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पहली मौत के बाद 32 दिनों मे गई थी 50 लोगों की जान, अब सिर्फ 11 दिनों में 100 पर पहुंचा आंकड़ा

राजस्थान में शुक्रवार को मौत का कोरोना से मौत का आंकड़ा100 पर पहुंच गया। 100वीं मौत अजमेर में हुई। यहां 65 साल के एक खानाबदोशव्यक्ति नेदम तोड़ दिया। वह दो दिन पहले ही अजमेर के दरगाह के पास मिला था। यह इलाका संक्रमण का हॉट स्पॉट है। इसलिए, इसकी जांच कराई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। राजस्थान में संक्रमण से पहली मौत 26 मार्च को भीलवाड़ा में हुई थी। यहां एक ही दिन में दो संक्रमितों की जान गई थी। इसके बाद सेअब तक यानी 43 दिन में मौत का आंकड़ा 100 तक पहुंच गया।

राज्य में यूं बढ़ा मौत आंकड़ा

26 मार्च के बाद17 दिन में यानी 12 अप्रैल तक संक्रमण से मौत का आंकड़ा10 पर पहुंच गया। इसके बाद कोरोना से होने वाली मौतों में तेजी आने लगी।18 अप्रैल को राज्य में मौत की संख्या21 पहुंची। फिर24 अप्रैल यानी महज 6 दिन में यह आंकड़ा32 पर पहुंच गया। 22 अप्रैल कोजयपुर में 4 लोगों की मौत हुई। इसके बाद 26 अप्रेल को राज्य मेंएक सात लोगों की मौत के साथ आंकड़ा 41 पर पहुंच गया। राज्य में अब तक सबसे ज्यादा मोतें27 अप्रैल को हुई। इस दिन9 कोरोना संक्रमित लोगों की मौत हुई। इसके बाद आंकड़ा 50 पहुंच गया। जो कि अब8 अप्रैल को 100 पर पहुंच गया।

तीन गुनी रफ्तार से बढ़ी मौत
डराने वाली बात यह है किराजस्थान में मौत का आंकड़ा करीब तीन गुना कीरफ्तार से बढ़ा है। क्योंकि, 26 मार्च से 27 अप्रैल तक यानी 32दिनों मे 50 लोगों की मौत हुई। वहीं, इसके बाद महज 11 दिन में मौत की संख्या100 पर पहुंच गई।

सबसे ज्यादा 55 की जान जयपुर में गई

राज्य में हुई कुल मौतों में अब तक सबसे ज्यादाजयपुर में हुई है। अकेले जयपुर में 55 लोगों की संक्रमण से जान जा चुकी है। वहीं, जोधपुर में16, कोटा में10, अजमेर में 3, की जान जा चुकी है। इसके अलावा भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, नागौर, सीकर, भरतपुर में 2-2 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, करौली, प्रतापगढ़, अलवर, बीकानेर, सवाई माधोपुर और टोंक में संक्रमण से एक-एक मौत हो चुकी है।

20 साल से कम पांच की जान गई
अब तक हुई 100 मौतों में पांच की उम्र 20 साल से कम थी। इनमें एक 20 दिन का बच्चा भी है। हालांकि, इनकी मेडिकल हिस्ट्री थी या नहीं इस बारे में मेडिकल विभाग ने कुछ नहीं बताया है।



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अजमेर में काेराेना पाजिटिव की माैत के बाद माेर्चरी से शव काे ले जाते निगम के कर्मचारी।




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15 राज्यों में फंसे जिले के 350 लोग लौटेंगे इधर बार्डर पर जरूरी उपकरण व किट नहीं

स्वास्थ्य और पुलिस विभाग पर पूरे जिले को कोरोना वायरस से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लॉकडाउन के तीसरे फेस तक इनके पास सुरक्षा के लिए कोई उपकरण नहीं है। बार्डर में बैरियर बनाकर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अफसर-कर्मियों को तैनात को कर दिया है, लेकिन उनके पास बीमारी के प्राथमिक लक्षण की पहचान करने तापमान मापक यंत्र तक नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मी सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की ही जानकारी जुटा रहे हैं। वहीं अब दिल्ली, महराष्ट, गुजरात, पंजाब समेत 15 राज्यों से जिले में 350 से अधिक की लोगों के आने की संभावना है। वे खड़गवां धनपुर, कोड़ा और जरौंधा से दाखिल हो सकते हैं। कोरिया जिले से बाहर गए लोगों की जनपद द्वारा सूची तैयार कराई गई। इसमें अब तक 350 लोगों के खड़गवां ब्लाॅक की ओर से जिले में घुसने की संभावना है। इसे देखते हुए खडगवां के तीनों पंचायतों में बैरियर बनाया गया है और पकड़े जाने वालों को 77 पंचायतों में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। जिले को लॉकडाउन के तीसरे फेस में ग्रीन जोन में बनाए रखने जिले के स्वास्थ्य, पुलिस और सफाईकर्मियों के सामने बड़ी चुनौती है। यहां बता दें कि कोरिया जिला मध्यप्रदेश के सीधी, अनूपपुर, शहडोल समेत छग के सूरजपुर, कोरबा, पेंड्रा-गौरेला से लगा हुआ है। ऐसे में इन सीमाओं को पार कर हजारों लोग अपने गृह ग्राम में आना चाह रहे हैं।
कलेक्टर ने कहा- हमारे पास पर्याप्त संसाधन
लॉकडाउन-3 में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के सवाल पर कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन है। जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। बिना अनुमति के कोई भी जिले के भीतर दाखिल नहीं हो सकता है। दूसरे राज्य और कोरिया जिले से लगे छग के अन्य जिले की सीमाओं में चौकसी बढ़ा दी गई है। बाहर से आने वालों को तत्काल क्वारेंटाइन सेंटर में भेजा जा रहा है।
धनपुर, कोड़ा और जरौंधा के रास्ते लौटने की संभावना
धनपुर, कोड़ा, जरौंधा के रास्ते दूसरे राज्यों से लोगों के आने की संभावना है। यहीं वजह है कि यहां बैरियर बनाकर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अफसर-कर्मियों को तैनात किया गया है। जिन अधिकारी-कर्मचारियों को जिले के साढ़े 6 लाख लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके ही पास इस वायरस के लक्षण की पहचान करने तापमान मापक यंत्र समेत अन्य जरूरी उपकरण और सामग्री उपलब्ध नहीं है।
मजदूरों की देखरेख करने वालों के पास नहीं था किट
गौरतलब है कि इससे पहले राजनांदगांव से रवाना हुए 46 मजदूरों में से 2 कोरोना पाॅजिटिव झारखंड की ओर भाग गए। उनके संपर्क में रहे सभी कर्मचारियों को इन दिनों मनेंद्रगढ़ के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। यहां जो स्वास्थ्य कर्मचारी मजदूरों को सेवाएं दे रहे थे, उनके पास भी पीपीई किट नहीं था।
अब तक जिले में 223 लोगों को किया गया क्वारेंटाइन
बता दें कि रविवार और सोमवार को दूसरे जिले से आने वाले लोगों को धनपुर बैरियर में रोककर स्वास्थ्य परीक्षण समेत पूरी जानकारी इकट्‌ठा कर 233 लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया गया। सामान्य और रेड जोन से आने वालों के लिए अलग-अलग सेंटर बनाए गए हैं। कोड़ा, धनपुर, जरौंधा नाके पर रेड जोन से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर नाके पर ही क्वारेंटाइन किया जा रहा है।
जिले के 350 से अधिक लोग दूसरे राज्यों में फंसे
संभावना जताई जा रही है कि धनपुर, कोड़ा, जरौंधा के रास्ते से आने वालें दिनों में 350 से अधिक लोग दाखिल होंगे। इसमें कर्नाटक 25, मध्यप्रदेश 37, झारखंड 26, केरल 9, महराष्ट्र 40, तमिलनाडू 25 और सबसे अधिक गुजरात में जिले से काम करने गए लोग लौटेंगे। इसके अलावा उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, यूपी, असम, दिल्ली, पंजाब समेत पश्चिम बंगाल से भी लोग वापस आएंगे।
स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट भी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तापमान मापक यंत्र नहीं मिलने से बार्डर में सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की ही जांच कर रहे हैं। जिनमें ये लक्षण दिख रहे हैं, उन्हें सामुदायिक और जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट तक उपलब्ध नहीं है। जिससे बाहर से आने वालों के कारण इनमें भी संक्रमण फैलने की संभावना बनी हुई है।
बिना तापमान मापक यंत्र के बार्डर में तैनात स्वास्थ्य और पुलिस कर्मी। यहां पहुंचने वालों का सर्दी-खास
जिले में दाखिल होने के लिए खड़गवां का रास्ता सबसे आसान
तापमान मापक यंत्र नहीं होने से बढ़ा खतरा
गौरतलब है कि बगैर तापमान मापक यंत्र के ही अन्य जिले और प्रदेश से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बार्डर में तैनात अधिकारी-कर्मचारी किस तरह से जोखिम उठा रहे हैं। अन्य प्रदेश व छग के दूसरे जिले से कोरिया जिले में पहुंच रहे लोगों का बार्डर पर ही खानापूर्ति के साथ स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें सीधे 14 दिन के क्वारेंटाइन में भेजा रहा है।



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350 people from the trapped districts in 15 states will return, no necessary equipment and kits on the border




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नहीं हो रहा मोतियाबिंद का ऑपरेशन, 500 को आंखों की रोशनी का इंतजार

कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन होने के बाद मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (मेकाहारा) में हर रोज काफी भीड़ लग रही है। यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है। इसे देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस से सहयोग मांगा है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ पीएम लूका ने बताया कि अभी मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग में ओपीडी की शिफ्टिंग नहीं कराई जा सकती है। वहां पर अभी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, इसे देखते हुए अभी मेकाहारा में भीड़ को डायवर्ट करने के लिए रामभाठा स्थित जिला हॉस्पिटल के ओपीडी में भी कुछ मरीजों को भेजा जा सकता है, वहां पर भी डॉक्टर्स हर रोज बैठते हैं। इसे लेकर मेडिकल सुपरिटेंडेंट से बातचीत करने के बाद इस पर तैयारी करके वहां पर हॉस्पिटल की ओपीडी को भी अच्छे से शुरू करने के लिए कहा जाएगा।
रामभाठा हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा नहीं
जिला हॉस्पिटल भवन में मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल खुलने के बाद रामभाठा के पीएचसी में जिला हास्पिटल शिफ्ट किया लेकिन वहां सुविधा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
डीन बोले- रामभाठा हाॅस्पिटल की ओपीडी में भेजेंकुछ मरीज
मेकाहारा में पहले लॉकडाउन से ही मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, नासूर के आपरेशन बंद हैं। इतना ही नहीं मरीजों को चश्मे का नंबर तक नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टरों ने स्थिति सामान्य न होने तक सभी तरह के आंखों के आपरेशन पर रोक लगा दी। मेकाहारा में सामान्य दिनों में आंखों की जांच कराने के लिए प्रतिदिन 200 से 250 मरीज पहुंचते थे। इनमें प्रतिदिन 10 से 15 मरीजों की जांच और परीक्षण करने पर मोतियाबिंद, नासूर, सबल बाई (ग्लूकोमा) पाया जाता था। ऐसे मरीजों को प्राथमिक इलाज के बाद निश्चित समय देकर ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता था। 24 मार्च से लॉकडाउन हो जाने के कारण इस तरह के मरीजों का आपरेशन रोक दिया गया। ओपीडी में न तो इनका इलाज किया जा रहा है और नहीं इनके आपरेशन हो पा रहे हैं। नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने इन्हें लॉकडाउन तक सावधानी के तौर पर लिखी गई दवाइयों का इस्तेमाल करने और धूप, धूल, धुआं से परहेज करने की हिदायत दी है। दो माह का समय बीत जाने के बाद भी लॉकडाउन खुलने की स्थिति साफ नहीं हो सकी है। जिसके चलते अब अस्पताल पहुंच रहे लोगों को बारिश बाद यानी अगस्त में आपरेशन कराने की सलाह दी जा रही है।
500 ऑपरेशन लंबित हैं
"मेकाहारा में सामान्य ओपीडी चल रही है, एलर्जी सहित सामान्य समस्या वाले मरीजों का परीक्षण कर इलाज किया जा रहा है। प्रतिमाह ढाई सौ के करीब आपरेशन हो जाते थे। मार्च और अप्रैल में आपरेशन होने से लगभग 500 मरीजों के आपरेशन लंबित हैं। लॉकडाउन की वजह से सभी तरह के आपरेशन रोक दिए गए हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं।"

- डॉ. मीना पटेल, नेत्र सर्जन



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75 फीसदी उद्योग चालू, 50% उत्पादन, सरकार से उम्मीद- अब फैक्ट्रियां चलाने में न आए बाधा

औद्योगिक क्षेत्रों में मौजूद 75 फीसदी उद्योग चालू हो गए हैं। अभी 50 फीसदी उत्पादन होने लगा है। उद्योग मुख्यधारा में लौट आए हैं और फैक्ट्री संचालक सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि अब संचालन में किसी तरह की बाधा न आए। यदि बाधा आएगी तो समस्या बढ़ेगी। फैक्ट्री संचालकों के लिए अभी कई तरह की मुश्किलें हैं जैसे वे अभी दूसरे राज्यों के बड़े शहरों में माल उतनी तेजी से नहीं भेज पा रहे हैं और वहां मांग भी कम है। वहीं दूसरे राज्यों में मजदूर लॉकडाउन की वजह से फंसे हैं। नहीं आ सके। हालांकि स्थानीय मजदूरों के लौटने और छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों के मजदूरों के धीरे-धीरे वापसी पर उन्होंने राहत की सांस ली है।
जिले में तीन औद्योगिक क्षेत्र हैं, सिरगिट्‌टी, तिफरा और सिलपहरी। यहां दाल मिल, राइस मिल, फेब्रीकेशन, मिनरल वाटर, मशीनों के पार्ट्स बनाने के साथ ही अन्य तरह की फैक्ट्रियां संचालित हैं। वहीं अगर जिले के छोटे व मध्यम उद्योगों को जोड़ दें तो करीब एक हजार उद्योग हैं जिन पर लॉकडाउन का सीधा असर पड़ा है। दैनिक भास्कर ने सिरगिट्‌टी, तिफरा और सिलपहरी औद्योगिक क्षेत्र में जाकर उद्योगों का जायजा लिया और उद्योगपतियों से बात की। सिरगिट्‌टी बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, यहां स्थानीय मजदूर काम पर पिछले कुछ दिनों से लौट चुके हैं और फैक्ट्रियां शुरू हो चुकी है। फैक्ट्रियों की चिमनियों से धुआं उड़ता दिखा और मजदूर काम करते नजर आए। वहीं फैक्ट्रियों के बाहर खड़ी गाड़ियां माल लेकर भी आती नजर आईं और माल लेकर जाती भी। कच्चा माल जिले और बाहर के इलाकों से अनलोड किया जा रहा था। दुर्गा आयल मिल में भूसा लेकर आए मजदूरों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वे आने लगे हैं क्योंकि फैक्ट्री शुरू हो चुकी है।
इसी तरह मसाला, मिनरल वाटर, फेब्रीकेशन के उद्योग भी चालू हालत में नजर आए। कुछ दिनों पहले यहां छाई वीरानी अब काफी हद तक दूर हो चुकी है और वहां अच्छी चहल-पहल नजर आई। इसी तरह सिलपहरी और तिफरा के उद्योग भी पटरी पर लौट चुके हैं। वहां दिख रही चहल-पहल से इसका प्रमाण है। हालांकि वहां भी दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर अभी नहीं आ सके हैं क्योंकि वे लॉकडाउन में फंसे हैं। वे आने का प्रयास कर रहे हैं और उनके आने पर उत्पादन और बढ़ेगा। हालांकि बाहर से मांग बढ़ने पर ही उत्पादन अधिक करने की बात फैक्ट्री संचालक कह रहे हैं। एक फ्लाई एश ब्रिक्स में आधे मजदूर हैं लेकिन काम चालू हो चुका है। रेल नीर प्लांट में काम बंद क्योंकि ट्रेनें बंद होने से मांग ही नहीं है। रोजाना पांच हजार लीटर उत्पादन वाले इस प्लांट में लॉकडाउन लगने से ही काम बंद है। लेकिन मजदूरों की कमी की वजह से नहीं। मांग होने पर उत्पादन शुरू हो जाएगा।
मुंबई, पुणे, दिल्ली बंद होने की वजह से माल नहीं भेज पा रहे
पता चला कि यदि 100 ट्रक की जरूरत है तो 10 ट्रक ही माल भेजने के लिए मिल रहा है। उसकी वजह ये कि अभी वे जगह-जगह रोके जाने से परेशान हैं। मुंबई, पुणे, दिल्ली बंद होने की वजह से माल नहीं भेज पा रहे हैं। वहीं माल जा रहा है जहां के लिए ट्रांसपोर्टर तैयार होते हैं।
ऐसे समझिए उद्योगों के नुकसान को
छोटे से लेकर बड़े उद्योगों को लॉकडाउन की वजह से घाटा सहना पड़ा है। मजदूरों को पेमेंट देने के साथ ही बिजली का बिल भी देना पड़ रहा है। रोजाना होने वाली आय नहीं होना भी एक तरह से नुकसान ही है। छोटे उद्योगों को ज्यादा नुकसान हुआ है।
दो महीने का नुकसान साल भर के मुनाफे को खा जाएगा- केडिया
छत्तीसगढ़ लघु उद्योग संघ अध्यक्ष हरीश केडिया बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान दो माह का हुआ नुकसान इस वित्तीय वर्ष में होने वाले मुनाफे को खा जाएगा। उन्होंने शासन से आग्रह किया है कि अब उद्योगों को इसी तरह चलने दें। अब दी गई छूट को कम न किया जाए। यदि ऐसा हुआ तो किसी तरह जो मजदूर फैक्ट्रियों में काम पर लौटे हैं, एक बार फिर घर चले गए तो उन्हें लाना मुश्किल हो जाएगा। मजदूरों का डर काफी हद तक दूर हो चुका है। सप्ताह में दो दिन बंद करने जैसे आदेश से उन्हें परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी पर संपूर्ण नियंत्रण के बाद ही उद्योग पहले की तरह शत-प्रतिशत चल पाएंगे। सरकार को समझना होगा क्योंकि हम ही जीएसटी, आयकर के साथ ही अलग-अलग तरह के कर देते हैं।



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75% industry in progress, 50% production, expectation from government - no hindrance in running factories now




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प्रतिबंध के बावजूद बेच रहे थे कपड़ा व जूता, लगाया 50 हजार का जुर्माना

लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में नगर निगम भिलाई ने चंद्रा-मौर्या के पास स्थित विशाल मेगा मार्ट के खिलाफ कार्रवाई की है। विशाल मेगा मार्ट पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। निगम पीआरओ पीसी सार्वा ने बताया कि चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष गार्गी शंकर मिश्रा व अन्य व्यापारियों ने निगम आयुक्त व जोन आयुक्त से शिकायत की थी।
विशाल मेगा मार्ट में राशन के अलावा कपड़ा, गिफ्ट, व अन्य सामान बेच रहा था। जो लॉकडाउन नियमों का खुला उल्लंघन है। इससे पूर्व भी समय की पाबंदी को लेकर लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करने के कारण इस दुकान संचालक से 5000 रुपए जुर्माना वसूला जा चुका है। समझाइश भी दी गई थी फिर भी अतिरिक्त आय के लिए इस दुकान के संचालक ने धड़ल्ले से अपना व्यापार जारी रखा जिसकी शिकायत मिलने पर बिना देरी किए फौरन नगर पालिक निगम भिलाई की टीम दुकान पर पहुंच गई। कार्रवाई के दौरान जोन के सहायक राजस्व अधिकारी परमेश्वर चंद्राकर, विनोद चंद्राकर सहित निगम का अमला एवं पुलिस बल मौजूद रहे।
सील की मांग पर अड़े रहे
जिन व्यापारियों ने निगम में इसकी शिकायत की वो विशाल मेगा मार्ट को सील करने की मांग पर अड़े रहे। जवाहर मार्केट व्यापारी संघ के अध्यक्ष गुरमीत सिंह वाधवा और उपाध्यक्ष परवेज अशरफ ने बताया कि निगम ने सिर्फ दिखावे की कार्रवाई की है। सख्ती के तहत मार्ट को सील करना



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Selling cloth and shoes despite ban, imposed a fine of 50 thousand




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हर रोज 2 हजार 500 मास्क और 200 पेटी सैनिटाइजर की खपत

कोरोना के संक्रमण के डर से शुरुआत में लोगों ने जरूरत से ज्यादा मास्क और सैनिटाइजर खरीदे। 18 मार्च से 10 अप्रैल तक जिले में हर रोज औसतन 10 हजार मास्क और 500 पेटी सैनिटाइजर बिके। लोगों में डर था कि ये सामान मिलने बंद ना हो जाएं, लोगों के डर का फायदा शुरुआत में व्यवसायियों ने उठाया भी, मास्क और सैनिटाइजर दोगुना कीमत पर बेचे गए। अब बिक्री 25-30 फीसदी रह गई है। खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के साथ ही व्यापारी मानते हैं कि अब सप्लाई सही हो गई है, लोगों को आसानी से मिल रहा है इसलिए कोई जरूरत से ज्यादा नहीं खरीद रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर रोजाना खपत की जानकारी मेडिकल होल सेलरों से ले रहे हैं। एक दिन में अब ढाई हजार मास्क और 200 पेटी सैनिटाइजर की खपत है। होलसेलरों से लेकर रिटेलर तक सभी के पास अब मास्क और सैनिटाइजर के पर्याप्त स्टॉक है। छत्तीसगढ़ में हैंड सैनिटाइजर और मास्क बनाने की अनुमति राज्य शासन द्वारा मिलने के बाद इनकी किल्लत पूरी तरह समाप्त हो गई है। 15 से 20 मार्च तक बाजार से ये दोनों उत्पाद गायब हो गए। बाजार में सिंगल यूज सर्जिकल मास्क की कीमत 3 से बढ़कर 30 रुपए तक पहुंच गई। शासन ने इसे आवश्यक वस्तु घोषित करते हुए सभी कलेक्टरों को कालाबाजारी रोकने के निर्देश दिए। जिला प्रशासन और ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम ने कार्रवाई शुरू की तब कहीं जाकर बाजार में बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण हुआ।
अब होलसेलर कर रहे काम
शुरुआत में इसकी सप्लाई सिर्फ सर्जिकल मेडिसिन के व्यवसायी करते थे, लेकिन बाजार में मांग बढ़ने के बाद दूसरे दवा के थोक विक्रेता भी इस काम से जुड़ गए। जिले में करीब 480 रिटेलर और 70 होलसेलर हैं। इसमें 14 बड़े होलसेलर सैनिटाइजर और मास्क का कारोबार बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।

