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तेलंगाना से विशेष ट्रेन से छपरा आए 1250 प्रवासी 14 काउंटरों पर स्क्रीनिंग कर भेजा गया गृह जिला

लगातार दूसरे दिन श्रमिक स्पेशल ट्रेन छपरा जंक्शन पहुंची। कल सूरत से पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन आयी थी और गुरुवार को तेलंगाना से आयी। सर्वप्रथम डीएम और एसपी के द्वारा ट्रेन की सबसे पिछली बोगी तक जाकर निकलने वाले सबसे पहले व्यक्ति का स्वागत किया गया। इसके बाद बारी-बारी से लोगों के उतरने का सिलसिला शुरू हुआ। लोगों ने अपने धैर्य का परिचय दिया और सभी प्रक्रियाओं का समुचित रूप से पालन किया।

प्लेटफार्म पर ही लोगों को और उनके बैग या थैले को सेनेटाइज किया गया। इसके लिए टीम लगी हुयी थी। प्लेटफार्म से बाहर निकलने पर सभी की स्क्रीनिंग की गयी जिसके लिए 14 काउंटर बनाये गये थे और सभी काउंटर पर दो-दो प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी लगाये गये थे। इसके बाद सभी लोगों को जिला प्रशासन द्वारा तैयार कराए गए फूड पैकेट्स और पानी का बोतल दिया गया। बच्चों को अलग से बिस्किट, टाॅफी और कुरकुरे का पैकेट दिया गया उसके बाद लोगों को उनके गंतव्य के जिलों में बसों के माध्यम से भेज दिया गया।
इलाहाबाद से पहुंचे साइकिल से मिस्कारी टोला गाव के प्रवासी
बनियापुरप्रखंड के कन्हौली मनोहर पंचायत के मिस्कारी टोला गांव में 18 प्रवासी इलाहबाद से साइकिल से गांव पहुंचे जहां गांव वालों द्वारा हो हल्ला मचाने पर गांव के मदरसा को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया है। जहां क्वारेंटाइन सेटर में प्रवासी मुन्ना मोहम्मद सहित सभी प्रवासियों ने बताया कि हम सभी इलाहबाद मेला में सदियों से बांसुरी बेचने के काम से जाते रहे है जहां लॉक डाउन के वजह से मेले में फंस गए।
जिसके बाद रहने खाने की समस्या विकट हो गयी। जहां तहां लम्बे लाक डाउन से स्थित दयनीय होने के बाद सइकिल से ही हम लोग 18 आदमी एक साथ घर के लिए रवाना हो गए। बनियापुर पहुंचने पर स्थानीय मुखिया के द्वारा थाना और अस्प्ताल भेजे गए। जहां जांचोपरांत प्रखंड क्वारें टाइन सेंटर भेजा गया।परन्तु पैदल और बिना रजिस्ट्रेशन के मजदूरों का व्यवस्था नहीं होने पर कहा गया कि गाव से दो सौ मीटर की दुरी पर आईसोलेट किए जाने को कहा गया।तब हम लोगो ने गांव के मदरसा को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने का फैसला किया जो गाव से अलग है। घर से खाना माँगकर खाते है।

फूलों से सजाया गया था स्टेशन
छपरा जंक्शन पर काफी अच्छी व्यवस्था की गयी थी। रेलवे स्टेशन को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया था। प्रवासी यात्री छपरा पहुंचकर काफी खुश दिखे। आगंतुकों के द्वारा यहां की गयी व्यवस्था को काफी अच्छा बताया गया।
सबसे अधिक मधुबनी के थे
छपरा आए 1250 लोगों में सबसे अधिक मधुबनी के 723, सीवान के 264 तथा सारण जिला के विभिन्न प्रखंडों के 263 व्यक्ति शामिल थे।
54 सैंपल जांच के लिए भेजा गया
डीएमने बताया कि बाहर से आये हुए प्रवासियों का 54 सैंपल जांच के लिए भेजा गया है तथा सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया है कि क्वारेंटाइन कैंप में रह रहे एवं आने वाले प्रवासियों में सभी बुजुर्ग व्यक्तियों तथा इन्फ्लूएंजा के लक्षण वाले व्यक्तियों का सैंपल लेकर जांच करा ली जाए।

कौन-कौन दुकानें कब खुलेगी
डीएम ने बताया कि ऑटोमोबाईल्स, टायर एवं ट्यूब्स, लुब्रीकेन्ट की दुकान सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को, सीमेंट, स्टील, बालू, स्टोन, गिट्टी सीमेंट ब्लाॅक, ईट, प्लास्टिक पाईप, हार्डवेयर, सैनिटरी फिटिंग, लोहा, पेंट, शटरिंग सामग्री की दुकाने 10ः00 से 1ः00 बजे तक प्रतिदिन, ऑटोमोबाईल, स्पेयर पाटर्स की दुकानें 9ः00 बजे से 2ः00 बजे तक केवल सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को, गैरेज, साईकिल, मोटर साईकिल मरम्मत एवं वर्कशॉप 9ः00 बजे से 2ः00 तक केवल सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को, इलेक्ट्रिक गुड्स पंखा, कुलर विक्रय व मरम्मत 3ः00 बजे से 6ः00 बजे तक केवल मंगलवार, गुरुवार व शनिवार को, इलेक्ट्रिाॅनिक गुड्स-यथा, मोबाईल, कम्प्यूटर, लैपटाॅप, युपीएस एवं बैट्री की विक्रय एवं मरम्मत 3 बजे से 6 बजे तक केवल मंगलवार, गुरुवार, एवं शनिवार को, हाई सेक्युरिटी रजिस्ट्रेशन पलेट की दुकान 11 बजे से 2ः00 तक प्रति दिन खुलेगी लेकिन इसके लिए जिला परिवहन पदाधिकारी, सारण से अनुमति प्राप्त कर जिला में केवल एक सेंटर खोला जाना है। प्रदूषण जांच केन्द्र 11 बजे से 2 बजे तक प्रतिदिन, सैलून, स्पा 7 बजे से 11ः00 बजे तक केवल रविवार, सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को दुकान खुलेगी।

सुबह-शाम कराया जाएगा योगाभ्यास: डीएम
इस अवसर पर मीडिया से वार्ता में डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि आये हुए सभी लोगों को उनके गृह जिला में भेजा जा रहा है जहाँ से उन्हें उनके गृह प्रखंड में बनाए गये क्वारें टाइन कैम्प में रखा जाएगा। सारण जिला में भी जो 263 लोग आज तेलंगाना से आये है उन्हें भी उनके गृह प्रखंड में बनाये गये क्वारेंटाइन कैम्प में भेजा जा रहा है। इस कैम्प में उन्हें 21 दिन रखा जाएगा। वहाँ सभी लोगों को डिग्निटी किट उपलब्ध कराया जाएगा जिसमें पहनने का कपड़ा, थाली-ग्लास, बाल्टी-मग, साबुन-सर्फ, ऐनक-कंघी, टूथपेस्ट-ब्रस आदि रहेगा। इन कैम्पों में सुबह में नाश्ता और दो बार का भोजन ससमय उपलब्ध कराया जाएगा। इन कैंप में मनोरंजन के लिए टेलीविजन (एलसीडी) भी लगाया गया है तथा सुबह-शाम योगाभ्यास भी कराया जा रहा है।



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1250 migrants who came to Chhapra by special train from Telangana were screened at 14 counters and sent home.




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विराट के बाद रोहित भी मदद को आगे आए, 80 लाख रुपए दान करेंगे; सानिया ने 1.25 करोड़ रु. जुटाए

खेल डेस्क. विराट कोहली के बाद वनडे टीम के उपकप्तान रोहित शर्मा ने भी कोरोना पीड़ितों के लिएमदद का हाथ बढ़ाया है। रोहित ने 80 लाख रुपये दान देने का फैसला किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- हम देश को अपने पैरों पर खड़े होते देखना चाहते हैं और इसकी जिम्मेदारी हम सब पर है। मैंने अपनी ओर से मदद का फैसला किया। मैं 45 लाख रुपए पीएम-केयर्स फंड और 25 लाख रुपए सीएम रिलीफ फंड में दूंगा। 5 लाख रुपये फीडिंग इंडिया और 5 लाख रुपये वेलफेयर ऑफ स्ट्रे डॉग्स के लिए भी दान करूंगा। इस लड़ाई में महिला खिलाड़ी भी मददगार बनी हैं। सानिया मिर्जा ने 1.25 करोड़ रुपए तो भारतीय महिला वनडे टीम की कप्तान मिताली राज ने 10 लाख रुपए देने की घोषणा की।इनके अलावा क्रिकेटर पूनम यादव और दीप्ति शर्मा भी कोरोना से जंग में सरकार का साथ देंगी। दीप्ति 1.5 लाख रुपए दान करेंगी।

सानिया ने ट्वीट पर कहा-बीते हफ्ते हमने हजारों परिवारों को खाना पहुंचाने की छोटी सी कोशिश की और लोगों की मदद से 1.25 करोड़ रुपए जुटाए। इससे करीब 1 लाख लोगों को हममदद पहुंचा पाएंगे। यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी।

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इससे पहले, मुक्केबाज और राज्यसभा सांसद मैरीकॉम ने भी अपनी एक महीने की सैलरी पीएम रिलीफ केयर फंड में दी थी। इसके अलावा वे सांसद निधि से 1 करोड़ रुपए दे चुकी हैं। वहीं,

भारतीय स्प्रिंटर हिमा दास ने भी कोरोनावायरस से निपटने के लिए अपनी एक महीने की सैलरी दान करने का फैसला किया है। हिमा असम के कोविड-19 राहत कोष में अपना वेतन दान करेंगी। 15 साल की भारतीय शूटर ईशा सिंह भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 30 हजार रुपए दान करेंगी।

स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कर्मचारियों ने 3 तीन की सैलरी दान की

स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(साई) के सभी कर्मचारियों ने अपनी 3 दिन की सैलरी पीएम केयर फंड में दान दी है। यह राशि करीब 76 लाख रुपए है। खेल मंत्री किरन रिजिजू ने साई के इस कदम की तारीफ की। उन्होंने ट्वीट किया- मुझे यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है कि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के ग्रुप-ए के कर्मचारी अपनी 3 दिन की सैलरी, ग्रुप-बी 2 दिन और बाकी सभी कर्मचारियों ने 1 दिन की सैलरी पीएम केयर फंड में दान की है। कुल राशि करीब 76 लाख रुपए है। इससे पहले रिजिजू ने अपनी सांसद निधि से एक करोड़ रुपए इस फंड में जमा किए थे।

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भूटिया मजदूरों के रहने के लिए अपना मकान देंगे

भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी बाईचुंग भूटिया ने भी मदद के हाथ बढ़ाए हैं। उन्होंने सिक्किम लौट रहे मजदूरों के रहने के लिए अपना निर्माणाधीन मकान देने का फैसला किया है। भूटिया ने कहा- लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित वह मजदूर हैं, जो अपने घर लौट रहे हैं। ऐसे में मैंने गंगटोक में अपना निर्माणाधीन मकान इन्हें देने का फैसला किया है। इसमें करीब 100 लोग रुक सकते हैं। हम इन्हें राशन भी मुहैया कराएंगे। मुश्किल घड़ी में हम इनके साथ हैं।

बीसीसीआई51 करोड़ रुपए दान कर चुकी
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भी प्रधानमंत्री केयर फंड में 51 करोड़ रुपए दान किए हैं। इसके अलावा पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर ने 50 लाख, सुरेश रैना ने 52 लाख रुपए इस फंड में दान कर चुके।



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रोहित शर्मा ने स्ट्रे डॉग्स की मदद के लिए भी 5 लाख रुपए देने की घोषणा की है।
सानिया मिर्जा ने कहा- इस राशि से हम 1 लाख लोगों तक जरूरी मदद पहुंचा पाएंगे।




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पीसीबी फर्स्ट क्लास क्रिकेटरों को 25 और अंपायरों को 15 हजार रु. देगी, मदद पाने वालों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी

कोरोनावायरस के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे फर्स्ट क्लास क्रिकेटरों और अंपायरों की मदद के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड आगे आया है। पीसीबी ने इनकी मदद करने के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। इसके तहत क्रिकेटरों को 25 हजार, मैच ऑफिशियल को 15 हजार और ग्राउंड स्टाफ को 10 हजार की आर्थिक मदद दी जाएगी। हालांकि, यह सहायता राशि सिर्फ एक बार ही दी जाएगी।

पीसीबी ईद की छुट्टियों से पहले यह राशि संबंधित खिलाड़ियों और मैच ऑफिशियल के खातों में ट्रांसफर कर देगा और मदद पाने वालों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी। साथ ही क्रिकेट बोर्ड ने साफ कर दिया है कि इस वन-टाइम पैकेज के जरिए कितने लोगों कोफायदा पहुंचाया गया है, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

पीसीबी चेयरमैन ने लोगों की मदद करने वालेखिलाड़ियों की तारीफ की
पीसीबी चेयरमैन एहसान मनी ने संकट की घड़ी में लोगों की मदद करने के लिए शाहिद अफरीदी, सरफऱाज अहमद और अजहर अली की तारीफ की। उन्होंने कहा- यह देखकर अच्छा लग रहा है कि हमारे खिलाड़ी कोरोना के खिलाफ लड़ाई मेंलोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। मुझे पता है कि कई खिलाड़ी व्यक्तिगत तौर पर लोगों की मदद कर रहे हैं। यह खिलाड़ी शानदार काम कर रहे हैं। इन्हें बधाई।

पंजाब प्रांत में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज
पीसीबी पहले ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री फंड में 1 करोड़ रुपए दान कर चुका है। पाकिस्तान में अब तक कोरोना के 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। यहां अब तक 450 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले पंजाब प्रांत में ही संक्रिमतों की संख्या 7 हजार से ज्यादा है।



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पीसीबी चेयरमैन एहसान मनी ने लोगों की मदद करने के लिए शाहिद अफरीदी, सरफराज अहमद और अजहर अली की तारीफ की। (फाइल)




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बैंड वालों के 250 परिवारों पर गहराया आर्थिक संकट

कोविड-19 से बचाव में लॉकडाउन के दौरान विवाह- शादियों का स्वरूप भी बदलने लगा है। जिला में 150 से ज्यादा शादियों के शुभ मुहूर्त हाेने पर भी अधिकतर परिवाराें काे शादी टालनी पड़ी तो कहीं दूल्हा- दुलहन ने मास्क पहन शादी रचाई। बिना बारात, ढोल-बैंड बाजे के शांदियां हुईं। विवाह कार्यक्रमों में बैंड- बाजों की एडवांस बुकिंग तक कैंसिल हो गईं। इससे बैंड बाजे वालों के 250 परिवारों पर आर्थिक संकट गहरा गया है। शहर के मशहूर जनता बैंड के संचालक राजकुमार लाडवाल ने बताया कि 25 मार्च से 30 अप्रैल तक शादी विवाह का साल में सैकेंड सीजन होता है। जिसकी उनके पास 45 शादियों की एडवांस बुकिंग थी। इसके अलावा भी शहर में 6 बैंड हैं। जिसमें 110 के आसपास शादियांे में बैंड- बाजे की बुकिंग थी। लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव में हुए लॉकडाउन के दौरान जिला में विवाह सम्मेलन मांगलिक कार्य सब स्थगित हो गए हैं।
आगामी समय में भी मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लगा रह सकता है। इसके अलावा टेंट, कैटर्स व हलवाई को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। लाडवाल ने बताया कि जिला में 150 के आसपास शादियों के शुभ मुहूर्त निकल गए, जबकि कई दुल्हा- दुलहन ने मास्क पहन शादी रचाई है।

सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के साथ रचाई शादी
कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने की मुहिम में 24 मार्च को अचानक लॉकडाउन की घोषणा हो गई। यह लॉकडाउन 17 मई तक चलने वाला है। ज्यादातर शादियांे के शुभ मुहूर्त निकल गए हैं। जबकि कुछ परिवारों ने सहमति से बिना बारात, मैरिज पैलेस, ढोल-बैंड बजे और बिना दावत के शादियां निपटा ली। ऐसे कार्यक्रमों में लॉकडाउन की पालना करते हुए दोनों पक्षों के पांच-पांच घराती-बाराती शामिल हुए। जिससे उनके हलवाई, बैंड बाजे, ढोल, घोड़ी, डैकोरेशन के खर्च की बचत हुई।



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यहां नहीं हुआ महानगरों जैसा हाल, शहर के 5 ठेकों से 25 लाख की शराब ही बिकी, 50 ठेकेदारों का पास तो स्टॉक ही नहीं था

लॉकडाउन में लंबे अंतराल तक बंद रहे शराब के ठेके खोलने की परमिशन बुधवार से दी गई थी, मगर ठेकों पर शराब का स्टॉक नहीं होने के कारण अधिकतर बंद ही रहे। शहर में केवल 5 ठेके खुले जिनपर करीब 25 लाख की शराब बिकी। वहीं शराब को लेकर शाम तक लोगों में कोई रुचि नहीं दिखी। इक्का दुक्का ग्राहक ही आए। शाम को 5 बजे के बाद शराब लेने वालों में थोड़ा उत्साह दिखा। शहर के प्रमुख ठेकों पर कतारें नजर आईं। मगर इतनी भी नहीं थी कि सोशल डिस्टेंस टूटे। फिर भी सुरक्षा के लिहाज से पुलिस तैनात की गई थी। प्रत्येक ठेके पर दो से तीन मुलाजिम तैनात रहे। इसलिए किसी प्रकार की कोई गड़बड़ नजर नहीं आई। इधर शराब ठेकेदारों ने अपनी मनमर्जी से महंगे दाम पर शराब बेची। करीब डेढ गुणा अधिक रेट में शराब बेची गई थी। फिर भी लोग खुशी खुशी ले रहे थे।
ठेकेदार बोले स्टॉक नहीं

जिले में कुल 144 शराब ठेके हैं। जिनमें से 120 ठेके मार्च में छूट पाए थे। उनके सब बैंड भी है। बुधवार को इन 120 ठेकों में से भी करीब 50 ऐसे ठेके थे जिनमें स्टॉक ही नहीं था। इसलिए वे बंद रहे। ठेकेदारों का कहना था कि नया माल आया नहीं। बीच में लाॅकडाउन हो गया। जो माल था वो पुराने ठेकेदारों का था। वे अपना माल बेच गए या ले गए। इसके अलावा सेल्ज मैनेजर भी प्रवासी थे। वे भी जिला से जा चुके हैं। इन सब कारणों के चलते अधिकतर शराब ठेके बंद रहे।

