amp B2B Marketing News: Brands Spending More on Data, Spotify Turns Video Chats into Podcasts, & Consumers Trying More New Brands By feedproxy.google.com Published On :: Fri, 08 May 2020 10:30:00 +0000 How COVID-19 Is Impacting Business Event Planning 70 percent of business event planners have changed previously-planned in-person events to virtual platforms due to the pandemic, and 47 percent expect that once it ends people will still be hesitant to travel, with 27 percent expecting a swift uptick in real-world events due to pent-up demand, according to newly-released survey data from the Professional Convention Management Association (PCMA). MarketingProfs Google ad sales steady after coronavirus drop; Alphabet leads tech share rally 2020 first-quarter advertising sales at Google tallied $33.8 billion, with 73 percent coming from search and 12 percent from its YouTube property, and Google's ad business accounting for some 83 percent of revenue for parent firm Alphabet, according to newly-released financial results. Reuters Spotify-owned Anchor can now turn your video chats into podcasts Spotify will utilize its Anchor property to make it possible to convert video meeting content into podcasts, offering marketers new options for making use of a virtual hangout video content podcast conversion feature, Spotify recently announced. TechCrunch Google’s new Podcasts Manager tool offers deeper data on listener behavior Google has rolled out a new podcast analytics data feature — Podcasts Manager — that provides marketers an assortment of new podcast listening data, the search giant recently announced. Marketing Land LinkedIn's up to 690 Million Members, Reports 26% Growth in User Sessions LinkedIn (client) saw its user base increase to 690 million members — up from 675 in January — with an accompanying 26 percent increase in user sessions, and LinkedIn Live streams that increased by some 158 percent since February, according to parent firm Microsoft’s latest earnings release. Social Media Today Advertisers Continued to Gravitate to Instagram in Q1 Advertisers moved to spend more on Instagram during the first quarter of 2020, with ad spending up 39 percent year-over-year on the platform, holding steady at 27 percent of parent company Facebook’s total ad spend, according to recently-released Merkle data. MarketingCharts Brands Are Using More Data And Spending More On It: Study B2B marketers are making greater use of data and spending increasingly to gather it, according to recent report data from Ascend2, showing that 47 percent use engagement data to make marketing decisions, one of several report statistics of interest to digital marketers. MediaPost Most consumers are trying new brands during social distancing, study finds Brands are seeing newfound levels of audience interest, with an uptick in consumer interest for trying new brands that has been observed during the pandemic, with members of the Gen Z and Millennial demographic seeing the biggest increases, according to recently-released survey data. Campaign US Marketers Ante Up for In-Game Advertising A $3 billion in-game advertising market in the U.S. alone has attracted additional advertisers, and a new Association of National Advertisers (ANA) examination of data from eMarketer found some surprises in that most mobile gamers were over 35, with 20 percent being over 50, while the majority were female, several of the in-game advertising statistics of interest to digital marketers. ANA Data Hub: Coronavirus and Marketing [Updated] Digital marketing has fared better than traditional campaigns in the face of the global health crisis, according to newly-released survey data from the Interactive Advertising Bureau (IAB) exploring the differences between the pandemic and the 2008 recession. MarketingCharts ON THE LIGHTER SIDE: A lighthearted look at generic advertising “in these uncertain times” by Marketoonist Tom Fishburne — Marketoonist WHO Releases New Guidelines to Avoid Being Nominated for Viral Challenges — The Hard Times Major Relief: Microsoft Has Confirmed That The Xbox Series X Will Play Video Games — The Onion TOPRANK MARKETING & CLIENTS IN THE NEWS: Lee Odden — What’s Trending: Embracing Data — LinkedIn (client) Lee Odden — 10 Expert Tips for Marketing During a Crisis — Oracle (client) Lee Odden — Klear Interviews Lee Odden, CEO, TopRank Marketing [Video] — Klear Lee Odden and TopRank Marketing — Pandemic Cross-Country Skiing in Duluth, Minnesota: A Personal Timeline — Lane R. Ellis Have you got your own top B2B content marketing or digital advertising stories from the past week of news? Please let us know in the comments below. Thanks for taking time to join us, and we hope you will join us again next Friday for more of the most relevant B2B and digital marketing industry news. In the meantime, you can follow us at @toprank on Twitter for even more timely daily news. Also, don't miss the full video summary on our TopRank Marketing TV YouTube Channel. The post B2B Marketing News: Brands Spending More on Data, Spotify Turns Video Chats into Podcasts, & Consumers Trying More New Brands appeared first on Online Marketing Blog - TopRank®. Full Article Online Marketing News digital marketing news
amp 71 साल के डीडी साहू ने 54 साल पहले कबड्‌डी क्लब खोला, महिला खिलाड़ियों को घर पर रखकर ट्रेनिंग दे रहे हैं By Published On :: Mon, 23 Mar 2020 06:23:11 GMT रायपुर (शेखर झा). 71 साल के डीडी साहू को कबड्डी से बेहद लगाव है। इस कारण 1966 में क्लब खोला। रिटायर्ड शिक्षक ने अब तक 100 से अधिक खिलाड़ी तैयार किए हैं। पिछले साल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से साई ने कबड्डी का सेंटर गुजरात के गांधी नगर में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद डीडी साहू ने सेंटर की 9 महिला खिलाड़ियों को जुलाई 2019 से घर में रहकर ट्रेनिंग देनी शुरू की। इन लड़कियों ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के अंडर-21 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। अभी छाया चंद्रवंशी सीनियर इंडिया कैंप जबकि सरस्वती निर्मलकर जूनियर इंडिया कैंप में हैं।डीडी साहू ने बताया कि बचपन से खेल का शौक था। क्लब खोलने के बाद गांव के युवाओं को इससे जोड़ने लगे। 1972 में शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई। इसके बाद काम पर फोकस किया। इस बीच राजनांदगांव में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) का ट्रेनिंग सेंटर शुरू हुआ। इसमें कबड्डी को भी शामिल किया गया। प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग ली। पिछले साल कबड्डी को शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद सेंटर में रहने वाले बच्चे बाहर हो गए। इसके बाद साहू ने सेंटर की महिला खिलाड़ियाें को घर पर रखने का निर्णय लिया। परिवार में कबड्डी के 7 नेशनल खिलाड़ी, एक अंपायर रिटायर्ड शिक्षक डीडी साहू और उनके तीन भाई नेशनल खेल चुके हैं तीन भतीजे भी नेशनल टूर्नामेंट में उतर चुके हैंसेंटर की इन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे1. छाया, राजनांदगांव2. सरस्वती, बालोद3. संगीता, राजनांदगांव4. कांता, राजनांदगांव5. पूनम, राजनांदगांव6. मैनो, दंतेवाड़ा7. दिव्या, राजनांदगांव8. संतोषी, राजनांदगांव9. सुमन, भिलाई Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today डीडी साहू खेलो इंडिया की मेडलिस्ट खिलाड़ियों के साथ। Full Article
amp सपने और हकीकत के बीच का अंतर ही ‘कर्म’ कहते हैं By Published On :: Thu, 13 Feb 2020 18:33:00 GMT लोग कहते हैं कि अगर आप ‘कर्म’ करेंगे तो किस्मत आपके लिए दरवाजे खोलती जाएगी। ये ऐसे ही दो उदाहरण हैं।पहली कहानी: इस हफ्ते मुझे किसी ने ललिता की तस्वीर भेजी, जिसने विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग शाखा में टॉप करने पर गोल्ड मेडल जीता था। तस्वीर भेजने वाले ने साथ में मैसेज लिखा था, ‘आपको ललिता की कहानी पसंद आएगी, खासतौर पर इसलिए क्योंकि ऐसे लोग जिनके अशिक्षित माता-पिता आजीविका के लिए सब्जी बेचते हैं, वे शायद ही एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग जैसे विषय चुनें।’ मैं उनसे सहमत था इसलिए तय किया कि मैं ललिता का सफर देखूंगा। वह अपने पूरे परिवार में पहली ऐसी व्यक्ति है, जिसे गोल्ड मेडल मिला है।विशेष बात यह है कि उनके पिता राजेंद्र और मां चित्रा कर्नाटक की चित्रदुर्गा म्युनिसिपल काउंसिल के हिरियूर गांव में सब्जी बेचते हैं, जहां आय हमेशा बहुत कम रहती है। वे दोनों पहली कक्षा तक ही पढ़े हैं, बावजूद इसके उन्होंने अपने तीनों बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया। ललिता से छोटा बच्चा फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहा है, जबकि तीसरा बच्चा स्थानीय पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा कर रहा है। सबसे अच्छी बात यह है कि तीनों बच्चे बारी-बारी से सब्जी बेचने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।ललिता स्कूल बोर्ड परीक्षाओं से ही टॉपर रही थी। जब उसने ऐसा ही प्रदर्शन कॉलेज में भी जारी रखा तो कॉलेज प्रिंसिपल ने हॉस्टल की फीस पूरी तरह माफ कर दी। ललिता पर काम का कितना भी प्रेशर हो, वो रोज तीन घंटे जरूर पढ़ती थी। उसने कभी ट्यूशन नहीं ली, लेकिन क्लास की एक्टिविटी हमेशा समय पर पूरी करती थी। इन दो अनुशासनों से उसके जीवन में दबाव नहीं रहा और वह परीक्षा के दौरान निश्चिंत रह पाई।क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि दो सब्जी बेचने वालों को दीक्षांत समारोह में बैठकर कैसा महसूस हुआ होगा, जब उनकी बच्ची को इस साल 8 फरवरी को कर्नाटक के राज्यपाल ने गोल्ड मेडल से नवाजा?दूसरी कहानी: आपको याद है, कैसे 18 जनवरी 2020 को अभिनेत्री शबाना आजमी के एक्सीडेंट की खबर ने हमें चौंका दिया था। अगली सुबह अखबारों में मुंबई-पुणे एक्सप्रेस हाईवे पर शबाना आजमी की कार से निकलने में मदद करते एक ‘आर्मी मैन’ की तस्वीर नजर आई। क्या कभी सोचा है कि वह आर्मी मैन कौन था, जिसने शबाना को सुरक्षित बाहर निकलने और फिर जल्दी से अस्पताल पहुंचने में मदद की?लाइफ सेविंग फाउंडेशन के संस्थापक देवेंद्र पटनायक भी तस्वीर वायरल होने के बाद से इस युवा आर्मी मैन को ढूंढ रहे थे। उन्होंने महाराष्ट्र के सभी आर्मी हेडक्वार्टर्स से संपर्क किया। लेकिन उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि तस्वीर में दिख रहा आदमी किसी भी आर्मी विंग से नहीं है। फिर देवेंद्र ने उस अस्पताल से संपर्क किया जिसमें शबाना भर्ती हुई थीं और वहां से उस एंबुलेंस के बारे में पता किया जो उन्हें हॉस्पिटल लेकर आई थी। इससे वे महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्सेस के सिक्योरिटी गार्ड विवेकानंद योगे तक पहुंचे, जो एक्सप्रेसवे पर तैनात था।हादसे वाले दिन उस गार्ड ने सबसे पहले शबाना की मदद की थी, जब उनकी कार एक ट्रक के पिछले हिस्से से टकरा गई थी। जब उसने आवाज सुनी तो वह दो किलोमीटर दौड़ा और देखा कि घाट वाली सड़क पर हादसा हुआ है। तब उसे यह नहीं पता था कि अंदर कौन है। उसने शबाना के हादसे के बाद वैसा ही किया, जैसा करने का उसे प्रशिक्षण मिला है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि योगे को अब न सिर्फ संस्थानों ने सम्मानित किया, बल्कि अब बड़े लोगों की प्रसिद्धि के बीच में भी वह चमकेगा।फंडा यह है कि जीवन में अनगिनत दरवाजे मिलते हैं। अगर आप मेहनती हैं तो आप उनमें से कुछ दरवाजे खोलेंगे। अगर आप होशियार हैं तो आप कई दरवाजे खोलेंगे और अगर आप जोश से भरे हैं, तो आपके लिए हर दरवाजा खुद खुलेगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
amp ‘हुं तने प्रेम करूं छुं’ By Published On :: Thu, 13 Feb 2020 18:42:00 GMT आनंद एल राय की फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ के एक दृश्य में इस आशय का संवाद है कि मधुबाला से युवा को प्रेम है और उसके अब्बा को भी मधुबाला से प्रेम रहा है, परंतु सवाल यह है कि मधुबाला किसे प्रेम करती थी? मधुबाला को चाहने वालों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है- नागरिकों के रजिस्टर की तरह। मधुबाला को दिलीप कुमार से प्रेम था और मधुबाला के लालची पिता अताउल्लाह खान भी यह तथ्य जानते थे।खान साहब ने दिलीप कुमार से कहा कि वे एक शर्त पर इस निकाह की इजाजत दे सकते हैं कि शादी के बाद वे दोनों केवल अताउल्लाह खान द्वारा बनाई जाने वाली फिल्मों में अभिनय करेंगे। दिलीप कुमार अपने काम में सौदा नहीं कर सकते थे। उनके पिता भी उनके अभिनय करने से खफा थे।एक दिन पिता अपने पुत्र दिलीप कुमार को गांधीजी के साथी मौलाना अब्दुल कलाम आजाद से मिलाने ले गए और गुजारिश की कि इसे भांडगीरी करने से रोकें। वे अभिनय को भांडगीरी मानते थे। आजाद साहब ने दिलीप कुमार से कहा कि जो भी काम करो उसे इबादत की तरह करना। मौलाना साहब से वचनबद्ध दिलीप कुमार अताउल्लाह खान की बात कैसे मानते।यह प्रेम कहानी पनपी नहीं। मधुबाला, दिलीप कुमार को कभी भूल नहीं पाईं। जीवन के कैरम बोर्ड में दिलीपिया संजीदगी की रीप से टकराकर क्वीन मधुबाला किशोर कुमार के पॉकेट में जा गिरी। राज कपूर और नरगिस की प्रेम कहानी ‘बरसात’ से शुरू हुई। ‘बरसात’ के एक दृश्य में राज कपूर की एक बांह में वायलिन तो दूसरी बांह में नरगिस हैं।गोयाकि संगीत और सौंदर्य से उनका जीवन राेशन है। इस दृश्य का स्थिर चित्र उनकी फिल्मों की पहचान बन गया। आर.के. स्टूडियो में यही पहचान कायम रखी। अशोक कुमार और नलिनी जयवंत ने कुछ प्रेम कहानियों में अभिनय किया। अशोक कुमार विवाहित व्यक्ति थे। नलिनी जयवंत और अशोक कुमार दोनों ही चेंबूर में रहते थे।अभिनय छोड़ने के बाद कभी-कभी नलिनी जयवंत अशोक कुमार के चौकीदार से अशोक कुमार की सेहत की जानकारी लेती थीं। कभी-कभी एक टिफिन भी दे जाती थीं। भोजन की टेबल पर व्यंजन देखकर अशोक कुमार जान लेते थे कि कौन सा पकवान नलिनी जयवंत के घर से आया है।जल सेना अफसर की बेटी कल्पना कार्तिक ने देव आनंद के साथ कुछ फिल्मों में अभिनय किया। देव आनंद को यह भरम हुआ था कि उनके बड़े भाई चेतन आनंद भी कल्पना की ओर आकर्षित हैं। उन्होंने स्टूडियो में ही पंडित को बुलाकर लंच ब्रेक में कल्पना से विवाह कर लिया। ज्ञातव्य है कि कल्पना कार्तिक बांद्रा स्थित चर्च में प्रार्थना करने प्रतिदिन आती थीं।वह प्रार्थना थी या प्रायश्चित यह कोई नहीं बता सकता। बोनी कपूर ‘मिस्टर इंडिया’ में श्रीदेवी को अनुबंधित करना चाहते थे। चेन्नई जाकर उन्होंने श्रीदेवी की मां से संपर्क किया कि वे पटकथा सुन लें। उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया। हर रोज रात में बोनी कपूर श्रीदेवी के बंगले के चक्कर काटते थे।यह संभव है कि उसी समय श्रीदेवी भी नींद नहीं आने के कारण घर में चहलकदमी करती हों। संभव है कि आकाश में किसी घुमक्कड़ यक्ष ने तथास्तु कहकर यह जोड़ी को आशीर्वाद दे दिया हो। वर्तमान में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी सुर्खियों में है। खबर है कि ऋषि कपूर के पूरी तरह सेहतमंद होते ही शहनाई बजेगी।भूल सुधार : 13 फरवरी को प्रकाशित गुड़-गुलगुले लेख में पहले पैराग्राफ को यूं पढ़ा जाना चाहिए कि- स्मृति ईरानी को फिल्म थप्पड़ की थीम पसंद है, लेकिन फिल्मकार के राजनीतिक विचारों को नापंसद करती हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today ‘हैप्पी भाग जाएगी’ का पोस्टर। Full Article