बाजार में मांग घटी है
सर्जिकल मेडिसिन के होलसेलर और ड्रग एसोसिएशन के सचिव असीम अग्रवाल बताते हैं कि मास्क और सैनिटाइजर की सप्लाई अब सतत बनी हुई है। 7 सर्जिकल होलसेलर शुरुआत में एक दिन में 10 हजार तक मास्क और 500 पेटी सैनिटाइजर की सप्लाई करते थे, अब इनकी मांग बाजार में बिल्कुल नहीं है।



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Consumption of 2 thousand 500 masks and 200 abdominal sanitizers everyday




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नशीली दवा की 2250 टैबलेट के साथ पकड़ा गया युवक, बोला; इसे मेडिकल स्टोर में बेचने जा रहा हूं

लॉकडाउन काल में जिले में शराब की अवैध बिक्री धड़ल्ले से चलती रही। अब शराब दुकानें खोल दी गई हैं तो नशीली दवा का अवैध कारोबार फिर शुरू होने लगा है। गुरुवार को घरघोड़ा पुलिस ने अलप्राजोलम टेबलेट (चिंतामुक्ति या तनाव दूर करने की दवा जिससे नींद आती है) बेचने जा रहे युवक को पकड़ लिया। छानबीन के बाद पुलिस ने युवक को मादक पादर्थ की तस्करी करने के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
घरघोड़ा थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 9.30 बजे उन्हें सूचना मिली की ग्राम भेंगारी मेन रोड अंडा फैक्ट्री के सामने एक व्यक्ति नशीली टेबलेट लेकर बिक्री करने जा रहा है। जानकारी मिलते ही पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए युवक के पास मौजूद थैले की तलाशी ली गई। जिसमें अल्प्राजोलम टेबलेट 0.5एमजी की 2250 नशीली टेबलेट बरामद हुई। पकड़े गए युवक ने अपना नाम बलराम गुप्ता पिता कन्हाई निवासी नवापारा टेंडा थाना घरघोड़ा बताया। पूछताछ में उसने बताया कि वह मेडिकल स्टोर पर दवा बिक्री करने जा रहा था। पुलिस नशीली दवा बिक्री के मामले में उन लोगों का पता लगा रही है। जो लोग नशीली दवाइयों की बेरोक टोक बिक्री कर रही है।
थाना प्रभारी ने बताया कि पकड़े गए युवक के खिलाफ धारा 21(सी) एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर रिमांड पर लेकर जेल भेजा गया है।



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Young man caught with 2250 tablets of drugs, said; Going to sell it in the medical store




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50 साल में मई का पहला हफ्ता इस बार सबसे कम तपा

लॉकडाउन का मौसम पर खास असर दिख रहा है। इस बार अप्रैल पिछले पचास सालों में सबसे कम गर्म रहा। वहीं मई के पहले हफ्ते के अधिकतम तापमान का रिकार्ड भी पिछले सभी मई महीनों से न्यूनतम पर है।
पिछले 50 सालों में मई के पहले 7 दिनों का अधिकतम तापमान औसत 39.0 डिग्री सेल्सियस रहा है। जबकि इस बार तक 33.5 है। अमूमन मई के पहले सप्ताह में दिन का तापमान 40 डिग्री पार हो जाता था। इस बार तीन मई को पारा 35.9 तक चढ़ा था फिर घट गया था। न्यूनतम तापमान के लिहाज से भी देखें तो मई के पहले 7 दिनों का औसत न्यूनतम तापमान 23.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि इस वर्ष अभी तक यह 21.0 है। इस तरह से अभी तक मई का महीना भी अन्य वर्षों की तुलना में कम तपा है। अंबिकापुर मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी एएम भट्ट के अनुसार जब तापमान में आई कमी का कारण ढूंढने का प्रयास करता हूं तो इसमें निश्चित ही लॉकडाउन का प्रभाव दिखता है। वहीं लगातार एक निश्चित अंतराल पर सुदर मेडिटेरियन सी, रेड सी आदि प्रशांत के सागरों से आने वाले पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता के कारण भी पारा नियंत्रित रहा है। आंधी, ओलावृष्टि और वर्षा के कारण वातावरण में नमी की उपस्थिति ने वायु को गर्म होने से रोके रखा है। आने वाले 3- 4 दिनों में भी तापमान बढ़ने के आसार नहीं हैं। अभी पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से मध्य और उत्तर भारत पर द्रोणिका और चक्रवात के कारण मौसमी घटनाओं की आशंका बनी हुई है।
50 सालों में इस बार अप्रैल भी था सबसे ठंडा
पिछले सालों की तुलना में मार्च, अप्रैल और मई के अब तक के दिनों की तुलना करें तो लॉकडाउन का खासा असर दिखा है। अप्रैल का अधिकतम तापमान पिछले 50 सालों में सबसे ठंडा था।

मौसम का लॉकडाउन: भट्‌ट
मौसम विज्ञानियों के अनुसार डेढ़ माह से लगातार लॉकडाउन के कारण नियंत्रित वाहनों के आवागमन, ठप्प पड़े चिमनियों के मुहाने और सड़कों पर मानव पदचाप में आई न्यूनता के कारण वायु मंडल में स्थानांतरित होने वाले प्रदूषक कणों में कमी से पर्यावरण का शोधन हुआ है, जिसे मनुष्यों के साथ-साथ अन्य जीव और वनस्पति भी महसूस कर रहे हैं। वास्तव में यांत्रिक साधनों के प्रयोग से जो दूषित और रासायनिक कण वातावरण में घुलते हैं वे ही एरोसोल पाॅर्टिकल कहलाते हैं। ये दूषित कण हवा में तैरते रहते हैं और वायु मंडल के ग्रीन हाउस प्रणाली को बल देते हैं।



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First week of May in 50 years, this time the lowest temperature




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भिलाई तीन में 350 लीटर केरोसीन से भरा टैंकर जब्त

भिलाई-3 पुलिस ने गुरुवार को केरोसीन से भरा टैंकर जब्त किया है। टैंकर में करीब 350 लीटर पीडीएस केरोसीन होने की संभावना हैं। शंका है कि टैंकर के जरिए मिट्टी तेज की कालाबाजारी की जा रही थी। पुलिस को टैंकर लावारिश हालत में क्षेत्र में खड़ा मिला है।
पुलिस टैंकर के चालक और मालिक की तलाश कर रही है। टीआई संजीव मिश्रा के मुताबिक कोवित्रम इंजीनियरिंग वर्क के सामने टैंकर के खड़े होने की सूचना मिली थी। इंजीनियरिंग वर्कस में ट्रक की बॉडी बनाने का काम होता है। टीम पहुंची तो वहां पर ना मालिक मिला और न ड्राइवर का पता चला।
रसोई गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी, 11 की जब्ती
दुर्ग | शहर में गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी शुरू हो गई है। यह सिलेंडर कहां से और कैसे पहुंच रहे हैं, फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो पाया है। खाद्य विभाग ने केलाबाड़ी क्षेत्र से करीब 11 नग सिलेंडर जब्त किया है। मामले में आरोपी जेठूराम साहू के विरुद्ध घरेलू सिलेंडरों का अवैध भंडारण एवं परिवहन के मामले में द्रवित पेट्रोलियम गैस प्रदाय एवं वितरण अधिनियम आदेश 2000 की धारा (3)(4)(6) व (7) के तहत कार्रवाई की। खाद्य नियंत्रक सीपी दीपांकर ने बताया कि मामले में आगे की कार्यवाई जारी है।



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दोपहर बाद छाए काले बादल तो तापमान 50 घटा

शुक्रवार की दोपहर तक सूर्य लोगों को जमकर तपाया फिर शाम 4 बजे अचानक आसमान में बादल छा गए और देखते ही देखते मौसम बदल गया और नमी युक्त तेज हवा चलने लगी। इससे पारा 5 डिग्री घटकर 33 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। मौसम विभाग के अनुसार अगले 48 घंटे में क्षेत्र में बारिश होने और तेज हवा चलने का अनुमान है।
शहर में शुक्रवार को दोपहर तक तेज धूप खिली थी, लेकिन उसके बाद अचानक आसमान में काले बादल छाने लगे। गरज-चमक के साथ तेज हवा चलने लगी। हवा के साथ नमी और बारिश के छींटों से शाम का मौसम खुशनुमा बना रहा। दोपहर 2 बजे दिन का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस रहा, मौसम बदलने के बाद यह शाम चार बजे 35 और छह बजे 33 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। चार घंटे के अंतराल में तापमान में 5 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 38 और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री रिकार्ड किया गया। देर शाम को जिले के कुछ हिस्सों में एक दो बार बारिश भी हुई।
मौसम विभाग ने एक दिन पहले ही उत्तर छत्तीसगढ़ के जशपुर, जांजगीर, बिलासपुर, रायगढ़ समेत अधिकांश हिस्सों में अगले चार दिनों का मौसम भी जारी करदिया है, ताकि जिले के रहवासी बदलते मौसम से सतर्क और सुरक्षित हो सके।
उत्तर छग में बंगाल से आ रही नमीयुक्त हवा
मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार एक टर्फ उत्तर पश्चिम मध्य प्रदेश से दक्षिणी कर्नाटक तक 0.9 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है। छत्तीसगढ़ में बंगाल की खाड़ी से बहुत अधिक मात्रा में नमी आ रही है। इसके प्रभाव से शनिवार और रविवार को रायगढ़ जशपुर समेत उत्तर छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों पर गरज-चमक के साथ मध्यम वर्षा हो सकती है।



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Black clouds prevailed in the afternoon, the temperature decreased by 50




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50 दिन से खड़ी हैं बसें, संचालक बोले- सरकार टैक्स में दे छूट

लॉकडाउन की वजह से पिछले 50 दिनों से पूरे प्रदेश में यात्री बसों का संचालन नहीं हो रहा है। उसके बावजूद बसों के संचालक से टैक्स और बीमा की राशि भराई जा रही। खड़ी हुई बसों के ऋण का किश्त भी बस मालिकों को जमापूंजी से चुकाने की नौबत आ गई है। इस चौतरफा आर्थिक मार से बचने के लिए बस संचालकों ने सरकार से रियायत की मांग की है।
जिला बस मालिक संघ के अध्यक्ष केदार मिश्रा ने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री और सरगुजा संभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर रियायत देने का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंंने बताया ​है कि लॉकडाउन की वजह से 20 मार्च से बसों का संचालन बंद है, लेकिन इस अवधि में संचालकों को निर्धारित टैक्सों से राहत देने की कोई घोषणा नहीं हो पाई है। साथ ही खड़ी बसों के बीमा की प्रीमियर राशि और ऋण किश्तों का बोझ भी बस मालिकों को वहन करना पड़ रहा है। बस चालक, परिचालक और सहित अन्य स्टाफ के वेतन का भुगतान भी ​मालिकों द्वारा किया जा रहा है। इस चौतरफा आर्थिक दबाव से बस संचालकों की कमर टूटने लगी है। इसका सीधा असर लॉकडाउन खुलने के बाद यात्री बसों के संचालन में पड़ना तय है। पत्र में अध्यक्ष ने बताया है कि लॉकडाउन में जो बस संचालन की अनुमति शासन द्वारा दी गई है, उससे भी वाहन संचालकों को अधिक राहत मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि अंतरराज्यीय सीमाएं अब भी पूरी तरह से सील है। लॉकडाउन की वजह से तमाम वैवाहिक और धार्मिक गतिविधियां ठप पड़ चुकी है। बसों की होने वाली बुकिंग शून्य है। आने वाले कुछ दिनों में बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा। यह बस संचालन की दृष्टि से आफ सीजन होता है। बसों में यात्रियों की संख्या एक तिहाई से भी कम रह जाती है। ऐसे में लॉक डाउन खुलने की स्थिति में बस संचालकों कोई राहत
नहीं मिलेगी।
शर्तो का पालन मुश्किल
पत्र में बस मालिक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार प्रदेश सरकार ने ग्रीन जोन में बस संचालन करने के लिए जो शर्ते रखी है,उसका पालन आर्थिक लिहाज से संभव नहीं है। शर्तों के मुताबिक बस को पचास प्रतिशत यात्री के साथ ही चलाया जाएगा। साथ ही यात्रियों और रनिंग स्टाफ के लिए मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था करना, संचालक की जिम्मेदारी होगी। बस की क्षमता से आधे क्षमता के यात्रियों के साथ संचालित करने पर नुकसान होना तय है।

अंतरराज्यीय परमिट के लिए भरते हैं अधिक टैक्स
झारखण्ड और ओडिशा के अंतरराज्यीय सरहद में स्थित जशपुर जिले में रोजाना तकरीबन 5 सौ छोटे बड़े यात्री वाहन संचालित होते हैं। उनमें वातानुकूलित लग्जरी बसों से लेकर लोकल बस शामिल है। जशपुर से झारखंड के रांची, लोहरदगा, गुमला और ओडिशा के सुंदरगढ़,राउरकेला और झारसुगड़ा के लिए बसें रवाना होती है। अंतरराज्यीय परमिट के लिए बस संचालकों को अधिक टैक्स चुकाना पड़ता है।



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होल सेल व्यापारी से 200 पैकेट पान मसाला जब्त 47 दिन में 50 लाख का गुटखा 2 करोड़ में बिका

लॉकडाउन के दौरान 47 दिनों में प्रतिबंध के बावजूद 50 लाख का पान मसाला ब्लैक में 2 करोड़ में बिका, जबकि लॉकडाउन के कारण सभी पान दुकानें बंद हैं। मुख्यालय में पान मसाला के होल सेलर अब्दुला के यहां कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 200 पैकेट पान मसाला जब्त किया गया है।
बताया जा रहा है अब्दुला पान मसाला विक्रेता के 5 अलग-अलग जगह गोदाम है, लेकिन पुलिस को पान मसाला कार में रखने की जानकारी मिली थी, जिसे पुलिस ने जब्त कर खाद्य और औषधि विभाग के अफसर को सत्यापन के लिए सौंप दिया है। पान मसाला की बड़ी खेप व्यापारी के यहां उतारी गई थी, लेकिन मौके पर पुलिस को 200 पैकेट पान मसाला ही कार से मिले। लोगों में इस बात की चर्चा है कि मामले को दबाया जा रहा है, जबकि लॉकडाउन के दौरान हर दिन प्रतिबंध के बाद भी पाउच सप्लाई की जा रही थी। जिले में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने गुटखा, पान मसाला समेत अन्य कई एैसे उत्पाद की बिक्री पर कलेक्टर ने रोक लगाई है, जिसे खाने के बाद लोगों को द्वारा सार्वजनिक जगह व सड़कों पर थूंका जाता है। इससे कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा बना रहता है। पुलिस विभाग की कार्रवाई के बाद खाद्य व औषधि विभाग की टीम मामले की जांच करने में जुटी है। मध्यप्रदेश के कटनी छत्तीसगढ़ कोरिया से लगे बार्डर से आसानी से पान मसाला की सप्लाई लग्जरी गाड़ियों से की जा रही है। वहीं फुटकर दुकानों में पान मसाला के 5 रुपए का पाउच 20 रुपए में बिक रहा है। यहीं नही होल से में एक पाउच की कीमत 10 रुपए तक हो गई।
पुलिस विभाग को सौंपेंगे प्रतिवेदन: एफएसओ
एफएसओ सागर दत्ता ने बताया कि पकड़े गए पान मसाला की जांच करने के बाद पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा। यदि यह आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत शामिल नहीं होगा तो इसके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई होगी।



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50 बीघा चारागाह भूमि मुक्त कराई

सालों से यहां चारागाह भूमि पर अतिक्रमण हो रहा था। प्रशासन ने शुक्रवार को ऐसी 50 बीघा भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया। विकास अधिकारी हनुमान मीणा, कार्यवाहक तहसीलदार महेश शर्मा और कामखेडा पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण हटाया। बीडीओ हनुमान मीणा ने बताया कि शुक्रवार को ग्रामपंचायत बांसखेड़ी मेवातीयान के गांव घडावली में करीब 50 बीघा भूमि पर सालों से बजरंग लाल लोधा, बीरम लाल लोधा, रोडू लाल, दिनेश कुमार, राकेश, पानमल, मांगीलाल सहित अन्य ने अतिक्रमण कर रखा था। शुक्रवार को जब पूरा प्रशासनिक अमला अतिक्रमण हटाने पहुंचा तो वहां अतिक्रमियों ने विरोध करना शुरू कर दिया। काफी देर की जद्दोजहद के बाद अतिक्रमण हटाया गया। यहां महिलाओं ने अतिक्रमण हटाने का काफी विरोध किया। अतिक्रमण हटाने में पटवारी सुजान सिंह, ग्राम विकास अधिकारी रूप चंद मीणा मौजूद रहे।



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50 bigha pasture land liberated




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पुलिस ने कामां में 22 ड्रमों में भरी 4 हजार और विलानचट्टपुरा में 2500 लीटर वाश नष्ट की

लॉकडाउन में हथकढ़ शराब के कारोबार की सूचना पर शुक्रवार को उच्चैन थाना पुलिस ने गांव विलाचट्टपुरा में अवैध हथकढ़ शराब के खिलाफ छापामार कार्रवाई कर ढाई हजार लीटर वाॅश व शराब बनाने की चार भट्टियों को नष्ट किया है।

साथ ही मौके से 30 लीटर हथकढ़ शराब व एक बाइक को बरामद कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। उच्चैन एसएचओ जमील खान ने बताया कि पुलिस को गांव विलाचट्टपुरा में हथकढ़ शराब तैयार कर बेचने की सूचना मिली। जिस पर एसएचओ, एएसआई बृजभानसिंह, हैडकांस्टेबल बृजलाल, भरतसिंह के नेतृत्व में गठित टीमों ने शुक्रवार को गांव विलानचट्टपुरा में अलग-अलग रास्तों से पहुंचकर छापामार कार्रवाई की। जहां घरों व गैतबाडों में भट्टियों पर हथकढ़ शराब निर्मित होती हुई मिली। जिस पर पुलिस ने मौके पर ही चार भट्टियों को तोडकर मटकों व कैनों में भरी साढे ढाई हजार लीटर वाॅश को नष्ट कर दिया।

पुलिस ने गांव विलानचट्टपुरा निवासी बिरजी पुत्र कमलसिंह, राधे पुत्र नवला कंजर को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से तीस लीटर हथकढ़ शराब को बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही मौके पर लावारिस खड़ी बाइक को पुलिस एक्ट में जब्त किया है।

कामां| एसपी हैदरअली जैदी के निर्देश पर कामां डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने जुरहरा के गांव बमनवाडी व खेड़ी में अवैध शराब माफियाओं पर कार्रवाई कर जंगलों में अवैध शराब निर्माण के लिए बनाई गई भट्टियां तोड़ चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई। डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने बताया कि मेवात इलाके में शिकायते मिल रही थी कि अवैध शराब माफियाओं द्वारा जंगलों में अवैध हथकढ़ शराब बनाकर गांवों व शहरी इलाकों में शराब की सप्लाई की जा रही है।

जुरहरा थाना के गांव खेड़ी व बमनवाडी के जंगलों में कार्रवाई कर अवैध शराब निर्माण की भट्टियां तोड़कर 22 ड्रमों में भरी करीब चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई। इसके अलावा कार्रवाई के दौरान मौके से बीस लीटर तैयार अवैध शराब भी बरामद की गई। कार्यवाही के दौरान शराब माफिया पुलिस के हाथ नहीं लग सके।



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देश का पहला वर्चुअल फेयर 1 जून से, 2500 एग्जीबिटर्स होंगे शामिल

एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट की ओर से देश का पहला वर्चुअल हैंडीक्राफ्ट फेयर लगाया जाएगा। इसमें 2500 एग्जीबिटर्स शामिल होंगे। यह कहना है ईपीसीएच के डायरेक्टर जनरल राकेश कुमार का। यह ऑनलाइन फेयर 1 से 9 जून तक लगेगा। राकेेश कुमार बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते हैंडीक्राफ्ट का अप्रैल में होने वाला फेयर रद्द हो चुका है और भविष्य में निर्यातकों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ईपीसीएच की बोर्ड मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि शीघ्र ही इंटरनेट बेस्ड वर्चुअल फेयर लगाया जाएगा। इससे निर्यातक अपने शहर में बैठे अपने प्रॉडक्ट का प्रस्तुतीकरण कर सकेंगे। इस फेयर से विश्वभर के ग्राहकों को जोड़ा जाएगा व इसके माध्यम से न केवल निर्यातकों को ऑर्डर दे सकेंगे, बल्कि उनसे संपर्क भी कर सकेंगे।

ईपीसीएच ने इसका जिम्मा यूके की एक कंपनी को दिया है व इस फेयर में करीब 10 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि उनकी प्लानिंग है कि निर्यातकों के प्रॉडक्ट्स को अब देश में भी प्रमोट किया जाए ताकि यहां भी उनको ऑर्डर मिल सकें। गौरतलब है कि अप्रैल में होने वाले फेयर के आसपास चाइना में भी एक फेयर होता है, जो इस बार नहीं हो पाया, इस फेयर के नहीं होने की वजह से चाइना की ओर से भी 9 जून से वर्चुअल हैंडीक्राफ्ट फेयर आयोजित करने की तैयारी की जा रही है।
अमेरिका से बिजनेस मिलने की उम्मीद
राकेश कुमार ने बताया कि मौजूदा हालात में अमेरिका व चाइना के बीच ट्रेडवार चल रहा है। वहीं चाइना कोरोना के चलते कई देशों का विरोध भी झेल रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि देश के निर्यातकों को अच्छा बिजनेस मिल सकता है।
ईपीसीएच का ऑनलाइन वर्चुअल फेयर वर्तमान समय में अच्छा कॉन्सेप्ट है। यह फेयर कितना सफल रहेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी है। इस कठिन समय में हम सरकार से इस फेयर में निर्यातकों के लिए विशेष योजना के तहत सब्सिडी की मांग भी करेंगे। - डाॅ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट‌्स एसोसिएशन



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बिना सूचना शादी करने पर 5 हजार व 50 से अधिक लोग शामिल तो 10 हजार जुर्माना

कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार ने 4 मई से लॉकडाउन को 17 मई तक आगे बढ़ाया है। इसी के तहत राज्य सरकार ने कुछ गाइड लाइन जारी की है। इसकी पालना नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। जारी आदेश अनुसार सार्वजनिक या कार्यस्थल पर मास्क पहनकर ही जाना होगा, नाक और मुंह अच्छी तरह से ढकना होगा। मास्क पहनकर दुकान पर आने वाले व्यक्ति को ही सामान देने को कहा। बिना सूचना के शादी समारोह करने, सार्वजनिक स्थानों पर गुटखा तंबाकू खाकर थूकने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा शादी समारोह में 50 से अधिक लोगों के शामिल होने और अंतिम संस्कार में 20 से अधिक लोगों के जाने पर पाबंदी रहेगी। लॉकडाउन के दौरान नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे, इसके लिए कैटेगरी वाइज जुर्माना राशि तय की गई है। जारी गाइडलाइन के अनुसार दुकानदारों, पुलिस प्रशासन, सहित अन्य विभाग के अधिकारियों को पूर्णत: पालना करवाने के आदेश दिए हैं। हालांकि सरकार इस गाइडलाइन को लॉकडाउन के समापन के बाद भी जारी रख सकती है। ऐसे में आमजन को कड़ाई से इन नियमों की पालना करनी होगी। अन्यथा जुर्माना राशि अदा करनी पड़ सकती है।
जानिए... लॉकडाउन-3 में किस गलती पर कितना जुर्माना

