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लिपुलेख पास को लेकर भारत के ख़िलाफ़ नेपाल में भड़का ग़ुस्सा

नेपाल की सरकार ने भारत से लिपुलेख दर्रे को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. नेपाल में भारत के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. जानिए पूरा मामला-




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‘लेखा’ आणि ‘जोखा’

अकाउंटिंग स्टँडर्ड्स’ कशी वाकवावीत, कायदे वा नियमांना मुरड घालून धूळफेकीचे गुन्हे कसे सुखेनैव करावेत याची माहिती असलेले आणि तसल्या मार्गाने पैसा ओढू पाहणारे, हे एकत्र आल्यास अनर्थ घडू शकतो. अमेरिकेतील एका कंपनीने, केवळ ‘येणे रक्कम’ मोजण्याची पद्धत बदलण्यासारख्या करामती केल्या होत्याच..




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लेखा आणि जोखा- एन्रॉन

वायू-नळांचे जाळे असणारी कंपनी, पुरवठय़ाऐवजी सौदय़ांमध्ये जम बसवल्यावर वीजधंद्याकडे वळली. महसूल फुगवून सांगण्यासाठी निरनिराळ्या क्ऌप्त्या लढवू लागली.. लेखापाल बहकले, पण कुणीतरी हे जोखलेच..




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लेखा आणि जोखा-वर्ल्डकॉम

अशा लेखानोंदीमुळे कंपनीच्या भांडवली खर्चात फुगवटा दिसतो. तो व्यवसायातल्या अन्य परिस्थितीशी विसंगत असतो. बाजारातीला वास्तवाशी त्याचा ताळमेळ बसत नाही. पण सोंग मग उघडकीस येतेच..




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लेखन आणि सृजन

संगीत लिहिण्याची पद्धत परकीय संगीतात चांगलीच रुजली. संगीतकारानं संगीत नुसतं निर्माण करून थांबायचं नाही, तर ते लिहून ठेवायचं.




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कर्जाची वसुली ते निर्लेखित झाल्यानंतर कशी होईल?

थकीत कर्जे बंद दस्त्यात टाकली तरी त्यांची वसुली चालू असते’ अशी सारवासारव अर्थमंत्र्यांनी केलेली आहे.




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वाचक लेखक : मी सखी अविनाशी

तुम्हाला आश्चर्य वाटले ना? अहो, पण मी आहेच तशी, प्रत्येक घरात ललनांची प्रिय सखी, रावांपासून रंकापर्यंत, घराघरांत देशविदेशच्या सीमा ओलांडून...




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वाचक लेखक : बालपणीचा काळ सुखाचा

पावसाळा सुरू झाला की हमखास लहानपणीच्या रम्य आठवणी जाग्या होतात. विशेषत: श्रावण तर खास करून आठवतोच. आम्ही अंजनगाव सुर्जी येथे राहायचो.




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कथालेखक तपन

रस्किन बॉण्ड यांनीही वयाच्या दहाव्या वर्षी आपले वडील गमावले



  • आम्ही असू लाडके
  • chaturang

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नव्या लेखकांना पुराणांचं स्फुरण!

पुराणातल्या देवदानवांच्या किंवा प्राचीन काळातील राजेमहाराजांच्या कथांचं प्रत्येकालाच आकर्षण वाटत असतं. कधी श्रद्धेच्या पोटी तर कधी त्यातील सुरसतेमुळे लहानपणी गोष्टींच्या पुस्तकांतून किंवा टीव्ही वाहिन्यांवरील पौराणिक कार्यक्रमांमधून हिंदू संस्कृतीबाबतचं कुतूहल शमवण्याचा प्रयत्न प्रत्येक जण करत असतो




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लाइक्स् आणि लेखन

जगभरच्या साऱ्या लोकांना जशी संगीताची भाषा उमगते, तशीच सगळ्यांना समजणारी एक नवीन भाषा उदयाला येते आहे. मग तुम्ही मराठीभाषक असा वा मँडरीनभाषक; ही नवी भाषा- चिन्हांची, इमोटीकॉन्सची भाषा- तुम्हाला सारखीच समजणार. हे बघा. त्या चिन्हवलयांकित नवभाषेचं पहिलं अक्षर- विसर्गापुढे हा ठेवलेला कंस आणि त्याकडे तिरकं पाहिलं की दिसणारं चेहऱ्यावरचं हसू. हे ‘स्माइली’चं चिन्ह १९८२ साली […]




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सेलेब्रिटी लेखक : पिया बहरुपिया

इथे जे प्रेक्षक सगळ्यात स्वस्त तिकीट घेतात ते उभे राहून नाटक बघतात.




