सरकार ने मनरेगा के काम चालू किए, लेकिन ये नाकाफी है। जिले की आधी आबादी किसी न किसी तरह के मजदूरी के काम में है। यानी 4 से 5 लाख लोग, लेकिन मनरेगा में फिलहाल 40 हजार लोगों को काम देने का लक्ष्य रखा है। उसमें से भी 20 हजार को अब तक काम दिया गया। जबकि 2 से ढाई लाख लोगों को काम की जरूरत है।
अनुमान है कि लगभग 1 लाख लोग गुजरात से लौट चुके हैं। ये लोग अब लौटकर नहीं जाना चाहते। कहते हैं, वहां बड़ा बुरा बर्ताव हुआ। खाने को नहीं था, मजदूरी दिए बगैर रवाना कर दिया गया। भूखे भी रहे। आखिर में घर आना पड़ा। यहां खाना तो मिला, लेकिन भविष्य की चिंता है। लौटकर वहां नहीं जाना चाहते। लेकिन करें क्या, मजबूरी है। काम भी तो वहीं मिलेगा। यहां से ज्यादा पैसा भी। लेकिन जब तक सब ठीक नहीं हो जाता, नहीं जाएंगे। महामारी का डर हमें भी है और वहां के लोगों को भी।
गुजरात से ठेकेदार ने बिना मजदूरी दिए रवाना कर दिया
धामनी कटारा गांव के किशन कटारा को गुजरात से ठेकेदार ने बिना मजदूरी दिए रवाना कर दिया। किशन ने बताया, जो पैसे पास थे वो कुछ ही दिन में खर्च हो गए। भाई ने अनाज दे दिया नहीं तो भूखे मरने की नौबत आ जाती। अभी भी भाई से पैसे उधार लेकर ग्राम पुंवाला की उचित मूल्य दुकान पर राशन लेने आया। किशन ने बताया, पत्नी के साथ गुजरात के राजकोट शहर गया था। एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में मैं मिस्त्री था और पत्नी सविता मजदूर। लॉकडाउन हुआ और काम बंद हुआ तो ठेकेदार ने 30 हजार रुपए बकाया पैसा नहीं दिया। रास्ते के खर्च के पैसे देकर घर भेज दिया।
अब गुजरात नहीं जाना, यहां जो काम मिलेगा कर लूंगा
दलसिंह पिता छितूसिंह मेड़ा निवासी ग्राम खरडू बड़ी गुजरात के जामनगर में सिलावट का काम करता था। पत्नी बच्चों के साथ वहीं पर था। जैसे ही जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ उसके बाद वहां पर लोगों से सुना कि अब बहुत दिनों के लिए बंद हो जाएगा। इसलिए पत्नी, बच्चों को उस समय रवाना कर दिया। दलसिंह 21 अप्रैल को बस में बैठकर अपने गांव पहुंचा। दलसिंह ने बताया, समय पर नहीं आते तो हालत खराब हो जाती। अब वहां नहीं जाना है, लेकिन जाना तो पड़ेगा। लेकिन कम से कम 6 महीने ताे नहीं जाएंगे। यहां जो भी काम मिलेगा कर लेंगे।

3 हजार नए काम

जिला पंचायत सीईओ संदीप शर्मा ने बताया, 3 से 4 हजार के आसपास मनरेगा काम चल रहे हैं। हर तरह के काम शामिल किए गए हैं। इनमें 3 हजार नए काम हैं। मजदूरों को मास्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन्हें आजीविका मिशन के स्व सहायता समूहों से बनवा रहे हैं। साबुन, पानी और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी की गई है। और भी काम आगे बढ़ाए जाएंगे।
राणापुर क्षेत्र में ठप काम शुरू हो रहे

पंचायतों में एक महीने से ठप पड़े काम धीरे-धीरे गति पकड़ने लगे हैं। 47 में से 44 ग्राम पंचायतों में काम शुरू हो गए हैं। अभी व्यक्तिगत काम ज्यादा चालू हुए हैं। जनपद पंचायत सीईओ जोशुआ पीटर ने बताया कि 542 कामों पर 2 हजार 905 मजदूर काम कर रहे हैं। जिनमें पीएम आवास के काम ज्यादा हैं। सामुदायिक कार्यों में सार्वजनिक कूप निर्माण हो रहे हैं।



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Half the population laborers, 20 thousand got work in MNREGA, target of 40 thousand only, whereas the requirement is two to two and a half lakh




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शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं, जिले में अब तक कुल 141 संक्रमित

रेड जोन में शामिल उज्जैन में शुक्रवार को एक भी कोरोनावायरस पॉजिटिव मरीज नहीं मिला। अब तक जिले में कुल141 कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं। अब तक इस बीमारी से 24 मरीजों ने दम तोड़ दिया है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अनुसूया गवली सिन्हा ने बताया किजिले सेभेजे गए सैंपलों में सभी18 की रिपोर्ट निगेटिव आई।शुक्रवार तक जिले से 3028 सैंपल कोरोना की जांच के लिए भेजे जा चुके हैं जिसमें से 2600 सैंपलों की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। कुल भेजे गए सैंपलों में से 335 सैंपलों को रिजेक्ट कर दिया गया था। शुक्रवार तक जिले में क्वारैंटाइन किए गए लोगों की संख्या 10712 है। कोरोना से ठीक होने पर चार मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।

मैनेजर की मौत के साढ़े 3 घंटे बाद मिला शव, रात में अंतिम संस्कार

आरडी गार्डी में भर्ती ऑयल कंपनी के मैनेजर उम्र 57 साल निवासी नयापुरा जैन कॉलोनी की गुरुवार शाम 5 बजे मौत हो गई। अस्पताल से उनकी मौत की खबर परिवार के लोगों को टेलीफोन से मिली, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के पास एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। रात 8.30 बजे शव को लाया जा सका और रात में अंतिम संस्कार करना पड़ा।


बुधवार दोपहर में उनकी तबीयत बिगड़ने पर परिवार के लोग सीएचएल मेडिकल सेंटर ले गए। यहां उन्हें आधे घंटे रखा और आरडी गार्डी भेज दिया। एंबुलेंस चालक और टीम के लोगों ने उनकी पत्नी को बीच में ही वाहन से उतार दिया। उस समय उनके पास मोबाइल तक नहीं था, वे पैदल ही अपने घर नयापुरा पहुंचीं। परिवार के लोगों को गुरुवार शाम सूचना मिली कि मरीज की मौत हो चुकी है। एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने से शव शाम को नहीं लाया जा सका। रात में वाहन उपलब्ध होने पर शव को लाए। पत्नी को अंतिम दर्शन के लिए चक्रतीर्थ ले जाया गया। उसके बाद अंतिम संस्कार किया। मेडिकल कॉलेज के नोडल अधिकारी डॉ.अलोक सोनी का कहना है- शव की डबल पैकिंग होती है। एंबुलेंस उपलब्ध होने पर शव पहुंचाया जाता है। मरीज की हार्टअटैक से मौत हुई।



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पिछले कई दिनों से टावर चौक ऐसे ही सन्नाटे में डूबा है। यहां सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। इस सन्नाटे की वजह से ही यह क्षेत्र अब तक कोरोना संक्रमण से मुक्त है।
सीएमएचओ कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट।




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प्रदेश के 9 रेड जोन जिलों में मालवा-निमाड़ के 6 जिले, हॉटस्पॉट शहर इंदौर में 1513, उज्जैन में 142 कोरोना पॉजिटिव

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कोरोना के रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के बारे में जानकारी दी है। देश के 130 जिलों में 3 मई के बाद भी सख्ती जारी रह सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन्हें रेड जोन घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि रिकवरी रेट बढ़ा है। इसी हिसाब से अब अलग-अलग इलाकों में जिलों को जोन वाइज बांटा जा रहा है। मध्यप्रदेश जोलिस्ट भेजी गई है,उसमें 52 में से 9 जिलों को रेड, 19 को ऑरेंज और 24 को ग्रीन जोन में रखा गया है। इसमें से रेड जोन में सबसे ज्यादा मालवा निमाड़ के 15 में से 6 जिले शामिल हैं। वहीं, ग्रीन जोन में केवल दो जिले हैं।

मालवा निमाड़ के 15जिलों के हाल

जिला जोन संक्रमित संख्या
इंदौर रेडजोन 1513
उज्जैन

रेडजोन

142
देवास

रेडजोन

26
खंडवा (ईस्ट निमाड़) रेडजोन 46

बड़वानी

रेडजोन

26
धार

रेडजोन

48
खरगोन ऑरेंज जोन 71
रतलाम ऑरेंज जोन 14
मंदसौर ऑरेंज जोन 19
शाजापुर ऑरेंज जोन 06
आगर-मालवा

ऑरेंज जोन

12
बुरहानपुर

ऑरेंज जोन

01
आलीराजपुर

ऑरेंज जोन

03
झाबुआ ग्रीनजोन 00
नीमच ग्रीनजोन 00
मध्य प्रदेश के जिलों में काेरोना संक्रमण की स्थिति।

    ये कैसा आकलन:खरगोन में 71 कोरोना संक्रमित, फिर भी ऑरेंज जोन में

    सीएमएचओ डॉ. दिव्येश वर्मा ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया कि बीते 24 घंटे में 25 नए सैंपल भेजे गए। गुरुवार को 1 पॉजिटिव आया। अब जिले में 71 कोरोना संक्रमित हो गए।593 व्यक्ति निगेटिव मिले। जबकि 125 की रिपोर्ट शेष है। 8 सैंपल रिजेक्ट किए गए हैं। 7 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई।22 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं। जिले में अब कुल 14 कंटेनमेंट एरिया घोषित हैं। 24 घंटे में 383 लोगों ने होम क्वारैंटाइन अवधि पूरी की है।

