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Pence spokeswoman, married to top Trump adviser, diagnosed with coronavirus

U.S. Vice President Mike Pence's press secretary, the wife of one of President Donald Trump's senior advisers, has tested positive for the coronavirus, raising alarm about the virus' potential spread within the White House's inner most circle.




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आरआईएमटी यूनिवर्सिटी के हॉस्‍टल में छात्र की मौत, गुस्साए साथियों ने तोड़फोड़ की

खन्ना/फतेहगढ़ साहिब. मंडी गोबिंदगढ़ की आरआईएमटी यूनिवर्सिटी के हॉस्‍टल में बुधवार देर रात एक छात्र की मौत हो गई। इस पर यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी भड़क उठे और जमकर हंगामा किया। गुस्साए छात्रों ने मौत के हॉस्टल के वार्डन को जिम्मेदार ठहराया है। इन विद्यार्थियों ने गुरुवार को यूनिवर्सिटी के बसों में तोड़फोड़ की और बिल्डिंग के शीशे तोड़ डाले। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से स्थिति को काबू किया।

छात्र की पहचान नेपाल के रहने वाले हेमंत के तौर पर हुई। वह सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कर रहा था। प्रदर्शनकारी छात्रों के अनुसार, बुधवार शाम हेमंत की सेहत खराब हुई। उसे असहनीय दर्द होने लगा। उसने वाॅर्डन को बताया, लेकिन वाॅर्डन ने इस पर कोई ध्‍यान नहीं दिया। दर्द बढ़ता गया तो हेमंत ने खुद अपने साथियों की मदद से अस्पताल जाने की इजाजत मांगी। वाॅर्डन ने इसकी इजाजत नहीं दी और उसे अस्पताल से बाहर नहीं जाने दिया। जब तक यूनिवर्सिटी में एम्बुलेंस बुलाई गई, काफी देर हो चुकी थी। इस लापरवाही में हेमंत की मौत हो गई।

उधर, यूनिवर्सिटी में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद देर रात ही यूनिवर्सिटी को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। सरहिंद के एसएचओ रजनीश सूद ने कहा कि छात्र की कुदरती मौत है और पुलिस ने स्थिति काबू में की हुई है।



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मंडी गोविंदगढ़ स्थित आरआईएमटी यूनिवर्सिटी के बाहर तैनात पुलिस।
नेपाल मूल का छात्र हेमंत, जिसकी मज्ञैत पर हंगामा हुआ।




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छुट्‌टी मांगने पर किया प्रिंसिपल ने दुर्व्यवहार, बुरी तरह घसीटा गर्भवती टीचर को

लुधियाना. लुधियाना से सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल की गुंडागर्दी का मामला सामने आया है। मामला 20-25 दिन पुराना बताया जा रहा है। जहां तक इस हंगामे की वजह की बात है, स्कूल में पढ़ा रही एक टीचर ने छुट्टी मांगी थी। इसको लेकर प्रिंसिपल पर दुर्व्यवहार करने का आरोप है। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें देखा जा सकता है कि गर्भवती टीचर को कितनी बेरहमी से घसीटा जा रहा है। हालांकि पुलिस सूत्रों की मानें तो इस संबंध में पीड़ित ने कार्रवाई करवाने से इनकार कर दिया है।

मामला लुधियाना के आलमगीर इलाके का है। पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने आरोप लगाया था है कि उसने स्कूल प्रिंसिपल से छुट्टी मांगी थी, लेकिन छुट्‌टी मंजूर करने की बजाय प्रिंसिपल ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। गर्भवती होने के बावजूद उसे बुरी तरह घसीटा गया। बुधवार को करीब 25 दिन पुरानी इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में पीड़ित टीचर के आरोप साबित हो रहे हैं। साफ-साफ देखा जा सकता है कि कितनी बेरहमी के साथ महिला गर्भवती टीचर को घसीट-घसीटकर पीटा गया। वह चीखती रही और प्रिंसिपल का कहर उस पर टूटता रहा, इतना ही नहीं मौके पर मौजूद काफी लोग भी कुछ नहीं कर पाए।

उधर जब इस बारे में थाना डेहलों की प्रभारी इंस्पेक्टर मनजीत कौर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 20-25 दिन पहले आलमगीर इलाके के एक सरकारी स्कूल में टीचर्स की लड़ाई संबंधी शिकायत उनके पास आई थी। पुलिस ने शिकायत दर्ज करते हुए छानबीन शुरू की थी, लेकिन दोनों पक्षों में समझौता हो जाने के चलते संबंधित पीड़ित टीचर ने कार्रवाई करवाने से इनकार कर दिया।



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लुधियाना के सरकारी स्कूल में लेडी टीचर के साथ मारपीट करती प्रिंसिपल।
मामले के बारे में जानकारी देती थाना डेहलों की इंचार्ज मनजीत कौर।




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अब इमरजेंसी में ई-मेल और फैक्स के जरिए छुट‌्टी ले सकेंगे पुलिस मुलाजिम

लुधियाना.इमरजेंसी में छुट्टी के लिए एप्लीकेशन लेकर पुलिस मुलाजिमों को अब इधर-उधर चक्कर काटने की जरूरत नहीं। क्योंकि अब उनके लिए ई-मेल और फैक्स की सुविधा दी जा रही है। जिसकी मदद से कहीं से भी वो अपनी छुट्टी अप्लाई कर सकते हैं और उसे मंजूर भी किया जाएगा। इस सिस्टम को सिर्फ एमरजेंसी के लिए शुरू किया गया है। जिसका मुलाजिमों को काफी फायदा मिलेगा।


विभागीय सूत्रों के मुताबिक पहले एमरजेंसी छुट्टी के लिए मुलाजिम या उसके परिजनों को अलग-अलग अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते थे। वहीं, अधिकारियों के पास वर्कलोड होने की वजह से एप्लीकेशन आॅन द टेबल ही रह जाती थी, जब तक मुलाजिम छुट्टी भी काट आता था। फिर देरी की वजह से एडजस्टमेंट नहीं हो पाती थी और मुलाजिमों को तनख्वाह कटवानी पड़ती थी। लेकिन इस सिस्टम से सभी की परेशानी का हल कर दिया गया है।


ऐसे अप्लाई कर सकेंगे छुट्टी

एमरजेंसी छुट्टी, जैसे कि बीमारी, एक्सीडेंट हो जाता है, तो उसके लिए मुलाजिम अपनी लिखित छुट्टी को (cpo.ldh.police@punjab.gov.in) पर ई-मेल या फिर 0161-2414943 पर फैक्स कर सकते हैं। जिसे देखने के बाद अधिकारी उसी पर रिवर्ट करेंगे, जिससे छुट्टी मंजूर माना जाएगा।


दस्तावेज न दिखा पाने पर कटेगी सैलरी
जब मुलाजिम छुट्टी से आएगा तो उसको सारे दस्तावेज साथ लेकर आना पड़ेगा, जिस बेस पर उसने छुट्टी ली है। उदाहरण के लिए एक्सीडेंट और बीमारी में डाक्टर की रिपोर्ट, माता-पिता की मौत का सर्टिफिकेट व आदि। जिसे देखने के बाद ही छुट्टी के प्रोसेस को पूरा समझा जाएगा और उसी को देखकर तनख्वाह को अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा।

सूत्र बताते है कि पिछले दिनों कुछ मुलाजिमों ने एमरजेंसी की बात कहकर छुट्टियां तो ले ली, लेकिन असलियत में वो थे कहीं और। अधिकारियों के पास 5 से 6 मामले ऐसे आ चुके हैं। एडीसीपी द्वारा ये ऑर्डर इंटर्नल तौर पर जारी किया गया है। जो थानों, पीसीआर, ट्रैफिक मुलाजिम और पुलिस लाइन में तैनात मुलाजिमों के लिए है। इस नए सिस्टम से अधिकारियों की परेशानी हल होगी और उन्हें पता चलेगा कि एक समय में कितने मुलाजिम छुट्टी पर हैं, जबकि पहले इसका भी अंदाजा ही लगाया जाता रहा है।



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प्रतीकात्मक फोटो।




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मुहम्मद फैज खान देश भर में पैदल घूमकर सुना रहे गोकथा; ‘एक गाय की आत्मकथा’ उपन्यास पढ़कर नौकरी छोड़ी

जालंधर/राजपुरा (बलराज सिंह). तन पर गेरूए कपड़े पहने बुधवार को एक जोगी ने हरियाणा से पंजाब की सीमा में प्रवेश किया। यह समाज को गोसेवा का संदेश देने के लिए देशभर के भ्रमण पर पैदल ही निकले हैं। जितना इनका संदेश मायने रखता है, उससे कहीं ज्यादा प्रेरक इनके इस संदेश के पीछे की कहानी है। यह जोगी छत्तीसगढ़ के रहने वाले मुहम्मद फैज़ खान हैं।

38 साल के फैज छत्तीसगढ़ की रायपुर के नया पारा के रहने वाले हैं। इनकी पहचान आज की तारीख में बड़े गोकथा वाचक के रूप में हैं। इनके माता-पिता शिक्षक हैं। फैज ने खुद राजनीति विज्ञान से डबल एमए किया है। चार साल पहले वह रायपुर के सूरजपुर डिग्री कॉलेज में राजनीतिक शास्त्र के प्रवक्ता थे। बात 2012 की है। एक दिन गिरीश पंकज का लिखा उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ पढ़ा तो उसके बाद इनकी जिंदगी ही बदल गई और नौकरी छोड़ गोसेवा में लग गए।

देश के कई हिस्सों में गोकथा की। गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने को लेकर दिल्ली में अनशन भी कर चुके हैं। फैज ने बताया कि उन्होंने श्री गुरुनानक देव जी से लेकर महात्मा बुद्ध तक के बारे में पढ़ा है। पता चला कि इन महापुरुषों ने भी पदयात्रा की हैं। इन्हीं महापुरुषों की प्रेरणा से आज वह 14 हजार किमी की यात्रा के समापन के करीब हैं। गो सद्भावना का संदेश देने के लिए 24 जून, 2017 को फैज़ ने लेह से कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा शुरू की।

विभिन्नराज्यों से होते हुई यात्रा 28 सितंबर, 2018 को कन्याकुमारी पहुंची।इसके बाद 15 नवंबर, 2018 को यात्रा का दूसरा पड़ाव शुरू किया। फैज बताते हैं कि पहले यात्रा का समापन अमृतसर में करना था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के अलग राज्य बनने के बाद समापन वैष्णो देवी में करने का फैसला किया। आज उनकी यह पदयात्रा राजपुरा के रास्ते पंजाब में प्रवेश कर गई। यात्रा मार्ग में आने वाला पंजाब 22वां राज्य है। अब तक वह 13500 किमी की पदयात्रा कर चुके हैं। करीब 500 किमी यात्रा बाकी है, जिसके बाद समापन 1 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी में होगा।

गाय का दूध शिफा

फैज खान का कहना है कि कुछ लोगों ने गोमांस को मुस्लिम धर्म के साथ जोड़ दिया है, जबकि यह पूरी तरह गलत है। पैगंबर हजरत मुहम्मद साहिब ने कहा है कि गाय का दूध शिफा (स्वास्थ्यवर्धक) है। उसका मक्खन दवा है और गोश्त बीमारी है। उनका कहना है कि हमारे देश में गाय सबसे जरूरी है। गाय से हमें स्वास्थ्यवर्धक दूध, दही, घी के साथ ही उपयोगी गोबर और गोमूत्र मिलता है। देश के ताजा हालात को लेकर मुस्लिम राजनीति करने वाले हैदराबाद के नेता असदुद्दीन ओवैसी की सोच पर करारी चोट करते नजर आए। फैज़ खान की मानें ताे उनका पैदल चलते का वीडियो देखकर शायद ओवैसी या उनके समर्थक यही कहेंगे कि एक मुसलमान देश छोड़कर जा रहा है, लेकिन हकीकत इसके उलट है।

सामान लेकर साथ चलता है ‘कार रथ’

फैज ने बताया कि राजस्थान के एक गो सेवक ने यात्रा के लिए उन्हें कार भेंट की थी। इसी को रथ का नाम दिया गया। इसमें उनकी जरूरत का पूरा सामान रहता है। यात्रा में उत्तर प्रदेश के बलिया से पीयूष राय, गाजीपुर से किशन राय, छत्तीसगढ़ से बाबा परदेसी राम साहू और चित्तौड़गढ़ राजस्थान से कैलाश वैष्णव लगातार यात्रा में सहयोग बनाए हुए हैं। पूरी यात्रा के दौरान इस कार रथ को कैलाश वैष्णव ही चला रहे हैं। यात्रा के दौरान वह त्रिपुरा, मेघालय, असम, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश नहीं जा पाए।



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छत्तीसगढ़ के रहने वाले मुहम्मद फैज़ खान लोगों को गोकथा का रसास्वादन करवाते हुए।
गोसेवा का संदेश देने के लिए पदयात्रा पर निकले फैज खान और उनके सहयोगी।
श्रद्धालुओं ने फैज खान को गाय की सुंदर कलाकृत्ति भेंट की। फाइल फोटो
हरियाणा से पंजाब की सीमा में प्रवेश करने से पहले विदाई लेते गोसेवक मुहम्मद फैज़ खान।




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ग्रिल तोड़कर पंजाब एंड‍ सिंध बैंक की शाखा में घुसे चाेर, नहीं तोड़ पाए स्ट्राॅन्ग रूम

लुधियाना. लुधियाना में पक्खोवाल रोड पर स्थित पंजाब एंड‍ सिंध बैंक में रविवार रात घुसे चोरों ने 12 बोर की बंदूक व कंप्यूटर मॉनिटर चुरा लिए। बैंक की शाखा के साथ सटे खाली प्लाट में खिड़की की ग्रिल तोड़ कर चोर अंदर घुसे थे। चोर बैंक का स्ट्रांग रूम तोड़ने में काययाब नहीं हो सके। पुलिस मौके पर पहुंच गई है और सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार चोर पंजाब एंड सिंध बैंक में रविवार रात को ग्रिल तोड़कर अंदर घुसे थे। चोरों ने बैंक के अंदर स्ट्रांग रूम को भी तोड़ने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं मिली। इसके बाद चोर यहां से कंप्यूटर मॉनिटर व एलसीटी चुरा कर ले गए। चोर पहली मंजिल पर बने कंप्यूटर सेंटर से समान उठाकर ले गए हैं।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच पड़ताल शुरू कर दी है। आसपास की दुकानों और बैंक लग सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है।पुलिस अधिकारी गुरप्रीत कौर पुरेवाल और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच में जुटे हुए हैं। पुलिस का कहना है कि मामले छानबीन की जा रही है और चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपितों का जल्द पता लगा लिया जाएगा।

भामियां रोड पर छह दुकानों में चोरी

भामियां रोड पर छह दुकानों से चोरों ने कैश व सामान चुरा लिया। सोमवार सुबह दुकानदार जब अपनी दुकानों पर पहुंचे तो उन्हें चोरी का पता चला। चोरों ने स्वीट्स व मोबाइल की दुकान, गिफ्ट सेंटर व किरयाने की दुकान को नुकसान पहुंचाया है। दुकानों से लगभग एक लाख रुपए कैश, गिफ्ट आइटम व अन्य सामान चुरा ले गए हैं।



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लुधियाना में पक्खोवाला रोड स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक की ब्रांच, जहां सेंधमारी की वारदात सामने आई है।
साथ लगते खाली प्लॉट में जहां से सेंधमारी की गई, उसका मुआयना करती पुलिस।
दुकान में हुई चोरी के बारे में जानकारी देता एक दुकानदार।




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बिजली मामले पर स्पीकर द्वारा काम रोको प्रस्‍ताव खारिज करने के बाद शिअद विधायकों ने किया हंगामा

चंडीगढ़. आज पंजाब विधानसभा का बजट सत्र शुरू हुआ। सबसे पहले पिछले शनिवार को संगरूर के लोंगोवाल में स्कूल वैन में लगी आग की भेंट चढ़े चार बच्चों को श्रद्धांजलि देकर उनकी आत्मा की शांति की कामना की गई। साथ ही कुछ दिवंगत नेताओं और हस्तियों को भी श्रद्धांजलि दी गई।

इनमें संयुक्‍त पंजाब के विधायक रहे चौधरी खुर्शीद अहमद, पूर्व सांसद अश्विनी चोपड़ा,पूर्व विधायक राज कुमार गुप्ता, स्वतंत्रता सेनानी गुरदेव सिंह, प्रसिद्ध लेखिका दलीप कौर टिवाणा, दरबारा सिंह, लेखक जसवंत सिंह कंवल और लोक गायिका लाची बावा को श्रद्धांजलि दी गई। यह बजट सत्र 4 मार्च तक चलेगा और 28 फरवरी को वित्‍तमंत्री मनप्रीत बादल राज्‍य का बजट पेश करेंगे।

सत्र शुरू होने से पहले अकाली दल के नेताओं ने बिजली और अन्य मुद्दों पर जमकर हंगामा किया। हाथ में पोस्टर उठाकर कैप्टन सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की। इस दौरान शिअद ने बिजली दरों में वृद्धि के मामले पर काम राेको प्रस्‍ताव भी दिया जिसे स्‍पीकर राणा केपी सिंह ने खारिज कर दिया। इसके बाद शिअद के विधायक हंगामा करते हुए सदन के वेल में आ गए।


आप भी पहले ही महंगी बिजली को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। वर्तमान में आप के लिए यह माहोल इसलिए अनुकूल भी है क्योंकि एक तो आप ने दिल्ली में अपनी सरकार बनाई है और अगला मोर्चा पंजाब में खोलने वाली है। दूसरा महंगी बिजली को लेकर कांग्र्रेस सरकार को खुद उनके मंत्री व विधायक घेर रहे हैं।

बेअदबी मामले में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में हारी केस

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि बेअदबी मामले में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में केस हार गई है। इसमें पंजाब विधानसभा के फैसले को मान कर दिया है और अब पंजाब सरकार इस मामले की जांच करेगी। बता दें कि पंजाब सरकार द्वारा बहबल कलां केस वापस लेने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के शमूलियत की भी होगी जांच

बीते दिन अमृतसर में एसटीएफ द्वारा 194 किलो हेरोइन पकड़े जाने का मामला भी विधानसभा में उठा। इसपर सीएम ने जवाब दिया कि इस मामले में सरकार पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के शमूलियत की जांच करवाएगी। बता दें कि कांग्रेस के विधायक कुलबीर जीरा, विपक्ष के नेता और आप विधायक हरपाल चीमा दोनों ने उठाया था। इसलिए जीरा ने कहा कि जिसके घर से हेरोइन पकड़ी गई वह मजीठिया के करीबी थे अौर उन्होंने ही उसे एसएस बोर्ड का सदस्य बनाया था।



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पंजाब असेंबली के बाहर बिजली की दरों को लेकर हंगामा करते शिअद विधायक




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‘आप’ नेताओं का आरोप- कैप्टन सरकार ने माइनिंग ठेकेदारों को पहुंचाया 632 करोड़ का फायदा

रोपड़.आम आदमी पार्टी नेताओं ने सरकार व जिला प्रशासन की तरफ से तीन माइनिंग ठेकेदारों को 632 करोड़ 20 लाख 62 हजार 997 रुपए के लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। आप के महासचिव एडवोकेट दिनेश चड्डा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि की गई पैरवाई के अधार पर बेईहारा, सवाड़ा व हर्साबेला खड्डों के ठेकेदारों के खिलाफ उस समय की डीसी गुरमीत कौर तेज की तरफ से 2018 में की गई थी। लेकिन अब जो रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में उनके चलते केस में ज्वाइंट कमेटी द्वारा पेश की गई है।

आरोप है कि डिप्टी कंट्रोलर आडिट की रिपोर्ट के आधार पर सवाड़ा खड्ड की अवैध माइनिंग के 464 करोड़ 31 लाख 26 हजार 45 रुपए , बेईहारा खड्ड के 165 करोड़ 82 लाख 47 हजार 128 रुपए और हर्साबेला खड्ड के 2 करोड़ 6 लाख 89 हजार 840 रुपए अवैध माइनिंग के मटीरियल व मुआवजे के वसूलने बनते हैं। लेकिन आज दो साल बाद भी कोई वसूली नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जब सिर्फ इन तीनों जगहों के 632 करोड़ 20 लाख 62 हजार 997 रुपए आडिट की रिपोर्ट मुताबिक वसूलने बनते हैं तो जिले के लोग अंदाजा लगा सकते है कि जिले में सियासी लोगों की तरफ से वर्षों से लगातार मचाई गई माइनिंग की लूट की कीमत कितनी है।

आप नेताओं ने कहा कि एनजीटी के आदेशों के दो वर्ष उपरांत भी जिला प्रशासन ने माफियो के सरपरस्त नेताओं के दबाव में न तो अवैध माइनिंग के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई की और न ही जिले में माइनिंग के साथ हुए नुकसान की कोई रिपोर्ट तैयार की और न ही इस नुकसान की पूर्ती के लिए रिपोर्ट तैयार की और न ही अवैध माइनिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए। इस मौके पर भाग सिंह मदान, जिला यूथ अध्यक्ष रामकुमार, मनजीत सिंह, महिला विंग अध्यक्ष दलजीत कौर, भजन सिंह, कश्मीरी लाल, बलविंदर सिंह गिल, सुखदेव सिंह, सुरिंदर सिंह, परमजीत सिंह, बलराज शर्मा, हरभाग सिंह, जसपाल सिंह व अन्य उपस्थित थे।



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सरकार पर आरोप लगाते आम आदमी पार्टी के नेता।




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टैक्सटाइल फैक्ट्री में लगी आग, फायर ब्रिगेड की 5 गाड़‍ियां काबू पाने में लगी

लुधियाना. लुधियाना में सोमवार सुबह टैक्सटाइल फैक्ट्री में आग लग गई। सूचना मिलते दमकल विभाग 5 गाड़‍ियां मौके पर पहुंच गई हैं और आग बुझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आग लगने का कारण शॉर्ट-सर्किट को बताया जा रहा है।


जानकारी के अनुसार, अजय टैक्सटाइल्स के नाम से यह फैक्ट्री 24 घंटे चलती है। सोमवार सुबह जैसे ही दूसरी शिफ्ट के मुलाजिम फैक्ट्री में आए तो फैक्ट्री के गोदाम से धुआं निकलता देखा। इसके बाद कर्मचारियों ने शोर मचा दिया। सूचना मिलने पर फैक्ट्री मालिक मौके पर पहुंचे और आग बुझाने के प्रयास शुरू कर दिए।