amp मंटो की कहानी ‘नंगी आवाजें’ और टाट के पर्दे By Published On :: Fri, 14 Feb 2020 18:53:00 GMT राहुल द्रविड़ ने लंबे समय तक बल्लेबाजी करके अपनी टीम को पराजय टालने में सफलता दिलाई और कुछ मैचों में विजय भी दिलाई। राहुल द्रविड़ इतने महान खिलाड़ी रहे हैं कि कहा जाने लगा कि राहुल द्रविड़ वह संविधान है, जिसकी शपथ लेकर खिलाड़ी मैदान में उतरते हैं। राहुल को ‘द वॉल’ अर्थात दीवार कहा जाने लगा। पृथ्वीराज कपूर का नाटक ‘दीवार’ सहिष्णुता का उपदेश देता था।देश के विभाजन का विरोध नाटक में किया गया था। चीन ने अपनी सुरक्षा के लिए मजबूत दीवार बनाई जो विश्व के सात अजूबों में से एक मानी जाती है। मुगल बादशाह शहरों की सीमा पर मजबूत दीवार बनाया करते थे। के. आसिफ की फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ में अनारकली को दीवार में चुन दिया जाता है। यह एक अफसाना था। उस दौर में शाही मुगल परिवार में अनारकली नामक किसी महिला का जिक्र इतिहास में नहीं मिलता।यश चोपड़ा की सलीम-जावेद द्वारा लिखी अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘दीवार’ दो सगे भाइयों के द्वंद की कथा थी। एक भाई कानून का रक्षक है तो दूसरा भाई तस्कर है। ज्ञातव्य है कि दिलीप कुमार ने ‘मदर इंडिया’ में बिरजू का पात्र अभिनीत करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह नरगिस के पुत्र की भूमिका अभिनीत करना नहीं चाहते थे, परंतु बिरजू का पात्र उनके अवचेतन में गहरा पैठ कर गया था। उन्होंने अपनी फिल्म ‘गंगा जमुना’ में बिरजू ही अभिनीत किया।इस तरह ‘मदर इंडिया’ का ‘बिरजू’ दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ के बाद सलीम जावेद की ‘दीवार’ में नजर आया। कुछ भूमिकाएं बार-बार अभिनीत की जाती हैं। एक दौर में राज्यसभा में नरगिस ने यह गलत बयान दिया था कि सत्यजीत राय अपनी फिल्मों में भारत की गरीबी प्रस्तुत करके अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित करते हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने नरगिस से कहा कि वे अपना बयान वापस लें, क्योंकि सत्यजीत राय तो मानवीय करुणा के गायक हैं।कुछ समय पश्चात श्रीमती इंदिरा गांधी के विरोधियों ने नारा दिया ‘इंदिरा हटाओ’ तो इंदिरा ने इसका लाभ उठाया और नारा लगाया ‘गरीबी हटाओ’। घोषणा-पत्र से अधिक प्रभावी नारे होते हैं। हाल में ‘गोली मारो’ बूमरेंग हो गया अर्थात पलटवार साबित हुआ। देश के विभाजन की त्रासदी से व्यथित सआदत हसन मंटो ने कहानी लिखी ‘नंगी आवाजें’ जिसमें शरणार्थी एक कमरे में टाट का परदा लगाकर शयनकक्ष बनाते हैं, परंतु आवाज कभी किसी दीवार में कैद नहीं होती।ज्ञातव्य है कि नंदिता बोस ने नवाजुद्दीन अभिनीत ‘मंटो’ बायोेपिक बनाई। फिल्म सराही गई, परंतु अधिक दर्शक आकर्षित नहीं कर पाई। गौरतलब है कि विभाजन प्रेरित फिल्में कम दर्शक देखने जाते हैं। संभवत: हम उस भयावह त्रासदी की जुगाली नहीं करना चाहते। पलायन हमें सुहाता है, क्योंकि वह सुविधाजनक है।दीवारें प्राय: तोड़ी जाती हैं। दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात बर्लिन में दीवार खड़ी की गई। एक हिस्से पर रूस का कब्जा रहा, दूसरे पर अमेरिका का। कालांतर में यह दीवार भी गिरा दी गई। कुछ लोगों ने इस दीवार की ईंट को दुखभरे दिनों की यादगार की तरह अपने घर में रख लिया। जिन लोगों ने युद्ध का तांडव देखा है वे युद्ध की बात नहीं करते, परंतु सत्ता में बने रहने के लिए युद्ध की नारेबाजी की जाती है।निदा फ़ाज़ली की नज्म का आशय कुछ ऐसा है कि- ‘दीवार वहीं रहती है, मगर उस पर लगाई तस्वीर नहीं होती है’। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
amp ‘पैरासाइट’ से बॉलीवुड क्यों शर्मिंदा न हो? By Published On :: Tue, 18 Feb 2020 18:48:00 GMT हॉलीवुड में आज इस बात पर चर्चा बंद नहीं हो रही है कि किस तरह से एक दक्षिण कोरियाई फिल्म पैरासाइट ने सबटाइटिल की एक इंच की बाधा को पार किया और ऑस्कर में सर्वोच्च पुरस्कार पाने वाली पहली विदेशी फिल्म बनी। मेरे जैसे भारत के फिल्मों के शौकीन के लिए पैरासाइट ने फिर एक बार से वही पुराना सवाल खड़ा कर दिया है कि दुनिया में सर्वाधिक फिल्में बनाने वाला भारत क्या एक ऐसी अच्छी फिल्म नहीं बना सकता, जो एकेडमी पुरस्कार के लायक हो?भारत ने कभी सर्वोत्तम विदेशी फिल्म का पुरस्कार भी नहीं जीता है। ऐसा नहीं है कि उसके प्रयासों में कमी रही। 1957 में इस पुरस्कार की स्थापना के बाद से उसने कम से कम 50 बार प्रविष्टि दाखिल की है। केवल फ्रांस और इटली ही ऐसे हैं, जिन्हाेंने भारत से अधिक बार अपनी प्रविष्टियां दाखिल की हैं, लेकिन उन्होंने कई बार पुरस्कार भी हासिल किया है। केवल यूरोपीय फिल्म पॉवरहाउस ही ऑस्कर में चमके हों, ऐसा नहीं है। 27 देशों की फिल्मों को सर्वोत्तम विदेशी फिल्मों का पुरस्कार मिला है। इनमें ईरान, चिली व आइवरी कोस्ट भी शामिल हैं।भारत के समर्थक इसके लिए कई तरह की दलीलें देते हैं कि भारतीय प्रविष्टि को चुनने वाली कमेटी ने कमजोर चयन किया। जो कंटेट भारतीय दशकों को भाता है वह वैश्विक दर्शकों को पसंद नहीं आता। हमारा घरेलू बाजार ही बहुत बड़ा है और हमें अंतराराष्ट्रीय दर्शकों को खुश करने की जरूरत ही नहीं है। इन सबसे ऊपर, भारतीय फिल्में विश्व स्तर की हैं, लेकिन एकेडमी पक्षपाती है और गुणवत्ता की पारखी नहीं है। इनमें से कोई भी दलील मामूली या सामान्य जांच में भी टिक नहीं सकती।भारतीय फिल्में ऑस्कर ही नहीं, बल्कि हर प्रमुख फिल्म समारोह में लगातार मुंह की खा रही हैं। इनमें से बहुत ही कम कान, वेनिस या बर्लिन में मेन स्लेट में जगह बना पाती हैं। कोई भी भारतीय फिल्म आज तक कान में पाम डी’ऑर या फिर बर्लिन में गोल्डन बियर नहीं जीत सकी। इसलिए यह कहना पूरी तरह भ्रामक है कि दुनिया में फिल्मों का आकलन करने वाले सभी जज भारतीय फिल्मों को लेकर गलत हैं।ठीक है, मीरा नायर ने वेनिस में मानसून वेडिंग के लिए सर्वोच्च पुरस्कार जीता दो दशक पहले 2001 में। और उन्होंने अपने अधिकांश कॅरियर में भारतीय फिल्म उद्योग के बाहर ही काम किया है। सच यह है कि भारत विश्व स्तर की फिल्में नहीं बना रहा है और यह सिर्फ कुछ समय से ही नहीं है। दुनिया के प्रमुख फिल्म आलोचकों द्वारा न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर इंडीवायर तक सभी प्रकाशनों में आने वाली सूचियों पर नजर डालेंगे तो पिछले एक साल, एक दशक या फिर एक सदी या अब तक की टाॅप फिल्मों की सूची में एक भी भारतीय फिल्म नहीं दिखेगी।करीब एक साल पहले बीबीसी ने 43 देशों के 200 फिल्म आलोचकों के बीच कराए गए सर्वे के आधार पर 100 विदेशी सर्वकालिक फिल्मों की सूची बनाई थी। इसमें सिर्फ सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली ही स्थान बना सकी थी और यह फिल्म भी 1955 में रिलीज हुई थी। इसका मतलब यह नहीं है कि भारतीय निर्देशकोंको विदेशी समीक्षकों और वैश्विक दर्शकों के लिए फिल्म बनानी चाहिए। वे मानवीय भावनाओं को झकझोरने में सक्षम महान फिल्में बना सकें और कम से कम एक भारतीय फिल्म तो कभीकभार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पा सके।चीन, जापान और ब्राजील की फिल्म इंडस्ट्री भी सिर्फ अपने घरेलू दर्शकों को ध्यान में रखकर फिल्में बनाती है, लेकिन ऑस्कर, फिल्म समारोहों और प्रसिद्ध समीक्षकों के बीच उनका प्रदर्शन भारत से कहीं अच्छा रहता है। अंतरराष्ट्रीय दर्शकों की नजर में आने से पहले ही पैरासाइट दक्षिण कोरिया के सिनेमाघरों में सनसनी फैला चुकी थी। फिर भारतीय सिनेमा के खराब स्तर की वजह क्या है? फिल्में लोकप्रिय संस्कृति से प्रवाहित होती हैं, लेकिन हम सेलेब्रिटी को लेकर इस हद तक जूनूनी हैं कि वह गुणवत्ता खराब कर रहा है।किसी भी अन्य प्रमुख फिल्म इंडस्ट्री मेंसितारे फिल्म के बजट का इतना बड़ा हिस्सा नहीं लेते हैं कि निर्माता के पास स्क्रिप्ट, संपादन और उन बाकी कलाओंके लिए पैसे की कमी हो जाए, जिनसे महान फिल्म बनती है। कई बार स्क्रिप्ट स्टार को ध्यान में रखकर लिखी जाती है न कि कहानी को और यही सबसे बड़ी वजह है कि हमारी फिल्मों के प्रति अंतरराष्ट्रीय आलोचक उदासीन रहते हैं।भारत को इससे बेहतर की उम्मीद करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जो भारी भरकम भारतीय दल जाता है, उसका फोकस फिल्म के कंटेट की बजाय इस बात पर अधिक रहता है कि हमारे स्टार रेड कारपेट पर क्या पहन रहे हैं। वहां से लौटकर मीडिया भी उन ब्रांडों की क्लिप चलाते हैं, जो भारत में अपना सामान बेचना चाहते हैं, लेकिन इस बात पर कुछ नहीं कहते कि भारत बार-बार खाली हाथ क्यों लौट रहा है। वे बहुत कम की उम्मीद करते हैं और वही पाते हैं।इसे बदलने के लिए घरेलू फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े अधिक से अधिक लोगों को इस मध्यमता को पहचानने की जरूरत है और एक विश्व स्तर का कंटेंट बनाने के लिए भीतर से तीव्र इच्छा जगाने की जरूरत है। ऐसा दबाव बनने के कुछ संकेत भी हैं। पिछले कुछ सालों में बड़े स्टार वाली फिल्में जहां धड़ाम हो गईं, वहीं कम बजट की और अच्छी कहानी वाली फिल्मों का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा।बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की संख्या स्थिर रहने और लाइव स्ट्रमिंग, डिजिटल गेमिंग के साथ ही स्क्रीन मनोरंजन के कई अन्य विकल्पों के उभरने से भारतीय निर्माताओं को यह समझने की जरूरत है कि व्यावसायिक रूप से बने रहने के लिए क्वालिटी ही एक मात्र रास्ता होगा।तब तक न्यूयॉर्क में रहने वाला मुझ जैसा भारतीय सिनेमा का फैन मैनहट्टन के उस एकमात्र थिएटर में जाता रहेगा, जो हिंदी फिल्म दिखाता है। यह उस देश से जुड़े रहने का एक जरिया है, जिसे मैं बहुत प्यार और याद करता हूं। मैं यह उम्मीद करना भी जारी रखूंगा कि भविष्य में एक दिन मुझे पैरासाइट जैसी एक भारतीय फिल्म मिलेगी। (यह लेखक के अपने विचार हैं।) Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today पैरासाइट फिल्म का दृश्य। Full Article
amp क्या हॉलीवुड का ‘जोकर’ भी शहरी नक्सली है? By Published On :: Thu, 20 Feb 2020 00:06:00 GMT मैं निराश हूं। मुझे उम्मीद थी कि ‘जोकर’ को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिलेगा। शुक्र है कि जोकिन फीनिक्स को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिल गया। जोकर न केवल एक महान फिल्म है, बल्कि यह आज के समय में एक साहसिक राजनीतिक बयान भी है। खासतौर से यहां भारत में रहने वालों के लिए। यह एक ऐसे छोटे व्यक्ति की कहानी है, जो अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बिना किसी कारण के लगातार और हर मोड़ पर उस पर धौंस जमाते हैं और परेशान करते हैं, जिससे उसकी निजता भी खतरे में पड़ जाती है।इस फिल्म को देखकर आपको अहसास होगा कि काल्पनिक शहर गॉथम कितना वास्तविक है। अब यह सिर्फ कॉमिक बुक की कल्पना नहीं है। यह वह दुनिया है, जहां आप और मैं रहते हैं। यह सब जगह रहने वाले आम लोगाेंकी कहानी है। जो उस समय आसानी से चोट खा बैठते हैं, जब किसी की परवाह न करने वाली असभ्य दुनिया प्रभुत्व के अपने बेढंगे सपने के पीछे अपनी धुरी पर घूमती है। ये वो हैं जो सबसे असुरक्षित और सबसे हारे हुए हैं। इन्हें सबसे अधिक तनाव यह बात देती है कि उनके अपने लोग ही नहीं समझते की असल में हो क्या रहा है। वे राजनीति द्वारा उनके चारों ओर बनाए गए कल्पना और शक्ति के प्रेत के पीछे भागने में व्यस्त हैं।टाॅड फिलिप्स द्वारा लिखी इस शानदार प्रतीकात्मक कहानी में अंतत: जोकर एक तरह की अनिच्छा से अवज्ञा का एक कदम उठाकर अपनी क्रांति को प्रज्ज्वलित कर देता है, जो उसे खुद के बारे में सोचने की हिम्मत देता है। इससे उसके चारों ओर की दुनिया में यह ज्वाला भड़क उठती है। हर जोकर सड़क पर होता है, लड़ता हुआ, दंगा और आगजनी करता हुआ। वे एक जोशीले हीरो की तलाश में थे, जो परिवर्तन के लिए प्रेरित कर सके, जो इस दुनिया को सभी के लिए रहने का एक अच्छा स्थान बना सके। और अपने नायक जोकर में उन्हें वह नजर आ गया। यहां पर उसे तलाशना नहीं पड़ेगा।हीरो यहीं है, उनके बीच में। वे ही हीरो हैं। जोकर जो भी करता है वह उनके गुस्से और दुखों की छवि है। फिलिप्स ने अपनी फिल्म से यही संदेश दिया है, जिसे भुलाने में हमें लंबा समय लगेगा। यह उस साहस के बारे में है, जो कमजोर में हताशा से पैदा होता है। ऐसा साहस जो अपनी आवाज को पाने के लिए हर तरह के डर और अनिश्चितता को खारिज कर देता है। यह अकेले, हारे हुए, डरे हुए लोगों का साहस है। यह साहस निडर और बहादुर बने रहने के लिए अपने चारों ओर की दुनिया को चुनौती देता है। यही है जो नायकत्व के लिए जरूरी है और जोकर हमारे समय का हीरो है।जोकिन फीनिक्स ने अपने भाषण में पुष्टि की कि जब उन्हें ऑस्कर मिला तो भीड़ ने ठंडी सांस ली। वह पहले भी अपनी अंतरात्मा से बात कर चुके हैं। गोल्डन ग्लोब में उन्हांेने जलवायु परिवर्तन पर बात की थी। बाफ्टा में उन्होंने नस्लवाद पर बात की। अन्य जगहों पर लैंगिक भेदभाव और महिलाओं को उनकी वाजिब पहचान न मिलने पर बात की। उन्होंने दुनिया में बढ़ रही असमानता पर बात की, जहां 2000 अरबपति 4.6 अरब गरीब लोगों से अमीर हैं।जैसा कि ऑक्सफैम ने इस साल दावोस में ध्यान दिलाया था कि 22 अमीर लोगों के पास अफ्रीका की सभी महिलाओं से अधिक संपत्ति है। भारत के एक फीसदी अमीर लोगों के पास हमारे 95.30 करोड़ लोगोंसे चार गुना अधिक संपत्ति है, ये लोग देश की आबादी का 70 फीसदी हैं। लेकिन, इससे हम मुद्दे से हट जाएंगे।फीनिक्स ने बताया कि किस तरह से सिनेमा का मनोरंजन से अधिक एक बड़ा उद्देश्य है। यह उद्देश्य मूक लोगों को आवाज देना है। उन्होंने दुनिया बदलने की ताकत को इस माध्यम का सबसे बड़ा तोहफा बताया। चाहे यह लैंगिक असमानता हो, नस्लवाद हो, समलैंगिकों के अधिकार हों या फिर अन्य सताए लोगों के हक। यह अंतत: एक बढ़ते अन्याय के खिलाफ एक सामूहिक लड़ाई थी। उन्होंने कहा कि ‘हम एक राष्ट्र, एक व्यक्ति, एक जाति, एक लिंग और एक प्रजाति को प्रभुत्व का हक होने और दूसरे का इस्तेमाल और नियंत्रण की बात कर रहे हैं’।उन्होंने धर्म या जाति का जिक्र नहीं किया, लेकिन अगर उनके जहन में भारत होता तो यह जिक्र भी होता। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों की बरबादी के लिए भी लालच को जिम्मेदार ठहराया। करोड़ों पशु-पक्षी गायब हो गए हैं, करोड़ों विलुप्त होने की कगार पर हैं, यह सब हमारी वजह से है, हमने उनसे कैसे बर्ताव किया। उन्होंने दूध और डेयरी इंडस्ट्री और उसकी निर्दयता के बारे में भी बात की। एक पूर्ण शाकाहारी (वीगन) फीनिक्स ने कृत्रिम गर्भाधान, बछड़ों को उनकी मां से दूर करना और चाय व कॉफी के लिए दूध के अनियंत्रित इस्तेमाल पर बात की।उन्हाेंने एक अधिक मानवीय दुनिया बनाने की बात की, जहां पर पशुओं को हमारी दया पर न जीना पड़े। उनका भाषण उनके दिवंगत भाई रिवर फीनिक्स की इस कविता से खत्म हुआ : ‘प्रेम से बचाने दौड़ें और शांति अनुसरण करेगी।’ जब जोकर ने सड़कों पर दंगे देखे तो उसने ठीक यही किया। वह जिसके लिए लड़ रहा था वह केवल शांति थी। उन लोगांंे से शांति, जो उसे अकेला नहीं छोड़ते। उनके और उसके जैसों के लिए शांति जो बढ़ते अन्याय से आहत हो रहे थे।(यह लेखक के अपने विचार हैं।) Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today ‘जोकर’ फिल्म का पोस्टर। Full Article
amp कितना ‘उत्कृष्ट’ है हमारा काम और बर्ताव? By Published On :: Thu, 20 Feb 2020 19:53:00 GMT रेल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए 400 करोड़ रुपए की लागत से अक्टूबर 2018 में ‘उत्कृष्ट’ योजना शुरू की गई थी। इसके तहत करीब 300 उत्कृष्ट रेल डिब्बों में कई आधुनिक सुख-सुविधाओं के अलावा एलईडी लाइट्स लगाई गईं और बिना बदबू वाले टॉयलेट्स बनाए गए। अब सीधे 20 फरवरी 2020 पर आते हैं। इन 17 महीनों में डिब्बों के टॉयलेट्स और वॉश बेसिन से स्टील के 5 हजार से ज्यादा नल चोरी हो गए।रेलवे के आंकड़े यह भी बताते हैं कि 80 उत्कृष्ट डिब्बों से स्टील के फ्रेम वाले करीब 2000 आईने, करीब 500 लिक्विड सोप डिस्पेंसर और करीब 3000 टॉयलेट फ्लश वाल्व भी गायब हैं। कुला मिलाकर बदमाशों ने रेलवे के सबसे शानदार उत्कृष्ट डिब्बों में जमकर उत्पात मचाया और टॉयलेट कवर्स और सोप डिस्पेंसर्स तक नहीं छोड़े।जब भी मैं यात्रा कर रही जनता के द्वारा नुकसान पहुंचाने की खबरों के बारे में पढ़ता हूं, मुझे जापान की रेल याद आती है। ये न सिर्फ इसलिए शानदार हैं, क्योंकि साफ हैं, समय पर चलती हैं और सरकार इनमें सबसे अच्छी सुविधाएं दे रही है, बल्कि ज्यादातर जापानी भी यह सुनिश्चित करते हैं कि इन सुविधाओं का कोई भी दुरुपयोग न करे। लेकिन नुकसान पहुंचाने और चोरी को स्पष्ट ‘न’ है! जापान में रेल यात्रा को लेकर एक कहानी है।एक गैर-जापानी ने ट्रेन में सफर करते हुए अपने पैर सामने वाली बर्थ पर रख दिए, क्योंकि वहां कोई नहीं बैठा था। जब स्थानीय जापानी यात्री ने उसे ऐसा करते देखा तो वह उसके पैरों के बगल में बैठ गया और गैर-जापानी यात्री के पैर अपनी गोद में रख लिए। वह यात्री चौंक गया। तब स्थानीय यात्री ने कहा, ‘आप हमारे मेहमान हैं और हमारी संस्कृति हमें मेहमान का अपमान करने से रोकती है, लेकिन हम किसी को अपनी सार्वजनिक संपत्ति का इस तरह अपमान भी नहीं करने देते!’ ऐसी टिप्पणी सुन उस मेहमान की चेहरे की आप कल्पना कर सकते हैं।यही कारण है कि मुझे अहमदाबाद के रीजनल पासपोर्ट ऑफिस (आरपीओ) द्वारा एक साधारण गृहिणी उर्वशी पटेल की खराब स्थिति को देखते हुए एक घंटे के अंदर पासपोर्ट देने जैसे कार्य हमेशा बहुत अच्छे लगते हैं। 51 वर्षीय उर्वशी गुजरात के नडियाड में अपने 21 वर्षीय बेटे और 18 वर्षीय बेटी के साथ रहती हैं।उनके पति 54 वर्षीय विलास पटेल पिछले 8 सालों से केन्या की राजधानी नैरोबी में रह रहे थे। विलास को वहां डायबिटीज के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था और उनकी स्थिति सुधर रही थी। लेकिन अचानक उनका शुगर लेवल गिर गया और सोमवार को वे डायबिटिक कॉमा में आ गए। एक घंटे में उनकी किडनी फेल हो गईं और डॉक्टरों ने उन्हें सोमवार को ही मृत घोषित कर दिया।उर्वशी अपने पति का अंतिम संस्कार करने के लिए केन्या जाना चाहती थीं, लेकिन उनका दिल टूट गया, जब उनका वीज़ा खारिज हो गया, क्योंकि उनके पासपोर्ट की 6 महीने से भी कम की वैधता बची थी और 29 मई को इसकी समाप्ति तारीख थी। उन्होंने मंगलवार को ऑनलाइन वीज़ा फॉर्म भरने की कोशिश की जो वैधता की समस्या के चलते खारिज हो गया था।चूंकि बच्चों के पासपोर्ट में ऐसी कोई समस्या नहीं थी, इसलिए वे नैरोबी चले गए। दु:ख और सदमे के साथ उर्वशी बुधवार को सुबह 11 बजे अहमदाबाद आरपीओ पहुंचीं। उन्होंने अधिकारियों को अपनी परिस्थिति बताई और एक घंटे के अंदर ही उर्वशी को पासपोर्ट जारी कर दिया गया। वे गुरुवार को नैरोबी के लिए निकल गईं।अगर आपके पास शक्ति है तो वैसा ही करें, जैसा अहमदाबाद आरपीओ ने किया। और अगर आप नागरिक हैं तो वैसा करें, जैसा जापानी नागरिक ने मेहमान के साथ किया।फंडा यह है कि देश हर क्षेत्र में दूसरे देशों से बहुत आगे निकल सकता है, अगर हमारा काम और व्यवहार ज्यादा से ज्यादा ‘उत्कृष्ट’ हो। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