    रेड जोन में कंटेनमेंट क्षेत्र

    • इंदौर : जिले में कुछ 74 क्षेत्रों को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया गया है। इनमें रानीपुरा, हाथीपाला, स्नेह नगर, खातीवाला टैंक, चंदन नगर, गुमास्ता नगर, टाटपट्‌टी बाखल, खजराना, मूसाखेड़ी, मनीषबाग, काेयला बाखल, निपानिया, लिंबोदी, आहिल्या पलटन, रवि नगर, सांईधाम काॅलोनी, एमआर 9, आजाद नगर, मनोरमागंज, वल्लभ नगर, पुलिस लाइन, मेडिकल कॉलेज गर्ल्स हॉस्टल, स्नेहलतागंज, उदापुरा, इकबाल कॉलोनी, गांधी नगर, अंबिकापुरी कॉलोनी, मोती तबेला, सागोर कुटी, सुखलिया, जवाहर मार्ग, पिंजारा बाखल, बंबई बाजार, गणेश नगर, उषागंज छवनी, लोहरपट्टी, जूना रिसाला, नयापुरा, समाजवाद नगर, नेहरू नगर, शिक्षक नगर, साकेत धाम, ब्रुकबांड कॉलोनी, सिद्वीपुरम कॉलोनी, ग्रीन पार्क, अनूप नगर, विद्या पैलेस, लोकमान्य नगर, साउथ तोड़ा, तिलक नगर, ब्रह्मबाग कॉलोनी, बुधबन कॉलोनी, सुदामा नगर, सैफी नगर, जबरन कॉलोनी, रूपराम नगर, पैलेस कॉलोनी, मरीमाता, विनोबा नगर, ओम विहार, लोधीपुरा, सांई रायल, सत्यदेव नगर, बड़वाली चौकी, साउथ बजरिया, विंध्यनगर, मिष्ती मोहल्ला, पल्हर नगर, शीतलामाता बाजार, लोकनायक नगर, छत्रीपुरा, कुशवाह नगर, प्रेम नगर, बीसीएम सिटी, एएसपी बंगला एरिया महू।
    • देवास : जिले में 18 केंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किए गए हैं। इसमें जबरेश्वर मंदिर गली, शिमला कॉलोनी, स्टेशन रोड, पठानकुआं, पीठा रोड, नाहर दरवाजा, ग्राम लोहार पिपलिया, सिल्वर पार्क, स्वास्तिक नगर, रघुनाथपुरा, नई आबादी, सम्यक बिहार, आनंद नगर, वार्ड, हाटपिपल्या का क्रमांक 4 और वार्ड क्रमांक 9, टोंकखुर्द का वार्ड क्रमांक 1 और 2, कन्नौद का पनीगांव शामिल है।
    • खंडवा : जिले में कुल 18 कंटेनमेंट एरिया घोषित किए गए हैं। इसमें शहर के 12 और ग्रामीण के 6 क्षेत्र शामिल हैं। शहर में खानशाहवली संजय कॉलोनी, खड़कपुरा, मेडिकल कॉलेज, लाल चौकी, वार्ड क्रमांक - 43 मोघट थाने के पीछे, पदमकुंड वार्ड, संतोष नगर, आनंद नगर, गणेशतलाई, पड़ावा, बड़ाबम, रामेश्वर रोड श्रीमाली हॉस्पिटल के पीछे, हातमपुरा, परदेशीपुरा, पंधाना ब्लॉक के ग्राम गुड़ीखेडा रैयत, कुमठी, खिराला, बोरगांव बुजुर्ग, कृषि उपज मंडी पंधाना व ग्राम पाडल्या, तहसील खंडवा ग्राम दूगवाड़ा को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है।
    • उज्जैन : जानसापुरा, अंबर काॅलाेनी, दानीगेट, काेट माेहल्ला, दिशावाल का बाड़ा, माेतीबाग, बेगमबाग, ताेपखाना, नागाैरी माेहल्ला, अमरपुरा, गांधाीनगर, कमरी मार्ग, केडी गेट, अवंतीपुरा, बंगाली काॅलाेनी, महानंदा नगर, सांई विहार काॅलाेनी, वल्लभ भाई मार्ग पटेल गली, मुनिनगर और कामदारपुरा शामिल
    • बड़वानी : बड़वानी जिले में रुकमणि नगर, रैदास मार्ग, सुतार गली, दर्जी मोहल्ला और पूजा स्टेट इसके अलावा सेंधवा में खलवाड़ी मोहल्ला, अमन नगर आदि।
    • धार : उतावद दरवाजा बख्तावर मार्ग, जानकी नगर, भाजी बाजार, पट्‌ठा चौपाटी, गांधी कॉलोनी, इस्लामपुरा, एलआईजी कॉलोनी,धरमपुरी तहसील के ग्राम बलवाडा, ए/एल 199 हाउसिंग काॅलोनी पीथमपुर और चौधरी काॅलोनी सागौर तहसील पीथमपुरआदि।


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    इंदौर में राज मोहल्ला क्षेत्र में रहवासी लाॅकडाउन के चलते छतों पर विभिन्न खेल जैसे क्रिकेट, पंतगबाजी, रस्सी कूद, हास्य, योग के जरिए खुद काे फिट रखने की कोशिश कर रहे हैं।




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    कोरोनावायरस से जंग जीतकर 40 लोग और घर लौटे, अब तक 291 मरीज ठीक हुए

    कोरोनावायरस के संक्रमण से स्वस्थ हुए 40 मरीजों को आज अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। इनमें 20 मरीजों का उपचार नेमावर रोड स्थित इंडेक्स कॉलेज और 20 का उपचार अरबिंदो अस्पतालमें किया जा रहा था। अस्पताल के स्टाफ ने तालियां बजाकर इन्हें विदाई दी। शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए इन मरीजों के बादअबकोरोना के सक्रमण से स्वस्थ होने वालेमरीजों कीसंख्या बढ़कर 291 हो गई है।

    इससे पहलेगुरुवार को भी चार अस्पतालों से कोरोनावायरस की जंग जीतने वाले 30 मरीजों को छुट्‌टी दी गई थी।इंडेक्स अस्पताल से 13, एमआर टीबी से दो गर्भवती महिलाओं समेत 8, अरबिंदो से 5 और चोइथराम से 4 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया था। गुरुवार तक कुल 251 मरीज स्वस्थ हो चुके थे, जबकि शुक्रवार को कोरोना से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 291 हो गई है।

    उधर, गुरुवार रात प्राप्त रिपोर्ट में 28 नए मरीजों में कोरोनावायरस की पुष्टि हुई है। इसे मिलाकर इंदौर में कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 1513 हो गई है। अब तक इस बीमारी से 72 लोगों ने दम तोड़ दिया है।

    कोरोना पॉजिटिव इमरा ने दिया बच्चे को जन्म, उसका भी होगा टेस्ट

    कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच 20 साल की इमरा के घर गुरुवार को खुशियों ने दस्तक दी। सेम्स कोविड अस्पताल में वह खुद कोरोना से लड़ रही हैं। फिलहाल, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। ग्रीन पार्क कॉलोनी निवासी 20 साल की इमरा और उनके पति दोनों कोरोना पॉजिटिव हैं। पीपीई किट से लैस डॉक्टरों और नर्सिंग टीम ने बुधवार रात इमरा की नाॅर्मल डिलिवरी करवाई। अब बच्चे का भी सैंपल भेजेंगे। बच्चे को मां के साथ ही रखा गया है।



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    गुरुवार तक कुल 251 मरीज स्वस्थ हो चुके थे। शुक्रवार को कोरोना से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 291 हो गई।




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    आखिर कौन हैं ये लोग: 42 किमी चले दंपती तब सवा किलो आटा, पावभर तेल मिला; भोजन के लिए 16 किमी चलती हैं मां-बेटी

    राहुल दुबे. रोज नया नाश्ता, सुबह और शाम अपनी पसंद का भोजन। दोपहर में लूडो और कैरम खेलना तो शाम को छत पर वाॅक करना। कोरोना काल के इस लाॅकडाउन में इतनी वैरायटी होने के बाद भी साधन संपन्न लोग बोरिंग और अवसाद का रोना रो रहे हैं, लेकिन आपको घर पर रहना अच्छा नहीं लग रहा है तो शहर की वीरान सड़कों पर सुबह से शाम तक घूम रहे इन लोगों की जिंदगी में झांक लीजिए।इनके लिए लाॅकडाउन कितनी कठिन परीक्षा लेकर आया हैै।

    केवल एक वक्त की रोटी के लिए कोई रोज 16 किलोमीटर पैदल चल रहा है तो कोई कई किलोमीटर दूर खेत में जाकर गेहूं का एक-एक दाना बीन रहा हैै। लंच पैकेट कहीं से बंटने की जानकारी मिल जाती है तो बाप, बेटी दौड़ लगाकर वहां जा रहे ताकि एक पैकेट मिल जाए। सड़कों पर तेज कदमों से सफर खत्म करते या पेड़ के नीचे कुछ मिनट सुस्ताते हुए लोगों से मैंने पूछा कि लाॅकडाउन और इतने भयानक संक्रमण के बीच आप क्या कर रहेे हैं? मास्क भी नहीं लगा रखा है! इतना पूछते ही सभी का दुख-दर्द फट पड़ा। रूआंसे होकर इन लोगों ने अपनी-अपनी पीड़ा बताई तो मैं दंग रह गया।

    ऐसी ही ये आठ कहानियां लाचारी और बेबसी की....

    दृश्य 1 : महीनेभर से आय नहीं, पत्नी-बेटी के लिए खाने की तलाश

    चोइथराम मंडी रोड पर 10 साल की बेटी के साथ ब्रजमोहन जोशी जाते हुए दिखे। दोनों के हाथ में एक-एक पैकेट था। पूछा कि आप एेसे क्यों घूम रहे हैं तो बोले- मंडी गेट पर खाना बंटने की खबर मिली तो यहां आ गए। मैं ज्योतिषी हूं। महीनेभर से एक रुपया भी नहीं मिला तो मजबूरी में पत्नी-बेटी के लिए लंच पैकेट तलाश रहे हैं। कच्चा अनाज भी मिला, लेकिन सिलेंडर, केरोसिन के पैसे नहीं हैंं।

    दृश्य 2 : एक वक्त भोजन, एक वक्त पानी पीकर काम चला रहे

    ब्रजमोहन के पीछे मदनलाल आ रहे थे। बोले- लाॅकडाउन के बाद दो-तीन दिन तो निकल गए। मैं वैसे तो 12-15 हजार रुपए महीना कमा लेता हूं, लेकिन 25 दिन से बहुत हालत खराब है। मजबूरी में एेसे लंच पैकेट लेकर गुजारा कर रहे हैं। एक वक्त भोजन कर रहे तो एक वक्त पानी पीकर काम चला रहे हैं। करीब चार बजे लंच पैकेट खाऊंगा ताकि शाम को भूख कम लगे। पानी पीकर सो जाएंगे।

    दृश्य 3 : गैस न केरोसिन, खाना पकाने के लिए बीन रही हैं लकड़ी

    तेजपुर गड़बड़ी की पुलिया पर बच्ची से लेकर अधेड़, बुजुर्ग महिलाएं दिखीं। सबके सिर पर लकड़ी का गट्ठर। पूछा- बीमारी फैल रही है। फिर क्यों घूम रही हो। इस पर सभी बोल पड़ी कि कच्चा राशन तो हमको मिल गया, लेकिन केरोसिन, गैस के पैसे नहीं हैं। कहीं भी मजदूरी नहीं मिल रही। इसलिए सूखी लकड़ी बीनने आए हैं। एक बार में इतनी लकड़ी ले जाते हैं कि दो-तीन दिन काम चल जाए।

    दृश्य 4 :16 किमी चलती हैं, कोई बचा खाना दे दे तो खा लेती हैं

    आईटी पार्क चौराहा पर लड्डू बाई और उनकी बेटी बेटी भगवती लिफ्ट मांग रही हैं। बोलीं हम विष्णपुरी के दो घरों में काम करती हैं। तेजाजी नगर के आगे हमारा घर है। रोज 16 किमी पैदल चलना पड़ रहा है, तब एक हजार रुपए महीना मिल पाता है। मां को चलने में दिक्कत है। तीन-चार बार रास्ते में बैठना भी पड़ता है। किसी घर से रात का बचा खाना मिल जाता है तो बैठकर वहीं खा लेते हैं।

    दृश्य 5 : सरकार ने राशन बांटा पर हमें तो कुछ भी नहीं मिला

    राजीव प्रतिमा पर कृष्णा बाई और पति मोहन मिल गए। पूछने पर कृष्णा बोलीं कि हम रेलवे स्टेशन के पास रहते हैं। राऊ तक आए थे ताकि खेतों में मजदूरी मिल जाए। दंपती 42 किमी चलकर सवा किलो आटा, पाव भर तेल, बेसन, मिर्च खरीद पाए। रोका तो इतना घबरा गए कि थैला खोल सामान देखने का बोलने लगे। बोले- सरकार ने कच्चा राशन बांटा, पर हमें नहीं मिला।