इसके बाद फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट में मामले की सूचना दी गई। फायर ब्रिगेड की पांच गाड़‍ियां मौके पर पहुंचकर आग बुझाने में जुटी हुई हैं। बिल्डिंग की दीवारें तोड़कर उसमें पड़े और धागे को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। फ‍िलहाल आग लगने का कारण शॉर्ट-सर्किट बताया जा रहा है। पुलिस ने भी मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू कर दी है।



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लुधियाना की अजय टैक्सटाइल्स में लगी आग पर काबू पाने की कोशिश में दमकल विभाग की टीम।
पांच गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पाने की कोशिशें जारी हैं।




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बाली उम्र के प्यार को भूल नहीं पाए हैं ही-मैन धर्मेंद्र, नज्म 'अनोखी कोशिश' से बयां की कहानी

लुधियाना. बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र आज भी अपनी पहली मोहब्‍बत को भूल नहीं पाए हैं। पहले प्‍यार का अहसास उन्‍हें आज भी भावुक कर देताहै और पुरानी यादों की बारात सी सज जाती है। इसका खुलासा खुदधर्मेंद्र ने लुधियाना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किया। धर्मेंद्र ने बताया कि उनके स्कूल के जमाने मेंपहलेप्‍यार हमीदा की छाप उनके दिल पर अब भी है। हमीदा बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान चलीगईं। लेकिन, पहली मोहब्बत की कसक नहीं गई।धर्मेंद्र की प्रकाश कौर से शादीहुईऔर बाद में ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी उनकी जिंदगी में आईं।

धर्मेंद्र नेलुधियाना मेंनेहरू सिद्धांत केंद्र ट्रस्ट के एक कार्यक्रम के दौरान नज्म 'अनोखी कोशिश' के जरिएअपनी इस कसक का खुलासा किया। यहां उन्हें ट्रस्ट की तरफ से नूर-ए-साहिर अवार्ड से नवाजा गया। कार्यक्रम केमंच सेधर्मेंद्र ने ललतों कलां (लुधियाना) स्थित अपने स्कूल की याद करते हुए कहा, 'मैं दिल की बातें लिखता हूं, कभी दिमाग की नहीं। मैं छोटा था। मासूम थी उम्र मेरी। वो क्या थी, पता नहीं। पास जाने को जिसके, साथ बैठने को जिसके, जी चाहता था। वह स्टूडेंट थी आठवीं की, मैं छठी में पढ़ता था। हमारे स्कूल टीचर की बेटी थी। नाम हमीदा था। यूं ही मुस्कुरा देती, मैं पास चला जाता।'


धर्मेंद्र आगे बोले, 'वो चुप रहती, मैं सिर झुका लेता। पांव के अंगूठे से जमीन कुरेदता रहता। वो कहती क्यों, सवाल हल नहीं हुआ। ला दे कॉपी, मैं हल कर देती हूं। उसे लगता था कि छठीं का सवाल हल नहीं हुआ होगा। देते हुए कॉपी उसकी अंगुलियों से स्पर्श हुआ। उसके स्पर्श से जाने क्या हो जाता। वो पूछती कुछ और थी। मैं कह कुछ और जाता था। वो फिर चुप हो जाती। मैं फिर सिर झुका लेता। वो कहती उदास मत हो, अभी वक्त है तेरे इम्तिहान में। सब ठीक हो जाएगा। वो कहते हुए चली जाती। मैं देखता रहता। वह ओझल हो जाती। मैं सोचता रहता, सवाल क्या है। यह अनोखी कशिश। यह अनजाना अहसास। यह क्या है? मैं कहता, हमीदा जिस दिन सवाल का मतलब समझ आ जाएगा, तो हल के लिए चला आऊंगा।'


कभी मीठी सी चुभन होती है तो हंस देता हूं खुद पर
धर्मेंद्र ने कहा, 'पाकिस्तान बन गया, हमीदा चली गई और मुझे मेरे सवाल का मतलब समझ आ गया। अब भी गाहे-बगाहे उसकी याद आ जाती है, एक मीठी सी चुभन जगा जाती है। हंस देता हूं खुद पर। कहता है धरम, तेरे मिजाज-ए-आशिकाना का यह पहला मासूम कदम था और वह मासूम कदम तू ता जिंदगी न भूलेगा।' उन्होंने कहा कि यह देश के बंटवारे से पहले की बात है। कभी यादें ताजा होती हैं तो लिख लेता हूं।


दिलीप कुमार की प्रेरणा ने बनाया एक्टर
धर्मेंद्र ने कहा, 'लुधियाना की मिट्टी मेरे कण-कण में समाई है। इसी शहर में अपनी जिंदगी की पहली फिल्म मिनर्वा सिनेमाघर में दिलीप कुमार की शहीद देखी थी। वहां से मुझे प्रेरणा मिली, तो खुद में छुपा एक्टर ढूंढऩे लगा। मैं सोचता था इनकी तरह ही हूं। मुझे भी फिल्मी दुनिया जाना चाहिए। फिल्मी पोस्टर में खुद को ढूंढता था। रात को ख्वाब देखता। सुबह उठकर आईने से पूछता था, मैं दिलीप कुमार बन सकता हूं? शायद मेरी इबादत में इतनी शिद्दत थी, सजदे थे। उसी ने आज मुझे धर्मेंद्र बना दिया।'

जब दोस्त ने कोठी का नाम धर्मशाला रख दिया
धर्मेंद्र बोले, ' मुंबई में पूरी बनावटी दुनिया है, लेकिन मैं वहां जाकर बनावटी नहीं बना। जन्मभूमि की मिट्टी को नहीं भूला। देवेन वर्मा मेरा एक दोस्त था। कॉमेडियन था। मुंबई में जब बंगला बनाया तो कहने लगा पाजी आपने इसका नाम नहीं रखा। मैंने कहा, हमारे यहां नाम नहीं रखते। उसने कहा मैं एक नाम बताऊं। उस समय पंजाब से लोग मिलने के लिए बहुत आते थे। वर्मा ने कहा कि इसका नाम धर्मशाला रख दो। यह बोलकर भाग गया दूर। मैंने पकड़ा तो कहने लगा बंगला धर्मशाला है, जहां सभी आते हैं।'



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लुधियाना में नेहरू सिद्धांत केंद्र ट्रस्ट के मंच से नज़्म प्रस्तुत करते अभिनेता धर्मेंद्र।
ही-मैन ने नेहरू सिद्धांत केंद्र ट्रस्ट के मंच से स्कूल के दौरान की प्यार की कहानी को बयां किया।
कार्यक्रम में धर्मेंद्र के अमित और कई अन्य हस्तियां भी उपस्थित रही।




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हौजरी में लगी भीषण आग, बुझाने में जुटीं फायर ब्रिगेड की गाड़‍ियां

लुधियाना. लुधियाना में सोमवार दोपहर एक हौजरी में आग लग गई। क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। आग लगने के बाद तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई और इसके बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़‍ियों ने आग बुझाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।


घटना लुधियाना के जालंधर बाईपास इलाके में स्थित ओक्टेव नामक कंपनी की है। जानकारी के अनुसार, सोमवार दोपहर यूनिट की बेसमेंट में अचान आग लग गई। आनन-फानन में सूचना के बाद फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक आग फैक्ट्री में और भी जगी फैल चुकी थी। आग किन कारणों से लगी है, उसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। मौके पर मेयर बलकार सिंह संधू समेत कई अन्य अधिकरी पहुंचे हुए हैं और आग बुझाने के प्रयासों का जायजा ले रहे हैं।



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लुधियाना के जालंधर बाईपास इलाके में स्थित ओक्टेव नामक कंपनी में आग लगने के बाद मची अफरा-तफरी।
आग बुझाने से पहले फैक्ट्री से सामान निकालते लोग।




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पुलिस रेड करने पहुंची तो सट्‌टा लगवाने वाले ने किया हंगामा, गाली-गलौच कर बोला-कोई बड़ा जुर्म नहीं किया

पटियाला. पटियाला में पुलिस रेड करने पहुंची तो सट्‌टा चलाने वाला हंगामे पर उतर आया। पुलिस को गाली-गलौच करते हुए वह साफ-साफ कह रहा था कि उसने कोई बड़ा जुर्म नहीं किया। शहर में और पूरे पंजाब में क्राइम हो रहा है। गिरफ्तार ही करना है तो दूसरे लोगों को किया जाए। इस युवक ने सहयोगियों की मदद से वीडियो वायरल कर पुलिस वालों पर पैसे लेने के आरोप लगाए। युवक हंगामा करता रहा और पुलिस वाले एकदम चुप नजर आए।


मामला पटियाला के सनौरी गेट का है। मिली जानकारी के अनुसार थाना डिविजन नंबर 2 की पुलिस गुरुवार शाम को यहां एक दुकान पर छापा मारने पहुंच गई। आरोप है कि यहां एक दुकान पर सट्‌टे का धंधा चलता है। जब पुलिस यहां तो दुकान का मालिक पुलिस टीम के साथ गाली-गलौच और हाथापाई पर उतर आया। उसने पुलिस की रेड पर कई सारे सवाल उठाए।


सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिखाई दे रहे युवक की मानें तो उसकी दुकान थाना कोतवाली के अंतर्गत है, ऐसे में यहां थाना डिविजन नंबर 2 की पुलिस का रेड करने का कोई हक नहीं है। इसके अलावा युवक ने हवलदार की वर्दी पहने एक पुलिस कर्मचारी पर उसकी दुकान से 300 रुपए लेकर जाने का आरोप लगाया। उसने यह भी कहा कि उसके पास बड़े-बड़े अधिकारियों के पैसे लेने के ढाई सौ के करीब वीडियो हैं। उसने कोई बड़ा जुर्म नहीं किया। पंजाब में जगह-जगह क्राइम हो रहा है और पुलिस है कि सिर्फ उसकी दुकान पर आकर परेशान करती है।


साथ ही इस पूरे प्रकरण के दौरान पास खड़ी पुलिस मूकदर्शक बनी रही। कुछ पुलिस वाले मौके से इधर-उधर होते दिखाई दिए। वह चीखते-चिल्लाते कह रहा है कि पुलिस उससे इस काम के बदले पैसा वसूल करती है। युवक ने सरेआम कहा कि पुलिस उसे गिरफ्तार करे, लेकिन पुलिस बचती नजर आई। फिलहाल इस मामले में आगे की कार्रवाई को लेकर पुलिस की तरफ से कोई क्रिया-प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।



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पटियाला के सनौरी गेट इलाके में पुलिस पर हावी हुआ दुकान का मालिक, जिस पर सट्‌टा खेलाने का आरोप है।




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कर्फ्यू के बीच भी नशे की तस्‍करी, लुधियाना में महिला तस्कर समेत 3 लोग गिरफ्तार

लुधियाना. कर्फ्यू के बावजूद नशे की मंडी के तौर पर पर जाने जाते तलवंडी कलां में नशे की तस्करी और नशा करना जारी है। हैरत की बात है कि नशेड़ी अपनी लत को पूरा करने के लिए कर्फ्यू के बावजूद तलवंडी कलां पहुंच रहे हैं। पुलिस ने एक महिला समेत तीन लोगों को काबू किया है। महिला नशे की डिलीवरी देने के लिए जा रही थी और युवक नशे की का सेवन करते हुए पकड़े गए हैं। पुलिस ने दोनों के खिलाफ थाना सलेम टाबरी में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।


एएसआई जनक राज ने बताया कि वह पुलिस पार्टी के साथ जीटी रोड कट पर गश्त पर थे। इसी दौरान उन्हें पता चला कि एक महिला अपने ग्राहकों को नशा सप्लाई करने का काम करती है। इस पर वहां दबिश देकर तलवंडी कलां की रहने वाली महिला को काबू किया गया है। उसके पास से 4.5 ग्राम हेरोइन बरामद की गई है।

उधर, इसी दौरान तलवंडी कलां में ही नशे का सेवन कर रहे अमन नगर निवासी जगजीत सिंह और भट्टियां निवासी तरसेम लाल को काबू किया गया है। वह गांव में ही बैठकर नशे का सेवन कर रहा था, उसके पास से एक लाइटर, पन्नी, 10 रुपए का नोट और सिल्वर पेपर बरामद किया गया है।



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महिला को हथकड़ी लगाए जाने की प्रतीकात्मक तस्वीर।




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SEO Strategy: 5 Reasons Why It’s More Important Than Ever For B2B Marketers

Why do B2B marketers need SEO?

For B2B marketers coping with the global health crisis, search engine optimization (SEO) is showing its strength, stability, and resiliency in many forms.

SEO has seen better performance and consistency than other marketing tactics during the pandemic, as we’ll explore with data from recent surveys and reports, and with more consumers than ever conducting business online and searching for best-answer solutions, many B2B marketers may find that the time is right to increase focus on SEO.

Here are five reasons why SEO is more important than ever for B2B marketers.

1 — SEO is Performing Better During the Health Crisis

63 percent of marketers believe SEO is more important during the pandemic, according to newly-released survey data.

Combined with the fact that during 2019 paid and organic search were the top performing online channels, as shown below, the increasing focus on SEO this year during the pandemic is understandable, as marketers turn towards the strongest and most stable tactics.

SEO can also represent a lower-cost channel, which has led some 34 percent of marketers to say that they plan to invest more in less costly marketing channels such as SEO, according to the same survey.

Data from another recent survey found that 65 percent of advertisers believe the health crisis will result in more spending on media that is able to show direct sales outcomes, making SEO a natural choice for many marketers in both B2B and B2C industries.

Among U.S. marketers paid search garnered both the greatest rate of budget retention and the smallest expected spending decrease in a recent eMarketer survey, faring significantly better than display advertisements, paid social media, and digital video. While what will play out in the long term remains to be seen, initial survey results such as these point to continued opportunities in SEO-centric marketing efforts.

This may be why Google has rolled out new SEO-related features to its Ads Editor that include a real-time optimization score, as the search giant seeks to improve one of the most-used ad tools, and why it has released a series of guides touting the benefits of SEO during the health crisis.

2 — SEO Helps as Pandemic Consumers Are Shopping Primarily Online

Both B2B and brick-and-mortar brands with shuttered physical locations during stay-at-home orders can benefit immensely from the benefits of SEO, as more business is moved online and more people are searching not only for goods and services, but for answers to new sets of questions brought about by the health crisis — questions your brand should be ready to answer in properly optimized content.

Marketer looking to create this type of optimized content can learn from our CEO Lee Odden, who asked 16 B2B experts for their top tips to optimize marketing performance in an article examining B2B marketing fitness.

As early reports have come in, both B2B and B2C brands have seen increased website traffic figures during the pandemic, up 13 percent in March 2020 compared to February, according to HubSpot benchmark data.

With more people visiting B2B websites, it’s never been more important to have online content that’s properly indexed, easily findable, and that swiftly answers customer questions. Providing best-answer content is a key part of SEO best-practices, as we’ve written about in the following articles:

[bctt tweet="“With more people visiting B2B websites, it’s never been more important to have online content that’s properly indexed, easily findable, and that swiftly answers customer questions.” — Lane R. Ellis @lanerellis" username="toprank"]

3 — SEO Platforms Help Maximize Remote Worker Efficiencies

There are perhaps more SEO platforms available now than ever, built to help businesses achieve successful ongoing search campaigns. During the best of times, using some of the top platform tools adds efficiency to teams tasked with SEO implementation. During the remote work boom caused by the health crisis, using such tools can provide even more efficiency to B2B firms that are increasingly turning to SEO.

Finding the right SEO platforms has been an ongoing challenge for B2B firms, which is why we recently researched nine of the top platforms, including how leaders at each is handling the pandemic both in their professional and personal lives, in “Best SEO Tips for Marketing During the Pandemic Plus 9 Top SEO Platforms.”

Even before the coronavirus hit, longtime SEO industry consultant Aleyda Solis predicted that SEO would play a major role in 2020 for B2B marketers, as she outlined in our annual “10 Top B2B SEO Trends & Predictions for 2020” roundup.

[bctt tweet="In 2020, I expect a growth in importance and usage of structured data, an increase in predictive search features, and a shift to a more technical SEO ecosystem. @aleyda" username="toprank"]

Recently Aleyda took to her video channel to discuss how SEO’s role will change during the health crisis, in “Coronavirus & SEO: Its Impact in traffic and business, and the actions to Take as an SEO Specialist.”

We've also explored how B2B marketers are successfully adapting to remote work, including the following recent articles:

4 — Doing SEO Now Will Strengthen Future Brand Efforts

As Patrick Reinhart, vice president of digital strategies at Conductor recently told Marketing Land’s Greg Sterling, “What a lot of businesses are doing right now is only talking about the virus and not talking about other ways to help their customers," Patrick said. "Right now is a great time to plant trees for SEO if you haven’t already. The trees you plant now will provide shade on sunny days in the future and there is nothing wrong with creating it along with content that addresses the current state of things,” he added.

While the pandemic has affected how SEO specialists both in-house and at agencies implement search strategies — as the following chart shows — businesses are continuing forward with SEO fundamentals that will help lay the foundation for expanded search success when the health crisis has passed.

[bctt tweet="“B2B marketers who continue forward now with SEO fundamentals will help lay the foundation for expanded search success when the health crisis has passed.” — Lane R. Ellis @lanerellis" username="toprank"]

5 — SEO’s Stability Is Important For B2B Brands

With 47 percent of B2B customers using search to find information, suppliers, and solutions, SEO has always been important for B2B brands, and now its stability in times of flux adds to its marketing strength.

The pandemic has brought fluctuations to all areas of marketing, just as it’s affected many parts of our lives, and while search results haven’t been entirely immune — as shown in the following Google desktop result chart from an interesting look at “16-straight days of rankings volatility: SEOs dig into the COVID-19 effects on search” — the strength and endurance of SEO has brought it into more focus than ever.

Best-Answer B2B Marketing Solutions Increasingly Feature SEO

As we've examined, the time may be right for many B2B marketers to increase focus on SEO, because it has seen better performance and stability during the health crisis as more consumers than ever are conducting business online.

Paired with it's ability to increase remote work efficiency when the right SEO platforms are used, and considering SEO's overall effectiveness as a long-term strategy, B2B brands can benefit from turning to SEO for providing best-answer solutions, even during the pandemic.

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Digital Marketing News: Shifting B2B Buyer Behaviors, Brands Evolve Crisis Response, Bad Data’s Effect on B2B Firms, & Twitter Shares New Data With Advertisers

How B2B Buyer Behavior Has Changed in Light of COVID-19, and What Marketers and Sellers Can Do Now
82 percent of B2B buyers said they were concerned or strongly concerned about the possibility of a pandemic-sparked recession, while 30 percent have reported spending more on videoconferencing software — two of several findings of interest to digital marketers in a recently-released survey examining B2B buyer shifts. eMarketer

How Bad Data Hurts B2B Companies [Infographic]
Just 33 percent of marketers say they can rely on their customer relationship management (CRM) software, and 88 percent said that bad data has a direct impact on their company's bottom line — two of the findings in a new infographic look at the effect of poor data on B2B firms. MarketingProfs

The Evolving Discussion Around COVID-19 and How Brands Have Responded [Infographic]
Brands have used Twitter the most often to mention the global health crisis, according to recently-released survey data examining how brands are using social media in crisis management planning. Social Media Today

Social Media Users Value Brands Responsive To COVID-19 Crisis
83% of social media users expect brands to address the health crisis in their ads, with 31 percent saying they appreciate brands offering products suited for remote work, 28 percent promoting social distancing, and 24 percent mentioning brand philanthropic efforts, according to newly-released survey data of interest to marketers. MediaPost

Why It Takes So Long to Apply Data-Driven Insights to Campaigns
Just 5 percent of marketers say they can immediately go from data gathering to actionable intelligence, while 31 do so later than they would like, and some 3 percent take so long that the output is irrelevant, according to new survey data. MarketingProfs

Instagram Live Streams Can Now Be Viewed on the Web
Facebook-owned Instagram has made it possible for its users to view its previously app-only Instagram Live video streams from its website, bringing marketers a new cross-promotion opportunity with the feature, the firm recently announed. Social Media Today

Twitter notifies users that it’s now sharing more data with advertisers
Twitter has notified its users that a previously available user privacy ad interaction sharing option has been shuttered for all, in a move that will bring more audience data to advertisers, the firm recently announced. The Verge

What Customers Need to Hear from You During the COVID Crisis
The types of brand stories companies should be telling their customers include those that put solutions before sales, according to a new examination by Harvard Business School of interest to B2B marketers. Harvard Business School

Facebook Has Launched a New Tournaments Option for People to Create Their Own Gaming Events
With online gaming forecast to produce $196 billion by 2022, a recent move by social giant Facebook allowing its users to create their own private or public gaming events could bring brands new opportunities for reaching its sizable gaming audience. Social Media Today

Content Plays Various Roles in Brands’ Customer Engagement Strategies
61 percent of marketing leaders said that interactive branded content communicates brand promise and value, according to recently-released survey data from the Chief Marketing Officer (CMO) Council, with 51 percent saying that it delivers thought-leadership, and 45 percent saying that interactive content helps communicate with customers, partners and prospects. MarketingCharts

ON THE LIGHTER SIDE:

A lighthearted look at digital transformation and organizational change by Marketoonist Tom Fishburne — Marketoonist

Grinning Tim Cook Announces New iPhone Will No Longer Be Compatible With AirPods — The Onion

TOPRANK MARKETING & CLIENTS IN THE NEWS:

  • Lee Odden — Leadership and Engagement In a Time of Crisis [Podcast] — Traject
  • Amie Krone — Navigating the new world of working at home — Chaska Herald
  • Dell, SAP — Building A Perfect B2B Influencer Program During Imperfect Times — Forbes
  • Lee Odden — Marketing During a Pandemic – Resources for Small Businesses in the Coronavirus Crisis [Roundup] — Simple Machines

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B2B Marketing News: The B2B Categories Rising During Crisis, New Search Traffic Data, B2B Marketplaces See Growth, & Google’s New Ad Features

10 B2B Tech Categories Gaining Interest Because of COVID-19
Telemedicine, electronic signature, online conferencing, and mobile app development were the most swiftly-rising B2B technology software categories, according to recently-released report data, showing rises of as much as 613 percent since the global health crisis began. MarketingProfs

Magnifying the Massive Growth of B2B Marketplaces
87 percent of B2B buyers and 97 percent of millennial B2B buyers purchase through online marketplaces, according to recently-released report data, also showing that millennials have preferred review websites and web search as top pre-purchase research resources. G2

Exclusive: Mary Meeker's coronavirus trends report
Mary Meeker, publisher of the Internet trends report since 1995, recently released a special coronavirus trends update, which found that on-demand platforms and online marketplaces have been seeing big numbers and high growth, among other items of interest to B2B marketers. Axios

LinkedIn Is Working on Polls and a New Hashtag 'Presentation Mode
Microsoft-owned LinkedIn (client) has been testing poll and hashtag presentation mode features, items that could eventually become part of the professional social network for its 675+ million members. Social Media Today

Marketing Benchmarks and Trends Overview: The Surprising Impact of COVID-19 on Organic Search Traffic
Some 63 percent of marketers said that they are increasing their focus on SEO due to the ongoing global health crisis, while organic search traffic for overall B2B industries grew by 11 percent during the first quarter of 2020, according to new survey data of interest to digital marketers. Skyword

How Different Generations of Consumers Use Social Media [Infographic]
Gen Z is most likely to use Instagram to follow brands, while millennials and Gen X prefer Facebook, according to recently-released business and consumer survey data, which also showed that when it came to making purchasing decisions, YouTube was the leading social media platform for members of all three demographics. Social Media Today

Millennials, Gen Z Want Distraction—and Action—From Brands During Crisis
During the pandemic, baby boomers say that they want brands to support their employees and donate to the needy, while younger generations say they are paying more attention to how brands are advertising, according to recently-released survey data. Adweek

Facebook Is Testing Longer-Lasting Stories, With an Option to Keep Stories Active for 3 Days
Facebook has been testing an option that allows ephemeral stories to extend their traditional publishing lifespan from 24-hour to three days, a feature that could eventually attract more brands to Facebook Stories. Social Media Today

Google Ads Data Hub testing audience lists for display campaigns, adding new features
Google has begun testing an array of new features within its Google Ads Data Hub — changes that could bring marketers the ability to work with same-day impression data, new sand-boxing options, and more, the search giant recently announced. Marketing Land

Strength in Customer Journey Mapping A Distinguishing Factor for B2B CX Leaders
Mapping out customer journeys to learn key touch-points is the primary characteristic of B2B marketing customer experience (CX) leaders, according to newly-released survey data, followed by collecting and acting on Net Promoter Scores. MarketingCharts

ON THE LIGHTER SIDE:

A lighthearted look at urgency without clarity on digital transformation by Marketoonist Tom Fishburne — Marketoonist

Facebook Employee Wastes Whole Day on Facebook Again — The Hard Times

TOPRANK MARKETING & CLIENTS IN THE NEWS:

  • Lee Odden — Why Personal Branding Is More Important Than Ever For The C-Suite — Forbes
  • Lee Odden — 28 Social Media Experts to Learn From (Listed by Platform and Skill) — Social Agency Scout
  • Joshua Nite — 10 Tips for Changing Business Strategies During Times of Crisis — Small Business Trends
  • Lee Odden — Up next on Live with Search Engine Land: Content marketing during COVID-19 — Search Engine Land

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5 Examples of Effective B2B Content Marketing in Times of Crisis

There has been no greater disruption to business in the modern era than the COVID-19 pandemic. For many, it seems as though the world has stopped turning. For marketers, it seems as though now is the worst time to try to promote anything.