स्टॉक न होने पर ठेकेदारों ने डेढ़ गुना रेट में बेची शराब

शराब ठेकेदारों ने शराब बिक्री और स्टॉक कम होने का जमकर फायदा उठाया। अपनी मनमर्जी के रेट तय करके शराब बेची । उन्होंने डेढ़ गुणा अधिक दाम वसूले। जिस प्रकार पहले देसी शराब 120 रुपये की बोतल थी। अब 200 रुपये की बोतल दी गई। वहीं अंग्रेजी में ओसियन ब्लू पहले 400 रुपये की थी। अब 500 रुपये की बेची गई। इंपिरियल ब्लू पहले 300 की अब 500 , ब्लंडर प्राइड पहले 600 रुपये की। अब 800 रुपये में बेची जा रही है। रॅायल स्टेग पहले 450 रुपये की अब 600 रुपसे की बेची जा रही है।

जिला में रोजाना 22 हजार प्रूफ लीटर पीते हैं शराब

जिला में शराब का कुल कोटा 81 लाख प्रूफ लीटर है। जिसमें देसी 72 लाख प्रूफ लीटर, जबकि 9 लाख प्रूफ लीटर अंग्रेजी शराब का कोटा है। इस हिसाब से रोजाना 22 हजार प्रूफ लीटर शराब की औसत पड़ती है। 45 से 50 लाख रुपये रोजाना की शराब बिकती है। मगर बुधवार को शराब की कमी के चलते यह आंकड़ा काफी कम रहा है। जिला में सबसे ज्यादा देसी शराब पी जाती है।



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पिछले डेढ़ महीने से रोज 16 घंटे काम कर रहे डॉ. रोशनलाल व टीम के 125 योद्धा

कोरोना से जंग जारी है। इसके फ्रंट लाइन पर हेल्थ टीम डटकर मुकाबला कर रही है। संदिग्धों के सैंपल लेने और घर-घर जाकर स्क्रीनिंग करने काम किया जा रहा है। यह कम जोखिम भरा नहीं है, मगर हेल्थ टीम के हौसले बुलंद है। कोरोना को मात देकर ही रहेंगे। ऐसे संकट की घड़ी में डॉक्टर शिद्दत के साथ अपनी ड्यूटी में जुटे हुए हैं। ऐसे ही एक चिकित्सक गांव सीसवाल की सीएचसी के एसएमओ डॉ. रोशनलाल शर्मा है। अपने विभाग के 125 योद्धाओं को साथ लेकर कोरोना को हराने में लगे हैं। उनका कहना हैं कि महामारी के दौर में जब सब लोग हताश हो चुके हैं और सारा समाज डॉक्टरों की ओर देख रहा है तो ऐसे समय में उनका भी दोगुना दायित्व बन जाता है वे अपने देशवासियों के लिए जी जान से अपनी ड्यूटी करते हुए इस लड़ाई को लड़ते हुए उस पर विजय प्राप्त करें।

चूली बागड़ियान की पीएचसी में डाला डेरा, गांवों में स्क्रीनिंग जारी

डॉ. रोशन लाल ने बताया कि पिछले करीब डेढ़ माह से दिन-रात जुटे हैं और टीम को मोटिवेट कर रहे हैं। वे खुद सीएचसी सीसवाल से अपनी पूरी टीम को निर्देश देते हैं। उनकी 120 योद्धाओं की टीम फील्ड में उतरकर हर गांव-गांव जाकर थर्मल स्क्रीनिंग कर रही है। इसके बाद जैसे ही गांव दड़ौली में एक युवक की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो उन्होंने अपना डेरा गांव चूली बागड़ियान की पीएचसी में डाल लिया और वहां से गांव दड़ौली, चूली बागड़ियान, चूली खुर्द व चूली कलां के ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच में अपनी टीम के साथ जुट गए। इन चारों गांवों में प्रत्येक ग्रामीण की थर्मल स्क्रीनिंग करवाई व जो ग्रामीण संदिग्ध पाए गए उनकी सैम्पलिंग करवाई गई। इस दौरान वो सुबह जल्दी घर से आते और देर रात ही घर पंहुचते। घर में वे अलग कमेरे में रहते हैं और बच्चों को दूर से देखते हैं। डॉ. रोशनलाल शर्मा ने बताया कि गांवों में थर्मल स्क्रीनिंग व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उनके अलावा डॉ. संदीप, डॉ. कमल, डॉ. संदीप दहिया, डॉ. अर्चना, वीर पीएचएन, ईश्वर सिंह फार्मासिस्ट, बलविंद्र सिंह, राजेश, उमेद, सत्यवान, गुप्तसिंह, बलवान सिंह, बिमला, निर्मला, कुलवंत कौर, कृष्णा देवी सहित सीएचसी सीसवाल का पूरा स्टाफ, एएनएम, एमपीएचडब्लू, आशा वर्कर व आंगनबाड़ी वर्कर सहित लगभग 125 कर्मचारियों का स्टाफ ग्रामीणों का डाटा जुटाने व उनको स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान में लगा हुआ है।



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एसएमओ डॉ रोशनलाल।




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6 साल बाद शुरू हुई मार्केट कमेटी फीस, नहीं चुकाने वालों पर लगेगा 25% तक जुर्माना, न्यूनतम 500 रुपए

फरवरी 2014 में हरियाणा स्टेट कृषि मार्केटिंग बोर्ड (एचएसएएमबी) की बंद मार्केट फीस और हरियाणा रूरल डेवलपमेंट फंड (एचअारडीएफ) अब आढ़तियों से दोबारा वसूलनी शुरू हो गई है। वीरवार को फीस और एचआरडीएफ अदा करने का अंतिम दिन था। सबसे ज्यादा फीस कैंट मार्केट कमेटी ने 1.42 लाख, इसके बाद सिटी मार्केट कमेटी ने 21 हजार, बराड़ा मार्केट कमेटी ने 11 हजार की फीस वसूली है। फीस और एचआरडीएफ लगने से अब आढ़तियों पर मार्केट कमेटी की घुरकी भी चलेगी और समय पर फीस और एचआरडीएफ न चुकाने वाले आढ़तियों पर फीस का 25 प्रतिशत से अधिक और एचआरडीएफ पर न्यूनतम 500 रुपए का जुर्माना लगेगा। बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में साढ़े 500 करोड़ का राजस्व आया आएगा। जानकारों का कहना है कि साल 2012 में आढ़तियों से दो प्रतिशत मार्केट फीस और दो प्रतिशत एचआरडीएफ (कुल चार प्रतिशत) शुल्क लिया जाता था। जिसे साल 2013 में दो प्रतिशत और साल 2014 में पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।
कमेटियों की सुधरेगी आर्थिक स्थिति: मार्केट कमेटी अपनी सब्जी मंडी की मरम्मत, साफ-सफाई समेत अन्य व्यवस्थाओं का खर्च उठाती है।
डेवलपमेंट इसका पूरा खर्च सरकार से मिलने वाले फंड से करता है। आढ़ती बीते छह साल से मंडी में अपना कारोबार करते हैं जिनसे किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसलिए कमेटी को अपना खर्चे पूरे करने के लिए बोर्ड पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि एक आढ़ती गोदाम के अंदर अालू-प्यास की स्टोरेज करता है तो उस पर भी मार्केट फीस एक बार में देनी होगी।



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Market committee fees started after 6 years, penalties will be imposed on those who do not pay 25%, minimum Rs 500




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रेणुका के पिता की मौत, बेटी के गुनहगारों को पकड़वाने के लिए 25 साल से लड़ रहे थे

25 साल पहले जगाधरी वर्कशॉप में रेणुका का शव नाले के पास एक बोरी में मिला था। उसकी गैंगरेप के बाद हत्या की गई थी। यह दरिंदगी किसने की, इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ। बेटी से दरिंदगी के बाद हत्या करने वालों का पता लगाने के लिए उसके पिता लड़ते-लड़ते शुक्रवार को दुनिया से विदा हाे गए। सुभाष शर्मा की प्राइवेट अस्पताल में मौत हो गई। उन्हें हार्ट की दिक्कत और टीबी थी। उनकी रात ढाई बजे मौत हो गई। उनके परिवार के लोगों का कहना है कि सुभाष शर्मा रात को भी ये ही कह रहे थे कि बेटी रेणुका को मारने वालों को पकड़वाना है। उसे मंत्री को इसके लिए लेटर लिखना है। लेकिन इसी बीच उनकी सांसें थम गई। इंटरनेशनल पावर लिफ्टर खिलाड़ी रही सुभाष शर्मा की बेटी मलिका शर्मा ने बताया कि पिता लंबे समय से बीमार चल रहे थे। एक मई को उन्होंने गाबा अस्पताल में भर्ती किया गया था। रात को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका कहना है कि उनके पिता को बस एक ही मलाल था कि उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला।

26 अगस्त 1995 में हुई थी गैंगरेप के बाद हत्या

मलिका का कहना है कि अब वे बहन की हत्या करने वालों को पकड़वाने के लिए लड़ाई लड़ेंगी। भले ही उन्हें कुछ भी करना पड़े। बता दें 26 अगस्त 1995 को रेलवे कॉलोनी में रेणुका साथ गैंगरेप कर हत्या कर दी गई थी। उसके बाद उसके शव को चुंगी के पास बोरी में डालकर फेंक दिया गया था। जब तक पुलिस आरोपियों का पता लगा पाती आरोपी वहां से फरार हो गए थे। तब सुनील गुप्ता का नाम इस केस में आया था। उसका आज तक पता नहीं चल पाया। वहीं तब एक मंत्री के बेटे का भी इस मामले में नाम उछला था। इस मामले की जांच जिला पुलिस से लेकर सीबीआई तक कर चुकी है, लेकिन कोई रिजल्ट नहीं निकला। अब भी इस मामले में सीबीआई जांच चल रही है।



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ठेकों पर मनमर्जी के भाव में बिक रही शराब, देसी शराब 250 से 300 रुपये बोतल तो अन्य शराब के रेटों में काफी उछाल आया

प्रदेश सरकार द्वारा शराब के ठेके खोलने के बाद ठेकेदारों द्वारा मनमर्जी के भावों में शराब बेची जा रही है। लेकिन सरकार व प्रशासन की मनमर्जी के भावों पर कोई रोक-टोक नहीं है। देशी शराब की बोतल 250 से 300 रुपये तक ठेकों पर बिक रही है। अन्य ब्रांड की शराब के रेटों में भी काफी उछाल है। लेकिन आबकारी विभाग ने शराब की अधिकतम मूल्य तय ही नहीं किया है। इससे ठेकेदारों की पौबारह हो रही है।
लाॅकडाउन के बावजूद सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए 6 मई से शराब के ठेके खोल दिए हैं। प्रदेश में ठेके खुलते ही शराब की बिक्री शुरू हो गई है। लेकिन सरकार व प्रशासन ने शराब बिक्री के रेट निर्धारित नहीं किए हैं। इससे शराब ठेकेदार ठेकों पर मनमर्जी के भावों में शराब की बिक्री कर रहे हैं। शराब पीने वाले लोगों की जेब पर खासी चपत लग रही है। ठेकों पर देशी शराब की बोतल 250 से 300 रुपये में बिक रही है। जबकि आबकारी विभाग द्वारा देशी शराब काउंटरी लिक्र का रेट 145 रुपये तथा मैट्रो लिक्र का 170 रुपये मिनीमम रेट तय किया हुआ है। इंपेरियल ब्लू की बोतल 600 रुपये में बिक रही है जब कि आबकारी विभाग द्वारा इंपेरियल ब्लू का मिनिमम रेट 350 रुपये बोतल निर्धारित किया हुआ है। एसी ब्लैक की बोतल 600 रुपये में बिक रही है जबकि आबकारी विभाग द्वारा 350 रुपये मिनिमम रेट निर्धारित किया हुआ है।
राॅयल स्टैग की बोतल 700 रुपये में बिक रही है जबकि आबकारी विभाग द्वारा 450 रुपये मिनिमम रेट निर्धारित किया हुआ है। ब्लैंडर प्राइड की बोतल 1000 रुपये में बिक रही है जबकि आबकारी विभाग द्वारा 600 रुपये बोतल मिनिमम रेट निर्धारित किया हुआ है। बीयर की बोतल 200 रुपये में बिक रही है जबकि विभाग द्वारा 85 रुपये मिनिमम रेट निर्धारित किया हुआ है। इसके अलावा शराब के अन्य ब्रांड की बिक्री काफी उच्च दामों में की जा रही है। इससे शराबियों को करारा झटका लग रहा है।

आबकारी विभाग ने शराब बिक्री का अधिकतम मूल्य तय नहीं किया : यादव

आबकारी विभाग के डीटीसी अनिल कुमार यादव ने बताया कि आबकारी विभाग द्वारा शराब बिक्री के मिनिमम रेट तय किए हुए हैं। बिक्री के अधिकतम रेट तय नहीं किए हैं। इसलिए ठेकेदार मिनिमम तय रेट से कम में नही बेच सकते। इससे उपर बेच सकते हैं। अभी स्टाॅक कम हैं स्टाक ज्यादा आने के बाद कंपीटिशन में रेट घट जाएंगे।



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जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड पाइप इंडस्ट्री भी हुई शुरू, प्राेडक्शन अभी केवल 25 प्रतिशत ही इन पर निर्भर जिले की 50 छाेटी-बड़ी इंडस्ट्री काे भी राहत

देश विदेश में विख्यात स्टील इंडस्ट्री जिंदल स्टेलनेस सहित जिंदल ग्रुप की हिसार में तीन इंडस्ट्री में डेढ़ माह बाद एक बार फिर से प्राेडक्शन शुरू हाे गया है। यानी इस पर निर्भर लाेगाें की जिंदगी पटरी पर लाैटने लगी है। सीआरडी अाैर एसअारडी प्लांट तथा पाइप इंडस्ट्री में से लगे 6900 कर्मचारियों में से करीब 3400 कर्मचारियों काे शिफ्टाें में काम मिल गया है। इन तीन बड़ी इंडस्ट्री के शुरू हाे जाने से इन पर निर्भर जिला व इसके आसपास की 50 से अधिक इंडस्ट्री में भी प्राेडक्शन की उम्मीद जग गई है। जिंदल इंडस्ट्री से जुड़े मैनेजमेंट के अधिकारियाें का कहना है कि फिलहाल प्राेडक्शन 25 प्रतिशत ही किया जा रहा है क्याेंकि मार्केट में अभी डिमांड नहीं है।



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250 से अधिक किसानों ने कृषि मंडी में कराया पंजीयन, 5 वाहनों की हुई खरीदी

सनावद में भोगांवा रोड स्थित निजी जिनिंग में सीसीआई की खरीदी शुक्रवार से की गई। मंडी में पंजीकृत किसान कपास लेकर पहुंचे। जिसका सीसीआई के कर्मचारियों ने गुणवत्ता की जांच कर माल खरीदा। शुक्रवार को पहले दिन करीब 5 किसान वाहनों से कपास लेकर पहुंचे। सभी कपास मानक के पाए जाने पर उनसे कपास खरीदा गया।
सीसीआई के वाणिज्यिक अधिकारी तुषार सोनवाने ने बताया भोगांवा रोड स्थित जिनिंग को सीसीआई का खरीदी केंद्र बनाया है। जहां पर शुक्रवार को 5 वाहन पहुंचे थे। पांचाें वाहनों को सीसीआई ने खरीदा है। उन्होंने बताया वर्तमान में लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के निर्देश दिए गए है। जिससे भीड़ न होने के लिए सिर्फ 5 ही किसानों को एसएमएस भेजा जा रहा है। कुछ समय के बाद किसानों की संख्या में वृद्धि की जाएगी। 17 मई के बाद मंडी खुलने पर मंडी में ही किसानों का कपास खरीदा जाएगा। जिससे अधिक किसानों को लाभ मिल सके।

अधिक घने रेशे का होना चाहिए कपास, काले कपास की नहीं होगी खरीदी
उन्होंने बताया जिन किसानों का कपास काला या कम रेशे का होगा। वह कपास सीसीआई की खरीदी के लायक नहीं होता है। जो कपास सफेद व अधिक घने रेशे का होगा। उसे उतने अधिक दाम मिलेंेगे। सीसीआई के अनुसार 3.4 से 4.9 माइक्रोन तक का कपास खरीदा जाता है। वहीं किसान केंद्र पर कपास लेकर आए ताकि किसानों को परेशानी न हो।

250 से अधिक किसानों ने मंडी में कराया पंजीयन
मंडी के बीएस शेखावत ने बताया सीसीआई की खरीदी के लिए किसानों को मंडी में पंजीयन किया जा रहा है। इसके लिए किसानों का नाम, स्थान, मात्रा व मोबाइल नंबर लिया जा रहा है। जिसके बाद रोजाना 5 किसानों को फोन व एसएमएस कर कपास लाने की जानकारी दी जा रही है। वर्तमान में 250 से अधिक किसानों ने सीसीआई की कपास खरीदी के लिए पंजीयन कराया है।

3 नगरीय क्षेत्रों के 40 व्यापारी कर सकेंगे होम डिलीवरी
महेश्वर में कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन के निर्णय के बाद कुछ स्थानों पर प्रशासन ने राहत दी है। गुरुवार देर शाम जारी हुए आदेश के अनुसार कृषि संबंधी दुकानें सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक खुली रहेगी। यहां से एक बार में अधिकतम 5 किसानों को सामान दिया जा सकेगा। शुक्रवार को सुबह 3 घंटे व्यापारियों ने दुकानें खोली। किसानों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खरीदी की। शुक्रवार को जारी एक अन्य आदेश में महेश्वर, मंडलेश्वर व करही नगर के 40 से अधिक स्टेशनरी व इलेक्ट्रॉनिक व्यापारियों को सामान की होम डिलीवरी की छूट दी गई है। एसडीएम आनंदसिंह राजावत ने बताया व्यापारी संघ से मिली सूची के अनुसार करीब 40 व्यापारी मोबाइल नंबर पर ग्राहकों से जरूरत के सामान की जानकारी लेंगे और सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक होम डिलेवरी कर सकेंगे। दुकान खोलकर सीधे तौर पर ग्राहकों को सामान देना प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।



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More than 250 farmers registered in Krishi Mandi, bought 5 vehicles




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पंस कार्मिकों ने 5.25 लाख की सहायता राशि का चेक कलेक्टर को सौंपा