amp हमारे नेता ‘राष्ट्र’ की राजनीति करते हैं, उसे आत्मसात नहीं करते By Published On :: Tue, 25 Feb 2020 00:07:00 GMT 14 अगस्त 1947 की आधी रात को जब अंग्रेजी झंडा उतर रहा था और उसकी जगह अपना तिरंगा ले रहा था, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने संबोधन में ‘नेशन’ शब्द काम में लिया था। तब से ही देश में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या पंडित नेहरू का ‘नेशन’ वह ‘नेशन’ ही था जो वे विदेश में पढ़ और सीखकर आए थे या उनका ‘नेशन’ भारत का वह ‘राष्ट्र’ था जिसकी छाया में उन्होंने जन्म लिया था। ‘नेशन’ और ‘राष्ट्र’ के ही अनुरूप नेहरू के ‘नेशनलिज्म’ और ‘राष्ट्रवाद’ के प्रति संशय की बात होती है। पंडित नेहरू से लेकर अब तक इस देश के नेता ‘नेशनलिज्म’ और ‘राष्ट्रवाद’ की समझ के प्रति संशय में ही दिखाई देते आ रहे हैं।इन दिनों समाचारों की सुर्खियों में ‘पॉजिटिव नेशनलिज्म’ या ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ की बात हो रही है। यहां भी वही प्रश्न उपस्थित है जो नेहरू के दौर में उपस्थित था। सही बात यह है जहां ‘राष्ट्र’ की तुलना में ‘नेशन’ शब्द आ जाता है, वहां राजनीति शुरू हो जाती है। हमें समझना चाहिए कि ‘नेशन’ की अवधारणा ‘राष्ट्र’ की अवधारणा से पूरी तरह अलग है। दोनों ही शब्दों को काम लेने वाले लोग इस समय देश में राजनीति कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति को ‘पॉलिटिकल नेशनलिज्म’ या ‘राजनीतिक राष्ट्रवाद’ कहा जाना चाहिए।सीधी-सी बात है कि यदि कहीं राष्ट्रवाद (नेशनलिज्म नहीं) होगा तो वह सकारात्मक ही होगा। वह नकारात्मक हो ही नहीं सकता। क्या सत्य नकारात्मक हो सकता है? यदि इन प्रश्नों का उत्तर ना है, तो हमें समझना चाहिए कि राष्ट्र हमारी सांस्कृतिक विरासत है और वह हमेशा सकारात्मक ही होगी। भारत से बाहर दुनिया में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, धर्म, सत्य आदि प्रत्ययों के लिए ये ही शब्द काम में नहीं लिए जाते। वहां इनके अर्थ पूरी तरह अलग हैं।भारत ही इनका विशिष्ट अर्थ जानता है, क्योंकि इनका मूल भारत में ही है। इसी तर्ज पर कहना चाहिए कि हमारा भारत ‘राष्ट्र’ को जानता है, ‘नेशन’ को नहीं जानता। जाहिर है कि जो लोग ‘राष्ट्र’ का अनुवाद ‘नेशन’ करते हैं, वे गलती करते हैं। अपने यहां तो राष्ट्र सकारात्मक अर्थ में ही होगा। उसमें नेशन की तरह भूमि, आबादी और सत्ता ही शामिल नहीं होगी, बल्कि संस्कृति भी शामिल होगी। संस्कृति कभी नकारात्मक नहीं हो सकती। नकारात्मक होती है दुष्कृति।राष्ट्र न तो यूरोपीय और अमेरिकी सत्ताधीशों द्वारा ताकत के बल पर बनाए हुए नक्शों का नाम है, न उग्र भीड़ द्वारा नारे लगाकर विरोधी देश का दुनिया से नक्शा मिटा देने की कसम उठाने का नाम है और न ही यह लोगों को मुफ्त में बिजली-पानी देने का वादा करके उन्हें मूर्ख बनाने का नाम है। यदि राष्ट्रवाद को समझना ही हो तो इस सरल उदाहरण से समझना चाहिए कि राष्ट्रवाद नाम है उस संस्कार का, उस दर्द का जो किसी भारतीय के मन में भारत के लिए तब भी जागता है, जब वह किसी कारणवश भारत का नागरिक न रहकर किसी अन्य देश का नागरिक बन जाता है।‘न भूमि/ न भीड़/ न राज्य/ न शासन.../ राष्ट्र है/ इन सबसे ऊपर/ एक आत्मा’- किसी कवि के कहे इन शब्दों के माध्यम से आप सामान्य बुद्धि के व्यक्ति को तो राष्ट्र का अर्थ समझा सकते हैं, लेकिन धन और सत्ता के लोभी हमारे नेताओं को आप इन शब्दों के माध्यम से राष्ट्र का अर्थ नहीं समझा सकते और सही पूछो तो इस दौर का सबसे बड़ा संकट भी यही है कि हमारे नेता ‘राष्ट्र’ की राजनीति करते हैं, उसे आत्मसात नहीं करते! Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
amp महज व्यापार के नजरिये से न करें ‘नमस्ते ट्रम्प’ By Published On :: Tue, 25 Feb 2020 00:14:00 GMT सदियों तक याचक रहने के कारण हम मेहमान के आने का लेखा-जोखा फायदे और खासकर तात्कालिक आर्थिक लाभ के नजरिये से करते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘नमस्ते ट्रम्प’ के भावातिरेक में सम्मान दिया गया। लेकिन, विश्लेषकों का एक बड़ा वर्ग है, जो इस यात्रा को व्यापारिक लाभ-हानि के तराजू पर तौलने लगा है। यानी अगर कुछ मिला तो ही ‘स्वागत’ सफल। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति को केवल 23 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था (हमसे करीब सात गुना ज्यादा) वाले देश का मुखिया मानना और तब यह सोचना कि दोस्त है तो भारत को आर्थिक लाभ क्यों नहीं देता, पचास साल पुरानी बेचारगी वाली सोच है।भारत स्वयं अब तीन ट्रिलियन डॉलर की (दुनिया में पांचवीं बड़ी) अर्थव्यवस्था है। कई जिंसों का निर्यातक है और शायद सबसे बड़े रक्षा आयातक के रूप में हथियार निर्यातक देशों से अपनी शर्तों पर समझौते करने की स्थिति में है। अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत आना भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से भी देखना होगा, क्योंकि हमारे पड़ोस में दो ऐसे मुल्क हैं जो हमारे लिए सामरिक खतरा बनते रहे हैं। सस्ते अमेरिकी पोल्ट्री या डेरी उत्पाद के लिए हम कुक्कुट उद्योग और दुग्ध उत्पादन में लगे किसानों का गला नहीं दबा सकते और अमेरिका हमारा स्टील महंगे दाम पर खरीदे, यह वहां के राष्ट्रपति के लिए अपने देश के हित के खिलाफ होगा।फिर हमारी मजबूरी यह भी है कि हमारे उत्पाद महंगे भी हैं। हमारा दूध पाउडर जहां 320 रुपए किलो लागत का है, वहीं न्यूजीलैंड हमें यह 250 रुपए में भारत में पहुंचाने को तैयार है। स्टील निर्यात को लेकर हमने अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में केस दायर किया और फिर जब हमने उनकी हरियाणा में असेम्बल मशहूर हर्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 100 प्रतिशत ड्यूटी लगाई तो ट्रम्प ने व्यंग्य करते हुए हमें टैरिफ का बादशाह खिताब से नवाजा और प्रतिक्रिया में उस लिस्ट से हटा दिया, जिसके तहत भारत अमेरिका को करीब छह अरब डाॅलर का सामान बगैर किसी शुल्क का भुगतान किए निर्यात कर सकता था। ट्रम्प-मोदी केमिस्ट्री का दूरगामी असर दिखेगा, रणनीतिक-सामरिक रूप से भी और चीन की चौधराहट पर अंकुश के स्तर पर भी। बहरहाल कल की वार्ता में रक्षा उपकरण, परमाणु रिएक्टर और जिंसों के ट्रेड में काफी मजबूती आने के संकेत हैं जो भारत के हित में होगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प। Full Article
amp अशांति के खिलाफ ईमानदार और सख्त ‘राजदंड’ जरूरी By Published On :: Thu, 27 Feb 2020 18:54:00 GMT पूरे देश में दो संप्रदायों के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है। देश की राजधानी जल रही है, लगभग तीन दर्जन लोग मारे गए हैं, जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल भी है। पिछले कुछ वर्षों में देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है। गृह राज्यमंत्री का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के दौरान भड़की दिल्ली हिंसा की घटनाएं किसी साजिश की बू देती हैं।साजिश कौन कर रहा है, अगर कर रहा है तो कहने वाले मंत्री, जो स्वयं इसे रोकने के जिम्मेदार हैं, क्या कर रहे हैं? ऐसे इशारों में बात करके क्या साजिशकर्ताओं को रोक सकेंगे? यही सब तो वर्षों से किया जा रहा है। क्या सत्ता का काम इशारों में बात करना है? अच्छा तो होता जब उसी मीडिया के सामने ये मंत्री साजिशकर्ताओं को खड़ा करते और अकाट्य साक्ष्य के साथ उन्हें बेनकाब करते। जब एक मंत्री बयान देता है कि ‘तुम्हें पाकिस्तान दे दिया, अब तुम पाकिस्तान चले जाओ, हमें चैन से रहने दो’, तो क्यों नहीं उसी दिन उसे पद से हटाकर मुकदमा कायम किया जाता?उसने तो संविधान में निष्ठा की कसम खाई थी और उसी संविधान की प्रस्तावना में ‘हम भारत के लोग’ लिखा था न कि ‘हमारा हिंदुस्तान, तुम्हारा पाकिस्तान’। राजसत्ता के प्रतिनिधियों की तरफ से इन बयानों के बाद लम्पट वर्ग का हौसला बढ़ने लगता है और दूसरी ओर संख्यात्मक रूप से कमजोर वर्ग में आत्मसुरक्षा की आक्रामकता पैदा हो जाती है। फिर अगर मंच से कोई बहका नेता ‘120 करोड़ पर 15 करोड़ भारी’ कहता है तो उसे घसीटकर पूरे समाज को बताना होता है कि भारी लोगों की संख्या नहीं, बल्कि कानून और पुलिस है।लेकिन इसकी शर्त यह है कि सरकार को यह ताकत तब भी दिखानी होती है जब चुनाव के दौरान केंद्र का मंत्री ‘देश के गद्दारों को’ कहकर भीड़ को ‘गोली मारो सा... को’ कहलवाता है। आज जरूरत है कि देश का मुखिया वस्तु स्थिति समझे और एक मजबूत, निष्पक्ष राजदंड का प्रयोग हर उस शख्स के खिलाफ करे जो भावनाओं को भड़काने के धंधे में यह सोचकर लगा है कि इससे उसका राजनीतिक अस्तित्व पुख्ता होगा। भारत को सीरिया बनने से बचाने के लिए एक मजबूत राज्य का संदेश देना जरूरी है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
amp ‘हुनूज दूर अस्थ’ By Published On :: Fri, 28 Feb 2020 19:01:00 GMT खबर यह है कि हुक्मरान नया संसद भवन बनाना चाहते हैं। इतिहास में अपना नाम दर्ज करने की ललक इतनी बलवती है कि देश की खस्ताहाल इकोनॉमी के बावजूद इस तरह के स्वप्न देखे जा रहे हैं। खबर यह भी है कि नया भवन त्रिभुज आकार का होगा। मौजूदा भवन गोलाकार है और इमारत इतनी मजबूत है कि समय उस पर एक खरोंच भी नहीं लगा पाया है।क्या यह त्रिभुज समान बाहों वाला होगा या इसका बायां भाग छोटा बनाया जाएगा? वामपंथी विचारधारा से इतना खौफ लगता है कि भवन का बायां भाग भी छोटा रखने का विचार किया जा रहा है। स्मरण रहे कि फिल्म प्रमाण-पत्र पर त्रिभुज बने होने का अर्थ है कि फिल्म में सेंसर ने कुछ हटाया है। ज्ञातव्य है कि सन 1912-13 में सर एडविन लूट्यन्स और हर्बर्ट बेकर ने संसद भवन का आकल्पन किया था, परंतु इसका निर्माण 1921 से 1927 के बीच किया गया।किंवदंती है कि अंग्रेज आर्किटेक्ट को इस आकल्पन की प्रेरणा 11वीं सदी में बने चौसठ योगिनी मंदिर से प्राप्त हुई थी। बहरहाल, 18 जनवरी 1927 को लॉर्ड एडविन ने भवन का उद्घाटन किया था। सन् 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने भवन के ऊपर दो मंजिल खड़े किए। इस तरह जगह की कमी को पूरा किया गया।13 दिसंबर 2001 में संसद भवन पर पांच आतंकवादियों ने आक्रमण किया था। उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। फिल्मकार शिवम नायर ने इस सत्य घटना से प्रेरित होकर एक काल्पनिक पटकथा लिखी है। जिसके अनुसार 6 आतंकवादी थे। पांच मारे गए, परंतु छठा बच निकला और इसी ने कसाब की मदद की जिसने मुंबई में एक भयावह दुर्घटना को अंजाम दिया था। पटकथा के अनुसार यह छठा व्यक्ति पकड़ा गया और उसे गोली मार दी गई।बहरहाल, शिवम नायर ने इस फिल्म का निर्माण स्थगित कर दिया है। विनोद पांडे और शिवम नायर मिलकर एक वेब सीरीज बना रहे हैं, जिसकी अधिकांश शूटिंग विदेशों में होगी। वेब सीरीज बनाना आर्थिक रूप से सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि यह सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए नहीं बनाई जाती। आम दर्शक इसका भाग्यविधाता नहीं है। एक बादशाह को दिल्ली को राजधानी बनाए रखना असुरक्षित लगता था। अत: वह राजधानी को अन्य जगह ले गया।उस बादशाह ने चमड़े के सिक्के भी चलाए थे। यह तुगलक वंश का एक बादशाह था, जिसके परिवार के किसी अन्य बादशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया था। दिल्ली में भगदड़ मच गई थी, परंतु हजरत निजामुद्दीन औलिया शांत बने रहे। उन्होंने कहा ‘हुनूज (अभी) दिल्ली दूर अस्थ’ अर्थात अभी दिल्ली दूर है। सचमुच वह आक्रमण विफल हो गया था। फौजों को यमुना की उत्तंुग लहरें ले डूबी थीं। आक्रमणकर्ता के सिर पर दरवाजा टूटकर आ गिरा और वह मर गया।वर्तमान समय में भी दिल्ली जल रही है। समय ही बताएगा कि यह साजिश किसने रची। मुद्दे की बात यह है कि अवाम ही कष्ट झेल रहा है। देश के कई शहर उस तंदूर की तरह हैं जो बुझा हुआ जान पड़ता है, परंतु राख के भीतर कुछ शोले अभी भी दहक रहे हैं। दिल्ली के आम आदमी में बड़ा दमखम है। वह आए दिन तमाशे देखता है।केतन मेहता की फिल्म ‘माया मेमसाब’ का गुलजार रचित गीत याद आता है- ‘यह शहर बहुत पुराना है, हर सांस में एक कहानी, हर सांस में एक अफसाना, यह बस्ती दिल की बस्ती है, कुछ दर्द है, कुछ रुसवाई है, यह कितनी बार उजाड़ी है, यह कितनी बार बसाई है, यह जिस्म है कच्ची मिट्टी का, भर जाए तो रिसने लगता है, बाहों में कोई थामें तो आगोश में गिरने लगता है, दिल में बस कर देखो तो यह शहर बहुत पुराना है।’ Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today संसद भवन (फाइल फोटो)। Full Article
amp ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ बिजनेस के लिए, जिंदगी के लिए नहीं By Published On :: Mon, 02 Mar 2020 21:25:00 GMT रविवार को देर शाम मैं भोपाल एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन जा रहा था, जहां से मुझे एक कार्यक्रम के लिए सतना पहुंचना था। तब वहां तेज बारिश हो रही थी। मेरी आदत है कि जब मैं ट्रेन से सफर करता हूं तो ज्यादा वजन लेकर नहीं चलता, क्योंकि मुझे रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर अपना सूटकेस खींचना कई कारणों से पसंद नहीं है। इनमें से एक कारण स्वच्छता भी है। मैं यह हल्की अटैची भी कुली से उठवाता हूं, न सिर्फ इस अच्छी मंशा के लिए कि इससे उस कुली की कुछ आय हो जाएगी, बल्कि इसलिए भी कि मेरी अटैची के व्हील्स को गंदे रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर न खींचना पड़े।मैं बेमौसम तेज बरसात के बीच जब भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर चल रहा था, तभी मैंने एक खबर पढ़ी। लिखा था कि टेक्सटाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, इंसानों के लिए दवाओं से लेकर पौधों के लिए कीटनाशकों तक और जूतों से लेकर सूटकेस तक, भारत सरकार ऐसे करीब 1,050 आइटम्स दुनियाभर में तलाश रही है, क्योंकि चीन से आने वाली सप्लाई कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हुई है। भारत के आयात में 50 फीसदी हिस्सेदारी चीन से होने वाली सप्लाई की होती है।खबर के मुताबिक कुछ क्षेत्रों में सरकार खरीदी में ज्यादा प्राथमिकता दिखाएगी, लेकिन जहां संभव हो, वहां स्थानीय उत्पादन को भी बढ़ावा देगी। और यही भारतीय व्यापार के लिए अनपेक्षित व्यापार उद्योगों से ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ (हाथ मिलाने के असंभव लगने वाले अवसर) का मौका है। जैसा कि 53 वर्षीय कुमार मंगलम बिड़ला भी सलाह देते हैं। करीब 6 अरब डॉलर की नेटवर्थ वाले उद्योगपति बिड़ला ने हाल में सोशल मीडिया पर 10 पेज लंबा लेख साझा किया है, जिसमें उन्होंने पिछले कुछ सालों में जो कुछ सीखा है, उसका सार बताया है।बिड़ला मानते हैं कि उनके सभी बिजनेस की ग्रोथ का अगला चरण ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ से आएगा। वे लिखते हैं, ‘बिजनेस में वैल्यू बनाने का नए युग का तरीका ग्रोथ के ऐसे बेमेल साधनों से आएगा, जो बहुत अलग तरह के ‘लगने वाले’ उद्योगों और कंपनियों से उत्पन्न होंगे।’ वे अपनी बात समझाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस का उदाहरण देते हैं, जो फिटनेस वियरेबल कंपनीज, जिम, फार्मेसी, डायटिशियंस और वेलनेस कोच का इकोसिस्टम बना रहा है।जहां बिजनेस में ज्यादा से ज्यादा ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ की सलाह दी जा रही है, वास्तविक जीवन में न सिर्फ सरकार और प्राइवेट संस्थाएं, बल्कि चीन, फ्रांस, ईरान और दक्षिण कोरिया जैसे देश लोगों से मिलने के दौरान ‘हाथ मिलाने’ के विरुद्ध चेतावनी दे रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में लोग हाथ मिलाना बंद कर रहे हैं।पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (पीएमसी) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसे संस्थान लोगों से दोस्तों, सहकर्मियों और रिश्तेदारों का अभिवादन करने के लिए पारंपरिक नमस्ते अपनाने पर जोर देने को कह रहे हैं। पीएमसी स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास से जुड़े सार्वजनिक महकमों में काम कर रहे लोगों के बीच हाथा मिलाना, फिस्ट बंप (मुटि्ठयां टकराना) और गले लगना बंद करने को लेकर जागरूकता लाने का काम रहा है। उनकी प्राथमिकता न सिर्फ कोरोना वायरस से बल्कि स्वाइन फ्लू और अन्य वायरस व कीटाणुओं से बचना है, जो श्वास संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मुंबई में कई संस्थानों ने साफ-सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और अपने कर्मचारियों में स्वच्छता की आदत को बढ़ावा देने के लिए बार-बार साबुन से हाथ धोने पर जोर दे रहे हैं।इससे मुझे याद आया कि कैसे हमारे माता-पिता छोटी-छोटी बात पर भी हमसे हाथ धोने को कहते थे। मेरी मां इस मामले में इतनी सख्त थीं कि मुझे स्कूल जाते समय जूतों के फीते बांधने के बाद भी हाथ धोने पड़ते थे। उनका तर्क था कि मैं इन्हीं हाथों से किताबें पकड़ूंगा, जिससे मां सरस्वती का अपमान होगा। अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो सोचता हूं कि वे दरअसल बैक्टीरिया को हाथों के जरिये किताबों तक जाने से रोक रही थीं, क्योंकि किताबें कभी-कभी तकिए के पास या बिस्तर पर भी रखी जाती हैं। मेरे घर में न सिर्फ खाने का कोई सामान छूने से पहले हाथ धोना जरूरी था, बल्कि किचन के अंदर जाने से पहले पैर और हाथ धोने का भी नियम था, यहां तक कि मेरे पिता के लिए भी। वे भी इन नियमों का पूरी तत्परता से पालन करते थे।फंडा ये है कि बिजनेस की ग्रोथ के लिए ‘अनलाइकली हेंडशैक्स’ करने होंगे, जबकि खुद की देखभाल के लिए इनसे बचना होगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today 'Unlicensed handshakes' for business, not for life Full Article