But as our CEO, Lee Odden, said, “While there will be a period of adjustment, these changes do not mean the work stops. It doesn’t mean companies don’t need information, solutions, support, products and services.”

And he couldn’t be more right. Your audience may even have a greater need now for your solutions or expertise. They’re trying to navigate through this uncertain time, too. And they’re looking for help now more than ever before.

To help you answer those calls for help and know what types of content are successful in times of crisis, I’ve gathered five examples of effective B2B content marketing during the COVID-19 pandemic.

#1 - HealthcareSource

Healthcare workers have always been essential. And with a pandemic afoot, they’ve become the most essential. As a result, hospitals and healthcare providers need to ensure they’re fully staffed, but that’s easier said than done. Declining revenues have led to job cuts. Doctors catching the virus has led to job growth. Hiring for healthcare is undergoing constant fluctuations.

As a proven talent management software for healthcare providers, HealthcareSource saw that they were in a unique position to help. Through a long, thoughtful blog post, loaded with examples from healthcare systems around the world, HealthcareSource created a great resource to help healthcare organizations manage their hiring, onboarding, and talent acquisition strategies. They also created an on-demand webinar with in-depth tactics on how to manage these constant fluctuations in job demand and supply.

#2 - Zoom

Zoom, a favorite video conferencing tool for any organization, has seen their number of daily active users jump from only 10 million to over 200 million in just three months. They’ve grown from hosting business meetings to hosting virtual classes, happy hours among friends, family game nights, and more for hundreds of millions of people. COVID-19 and social distancing have invariably helped grow their user base. However, that comes with its own set of challenges.

They now have to train hundreds of millions of people on how to use Zoom, how to adjust their mic settings, how to ensure their Zoom is secure and private. They’re users needed support, fast. So they created an in-depth COVID-19 resource with every relevant training users could need. But what makes this resource even more helpful is that they segmented it based on use-cases. Need help while working remotely? You have your own section. Need help teaching your class? You have your own section, too. It’s a great example of how tailoring content for each audience segment creates a better experience; help is easier to find and the experience feels more personalized.

 

[bctt tweet="“Tailoring content for each audience segment creates a better experience.” — Anne Leuman @annieleuman" username="toprank"]

#3 - monday.com*

Lockdown. Quarantine. Social distancing. Between those three mandates, it’s clear to see why the number of people working remotely is reaching unprecedented heights. For monday.com, a work operating system provider, this presented an interesting opportunity. They saw that teams needed help transitioning to a remote work environment with the least amount of friction. They needed help ensuring they had the right technology, process, and structures to make remote work successful. They needed help knowing how to best use monday.com remotely instead of in a physical office.

To ease the remote work transition, monday.com created a new page on their website educating others on how to use their software for remote work. This new page helps existing clients and potential prospects on how monday.com can help ease the challenges of working remotely. They also made the smart decision of adding this page to their main site navigation, making it extremely easy for visitors to access. In addition to this new product page, the team at monday.com also created a custom video and content hub to ensure their users can get answers to all of their questions.

*monday.com is a TopRank Marketing client.

#4 - Slack

Slack was already a popular piece of software for any business, helping streamline team communications and collaboration. With more workers at home, I’m sure businesses — including our own — have become even more reliant on Slack to carry the burden of all text communication between teams. And while they could have taken a page from Zoom or monday.com and created dedicated resources to help train new users or customers who may be relying on Slack a bit more during this time, they didn’t. They saw a different opportunity to help their audience.

During a crisis, the value of information skyrockets. Business leaders want to know; what’s happening to the economy? Will their market be impacted? How is this affecting their workforce? Slack created a report to help answer those questions, especially as it relates to remote workers and the challenges they face. They recognized that key decision makers in their target audience desired more information to help them solve top challenges like transitioning to remote work, improving their employee experience, and more. With this report, they were able to provide those insights, helping their audience optimize how they work together during a pandemic.

#5 - Dropbox

Do you know what distributed work is? I didn’t know what it was, either. And this is where Dropbox’s latest content marketing really shines.

Dropbox saw that while most of the world was focusing on transitioning to remote work, they really needed to focus on distributed work. Organizations sorely needed to be educated on the difference between the two and how they require different strategies. As Dropbox points out, “remote work is a discipline for the individual worker, but distributed work is a discipline for the entire organization.” That’s a very important distinction to make as organizations attempt to navigate social distancing and still get the work done.

Their thought leadership content around distributed work is truly eye-opening. Positioned high up on their blog and given its own content hub, their distributed work content is a must-read for any organization operating remotely during this time. And it all happened because they recognized a key, relevant term that not many were focusing on.

Be Helpful. Be Successful.

The true key to success in B2B content marketing is to always come from a place of empathy. The more you’re able to understand and empathize with your target audience, the more likely you are to surface content opportunities that help them overcome their pain points and challenges. And helping them = success.

That doesn’t change even in times of crisis. In fact, it becomes all the more important. Use the B2B content marketing examples above as a guide when creating your own content and remember to be empathetic to their needs.

If you want to help your audience during this time, learn how to build trust with your audience through authentic content.

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B2B Marketing News: B2B Marketers Invest in Data Quality, Top Times to Post During Pandemic, LinkedIn’s Engagement Trends, & Facebook’s Video Updates

How to use LinkedIn Ads’ new company targeting options to boost B2B lead generation
LinkedIn (client) recently rolled out additional targeting options for advertisers, allowing LinkedIn Ad users access to new Company Category B2B data comprised of Forbes, Fortune and platform data, along with the addition of growth rate targeting information. Search Engine Land

Report: Majority of B2B Marketers to Continue Investment in Data Quality in 2020
75 percent of B2B marketers plan to up their investment in data quality during 2020, while 90 percent said they view such investment leading to improved marketing and sales performance — two of the numerous findings of interest to digital marketers contained in recently-released Dun & Bradstreet report data. Chief Marketer

How COVID-19 Is Impacting Marketing Budgets at Enterprise Companies
B2B marketers expect to shift investment primarily to virtual events (78%), web content (72%), webinars (67%) and social media (66%) because of the pandemic, according to recently-released April enterprise-level company survey data. MarketingProfs

How COVID-19 has changed social media engagement [Report]
Sprout Social’s new pandemic-era data shows that LinkedIn posts perform the best on Wednesdays at 3pm, Thursdays from 9-10am, and Friday from 11am to noon, and that the media and entertainment industry has been publishing almost 9 more posts daily, according to new social media engagement data on interest to marketers. Sprout Social

Twitter Publishes New Data on Video and Ad Content Performance During COVID-19
Twitter increased its monetizable daily active users (mDAUs) by 23 percent during the quarter, and saw video view rates that rose by 5.5 percent, two of the findings in newly-released brand COVID-19 trend data. Social Media Today

Facebook Adds New 'Animate' Option to Add Motion to Still Images in Facebook Stories
Facebook has released new zoom, pan and other animation modes that bring marketers a variety of additional Facebook Stories options, and has also begun testing several new mood-based content reaction options, the social media giant recently announced. Social Media Today

YouTube Influencer Engagement Rate Benchmarks: What Are Good Rates?
Various YouTube channel categories sport a wide range of differing engagement benchmarks, according to recently-released YouTube influencer engagement rate report data, which also reveals that micro-influencers on the video platform can often achieve high engagement marks. MarketingCharts

LinkedIn Publishes Data on Latest Content Engagement Trends on the Platform
LinkedIn has released new content trend engagement data, including a breakdown by global regions that shows what the platform’s audience is looking for and engaging with, with pandemic-related content having seen some of the biggest increases in quantity, the firm announced. Social Media Today

Coronavirus reshapes consumer habits, creating 4 new segments, report finds
25 percent of consumers said they would pay more to buy from trusted brands and 23 percent from ethical brands — two of numerous findings of interest to digital marketers in newly-released Ernst & Young pandemic marketing report data. Marketing Dive

Facebook Outlines a Range of New Video Tools, Including Messenger Rooms for Group Video Hangouts
Facebook recently announced a variety of video-related updates to its numerous social communications properties, including a change which will allow up to 8 people to have WhatsApp video calls, while Messenger video received new virtual background options, among several other video feature updates. Social Media Today

ON THE LIGHTER SIDE:

A lighthearted look at our brand promise by Marketoonist Tom Fishburne — Marketoonist

Chiquita lets Spotify users unlock music playlists, branded prizes — Mobile Marketer

TOPRANK MARKETING & CLIENTS IN THE NEWS:

  • Lee Odden — 10 Expert Tips for Marketing During a Crisis — Oracle (client)
  • Lee Odden — 4 takeaways for content marketers in the time of COVID-19 — Search Engine Land
  • Lee Odden — 5 Hours of Content Marketing - Break Free of Boring B2B with Influential Content Experiences — SEMrush

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B2B Marketing News: Brands Spending More on Data, Spotify Turns Video Chats into Podcasts, & Consumers Trying More New Brands

How COVID-19 Is Impacting Business Event Planning
70 percent of business event planners have changed previously-planned in-person events to virtual platforms due to the pandemic, and 47 percent expect that once it ends people will still be hesitant to travel, with 27 percent expecting a swift uptick in real-world events due to pent-up demand, according to newly-released survey data from the Professional Convention Management Association (PCMA). MarketingProfs

Google ad sales steady after coronavirus drop; Alphabet leads tech share rally
2020 first-quarter advertising sales at Google tallied $33.8 billion, with 73 percent coming from search and 12 percent from its YouTube property, and Google's ad business accounting for some 83 percent of revenue for parent firm Alphabet, according to newly-released financial results. Reuters

Spotify-owned Anchor can now turn your video chats into podcasts
Spotify will utilize its Anchor property to make it possible to convert video meeting content into podcasts, offering marketers new options for making use of a virtual hangout video content podcast conversion feature, Spotify recently announced. TechCrunch

Google’s new Podcasts Manager tool offers deeper data on listener behavior
Google has rolled out a new podcast analytics data feature — Podcasts Manager — that provides marketers an assortment of new podcast listening data, the search giant recently announced. Marketing Land

LinkedIn's up to 690 Million Members, Reports 26% Growth in User Sessions
LinkedIn (client) saw its user base increase to 690 million members — up from 675 in January — with an accompanying 26 percent increase in user sessions, and LinkedIn Live streams that increased by some 158 percent since February, according to parent firm Microsoft’s latest earnings release. Social Media Today

Advertisers Continued to Gravitate to Instagram in Q1
Advertisers moved to spend more on Instagram during the first quarter of 2020, with ad spending up 39 percent year-over-year on the platform, holding steady at 27 percent of parent company Facebook’s total ad spend, according to recently-released Merkle data. MarketingCharts

Brands Are Using More Data And Spending More On It: Study
B2B marketers are making greater use of data and spending increasingly to gather it, according to recent report data from Ascend2, showing that 47 percent use engagement data to make marketing decisions, one of several report statistics of interest to digital marketers. MediaPost

Most consumers are trying new brands during social distancing, study finds
Brands are seeing newfound levels of audience interest, with an uptick in consumer interest for trying new brands that has been observed during the pandemic, with members of the Gen Z and Millennial demographic seeing the biggest increases, according to recently-released survey data. Campaign US

Marketers Ante Up for In-Game Advertising
A $3 billion in-game advertising market in the U.S. alone has attracted additional advertisers, and a new Association of National Advertisers (ANA) examination of data from eMarketer found some surprises in that most mobile gamers were over 35, with 20 percent being over 50, while the majority were female, several of the in-game advertising statistics of interest to digital marketers. ANA

Data Hub: Coronavirus and Marketing [Updated]
Digital marketing has fared better than traditional campaigns in the face of the global health crisis, according to newly-released survey data from the Interactive Advertising Bureau (IAB) exploring the differences between the pandemic and the 2008 recession. MarketingCharts

ON THE LIGHTER SIDE:

A lighthearted look at generic advertising “in these uncertain times” by Marketoonist Tom Fishburne — Marketoonist

WHO Releases New Guidelines to Avoid Being Nominated for Viral Challenges — The Hard Times

Major Relief: Microsoft Has Confirmed That The Xbox Series X Will Play Video Games — The Onion

TOPRANK MARKETING & CLIENTS IN THE NEWS:

  • Lee Odden — What’s Trending: Embracing Data — LinkedIn (client)
  • Lee Odden — 10 Expert Tips for Marketing During a Crisis — Oracle (client)
  • Lee Odden — Klear Interviews Lee Odden, CEO, TopRank Marketing [Video] — Klear
  • Lee Odden and TopRank Marketing — Pandemic Cross-Country Skiing in Duluth, Minnesota: A Personal Timeline — Lane R. Ellis

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mp

71 साल के डीडी साहू ने 54 साल पहले कबड्‌डी क्लब खोला, महिला खिलाड़ियों को घर पर रखकर ट्रेनिंग दे रहे हैं

रायपुर (शेखर झा). 71 साल के डीडी साहू को कबड्‌डी से बेहद लगाव है। इस कारण 1966 में क्लब खोला। रिटायर्ड शिक्षक ने अब तक 100 से अधिक खिलाड़ी तैयार किए हैं। पिछले साल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से साई ने कबड्‌डी का सेंटर गुजरात के गांधी नगर में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद डीडी साहू ने सेंटर की 9 महिला खिलाड़ियों को जुलाई 2019 से घर में रहकर ट्रेनिंग देनी शुरू की। इन लड़कियों ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के अंडर-21 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। अभी छाया चंद्रवंशी सीनियर इंडिया कैंप जबकि सरस्वती निर्मलकर जूनियर इंडिया कैंप में हैं।

डीडी साहू ने बताया कि बचपन से खेल का शौक था। क्लब खोलने के बाद गांव के युवाओं को इससे जोड़ने लगे। 1972 में शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई। इसके बाद काम पर फोकस किया। इस बीच राजनांदगांव में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) का ट्रेनिंग सेंटर शुरू हुआ। इसमें कबड्‌डी को भी शामिल किया गया। प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग ली। पिछले साल कबड्‌डी को शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद सेंटर में रहने वाले बच्चे बाहर हो गए। इसके बाद साहू ने सेंटर की महिला खिलाड़ियाें को घर पर रखने का निर्णय लिया।

  • परिवार में कबड्‌डी के 7 नेशनल खिलाड़ी, एक अंपायर
  • रिटायर्ड शिक्षक डीडी साहू और उनके तीन भाई नेशनल खेल चुके हैं
  • तीन भतीजे भी नेशनल टूर्नामेंट में उतर चुके हैं

सेंटर की इन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे
1. छाया, राजनांदगांव
2. सरस्वती, बालोद
3. संगीता, राजनांदगांव
4. कांता, राजनांदगांव
5. पूनम, राजनांदगांव
6. मैनो, दंतेवाड़ा
7. दिव्या, राजनांदगांव
8. संतोषी, राजनांदगांव
9. सुमन, भिलाई



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डीडी साहू खेलो इंडिया की मेडलिस्ट खिलाड़ियों के साथ।




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Trump 'very happy for' Flynn on news DOJ dropping charges

U.S. President Donald Trump described his former national security adviser Michael Flynn as an 'innocent man' after learning that the U.S. Justice Department on Thursday abruptly sought to drop the criminal charges against Flynn.




mp

Trump tests negative after valet contracts virus

U.S. President Donald Trump on Thursday said it's "one of those things" after he learned that a White House valet tested positive for the coronavirus, noting contact with that person was limited. Gavino Garay has more.




mp

सपने और हकीकत के बीच का अंतर ही ‘कर्म’ कहते हैं

लोग कहते हैं कि अगर आप ‘कर्म’ करेंगे तो किस्मत आपके लिए दरवाजे खोलती जाएगी। ये ऐसे ही दो उदाहरण हैं।


पहली कहानी: इस हफ्ते मुझे किसी ने ललिता की तस्वीर भेजी, जिसने विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग शाखा में टॉप करने पर गोल्ड मेडल जीता था। तस्वीर भेजने वाले ने साथ में मैसेज लिखा था, ‘आपको ललिता की कहानी पसंद आएगी, खासतौर पर इसलिए क्योंकि ऐसे लोग जिनके अशिक्षित माता-पिता आजीविका के लिए सब्जी बेचते हैं, वे शायद ही एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग जैसे विषय चुनें।’ मैं उनसे सहमत था इसलिए तय किया कि मैं ललिता का सफर देखूंगा। वह अपने पूरे परिवार में पहली ऐसी व्यक्ति है, जिसे गोल्ड मेडल मिला है।

विशेष बात यह है कि उनके पिता राजेंद्र और मां चित्रा कर्नाटक की चित्रदुर्गा म्युनिसिपल काउंसिल के हिरियूर गांव में सब्जी बेचते हैं, जहां आय हमेशा बहुत कम रहती है। वे दोनों पहली कक्षा तक ही पढ़े हैं, बावजूद इसके उन्होंने अपने तीनों बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया। ललिता से छोटा बच्चा फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहा है, जबकि तीसरा बच्चा स्थानीय पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा कर रहा है। सबसे अच्छी बात यह है कि तीनों बच्चे बारी-बारी से सब्जी बेचने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।

ललिता स्कूल बोर्ड परीक्षाओं से ही टॉपर रही थी। जब उसने ऐसा ही प्रदर्शन कॉलेज में भी जारी रखा तो कॉलेज प्रिंसिपल ने हॉस्टल की फीस पूरी तरह माफ कर दी। ललिता पर काम का कितना भी प्रेशर हो, वो रोज तीन घंटे जरूर पढ़ती थी। उसने कभी ट्यूशन नहीं ली, लेकिन क्लास की एक्टिविटी हमेशा समय पर पूरी करती थी। इन दो अनुशासनों से उसके जीवन में दबाव नहीं रहा और वह परीक्षा के दौरान निश्चिंत रह पाई।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि दो सब्जी बेचने वालों को दीक्षांत समारोह में बैठकर कैसा महसूस हुआ होगा, जब उनकी बच्ची को इस साल 8 फरवरी को कर्नाटक के राज्यपाल ने गोल्ड मेडल से नवाजा?

दूसरी कहानी: आपको याद है, कैसे 18 जनवरी 2020 को अभिनेत्री शबाना आजमी के एक्सीडेंट की खबर ने हमें चौंका दिया था। अगली सुबह अखबारों में मुंबई-पुणे एक्सप्रेस हाईवे पर शबाना आजमी की कार से निकलने में मदद करते एक ‘आर्मी मैन’ की तस्वीर नजर आई। क्या कभी सोचा है कि वह आर्मी मैन कौन था, जिसने शबाना को सुरक्षित बाहर निकलने और फिर जल्दी से अस्पताल पहुंचने में मदद की?