    दृश्य 6 : 13 किमी चलकर पगार के 500 रु. लेने गए, बैरंग लौटाया

    बिलावली तालाब के पास साईं धाम। मंदिर के बाहर कुंवरदेवी और जानकी देवी मिलीं। पूछा यहां क्यों बैठी हो तो कुंवरदेवी बोलीं- इंद्रपुरी के घरों में काम करती हैं। 12-13 किमी पैदल चलकर मार्च का पैसे लेने गए थे। किसी घर से 500 तो किसी से 700 लेना थे। हमारे मुंह पर कपड़ा देख किसी ने गेट से लौटा दिया तो कोई बोला अगले महीने आकर ले जाना।

    दृश्य 7 : महीनेभर से मजदूरी नहीं, शेड ही अब आशियाना

    जीपीओ तक आया तो टू व्हीलर वर्कशाॅप के शेड में तीन लोग बैठे मिले। पूछा यहां बैठकर खाना क्यों खा रहे हो। इनमें से एक भरत बोला कि हम नौलखा चौक पर मजदूरी करते हैं। खरगोन के रहने वाले हैं। पैदल गांव जाने की हिम्मत नहीं है। इसलिए महीनेभर से शेड के नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं। पास में हनुमान मंदिर पर कोई न कोई खाना बांटने आता है। बस उसी से काम चल रहा है।

    दृश्य 8 : घराें का काम छूटा, खेतों से गेहूं बीनकर कर रहीं हैं गुजारा


    आईटी पार्क चौराहा से आगे मछली पालन केंद्र के गेट पर 11 महिलाएं मिलीं। मैंने पूछा यहां बैठकर गेहूं क्यों छान रही हो? रजनीदेवी बोलीं हम मांगने वाले नहीं हैं। घरों में झाड़ू-पाेछा कर रोटी बनाते हैं। लाॅकडाउन हुआ तो किसी ने पैसे नहीं दिए तो किसी ने गेट तक नहीं खोला। अब खंडवा रोड पर जिन खेतों में गेहूं कट गया है, वहां से गेहूं बीनते हैं। इसे साफ कर घर ले जाते हैं। इसी से भूख मिटा रहे हैं।



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    तेजपुर गड़बड़ी की पुलिया पर बच्ची से लेकर अधेड़, बुजुर्ग महिलाएं दिखीं।




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    निगम ने शुरू की घर-घर सब्जी की होम डिलीवरी, एक पैकेट में 4 किलो सब्जी, इसमें नींबू धनिया भी शामिल

    काेराेना महामारी के कारण देशभर में लाॅकडाउन जारी है। ग्रीन और ऑरेंज जाेन हाेने से कुछ जिलाें में कुछ राहत दी गई है, लेकिन रेड जोन वाले जिलों को कोई राहत नहीं दी गई है। कोरोना का हॉटस्पाट इंदौर भी रेड जोन में है। ऐसे में यहां पहले की तरह ही पाबंदिया जारी हैं। इसी बीच निगम ने अब लोगों को राहत देते हुएसब्जियों की होम डिलीवरी शुरू की है। निगम सब्जियों को सैनिटाइज कर एक पैकेट बनाकर शहर में तय दाम में सप्लाय कर रहा है। सब्जियों को घर-घर पहुंचाने का काम शनिवार से शुरू हुआ।

    निगम प्रतिदिन एक से सवा लाख बास्केट बनवाकर क्षेत्रवार बंटवा रहा है।

    मिली जानकारी अनुसार सब्जियों की होम डिलीवरी के लिए खंडवा रोड स्थित 10 स्थानों पर रात से सुबह तक निगम कर्मियों ने सब्जियां पैक की। एक पैकेट में 4 किलो सब्जी, जिसमें धनिया, मिर्ची, नींबू, टमाटर, भिंडी, गिलकी, लौकी और एक अन्य सब्जी शामिल है। इन पैकेट को निगमकर्मी वार्डवार डिलीवरी कर रहे हैं। हालांकि पहले दिन अपेक्षानुसार ऑर्डर नहीं मिल पाए। लेकिन जिस प्रकार से राशन की होम डिलीवरी ने धीरे-धीरे शहरवासियों को इस लॉकडाउन में राहत दी। संभावना है कि उसी प्रकार सब्जी की होम डिलीवरी भी राहत देगी।

    जानकारी अनुसार निगम घर-घर सब्जी पहुंचाने के लिए पहले ऑर्डर लेगा। इसके बाद सब्जी की डिलीवरी करवाई जाएगी। निगम प्रतिदिन एक से सवा लाख बास्केट बनवाकर क्षेत्रवार बंटवाएगा। व्यवस्था को लेकर जोन कार्यालयों में बैठक हुई, जिसमें किराना-सब्जी व्यापारी और वार्ड प्रभारी मौजूद थे। सब्जी सैनिटाइज करने के लिए खंडवा रोड पर और वितरण के लिए सात मैरिज गार्डन अधिग्रहित किए हैं। एक सेटअप चौखी ढाणी में बनाया है, जहां 5 हजार पैकेट बनेंगे। वार्डवार 50-60 लोग व्यवस्था संभालेंगे। 8 बजे से सब्जी वार्ड में पहुंचेगी।



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    निगम सब्जियों को सैनिटाइज कर एक पैकेट बनाकर शहर में तय दाम में सप्लाई कर रहा है।




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    मिक्सर मशीन में छिपकर 14 मजदूर महाराष्ट्र से लखनऊ जा रहे थे, उज्जैन के पास पकड़े गए

    सीमेंट की मिक्सर मशीन में बैठकरमहाराष्ट्र से लखनऊ जा रहे 14 मजदूरों को उज्जैन के पास ट्रैफिक पुलिस ने शनिवार कोपकड़ लिया। ये मजदूर लॉकडाउन की वजह से कामकाज बंद होने के बाद परेशानियों का सामना कर रहे थे।

    लॉकडाउन की वजह से बस और ट्रेन बंद हैं। ऐसे में इन मजदूरों को अपने गृह राज्य तक पहुंचने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा था।

    सूबेदार की सूझबूझ से पकड़ाए मजदूर

    डीएसपी ट्रैफिक उमाकांत चौधरी ने बताया कि शनिवार सुबह इंदौर उज्जैन सीमा के पंथपिपलाई बॉर्डर पर ट्रैफिक के जवानोंने एक मिक्सर मशीन को निकलते देखा। सूबेदार अमित यादव को लगा कि जब निर्माण के काम बंद हैं, ऐसे में यह मिक्सर मशीन इतने लंबे रूट पर क्यों जा रही है।ड्राइवर से चर्चा की। शक होने पर मिक्सर पर कान लगाकर सुना तो अंदर कुछ आवाज आ रही थीं। ढक्कन खुलवाया तो देखा कि उसमें14 लोग बैठे थे।


    चालक के खिलाफ केस दर्ज

    मजदूरों कोएक गार्डन में रोका गया है, जहां से जल्द ही बस से घर भेज दिया जाएगा। मिक्सर जब्त कर लिया गया है। उसके ड्राइवर के खिलाफ सांवेर थाने में केस दर्ज कर लिया गया है।



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    पुलिस ने मिक्सर रोका तो चालक घबरा गया। मशीन का ढक्कन खोला गया तो अंदर मजदूर छिपे बैठे थे।




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    40 दिन बाद ग्रामीण क्षेत्र में उद्योग हुए शुरू, फैक्टरी में फिर से बनने लगी चॉकलेट

    संजय गुप्ता.पीथमपुर में 200 से ज्यादा इंडस्ट्री शुरू होने के बाद इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंडस्ट्री शुरू होने लगी हैं। शुरुआत बरदरी, भौंरासला, रंगवासा आदि क्षेत्रों की फैक्टरियों से हुई। एक चॉकलेट कंपनी के एमडी संजय अग्रवाल ने बताया कि उनकी फैक्टरी बरदरी में है। यह करीब 40 दिन बाद शुरू हुई। फैक्टरी को पूरी तरह सैनिटाइज किया गया। मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीआईडीसी) के रीजनल डायरेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कुछ और इंडस्ट्री में काम शुरू करने के लिए आवेदन आए हैं।

    70 और उद्योगों को काम शुरू करने की मंजूरी दी

    ग्रामीण क्षेत्र के 70 और उद्योगों को काम शुरू करने की मंजूरी जिला प्रशासन और एमपीआईडीसी ने जारी की। इसके पहले 60 उद्योगों को काम शुरू करने की इजाजत दी थी। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया नगरीय सीमा में भी कई इंडस्ट्री एेसी हैं जिनका माल बना है और ट्रक खड़े हैं। अब इन्हें माल लोडिंग-अनलोडिंग करने की मंजूरी जारी हो रही है। एेसे करीब 217 उद्योगों की सूची मिली है, जिनकी जांच कर अनुमति जारी की जा रही है। इसके बाद अगले चरण मंे नगरीय सीमा में इंडस्ट्री किस तरह खोली जाए, इसके िलए औद्योगिक संगठनों से सूची मांगी है और इनका परीक्षण किया जा रहा है। पहले चरण में कृषि, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को मंजूरी देंगे, जो अपने कैम्पस में श्रमिकों को रखकर काम करवा सकेंगे।



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    40 days later industries started in rural areas, chocolate started being made again in factory




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    431 किसानाें से 33 हजार 378 क्विंटल खरीदा गेहूं, 239 किसानाें काे मिला भुगतान

    ई ऊपार्जन केंद्र बालाजी वेयर हाउस मनासा में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी 15 अप्रैल से की जा रही है। प्रबंधक राधेश्याम यादव ने बताया शुक्रवार तक 431 किसानाें से 33 हजार 378 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। इसकी राशि 6 करोड़ 42 लाख 53 हजार 612 रु. होती है। इसमें से अब तक 239 किसानाें काे 2 करोड़ 46 लाख 21 हजार 48 रु. खाते में जमा की जा चुकी है।
    शेष 192 किसानों का भुगतान शीघ्र हाेगा। गेहूं की अावक बढ़ने से वेयर हाउस भर चुका है। बाहर ही गेहूं की बोरियां रखना पड़ रही हैं। 75 से अधिक किसानों के ट्रैक्टर-ट्राॅली कतार में खड़े हैं।



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    भुवानीखेड़ा के 4 व बखतपुरा के तीन लाेगाें की रिपाेर्ट नहीं आई, कर्फ्यू में घूमने वालाें से लगवाई उठक-बैठक

    कर्फ्यू के दौरान आंबेडकर चाैराहा से बाइक से घूमने वालाें से पुलिस जवानों ने उठक-बैठक लगवाई। एसडीएम नेहा साहू ने पूर्व में जारी पास को लेकर आदेश जारी किया। इसमें बताया लाॅकडाउन अवधि में नि:शुल्क भोजन व अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए छूट पास जारी कर 3 मई निर्धारित की थी। किंतु लाॅकडाउन अवधि बढ़ने के कारण छूट पास की वैधता संधोधित कर 17 मई निर्धारित की है। कांग्रेस मंडलम नगर अध्यक्ष कैलाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ट्विट कर मध्यम वर्गीय परिवार की हालात खराब होना बताई।


    आर्थिक परेशानियों को लेकर सरकार को इनके बच्चों की निजी व शासकीय विद्यालय में पढ़ाई में लगने वाली स्कूल फीस व बिजली बिल माफ करने की मांग की। ग्राम भुवानीखेड़ा के एक ही परिवार के 4 सदस्यों को जिला अस्पताल की कोरोना पाॅजिटिव नर्स से बच्चे का उपचार कराने के दाैरान संपर्क में आने से चारों को क्वारेंटाइन कर सैंपल जांच के लिए भेजे थे। किंतु रिपाेर्ट अब तक नहीं आई। इसके अलावा बड़नगर के सब्जी व्यापारी के संपर्क में आए बखतपुरा के 3 लोगों की भी रिपाेर्ट का इंतजार है। डाॅ. संदीप श्रीवास्तव ने बताया इन लोगों को क्वारेंटाइन किए 18 दिन हाे गए हैं। किसी भी सदस्य को बीमारी जैसे कोई लक्षण नहीं है। एक दो दिन में इन्हें घर भेज कर होम क्वारेंटाइन किया जा सकता है।