कोरोना वायरस की विपदा वाली घडी में भामाशाह बढ़-चढ़कर सहयोग दे रहे हैं। इसी कड़ी में पंचायत समिति सवाईमाधोपुर के विकास अधिकारी राम अवतार मीना के नेतृत्व मे पंचायत समिति कार्मिकों की ओर से जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को पांच लाख पच्चीस हजार रुपए की राशि का चेक मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए दिया है। कलेक्टर ने सहयोग देने की सराहना करते हुए अन्य लोगों से भी सहयोग की अपेक्षा की है।
क्षतिग्रस्त सुरक्षा दीवार गिर सकती है कभी भी
मलारना डूंगर |कस्बे में बस स्टैंड के पास सडक किनारे सुरक्षा दीवार के क्षतिग्रस्त होने से हादसे की आशंका बनी रहती है। मलारना स्टेशन रोड पर सत्यनारायणजी के मन्दिर के पास छोटी पुलिया पर सुरक्षा दीवार टूट जाने से साइड के चक्कर में वाहन इसमें गिर सकते हैं। इस रोड पर प्रतिदिन सैकडों मोटरसाइकिलों, चौपहिया वाहनों सहित राहगीरों का आवागमन होने से हादसे की आशंका बनी रहती है।



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Puns personnel handed over check of 5.25 lakhs to the collector




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राज्य में पत्र लेखन में प्रथम रही छात्रा को 25 हजार का चेक भेंट

भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता 2019-20 में नवदीप पब्लिक सीनियर सेकंडरी स्कूल की छात्रा सृष्टि गौतम ने राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस पर डाक अधीक्षक गुमान सिंह शेखावत द्वारा विभाग की ओर से 25 हजार रुपए की राशि का चेक भेंट किया गया। डाक अधीक्षक ने बताया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता 2019-20 का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में सृष्टि गौतम ने इनलेण्ड लेटर कैटेगरी में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस मौके पर निरीक्षक परिवाद राजीव शर्मा, रामावतार बंसल, पिन्टू शर्मा, सिस्टम मैनेजर राजेश साहू आदि उपस्थित रहे।



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10वीं की बची हुई परीक्षा नहीं लेने की तैयारी, 25 मई से हो सकती है 12 वीं की परीक्षा

सीबीएसई की तर्ज पर अब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी 10वीं के शेष दो पेपरों की परीक्षा नहीं लेने का मानस बना रहा है। हालांकि, इस बारे में अभी अंतिम निर्णय हाेना बाकी है। उधर, यदि लॉकडाउन 17 मई को खुल जाता है तो कक्षा 12वीं की शेष परीक्षाएं, विशेषकर विज्ञान वर्ग की परीक्षाएं 25 मई से कराई जा सकती हैं। बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. डीपी जारौली ने बुधवार काे कहा कि वे स्वयं सीबीएसई की तर्ज पर 10वीं क्लास के शेष पेपर लेने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन इस मामले में अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है।

यदि बाकी पेपराें के एग्जाम नहीं हाेते ताे प्रदेश के 11 लाख से अधिक विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है। इससे पहले बाेर्ड अध्यक्ष ने 10वीं-12वीं की बाेर्ड परीक्षाओंकी संभावना को लेकर अधिकारियों से विचार-विमर्श भी किया। डॉ. जारौली ने कहा कि 12वीं क्लास के शेष पेपर कराने के लिए तैयारियां जारी हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी जेईई मेंस व नीट की परीक्षाओंकाे देखते हुए 12वीं विज्ञान के पेपरों का प्राेग्राम तय किया जा रहा है। बता दें कि मंत्रालय ने ऐलान किया था कि उत्तरी-पूर्वी दिल्ली काे छाेड़कर सीबीएसई 10वीं के बाकी एग्जाम देश में कहीं नहीं लिए जाएंगे।मंत्रालय ने कहा था कि 12वीं कक्षा काे लेकर फैसला जल्द लेंगे।

बाेर्ड अध्यक्ष डॉ. डीपी जारौली ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके जिले में कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्रों, उनमें 12वीं विज्ञान के स्टूडेंट्स और परीक्षा केंद्राें की जानकारी ली जा रही है। बोर्ड ये भी विचार कर रहा है कि यदि परीक्षा करानी पड़ जाए तो कंटेंनमेंट जोन से विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र तक कैसे ला सकते हैं। बोर्ड अध्यक्ष डॉ. जारौली ने कहा कि परीक्षा स्थगित होने से पूर्व एक पेपर झुंझुनूं में कर्फ्यू के दौरान हुआ है। पुलिस ने स्टूडेंट्स को परीक्षा समाप्त होने के बाद उनके घरों तक पहुंचने में मदद की है।

ऐसा ही कुछ आगामी परीक्षा में भी संभव हुआ तो कुछ किया जा सकता है। 12वीं विज्ञान में गणित और आईटी का पेपर शेष है। 12वीं कक्षामें 10वीं की तुलना में विद्यार्थी कम हैं। विश्लेषण करने पर सामने आया कि जिस परीक्षा केंद्र में 10वीं के विद्यार्थियों की संख्या 400 तक है, वहां 12वीं विज्ञान गणित के विद्यार्थियों की संख्या कहीं पर 12, कहीं पर 14, कहीं पर 37 और कहीं पर 50 तक है। एेसे में इन सेंटरों पर सोशल डिस्टेंसिंग की समस्या भी नहीं आएगी।



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बाेर्ड अध्यक्ष डॉ. डीपी जारौली ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके जिले में कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्रों, उनमें 12वीं विज्ञान के स्टूडेंट्स और परीक्षा केंद्राें की जानकारी ली जा रही है।




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25 क्विंटल केला व 10 क्विंटल पपीते का वितरण, कलेक्टर-एसपी ने किया शुभारंभ

कोरोना लॉक डाउन के दौरान जिले में गरीब, जरूरतमंदों को 25 क्विंटल केला व 10 क्विंटल पपीता का वितरण किया गया। फल वितरण का शुभारंभ कलेक्टर डॉ.एम.एल.यादव एवं पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रकाशचंद ने संयुक्त रूप से किया।पार्षद ऋषि, प्रहलाद शर्मा, बल्लू सोनी व समाजसेवी बबलू शुक्ला ने बताया कि गड़रिया लुहार बस्ती,जिला चिकित्सालय परिसर, होली खिड़किया, केशवपुरा सहित कलेक्ट्रेट के पास सहित कई स्थानों पर जरूरतमंद, असहाय, बीमार, गरीब, साधु फकीर,सहित घुमंतु व अर्द्ध विक्षिप्त लोगों को केला व पपीता बांटा गया।



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रामगढ़ पचवारा में भट्टियां तोड़ी, 25 हजार लीटर वाश नष्ट की

रामगढ़ पचवारा पुलिस तथा आबकारी निरीक्षक विपिन कुमार के संयुक्त तत्वावधान में टीम द्वारा शराब माफी खिलाफ चलाए गए अभियान के तहत बाढ़ रतनपुरा तथा गंडलाई नदी में बनाई जा रही हथकढ़ शराब निर्माण के अड्डे को नष्ट करने की कार्रवाई की गई। मुखबिर से मिली सूचना के बाद में थाना प्रभारी अशोक झाझडिया तथा आबकारी निरीक्षक विपिन कुमार की अगुवाई में मौके पर पहुंची। गंडलाई नदी में शराब बनाने के अड्डे को नष्ट करने का काम किया तथा मौके पर मौजूद 25000 लिटर हथकढ़ शराब वास को नष्ट करने का काम किया। वहीं शराब बनाने की भट्टियों को नष्ट किया गया। इसी तरह बाद रतनपुरा ग्राम में भी शराब निर्माण के कारखाने को तोड़ा गया। मौके से 10 लीटर वास को नष्ट किया गया तथा मामले पर कार्रवाई करते हुए पप्पू लाल मीणा को 10 लीटर देसी हथकढ़ शराब के साथ गिरफ्तार करने की कार्रवाई की है। थाना प्रभारी अशोक झाझडिया ने बताया कि वाद रतनपुरा तिराहे पर 10 लीटर शराब के साथ पप्पू लाल मीणा को गिरफ्तार किया गया।



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लॉकडाउन का उल्लंघन करने की वजह से 25 दुकानें सील, बिना यूनिफॉर्म के पुलिसकर्मी कर रहे निगरानी

शहर की 25 दुकानों को पुलिस और जिला प्रशासन ने सील कर दिया। एक दिन पहले मंगलवार को ही इन दुकानों को जांच की गई थी। दुकानदार ना तो खुद मास्क पहन रहे थे, ना ही लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा रहे थे। पुलिस के लोग बिना यूनिफॉर्म पहने दुकानों की निगरानी कर रहे हैं। कुछ जगहों पर ग्राहक बनकर पहुंच रहे हैं और हालात का जायजा ले रहे हैं। रायगढ़ एसपी संतोष कुमार सिंह ने खुफिया निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि उल्लंघन करने वालों को पकड़ा जा सके।

जिले के थाना खरसिया के इलाके में 3, सारंगढ़ में 5 औरघरघोड़ा में 4 दुकानों में अनियमितता पाईगई जिन्हें सील किया गया है । सारंगढ़ थाना क्षेत्र में 5 दुकानों को सील किया गया है। इस तरह अलग-अलग इलाकों में कुल25 दुकान संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। एक ब्यूटी पार्लर का संचालक बिना निर्देशों के दुकान खोलकर लोगों को सेवाएं दे रहा था। इसके खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने की धारा के तहत केस दर्ज किया गया है। एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि यह कार्यवाही लगातार शहर और तहसील स्तर पर जारी रहेगी।



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यह तस्वीर उस वक्त की है जब रायगढ़ में दुकानें सील की जा रही थीं। अधिकारियों ने कह दिया- लोग समझ नहीं रहे इसलिए यह कार्रवाई जारी रहेगी।




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भिलाई में पति 425 किमी दूर से लिफ्ट लेकर घर लौटा, तो पत्नी ने अंदर नहीं घुसने दिया, कहा- पहले जांच कराइये

छत्तीसगढ़ के भिलाई में कोरोना से बचने के लिए एक महिला ने पति को ही घर में नहीं घुसने दिया। उसका पति ओडिशा के राउरकेला से करीब 425 किमी की दूरी तय करके घर पहुंचा था। महिला ने उसको पहले मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहा। खुर्सीपार सेक्टर-11 निवासी पूर्णिका कौर ने निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम को जांच के लिए बुलाया। देर शाम टीम पहुंची और उसके पति को क्वारैंटाइन सेंटर भेजा गया।


अलग-अलग वाहनों से लिफ्ट लेकर पहुंचा
निगम पीआरओ पीसी सार्वा ने बताया कि महिला ने जानकारी दी है कि पति सुखदेव सिंह राउरकेला से विभिन्न वाहनों से लिफ्ट लेकर भिलाई पहुंचा। महिला ने पति को घर के बाहर ही रखा था। अंदरप्रवेश नहीं करने दिया।महिला के घर में तीन बच्चे भी हैं।

बाहर बैठे भूख लगी तो दूर से ही रोटी-सब्जी दी
जब पति को घर के बाहर बैठे-बैठे भूख लगी तो पत्नी ने रोटी-सब्जी बनाई। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खाना दिया। फिर इसकी सूचना जोन-4 आयुक्त प्रीति सिंह औरअन्य अधिकारियों को दी।उसने तत्काल घर आने का आग्रह किया।निगम पीआरओ सार्वा कहते हैं किकोरोना संक्रमण रोकथाम और बचाव के लिए महिला ने अपनी अहम जिम्मेदारी निभाई है।

कोई रिस्क लेना नहीं चाहती, इसलिए जांच करवाई
महिला ने बताया कि उन्हें बाहर से आए हुए व्यक्तियों की सूचना देने की जानकारी दी गईथी। निगम से जारी किए गए मोबाइल नंबर प्राप्त हुए हैं। इसके चलते उसने शासन का सहयोग करते हुए भिलाई निगम को सूचना दी। शाम को जांच टीम पहुंच गई।



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छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक युवक जब ओडिशा से अपने घर पहुंचा तो पत्नी से उसे अंदर नहीं आने दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम बुलवाई और उसकी जांच कराकर क्वारैंटाइन सेंटर भिजवाया।




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दस नालों में 3.25 करोड़ रुपए से पानी करेंगे स्टोर

जंगल से गुजरे 10 नालों को संवारने के लिए फारेस्ट विभाग ने सवा तीन करोड़ के प्रोजेक्ट की मंजूरी शासन से मांगी है। ताकि उन्हें बारिश से पहले संवर्धित कर वन्यजीवों के लिए पानी स्टोर किया जा सके। विभाग इन सभी नालों पर आवश्यकता अनुरूप ग्रेबियन स्ट्रक्चर, लूज बोल्डर, ब्रशवुड चेकडेम बनाएगी।
शासन के नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बाड़ी योजना में शासन की मांग पर विभाग लगातार नालों को संवर्धित करने में जुटा हुआ है। विभाग ने मार्च में वन कर्मियों को चेकडेम में अलग-अलग स्ट्रक्चर की तकनीकी जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से दी थी। फील्ड पर रायपुर से आए इंजीनियरों ने स्ट्रक्चर तैयार कर बारीकियां भी वन कर्मियों को बताई थी, ताकि नरवा विकास के कार्य में किसी तरह की कोई लापरवाही न हो। वर्तमान सरकार इस योजना के माध्यम से वन्य जीव के साथ वन क्षेत्रों से सटे गांवों में जल आपूर्ति के उद्देश्य से नालों को संवारने का काम कर रही है।
इन नालों में होगा काम
खरसिया के शंकरपाठ नाला, धरघोड़ा के हाथीझरिया नाला, घरघोड़ा उपकानाला, तमनार के बरझरिया नाला, रायगढ़ चिटकाझरिया नाला, रायगढ़ भंवरखोल नाला, सारंगढ़ सेमरानाला, गोमर्डा अभयारण्य बंजारी और करपन नाला
नालों को संवारने की हो रही है तैयारी
"बारिश से पहले हमने नालों को संवर्धित करने के लिए नरवा योजना के तहत प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। वन मंडल के लगभग 10 नालों को इस हमने चुना है, जिनमें ग्रेबियन स्ट्रक्चर, लूज बोल्डर चेक डेम बना कर सुरक्षित किया जाएगा। ''

-मनोज पांडेय, डीएफओ रायगढ़ वन मंडल



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नशीली दवा की 2250 टैबलेट के साथ पकड़ा गया युवक, बोला; इसे मेडिकल स्टोर में बेचने जा रहा हूं

लॉकडाउन काल में जिले में शराब की अवैध बिक्री धड़ल्ले से चलती रही। अब शराब दुकानें खोल दी गई हैं तो नशीली दवा का अवैध कारोबार फिर शुरू होने लगा है। गुरुवार को घरघोड़ा पुलिस ने अलप्राजोलम टेबलेट (चिंतामुक्ति या तनाव दूर करने की दवा जिससे नींद आती है) बेचने जा रहे युवक को पकड़ लिया। छानबीन के बाद पुलिस ने युवक को मादक पादर्थ की तस्करी करने के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
घरघोड़ा थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 9.30 बजे उन्हें सूचना मिली की ग्राम भेंगारी मेन रोड अंडा फैक्ट्री के सामने एक व्यक्ति नशीली टेबलेट लेकर बिक्री करने जा रहा है। जानकारी मिलते ही पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए युवक के पास मौजूद थैले की तलाशी ली गई। जिसमें अल्प्राजोलम टेबलेट 0.5एमजी की 2250 नशीली टेबलेट बरामद हुई। पकड़े गए युवक ने अपना नाम बलराम गुप्ता पिता कन्हाई निवासी नवापारा टेंडा थाना घरघोड़ा बताया। पूछताछ में उसने बताया कि वह मेडिकल स्टोर पर दवा बिक्री करने जा रहा था। पुलिस नशीली दवा बिक्री के मामले में उन लोगों का पता लगा रही है। जो लोग नशीली दवाइयों की बेरोक टोक बिक्री कर रही है।
थाना प्रभारी ने बताया कि पकड़े गए युवक के खिलाफ धारा 21(सी) एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर रिमांड पर लेकर जेल भेजा गया है।



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Young man caught with 2250 tablets of drugs, said; Going to sell it in the medical store




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हाउसिंग बोर्ड टंकी का टेस्टिंग पूरा, पानी सप्लाई भी शुरू, अब 25 हजार परिवार को मिलेगी राहत

अमृत मिशन फेस टू के तहत नवनिर्मित हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी और पाइप लाइन की टेस्टिंग का काम पूरा कर लिया गया है। साथ ही पानी की सप्लाई भी शुरू कर दी गई है। इस टंकी के निर्माण से हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र के करीब 25 हजार परिवार लाभान्वित होंगे। क्षेत्र के हर परिवार को पानी मिल सके। इसके लिए तेजी से नल कनेक्शन भी दिया जा रहा है। मेयर व विधायक देवेंद्र यादव ने पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश के बाद अधिकारियों ने यहां प्रोजेक्ट पूरा किया। 25 हजार लोगों को राहत मिलेगी।

बिछाई गई नई पाइप लाइन
नवनिर्मित हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी की टेस्टिंग की। इसके बाद टंकी में पानी भरने के साथ ही अमृत मिशन योजना के तहत हाउसिंग बोर्ड एरिया में जो नई पाइप लाइन बिछाई गई हैं।

3500 घरों को मिलेगा रोज साफ पानी
नव निर्मित हाउसिंग बोर्ड पानी टंकी की क्षमता 32 लाख लीटर की है। इसके अलावा हर घर तक पानी की सप्लाई की जा सके। इसके लिए नई वितरण पाइपलाइन लगभग 35 किलोमीटर तक बिछाई गई है। नई पाइप लाइन से नल कनेक्शन देने का काम भी जोरो से चल रहा है। क्षेत्र में करीब 3500 घर है। इसमें से 2600 घरों में नए पाइप से कनेक्शन दिया जा चुका है और मात्र करीब 1000 घर बचे है।

भिलाई के हर घर तक पहुंचाएंगे पानी
हाउसिंग बोर्ड में फेस-2 के तहत प्रोजेक्ट पूरा हो गया है। पानी सप्लाई शुरू हो गई है। पानी टंकी, फिल्टर प्लांट व पाइप लाइन बिछाई गई है। भिलाई के हर घर तक साफ पानी पहुंचेगा।
-देवेन्द्र यादव, मेयर व विधायक, भिलाई



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Housing board tank testing completed, water supply also started, now 25 thousand families will get relief




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फसल ली ही नहीं और उठा रहे बीमा का फायदा, 25 से 30 हजार रुपए तक भुगतान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उन किसानों को भी बीमा की राशि मिल गई है जिन्होंने धान की फसल ली ही नहीं। पटवारी ने फसल नुकसान की ऐसी रिपोर्ट बनाई कि अपात्रों को भी फायदा हो गया। ऐसा ही मामला लिटिया गांव में सामने आया है। यहां 6 किसानों को खेती के बिना ही बीमा योजना का लाभ मिल गया है।
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी कर दी है और हल्का पटवारी पर गड़बड़ी का आरोप लगाया है। कृषि विभाग के उप संचालक जीएस ध्रुव ने बताया कि ग्रामीणों को इस संबंध में बीमा कंपनी से शिकायत करनी होगी। बीमा राशि कंपनी के माध्यम से जारी हुई है। लिटिया में फसल बीमा की राशि आने के बाद जब चर्चा छिड़ी तब इस बात का खुलासा हुआ कि कुछ ऐसे किसान भी हैं जो कि तीन से चार साल से खेती नहीं कर रहे हैं और जमीन बेकार पड़ी है पर इन किसानों को बीमा की राशि मिली है। जबकि कुछ किसानों को नुकसान झेलने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है।