लाइफ सेविंग फाउंडेशन के संस्थापक देवेंद्र पटनायक भी तस्वीर वायरल होने के बाद से इस युवा आर्मी मैन को ढूंढ रहे थे। उन्होंने महाराष्ट्र के सभी आर्मी हेडक्वार्टर्स से संपर्क किया। लेकिन उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि तस्वीर में दिख रहा आदमी किसी भी आर्मी विंग से नहीं है। फिर देवेंद्र ने उस अस्पताल से संपर्क किया जिसमें शबाना भर्ती हुई थीं और वहां से उस एंबुलेंस के बारे में पता किया जो उन्हें हॉस्पिटल लेकर आई थी। इससे वे महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्सेस के सिक्योरिटी गार्ड विवेकानंद योगे तक पहुंचे, जो एक्सप्रेसवे पर तैनात था।

हादसे वाले दिन उस गार्ड ने सबसे पहले शबाना की मदद की थी, जब उनकी कार एक ट्रक के पिछले हिस्से से टकरा गई थी। जब उसने आवाज सुनी तो वह दो किलोमीटर दौड़ा और देखा कि घाट वाली सड़क पर हादसा हुआ है। तब उसे यह नहीं पता था कि अंदर कौन है। उसने शबाना के हादसे के बाद वैसा ही किया, जैसा करने का उसे प्रशिक्षण मिला है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि योगे को अब न सिर्फ संस्थानों ने सम्मानित किया, बल्कि अब बड़े लोगों की प्रसिद्धि के बीच में भी वह चमकेगा।

फंडा यह है कि जीवन में अनगिनत दरवाजे मिलते हैं। अगर आप मेहनती हैं तो आप उनमें से कुछ दरवाजे खोलेंगे। अगर आप होशियार हैं तो आप कई दरवाजे खोलेंगे और अगर आप जोश से भरे हैं, तो आपके लिए हर दरवाजा खुद खुलेगा।



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प्रतीकात्मक फोटो।




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‘हुं तने प्रेम करूं छुं’

आनंद एल राय की फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ के एक दृश्य में इस आशय का संवाद है कि मधुबाला से युवा को प्रेम है और उसके अब्बा को भी मधुबाला से प्रेम रहा है, परंतु सवाल यह है कि मधुबाला किसे प्रेम करती थी? मधुबाला को चाहने वालों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है- नागरिकों के रजिस्टर की तरह। मधुबाला को दिलीप कुमार से प्रेम था और मधुबाला के लालची पिता अताउल्लाह खान भी यह तथ्य जानते थे।

खान साहब ने दिलीप कुमार से कहा कि वे एक शर्त पर इस निकाह की इजाजत दे सकते हैं कि शादी के बाद वे दोनों केवल अताउल्लाह खान द्वारा बनाई जाने वाली फिल्मों में अभिनय करेंगे। दिलीप कुमार अपने काम में सौदा नहीं कर सकते थे। उनके पिता भी उनके अभिनय करने से खफा थे।

एक दिन पिता अपने पुत्र दिलीप कुमार को गांधीजी के साथी मौलाना अब्दुल कलाम आजाद से मिलाने ले गए और गुजारिश की कि इसे भांडगीरी करने से रोकें। वे अभिनय को भांडगीरी मानते थे। आजाद साहब ने दिलीप कुमार से कहा कि जो भी काम करो उसे इबादत की तरह करना। मौलाना साहब से वचनबद्ध दिलीप कुमार अताउल्लाह खान की बात कैसे मानते।


यह प्रेम कहानी पनपी नहीं। मधुबाला, दिलीप कुमार को कभी भूल नहीं पाईं। जीवन के कैरम बोर्ड में दिलीपिया संजीदगी की रीप से टकराकर क्वीन मधुबाला किशोर कुमार के पॉकेट में जा गिरी। राज कपूर और नरगिस की प्रेम कहानी ‘बरसात’ से शुरू हुई। ‘बरसात’ के एक दृश्य में राज कपूर की एक बांह में वायलिन तो दूसरी बांह में नरगिस हैं।

गोयाकि संगीत और सौंदर्य से उनका जीवन राेशन है। इस दृश्य का स्थिर चित्र उनकी फिल्मों की पहचान बन गया। आर.के. स्टूडियो में यही पहचान कायम रखी। अशोक कुमार और नलिनी जयवंत ने कुछ प्रेम कहानियों में अभिनय किया। अशोक कुमार विवाहित व्यक्ति थे। नलिनी जयवंत और अशोक कुमार दोनों ही चेंबूर में रहते थे।

अभिनय छोड़ने के बाद कभी-कभी नलिनी जयवंत अशोक कुमार के चौकीदार से अशोक कुमार की सेहत की जानकारी लेती थीं। कभी-कभी एक टिफिन भी दे जाती थीं। भोजन की टेबल पर व्यंजन देखकर अशोक कुमार जान लेते थे कि कौन सा पकवान नलिनी जयवंत के घर से आया है।


जल सेना अफसर की बेटी कल्पना कार्तिक ने देव आनंद के साथ कुछ फिल्मों में अभिनय किया। देव आनंद को यह भरम हुआ था कि उनके बड़े भाई चेतन आनंद भी कल्पना की ओर आकर्षित हैं। उन्होंने स्टूडियो में ही पंडित को बुलाकर लंच ब्रेक में कल्पना से विवाह कर लिया। ज्ञातव्य है कि कल्पना कार्तिक बांद्रा स्थित चर्च में प्रार्थना करने प्रतिदिन आती थीं।

वह प्रार्थना थी या प्रायश्चित यह कोई नहीं बता सकता। बोनी कपूर ‘मिस्टर इंडिया’ में श्रीदेवी को अनुबंधित करना चाहते थे। चेन्नई जाकर उन्होंने श्रीदेवी की मां से संपर्क किया कि वे पटकथा सुन लें। उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया। हर रोज रात में बोनी कपूर श्रीदेवी के बंगले के चक्कर काटते थे।

यह संभव है कि उसी समय श्रीदेवी भी नींद नहीं आने के कारण घर में चहलकदमी करती हों। संभव है कि आकाश में किसी घुमक्कड़ यक्ष ने तथास्तु कहकर यह जोड़ी को आशीर्वाद दे दिया हो। वर्तमान में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी सुर्खियों में है। खबर है कि ऋषि कपूर के पूरी तरह सेहतमंद होते ही शहनाई बजेगी।


भूल सुधार : 13 फरवरी को प्रकाशित गुड़-गुलगुले लेख में पहले पैराग्राफ को यूं पढ़ा जाना चाहिए कि- स्मृति ईरानी को फिल्म थप्पड़ की थीम पसंद है, लेकिन फिल्मकार के राजनीतिक विचारों को नापंसद करती हैं।



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‘हैप्पी भाग जाएगी’ का पोस्टर।




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मंटो की कहानी ‘नंगी आवाजें’ और टाट के पर्दे

राहुल द्रविड़ ने लंबे समय तक बल्लेबाजी करके अपनी टीम को पराजय टालने में सफलता दिलाई और कुछ मैचों में विजय भी दिलाई। राहुल द्रविड़ इतने महान खिलाड़ी रहे हैं कि कहा जाने लगा कि राहुल द्रविड़ वह संविधान है, जिसकी शपथ लेकर खिलाड़ी मैदान में उतरते हैं। राहुल को ‘द वॉल’ अर्थात दीवार कहा जाने लगा। पृथ्वीराज कपूर का नाटक ‘दीवार’ सहिष्णुता का उपदेश देता था।

देश के विभाजन का विरोध नाटक में किया गया था। चीन ने अपनी सुरक्षा के लिए मजबूत दीवार बनाई जो विश्व के सात अजूबों में से एक मानी जाती है। मुगल बादशाह शहरों की सीमा पर मजबूत दीवार बनाया करते थे। के. आसिफ की फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ में अनारकली को दीवार में चुन दिया जाता है। यह एक अफसाना था। उस दौर में शाही मुगल परिवार में अनारकली नामक किसी महिला का जिक्र इतिहास में नहीं मिलता।


यश चोपड़ा की सलीम-जावेद द्वारा लिखी अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘दीवार’ दो सगे भाइयों के द्वंद की कथा थी। एक भाई कानून का रक्षक है तो दूसरा भाई तस्कर है। ज्ञातव्य है कि दिलीप कुमार ने ‘मदर इंडिया’ में बिरजू का पात्र अभिनीत करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह नरगिस के पुत्र की भूमिका अभिनीत करना नहीं चाहते थे, परंतु बिरजू का पात्र उनके अवचेतन में गहरा पैठ कर गया था। उन्होंने अपनी फिल्म ‘गंगा जमुना’ में बिरजू ही अभिनीत किया।

इस तरह ‘मदर इंडिया’ का ‘बिरजू’ दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ के बाद सलीम जावेद की ‘दीवार’ में नजर आया। कुछ भूमिकाएं बार-बार अभिनीत की जाती हैं। एक दौर में राज्यसभा में नरगिस ने यह गलत बयान दिया था कि सत्यजीत राय अपनी फिल्मों में भारत की गरीबी प्रस्तुत करके अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित करते हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने नरगिस से कहा कि वे अपना बयान वापस लें, क्योंकि सत्यजीत राय तो मानवीय करुणा के गायक हैं।


कुछ समय पश्चात श्रीमती इंदिरा गांधी के विरोधियों ने नारा दिया ‘इंदिरा हटाओ’ तो इंदिरा ने इसका लाभ उठाया और नारा लगाया ‘गरीबी हटाओ’। घोषणा-पत्र से अधिक प्रभावी नारे होते हैं। हाल में ‘गोली मारो’ बूमरेंग हो गया अर्थात पलटवार साबित हुआ। देश के विभाजन की त्रासदी से व्यथित सआदत हसन मंटो ने कहानी लिखी ‘नंगी आवाजें’ जिसमें शरणार्थी एक कमरे में टाट का परदा लगाकर शयनकक्ष बनाते हैं, परंतु आवाज कभी किसी दीवार में कैद नहीं होती।

ज्ञातव्य है कि नंदिता बोस ने नवाजुद्दीन अभिनीत ‘मंटो’ बायोेपिक बनाई। फिल्म सराही गई, परंतु अधिक दर्शक आकर्षित नहीं कर पाई। गौरतलब है कि विभाजन प्रेरित फिल्में कम दर्शक देखने जाते हैं। संभवत: हम उस भयावह त्रासदी की जुगाली नहीं करना चाहते। पलायन हमें सुहाता है, क्योंकि वह सुविधाजनक है।


दीवारें प्राय: तोड़ी जाती हैं। दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात बर्लिन में दीवार खड़ी की गई। एक हिस्से पर रूस का कब्जा रहा, दूसरे पर अमेरिका का। कालांतर में यह दीवार भी गिरा दी गई। कुछ लोगों ने इस दीवार की ईंट को दुखभरे दिनों की यादगार की तरह अपने घर में रख लिया। जिन लोगों ने युद्ध का तांडव देखा है वे युद्ध की बात नहीं करते, परंतु सत्ता में बने रहने के लिए युद्ध की नारेबाजी की जाती है।


निदा फ़ाज़ली की नज्म का आशय कुछ ऐसा है कि- ‘दीवार वहीं रहती है, मगर उस पर लगाई तस्वीर नहीं होती है’।



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प्रतीकात्मक फोटो।




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‘पैरासाइट’ से बॉलीवुड क्यों शर्मिंदा न हो?

हॉलीवुड में आज इस बात पर चर्चा बंद नहीं हो रही है कि किस तरह से एक दक्षिण कोरियाई फिल्म पैरासाइट ने सबटाइटिल की एक इंच की बाधा को पार किया और ऑस्कर में सर्वोच्च पुरस्कार पाने वाली पहली विदेशी फिल्म बनी। मेरे जैसे भारत के फिल्मों के शौकीन के लिए पैरासाइट ने फिर एक बार से वही पुराना सवाल खड़ा कर दिया है कि दुनिया में सर्वाधिक फिल्में बनाने वाला भारत क्या एक ऐसी अच्छी फिल्म नहीं बना सकता, जो एकेडमी पुरस्कार के लायक हो?

भारत ने कभी सर्वोत्तम विदेशी फिल्म का पुरस्कार भी नहीं जीता है। ऐसा नहीं है कि उसके प्रयासों में कमी रही। 1957 में इस पुरस्कार की स्थापना के बाद से उसने कम से कम 50 बार प्रविष्टि दाखिल की है। केवल फ्रांस और इटली ही ऐसे हैं, जिन्हाेंने भारत से अधिक बार अपनी प्रविष्टियां दाखिल की हैं, लेकिन उन्होंने कई बार पुरस्कार भी हासिल किया है। केवल यूरोपीय फिल्म पॉवरहाउस ही ऑस्कर में चमके हों, ऐसा नहीं है। 27 देशों की फिल्मों को सर्वोत्तम विदेशी फिल्मों का पुरस्कार मिला है। इनमें ईरान, चिली व आइवरी कोस्ट भी शामिल हैं।


भारत के समर्थक इसके लिए कई तरह की दलीलें देते हैं कि भारतीय प्रविष्टि को चुनने वाली कमेटी ने कमजोर चयन किया। जो कंटेट भारतीय दशकों को भाता है वह वैश्विक दर्शकों को पसंद नहीं आता। हमारा घरेलू बाजार ही बहुत बड़ा है और हमें अंतराराष्ट्रीय दर्शकों को खुश करने की जरूरत ही नहीं है। इन सबसे ऊपर, भारतीय फिल्में विश्व स्तर की हैं, लेकिन एकेडमी पक्षपाती है और गुणवत्ता की पारखी नहीं है। इनमें से कोई भी दलील मामूली या सामान्य जांच में भी टिक नहीं सकती।

भारतीय फिल्में ऑस्कर ही नहीं, बल्कि हर प्रमुख फिल्म समारोह में लगातार मुंह की खा रही हैं। इनमें से बहुत ही कम कान, वेनिस या बर्लिन में मेन स्लेट में जगह बना पाती हैं। कोई भी भारतीय फिल्म आज तक कान में पाम डी’ऑर या फिर बर्लिन में गोल्डन बियर नहीं जीत सकी। इसलिए यह कहना पूरी तरह भ्रामक है कि दुनिया में फिल्मों का आकलन करने वाले सभी जज भारतीय फिल्मों को लेकर गलत हैं।

ठीक है, मीरा नायर ने वेनिस में मानसून वेडिंग के लिए सर्वोच्च पुरस्कार जीता दो दशक पहले 2001 में। और उन्होंने अपने अधिकांश कॅरियर में भारतीय फिल्म उद्योग के बाहर ही काम किया है। सच यह है कि भारत विश्व स्तर की फिल्में नहीं बना रहा है और यह सिर्फ कुछ समय से ही नहीं है। दुनिया के प्रमुख फिल्म आलोचकों द्वारा न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर इंडीवायर तक सभी प्रकाशनों में आने वाली सूचियों पर नजर डालेंगे तो पिछले एक साल, एक दशक या फिर एक सदी या अब तक की टाॅप फिल्मों की सूची में एक भी भारतीय फिल्म नहीं दिखेगी।

करीब एक साल पहले बीबीसी ने 43 देशों के 200 फिल्म आलोचकों के बीच कराए गए सर्वे के आधार पर 100 विदेशी सर्वकालिक फिल्मों की सूची बनाई थी। इसमें सिर्फ सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली ही स्थान बना सकी थी और यह फिल्म भी 1955 में रिलीज हुई थी। इसका मतलब यह नहीं है कि भारतीय निर्देशकोंको विदेशी समीक्षकों और वैश्विक दर्शकों के लिए फिल्म बनानी चाहिए। वे मानवीय भावनाओं को झकझोरने में सक्षम महान फिल्में बना सकें और कम से कम एक भारतीय फिल्म तो कभीकभार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पा सके।


चीन, जापान और ब्राजील की फिल्म इंडस्ट्री भी सिर्फ अपने घरेलू दर्शकों को ध्यान में रखकर फिल्में बनाती है, लेकिन ऑस्कर, फिल्म समारोहों और प्रसिद्ध समीक्षकों के बीच उनका प्रदर्शन भारत से कहीं अच्छा रहता है। अंतरराष्ट्रीय दर्शकों की नजर में आने से पहले ही पैरासाइट दक्षिण कोरिया के सिनेमाघरों में सनसनी फैला चुकी थी। फिर भारतीय सिनेमा के खराब स्तर की वजह क्या है? फिल्में लोकप्रिय संस्कृति से प्रवाहित होती हैं, लेकिन हम सेलेब्रिटी को लेकर इस हद तक जूनूनी हैं कि वह गुणवत्ता खराब कर रहा है।

किसी भी अन्य प्रमुख फिल्म इंडस्ट्री मेंसितारे फिल्म के बजट का इतना बड़ा हिस्सा नहीं लेते हैं कि निर्माता के पास स्क्रिप्ट, संपादन और उन बाकी कलाओंके लिए पैसे की कमी हो जाए, जिनसे महान फिल्म बनती है। कई बार स्क्रिप्ट स्टार को ध्यान में रखकर लिखी जाती है न कि कहानी को और यही सबसे बड़ी वजह है कि हमारी फिल्मों के प्रति अंतरराष्ट्रीय आलोचक उदासीन रहते हैं।


भारत को इससे बेहतर की उम्मीद करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जो भारी भरकम भारतीय दल जाता है, उसका फोकस फिल्म के कंटेट की बजाय इस बात पर अधिक रहता है कि हमारे स्टार रेड कारपेट पर क्या पहन रहे हैं। वहां से लौटकर मीडिया भी उन ब्रांडों की क्लिप चलाते हैं, जो भारत में अपना सामान बेचना चाहते हैं, लेकिन इस बात पर कुछ नहीं कहते कि भारत बार-बार खाली हाथ क्यों लौट रहा है। वे बहुत कम की उम्मीद करते हैं और वही पाते हैं।


इसे बदलने के लिए घरेलू फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े अधिक से अधिक लोगों को इस मध्यमता को पहचानने की जरूरत है और एक विश्व स्तर का कंटेंट बनाने के लिए भीतर से तीव्र इच्छा जगाने की जरूरत है। ऐसा दबाव बनने के कुछ संकेत भी हैं। पिछले कुछ सालों में बड़े स्टार वाली फिल्में जहां धड़ाम हो गईं, वहीं कम बजट की और अच्छी कहानी वाली फिल्मों का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा।

बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की संख्या स्थिर रहने और लाइव स्ट्रमिंग, डिजिटल गेमिंग के साथ ही स्क्रीन मनोरंजन के कई अन्य विकल्पों के उभरने से भारतीय निर्माताओं को यह समझने की जरूरत है कि व्यावसायिक रूप से बने रहने के लिए क्वालिटी ही एक मात्र रास्ता होगा।

तब तक न्यूयॉर्क में रहने वाला मुझ जैसा भारतीय सिनेमा का फैन मैनहट्‌टन के उस एकमात्र थिएटर में जाता रहेगा, जो हिंदी फिल्म दिखाता है। यह उस देश से जुड़े रहने का एक जरिया है, जिसे मैं बहुत प्यार और याद करता हूं। मैं यह उम्मीद करना भी जारी रखूंगा कि भविष्य में एक दिन मुझे पैरासाइट जैसी एक भारतीय फिल्म मिलेगी। (यह लेखक के अपने विचार हैं।)



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पैरासाइट फिल्म का दृश्य।




mp

क्या हॉलीवुड का ‘जोकर’ भी शहरी नक्सली है?

मैं निराश हूं। मुझे उम्मीद थी कि ‘जोकर’ को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिलेगा। शुक्र है कि जोकिन फीनिक्स को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिल गया। जोकर न केवल एक महान फिल्म है, बल्कि यह आज के समय में एक साहसिक राजनीतिक बयान भी है। खासतौर से यहां भारत में रहने वालों के लिए। यह एक ऐसे छोटे व्यक्ति की कहानी है, जो अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बिना किसी कारण के लगातार और हर मोड़ पर उस पर धौंस जमाते हैं और परेशान करते हैं, जिससे उसकी निजता भी खतरे में पड़ जाती है।

इस फिल्म को देखकर आपको अहसास होगा कि काल्पनिक शहर गॉथम कितना वास्तविक है। अब यह सिर्फ कॉमिक बुक की कल्पना नहीं है। यह वह दुनिया है, जहां आप और मैं रहते हैं। यह सब जगह रहने वाले आम लोगाेंकी कहानी है। जो उस समय आसानी से चोट खा बैठते हैं, जब किसी की परवाह न करने वाली असभ्य दुनिया प्रभुत्व के अपने बेढंगे सपने के पीछे अपनी धुरी पर घूमती है। ये वो हैं जो सबसे असुरक्षित और सबसे हारे हुए हैं। इन्हें सबसे अधिक तनाव यह बात देती है कि उनके अपने लोग ही नहीं समझते की असल में हो क्या रहा है। वे राजनीति द्वारा उनके चारों ओर बनाए गए कल्पना और शक्ति के प्रेत के पीछे भागने में व्यस्त हैं।


टाॅड फिलिप्स द्वारा लिखी इस शानदार प्रतीकात्मक कहानी में अंतत: जोकर एक तरह की अनिच्छा से अवज्ञा का एक कदम उठाकर अपनी क्रांति को प्रज्ज्वलित कर देता है, जो उसे खुद के बारे में सोचने की हिम्मत देता है। इससे उसके चारों ओर की दुनिया में यह ज्वाला भड़क उठती है। हर जोकर सड़क पर होता है, लड़ता हुआ, दंगा और आगजनी करता हुआ। वे एक जोशीले हीरो की तलाश में थे, जो परिवर्तन के लिए प्रेरित कर सके, जो इस दुनिया को सभी के लिए रहने का एक अच्छा स्थान बना सके। और अपने नायक जोकर में उन्हें वह नजर आ गया। यहां पर उसे तलाशना नहीं पड़ेगा।

हीरो यहीं है, उनके बीच में। वे ही हीरो हैं। जोकर जो भी करता है वह उनके गुस्से और दुखों की छवि है। फिलिप्स ने अपनी फिल्म से यही संदेश दिया है, जिसे भुलाने में हमें लंबा समय लगेगा। यह उस साहस के बारे में है, जो कमजोर में हताशा से पैदा होता है। ऐसा साहस जो अपनी आवाज को पाने के लिए हर तरह के डर और अनिश्चितता को खारिज कर देता है। यह अकेले, हारे हुए, डरे हुए लोगों का साहस है। यह साहस निडर और बहादुर बने रहने के लिए अपने चारों ओर की दुनिया को चुनौती देता है। यही है जो नायकत्व के लिए जरूरी है और जोकर हमारे समय का हीरो है।


जोकिन फीनिक्स ने अपने भाषण में पुष्टि की कि जब उन्हें ऑस्कर मिला तो भीड़ ने ठंडी सांस ली। वह पहले भी अपनी अंतरात्मा से बात कर चुके हैं। गोल्डन ग्लोब में उन्हांेने जलवायु परिवर्तन पर बात की थी। बाफ्टा में उन्होंने नस्लवाद पर बात की। अन्य जगहों पर लैंगिक भेदभाव और महिलाओं को उनकी वाजिब पहचान न मिलने पर बात की। उन्होंने दुनिया में बढ़ रही असमानता पर बात की, जहां 2000 अरबपति 4.6 अरब गरीब लोगों से अमीर हैं।

जैसा कि ऑक्सफैम ने इस साल दावोस में ध्यान दिलाया था कि 22 अमीर लोगों के पास अफ्रीका की सभी महिलाओं से अधिक संपत्ति है। भारत के एक फीसदी अमीर लोगों के पास हमारे 95.30 करोड़ लोगोंसे चार गुना अधिक संपत्ति है, ये लोग देश की आबादी का 70 फीसदी हैं। लेकिन, इससे हम मुद्दे से हट जाएंगे।


फीनिक्स ने बताया कि किस तरह से सिनेमा का मनोरंजन से अधिक एक बड़ा उद्देश्य है। यह उद्देश्य मूक लोगों को आवाज देना है। उन्होंने दुनिया बदलने की ताकत को इस माध्यम का सबसे बड़ा तोहफा बताया। चाहे यह लैंगिक असमानता हो, नस्लवाद हो, समलैंगिकों के अधिकार हों या फिर अन्य सताए लोगों के हक। यह अंतत: एक बढ़ते अन्याय के खिलाफ एक सामूहिक लड़ाई थी। उन्होंने कहा कि ‘हम एक राष्ट्र, एक व्यक्ति, एक जाति, एक लिंग और एक प्रजाति को प्रभुत्व का हक होने और दूसरे का इस्तेमाल और नियंत्रण की बात कर रहे हैं’।

उन्होंने धर्म या जाति का जिक्र नहीं किया, लेकिन अगर उनके जहन में भारत होता तो यह जिक्र भी होता। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों की बरबादी के लिए भी लालच को जिम्मेदार ठहराया। करोड़ों पशु-पक्षी गायब हो गए हैं, करोड़ों विलुप्त होने की कगार पर हैं, यह सब हमारी वजह से है, हमने उनसे कैसे बर्ताव किया। उन्होंने दूध और डेयरी इंडस्ट्री और उसकी निर्दयता के बारे में भी बात की। एक पूर्ण शाकाहारी (वीगन) फीनिक्स ने कृत्रिम गर्भाधान, बछड़ों को उनकी मां से दूर करना और चाय व कॉफी के लिए दूध के अनियंत्रित इस्तेमाल पर बात की।

उन्हाेंने एक अधिक मानवीय दुनिया बनाने की बात की, जहां पर पशुओं को हमारी दया पर न जीना पड़े। उनका भाषण उनके दिवंगत भाई रिवर फीनिक्स की इस कविता से खत्म हुआ : ‘प्रेम से बचाने दौड़ें और शांति अनुसरण करेगी।’ जब जोकर ने सड़कों पर दंगे देखे तो उसने ठीक यही किया। वह जिसके लिए लड़ रहा था वह केवल शांति थी। उन लोगांंे से शांति, जो उसे अकेला नहीं छोड़ते। उनके और उसके जैसों के लिए शांति जो बढ़ते अन्याय से आहत हो रहे थे।(यह लेखक के अपने विचार हैं।)



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‘जोकर’ फिल्म का पोस्टर।




mp

कितना ‘उत्कृष्ट’ है हमारा काम और बर्ताव?