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    Report of 4 bringers of Bhuvanikheda and three of Bakhtapura did not come, the curfew was arranged for the meeting




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    कुक्षी के गणगौर पैलेस व छात्रावास में 14 दिन पूर्व क्वारेंटाइन किए 53 लोगों काे घर भेजा, 4 नए केस मिलने के बाद 59 काे किया क्वारेंटाइन

    कुक्षी में काेराेना पाॅजिटिव मरीजाें की संख्या बढ़ने लगी है। अब तक यहां 9 मरीज काेराेना के मिले हैं जबकि इनके संपर्क में आए 59 लाेगाें काे क्वारेंटाइन किया गया है। पूर्व में मिले मरीजाें के संपर्क में रहे 53 लाेगाें काे गणगाैर पैलेस व छात्रावास में 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया गया था। इनके स्वस्थ हाेने पर प्रशासन ने रविवार काे घर भेज कर हाेम आइसाेलेट में रहने की सलाह दी है।एमजी रोड (सुतार मोहल्ला) के एक कोरोना संक्रमित युवक के बाद उसके परिवार के चार सदस्यों की शनिवार रात में रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इससे प्रशासन रात से ही व्यवस्था संभालने में जुट गया। कुक्षी में अब एक ही परिवार के 5 लोग कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। इससे कोरोना पॉजिटिव संख्या बढ़कर 9 हो गई है।


    हालांकि इनमें से एक की मृत्यु व एक की रिपोर्ट दोबारा में नेगेटिव आने से वर्तमान में 7 व्यक्ति कोरोना संक्रमित चल रहे हैं। इनमें शनिवार सुबह भट्टी मोहल्ले के दंपती कोरोना पॉजिटिव मिले थे। क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के मनोज दुबे (बीआरसी डही) नेे बताया भट्टी मोहल्ले में दंपती के संपर्क में आने वाले 18 लोगों को बालक छात्रावास कुक्षी में क्वारेंटाइन किया है जबकि सुतार मोहल्ला व धान मंडी में कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाले 41 लोगों को जैन धर्मशाला तालनपुर में क्वारेंटाइन किया है।


    कुक्षी के ग्रामीण क्षेत्र डेहरी में कोरोना पॉजिटिव युवक के संपर्क में आने वाले 26 लोगों को वहां के छात्रावास में क्वारेंटाइन किया गया है। इस तरह वर्तमान में 85 लोगों को प्रशासन ने क्वारेंटाइन किया है। गणगौर पैलेस व एक छात्रावास में 14 दिन पूर्व क्वारेंटाइन किए गए 53 लोगों को समय पूर्ण होने व स्वस्थ होने के चलते घर छोड़ा गया। इधर एसडीएम बीएस कलेश, तहसीलदार सुनील कुमार डावर, थाना प्रभारी कमलसिंह पंवार, नगर परिषद सीएमओ रवींद्र बोरदे लगातार हालात का जायजा लेकर व्यवस्था करने में जुटे रहे। साथ ही कर्फ्यू के दौरान कानून व्यवस्था पर भी मुस्तैदी से नजर बनाए हुए हैं।

    सीएम रिलीफ फंड में 10 लाख रुपए जमा कराए
    डही विकासखंड अंतर्गत पदस्थ अध्यापक संवर्ग व नियमित कर्मचारियों, शिक्षकों सहित बीईओ, बीआरसी कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा एक दिन के वेतन से 10 लाख रु. सीधे मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराए गए हैं। मप्र ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी इरफान मंसूरी, प्रांतीय संयुक्त सचिव अरुण कुशवाह, ब्लॉक अध्यक्ष स्वरूपचंद मालवीया ने बताया विकासखंड से अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन से 6 लाख रु. जबकि नियमित शिक्षकों व आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारियों के वेतन से 4 लाख रु. इस तरह 10 लाख रु. सीएम रिलीफ फंड में जमा कराए गए है। इसमें बीईअाे सतीशचंद्र पाटीदार, बीआरसी मनोज दुबे ने भी अपना एक दिन का वेतन जमा कराया है।



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    Sent home to 53 people who had quarantined 14 days ago in Gangaur Palace and Hostel of Kukshi, 59 quarantines done after getting 4 new cases




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    रतलाम की सीमा पर 24 घंटे निगरानी, स्क्रीनिंग के बाद जिले में मिल रहा प्रवेश

    झाबुआ जिले के अंतिम छोर पर बसे ग्राम भाबरापाड़ा में रतलाम जिले की सीमा पर 24 घंटे निगरानी की जा रही है। यहां पर हर आने-जाने वाले लोगोंपर नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पुलिस जवान व कोटवार यहां ड्यूटी दे रहे हैं। रतलाम जिले से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। साथ ही अनुमति देखकर ही उन्हें प्रवेश दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम स्क्रीनिंग के बाद स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र दे रही है। टीम के सदस्यों ने बताया रोजाना 300 लोग आ रहे हैं।



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    24-hour surveillance on the border of Ratlam, getting admission in the district after screening




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    तेरापंथी परिवार के सदस्य 14 घंटे कर रहे जप, 6 मई को दीक्षा दिवस मनाएंगे

    आचार्यश्री महाश्रमणजी के आशीर्वाद से अखिल भारतीय तेरापंथी महिला मंडल के निर्देश पर तेरापंथ महिला मंडल पेटलावद द्वारा कोरोना को हराना है, हर घर में जप-तप कराना है का कार्य चल रहा है। जप का महायज्ञ 1 अप्रैल से लगातार चल रहा है। इसमें सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक समस्त तेरापंथी परिवार 14 घंटे के जप कर रहे हैं। समाजजन ने बताया 15 अप्रैल से एकासन की लड़ी शुरू हुई है जो अब भी चल रही है। इसके अलावा 25 अप्रैल को तेरापंथ महिला मंडल मंत्री हेमलता जैन एवं सभी वर्षीतप आराधकों के अनुमोदनार्थ ऑनलाइन चौबीसी का आयोजन किया गया था। इसमें महिला मंडल अध्यक्ष मनीषा पटवा सहित सभी बहनों ने ऑडियो एवं वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से चौबीसी की प्रस्तुति दी थी।इसी के चलते 2 मई को आचार्यश्री महाश्रमणजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके जीवन प्रसंगों पर आधारित धार्मिक आयोजन किया गया। समाजजनों ने अपने-अपने घरों में रहते हुए सामायिक पचरंगी किए। 3 मई पाटोत्सव पर मौन पचरंगी मनाया। आगामी 6 मई आचार्य प्रवर के दीक्षा दिवस पर द्रव्य सीमा यानी खाद्य पदार्थों की सीमा के माध्यम से अपने गुरु का अभिवादन किया जाएगा।



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    नीमच से झाबुआ होकर दाहोद गए दो भाई कोरोना पॉजिटिव, साथ आए जिले के 34 लोगों की तलाश

    ग्रीन जोन में चल रहे झाबुआ के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया। 29 अप्रैल को राजस्थान सीमा के नयागांव से मजदूरों के लिए चली बस में बैठकर दाहोद के एक परिवार के 11 लोग पिटोल पहुंचे। परिवार 20 मार्च को नीमच शादी में गया था। लॉकडाउन के कारण वहीं फंसा था। बस आने की खबर मिली तो सब नयागांव बॉर्डर पहुंच गए। वहां से पिटोल बॉर्डर बस से आए और यहां से दाहोद से आई प्राइवेट गाड़ी से रवाना हो गए। बॉर्डर पर स्क्रीनिंग में दो भाईयों में लक्षण दिखे तो उनके सैंपल 30 तारीख को लिए। शनिवार को आई रिपोर्ट में एक भाई पॉजिटिव आया और रविवार को दूसरे भाई की भी पॉजिटिव रिपोर्ट आ गई।

    इस खबर के बाद यहां हड़कंप मच गया। बस में उनके साथ जिले के 34 लोग थे। अब इनकी तलाश की जा रही है। अभी तक सभी लोगों के बारे में पता नहीं चला है। बस में ड्राइवर और कंडक्टर के अलावा कुल 45 लोग आए थे। लिस्ट में जो नाम लिखे उनमें पता नहीं लिखा गया। न किसी का मोबाइल नंबर है। ऐसे में उनकी जानकारी निकालना मुश्किल हो रहा है। दाहोद से खबर है कि दोनों भाइयों के परिवार के लोगों को सरकारी सेंटर में क्वारेंटाइन कर दिया गया। उनके सैंपल भी लिए गए हैं।

    झाबुआ में उतरना बताया
    पिटोल में उतारे गए इस परिवार को इस लिस्ट में झाबुआ में उतारना बताया गया। अब चिंता इस बात की हो रही है कि अगर बस में आए दाहोद के पॉजिटिव व्यक्ति की रिपोर्ट शनिवार देर रात आई। इसके बाद यहां अफरा-तफरी मच गई। स्वास्थ्य विभाग वाले सुबह से शहर में तलाश करने लगे। लगभग 11 बजे खबर मिली कि जिस व्यक्ति का नाम है, वो परिवार सहित दाहोद में है। उसका और परिवार के सदस्यों का नाम लिस्ट से मैच भी हो गया। दोपहर में दूसरे भाई की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई। इधर, बस में साथ आए ज्यादातर लोगों का पता नहीं लग पाया है।

    40 दिन से एक जगह पर थे, अगर रास्ते में संक्रमण आया तो ये बड़ा खतरा

    जिन दोनों भाइयाें में संक्रमण मिला, वो दोनों परिवार सहित नीमच में 20 मार्च से थे। 29 मार्च को वो वहां से निकले। ऐसे में ये संभावना कम मानी जा सकती है कि घर रहते संक्रमण नहीं हुआ होगा। अगर ये सही है तो संक्रमण की संभावना या तो राजस्थान बॉर्डर से आने वालों के कारण है या बस से। बस में सवार कोई अन्य व्यक्ति संक्रमित हुआ तो जिले के लिए ये बड़ा खतरा है। अभी तक नीमच भी ग्रीन जोन में है और झाबुआ भी।



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    Two brothers, Corona positive who went to Dahod from Jembua from Neemuch, came together to search for 34 people of the district




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    40 लेबर सैनिटाइज होकर साबुन से धोते हैं हाथ, मास्क लगा करते हैं सब्जियां पैक