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सेलेब्रिटी लेखक : वूझेन अनुभव!

आमचा शो जिथे होता ते एक टुमदार, २००-२५० लोक मावतील असं देखणं थिएटर होतं.




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लेखक, ऊर्जा आणि आग का दरिया

प्रख्यात व भूमिकेचा गंभीरपणे विचार करणारे कलावंत अमिताभ बच्चन यांच्या एका सिनेमात त्यांची केशरचना- मागे वळवलेले केस आणि मानेवर केसांची जुडी बांधलेली (पोनीटेल?) अशी होती.




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मृत्यूनंतर तरी लेखकाला मारू नका

किशोर शांताबाई काळे या दिवंगत लेखकाच्या ‘कोल्हाटय़ाचं पोर’ या आत्मचरित्रपर पुस्तकावर बंदी घालावी अशी मागणी करण्यात येत आहे. हे पुस्तक प्रसिद्ध झाले त्याला १९ वर्षे झाली. किशोरचे अपघाती निधन झाले...




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लेखक : सत्यशोधक?

लेखकाला भीती वाटते- कथेतील पात्राच्या तोंडून त्याने त्याचे मत व्यक्त केले तर लेखकाला ‘जनतेचा शत्रू’ घोषित केले जाईल की काय?




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घराच्या त्रिमितीय आलेखापलीकडे

पेरूसारख्या देशात परवडणाऱ्या व प्रसरणशील घरांच्या प्रयोगातून आपण काय शिकू शकतो.




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भारतीय भाषा टंकलेखनातील आव्हाने

भारतात इंटरनेटचे उपयोक्ते वाढत असले तरी आपल्या भाषांतील विकिपीडियाची पाने मात्र अजून वाढलेली नाहीत.




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संगणकासाठी टंकलेखन यंत्रणांचे अभिकल्प

औद्योगिक अभिकल्प संस्था, आयआयटी मुंबईत भारतीय भाषांसाठी टंकलेखन या विषयावर संशोधन चालते.




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मी लिहितो, पण लेखक नाही

माणूस हा व्यक्त होण्यासाठीच जन्मतो किंवा व्यक्त होण्यासाठीच जन्म वापरतो.



  • दृष्टी आडची सृष्टी

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स्त्री लेखनाचा ताटवा

१९३० ते १९५० या काळाचा विचार करता, स्त्रियांच्या वैचारिक लेखनाचे क्षेत्र व्यापक व सर्वस्पर्शी होते.




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समाधानी आयुष्याचा चढता आलेख

आनंदी आयुष्य’ म्हणजे काय याचा निरंतर शोध घेण्यासाठी आश्वासक मानसशास्त्रातून खूप मदत मिळते.




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नेमकेपणाने लेखन

प्रभा गणोरकर यांचे लेख मी नियमित वाचते. अफाट व्यासंग आहे त्यांचा..




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पिथौरागढ़ : तवाघाट-लिपुलेख सड़क के बनने से अब भारत-चीन व्यापार होगा सुगम

चीन सीमा के लिए तवाघाट-लिपुलेख सड़क के बनने से भारत चीन व्यापार सुगम हो जाएगा।




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सरकारी भूमि कब्जा कराने पर लेखपाल निलंबित

सरकारी भूमि कब्जा कराने पर लेखपाल निलंबित




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इरफान की मौत पर महान लेखक ने कहा, एक सितारा आसमान में दूसरे सितारे से मिल गया

द अलकेमिस्ट के लेखक पाओलो कोएलो (Paulo Coehlo) ने इरफान खान (Irrfan Khan) को अपने अंदाज में याद किया है. ब्राजील के इस राइटर ने इरफान की मौत पर गीता का श्लोक लिखकर कहा कि मौत निश्चित है.