रेल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए 400 करोड़ रुपए की लागत से अक्टूबर 2018 में ‘उत्कृष्ट’ योजना शुरू की गई थी। इसके तहत करीब 300 उत्कृष्ट रेल डिब्बों में कई आधुनिक सुख-सुविधाओं के अलावा एलईडी लाइट्स लगाई गईं और बिना बदबू वाले टॉयलेट्स बनाए गए। अब सीधे 20 फरवरी 2020 पर आते हैं। इन 17 महीनों में डिब्बों के टॉयलेट्स और वॉश बेसिन से स्टील के 5 हजार से ज्यादा नल चोरी हो गए।

रेलवे के आंकड़े यह भी बताते हैं कि 80 उत्कृष्ट डिब्बों से स्टील के फ्रेम वाले करीब 2000 आईने, करीब 500 लिक्विड सोप डिस्पेंसर और करीब 3000 टॉयलेट फ्लश वाल्व भी गायब हैं। कुला मिलाकर बदमाशों ने रेलवे के सबसे शानदार उत्कृष्ट डिब्बों में जमकर उत्पात मचाया और टॉयलेट कवर्स और सोप डिस्पेंसर्स तक नहीं छोड़े।


जब भी मैं यात्रा कर रही जनता के द्वारा नुकसान पहुंचाने की खबरों के बारे में पढ़ता हूं, मुझे जापान की रेल याद आती है। ये न सिर्फ इसलिए शानदार हैं, क्योंकि साफ हैं, समय पर चलती हैं और सरकार इनमें सबसे अच्छी सुविधाएं दे रही है, बल्कि ज्यादातर जापानी भी यह सुनिश्चित करते हैं कि इन सुविधाओं का कोई भी दुरुपयोग न करे। लेकिन नुकसान पहुंचाने और चोरी को स्पष्ट ‘न’ है! जापान में रेल यात्रा को लेकर एक कहानी है।

एक गैर-जापानी ने ट्रेन में सफर करते हुए अपने पैर सामने वाली बर्थ पर रख दिए, क्योंकि वहां कोई नहीं बैठा था। जब स्थानीय जापानी यात्री ने उसे ऐसा करते देखा तो वह उसके पैरों के बगल में बैठ गया और गैर-जापानी यात्री के पैर अपनी गोद में रख लिए। वह यात्री चौंक गया। तब स्थानीय यात्री ने कहा, ‘आप हमारे मेहमान हैं और हमारी संस्कृति हमें मेहमान का अपमान करने से रोकती है, लेकिन हम किसी को अपनी सार्वजनिक संपत्ति का इस तरह अपमान भी नहीं करने देते!’ ऐसी टिप्पणी सुन उस मेहमान की चेहरे की आप कल्पना कर सकते हैं।


यही कारण है कि मुझे अहमदाबाद के रीजनल पासपोर्ट ऑफिस (आरपीओ) द्वारा एक साधारण गृहिणी उर्वशी पटेल की खराब स्थिति को देखते हुए एक घंटे के अंदर पासपोर्ट देने जैसे कार्य हमेशा बहुत अच्छे लगते हैं। 51 वर्षीय उर्वशी गुजरात के नडियाड में अपने 21 वर्षीय बेटे और 18 वर्षीय बेटी के साथ रहती हैं।

उनके पति 54 वर्षीय विलास पटेल पिछले 8 सालों से केन्या की राजधानी नैरोबी में रह रहे थे। विलास को वहां डायबिटीज के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था और उनकी स्थिति सुधर रही थी। लेकिन अचानक उनका शुगर लेवल गिर गया और सोमवार को वे डायबिटिक कॉमा में आ गए। एक घंटे में उनकी किडनी फेल हो गईं और डॉक्टरों ने उन्हें सोमवार को ही मृत घोषित कर दिया।


उर्वशी अपने पति का अंतिम संस्कार करने के लिए केन्या जाना चाहती थीं, लेकिन उनका दिल टूट गया, जब उनका वीज़ा खारिज हो गया, क्योंकि उनके पासपोर्ट की 6 महीने से भी कम की वैधता बची थी और 29 मई को इसकी समाप्ति तारीख थी। उन्होंने मंगलवार को ऑनलाइन वीज़ा फॉर्म भरने की कोशिश की जो वैधता की समस्या के चलते खारिज हो गया था।

चूंकि बच्चों के पासपोर्ट में ऐसी कोई समस्या नहीं थी, इसलिए वे नैरोबी चले गए। दु:ख और सदमे के साथ उर्वशी बुधवार को सुबह 11 बजे अहमदाबाद आरपीओ पहुंचीं। उन्होंने अधिकारियों को अपनी परिस्थिति बताई और एक घंटे के अंदर ही उर्वशी को पासपोर्ट जारी कर दिया गया। वे गुरुवार को नैरोबी के लिए निकल गईं।


अगर आपके पास शक्ति है तो वैसा ही करें, जैसा अहमदाबाद आरपीओ ने किया। और अगर आप नागरिक हैं तो वैसा करें, जैसा जापानी नागरिक ने मेहमान के साथ किया।

फंडा यह है कि देश हर क्षेत्र में दूसरे देशों से बहुत आगे निकल सकता है, अगर हमारा काम और व्यवहार ज्यादा से ज्यादा ‘उत्कृष्ट’ हो।



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प्रतीकात्मक फोटो।




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हमारे नेता ‘राष्ट्र’ की राजनीति करते हैं, उसे आत्मसात नहीं करते

14 अगस्त 1947 की आधी रात को जब अंग्रेजी झंडा उतर रहा था और उसकी जगह अपना तिरंगा ले रहा था, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने संबोधन में ‘नेशन’ शब्द काम में लिया था। तब से ही देश में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या पंडित नेहरू का ‘नेशन’ वह ‘नेशन’ ही था जो वे विदेश में पढ़ और सीखकर आए थे या उनका ‘नेशन’ भारत का वह ‘राष्ट्र’ था जिसकी छाया में उन्होंने जन्म लिया था। ‘नेशन’ और ‘राष्ट्र’ के ही अनुरूप नेहरू के ‘नेशनलिज्म’ और ‘राष्ट्रवाद’ के प्रति संशय की बात होती है। पंडित नेहरू से लेकर अब तक इस देश के नेता ‘नेशनलिज्म’ और ‘राष्ट्रवाद’ की समझ के प्रति संशय में ही दिखाई देते आ रहे हैं।


इन दिनों समाचारों की सुर्खियों में ‘पॉजिटिव नेशनलिज्म’ या ‘सकारात्मक राष्ट्रवाद’ की बात हो रही है। यहां भी वही प्रश्न उपस्थित है जो नेहरू के दौर में उपस्थित था। सही बात यह है जहां ‘राष्ट्र’ की तुलना में ‘नेशन’ शब्द आ जाता है, वहां राजनीति शुरू हो जाती है। हमें समझना चाहिए कि ‘नेशन’ की अवधारणा ‘राष्ट्र’ की अवधारणा से पूरी तरह अलग है। दोनों ही शब्दों को काम लेने वाले लोग इस समय देश में राजनीति कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति को ‘पॉलिटिकल नेशनलिज्म’ या ‘राजनीतिक राष्ट्रवाद’ कहा जाना चाहिए।

सीधी-सी बात है कि यदि कहीं राष्ट्रवाद (नेशनलिज्म नहीं) होगा तो वह सकारात्मक ही होगा। वह नकारात्मक हो ही नहीं सकता। क्या सत्य नकारात्मक हो सकता है? यदि इन प्रश्नों का उत्तर ना है, तो हमें समझना चाहिए कि राष्ट्र हमारी सांस्कृतिक विरासत है और वह हमेशा सकारात्मक ही होगी। भारत से बाहर दुनिया में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, धर्म, सत्य आदि प्रत्ययों के लिए ये ही शब्द काम में नहीं लिए जाते। वहां इनके अर्थ पूरी तरह अलग हैं।

भारत ही इनका विशिष्ट अर्थ जानता है, क्योंकि इनका मूल भारत में ही है। इसी तर्ज पर कहना चाहिए कि हमारा भारत ‘राष्ट्र’ को जानता है, ‘नेशन’ को नहीं जानता। जाहिर है कि जो लोग ‘राष्ट्र’ का अनुवाद ‘नेशन’ करते हैं, वे गलती करते हैं। अपने यहां तो राष्ट्र सकारात्मक अर्थ में ही होगा। उसमें नेशन की तरह भूमि, आबादी और सत्ता ही शामिल नहीं होगी, बल्कि संस्कृति भी शामिल होगी। संस्कृति कभी नकारात्मक नहीं हो सकती। नकारात्मक होती है दुष्कृति।


राष्ट्र न तो यूरोपीय और अमेरिकी सत्ताधीशों द्वारा ताकत के बल पर बनाए हुए नक्शों का नाम है, न उग्र भीड़ द्वारा नारे लगाकर विरोधी देश का दुनिया से नक्शा मिटा देने की कसम उठाने का नाम है और न ही यह लोगों को मुफ्त में बिजली-पानी देने का वादा करके उन्हें मूर्ख बनाने का नाम है। यदि राष्ट्रवाद को समझना ही हो तो इस सरल उदाहरण से समझना चाहिए कि राष्ट्रवाद नाम है उस संस्कार का, उस दर्द का जो किसी भारतीय के मन में भारत के लिए तब भी जागता है, जब वह किसी कारणवश भारत का नागरिक न रहकर किसी अन्य देश का नागरिक बन जाता है।

‘न भूमि/ न भीड़/ न राज्य/ न शासन.../ राष्ट्र है/ इन सबसे ऊपर/ एक आत्मा’- किसी कवि के कहे इन शब्दों के माध्यम से आप सामान्य बुद्धि के व्यक्ति को तो राष्ट्र का अर्थ समझा सकते हैं, लेकिन धन और सत्ता के लोभी हमारे नेताओं को आप इन शब्दों के माध्यम से राष्ट्र का अर्थ नहीं समझा सकते और सही पूछो तो इस दौर का सबसे बड़ा संकट भी यही है कि हमारे नेता ‘राष्ट्र’ की राजनीति करते हैं, उसे आत्मसात नहीं करते!



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प्रतीकात्मक फोटो।




mp

महज व्यापार के नजरिये से न करें ‘नमस्ते ट्रम्प’

सदियों तक याचक रहने के कारण हम मेहमान के आने का लेखा-जोखा फायदे और खासकर तात्कालिक आर्थिक लाभ के नजरिये से करते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘नमस्ते ट्रम्प’ के भावातिरेक में सम्मान दिया गया। लेकिन, विश्लेषकों का एक बड़ा वर्ग है, जो इस यात्रा को व्यापारिक लाभ-हानि के तराजू पर तौलने लगा है। यानी अगर कुछ मिला तो ही ‘स्वागत’ सफल। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति को केवल 23 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था (हमसे करीब सात गुना ज्यादा) वाले देश का मुखिया मानना और तब यह सोचना कि दोस्त है तो भारत को आर्थिक लाभ क्यों नहीं देता, पचास साल पुरानी बेचारगी वाली सोच है।

भारत स्वयं अब तीन ट्रिलियन डॉलर की (दुनिया में पांचवीं बड़ी) अर्थव्यवस्था है। कई जिंसों का निर्यातक है और शायद सबसे बड़े रक्षा आयातक के रूप में हथियार निर्यातक देशों से अपनी शर्तों पर समझौते करने की स्थिति में है। अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत आना भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से भी देखना होगा, क्योंकि हमारे पड़ोस में दो ऐसे मुल्क हैं जो हमारे लिए सामरिक खतरा बनते रहे हैं। सस्ते अमेरिकी पोल्ट्री या डेरी उत्पाद के लिए हम कुक्कुट उद्योग और दुग्ध उत्पादन में लगे किसानों का गला नहीं दबा सकते और अमेरिका हमारा स्टील महंगे दाम पर खरीदे, यह वहां के राष्ट्रपति के लिए अपने देश के हित के खिलाफ होगा।

फिर हमारी मजबूरी यह भी है कि हमारे उत्पाद महंगे भी हैं। हमारा दूध पाउडर जहां 320 रुपए किलो लागत का है, वहीं न्यूजीलैंड हमें यह 250 रुपए में भारत में पहुंचाने को तैयार है। स्टील निर्यात को लेकर हमने अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में केस दायर किया और फिर जब हमने उनकी हरियाणा में असेम्बल मशहूर हर्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 100 प्रतिशत ड्यूटी लगाई तो ट्रम्प ने व्यंग्य करते हुए हमें टैरिफ का बादशाह खिताब से नवाजा और प्रतिक्रिया में उस लिस्ट से हटा दिया, जिसके तहत भारत अमेरिका को करीब छह अरब डाॅलर का सामान बगैर किसी शुल्क का भुगतान किए निर्यात कर सकता था। ट्रम्प-मोदी केमिस्ट्री का दूरगामी असर दिखेगा, रणनीतिक-सामरिक रूप से भी और चीन की चौधराहट पर अंकुश के स्तर पर भी। बहरहाल कल की वार्ता में रक्षा उपकरण, परमाणु रिएक्टर और जिंसों के ट्रेड में काफी मजबूती आने के संकेत हैं जो भारत के हित में होगा।



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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प।




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अशांति के खिलाफ ईमानदार और सख्त ‘राजदंड’ जरूरी

पूरे देश में दो संप्रदायों के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है। देश की राजधानी जल रही है, लगभग तीन दर्जन लोग मारे गए हैं, जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल भी है। पिछले कुछ वर्षों में देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है। गृह राज्यमंत्री का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के दौरान भड़की दिल्ली हिंसा की घटनाएं किसी साजिश की बू देती हैं।

साजिश कौन कर रहा है, अगर कर रहा है तो कहने वाले मंत्री, जो स्वयं इसे रोकने के जिम्मेदार हैं, क्या कर रहे हैं? ऐसे इशारों में बात करके क्या साजिशकर्ताओं को रोक सकेंगे? यही सब तो वर्षों से किया जा रहा है। क्या सत्ता का काम इशारों में बात करना है? अच्छा तो होता जब उसी मीडिया के सामने ये मंत्री साजिशकर्ताओं को खड़ा करते और अकाट्य साक्ष्य के साथ उन्हें बेनकाब करते। जब एक मंत्री बयान देता है कि ‘तुम्हें पाकिस्तान दे दिया, अब तुम पाकिस्तान चले जाओ, हमें चैन से रहने दो’, तो क्यों नहीं उसी दिन उसे पद से हटाकर मुकदमा कायम किया जाता?

उसने तो संविधान में निष्ठा की कसम खाई थी और उसी संविधान की प्रस्तावना में ‘हम भारत के लोग’ लिखा था न कि ‘हमारा हिंदुस्तान, तुम्हारा पाकिस्तान’। राजसत्ता के प्रतिनिधियों की तरफ से इन बयानों के बाद लम्पट वर्ग का हौसला बढ़ने लगता है और दूसरी ओर संख्यात्मक रूप से कमजोर वर्ग में आत्मसुरक्षा की आक्रामकता पैदा हो जाती है। फिर अगर मंच से कोई बहका नेता ‘120 करोड़ पर 15 करोड़ भारी’ कहता है तो उसे घसीटकर पूरे समाज को बताना होता है कि भारी लोगों की संख्या नहीं, बल्कि कानून और पुलिस है।

लेकिन इसकी शर्त यह है कि सरकार को यह ताकत तब भी दिखानी होती है जब चुनाव के दौरान केंद्र का मंत्री ‘देश के गद्दारों को’ कहकर भीड़ को ‘गोली मारो सा... को’ कहलवाता है। आज जरूरत है कि देश का मुखिया वस्तु स्थिति समझे और एक मजबूत, निष्पक्ष राजदंड का प्रयोग हर उस शख्स के खिलाफ करे जो भावनाओं को भड़काने के धंधे में यह सोचकर लगा है कि इससे उसका राजनीतिक अस्तित्व पुख्ता होगा। भारत को सीरिया बनने से बचाने के लिए एक मजबूत राज्य का संदेश देना जरूरी है।



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प्रतीकात्मक फोटो।




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‘हुनूज दूर अस्थ’

खबर यह है कि हुक्मरान नया संसद भवन बनाना चाहते हैं। इतिहास में अपना नाम दर्ज करने की ललक इतनी बलवती है कि देश की खस्ताहाल इकोनॉमी के बावजूद इस तरह के स्वप्न देखे जा रहे हैं। खबर यह भी है कि नया भवन त्रिभुज आकार का होगा। मौजूदा भवन गोलाकार है और इमारत इतनी मजबूत है कि समय उस पर एक खरोंच भी नहीं लगा पाया है।

क्या यह त्रिभुज समान बाहों वाला होगा या इसका बायां भाग छोटा बनाया जाएगा? वामपंथी विचारधारा से इतना खौफ लगता है कि भवन का बायां भाग भी छोटा रखने का विचार किया जा रहा है। स्मरण रहे कि फिल्म प्रमाण-पत्र पर त्रिभुज बने होने का अर्थ है कि फिल्म में सेंसर ने कुछ हटाया है। ज्ञातव्य है कि सन 1912-13 में सर एडविन लूट्यन्स और हर्बर्ट बेकर ने संसद भवन का आकल्पन किया था, परंतु इसका निर्माण 1921 से 1927 के बीच किया गया।

किंवदंती है कि अंग्रेज आर्किटेक्ट को इस आकल्पन की प्रेरणा 11वीं सदी में बने चौसठ योगिनी मंदिर से प्राप्त हुई थी। बहरहाल, 18 जनवरी 1927 को लॉर्ड एडविन ने भवन का उद्घाटन किया था। सन् 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने भवन के ऊपर दो मंजिल खड़े किए। इस तरह जगह की कमी को पूरा किया गया।


13 दिसंबर 2001 में संसद भवन पर पांच आतंकवादियों ने आक्रमण किया था। उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। फिल्मकार शिवम नायर ने इस सत्य घटना से प्रेरित होकर एक काल्पनिक पटकथा लिखी है। जिसके अनुसार 6 आतंकवादी थे। पांच मारे गए, परंतु छठा बच निकला और इसी ने कसाब की मदद की जिसने मुंबई में एक भयावह दुर्घटना को अंजाम दिया था। पटकथा के अनुसार यह छठा व्यक्ति पकड़ा गया और उसे गोली मार दी गई।

बहरहाल, शिवम नायर ने इस फिल्म का निर्माण स्थगित कर दिया है। विनोद पांडे और शिवम नायर मिलकर एक वेब सीरीज बना रहे हैं, जिसकी अधिकांश शूटिंग विदेशों में होगी। वेब सीरीज बनाना आर्थिक रूप से सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि यह सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए नहीं बनाई जाती। आम दर्शक इसका भाग्यविधाता नहीं है। एक बादशाह को दिल्ली को राजधानी बनाए रखना असुरक्षित लगता था। अत: वह राजधानी को अन्य जगह ले गया।

उस बादशाह ने चमड़े के सिक्के भी चलाए थे। यह तुगलक वंश का एक बादशाह था, जिसके परिवार के किसी अन्य बादशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया था। दिल्ली में भगदड़ मच गई थी, परंतु हजरत निजामुद्दीन औलिया शांत बने रहे। उन्होंने कहा ‘हुनूज (अभी) दिल्ली दूर अस्थ’ अर्थात अभी दिल्ली दूर है। सचमुच वह आक्रमण विफल हो गया था। फौजों को यमुना की उत्तंुग लहरें ले डूबी थीं। आक्रमणकर्ता के सिर पर दरवाजा टूटकर आ गिरा और वह मर गया।


वर्तमान समय में भी दिल्ली जल रही है। समय ही बताएगा कि यह साजिश किसने रची। मुद्दे की बात यह है कि अवाम ही कष्ट झेल रहा है। देश के कई शहर उस तंदूर की तरह हैं जो बुझा हुआ जान पड़ता है, परंतु राख के भीतर कुछ शोले अभी भी दहक रहे हैं। दिल्ली के आम आदमी में बड़ा दमखम है। वह आए दिन तमाशे देखता है।