> सार्वजनिक या कार्यस्थल पर बिना मास्क या फेस कवर के जाने पर (200 रुपए)
> दुकानदार द्वारा किसी व्यक्ति को मास्क या फेस कवर न पहने हुए कोई वस्तु देने पर (500 रुपए)
> गुटखा, तंबाकू खाने के बाद थूकने पर (200 रुपए)
> सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने पर अौर शराब, गुटखा तंबाकू बेचने वाले दुकानदार या दुकान में 5 से अधिक व्यक्ति मिलने पर (500 रुपए)
> सार्वजनिक स्थान पर पान, गुटखा तंबाकू खाते
पाए जाने पर (200 रुपए)
> सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी (न्यूनतम 6 फीट) नहीं बनाने पर (100 रुपए)
> बिना सूचना के शादी करने, इकट्‌ठा होने पर (5000 रुपए)
> विवाह संबंधी किसी समारोह में 50 से अधिक लोग मिलने पर (10 हजार रुपए)



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गाेल गप्पे बेचने वाले दूसरे राज्यों के 150 लाेग घर जाने को काट रहे चक्कर

शहर में चाट और गोलगप्पे बेचकर गुजारा करने वाले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के करीब 150 लोग अपने घर लौटना चाह रहे हैं। यहां पर लॉक डाउन के कारण काम धंधा बंद पड़ा है जिससे खाने-पीने की भी व्यवस्था नहीं हो रही है। पिछले 1 सप्ताह से प्रशासन और पुलिस के यहां चक्कर काट रहे हैं लेकिन भेजने की व्यवस्था नहीं होने से लोगों में रोष व्याप्त है। किराया मांग रहे मकान मालिकों के तानों से भी परेशान हो गए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बताए गए उपायों के आधार पर ऑनलाइन आवेदन भी कर दिया है प्रशासन से लेकर पटवारी तक अपने लोगों की लिस्ट सौंप दी है फिर भी हर जगह से निराशा हाथ लगने से हताश हो गए हैं। यह लोग अब मांग कर रहे हैं कि प्रशासन उनको घर भेजने की व्यवस्था करें नहीं तो कलेक्ट्रेट पर आकर बैठ जाएंगे। जानकारी अनुसार एमपी यूपी और बिहार 3 राज्यों के 150 लोग अपने घर जाना चाह रहे हैं। कुम्हारी दरवाजा क्षेत्र में पांच- छह कमरों में रह रहे लोगों ने बताया कि घर में बैठे होने के कारण खाने पीने की व्यवस्था नहीं हो रही है। भामाशाह की ओर से 10 से 15 दिन में राशन आता है जो पर्याप्त नहीं हाे रहा है।



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दौसा जिले में बनेगा कोविड केयर सेंटर, 500 से 1000 बेड की क्षमता होगी

कोरोना से लोगों महफूज रहें इसके लिए जिले में कोविड केयर सेंटर बनाया जाएगा, जिससे संदिग्धों को हर सुविधा के इंतजाम किए जाएंगे। सेंटर की स्थापना के लिए कलेक्टर द्वारा एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में कलेक्टर का प्रतिनिधि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का प्रतिनिधि, लेखाधिकारी, नगर निगम/नगर पालिका/पंचायत समिति का प्रतिनिधि व सार्वजनिक निर्माण विभाग का एक प्रतिनिधि शामिल होगा। इसके लिए सेंटर पर चिकित्सा व्यवस्था के लिए सीएमएचओ नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे और अन्य व्यवस्था के लिए कलेक्टर की ओर से किसी भी राजपत्रित अधिकारी को नोडल अधिकारी मनोनीत किया जा सकेगा।
किन मरीजों को रखा जाएगा
कोरोना के दौरान अभी तक उपलब्ध आंकडों के अनुसार सरकार का मानना है कि 70 प्रतिशत पाॅजिटिव केस में या तो हल्के लक्षण पाए गए हैं या फिर लक्षण नहीं पाए गए। ऎसे केसेज की देखभाल के लिए इन सेंटर्स की स्थापना की जा रही है। इस केन्द्र पर असिम्टोमैटिक, मिड सिम्टोमैटिक और सस्पैक्टेड केसों को रखा जाएगा ताकि उनका स्वास्थ्य प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सके।
इनकी रहेगी जिम्मेदारी
सेंटर पर भर्ती किए जाने वाले मरीजों को प्रतिदिन दो समय चाय, नाश्ता, भोजन, पानी डिस्पोजल में उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं साफ-सफाई, कचरा निस्तारण, सुरक्षा व्यवस्था, पंखे, कूलर, वाटर कूलर,पलंग, गद्दे, तकिए, चादर, बाल्टी, मग, साबुन, टूथपेस्ट, टूथब्रश, मास्क, हैंड सेनिटाइजर व अन्य आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य नगर परिषद, नगर पालिका या पंचायत समिति की होगी।
सेंटर की स्थापना के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं
सीएमएचओ डाॅ. पी.एम. वर्मा ने बताया कि सेंटर की स्थापना के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। सरकार की मंशा है कि इस सेंटर की स्थापना से कोविड 19 की रोकथाम और नियंत्रण का कार्य सुव्यवस्थित ढंग से हो सकेगा।
केयर सेंटर की स्थापना आबादी से दूर की जाएगी। सेंटर किसी सरकारी या निजी भवन में स्थापित किया जा सकेगा। इसमें आवश्यकतानुसार 500 से 1000 आइसोलेशन बेड की क्षमता होगी। पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था होगी और दस व्यक्तियों पर एक शौचालय, स्नान घर हो सकता है। सेंटर पर व्हील चेयर, रैंप और रेलिंग की व्यवस्था भी होना जरूरी है, ताकि दिव्यांग व्यक्तियों को आने-आने की सुविधा मिल सके। सभी रूम प्राकृतिक हवादार होंगे, जिनमें सूर्य का प्रकाश आता हो। संभव हो तो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग रूम की उपलब्ध होगी, ऎसा नहीं होने की स्थिति में एक रूम में एक से अधिक व्यक्ति रखे जा सकेंगे, लेकिन दो बेड के बीच एक मीटर की दूरी जरूरी होगी। सेंटर पर सिंगल एंट्री, एग्जिट प्वाइंट, रिस्पेशन एरिया, सीसीटीवी, माईकिंग व्यवस्था, चिकित्सक कक्ष, सैंपल कलेक्शन कक्ष, दवा स्टोर, डोनिंग एवं डोफिंग कक्ष, व्हील चेयर, ट्राॅली, मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे।



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प्रवासियों के लौटने के बाद ग्रीन जोन जिलों में भी आए मामले, 5 हजार लौटे, 50 प्रतिशत रेड जोन से

जिले में करीब पांच हजार प्रवासी बीते दिनों लौटे हैं। इनके अलावा करीब 26650 ने लौटने के लिए आवेदन किया हुआ है। इनमें 50 प्रतिशत लोग महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और तमिलनाडू प्रदेशों के हैं। प्रशासन के लिए यह आंकड़ा बेहद चिंता का विषय बना हुआ है।

दरअसल, दूसरे प्रदेशों में फंसे हमारे लोगों को लाने के लिए सरकार ने पहल की। ताकि उन्हें राहत मिल सके, लेकिन इससे एक नई समस्या सामने आने लगी है। प्रदेश के ऐसे दो जिले जो अब तक ग्रीन जोन में थे यानी वहां कोरोना का एक भी केस नहीं था बीते दो दिन में वहां छह मामले सामने आ गए। इनमें एक मामला सिरोही में और पांच जालोर में सामने आए। झुंझुनूं में अब तक 42 मामले सामने आ चुके हैं। दो दिन पहले ही ये सभी मरीज सही हुए हैं।

रेड जाेन से आने पर हाेगी सैंपलिंग

जिले में आने वाले प्रवासियाें के लिए प्रशासन ने थ्री लेयर याेजना बनाई है। इसमें जिले में 41 चैक पाेस्ट पर इनकी पूरी जांच की सुविधा दी गई है। रेड जाेन वाले राज्याें से आने वाले लाेगाे की सैंपलिंग करने की याेजना बनाई गई है। इनकी बार्डर पर स्क्रीनिंग हाेगी। इसके बाद इनके सैंपल लिए जाएगे। इनकाे क्वारेंटाइन किए जाने की याेजना भी बनाई गई है।

सीएमएचओ डाॅ. छाेटेलाल गुर्जर ने बताया कि रेड जाेन से आने वालाें काे हाईरिस्क पर रखा जा रहा है। इनकी पूरी निगरानी की जाएगी। ओरेंज और ग्रीन जाेन से आने वालाें की स्क्रीनिंग हाेगी। उनके लक्षण हाेने पर सैंपल लिए जाएगे। बार्डर पर ही माेहर लगाकर इनकाे क्वारेंटाइन का नाेटिस दे रहे हैं। डाॅ. गुर्जर ने बताया कि दूसरे राज्याें से आने वालाें काे अनिवार्य रूप से 14 दिन क्वारेंटाइन किया जा रहा है। इसमें काेताही बरतने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हाेगी।

जिले में चैक पाेस्ट के अलावा अन्य रास्ताें से छिपकर आने वालाें की पहचान के लिए शुक्रवार से अभियान चलेगा। इसके लिए हर गांव और कस्बे में ग्रामसेवक, बीएलओ, पटवारी काे ऐसे लाेगाे की पहचान कर उनकी सूचना भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं।

कई शहरों में फंसे हैं झुंझुनूके लोग

जिले में आने के लिए किए ऑनलाइन आवेदनों की संख्या देखे ताे महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, थाणे और सिंधदुर्ग से आवेदन अधिक हैं। दूसरे नंबर पर गुजरात के वलसाड़, सूरत, अहमदाबाद, वडाेदरा, गांधीनगर, कच्छ और भरूच से आवेदन आए हैं। इसके बाद दिल्ली में नार्थ, साउथ, वेस्ट और सेंट्रल दिल्ली से काफी आवेदन आए हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के काेलकता, हावड़ा, कर्नाटक के बैंगलाेर और तमिलनाडु के तिरूवल्लुवर, यूपी के बरेली, फरूखाबाद, लखनऊ से आवेदन मिले है। आसाम के कामरूप मैट्राेपाॅलीटन, हरियाणा के सिरसा और पंजाब के चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर से काफी आवेदन आ चुके हैं।

5000 अब तक लाैटे, 100 के लिए सैंपल

सीएमएचओ डाॅ. गुर्जर ने बताया कि अब तक जिले में 5 हजार लाेग दूसरे प्रदेशाें से आ चुके हैं। उनका पंजीकरण कर उनकी स्क्रीनिंग कर चुके है। इनमें 100 लाेगाे के सैंपल लिए है। इनकाे रिपाेर्ट आने तक क्वारेंटाइन में भेजा जा चुका है।



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सामान्य वर्ग को 50 के बजाय 46, ओबीसी को 21 के बजाय 17 प्रतिशत आरक्षण, एलडीसी भर्ती में गड़बड़ी

राजस्थान में एलडीसी-2018 भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया में छेड़छाड़ की गई है। सिर्फ ओबीसी और सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के आरक्षण में ही 587 पदों में सीधे-सीधे छेड़छाड़ की गई है जबकि नोटिफिकेशन और जारी रिजल्ट की प्रेस रिलीज के आंकड़ों के अंतर को देखें तो 1271 पदों पर सवाल उठ रहे हैं। नॉन टीएसपी के 562 पदों के बारे में भी तथ्य सरकार की तरफ से छिपाए गए हैं।
आरक्षण में छेड़छाड़ की स्क्रिप्ट कैसे लिखी गई, इसे समझने के लिए दैनिक भास्कर ने तमाम दस्तावेजों की पड़ताल की है। घोटाले की पूरी कहानी समझने के लिए दो साल पहले के आंकड़े देखने होंगे। 16 अप्रैल 2018 को राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने नोटिफिकेशन जारी कर 11,255 पदों के लिए भर्ती निकाली। यह भर्ती लिपिक ग्रेड-2 और जूनियर असिस्टेंट की भर्ती के लिए थी। इसमें स्टेट सेक्रेटेरिएट के लिए 329 सीट, राजस्थान लोक सेवा आयोग में नौ सीट और अधीनस्थ विभागों की 10917 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए थे। एक मार्च 2018 को पदों की संख्या बढ़ाकर 12456 कर दी गई।
यह पद इसलिए बढ़ाए गए, क्योंकि-प्रशासनिक सुधार विभाग ने 1175 पदों के लिए और अभिशंषा की। 12 अगस्त से 16 सितंबर 2018 तक चार पारियों में प्री-एग्जाम हुआ। एक मार्च 2019 को नया नोटिफिकेशन जारी हुआ। इसमें पदों की संख्या बढ़ाकर 12456 कर दिया गया। सात मार्च को तीन गुना अभ्यर्थियों को टाइपिंग व एफिशिएंसी टेस्ट के लिए पास किया गया। एक आरटीआई से पता चलता है कि ओबीसी के 227 और सामान्य वर्ग के 360 पदों पर आरक्षण छेड़छाड़ की गई है। क्योंकि-नियमों के अनुसार ओबीसी को 21 और सामान्य वर्ग को 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए।
आरटीआई में खुलासा हुआ-ओबीसी व सामान्य वर्ग का आरक्षण करके 587 पद ही गायब कर दिए प्रशासनिक सुधार विभाग के पत्र में ओबीसी वर्ग के कुल पद 2093 बताए गए थे जबकि आरटीआई में इनकी संख्या 1866 दिखाई गई है। सवाल है-227 पद कहां गए? जबकि प्रशासनिक सुधार विभाग के पत्र में सामान्य वर्ग के 5303 पद दिखाए गए हैं, जबकि आरटीआई में इनकी संख्या 4943 ही है। अब सवाल-सामान्य वर्ग के 360 पद कहां गए? दरअसल, ओबीसी को 21 के बजाए 17 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 50 के बजाए 46 प्रतिशत आरक्षण ही दिया गया। ऐसा क्यों किया गया-अधीनस्थ सेवा चयन चुप है? 587 पदों का सीधा-सीधा छेड़छाड़ की गई है?
सवाल इसलिए
आरपीएससी की सभी भर्तियों में सामान्य को 50 और ओबीसी को 21 फीसदी आरक्षण मिला : आरपीएससी की एलडीसी 2013, स्कूल व्याख्याता 2018, ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती 2018 और रीट में ओबीसी को 21, सामान्य को 50, एससी को 16 और एसटी को 12 फीसदी आरक्षण दिया गया है। जबकि अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में ओबीसी व सामान्य वर्ग का आरक्षण कम दिया। यह किस नियम के तहत किया गया?
2018 में 11,255 पदों के लिए निकाली भर्ती, बाद में बढ़ाकर 12906 किए, 2020 में भर्ती पूरे होते ही घट गए-
एमबीसी में पांच फीसदी आरक्षण से 450 पद बढ़े, कुल पद हुए 12906 : भर्ती घोटाले की पूरी स्क्रिप्ट यही से लिखनी शुरू हुई। टाइपिंग व एफिशिएंसी टेस्ट के 15 दिन बाद यानी 23 जून 2019 को कार्मिक विभाग ने सभी प्रक्रियाधीन भर्तियों में एमबीसी यानी मोस्ट बैकवर्ड क्लास के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश जारी कर दिए। एमबीसी में गुर्जर, गाडिया लोहार, बंजारा, रेबारी व राइका समुदायों को शामिल किया गया है। हालांकि इस कैटेगरी को एक प्रतिशत आरक्षण पहले से ही दिया जा रहा था। इसलिए एलडीसी में भी 450 पद और बढ़ गए। एलडीसी भर्ती के लिए कुल पदों की संख्या 12906 हो गई।
23 दिसंबर से 11 फरवरी 2020 तक दस्तावेजों का सत्यापन हुआ-
25 अक्टूबर 2019 को खाली सीटों के मुकाबले डेढ़ गुना अभ्यर्थियों को दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया। इसमें 17451 गैर अनुसूचित क्षेत्र और 977 अनुसूचित क्षेत्र के अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन किया गया। 23 दिसंबर 2019 से लेकर 11 फरवरी 2020 तक दस्तावेज सत्यापन हुआ।
वर्गवार जानकारी नहीं दी
14 फरवरी 2020 को फाइनल रिजल्ट जारी किया गया। इस रिजल्ट में यह बताया ही नहीं गया कि कुल कितनी सीटों पर भर्ती हुई है। इसमें विभागवार सफल अभ्यर्थियों और एमबीसी के पदों की जानकारी भी नहीं थी। 14 फरवरी को ही जारी प्रेस नोट पर नजर डालिए। इसकी हैड लाइन है-लिपिक ग्रेड द्वितीय के 11 हजार 322 पदों के लिए चयन सूची जारी। छह मार्च को द्वितीय चयन सूची में 313 अभ्यर्थियों के रोल नंबर और जारी किए गए। अब सवाल यह है कि 1271 पद कहां गए?
वे सवाल, जिनके जवाब राजस्थान अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को देने ही होंगे?-
1. आरटीआई में अभ्यर्थी ने 14 फरवरी 2020 को एलडीसी भर्ती-2018 का अंतिम परिणाम एआरडी के नए वर्गीकरण के आधार पर जारी हुआ है। इसी आधार पर वर्गवार बताए। इसी के जवाब में 10732 पदों की संख्या बताई गई। यह नोन टीएसपी क्षेत्र में अधीनस्थ विभागों के ही आंकड़े है। इसमें टीएसपी के 1241 पदों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। अगर हम आरटीआई के आंकड़ों में 1241 को भी जोड़ दे तो यह संख्या 11973 होती है। इसमें आरपीएससी के 36 और सचिवालय के 335 पदों को भी जोड़ना होगा।
2. अंतिम अपडेट पदों की संख्या 12906 थी। सरकार ने 14 फरवरी 2020 को रिजल्ट जारी किया, उसमें चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 11322 थी। छह मार्च 2020 को संख्या 313 बताई गई। इन्हें जोड़े तो यह संख्या 11635 होती है। सवाल उठता है कि 1271 पद कहां गए?



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80 वार्डों में मौजूद 4500 प्रवासियों की चिंता दरवाजे खटखटा कह रहे कलेक्टर-बाहर मत निकलना

मुरलीधर व्यास काॅलाेनी में एक घर के दरवाजे पर पुलिसकर्मी ने दस्तक दी। अंदर से आए व्यक्ति काे उसने बताया, कलेक्टर साब आए हैं। आपसे बात करना चाहते हैं। हैरान व्यक्ति कुछ कह पाता उससे पहले कलेक्टर कुमारपाल गाैतम ने उसका नाम लेकर पूछा, बाहर से आप ही आए हैं। जवाब मिला-हां। तबीयत पूछी। घरवालाें काे बुलाया। पूछा- ये कमरे या घर से बाहर ताे नहीं निकले। उन्हाेंने कहा-नहीं। पड़ाैस का दरवाजा खटखटाया। पड़ाेसी से पूछा-इन्हें बाहर घूमते देखा। जवाब मिला-नहीं। कहा, बाहर निकलते ही फाेन कर देना। बाद में प्रवासी के परिवारजनाें काे समझाया, हाेम क्वारेंटाइन का मतलब 14 दिन तक सबसे अलग रहना है। यह बाहर से आए व्यक्ति, परिवार, समाज और शहर सभी की सुरक्षा के लिए है। यह एक घर की नहीं शहर के बीसियाें घराें में कुछ इसी तरह कलेक्टर ने दस्तक देकर हाेम क्वारेंटाइन रहने की हिदायत दी।
इसलिए सतर्कता जरूरी
प्रदेश के कई हिस्साें में प्रवासियाें के आने के बाद काेराेना पाॅजिटिव मामले बढ़े हैं। बीकानेर में भी गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, बिहार, दिल्ली सहित देश के कई हिस्साें से लगभग 15 हजार लाेग आ चुके हैं। इनमें से 11432 पिछले सात दिनाें में आए हैं। सरकार की राेक के बावजूद जरूरत के मुताबिक अब भी लाेगाें का आना-जाना जारी है।

अब हर वार्ड में एक डॉक्टर टीम

सीएमएचओ ने आयुष, डेंटेस्ट्री, इंटर्न आदि डाक्टराें काे मिलाकर 80 लाेगाें की टीम तैयार कर। प्रत्येक डाक्टर काे एक वार्ड की जिम्मेवारी दी। उसके साथ तीन नर्सिंग स्टूडेंट या नर्सेज काे लगाया। समझाया, पूरी दुनिया एक वार्ड ही है। इस वार्ड में भी वे घर प्राथमिकता पर है जहां प्रवासी रह रहे हैं। हर दिन टीम में से काेई न काेई सदस्य इस घर तक दस्तक देगा। बाहर से आए व्यक्ति के हाल-चाल जानेगा। यह निश्चित करेगा कि व्यक्ति हाेम क्वारेंटाइन के सभी नियमाें का पालन कर रहा है। इसके साथ ही आईटी डिपार्टमेंट ने भी सतर्कता बढ़ा दी। एक-एक व्यक्ति की माेबाइल लाेकेशन के आधार पर दिन में तीन से चार बार ट्रेसिंग हाे रही है। यह स्थिति स्थिति सिर्फं बीकानेर शहर की ही नहीं है वरन जिले के हर उस गांव-तहसील मुख्यालय पर टीमें उन घराें की निगरानी में जुटी है जहां प्रवासी आए हैं। ज्यादा चिंता देश के विभिन्न हिस्साें से पिछले सात दिनाें में आए 11432 प्रवासियाें के स्वास्थ्य काे लेकर हैं। शहर में इन सात दिनाें में आए नए लाेगाें सहित अब तक 4500 लाेग आ चुके हैं। सभी की स्क्रीनिंग हाे चुकी है और रैंडम सैंपल टेस्ट भी हाे रहे हैं। मसलन, नाेखा में104 लाेगाें की जांच रिपाेर्ट नेगेटिव आ चुकी है। शुक्रवार काे श्रीडूंगरगढ़ में आए लाेगाें में से 185 के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।