amp ‘गुड न्यूज’ और ‘परवरिश’ का लिंक By Published On :: Mon, 02 Mar 2020 21:33:00 GMT कुछ महीने पूर्व प्रदर्शित फिल्म ‘गुड न्यूज’ में स्पर्म प्रयोगशाला में समान सरनेम होने के कारण स्पर्म की अदला-बदली हो जाती है। यह फिल्म ‘विकी डोनर’ नामक फिल्म की एक शाखा मानी जा सकती है। मेडिकल विज्ञान की खोज से प्रेरित फिल्में बन रही हैं। ‘गुड न्यूज’ साहसी विषय है। चुस्त पटकथा एवं विटी संवाद के कारण दर्शक प्रसन्न बना रहता है। समान सरनेम होने से प्रेरित एक अन्य कथा में तलाक लिए हुए पति-पत्नी को रेल के एक कूपे में आरक्षण मिल जाता है। वे एक-दूसरे की यात्रा से अनजान थे। ज्ञातव्य है कि भारतीय रेलवे के प्रथम श्रेणी में कूपे का प्रावधान होता था, जिसमें दो-दो यात्री सफर करते हैं। कूपे के इस सफर के दौरान उन दोनों के बीच की गलतफहमी दूर हो जाती है और वे पुन: विवाह करके साथ रहने का निर्णय लेते हैं।किसी भी रिश्ते का आधार समान विचारधारा नहीं वरन् परस्पर आदर और प्रेम होता है। एक ही राजनीतिक विचारधारा को मानने वालों में भी मतभेद हो सकता है, परंतु पहले से तय किए समान एजेंडा के लिए वे साथ मिलकर काम कर सकते हैं। वैचारिक असमानता का निदान हिंसा में नहीं वरन् आपसी बातचीत द्वारा स्थापित करने में निहित है। आचार्य कृपलानी और उनकी पत्नी की राजनीतिक विचारधारा परस्पर विरोधी थी, परंतु इस कारण उनके विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। शौकत आज़मी सामंतवादी परिवार में जन्मी थीं, परंतु उनका प्रेम विवाह वामपंथी कैफी आज़मी से हुआ था।विगत सदी के छठे दशक में एक फिल्म ‘परवरिश’ में राज कपूर, महमूद और राधा कृष्ण ने मुख्य भूमिकाएं अभिनीत की थीं। कथासार यूं था कि एक अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में एक समय दो शिशुओं का जन्म होता है। एक शिशु की माता संभ्रांत परिवार की सदस्य थी तो दूसरी एक तवायफ थी। दोनों की पहचान गड़बड़ा जाती है और विवाद का यह हल निकाला जाता है कि दोनों शिशुओं का लालन-पालन सुविधा संपन्न परिवार में होगा। वयस्क होने पर उनकी पहचान कर ली जाएगी। तवायफ का भाई कहता है कि वह अपने भांजे के हितों की रक्षा के लिए संपन्न परिवार में ही रहेगा। कथा में यह पेंच भी था कि वह तवायफ उसी साधन संपन्न व्यक्ति की रखैल थी। अतः पिता एक ही है, परंतु माताएं अलग-अलग हैं। ज्ञातव्य है कि परवरिश के पहले महमूद ने कुछ फिल्मों में एक या दो दृश्यों में दिखाई देने वाले पात्र अभिनीत किए थे। गुरु दत्त की एक फिल्म में उन्होंने मात्र दो दृश्य अभिनीत किए थे। अपने संघर्ष के दिनों में महमूद कुछ समय तक मीना कुमारी के ड्राइवर भी रहे।‘परवरिश’ में वयस्क होते ही राज कपूर अभिनीत पात्र समझ लेता है कि पहचान के निर्णय के बाद महमूद अभिनीत पात्र का जीवन अत्यंत संघर्षमय हो जाएगा। अत: वह पात्र शराबी, कबाबी और चरित्रहीन होने का स्वांग रचता है। ज्ञातव्य है कि इस फिल्म का संगीत शंकर-जयकिशन के सहायक दत्ता राम ने रचा था। इस फिल्म में हसरत जयपुरी का लिखा और मुकेश का गाया गीत-‘आंसू भरी हैं जीवन की राहें, उन्हें कोई कह दे कि हमें भूल जाएं’ अत्यंत लोकप्रिय हुआ था।रणधीर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘धरम-करम’ में भी दो शिशुओं का जन्म एक ही समय में होता है। एक का पिता संगीतकार है तो दूसरे का पिता पेशेवर मुजरिम है। मुजरिम संगीतकार के शिशु को अपने बच्चे से बदलकर भाग जाता है। उसे विश्वास है कि संगीतकार के घर पाले जाने पर उसका पुत्र एक कलाकार बनेगा। वह अपने साथियों से कहता है कि संगीतकार के शिशु को बचपन से ही अपराध के रास्ते पर अग्रसर होने दो। प्रेमनाथ अभिनीत ये पात्र कहता है कि उसने शिशुओं की अदला-बदली करके ‘ऊपर वाले का डिजाइन बदल दिया है’। कालांतर में अपराध जगत के परिवेश में पला बालक संगीत विधा में चमकने लगता है और प्रेमनाथ का पुत्र संगीतकार के घर में पलने के बावजूद अपराध प्रवृत्ति की ओर आकर्षित हो जाता है।यह आश्चर्य की बात है कि राज कपूर ने प्रयाग राज की लिखी ‘धरम-करम’ का निर्माण किया था, जबकि कथा उनकी सर्वकालिक श्रेष्ठ रचना ‘आवारा’ की कथा के विपरीत धारणा अभिव्यक्त करती है। ख्वाजा अहमद अब्बास की लिखी ‘आवारा’ का आधार यह है कि परवरिश के हालात मनुष्य की विचारधारा को ढालते हैं। फिल्म में जज रघुनाथ का बेटा गंदी बस्ती में परवरिश पाकर आवारा बन जाता है। जज रघुनाथ ने एक फैसला दिया था जिसमें एक निरपराध व्यक्ति को वे केवल इसलिए सजा देते हैं कि उसका पिता जयराम पेशेवर अपराधी था। उन्हें गलत सिद्ध करने के लिए उनके अपने पुत्र का पालन पोषण अपराध की दुनिया में किया जाता है। दरअसल ख्वाजा अहमद अब्बास की प्रगतिवादी पटकथा ‘ब्लू ब्लड’ मान्यता की धज्जियां उड़ा देती है कि अच्छे व्यक्ति का पुत्र अच्छा और बुरे का पुत्र बुरा होता है। इस तरह ‘धरम-करम’ राज कपूर की श्रेष्ठ फिल्म ‘आवारा’ के ठीक विपरीत विचारधारा को अभिव्यक्त करती है।मनुष्य पर कई बातों के प्रभाव पड़ते हैं। जब हम प्याज की सारी परतें निकाल देते हैं तो प्याज ही नहीं बचता, परंतु हाथ में प्याज की सुगंध आ जाती है जो प्याज का सार है। मनुष्य व्यक्तित्व भी प्याज की तरह होता है और उसका सार भी प्याज की सुगंध की तरह ही होता है। व्यक्तिगत प्रतिभा अपनी परंपरा से प्रेरणा लेकर अपने निजी योगदान से उस परंपरा को ही मजबूत करती हुई चलती है। बहरहाल, गुड न्यूज यह है कि विज्ञान की नई खोज से प्रेरित फिल्में बन रही हैं और अवाम उन्हें पसंद भी कर रहा है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Link to 'Good News' and 'Upbringing' Full Article
amp ‘मध्य प्रदेश वायरस’ महाराष्ट्र में भी पहुंचेगा क्या? By Published On :: Thu, 12 Mar 2020 18:58:00 GMT दुबई से प्रवास कर लौटी पुणेकर दंपति में कोरोना वायरस के लक्षण सामने आए हैं। उनके बाद उनकी बेटी, उन्होंने जिस कैब में सफर किया उसका चालक, विमान के सहयात्री में भी कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। इसके बाद पुणे सहित महाराष्ट्र दहल गया। सभी ओर यह चर्चा है, लेकिन राजकीय उठापटक की चर्चा का स्तर अलग ही है।कोरोना वायरस से भी ज्यादा ‘एमपी वायरस’ के बारे में महाराष्ट्र में ज्यादा बोला जा रहा है। विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से महाराष्ट्र में दहशत का माहौल है। 21 अक्टूबर 2019 को वोटिंग हुई, 24 अक्टूबर 2019 को परिणाम आया। सरकार ने शपथ ली 28 नवंबर को। मंत्रिमंडल ने आकार लिया 30 दिसंबर को। यानी 21 सितंबर को आचार संहिता लागू हुई और 30 दिसंबर तक, यानी पूरे 100 दिन तक महाराष्ट्र में सरकारी कामकाज ठप ही रहा। इस अवधि में सरकार स्थापित हुई और इस दौरान एक सरकार अस्तित्व में आने के साढ़े तीन दिन में ही ढह गई।भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। लेकिन, वह आज विरोधी पक्ष बना हुआ है। शिवसेना ने भाजपा के साथ चुनाव लड़ा, उसका अब मुख्यमंत्री है। मणिपुर, मेघालय, गोवा जैसे छोटे राज्यों में भाजपा ने सत्ता स्थापित करने के लिए पूरा जोर लगा दिया, ऐसे में महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य कैसे छोड़ दिया, यह प्रश्न सबको परेशान कर रहा है। इस पर उत्तर यही है कि ऐसा प्रयत्न उन्होंने करके देखा है। लेकिन रात में बनी सरकार के गिरने से देवेंद्र फड़नवीस औंधे मुंह गिरे। तब भाजपा ने कोशिशें बंद कर दीं और इस सरकार में ‘ऑल इज वेल’ है, ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है।मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद राजस्थान, महाराष्ट्र में भी पुनरावृत्ति हो सकती है, ऐसी चर्चा शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा ही ‘सिंगल लार्जेस्ट पार्टी’ है। इस वजह से यहां यह कोशिश तो होगी ही, ऐसा कइयों को लगता है। ऐसी चर्चा करने से पहले आंकड़ों को ध्यान में रखना होगा। मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन की वजह से सदन की प्रभावी संख्या है 228 सीटों की। ऐसे में जादुई नंबर 115 हो जाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायक हैं, जिससे प्रभावी संख्या रह गई- 206 सीटें। ऐसे में 104 जादुई अंक होगा और भाजपा के पास अपने 107 विधायक तो हैं ही।ऐसा प्रयोग महाराष्ट्र में करना आसान नहीं। भाजपा सिंगल लार्जेस्ट पार्टी है जरूर, लेकिन बहुमत से काफी दूर है। जादुई अंक है 145 सीटों का और भाजपा के पास 105 विधायक ही हैं। इस वजह से 40 विधायक जुटाना अथवा सदन की प्रभावी सदस्य संख्या को इस कदर घटाना संभव नहीं है। किसी भी पार्टी में तोड़फोड़ मचाने के लिए दो-तिहाई विधायक साथ लाना होंगे। पर्याय है तो विधायकों के इस्तीफे लेने का। इसके लिए विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या को 210 तक लाना होगा।इसके लिए 78 विधायकों से इस्तीफा लेना असंभव है। महाविकास आघाड़ी सरकार में नाराजगी भरपूर है। मंत्री पद न मिलने से कांग्रेस के विधायक संग्राम थोपटे ने बवाल मचाया था। शिवसेना में दिवाकर रावते नाराज हैं। राकांपा में अजित पवार, जयंत पाटिल जैसे दो गुट हैं। चुनावों में आयाराम-गयाराम का जो दौर चला और भाजपा में ‘इनकमिंग’ का दौर सभी ने देखा है। इस वजह से कोई धोखा नहीं देगा, यह सोचना भी संशय पैदा करता है। किसी पार्टी ने अधिकृत तौर पर भाजपा के साथ जाने का स्टैंड लिया तो ही महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार आ सकती है। फिर भी इसकी संभावना काफी कम है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है!’ Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
amp बस्ती की पहचान इतनी सख्त हो चली है कि गूगल पर ‘रविदास कैंप’ सर्च करो तो निर्भया के दोषियों के चेहरे दिखाई पड़ते हैं By Published On :: Fri, 20 Mar 2020 08:43:17 GMT दिल्ली के रविदास कैंप से. आरके पुरम इलाके में साफ-सुथरी और चौड़ी सड़कों से सटी एक छोटी-सी झुग्गी बस्ती है- रविदास कैंप। 90 के दशक की शुरुआत में बसी इस बस्ती की आज सबसे बड़ी पहचान एक ही है- निर्भया के 6 दोषियों में से 4 इसी बस्ती में रहते थे। बस्ती की यह पहचान इतनी सख्त हो चली है कि गूगल पर भी ‘रविदास कैंप’ सर्च करने पर निर्भया के दोषियों के चेहरेही दिखाई पड़ते हैं।आरके पुरम सेक्टर-2 स्थित यह बस्ती ‘बिजरी खान के मकबरे’ से बिलकुल सटी हुई है और इसमें करीब ढाई सौ परिवार रहतेहै। बेहद पतली-संकरी गलियों और खुली नालियों वाली इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए हैं। बस्ती की शुरुआत में कुछ दुकानें और कुछ फास्ट-फूड के स्टॉल लगे हुए हैं। इनमें एक स्टॉल राजवीर यादव का भी है, जो इसी बस्ती के रहने वाले हैं। वे कहते हैं, ‘निर्भया मामले के बाद इस बस्ती की पहचान यही हो गई कि वो अपराधी यहां के रहने वाले थे। अब हम चाहें भी तो इस पहचान को मिटा नहीं सकते।’2012 में जब निर्भया के साथ बर्बरता हुई थी और पड़ताल में सामने आया था कि दोषी इस बस्ती के रहने वाले हैं तो लोगों का आक्रोश बस्ती के अन्य लोगों पर भी फूटने लगा था। यहां के निवासी विश्वकर्मा शर्मा बताते हैं, ‘उस घटना के कुछ ही दिनों बाद एक दिन एक आदमी यहां बम लेकर चला आया था। उसने आरोपी राम सिंह का पता पूछा और घर के पास पहुंचकर बम लगा दिया। लोगों को जब इसकी भनक लगी तो पुलिस बुलाई। फिर बम निरोधक दस्ते ने आकर हालात को काबू में लिया। उसके बाद काफी समय तक यहां पुलिस सुरक्षा रखी गई।’16 दिसंबर की उस कुख्यात घटना के बाद इस बस्ती की पहचान पूरी तरह से बदल गई। यहां के रहने वाले, जहां कहीं भी जाते। लोग उनसे निर्भया मामले पर ही तरह-तरह के सवाल पूछने लगते। विश्वकर्मा शर्मा कहते हैं, ‘उस वक्त तो कई बार ऐसा होता कि मैं किसी सरकारी दफ्तर जाता तो अधिकारी पहचान पत्र पर मेरा पता देखते ही मुझे अलग बुला लेते और पूछने लगते कि उस घटना के बारे में बताओ, दोषियों के बारे में बताओ, वो कैसे लड़के हैं आदि। लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगा। अब इन दोषियों को फांसी हो रही है तो मीडिया का आना-जाना एक बार फिर बढ़ गया है।’गुरुवार की शाम, जब निर्भया के दोषियों को फांसी होने में 12 घंटे से भी कम समय रह गया था, बस्ती का माहौल आम दिनों जैसा ही बना हुआ था। हालांकि, पुलिस की आवाजाही यहां बीते कुछ दिनों से कुछ बढ़ ज़रूर गई थी। पुलिस कई बार बस्ती में आकर दोषियों के परिजनों को तिहाड़ जेल लेकर जाती रही ताकि वे आखिरी समय में उनसे मिल सकें।पतली-संकरी गलियों और खुली नालियों वाली इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए हैं।निर्भया के दोषियों को फांसी होने के बारे में बस्ती के लोग मिली-जुली राय रखते हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि दोषियों को फांसी होना सही है तो वहीं कई लोग यह कहते भी मिलते हैं कि इन दोषियों को फांसी सिर्फ इस वजह से हो रही है क्योंकि ये सभी बेहद गरीब परिवारों से आते हैं। इन लोगों का मानना है कि अगर ये दोषी अमीर होते तो बलात्कार और हत्या के तमाम अन्य अपराधियों की तरह इन्हें भी ज्यादा से ज्यादा उम्र कैद की सजा हो सकती थी, लेकिन फांसी नहीं।बस्ती के अधिकतर लोग मीडिया से बात करने से कतराते हुए भी नजर आते हैं। बस्ती के शुरुआती घरों में ही बिहारी लाल का घर है जो यहां के प्रधान भी हैं। घर का दरवाजा खटखटाने पर उनकी बेटी बाहर आती हैं और बताती है कि उनके पिता घर पर नहीं है। वो कब तक लौटेंगे, यह सवाल करने पर वो कहती हैं कि उनके लौटने का कोई निश्चित समय नहीं। बिहारी लाल का फोन नम्बर मांगने पर उनकी बेटी कहती हैं, ‘पापा ने कल ही नया नंबर लिया है, जो मेरे पास भी नहीं है। उनका पुराना नंबर अब काम नहीं कर रहा।’बिहारी लाल के घर के बाहर उनके नाम के साथ ही एक फोन नंबर दर्ज है। इस पर फोन करने से मालूम होता है कि वे घर से बमुश्किल सौ मीटर दूर ही फास्ट-फूड का ठेला लगाते हैं और इस वक्त भी वहीं मौजूद हैं। न तो उनका पुराना फोन बदला है और न ही वो काम के लिए घर से कहीं ज्यादा दूर जाते हैं। बिहारी लाल की बेटी जब देखती हैं कि उनका झूठ पकड़ा गया है तो वे बिना कुछ कहे बस घर के अंदर चली जाती हैं।बस्ती से लगी हुई मेन रोड के पास ही बिहारी लाल स्टॉल लगाए खड़े हैं। उनके साथ उनका बेटा भी है जो ऑटो भी चलाता है और फास्ट फूड बनाने में अपने पिता की मदद भी करता है। मीडिया वालों को देखते ही बिहारी लाल का बेटा कहता है, ‘अब आप क्या लिखने आए हैं। अब तो सब खत्म हो रहा है। उन्हें फांसी हो रही है। जिनके जवान बेटे मरने वाले हैं, उनका दर्द आप नहीं समझ सकते। विनय तो मेरा बचपन का दोस्त था। हम साथ में…’ अपने बेटे को बीच में रोकते हुए और लगभग डपटते हुए बिहारी लाल कहते हैं, ‘कोई दोस्त नहीं था वो तुम्हारा। जो जैसा काम करेगा, वैसा भरेगा।’ बिहारी लाल के इतना कहने और गुस्सा करने पर उनके बेटे उठकर वहां से चल देते हैं।बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग छोटी-मोटी दुकान चलाते हैं या ऑटो ड्राइवर हैं।बिहारी लाल बताते हैं, ‘इन लड़कों ने जो किया, उसकी सजा इनको मिल गई। अब इस बस्ती वालों का या इन लड़कों के परिवार का तो इसमें कोई दोष नहीं है। हम बस यही चाहते हैं कि लड़के के परिवार को इसकी सजा न मिले। उन्हें अब बार-बार इसके लिए परेशान न किया जाए।’ बिहारी लाल के स्टॉल पर ही मौजूद एक अन्य व्यक्ति फांसी के इस फैसले और मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘आप लोग जैसे लगातार निर्भया के दोषियों को फांसी देने का सवाल उठाते रहे ऐसे ही आप बाकी मामलों को क्यों नहीं उठाते? आप आसाराम को फांसी देने की मांग क्यों नहीं करते? उसने भी बलात्कार किया है, बल्कि एक से ज्यादा किए हैं। उसके आश्रम में छोटे-छोटे बच्चों की लाश निकली हैं। उसके कई गवाहों की तो हत्याएं भी कर दी गईं। इस सब के बाद भी आपने कभी उसे फांसी देने की मांग की है? संसद में बलात्कार के कितने आरोपी बैठे हैं? क्या आपने कभी उन्हें फांसी देने की मांग उठाई? ये लड़के अगर गरीब नहीं होते तो न तो इन्हें फांसी होती और न आप लोग भी ऐसी कोई माँग उठा रहे होते। हम ये नहीं कह रहे कि इन्होंने अपराध नहीं किया। लेकिन अगर कानून सबके लिए एक है तो फांसी सिर्फ इन्हें ही क्यों? सारे बलात्कारियों या हत्यारों को क्यों नहीं?’रविदास बस्ती के अधिकतर लोग इन दोषियों के परिजनों से सहानुभूति भी जताते हैं। दोषी पवन के घर के ठीक सामने रहने वाली महिला कहती हैं, ‘जिनके जवान बच्चे फांसी पर लटकाए जा रहे हैं, उनका दर्द हम कैसे नहीं समझेंगे। उस मां का तो कोई दोष नहीं। और बच्चा चाहे जितना भी नालायक हो मां कभी उसका बुरा नहीं सोच सकती।’ ये महिला आगे कहती हैं, ‘पवन और विनय तो बहुत छोटे बच्चे हैं। घटना के समय ये दोनों 20 साल के भी पूरे नहीं थे। ये बाकियों के चक्कर में फंस गए।’पवन और विनय से विशेष सहानुभूति इस बस्ती के अधिकतर लोगों में दिखती है। बस्ती के लोग साफ कारण नहीं बताते लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि पवन और विनय का मुख्य दोष ये था कि वो गलत समय, गलत संगत में थे। 16 दिसंबर की घटना के लिए बस्ती के अधिकतर लोग पवन और विनय को कम जबकि मोहल्ले के बाकी दो लड़कों को ज़्यादा दोषी मानते हैं।निर्भया मामले के चलते सुर्खियों में आई इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग छोटी-मोटी दुकान चलाते हैं या ऑटो ड्राइवर हैं। करीब 900 वोटरों वाली इस बस्ती में शायद ही कोई सरकारी नौकरी वाला है। बस्ती के लोग बताते हैं कि यहां के जिन लोगों की सरकारी नौकरी लगी, वो फिर बस्ती छोड़कर कहीं बेहतर जगह चले गए। बस्ती में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिन्होंने यहीं रहकर बेहद गरीबी में पढ़ाई की और फिर अपनी अलग पहचान बनाई। ऐसा ही नाम अंकित का भी सुनने को मिलता है, जिनका बचपन इसी बस्ती की गरीबी में बीता लेकिन वो आज क्राइम ब्रांच में अधिकारी हैं। बस्ती के लोग अब यही चाहते हैं कि उनकी पहचान अंकित जैसे उदाहरणों के साथ जोड़ी जाए और निर्भया के दोषियों से उनकी पहचान जोड़ने का सिलसिला खत्म हो। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today रविदास कैंप: दक्षिणी दिल्ली का स्लम एरिया। यहीं विनय, पवन, मुकेश और रामसिंह रहते थे। Full Article