    दीपेश शर्मा.सब्जी सप्लाय की डोर टू डोर व्यवस्था को लेकर लोगों के मन में आशंका थी कि सब्जियों के साथ कहीं कोरोना वायरस तो घर-घर नहीं पहुंच रहा है। इसकी पड़ताल के लिए रविवार को भास्कर सीधे उस स्थान पर पहुंचा जहां से सब्जियां पैक होकर आपके घरों तक पहुंच रही हैं। यहां नगर निगम की टीम दिन में चार बार पड़ताल के लिए आ रही है कि सब्जियों को पैक करने में लापरवाही तो नहीं बरती जा रही। सब्जियों को सप्लाय करने से पहले पूरी तरह सैनिटाइज किया जा रहा है। खंडवा रोड स्थित चौखी ढाणी से शनिवार को दो हजार पैकेट सब्जी के सप्लाय हुए और रविवार को चार हजार पैकेट भेजे गए। यहां 40 लेबर दिन-रात सब्जियों के पैकेट बनाने में जुटे हैं। लेबर शुभम ने बताया हमारे आने के बाद ट्रैक्टर से मशीन चलाकर केमिकल से पूरा छिड़काव करवाया जाता है। इसके बाद साबुन से अच्छे से हाथ धुलवाने के बाद फिर सब्जियों की पैकिंग में लगाया जाता है। हम सभी को मास्क या रूमाल बांधने के लिए कहा जाता है। अगर कोई मास्क उतार दे तो डांट पड़ती है। सब्जी व्यापारी अशोक चौधरी ने बताया सब्जियां सीधे खेत से आती हैं। लेबर को एक-दूसरे से 2 से 3 फीट दूर बैठाकर पैकिंग करवाई जाती है। सारे पैकेट पर सीकर मशीन से सैनिटाइजेशन किया जाता है। यहां से उन्हें लोडिंग वाहनों से संबंधित किराना दुकानदार तक पहुंचाया जाता है। खराब सब्जियों को अलग कर देते हैं।

    व्यापारी ने कहा किसान लाया था खराब माल
    अपर आयुक्त ने बताया शहनाई गार्डन में व्यापारी शक्ति विरहे का माल था जबकि शक्ति विरहे ने कहा यह माल नवीन भिलवारे का था। शक्ति विरहे ने कहा खराब माल हमने पहले ही अपर आयुक्त को बताकर अलग करने का कहा था जबकि नवीन भिलवारे ने कहा किसान खराब माल लाया था।

    हजार किलो खराब सब्जियां फिंकवाई
    जोन 13 में शनिवार को खराब सब्जियों की सबसे ज्यादा शिकायतें आई थीं। अपर आयुक्त एमपीएस अरोरा मौके पर पहुंचे तो एक हजार किलो भिंडी और बैंगन खराब मिले, जिन्हें पैकेट में भरा जा रहा था। अपर आयुक्त ने खराब सब्जियां फिंकवा दी।

    श्री नगर एक्सटेंशन निवासी भूपेश शर्मा ने शिकायत की कि खराब सब्जियां आईं। वजन भी कम निकला। भिंडी 500 ग्राम आना थी, वह 400 ग्राम ही आई। हरा धनिया 200 ग्राम के बजाय 78 ग्राम निकला। वह भी खराब था। सीजनल सब्जी भी 1 किलो के बजाय 400 ग्राम आई। बैंगन एक किलो के बजाय 680 ग्राम आए। उधर, जोन 13 में रविवार को भी खराब पत्ता गोभी लोगों के घरों तक पहुंची।



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    सब्जी सप्लाय की डोर टू डोर व्यवस्था को लेकर लोगों के मन में आशंका थी कि सब्जियों के साथ कहीं कोरोना वायरस तो घर-घर नहीं पहुंच रहा है।




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    40 दिन से घर नहीं गए डॉक्टर भार्गव, रोज कर रहे 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज

    प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उमरकोट में पदस्थ डॉक्टर व यहां का स्टाफ ग्रामीणों को कोराेना संक्रमण के प्रति जागरूक कर रहा है। सबसे अहम बात यह है कि यहां पदस्थ डॉ. जितिन भार्गव करीब 40 दिनों से अपने घर नहीं गए हैं। वे लगातार यहां मरीजों का उपचार कर रहे हैं। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहले करीब 50 मरीज इलाज के लिए आते थे। लेकिन इन दिनों इनकी संख्या 100 से ऊपरपहुंच गई है। क्योंकि लॉकडाउन में आसपास के क्षेत्र में निजीप्रेक्टिस करने वालों ने भी मरीजों को देखना बंद कर दिया है, जो लोग सरदारपुर जाते थे वे भी कोराेना संक्रमण के डर सेवहां नहीं जा रहे। ऐसे में इस स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों का दबाव बढ़ गया है।


    डॉ. भार्गव कहते हैं ग्रामीण डर के मारे सरदारपुर (धार) नहीं जा रहे हैं, क्योंकि संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा अस्पताल में ही रहता है। ऐसे में क्षेत्र के मरीज उमरकोट में ही आ रहे हैं, जिन्हें उपचार दिया जा रहा है। साथ ही उन्हें संक्रमण से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं। गौरतलब है कि डॉ. भार्गव इंदौर के रहने वाले हैं, कोरोना के चलते वे भी 40 दिनों से लगातार यहीं पर ड्यूटी दे रहे हैं।

    छोटी-मोटी बीमारी में ना आएं अस्पताल
    डॉ. भार्गव ने बताया छोटी-मोटी बीमारी में भी लोग खतरा उठाकर स्वास्थ्य केंद्र आ रहे थे। ऐसे में उन्हें समझाइश दी कि वे ऐसी छोटी-मोटी परेशानी के लिए अस्पताल ना आएं। फोन पर ही मुझसे संपर्क करें। अगर कोई इमरजेंसी हो तो ही अस्पताल आएं। डॉ. भार्गव मोबाइल पर भी मरीजों को परामर्श दे रहे हैं। वे कहते हैं क्षेत्र में बाहर से आए लोगांे के घर जाकर उनकी स्क्रीनिंग की गई। जरूरत पड़ने पर उन्हें होम क्वारेंटाइन भी किया गया। ग्रामीणों को भी घर में रहने की समझाइश दी जा रही है।



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    Doctor Bhargava did not go home for 40 days, treating more than 100 patients daily




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    30 क्वारेंटाइन सेंटर से 1300 लोग घर पहुंचे, 450 और बचे

    शहर में कोरोना संकट के बीच एक अच्छी खबर। कोरोना के संक्रमित व संदिग्ध मरीज और उनके परिजन के लिए 46 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए। इनमें से 30 सेंटरों के सभी 1300 से ज्यादा लोग क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर घर जा चुके हैं। ये पूरी तरह ठीक हैं। अब 16 सेंटर में 450 लोग क्वारेंटाइन में हैं। इनमें से भी ज्यादातर लोगों को एक हफ्ते या उससे ज्यादा का समय पूरा हो चुका है। शहर में जो लोग कोरोना पॉजिटिव मिले थे, उनके परिजन (प्राथमिक संपर्क में आने वाले) को क्वारेंटाइन किया था। धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता गया। स्थिति को देखते हुए क्वारेंटाइन सेंटर की संख्या भी बढ़ाई। हालांकि अब जिन सेंटर से लोग घर जा चुके, उन्हें खाली करवाकर सैनिटाइजेशन करवा दिया है। क्वारेंटाइन सेंटर प्रभारी विवेक श्रोत्रिय के अनुसार, अब सिर्फ 450 लोग क्वारेंटाइन सेंटर में हैं। इनकी संख्या भी कम हो रही है। अब जो लोग पॉजिटिव आ रहे हैं, उनके प्राथमिक संपर्क में आने वाले लोग सक्षम हैं तो उन्हें होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है। बाकी को क्वारेंटाइन सेंटर लाया जा रहा है।

    आठ सेंटरों पर 25 से ज्यादा
    16 सेंटर में से चार पर 15-15 से ज्यादा लोग हैं। 25 से ज्यादा लोगों वाले आठ सेंटर हैं। सबसे ज्यादा 102 लोग निर्वाणा रिजॉर्ट में हैं। बाकी कुछ सेंटर पर दो, पांच और सात लोग भी हैं।
    आठ सेंटरों पर 25 से ज्यादा
    16 सेंटर में से चार पर 15-15 से ज्यादा लोग हैं। 25 से ज्यादा लोगों वाले आठ सेंटर हैं। सबसे ज्यादा 102 लोग निर्वाणा रिजॉर्ट में हैं। बाकी कुछ सेंटर पर दो, पांच और सात लोग भी हैं।
    पांच सेंटर को कोविड केयर सेंटर में बदला
    क्वारेंटाइन सेंटर में से ही 5 सेंटर को कोविड केयर सेंटर में बदल दिया है। यहां उन लोगों को रखा है, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है पर उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण नहीं हैं। डॉक्टर इनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दोनों तरह के सेंटर में रहने वाले लोगों को रोज काढ़ा, च्यवनप्राश, चाय-दूध, नाश्ता, खाना दिया जा रहा है। क्वारेंटाइन सेंटर में देखभाल के लिए 250 लोगों की टीम है।
    क्वारेंटाइन सेंटर में से ही 5 सेंटर को कोविड केयर सेंटर में बदल दिया है। यहां उन लोगों को रखा है, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है पर उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण नहीं हैं। डॉक्टर इनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दोनों तरह के सेंटर में रहने वाले लोगों को रोज काढ़ा, च्यवनप्राश, चाय-दूध, नाश्ता, खाना दिया जा रहा है। क्वारेंटाइन सेंटर में देखभाल के लिए 250 लोगों की टीम है।



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    तस्वीर शुभकारज मैरिज गार्डन की है। यहां 73 लोग थे। सभी अब घर चले गए। इन लोगों ने रोज योग किया। फोटो | ओपी सोनी




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    अरबिंदो अस्पताल से 47, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से 48 और चोइथराम से 3 लोग घर लौटे, बोले- डाॅक्टरों और स्टाफ ने बहुत हौसला बढ़ाया

    कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए 98 मरीजों कोसाेमवार काे अस्पताल से छुट्‌टी दे दी गई। अरबिंदो अस्पताल से 47 मरीज घर लौटे। वहीं,इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के 48 और चोइथराम अस्पताल से 3लोगों ने काेरोना को मात दी। इनकी दाेनाें रिपाेर्ट निगेटिव आने के बाद घर रवाना किया गया। अब 14 दिनों तकहोम क्वारैंटाइन में रहना होगा। अब तक458लोग ठीक होकर घर लौट चुके हैं।

    मनीषा ने हॉस्पिटल में अच्छी व्यवस्था के लिए सभी का आभार माना।

    डॉक्टरों और स्टाफ ने अपना समझा, हमारा हौसला बढ़ाया

    इंदौर की रहने वाली मनीषा ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद वह 17 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुई थी। इतने दिनों तक यहां पर डॉक्टरों और स्टाफ ने उनकी खूब सेवा की। शासन-प्रशासन और मेडिकल स्टाफ को धन्यवाद देना चाहूंगी कि उनकी ओरसे हमारी इतनी केयर की गई।फरा ने कहा कि मैं 11 अप्रैल को भर्ती हुई थी। यहां पर बहुत अच्छे तरीके से हमार इलाज किया गया। डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ की वजह से मैं अब घर जा रही हूं। उन्होंने अपना समझकर इलाज किया और हमारा हौसला बढ़ाते रहे।विकास ने कहा कि इंडेक्स कॉलेज के सभी डॉक्टर और स्टाफ को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं।

    70 साल की पहलवान समेत 12 लोग रविवार को घर लौटे
    अस्पतालों और कोरोना सेंटर्स से मरीजों के स्वस्थ होकर घर लौटने का सिलसिला जारी है। रविवार को तंबोली बाखल में अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां कोरोना की जंग जीतकर लौटे 70 साल के बाबूलाल यादव के स्वागत में दीपावली जैसा नजारा दिखा। पूरी गली में रंगोली बनाई, दीये जलाए और तालियां बजाकर रहवासियों ने स्वागत किया। रविवार को मनोरमा राजे टीबी अस्पताल से आठ मरीजों और चोइथराम अस्पताल से चार मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया।