बीमा लाभ के लिए पटवारी की रिपोर्ट जरूरी

गांव के राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि पटवारी के रिपोर्ट के आधार पर ही फसल बीमा का लाभ मिलता है। यह खुद पटवारी ने ही बताया है। पटवारी के पास जब कोई छोटा किसान बीमा संबंधित काम के लिए संपर्क करता हैं तो उसे टाल दिया जाता है। जबकि बड़े किसानों को पूरा तवज्जो दिया जा रहा है। ग्रामीण वीरेंद्र जंघेल ने बताया कि पटवारी की मिलीभगत से ही बड़े किसानों को खेती नहीं करने के बाद भी बीमा की राशि मिली है। इस संबंध में बताया कि जिस किसान को फायदा हुआ है, उसकी जमीन पांच साल से बेकार पड़ी है। ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार इसकी शिकायत कर रहे हैं पर अफसर जांच करने सामने नहीं आ रहे हैं। बताया कि कृषि विभाग के अफसरों से संपर्क किया गया था पर लॉकडाउन का बहाना कर गांव ही नहीं आए।



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कोरोना के बीच महाराष्ट्र में फंसे हैं बालाेद जिले के 1725 लोग

देश के 22 राज्यों में फंसे 4 हजार 227 लोगों ने ग्राम पंचायत में संपर्क कर और फोन से सूचना देकर घर वापसी के लिए जिला प्रशासन से लगाई गुहार है। जिसमें सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में फंसे एक हजार 725 लोग शामिल हैं यानी जितने अब तक दूसरे राज्यों से पहुंचे है, उससे ज्यादा और पहुंचेंगे। जिला प्रशासन के अनुसार मार्च से 7 मई तक 3 हजार 953 लोग दूसरे राज्यों से पहुंचे हैं। वहीं 7 अप्रैल तक दूसरे राज्यों में फंसे 1308 लोगों की पहचान कर सूची तैयार की गई थी। इस हिसाब से एक माह में ही 2 हजार 919 लोगों की और पहचान हुई है। जो कोरोना के कहर के बीच घर वापस आना चाह रहे है।
स्थानीय अफसरों का कहना है कि जिले के कितने लोग दूसरे राज्यों में फंसे है, इसकी जानकारी राज्य शासन को रोजाना दी जा रही है। घर कब तक पहुंचेंगे, इस संबंध में राज्य शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। कोरोना को लेकर देशभर में महाराष्ट्र संवेदनशील है, यहां 18 हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। वहां फंसे लोग चाह रहे हैं कि जल्द गृह जिला पहुंचे। महाराष्ट्र के चिखलोली गांव में फंसे माहुद बी के तिलकराम, चितरंजन ने बताया कि किसी तरह भोजन मिल रहा है लेकिन अब हमें घर आना है, यहां केस बढ़ते ही जा रहे है, काम बंद है। प्रशासन, शासन से उम्मीद है कि जल्द हमें घर पहुंचाएंगे।
स्कूल, सामुदायिक भवन आश्रम में ठहराया जा रहा
दूसरे राज्यों से वापस आने वाले श्रमिकों एवं परिवार के सदस्यों को क्वारेंटाइन में रखने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां जिला स्तर पर चल रही है। ताकि संक्रमण का खतरा न रहें। ग्राम स्तर पर गांव से दूर उपयुक्त भवन जैसे स्कूल, सामुदायिक भवन, आश्रम, छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। मजदूरों की संख्या के आधार पर ग्राम पंचायत व शहरी क्षेत्र स्तर पर व्यवस्था की गई है। इसके लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

शहर में सीएमओ, ग्रामीण क्षेत्र में जिपं सीईओ नोडल अफसर

छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव आरपी मंडल ने कलेक्टर को पत्र भेजकर निर्देश दिए है कि घर वापसी के लिए इच्छुक लोगों की जानकारी उपलब्ध कराएं। ताकि आगे की कार्रवाई कर सकें। कितनी संख्या में लोग, किस प्रदेश के किस जिले से कब आ रहे हैं या आने की संभावना है। अन्य राज्यों से प्राप्त डाटा जानकारी को कलेक्टर तत्काल राज्य नोडल अधिकारी से साझा करेंगे। कार्य योजना बनाने एवं क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जिपं सीईओ को, शहरीक्षेत्र में नपा सीएमओ को नोडल अफसर नियुक्त किए हैं।

स्वास्थ्य परीक्षण कर क्वारेंटाइन में रखेंगे
स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करें और क्वारेंटाइन सेंटर में रखें। श्रमिकों की अधिकता की स्थिति में प्रदेश की सीमा क्षेत्र या नजदीकी जिले के अन्य निर्धारित स्थान पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। अपर कलेक्टर एके वाजपेयी ने बताया कि दूसरे राज्यों में 4 हजार से ज्यादा लोग फंसे है। जो घर वापस आना चाह रहे है। राज्य शासन के आदेशानुसार जरुरी कार्रवाई चल रही है।



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1725 people stranded in Balade district in Maharashtra between Corona




25

कोरोना के बीच महाराष्ट्र में फंसे हैं बालाेद जिले के 1725 लोग

देश के 22 राज्यों में फंसे 4 हजार 227 लोगों ने ग्राम पंचायत में संपर्क कर और फोन से सूचना देकर घर वापसी के लिए जिला प्रशासन से लगाई गुहार है। जिसमें सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में फंसे एक हजार 725 लोग शामिल हैं यानी जितने अब तक दूसरे राज्यों से पहुंचे है, उससे ज्यादा और पहुंचेंगे। जिला प्रशासन के अनुसार मार्च से 7 मई तक 3 हजार 953 लोग दूसरे राज्यों से पहुंचे हैं। वहीं 7 अप्रैल तक दूसरे राज्यों में फंसे 1308 लोगों की पहचान कर सूची तैयार की गई थी। इस हिसाब से एक माह में ही 2 हजार 919 लोगों की और पहचान हुई है। जो कोरोना के कहर के बीच घर वापस आना चाह रहे है।
स्थानीय अफसरों का कहना है कि जिले के कितने लोग दूसरे राज्यों में फंसे है, इसकी जानकारी राज्य शासन को रोजाना दी जा रही है। घर कब तक पहुंचेंगे, इस संबंध में राज्य शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। कोरोना को लेकर देशभर में महाराष्ट्र संवेदनशील है, यहां 18 हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। वहां फंसे लोग चाह रहे हैं कि जल्द गृह जिला पहुंचे। महाराष्ट्र के चिखलोली गांव में फंसे माहुद बी के तिलकराम, चितरंजन ने बताया कि किसी तरह भोजन मिल रहा है लेकिन अब हमें घर आना है, यहां केस बढ़ते ही जा रहे है, काम बंद है। प्रशासन, शासन से उम्मीद है कि जल्द हमें घर पहुंचाएंगे।
स्कूल, सामुदायिक भवन आश्रम में ठहराया जा रहा
दूसरे राज्यों से वापस आने वाले श्रमिकों एवं परिवार के सदस्यों को क्वारेंटाइन में रखने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां जिला स्तर पर चल रही है। ताकि संक्रमण का खतरा न रहें। ग्राम स्तर पर गांव से दूर उपयुक्त भवन जैसे स्कूल, सामुदायिक भवन, आश्रम, छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। मजदूरों की संख्या के आधार पर ग्राम पंचायत व शहरी क्षेत्र स्तर पर व्यवस्था की गई है। इसके लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

शहर में सीएमओ, ग्रामीण क्षेत्र में जिपं सीईओ नोडल अफसर

छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव आरपी मंडल ने कलेक्टर को पत्र भेजकर निर्देश दिए है कि घर वापसी के लिए इच्छुक लोगों की जानकारी उपलब्ध कराएं। ताकि आगे की कार्रवाई कर सकें। कितनी संख्या में लोग, किस प्रदेश के किस जिले से कब आ रहे हैं या आने की संभावना है। अन्य राज्यों से प्राप्त डाटा जानकारी को कलेक्टर तत्काल राज्य नोडल अधिकारी से साझा करेंगे। कार्य योजना बनाने एवं क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जिपं सीईओ को, शहरीक्षेत्र में नपा सीएमओ को नोडल अफसर नियुक्त किए हैं।

स्वास्थ्य परीक्षण कर क्वारेंटाइन में रखेंगे
स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करें और क्वारेंटाइन सेंटर में रखें। श्रमिकों की अधिकता की स्थिति में प्रदेश की सीमा क्षेत्र या नजदीकी जिले के अन्य निर्धारित स्थान पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। अपर कलेक्टर एके वाजपेयी ने बताया कि दूसरे राज्यों में 4 हजार से ज्यादा लोग फंसे है। जो घर वापस आना चाह रहे है। राज्य शासन के आदेशानुसार जरुरी कार्रवाई चल रही है।



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कोरोना के बीच महाराष्ट्र में फंसे हैं बालाेद जिले के 1725 लोग

देश के 22 राज्यों में फंसे 4 हजार 227 लोगों ने ग्राम पंचायत में संपर्क कर और फोन से सूचना देकर घर वापसी के लिए जिला प्रशासन से लगाई गुहार है। जिसमें सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में फंसे एक हजार 725 लोग शामिल हैं यानी जितने अब तक दूसरे राज्यों से पहुंचे है, उससे ज्यादा और पहुंचेंगे। जिला प्रशासन के अनुसार मार्च से 7 मई तक 3 हजार 953 लोग दूसरे राज्यों से पहुंचे हैं। वहीं 7 अप्रैल तक दूसरे राज्यों में फंसे 1308 लोगों की पहचान कर सूची तैयार की गई थी। इस हिसाब से एक माह में ही 2 हजार 919 लोगों की और पहचान हुई है। जो कोरोना के कहर के बीच घर वापस आना चाह रहे है।
स्थानीय अफसरों का कहना है कि जिले के कितने लोग दूसरे राज्यों में फंसे है, इसकी जानकारी राज्य शासन को रोजाना दी जा रही है। घर कब तक पहुंचेंगे, इस संबंध में राज्य शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। कोरोना को लेकर देशभर में महाराष्ट्र संवेदनशील है, यहां 18 हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। वहां फंसे लोग चाह रहे हैं कि जल्द गृह जिला पहुंचे। महाराष्ट्र के चिखलोली गांव में फंसे माहुद बी के तिलकराम, चितरंजन ने बताया कि किसी तरह भोजन मिल रहा है लेकिन अब हमें घर आना है, यहां केस बढ़ते ही जा रहे है, काम बंद है। प्रशासन, शासन से उम्मीद है कि जल्द हमें घर पहुंचाएंगे।
स्कूल, सामुदायिक भवन आश्रम में ठहराया जा रहा
दूसरे राज्यों से वापस आने वाले श्रमिकों एवं परिवार के सदस्यों को क्वारेंटाइन में रखने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां जिला स्तर पर चल रही है। ताकि संक्रमण का खतरा न रहें। ग्राम स्तर पर गांव से दूर उपयुक्त भवन जैसे स्कूल, सामुदायिक भवन, आश्रम, छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। मजदूरों की संख्या के आधार पर ग्राम पंचायत व शहरी क्षेत्र स्तर पर व्यवस्था की गई है। इसके लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

शहर में सीएमओ, ग्रामीण क्षेत्र में जिपं सीईओ नोडल अफसर

छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव आरपी मंडल ने कलेक्टर को पत्र भेजकर निर्देश दिए है कि घर वापसी के लिए इच्छुक लोगों की जानकारी उपलब्ध कराएं। ताकि आगे की कार्रवाई कर सकें। कितनी संख्या में लोग, किस प्रदेश के किस जिले से कब आ रहे हैं या आने की संभावना है। अन्य राज्यों से प्राप्त डाटा जानकारी को कलेक्टर तत्काल राज्य नोडल अधिकारी से साझा करेंगे। कार्य योजना बनाने एवं क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जिपं सीईओ को, शहरीक्षेत्र में नपा सीएमओ को नोडल अफसर नियुक्त किए हैं।

स्वास्थ्य परीक्षण कर क्वारेंटाइन में रखेंगे
स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करें और क्वारेंटाइन सेंटर में रखें। श्रमिकों की अधिकता की स्थिति में प्रदेश की सीमा क्षेत्र या नजदीकी जिले के अन्य निर्धारित स्थान पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। अपर कलेक्टर एके वाजपेयी ने बताया कि दूसरे राज्यों में 4 हजार से ज्यादा लोग फंसे है। जो घर वापस आना चाह रहे है। राज्य शासन के आदेशानुसार जरुरी कार्रवाई चल रही है।



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1725 people stranded in Balade district in Maharashtra between Corona




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लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर 113 एफआईआर दर्ज, 259 लोग गिरफ्तार

कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घाेषित लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर जिले में पुलिस की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। एसपी हेमंत शर्मा ने बताया कि जिले में अब तक कुल 113 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें 259 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 151 के तहत 325 व्यक्तियों के खिलाफ 114 इस्तगासे से पेश किए गए हैं। अनावश्यक रूप से वाहन लेकर घूम रहे लोगों के खिलाफ भी बड़ी संख्या में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

एसपी ने बताया कि अब तक 15 हजार 471 वाहनों के चालान काटे गए हैं और 3 हजार 652 वाहन सीज किए गए हैं। इन कार्यवाहियों के तहत 30 लाख 40 हजार 450 का जुर्माना वसूल किया गया है। राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए महामारी आपदा प्रबंधन अध्यादेश 2020 के तहत जिले में अभी तक 320 व्यक्तियों की जुर्माना रसीदें पुलिस और प्रशासन द्वारा काटी गई हैं। यह रसीदें उन व्यक्तियों की काटी गई हैं जिन्होंने मास्क नहीं पहने हुए थे। इनसे 69800 का जुर्माना वसूल किया गया है। जिले में 381 व्यक्तियों के खिलाफ इस्तगासा किया गया है। जिले के रामसिंहपुर सिंहपुर थाना में लवप्रीत और मदनलाल नामक व्यक्तियों के मास्क नहीं पहने होने के कारण महामारी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।



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पुलिस ने कामां में 22 ड्रमों में भरी 4 हजार और विलानचट्टपुरा में 2500 लीटर वाश नष्ट की

लॉकडाउन में हथकढ़ शराब के कारोबार की सूचना पर शुक्रवार को उच्चैन थाना पुलिस ने गांव विलाचट्टपुरा में अवैध हथकढ़ शराब के खिलाफ छापामार कार्रवाई कर ढाई हजार लीटर वाॅश व शराब बनाने की चार भट्टियों को नष्ट किया है।

साथ ही मौके से 30 लीटर हथकढ़ शराब व एक बाइक को बरामद कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। उच्चैन एसएचओ जमील खान ने बताया कि पुलिस को गांव विलाचट्टपुरा में हथकढ़ शराब तैयार कर बेचने की सूचना मिली। जिस पर एसएचओ, एएसआई बृजभानसिंह, हैडकांस्टेबल बृजलाल, भरतसिंह के नेतृत्व में गठित टीमों ने शुक्रवार को गांव विलानचट्टपुरा में अलग-अलग रास्तों से पहुंचकर छापामार कार्रवाई की। जहां घरों व गैतबाडों में भट्टियों पर हथकढ़ शराब निर्मित होती हुई मिली। जिस पर पुलिस ने मौके पर ही चार भट्टियों को तोडकर मटकों व कैनों में भरी साढे ढाई हजार लीटर वाॅश को नष्ट कर दिया।

पुलिस ने गांव विलानचट्टपुरा निवासी बिरजी पुत्र कमलसिंह, राधे पुत्र नवला कंजर को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से तीस लीटर हथकढ़ शराब को बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही मौके पर लावारिस खड़ी बाइक को पुलिस एक्ट में जब्त किया है।

कामां| एसपी हैदरअली जैदी के निर्देश पर कामां डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने जुरहरा के गांव बमनवाडी व खेड़ी में अवैध शराब माफियाओं पर कार्रवाई कर जंगलों में अवैध शराब निर्माण के लिए बनाई गई भट्टियां तोड़ चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई। डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने बताया कि मेवात इलाके में शिकायते मिल रही थी कि अवैध शराब माफियाओं द्वारा जंगलों में अवैध हथकढ़ शराब बनाकर गांवों व शहरी इलाकों में शराब की सप्लाई की जा रही है।

जुरहरा थाना के गांव खेड़ी व बमनवाडी के जंगलों में कार्रवाई कर अवैध शराब निर्माण की भट्टियां तोड़कर 22 ड्रमों में भरी करीब चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई। इसके अलावा कार्रवाई के दौरान मौके से बीस लीटर तैयार अवैध शराब भी बरामद की गई। कार्यवाही के दौरान शराब माफिया पुलिस के हाथ नहीं लग सके।



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सभी योजनाओं में सैनिटाइजेशन स्टेशन, 25 हजार रु. प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी

कोरोना से बचाव के लिए हाउसिंग बोर्ड मौजूदा आवासीय योजनाओं और निर्माणाधीन परियोजनाओं में मुख्य द्वार पर सेनेटाइजेशन स्टेशनों का निर्माण करवाएगा। हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर पवन अरोड़ा ने बताया इस संबंध में उप आवासन आयुक्त और आवासीय अभियन्ताओं को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
अरोड़ा ने बताया कि योजनाओं में एक-एक सेनेटाइजेशन स्टेशन की स्थापना की जाएगी। इसके लिए रेजीडेंट वेलफेयर सोसायटियों को प्रेरित किया जाएगा। सोसायटियों द्वारा इनका निर्माण कर लिया जाएगा, उन्हें बोर्ड की ओर से 25 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। संबंधित योजना के आवासीय अभियन्ता की सिफारिश पर यह राशि दी जाएगी। स्टेशन पर सेंसर युक्त या पेडल युक्त मशीन लगाई जाएगी, जिनमें बिना हाथ लगाए लिक्विड सोप और पानी आएगा जिससे लोग हाथ धो सकेंगे। सेंसर युक्त या पेडल युक्त हैण्ड सेनेटाईजर मशीन भी लगाई जाएगी। यह स्टेशन कवर्ड होगा और योजना के मुख्य प्रवेश द्वार पर बनाया जाएगा। अरोड़ा ने प्रताप नगर और मानसरोवर आवासीय योजना में निर्माणाधीन चौपाटी, कोचिंग हब तथा मुख्यमंत्री शिक्षक एवं प्रहरी आवासीय योजना का निरीक्षण किया। मुख्य अभियन्ता के.सी. मीणा, एसीई नत्थूराम, उप आवासन आयुक्त सीताराम बरी मौजूद रहे।