amp ‘जनता कर्फ्यू’ के दौरान अपने जीवन में मूल्य जोड़ें By Published On :: Fri, 20 Mar 2020 20:01:00 GMT कोई भी शिक्षक अपने बेटे या बेटी को शिक्षा दिलाए तो इसमें कोई नई बात नहीं है। लेकिन शिक्षा पूरी करने के दौरान ही शिक्षक की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा? आरजे लिनज़ा के साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ, जब वह 2001 में बैचलर डिग्री की पढ़ाई कर रही थी। उसके पिता, संस्कृत के शिक्षक राजन केके का निधन हो गया। किसी भी दौर में संस्कृत शिक्षक की तनख्वाह कितनी होगी, इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है। स्कूल ने उसे केरल के कासरगोड जिले में स्थित उसी स्कूल में अनुकंपा के आधार पर सफाईकर्मी की नौकरी का प्रस्ताव दिया। यह ‘लीव वैकेंसी’ का प्रस्ताव था, यानी उसे सिर्फ तभी काम पर बुलाया जाता, जब कोई कर्मचारी छुट्टी पर जाता। उसने इस प्रस्ताव को इसलिए मान लिया क्योंकि उसपर परिवार की और खासतौर पर भाई की जिम्मेदारी थी, जो तब 11वीं कक्षा में था। स्कूल में काम करने के दौरान बचे हुए समय में वह पढ़ाई करती, ताकि वह बीए और फिर एमए कर सके। चूंकि समय गुजरता जाता है और उम्र के साथ शादी भी जरूरी होती है। लिहाजा, लिनज़ा ने 2004 में सुधीरन सीवी से शादी कर ली, जो एक कॉलेज में क्लर्क था। लिनज़ा का पद और उसकी आय, जो वह पीहर में साझा करती थी, कभी भी उसके वैवाहिक जीवन में आड़े नहीं आई। कुछ सालों में वह दो बच्चों की मां बन गई।लेकिन लिनज़ा ने 12 साल तक स्कूल में सफाईकर्मी का काम करते हुए भी व्यवस्थित ढंग से अपनी पढ़ाई की योजना बनाई और केरल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट और स्टेट एलिजिबिलटी टेस्ट पास किए, जो कि शिक्षक बनने के लिए जरूरी होते हैं। फिर 2018 में जब एक शिक्षक की जगह खाली हुई तो उसने आवेदन दिया और उसे नौकरी मिल गई। आज इस अंग्रेजी की शिक्षिका को अपने जीवन में मूल्य जोड़ने की इच्छा शक्ति के लिए सलाम किया जाता है। अब उसे पदोन्नति का भी इंतजार है।एक और शख्सियत है, जो कॅरिअर के शिखर पर पहुंचने के बाद भी अपनी शिक्षा में मूल्य जोड़ना नहीं भूली। ये हैं सेबर इंडिया, हैदराबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की निदेशक प्रिया ढंडपानी। आज वह 93 प्रोफेशनल्स की एक वैश्विक टीम को लीड कर रही हैं, जिसमें टेक्निकल आर्किटेक्ट, डेवलपमेंट मैनेजर, क्वालिटी एनालिस्ट, प्रोडक्ट ओनर्स और डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर शामिल हैं।सेबर में 40 वर्षीय प्रिया पर नौ उत्पादों के पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी है, जिनमें से अधिकांश उत्पाद ‘मिशन-क्रिटिकल’ हैं। प्रिया हिस्सेदारों और ग्राहक प्रतिनिधियों के साथ काम करती हैं। वह सॉफ्टवेयर विकास को तकनीकी दिशा देती हैं, उत्पादों से जुड़ी योजनाएं बनाती हैं, निष्पादन और क्लाउड पर माइग्रेशन को पूरा करती हैं। इस टेक्नो-फंक्शनल भूमिका को आमतौर पर पुरुषों का कार्यक्षेत्र माना जाता है, लेकिन प्रिया को यह काम पसंद है। दो बच्चों की इस मां ने चार संस्थानों के साथ काम किया है। सेबर के साथ उनका यह दूसरा कार्यकाल है, जो चार अरब अमेरिकी डॉलर की ट्रैवल टेक्नोलॉजी कंपनी है। उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस (एप्लाइड साइंस एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी) के बाद एमसीए किया। इसके बावजूद उन्होंने खुद को और सीखने से रोका नहीं। प्रिया ने हाल ही में एमआईटी स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिजनेस स्ट्रैटजी में इसके इंप्लीकेशंस पर एक ऑनलाइन कोर्स किया है। उनका मानना है कि हर चीज में सुधार की गुंजाइश होती है।अपने आप को अधिक मूल्यवान बनाना पूरी तरह स्वार्थ नहीं है। जब आप ज्ञान प्राप्त करते हैं, एक नया कौशल सीखते हैं या नया अनुभव प्राप्त करते हैं, तो आप न केवल खुद को बेहतर बनाते हैं, बल्कि दूसरों की मदद करने की आपकी क्षमता भी बढ़ती है। जब तक आप खुद को और अधिक मूल्यवान नहीं बनाते, आप दूसरों के जीवन में मूल्य नहीं जोड़ सकते। दूसरों को आगे बढ़ाने की क्षमता पाने के लिए, पहले खुद आगे बढ़ना होगा।इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने सभी को जितना ज्यादा हो सके, घर पर रहने के लिए कहा है, जिसे ‘जनता कर्फ्यू’ कहा गया है (जो कि वर्तमान में कोरोनावायरस के हमले से लड़ने के लिए आवश्यक है)। हमें इसे खुद में मूल्य जोड़ने के तरीके खोजने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। इस समय का उपयोग नया कौशल सीखने, अच्छी पुस्तकें पढ़ने या ऐसी तकनीक सीखने में कर सकते हैं, जो आपको दुनिया से अलग तरीके से जोड़ता है। मर्जी आपकी है।फंडा यह है कि ‘जनता कर्फ्यू’ जैसी स्थिति का लाभ उठाएं और योजना बनाएं कि आप जीवन में मूल्य कैसे जोड़ सकते हैं क्योंकि आवश्यक कौशल नहीं होने पर आप दूसरों को कुछ नया नहीं दे सकते। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Add value to your life during 'Janata Curfew' Full Article
amp ‘कहां-कहां से गुजर गया मैं’ By Published On :: Fri, 20 Mar 2020 20:06:00 GMT अनिल कपूर अभिनीत पहली फिल्म एम.एस. सथ्यु की थी जिसका टाइटल था ‘कहां-कहां से गुजर गया मैं’। अपनी पहली फिल्म के नाम के अनुरूप ही अनिल कपूर आंकी-बांकी गलियों से गुजरे हैं। सफर में बहुत पापड़ बेले हैं। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अनिल कपूर को सुनीता से प्रेम हो गया। सुनीता योग करती हैं और सेहत के लिए क्या, कब, कितनी मात्रा में लेना है, इस क्षेत्र की वह विशेषज्ञ हैं।उन्होंने लंबे समय तक व्यावसायिक रूप से इस जीवन शैली का प्रशिक्षण भी दिया है। उनके जुहू स्थित बंगले की तल मंजिल पर सुनीता की कार्यशाला है।सुरेंद्र कपूर ‘मुगल-ए- आजम’ में सहायक निदेशक नियुक्त हुए थे। उन्होंने 1963 से ही फिल्म निर्माण प्रारंभ किया। दारा सिंह अभिनीत ‘टार्जन कम्स टू देहली’ में उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ। दोनों कपूर परिवार चेंबूर मुंबई में पड़ोसी रहे हैं। सुरेंद्र कपूर के जेष्ठ पुत्र अचल उर्फ बोनी कपूर ने युवा आयु में ही पिता की निर्माण संस्था में काम करना शुरू कर दिया था। सुरेंद्र कपूर की ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ के निर्देशक सुरेंद्र खन्ना की अकस्मात मृत्यु से फिल्म काफी समय तक अधूरी पड़ी रही। बाद में इस फिल्म को येन केन प्रकारेण पूरा किया गया। बोनी कपूर ने दक्षिण भारत के फिल्मकार के. बापू से उनकी अपनी फिल्म का हिंदी संस्करण बनाने का आग्रह किया। अनिल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे और नसीरुद्दीन शाह के साथ ‘वो सात दिन’ फिल्म बनाई गई। पद्मिनी कोल्हापुरे को राज कपूर की ‘प्रेम रोग’ में बहुत सराहा गया था। इस सार्थक फिल्म ने खूब धन कमाया। अनिल कपूर के अभिनय को सराहा गया, परंतु वे भीड़ में उन्माद जगाने वाला सितारा नहीं बन पाए।गौरतलब है कि ‘वो सात दिन’ तथा संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ में बहुत साम्य है। दोनों में पति अपनी पत्नियों को उनके भूतपूर्व प्रेमी से मिलाने का प्रयास करते हुए एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। बोनी कपूर ने महसूस किया कि अनिल को सितारा बनाने के लिए भव्य बजट की फिल्म बनाई जाए। उन्होंने शेखर कपूर को अनुबंधित किया ‘मिस्टर इंडिया’ बनाने के लिए। फिल्म के आय-व्यय का समीकरण ठीक करने के लिए उन्होंने बड़े प्रयास करके शिखर सितारा श्रीदेवी को फिल्म में शामिल किया। यह भी गौरतलब है कि फिल्म में कभी-कभी दिखाई न दिए जाने वाले पात्र को अभिनीत करके अनिल कपूर ने सितारा हैसियत प्राप्त की।जब अनिल को ज्ञात हुआ कि राज कपूर तीन नायकों वाली ‘परमवीर चक्र’ बनाने का विचार कर रहे हैं और अनिल को एक भूमिका मिल सकती है तब उसने खड़कवासला जाकर फौजी कैडेट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह बात अलग है कि राज कपूर ने ‘परमवीर चक्र’ नहीं बनाई, परंतु इस प्रकरण से हमें अनिल की महत्वाकांक्षा और जुझारू प्रवृत्ति का आभास होता है।अनिल कपूर की घुमावदार कॅरिअर यात्रा में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘1942 ए लव स्टोरी’ एक यादगार फिल्म साबित हुई। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कोई चमत्कार नहीं किया, परंतु आर.डी.बर्मन के मधुरतम संगीत के कारण यह फिल्म यादगार बन गई। यश चोपड़ा की फिल्म ‘लम्हे’ में भी अनिल कपूर को बहुत सराहा गया, परंतु इसे भी बड़ी सफलता नहीं मिली। नायक-भूमिकाओं की पारी के बाद अनिल कपूर ने चरित्र भूमिकाओं में भी प्रभावोत्पादक अभिनय किया। अनिल कपूर को डैनी बॉयल की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में महत्वपूर्ण भूमिका मिली। उनकी भूमिका कौन बनेगा करोड़पतिनुमा कार्यक्रम में एंकर की है। इस फिल्म में एंकर जान-बूझकर गरीब प्रतियोगी को एक प्रश्न का उत्तर देने में गुमराह करता है।साधन संपन्न व्यक्ति साधनहीन व्यक्ति को सफल होने का अवसर ही नहीं देना चाहते। इस दृश्य के द्वारा फिल्मकार बड़े लोगों के ओछेपन को उजागर करता है। एंकर की कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है और न ही इसमें उसका अपना कोई आर्थिक जोखिम भी नहीं था, परंतु समाज में आर्थिक वर्गभेद हमेशा कायम रहे। इसके लाख जतन किए जाते हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today अभिनेता अनिल कपूर- फाइल । Full Article
amp औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट हुआ, शहर का नाम संभाजीनगर' करने की तैयारी By Published On :: Thu, 05 Mar 2020 16:14:58 GMT औरंगाबाद. महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदल दिया है। अब यह छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई थी, जिसको लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में काफी विवाद हुआ था।सरकार जल्द ही औरंगाबाद का नाम बदलकर 'संभाजीनगर' करने वाली है। शिवसेना बाला साहब ठाकरे के समय से ही इसे संभाजीनगर कहती रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शहर का नाम बदलने की अपनी पार्टी की मांग को पिछले हफ्ते दोहराया था।नाम बदलने की कागजी कार्रवाई शुरूकार्यवाहक कलेक्टर भानूदास पालवे ने कहा कि राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलने के लिए जिला प्रशासन से रेलवे और डाक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने को कहा था। पालवे ने कहा- "मंडलीय आयुक्त के कार्यालय नेएनओसी लेने को कहा है। जैसे ही हमें दस्तावेज मिलते हैं, हम उन्हें उच्च अधिकारियों को भेज देंगे।" Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today औरंगाबाद एयरपोर्ट-फाइल फोटो Full Article
amp महिला टीम का विराट कोहली कहलाती हैं 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध स्मृति मंधाना By Published On :: Sat, 07 Mar 2020 17:49:00 GMT सांगली. रविवार को विश्व महिला दिवस पर भारतीय महिला टीम पहली बार टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल जरूर खेली, लेकिन जीत का स्वाद नहीं चख पाई। इस मैच में वह महज 11 रन बनाने वालीभारतीय टीम की ओपनर स्मृति मंधाना महाराष्ट्र के छोटे शहर सांगली की रहने वाली हैं। 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध 23 साल की स्मृति को बेहतरीन बैटिंग के साथ उनकी स्माइल और लुक्स की वजह से उन्हें विराट कोहली से कम्पेयर किया जाता है।पिता और भाई भी हैं क्रिकेटरस्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई 1996 को मुंबई में हुआ। वे जब 2 साल की थीं तब उनका परिवार मुंबई से सांगली शिफ्ट हो गया और वहीं से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पिता श्रीनिवास मंधाना और भाई श्रवण मंधाना दोनों डिस्ट्रिक्ट लेवल के अच्छे क्रिकेटर हैं। उन्हीं को देख मंधाना ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। फाइनल को लेकर पूरी फैमिली स्मृति की अच्छी परफॉर्मेंस कि दुआएं कर रही है। उनके पिता ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि उनकी देर रात स्मृति से फोन पर बात हुई। वे फाइनल को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं। अगर भारत जीतता है तो घर पर जश्न की तैयारियां की गई हैं।ऐसे हुआ क्रिकेट से जुड़ावस्मृति के भाई श्रवण मंधाना ने बताया कि स्मृति 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रही हैं। वे जब भी प्रैक्टिस के लिए जाते तो स्मृति भी उनके साथ जाती थीं। उन्हें खेलता देख अक्सर बैटिंग की जिद करती। स्मृति ने जब बैट थामा तो उनके स्टाइल को देख श्रवण को लगा कि वह अच्छा क्रिकेट खेल सकती हैं और इस तरह स्मृति को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया।सेमीफाइनल जितने के बाद खुशी से रोने लगी स्मृतिस्मृति 2017 में हुए महिला वर्ल्डकप का हिस्सा भी रह चुकी हैं। टीम इंडिया ने भले ही यह कप अपने नाम नहीं किया लेकिन स्मृति ने उस दौरान खूब सुर्खियां बटोरी थी। वर्ल्डकप से ठीक पहले 2017 जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलते हुए स्मृति को बड़ी इंजरी हो गई थी। जिसके चलते उन्हें काफी दिनों तक व्हील चेयर पर पर रहना पड़ा था। उनके पिता ने बताया, 'पूरी परिवार बेहद डर गया था। लेकिन, मंधाना ने हिम्मत नहीं हारी और आज वे टीम की एक स्टार प्लेयर हैं।' रिकवर करने के बाद मंधाना ने महिला वर्ल्ड कप के पहले दो मैचों में 90 और नॉटआउट 106 रनों की पारी खेल सभी को हैरत में डाल दिया था।9 साल की उम्र में हुआ सिलेक्शन9 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुना गया। जब वो 11 साल की हुईं तब उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-19 टीम के लिए चुन लिया गया। साल 2013 में वेस्ट जोन अंडर-19 टूर्नामेंट में स्मृति ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर सनसनी मचाई थी। स्मृति ने 150 बॉल पर 224 रन बनाए थे। मंधाना ने अपना पहला टेस्ट मैच वर्मस्ली पार्क में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इस मैच में पहली पारी में 22 और दूसरी में 51 रन बनाया था।पढ़ाई में भी होनहार हैं स्मृतिक्रिकेट के साथ-साथ स्मृति पढ़ाई में भी होनहार रही हैं। दसवीं क्लास में उन्हें 85% मार्क्स मिले थे। उन्होंने चिंतामनराव कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रैजुएशन किया है।पंजाबी गानों की दीवानी हैं स्मृतिस्मृति को कार ड्राइविंग काफी पसंद है। विराट कोहली, ए बी डिविलियर्स और सचिन तेंदुलकर उनके रोल मॉडल हैं। उन्हें पंजाबी गाने सुनना पसंद है। वे क्लासिक हिन्दी फिल्मों की भी दीवानी हैं। ट्रैवलिंग की शौकीन मंधाना के लिए महाबलेश्वर, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। स्मृति को ट्रेडिशनल इंडियन ड्रेस की जगह जींस और टी शर्ट पसंद हैं। स्मृति को कभी मिरर के आगे खड़ा होना पसंद नहीं है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Full Article