    डॉक्टर्स, नर्स, पैरामेडिकल और सफाई कर्मचारियों ने तालियां बजाकर उन्हें विदाई दी। टीबी अस्पताल से अब्दुल हमीद, साजिद खान, भरत पटवा, रामकुमार जाट, शबाना बी, साजिद (बड़वानी), अंकिता दास और बानो बी (बड़वानी) को डिस्चार्ज किया गया। चोइथराम अस्पताल से डिस्चार्ज हुए मरीजों में प्रगति सिंह, कमर कुरैशी, बाबूलाल यादव और ख्याति ओझा शामिल हैं।



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    कोरोना से जंग जीतकर कर घर लौट रहे मरीजों काे डॉक्टर और स्टाफ ने ताली बजाकर विदा किया।




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    टवलाई के 4 डाॅक्टर धार में निभा रहे फर्ज, बाेले घर से दूर रहना थोड़ा कठिन पर कोरोना को भी तो हराना है

    गांव टवलाई के चार डॉक्टर धार में कोरोना मरीजों की सेवा कर अपना फर्ज निभा रहे हैं। कोरोना संकट में आयुष विभाग ने अस्थाई रूप से सेवा के लिए बुलाया ताे यह तुरंत धार पहुंचे। जिला अस्पताल में सेवा देना शुरू की। धार के हाेटल में रह रहे हैं। डाॅक्टराें ने कहा घर परिवार से दूर रहना थाेड़ा सा कठिन है परंतु काेराेना काे हराना है। हम यह जंग जरूर जीतेंगे।

    काेराेना हारेगा, देश जीतेगा
    गांव के डॉ. प्रीतेश जायसवाल आयुष चिकित्सा अधिकारी के रूप में कोरोना केयर सेंटर में मरीजों को सेवा दे रहे हैं। इससे पहले वे गंधवानी में अपना क्लिनिक चलाते थे। अायुष विभाग की सूचना पर सेवा देना शुरू की। डाॅ. जायसवाल ने बताया संकट के समय सेवा देने पर अपने आप पर गर्व महसूस हाे रहा है। घर से दूर रहना थोड़ा सा कठिन है पर कोरोना को भी तो हराना है।

    डिग्री के बाद पहला अनुभव
    डॉ. सोनू जाट कोरोना वाॅरियर्स के रूप में सेवा दे रही है। डाॅ. जाट ने बताया डिग्री मिलने के बाद यह पहला अनुभव है। मरीजों की सेवा करने से बहुत खुशी मिलती है। रिस्क बहुत है पर देश को कोरोना से जिताना भी जरूरी है। संघर्ष की घड़ी में देश के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। घर, परिवार के लाेग भी चिंतित रहते हैं उनसे बातचीत कर खुद काे सुरक्षित महसूस कराती हूं।

    परिवार काे गर्व हाे रहा

    गांव के डॉ. कमल रावत दाभड़ में अपना क्लिनिक चलाते थे। शासन ने इन्हें भी धार में सेवा के लिए बुलाया है। डाॅ. ने बताया कड़े संघर्ष से आयुष की डिग्री प्राप्त की है। सेवा का माैका मिलने पर तुरंत धार गया। गांव एवं परिवार के लोगों को गर्व महसूस हो रहा है। हम कोरोना को हराएंगे।

    देश के काम आ रहा हूं

    डाॅ. मगनसिंह अलावा ने बताया खुद पर गर्व हाे रहा है कि इस संकट की घड़ी में देश के काम अा रहा हूं। काेराेना संक्रमित क्षेत्र में उपचार कर लाेगाें काे घर में ही रहने की सलाह देते हैं। घर की याद अाने पर परिवार से वीडियाे काॅल कर लेते हैं। हम काेराेना की जंग में पीछे नहीं हटेंगे।


    2 माह की बेटी से नहीं मिल पाए, वीडियो काॅलिंग करते हैं
    उज्जैन के डॉ. महेंद्र सोनी बगड़ी के जमाई है। इस समय वे आगर-मालवा के जिला अस्पताल में सेवा दे रहे हैं। दाे माह पूर्व बेटी द्रीती का जन्म हाेने से पत्नी निमांशा बगड़ी में ही है। लाॅकडाउन के चलते व सेवा में व्यस्त हाेने से डॉ. सोनी अभी तक अपनी पत्नी व बेटी से नहीं मिल पाए हैं। वे वीडियाे काॅलिंग कर ही बेटी काे निहारते व परिवार से बात करते हैं।



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    27 ने शुरू किया रक्तदान, 2 साल में 424 डोनर जुड़े

    दो वर्ष पूर्व 27 लोगों से बनी ब्लड डोनेशन टीम से अब 424 रक्तदान जुड़ चुके हैं। येरक्तदाता जरूरत पड़ने पर एक फोन पर ही खून देने पहुंच जाते हैं। दो साल में ही टीम के सदस्यों ने जिले सहित अन्य राज्यों में जाकर रक्तदान किया। 4 मई को इस टीम को बने दो साल पूरे हो गए। आज के दिन वर्ष 2018 में ब्लड डोनेशन टीम बनाई गई थी। नगर के 27 ब्लड डोनर इसमें शामिल हुए थे। टीम का गठन थांदला क्षेत्र में ब्लड की कमी को देखते हुए किया गया था। अजय सेठिया, समर्थ उपाध्याय, प्रशांत उपाध्याय, श्याम मोरिया, आनंद चौहान, मनीष बघेल, स्वप्निल जैन, अर्पित जैन, आनंद राठौर, नीरज श्रीवास्तव ने इसकी शुरुआत की थी। इन युवाओं ने समय-समय पर रक्तदान किया। देखते ही देखते इनसे लोग जुड़ते गए।


    दो साल में आज इस टीम में 424 डोनर जुड़ गए हैं। येसभी हर जगह ब्लड उपलब्ध कराते हैं। अभी तक 385 रक्तदान इस टीम के सदस्य कर चुके हैं। अन्य प्रदेशों में भी रक्तदान के लिए जा चुके हैं। इस टीम को ब्लड डोनेशन के लिए अब तक 4 अवाॅर्ड भी मिल चुके हैं। इसके अलावा उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए भी ये सम्मानित हो चुके हैं। लॉकडाउन में भी टीम के सदस्य जरूरमंदों की मदद कर रहे हैं।



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    27 started blood donation, 424 donors added in 2 years




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    इंदाैर में अन्य प्रदेशाें के फंसे लोगों को राहत, यहीं से अब ई-पास जारी होंगे, 48 घंटे के भीतर मोबाइल पर परमिशन मिलेगी

    लाॅकडाउन के बाद से अन्य प्रदेशों में फंसे लोगोंके लिए इंदौर प्रशासन की ओर से एक राहतभरी खबर है। प्रशासन ने इंदौर में जो लोग फंसे हैं और जिनको अन्य राज्यों में जाना है या अन्य राज्यों के वे लोग जिन्हें इंदौर आना हैं, उन्हें अब यही से ही ई पास मिल जाएंगे। कलेक्टर मनीष सिंह ने इसकी जिम्मेदारी प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय को सौंपी है, जिन्होंने अभी तक प्राप्त आवेदनों की जांच शुरू कर दी है और संभवतः एक-दाे दिन में कई लोगों को ही ई-पास जारी भी कर दिए जाएंगे, जिन लोगों ने पहले आवेदन किए थे और रिजेक्ट हो गए वह भी फिर से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।


    इंदौर में धार्मिक यात्रा, अध्ययन, पारिवारिक सदस्यों से मिलने इत्यादि के लिए आए हुए व्यक्ति जो अपने साधनों से मध्यप्रदेश के बाहर वापस जाना चाहते हैं, उनको e-Pass की सुविधा की प्रक्रिया में संशोधन करते हुए अब इंदौर से ही अनुमति प्रदान की जाएगी। यह e-Pass MAPIT के पोर्टल https://mapit.gov.in/covid-19/ पर पंजीयन के उपरांत जारी किए जाएंगे, इसके लिए नए आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ निम्न जानकारी online दी जानी आवश्यक है।

    ये दस्तावेज जरूरी हाेंगे

    • अन्य राज्य के निवासी होने का दस्तावेज (मोबाइल से खींचे गए दस्तावेज के फोटो)।
    • वाहन का पंजीयन क्रमांक।
    • सदस्यों की संख्या का उल्लेख आवश्यक है।
    • e-Pass आपको अपने मोबाइल पर ही 48 घंटे के भीतर मिल जाएगा।


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    कलेक्टर मनीष सिंह ने इंदौर में फंसे लोगों को राहत दी है।




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    धार के डेहरी में परिवार के 14 पॉजिटिव; उनकी दुकान झाबुआ में, तलाश में पहुंची टीम

    सोमवार रात प्रशासन को खबर मिली कि दुकान वाले दो लोग झाबुआ आए हैं। इसके बाद रात 11 बजे से तीन घंटे तक हुड़ा क्षेत्र और सज्जन रोड पर तलाश की गई लेकिन कोई नहीं मिला। दुकान मालिक से भी अफसरों ने बात की। पता चला, तकरीबन दो महीने से दुकान बंद है। काम करने वाले भी तभी चले गए थे। जो दुकान मालिक पॉजिटिव मिला, वो दो महीने से यहां नहीं आया।


    इसके बाद अफसरों की जान में जान आई। टीम एक घंटे तक दुकान मालिका के रिश्तेदारों और यहां काम करने वालो की तलाश में लगी रही। हालांकि बाद में जब ये तसल्ली हो गई कि यहां कोई नहीं है तो टीम लौट गई। डेहरी के जिस परिवार के 14 लोगों को कोरोना निकला, वो सभी आइसोलेशन में हैं। उनका इलाज चल रहा है। इन सभी की रिपोर्ट सोमवार को एक साथ आई। दुकान मालिक के अनुसार, दबंग कलेक्शन नाम की राजवाड़ा चाैक की इस दुकान पर मालिक कम ही आते हैं। ज्यादातर दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी काम संभालते हैं। जब कोरोना संक्रमण फैलने लगा तो मार्च महीने के बीच ही सारे लोग चले गए थे। उन लोगों से अफसरों की वीडियो कालिंग भी कराई गई है।

    आज आ सकती है 27 रिपोर्ट

    29 अप्रैल को राजस्थान सीमा की नयागांव बॉर्डर से बस में आए दाहोद के कोरोना संक्रमित परिवार के 7 लोगों के साथ बैठकर आए जिले के मजदूरों के सैंपल की रिपोर्ट बुधवार शाम तक आ सकती है। सीएमएचओ बीएस बारिया ने बताया, 27 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। अभी इन सभी लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है और इनके परिवार वालों को होम क्वारेंटाइन किया गया।


    ये रिपोर्ट निगेटिव आई तो बड़ा खतरा टलेगा
    जिले के ग्रीन जोन में बने रहने के लिए इन 27 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आना जरूरी है। बस में 45 लोग आए थे। इनमें से 11 दाहोद के परिवार के सदस्य थे। बाकी 34 झाबुआ और आलीराजपुर जिले के थे। 30 तारीख को दाहोद के दो भाईयों के सैंपल लिए थे। रविवार को दोनों की पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी। सोमवार को इसी परिवार के 5 और सदस्य पॉजिटिव मिले थे।


    सेंटर में रखे युवक को बुखार, खिड़की से लिया ब्लड सैंपल
    शहर के पास गोपालपुरा क्वारेंटाइन सेंटर में उत्तर प्रदेश के कुछ लोगों को रखा गया है। इनमें से एक युवक 17 साल के प्रदीप सुखराम को सोमवार शाम बुखार आ गया। खबर मिली तो एएनएम सीमा भूरिया पहुंची। कोरोना के खतरे के बीच खिड़की से ही मरीज का सैंपल लिया। डॉक्टरों का कहना है, कोरोना जैसे लक्षण नहीं है। सामान्य बुखार है। मलेरिया जांच के लिए ब्लड सैंपल लिया गया।