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Sanitization station in all schemes, 25 thousand rupees. Incentives will also be available




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देश का पहला वर्चुअल फेयर 1 जून से, 2500 एग्जीबिटर्स होंगे शामिल

एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट की ओर से देश का पहला वर्चुअल हैंडीक्राफ्ट फेयर लगाया जाएगा। इसमें 2500 एग्जीबिटर्स शामिल होंगे। यह कहना है ईपीसीएच के डायरेक्टर जनरल राकेश कुमार का। यह ऑनलाइन फेयर 1 से 9 जून तक लगेगा। राकेेश कुमार बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते हैंडीक्राफ्ट का अप्रैल में होने वाला फेयर रद्द हो चुका है और भविष्य में निर्यातकों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ईपीसीएच की बोर्ड मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि शीघ्र ही इंटरनेट बेस्ड वर्चुअल फेयर लगाया जाएगा। इससे निर्यातक अपने शहर में बैठे अपने प्रॉडक्ट का प्रस्तुतीकरण कर सकेंगे। इस फेयर से विश्वभर के ग्राहकों को जोड़ा जाएगा व इसके माध्यम से न केवल निर्यातकों को ऑर्डर दे सकेंगे, बल्कि उनसे संपर्क भी कर सकेंगे।

ईपीसीएच ने इसका जिम्मा यूके की एक कंपनी को दिया है व इस फेयर में करीब 10 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि उनकी प्लानिंग है कि निर्यातकों के प्रॉडक्ट्स को अब देश में भी प्रमोट किया जाए ताकि यहां भी उनको ऑर्डर मिल सकें। गौरतलब है कि अप्रैल में होने वाले फेयर के आसपास चाइना में भी एक फेयर होता है, जो इस बार नहीं हो पाया, इस फेयर के नहीं होने की वजह से चाइना की ओर से भी 9 जून से वर्चुअल हैंडीक्राफ्ट फेयर आयोजित करने की तैयारी की जा रही है।
अमेरिका से बिजनेस मिलने की उम्मीद
राकेश कुमार ने बताया कि मौजूदा हालात में अमेरिका व चाइना के बीच ट्रेडवार चल रहा है। वहीं चाइना कोरोना के चलते कई देशों का विरोध भी झेल रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि देश के निर्यातकों को अच्छा बिजनेस मिल सकता है।
ईपीसीएच का ऑनलाइन वर्चुअल फेयर वर्तमान समय में अच्छा कॉन्सेप्ट है। यह फेयर कितना सफल रहेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी है। इस कठिन समय में हम सरकार से इस फेयर में निर्यातकों के लिए विशेष योजना के तहत सब्सिडी की मांग भी करेंगे। - डाॅ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट‌्स एसोसिएशन



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पुलिस ने कामां में 22 ड्रमों में भरी 4 हजार और विलानचट्टपुरा में 2500 लीटर वाश नष्ट की

लॉकडाउन में हथकढ़ शराब के कारोबार की सूचना पर शुक्रवार को उच्चैन थाना पुलिस ने गांव विलाचट्टपुरा में अवैध हथकढ़ शराब के खिलाफ छापामार कार्रवाई कर ढाई हजार लीटर वाॅश व शराब बनाने की चार भट्टियों को नष्ट किया है। साथ ही मौके से 30 लीटर हथकढ़ शराब व एक बाइक को बरामद कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

उच्चैन एसएचओ जमील खान ने बताया कि पुलिस को गांव विलाचट्टपुरा में हथकढ़ शराब तैयार कर बेचने की सूचना मिली। जिस पर एसएचओ, एएसआई बृजभानसिंह, हैडकांस्टेबल बृजलाल, भरतसिंह के नेतृत्व में गठित टीमों ने शुक्रवार को गांव विलानचट्टपुरा में अलग-अलग रास्तों से पहुंचकर छापामार कार्रवाई की। जहां घरों व गैतबाडों में भट्टियों पर हथकढ़ शराब निर्मित होती हुई मिली। जिस पर पुलिस ने मौके पर ही चार भट्टियों को तोडकर मटकों व कैनों में भरी साढे ढाई हजार लीटर वाॅश को नष्ट कर दिया।

पुलिस ने गांव विलानचट्टपुरा निवासी बिरजी पुत्र कमलसिंह, राधे पुत्र नवला कंजर को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से तीस लीटर हथकढ़ शराब को बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही मौके पर लावारिस खड़ी बाइक को पुलिस एक्ट में जब्त किया है।

एसपी हैदरअली जैदी के निर्देश पर कामां डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने जुरहरा के गांव बमनवाडी व खेड़ी में अवैध शराब माफियाओं पर कार्रवाई कर जंगलों में अवैध शराब निर्माण के लिए बनाई गई भट्टियां तोड़ चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई।

डीएसपी देवेंद्र सिंह राजावत ने बताया कि मेवात इलाके में शिकायते मिल रही थी कि अवैध शराब माफियाओं द्वारा जंगलों में अवैध हथकढ़ शराब बनाकर गांवों व शहरी इलाकों में शराब की सप्लाई की जा रही है। जिस पर जुरहरा थाना के गांव खेड़ी व बमनवाडी के जंगलों में कार्रवाई कर अवैध शराब निर्माण की भट्टियां तोड़कर 22 ड्रमों में भरी करीब चार हजार लीटर वाश नष्ट कराई। इसके अलावा कार्रवाई के दौरान मौके से बीस लीटर तैयार अवैध शराब भी बरामद की गई। कार्यवाही के दौरान शराब माफिया पुलिस के हाथ नहीं लग सके।



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बरगढ़ से 25 मजदूर पैदल पहुंचे बागबाहरा समाज सेवियों ने बस की व्यवस्था कर भेजा

बरगढ़ से पैदल मध्यप्रदेश जा रहे 25 मजदूरों को जत्था मंगलवार की सुबह शहर की सड़कों पर दिखा। ये सभी मजदूर 165 किलोमीटर दूर बरगढ़ (ओडिशा) से पैदल आ रहे थे। स्टेशन चौक पर कुछ स्वयंसेवी लोगों ने उन्हें रोककर पूछताछ की और उन्हें नाश्ता कराया। इसकी जानकारी एसडीएम भागवत जायसवाल को दी घी। लेकिन उन्होंने आने से साफ इनकार करते हुए ओडिशा प्रशासन से बात कर मजदूरों को वापस ओडिशा भेजने की बात कही। इसके बाद एसडीओपी लितेश सिंह को सूचना मिलने के बाद उन्होंने सभी मजदूरों को थाने बुलवाया और स्थानीय लोगों के सहयोग से उनके खाने की व्यवस्था की गई। फिर बस की व्यवस्था कर सभी को मध्यप्रदेश के लिए रवाना कर दिया गया।
मजदूरों ने कहा कि वो मध्यप्रदेश की बड़वानी, कटनी, सतना जिले के विभिन्न गांवों के निवासी है। वे बरगढ़ क्षेत्र में नंदा कंस्ट्रक्शन कंपनी मे फोरलेन सड़क निर्माण में काम कर रहे थे। लेकिन पूरे देश मे लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया। खाली बैठने की बजाय घर जाने का विचार किया और पैदल ही निकल गए। जत्थे को देखकर बरगढ़ कलेक्टर ने सभी मजदूरों को क्वारेंटाइन मे 28 दिन तक रखा और बाद में छोड़ दिया। क्वारेंटाइन पर रखे जाने का एक पत्र उन मजदूरों को दिया गया। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष ऑनलाइन आवेदन भी किया था, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसके बाद सभी मजदूर 3 मई को रेलवे ट्रैक के रास्ते पैदल चलते हुए बागबाहरा 5 मई की सुबह 8 बजे पहुंचे।
अंतरराज्यीय सीमा पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल : जिला प्रशासन ने कोरोना का संक्रमण अन्य राज्य से छत्तीसगढ़ में रोकने के लिए अंतर राज्य सीमा पर विभिन्न अधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। उनकी तैनाती के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मजदूर रेलवे ट्रैक से होते हुए बागबाहरा तक कैसे पहुंच गए। रास्ते में कोमाखान थाना भी पड़ता है उन्होंने भी इन्हें नहीं देखा। यह लापरवाही उन सबकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है।
परमिशन है तो सबकी हरसंभव मदद की जाएगी
एसडीएम भागवत जायसवाल ने कहा कि उन मजदूरों के पास यदि, जहां से आ रहे हैं और वे जहां जा रहे हैं। दोनों राज्यों का परमिशन का कागज नहीं है। इसलिए मैं आफिशियली यही कहूंगा कि मुझे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। स्थानीय स्तर पर कोई उनका सहयोग करना चाहे तो कर सकता है। राज्य सरकार के निर्देश के मुताबिक जिनके पास परमिशन का कागज है उन्हें ही हरसंभव मदद दी जाएगी।”
सारी जांच पड़ताल के बाद मजदूरों को भेजा गया
एसडीओपी लितेश सिंह ने बताया कि 25 मजदूर ओडिशा से बागबाहरा आ गए हैं। जन सहयोग से उनके भोजन एवं बस की व्यवस्था कर मध्यप्रदेश की सीमा में भेज दिया है। उन मजदूरों को बरगढ़ जिला प्रशासन की ओर से 28 दिनों तक क्वॉरेंटाइन में रखा गया था। उसका एक लेटर उन्होंने मुझे दिखाया है। सारी जांच पड़ताल के बाद ही उन्हें भेजा गया ।



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25 workers from Bargarh arrived on foot, Bagbahara social workers sent the bus by arranging




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झारखंड जाने नगरनार से पैदल निकले 25 मजदूर, पुलिस ने रोका, वापस प्लांट भेजा

नगरनार इस्पात संयंत्र में झारखंड के करीब 25 मजदूरों ने इकट्‌ठा होकर वापसी की फिराक में मुहिम चलाने की कोशिश की। इसके पीछे का कारण ये बताया जाता है कि कुछ मजदूरों को झारखंड से जगदलपुर लाया गया, जिसके बाद झारखंड के मजदूरों ने वापसी के लिए एकजुट होकर जाने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि झारखंड से बसाें के अाने के बाद वे वापस जाने की फिराक में थे। लेकिन कोई इंतजाम न दिखा तो मंगलवार सुबह झारखंड के पलामू जिले के करीब 25 मजदूर इकट्‌ठा हुए और पैदल वापसी करने की तैयारी कर ली। इसके बाद उन्होंने जैसे ही वापसी के लिए पैदल चलना शुरू किया, गोरियाबहार नाले के पास उन्हें रोक लिया गया और नगरनार पुलिस उन्हें लेकर वापस चली गई।
मजदूराें ने ठेकेदारों पर वेतन नहीं दिए जाने का अाराेप लगाया। लेकिन इन मजदूरों को 22 मार्च तक का वेतन कंपनियों ने दे दिया था। इसके बाद लॉकडाउन के उन्हें पैसे नहीं दिए गए। मजदूर पीएम नरेंद्र मोदी के उस बयान को आधार बना रहे थे जिसमें उन्होंने मालिकों से किसी का भी पैसा न काटने की अपील की थी, लेकिन इस संबंध में सरकार द्वारा काेई आदेश जारी नहीं होने से कंपनियों ने इस पर कोई पहल नहीं की। एसडीएम जीअार मरकाम ने कहा कि वेतन अाैर एडवांस की रकम ठेकेदारों द्वारा काट लिए जाने पर मजदूराें काे आपत्ति थी, लेकिन इसका हल निकाल लिया गया है। मजदूर लाॅकडाउन की समयावधि का वेतन मांग रहे हैं जिस पर न ताे एनएमडीसी ने अाैर न ही कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने काेई निर्णय लिया है।

मजदूर बोले- वापसी के लिए कोई प्रयास नहीं हुए
मजदूर जोगेंद्र यादव, संजय, प्रमोद, विनय सहित अन्य ने बताया कि उन्हें एक महीने का वेतन भी नहीं दिया है। दरअसल उन्हें 22 मार्च तक का वेतन दिया गया था। कई मजदूरों ने एडवांस भी ले रखा था। ऐसे में ठेकेदार ने एडवांस की रकम भी काटी। ऐसे में पैदल ही निकल पड़े। मजदूरों ने बताया कि वापसी के लिए अपने प्रदेश के जिम्मेदारों तक बात पहुंचाने की कोशिश की पर कोई मदद नहीं मिली।
इधर मारकेल में रुके 12 मजदूरों पर खाने का संकट

इधर मारकेल में बने हटमेंट में भी कुछ लेबर रुके हुए हैं। ये 12 मजदूर सब स्टेशन में इलेक्ट्रीशियन का काम कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद भी कोई काम नहीं होने के कारण अब उन पर संकट खड़ा हो गया है। इन हालातों में जहां उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है और न ही जरूरत का सामान ही उन्हें मुहैया हो पा रहा है। ये मजदूर वापस जाना चाहते हैं।



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25 laborers on foot from Nagarnar to go to Jharkhand, police stopped, sent back to plant




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झारखंड जाने नगरनार से पैदल निकले 25 मजदूर, पुलिस ने वापस प्लांट भेजा

नगरनार इस्पात संयंत्र में झारखंड के करीब 25 मजदूरों ने इकट्‌ठा होकर वापसी की फिराक में मुहिम चलाने की कोशिश की। इसके पीछे का कारण ये बताया जाता है कि कुछ मजदूरों को झारखंड से जगदलपुर लाया गया, जिसके बाद झारखंड के मजदूरों ने वापसी के लिए एकजुट होकर जाने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि झारखंड से बसाें के आने के बाद वे वापस जाने की फिराक में थे। लेकिन कोई इंतजाम न दिखा तो मंगलवार सुबह झारखंड के करीब 25 मजदूर इकट्‌ठा हुए और पैदल वापसी की तैयारी कर ली। इसके बाद उन्होंने जैसे ही चलना शुरू किया, गोरियाबहार नाले के पास उन्हें रोक लिया गया और नगरनार पुलिस उन्हें लेकर वापस चली गई। मजदूराें ने ठेकेदारों पर वेतन नहीं दिए जाने का अाराेप लगाया। लेकिन इन मजदूरों को 22 मार्च तक का वेतन कंपनियों ने दे दिया था।
मजदूरों को लेकर ट्रेन धनबाद रवाना हुई
बिलासपुर|मजदूराें को लेकर दो स्पेशल ट्रेन एक के पीछे एक दोपहर बाद बिलासपुर रेलवे स्टेशन से होकर गंतव्य के लिए रवाना हुईं। इनमें से एक ट्रेन में भोजन व पानी की बोतल बिलासपुर रेलवे स्टेशन से चढ़ाया गया। दोनों ही ट्रेन में 12-12 सौ यात्री थे। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से किए गए लॉकडाउन में देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड और बिहार के मजदूरों, छात्रों और पर्यटक को उनके राज्य वापस ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया है। इसके तहत मंगलवार को दो स्पेशल ट्रेनें झारखंड और बिहार के लिए बिलासपुर होकर गुजरीं। दोनों ही ट्रेनें 15 से 20 मिनट के अंतराल में बिलासपुर से होकर गईं। पहली ट्रेन सिकंदराबाद से खगड़िया बिहार को गई।
झारखंड के 80 मजदूर आज पहुंचेंगे बासागुड़ा
बीजापुर | तेंलगाना के कोत्तागुड़ेम जिले के भैयारम्म में झारखंड के मजदूर एक उद्योग में कार्य करने गए थे। काम नहीं मिलने के कारण 80 मजदूर तेलंगाना के भैयारम्म गांव से पैदल छत्तीसगढ़ सीमा तक पहुंचे। इस दौरान मजदूरों को एक साथ पैदल चलते देख ट्रैक्टर चालक ने उनसे पूछताछ की। पूछताछ करने पर उन्होंने झारखंड के मजदूर होना बताया। जानकारी के अनुसार मजदूर ट्रैक्टर से पुसगुफा के रास्ते से होते हुए छत्तीसगढ़ के उसूर ब्लॉक के कोण्डापल्ली मार्ग से बुधवार को ग्राम बासागुड़ा पहुंचेंगे। उसूर तहसीलदार सीताराम कंवर ने बताया यदि मजदूर पहुंचे तो सबसे पहले इनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। फिर कलेक्टर और एसडीएम के आदेशानुसार आगे की व्यवस्था होगी।



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25 laborers on foot from Nagarnar to go to Jharkhand, police sent back plant




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ऑनलाइन सब्जी कोई नहीं ले रहा, शराब के लिए 2 दिन में 250 ऑर्डर

राज्य सरकार ने सब्जी-फल बाजारों में जुट रही भीड़ से कोरोना के संक्रमण का खतरा दूर करने के लिए पूरे प्रदेश में सब्जी-फल की अॉनलाइन बुकिंग व होम डिलीवरी की सुविधा शुरू की हुई है।
तमाम कवायद के बाद भी सिर्फ 45 लोगों ने यहां पंजीयन कराया है। इसमें भी औसतन हर रोज 10-12 लोग ही सब्जी के लिए ऑर्डर कर रहे हैं। गत 14 अप्रैल से शुरू हुई इस योजना में जहां अब तक सब्जी व फल बेचने के लिए केवल 9 व्यापारी ही आगे आए हैं तो वहीं दूसरी ओर इस वेबसाइट के माध्यम से खरीदी के लिए 313 लोगों ने ही पंजीयन कराया हुआ है लेकिन इनमें से भी सिर्फ 45 ही एक्टिव है।
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक और इस योजना के नोडल अधिकारी अजय कुशवाहा ने कहा वेबपोर्टल के माध्यम से सब्जी बेचने के लिए व्यापारियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा लोगों को जागरूकता का परिचय देते हुए सब्जी खरीदने के लिए कहा जा रहा है।

डिलिवरी चार्ज है मुसीबत
होम डिलीवरी चार्ज भी लोगों को ऑनलाइन सब्जी बाजार से दूर कर रहा है। पोर्टल में पंजीकृत व्यवसायियों ने बकायदा शर्तों के साथ इसमें अपनी जानकारी डिस्प्ले कर रखी है और लोगों को ऑनलाइन डिलीवरी करने के लिए कुछ व्यापारी व संस्थाएं जहां मुफ्त में तो वहीं कुछ लोग 5 से 10 प्रतिशत तक होम डिलवरी चार्ज लेने की बात कह रहे हैं। जिसका असर भी इस योजना पर पड़ रहा है।