मंत्री कल्ला बाेले, डिस्टेंट-सतर्कता रखो-अनुमति वाली आर्थिक गतिविधियां चलाओ
बीकनेर पश्चिम के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री डा.बी.डी.कल्ला ने शुक्रवार काे पीबीएम हाॅस्पिटल, मेडिकल काॅलेज के अधिकारियाें सहित जिलेभर के प्रशासनिक अधिकारियाें की मीटिंग ली। इस लंबी मीटिंग में माेटे ताैर पर जहां अब तक के हालात की समीक्षा की वहीं इस बात पर जाेर दिया कि साेशल डिस्टेंस मेंटेन रखते हुए वे सभी आर्थिक गतिविधियां जारी रखी जाएं जिनकी अनुमति हैं। कलेक्टर कुमारपाल गाैतम से औद्याेगिक क्षेत्र में चल रही गतिविधियाें का ब्याैरा लिया। पीबीएम हाॅस्पिटल सुपरिंटेंडेंट डा.माेहम्मद सलीम काे कहा-व्यवस्थाएं इस तरह चाक-चाैबंद करें ताकि हाॅस्पिटल में नाेन-काेविड पेशेंट्स काे भी पूरी चिकित्सा सुविधा मिल सकें। सभी तरह के जरूरी ऑपरेशन शुरू किए जा सके। यह ध्यान रखें कि हाेम क्वारेंटाइन किए गए लाेग बाहर न निकलें। जरूरत पड़े ताे इन्हें स्टेट क्वारेंटाइन में भेजें। पेयजल व्यवस्था सुचारु रखने के निर्देश भी अधिकारियाें काे दिए। मीटिंग में एसपी प्रदीप माेहन शर्मा, नगर निगम आयुक्त डा.खुशाल यादव, अतिरिक्त कलेक्टर ए.एच.गाैरी, सुनीता चाैधरी, मेडिकल काॅलेज प्राचार्य डा.एस.एस.राठाैड़ आदि माैजूद रहे।



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Collectors saying about 4500 migrants present in 80 wards knocking on doors




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पुलिस ने कामां में 22 ड्रमों में भरी 4 हजार और विलानचट्टपुरा में 2500 लीटर वाश नष्ट की

लॉकडाउन में हथकढ़ शराब के कारोबार की सूचना पर शुक्रवार को उच्चैन थाना पुलिस ने गांव विलाचट्टपुरा में अवैध हथकढ़ शराब के खिलाफ छापामार कार्रवाई कर ढाई हजार लीटर वाॅश व शराब बनाने की चार भट्टियों को नष्ट किया है। साथ ही मौके से 30 लीटर हथकढ़ शराब व एक बाइक को बरामद कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

उच्चैन एसएचओ जमील खान ने बताया कि पुलिस को गांव विलाचट्टपुरा में हथकढ़ शराब तैयार कर बेचने की सूचना मिली। जिस पर एसएचओ, एएसआई बृजभानसिंह, हैडकांस्टेबल बृजलाल, भरतसिंह के नेतृत्व में गठित टीमों ने शुक्रवार को गांव विलानचट्टपुरा में अलग-अलग रास्तों से पहुंचकर छापामार कार्रवाई की। जहां घरों व गैतबाडों में भट्टियों पर हथकढ़ शराब निर्मित होती हुई मिली। जिस पर पुलिस ने मौके पर ही चार भट्टियों को तोडकर मटकों व कैनों में भरी साढे ढाई हजार लीटर वाॅश को नष्ट कर दिया।

पुलिस ने गांव विलानचट्टपुरा निवासी बिरजी पुत्र कमलसिंह, राधे पुत्र नवला कंजर को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से तीस लीटर हथकढ़ शराब को बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही मौके पर लावारिस खड़ी बाइक को पुलिस एक्ट में जब्त किया है।

एसपी हैदरअली जैदी के निर्देश पर कामां डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने जुरहरा के गांव बमनवाडी व खेड़ी में अवैध शराब माफियाओं पर कार्रवाई कर जंगलों में अवैध शराब निर्माण के लिए बनाई गई भट्टियां तोड़ चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई।

डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने बताया कि मेवात इलाके में शिकायते मिल रही थी कि अवैध शराब माफियाओं द्वारा जंगलों में अवैध हथकढ़ शराब बनाकर गांवों व शहरी इलाकों में शराब की सप्लाई की जा रही है। जिस पर जुरहरा थाना के गांव खेड़ी व बमनवाडी के जंगलों में कार्रवाई कर अवैध शराब निर्माण की भट्टियां तोड़कर 22 ड्रमों में भरी करीब चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई। इसके अलावा कार्रवाई के दौरान मौके से बीस लीटर तैयार अवैध शराब भी बरामद की गई। कार्यवाही के दौरान शराब माफिया पुलिस के हाथ नहीं लग सके।



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ठगाें ने खाताें से उड़ाए 1.83 लाख, पुलिस ने गेटवे का पता कर दिलाए 1.50 लाख रुपए

लाॅकडाउन में सायबर ठग खाताें पैसे उड़ाने के लिए सक्रिय हैं। फाेन पर परिचित बन लिंक भेजकर खाताें साफ कर रहे हैं। पुलिस भी मुस्तैदी से ठगी के प्रकरणाें से निपट रही है। कमिश्नरेट के चार थानाें में दर्ज सायबर ठगी के प्रकरणाें में पुलिस ने राशि रिफंड करवाई है। अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर अशाेक गुप्ता ने बताया पेमेंट गेटवे का पता कर दाे दिन में 1.83 लाख मेंसे 1.50 लाख रुपए रिफंड करवाए।

पहला मामला: जगदीश प्रसाद को फाेन पर ठगों ने खुद काे परिचित बताते हुए खाते में ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने का लिंक भेजा। क्लिक करते पीड़ित और उसके बेटे के खाते से 99 हजार रुपए निकल गए।
दूसरा मामला : बरकत नगर निवासी त्रिलाेक चन्द्र के दाे खाताें से 40 हजार निकाल लिए। इधर, सेज थाना में संजय शर्मा के माेबाइल पर लिंक भेज 13 हजार रुपए उड़ा लिए।
फेसबुक आईडी हैक 20 हजार रुपए ठगे : इस तरह एक व्यक्ति की फेसबुक आईडी हैक कर रुपए मांगे। इस पर पीड़ित ने 20 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। पीड़ित के दाेस्त ने सायबर थाने में मामला दर्ज करवाया।



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50% यात्री ही सफर कर सकेंगे, 35 सीट की बस में बिलासपुर जा सकेंगी 15 सवारी

कोरोना संक्रमण के बीच 3 मई को लॉकडाउन को दूसरा चरण खत्म हो रहा है। सरकार ने लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाने की घोषणा कर दी है, लेकिन ग्रीन जोन वाले जिलों में अधिकांश पाबंदियों को हटा दिया गया है। कबीरधाम जिला भी ग्रीन जोन में है। यहां कोरोना के एक भी पॉजिटिव नहीं मिले हैं। लॉकडाउन- 3 में जाे रियायत मिली है, उससे हमारा जिला भी अछूता नहीं रहेगा।
कबीरधाम में 50 फीसदी सवारी के साथ कल यानि 4 मई से बसों के संचालन की छूट दी गई है। लेकिन इस छूट से बस ऑपरेटर्स ज्यादा खुश नहीं हैं। बस ऑपरेटर करन बंजारे बताते हैं कि अगर 35 सीटर बस में 15 सवारी बैठकर बिलासपुर जाते हैं तो घाटा ही होगा। हम 17 मई तक का इंतजार करेंगे। इधर अपर कलेक्टर जेके ध्रुव ने बताया कि लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ गई है। शासन के गाइडलाइन के अनुसार जो सेवाएं संचालित होंगी उसका पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
जानिए, लॉकडाउन- 3 में शहर में क्या खुलेंगे और क्या बंद रहेंगे
ये सेवाएं चालू रहेंगी: गाइडलाइन के मुताबिक 50 फीसदी यात्रियों के साथ बसें चलेंगी। इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर व कारपेंटर सेवाएं, मोबाइल-लैपटॉप, स्टेशनरी और कपड़े दुकानें खुल सकेगी। सेलून, शराब, गुटखा, पानी, दूध, सब्जी, किराना की दुकानें खोल सकेंगे। लेकिन वहां एक बार में 5 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे और लोगों के बीच 6 फीट की दूरी बनाए रखनी हाेगी। शॉपिंग मॉल को छोड़कर सामान बेचने वाली सभी दुकानें खुली रहेंगी।
निगरानी नहीं, क्वारेंटाइन सेंटर भेजे मजदूरों के बीच मारपीट
दूसरे राज्यों से पैदल आ रहे मजदूरों को रोकने बोड़ला ब्लॉक के ग्राम पालक में स्कूल भवन को क्वारेंटाइन सेंटर बनाए हैं। सेंटर में बालाघाट के 10-12 मजदूरों को क्वारेंटाइन किया गया है। निगरानी नहीं होने से शनिवार को क्वारेंटाइन किए गए मजदूरों के बीच विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि मारपीट तक हो गई। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। बताया जा रहा है कि मजदूरों का 14 दिन का क्वारेंटाइन अवधि खत्म हो चुका है। पंचायत से उन्हें अपने घर जाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन मजदूर लॉकडाउन तक यही रहने की जिद पर अड़े हैं।
बंद रहेंगे मंदिर-मस्जिद, शराब दुकानें खोलने की तैयारी
सहसपुर लोहारा| लॉकडाउन का दूसरा चरण 3 मई को खत्म हो रहा है। वहीं तीसरे चरण का लॉकडाउन 17 मई तक रहेगा। इस दौरान भीड़ के मद्देनजर मंदिर और मस्जिद खोलने पर प्रतिबंध है, लेकिन शराब दुकानों को खोलने की तैयारी शुरु हो गई है। सहसपुर लोहारा में लॉकडाउन के बीच शनिवार को सरकारी शराब दुकान में भीड़ को रोकने के लिए बेरीकेड लगाने का कार्य शनिवार किया जा रहा था। इसे लेकर लोनिवि ने मजदूरों लगाए थे।
यह तर्क दे रहे: डीजल का खर्चा ही नहीं निकाल पाएंगे ऑपरेटर तो होगा नुकसान
कवर्धा.हमेशा भीड़ से भरा रहने वाला बस स्टैंड लॉकडाउन के चलते सूना नजर आ रहा है।
ये पाबंदी 17 मई तक लागू ही रहेंगी: स्कूल, कॉलेज, एजुकेशन, ट्रेनिंग, कोचिंग इंस्टिट्यूट बंद ही रहेंगे। होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, जिम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, स्वीमिंग पूल बंद रहेंगे। हर तरह के राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक जारी रहेगी। धार्मिक स्थान भी बंद रहेंगे। धार्मिक मकसद से जमावड़ों पर रोक रहेगी।



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Only 50% passengers will be able to travel, 15 passengers will be able to go to Bilaspur in 35 seat bus




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प्रदेश में 100 साल पुराना आपदा प्रबंधन कानून लागू, थूकने पर रोक जैसे कानून भी 50 साल पुराने पर अमल पहली बार

जाॅन राजेश पाॅल।कोरोना को लेकर प्रदेश और देश में 100 बरसों से कानून की किताबों में दबे पड़े आपदा प्रबंधन नियम अचानक झाड़कर बाहर निकाले और लागू किए गए। कुछ नए नियम नौकरी व हेल्थ सेक्टर को ध्यान में रखकर भी लागू किए। थूकने पर अपराध व सजा के 50 साल पुराने कानून व शादियों की अनुमति के नियमों में कुछ में बदलाव करके लागू किए हैं। धारा 144 के भी मायने ही बदल गए। इस धारा ने तो सबसे लंबे वक्त अब तक 45 दिन तक रहने का इतिहास बना दिया। इसमें सबसे तगड़ा होकर उभरा सन 1897 का पुराना डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट यानी आपदा प्रबंधन कानून। डिजास्टर मैनेजमेंट के इस प्रभाव को कानून के जानकार इसे कानून पर ओवरराइड इफैक्ट कहते हैं। दिलचस्प यह भी है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट छत्तीसगढ़ तो क्या कभी सेंट्रल जोन में तूफान, आंधी, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को लेकर लागू नहीं हुआ। इस एक्ट के सेक्शन 61 को पहली दफे इसे इतनी कड़ाई से लागू किया गया वह भी लोगों को घर में कैद रखने के लिए। आपदा भी प्राकृतिक न होकर कृत्रिम वह भी अदृश्य है। इस एक्ट के तह तीन स्तर पर कमेटियां बनती हैं। और डीएम ही हेड होते हैं। समाज को एकजुट रहने का संदेश देने वाले देश में इस महामारी के चलते घरों, दुकानों सभी जगह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब केवल लॉ एंड आर्डर को काबू में रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली धारा 144 का उपयोग आज तक (44 दिन) तक अब तक के सबसे लंबे समय के लिए किया गया।

करीब पांच दशक पहले तुलसी कांड, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या, 1992-93 में बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने के बाद भी इतने लंबे समय तक यह धारा प्रभावी नहीं रही। महत्वपूर्ण बात यह भी कि पहली दफे धारा 144 के उल्लंघन में थोक में 1605 एफआईआर हुईं। ज्वाइंट कलेक्टर यूएस अग्रवाल के अनुसार इंदिरा हत्या कांड व बावरी मस्जिद के समय भी अविभाजित मध्यप्रदेश में प्रमुख शहरों में एक महीने तक ही यह धारा प्रभावशील रही। इसे केवल आठ दिनों के लिए लगाया जा सकता है। फिर इसमें समय-समय पर एक्सटेंशन कर जिला प्रशासन अधिकतम 60 दिनों तक लागू कर सकता है। इसके बाद उसे राज्य शासन की अनुमति लेनी होगी।
एक और खास बात यह कि धारा 144 के मायने चार या अधिक लोगों के एक स्थान पर जमा होने से रोकने को लिए हैं। यहां इसका उपयोग लोगों को घरों में कैद रखने के लिए किया गया। यानी अकेले-दुकेले को भी निकलने व घूमने की मनाही। धर्मगुरु तो यहां तक कहते हैं किसी भी युग में शादियों और अंतिम संस्कार को लेकर सख्ती नहीं की गई जो इस कलयुग में देखने को मिल रही है। सभी धर्मों के त्योहार और धार्मिक संस्कार कोरोना की भेंट चढ़ गए।

थूकने पर प्रतिबंध और डाक्टरों पर हमला
कोरोना के चलते सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर बैन लगाया है। हालांकि यह कानून 50 साल पहले से ही बना था। इसके बाद नया मंत्रालय ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक की धारा 51 में इसका प्रावधान किया। थूकने को अपराध माना और ऐसा करते पाए जाने पर छह महीने की सजा का प्रावधान किया। इसका पालन करना और करवाना है दोनों ने ही इसे गंभीरता से नहीं लिया। कोरोना ने 16 अप्रैल 2020 से इसका सख्ती से पालन करवा दिया। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट में यह ताकत है कि वह किसी भी गतिविधि को रोक या लागू कर सकता है। आजादी के बाद पहली दफे डाक्टरों पर हमले पर सजा का कानून का उपयोग हुआ।
शादी-अंतिम संस्कार भी सरकारी अनुमति से
प्रशासन 144 का उपयोग शादियों और अंतिम संस्कार में भी कर रहा है। वर्तमान में शादियां भी पहली बार सरकार की मर्जी से हो रही है। शादियों के लिए अनुमित व मुहूर्त की तारीख तहसीलदार दे रहे हैं। कैपिटल डिस्ट्रिक्ट में करीब 40 लोगों को अनुमति दी जा चुकी है। जबकि दर्जनभर के आवेदनों पर विचार हो रहा है। शादियों में दुल्हा-दुल्हन समेत दस से अधिक लोगों के विवाह में शामिल होने की अनुमित नहीं दी जा रही है। लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने शहर के बाहर नहीं जा पा रहे हैं। रिश्तेदारों ने या परिवार की लड़कियों ने बेटों की जगह चिता को मुखाग्नि दी। विशेष बात यह कि अब भी कई अस्थियां इलाहाबाद या अन्य धार्मिक शहरों में ही विसर्जन के लिए रोककर रखी हैं।



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100-year-old disaster management law implemented in the state, laws like banning spitting are also implemented for the first time.




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ओले-बारिश से सब्जी की 500 एकड़ बाड़ियां बर्बाद, 2 करोड़ का नुकसान

किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। कुछ दिनों पहले जहां सब्जी को बस्तर जिले को छोड़ अन्य जिलों में नहीं भेजने से परेशान किसान लोगों को मुफ्त में सब्जी बांट रहे थे वहीं एक पखवाड़े में हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल बर्बाद होने से किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है।
लॉकडाउन के बीच बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने जिले के सब्जी उत्पादक किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। इस प्राकृतिक विपदा के कारण जिले में 250 हेक्टेयर यानि करीब 500 एकड़ रकबे में ली गई फसल बरबाद हो गई। इससे किसानों को 2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
किसानों को नुकसान से राहत देने के लिए बार-बार मिल रही शिकायत के बाद उद्यानिकी विभाग की टीम ने फसल क्षति का आंकलन कर लिया है और इसकी रिपोर्ट इसकी रिपोर्ट संचालनालय को भेज दी है। किसानों को कब तक राहत मिलेगी। इस संबंध में अफसर कुछ नहीं बता रहे हैं । उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक अजय कुशवाहा ने कहा कि यह बात सही है कि जिस समय किसानों को अपनी उपज बेचने का सबसे अच्छा मौका था उस समय हुई बारिश और ओलावृष्टि ने कई किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया है। किसान अब बड़े पैमाने पर नुकसान होने से परेशान हैं।
6 हजार हेक्टयेर में की गई थी खेती

जिले के किसान पिछले कुछ सालों से सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इस साल भी किसानों ने 6 हजार हेक्टेयर में खेती की थी। इसमें सबसे अधिक नुकसान मिर्च, बरबट्टी, लौकी, पपीता, बैगन और गोभी की फसलों को हआ है। बस्तर किसान कल्याण संघ के कोषाध्यक्ष रमेश चावड़ा ने कहा कि सब्जियों की खेती करने में किसानों को काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। इस साल सब्जी उत्पादक किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हआ है। केवल ओला और बारिश के चलते करीब दो करोड़ रूपए का नुकसान बस्तर के किसानों को हुआ है।

बस्तर-बकांवड ब्लॉक में सबसे अधिक नुकसान

तेज बारिश और ओले के चलते सबसे अधिक नुकसान बस्तर और बकावंड ब्लाक के किसानों को हुआ है। किसान कल्याण संघ और उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के मुताबकि जहां बस्तर ब्लाक में करीब 80 एकड़ तो वहीं बकावंड ब्लाक में यह रकबा बढ़कर 350 एकड़ है। जबकि तोकापाल ब्लाक में यह रकबा 40 और जगदलपुर में करीब 30 एकड़ की फसल को नुकसान हुआ है।
इन ब्लॉक के इन गांवों में को ज्यादा नुकसान
बकावंड
राजनगर, कौड़ावंड, बकावंड, सतलावंड, ओडि़यापाल, बोरीगांव, सोनपुर, नरावंड, डिमरापाल, सौतपुर, चिखलकमरी, मंगलनार।
जगदलपुर
बालीकोंटा, तितिरगांव, घाटपदमूर, कालीपुर।
बस्तर
सालेमेटा 1, पखनाकोंगेरा, खंडसरा।
तोकापाल
कोएपाल, केशलूर, रायकोट, पलवा बारूपाट, आरापुर, डोगरी गुड़ा, बड़ेमारेंगा, तेली मारेंगा, कलेपाल, सिंगनपुर और डिमरापाल।



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500 acres of vegetable fence destroyed due to hailstorm, loss of 2 crores




50

घरेलू सिलेंडर 80 रुपए सस्ता, 50 हजार लोगों को लाभ

लॉकडाउन की अवधि में रसोई गैस के उपभोक्ताओं को पेट्रोलियम कंपनियों ने राहत दी है। महंगाई बढ़ने की आशंका को तोड़ते हुए कंपनियों ने घरेलू और व्यावसायिक सिलेंडर के दामों में कमी कर दी है। पिछले महीने तक जहां 14.2 किग्रा का एक घरेलू गैस सिलेंडर लोगों को 771 रुपए में मिल रहा था तो वहीं अब यह591 रुपए मिलेगा।
इसके अलावा 19 किग्रा का व्यावसायिक सिलेंडर व्यापारियों को 1324 रुपए की जगह 1073 रुपए में मिलेगा। गैस सिलेंडर के दामों में हुई कमी का फायदा जहां 51 हजार लोगों को मिलेगा तो वहीं करीब 150 व्यापारी इसका लाभ उठाएंगे। सांई एचपी गैस एजेंसी के संचालक मुरली कश्यप ने बताया सिलेंडर के दाम में हुई कमी का फायदा उज्ज्वला योजना कनेक्शनधारियोंको नहीं मिलेगा।
यह केवल सामान्य कनेक्शनधारियों को मिलेगा। कश्यप ने कहा कि रेट कम होने के चलते आने वाले दिनों में बुकिंग ज्यादा होने की संभावना जताई जा रही है इसे देखते हुए सिलेंडरमंगाया जा रहा है।
10 हजार 950 लोगों के खाते में अप्रैल की राशि नहीं हुई जमा

जिले में उज्ज्वला योजना के कनेक्शनधारियों की संख्या 1 लाख 19 हजार है। योजना के तहत तीन महीने का पैसा लोगों के खाते में जमा हो, इसके लिए लोगों को उनके खातों को अपडेट कराने के लिए कहा गया था लेकिन मुफ्त का सिलेंडर लेने के लिए लोगों ने इस नियम को नहीं माना और इसमें लापरवाही बरती। नतीजा यह रहा कि 10 हजार 950 लोगों के खाते में गैस सिलेंडर लेने के लिए जमा की जाने वाली पहली किस्त जमा नहीं हो पाई।
771 की जगह अब आएंगे 590 रुपए खाते में

गैस सिलेंडर का दाम कम होने से उज्ज्वला योजना के कनेक्शनधारियों के खाते में मई महीने के लिए कम पैसे जमा होंगे। गैस एजेंसी संचालकों ने बताया कि अप्रैल में उज्ज्वला योजना कनेक्शनधारियों के खाते में 771 रुपए केंद्र सरकार ने जमा किए थे। जबकि मई में यह घटकर 591 रुपए जमा होगें।
इस राशि से उन्हें एक माह के अंदर रिफलिंग करानी होगी। 31 मई तक रिफलिंग कराते हैं तो अगली व अंतिम किस्त जून में आएगी नहीं कराने पर अंतिम किस्त खाते में नहीं आएगी।

उज्ज्वला के 65 हजार 226 हितग्राहियोंने नहीं लिया मुफ्त का सिलेंडर
गरीब परिवार जिन्होंने उज्ज्वला योजना का कनेक्शन लिया है उन्हें केंद्र सरकार तीन महीने मुफ्त में गैस सिलेंडर दे रही है। लेकिन केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ बस्तर जिले के गरीब परिवार नहीं ले रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस जिले के 1 लाख 8 हजार 80 गैस कनेक्शनधारियों के खाते में पैसे जमा किए और कहा कि समय पर इस पैसे का उपयोग नहीं करने से उन्हें अगले महीने योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी इस नियम को लेकर गैस एजेंसी संचालकों ने लोगों को समझाइश देने के साथ ही प्रोत्साहित भी किया, लेकिन लोगों ने एक नहीं सुनी और मुफ्त का सिलेंडर लेने आगे नहीं आए। उज्ज्वला योजना के नोडल अधिकारी सुनील दास ने बताया कि बस्तर जिले में 65 हजार 226 लोगों ने मुफ्त का पहला सिलेंडर नहीं लिया जिसके चलते उनके खाते में इस महीने का पैसा जमा नहीं होगा।