amp 63 साल की शैलजा आदिवासी और ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को सिखा रही कबड्‌डी; मैदान का भी कराया निर्माण By Published On :: Mon, 09 Mar 2020 08:37:53 GMT नासिक. ईरान की महिला कबड्डी टीम को एशियन चैंपियन बना चुकीं महाराष्ट्र की शैलजा जैन अब ग्रामीण और आदिवासी इलाके में इंटरनेशनल कबड्डी प्लेयर तलाश रही हैं। 63 साल की शैलजा नासिक से 150 किमी दूर गुही इलाके में लड़कियों को कबड्डी की ट्रेनिंग दे रही हैं। इसी इलाके की मिट्टी ने देश को ओलिंपियन मैराथनर कविता राऊत, मोनिका आथरे और ताई बामणे जैसी खिलाड़ी दी हैं।बच्चों को लाने के लिए माता-पिता को समझायाशैलजा ने एक साल पहले ट्रेनिंग देना शुरू किया था। उन्होंनेखुद गुही गांव जाकर बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित किया। उनके माता-पिता को भी मोटिवेट किया। कुछ पेरेंट्स अपनी लड़कियों को खेलने नहीं भेजना चाहते थे तो शैलजा ने उन्हें समझाया। इसके बाद जिन खिलाड़ियों में टैलेंट दिखा, उन्हें अपनी एकेडमी में लाकर ट्रेनिंग देना शुरू किया। वे खिलाड़ियों को सभी जरूरी सामान्य उपलब्ध कराती हैं। किट से लेकर डाइट तक की सुविधा देती हैं। शैलजा 5 साल खेलीं, 1983 से कोचिंग करिअर की शुरुआत कीशैलजा 5 साल तक विदर्भ टीम, नागपुर यूनिवर्सिटी और नेशनल टीम से खेलीं। इसके बाद 1983 से कोचिंग करिअर शुरू किया। अपने कोचिंग करिअर में वे भारतीय महिला कबड्डी टीम, नेपाल और ईरान की टीम को भी ट्रेनिंग दे चुकी हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ी। Full Article
amp वर्ली में जलाया गया 'कोरोनासुर' का पुतला, लोगों को उम्मीद इसे जलाने से खत्म होगा कोरोनावायरस By Published On :: Tue, 10 Mar 2020 05:33:55 GMT मुंबई. वर्ली में कोरोनावायरस की थीम पर आधारित 'कोरोनासुर' का पुतला जलाया गया। नीले रंग के बड़े से पुतले में COVID-19 लिखा था। इसके हाथ में एक सूटकेस था, जिसमें आर्थिक मंदी लिखा था। लोग उम्मीद कर रहे हैं इस पुतले के जलाने पर कोरोनावायरस का भी खात्मा हो जाएगा।इस साल होली 10 मार्च को मनाई जा रही है। होलिका दहन 9 मार्च को हुआ। इस होली लोगों में कोरोनावायरस को लेकर डर भी है। लोग रंग खेलने से हिचकिचा रहे हैं। दरअसल, लोगों में डर है कि कहीं रंग और पिचकारी चाईना मेड न हो। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि कोरोनावायरस को लेकर वे भी डरे हुए हैं, इसीलिए चाईना से माल आया ही नहीं है।भारत में अब तक 43 मामले सामने आएस्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक कोरोनावायरस के 43 मामले सामने आए हैं। तीन पॉजिटिव मरीजों को अब डिस्चार्ज कर दिया गया है। नए मामले दिल्ली, यूपी, केरल और जम्मू-कश्मीर से आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में अब तक कोरोनावायरस संक्रमण के 2,241 नए मामलों की पुष्टि हुई है। संक्रमित लोगों की संख्या 95,333 हो गई है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today वर्ली इलाके में बना 'कोरोनासुर' का पुतला। Full Article
amp यूपी-एमपी समेत 7 राज्यों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्‌टी, इंदौर प्रशासन ने गेर और बजरबट्‌टू की अनुमति रद्द की By Published On :: Fri, 13 Mar 2020 17:01:14 GMT लखनऊ/ जयपुर/ पुणे/ पटना/ पानीपत/ जालंधर. कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण का असर अब देश के विभिन्न राज्यों की व्यवस्थाओं पर दिखने लगा है। ज्यादातर राज्यों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई है। हालांकि, परीक्षा कार्यक्रम स्थगित नहीं किए गए हैं। इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाले गेर (जुलूस) और बजरबट्टू हास्य सम्मेलन की अनुमति प्रशासन ने रद्द कर दी है।बिहार में अनिश्चितकाल के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है। वहीं, अटारी-बाघा बार्डर से पाकिस्तानी नागरिकों और मालवाहकों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुंबई के अलाना हाउस ने नमाज पर रोक लगा दी है। दुनियाभर में जहां भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम से बचा जा रहा है, वहीं राजस्थान में नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है।यूपी में 22 मार्च तक स्कूल-कॉलेजों की छुट्टीलखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस से संक्रमित 11 मरीजों की पुष्टि हुई है। कोरोना के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी स्कूल-कॉलेज 22 मार्च तक बंद रखने का निर्णय लिया है। मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई भी नहीं होगी। जिन विद्यालयों में परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, वे जारी रहेंगी। सीएम योगी ने कहा-यूपी में अब तक कुल 11 पॉजिटव केस पाए गए हैं, जिनमें 10 का उपचार दिल्ली में व एक का केजीएमयू लखनऊ में उपचार चल रहा है। इनमें आगरा के सात, गाजियाबाद के दो और नोएडा व लखनऊ में एक-एक केस हैं। यह बीमारी पैनिक न हो, इसके लिए एपेडमिक एक्ट के तहत इसे फारवर्ड किया है। लेकिन, इसे महामारी घोषित नहीं किया गया है।एमपी में 12वीं तक के स्कूल-कॉलेजऔरसिनेमाघरबंद, हॉकी टूर्नामेंट टलाभोपाल.कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने सभी स्कूल-कॉलेजबंद कर दिए हैं। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभागरश्मि अरुण शमी ने आदेश जारी करते हुए बताया- 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं यथावत जारी रहेंगी। सिनेमाघरों को भी बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।इसके अलावा 15 मार्च से भोपाल के ऐशबाग, ध्यानचंद स्टेडियम और साई सेंटर पर होने वाले नेशनल हॉकी टूर्नामेंट को भी टाल दिया गया है।नहीं मनेगा बिहार दिवस, सभी स्कूल-कॉलेज और सिनेमाघर 31 मार्च तक बंदपटना. बिहार सरकार ने 31 मार्च तक सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों और सिनेमाघरों को बंद रखने का आदेश दिया है। सीबीएसई की परीक्षाएं जारी रहेगी। दूसरे स्कूलों में चल रही परीक्षाओं के संबंध में सरकार ने संबंधित अथॉरिटी से कहा है कि परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाने को लेकर विचार करें। 22 से 24 मार्च तक आयोजित बिहार दिवस कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया गया है। बिहार से लगी नेपाल सीमा पर कड़ी चेकिंग का आदेश दिया गया है। सरकारी कर्मियों को अल्टरनेट-डे बुलाने पर विचार हो रहा है। ज्ञान भवन, एसके मेमोरियल हॉल और बापू सभागार समेत सभी हॉल में आयोजित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। 31 मार्च तक सभी तरह के कार्यक्रमों की बुकिंग पर रोक लगा दी गई है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद रखने का फैसला किया गया है। खेल और कल्चरल प्रोग्राम पर भी रोक रहेगी। म्यूजियम, चिड़ियाघर के साथ ही पटना के सभी पार्कों को भी बंद रखा जाएगा।दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स बंदनई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सभी स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स 31 मार्च तक बंद करने के आदेश जारी किए हैं।मुंबईके अलाना हाउस में नमाज बंदमुंबई. कोरोनावायरस के डर के चलते मुंबई के कोलाबा के अलाना हाउस में नमाज को बंद कर दिया गया। यह जानकारी अलाना हाउस की ओर से बयान करके दी गई। इसमें कहा गया- जब तक वायरस का असर पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता, यहां नमाज बंद रहेगी। महाराष्ट्र में अब तक 11 लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा सरकार ने भी सभी कार्यक्रम रद्द करने तथा आम आदमी से 15-20 दिन के लिए धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम टालने की अपील की है। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशन पर बना हेरिटेज संग्रहालय 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है।हरियाणा के सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेज 31 मार्च तक बंदपानीपत. हरियाणा सरकार ने कोरोनावायरस के प्रभाव के कारण प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश जारी किया है। 13 मार्च को हरियाणा हायर एजुकेशन विभाग द्वारा सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को पत्र जारी किया गया। कोरोनावायरस को महामारी घोषित करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। वहीं, रोहतक में कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में 2 हफ्ते की छुट्टी करने के आदेश दिए हैं।विदेश से लौटे चार अफसरोंको घर में रहने का आदेश, स्कूल-कॉलेजबंदचंडीगढ़/जालंधर. पंजाब सरकार ने कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते सभी सरकारी तथा प्राइवेट स्कूल कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी 31 मार्च तक बंद करने का फैसला किया है। यह जानकारी उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने दी है। प्रदेश में अभी तक सिर्फ एक ही केस पॉजिटिव आया है, लेकिन, इसके बावजूद ऐहतियात बरता जा रहा है। इस फैसले का असर परीक्षाओं पर नहीं होगा। परीक्षाएं चलती रहेंगी। कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए विदेश से लौटे दो आईएएस और दो आईपीएस अधिकारियों को 14 दिन तक अपने घरों में रहने के आदेश दिए हैं। इनमें मोहाली के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) गिरीश दयालन, फतेहगढ़ साहिब की एसएसपी अमनीत कौंडल, संगरूर के एसएसपी संदीप गर्ग और पटियाला डेवलपमेंट अथॉरिटी की मुख्य प्रशासक सुरभि मलिक शामिल हैं।अटारी-वाघा बार्डर के जिरए नहीं आ सकेंगे पाकिस्तानीअमृतसर. कोरोनावायरस से बचाव के लिए एहतियातन देश में विदेशियों के प्रवेश पर लगाई गई रोक शुक्रवार से प्रभावी कर दी गई है। अटारी-वाघा बार्डर से आने वालों पर भी रोक लग गई है। इनमें पाकिस्तानी नागरिकों के अलावा अफगानिस्तान से माल लेकर आने वाले ट्रक ड्राइवर भी शामिल रहेंगे। कस्टम विभाग का कहना है- सरकार की एडवाइजरी का पालन किया जा रहा है। गुरुवार को अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट लेकर आखिरी 12 गाड़ियों को आईसीपी के जरिए भारत लाया गया। इसके साथ ही 90 यात्री पाकिस्तान से यहां पहुंचे। इनमें ज्यादातर पाकिस्तानी हिंदू हैं।छत्तीसगढ़ में स्कूल-कॉलेज बंद, हॉस्टल खाली कराया; परीक्षाएं जारी रहेंगेरायपुर. देश में कोरोनावायरस के चलते छत्तीसगढ़ में सभी स्कूल, कॉलेज 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। बोर्ड की परीक्षाएं यथावत चलती रहेंगी। कॉलेज की परीक्षाओं को भी स्थगित नहीं किया गया है, लेकिन प्रशिक्षण से संबंधित सारे सेंटर इस दौरान बंद रहेंगे। इसी तरह दिल्ली से लौटीं दो छात्राओं में सर्दी-खांसी की शिकायत मिली तो हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल खाली करवा दिया और 18 मार्च तक छुट्टी का ऐलान किया। स्टूडेंट्स की घर वापसी के लिए यूनिवर्सिटी ने बसें भी लगवा दीं। हालांकि जांच में दोनों छात्राओं के सैंपल नेगेटिव निकले।राजस्थान में नगर निगम चुनाव की अधिसूचनाजयपुर. दुनियाभर में महामारी घोषित हो चुके कोरोनावायरस से राजस्थान अछूता नहीं है। कोरोना के कारण दुनियाभर में भीड़भाड़ वाले समारोह व कार्यक्रम स्थगित किए जा रहे हैं, वहीं राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयोग ने जयपुर सहित तीन शहरों के 6 निगमों के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जयपुर, जोधपुर और कोटा में पिछले साल अक्टूबर में नव सृजित 2-2 नगर निगमों में वार्ड पार्षदों के लिए 5 अप्रैल को एक साथ वोटिंग कराई जाएगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Coronavirus Jaipur, Pune, Patna, Updates: Schools, Colleges, Closed In UP Lucknow, Rajasthan Nagar Nigam Election 2020 Notification Full Article
amp महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए 'दिशा एक्ट' लागू करने की तैयारी, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया By Published On :: Sat, 14 Mar 2020 11:23:34 GMT मुंबई. महिलाओं के खिलाफहोने वाले अपराध को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसमें आंध्रप्रदेशमें लागू हुए 'दिशा एक्ट' जैसे कानून को पास किया जाएगा। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शनिवार को यह जानकारी दी। दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलतेइस बार तय समय से पहले शनिवार कोविधानसभा का बजट सत्र खत्म कर दिया जा रहा है। पहले यह 20 मार्च तक चलने वाला था। गृह मंत्री अनिल देशमुखने कहा, 'कोरोना वायरस संकट के कारण, हमें विधानसभा के बजट सत्र में कटौती करनी होगी। विधेयक को मंजूरी देने के लिए हम कोरोना वायरस का संकट समाप्त होने के बाद दो दिन का सत्र बुलाने पर विचार कर रहे हैं।'देशमुख ने कहा, 'हम अधिनियम का अध्ययन करने के लिए आंध्र प्रदेश गए थे और इस पर गौर करने के लिए एक टीम बनाई गई है। हम जल्द ही विशेष सत्र के बारे में कार्यक्रम की घोषणा करेंगे।'उद्धव ने वर्धा की घटना के बाद कड़े कानून लागू करने की बात कही थीफरवरी में महाराष्ट्र के वर्धा में एकतरफा प्यार में जिंदा जलाई गई महिला लेक्चरर की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जल्द ही एक ऐसे कानून बनेगा, जिसमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सजा के कड़े प्रावधान होंगे। माना जा रहा है कि 'दिशा कानून' उसी ओर सरकार का बढ़ाया एक कदम है।क्या है दिशा एक्ट?साल 2019 में आंध्रप्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश क्रिमिनल लॉ संशोधन बिल (आन्ध्र प्रदेश दिशा बिल, 2019 अथवा दिशा बिल) को पारित किया था। इस बिल के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस बिल के मुताबिक मामला दर्ज होने के21 दिन के भीतर ही सजा दी जाएगी।इसमेंदुष्कर्मऔरतेजाब हमलों जैसे अपराधों मेंमृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।दिशा के तहतबच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के अपराधों के लिए दोषियों को 10 से 14 वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों के विरुद्ध भी कड़ी कारवाई की जायेगी जो सोशल मीडिया पर महिलाओं के विरुद्ध अभद्र पोस्ट अपलोड करते हैं, इस मामले में पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की जेल की सज़ा तथा दूसरीबार अपराध करने वाले व्यक्ति को चार वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Uddhav Thackeray Minister Anil Deshmukh On Vidhan Sabha Special Session Over Crimes Against Women In Mumbai Maharashtra Full Article
amp कबूतर न रह जाएं भूखे, इसलिए एक कपल ने तोड़ा 'जनता कर्फ्यू' By Published On :: Sun, 22 Mar 2020 10:37:00 GMT पुणे. शहर के सभी इलाके 'जनता कर्फ्यू' के चलते लॉकडाउन हैं। सड़कों पर न के बराबर लोग नजर आ रहे हैं। इस बीच पुणे में एक कपल शहर के कसबापेठ इलाके में कबूतरों को खाना खिलाता नजर आया। इस कपल ने कबूतरों को दाना खिलाने के लिए पुलिसवालों से स्पेशल मंजूरी भी ली थी।25 साल से खिला रहे हैं दानाकसबापेठ में रहने वाले अमित पिछले 25 साल से लगातार कबूतरों को दाना खिला रहे हैं। वे हर दिन मॉर्निंग वाक पर अपनी पत्नी के साथ जाते हैं और सैंकड़ों कबूतरों को दाना खिलाते हैं। अमित ने बताया कि 'जनता कर्फ्यू' में इंसानों ने अपने खाने का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन मेरे भोजन की आस में बैठे ये कबूतर कैसे दाना चुगते। इसलिए मैंने इन्हें आज भी दाना खिलाने के लिए यह जनता कर्फ्यू में भी बाहर आने का निर्णय लिया। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today पिछले 25 साल से हर दिन यह कपल इसी तरह कबूतरों को दाना खिला रहा है। Full Article
amp आज सड़कों पर नजर आई भारी भीड़, संजय राउत बोले-पीएम मोदी ने इसे 'त्यौहार' बना डाला, सरकार गंभीर होगी, तभी जनता गंभीर होगी By Published On :: Mon, 23 Mar 2020 07:10:00 GMT मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन के बाद रविवार को पूरे राज्य में सुबह 7 बजे से शाम 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' लगा। लोगों ने घरों से बहार नहीं निकलकर इसे सफल बनाने का प्रयास किया। हालांकि, सोमवार को स्थिति इसके विपरीत नजर आई। पूरे राज्य में धारा 144 लागू होने के बावजूद कई शहरों में सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ नजर आई। मुंबई एक वेस्टर्न-एक्सप्रेसवे पर भी भारी संख्या में लोग सड़कों पर नजर आये। इसमें ज्यादातर वे लोग थे जो बंदी के चलते घरों का राशन खरीदने के लिए बाहर निकले थे।सरकार गंभीर, तभी जनता होगी गंभीर'जनता कर्फ्यू' के मुद्दे पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र पर निशाना साधा है। सोमवार को ट्वीट कर संजय राउत ने लिखा,'हमारे प्रधानमंत्री की चिंता है की,'लॉकडाऊन' को अभी भी लोग गंभीरता से नहीं ले रहे है। प्रिय प्रधानमंत्री जी, आपने डर और चिंता के माहोल मे भी 'त्यौहार' जैसी स्थिती पैदा कर दि तो ऐसा ही होगा। सरकार गंभीर होगी, तो जनता गंभीर होगी। जय हिंद, जय महाराष्ट्र'आज की भीड़ से पीएम हुए नाराज आज सड़कों पर आई भीड़ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाराजगी व्यक्त की है। पीएम मोदी ने सोमवार को ट्वीट करके कहा है कि लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वे नियमों और कानूनों का पालन करवाएं।##मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे बंद भीड़ को रोकने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे को सरकार ने अगले आदेश तक बंद रखने का फैसला किया है। यह देश का सबसे पहला एक्सप्रेसवे हैं। आम दिनों में यहां लगभग हर दिन दो से पांच किलोमीटर का जाम लगता है।महाराष्ट्र के ये जिले लॉकडाउनकोरोना के बढ़ते केसों के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने अहमदनगर, औरंगाबाद, मुंबई, नागपुर, मुंबई सब-अर्ब, पुणे, रत्नागिरी, रायगढ़, ठाणे, यवतमाल जिलों को लॉकडाउन कर दिया है। यानी जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद है।महाराष्ट्र में कहां-कितने करोनावायरस संक्रमितकुल संख्या-89 जिले संक्रमित पिंपरी 12 पुणे 16 मुंबई 39 नागपुर 04 यवतमाल 03 नवी मुंबई 03 कल्याण 04 अहमदनगर 02 रायगढ़ 01 ठाणे 01 उल्हासनगर 01 औरंगाबाद 01 रत्नागिरी 01 Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today मुलुंड टोल नाके पर लगा गाड़ियों का लंबा जाम। Full Article