शराब की होम डिलीवरी के लिए ऑर्डर पर ऑर्डर
सरकार ने शराब की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलिवरी के लिए सरकार ने वेबपोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल पर लोग शराब के लिए ऑर्डर कर सकते हैं। लोगों ने ऑनलाइन घर पर शराब पाने के लिए बड़ी संख्या में अपने ऑर्डर बुक किए हैं। 2 दिनों में ही सिर्फ बस्तर जिले के लिए 249 लोगों ने ऑनलाइन शराब की मांग करते हुए अपने ऑर्डर बुक किए मंगलवार को 79 लोगों ने और बुधवार को एक साथ 70 लोगों ने शराब पाने के लिए बुकिंग की। बुधवार को इनमें से सिर्फ 17 लोगों को ही शराब मुहैया कराई जा सकी है। विभागीय अफसरों के मुताबिक ऑनलाइन शराब के डिलीवरी का जिम्मा प्राइम वन प्लेसमेंट एजेंसी प्राइम वन को है 24 घंटे में शराब के डिलीवरी करनी है लेकिन 48 घंटे में भी यदि डिलीवरी नहीं हुई तो प्लेसमेंट एजेंसी को फाइन भरना होगा। इधर कई लोग फॉल्स बुकिंग भी कर रहे है।

सिर्फ 15 किलोमीटर तक ही होगी सप्लाई
ऑनलाइन डिमांड पर सिर्फ 15 किमी तक ही शराब पहुंचा कर देने का प्रावधान है। होम डिलीवरी के लिए शराब की कीमत के अलावा 120 रुपए सर्विस चार्ज लेते हैं। आबकारी अफसरों का कहना है कि अधिकतर लोगों ने जिस ब्रांड की मांग की थी वह यहां उपलब्ध नहीं है एक व्यक्ति ने तो 60 किमी दूर मारडुम गांव से शराब के लिए बुकिंग की थी जिसे पहुंचाना संभव नहीं है।



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पश्चिम बंगाल में फंसे जेएनवी के 25 बच्चे कवर्धा लौटे

जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) उडियाकला में कक्षा 9वीं के 25 बच्चों को तीसरी भाषा की पढ़ाई के लिए इस साल बीरभूम (पश्चिम बंगाल) भेजा गया था, लेकिन लॉकडाउन के चलते एक महीने से बच्चे वहीं फंसे थे। गुरुवार को सभी बच्चे सकुशल लौट आए।
बस के जरिए बच्चों को वापस कवर्धा लाया गया। जवाहर नवोदय स्कूल पहुंचने पर लोहारा की मेडिकल टीम ने बच्चों की स्क्रीनिंग की। सभी स्वस्थ पाए गए हैं। फिर भी एहतिहात के तौर पर सभी बच्चों को 14 दिन तक स्कूल में ही क्वारेंटाइन किया जाएगा। साथ ही शिक्षक व बस चालक भी क्वारेंटाइन में रहेंगे। बच्चों से उनके पालकों को मिलने की अनुमति नहीं है। आदेश का उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी हो सकती है। स्कूल प्रबंधन ने बताया कि बच्चों को बाहर रखने की बजाय कठिन प्रयास से स्कूल में ही रखने की अनुमति मिली है। पालकों से आग्रह किया है कि वे किसी भी स्थिति में अपने बच्चों के मिलने के लिए स्कूल न आएं।

बंगाली भाषा के अध्ययन के लिए भेजे थे बच्चों को
देशभर में प्रत्येक जिले से बच्चे तीसरी भाषा के अध्ययन के लिए शाला प्रबंधन व शासन की ओर से अन्य राज्यों में भेजे जाते हैं। इस साल जवाहर नवोदय विद्यालय उड़ियाकला के 25 बच्चे बंगाली भाषा के अध्ययन के लिए वीरभूम (पश्चिम बंगाल) भेजे गए थे। 18 मार्च को पेपर खत्म होने के बाद ये सभी वापस आने वाले थे, तभी लॉकडाउन होने से ये सभी 25 बच्चे वहीं फंस गए थे। इस बीच उनके परिजन बच्चों को वापस लाने मांग कर रहे थे।



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25 children of JNV stranded in West Bengal returned to Kawardha




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विश्व रेडक्रॉस दिवस पर 251 रक्त यूनिट संग्रह

विश्व रेडक्रॉस दिवस पर रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा चांडिल सामुदायिक भवन में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन कर 251 रक्त यूनिट संग्रह किया गया। एसडीओ चांडिल के उपस्थिति में उक्त कार्यक्रम हुई जिसमें जिले के स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा। रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव डॉ डीडी चटर्जी ने स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में शामिल होकर ब्लड देने वाले लोगों का हौसला बढ़ाया और उन्हें प्रशस्ति पत्र दी। उन्होंने कहा कि रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा प्रत्येक वर्ष विश्व एड्स दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस वर्ष केवल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में रेड क्रॉस की गतिविधि काफी अच्छी है ।प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में लोगों को मदद की जा रही है।



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टाटा स्टील फाउंडेशन ने 250 जरूरतमंदों में बांटा राशन

खरसावां प्रखंड के प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय परिसर जोरडीहा में शुक्रवार काे टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से कृष्णापुर और जोरडीहा के 250 जरूरतमंदों के बीच खाद्य सामग्री का वितरण किय। खरसावां विधायक दशरथ गागराई के हाथों से सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कृष्णापुर पंचायत के 120 और जाेरडीहा पंचायत के 130 जरूरतमंद लोगों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया। मौके पर श्री गागराई ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन में कोई भी व्यक्ति भूखा नही रहेगा। इसके लिए सरकार द्वारा काफी प्रयास किया जा राह है। इस दौरान मुख्य रूप से विधायक के धर्मपत्नी बासंती गागराई, प्रखंड अध्यक्ष अर्जुन उर्फ नायडू गोप, पंचायत के मुखिया दशरथ सोय, निर्मल महतो, नियती महतो, प्राण मेलगांडी, सानगी हेम्ब्रम, दिलीप तांती, परमेश्वर तांती आिद मौजूद थे।



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लॉकडाउन से गंगा में मानव मल की मात्रा लक्ष्मण झूले के पास 47 और हरिद्वार में 25 प्रतिशत कम हुई

इन दिनों गंगा-यमुना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। सुखद आश्चर्य के साथ लोग इन वीडियो में बता रहे हैं कि कैसे देश भर में हुए लॉकडाउन के बाद इन नदियों का पानी स्वतः ही बेहद साफ नजर आने लगा है। दिल्ली तक आते-आते जो यमुना पूरी तरह से गंदा नाला दिखने लगती है, इन दिनों फिर से नदी लगने लगी है। ऐसे ही गंगा भी इन दिनों इतनी साफ लगने लगी है कि ऋषिकेश-हरिद्वार तक तो उसके पानी को पीने योग्य बताया जाने लगा है।


उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट बताती है कि ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला क्षेत्र में इन दिनों गंगा के पानी में फ़ीकल कॉलिफोर्म (मानव मल) की मात्रा में 47 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं ऋषिकेश में बैराज से आगे यह कमी 46 प्रतिशत, हरिद्वार में बिंदुघाट के पास 25 प्रतिशत और हर की पौड़ी पर 34 प्रतिशत दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है लॉकडाउन के दौरान हर की पौड़ी पा गंगा का पानी ‘क्लास-ए’ स्तर का हो चुका है। यानी इसे ट्रीट किए बिना ही सिर्फ़ क्लॉरिनेशन करके भी पिया जा सकता है।


ऐसे में यह सवाल बेहद प्रासंगिक लगता है कि गंगा-यमुना सफ़ाई के नाम पर खर्च हो चुके हज़ारों करोड़ रुपए और तमाम सरकारी प्रयास जो नहीं कर सके, क्या लॉकडाउन ने नदियों को साफ करने का वो काम कर दिया है? इस सवाल के जवाब में ‘इंडिया वॉटर पोर्टल’ के संपादक केसर सिराज कहते हैं, ‘काफ़ी हद तक किया है। लेकिन इसके कई पहलू हैं। नदी के प्रदूषित होने के कई कारण हैं। ये कारण शहरों में अलग हैं और पहाड़ों में अलग। इनमें सबसे बड़े कारण कारख़ानों से निकलने वाले रसायनों का नदी में मिलना है और दूसरा बिना ट्रीट हुए मानव मल का इनमें मिलना। इन दिनों चूंकि पूरे देश में कारख़ाने हैं लिहाज़ा पानी का स्तर कुछ बेहतर हुआ है।’

सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के डेटा के मुताबिक गंगा नदी के 36 मॉनिटरिंग यूनिट हैं जिनमें से 27 पर पानी नहाने और वाइल्ड लाइफ और फिशरीज के लिहाज से सुरक्षित है। (फोटो : 15 जनवरी 2020, गंगासागर मेला)


हरिद्वार में स्थित ‘मातृ सदन’ गंगा को बचाने के लिए बीते कई दशकों से अभियान चला रहा है। इस अभियान में सदन से जुड़े स्वामी निगमानंद और प्रोफ़ेसर जीडी अग्रवाल समेत कई लोगों ने तो अपने प्राण तक त्याग दिए हैं। इस सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद कहते हैं, ‘लॉकडाउन के बाद गंगा का पानी कुछ हद तक साफ हुआ है। इससे एक बात तो यही स्पष्ट होती है कि सरकार जो दावा करती है कि हरिद्वार से ऊपर सिर्फ़ ट्रीट किया हुआ सीवेज ही गंगा में मिलता है, वह दावा झूठा है। इन दिनों क्योंकि यात्रा बंद है, पहाड़ पर पर्यटकों की भरमार नहीं है इसलिए अंट्रीटेड सीवेज गंगा में नहीं जा रहा और तभी ये पानी साफ नजर आ रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी हरिद्वार में गंगा का पानी पीने लायक़ नहीं हुआ है। हम गंगा किनारे रहते हैं, इसलिए ये बात दावे से कह सकते हैं। जो वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं मैं उन्हें चुनौती देता हूँ कि अगर गंगा का पानी पीने लायक़ हो गया है तो वे यहां आकर ये पानी पीकर दिखाएं।’


स्वामी शिवानंद कुछ और महत्वपूर्ण पहलुओं का भी ज़िक्र करते हैं। वे कहते हैं, ‘गंगा या यमुना को एक पैसे की ज़रूरत नहीं है। वो ख़ुद को साफ करने में सक्षम है और यह बात इस लॉकडाउन ने काफ़ी हद तक साबित भी की है। हमें सिर्फ़ इतना करना है कि गंगा की अविरलता को बने रहने दिया जाए। लेकिन आप देखिए कि हरिद्वार पहुँचने से पहले ही गंगा को सैकड़ों जगह बांध दिया गया है। अलकनंदा, मंदाकिनी, भागीरथी जैसी गंगा की सभी धाराओं पर डैम बना दिए गए हैं तो उसकी अविरलता तो वहीं बाधित हो चुकी है। ऐसे में गंगा ख़ुद को साफ कैसे करेगी जब उसका प्रवाह ही रोक दिया जाएगा।’


गंगा के मुक़ाबले यमुना इस लिहाज़ से ख़ुशक़िस्मत है कि उस पर जल विद्युत परियोजनाओं का ऐसा बोझ नहीं है। लेकिन यमुना जैसे ही पहाड़ों से मैदान में पहुँचती है, इसकी हत्या शुरू हो जाती है। डाक पत्थर नाम की जगह से ही यमुना पर बैराजों और नहरों का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह स्थिति इतनी ख़राब हो चुकी है कि यमुना के नाम पर बसे यमुनानगर तक पहुँचने से पहले ही यमुना पूरी तरह मर चुकी होती है। इसकी मुख्यधारा का लगभग पूरा पानी नहरों में मोड़ दिया जाता है और तब सिर्फ़ कुछ नालों, बरसाती नदियों और छोटी-बड़ी धाराओं के साथ फैक्ट्रियों की गंदगी लिए जो कथित नदी आगे बढ़ती है, वह सिर्फ़ नाम की ही यमुना होती है।

उफनते नाले सी दिखने वाली यमुना नदी शायद पहली बार नीले साफ पानी से लबालब नजर आई है, पहली बार यहां प्रवासी पक्षी और मछलियां दिखाई दी हैं। (फोटो : 5 अप्रैल 2020, आईटीओ ब्रिज, नई दिल्ली)


साल 2000 में आई सीएजी की एक रिपोर्ट बताती है कि 1985 में शुरू हुआ ‘गंगा ऐक्शन प्लान’ 15 सालों में क़रीब 902 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी अपना ये उद्देश्य पूरा नहीं कर पाया कि गंगा के पानी को नहाने लायक़ भी साफ किया जा सके। लगभग यही स्थित ‘यमुना ऐक्शन प्लान’ की भी है जिसके तीन चरणों में अब तक 1656 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं और नतीजा दिल्ली में बदबू मारती यमुना के रूप में सबके सामने है।


यमुना जिए अभियान से जुड़े मनोज मिश्रा एक लेख में बताते हैं कि इतने सालों तक गंगा और यमुना सफ़ाई के नाम पर कारख़ानों से निकलने वाले रसायनों को अनदेखा किया गया जबकि ज़्यादा ध्यान सीवेज ट्रीटमेंट पर दिया गया। इन दिनों भी सीवेज तो हमेशा की तरह नदी में जा ही रहा है लेकिन कारख़ाने पूरी तरह बंद हैं और नदियों में पानी काफ़ी साफ दिख रहा है। इससे समझा जा सकता है कि नदियों को दूषित करने का बड़ा कारण क्या रहा है।


मनोज मिश्रा इस तथ्य पर भी ध्यान दिलाते हैं कि इस साल अच्छी वर्षा होने के कारण नदियों में पानी ज़्यादा छोड़ा गया है। यह भी एक बड़ी वजह है कि लॉकडाउन के दौरान नदियाँ साफ दिख रही हैं क्योंकि उनमें प्रवाह ज़्यादा है।


स्वामी शिवानंद कहते हैं, ‘गंगा हो यमुना हो या कोई भी नदी हो, उसमें ख़ुद को साफ रखने की क्षमता होती है। इन नदियों ने ही सभ्यताएँ बसाई हैं, सभ्यताओं ने नदियाँ नहीं। नदी को साफ़ करने की बात कहना सिर्फ़ ढोंग है और इस देश में तो भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल है। नदियों को बस उनके प्राकृतिक बहाव के साथ अविरल बहने दिया जाए, बड़े बांध बनाकर उनका प्रवाह न रोका जाए, कारख़ानों और मानव मल के सीवेज उनमें न छोड़े जाएँ, वो ख़ुद ही साफ रह लेंगी रहेंगी और हम सबको जीवन भी देती रहेंगी। जिन्हें ये बात पहले नहीं समझ आती थी, इस लॉकडाउन में मिली झलक से समझ सकते हैं। नदियों को सफ़ाई के लिए पैसों की नहीं, नीयत की ज़रूरत है।’



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सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के डेटा के मुताबिक गंगा नदी के 36 मॉनिटरिंग यूनिट हैं जिनमें से 27 पर पानी नहाने और वाइल्ड लाइफ और फिशरीज के लिहाज से सुरक्षित है। (फोटो : 11 अप्रैल 2020, प्रयागराज)




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लॉकडाउन में निकले मजदूरों की कहानी: कोई 25 दिन में 2800 किमी सफर कर घर पहुंचा, तो किसी ने रास्ते में ही दम तोड़ा

देश में कोरोना के चलते अचानक लगाया लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों पर सबसे ज्यादा भारी पड़ा है। उन्हें जब ये पता चला की जिन फैक्ट्रियों और काम धंधे से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ होता था, वह न जाने कितने दिनों के लिए बंद हो गया है, तो वे घर लौटने को छटपटाने लगे।

ट्रेन-बस सब बंद थीं। घर का राशन भी इक्का-दुक्का दिन का बाकी था। जिन ठिकानों में रहते थे उसका किराया भरना नामुमकिन लगा। हाथ में न के बराबर पैसा था। और जिम्मेदारी के नाम पर बीवी बच्चों वाला भरापूरा परिवार था। तो फैसला किया पैदल ही निकल चलते हैं। चलते-चलते पहुंच ही जाएंगे। यहां रहे तो भूखे मरेंगे।

कुछ पैदल, कुछ साइकिल पर तो कुछ तीन पहियों वाले उस साइकिल रिक्शे पर जो उनकी कमाई का साधन था।जो फासला तय करना था वह कोई 20-50 किमी नहीं बल्कि 100-200 और 3000 किमी लंबा था।

1886 की बात है। तारीख 1 मई थी। अमेरिका के शिकागो के हेमोर्केट मार्केट में मजदूर आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन दबाने को पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें कुछ मजदूर मारे भी गए। प्रदर्शन बढ़ता गया रुका नहीं। और तभी से 1 मई को मारे गए मजदूरों की याद में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

आज फिर 1 मई आई है। इस बार थोड़ी अलग भी है। इसलिए, मजदूर दिवस पर लॉकडाउन में फंसे, पैदल चले और अपनी जान गंवा बैठे प्रवासियों के संघर्ष और सफर की पांच कहानियां -

ये तस्वीर 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर की है। लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद ही प्रवासी मजदूर बच्चों को कंधे पर बैठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे।

पहली कहानी : मुंबई से 500 दूर उप्र सिर्फ बिस्किट खाकर निकले थे, घर तो पहुंचेलेकिन मौत हो गई

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले का इंसाफ अली मुंबई में एक मिस्त्री का हेल्पर था। लॉकडाउन की वजह से काम बंद हुआ तो घर पहुंचने की ठानी। इंसाफ 13 अप्रैल को मुंबई से यूपी के लिए निकल पड़ा। 1500 किमी के सफर में ज्यादातर पैदल ही चला। बीच-बीच में अगर कोई गाड़ी मिल जाती, तो उसमें सवार हो जाता।
जैसे-तैसे 14 दिन बाद यानी 27 अप्रैल को इंसाफ अपने गांव मठकनवा तो पहुंच गया, लेकिन वहां क्वारैंटाइन कर दिया गया। उसी दिन दोपहर में इंसाफ की मौत हो गई। पत्नी सलमा बेगम का कहना था कि इंसाफ ने उसे फोन पर बताया था कि वह सिर्फ बिस्किट खाकर ही जिंदा है।

ये तस्वीर भी 27 मार्च की दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास एनएच-24 की है। प्रवासी मजदूरों की जो भीड़ शहरों से अपने गांव की तरफ जा रही थी। उनमें छोटे-छोटे बच्चे भी थे।

दूसरी कहानी : 1400 किमी दूर घर जाने के लिए पैदल निकला, 60 किमी बाद दम तोड़ दिया

मध्य प्रदेश के सीधी के मोतीलाल साहू नवी मुंबई में हाउस पेंटर का काम करते थे। जब देश में पहला लॉकडाउन लगा तब तक मोतीलाल मुंबई में ही रहे। लेकिन, दूसरे फेज की घोषणा होने के बाद 24 अप्रैल को वे पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। उनका घर नवी मुंबई से 1400 किमी दूर है।