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दो लेखकों ने ठुकराया दिल्ली सरकार का भाषादूत सम्मान, थानवी का भी इस्तीफा

दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपनी हिंदी अकादमी की ओर से दिए जा रहे भाषादूत सम्मान को लेकर और घिर गई है।




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लेखकों और साहित्यप्रेमियों ने दी शशिभूषण द्विवेदी को ऑनलाइन श्रद्धांजलि

शशिभूषण द्विवेदी (Shashi bhushan Dwivedi) की असामयिक मृत्यु से हिन्दी जगत एवं साहित्य प्रेमियों के बीच गहरा शोक व्याप्त है.




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राज्य में पत्र लेखन में प्रथम रही छात्रा को 25 हजार का चेक भेंट

भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता 2019-20 में नवदीप पब्लिक सीनियर सेकंडरी स्कूल की छात्रा सृष्टि गौतम ने राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस पर डाक अधीक्षक गुमान सिंह शेखावत द्वारा विभाग की ओर से 25 हजार रुपए की राशि का चेक भेंट किया गया। डाक अधीक्षक ने बताया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता 2019-20 का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में सृष्टि गौतम ने इनलेण्ड लेटर कैटेगरी में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस मौके पर निरीक्षक परिवाद राजीव शर्मा, रामावतार बंसल, पिन्टू शर्मा, सिस्टम मैनेजर राजेश साहू आदि उपस्थित रहे।



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दीवार लेखन-पोस्टर और रैली निकालकर किया जागरूक

देश में फैले कोरोना महामारी को लेकर पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोविंदपुर के रासेयो स्वयं सेवकों ने जागरूकता अभियान चलाया। स्वयंसेवक आसपास के ग्राम पंचायत एवं साप्ताहिक हाट-बाजार में लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जागरूक किया।
कार्यक्रम अधिकारी आबिद खान ने बताया कि कोरोना महामारी को फैलने से रोकने एवं आमजन तक जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन एवं जिला शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार रासेयो स्वयं सेवक जिले से लगे ग्राम पंचायतों एवं हॉट बाजारों में कोरोना महामारी के बचाव एवं सावधानी के बारे में जागरूक कर रहे हैं। जागरूकता रैली निकाल कर लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन करने, बार-बार हाथ धोने, भीड़ वाले जगहों में न जाने व घर में ही रहने जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा दीवार लेखन, रंगोली, पोस्टर, सोशल मीडिया आदि माध्यमों से भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हाट बाजारों में लोगों को हैंड सैनिटाइजर से सैनिटाइज करने, सब्जी विक्रेता या दुकानदार मास्क का उपयोग नहीं करते उन्हें चिह्नांकित कर रचना खुद से बनाकर और खरीदकर सरपंच के माध्यम से मास्क वितरण कराया जा रहा है।



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Made aware by taking out wall writing-poster and rally




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कोरोना के दौर में हम लेखन, चित्रकारी, नृत्य, गीत से अपने भीतर का कलाकार ला सकते हैं सामने

कोविड-19 ने हमें कई नए शब्द दिए हैं। वे अपने साथ एक नई जीवनशैली अपनाने का भाव भी साथ लेकर आए हैं। लॉकडाउन। सेल्फ आइसोलेशन। क्वारंटीन। ठहर जाना। सोशल डिस्टेंसिंग। सावधान रहना। यात्रा पर रोक। वर्क फ्रॉम होम। स्कूल ऐट होम। यह सब कुछ ही हफ्तों में हो गया। हम सब एक ही नाव में हैं और खुद को और अपने परिवारों को इस परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार कर रहे हैं। हम बाहरी दुनिया से अपने संपर्क को कम से कम करते जा रहे हैं। हमारा भौतिक संपर्क जीवित रहने के लिए बेहद ज़रूरी जरूरतों तक ही सीमित है। महत्वपूर्ण यह है कि यह सब हम कैसे करते हैं।