केतन मेहता की फिल्म ‘माया मेमसाब’ का गुलजार रचित गीत याद आता है- ‘यह शहर बहुत पुराना है, हर सांस में एक कहानी, हर सांस में एक अफसाना, यह बस्ती दिल की बस्ती है, कुछ दर्द है, कुछ रुसवाई है, यह कितनी बार उजाड़ी है, यह कितनी बार बसाई है, यह जिस्म है कच्ची मिट्टी का, भर जाए तो रिसने लगता है, बाहों में कोई थामें तो आगोश में गिरने लगता है, दिल में बस कर देखो तो यह शहर बहुत पुराना है।’



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संसद भवन (फाइल फोटो)।




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‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ बिजनेस के लिए, जिंदगी के लिए नहीं

रविवार को देर शाम मैं भोपाल एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन जा रहा था, जहां से मुझे एक कार्यक्रम के लिए सतना पहुंचना था। तब वहां तेज बारिश हो रही थी। मेरी आदत है कि जब मैं ट्रेन से सफर करता हूं तो ज्यादा वजन लेकर नहीं चलता, क्योंकि मुझे रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर अपना सूटकेस खींचना कई कारणों से पसंद नहीं है। इनमें से एक कारण स्वच्छता भी है। मैं यह हल्की अटैची भी कुली से उठवाता हूं, न सिर्फ इस अच्छी मंशा के लिए कि इससे उस कुली की कुछ आय हो जाएगी, बल्कि इसलिए भी कि मेरी अटैची के व्हील्स को गंदे रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर न खींचना पड़े।

मैं बेमौसम तेज बरसात के बीच जब भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर चल रहा था, तभी मैंने एक खबर पढ़ी। लिखा था कि टेक्सटाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, इंसानों के लिए दवाओं से लेकर पौधों के लिए कीटनाशकों तक और जूतों से लेकर सूटकेस तक, भारत सरकार ऐसे करीब 1,050 आइटम्स दुनियाभर में तलाश रही है, क्योंकि चीन से आने वाली सप्लाई कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हुई है। भारत के आयात में 50 फीसदी हिस्सेदारी चीन से होने वाली सप्लाई की होती है।

खबर के मुताबिक कुछ क्षेत्रों में सरकार खरीदी में ज्यादा प्राथमिकता दिखाएगी, लेकिन जहां संभव हो, वहां स्थानीय उत्पादन को भी बढ़ावा देगी। और यही भारतीय व्यापार के लिए अनपेक्षित व्यापार उद्योगों से ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ (हाथ मिलाने के असंभव लगने वाले अवसर) का मौका है। जैसा कि 53 वर्षीय कुमार मंगलम बिड़ला भी सलाह देते हैं। करीब 6 अरब डॉलर की नेटवर्थ वाले उद्योगपति बिड़ला ने हाल में सोशल मीडिया पर 10 पेज लंबा लेख साझा किया है, जिसमें उन्होंने पिछले कुछ सालों में जो कुछ सीखा है, उसका सार बताया है।

बिड़ला मानते हैं कि उनके सभी बिजनेस की ग्रोथ का अगला चरण ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ से आएगा। वे लिखते हैं, ‘बिजनेस में वैल्यू बनाने का नए युग का तरीका ग्रोथ के ऐसे बेमेल साधनों से आएगा, जो बहुत अलग तरह के ‘लगने वाले’ उद्योगों और कंपनियों से उत्पन्न होंगे।’ वे अपनी बात समझाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस का उदाहरण देते हैं, जो फिटनेस वियरेबल कंपनीज, जिम, फार्मेसी, डायटिशियंस और वेलनेस कोच का इकोसिस्टम बना रहा है।


जहां बिजनेस में ज्यादा से ज्यादा ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ की सलाह दी जा रही है, वास्तविक जीवन में न सिर्फ सरकार और प्राइवेट संस्थाएं, बल्कि चीन, फ्रांस, ईरान और दक्षिण कोरिया जैसे देश लोगों से मिलने के दौरान ‘हाथ मिलाने’ के विरुद्ध चेतावनी दे रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में लोग हाथ मिलाना बंद कर रहे हैं।


पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (पीएमसी) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसे संस्थान लोगों से दोस्तों, सहकर्मियों और रिश्तेदारों का अभिवादन करने के लिए पारंपरिक नमस्ते अपनाने पर जोर देने को कह रहे हैं। पीएमसी स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास से जुड़े सार्वजनिक महकमों में काम कर रहे लोगों के बीच हाथा मिलाना, फिस्ट बंप (मुटि्ठयां टकराना) और गले लगना बंद करने को लेकर जागरूकता लाने का काम रहा है। उनकी प्राथमिकता न सिर्फ कोरोना वायरस से बल्कि स्वाइन फ्लू और अन्य वायरस व कीटाणुओं से बचना है, जो श्वास संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मुंबई में कई संस्थानों ने साफ-सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और अपने कर्मचारियों में स्वच्छता की आदत को बढ़ावा देने के लिए बार-बार साबुन से हाथ धोने पर जोर दे रहे हैं।


इससे मुझे याद आया कि कैसे हमारे माता-पिता छोटी-छोटी बात पर भी हमसे हाथ धोने को कहते थे। मेरी मां इस मामले में इतनी सख्त थीं कि मुझे स्कूल जाते समय जूतों के फीते बांधने के बाद भी हाथ धोने पड़ते थे। उनका तर्क था कि मैं इन्हीं हाथों से किताबें पकड़ूंगा, जिससे मां सरस्वती का अपमान होगा। अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो सोचता हूं कि वे दरअसल बैक्टीरिया को हाथों के जरिये किताबों तक जाने से रोक रही थीं, क्योंकि किताबें कभी-कभी तकिए के पास या बिस्तर पर भी रखी जाती हैं। मेरे घर में न सिर्फ खाने का कोई सामान छूने से पहले हाथ धोना जरूरी था, बल्कि किचन के अंदर जाने से पहले पैर और हाथ धोने का भी नियम था, यहां तक कि मेरे पिता के लिए भी। वे भी इन नियमों का पूरी तत्परता से पालन करते थे।

फंडा ये है कि बिजनेस की ग्रोथ के लिए ‘अनलाइकली हेंडशैक्स’ करने होंगे, जबकि खुद की देखभाल के लिए इनसे बचना होगा।



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'Unlicensed handshakes' for business, not for life




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‘गुड न्यूज’ और ‘परवरिश’ का लिंक

कुछ महीने पूर्व प्रदर्शित फिल्म ‘गुड न्यूज’ में स्पर्म प्रयोगशाला में समान सरनेम होने के कारण स्पर्म की अदला-बदली हो जाती है। यह फिल्म ‘विकी डोनर’ नामक फिल्म की एक शाखा मानी जा सकती है। मेडिकल विज्ञान की खोज से प्रेरित फिल्में बन रही हैं। ‘गुड न्यूज’ साहसी विषय है। चुस्त पटकथा एवं विटी संवाद के कारण दर्शक प्रसन्न बना रहता है। समान सरनेम होने से प्रेरित एक अन्य कथा में तलाक लिए हुए पति-पत्नी को रेल के एक कूपे में आरक्षण मिल जाता है। वे एक-दूसरे की यात्रा से अनजान थे। ज्ञातव्य है कि भारतीय रेलवे के प्रथम श्रेणी में कूपे का प्रावधान होता था, जिसमें दो-दो यात्री सफर करते हैं। कूपे के इस सफर के दौरान उन दोनों के बीच की गलतफहमी दूर हो जाती है और वे पुन: विवाह करके साथ रहने का निर्णय लेते हैं।

किसी भी रिश्ते का आधार समान विचारधारा नहीं वरन् परस्पर आदर और प्रेम होता है। एक ही राजनीतिक विचारधारा को मानने वालों में भी मतभेद हो सकता है, परंतु पहले से तय किए समान एजेंडा के लिए वे साथ मिलकर काम कर सकते हैं। वैचारिक असमानता का निदान हिंसा में नहीं वरन् आपसी बातचीत द्वारा स्थापित करने में निहित है। आचार्य कृपलानी और उनकी पत्नी की राजनीतिक विचारधारा परस्पर विरोधी थी, परंतु इस कारण उनके विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। शौकत आज़मी सामंतवादी परिवार में जन्मी थीं, परंतु उनका प्रेम विवाह वामपंथी कैफी आज़मी से हुआ था।

विगत सदी के छठे दशक में एक फिल्म ‘परवरिश’ में राज कपूर, महमूद और राधा कृष्ण ने मुख्य भूमिकाएं अभिनीत की थीं। कथासार यूं था कि एक अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में एक समय दो शिशुओं का जन्म होता है। एक शिशु की माता संभ्रांत परिवार की सदस्य थी तो दूसरी एक तवायफ थी। दोनों की पहचान गड़बड़ा जाती है और विवाद का यह हल निकाला जाता है कि दोनों शिशुओं का लालन-पालन सुविधा संपन्न परिवार में होगा। वयस्क होने पर उनकी पहचान कर ली जाएगी। तवायफ का भाई कहता है कि वह अपने भांजे के हितों की रक्षा के लिए संपन्न परिवार में ही रहेगा। कथा में यह पेंच भी था कि वह तवायफ उसी साधन संपन्न व्यक्ति की रखैल थी। अतः पिता एक ही है, परंतु माताएं अलग-अलग हैं। ज्ञातव्य है कि परवरिश के पहले महमूद ने कुछ फिल्मों में एक या दो दृश्यों में दिखाई देने वाले पात्र अभिनीत किए थे। गुरु दत्त की एक फिल्म में उन्होंने मात्र दो दृश्य अभिनीत किए थे। अपने संघर्ष के दिनों में महमूद कुछ समय तक मीना कुमारी के ड्राइवर भी रहे।

‘परवरिश’ में वयस्क होते ही राज कपूर अभिनीत पात्र समझ लेता है कि पहचान के निर्णय के बाद महमूद अभिनीत पात्र का जीवन अत्यंत संघर्षमय हो जाएगा। अत: वह पात्र शराबी, कबाबी और चरित्रहीन होने का स्वांग रचता है। ज्ञातव्य है कि इस फिल्म का संगीत शंकर-जयकिशन के सहायक दत्ता राम ने रचा था। इस फिल्म में हसरत जयपुरी का लिखा और मुकेश का गाया गीत-‘आंसू भरी हैं जीवन की राहें, उन्हें कोई कह दे कि हमें भूल जाएं’ अत्यंत लोकप्रिय हुआ था।

रणधीर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘धरम-करम’ में भी दो शिशुओं का जन्म एक ही समय में होता है। एक का पिता संगीतकार है तो दूसरे का पिता पेशेवर मुजरिम है। मुजरिम संगीतकार के शिशु को अपने बच्चे से बदलकर भाग जाता है। उसे विश्वास है कि संगीतकार के घर पाले जाने पर उसका पुत्र एक कलाकार बनेगा। वह अपने साथियों से कहता है कि संगीतकार के शिशु को बचपन से ही अपराध के रास्ते पर अग्रसर होने दो। प्रेमनाथ अभिनीत ये पात्र कहता है कि उसने शिशुओं की अदला-बदली करके ‘ऊपर वाले का डिजाइन बदल दिया है’। कालांतर में अपराध जगत के परिवेश में पला बालक संगीत विधा में चमकने लगता है और प्रेमनाथ का पुत्र संगीतकार के घर में पलने के बावजूद अपराध प्रवृत्ति की ओर आकर्षित हो जाता है।

यह आश्चर्य की बात है कि राज कपूर ने प्रयाग राज की लिखी ‘धरम-करम’ का निर्माण किया था, जबकि कथा उनकी सर्वकालिक श्रेष्ठ रचना ‘आवारा’ की कथा के विपरीत धारणा अभिव्यक्त करती है। ख्वाजा अहमद अब्बास की लिखी ‘आवारा’ का आधार यह है कि परवरिश के हालात मनुष्य की विचारधारा को ढालते हैं। फिल्म में जज रघुनाथ का बेटा गंदी बस्ती में परवरिश पाकर आवारा बन जाता है। जज रघुनाथ ने एक फैसला दिया था जिसमें एक निरपराध व्यक्ति को वे केवल इसलिए सजा देते हैं कि उसका पिता जयराम पेशेवर अपराधी था। उन्हें गलत सिद्ध करने के लिए उनके अपने पुत्र का पालन पोषण अपराध की दुनिया में किया जाता है। दरअसल ख्वाजा अहमद अब्बास की प्रगतिवादी पटकथा ‘ब्लू ब्लड’ मान्यता की धज्जियां उड़ा देती है कि अच्छे व्यक्ति का पुत्र अच्छा और बुरे का पुत्र बुरा होता है। इस तरह ‘धरम-करम’ राज कपूर की श्रेष्ठ फिल्म ‘आवारा’ के ठीक विपरीत विचारधारा को अभिव्यक्त करती है।

मनुष्य पर कई बातों के प्रभाव पड़ते हैं। जब हम प्याज की सारी परतें निकाल देते हैं तो प्याज ही नहीं बचता, परंतु हाथ में प्याज की सुगंध आ जाती है जो प्याज का सार है। मनुष्य व्यक्तित्व भी प्याज की तरह होता है और उसका सार भी प्याज की सुगंध की तरह ही होता है। व्यक्तिगत प्रतिभा अपनी परंपरा से प्रेरणा लेकर अपने निजी योगदान से उस परंपरा को ही मजबूत करती हुई चलती है। बहरहाल, गुड न्यूज यह है कि विज्ञान की नई खोज से प्रेरित फिल्में बन रही हैं और अवाम उन्हें पसंद भी कर रहा है।



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‘मध्य प्रदेश वायरस’ महाराष्ट्र में भी पहुंचेगा क्या?

दुबई से प्रवास कर लौटी पुणेकर दंपति में कोरोना वायरस के लक्षण सामने आए हैं। उनके बाद उनकी बेटी, उन्होंने जिस कैब में सफर किया उसका चालक, विमान के सहयात्री में भी कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। इसके बाद पुणे सहित महाराष्ट्र दहल गया। सभी ओर यह चर्चा है, लेकिन राजकीय उठापटक की चर्चा का स्तर अलग ही है।


कोरोना वायरस से भी ज्यादा ‘एमपी वायरस’ के बारे में महाराष्ट्र में ज्यादा बोला जा रहा है। विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से महाराष्ट्र में दहशत का माहौल है। 21 अक्टूबर 2019 को वोटिंग हुई, 24 अक्टूबर 2019 को परिणाम आया। सरकार ने शपथ ली 28 नवंबर को। मंत्रिमंडल ने आकार लिया 30 दिसंबर को। यानी 21 सितंबर को आचार संहिता लागू हुई और 30 दिसंबर तक, यानी पूरे 100 दिन तक महाराष्ट्र में सरकारी कामकाज ठप ही रहा। इस अवधि में सरकार स्थापित हुई और इस दौरान एक सरकार अस्तित्व में आने के साढ़े तीन दिन में ही ढह गई।


भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। लेकिन, वह आज विरोधी पक्ष बना हुआ है। शिवसेना ने भाजपा के साथ चुनाव लड़ा, उसका अब मुख्यमंत्री है। मणिपुर, मेघालय, गोवा जैसे छोटे राज्यों में भाजपा ने सत्ता स्थापित करने के लिए पूरा जोर लगा दिया, ऐसे में महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य कैसे छोड़ दिया, यह प्रश्न सबको परेशान कर रहा है। इस पर उत्तर यही है कि ऐसा प्रयत्न उन्होंने करके देखा है। लेकिन रात में बनी सरकार के गिरने से देवेंद्र फड़नवीस औंधे मुंह गिरे। तब भाजपा ने कोशिशें बंद कर दीं और इस सरकार में ‘ऑल इज वेल’ है, ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है।


मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद राजस्थान, महाराष्ट्र में भी पुनरावृत्ति हो सकती है, ऐसी चर्चा शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा ही ‘सिंगल लार्जेस्ट पार्टी’ है। इस वजह से यहां यह कोशिश तो होगी ही, ऐसा कइयों को लगता है। ऐसी चर्चा करने से पहले आंकड़ों को ध्यान में रखना होगा। मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन की वजह से सदन की प्रभावी संख्या है 228 सीटों की। ऐसे में जादुई नंबर 115 हो जाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायक हैं, जिससे प्रभावी संख्या रह गई- 206 सीटें। ऐसे में 104 जादुई अंक होगा और भाजपा के पास अपने 107 विधायक तो हैं ही।


ऐसा प्रयोग महाराष्ट्र में करना आसान नहीं। भाजपा सिंगल लार्जेस्ट पार्टी है जरूर, लेकिन बहुमत से काफी दूर है। जादुई अंक है 145 सीटों का और भाजपा के पास 105 विधायक ही हैं। इस वजह से 40 विधायक जुटाना अथवा सदन की प्रभावी सदस्य संख्या को इस कदर घटाना संभव नहीं है। किसी भी पार्टी में तोड़फोड़ मचाने के लिए दो-तिहाई विधायक साथ लाना होंगे। पर्याय है तो विधायकों के इस्तीफे लेने का। इसके लिए विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या को 210 तक लाना होगा।

इसके लिए 78 विधायकों से इस्तीफा लेना असंभव है। महाविकास आघाड़ी सरकार में नाराजगी भरपूर है। मंत्री पद न मिलने से कांग्रेस के विधायक संग्राम थोपटे ने बवाल मचाया था। शिवसेना में दिवाकर रावते नाराज हैं। राकांपा में अजित पवार, जयंत पाटिल जैसे दो गुट हैं। चुनावों में आयाराम-गयाराम का जो दौर चला और भाजपा में ‘इनकमिंग’ का दौर सभी ने देखा है। इस वजह से कोई धोखा नहीं देगा, यह सोचना भी संशय पैदा करता है। किसी पार्टी ने अधिकृत तौर पर भाजपा के साथ जाने का स्टैंड लिया तो ही महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार आ सकती है। फिर भी इसकी संभावना काफी कम है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है!’



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प्रतीकात्मक फोटो।




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बस्ती की पहचान इतनी सख्त हो चली है कि गूगल पर ‘रविदास कैंप’ सर्च करो तो निर्भया के दोषियों के चेहरे दिखाई पड़ते हैं

दिल्ली के रविदास कैंप से. आरके पुरम इलाके में साफ-सुथरी और चौड़ी सड़कों से सटी एक छोटी-सी झुग्गी बस्ती है- रविदास कैंप। 90 के दशक की शुरुआत में बसी इस बस्ती की आज सबसे बड़ी पहचान एक ही है- निर्भया के 6 दोषियों में से 4 इसी बस्ती में रहते थे। बस्ती की यह पहचान इतनी सख्त हो चली है कि गूगल पर भी ‘रविदास कैंप’ सर्च करने पर निर्भया के दोषियों के चेहरेही दिखाई पड़ते हैं।

आरके पुरम सेक्टर-2 स्थित यह बस्ती ‘बिजरी खान के मकबरे’ से बिलकुल सटी हुई है और इसमें करीब ढाई सौ परिवार रहतेहै। बेहद पतली-संकरी गलियों और खुली नालियों वाली इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए हैं। बस्ती की शुरुआत में कुछ दुकानें और कुछ फास्ट-फूड के स्टॉल लगे हुए हैं। इनमें एक स्टॉल राजवीर यादव का भी है, जो इसी बस्ती के रहने वाले हैं। वे कहते हैं, ‘निर्भया मामले के बाद इस बस्ती की पहचान यही हो गई कि वो अपराधी यहां के रहने वाले थे। अब हम चाहें भी तो इस पहचान को मिटा नहीं सकते।’

2012 में जब निर्भया के साथ बर्बरता हुई थी और पड़ताल में सामने आया था कि दोषी इस बस्ती के रहने वाले हैं तो लोगों का आक्रोश बस्ती के अन्य लोगों पर भी फूटने लगा था। यहां के निवासी विश्वकर्मा शर्मा बताते हैं, ‘उस घटना के कुछ ही दिनों बाद एक दिन एक आदमी यहां बम लेकर चला आया था। उसने आरोपी राम सिंह का पता पूछा और घर के पास पहुंचकर बम लगा दिया। लोगों को जब इसकी भनक लगी तो पुलिस बुलाई। फिर बम निरोधक दस्ते ने आकर हालात को काबू में लिया। उसके बाद काफी समय तक यहां पुलिस सुरक्षा रखी गई।’

16 दिसंबर की उस कुख्यात घटना के बाद इस बस्ती की पहचान पूरी तरह से बदल गई। यहां के रहने वाले, जहां कहीं भी जाते। लोग उनसे निर्भया मामले पर ही तरह-तरह के सवाल पूछने लगते। विश्वकर्मा शर्मा कहते हैं, ‘उस वक्त तो कई बार ऐसा होता कि मैं किसी सरकारी दफ्तर जाता तो अधिकारी पहचान पत्र पर मेरा पता देखते ही मुझे अलग बुला लेते और पूछने लगते कि उस घटना के बारे में बताओ, दोषियों के बारे में बताओ, वो कैसे लड़के हैं आदि। लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगा। अब इन दोषियों को फांसी हो रही है तो मीडिया का आना-जाना एक बार फिर बढ़ गया है।’

गुरुवार की शाम, जब निर्भया के दोषियों को फांसी होने में 12 घंटे से भी कम समय रह गया था, बस्ती का माहौल आम दिनों जैसा ही बना हुआ था। हालांकि, पुलिस की आवाजाही यहां बीते कुछ दिनों से कुछ बढ़ ज़रूर गई थी। पुलिस कई बार बस्ती में आकर दोषियों के परिजनों को तिहाड़ जेल लेकर जाती रही ताकि वे आखिरी समय में उनसे मिल सकें।

पतली-संकरी गलियों और खुली नालियों वाली इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए हैं।

निर्भया के दोषियों को फांसी होने के बारे में बस्ती के लोग मिली-जुली राय रखते हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि दोषियों को फांसी होना सही है तो वहीं कई लोग यह कहते भी मिलते हैं कि इन दोषियों को फांसी सिर्फ इस वजह से हो रही है क्योंकि ये सभी बेहद गरीब परिवारों से आते हैं। इन लोगों का मानना है कि अगर ये दोषी अमीर होते तो बलात्कार और हत्या के तमाम अन्य अपराधियों की तरह इन्हें भी ज्यादा से ज्यादा उम्र कैद की सजा हो सकती थी, लेकिन फांसी नहीं।

बस्ती के अधिकतर लोग मीडिया से बात करने से कतराते हुए भी नजर आते हैं। बस्ती के शुरुआती घरों में ही बिहारी लाल का घर है जो यहां के प्रधान भी हैं। घर का दरवाजा खटखटाने पर उनकी बेटी बाहर आती हैं और बताती है कि उनके पिता घर पर नहीं है। वो कब तक लौटेंगे, यह सवाल करने पर वो कहती हैं कि उनके लौटने का कोई निश्चित समय नहीं। बिहारी लाल का फोन नम्बर मांगने पर उनकी बेटी कहती हैं, ‘पापा ने कल ही नया नंबर लिया है, जो मेरे पास भी नहीं है। उनका पुराना नंबर अब काम नहीं कर रहा।’

