मुंबई लॉकडाउन में फिर लापरवाही : चोरी-छुपे आ रहे लोग दुमका से आए मजदूरों को पुलिस ने रोका, मुंबई जा रहे थे By Published On :: Thu, 07 May 2020 01:53:00 GMT झारखंड में लॉकडाउन-3 के दौरान भी किसी तरह की छूट नहीं दी गई है। पूर्ण पाबंदी है। दूसरे राज्यों से छात्र और मजदूर अपने राज्य में वापस आ रहे हैं, लेकिन जांच प्रक्रिया के तहत। कहने को तो झारखंड के सभी जिलों में पूरी सख्ती है। चेकनाकों पर पुलिस तैनात है। इसके बावजूद चोरी-छुपे मजदूरों का एक से दूसरे जिले तक आना-जाना बंद नहीं हुआ है। दूसरे जिलों से लिफ्ट लेकर मजदूर अभी भी आ-जा रहे हैं। चेकनाकों पर फिर वाहनों की जांच बंद हो गई है, जिससे यह लापरवाही हो रही है। यह महंगी पड़ सकती है, क्योंकि कोई व्यक्ति नहीं जानता दूसरे जिलों से आने वाले मजदूर संक्रमित हैं या नहीं। पुलिस ने बुधवार को भी तीन मजदूरों को कचहरी चौक के पास रोका। तीनों के पीठ पर बैग थे। यह पूछने पर कि कहां से आ रहे हो और कहां जाना है, तीनों युवकों ने बताया कि हम दुमका जिले से लिफ्ट लेकर रांची पहुंचे हैं, यहां से मुंबई जाना है। ठाकुरगांव/रातू | बेड़ो पावर ग्रिड में काम करने वाले 11 मजदूर पुरानी साइकिल खरीद कर बेड़ो से बिहार और उत्तर प्रदेश अपने घर जा रहे थे, इसी दौरान बुढ़मू पुलिस की नजर उन पर पड़ी। पुलिस ने सभी के खाने पीने की व्यवस्था की और मांडर शेल्टर होम भेजा। इधर, पैदल ही पिस्कामोड़ से रायबरेली जा रहे चार लड़कों व दो लड़कियों को कमड़े शेल्टर होम भेजा गया। ये पैदल ही निकल पड़े थे। रांची-टाटा रोड में दिउड़ी चेकनाका पर नहीं की जा रही जांचरांची-जमशेदपुर रोड पर दिउड़ी मंदिर से पहले चेकनाका बनाया गया है। पुलिस भी तैनात है, लेकिन धड़ल्ले से वाहन आ-जा रहे हैं। पुलिसवाले एकाध वाहन को रोक कर पूछ लेते हैं। यह लापरवाही रांची जिले को मंहगी पड़ सकती है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Negligence again in lockdown: Police secretly stopped workers coming from Dumka, were going to Mumbai Full Article
मुंबई मुंबई में जांच का सैंपल देकर टैक्सी से रांची लौटा युवक, रिपोर्ट आने के बाद कोरोना संक्रमण की पुष्टि By Published On :: Fri, 08 May 2020 16:48:00 GMT मुंबई से एक ही टैक्सी से झारखंड और बिहार लौटने वाले तीन दोस्तों की कोरोना जांच रिपोर्ट शुक्रवार को आई और वे पॉजिटिव पाए गए। इन तीनों में से एक युवक गिरिडीह जिले के गांवा थाना क्षेत्र के भेलवा गांव का निवासी है। इसकी उम्र 32 साल है। इसके अलावा अन्य दो युवक बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं।युवक ने बताया कि वह और उसके दोनों दोस्त मुंबई के एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करते हैं। 4 मई को उन्होंने एक साथ जांच के लिए सैंपल दिया। 6 में को घर जाने के लिए उन्हें पास मिला। तीनों दोस्त एक टैक्सी बुक कर ड्राइवर के साथ 6 मई को मुंबई से रवाना हो गए। इस बीच उनकी रिपोर्ट नहीं आयी। 8 मई को वह रांची पहुंचा। उसके दोनों दोस्त उसे बहु बाजार में छोड़ बिहार के लिए निकल गए। शाम 6 बजे उसके ईमेल के जरिए कोरोना जांच की रिपोर्ट मिली जिसमें उसे पॉजिटिव बताया गया था।इसके बाद युवक ने खुद 1950 पर फोन कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची और उसे रिम्स के कोविड-19 लाई और इलाज के लिए भर्ती किया गया। इस बीच स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन ने युवक से इसके दोनों दोस्तों का फोन नंबर लिया। उन दोनों को कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन उन दोनों का फोन स्वीच ऑफ बता रहा है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुक्रवार रात आठ बजे जारी बुलेटिन में एक भी पॉजिटिव नहीं दर्शाया गया है। Full Article