amp कोरोना की पहली स्‍वदेशी टेस्टिंग किट के कमर्शियल प्रोडक्शन को मंजूरी, दावा- इससे प्राइवेट लैब में एक दिन में 1000 टेस्ट हो सकेंगे By Published On :: Tue, 24 Mar 2020 10:31:09 GMT पुणे. शहर की मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस कंपनी कोकोविड-19 (कोरोनावायरस) की टेस्ट किट के लिए सोमवार को कमर्शियलप्रोडक्शन की अनुमति मिल गई। परमिशन पाने वाली यह देश की पहली कंपनी है। कंपनी ने बताया कि कोरोनावायरस की जांच करने वाली उसकी ‘मायलैब पैथोडिटेक्ट कोविड-19 क्वॉलिटेटिव पीसीआर किट’ को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अनुमति दीहै।कंपनी का दावा है कि वे एक टेस्टिंग किट से 100 लोगों की जांच कर सकते हैं। इसके बाजार में आ जाने से एक प्राइवेट लैब में दिन में कोरोना के एक हजार टेस्ट किए जा सकेंगे। अभी एक लैब में औसतन दिनभर में 100 नमूनों की कोरोना जांच हो पाती है।'मेक इन इंडिया' है यह किटकंपनी के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल ने कहा, 'स्थानीय और केंद सरकार से मिले सहयोग और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए उसने कोविड-19 की जांच के लिए एक किट तैयार की है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है। कोरोना वायरस की जांच किट को स्थानीय स्तर पर बनाने से इसकी मौजूदा लागत घटकर एक चौथाई रह जाएगी।'ब्लड जांच से लेकर एचआईवी जांच के लिए किट बना चुकी है मायलैबमायलैब वर्तमान में ब्लड बैंकों, अस्पतालों, एचआईवी जांच की किट बनाती है।मायलैब के कार्यकारी निदेशक शैलेंद्र कावडे ने कहा- हम अपने देश को अत्याधुनिक तकनीक, उचित और सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। चूंकि यह परीक्षण संवेदनशील तकनीक पर आधारित है, इसलिए प्रारंभिक चरण के संक्रमण का भी पता लगाया जा सकता है। इस किट से की गई जांच के परिणाम काफी सटीक हैं।कोरोना जांच के मामले में भारत सबसे पीछेवर्तमान में, भारत प्रति मिलियन जनसंख्या पर किए गए परीक्षण के मामले में सबसे नीचे है। यह आंकड़ा सिर्फ6.8 काहै। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिएभारत सरकार ने जर्मनी से लाखों टेस्टिंगकिट आयातकी हैं। मायलैब का दावा है कि आने वाले समय मेंएक हफ्ते में एक लाख किट का बनाई जा सकेंगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today कोरोना टेस्टिंग की एक किट में 100 मरीजों की जांच हो सकती है। इसे किट को बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि वह एक हफ्ते में एक लाख किट बना सकती है। Full Article
amp 'Play It Loud: Instruments of Rock & Roll' exhibit set to launch at New York's 'Met' Museum By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 02 Apr 2019 09:15:44 +0530 It's only 'Rock and Roll,' but one of the world's preeminent museums likes it; New York's Metropolitan Museum of Art will display instruments from Chuck Berry, The Rolling Stones, Kurt Cobain, Lady Gaga and more until October 1. Rough Cut. (No Reporter Narration.) Full Article
amp Lego-based robot sanitizer created at refugee camp By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 16:42:20 +0530 Refugees at the Zaatari camp in Jordan have designed a robot prototype made from LEGOs, which automatically dispenses sanitizer to avoid contact with the bottle and help prevent the spread of the coronavirus. Full Article
amp Lego-based robot sanitizer created at refugee camp By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 16:44:19 +0530 Refugees at the Zaatari camp in Jordan have designed a robot prototype made from LEGOs, which automatically dispenses sanitizer to avoid contact with the bottle and help prevent the spread of the coronavirus. Full Article
amp Trade worries drive Dow, S&P down By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 07 May 2020 03:10:20 +0530 The S&P 500 and the Dow fell on Wednesday but the Nasdaq ended higher. The indexes pulled back late in the session after U.S. President Donald Trump said China may or may not keep a trade deal between the two countries. Fred Katayama reports. Full Article
amp H&M's sales tumble as stockpiles grow By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 07 May 2020 21:13:19 +0530 H&M, the world's second-biggest fashion retailer, said local currency sales have tumbled 57% since the start of March compared with a year ago. Ciara Lee reports Full Article
amp Queen say 'You Are The Champions' to health workers By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 01 May 2020 12:48:19 +0530 Rock band Queen and singer Adam Lambert are raising money for health workers fighting COVID-19 with new single ''You Are The Champions." Ryan Brooks reports. Full Article
amp जेएनयू पहुंचने वाले दिन दीपिका की सर्च बढ़ी, लेकिन हफ्ते भर के ट्रेंड्स में 'छपाक' से आगे रही 'तानाजी' By Published On :: Mon, 13 Jan 2020 13:10:59 GMT सोशल मीडिया डेस्क. 7 जनवरी को दीपिका पादुकोण जेएनयू कैंपस में चल रहे प्रदर्शन में छात्रों कासमर्थन करने पहुंची थीं। इसके बाद से ही वे और उनकी फिल्म छपाक सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गए। कुछ यूजर्स ने इसे पब्लिसिटी स्टंट बताया, तो कुछ ने साहसी कदम। हालांकि बीते 7 दिनों के गूगल के आंकड़े बताते हैं कि दीपिका की छपाक के मुकाबले अजय की तानाजी को ही यूजर्स ने ज्यादा सर्च किया।शुक्रवार को दोनों फिल्मों के रिलीज होने के बाद से तानाजी सर्चिंग में लगातार छपाक से आगे बनी हुई है। दीपिका की सर्चिंग सिर्फ 7 जनवरी की रात बढ़कर 47 पॉइंट पर पहुंची थी। इसके बाद उनकी और छपाक कीसर्चिंग कम हो गई। दूसरी तरफ, तानाजी की सर्चिंग रविवार को 100 पॉइंट पर पहुंच गई। हमने गूगल ट्रेंड्सपर पिछले एक हफ्ते (7 से 13 जनवरी) के आंकड़े खंगाले और पता किया कि तानाजी, छपाक, दीपिका और अजय को लेकर यूजर्स ने गूगल से क्या पूछा।बीते 7 दिनों में सबसे ज्यादा सर्चिंग तानाजी कीजेएनयू में दीपिका के जाने के बाद से वे मीडिया में छाईं हुईं थीं, लेकिन सोशल मीडिया पर ज्यादा सर्चिंग उनकी फिल्म छपाक नहीं बल्कि तानाजी की हो रही थी। बीते 7 दिनों में तानाजी को 30 पॉइंट, छपाक को 22 पॉइंट, दीपिका पादुकोण को 17 पॉइंट और अजय देवगन को 15 पॉइंट सर्च किया गया। तानाजी को 11 जनवरी को 89 पॉइंट, 12 जनवरी को 100 पॉइंट और 13 जनवरी को 83 पॉइंट सर्च किया गया। वहीं, छपाक की अधिकतम सर्चिंग 10 जनवरी को 85 पॉइंट तक पहुंची।तानाजी को सर्च करने वाले टॉप-5 राज्य राज्य प्रतिशत दमन और दीव 64 दादरा और नागर हवेली 64 महाराष्ट्र 49 गोवा 44 गुजरात 39 छपाक को सर्च करने वाले टॉप-5 राज्य राज्य प्रतिशत पुडुचेरी 47 सिक्किम 46 नगालैंड 41 त्रिपुरा 38 उत्तराखंड 35 तानाजी का कलेक्शन जानने की उत्सुकता रहीयूजर्स की सबसे ज्यादा क्वेरीज तानाजी काकलेक्शन जानने को लेकर (100 पॉइंट) आईं। इसके बाद तानाजी रिव्यू, छपाक, तानाजी मूवी, बॉक्स ऑफिस, टुकड़े-टुकड़े गैंग, जेएनयू प्रोटेस्ट, दीपिका पादुकोण, जेएनयू जैसे कीवर्ड्स से सर्चिंग की गई। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Deepika Padukone Tanaji | Topped Google Search Terms, Twitter Trends Updates; Deepika Padukone Chhapaak Film, Ajay Devgan Tanaji Movie Full Article
amp भारतीय सड़कों पर 1972 में पहली बार दौड़ा था चेतक, लोग कहने लगे थे 'हमारा बजाज' By Published On :: Wed, 15 Jan 2020 06:27:17 GMT ऑटो डेस्क. भारतीय ऑटो बाजार में बजाज चेतक की आज फिर से वापसी हो चुकीहै। 70, 80 और 90 के तीन दशकों तक इस स्कूटर ने बाजार के साथ लोगों के दिलों पर भी राज किया है। 2000 के बाद ये नए जमाने के स्कूटर्स के साथ दौड़ में पीछे रहने लगा। 2005 में कंपनी ने इसके प्रोडक्शन पर रोक लगा दी। हालांकि, 14 साल बाद एक बार फिर ये लोगों के दिलों पर राज करने के लिए तैयार है। इसकी वापसी इलेक्ट्रिक वैरिएंट के साथ हुईहै। तो चलिए चेतक की वापसी पर इसके इतिहास पर एक बार फिर नजर डालते हैं।बजाज ऑटो ने चेतक को 1972 में भारतीय सड़कों पर उतारा था। इसका डिजाइन वेस्पा स्प्रिंट से और नाम महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक से लिया था। 1972 में चेतक की 1000 यूनिट का लॉट बाजार में आया था और इसकी कीमत 8 से 10 हजार के बीच थी। लॉन्चिंग के साथ ही ये भारतीय बाजार में हिट हो गया और देखते ही देखते इसकी डिमांड बढ़ती चली गई। बढ़ती लोकप्रियता के चलते कंपनी ने इसे 'हमारा बजाज' की टैग लाइन दे दी। पहले इसकी डिलीवरी के लिए 3 महीने का इंतजार करना पड़ता था। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो एक वक्त ऐसा भी आया था जब इसकी डिलीवरी के लिए 20 महीने का इंतजार भी करना पड़ा।1977 में कंपनी ने पहली बार चेतक की 1 लाख यूनिट बेचीं।वहीं, 1986 में ये आंकड़ा 8 लाख पहुंच गया। चेतक की कामयाबी काये नया रिकॉर्ड था। 90 के दशक में भी इसकी डिमांड कम नहीं हुई। कंपनी ने इस दौरान लगातार कई महीने 1 लाख यूनिट बेचीं। 2002 में चेतक की कीमत करीब 27 हजार रुपए थी, जो 2005 तक करीब 31 हजार तक पहुंच गई। चेतक की बढ़ती कीमतों का असर इसकी बिक्री पर होने लगा। वहीं, दूसरी तरफ एक्टिवा की मार्केट में पकड़ मजबूत होती चली गई। इस रेस में आखिरकार चेतक पीछे रह गया और 2005 में कंपनी ने इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया।14 साल बाद यानी 2019 में बजाज ऑटो लिमिटेड के अध्यक्ष राहुल बजाज ने चेतक की वापसी का एलान किया। इस बार कंपनी ने क अवइसका इलेक्ट्रितार दिखाया। साथ ही, इसे स्टाइलिश और नई जनरेशन की जरूरत के हिसाब से बनाया। अब चेतक नए अवतार में एक बार फिर भारतीय बाजार में आ चुका है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Bajaj Chetak | Bajaj Chetak Scooter History Old Information Updates: Almost Everything You Need to Know About [Bajaj Chetak Scooter Full Article
amp Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s: कीमत, फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस की तुलनाखुद पता लगाइए नए साल में कौन—सा फोन खरीदने में है आपका फायदा By Published On :: Thu, 16 Jan 2020 07:04:13 GMT यदि आप 15 हजार रुपए के आसपास की रेंज में सबसे अच्छा स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, तो आपके पास कई विकल्प मौजूद हैं। इन दिनों कई स्मार्टफोन कंपनियों ने मिड-रेंज सेगमेंट में कई लेटेस्ट फोन उतारे हैं। स्पेसिफिकेशंस को देखें तो हर फोन की अपनी खूबियां हैं और कमियां भी। ऐसे में आप खुद तुलना कर पता लगा सकते हैं कि आपको अपनी जरूरत के आधार पर कौन—सा फोन चुनना चाहिए। यहां हम आपकी सुविधा के लिए Honor 9X, Redmi Note 8 Pro और Samsung Galaxy M30s की तुलना कर रहे हैं, जो कि मिड—रेंज में बहुत ही बढ़िया स्मार्टफोन्स हैं। जानते हैं इनमें कौन-सा फोन आपकी जरूरतों के अनुसार बेहतर विकल्प साबित हो सकता है—Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s: कीमतजहां Redmi Note 8 Pro 17 अक्टूबर, 2019 तथा Samsung Galaxy M30s 9 नवंबर, 2019 को भारतीय बाजार में लॉन्च हुए, वहीं Honor 9X हाल ही 14 जनवरी, 2020 को भारतीय मार्केट में लॉन्च हुआ है। कीमत में तुलना करें तो HONOR 9X के शुरुआती 4GB रैम मॉडल की कीमत 13,999 रुपए है। वहीं Redmi Note 8 Pro 14,999 रुपए तथा Samsung Galaxy M30s 13,999 रुपए की शुरुआती कीमत के साथ बाजार में उपलब्ध है। Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s: डिजाइन और डिस्प्लेHONOR 9X में 3डी कर्व्ड प्लास्टिक डिजाइन है, जिसमें ग्लॉस टेक्सचर और राउंडेड एजेज हैं। सफायर ब्लू वेरियंट में लाइट के संपर्क में एक्स पैटर्न बहुत ही खूबसूरती के साथ नजर आता है। वहीं Redmi Note 8 Pro में ग्लास फिनिश तथा Samsung Galaxy M30s में प्लास्टिक फिनिश डिजाइन दिया गया है। HONOR 9X में 6.59-इंच का पॉप—अप डिस्प्ले है। जी हां, आपने सही पढ़ा! इतनी कम कीमत पर पहली बार आपको फ्रंट पॉप—अप कैमरा Honor 9X के साथ मिल रहा है। वहीं, Redmi Note 8 Pro में 6.53 इंच का ड्र्यू—ड्रॉप डिस्प्ले दिया गया है और Samsung Galaxy M30s में 6.4 इंच का यू ड्रॉप डिस्प्ले है। तीनों ही फोन्स में आपको 91 प्रतिशत या उससे अधिक का स्क्रीन टु बॉडी रेशियो मिलता है। इसके अलावा इन तीनो ही फोन्स में आपको पीछे की ओर फिंगरप्रिंट स्कैनर दिए गए हैं।Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s: परफॉरमेंसपरफॉरमेंस के मामले में HONOR 9X किरिन 710 प्रोसेसर और ओक्टाकोर सीपीयू के साथ दिया जा रहा है। इसमें 4GB/6GB रैम और 128GB स्टोरेज दी गई हैं, जो इसे फास्ट फोन बनाते हैं।Redmi Note 8 Pro हेलियो G90T और Samsung Galaxy M30s एग्जाइनॉस 9611 प्रोसेसर पर रन करते हैं। HONOR का दावा है कि उसका होमग्रोन किरिन 710 प्रोसेसर स्मार्टफोन्स में फास्ट परफॉर्मेन्स की सभी जरूरतों को पूरा करता है और इसीलिए गेमर्स का फेवरेट है।Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s: कैमराHONOR 9X में 16MP का AI pop-up कैमरा दिया गया है, जो सॉफ्ट लाइट, बटरफ्लाइ लाइट, स्कैटर्ड लाइट, स्टेज लाइट जैसे आठ अलग—अलग मोड्स पर बखूबी काम करता है। इसमें इंटेलिजेंट फॉल डिटेक्शन, डाउनलोड प्रेशर प्रोटेक्शन और डस्ट तथा स्प्लैश प्रोटेक्टशन भी दिया गया है। यानी फोन के गिरने पर आपका कैमरा बचा रहता है और दबाव, धूल व पानी के छींटों का भी कैमरे पर ज्यादा असर नहीं होता। इसके अलावा HONOR 9X में AI-इनेबल्ड ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप भी दिया गया हैं। इसमें 48MP प्राइमरी लेंस, 8MP सुपर वाइड लेंस और 2MP डेप्थ सेंसर दिया गया हैं। इसके एआइ फीचर से यह 22 अलग—अलग श्रेणियों के 500 से अधिक परिदृश्यों की सही पहचान कर सकता है। Redmi Note 8 Pro में 20MP का ड्र्यू—ड्रॉप फ्रंट कैमरा दिया गया है, वहीं 64(GM1)+8+2+2MP का रेअर कैमरा सैटअप है। इसी तरह Samsung Galaxy M30s में भी ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप मौजूद हैं। इसमें 48MP प्राइमरी लेंस, 8MP अल्ट्रा-वाइड लेंस और 5MP डेप्थ सेंसर दिया गया है। इसका फ्रंट या सेल्फी कैमरा 16MP का है।Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s: जरूरत के अनुसार फैसलाअगर आप एक बढ़िया कैमरा और परफॉर्मेंस वाला स्टाइलिश फोन तलाश रहे हैं तो HONOR 9X से अच्छा फोन इस प्राइस रेंज में नहीं मिलेगा। HONOR 9X में आपको फ्रंट कैमरा 16MP का मिलेगा, जो पॉप—अप के साथ हर किसी को अपना दीवाना बना लेगा। जबकि आपको Redmi Note 8 Pro और Samsung Galaxy M30s में पॉप अप कैमरा नहीं मिलेंगे। इसके अलावा Honor 9X का 6.59 इंच का डिस्प्ले साइज भी बाकी दो फोन से ज्यादा है। इसके अलावा आपको रोम या स्टोरेज स्पेस भी HONOR 9X में 128 जीबी की मिलेगी। जबकि Redmi Note 8 Pro और Samsung Galaxy M30s के शुरुआती फोन्स में यह 64 जीबी ही है।Honor 9X का किरिन 710 प्रोसेसर Redmi Note 8 Pro के हेलियो G90T और Samsung Galaxy M30s के एक्जाइनॉस 9611 प्रोसेसर से परफॉर्मेंस के मामले में बेहतर है। किरिन 710 प्रोसेसर के साथ HONOR 9X में गेमिंग का अनुभव भी इन दोनो ही फोन्स से बेहतर है।डालते हैं एक नजर, तीनों फोन्स के तुलनात्मक आंकड़ों पर— Honor 9X Redmi Note 8 Pro Samsung Galaxy M30s लॉन्च की तारीख 14 जनवरी, 2020 17 अक्टूबर, 2019 9 नवंबर, 2019 कीमत 13999/ 16999 14999/ 15999/17999 13999/ 16999 डिजाइन प्लास्टिक ग्लास प्लास्टिक ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड 9.0 एंड्रॉइड 9.0 एंड्रॉइड 9.0 डिस्प्ले आकार 6.59" पॉप—अप 6.53 ड्र्यू—ड्रॉप 6.4 U ड्रॉप रिजॉल्यूशन FHD+ FHD+ FHD+sAMOLED सीपीयू Kirin 710 Helio G90T Exynos 9611 फ्रंट कैमरा 16MP पॉप—अप 20MP ड्र्यू—ड्रॉप 16M ड्र्यू—ड्रॉप रेअर कैमरा 48+8+2MP 64(GM1)+8+2+2MP 48+8+5MP रैम 4/6GB 6/8GB 4/6GB रोम 128GB 64/128GB 64/128GB चार्जिंग टाइप टाइप—सी टाइप—सी टाइप—सी फिंगरप्रिंट अनलॉक पीछे की ओर पीछे की ओर पीछे की ओर स्क्रीन रेशिओ 91.0% 91.4% 91.4% Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Honor 9X vs Redmi Note 8 Pro vs Samsung Galaxy M30s Full Article