दैनिक जीवनचर्या में हमारा संतुलित और दूसरों की फिक्र से भरा मनोभाव दूसरों तक पहुंचता है। कोविड-19 जाति, लिंग, संस्कृति या राष्ट्रीयता में भेदभाव नहीं करता। इसलिए हमें सबके प्रति उदार और करुणावान बने रहना चाहिए। सामाजिक दूरी को समझने के लिए आइए इन दो शब्दों, ‘सामाजिक’ और ‘दूरी’ को समझें। सामाजिक का अर्थ है सहचर्य और मित्रता। दूरी का अर्थ है अलग रहना। सरल शब्दों में सामाजिक दूरी स्वयं और दूसरों के बीच एक फासला बनाए रखना है, चाहे वे बीमारी से प्रभावित हों या नहीं। लेकिन क्या हमें वास्तव में सामाजिक रूप से दूरी रखने को कहा जा रहा है? बिलकुल नहीं। भौतिक रूप से दूर रहते हुए हमें स्वयं से पूछना है कि कहीं हम खुद को भावनात्मक रूप से भी तो दूर नहीं कर रहे हैं? हमें किसी भी तरह इन दोनों बातों को आपस में गड्ड-मड्ड होने से बचाना है। हम हमेशा भौतिक दूरियों के साथ रहते आए हैं। पति-पत्नी अलग-अलग महाद्वीपों में कार्य करते हैं और परिवार पूरे संसार में फैले हुए हैं। आज हम तकनीक से सामाजिक और भावनात्मक संपर्क रखते हैं और हमारी जीवनशैली लंबे समय से ऐसी ही है। क्या यह विपदा हमें जगाने के लिए है कि हम और अधिक काम करें और अधिक सचेत रहें या यह केवल एक चेतावनी है?


छोटी-छोटी बातों से बचना, जैसे अपने प्रियजनों को गले नहीं लगाना, हाथ नहीं मिलाना या अपने चेहरे को नहीं छूना, हमारी कुदरती सहज प्रवृत्तियों के खिलाफ है। और ऐसे परिवारों के लिए जो समुंदर पार की दूरी महसूस करते हैं, भयभीत और चिंतित होना स्वाभाविक है। लेकिन, हमें एक और अधिक शक्तिशाली संपर्क के माध्यम को भी याद रखना चाहिए जो हमें मिला हुआ है। वह है हृदय से हृदय के संपर्क में बने रहना। प्रेम प्रेषित करना। मैं एक छोटा सा अभ्यास बता रहा हूं जो हम अपने प्रियजनों के साथ रोज कर सकते हैं-


आराम से बैठकर अपनी आंखें कोमलता से बंद कर लें। जिस व्यक्ति को आप प्रेम भेजना चाहते हैं उन्हें अपने सामने बैठा हुआ महसूस करें। अपने हृदय को उनके हृदय से जुड़ता हुआ महसूस करें। इस जुड़ाव को महसूस करते हुए अपने हृदय से उनके हृदय तक प्रेम और परवाह को बड़ी कोमलता के साथ प्रेषित करें। कुछ मिनट बाद आपको और जिसे आप प्रेम भेज रहे हैं उस व्यक्ति को शांति का अनुभव होगा। कछुए भी अपने परिवारजनों के साथ मानसिक संपर्क बनाए रखना अच्छी तरह जानते हैं। जब मादा कछुए के अंडे देने का समय आता है तो वह समुद्र में अपने स्थान से तैरकर रेतीले तट पर पहुंचती है, गड्ढे खोदती है और रेत में अंडे देकर उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ढंक देती है। फिर वह तैरकर समुद्र में वापस चली जाती है। जब दो महीने बाद कछुए के बच्चे पैदा होते हैं तो वे तेजी से लहरों की ओर चल पड़ते हैं और आश्चर्यजनक रूप से अपनी मां तक तैरकर पहुंच जाते हैं। अगर कछुए इस तरह का संपर्क रख सकते हैं तो हम क्यों नहीं? हर परिस्थिति में अवसर छिपे हुए होते हैं। कोविड-19 मानवता के लिए एक अवसर है कि हम अपने आंतरिक तल की गहराइयों से एक-दूसरे के संपर्क में रहें और इसे समझें। अगर हम बाहर नहीं जा सकते तो भीतर चलें। ।