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    14 positives of the family in Dehri, Dhar; His shop in Jhabua, team reached in search




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    कुक्षी के 19 व डेहरी के 7 मरीजाें की रिपोर्ट आना बाकी, 15 धार रैफर, 42 क्वारेंटाइन

    कुक्षी सहित डेहरी में कोरोना मरीजाें की संख्या बढ़ी है। कुक्षी में सोमवार रात बढ़पुरा (सुभाष मार्ग) में रहने वाला एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया। वहीं डेहरी में 29 वर्षीय काेराेना पाॅजिटिव युवक के परिवार के 14 व्यक्तियों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। कुक्षी के कोरोना पॉजिटिव मृतक की मां और बहन सहित कुल 16 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अब तक कुक्षी में 8 और डेहरी में 15 लोग पॉजिटिव है।


    बढ़पुरा में 50 वर्षीय व्यक्ति की रिपोर्ट आने के बाद रात में ही एसडीएम बीएस कलेश, तहसीलदार सुनील कुमार डावर और थाना प्रभारी कमल सिंह पवार संबंधित क्षेत्र में पहुंच कर कंटेनमेंट एरिया घोषित किया। कुक्षी में हाईरिस्क श्रेणी में 19 और डेहरी में 7 लोग चल रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट आना शेष है। ये लोग कुक्षी के क्वारेंटाइन सेंटर में है। वहीं लो रिस्क श्रेणी के 87 लोग हैं। जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कुक्षी बीएमओ राजेंद्र सिंह मंडलोई को हटाते हुए जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. नरेंद्र पवैया को प्रभार सौंपा है।


    क्राइसिस मैनेजमेंट के मनोज दुबे (बीआरसी डही) ने बताया आइसोलेशन व उपचार के लिए 15 लोगों को धार रैफर किया है। 42 नए लोग कुक्षी में क्वारेंटाइन किए गए हैं। इधर नए केस आने के बाद प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है। पुलिस जवानाें के साथ महिला पटवारियों को चौराहे पर तैनात किया है। अधिकारी खुद सड़कों पर निकलकर पूरी तरह से कानून व्यवस्था पर नजर बनाते हुए सख्ती करते दिखे। सोमवार रात पुलिस प्रशासन ने फ्लैग मार्च निकाल कर लोगों से घरों में रहने की अपील की।

    प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिंघाना में कर्मचारियों के लिए सांसद छतरसिंह दरबार ने पीपीई किट, सैनिटाइजर एवं मास्क दिए। मेडिकल ऑफिसर डॉ. भूतल राठौर, कम्पाउंडर कुंवर पालसिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व जिला पंचायत निर्माण समिति अध्यक्ष देवराम पाटीदार, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ धार जिलाध्यक्ष अशोक राठौर, सुरेश भाई साद डोंगरगांव, सुरेश पाटीदार देवगढ़ सहित अन्य कार्यकर्ता माैजूद थे।



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    Reports of 19 patients of Kukshi and 7 of Dehri are yet to come, 15 Dhar Refer, 42 Quarantine




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    25 केंद्राें पर 5823 किसानाें से 4.21 लाख क्विंटल की खरीदी, परिवहन नहीं हाेने से 20 जगह गेहूं खुले में पड़ा, बारदान की है कमी

    समर्थन मूल्य पर 25 केंद्राें पर गेहूं खरीदा जा रहा है। इसमें से 20 जगह खरीदा गेहूं परिवहन नहीं होने से गेहूं रखने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब तक 5823 किसानों से 4 लाख 21 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। इसमें से 3 लाख क्विंटल का ही परिवहन हाे पाया है। 1 लाख 21 हजार क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा है। जो मौसम में बदलाव से खराब होने का अंदेशा है। वहीं जिला मुख्यालय से मार्केटिंग फेडरेशन के अधिकारियों ने बारदान परिवहन नहीं किया। कई केंद्रों पर बारदान की कमी है। कुछ केंद्र प्रभारी ने स्वयं का वाहन भेज कर बारदान मंगवा कर खरीदी शुरू की है।


    काछीबड़ाेदा केंद्र पर गेहूं का परिवहन नहीं होने से सोमवार को खरीदी नहीं हुई। मैसेज मिलने पर उपज लेकर आए किसान परेशान होते रहे। केंद्र पर खुले में पड़े गेहूं को तिरपाल से ढंका गया है। सहकारिता अधिकारी वर्मा का कहना है गेहूं परिवहन के लिए वरिष्ठ अधिकारी को सूचित कर दिया है। वाहन की कमी होने से परिवहन में देरी होने से कई केंद्राें पर गेहूं का स्टाॅक पड़ा है। शीघ्र ही गेहूं उठवाया जाएगा।

    तलवाड़ा वेयर हाउस फूल, अब बगड़ी मंंडी परिसर में हाेगी खरीदी

    उपार्जन केंद्र तलवाड़ा वेयर हाउस में क्षेत्र के किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा था। जहां दो संस्थाओं की खरीदी हाेने व परिवहन नहीं हाेने से वेयर हाउस पूरा भर गया। किसानों काे भी 7 से 15 किमी की दूरी तय कर तलवाड़ा जाना पड़ता था। किसानों ने एसडीएम सत्यनारायण दर्रो से चर्चा कर खरीदी केंद्र को बगड़ी में करने की मांग की थी। एसडीएम ने अधिकारियों से चर्चा कर खरीदी केंद्र बगड़ी किया है। अब बगड़ी संस्था के किसानों की उपज कृषि उप मंडी में खरीदी जाएगी। नायब तहसीलदार जितेंद्रसिंह तोमर ने गेहूं तुलाई के बाद प्रतिदिन परिवहन करने के लिए संबंधित अधिकारियाें काे निर्देश दिए। थाना प्रभारी बीएस वसुनिया, बीएमओ चमनदीप अरोरा ने भी खरीदी केंद्र का निरीक्षण कर संस्था प्रबंधन कृष्णा वर्मा, कालूराम वर्मा व किसानाें से चर्चा की।

    अधिक किसानाें काे बुलाने से लग रही भीड़
    ई-उपार्जन केंद्र पर ज्यादा किसान पहुंचने लगे हैं। भाेपाल से मैसेज मिलने के बाद उपज लेकर अाने से वाहनाें की कतार केंद्र के बाहर लग रही। खरीदी केंद्र पर भीड़ बनने से निश्चित दूरी का पालन नहीं हाे रहा। वंदना वेयर हाउस मनासा में कतार में वाहन आगे पीछे करने को लेकर किसानों के बीच विवाद हाे गया। 100 डायल व कानवन थाना बीट प्रभारी रवींद्र चाैधरी ने पहुंचकर किसानों को समझाइश दी। नागदा स्थित वेयर हाउस के बाहर वाहनाें की भीड़ बढ़ने से मंडी परिसर में खड़े कराए। नायब तहसीलदार मनीष जैन ने पहुंच कर भंडारण व रखरखाव को लेकर प्रभारी विजेंद्रसिंह बना से जानकारी ली। वेयरहाउस भर जाने से गेहूं बाहर पड़ा है। नायब तहसीलदार जैन ने किसानों से कहा कि अाप धैर्य के साथ सहयोग करें। सभी का गेहूं खरीदा जाएगा। मैसेज सीमित रखने के लिए प्रभारी बना को जीएसओ से चर्चा कर व्यवस्था बनाने की बात कही। पेयजल की व्यवस्था व निश्चित दूरी, मास्क का उपयाेग करने के निर्देश दिए। ई-उपार्जन केंद्र नागदा व मनासा में अब तक 633 किसानों से 49335 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है।



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    Purchased 4.21 lakh quintals from 5823 farmers at 25 centers, wheat was left in the open due to lack of transportation, there is shortage of gunny bags
    Purchased 4.21 lakh quintals from 5823 farmers at 25 centers, wheat was left in the open due to lack of transportation, there is shortage of gunny bags




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    कोरोना से ठीक हाेने के बाद 14 पेशेंट घर रवाना हुए ताे अन्य मरीजाें काे हाथ हिलाकर बेस्ट ऑफ लक कहा

    ईश्वर करे यह बीमारी और किसी को ना हो क्योंकि हमने इसके परिणाम भुगते हैं। आप लापरवाही ना करें, खुद को सुरक्षित रखें और अपने घरों में ही रहें ताकि आप इस संक्रमण की चपेट में आने से बच सकें।


    मंगलवार काे धार के आइसाेलेशन सेंटर महाजन अस्पताल से डिस्चार्ज हुए मरीजाें ने भास्कर से चर्चा में यह बात कही। रिचा चाैधरी ने अस्पताल में भर्ती लाेगाें काे कहा कि इससे डरने की जरूरत नहीं है, यदि आप हाैसला रखेंगे और नियमाें का पालन करेंगे ताे आप भी जल्द ठीक हाेकर अपने घर काे जाएंगे। अपने स्वागत से अभिभूत ये लाेग जब अस्पताल से निकल रहे थे कुछ लाेगाें ने वार्ड की अाेर हाथ हिलाकर अन्य मरीजाें काे बेस्ट ऑफ लक कहा और वहां से विदा हाे गए। सभी काे एक बस से उनके घर पहुंचाया गया। सैनिटाइज बस में एक सीट छाेड़कर बैठाया गया था। अस्पताल से निकलते ही सबसे पहले उन्हें सैनिटाइज किया गया। दवाइयां दी गई। कलेक्टर श्रीकांत बनाेठ ने उनसे स्वास्थ्य विभाग की सेवाओंकी जानकारी ली। गाैरतलब है कि इन 14 लाेगाें में आठ धार के, चार पीथमपुर और 2 तिरला के हैं।


    आठ साल का फैजान बाेला- लगा जैसे घर पर ही हूं
    नवीन जोशी ने जिला प्रशासन और हॉस्पिटल की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया डॉक्टरों और स्टाफ ने पूरी सेवा समर्पण भाव से की। हमारा इलाज किया जिस कारण आज हम स्वस्थ हुए हैं। आठ वर्षीय फैजान ने बताया कि उसे लगा ही नहीं कि वह अस्पताल में है। घर जैसा माहौल मिला। समय पर खाना और दवाइयां दी गई। फरहीन खान ने बताया कि अस्पताल आने के पहले तक कई तरह के विचार मन में उठ रहे थे। डर लग रहा था, लेकिन यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उन्हें मिली ताे हिम्मत आ गई और जब पहली रिपाेर्ट पाॅजिटिव आई ताे लगा अब मैं ठीक हाे जाऊंगा, जिला प्रशासन धन्यवाद। जफर खान, सबीना बी, फिजा बी, कंचन उईके, सुनीता राठौर, रीना, मो. रिजवान, शमशीन खान, दीपक, पायल, फरीन खान भी शामिल है। कलेक्टर बनोठ, पुलिस अधीक्षक आदित्यप्रताप सिंह ने सभी 14 व्यक्तियों को बुके, गिफ्ट व मेडिकल किट दिए। 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन की समझाइश दी।



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    14 patients left home after recovering from Corona and shook hands with other patients and said best of luck




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    अमझेरा में 40 दिन से पीने के पानी के लिए भटक रहे 400 घरों के लाेग, मोटर खराब होने से बढ़ी समस्या

    जहां हर तरफ लाॅकडाउन है लोग घरों में हैं। वहीं अमझेरा में इंदिरा काॅलोनी, होली टेकरा, कोली कुआं, बालक छात्रावास के निकट रहने वाले लोग पानी के लिए भटक रहे हैं।