बिहारी लाल के घर के बाहर उनके नाम के साथ ही एक फोन नंबर दर्ज है। इस पर फोन करने से मालूम होता है कि वे घर से बमुश्किल सौ मीटर दूर ही फास्ट-फूड का ठेला लगाते हैं और इस वक्त भी वहीं मौजूद हैं। न तो उनका पुराना फोन बदला है और न ही वो काम के लिए घर से कहीं ज्यादा दूर जाते हैं। बिहारी लाल की बेटी जब देखती हैं कि उनका झूठ पकड़ा गया है तो वे बिना कुछ कहे बस घर के अंदर चली जाती हैं।

बस्ती से लगी हुई मेन रोड के पास ही बिहारी लाल स्टॉल लगाए खड़े हैं। उनके साथ उनका बेटा भी है जो ऑटो भी चलाता है और फास्ट फूड बनाने में अपने पिता की मदद भी करता है। मीडिया वालों को देखते ही बिहारी लाल का बेटा कहता है, ‘अब आप क्या लिखने आए हैं। अब तो सब खत्म हो रहा है। उन्हें फांसी हो रही है। जिनके जवान बेटे मरने वाले हैं, उनका दर्द आप नहीं समझ सकते। विनय तो मेरा बचपन का दोस्त था। हम साथ में…’ अपने बेटे को बीच में रोकते हुए और लगभग डपटते हुए बिहारी लाल कहते हैं, ‘कोई दोस्त नहीं था वो तुम्हारा। जो जैसा काम करेगा, वैसा भरेगा।’ बिहारी लाल के इतना कहने और गुस्सा करने पर उनके बेटे उठकर वहां से चल देते हैं।

बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग छोटी-मोटी दुकान चलाते हैं या ऑटो ड्राइवर हैं।

बिहारी लाल बताते हैं, ‘इन लड़कों ने जो किया, उसकी सजा इनको मिल गई। अब इस बस्ती वालों का या इन लड़कों के परिवार का तो इसमें कोई दोष नहीं है। हम बस यही चाहते हैं कि लड़के के परिवार को इसकी सजा न मिले। उन्हें अब बार-बार इसके लिए परेशान न किया जाए।’ बिहारी लाल के स्टॉल पर ही मौजूद एक अन्य व्यक्ति फांसी के इस फैसले और मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘आप लोग जैसे लगातार निर्भया के दोषियों को फांसी देने का सवाल उठाते रहे ऐसे ही आप बाकी मामलों को क्यों नहीं उठाते? आप आसाराम को फांसी देने की मांग क्यों नहीं करते? उसने भी बलात्कार किया है, बल्कि एक से ज्यादा किए हैं। उसके आश्रम में छोटे-छोटे बच्चों की लाश निकली हैं। उसके कई गवाहों की तो हत्याएं भी कर दी गईं। इस सब के बाद भी आपने कभी उसे फांसी देने की मांग की है? संसद में बलात्कार के कितने आरोपी बैठे हैं? क्या आपने कभी उन्हें फांसी देने की मांग उठाई? ये लड़के अगर गरीब नहीं होते तो न तो इन्हें फांसी होती और न आप लोग भी ऐसी कोई माँग उठा रहे होते। हम ये नहीं कह रहे कि इन्होंने अपराध नहीं किया। लेकिन अगर कानून सबके लिए एक है तो फांसी सिर्फ इन्हें ही क्यों? सारे बलात्कारियों या हत्यारों को क्यों नहीं?’

रविदास बस्ती के अधिकतर लोग इन दोषियों के परिजनों से सहानुभूति भी जताते हैं। दोषी पवन के घर के ठीक सामने रहने वाली महिला कहती हैं, ‘जिनके जवान बच्चे फांसी पर लटकाए जा रहे हैं, उनका दर्द हम कैसे नहीं समझेंगे। उस मां का तो कोई दोष नहीं। और बच्चा चाहे जितना भी नालायक हो मां कभी उसका बुरा नहीं सोच सकती।’ ये महिला आगे कहती हैं, ‘पवन और विनय तो बहुत छोटे बच्चे हैं। घटना के समय ये दोनों 20 साल के भी पूरे नहीं थे। ये बाकियों के चक्कर में फंस गए।’

पवन और विनय से विशेष सहानुभूति इस बस्ती के अधिकतर लोगों में दिखती है। बस्ती के लोग साफ कारण नहीं बताते लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि पवन और विनय का मुख्य दोष ये था कि वो गलत समय, गलत संगत में थे। 16 दिसंबर की घटना के लिए बस्ती के अधिकतर लोग पवन और विनय को कम जबकि मोहल्ले के बाकी दो लड़कों को ज़्यादा दोषी मानते हैं।

निर्भया मामले के चलते सुर्खियों में आई इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग छोटी-मोटी दुकान चलाते हैं या ऑटो ड्राइवर हैं। करीब 900 वोटरों वाली इस बस्ती में शायद ही कोई सरकारी नौकरी वाला है। बस्ती के लोग बताते हैं कि यहां के जिन लोगों की सरकारी नौकरी लगी, वो फिर बस्ती छोड़कर कहीं बेहतर जगह चले गए। बस्ती में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिन्होंने यहीं रहकर बेहद गरीबी में पढ़ाई की और फिर अपनी अलग पहचान बनाई। ऐसा ही नाम अंकित का भी सुनने को मिलता है, जिनका बचपन इसी बस्ती की गरीबी में बीता लेकिन वो आज क्राइम ब्रांच में अधिकारी हैं। बस्ती के लोग अब यही चाहते हैं कि उनकी पहचान अंकित जैसे उदाहरणों के साथ जोड़ी जाए और निर्भया के दोषियों से उनकी पहचान जोड़ने का सिलसिला खत्म हो।



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रविदास कैंप: दक्षिणी दिल्ली का स्लम एरिया। यहीं विनय, पवन, मुकेश और रामसिंह रहते थे।




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‘जनता कर्फ्यू’ के दौरान अपने जीवन में मूल्य जोड़ें

कोई भी शिक्षक अपने बेटे या बेटी को शिक्षा दिलाए तो इसमें कोई नई बात नहीं है। लेकिन शिक्षा पूरी करने के दौरान ही शिक्षक की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा? आरजे लिनज़ा के साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ, जब वह 2001 में बैचलर डिग्री की पढ़ाई कर रही थी। उसके पिता, संस्कृत के शिक्षक राजन केके का निधन हो गया। किसी भी दौर में संस्कृत शिक्षक की तनख्वाह कितनी होगी, इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है। स्कूल ने उसे केरल के कासरगोड जिले में स्थित उसी स्कूल में अनुकंपा के आधार पर सफाईकर्मी की नौकरी का प्रस्ताव दिया। यह ‘लीव वैकेंसी’ का प्रस्ताव था, यानी उसे सिर्फ तभी काम पर बुलाया जाता, जब कोई कर्मचारी छुट्‌टी पर जाता। उसने इस प्रस्ताव को इसलिए मान लिया क्योंकि उसपर परिवार की और खासतौर पर भाई की जिम्मेदारी थी, जो तब 11वीं कक्षा में था। स्कूल में काम करने के दौरान बचे हुए समय में वह पढ़ाई करती, ताकि वह बीए और फिर एमए कर सके। चूंकि समय गुजरता जाता है और उम्र के साथ शादी भी जरूरी होती है। लिहाजा, लिनज़ा ने 2004 में सुधीरन सीवी से शादी कर ली, जो एक कॉलेज में क्लर्क था। लिनज़ा का पद और उसकी आय, जो वह पीहर में साझा करती थी, कभी भी उसके वैवाहिक जीवन में आड़े नहीं आई। कुछ सालों में वह दो बच्चों की मां बन गई।लेकिन लिनज़ा ने 12 साल तक स्कूल में सफाईकर्मी का काम करते हुए भी व्यवस्थित ढंग से अपनी पढ़ाई की योजना बनाई और केरल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट और स्टेट एलिजिबिलटी टेस्ट पास किए, जो कि शिक्षक बनने के लिए जरूरी होते हैं। फिर 2018 में जब एक शिक्षक की जगह खाली हुई तो उसने आवेदन दिया और उसे नौकरी मिल गई। आज इस अंग्रेजी की शिक्षिका को अपने जीवन में मूल्य जोड़ने की इच्छा शक्ति के लिए सलाम किया जाता है। अब उसे पदोन्नति का भी इंतजार है।


एक और शख्सियत है, जो कॅरिअर के शिखर पर पहुंचने के बाद भी अपनी शिक्षा में मूल्य जोड़ना नहीं भूली। ये हैं सेबर इंडिया, हैदराबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की निदेशक प्रिया ढंडपानी। आज वह 93 प्रोफेशनल्स की एक वैश्विक टीम को लीड कर रही हैं, जिसमें टेक्निकल आर्किटेक्ट, डेवलपमेंट मैनेजर, क्वालिटी एनालिस्ट, प्रोडक्ट ओनर्स और डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर शामिल हैं।

सेबर में 40 वर्षीय प्रिया पर नौ उत्पादों के पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी है, जिनमें से अधिकांश उत्पाद ‘मिशन-क्रिटिकल’ हैं। प्रिया हिस्सेदारों और ग्राहक प्रतिनिधियों के साथ काम करती हैं। वह सॉफ्टवेयर विकास को तकनीकी दिशा देती हैं, उत्पादों से जुड़ी योजनाएं बनाती हैं, निष्पादन और क्लाउड पर माइग्रेशन को पूरा करती हैं। इस टेक्नो-फंक्शनल भूमिका को आमतौर पर पुरुषों का कार्यक्षेत्र माना जाता है, लेकिन प्रिया को यह काम पसंद है। दो बच्चों की इस मां ने चार संस्थानों के साथ काम किया है। सेबर के साथ उनका यह दूसरा कार्यकाल है, जो चार अरब अमेरिकी डॉलर की ट्रैवल टेक्नोलॉजी कंपनी है। उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस (एप्लाइड साइंस एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी) के बाद एमसीए किया। इसके बावजूद उन्होंने खुद को और सीखने से रोका नहीं। प्रिया ने हाल ही में एमआईटी स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिजनेस स्ट्रैटजी में इसके इंप्लीकेशंस पर एक ऑनलाइन कोर्स किया है। उनका मानना है कि हर चीज में सुधार की गुंजाइश होती है।

अपने आप को अधिक मूल्यवान बनाना पूरी तरह स्वार्थ नहीं है। जब आप ज्ञान प्राप्त करते हैं, एक नया कौशल सीखते हैं या नया अनुभव प्राप्त करते हैं, तो आप न केवल खुद को बेहतर बनाते हैं, बल्कि दूसरों की मदद करने की आपकी क्षमता भी बढ़ती है। जब तक आप खुद को और अधिक मूल्यवान नहीं बनाते, आप दूसरों के जीवन में मूल्य नहीं जोड़ सकते। दूसरों को आगे बढ़ाने की क्षमता पाने के लिए, पहले खुद आगे बढ़ना होगा।

इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने सभी को जितना ज्यादा हो सके, घर पर रहने के लिए कहा है, जिसे ‘जनता कर्फ्यू’ कहा गया है (जो कि वर्तमान में कोरोनावायरस के हमले से लड़ने के लिए आवश्यक है)। हमें इसे खुद में मूल्य जोड़ने के तरीके खोजने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। इस समय का उपयोग नया कौशल सीखने, अच्छी पुस्तकें पढ़ने या ऐसी तकनीक सीखने में कर सकते हैं, जो आपको दुनिया से अलग तरीके से जोड़ता है। मर्जी आपकी है।

फंडा यह है कि ‘जनता कर्फ्यू’ जैसी स्थिति का लाभ उठाएं और योजना बनाएं कि आप जीवन में मूल्य कैसे जोड़ सकते हैं क्योंकि आवश्यक कौशल नहीं होने पर आप दूसरों को कुछ नया नहीं दे सकते।



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‘कहां-कहां से गुजर गया मैं’

अनिल कपूर अभिनीत पहली फिल्म एम.एस. सथ्यु की थी जिसका टाइटल था ‘कहां-कहां से गुजर गया मैं’। अपनी पहली फिल्म के नाम के अनुरूप ही अनिल कपूर आंकी-बांकी गलियों से गुजरे हैं। सफर में बहुत पापड़ बेले हैं। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अनिल कपूर को सुनीता से प्रेम हो गया। सुनीता योग करती हैं और सेहत के लिए क्या, कब, कितनी मात्रा में लेना है, इस क्षेत्र की वह विशेषज्ञ हैं।उन्होंने लंबे समय तक व्यावसायिक रूप से इस जीवन शैली का प्रशिक्षण भी दिया है। उनके जुहू स्थित बंगले की तल मंजिल पर सुनीता की कार्यशाला है।

सुरेंद्र कपूर ‘मुगल-ए- आजम’ में सहायक निदेशक नियुक्त हुए थे। उन्होंने 1963 से ही फिल्म निर्माण प्रारंभ किया। दारा सिंह अभिनीत ‘टार्जन कम्स टू देहली’ में उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ। दोनों कपूर परिवार चेंबूर मुंबई में पड़ोसी रहे हैं। सुरेंद्र कपूर के जेष्ठ पुत्र अचल उर्फ बोनी कपूर ने युवा आयु में ही पिता की निर्माण संस्था में काम करना शुरू कर दिया था। सुरेंद्र कपूर की ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ के निर्देशक सुरेंद्र खन्ना की अकस्मात मृत्यु से फिल्म काफी समय तक अधूरी पड़ी रही। बाद में इस फिल्म को येन केन प्रकारेण पूरा किया गया। बोनी कपूर ने दक्षिण भारत के फिल्मकार के. बापू से उनकी अपनी फिल्म का हिंदी संस्करण बनाने का आग्रह किया। अनिल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे और नसीरुद्दीन शाह के साथ ‘वो सात दिन’ फिल्म बनाई गई। पद्मिनी कोल्हापुरे को राज कपूर की ‘प्रेम रोग’ में बहुत सराहा गया था। इस सार्थक फिल्म ने खूब धन कमाया। अनिल कपूर के अभिनय को सराहा गया, परंतु वे भीड़ में उन्माद जगाने वाला सितारा नहीं बन पाए।

गौरतलब है कि ‘वो सात दिन’ तथा संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ में बहुत साम्य है। दोनों में पति अपनी पत्नियों को उनके भूतपूर्व प्रेमी से मिलाने का प्रयास करते हुए एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। बोनी कपूर ने महसूस किया कि अनिल को सितारा बनाने के लिए भव्य बजट की फिल्म बनाई जाए। उन्होंने शेखर कपूर को अनुबंधित किया ‘मिस्टर इंडिया’ बनाने के लिए। फिल्म के आय-व्यय का समीकरण ठीक करने के लिए उन्होंने बड़े प्रयास करके शिखर सितारा श्रीदेवी को फिल्म में शामिल किया। यह भी गौरतलब है कि फिल्म में कभी-कभी दिखाई न दिए जाने वाले पात्र को अभिनीत करके अनिल कपूर ने सितारा हैसियत प्राप्त की।

जब अनिल को ज्ञात हुआ कि राज कपूर तीन नायकों वाली ‘परमवीर चक्र’ बनाने का विचार कर रहे हैं और अनिल को एक भूमिका मिल सकती है तब उसने खड़कवासला जाकर फौजी कैडेट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह बात अलग है कि राज कपूर ने ‘परमवीर चक्र’ नहीं बनाई, परंतु इस प्रकरण से हमें अनिल की महत्वाकांक्षा और जुझारू प्रवृत्ति का आभास होता है।

अनिल कपूर की घुमावदार कॅरिअर यात्रा में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘1942 ए लव स्टोरी’ एक यादगार फिल्म साबित हुई। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कोई चमत्कार नहीं किया, परंतु आर.डी.बर्मन के मधुरतम संगीत के कारण यह फिल्म यादगार बन गई। यश चोपड़ा की फिल्म ‘लम्हे’ में भी अनिल कपूर को बहुत सराहा गया, परंतु इसे भी बड़ी सफलता नहीं मिली। नायक-भूमिकाओं की पारी के बाद अनिल कपूर ने चरित्र भूमिकाओं में भी प्रभावोत्पादक अभिनय किया। अनिल कपूर को डैनी बॉयल की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में महत्वपूर्ण भूमिका मिली। उनकी भूमिका कौन बनेगा करोड़पतिनुमा कार्यक्रम में एंकर की है। इस फिल्म में एंकर जान-बूझकर गरीब प्रतियोगी को एक प्रश्न का उत्तर देने में गुमराह करता है।

साधन संपन्न व्यक्ति साधनहीन व्यक्ति को सफल होने का अवसर ही नहीं देना चाहते। इस दृश्य के द्वारा फिल्मकार बड़े लोगों के ओछेपन को उजागर करता है। एंकर की कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है और न ही इसमें उसका अपना कोई आर्थिक जोखिम भी नहीं था, परंतु समाज में आर्थिक वर्गभेद हमेशा कायम रहे। इसके लाख जतन किए जाते हैं।



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अभिनेता अनिल कपूर- फाइल ।




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Trump contradicts nurse who says PPE has been 'sporadic'

At a ceremony honoring nurses at the White House on Wednesday, U.S. President Donald Trump contradicted a New Orleans nurse who said the availability of personal protective equipment has been 'sporadic.'




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Trump had 'little' contact with valet who tested positive

U.S. President Donald Trump on Thursday described a valet of his reportedly testing positive for the coronavirus as "one of those things" and said that he and Vice President Mike Pence have since been tested and they are both negative.




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औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट हुआ, शहर का नाम संभाजीनगर' करने की तैयारी

औरंगाबाद. महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदल दिया है। अब यह छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई थी, जिसको लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में काफी विवाद हुआ था।


सरकार जल्द ही औरंगाबाद का नाम बदलकर 'संभाजीनगर' करने वाली है। शिवसेना बाला साहब ठाकरे के समय से ही इसे संभाजीनगर कहती रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शहर का नाम बदलने की अपनी पार्टी की मांग को पिछले हफ्ते दोहराया था।

नाम बदलने की कागजी कार्रवाई शुरू
कार्यवाहक कलेक्टर भानूदास पालवे ने कहा कि राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलने के लिए जिला प्रशासन से रेलवे और डाक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने को कहा था। पालवे ने कहा- "मंडलीय आयुक्त के कार्यालय नेएनओसी लेने को कहा है। जैसे ही हमें दस्तावेज मिलते हैं, हम उन्हें उच्च अधिकारियों को भेज देंगे।"



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औरंगाबाद एयरपोर्ट-फाइल फोटो




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महिला टीम का विराट कोहली कहलाती हैं 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध स्मृति मंधाना

सांगली. रविवार को विश्व महिला दिवस पर भारतीय महिला टीम पहली बार टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल जरूर खेली, लेकिन जीत का स्वाद नहीं चख पाई। इस मैच में वह महज 11 रन बनाने वालीभारतीय टीम की ओपनर स्मृति मंधाना महाराष्ट्र के छोटे शहर सांगली की रहने वाली हैं। 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध 23 साल की स्मृति को बेहतरीन बैटिंग के साथ उनकी स्माइल और लुक्स की वजह से उन्हें विराट कोहली से कम्पेयर किया जाता है।

पिता और भाई भी हैं क्रिकेटर
स्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई 1996 को मुंबई में हुआ। वे जब 2 साल की थीं तब उनका परिवार मुंबई से सांगली शिफ्ट हो गया और वहीं से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पिता श्रीनिवास मंधाना और भाई श्रवण मंधाना दोनों डिस्ट्रिक्ट लेवल के अच्छे क्रिकेटर हैं। उन्हीं को देख मंधाना ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। फाइनल को लेकर पूरी फैमिली स्मृति की अच्छी परफॉर्मेंस कि दुआएं कर रही है। उनके पिता ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि उनकी देर रात स्मृति से फोन पर बात हुई। वे फाइनल को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं। अगर भारत जीतता है तो घर पर जश्न की तैयारियां की गई हैं।

ऐसे हुआ क्रिकेट से जुड़ाव
स्मृति के भाई श्रवण मंधाना ने बताया कि स्मृति 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रही हैं। वे जब भी प्रैक्टिस के लिए जाते तो स्मृति भी उनके साथ जाती थीं। उन्हें खेलता देख अक्सर बैटिंग की जिद करती। स्मृति ने जब बैट थामा तो उनके स्टाइल को देख श्रवण को लगा कि वह अच्छा क्रिकेट खेल सकती हैं और इस तरह स्मृति को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

सेमीफाइनल जितने के बाद खुशी से रोने लगी स्मृति
स्मृति 2017 में हुए महिला वर्ल्डकप का हिस्सा भी रह चुकी हैं। टीम इंडिया ने भले ही यह कप अपने नाम नहीं किया लेकिन स्मृति ने उस दौरान खूब सुर्खियां बटोरी थी। वर्ल्डकप से ठीक पहले 2017 जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलते हुए स्मृति को बड़ी इंजरी हो गई थी। जिसके चलते उन्हें काफी दिनों तक व्हील चेयर पर पर रहना पड़ा था। उनके पिता ने बताया, 'पूरी परिवार बेहद डर गया था। लेकिन, मंधाना ने हिम्मत नहीं हारी और आज वे टीम की एक स्टार प्लेयर हैं।' रिकवर करने के बाद मंधाना ने महिला वर्ल्ड कप के पहले दो मैचों में 90 और नॉटआउट 106 रनों की पारी खेल सभी को हैरत में डाल दिया था।

9 साल की उम्र में हुआ सिलेक्शन
9 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुना गया। जब वो 11 साल की हुईं तब उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-19 टीम के लिए चुन लिया गया। साल 2013 में वेस्ट जोन अंडर-19 टूर्नामेंट में स्मृति ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर सनसनी मचाई थी। स्मृति ने 150 बॉल पर 224 रन बनाए थे। मंधाना ने अपना पहला टेस्ट मैच वर्मस्ली पार्क में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इस मैच में पहली पारी में 22 और दूसरी में 51 रन बनाया था।

पढ़ाई में भी होनहार हैं स्मृति
क्रिकेट के साथ-साथ स्मृति पढ़ाई में भी होनहार रही हैं। दसवीं क्लास में उन्हें 85% मार्क्स मिले थे। उन्होंने चिंतामनराव कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रैजुएशन किया है।