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50

रायपुर में 10 दिन बाद मिला पाॅजिटिव, वह 50 घरों में गया था, शहर का 7वां केस

राजधानी रायपुर के आमानाका इलाके की एक बस्ती में रहने वाले कूलर मैकेनिक में कोरोना पाॅजिटिव निकल गया है। उसके सैंपल की जांच के बाद एम्स ने इसकी पुष्टि की है। रायपुर में यह कोरोना का 7वां केस प्रदेश में 63वां संक्रमित है। युवक को एम्स में भर्ती किया जा रहा है, जहां मरीजों की संख्या 22 हो जाएगी। इधर, बस्तर में रैपिड किट से हुई जांच में कोरोना के तीन नए केस मिले हैं। इन्हें देर रात मेडिकल कॉलेज जगदलपुर लाया गया है। एडवांस टेस्ट के लिए इनके सैंपल लिए गए हैं। पीसीआर जांच के बाद ही कोरोना वायरस होने की पुष्टि हो सकेगी।
वहीं मैकेनिक के कोरोना पाॅजिटिव निकलने के बाद प्रशासन की चिंता इसलिए बढ़ी है,क्योंकि वह पिछले 15 दिन में लगभग 50 लोगों के यहां कूलर सुधारने गया था। सभी के नाम-पते लेकर संपर्क करने की कवायद शुरू कर दी गई, ताकि उनका स्वास्थ्य जांचा जाए और जरूरत पड़ने पर सैंपल लिया जाए। आमानाका इलाके की जिस बस्ती में 24 साल का यह युवक रहता है, उसका कुछ हिस्सा सील कर दिया गया है। उसकी अब तक कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है, अर्थात महीनों से वह रायपुर में ही है, कहीं आया-गया नहीं। यहां तक कि उसके परिवार के लोग भी कहीं नहीं गए हैं। डाॅक्टरों का अनुमान है कि वह अपने काम के सिलसिले में ही किसी संक्रमित के संपर्क में आया होगा। उसके घरवालों के भी सैंपल लिए गए हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट मंगलवार को आएगी। दूसरी ओर कटघोरा में 16 अप्रैल के बाद कोई नया केस नहीं आया है। वहां के मरीज 4 अप्रैल से भर्ती होना शुरू हुए और सभी 27 की छुट्‌टी हो चुकी है। अंतिम दो मरीज 30 अप्रैल को डिस्चार्ज किए गए। अब सूरजपुर के 6, दुर्ग के 8, कवर्धा के 6 और रायपुर के दो मरीजों का इलाज एम्स में चल रहा है। बैकुंठपुर कोरिया में भी कोरोना के दो मरीज मिले थे, पर दोनों सैंपल देकर झारखंड चले गए थे। एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर ने बताया कि युवक को भर्ती करने की प्रक्रिया चल रही है।

दूसरे राज्यों से आए हैं
कलेक्टर डॉ. अय्याज तंबोली ने बताया बताया कि कोंडागांव जिले के कोरमेल में पिछले 8 मार्च को एक व्यक्ति बिहार से आया था। वह क्वॉरेंटाइन में भी था, जबकि दूसरा अहमदाबाद से लौटा है। तीसरी महिला बिहार से आने वाले व्यक्ति की रिश्तेदार है। रैपिड किट से टेस्ट में तीनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। पुष्टि के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया।



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Found positive after 10 days in Raipur, he went to 50 houses, 7th case of the city




50

50 शादी की अनुमति दी गई पर शर्तों का करना होगा पालन

शादी की घड़ी आ गई है, लेकिन प्रशासन से परमिशन नहीं मिल पाया है, अगर परमिशन नहीं मिला तो क्या होगा? इस चिंता में सोमवार को बड़ी संख्या में लोग शादी की अनुमति के लिए सुबह से एसडीएम कार्यालय पहुंच गए थे। इंतजार करते शाम हो गई। रोज-रोज आने और भूखे-प्यासे रहते हुए खाली हाथ जाने से पहले ही परेशान लोगों का धैर्य जवाब देने लगा, क्योंकि किसी के घर बारात आने में 24 घंटे भी बाकी नहीं, किसी के घर से बारात निकलनी है।
इसकी जानकारी लोगों ने पूर्व विधायक डॉ विमल चोपड़ा को दी। वे कुछ लोगों के निवेदन पर एसडीएम और कलेक्टर से इस विषय में बात कर चुके थे। उन्होंने एसडीएम से दोबारा बात करने के लिए फोन लगाया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। इस पर पूर्व विधायक डॉ चोपड़ा एसडीएम कार्यालय पहुंच गए और वहां उनके नहीं मिलने पर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा से फोन पर बात की। इसके कुछ देर बाद एसडीएम अपने कार्यालय पहुंचे। पूर्व विधायक ने उनसे चर्चा की। इसके बाद जितने भी आवेदन पेंडिंग थे, उन पर निर्धारित शर्तों के साथ शादी की अनुमति जारी की गई।

किसी की बेटी की शादी, किसी के बेटे की सब काम छोड़कर पहले परमिशन की चिंता
मोरधा से आए दामजी साहू ने बताया कि उसकी बेटी की शादी है। 6 मई को बारात आने वाली है। ग्राम सिंघी के गोपीराम साहू ने बताया कि 6 मई तो भतीजे की बारात जाएगी। ग्राम मुर्की के टीकम नारंग ने बताया 6 मई को बहन की बारात आने वाली है। छिलपावन के नरसिंग पटेल ने बताया 5 मई को बारात आने वाली है, भतीजी की शादी है। खड़सा के बिसन नेताम स्वयं की शादी के लिए परमिशन लेने पहुंचे थे, उन्होंने बताया 6 मई को शादी है। भलेसर के संतोष सिन्हा के घर 6 मई को बारात आएगी। बम्हनी के नारायण साहू ने बताया कि 5 मई को बेटे की बारात जाएगी और 6 मई को बेटी का पाणिग्रहण होगा। सिंघरूपाली के अंजोर सिंह निषाद और सोरम के मन्नू यादव के घर से 6 मई को बारात निकलनी है। इन लोगों ने बताया वे परमिशन के लिए कई दिनों से आ रहे। शनिवार को दिनभर बैठे रहे। सोमवार को पूरा दिन लग गया।
अनुमति के लिए 9174495587 पर वाट्सएप से भेजें ये जानकारी

  • पुत्री के विवाह के लिए - आवेदक का आधार कार्ड, शादी में उपस्थित होने वाले 4 व्यक्तियों के नाम।
  • पुत्र के विवाह के लिए - आवेदक का आधार कार्ड, गाड़ी आरसी की फोटोकॉपी, शादी में शामिल होने वाले 4 व्यक्तियों के नाम

50 से अधिक आवेदन थे पेंडिंग : शादियों के तमाम मुहूर्त लॉकडाउन की कड़ी बंदिशों के बीच निकल गए, अब 5 और 6 मई को मुहुर्त है। इन मुहूर्तों पर बड़ी संख्या में शादियां तय हो चुकी हैं, लेकिन शादी के लिए प्रशासन की अनुमति जरूरी है। एसडीएम कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को ही करीब 11 आवेदन आए, इसके पहले करीब 40 आवेदन आ चुके थे।



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50 marriages allowed but conditions must be followed




50

आखिरी अंक 0-1 वाले खातों में आए 500

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले महिलाओं के खातों में केंद्र सरकार ने तीन महीने तक 500-500 रुपए देने का निर्णय किया है। पहले महीने का पैसा अप्रैल में आया था, इसे निकालने सभी बैंकों में भीड़ लगी थी। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा था। पुलिस को व्यवस्था संभालनी पड़ी। अब मई महीने का पैसा भी सोमवार से खाते में आना शुरू हो गया।
अप्रैल महीने में बैंकों में पहुंच रहे लोगों को खाता संख्या के अनुसार पैसा दिया गया था। इस महीने भी इसी प्रकार दिया जाएगा। 4 मई को केवल उन्हीं खातों के रुपए निकाले जाएंगे जिनके आखरी अंक 0 और 1 हैं। इनके खाते में रुपए आ गए। यदि इनके अलावा अन्य अंक वाले पैसे लेने आएंगे तो उन्हें रुपए नहीं दिए जाएंगे। ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखाओं में अप्रैल में ज्यादा भीड़ लगी थी, इन बैंकों के अलावा अन्य बैंकों ने भी यह सुविधा भी शुरू कर दी है।
20 प्रतिशत लोग ही कर रहे एटीएम का उपयोग
योजना के तहत खुले खाते में एटीएम की सुविधा भी दी गई है लेकिन लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे। बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ 20 प्रतिशत लोग ही एटीएम का उपयोग कर रहे हैं, 80 प्रतिशत बैंकों के बाहर कतार लगाकर रुपए निकाल रहे। बैंकों के नंबर का भी उपयोग भी नहीं कर पा रहे। इसका कारण अधिकतर महिलाओं के खाते मोबाइल से लिंक नहीं हैं या उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता।



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500 in the last numbered 0-1 accounts




50

डेढ़ माह में टली 500 शादियां

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन को 40 दिन हो गए हैं। इससे जिले में होने वाली करीब 500 से अधिक शादियां टल गई। शादी का मौसम निकलने से किराया भंडार, लाइट, डीजे, केटरिंग सहित इससे जुड़े व्यवसायियों के सामने आर्थिक संकट आ गया है। सोमवार को किराया किराया भंडार व्यवसायी संघ, डीजे एसोसिएशन ने अपनी मांगों के संबंध में जिला प्रशासन, निगम कमिश्नर और महापौर को ज्ञापन दिया। श्रम विभाग से राहत दिलाने की मांग की।
किराना भंडार व्यवसायी संघ के अध्यक्ष महावीर मिश्रा, संरक्षक मोती लुनिया ने कहा कि व्यवसाय सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, शादी समारोह के कार्यक्रम से जुड़ा है। लॉकडाउन के कारण व्यवसाय पूरी तरह ठप है। अक्षय तृतीया में हर साल करीब 500 शादियां जिले में होती थी, जो इस बार स्थगित हो गईं। किराया भंडार व्यवसायियों को करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ है। किराया भंडार से डीजे, लाइट, फूल व्यापारी, केटरिंग सहित अन्य व्यवसाय जुड़ा है। करीब 8 हजार लोग इस व्यवसाय से जुड़कर काम कर रहे है। मजदूरों को श्रम विभाग द्वारा आर्थिक मदद दी जाए। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते सामान लगाने की अनुमति दी जाए।
मई और जून के भी आर्डर रद्द: सचिव: संघ के सचिव टीकम देवांगन ने बताया कि विवाह समारोह के लिए टेंट और कैटरर्स के ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं। आगे दिए भी नहीं हैं। इस कारण टेंट व्यवसायी सबसे ज्यादा परेशान हैं। शहर में 50 से अधिक टेंट व्यवसायी हैं। इन्होंने ऑर्डर मिलने के बाद मजदूरों को भी रख लिया था। कईयों को पेमेंट भी कर दिया है। ऐसे में इनका नुकसान हो रहा है। टेंट व्यवसायी आगे शादी की तारीख तय होने पर ऑर्डर देने का आग्रह कर रहे हैं। इस साल मई और जून के सारे ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं।मई में 10 व जून में 6 मुहूर्त है, लेकिन लोग विवाह की नई तारीख तय करने से बच रहे हैं।



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500 marriages postponed in a month and a half




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दुकान खुलते ही 150 गांवों के लोग शराब लेने पहुंचे खरोरा

लॉकडाउन में छूट देने के बाद शराब दुकान खुलते ही लगभग 150 ग्रामों के मदिरा प्रेमी सैकड़ों की संख्या में नगर प्रवेश किए। अल सुबह से ही नगर स्थित शराब दुकान में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शराब के लिए इस कदर की बेकरारी थी कि सुबह 5-6 बजे से काफी संख्या में मदिरा प्रेमी मदिरालय का पट खुलने का इंतजार करते नजर आए। शराब खरीदने के लिए लोगों की बेसब्री अौर अनुशासनहीनता ने प्रशासन की सारी तैयारियों को ध्वस्त कर दिया। खरोरा नगर निरीक्षक रमेश मरकाम अपने पुलिस जवानों के साथ मदिर प्रेमियों को नियंत्रित करने अौर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने का प्रयास करते नजर आए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खरोरा अंग्रेजी शराब दुकान के मैनेजर शासकीय मूल्य से अधिक दर पर शराब बेचकर आज 45 हजार से अधिक रकम जमा किए हैं। वहीं देशी शराब दुकान 300 रुपए माइनस में रही।
सरकार को खजाने की चिंता, छोटे दुकानदारों की नहीं
नगर के अधिकांश छोटे व्यवसायी बंधुओं में भी निराशा है। इनका शासन-प्रशासन से सीधा प्रश्न की है कि हमारे ऊपर इतना सख्ती क्यों? हमने कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन व शासन-प्रशासन के सभी निर्देश तथा आदेश का पालन किया। अपने आर्थिक हितों को दरकिनार कर जनहित अौर देशहित को सर्वोपरि माना। यथा संभव लॉकडाउन में प्रभावित हमारे निर्धन भाइयों के परिवार को आर्थिक मदद में सहभागिता निभाई और आवश्यकता पड़ने पर हम मदद के तत्पर रहेंगे। मगर अफसोस जनक पहलू यह की शासन को अपनी आर्थिक हानि की चिंता हो रही है। अवसर मिलते ही अपने आर्थिक उपार्जन के मुख्य स्रोत शराब दुकान खोलने में क्षण भर देर भी नहीं की पर हम छोटे व्यापारियों का क्या होगा? हमें कब राहत मिलेगी?
कोचिया को दी गई 2 से 3 पेटी दारू: खरोरा नगर पंचायत क्षेत्र स्थित अंग्रेजी शराब दुकान 4 बजे तक से भी अधिक समय तक खुली रही। पिछले दरवाजे से कोचियों को 2 से 3 पेटी दारू सप्लाई की गई। अंग्रेजी शराब दुकान के मैनेजर द्वारा अवैध शराब विक्रय करने वाले कोचियों को दारू सुबह 8 बजे तक दारू उपलब्ध करवाई गई। अंग्रेजी शराब दुकान में अप्रैल में राज्य शासन द्वारा शराब का हर वित्तीय वर्ष में रेट बढ़ाया जाता है। उससे भी अधिक मूल्य पर शराब का विक्रय किया गया। खरोरा अंग्रेजी शराब दुकान से प्रति बोतल 40 से 50 पचास रुपए अधिक वसूला जा रहा है।
लोगों को नशाखोरी में ढकेल रही सरकार
नगर पंचायत, महिला समूह के निर्मला देवागंन, पुष्पा यादव, मधु निषाद, कांति सिन्हा, कल्पना मंडल सहित नगर की महिलाओं ने शराब दुकानें खोले जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शराब सदा महिलाओं के लिए अभिशाप रही है। शराब विक्रय शुरू किया जाना घरेलू हिंसा सहित अन्य असामाजिक कृत्यों को पुनः जन्म देगा। नशामुक्त राज्य निर्माण का एक अच्छा अवसर सरकार खोने को है। शराबबंदी से 40 दिनों में मदिरा प्रेमियों में शराबखोरी की लत से मुक्ति पाने की इच्छा शक्ति पैदा हो रही थी, मगर सरकार एकाएक शराब दुकान खोल कर उन्हें फिर नशाखोरी की दलदल मे ढकेल रही है।



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People from 150 villages reached Kharora as soon as the shop opened




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रायपुर से 450 श्रमिक लौटे झारखंड, यूपी, दिल्ली, हरियाणा के रहने वालों की भी जानकारी जुटा रहा प्रशासन

रायपुर जिले में फंसे झारखंड के रहने वाले ऐसे मजदूरअब घर लौट रहे हैं। करीब 450 लोगों को बस से झारखंड के लिए रवाना किया गया। झारखंड के 8 जिलों सराईकेला, बोकारो, खुटी,हजारीबाग,धनबाद,रामगढ़, सराईकेला, लातेहार और गिरीडीह के लिए 18 बस लोगों को लेने पहुंचीं। यह बस झारखंड का प्रशासन ही भेज रहा है। जैसे-जैसे बस आ रही हैं, लोगों को रवाना किया जा रहा है। जिस जिले की बस आ रही है, सिर्फ उसी जिले के लोगों को भेजा जा रहा है। रायपुर के राधा स्वामी सत्संग आश्रम को पिकआप प्वॉइंट बनाया गया है।

झारखंड के करीब 13 सौ श्रमिकों ने अपना पंजीयन कराया है। इन्हें आश्रम में ही रखा गया है। कलेक्टर एस भारती दासन ने यहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। कलेक्टर ने यहां जिला प्रशासन द्वारा की गई रजिस्ट्रेशन, भोजन, स्वल्पाहार पानी, छाया, लाइट, पंखे, शौचालय, आराम करने आदि की व्यवस्था का जायजा लिया। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के जिस जिले में झारखंड के श्रमिक और नागरिक वर्तमान में फंसे हुए हैं, वेवहां के जिला प्रशासन से सम्पर्क कर रजिस्ट्रेशन का कार्य करवा सकते हैं।

अन्य राज्यों के लोगों का जुटा रहे डाटा

छत्तीसगढ शासन के श्रम विभाग ने श्रमिकों की सहायता के लिए सात हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है। ये नम्बर हैं-0771-2443809, 91098-49992, 75878-21800, 75878-22800, 96858-50444, 91092-83986 और 88277-73986 है। सुबह 9 बजे से शाम के 7 बजे तक उत्तर प्रदेश के लिए 75878-21800 और 96858-50444 दिल्ली और हरियाणा के लिए 74772-13986, बिहार के लिए 88199-53807 तथा पश्चिम बंगाल एवं उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए 83494-68006 नंबर पर संकर्प किया जा सकता है। आगामी दिनों इन राज्यों से लोगों को भी वापस भेजा जाएगा।



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तस्वीर रायपुर के राधा स्वामी आश्रम कैंपस की है, यहां मेडिकल जांच के बाद मजदूरों को भेजने की प्रक्रिया की जा रही है।




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तिल्दा-नेवरा व चांपा में बनेंगे 50-50 हजार मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां राज्य भंडार गृह निगम के संचालक मंडल की बैठक हुई। बैठक में रायपुर जिले के तिल्दा-नेवरा और जांजगीर-चांपा जिले के चांपा में 50-50 हजार मीट्रिक टन क्षमता का खाद्यान्न गोदाम बनाने की स्वीकृति सहित कई अहम निर्णय लिए गए।
बैठक में संचालक मंडल ने खाद्यान्न भंडारण की क्षमता में वृद्धि के उद्देश्य से निजी क्षेत्र में गोदाम निर्माण को प्रोत्साहित करने का निर्णय। इसके तहत दुर्ग और सूरजपुर में निजी गोदाम का निर्माण करने वाले उद्यमियों के गोदाम में भंडार निगम अपने खाद्यान्न का भंडारण कराएगा। इसके लिए उद्यमियों से कम से कम दस साल का अनुबंध करने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में नवा रायपुर में 15 करोड़ की लागत से नया फूड टेस्टिंग लैब निर्माण की भी स्वीकृति दी गई। लैब निर्माण के लिए नवा रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा दो एकड़ भूमि आवंटित की गई है। लैब बनने से खाद्य सामग्रियों को जांच के लिए प्रदेश से बाहर भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न भंडारण के लिए गोदाम निर्माण को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। संचालक मंडल ने प्रदेश के निजी गोदामों के किराया दर में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का भी निर्णय लिया है। बैठक में राज्य भंडार गृह निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों के सेटअप पुनरीक्षण की बहुप्रतिक्षित मांग को भी बोर्ड ने स्वीकृति प्रदान की। इससे निगम के कर्मियों को पदोन्नति का अवसर मिलेगा। बैठक में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में समिति द्वारा खरीदे गए धान का भंडारण और उठाव, कस्टम मिलिंग की अद्यतन स्थिति की भी समीक्षा की। भगत ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से राज्य भंडार निगम की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने निगम के अधिकारियों को खाद्यान्न भंडारण व विपणन का कार्य तत्परता से करने को कहा। लॉकडाउन के दौरान राज्य भंडार गृह निगम के कार्यों की सराहना की।
बैठक में खाद्य विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, राज्य भंडार गृह निगम के प्रबंध निदेशक एलेक्स पॉल मेनन सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।



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शादियां हो सकेंगी, लेकिन सिर्फ 50 लोग होंगे शामिल

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से सभी कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लग गए थे। ग्रीन जोन होने के कारण मिली रियायतों में अब वैवाहिक कार्यक्रम को भी शामिल कर दिया गया है। मंगलवार की देर शाम कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने आदेश जारी किया।
इसके मुताबिक वैवाहिक कार्यक्रम को सशर्त छूट मिली है। यानी अब शादियां हो सकेंगी, लेकिन शर्त यह है कि घराती- बाराती की संख्या सिर्फ 50 या इससे कम होना है। इसके लिए पहले अनुमति क्षेत्र के तहसीलदार से लेनी पड़ेगी। अंतिम संस्कार कार्यक्रम में 20 लोगों के ही शामिल होने की अनुमति है। नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
अप्रैल में खास मुहूर्त था, 50 से ज्यादा शादियां हुईं रद्द: शादियों के लिए अप्रैल में खास मुहूर्त था। अक्षय तृतीया के दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं। इस बार शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में शादियों की तैयारियां थीं। भास्कर पड़ताल में पता चला है कि करीब 50 से ज्यादा शादियां लॉकडाउन के चलते अप्रैल में रद्द हुई हैं। अब मई में 8 मुहूर्त हैं। रियायतों के बाद माना जा रहा है अब रद्द हुई शादियां इस महीने हो सकती हैं।

इन नियमों का पालन जरूरी

  • सोशल डिस्टेंस का पालन अनिवार्य होगा।
  • किसी भी तरह का सार्वजनिक आयोजन, मार्ग पर बारात निकालने व सार्वजनिक भवनों के उपयोग पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा।
  • विवाह सिर्फ अपने निवास के प्रांगण में ही करने की अनुमति होगी।
  • ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग की अनुमति नहीं होगी। सामूहिक भोज पर प्रतिबंध रहेगा।
  • कार्यक्रम स्थल पर मास्क व हाथ धोने की व्यवस्था जरूरी। यह अनुमति दंतेवाड़ा जिले के लिए ही प्रवृत्त होगी, जिले के बाहर जाने की अनुमति का अधिकार जिला स्तर पर सुरक्षित रखा गया है।


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संग्राहकों को 2018 के लाभांश के 750 करोड़ रुपए नहीं मिले हैं