सरल तरीकों से एक-दूसरे तक पहुंचने की संभावनाएं खोजें। यह साथ में गीत गाने, ध्यान करने, फिल्म देखने, साथ बैठकर भोजन करने या चुटकुले सुनाने के द्वारा हो सकता है, क्योंकि यह सबको पता है कि जीवंतता, खुशी और हास्य से पीड़ा कम होती है। सरल आदतें, जैसे भोजन सामग्री को बचाकर रखना हमें लंबे समय तक बचा सकेगा। हम उपवास को भी आजमा सकते हैं। बुद्धिमानी इसी में है कि वित्तीय साधनों का भी ध्यान रखें और घबराहट में अधिक सामान खरीदने की कोशिश न करें। हम अपने वृद्धजनों एवं उनकी, जो कम भाग्यशाली हैं उनकी सहायता कर सकते हैं। कितने ही छोटे-छोटे कार्य हैं जिनके लिए हमें समय नहीं मिलता, जिन्हें हम अभी कर सकते हैं। हम लिखने, चित्र बनाने, नृत्य करने, गीत गाने, नए व्यंजन बनाने, प्रियजनों के लिए कपड़े सिलने जैसे कार्यों से अपने भीतर के कलाकार को सामने ला सकते हैं। घर में रहते हुए आलस्य करके समय बर्बाद करना आसान है पर क्यों न इस अवसर का स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, पांच मिनट श्वास आधारित व्यायाम, ध्यान और योगासन करने जैसे उपायों से लाभ उठाया जाए? स्वयं के लिए अभ्यास करें। अपने प्रियजनों के लिए अभ्यास करें।(ये लेखक के अपने विचार हैं।)



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In the era of Corona, we can bring our inner artist through writing, painting, dancing, song




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शिलॉन्ग में फंसे हैं 'सिटी लाइट' एक्ट्रेस पत्रलेखा के परिजन, शहर में पहली मौत से घबरा गई हैं एक्ट्रेस

सिटीलाइट एक्ट्रेस पत्रलेखा भी लॉकडाउन के चलते अपने परिवार से दूर मुंबई में हैं। वहीं उनके परिजन और भाई शिलॉन्ग में रहे हैं। हाल ही में शिलॉन्ग में कोविड19 से पहली मौत रिपोर्ट हुई है जिसके बाद से पत्रलेखा को अपने परिवार की चिंता सता रही है।

हाल ही में मुंबई मिरर से बातचीत में अपनी फिक्र जताते हुए पत्रलेखा ने बताया, ‘मेरे पैरेंट्स शिलॉन्ग में हैं तब से मैं घबरा रही हूं। ये फिक्र एक पॉजिटिव केस की नहीं है बल्कि उनकी है जो इस पॉजिटिव इंसान के संपर्क में आए हैं। मेरा भाई भी उनके साथ है इसलिए उन्हें घर का सामान लेने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता, मगर फिर भी मुझे फिक्र है’।

आगे बातचीत में उन्होंने बताया, ‘मेरे पिताजी रविवार के दिन भी अपनी फर्म जाते हैं, जब आप व्यस्त रहते हैं तो समय गुजर जाता है लेकिन जब आप फुरसत में रहते हैं तो स्ट्रेस बढ़ जाता है’। पत्रलेखा शिलॉन्ग से ताल्लुक रखती हैं। जन्म के बाद उनकी परवरिश भी शिलॉन्ग में ही हुई है मगर करियर के लिए अब वो मुंबई में ही रह रही हैं। बुधवार को मेघालय में कोविड 19 से 69 साल के डॉक्टर की मौत की खबर के बाद से ही पत्रलेखा चिंता में हैं।



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'City Light' actress Patralekha's family is stranded in Shillong, the actress is worrying after the first death in the city




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वेंटिलेटर पर शो 'महाभारत' के लेखक राही मासूम रजा के बेटे नदीम, पत्नी बोलीं- डॉक्टर्स को होश में आने का इंतजार

गिरने के बाद चोटिल हुए मशहूर सिनेमैटोग्राफर नदीम खान की हालत गंभीर बनी हुई है। इस बात की जानकारी उनकी पत्नी पार्वती ने दी। उन्होंने कहा, "वे आईसीयू में वेंटिलेटर पर हैं। फिलहाल अचेत हैं। डॉक्टर्स उनके होश में आने का इंतजार कर रहे हैं।"