    मामला वीर तेजाजी महाराज मंदिर के पास लगे ग्राम पंचायत द्वारा नलकूप का है जहां प्रर्याप्त पानी है। सचिव की अनदेखी के चलते 400 घरों के लोग पानी के लिए दूर-दूर भटक रहे हैं। 40 दिनों से पानी की मोटर किसी कारण से खराब हो गई है। रहवासियों ने जिसकी शिकायत पंचायत सचिव रुंगनाथ सिंह चौहान,को कई बार की लेकिन सचिव इस ध्यान नहीं दे रहे हैं। पानी की मोटर को दुरुस्त नहीं करवा रहे हैं।
    क्षेत्र में मात्र 6 स्थानों पर पंचायत द्वारा नल कनेक्शन लगे हैं। उक्त नलकूप का पानी सप्लाई होकर नलों में आता है, जहां से क्षेत्र के लोग इसका पेयजल में उपयोग करते हैं। पूर्व पंच सीताराम, ने बताया कि गरीब आदिवासी, बस्ती है। पानी के लिए गंगा घाट, बांद्रिया कुआं, मनावर रोड स्थित कुआं, अमका झमका स्थित हैंडपंप से महिलाएं, पुरुष, छोटे-छोटे बच्चे पीने का पानी सिर पर उठाकर ला रहे हैं। पूर्व पंच मोहनसिंह एवं राकेश बारिया ने कहा कि सचिव को एक माह से कह रहे हैं कि पानी की मोटर दुरुस्त करवा कर पानी सप्लाई किया जाए।
    जल्द दुरुस्त करवाएंगे

    रुगनाथसिंह चौहान, सचिव ग्राम पंचायत अमझेरा ने कहा-पानी की मोटर दुरुस्त करवाकर व्यवस्था जल्द करवाएंगे।



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    400 people wandering in Amjhera for drinking water for 40 days, problem increased due to motor failure




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    लॉकडाउन के 43 दिन : 4 सेंटरों में 259 को किया क्वारेंटाइन, 174 डिस्चार्ज हुए

    पेटलावद ब्लॉक मुख्यालय पर बनाए गए 4 क्वारेंटाइन सेंटरों में 85 लोग बचे हैं। लॉकडाउन के करीब 43 दिनों में यहां बाहर से आए ढाई सौ से अधिक लोगोंको क्वारेंटाइन किया गया था। हालांकि जिनकी भी अवधि पूरी हो गई उन्हें यहां से जाने दिया था।


    कस्तूरबा बालिका विद्यालय सीनियर छात्रावास, कन्या शिक्षा परिसर, अंग्रेजी माध्यम बालिका आश्रम और बालक उत्कृष्ट छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है। इन्हें 1 मार्च से शुरू किया गया है। इन सेंटरों में अब तक कुल 259 व्यक्तियों को क्वॉरेंटाइन किया गया। जिनमें से 174 को डिस्चार्ज कर दिया है। जबकि 94 के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 67 की रिपोर्ट निगेटिव आई। 7 विभिन्न कारणों से रिजेक्ट हो गई। उनमें से 2 पुनः सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इन सेंटरों पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर मुन्नालाल चोपड़ा एवं उनकी टीम द्वारा प्राथमिक जांच कर सूची बनाकर इन सेंटरों में भेजा जाता है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रतिदिन इन सेंटरों पर स्वास्थ्य परीक्षण एवं आवश्यक दवाई आदि देने नियमित आती है। नगर परिषद द्वारा प्रतिदिन इन केंपस को सैनिटाइजे किया जाकर जल की आपूर्ति की जा रही है।


    आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारी दे रहे ड्यूटी: इन क्वारेंटाइन सेंटरों में समस्त कर्मचारी आदिवासी विकास विभाग के शिक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। इन सेंटरों की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी शासकीय कन्या उमावि पेटलावद के प्राचार्य ओंकारसिंह मेड़ा को बनाया गया है। प्रत्येक क्वारेंटाइन सेंटर पर दो अधीक्षक को मेस संचालन एवं अन्य व्यवस्थाओं संबंधी दायित्व सौंपे गए हैं।



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    उज्जैन में 11 और संक्रमित मिले, पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 195 हुआ, अब तक 40 की जान गई

    कोरोना का संक्रमण अब नए शहर के नानाखेड़ा, नागेश्वर धाम कॉलोनी, सांदीपनि नगर ढांचा भवन सहित पांच नए क्षेत्र में पहुंच गया है। बुधवार को आई रिपोर्ट में 11 नए पॉजिटिव मरीज मिले। जिले में अब तक 195 मरीज पॉजिटिव मिल चुके हैं। इनमें से 40 की मौत हो गई है। वहीं, अब तक 57 लाेग काेराेना काे हराकर अपने घर लाैट चुके हैं। शहर में मरीज और मौतें तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सैंपलिंग काफी धीमी है। यहां तक कि कंटेनमेंट एरिया में ही जांच नहीं हो पा रही है। इसका एक ताजा उदाहरण नयापुरा की जैन कॉलोनी में नजर आया है।

    जैन कॉलोनी मेंरहने वाले 60 वर्षीय व्यक्ति की 30 अप्रैल की दोपहर आरडी गार्डी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। 4 मई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मृतक के घर बाहर व कॉलोनी में बैरिकेड्स लगाकर उसे कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया। 24 घंटे बाद भी मृतक की मां, पत्नी व बेटी समेत दो नाती के सैंपल लेने स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची। हालांकि भास्कर टीम ने जब जिम्मेदारों से बात की तो रात में परिवार के सैंपल लेने टीम पहुंची।
    परिवार की विनती- रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो आरडी गार्डी मत भेजना
    पिता को खोने वाली बेटी ने कहा 29 अप्रैल को पिता को शुगर बढ़ने से तकलीफ हो रही थी। हमने एंबुलेंस को फोन लगाया। तीन घंटे बाद शाम को एंबुलेंस आई। मां पिताजी को सीएचएल लेकर गई। वहां उनकी सोनोग्राफी हुई। वहां से आरडी गार्डी भेजने काे कहा। उन्होंने एंबुलेंस में मां को बैठाया व रात 11 बजे गदापुलिया पर उतार एंबुलेंस पिताजी को लेकर चली गई। मां पैदल घर आई व बताया कि तेरे पापा को आरडी गार्डी ले गए। रात 12.30 बजे फोन किया तो वे बोले- ऑक्सीजन मास्क लगाया हुआ है, बाद में बात करूंगा। सुबह बोले- वे ब्लड सैंपल ले गए हैं। दोपहर में पिता से दोबारा बात हुई, वे बोले- मुझे कोई आराम नहीं हुआ। रातभर भूखा रहा, दोपहर में पौने तीन बजे खाना दिया। यहां कुछ भी ठीक नहीं लग रहा है। शाम पांच बजे पता चला पिताजी की मौत हो गई। मेरे साथ मां-दादी व मेरे दो बच्चे हैं। प्रशासन हमारे सैंपल लेकर जांच रिपोर्ट बताए, हम भी अगर संक्रमित है तो घर आकर गोली मार दें लेकिन अब आरडी गारडी नहीं जाएंगे।
    रहवासी बोले- चाहकर भी मदद नहीं कर पा रहे
    जैन कॉलोनी में रहने वाले राजेश जैन समेत आसपास के लोगों ने बताया यहां 70 परिवार रहते हैं। पुलिस मृतक के घर वालों की जानकारी लेकर चली गई। निगम वाले सिर्फ पानी से सड़क धोकर चले गए। कॉलोनी के लोग दहशत में हैं कि संबंधित परिवार की जांच से स्थिति तो साफ हो ताकि आसपास के लोग राहत महसूस कर परिवार की मदद तो कर सकें।



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    मंगलवार को 33 लोग रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद घर पहुंचे। 22 मरीजों की छुट्‌टी आरडी गार्डी से हुई, तो 11 लोग पीटीएस से घर पहुंचे।




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    गरीबी रेखा के ऊपर वालाें के लिए कलेक्टाेरेट के गेट बंद, लॉकडाउन के 45 दिन बाद अब मध्यमवर्गीय भी आर्थिक रूप से हैं परेशान

    गरीबी रेखा के ऊपर यानी एपीएल राशनकार्ड धारियाें के लिए बुधवार काे कलेक्टाेरेट के गेट बंद कर दिए गए। इन राशनकार्डधारियाें के लिए शासन ने राशन की व्यवस्था नहीं की है। लाॅकडाउन के कारण इनके यहां भी राशन की दिक्कत शुरू हाे गई है और पिछले कई दिनाें से अपना नाम दर्ज करवाने के लिए ये लाेग कलेक्टाेरेट में कतार लगा रहे हैं। उन्हें रजिस्टर में नाम लिख कर लाैटाया जा रहा था। बुधवार काे इन लाेगाें काे कलेक्टाेरेट से भगा दिया गया।


    पुलिस वालों ने भारी भीड़ को देखते हुए कलेक्टाेरेट के सभी जगह गेट बंद करवा दिए। पूरे दिन गेट बंद रहे। जब भी कोई अधिकारी आते थे, उस समय पुलिसकर्मी गेट खोलते थे और फिर बंद कर ताला लगा देते थे। एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने बताया अभी हम लोग लाॅकडाउन में और लोगों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। शासन खुद सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील कर रहा है। जांच कराएंगे जिसने भी लोगों को भ्रमित कर भीड़ भेजी है। मैसेज भेजने वाले पर कड़ी कार्रवाई कर जेल भेजेंगे।


    बुधवार काे भी महिलाओं की भीड़ काे देखते हुए एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने पुलिस बल बुलाकर सभी काे परिसर से बाहर सड़क पर खड़ा कर दिया। गेट पर ताले लगाने के बाद भी महिलाएं घर नहीं जा रही थी, जिनके हाथ जाेड़कर एडीएम सूर्यवंशी ने निवेदन किया तब जाकर महिलाएं रवाना हुई। महिलाओं का कहना था कि हमारे घर में राशन खत्म हाे गया, गुलाबी राशनकार्ड पर इंट्री इाेने के बाद घर तक राशन पहुंच रहा है। हमें भी सूखा राशन उपलब्ध करवाया जाए।

    एडीएम ने लाेगाें से कहा- आप लाेगाें के लिए सुविधा नहीं है, इसलिए घर जाइए। इस मामले में एडीएम ने का कहना था, हमने माता-बहनाें से निवेदन किया ताे वह चली गर्ई हैं। शासन और सामाजिक संगठनाें की मदद से इन लाेगाें की मदद पूर्व में की है इस बार भी करेंगे।


    एपीएल कार्डधारियों की उचित मूल्य दुकानों पर इंट्री कर दें राशन

    लॉकडाउन के 45 दिन बाद अब मध्यमवर्गीय भी आर्थिक रूप से परेशान हैं, कालाबाजारी पर जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। अनिलसिंह ठाकुर ने बताया लॉकडाउन के डेढ़ माह बीतने पर माध्यमवर्गीय परिवारों के आगे संकट उत्पन्न हो गया, घरों में रखा राशन भी जवाब दे चुका है। एपीएल राशन कार्डधारियों को कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटने बाद भी कोई जवाबदार अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। जिला प्रशासन को चाहिए उचित मूल्य दुकानों पर ही इन उपभोक्ताओं कोइंट्री कर राशन दिया जाए। इधर श्रमिक परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ चुकी है।



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    Collectorate gates closed for poverty line, 45 days after lockdown, middle class are financially troubled