अंचल में हरा सोना अर्थात तेंदूपत्ता की तुड़ाई एवं खरीदी की शुरूआत मंगलवार से हो गई। बागबाहरा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत लघु वनोपज सहकारी समिति सुखरीडबरी में इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर के साथ सांसद प्रतिनिधि एवं लघु वनोपज संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष हितेश चंद्राकर ने विधिवत पूजा-अर्चना कर खरीदी प्रक्रिया का शुभारंभ किया। वहीं दूसरी तरफ संग्राहकों को 2018 के लाभांश का 750 करोड़ रुपए तक नहीं मिला है। दीवाली के पूर्व ही संग्राहकों के खाता में पहुंच जाना था। जबकि यह राशि राज्य लघु वनोपज संघ में जमा है। संग्राहक-मजदूर दो साल से अपना हक लेने के लिए भटक रहे हैं।
तेंदूपत्ता संग्राहक भरी दोपहरी में परिवार सहित मिलकर तोड़े गए तेंदूपत्ता की गड्डी बनाकर शाम 4 बजे इसे फड़ में पहुंचाते हैं। इसके तहत उन्हें मिलने वाला संग्रहण दर की राशि नहीं मिल रहा है। जिले का लगभग 20 करोड़ सहित प्रदेशभर का लाभांश 750 करोड़ रुपए आज तक वितरण की बजाय अनावश्यक रूप से रोक कर रखा गया है। यह सरकार की मनमानी है। इस मौके पर सुखरीडबरी समिति के देवनारायण महोबिया, खेदु चक्रधारी, गोपाल ध्रुव, केशव ध्रुव आदि मौजूद रहे।
पूर्व मे संचालित योजनाओं को भी फिर से शुरू करें
सांसद प्रतिनिधि हितेश चंद्राकर ने कहा कि राज्य शासन द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनकी वाजिब हक की लाभांश राशि का तत्काल भुगतान किया जाए। ताकि इस आपदा के समय उन्हें राहत मिल सके। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए जारी अनेक योजनाओं को बंद कर उनके साथ कुठाराघात किया गया है। प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को मिलने वाली प्रोत्साहन (छात्रवृत्ति) को भी बंद कर दिया गया है। तेंदूपत्ता मजदूरों को उनके कमाई मे से दिये जाने वाले लाभांश राशि सहित पूर्व मे संचालित योजनाओं को पुनः लागू किये जाने की मांग की गई है।



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Here collectors have not received ~ 750 crores of 2018 dividend




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ऑनलाइन सब्जी कोई नहीं ले रहा, शराब के लिए 2 दिन में 250 ऑर्डर

राज्य सरकार ने सब्जी-फल बाजारों में जुट रही भीड़ से कोरोना के संक्रमण का खतरा दूर करने के लिए पूरे प्रदेश में सब्जी-फल की अॉनलाइन बुकिंग व होम डिलीवरी की सुविधा शुरू की हुई है।
तमाम कवायद के बाद भी सिर्फ 45 लोगों ने यहां पंजीयन कराया है। इसमें भी औसतन हर रोज 10-12 लोग ही सब्जी के लिए ऑर्डर कर रहे हैं। गत 14 अप्रैल से शुरू हुई इस योजना में जहां अब तक सब्जी व फल बेचने के लिए केवल 9 व्यापारी ही आगे आए हैं तो वहीं दूसरी ओर इस वेबसाइट के माध्यम से खरीदी के लिए 313 लोगों ने ही पंजीयन कराया हुआ है लेकिन इनमें से भी सिर्फ 45 ही एक्टिव है।
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक और इस योजना के नोडल अधिकारी अजय कुशवाहा ने कहा वेबपोर्टल के माध्यम से सब्जी बेचने के लिए व्यापारियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा लोगों को जागरूकता का परिचय देते हुए सब्जी खरीदने के लिए कहा जा रहा है।

डिलिवरी चार्ज है मुसीबत
होम डिलीवरी चार्ज भी लोगों को ऑनलाइन सब्जी बाजार से दूर कर रहा है। पोर्टल में पंजीकृत व्यवसायियों ने बकायदा शर्तों के साथ इसमें अपनी जानकारी डिस्प्ले कर रखी है और लोगों को ऑनलाइन डिलीवरी करने के लिए कुछ व्यापारी व संस्थाएं जहां मुफ्त में तो वहीं कुछ लोग 5 से 10 प्रतिशत तक होम डिलवरी चार्ज लेने की बात कह रहे हैं। जिसका असर भी इस योजना पर पड़ रहा है।

शराब की होम डिलीवरी के लिए ऑर्डर पर ऑर्डर
सरकार ने शराब की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलिवरी के लिए सरकार ने वेबपोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल पर लोग शराब के लिए ऑर्डर कर सकते हैं। लोगों ने ऑनलाइन घर पर शराब पाने के लिए बड़ी संख्या में अपने ऑर्डर बुक किए हैं। 2 दिनों में ही सिर्फ बस्तर जिले के लिए 249 लोगों ने ऑनलाइन शराब की मांग करते हुए अपने ऑर्डर बुक किए मंगलवार को 79 लोगों ने और बुधवार को एक साथ 70 लोगों ने शराब पाने के लिए बुकिंग की। बुधवार को इनमें से सिर्फ 17 लोगों को ही शराब मुहैया कराई जा सकी है। विभागीय अफसरों के मुताबिक ऑनलाइन शराब के डिलीवरी का जिम्मा प्राइम वन प्लेसमेंट एजेंसी प्राइम वन को है 24 घंटे में शराब के डिलीवरी करनी है लेकिन 48 घंटे में भी यदि डिलीवरी नहीं हुई तो प्लेसमेंट एजेंसी को फाइन भरना होगा। इधर कई लोग फॉल्स बुकिंग भी कर रहे है।

सिर्फ 15 किलोमीटर तक ही होगी सप्लाई
ऑनलाइन डिमांड पर सिर्फ 15 किमी तक ही शराब पहुंचा कर देने का प्रावधान है। होम डिलीवरी के लिए शराब की कीमत के अलावा 120 रुपए सर्विस चार्ज लेते हैं। आबकारी अफसरों का कहना है कि अधिकतर लोगों ने जिस ब्रांड की मांग की थी वह यहां उपलब्ध नहीं है एक व्यक्ति ने तो 60 किमी दूर मारडुम गांव से शराब के लिए बुकिंग की थी जिसे पहुंचाना संभव नहीं है।



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बिना जांच के राजनांदगांव से 3 बसों में भेज दिए 150 मजदूर, बढ़ी फिक्र

कोरोना के मामले में कबीरधाम जिला रेड जोन में पहुंच गया है। इस बीच दूसरे राज्यों से प्रवासी श्रमिकों की वापसी का सिलसिला शुरु हो चुका है। इससे भी कहीं अधिक चिंता का विषय यह है कि मजदूरों की घर वापसी को लेकर अफसरों में तालमेल की कमी है। इसकी बानगी बुधवार की रात लगभग दो बजे देखने को मिली। बिना जांच के राजनांदगांव से 3 बसों में 150 मजदूरों को कवर्धा भेज दिए । स्थानीय प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं दी गई ।
रात के अंधेरे में अचानक मजदूरों के पहुंचने की खबर से अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। कवर्धा एसडीएम विपुल गुप्ता ने बताया कि राजनांदगांव से आए मजदूरों को किसी तरह उनके घर जाने से रोका गया और भागूटोला राहत शिविर में ठहराए।
राजनांदगांव से एक बस मजदूरों को भेजने की सूचना थी। लेकिन रात में ही अचानक 2 अन्य बसों में लगभग 100 मजदूर पहुंच गए। कवर्धा-राजनांदगांव बॉर्डर पर मजदूरों को उतारकर बस वापस राजनांदगांव चली गई। बस से उतरने पर कई मजदूर झोला-गठरी लेकर अपने गांवों की ओर चल पड़े। तभी प्रशासन को इसकी खबर मिली। आनन-फानन में मजदूरों को रोका गया और भागूटोला में बने राहत शिविर में लेकर आए।
नागपुर और हैदराबाद से लौटे थे सभी मजदूर : बुधवार की रात राजनांदगांव से बसों में कवर्धा पहुंचे सभी मजदूर कमाने-खाने के लिए नागपुर (महाराष्ट्र) और हैदराबाद (तेलंगाना) गए थे। लॉकडाउन के चलते पिछले एक महीने से वहां फंसे थे। उसके बाद पैदल चलकर राजनांदगांव पहुंचे। वहां से इन्हें बसों में बैठाकर कवर्धा भेजा गया। इनमें से ज्यादातर मजदूर कबीरधाम जिले के पंडरिया और मुंगेली जिले के विभिन्न गांवों के रहने वाले थे। कवर्धा पहुंचने पर मुंगेली के मजदूरों को वहां के लिए रवाना कर दिए। वहीं पंडरिया के मजदूरों को संबंधित क्षेत्र में बने सेंटर में क्वारेंटाइन किया गया है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी हो गया है। इस दौरान कहीं-कहीं पर अव्यवस्था भी हो रही है।

बगैर सूचना के 2 अन्य बसों में भेज दिए मजदूर

कवर्धा एसडीएम विपुल गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र और हैदराबाद से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक राजनांदगांव पहुंचे हैं। वहां से श्रमिकों की लिस्टिंग कर उन्हें उनके जिलों में भेजा जा रहा है। बुधवार को राजनांदगांव से सूचना दी थी कि एक बस में लगभग 40 मजदूरों को भेज रहे हैं, जो पंडरिया और मुंगेली के रहने वाले हैं। उनके आने के बाद अचानक दो अन्य बसों में आए मजदूरों को बॉर्डर पर उतार दिए। उसकी सूचना राजनांदगांव से नहीं दी गई थी।

आज 500 मजदूरों को भेजेंगे, बॉर्डर पर निगरानी बढ़ाई
राजनांदगांव में बड़ी संख्या में मजदूर पहुंचे हुए हैं। कबीरधाम जिले के 500 मजदूरों को शुक्रवार को राजनांदगांव से रवाना किया जाएगा। इसे लेकर जिले के बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी गई है। ताकि बसों से उतरने के बाद मजदूर अपने घर न जा पाएं। एहतियात के लिए पहले उनकी स्क्रीनिंग कराई जाएगी। फिर 21 दिन के लिए अलग-अलग सेंटर में उन्हें क्वारेंटाइन करेंगे ।
500 में से 337 लोगों की जांच रिपोर्ट आई निगेटिव
रेंगाखार व समनापुर जंगल में एक साथ 6 कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कोविड- 19 की जांच के लिए सैंपल की संख्या बढ़ाई है। जिले में अब तक 500 से अधिक सैंपल भेजे जा चुके हैं। इनमें से 337 की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने से राहत है। अब भी 150 से अधिक सैंपल की जांच रिपोर्ट आना बाकी है। सीएमएचओ डॉ. एसके तिवारी के मुताबिक कंटेनमेंट जोन में शामिल रेंगाखार, समनापुर जंगल, चमारी, तितरी गांव में लोगों की रैपिड किट से जांच की जाएगी। जांच के लिए अलग-अलग टीमें बनी है ।



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150 laborers sent in 3 buses from Rajnandgaon without investigation, worry increased




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पिछले साल से 500 आवेदन कम आए

निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) की आरक्षित सीटों के लिए आवेदन 30 मई तक स्वीकार किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया फिर शुरू हो चुकी है। कबीरधाम जिले के 177 प्राइवेट स्कूलों में आरटीई की 1579 सीटें हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग को 1671 आवेदन मिले हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस साल ऑनलाइन आवेदन में कमी आई है। गत वर्ष लगभग 2200 आवेदन ऑनलाइन आए थे।
सीटों के आवंटन के लिए जून के पहले सप्ताह में लॉटरी होने की संभावना है। आवेदन कम आने की प्रमुख वजह लॉकडाउन है। क्योंकि ऑनलाइन आवेदन होने के कारण कम्प्यूटर सेंटर व सीएससी सेंटर बंद हैं। इस कारण पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में लाॅकडाउन में कई प्रकार की छूट दी गई है। इसके चलते बीते एक हफ्ते में आवेदन की संख्या बढ़ी है। कुछ दिन पहले आवेदन की प्रक्रिया को शिक्षा विभाग ने स्थगित किया था। अब फिर फॉर्म स्वीकार किए जा रहे हैं। डीईओ केएल महिलांगे के मुताबिक अब भी 30 मई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं।
फॉर्म भरने समस्या हो, तो नोडल से संपर्क करें

डीईओ कार्यालय के मुताबिक ऑनलाइन आवेदन की सुविधा बीते वर्ष से की गई है। पूर्व में ऑफलाइन आवेदन लिए जाते थे। इस साल ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। वहीं सरकारी स्कूलों में बने नोडल सेंटर की मदद से भी आरटीई के लिए आवेदन भरे जाते हैं। स्कूल अभी बंद हैं, इसलिए पालकों को परेशानी हो रही है। फिर भी पालक संबंधित स्कूल में जाकर जानकारी ले सकते हैं। ज्यादातर नोडल सेंटर हाई व हायर सेकंडरी स्कूल को बनाया गया है। ऑनलाइन पोर्टल eduportal.cg.nic.in/rte के जरिए फॉर्म भरें।

पिछले वर्ष सर्वर के कारण हुई थी परेशानी
बीते साल लॉटरी के दौरान सर्वर की समस्या सामने आई थी, लेकिन एक बार फिर पुरानी प्रक्रिया से ही ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। ऑनलाइन आवेदन के साथ लॉटरी भी ऑनलाइन जारी किए जाते हैं। ऐसे में लॉटरी के दौरान सर्वर की समस्या बनी होती है। बीते साल तो लॉटरी जारी करने के दौरान एक ही बच्चे का नाम दो से तीन स्कूल में आ गया था।



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जिले में 50 हजार संग्राहकों ने 8 करोड़ से अधिक के तेंदूपत्ते का किया संग्रहण

हरे सोने के रूप में तेंदूपत्ता वनवासियों के लिए अमूल्य संपदा है। यह ग्रामीणों के लिए आजीविका की अपार संभावनाएं ले कर आता है। जिले के दूरस्थ अंचलों में लगभग 50 हजार ग्रामीण इन दिनों तेंदूपत्ता संग्रहण में जुटे हुए हैं।
अब तक 8 कराेड़ रुपए से अधिक का तेंदूपत्ता संग्रहित किया जा चुका है। राज्य शासन ने समर्थन मूल्य पर 23 प्रकार के वनोपजों का संग्रहण किया जा रहा है परन्तु तेंदूपत्ता का पुरातन काल से वनवासियों के अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व रहा है। क्योंकि तेंदूपत्ता यहां लगभग हर ओर मिलता है। इसमें अधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है ऐसे में गांवों में बच्चे-बूढ़े और जवान सभी मिलकर तेंदूपत्ते के संग्रहण से आय अर्जित कर पाते हैं। समर्थन मूल्य पर समितियों द्वारा खरीदी से उनको उनका हक प्राप्त हो रहा है। कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने बताया कि इन दिनाें ग्रामीण इमली, महुआ के साथ ही अन्य 11 प्रकार के वनोपजों के संग्रहण में जुटे हुए हैं। जिले में अब तक 6 करोड़ से अधिक राशि के वनोपज का विक्रय वनवासी कर रहे हैं। वर्तमान में 4 मई से तेंदूपत्ता संग्रहण प्रारम्भ हुआ है। इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य 4000 मानक बोरा होने से संग्राहकों में विशेष उत्साह है।



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50 thousand collectors collected more than 8 crore tendu leaves in the district




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ईंट भट्ठा मालिक ने छत्तीसगढ़ से आए 50 मजदूरों को मारपीट कर निकाला, प्रदर्शन

पोटका थाना के बांगो गांव में आरबीपी ईंट भट्ठा में छत्तीसगढ़ से आए 15 मजदूरों समेत करीब 50 लोगों को भट्ठा मालिक ने बुधवार को मारपीट कर वहां से निकाल दिया। इसके बाद बांगो गांव के ग्रामीणों के सहयोग से उन्हें गांव के स्कूल में शरण दिया गया। ग्रामीणों में भट्ठा मालिक के प्रति भारी आक्रोश है। ग्राम प्रधान फटिक गोप के नेतृत्व में ग्रामीणों ने भट्ठा में जाकर विरोध प्रदर्शन भी किया। ग्राम प्रधान फटिक गोप ने कहा- नवंबर से भट्ठा में काम करने के लिए 15 मजदूर समेत 50 लोग छत्तीसगढ़ के विलासपुर से आए थे। इसमें 12 महिलाएं एवं 12 बच्चे भी शामिल हैं। उनको भट्ठा के मैनेजर ममता ने बुधवार को मारपीट कर बाहर निकाल दिया है। उनको मंगलवार से खाना पीना का राशन भी नहीं दिया जा रहा है। सभी को ग्रामीणाें की मदद से खाना खिलाया भी जा रहा है। इसमें एक महिला गर्भवती भी है उसके साथ मारपीट भी की है। ग्रामीणों ने कहा- अगर भट्ठा मालिक ने मजदूरों को खाना नहीं उपलब्ध कराया, ताे ईंट भट्‌ठा बंद कर दिया जाएगा। वहीं भट्ठा मालिक राजेश सिंह ने कहा कि ये लोग ब्लैकमेल कर रहे हैं।



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Brick kiln owner killed 50 laborers from Chhattisgarh, demonstrating




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मीडिया कर्मियों का ~50 लाख का बीमा कराए केंद्र : इरफान

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारिणी अध्यक्ष डॉ इरफान अंसारी ने राज्य के मीडिया कर्मियों को 50 लाख का निबंधन बीमा करने की मांग भारत सरकार से किया है। इस संबंध में विधायक ने कहा कि देश के संविधान के चौथे स्तंभ मीडियाकर्मी है। कहा कि मीडिया के लोग दिन रात समाज की अच्छाई और बुराई का आईना जनता के बीच लाते हैं। ऐसे में उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षित रखना राज्य सरकार व भारत सरकार का कार्य है। बता दें कि डॉ इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार से मीडियाकर्मियों और उनके परिवार की सुरक्षा की दृष्टि से 50 लाख रुपये का बीमा कराने की मांग दोनों सरकार से किया। डॉ इरफान अंसारी ने बताया कि वे डॉक्टर हैं इस नाते आम जनता, स्वास्थ्य कर्मी, सुरक्षाकर्मी व मीडिया कर्मी सफाई कर्मी की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।



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Center to insure media workers ~ 50 lakh: Irfan




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प.बंगाल-केरल से 79 मजदूर लाए गए सरायकेला, पांच दिन में 500 की वापसी

जिला मुख्यालय सरायकेला के सामुदायिक भवन में बने लेबर रिसिविंग सेंटर में पिछले 24 घंटे के अंदर 79 मजदूरों को रेस्क्यू कर सरायकेला लाया गया। सभी मजदूरों का स्वास्थ्य जांच करते हुए उन्हें होम क्वारिन्टाइन के लिए अपने-अपने घर भेज दिया गया है। बेंगलुरु से बीती रात 51 मजदूर सरायकेला लाए गए। इसके अलावा बंगाल के दुर्गापुर से 16 व केरल से 12 मजदूरों को रेस्क्यू कर लेबर रिसीविंग सेंटर लाया गया। सामुदायिक भवन में प्रवासी मजदूरों को खाद्य सामग्री, फेस मास्क व सैनीटाइजर भी उपलब्ध कराया गया। जानकारी हो कि पिछले 5 दिनों में जिला प्रशासन द्वारा लगभग 500 मजदूर और विद्यार्थियों को विभिन्न राज्यों से रेस्क्यू कर सरायकेला लाने का काम किया गया है।
सामुदायिक भवन में 3 चिकित्सा टीम ने मजदूरों की जांच की
डॉ. विशाल कुमार के नेतृत्व में, एएनएम लीली कुजूर एवं एमपीडब्ल्यू राजेश वर्मा ,डॉक्टर संगीता करकेट्टा के नेतृत्व में एएनएम आशा कश्यप एवं एमपीडब्ल्यू मदन मिंज तथा डॉक्टर अमित कुमार दास के नेतृत्व में एएनएम कुंती सोय तथा एमपीडब्ल्यू श्यामसुंदर महतो द्वारा सभी आने वाले मजदूरों की स्वास्थ्य जांच की गई। स्वास्थ्य जांच के बाद मजदूरों के कलाई पर स्टांप लगाते हुए उन्हें अपने-अपने घर भेज दिया गया।

72 कोरोना संदिग्धों का लिया गया सैंपल

कोरोना संक्रमण से निपटने व संदिग्धों के पहचान के लिए शुक्रवार को जिला 72 संदिग्ध लोगों के स्वाब का सैंपल लिया गया और जांच हेतु एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर भेजा गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए डीसी ए दाेड्डे ने बताया कि सरायकेला खरसावां जिला में 139 लोग विदेश से आये हैं। जिसमें सभी क्वारिन्टाइन अवधी को पुरा कर चुके हैं जबकि दूसरे प्रदेशों से 3959 लोग आये हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इतने घरों के बहार क्वारेंटाइन से संबंधित पोस्टर लगा दिया है। डीसी ने बताया कि जिला में कुल 12 क्वारेंटाइन केंद्र बनाये गये हैं जिसमें 14 लोगों को रखा गया है।जिला में अब तक 340 लोगों का सैंपल कलेक्शन किया गया है जिसमें से 223 का रिपोर्ट नेगेटिव है व 117 का वेटिंग में है।

बिलासपुर से कुचाई लाए गए दो मजदूर

नागपुर से छत्तीसगढ के बिलासपुर होते हुए कुचाई पहुंचें दो मजदूरों को काेविड केयर सेंटर में 14 दिनों के क्वारेंटाइन में रखा गया है। दाेनाें मजदूरो की कोरोना जांच किया गया। दोनों में कोरोना के कोई लक्ष्ण नही पाया गया। चाईबासा जिला प्रशासन के सहयोग से दोनों कुचाई पहुचे। बताया गया कि नागपुर से कुचाई लौटने के क्रम में दो मजदूरों के साथ में कुचाई के जनालाॅग बाडेडीह गांव का एक युवक शामिल था। विगत चार मई को बिलासपुर पहुंचने पर युवक रवि मुंडा की तबीयत बिगड़ी और छत्तीसगढ के इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस अस्पताल में उसकी मौत हो गयी। मृतक का बिलासपुर में अंतिम संस्कार किया गया। मृतक के मौत के कारणों का पता नही चल सका है। अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नही मिला है।

ऐप के जरिए मजदूराें की हाेगी निगरानी

घर जाने वाले सभी मजदूरों के मोबाइल पर कोविड-19 पीपल ट्रैकिंग ऐप डाउनलोड किया गया है। इस ऐप की मदद से जिला प्रशासन क्वॉरेंटाइन किए गए सभी लोगों पर नजर रखेगी । एप के मदद से जिला प्रशासन को क्वॉरेंटाइन किए गए व्यक्ति के संबंध में जानकारी मिलती रहेगी। क्वॉरेंटाइन के नियम का अनुपालन नहीं करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
ए दोड्डे, डीसी, सरायकेला-खरसावां।



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Seraikela brought 79 laborers from West Bengal, Kerala, 500 returns in five days