नदीम प्रसिद्ध उपन्यासकार और पटकथा लेखक राही मासूम रजा के बेटे हैं, जिन्होंने 1988 का हिट शो 'महाभारत' का स्क्रीनप्ले लिखा था। सोमवार को सीढ़ियों से गिरने के बाद उनके सिर, कंधे और सीने में चोट आई थी और उन्हें लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार को उनके दिमाग का ऑपरेशन किया गया।

कोरोनावायरस महामारी के चलते इलाज में देरी हुई
पार्वती की मानें तो कोरोनावायरस महामारी के चलते नदीम के इलाज में देरी हुई है। बकौल पार्वती, "जब हम आए तो चोट इतनी गंभीर नहीं थी। लेकिन बाद में हालत बिगड़ गई। डॉक्टर्स कोरोनावायरस जांच के नतीजे का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने इन्हें कोविड -19 आईसीयू में संदिग्धों के साथ रखा था।"

पार्वती ने आगे कहा, "वे दो महीने से घर में बंद थे और किसी से मिले भी नहीं। उनका टेस्ट जल्दी करके आपात सर्जरी की जा सकती थी, लेकिन डॉक्टर्स ने पूरी प्रक्रिया में देरी कर दी।" उनके मुताबिक, वे अस्पताल या डॉक्टर्स पर उंगली नहीं उठा रहीं। लेकिन कोरोनावायरस से हटकर आपात मरीजों को भी जल्दी देखना चाहिए।

40 से ज्यादा फिल्मों के सिनेमैटोग्राफर रहे नदीम
नदीम खान ने बतौर सिनेमैटोग्राफर 40 से ज्यादा फिल्मों के लिए काम किया है। इनमें 'आवारगी', 'गुनाह', 'गैंग', 'खलनायिका' और 'डिस्को डांसर' शामिल हैं। इसके अलावा मशहूर शो 'चंद्रकांता' में भी नदीम खान ने अपना योगदान दिया है।



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Cinematographer Nadeem Khan Is Still In ICU of Lilavati hospital, confirmed Wife Parvati




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खाद्यान्न वितरण ड्यूटी में लगे 2 लेखपालों को दारोगा ने पीटा, एक का फट गया सिर, साथियों में आक्रोश

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में कोरोना वॉरियर्स के रुप में ड्यूटी कर रहे दो लेखपालों की दरोगा ने पिटाई कर दी। यह घटना मोठ थाना क्षेत्र की है। पिटाई से एक लेखपाल बुरी तरह जख्मी और लहूलुहान हो गया। दोनों लेखपाल ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न वितरण की ड्यूटी में लगाए गए थे।सीओ मोठ अभिषेक राहुल ने कहा- घटना के संबंध में दरोगा के खिलाफ शिकायत मिली है। जांच के बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल, क्षेत्र में खाद्यान्न वितरण कराने जाते समय लेखपाल मनमोहन नामदेव और दिव्यांशु मिश्रा को ग्राम बम्हरौली के निकट चेक पोस्ट पर तैनात सब इंस्पेक्टर ने लॉकडाउन के उलंघन में लाठी डंडों से पीट दिया। पीड़ित लेखपाल मनमोहन नामदेव ने बताया कि चौराहे पर पुलिस ने उन्हें यह कहकर रोका कि एसएसपी और अन्य अफसर आ रहे हैं। अफसरों की गाड़ी निकल गई तो हम भी वहां से जाने लगे। इस पर चेक पोस्ट पर तैनात सब इंस्पेक्टर ने हमें डंडा फेंक कर मार दिया।

घटना के बाद एसडीएम मोठ ने सीओ मोठ को पत्र लिखकर मारपीट के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा है। सीओ मोठ अभिषेक राहुल ने बताया कि घटना के सम्बंध में दारोगा के खिलाफ प्रार्थना पत्र मिला है। जांच के बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी।



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घायल लेखपाल ने एसडीएम को घटना की जानकारी दी।