पंजाबी गानों की दीवानी हैं स्मृति
स्मृति को कार ड्राइविंग काफी पसंद है। विराट कोहली, ए बी डिविलियर्स और सचिन तेंदुलकर उनके रोल मॉडल हैं। उन्हें पंजाबी गाने सुनना पसंद है। वे क्लासिक हिन्दी फिल्मों की भी दीवानी हैं। ट्रैवलिंग की शौकीन मंधाना के लिए महाबलेश्वर, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। स्मृति को ट्रेडिशनल इंडियन ड्रेस की जगह जींस और टी शर्ट पसंद हैं। स्मृति को कभी मिरर के आगे खड़ा होना पसंद नहीं है।

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Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History
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63 साल की शैलजा आदिवासी और ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को सिखा रही कबड्‌डी; मैदान का भी कराया निर्माण

नासिक. ईरान की महिला कबड्‌डी टीम को एशियन चैंपियन बना चुकीं महाराष्ट्र की शैलजा जैन अब ग्रामीण और आदिवासी इलाके में इंटरनेशनल कबड्‌डी प्लेयर तलाश रही हैं। 63 साल की शैलजा नासिक से 150 किमी दूर गुही इलाके में लड़कियों को कबड्‌डी की ट्रेनिंग दे रही हैं। इसी इलाके की मिट्‌टी ने देश को ओलिंपियन मैराथनर कविता राऊत, मोनिका आथरे और ताई बामणे जैसी खिलाड़ी दी हैं।

बच्चों को लाने के लिए माता-पिता को समझाया

शैलजा ने एक साल पहले ट्रेनिंग देना शुरू किया था। उन्होंनेखुद गुही गांव जाकर बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित किया। उनके माता-पिता को भी मोटिवेट किया। कुछ पेरेंट्स अपनी लड़कियों को खेलने नहीं भेजना चाहते थे तो शैलजा ने उन्हें समझाया। इसके बाद जिन खिलाड़ियों में टैलेंट दिखा, उन्हें अपनी एकेडमी में लाकर ट्रेनिंग देना शुरू किया। वे खिलाड़ियों को सभी जरूरी सामान्य उपलब्ध कराती हैं। किट से लेकर डाइट तक की सुविधा देती हैं।

शैलजा 5 साल खेलीं, 1983 से कोचिंग करिअर की शुरुआत की
शैलजा 5 साल तक विदर्भ टीम, नागपुर यूनिवर्सिटी और नेशनल टीम से खेलीं। इसके बाद 1983 से कोचिंग करिअर शुरू किया। अपने कोचिंग करिअर में वे भारतीय महिला कबड्‌डी टीम, नेपाल और ईरान की टीम को भी ट्रेनिंग दे चुकी हैं।



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ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ी।




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वर्ली में जलाया गया 'कोरोनासुर' का पुतला, लोगों को उम्मीद इसे जलाने से खत्म होगा कोरोनावायरस

मुंबई. वर्ली में कोरोनावायरस की थीम पर आधारित 'कोरोनासुर' का पुतला जलाया गया। नीले रंग के बड़े से पुतले में COVID-19 लिखा था। इसके हाथ में एक सूटकेस था, जिसमें आर्थिक मंदी लिखा था। लोग उम्मीद कर रहे हैं इस पुतले के जलाने पर कोरोनावायरस का भी खात्मा हो जाएगा।

इस साल होली 10 मार्च को मनाई जा रही है। होलिका दहन 9 मार्च को हुआ। इस होली लोगों में कोरोनावायरस को लेकर डर भी है। लोग रंग खेलने से हिचकिचा रहे हैं। दरअसल, लोगों में डर है कि कहीं रंग और पिचकारी चाईना मेड न हो। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि कोरोनावायरस को लेकर वे भी डरे हुए हैं, इसीलिए चाईना से माल आया ही नहीं है।


भारत में अब तक 43 मामले सामने आए
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक कोरोनावायरस के 43 मामले सामने आए हैं। तीन पॉजिटिव मरीजों को अब डिस्चार्ज कर दिया गया है। नए मामले दिल्ली, यूपी, केरल और जम्मू-कश्मीर से आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में अब तक कोरोनावायरस संक्रमण के 2,241 नए मामलों की पुष्टि हुई है। संक्रमित लोगों की संख्या 95,333 हो गई है।



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वर्ली इलाके में बना 'कोरोनासुर' का पुतला।




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यूपी-एमपी समेत 7 राज्यों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्‌टी, इंदौर प्रशासन ने गेर और बजरबट्‌टू की अनुमति रद्द की

लखनऊ/ जयपुर/ पुणे/ पटना/ पानीपत/ जालंधर. कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण का असर अब देश के विभिन्न राज्यों की व्यवस्थाओं पर दिखने लगा है। ज्यादातर राज्यों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्‌टी कर दी गई है। हालांकि, परीक्षा कार्यक्रम स्थगित नहीं किए गए हैं। इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाले गेर (जुलूस) और बजरबट्‌टू हास्य सम्मेलन की अनुमति प्रशासन ने रद्द कर दी है।बिहार में अनिश्चितकाल के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है। वहीं, अटारी-बाघा बार्डर से पाकिस्तानी नागरिकों और मालवाहकों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुंबई के अलाना हाउस ने नमाज पर रोक लगा दी है। दुनियाभर में जहां भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम से बचा जा रहा है, वहीं राजस्थान में नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है।

यूपी में 22 मार्च तक स्कूल-कॉलेजों की छुट्‌टी
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस से संक्रमित 11 मरीजों की पुष्टि हुई है। कोरोना के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी स्कूल-कॉलेज 22 मार्च तक बंद रखने का निर्णय लिया है। मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई भी नहीं होगी। जिन विद्यालयों में परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, वे जारी रहेंगी। सीएम योगी ने कहा-यूपी में अब तक कुल 11 पॉजिटव केस पाए गए हैं, जिनमें 10 का उपचार दिल्ली में व एक का केजीएमयू लखनऊ में उपचार चल रहा है। इनमें आगरा के सात, गाजियाबाद के दो और नोएडा व लखनऊ में एक-एक केस हैं। यह बीमारी पैनिक न हो, इसके लिए एपेडमिक एक्ट के तहत इसे फारवर्ड किया है। लेकिन, इसे महामारी घोषित नहीं किया गया है।

एमपी में 12वीं तक के स्कूल-कॉलेजऔरसिनेमाघरबंद, हॉकी टूर्नामेंट टला
भोपाल.
कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने सभी स्कूल-कॉलेजबंद कर दिए हैं। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभागरश्मि अरुण शमी ने आदेश जारी करते हुए बताया- 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं यथावत जारी रहेंगी। सिनेमाघरों को भी बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।इसके अलावा 15 मार्च से भोपाल के ऐशबाग, ध्यानचंद स्टेडियम और साई सेंटर पर होने वाले नेशनल हॉकी टूर्नामेंट को भी टाल दिया गया है।

नहीं मनेगा बिहार दिवस, सभी स्कूल-कॉलेज और सिनेमाघर 31 मार्च तक बंद
पटना.
बिहार सरकार ने 31 मार्च तक सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों और सिनेमाघरों को बंद रखने का आदेश दिया है। सीबीएसई की परीक्षाएं जारी रहेगी। दूसरे स्कूलों में चल रही परीक्षाओं के संबंध में सरकार ने संबंधित अथॉरिटी से कहा है कि परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाने को लेकर विचार करें। 22 से 24 मार्च तक आयोजित बिहार दिवस कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया गया है। बिहार से लगी नेपाल सीमा पर कड़ी चेकिंग का आदेश दिया गया है। सरकारी कर्मियों को अल्टरनेट-डे बुलाने पर विचार हो रहा है। ज्ञान भवन, एसके मेमोरियल हॉल और बापू सभागार समेत सभी हॉल में आयोजित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। 31 मार्च तक सभी तरह के कार्यक्रमों की बुकिंग पर रोक लगा दी गई है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद रखने का फैसला किया गया है। खेल और कल्चरल प्रोग्राम पर भी रोक रहेगी। म्यूजियम, चिड़ियाघर के साथ ही पटना के सभी पार्कों को भी बंद रखा जाएगा।


दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स बंद
नई दिल्ली.
दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सभी स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स 31 मार्च तक बंद करने के आदेश जारी किए हैं।

मुंबईके अलाना हाउस में नमाज बंद
मुंबई. कोरोनावायरस के डर के चलते मुंबई के कोलाबा के अलाना हाउस में नमाज को बंद कर दिया गया। यह जानकारी अलाना हाउस की ओर से बयान करके दी गई। इसमें कहा गया- जब तक वायरस का असर पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता, यहां नमाज बंद रहेगी। महाराष्ट्र में अब तक 11 लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा सरकार ने भी सभी कार्यक्रम रद्द करने तथा आम आदमी से 15-20 दिन के लिए धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम टालने की अपील की है। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशन पर बना हेरिटेज संग्रहालय 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है।

हरियाणा के सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेज 31 मार्च तक बंद
पानीपत. हरियाणा सरकार ने कोरोनावायरस के प्रभाव के कारण प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश जारी किया है। 13 मार्च को हरियाणा हायर एजुकेशन विभाग द्वारा सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को पत्र जारी किया गया। कोरोनावायरस को महामारी घोषित करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। वहीं, रोहतक में कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में 2 हफ्ते की छुट्‌टी करने के आदेश दिए हैं।

विदेश से लौटे चार अफसरोंको घर में रहने का आदेश, स्कूल-कॉलेजबंद
चंडीगढ़/जालंधर.
पंजाब सरकार ने कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते सभी सरकारी तथा प्राइवेट स्कूल कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी 31 मार्च तक बंद करने का फैसला किया है। यह जानकारी उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने दी है। प्रदेश में अभी तक सिर्फ एक ही केस पॉजिटिव आया है, लेकिन, इसके बावजूद ऐहतियात बरता जा रहा है। इस फैसले का असर परीक्षाओं पर नहीं होगा। परीक्षाएं चलती रहेंगी। कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए विदेश से लौटे दो आईएएस और दो आईपीएस अधिकारियों को 14 दिन तक अपने घरों में रहने के आदेश दिए हैं। इनमें मोहाली के डिप्टी कमिश्‍नर (डीसी) गिरीश दयालन, फतेहगढ़ साहिब की एसएसपी अमनीत कौंडल, संगरूर के एसएसपी संदीप गर्ग और पटियाला डेवलपमेंट अथॉरिटी की मुख्य प्रशासक सुरभि मलिक शामिल हैं।

अटारी-वाघा बार्डर के जिरए नहीं आ सकेंगे पाकिस्तानी
अमृतसर. कोरोनावायरस से बचाव के लिए एहतियातन देश में विदेशियों के प्रवेश पर लगाई गई रोक शुक्रवार से प्रभावी कर दी गई है। अटारी-वाघा बार्डर से आने वालों पर भी रोक लग गई है। इनमें पाकिस्तानी नागरिकों के अलावा अफगानिस्तान से माल लेकर आने वाले ट्रक ड्राइवर भी शामिल रहेंगे। कस्टम विभाग का कहना है- सरकार की एडवाइजरी का पालन किया जा रहा है। गुरुवार को अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट लेकर आखिरी 12 गाड़ियों को आईसीपी के जरिए भारत लाया गया। इसके साथ ही 90 यात्री पाकिस्तान से यहां पहुंचे। इनमें ज्यादातर पाकिस्तानी हिंदू हैं।


छत्तीसगढ़ में स्कूल-कॉलेज बंद, हॉस्टल खाली कराया; परीक्षाएं जारी रहेंगे
रायपुर. देश में कोरोनावायरस के चलते छत्तीसगढ़ में सभी स्कूल, कॉलेज 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। बोर्ड की परीक्षाएं यथावत चलती रहेंगी। कॉलेज की परीक्षाओं को भी स्थगित नहीं किया गया है, लेकिन प्रशिक्षण से संबंधित सारे सेंटर इस दौरान बंद रहेंगे। इसी तरह दिल्ली से लौटीं दो छात्राओं में सर्दी-खांसी की शिकायत मिली तो हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल खाली करवा दिया और 18 मार्च तक छुट्टी का ऐलान किया। स्टूडेंट्स की घर वापसी के लिए यूनिवर्सिटी ने बसें भी लगवा दीं। हालांकि जांच में दोनों छात्राओं के सैंपल नेगेटिव निकले।

राजस्थान में नगर निगम चुनाव की अधिसूचना
जयपुर. दुनियाभर में महामारी घोषित हो चुके कोरोनावायरस से राजस्थान अछूता नहीं है। कोरोना के कारण दुनियाभर में भीड़भाड़ वाले समारोह व कार्यक्रम स्थगित किए जा रहे हैं, वहीं राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयोग ने जयपुर सहित तीन शहरों के 6 निगमों के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जयपुर, जोधपुर और कोटा में पिछले साल अक्टूबर में नव सृजित 2-2 नगर निगमों में वार्ड पार्षदों के लिए 5 अप्रैल को एक साथ वोटिंग कराई जाएगी।



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Coronavirus Jaipur, Pune, Patna, Updates: Schools, Colleges, Closed In UP Lucknow, Rajasthan Nagar Nigam Election 2020 Notification




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महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए 'दिशा एक्ट' लागू करने की तैयारी, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया

मुंबई. महिलाओं के खिलाफहोने वाले अपराध को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसमें आंध्रप्रदेशमें लागू हुए 'दिशा एक्ट' जैसे कानून को पास किया जाएगा। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शनिवार को यह जानकारी दी। दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलतेइस बार तय समय से पहले शनिवार कोविधानसभा का बजट सत्र खत्म कर दिया जा रहा है। पहले यह 20 मार्च तक चलने वाला था।

गृह मंत्री अनिल देशमुखने कहा, 'कोरोना वायरस संकट के कारण, हमें विधानसभा के बजट सत्र में कटौती करनी होगी। विधेयक को मंजूरी देने के लिए हम कोरोना वायरस का संकट समाप्त होने के बाद दो दिन का सत्र बुलाने पर विचार कर रहे हैं।'

देशमुख ने कहा, 'हम अधिनियम का अध्ययन करने के लिए आंध्र प्रदेश गए थे और इस पर गौर करने के लिए एक टीम बनाई गई है। हम जल्द ही विशेष सत्र के बारे में कार्यक्रम की घोषणा करेंगे।'

उद्धव ने वर्धा की घटना के बाद कड़े कानून लागू करने की बात कही थी
फरवरी में महाराष्ट्र के वर्धा में एकतरफा प्यार में जिंदा जलाई गई महिला लेक्चरर की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जल्द ही एक ऐसे कानून बनेगा, जिसमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सजा के कड़े प्रावधान होंगे। माना जा रहा है कि 'दिशा कानून' उसी ओर सरकार का बढ़ाया एक कदम है।

क्या है दिशा एक्ट?
साल 2019 में आंध्रप्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश क्रिमिनल लॉ संशोधन बिल (आन्ध्र प्रदेश दिशा बिल, 2019 अथवा दिशा बिल) को पारित किया था। इस बिल के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस बिल के मुताबिक मामला दर्ज होने के21 दिन के भीतर ही सजा दी जाएगी।इसमेंदुष्कर्मऔरतेजाब हमलों जैसे अपराधों मेंमृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।

दिशा के तहतबच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के अपराधों के लिए दोषियों को 10 से 14 वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों के विरुद्ध भी कड़ी कारवाई की जायेगी जो सोशल मीडिया पर महिलाओं के विरुद्ध अभद्र पोस्ट अपलोड करते हैं, इस मामले में पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की जेल की सज़ा तथा दूसरीबार अपराध करने वाले व्यक्ति को चार वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है।



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Uddhav Thackeray Minister Anil Deshmukh On Vidhan Sabha Special Session Over Crimes Against Women In Mumbai Maharashtra




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कबूतर न रह जाएं भूखे, इसलिए एक कपल ने तोड़ा 'जनता कर्फ्यू'

पुणे. शहर के सभी इलाके 'जनता कर्फ्यू' के चलते लॉकडाउन हैं। सड़कों पर न के बराबर लोग नजर आ रहे हैं। इस बीच पुणे में एक कपल शहर के कसबापेठ इलाके में कबूतरों को खाना खिलाता नजर आया। इस कपल ने कबूतरों को दाना खिलाने के लिए पुलिसवालों से स्पेशल मंजूरी भी ली थी।

25 साल से खिला रहे हैं दाना

कसबापेठ में रहने वाले अमित पिछले 25 साल से लगातार कबूतरों को दाना खिला रहे हैं। वे हर दिन मॉर्निंग वाक पर अपनी पत्नी के साथ जाते हैं और सैंकड़ों कबूतरों को दाना खिलाते हैं। अमित ने बताया कि 'जनता कर्फ्यू' में इंसानों ने अपने खाने का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन मेरे भोजन की आस में बैठे ये कबूतर कैसे दाना चुगते। इसलिए मैंने इन्हें आज भी दाना खिलाने के लिए यह जनता कर्फ्यू में भी बाहर आने का निर्णय लिया।



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पिछले 25 साल से हर दिन यह कपल इसी तरह कबूतरों को दाना खिला रहा है।




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आज सड़कों पर नजर आई भारी भीड़, संजय राउत बोले-पीएम मोदी ने इसे 'त्यौहार' बना डाला, सरकार गंभीर होगी, तभी जनता गंभीर होगी

मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन के बाद रविवार को पूरे राज्य में सुबह 7 बजे से शाम 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' लगा। लोगों ने घरों से बहार नहीं निकलकर इसे सफल बनाने का प्रयास किया। हालांकि, सोमवार को स्थिति इसके विपरीत नजर आई। पूरे राज्य में धारा 144 लागू होने के बावजूद कई शहरों में सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ नजर आई। मुंबई एक वेस्टर्न-एक्सप्रेसवे पर भी भारी संख्या में लोग सड़कों पर नजर आये। इसमें ज्यादातर वे लोग थे जो बंदी के चलते घरों का राशन खरीदने के लिए बाहर निकले थे।

सरकार गंभीर, तभी जनता होगी गंभीर

'जनता कर्फ्यू' के मुद्दे पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र पर निशाना साधा है। सोमवार को ट्वीट कर संजय राउत ने लिखा,'हमारे प्रधानमंत्री की चिंता है की,'लॉकडाऊन' को अभी भी लोग गंभीरता से नहीं ले रहे है। प्रिय प्रधानमंत्री जी, आपने डर और चिंता के माहोल मे भी 'त्यौहार' जैसी स्थिती पैदा कर दि तो ऐसा ही होगा। सरकार गंभीर होगी, तो जनता गंभीर होगी। जय हिंद, जय महाराष्ट्र'

आज की भीड़ से पीएम हुए नाराज

आज सड़कों पर आई भीड़ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाराजगी व्यक्त की है। पीएम मोदी ने सोमवार को ट्वीट करके कहा है कि लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वे नियमों और कानूनों का पालन करवाएं।

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मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे बंद

भीड़ को रोकने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे को सरकार ने अगले आदेश तक बंद रखने का फैसला किया है। यह देश का सबसे पहला एक्सप्रेसवे हैं। आम दिनों में यहां लगभग हर दिन दो से पांच किलोमीटर का जाम लगता है।

महाराष्ट्र के ये जिले लॉकडाउन
कोरोना के बढ़ते केसों के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने अहमदनगर, औरंगाबाद, मुंबई, नागपुर, मुंबई सब-अर्ब, पुणे, रत्नागिरी, रायगढ़, ठाणे, यवतमाल जिलों को लॉकडाउन कर दिया है। यानी जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद है।

महाराष्ट्र में कहां-कितने करोनावायरस संक्रमित

कुल संख्या-89

जिले संक्रमित
पिंपरी 12
पुणे 16
मुंबई 39
नागपुर 04
यवतमाल 03
नवी मुंबई 03
कल्याण 04
अहमदनगर 02
रायगढ़ 01
ठाणे 01
उल्हासनगर 01
औरंगाबाद 01
रत्नागिरी 01



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मुलुंड टोल नाके पर लगा गाड़ियों का लंबा जाम।




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कोरोना की पहली स्‍वदेशी टेस्टिंग किट के कमर्शियल प्रोडक्शन को मंजूरी, दावा- इससे प्राइवेट लैब में एक दिन में 1000 टेस्ट हो सकेंगे

पुणे. शहर की मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस कंपनी कोकोविड-19 (कोरोनावायरस) की टेस्ट किट के लिए सोमवार को कमर्शियलप्रोडक्शन की अनुमति मिल गई। परमिशन पाने वाली यह देश की पहली कंपनी है। कंपनी ने बताया कि कोरोनावायरस की जांच करने वाली उसकी ‘मायलैब पैथोडिटेक्ट कोविड-19 क्वॉलिटेटिव पीसीआर किट’ को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अनुमति दीहै।कंपनी का दावा है कि वे एक टेस्टिंग किट से 100 लोगों की जांच कर सकते हैं। इसके बाजार में आ जाने से एक प्राइवेट लैब में दिन में कोरोना के एक हजार टेस्ट किए जा सकेंगे। अभी एक लैब में औसतन दिनभर में 100 नमूनों की कोरोना जांच हो पाती है।

'मेक इन इंडिया' है यह किट

कंपनी के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल ने कहा, 'स्थानीय और केंद सरकार से मिले सहयोग और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए उसने कोविड-19 की जांच के लिए एक किट तैयार की है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है। कोरोना वायरस की जांच किट को स्थानीय स्तर पर बनाने से इसकी मौजूदा लागत घटकर एक चौथाई रह जाएगी।'

ब्लड जांच से लेकर एचआईवी जांच के लिए किट बना चुकी है मायलैब
मायलैब वर्तमान में ब्लड बैंकों, अस्पतालों, एचआईवी जांच की किट बनाती है।मायलैब के कार्यकारी निदेशक शैलेंद्र कावडे ने कहा- हम अपने देश को अत्याधुनिक तकनीक, उचित और सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। चूंकि यह परीक्षण संवेदनशील तकनीक पर आधारित है, इसलिए प्रारंभिक चरण के संक्रमण का भी पता लगाया जा सकता है। इस किट से की गई जांच के परिणाम काफी सटीक हैं।

कोरोना जांच के मामले में भारत सबसे पीछे
वर्तमान में, भारत प्रति मिलियन जनसंख्या पर किए गए परीक्षण के मामले में सबसे नीचे है। यह आंकड़ा सिर्फ6.8 काहै। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिएभारत सरकार ने जर्मनी से लाखों टेस्टिंगकिट आयातकी हैं। मायलैब का दावा है कि आने वाले समय मेंएक हफ्ते में एक लाख किट का बनाई जा सकेंगी।



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कोरोना टेस्टिंग की एक किट में 100 मरीजों की जांच हो सकती है।
इसे किट को बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि वह एक हफ्ते में एक लाख किट बना सकती है।




mp

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