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टाटा स्टील फाउंडेशन ने 250 जरूरतमंदों में बांटा राशन

खरसावां प्रखंड के प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय परिसर जोरडीहा में शुक्रवार काे टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से कृष्णापुर और जोरडीहा के 250 जरूरतमंदों के बीच खाद्य सामग्री का वितरण किय। खरसावां विधायक दशरथ गागराई के हाथों से सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कृष्णापुर पंचायत के 120 और जाेरडीहा पंचायत के 130 जरूरतमंद लोगों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया। मौके पर श्री गागराई ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन में कोई भी व्यक्ति भूखा नही रहेगा। इसके लिए सरकार द्वारा काफी प्रयास किया जा राह है। इस दौरान मुख्य रूप से विधायक के धर्मपत्नी बासंती गागराई, प्रखंड अध्यक्ष अर्जुन उर्फ नायडू गोप, पंचायत के मुखिया दशरथ सोय, निर्मल महतो, नियती महतो, प्राण मेलगांडी, सानगी हेम्ब्रम, दिलीप तांती, परमेश्वर तांती आिद मौजूद थे।



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50 साल बाद का भारत हमारे बारे में क्या सोचेगा

प्रिय शिक्षक,
हमें 2020 में भारत में रहने वाले हमारे दादा-दादी की पीढ़ी के बारे में लिखने का काम देने के लिए धन्यवाद। यह बहुत पुराना सा लगता है। अगर हमें यह काम नहीं दिया गया होता तो हमें यह अहसास ही नहीं होता कि हमें आज हमारे चारों ओर की चीजों को कैसे महत्व देना चाहिए।

आज हम भारत को बहुत महत्व नहीं देते हैं। लगभग हर किसी के पास कार व घर है। लोगों को अच्छे अस्पताल व स्कूल उपलब्ध हैं। सड़कें अच्छी हैं और सार्वजनिक परिवहन निजी कार से भी बेहतर है। हमारी प्रति व्यक्ति आय 60 हजार डॉलर है। निश्चित ही यह हमारी औसत आय का उच्च स्तर है, जिससे अधिकतर भारतीयों को अच्छा जीवन मिल पाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं, 2020 में हमारी प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 2000 डॉलर थी। किसी समय, शायद हमारे माता-पिता के समय में भारत ने विकास पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, हमारे दादा-दादी के समय 2020 में ऐसा नहीं हुआ।

2020 में भारत कई दशकों में सबसे कम विकास दर का सामना कर रहा था। नौकरी पाना मुश्किल था और ऑटो से लेकर रियल एस्टेट व बैंक जैसे व्यापार भी संकट में थे। जरा अंदाजा लगाओ कि तब तक हमारे दादा-दादी ने किस बात पर फोकस किया होगा? हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर। निश्चित ही तब भारत में हिंदू और मुस्लिम एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे। राजनेता इसका इस्तेमाल लाेगों को बांटने और वोट पाने के लिए करते थे। बिल्कुल, अब यह सब पूरी तरह अवैध है। हकीकत में आज के भारत में हम सामाजिक रूप से उन लोगों को बहुत ही बुरी नजर से देखते हैं, जो बांटने वाली बात करते हैं। हमारे पास कानून हैं, जो भगवान और राष्ट्रवाद के नाम पर हिंसा नहीं होने देते। 2020 में तो यह सबके लिए आम था। हमारे दादा-दादी कम आय, खराब सड़कों और बुरी स्वास्थ्य सेवाओं की परवाह नहीं करते थे। मेरा मतलब है कि उनकी प्राथमिकता में यह बहुत नीचे था। जब वोट देने की बारी आती थी तो यह कोई मुद्दा नहीं होता था। सोचिए कि यह कितना मूर्खतापूर्ण रहा होगा?

2020 में दो प्रमुख राजनीतिक दल थे। उनमें से एक भाजपा मजबूत थी और उसके पास बड़ा बहुमत भी था। वे लगातार जीत रहे थे, इससे साफ था कि लोग उन्हें चाहते थे। जब वे धर्म व राष्ट्रवाद की बात करते थे तो लोग पसंद करते थे। असल में उन्हांेने जब भी आर्थिक सुधारों की कोशिश की, लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। उन्होंने इसे सूट-बूट की सरकार कहा। सूट-बूट की सरकार में गलत क्या है? क्या वे नहीं चाहते थे कि सभी भारतीयों के पास सूट-बूट हों, जैसे कि आज हमारे पास है। दूसरी पार्टी कांग्रेस ने लगातार दो चुनावों में हार का सामना किया। हालांकि, इसके बावजूद वह जरा नहीं बदली। देश के पहले प्रधानमंत्री की बेटी के बेटे का बेटा उनका प्रधानमंत्री पद का दावेदार था। इसलिए उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि लोग क्या चाहते हैं।

2020 में पूरी दुनिया कोरोना वायरस से डरी हुई थी। इसका चीन पर सबसे अधिक असर हुआ। इससे पूरी दुनिया में मंदी आ गई और इसका भारत पर भी असर पड़ा। इस वायरस के बाद दुनिया निर्माण के क्षेत्र में चीन से अपनी निर्भरता को कम करना चाहती थी, भारत इस अवसर को ले सकता था। लोगों ने उस समय अर्थव्यवस्था की बहुत कम चिंता की। लोग पूरे दिन हिंदू-मुस्लिम की बात करना चाहते थे। जैसे कि कौन अच्छा था और कौन बुरा। हालांकि, दोनों में ही अच्छे लोग भी थे और बुरे भी, लेकिन उन्होंने इसे कभी नहीं समझा। वे इतिहास से यह साबित करना चाहते थे कि मुस्लिम बुरे हैं या हिंदू बुरे हैं। यही प्राइम टाइम की बहस होती थी। हमारे दादा-दादी अपने भूतकाल से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। कई बार सड़कों पर दंगे होते थे और लोग मारे जाते थे। वे गरीब लोग होते थे और हमारे देश में तब बहुत थे, इसलिए मायने नहीं रखते थे। बाद में तेल की कीमतें गिर गईं, वायरस और फैल गया और भारतीय व्यापार को भारी क्षति पहुंच गई।

जो कोई भी कहता था कि हमें अर्थव्यवस्था पर फोकस करना चाहिए, उसे उबाऊ कहा जाता था और कम महत्व दिया जाता था। दुर्भाग्य से जीडीपी का कोई धर्म नहीं था। कुछ लोगों ने स्वास्थ्य, विकास दर, रोजगार और शिक्षा जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात करने की कोशिश की। हालांकि, वे संख्या में बहुत कम थे। वे एक सोशल मीडिया एप ट्विटर का इस्तेमाल करते थे, जो आज मौजूद भी नहीं है। इन लोगों को इसलिए नजरअंदाज कर दिया गया, क्योंकि ट्विटर पर लोग दिनभर हिंदू-मुस्लिम मसलों पर चर्चा करते थे।

ईश्वर का शुक्र है कि किसी समय भारतीय जाग गए। उन्हें अहसास हो गया कि यह सब मूर्खता है और कुछ भी अच्छा नहीं करेगा। उन्हांेने बदलने का फैसला किया। उन्होंने कानून बनाए और ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना शुरू किया जो ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें करते थे, जिनका भारत की प्रगति और संपन्नता से कोई सरोकार नहीं था। उन्होंने सिर्फ विकास का फैसला किया। हिंदू और मुसलमान दोनों ने ही अपने बच्चों को शिक्षित करने, उन्हें व्यापार, नेटवर्किंग सिखाने के साथ ही उनकी कम्युनिकेशन क्षमताओं को बढ़ाया। मतदाताओं ने नेताओं को सिर्फ प्रदर्शन के आधार पर आंका। उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में हमें सिर्फ विकास करना है। अाज भारत अमीर और कीर्तिवान है। हम अमीर हैं, इसलिए हमें सौम्य माना जाता है। अब होली और दीपावली दुनियाभर में प्रसिद्ध है, क्योंकि भारत जैसा अमीर देश इन्हें मनाता है। यह वैसा ही है, जैसा 2020 में थैक्सगिविंग और हैलोवीन जैसे अमेरिकी त्योहार प्रसिद्ध थे। इससे हिंदू संस्कृति का विकास 2020 की तुलना में बेहतर हुआ है। मैं सोचता हूं कि हमारी पीढ़ी का क्या होता अगर भारत बदला न होता। वास्तव में हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हम आज 2070 में रह रहे हैं, न कि 2020 के भारत में। (यह लेखक के अपने विचार हैं।)



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प्रतीकात्मक फोटो।




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कोरोना चीन से शुरू हुआ, लेकिन इसे फैलाया इटली ने; करीब 50 देशों में कोरोना के पहले मरीज का संबंध इटली से ही रहा

कोरोनावायरस। महज 60 नैनोमीटर का। मतलब- इतना छोटा कि पेन से बनाई एक बिंदु में लाखों कोरोनावायरस रह सकते हैं। ये छोटा सा वायरस चीन के वुहान शहर में सबसे पहले आया। कारण था- शहर में लगने वाला सीफूड मार्केट। माना यही जा रहा है कि सीफूड मार्केट से किसी जानवर से ये वायरस इंसानों में आया। कोरोनावायरस के लिए दुनियाभर में चीन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन सच तो ये है कि भले ही ये वायरस चीन से आया, लेकिन इसे फैलाया इटली ने। वुहान शहर से इटली की राजधानी रोम के बीच की दूरी साढ़े 8 हजार किमी से भी ज्यादा है। रोम में 31 जनवरी को कोरोना के दो मरीज मिले थे। ये दोनों चीन से आए पर्यटक थे। इसके बाद इटली में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती गई। इटली से होते ही ये वायरस न सिर्फ यूरोपीय देशों, बल्कि दुनिया के कई देशों में फैलता गया। दुनिया के करीब 50 देशों में कोरोना का पहला मरीज जो मिला, उसका किसी न किसी तरह से इटली से ही संबंध था। यानी, या तो ये इटली का नागरिक था या इसने इटली की यात्रा की थी।


कोरोना संक्रमित बढ़ने के बाद भी इटली ने उड़ानें चालू रखीं
कोरोनावायरस को रोकने के लिए कई देशों ने ट्रैवल बैन लगा दिया था। लेकिन, इटली में लगातार मामले बढ़ने के बाद भी फ्लाइट चालू रहीं। इटली ने मिलान एयरपोर्ट के एक टर्मिनल को 16 मार्च को बंद किया, जबकि उस समय तक लॉम्बार्डी में 3 हजार 760 से ज्यादा केस आ चुके थे। इसके उलट चीन ने 23 जनवरी को हुबेई को पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया था। उस समय तक हुबेई में 500 के आसपास ही मामले आए थे। वुहान, हुबेई की ही राजधानी है। सिर्फ इटली ही नहीं बल्कि कई यूरोपीय देशों ने भी कोरोना बढ़ने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें जारी रखीं।


दुनिया के किस रीजन में कैसे इटली ने फैलाया कोरोना
1) अफ्रीका

अल्जीरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया, सेनेगल, ट्यूनिशिया जैसे 9 देशों में कोरोना का पहला कन्फर्म केस जो मिला था, उसका कनेक्शन इटली से था। 9 मार्च को दक्षिण अफ्रीका में पहले 7 केस मिले थे। ये सातों हाल ही में इटली से यात्रा करके लौटे थे।


2) अमेरिका
अर्जेंटिना, ब्राजील, बोलिविया, चिली, कोलंबिया, क्यूबा, डोमिनियन रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, उरुग्वे और वेनेजुएला में कोरोना का पहला संक्रमित मरीज इटली से ही आया था। यूएसए में पहला संक्रमित मरीज वुहान से लौटा व्यक्ति था। हालांकि, यूएसए के न्यू हैम्पशायर, रोड आइसलैंड और मिसौरी में जो पहले मरीज मिले थे, वो सभी इटली से लौटकर आए थे।


3) एशिया
कोरोनावायरस का जन्म एशियाई देश चीन में ही हुआ। लेकिन एशियाई देशों में कोरोना चीन से ज्यादा इटली की वजह से फैला। बांग्लादेश में 8 मार्च को पहले तीन केस आए थे। इनमें से दो की ट्रैवल हिस्ट्री इटली की ही थी। भारत में 30 जनवरी से 2 फरवरी के बीच तीन केस आए थे। ये तीनों वुहान से लौटे थे। उसके बाद एक महीने तक कोई नया मामला नहीं आया। लेकिन, 2 मार्च को दो नए मामले आए। एक दिल्ली में और एक तेलंगाना में। दिल्ली में जो केस आया था, वो इटली से यात्रा करके लौटा था। इसके अलावा 6 मार्च को भारत घूमने आए इटली के 16 नागरिक कोरोना पॉजिटिव आए थे। इसके अलावा श्रीलंका में जो पहला कोरोना संक्रमित मिला था। उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री तो नहीं थी। लेकिन, वो एक गाइड था, जो इटली से आए पर्यटकों के साथ था।


4) यूरोप
कोरोना की सबसे ज्यादा मार यूरोपीय देशों पर ही पड़ा है। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, 1 अप्रैल तक यूरोप में कोरोना से 30 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। कोरोना से प्रभावित टॉप-10 देशों की लिस्ट में भी 5 यूरोप के ही हैं। एंडोरा, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, साइप्रस, डेनमार्क, फ्रांस, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड, लातविया, लिथुआनिया, माल्टा, मोलडोवा, नीदरलैंड, नॉर्थ मैसेडोनिया, पोलैंड, रोमानिया, सर्बिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन में पहले मरीज की ट्रेवल हिस्ट्री इटली में थी।


5) ओशिनिया
इस रीजन में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत 14 देश हैं। इन देशों में पहले केस की ट्रैवल हिस्ट्री इटली नहीं थी। हालांकि, न्यूजीलैंड में दूसरे केस की ट्रैवल हिस्ट्री इटली थी।


इटली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने की तीन वजहें
1) लापरवाही :
कोरोना का सबसे ज्यादा असर उत्तरी इटली में पड़ा। सरकार ने 8 मार्च से यहां के 1.6 करोड़ लोगों को क्वारैंटाइन करने का फैसला लिया। लेकिन, एक अखबार ने इस प्लान को लीक कर दिया। इससे लोग डरकर दूसरी जगह चले गए।
2) बेफिक्री : इटली का लॉम्बार्डी रीजन बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ। यहां 19 फरवरी को कोरोना संदिग्ध व्यक्ति को एक अस्पताल में भर्ती किया गया। भर्ती होने के बाद भी संदिग्ध 36 घंटे तक अस्पताल के कैंपस में घूमता रहा।
3) पॉपुलेशन डेंसिटी : इटली की आबादी 6.04 करोड़ है। यहां का लैंड एरिया 2.94 लाख स्क्वायर किमी है। यहां पर हर 1 किमी के दायरे में 206 लोग रहते हैं। जबकि, अमेरिका में यही आंकड़ा सिर्फ 36 लोगों का है।

इटली में अब तक कोरोना से 14 हजार लोगों की मौत
इटली में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के आंकड़े हर घंटे बढ़ रहे हैं। अब तक यहां पर 1.15 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं हुई हैं। इटली में अब तक करीब 14 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि, 18 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं।



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Coronavirus China Italy Latest News Updates: How Novel COVID-19 Outbreak Started - All You Need To Know In Hindi




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द्वारका से 1700 लोगों को बसों से घर तक छोड़ा गया, उज्जैन में भी प्रशासन की मदद से यात्री बाहर भेजे गए; अजमेर शरीफ में अब तक 3500 जायरीन फंसे हुए हैं

देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या जैसे ही 100 के पार हुई थी, ठीक वैसे ही केन्द्र समेत अलग-अलग राज्य सरकारें एक्शन में आने लगीं थीं। स्कूल, कॉलेज, पर्यटन स्थलों, रेस्त्रां, बार को बंद किया जाने लगा था। 15 मार्च के बाद अलग-अलग राज्यों में मंदिर-मस्जिद में भी एंट्री बैन होने लगी। हालांकि कुछ जगहों पर लोग मंदिरों में पूजा और मस्जिदों में इबादत के लिए अच्छी संख्या में जुटते रहे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ और फिर एक के बाद एक सैकड़ों शहर लॉकडाउन होते गए। 2 दिन बाद यानी 25 मार्च को पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। ऐसे में धर्म स्थलों के दरवाजे तो बंद हो गए लेकिन यहां पहुंचे हजारों लोग अपने घर नहीं लौट पाए। कुछ जगहों पर प्रशासन की मदद से लोगों को उनके शहर तक छोड़ दिया गया लेकिन कई जगहों पर सैकड़ों की तादाद में लोग अब भी फंसे हुए हैं। दैनिक भास्कर के 10 रिपोर्टरों की इस ग्राउंड रिपोर्ट में आप काशी से लेकर अजमेर तक और वैष्णोदेवी से लेकर तिरूपति तक देश के बड़े धार्मिक स्थलों के ताजा हालातों के बारे में पढ़ेंगे...

अजमेर से विष्णु शर्मा...

ख्वाजा शरीफ की दरगाह पर चादर चढ़ाने आए साढ़े 3 हजार जायरीन अभी भी फंसे हुए हैं
केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद 20 मार्च को जुमे की नमाज के बाद ही दरगाह शरीफ परिसर को पूरी तरह से खाली कर दिया गया था। यहां रोजाना की रस्म अदायगी के लिए दरगाह कमेटी के लोगों को विशेष पास दिए गए है।दरगाह पर तो ज्यादालोग नजर नहीं आते लेकिन इसके आसपास की होटलों, गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं में करीब 3500 लोग फंसे हुए हैं। जनता कर्फ्यू (22 मार्च) के बाद से ही ये लोग यहां से निकल नहीं पाए।

दरगाह शरीफ के 11 गेटों में से सिर्फ 2 गेट ही खुले हैं।रोजाना की रस्म अदायगी के लिए कुछ लोगों को पास दिए गए हैं।

दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान ने केंद्र और राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर इन लोगों के अजमेर में फंसने की जानकारी दी थी, साथ ही इनके ठहरने, खाने-पीने की व्यवस्था करने की भी गुजारिश की थी। दरगाह थाना प्रभारी हेमराज सिंह चौधरी के मुताबिक, सभी लोगों पर निगरानी है। फिलहाल किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं। हर दिन दरगाह प्रबंधन और मस्जिदों से अनाउंसमेंट कर लोगों से अपील की जा रही है कि अगर किसी में कोरोना के लक्षण नजर आए तो वे तत्काल प्रशासन को सूचना दें। कुछ के टेस्ट भी किए गए, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आई है।


वाराणसी से अमित मुखर्जी...

काशी विश्वनाथ मंदिर 20 मार्च से बंद है, घाटों पर सिर्फ एक-एक व्यक्ति गंगा आरती करता है
बनारस के दशाश्वमेध घाट पर 30 सालों से हो रही गंगा आरती इन दिनों सिर्फ सांकेतिक रूप से हो रही है। जिस आरती में सात पंडित या अर्चक होते थे, वहां अब सिर्फ एक व्यक्ति होता है। बिना किसी भजन या संगीत के आरती होती है।यही हाल अस्सी घाट पर होने वाली सुबह की आरती का भी है।

18 मार्च से ही काशी केदशाश्वमेध घाट पर एक ही व्यक्ति गंगा आरती करते हुए नजर आता है।

इन घाटों और आरतीयों को देखने आए 435 यात्री यहां फंसे हुए हैं, इनमें 35 विदेशी और 400 भारतीय हैं। होटलों और आश्रमों में ठहरे इन लोगों की लगातार मॉनिटरिंग हो रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर,संकट मोचन मन्दिर,सारनाथ,म्यूजियम में लोगों की एंट्री बैन है। 17 मार्च से ही विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन और गर्भ गृह में प्रवेश बन्द कर दिया गया था और फिर 20 मार्च से पूरे मंदिर को ही बंद कर दिया गया।

उज्जैन से राजीव तिवारी...

23 मार्च से सभी श्रद्धालुओं को जिले की सीमा से बाहर भेजना शुरू किया गया
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एकमहाकाल के साथ-साथ उज्जैन में कई प्राचीन मंदिर हैं। आम दिनों मेंयहां की होटलों, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में भी लोगों की अच्छी खासी भीड़होतीहैलेकिन लॉकडाउन के बाद ये सब खाली है। जनता कर्फ्यू (22 मार्च) केदो दिन पहले ही प्रशासन ने महाकाल, हरसिद्धि, कालभैरव, मंगलनाथ सहित शहर के सभी मंदिर सील कर दिए थे और फिर 22 मार्च की रात से ही जिले को लॉकडाउन कर दिया गया। 23 मार्च को सभी श्रद्धालुओं को जिले की सीमा से बाहर भेजना शुरू किया गया। 300 श्रद्धालु ऐसे थे, जिन्हें साधन नहीं मिले तो प्रशासन ने अपने वाहनों से व्यवस्था कर उनके शहर-गांव भेज दिया।

मंदिरों की नगरी उज्जैन में हर दिन 20 हजार लोग महाकाल समेत अन्य मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। 20 मार्च से यहां के सभी मंदिर बंद हैं।

107 श्रद्धालु जो गरीब हैं और अपने घर नहीं जा सकते थे, उन्हें नगर निगम के रैन बसेरों में ठहराया गया है। इनके खाने-पीने का इंतजाम नगर निगम कर रहा है। इनकी स्क्रीनिंग हुई है, इनमें से दो में कोरोना के लक्षण मिले हैं, जिन्हें माधव नगर अस्पताल में भर्ती किया गया है।

अमृतसरसे बलराजमोर...

एक चीनी और आठ पाकिस्तानियों समेत 200 से ज्यादा यात्री मौजूद हैं
अमृतसर में 200 यात्री मौजूद हैं, इनमें आठपाकिस्तानी और एक चीनी नागरिक भी शामिल हैं। दरबार साहिब की सराय गुरु रामदास में 150 लोग ठहरे हैं। सभी के स्क्रीनिंग टेस्ट हो चुके हैं, कोई भी पॉजिटिव नहीं पाया गया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने 28 मार्च को श्री दरबार साहिब में फंसे लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए विशेष बसें चलाई और दिल्ली, शाहजहांपुर और बठिंडा के लिए चार बसों को रवाना किया। इसी तरह 30 मार्च को अमृतसर से 180 लोग मलेशिया के लिए रवाना हुए। इनमें से ज्यादातर भारतीय मूल के लोग हैं, जिन्हें मलेशिया की नागरिकता हासिल है। मलेशिया सरकार ने इन्हें वहां बुलाने के लिए विशेष विमान भेजा था। इंटरनेशनल फ्लाइट्स रद्द होने के कारण वे यहां फंसे थे।

एक मुस्लिम सूफी संत ने 1588 ईस्वी में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी थी। करीब 200 साल बाद राजा रणजीत सिंह ने इसके एक खास हिस्से पर सोने की परत चढ़वाई।


शिरडी से आशीष राय...