मुंबई मुंबई से इलाहबाद तक पैदल तय कर रहे सफर By Published On :: Tue, 05 May 2020 23:30:00 GMT 40 डिग्री तापमान में मुंबई कल्याण से चलकर इलाहबाद जा रहा 10 से 12 मजदूरों एक जत्था नगर की सड़क से गुजरा और वह विगत 10 दिनों से लगातार पदयात्रा कर रहे हैं। उन्हें अपने घर पहुंचने की जल्दी है। जब इन मजदूरों को रोका और पानी व नाश्ते की व्यवस्था देते हुए इन से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि वह मुंबई कल्याण से आ रहे है और लगातार 10 दिनों से चल रहे हैं।फैक्ट्री बंद होने से बढ़ी समस्या: मजदूरों ने बताया कि वह मुंबई कल्याण में एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम करते हैं और लॉकडाउन लगने के दौरान जब फैक्ट्रियां बंद हो गई तो उनके सामने नौकरी और खाने की समस्या खड़ी हो गई। उन्होंने कई दिनों तक इंतजार किया, लेकिन लॉकडाउन खुलने का नाम नहीं ले रहा था। ऐसे में मजदूरों ने अपने मन में ठानी और अपने शहर इलाहबाद के लिए निकल पड़े।नगर में कराया भोजन: 10 दिनों से भी अधिक का सफर वह तय कर चुके यह मजदूर अभी कई किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करनी है। इन मजदूरों के लिए नगर के युवा वर्गों ने भोजन उपलब्ध कराया गया और उनकी रुकने की व्यवस्था भी की, लेकिन उन मजदूरों ने भोजन किया और वापस अपने लक्ष्य की और पैदल चल पड़े। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Traveling from Mumbai to Allahabad Full Article
मुंबई किराया नहीं देने पर घर खाली करने का दबाव बढ़ा तो छोड़ी मुंबई साइकिल से 664 किमी चले, लखनऊ पहुंचने में इतनी ही दूरी बची By Published On :: Fri, 08 May 2020 01:58:00 GMT लॉकडाउन में काम धंधा बंद हो गया था। किराए के पैसे नहीं होने से मकान मालिक रोजाना घर से खाली करने का दबाव बना रहे थे। खाने पीने की परेशानी के चलते मुंबई छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। ऐसे हालात पुष्पेंद्र सिंह के है, जो मुंबई से अपने घर लखनऊ के लिए साइकिल से 8 अन्य सदस्यों के साथ सफर कर रहा है। पुष्पेंद्र ने बताया कि वे लोग 24 अप्रैल को हम नो लोग मुंबई से रवाना हो गए थे। नासिक तक करीब पौने 200 किलोमीटर पैदल ही सफ़र किया। इसके बाद नासिक से साइकिल खरीद कर भूख-प्यास और रात गुजारने जैसी तकलीफ के बीच यहां तक 664 किलोमीटर लंबा सफर करके पहुंचे हैं। लॉक डाउन के दौरान बड़ा पाव खाकर दिन गुजारे हैं। महाराष्ट्र से इंदौर तक के सफर में कई बार भूखे ही सफर करना पड़ा। कैसे भी करके अपने घर लखनऊ पहुंच जाएं। कितने दिन घर पहुंचने में लगेंगे कह नहीं सकते। हम लोग पिछले कई सालों से मुंबई में रह कर एलमुनियम गलाने का काम करते आ रहे हैं। अभी तक वे जितनी दूरी तक करके आए हैं। अभी उप्र तक उन्हें पहुंचने में उतनी ही दूरी तक करनी पड़ेगी।कन्नोज तक का सफर पैदल ही तय कर रहेमहाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश के कन्नौज के लिए रवाना हो रहे मजदूर इस लंबे सफर में करीब 200 किलोमीटर तक जहां इनको पैदल चलना पड़ा, वहीं रास्ते में कहीं ट्रक तो कहीं लोडिंग वाहन की मदद से सफर कर यह लोग विदिशा तक पहुंचे। राहुल कुशवाह ने बताया कि अन्य साथियों को आर्थिक तंगी की वजह से खाने की समस्या से परेशान होना पड़ा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today If the pressure to vacate the house increased due to non-payment of rent, then left Mumbai for 664 km by bicycle, remaining the same distance to reach Lucknow. Full Article