amp इवोलेट ने बनाई 100 kg वजन उठाने वाली कमर्शियल ई-बाइक, हेमामालिनी की घोड़ी पर रखा नाम 'धन्नो' By Published On :: Fri, 07 Feb 2020 15:16:42 GMT ग्रेटर नोएडा में चल रहीऑटो एक्सपो 2020 में इलेक्ट्रिक व्हीकल खूब नजर आ रहे हैं। बात लग्जरी कार की हो या फिर स्कूटर या बाइक की, लगभग सभी गाड़ियों का इलेक्ट्रिक अवतार देखने को मिल रहा है। इन कंपनियों में एक नाम हरियाणा केबिलासपुर की कंपनी इवोलेट का भी है। इवोलेट ने धन्नो नाम की कमर्शियल ई-बाइक पेश की है। ये एक्सपो में आकर्षण का केंद्र भी बनी है।इवोलेट की एमडी व सीईओ प्रेरणा चतुर्वेदी ने कहा कि हम सालाना 1 लाख ई-स्कूटर बेचने की कोशिश में हैं।इसके अलावा हम पैसेंजर व कार्गो ट्रांसपोर्टेशन में ई थ्री व्हीलर्स के जरिए कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में भी आ रहे हैं।इन योजनाओं से हमें अगले सालके आखिर तक 1000 करोड़ रुपये के टर्नओवर की उम्मीद है।'शोले' फिल्म से लिया गया है धन्नो नामफिल्म 'शोले' में बंसती तांगेवाली यानी हेमामालिनी की घोड़ी का नाम धन्नो था। धन्नो बहुत सारी सवाली और वजन उठाकर तेजी से भाग सकती थी। बस यही सोचकर इसका नाम धन्नो रख दिया गया। इस ई-बाइक की खास बात है कि आप इस पर बहुत सारा सामान लेकर आसानी से ट्रैवल कर सकते हैं।सामान के लिए मिलेगी स्पेशल ट्रेधन्नो की बैक सीट को कंपनी ने इस तरह डिजाइन किया है कि इसे खोलने के बाद एक बड़ी ट्रे बन जाती है। इस ट्रे पर ज्यादा सामान रखा जा सकता है। वहीं, फ्रंट पर बड़ा सा लेग रूम दिया है। गाड़ी के सामने एक ग्रिल डिजाइन वाली बड़ी सी ट्रे लगी है। जिसमें फल, सब्जी के साथ किराने का दूसरा सामान भी रखा जा सकता है। कुल मिलाकर धन्नो से एक बार में लगभग 100 किलो तक का सामान लाया जा सकता है।सिंगल चार्ज में80 किमी तक चलेगीधन्नो में 72 वोल्ट की बैटरी दी है, जो 3 से 4 घंटे में फुल चार्ज हो जाती है। सिंगल चार्ज के बाद इसे 80 किलोमीटर तक दौड़ाया जा सकता है। धन्नो की टॉप स्पीड 45 किमी प्रति घंटा है। इसका लुक किसी क्रूजर बाइक के जैसा है। वहीं, इसे चलाना भी बेहद आसान है।पहली बार किसी ई-बाइक 3 सस्पेंशनइस ई-बाइक को पूरी तरह कमर्शियल इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। इसी वजह से बैक साइज में 3 सस्पेंशन दिए हैं। ये पहला मौका है जब किसी कंपनी ने किसी बाइक में इतने सस्पेंशन साथ दिए हों। इसके अवाला, इसमें आगे और पीछे एलईडी लाइट्स दी हैं, जो बैटरी को बचाने का काम करती है। इसमें LEC स्क्रीन वाला इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर दिया है।कार जैसी स्मार्ट-चाबीमिलेगीधन्नो की एक खूबी इसकी स्मार्ट की भी है। कंपनी ने इसमें लॉक और अनलॉकिंग सिस्टम दिया है। यानी गाड़ी को अनॉक करके आप बिना चाबी लगाए ट्रैवल कर सकते हैं। सर्चिंग के लिए इसमें अलार्म भी मिलेगा। फिलहाल कंपनी ने इसकी कीमत का ऐलान नहीं किया है। बताया जा रहा है ऑटो एक्सपो इवेंट के दौरान भी इसकी कीमत सामने आ जाएगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Evolet created 100 kg weight e-moped, named 'Dhanno' on Hemamalini's mare in 'Sholay' Full Article
amp इवोलेट की एमडी बोली, 'धन्नो इज्जत बचाए ही नहीं, इज्जत कमाए भी'; ई-व्हीकल के इस्तेमाल से लोगों की दुविधा होगी दूर By Published On :: Mon, 10 Feb 2020 11:57:07 GMT ऑटो डेस्क. ऑटो एक्सपो 2020 में कई स्टार्टअप भी शामिल हुए हैं। इनमें एक नाम इवोलेट कंपनी का भी है। इस कंपनी को बीते साल जून 2019 में शुरू किया गया था। लगभग 8 महीने के सफर में इस कंपनी ने तेजी से अपनी पहचान बनाई है। इसकी वजह इसके लग्जरी लेकिन बजट इलेक्ट्रिक व्हीकल हैं। इवोलेट स्कूटर, बाइक, ऑटो और बस सेगमेंट के इलेक्ट्रिक व्हीकल बना रही है। इवोलेट की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रेरणा चतुर्वेदी हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर को खास इंटरव्यू में कंपनी की स्ट्रेटजी, आने वाली चुनौतियां, मार्केट शेयर जैसे कई मुद्दों पर बात की। उनसे बातचीत के कुछ अंश (वीडियो में देखें पूरी बातचीत)...सवाल : बतौर महिला इवोलेट कंपनी को शुरू करते समय मन में किसी तरह का डर था?प्रेरणा : प्रोडक्ट चलाने के लिए किसी पुरुष या महिला मायने नहीं रखता है। देश की महिलाएं सभी फील्ड में अपनी पहचान बना रही हैं। हम अभी स्टार्टअप हैं। हमारी बहुत छोटी सी कंपनी है। ऐसे में हमारे लिए अभी सबसे जरूरी है कि अपने ग्राहकों और डीलर्स के साथ एक रिश्ता कायम करें। बाकी चीजें अपनी आप बेहतर हो जाएंगी।सवाल : अभी आपकी कंपनी के कितने प्रोडक्ट आ रहे हैं?प्रेरणा : अभी हमारे पास 37 प्रोडक्ट की प्लानिंग है। ये सभी प्रोडक्ट उपलब्ध भी हैं, लेकिन हमने इसमें से बेस्ट पार्ट उठाकर अपनी एंट्री लेवल सेगमेंट में डाले हैं। ताकि ग्राहकों को सबकुछ बेहतर मिले। अभी पॉनी, पोलो और डर्बी हमारे एंट्री लेवल सेगमेंट के टू-व्हीलर हैं। हमने ग्राहकों को सभी तरह की रेंज वाले प्रोडक्ट दिए हैं। जिस ग्राहक को डेली 15 से 20 किलोमीटर का काम पड़ता है, उसके लिए हमने कीमत को कम करके बेस्ट प्रोडक्ट दिया है। हम धन्नो जैसा प्रोडक्ट भी लेकर आए। जो ग्राहकों को काफी पसंद आ रही है। धन्नो पैसे बचाए ही नहीं, पैसे कमाए भी। धन्नो इज्जत बचाए ही नहीं, इज्जत कमाए भी।सवाल : एथर, अप्रिलिया, हीरो जैसी कई कंपनियां के इ-व्हीकल को कितनी बड़ी चुनौती मानती हैं?प्रेरणा : कई बार ऐसा होता है कि जो आपकी कमजोरी होती है, वही आपकी मजबूत कड़ी बन जाती है। हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही है। हमें लगा था कि स्टार्टअप है और हमारे पास एक्सपीरियंस नहीं है, लेकिन हमारे पास सबकुछ नया है, जो हमारे लिए अच्छी बात है। जहां तक इलेक्ट्रिक व्हीकल की बात है, तो जो प्रॉब्लम हमें आएंगी वैसी ही प्रॉब्लम से दूसरी बड़ी कंपनियों को भी सामना करना पड़ेगा। ऐसे में उस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन को सबसे पहले और बेहतर तरीके से कौन खोजता है, ये बड़ी बात है। हम किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं पड़ना चाहते। हम सभी साथ मिलकर चलते हैं तब मार्केट शेयर का सवाल कभी किसी के सामने नहीं आएगा।सवाल : ई-व्हीकल की चार्जिंग रास्ते में खत्म हो जाए, तब ग्राहक क्या करेगा?प्रेरणा : इस स्थिति में हम वही करेंगे जो पेट्रोल व्हीकल के साथ करते हैं। जैसे, मान लीजिए आपके स्मार्टफोन की बैटरी खत्म हो जाए, तब हम किसी दूसरे का फोन लेकर आगे इन्फॉर्म करते हैं। या फिर पावरबैंक का इस्तेमाल करते हैं। ठीक इसी तरह यदि कभी ऐसी स्थिति बन जाती है और व्हीकल को चार्ज नहीं कर पाए, तब उसके लिए आपको एक्सट्रा बैटरी लेकर चलना होगा। वैसे, ऐप की मदद से गाड़ी की बैटरी कैपेसिटी और रेंज को हमेशा चेक करना चाहिए। जैसे-जैसे ये इंडस्ट्री ग्रोथ करेगी हो सकता है कई और समस्याएं सामने आएं। लेकिन समस्याओं का पता लगाकर इसका समाधान ढूंढा जा रहा है।सवाल : क्या स्टार्टअप की सफलता को लेकर कभी डर लगता है?प्रेरणा : ग्राहक के मन में हमेशा ये दुविधा बनी रहती है, कि मार्केट लगातार बदल रहा है। जो टेक्नोलॉजी आज काम कर रही है, वो कुछ समय में पुरानी हो जाएगी। जैसे एलसीडी कभी नया था आज उसकी जगह एलईडी ने ले ली है। अब एलईडी कितने समय बाजार में रहेगा। तो इस तरह की चुनौतियां हमेशा ही आती रहेंगी। ठीक ऐसे ही जब पहली बार कोई ग्राहक इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदेगा और उसे इस्तेमाल करेगा तभी उसके मन रा डर दूर होगा। पहले लोगों के मन में डर था, लेकिन अब जिस तरह से मार्केट में लगातार इलेक्ट्रिक व्हीकल आ रहे हैं। इससे लोगों की दुविधा खत्म हो जाएगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Auto Expo 2020; Prerana Chaturvedi, Evolte Company Managing Director Interview To Bhaskar Full Article
amp 'टेक्नो कैमॉन 15 स्मार्टफोन सीरीज लॉन्च, नाइट टाइम फोटोग्राफी के लिए मिलेगा डेडिकेटेड सुपर नाइट शॉट लेंस By Published On :: Thu, 20 Feb 2020 13:17:10 GMT गैजेट डेस्क. गुरुवार को स्मार्टफोन कंपनी टेक्नो ने भारतीय बाजार में कैमॉन 15 सीरीज लॉन्च की। इसमें दो मॉडल कैमॉन 15 और कैमॉन 15 प्रो शामिल हैं। यह कंपनी का कैमरा सेंट्रिक बजट स्मार्टफोन है, जिसमें नाइट टाइम फोटोग्राफी करने के लिए खास फीचर्स दिए गए हैं। कंपनी के बताया कि इसमें लगा सुपर नाइट शॉट लेंस डीएसपी एआई चिप से लैस है, जो रात में फोटोग्राफी करते समय पर्याप्त रोशनी देता है। कैमॉन 15 की कीमत 9,999 रुपए है और कैमॉन 15 प्रो की कीमत 14,999 रुपए है। दोनों मॉडल के साथ 3499 रुपए का कॉम्प्लिमेंट्री स्पीकर मुफ्त दिया जा रहा है।टेक्नो कैमॉन 15: बेसिक स्पेसिफिकेशन डिस्प्ले साइज 6.55 इंच डिस्प्ले टाइप डॉट-इन पंच-होल डिस्प्ले रैम 4 जीबी स्टोरेज 64 जीबी रियर कैमरा 48MP(मेन कैमरा)+5MP(अल्ट्रा-वाइड लेंस)+ QVGA डेप्थ सेसिंग लेंस फ्रंट कैमरा 16MP पंच होल कैमरा बैटरी 5000 एमएएच कीमत 9999 रुपए कलर शोअल गोल्ड, फैक्सिनेटिंग पर्पल, डार्क जेड टेक्नो कैमॉन 15 प्रो: बेसिक स्पेसिफिकेशन डिस्प्ले साइज 6.55 इंच डिस्प्ले टाइप फुल एचडी प्लस, 2340x1080 पिक्सल डिस्प्ले प्रोसेसर 2.35 गीगाहर्ट्ज ऑक्टा-कोर पी35 प्रोसेसर रैम 6 जीबी स्टोरेज 128 जीबी रियर कैमरा 48MP(मेन कैमरा)+5MP(अल्ट्रा-वाइड लेंस)+ QVGA डेप्थ सेसिंग लेंस+ सुपर नाइट शॉट लेंस फ्रंट कैमरा 32MP पॉप-अप कैमरा बैटरी 4000 एमएएच बैटरी सिक्योरिटी फिंगरप्रिंट स्कैनर और फेस अनलॉक कीमत 14999 रुपए कलर आइस जेडिएट, ओपल व्हाइट Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Camon 15 Smartphone Series Launched, Dedicated Super Night Shot Lens for Night Time Photography Full Article
amp टोयोटा ने पेश की खुद से चार्ज होने वाली हाइब्रिड इलेक्ट्रिक ‘वेलफायर’, कीमत 79.5 लाख रुपए By Published On :: Thu, 27 Feb 2020 04:35:00 GMT ऑटो डेस्क. टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने अपने हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन ‘वेलफायर’ को बुधवार को भारतीय बाजार में पेश किया। कंपनी की यह लग्जरी कार खुद चार्ज होती है। यह कार ईंधन खपत के साथ ही कार्बन उत्सर्जन भी कम करती है। इसमें ढाई लीटर के चार सिलेंडर वाला गैसोलिन हाइब्रिड इंजन है जो 115 एचपी की क्षमता प्रदान करता है।कंपनी ने कहा कि वेलफायर इंजन में दो इलेक्ट्रिक मोटर और एक हाइब्रिड बैटरी भी है जो उत्सर्जन को कम करती है। कंपनी के एसवीपी नवीन सोनी के अनुसार नई वेलफायर की देशभर के शोरूम में कीमत 79.5 लाख रुपए है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Toyota Vellfire launched: Big brother of Innova Crysta is priced at Rs. 79.5 lakh Full Article
amp म्यूजिक लवर्स के लिए U&i ने साउंडबार, हेडफोन समेत 5 प्रोडक्ट्स किए लॉन्च, शुरुआती कीमत 299 रुपए By Published On :: Mon, 02 Mar 2020 13:22:00 GMT गैजेट डेस्क. टेक एक्सेसरीज बनाने वाली कंपनी यू एंड आई ने भारतीय बाजार में कई लाइफस्टाइल प्रोडक्ट पेश किए हैं। इसमें पिकअप साउंडबार, पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर, स्लीपी ब्लूटूथ हेडफोन, लैम्प एंड क्रोक यूएसबी केबल जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। इन प्रोडक्ट की शुरुआती कीमत 299 रुपए है। बता दें कि लॉन्चिंग इवेंट में बॉलीवुड एक्ट्रेस अदा शर्मा भी मौजूद रहीं।यू एंड आई के प्रोडक्ट्स की कीमतें1. पिकअप साउंडबार की कीमत 2,499 रुपए2. लॉकर पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर की कीमत 2,499 रुपए3. स्लीपी ब्लूटूथ हेडफोन की कीमत 2,899 रुपए4. स्ट्रॉन्ग पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर की कीमत 1,599 रुपए5. लैम्प एंड क्रॉक डाटा केबल की कीमत 299 रुपएलॉकर पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर: इसमें 1200mAh की बैटरी दी है। कंपनी का कहना है कि ये क्रिस्टल क्लियर म्यूजिक क्वालिटी के साथ आता है। इसमें ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के साथ USB केबल, TF कार्ड, FM रेडियो और ऑक्स केबल कनेक्टिविटी दी है।पिकअप साउंडबार: इसमें भी 1200mAh की बैटरी दी है। कंपनी का कहना है कि साउंडबार की मदद से म्यूजिक और मूवीज देखने का एक्सपीरियंस बेहतरहोगा। इसमें ब्लूटूथ 5.0 दिया है, जिसकी मदद से इसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट के साथ कनेक्ट कर सकते हैं।स्लीपी हेडफोन: ये हेडफोन ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के साथ आते हैं। इसमें 200mAh की बैटरी दी है। कंपनी का कहना है कि सिंगल चार्ज पर इसे 6 से 7 घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है।स्ट्रॉन्ग पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर: इसमें 8 वॉट का साउंड आउटपुट दिया है। इसमें 500mAh की रिचार्जेबल बैटरी दी है। जिसे माइक्रो यूएसीबी केबल की मदद से कहीं भी चार्ज किया जा सकता है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today U&i Launched New Range of Products Like Soundbar, Headphones, Speakers and USB Cables; Price Range Start Just Rs. 299 Full Article
amp Golf-PGA Championship venue Harding Park reopening on Monday By feeds.reuters.com Published On :: Mon, 04 May 2020 00:41:54 +0530 The Harding Park golf course which is scheduled to host the PGA Championship in August will reopen on Monday. Full Article golfNews
amp Golf-2020 World Amateur Team Championships cancelled due to COVID-19 pandemic By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 19:35:16 +0530 This year's World Amateur Team Championships (WATC), scheduled for October, have been cancelled due to the COVID-19 pandemic, the International Golf Federation (IGF) said on Tuesday. Full Article golfNews
amp Golf-Pandemic leads R&A to break with tradition over captaincy By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 07 May 2020 01:17:31 +0530 The COVID-19 pandemic has led the Royal & Ancient Golf Club of St Andrews to break with tradition and nominate, for only the second time in 266 years, its captain to serve for two successive terms. Full Article golfNews
amp 'Twilight' prequel book coming, written from vampire Edward's perspective By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 05 May 2020 17:58:25 +0530 Author Stephenie Meyer thrilled fans of her best-selling "Twilight" novels on Monday by announcing she will release a prequel that explores the characters' love story from the perspective of vampire Edward Cullen. Full Article hollywood
amp People for Animals in Pune to set up camps to promote veganism By www.dnaindia.com Published On :: Thu, 03 Sep 2015 12:09:00 GMT PFA has been working for issues like cruelty against animals and in the next 10 days, they will make people understand the concept of veganism and how it prevents hurting animals. Full Article Pune
amp Gujarat Day 2020: History, significance & more By www.dnaindia.com Published On :: Fri, 01 May 2020 03:22:00 GMT It was on this day in 1960 that the erstwhile state of Bombay was divided on linguistic basis and two states namely Gujarat and Maharashtra came into existence. Full Article India Ahmedabad
amp The JNU & Jamia Hypocrisy By www.dnaindia.com Published On :: Tue, 14 Jan 2020 09:48:00 GMT Which university or administration or government in the world, will tolerate vandalism of state property, rioting, arson, and loot, in the guise of "peaceful protests"? Even in America, the mecca of free speech, students at Columbia University, faced strict disciplinary action, when they sought to disrupt an address by Tommy Robinson, who has stood up against radicalised Islam, over the years. Full Article Analysis
amp FOE, CAA, Shaheen Bagh & New India By www.dnaindia.com Published On :: Wed, 26 Feb 2020 10:15:00 GMT The violent "anti CAA" protests in Shaheen Bagh, Chand Bagh, Jaffrabad Karawal Nagar and Maujpur, are not the first instance where large sections of Indian media and academia have abdicated their responsibilities. Full Article Analysis
amp India lockdown: A tale of two leaders - The PM & a CM By www.dnaindia.com Published On :: Mon, 30 Mar 2020 16:35:00 GMT The super-efficient Modi government is leaving no stone unturned in ensuring free food, water and shelter to the landless daily wage earners, across the length and breadth of the country. Full Article Analysis