मंदिर के पुजारी तय समय पर आते हैं, मास्क लगाकर आरती करते हैं और चले जाते हैं
साईं बाबा के इस प्रसिद्ध मंदिर के कपाट आम लोगों के लिए 17 तारीख की शाम 3 बजे के बाद से बंद हैं। यहां कोई भी श्रद्धालु नहीं है। मंदिर के पास स्थित ट्रस्ट का हॉस्पिटल खुला हुआ है, जहां स्टाफ और कुछ मरीज हैं। मंदिर के प्रसादालय में सिर्फ मेडिकल और सिक्यूरिटी स्टाफ के लिए खाना बनता है। मंदिर के पुजारी तय समय पर आते हैं, आरती करते हैं और चले जाते हैं। इस दौरान वहां मौजूद स्टाफ मास्क लगाकर दूर-दूर खड़े रहते हैं।

शिरडी के साईं मंदिर में पिछले साल 1 करोड़ 63 लाख भक्त आए थे। यानी हर दिन करीब 45 हजार लोग यहां साईं बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। पिछले 18 दिनों से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।

द्वारका से जिग्नेश कोटेजा...

22 बसों से 1700 लोगाें को उनके शहर भेजा गया
जहां हमेशा “जय द्वारकाधीश” के स्वर गूंजा करते थे, वहां अब केवल पक्षियों के कलरव ही सुनाई दे रहे हैं। यहां सभी मंदिर बंद है। सुबह-शाम पुजारी आते हैं ओर पूजा करके चले जाते हैं। बिहार के 100 और कोलकाता के 28 यात्री यहां के सनातन सेवा मंडल आश्रम में ठहरे हुए हैं। जबकि 1700 लोगों को लॉकडाउन के बाद द्वारका प्रशासन ने 22 बसों से उनके शहर पहुंचाया। यहां 100 से ज्यादा होटलें हैं, सभी को खाली करवाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें सेनटाइज किया है।

द्वारकाधीश मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के 4 धामों में से एक है। श्री कृष्ण भगवान का यह मंदिर करीब 2500 साल पुराना माना जाता है।

पुरी से सरत कुमार पात्रा...

15 हजार टूरिस्ट को चेक पोस्ट पर रोका, प्रशासन ने ट्रेन-फ्लाइट टिकट बुक करने में मदद की
कोरोना का फैलाव रोकने के लिए पुरी प्रशासन ने 17 तारीख को एडवाइजरी जारी की थी। उसी दिन से होटल, लॉज खाली करवाने और अगले आदेश तक कोई भी नई बुकिंग नहीं लेने के निर्देश दिए गए थे। इससे पहले 15 से 17 मार्च के बीच करीब 15 हजार टूरिस्ट को शहर के बाहर ही चेकपोस्ट बनाकर लौटा दिया गया था। जिला प्रशासन ने ट्रेन और फ्लाइट के टिकट बुक करने में यात्रियों की मदद भी की थी। जब सभी टूरिस्ट को यहां से लौटा दिया गया तो एक होटल में तीन विदेशी टूरिस्ट छिपे थे। होटल ने उनके होने की बात छिपाई थी। जिसके बाद पुलिस ने होटल को सील कर उन टूरिस्ट को दिल्ली भेज दिया।

पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी चार धामों में से एक है। यहां की रथयात्रा दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

वैष्णोदेवी से मोहित कंधारी...

चैत्र नवरात्र में मातावैष्णो देवी के दर्शन के लिए 35 से 40 हजार यात्री आते हैं, लेकिन इस साल यह पूरे नौ दिन बंद रहा
माता वैष्णोदेवी की यात्रा रोकने के ठीक एक दिन पहले 17 मार्च को श्राइन बोर्ड में 14 हजार 816 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। दर्शन के बाद इनमें से ज्यादातर लोग कटरा रेलवे स्टेशन से अपने घरों के लिए लौट गए। कुछ जो आसपास के इलाकों में घूमने निकले थे, उन्हें अथॉरिटी ने घर लौटने को कहा। नवरात्र में आमतौर पर यहां 35 से 40 हजार यात्री आते हैं। जबकि इस साल यात्रा पूरे नौ दिन बंद रही।

कटरा से 12 किमी दूर मां वैष्णोदेवी का मंदिर है। यह समुद्रतल से 5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

तिरुपति से बीएस रेड्‌डी...

बालाजी मंदिर मेंदर्शन बंद हैं लेकिन पूरे समय एक हजार सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं
तिरुपति बालाजी मंदिर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद ही ट्रस्ट के 16 हजार से ज्यादा कर्मचारी जो मंदिर के आसपास या तिरुमाला पहाड़ पर रहते थे, उन सभी को परिवार सहित नीचे बनें आश्रमों में भेज दिया गया। करीब 1000 कर्मचारी बारी-बारी से 7-7 दिनों के लिए मंदिर की सुरक्षा और देखरेख के लिए ऊपर ही रहते हैं। इनमें सेना के रिटायर्ड अफसर और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। इन सभी लोगों को चेकअप के बाद ही ऊपर भेजा जाता है और जब यह 7 दिन के बाद वापस लौटते हैं तो दोबारा जांच की जाती है। इसके बाद फिर नए दल को तैयार कर 1000 लोगों को अगले 7 दिन के लिए भेजा जाता है।

तिरुपति देवस्थानम तिरुमाला (आंध्रप्रदेश) के श्री वेंकटेश्वर स्वामी का यह मंदिर उत्तर भारत में तिरुपति बालाजी नाम से ही प्रसिद्द है। यह भारत में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला धार्मिक स्थल है।

मंदिर में बाहरी लोगों का दर्शन के लिए आना बंद है। हर दिन सिर्फ भगवान की पूजा के लिए अखंड दीप और भोग चढ़ाने के लिए पुजारी मंदिर में जाते हैं। लॉकडाउन खुलने पर मंदिर और पर्वत का पक्षालन किया जाएगा यानी वैदिक विधान से चारों ओर गंगाजल से सफाई की जाएगी। इसके बाद ही दर्शन के लिए इसे खोला जाएगा। ऐसा सूर्यग्रहण के बाद भी किया जाता है।

अयोध्या से भास्कर रिपोर्ट...

लॉकडाउन होने के दो दिन पहले ही रामनवमी मेले पर प्रतिबंध लगाने के आदेश आ गए थे
मंदिर से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद इस साल आयोध्या में रामनवमी की भव्य तैयारियां थी। लेकिन रामनवमी मेले पर प्रतिबंध का आदेश लॉकडाउन होने के दो दिन पहले ही जारी कर दिया गया था। यहां सख्ती से धारा 144 लागू है। लॉकडाउन से पहले दो दिनों के अंदर ही अन्य राज्यों सेअयोध्या पहुंचे पर्यटक वापस लौट गए। हालांकि इसके बावजूद अयोध्या में अब तक 4 हजार लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है, इनमें से 266 लोग विदेश से लौट कर अयोध्या पहुंचे हैं।

भगवान राम की इस नगरी में धुमधाम से रामनवमी मनाने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना के चलते यहां की गलियां तक सूनसान हैं।

यहां के जैन मंदिर में एक महिला की मौत लॉकडाउन के दौरान हो गई थी। उसके अंतिम संस्कार में शामिल 27 लोंगों को जैन मंदिर में ही क्वारेंटाइन किया गया है।



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Coronavirus Shrine (Mandir) Ground Report Latest; Gujarat Dwarkadhish Temple, Ujjain Mahakal Mandir




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वक्त रहते पता चलता तो संक्रमण फैलने में 95% की कमी हो सकती थी; वुहान में लॉकडाउन देर से लगा, तब तक 50 लाख लोग वहां से निकल गए

कोरोनावायरस को लेकर दुनियाभर में एक नई बहस चल रही है। और वो बहस है, इस वायरस को फैलाने का जिम्मेदार कौन है? 100 में से 99 लोग इसके लिए चीन कोजिम्मेदार बता रहे हैं। उसका कारण भी है। लोगों का दावा है कि एक तरफ चीन में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्याघट रही है, तो दूसरी तरफचीन से बाहर इसका संक्रमण बढ़ता जा रहा है। चीन के वुहान शहर से ही कोरोनावायरस से संक्रमण का पहला केस आया था। लेकिन, अब वुहान शहर दोबारा पटरी पर लौट रहा है। वहां कारखाने खुल रहे हैं। लोग काम पर जा रहे हैं। जबकि, दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी अभी भी घर में कैद रहने को मजबूर है।

हाल ही में इजरायल की कंपनी लाइट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था- कोरोना के कहर के बाद चीन और चीनियों के प्रति ट्विटर पर हेट स्पीट 900% तक बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर पर चाइनीजवायरस, कम्युनिस्टवायरस और कुंगफ्लू जैसे हैशटैग का इस्तेमाल हो रहा है। भास्कर ने कई मीडिया रिपोर्ट्स, रिसर्च और एक्सपर्ट के आधार पर ऐसे कुछ कारण निकाले हैं, जो कोरोना संक्रमण के पीछे चीन का हाथ होने का इशारा करते हैं।

1) कोरोना के बारे में बताने में देरी की
चीन की न्यूज वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सरकारी दस्तावेजों के हवाले से खुलासा किया था कि हुबेई प्रांत में पिछले साल 17 नवंबर को ही कोरोना का पहला मरीज ट्रेस कर लिया गया था। दिसंबर 2019 तक ही चीन के अधिकारियों ने कोरोनावायरस के 266 मरीजों की पहचान कर ली थी। हालांकि, मेडिकल जर्नल द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, वुहान के एक झिंयिंतान अस्पताल में कोरोनावायरस का पहला कन्फर्म केस 1 दिसंबर को रिपोर्ट किया गया था। इतना ही नहीं, कोरोनावायरस के बारे में सबसे पहले बताने वाले चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग को भी चीन की सरकार ने नजरअंदाज किया और उनपर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया। बाद में ली की मौत भी कोरोना की वजह से हो गई। चीन ने जनवरी में कोरोनावायरस के बारे में दुनिया को बताया।

इसका नतीजा क्या हुआ : ब्रिटेन की साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर चीन 3 हफ्ते पहले तक कोरोना के बारे में बता देता, तो इससे संक्रमण के फैलने में 95% तक की कमी आ सकती थी।

2) महीनेभर तक नहीं माना- कोरोना इंसान से इंसान में फैलता है
अमेरिकी वेबसाइट नेशनल रिव्यू के मुताबिक, वुहान के दो अस्पतालों के डॉक्टरों में वायरल निमोनिया के लक्षण मिले थे, जिसके बाद 25 दिसंबर 2019 को वहां के डॉक्टरों ने खुद को क्वारैंटाइन कर लिया। लेकिन चीन ने इस वायरस के इंसान से इंसान में फैलने की बात को नकार दिया। 15 जनवरी को जापान में कोरोना का पहला मरीज मिला। वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरीज कभी वुहान के सीफूड मार्केट में नहीं गया, लेकिन हो सकता है कि वह किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आया हो। इसके बाद भी चीन ने ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की बात नहीं मानी। आखिरकार 20 जनवरी को चीन ने माना कि कोरोनावायरस इंसान से इंसान में फैल रही है।

इसका नतीजा क्या हुआ : ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की बात को नकारने से दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चालू रहीं। दुनियाभर में लोग एक देश से दूसरे देश आते-जाते रहे। इससे बाकी देशों में भी कोरोनावायरस फैल गया।

3) चीन ने 7 हफ्ते बाद वुहान को लॉकडाउन किया
दिसंबर 2019 में ही चीन में कोरोनावायरस फैलाने लगा था। न्यूयॉर्क टाइम्स में अमेरिकी पत्रकार निकोलस डी. क्रिस्टॉफ ने लिखा था- 'चीन ने वायरस को रोकने की बजाय उन लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जो इस वायरस के बारे में चेता रहे थे।' उन्होंने लिखा कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार हमेशा ऐसा ही दिखाती रही कि इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, वायरस का पहला केस आने के करीब 7 हफ्ते बाद यानी 23 जनवरी को वुहान को लॉकडाउन किया गया।

इसका नतीजा क्या हुआ : लॉकडाउन होने के चार दिन बाद 27 जनवरी को वुहान के मेयर झोऊ शियानवेंग ने बताया था कि लॉकडाउन लगने से पहले ही करीब 50 लाख लोग वुहान छोड़कर चले गए। ये 50 लाख लोग कहां गए, अब तक नहीं पता।

4) कोरोना के बाद भी चीन ने कोई सख्त एक्शन नहीं लिया
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के डॉ. एंथनी फौसी ने नेशनल रिव्यू को बताया था कि कोरोना की वजह से इटली की इतनी बुरी हालत इस वजह से हुई, क्योंकि इटली में सबसे ज्यादा चीनी पर्यटक आते हैं। उनके अलावा यहां 3 लाख से ज्यादा चीनी लोग काम करते हैं। डॉ. फौसी कहते हैं कि इटली से चीनी लोग नया साल मनाने के लिए चीन आए और फिर वापस इटली लौट गए। चीन में नया साल 25 जनवरी को मनाया गया था। यानी कोरोनावायरस फैलने के बाद भी चीन ने अपने लोगों को वापस इटली जाने से नहीं रोका।

इसका नतीजा क्या हुआ: इटली में चीन से भी ज्यादा कोरोना के मामले आए। 5 अप्रैल तकइटली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.28लाख के पार पहुंच गई। यहां साढ़े 15 हजार से ज्यादा मौतें भी हुई हैं, जो कोरोना से किसी भी देश में होने वाली सबसे ज्यादा मौतें हैं।



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Had it been known in time, there could have been a 95% reduction in infection; Lockdown delayed in Wuhan, by then 5 million people left




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लॉकडाउन के चलते लीची खरीदने नहीं आ रहे व्यापारी, 500 करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका

लॉकडाउन ने बिहार के लीची किसानों की चिंता बढ़ा दी है। यहां पेड़ों पर लीची तो खूब लगी है, लेकिन इनके खरीदार गायब हैं। बिहार में व्यापारी हर साल मार्च के आखिरी हफ्ते या अप्रैल के शुरुआत में लीची खरीदने के लिए इनके बागों में घूमना शुरू कर देते हैं। वे लीची के पेड़ों पर लगे मंजर को देखकर दाम तय करते हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से व्यापारी इस बार लीची नहीं खरीद रहे हैं।

लीची की खेती ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और उत्तराखंड में होती है। देश में कुल 56 हजार हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती होती है। इसमें बिहार का हिस्सा 36 हजार हेक्टेयर है। यहां सबसे ज्यादा लीची मुजफ्फरपुर में ही होती है।

जिन किसानों का व्यापारियों से करार खत्म, उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी
लीची किसान राहुल कुमार बताते हैं कि जिले के किसान व्यापारियों से पांच साल या दस साल का अनुबंध कर लेते हैं। वे पांच साल का पूरा पैसा ले लेते हैं। उन्हें तो लॉकडाउन से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन, कई ऐसे किसान हैं जो एक या दो साल के लिए ही अनुबंध करते हैं। कई ऐसे भी किसान हैं, जिनका पांच साल या दस साल का अनुबंध पूरा हो गया है। इन किसानों को इस बार बड़ा नुकसान हो रहा है।

बिहार में लीची का कारोबार एक हजार करोड़ का, इसमें मुजफ्फरपुर का हिस्सा 700 करोड़ है
लीची का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार करने वाले केएन ठाकुर बताते हैं कि हर साल लीची से करीब 700 करोड़ का कारोबार सिर्फ मुजफ्फरपुर में होता है। बिहार के दूसरे जिले को भी मिला दिया जाए तो आंकड़ा एक हजार करोड़ पार कर जाता है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची इतनी फेमस है कि बेगूसराय, समस्तीपुर, मोतिहारी और वैशाली के किसान भी मुजफ्फरपुर के लीची के नाम से अपना माल बेचते हैं और उन्हें इससे अच्छी आमदनी भी हो जाती है।

मुजफ्फरपुर में हर साल 8 हजार एकड़ में लीची की खेती होती है। इस बार भी बागान लीची से भरे हुए हैं, लेकिन इन्हें खरीदने वाला कोई नहीं है।

शुगर फैक्ट्रियां बंद हुईं तो किसानों ने लीची की खेती पर ध्यान देना शुरू किया
मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े लीची किसान भोलेनाथ झा बताते हैं कि 70 और 80 के दशक में शुगर फैक्ट्रियां बंद हो रही थी। जब गन्ना कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ तब किसानों ने लीची की खेती पर ध्यान दिया। 90 के दशक से ही मुजफ्फरपुर का शाही लीची पूरी दुनिया में जाने लगा। मुजफ्फरपुर से सैकड़ों टन लीची यूरोप और अरब देशों में भेजी जाती है।

किसानों की तरह ही लीची व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान
नेट ग्रीन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एमडी अनुज कुमार बताते हैं कि हम लोग हर साल मार्च के महीने में ही किसानों से रेट तय करके एडवांस दे देते हैं। अप्रैल के पहले या दूसरे सप्ताह तक हमारे पास देशभर से लीची की डिमांड का डेटा आ जाता है लेकिन, अभी तक हमारे पास कहीं से ऑर्डर नहीं आया है। हालांकि, हमारी टीम लीची के पैकेजिंग के लिए कार्टून बॉक्स तैयार कर रही है।

बिग बाजार, रिलायंस जैसी कंपनी के साथ हमारा टाईअप है। हम मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, पंजाब, चंडीगढ़ और चेन्नई में लीची भेजते हैं। अनुज ने बताया कि लीची का कारोबार करीब एक महीने तक चलता है। हमारी कंपनी हर दिन 25-30 लाख रुपए की बिक्री करती है। हम विदेशों में भी माल भेजते हैं लेकिन इस बार यह भी मुश्किल लग रहा है।



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Traders not buying litchi due to lockdown, possibility of loss of 500 crores




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मशीनों में कैश डालने वाली इस कंपनी में 4500 कैश कस्टोडियन के बीच देशभर में सिर्फ 3 महिलाएं, कारगिल और जम्मू जैसे इलाकों में ड्यूटी करती हैं

कोरोनावायरस से जारी युद्ध में जिस शिद्दत से डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी जुटे हैं, उसी जुनून से बैंककर्मी भी। सोचिए यदि एटीएम जाएं और वहां पैसा न मिले तब? यहां बात उन तीन महिलाओं की हो रही है जो एटीएम में पैसा डालने वाली कंपनी एजीएस में काम करती हैं। देशभर में इस कंपनी के 12000 कर्मचारी हैं। इनमें से करीब साढ़े चार हजार कैश कस्टोडियन हैं। इन साढ़े हजार कैश कस्टोडियन में सिर्फ 3 महिलाएं हैं। कंपनी ने इन्हें सालभर के अंदर ही अपॉइंट किया है। फिलहाल इनकी ड्यूटी बर्फ के रेगिस्तान कहलाने वाले लद्दाख सेक्टर के कारगिल और जम्मू में हैं।जहां देश में सबसे ऊंचाई पर स्थित एटीएम के लिए यह काम करती हैं।

गर्भवती हैं, सर ने कहा-छुट्‌टी ले लो तो मना कर दिया

जम्मू शहर में रहने वाली बिल्किस बानों गर्भवती हैं। 6 माह पहले की कैश कस्टोडियन की नौकरी मिली। कोरोनावायरस आया तो कंपनी की तरफ से कहा गया कि, आप गर्भवती हैं, इसलिए चाहो तो छुट्‌टी ले लो। लेकिन बिल्किस ने छुट्‌टी लेने से इंकार कर दिया और प्रेग्नेंसी के आठवें महीनें में भी फील्ड पर जाकर अपना फर्ज निभा रही हैं।

बोलीं, मैं रोजाना सुबह साढ़े नौ बजे एक गनमैन, ड्राइवर और सहयोगी के साथ निकलती हूं। जो भी हमारा रूट होता है, हम उन मशीनों में कैश डालते हैं।
कोरोनावायरस आने पर मुझे कंपनी की ओर से फील्ड में जाने का मना किया गया था, लेकिन मैं नहीं मानी। मुझे लगता है कि ऐसे समय में हम जो भी सेवाएं दे सकते हैं हमे देना चाहिए। मैं पूरी सेफ्टी के साथ अपनी ड्यूटी निभा रही हूं। मुझे ये दिन हमेशा याद रहेंगे कि जब दुनिया में कोई महामारी आई थी तो हमने भी लोगों की मदद की थी।

पति की दुकान बंद, घर भी संभालती हैं और ड्य्टी का फर्ज भी

सईदा पिछले 6 माह से कैश कस्टोडियन के पद पर कंपनी में सेवाएं दे रही हैं।

33 साल की सईदा बेगम की 12 साल की बेटी है। पति की दुकान है लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका काम धंधा बंद है। कहती हैं, मुझे कई लोगों ने बोला कि, अभी कोरोनावायरस चल रहा है, छुट्टी ले लो लेकिन मेरे लिए अपना फर्ज पहले है।
चेहरे पर मास्क, हाथों में ग्लव्ज और हैंड सैनिटाइजर लेकर हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अभी तक हमने अपने इलाके के किसी भी एटीएम में कैश की कमी नहीं आने दी। हालांकि लॉकडाउन के कारण अब कैश निकल भी कम रहा है, लेकिन रोजाना फील्ड पर जाते ही हैं और जहां पैसा डालना होता है, वहां डालते हैं।
सईदा के पास इस काम का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन ट्रेनिंग ली और काम शुरू कर दिया। बोलती हैं, अब कोरोनावायरस के बीच अपनी जिम्मेदारी निभा कर गर्व की अनुभूति भी होती है। मशीनों में कैश डालने जाते हैं तो कई बार लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं, कि देखो लड़कियां भी अब यह जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह सुनकर अच्छा लगता है।

कारगिल में दो-तीन मामले आए, लेकिन सावधानी रखकर काम में जुटीं

कारगिल में स्थित एटीएम में कैश पहुंचाने का काम करती हैं जाकिया बानो।

देश के सबसे ऊंचे इलाकों में से एक लद्दाख के कारगिल के एटीएम तक पैसे पहुंचाने का काम जाकिया बानो कर रही हैं। जाकिया 27 साल की हैं और इनके परिवार में चार बहनें और एक भाई है। बोलीं, कारगिल में एक एटीएम में कैश पहुंचाने की जिम्मेदारी मेरी है। कोरोना से डर लगता है? ये पूछने पर बोलीं, हमारे यहां दो-तीन केस आए हैं, लेकिन हम मास्क और ग्लव्ज पहनकर अपना काम कर रहे हैं।

देशभर में 60 हजार से ज्यादा एटीएम को मैनेज करने वाली एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजी लिमिटेड के एचआर (ग्रुप हेड) पाथ समाई कहते हैं कि, फील्ड में काम कर रहे हमारे कर्मचारियों के लिए भी उनकी फैमिली फिक्रमंद रहती है। जितना रिस्क डॉक्टर, नर्स उठा रहे हैं, उतना ही रिस्क एटीएम तक पैसा पहुंचाने वाली टीम भी उठा रही है। खतरे के बावजूद हर कोई अपना सौ प्रतिशत दे रहाहै, इसी का नतीजा है कि एटीएम में कैश की किल्लत नहीं हो रही।



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