मोतीलाल के साथ 50 और प्रवासी मजदूर भी थे। मोतीलाल खाली पेट ही चल पड़े थे। उन्होंने 60 किमी का सफर तय किया ही था कि रास्ते में ठाणे पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं और बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा हो पाता है।

तीसरी कहानी : दिल्ली से 1100 किमी दूर बिहार जा रहे थे, आधे रास्ते पहुंच बेहोश होकर गिर पड़े, मौत हो गई

बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामजी महतो दिल्ली से अपने घर के लिए पैदल ही निकल पड़े। दिल्ली से बेगूसराय के बीच की दूरी 1100 किमी है। उन्होंने 850 किमी का सफर तय भी कर लिया था। रामजी 3 अप्रैल को दिल्ली से निकले, लेकिन 16 अप्रैल को यूपी के वाराणसी में बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें एंबुलेंस में चढ़ाया ही था कि उन्होंने दम तोड़ दिया।

जिन घर वालों के पास पहुंचने के लिए रामजी बिना कुछ सोचे-समझे पैदल ही निकल पड़े थे, उन घर वालों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे वाराणसी जाकर रामजी का शव ले सकें और उनका अंतिम संस्कार कर सकें। बाद में वाराणसी पुलिस ने ही उनका अंतिम संस्कार किया।

ये तस्वीर 30 मार्च की मुंबई-अहमदाबाद हाईवे की है। इसी रास्ते से पालघर में मजदूरी करने वाला एक मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ भूख-प्यास की चिंता किए बगैर घर की ओर लौट रहा है।

चौथी कहानी : 300 किमी जाना था, 200 किमी चलने के बाद पुलिस के मुताबिक हार्टअटैक से मौत हो गई
39 साल के रणवीर सिंह मध्य प्रदेश के मुरैना के बादफरा गांव के रहने वाले थे। तीन साल पहले पत्नी और तीन बच्चों की परवरिश के लिए दिल्ली आ गए। यहां आकर एक रेस्टोरेंट में डिलीवरी बॉय का काम भी किया। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से सब काम बंद हो गया। इससे रणवीर दिल्ली से मुरैना के लिए पैदल ही निकल गए।

दिल्ली से उनके गांव तक की दूरी 300 किमी के आसपास थी। वे 200 किमी तक चल भी चुके थे, लेकिन 28 मार्च को रास्ते में ही आगरा पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। उनके घरवालों का कहना था कि रणवीर की मौत भूख-प्यास से हुई है। जबकि, पुलिस का कहना था कि पोस्टमार्टम के मुताबिक, उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है।

पांचवी कहानी : 25 दिन में 2800 किमी का सफर तय कर गुजरात से असम पहुंचे जादव

पैदल घर जाने वालों में एक नाम जादव गोगोई का भी है। वे असम के नागांव जिले में रहते हैं। लेकिन, मजदूरी गुजरात के वापी शहर में करते हैं। लॉकडाउन लगने के बाद 27 मार्च को जादव वापी से अपने घर आने के लिए निकल पड़े। 25 दिन में 2800 किमी का सफर तय करने के बाद, 19 अप्रैल को आखिरकार जादव अपने घर पहुंच ही गए।

46 साल के जादव चार हजार रुपए लेकर वापी से निकले थे। कभी पैदल तो कभी ट्रक वालों से लिफ्ट भी ली। ऐसा करते-करते बिहार तक आ गए। बिहार से फिर पैदल ही असम भी पहुंच गए।



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Labour Day 2020/Majdur Diwas | Latest Story On Migrant Workers Travel Death Due To Coronavirus Lockdown




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2025 में आप 2020 की कहानी कैसे सुनाएंगे?

हाल ही में यूएन पॉपुलेशन फंड द्वारा जारी आंकड़ों में दावा किया गया है कि लॉकडाउन की वजह से करीब 70 लाख ऐसी ‘अनइंटेंडेड’ प्रेग्नेंसी हो सकती हैं, जिनकी प्लानिंग नहीं की गई। अगर यह सच है तो चार-पांच साल बाद हमें इन बच्चों को आज की कहानी सुनानी पड़ेगी, जो कुछ इस तरह होगी:
बच्चा बोलता है, ‘प्लीज मेरी पसंदीदा वो वाली कहानी सुनाओ न, जब मैं पैदा हुआ था और दुनिया पर वायरस का हमला हुआ था।’ पिता कहानी शुरू करता है, ‘वह कचरे और अचंभे की दुनिया थी। हमने बहुत कम समय में लंबी बिल्डिंग्स बना लीं, कुछ हफ्तों में ही पुल बना दिए और वह सबकुछ हासिल किया जो हम पाना चाहते थे। हम 24 घंटे में ही दुनिया के किसी भी कोने से जो चाहें, मंगवा सकते थे क्योंकि तब आसमान में पंछी कम हवाईजहाज ज्यादा थे।

लेकिन इस प्रक्रिया में हम कचरा कम करना भूल गए और हमें हैसियत से भी बाहर, बेहिसाब खरीदारी की बीमारी हो गई। हमने सारा प्लास्टिक समंदर में फेंक दिया, जिससे व्हेल जैसे जानवर तक मर गए। उत्पादकों ने ज्यादा से ज्यादा सामान बनाने के लिए हमने पेड़ काटे, जितना हो सके उतना तेल निकाला, चौबीसों घंटे, सातों दिन फैक्टरी चलाईं, लेकिन यह नहीं समझ पाए कि हम नीले आसमान को काला कर रहे थे।
फिर हमने मोबाइल फोन की खोज की, जो सबसे पास था, यहां तक कि तुम्हारे जैसे बच्चों के पास भी। उसके बाद लोगों ने एक ही कमरे में रहते हुए भी एक-दूसरे से बात करना बंद कर दिया। हम प्रार्थना और एक्सरसाइज तक ऑनलाइन करने लगे। धीरे-धीरे अकेलापन पैर पसारने लगा, खासतौर पर बच्चों को यह बहुत महसूस होने लगा। फिर 2020 में वायरस आया। लाखों लोग मारे गए। हम सभी मौत के डर से महीनों घरों में कैद रहे। हमने एक-दूसरे से बात की, साथ में नाचे, कहानियां पढ़ीं, दूसरों के लिए खाना पकाया, जरूरतमंदों की मदद की। अ

चानक इंसान खुद के लिए नहीं, दूसरों के लिए जीने लगा, जैसा हम आज करते हैं। न सिर्फ हमारे माता-पिता, बल्कि हमारे दादा-दादियों ने भी जीवन में जो कुछ किया, उसे हमने अपना बनाया और तुम सभी के लिए इस धरती को फिर से खूबसूरत बनाया। प्रकृति के साथ रहने की नई आदत ने प्रकृति को नुकसान पहुंचाने की पुरानी आदत खत्म कर दी। यही कारण है कि तुम समंदर किनारे कछुए, फुटपाथ पर नाचते मोर, सड़क के डिवाइडर्स पर सोते हिरण और बेडरूम की खिड़की पर चहचहाती चिड़िया देख पाते हो।’
जिज्ञासु बच्चे ने पूछा, ‘मानवता केलिए यह अच्छा है, आपको यह बताने के लिए वायरस की जरूरत क्यों पड़ी?’ यह सुनकर बच्चे के जन्मदिन के लिए केक बना रही मां बोल पड़ीं, ‘मैं समझाती हूं।’
उसने बच्चे को गले लगाया और पूछा, ‘तुम्हें केक पसंद है?’ बच्चे ने कहा, ‘हां, बहुत।’ मां ने उसके माथे को चूमा और पूछा, ‘तो तुम कच्चा अंडा क्यों नहीं खाते?’ बच्चा बोला, ‘छी, मैं नहीं खा सकता।’ फिर मां ने बेकिंग सोडा, थोड़ा आटा और कड़वे कोको समेत सारी चीजें उसकी ओर बढ़ा दीं। बच्चे ने इन्हें छूने से इनकार कर दिया। तब मां बोलीं, ‘जब तुम इन सभी चीजों को सही मात्रा में मिलाते हो, तभी मेरे राजा बेटे के लिए शानदार चॉकलेट केक बनता है, है न?’
बच्चे ने हामी भरी और मां को चूम लिया। मां ने आंखें बंदकर बच्चे के इस प्रेम का आनंद लिया और बोली, ‘भगवान भी ऐसे ही काम करते हैं। जब तुम उनकी रचनाओं का सम्मान नहीं करते और उन्हें नष्ट करते हो तो वे थोड़े मुश्किल दौर में डाल देते हैं। लेकिन भगवान जानते हैं कि वे जब उन सभी चीजों को सही ढंग से रखेंगे, तो वे सभी मानवता के हित में काम करेंगी। भगवान तुम्हें बहुत चाहते हैं। वे रोज सुबह ताजा फूलों के साथ धूप भेजते हैं। क्योंकि वे सोचते हैं कि तुम खास हो क्योंकि तुम 2020 के दौर में तब पैदा हुए, जब इंसान ने उनकी रचनाओं का सम्मान करना शुरू किया।’ जब तक कहानी खत्म हुई, केक बन चुका था।
फंडा यह है कि इस लॉकडाउन में हो रहे छोटे-से-छोटे बदलाव को भी अपनी यादों में दर्ज करें। हो सकता है कि ये सीखें हमारे बच्चों, नाती-पोतों के लिए 2025 में शानदार कहानियां बन जाएं।



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इंदौर अब बेहतर स्थिति में, अब सिर्फ 20 से 21 एरिया हॉट स्पॉट, करीब 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग हुई - सीएमएचओ

जिले में अब सिर्फ 20-21 हॉट स्पॉट एरिया हैं, जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 10 से ज्यादा पाई गई है। पिछले दिनों से तुलना की जाए तो अब हम बेहतर स्थिति में हैं। अब तक इंदौर जिले में लगभग 25 लाख लोगों का स्वास्थ्य सर्वे किया जा चुका है। अभी जो लोग बचे हैं, दो से तीन दिन में उनके सर्वे भी कर लिए जाएंगे। सर्वे के दौरान करीब 9 हजार लोग ऐसे पाए गए थे, जिन्हें सर्दी-खांसी थी। डॉक्टरों द्वाराजांच में करीब 250 लोग संदिग्ध नजर आए, इनमें से जांच के बाद 100 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। पेंडिंग सैंपल की बात करें तोअबबचे हुए पुराने सैंपलों की जांचकरीब-करीब पूरीहो गई है। अब यह व्यवस्था होने जा रही है कि आए हुए सैंपलों की जांच उसी दिन कर ली जाए।कंटेनमेंट एरिया के सर्वे को पूरा कर लिया गया है। यह बातें गुरुवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जडिया ने कही।

उन्होंने बताया कि अब नई गाइड लाइन के अनुसार पॉजिटिव मरीजों के भर्ती को लेकर तीन श्रेणी बांटी गई है। इसमें लक्षण के अनुसार मरीजों को अलग-अलग रखा जाएगा। कोविड केयर सेंटर में उन्हें रखा जाएगा, जो पॉजिटिव तो हैं, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। वहीं, जिनमें कुछ ज्यादा लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उन्हें डीसीएससी में रखा जाएगा। इसके अलावा ज्यादा गंभीर मरीजों को डीसीएच में रखा जाएगा।

अब तक 1485 लोग संक्रमित, 68 मरीजों ने तोड़ा दम
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि बुधवार को इंदौर में 286 टेस्ट लगाए गए थे, जिनमें से 267 सैंपल निगेटिव पाए गए। 19 टेस्ट पॉजिटिव आए। इस प्रकार अब जिले में पॉजिटिव मरीजों की संख्या 1485 हो गई है। 100 से ज्यादा लोगोंकी दूसरी रिपाेर्ट भी निगेटिव आ गई है। वहीं, अब तक 68 मरीजों की मौत हो चुकी है। सर्वे कार्य भी बफर जोन तक पहुंच चुका है। बहुत कम मात्रा में कोरोना के लक्षण वाले मरीज इस दौरान मिल रहे हैं। जो मिल रहे हैंउनके सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा रहे हैं।



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नई गाइड लाइन के अनुसार अब पॉजिटिव मरीजों को लक्षण के आधार पर अलग-अलग भर्ती किया जाएगा।




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25 केंद्राें पर 5823 किसानाें से 4.21 लाख क्विंटल की खरीदी, परिवहन नहीं हाेने से 20 जगह गेहूं खुले में पड़ा, बारदान की है कमी

समर्थन मूल्य पर 25 केंद्राें पर गेहूं खरीदा जा रहा है। इसमें से 20 जगह खरीदा गेहूं परिवहन नहीं होने से गेहूं रखने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब तक 5823 किसानों से 4 लाख 21 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। इसमें से 3 लाख क्विंटल का ही परिवहन हाे पाया है। 1 लाख 21 हजार क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा है। जो मौसम में बदलाव से खराब होने का अंदेशा है। वहीं जिला मुख्यालय से मार्केटिंग फेडरेशन के अधिकारियों ने बारदान परिवहन नहीं किया। कई केंद्रों पर बारदान की कमी है। कुछ केंद्र प्रभारी ने स्वयं का वाहन भेज कर बारदान मंगवा कर खरीदी शुरू की है।


काछीबड़ाेदा केंद्र पर गेहूं का परिवहन नहीं होने से सोमवार को खरीदी नहीं हुई। मैसेज मिलने पर उपज लेकर आए किसान परेशान होते रहे। केंद्र पर खुले में पड़े गेहूं को तिरपाल से ढंका गया है। सहकारिता अधिकारी वर्मा का कहना है गेहूं परिवहन के लिए वरिष्ठ अधिकारी को सूचित कर दिया है। वाहन की कमी होने से परिवहन में देरी होने से कई केंद्राें पर गेहूं का स्टाॅक पड़ा है। शीघ्र ही गेहूं उठवाया जाएगा।

तलवाड़ा वेयर हाउस फूल, अब बगड़ी मंंडी परिसर में हाेगी खरीदी

उपार्जन केंद्र तलवाड़ा वेयर हाउस में क्षेत्र के किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा था। जहां दो संस्थाओं की खरीदी हाेने व परिवहन नहीं हाेने से वेयर हाउस पूरा भर गया। किसानों काे भी 7 से 15 किमी की दूरी तय कर तलवाड़ा जाना पड़ता था। किसानों ने एसडीएम सत्यनारायण दर्रो से चर्चा कर खरीदी केंद्र को बगड़ी में करने की मांग की थी। एसडीएम ने अधिकारियों से चर्चा कर खरीदी केंद्र बगड़ी किया है। अब बगड़ी संस्था के किसानों की उपज कृषि उप मंडी में खरीदी जाएगी। नायब तहसीलदार जितेंद्रसिंह तोमर ने गेहूं तुलाई के बाद प्रतिदिन परिवहन करने के लिए संबंधित अधिकारियाें काे निर्देश दिए। थाना प्रभारी बीएस वसुनिया, बीएमओ चमनदीप अरोरा ने भी खरीदी केंद्र का निरीक्षण कर संस्था प्रबंधन कृष्णा वर्मा, कालूराम वर्मा व किसानाें से चर्चा की।

अधिक किसानाें काे बुलाने से लग रही भीड़
ई-उपार्जन केंद्र पर ज्यादा किसान पहुंचने लगे हैं। भाेपाल से मैसेज मिलने के बाद उपज लेकर अाने से वाहनाें की कतार केंद्र के बाहर लग रही। खरीदी केंद्र पर भीड़ बनने से निश्चित दूरी का पालन नहीं हाे रहा। वंदना वेयर हाउस मनासा में कतार में वाहन आगे पीछे करने को लेकर किसानों के बीच विवाद हाे गया। 100 डायल व कानवन थाना बीट प्रभारी रवींद्र चाैधरी ने पहुंचकर किसानों को समझाइश दी। नागदा स्थित वेयर हाउस के बाहर वाहनाें की भीड़ बढ़ने से मंडी परिसर में खड़े कराए। नायब तहसीलदार मनीष जैन ने पहुंच कर भंडारण व रखरखाव को लेकर प्रभारी विजेंद्रसिंह बना से जानकारी ली। वेयरहाउस भर जाने से गेहूं बाहर पड़ा है। नायब तहसीलदार जैन ने किसानों से कहा कि अाप धैर्य के साथ सहयोग करें। सभी का गेहूं खरीदा जाएगा। मैसेज सीमित रखने के लिए प्रभारी बना को जीएसओ से चर्चा कर व्यवस्था बनाने की बात कही। पेयजल की व्यवस्था व निश्चित दूरी, मास्क का उपयाेग करने के निर्देश दिए। ई-उपार्जन केंद्र नागदा व मनासा में अब तक 633 किसानों से 49335 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है।



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Purchased 4.21 lakh quintals from 5823 farmers at 25 centers, wheat was left in the open due to lack of transportation, there is shortage of gunny bags
Purchased 4.21 lakh quintals from 5823 farmers at 25 centers, wheat was left in the open due to lack of transportation, there is shortage of gunny bags




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लॉकडाउन के 43 दिन : 4 सेंटरों में 259 को किया क्वारेंटाइन, 174 डिस्चार्ज हुए

पेटलावद ब्लॉक मुख्यालय पर बनाए गए 4 क्वारेंटाइन सेंटरों में 85 लोग बचे हैं। लॉकडाउन के करीब 43 दिनों में यहां बाहर से आए ढाई सौ से अधिक लोगोंको क्वारेंटाइन किया गया था। हालांकि जिनकी भी अवधि पूरी हो गई उन्हें यहां से जाने दिया था।


कस्तूरबा बालिका विद्यालय सीनियर छात्रावास, कन्या शिक्षा परिसर, अंग्रेजी माध्यम बालिका आश्रम और बालक उत्कृष्ट छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है। इन्हें 1 मार्च से शुरू किया गया है। इन सेंटरों में अब तक कुल 259 व्यक्तियों को क्वॉरेंटाइन किया गया। जिनमें से 174 को डिस्चार्ज कर दिया है। जबकि 94 के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 67 की रिपोर्ट निगेटिव आई। 7 विभिन्न कारणों से रिजेक्ट हो गई। उनमें से 2 पुनः सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इन सेंटरों पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर मुन्नालाल चोपड़ा एवं उनकी टीम द्वारा प्राथमिक जांच कर सूची बनाकर इन सेंटरों में भेजा जाता है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रतिदिन इन सेंटरों पर स्वास्थ्य परीक्षण एवं आवश्यक दवाई आदि देने नियमित आती है। नगर परिषद द्वारा प्रतिदिन इन केंपस को सैनिटाइजे किया जाकर जल की आपूर्ति की जा रही है।


आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारी दे रहे ड्यूटी: इन क्वारेंटाइन सेंटरों में समस्त कर्मचारी आदिवासी विकास विभाग के शिक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। इन सेंटरों की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी शासकीय कन्या उमावि पेटलावद के प्राचार्य ओंकारसिंह मेड़ा को बनाया गया है। प्रत्येक क्वारेंटाइन सेंटर पर दो अधीक्षक को मेस संचालन एवं अन्य व्यवस्थाओं संबंधी दायित्व सौंपे गए हैं।



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बेबस यात्रियाें से 2500-2500 रुपए किराया वसूला, बस चालक व कंडक्टर पर एफआईआर

काेराेना संकट के दाैर में परेशान लाेगाें की सेवा में सब लगे हैं। इस बीच एक बस वाले ने बेबस यात्रियाें की मजबूरी का फायदा उठाकर पीथमपुर से रीवा के लिए बिना अनुमति बस चला दी और यात्रियाें से 2000 से 2500 रुपए तक किराया वसूल लिया।


साेशल डिस्टेंस का भी ख्याल नहीं रखा और बस के अंदर और छत पर सवारी बैठा कर ले गया। बस का किसी ने सागर के पास वीडियाे बनाया। यह वीडियाे जब वायरल हुआ ताे जांच शुरू हुई। बस का रजिस्ट्रेशन नंबर देवास का हाेने से जिला परिवहन अधिकारी जया वसावा ने कार्रवाई की। मंगलवार रात काेतवाली थाने पर बस के चालक और कंडक्टर पर एफआईआर दर्ज करवाई गई। वसावा ने बताया वीडियाे वायरल हाेने पर कोतवाली टीआई एमएस परमार ने बस के नंबर की हमें जानकारी दी। बस बालाजी के नाम से संचालित है। मालिक संतोष चौहान इंदाैर के राऊ में रहता है। उनसे पूछा कि बस कहां है ताे बाेले किसी के कहने पर बस को मजदूरों को छोड़ने
भेजा है। जब अनुमति मांगी गई तो बसमालिक ने जवाब दिया कि अनुमति नहीं है। कोतवाली में बस चालक और कंडक्टर पर एफआईआर दर्ज की है। बस का परमिट भी निरस्त किया जाएगा। वसावा ने बताया सरकार मजदूराें काे उनके घर तक छाेड़ रही है। इस दाैरान बसाें में साेशल डिस्टेंस का पालन किया जा रहा है, किराया नहीं लिया जा रहा है। जिन्हें अनुमति दी जा रही है, केवल वे ही बसें मजदूराें का छाेड़ रही हैं। बस मालिक ने बिना अनुमति बस चलाई, पाबंदी के बावजूद किराया लिया और साेशल डिस्टेंस का भी ख्याल नहीं रखा। सभी धाराओं में केस दर्ज किया है।



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Rs 2500-2500 fare recovered from helpless passengers, FIR on bus driver and conductor




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समर्थन मूल्य पर गेहूं की रिकाॅर्ड खरीदी, पिछले सीजन में 75 हजार मैट्रिक टन खरीदा, अब तक 1.25 लाख के पार

इस साल जिले में गेहूं का रकबा बढ़ने के साथ ही उत्पादन भी बंपर हाे रहा, जिसका असर जिले में शुरू हुई समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में देखने काे मिल रहा है। गत वर्ष पूरे सीजन में जिले में गेहूं की समर्थन मूल्य पर कुल खरीदी 75 हजार मैट्रिक टन हुई थी, जाे इस बार एक माह भी पूरा नहीं हाेने पर गेहूं की खरीदी का जिले भर का आंकड़ा 1.25 लाख मैट्रिक टन से अधिक हाे गया है।


अगर इसी तरह से 31 मई तक जिले के सभी केंद्राें पर खरीदी चलती रही ताे इस साल सबसे ज्यादा खरीदी का रिकाॅर्ड बन जाएगा। जिले में 123 खरीदी केंद्र पर खरीदी हाेना थी, किंतु कंटेनमेंट क्षेत्र हाेने से 109 केंद्राें पर खरीदी की जा रही। कंटेनमेंट क्षेत्र के 14 खरीदी केंद्राें पर गेहूं तुलाई का कार्य शुरू हाेगा ताे बंपर गेहूं पैदावार का रिकाॅर्ड बन जाएगा। इसके अलावा साैदा पर्ची पर मंडी के व्यापारियाें के द्वारा भी खरीदी की जा रही है। प्रतिदिन मंडी से मिली जानकारी के अनुसार 5 से 8 हजार क्विंटल गेहूं व्यापारियाें के द्वारा खरीदा जा रहा है।


साइलाें केंद्र के मैनेजर मनीष शुक्ला ने बताया इस बार गेहूं की आवक अधिक हाेने से केंद्र में स्थित 4 जार में से 12.50 हजार मैट्रिक टन का जार फूल हाे गया और दूसरे में भंडारण का काम शुरू कर दिया है। किसानाें के खेताें में गेहूं की पैदावार इतनी हाे रही है कि एक किसान 2-3 वाहनाें में गेहूं लेकर आ रहा है। सहायक खाद्य अधिकारी राजेंद्र माथुर के अनुसार जिले में पूरे सीजन में 75 हजार मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई थी, जाे इस बार 1.25 लाख मैट्रिक टन के पार हाे चुकी है। अभी ताे कई किसानाें का माल केंद्राें पर तुलना बाकी है।



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Purchased record of wheat on support price, purchased 75 thousand metric tons last season, so far beyond 1.25 lakhs




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महिलाएं बना रहीं मास्क, खरीद रही नगर निगम, अब तक निगम में 2500 मास्क महिलाओं द्वारा जमा

नगर-निगम के द्वारा जीवन शक्ति योजना के तहत स्व. सहायता समूह की महिलाओं को मास्क बनाने का कार्य दिया है। योजना के तहत जिले की 142 शहरी महिलाओं का इस योजना में पंजीयन किया। प्रत्येक महिला को 200 मास्क बनाने का आदेश दिया गया।


अब तक निगम में 2500 मास्क महिलाओं के द्वारा जमा किए गए। पूरे प्रदेश में 10000 महिलाओं का पंजीयन किया गया। शासन द्वारा यह मास्क महिलाअाें से 11 रुपए प्रति नग में खरीदा जाएगा। इसकी राशि उनके बैंक खाते में ऑनलाइन 2 -3 दिन में डाली जाएगी।



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Women are making masks, municipal corporation is buying, so far 2500 masks deposited by women in corporation




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721 पंजीकृत किसानाें में से 469 ने बेचा 25 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं, सोनगढ़ और अमोदिया के किसान आना बाकी

आदिम जाति सेवा समिति परिसर में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं का परिवहन समय पर नहीं होने से 10 हजार बोरी का स्टॉक हो गया है। परिवहन रुक-रुककर होने से यहां प्रतिदिन गेहूं का स्टॉक बढ़ता ही जा रहा है। संपूर्ण सोसायटी परिसर गेहूं से भर गया है। यदि एक दो दिन में यहां से गेहूं नहीं हटाया गया तो समिति को खरीदी बंद करना पड़ सकती है।


इधर सोसायटी द्वारा खरीफ फसल के लिए किसानों को खाद देेने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। समिति प्रबंधक के अनुसार समिति में सभी प्रकार की खाद का भरपूर स्टाक है। समिति में अब तक दो तिहाई से अधिक किसान अपना गेहूं बेच चुके हैं। खरीदी 30 मई तक होना है।


समिति में 15 अप्रैल से खरीदी प्रारंभ होने के बाद अब तक 25 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं की खरीदी हो चुकी है जबकि परिवहन करीब 20 हजार क्विंटल ही हुआ है। 5 हजार क्विंटल गेहूं की 10 हजार बोरियां सोसायटी परिसर में आसमान के नीचे खुले में पड़ी है।


यदि बारिश होती है तो गेहूं का नुकसान हो सकता है। प्रबंधक सुनील जायसवाल ने बताया धार जिले के सभी गाेदाम जहां पर गेहूं का परिवहन हो रहा था वे गेहूं से भर गए हैं। अब यहां से मेघनगर रेक पाइंट पर गेहूं का परिवहन होगा।


10 हजार प्लास्टिक के बारदान आए
पूर्व में समिति मेंजूट के बारदान आए थे। अब जबकि समिति में जूट के बारदान खत्म हो चुके हैं। ऐसे में अब प्लास्टिक की थैलियां गेहूं भरने के लिए आई है। जायसवाल ने बताया 10 हजार प्लास्टिक के बारदान आए हैं। इन्हीं में गेहूं भरकर परिवहन किया जा रहा है। इनका वजन 135 ग्राम है। अब लगता हंै खरीदी के आखिर दिनोंतक उन्हें बारदान की आवश्यकता नहीं होगी।


दो तिहाई से अधिक किसान गेहूं समिति में बेच चुके
प्रबंधक के अनुसार समिति में 22 दिनों में कुल पंजीकृत 721 किसानों में से 469 किसान गेहूं बेच चुके हैं। अब केवल 252 किसान बचे हैं। जिनका गेहूं समिति में आना है। इसमें भी सर्वाधिक सोनगढ़ ग्राम के 62 एवं अमोदिया के 61 किसान शेष है। धुलेट के 52, दलपुरा के 41 एवं राजगढ़ के भी 26 किसानों ने अपना गेहूं अभी समिति में नहीं बेचा है। भानगढ़, टीमायची एवं कुमारुंडी के बहुत कम किसान अब बचे हैं। जिनका गेहूं समिति में तुलनाबाकी है।



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Out of 721 registered farmers, 469 sold more than 25 thousand quintals of wheat, farmers of Sonegarh and Amodia and the rest




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कलेक्टाेरेट में 900 लीटर खाद्य तेल और 1.25 क्विंटल दिया सूखा मसाला, ताकि मंडी में भाेजन पैकेट बनते रहें

शहर से लेकर ग्रामाें में गरीब, बेसहारा और जरूरतमंदाें की मदद के लिए जन सहास संस्था लाॅकडाउन के पहले दिन से जिला प्रशासन के सहयाेग से मदद करती आ रही, जाे 17 मई तक जारी रहेगी। इसी कड़ी में बुधवार काे संस्था ने खाद्य तेल और सूखे मसाले कृषि उपज मंडी में बन रहे भाेजन पैकेट के लिए कलेक्टाेरेट में दिए गए।


संस्था के द्वारा गरीब असहाय, प्रवासी कामगार मजदूरों के लिए सतत गरीब बस्तियों और गावों में जाकर जरूरतमंदाें तक मदद पहुंचा रहे हैं। सूखे राशन में दाल, चावल, आटा, साबुन, चायपत्ती, सेनेटरी पेड, तेल, मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स आदि सामग्री का वितरण किया गया। लॉकडाउन के बाद से सतत आज तक 363 टन सूखा राशन शहर सहित जिले के गांवाें में वितरित किया जा चुका है। कलेक्टर श्रीकांत पांडेय, एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी के आग्रह पर बुधवार काे जन साहस ने 900 लीटर खाद्य तेल और 1.25 क्विंटल सूखा मशाला मंडी प्रशासन की खाना बनाने की सेवा को निरंतर जारी रखने के लिए कलेक्टोरेट कार्यालय में दिया गया। डायरेक्टर आशिफ शेख, थीमेटिक डायरेक्टर करन राठौर, टीम साथी जितेंद्र सुनारतीय व विक्रम अटेडिया उपस्थित थे।



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900 liters of edible oil and 1.25 quintal of dry seasoning in the collectorate, so that packet packets are made in the market




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सोशल डिस्टेंस से प्रशासक के कैबिन में पास हुआ 75 करोड़ के घाटे का बजट, कोरोना से बचाव के लिए 25 करोड़ का फंड

काेरोना संक्रमण के बीच शुक्रवार कोनगर निगम का बजट प्रशासक तथा संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने स्वीकृत कर दिया। बजट में 4842 करोड़ की प्रस्तावित आय और 4763 करोड़ का खर्च बताते हुए 75 करोड़ के घाटे का बजट स्वीकृत किया गया। पहली बार एक कैबिन में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ निगमायुक्त प्रतिभा पाल औरअन्य अधिकारियों की मौजूदगी मेंबजट पास हो गया। बजट में कोरोना को लेकर 25 करोड़ के खर्च का प्रावधान भी रखा गया है। कोई नया कर भी नहीं लगाया गया और न संपत्ति या जलकर में कोई वृद्धि की गई।
कोरोना के कारण अब तक खर्च हुए 4.5 करोड़, 25 करोड़ स्वीकृत
संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने भास्कर को बताया कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों में निगम अब तक 4.5 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। इसमें जरूरतमंदों को पहुंचाया जा रहा सूखा राशन भी शामिल है। इसके अलावा सैनिटाइजेशन, मास्क, ग्लव्ज, पीपी सूट सहित सभी तरह के खर्च निगम द्वारा वहन किए जा रहे हैं। इसके लिए शासन को तो प्रस्ताव भेजा गया है, इसके साथ ही शहरी जिम्मेदारी को समझते हुए 25 करोड़ का प्रावधान बजट में रखा गया है। इसके साथ ही राशन और किराना सामग्री वितरण के लिए सात करोड़ की राशि सहित कुल अब तक 12 करोड़ के खर्च की स्वीकृति भी प्रदान की गई है।
एमआर रोड, नदी सफाई और पेयजल पर सबसे ज्यादा फोकस
संभागायुक्त ने बताया इस बजट में सबसे ज्यादा फोकस एमआर रोड, कान्ह, सरस्वती नदी की सफाई पर रखा है। अमृत योजना से मिलने वाले फंड के अलावा अलग से 100 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसमें 5 एसटीपी प्लांट का निर्माण तथा वहां तक के लिए ड्रैनेज लाइन डालने और नाला टेपिंग का कार्य हो सकेगा। इन पांच एसटीपी के अलावा एक एसटीपी का निर्माण स्मार्ट सिटी तथा एक अन्य का निर्माण निगम से किया जाएगा। पेयजल वितरण लाइन, पेयजल टंकी निर्माण एवं आवश्यक सुविधाओं के निर्माण के लिए भी 100 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा ड्रेनेज लाइन, एसटीपी के मेंटेनेंस, तालाबों के विकास के लिए 242 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। नर्मदा जल प्रदाय में बिजली का बिल कम करने के लिए 500 करोड़ के ग्रीन मसाला बांड जारी कर उससे 100 मेगावाॅट का सोलर प्लांट जलूद और यशवंत सागर में लगाने की राशि स्वीकृत की गई।



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बजट में सबसे ज्यादा फोकस एमआर रोड, कान्ह, सरस्वती नदी की सफाई पर रहा।




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महाराष्ट्र में पुणे, मुंबई समेत चार शहरों में प्राइवेट ऑफिस और दुकानें बंद; 25% राज्य कर्मचारी ही काम करेंगे

मुंबई. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कोरोना से बचाव के लिए कहा है कि अब सरकारी दफ्तरों में सिर्फ 25 प्रतिशत कर्मचारी ही काम करेंगे। उद्धव ने यह भी ऐलान किया है कि पुणे, पिंपरी चिंचवाड़, नागपुर और मुंबई एमएमआरडीए(मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, कल्याण)में आवश्यक सेवाओं(किराना, मेडिकल, फल-सब्जी और दूध)को छोड़कर सभी दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानो और प्राइवेट कंपनियों को 31 मार्च तक बंद किया जारहा है।यह फैसला भीड़ कम करने के लिए लिया गया है।

राज्य में अब तक 52 मामले

शुक्रवार सुबह तक महाराष्ट्र में कोरोना के 52 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पुणे और मुंबई के हॉस्पिटल्स में भर्ती 8 कोरोना पीड़ित की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज किया जा सकता है। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने शुक्रवार की दी है।

बस और ट्रेन पर नहीं रोक

उन्होंने कहा,'लोग मांग कर रहे हैं कि रेलवे बंद करें, बस बंद करें, लेकिन मैं आपको बता दूं कि ये मुंबई की लाइफलाइन है और अगर इन्हें पूरी तरह से बंद कर मुश्किल है। इससे उन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत होगी जो इसके बचाव में लगे हुए हैं। हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे जरुरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले।'

प्राइवेट कंपनियों से सैलरी नहीं काटने को कहा
सीएम उद्धव ठाकरे ने प्राइवेट कंपनियों से आग्रह किया है कि जो कर्मचारी ऑफिस नहीं आ रहे हैं उनकी सैलरी नहीं काटी जाए। उन्होंने कोरोना को देखते हुए दुकानों को बंद करने के फैसले का स्वागत किया है।

कोरोना पर बनाई शार्ट फिल्म रिलीज की
सीएम ने कोरोना पर बनाई एक शार्ट फिल्म रिलीज की है। यह फिल्म रोहित शेट्टी के निर्देशन में बनी है, ज्सिमें अभिनेता अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, रणवीर कपूर, आल्या भट्टा, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली समेत कई नामचीन लोग हैं।

पहली से 8वीं तक की परीक्षाओं को रद्द किए गया

महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कोरोना को देखते हुए महाराष्ट्र बोर्ड के स्कूलों में पहली से आठवीं तक की परीक्षा को अगले आदेश तक रद्द किया है।

दादर और ठाणे में सभी दुकाने बंद
कोरोना के प्रसार को देखते हुए दादर व्यापारी संघ ने आज सभी दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया है। यह बंदी 25 मार्च तक जारी रहेगी। इसके अलावा ठाणे में भी सभी दुकानों और नासिक में सभी सर्राफा दुकानों को बंद रखने का निर्णय विभिन्न व्यापारिक संगठनों की ओर से लिया गया है।

एसी लोकल ट्रेन बंद
मुंबई लोकल से हर दिन सफर करने वाले औसतन 78 लाख यात्रियों की संख्या घटकर 55-60 लाख रह गई है। मुंबई की 16 एसी लोकल ट्रेन को सेवा से हटा लिया गया है। बेस्ट बसों में यात्रियों को खड़े होकर सफर करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

रेस्टोरेंट बंद, शराब की दुकानेंखुली
इससे पहले गुरुवार को पुणे के जिलाधिकारी नवल किशोर राम ने शहर की सभी पान और रेस्टोरेंट अगले आदेश तक बंद करने का आदेश दिया है। शहर में इस समय 3000 से ज्यादा छोटे और बड़े रेस्तरां हैं। इसके अलावा शहर के सभी वीडियो पार्लर और लाटरी सेंटर भी बंद रहेंगे। हालांकि, जिला प्रशासन ने शहर में शराब और बियर की दुकानों को बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है। इसपर आगे निर्णय लिया जाएगा।



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सभी प्राइवेट दफ्तरों और दुकानों को बंद करने का आदेश सरकार की ओर से दिया गया।