m महज व्यापार के नजरिये से न करें ‘नमस्ते ट्रम्प’ By Published On :: Tue, 25 Feb 2020 00:14:00 GMT सदियों तक याचक रहने के कारण हम मेहमान के आने का लेखा-जोखा फायदे और खासकर तात्कालिक आर्थिक लाभ के नजरिये से करते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘नमस्ते ट्रम्प’ के भावातिरेक में सम्मान दिया गया। लेकिन, विश्लेषकों का एक बड़ा वर्ग है, जो इस यात्रा को व्यापारिक लाभ-हानि के तराजू पर तौलने लगा है। यानी अगर कुछ मिला तो ही ‘स्वागत’ सफल। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति को केवल 23 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था (हमसे करीब सात गुना ज्यादा) वाले देश का मुखिया मानना और तब यह सोचना कि दोस्त है तो भारत को आर्थिक लाभ क्यों नहीं देता, पचास साल पुरानी बेचारगी वाली सोच है।भारत स्वयं अब तीन ट्रिलियन डॉलर की (दुनिया में पांचवीं बड़ी) अर्थव्यवस्था है। कई जिंसों का निर्यातक है और शायद सबसे बड़े रक्षा आयातक के रूप में हथियार निर्यातक देशों से अपनी शर्तों पर समझौते करने की स्थिति में है। अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत आना भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से भी देखना होगा, क्योंकि हमारे पड़ोस में दो ऐसे मुल्क हैं जो हमारे लिए सामरिक खतरा बनते रहे हैं। सस्ते अमेरिकी पोल्ट्री या डेरी उत्पाद के लिए हम कुक्कुट उद्योग और दुग्ध उत्पादन में लगे किसानों का गला नहीं दबा सकते और अमेरिका हमारा स्टील महंगे दाम पर खरीदे, यह वहां के राष्ट्रपति के लिए अपने देश के हित के खिलाफ होगा।फिर हमारी मजबूरी यह भी है कि हमारे उत्पाद महंगे भी हैं। हमारा दूध पाउडर जहां 320 रुपए किलो लागत का है, वहीं न्यूजीलैंड हमें यह 250 रुपए में भारत में पहुंचाने को तैयार है। स्टील निर्यात को लेकर हमने अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में केस दायर किया और फिर जब हमने उनकी हरियाणा में असेम्बल मशहूर हर्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 100 प्रतिशत ड्यूटी लगाई तो ट्रम्प ने व्यंग्य करते हुए हमें टैरिफ का बादशाह खिताब से नवाजा और प्रतिक्रिया में उस लिस्ट से हटा दिया, जिसके तहत भारत अमेरिका को करीब छह अरब डाॅलर का सामान बगैर किसी शुल्क का भुगतान किए निर्यात कर सकता था। ट्रम्प-मोदी केमिस्ट्री का दूरगामी असर दिखेगा, रणनीतिक-सामरिक रूप से भी और चीन की चौधराहट पर अंकुश के स्तर पर भी। बहरहाल कल की वार्ता में रक्षा उपकरण, परमाणु रिएक्टर और जिंसों के ट्रेड में काफी मजबूती आने के संकेत हैं जो भारत के हित में होगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प। Full Article
m अशांति के खिलाफ ईमानदार और सख्त ‘राजदंड’ जरूरी By Published On :: Thu, 27 Feb 2020 18:54:00 GMT पूरे देश में दो संप्रदायों के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है। देश की राजधानी जल रही है, लगभग तीन दर्जन लोग मारे गए हैं, जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल भी है। पिछले कुछ वर्षों में देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है। गृह राज्यमंत्री का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के दौरान भड़की दिल्ली हिंसा की घटनाएं किसी साजिश की बू देती हैं।साजिश कौन कर रहा है, अगर कर रहा है तो कहने वाले मंत्री, जो स्वयं इसे रोकने के जिम्मेदार हैं, क्या कर रहे हैं? ऐसे इशारों में बात करके क्या साजिशकर्ताओं को रोक सकेंगे? यही सब तो वर्षों से किया जा रहा है। क्या सत्ता का काम इशारों में बात करना है? अच्छा तो होता जब उसी मीडिया के सामने ये मंत्री साजिशकर्ताओं को खड़ा करते और अकाट्य साक्ष्य के साथ उन्हें बेनकाब करते। जब एक मंत्री बयान देता है कि ‘तुम्हें पाकिस्तान दे दिया, अब तुम पाकिस्तान चले जाओ, हमें चैन से रहने दो’, तो क्यों नहीं उसी दिन उसे पद से हटाकर मुकदमा कायम किया जाता?उसने तो संविधान में निष्ठा की कसम खाई थी और उसी संविधान की प्रस्तावना में ‘हम भारत के लोग’ लिखा था न कि ‘हमारा हिंदुस्तान, तुम्हारा पाकिस्तान’। राजसत्ता के प्रतिनिधियों की तरफ से इन बयानों के बाद लम्पट वर्ग का हौसला बढ़ने लगता है और दूसरी ओर संख्यात्मक रूप से कमजोर वर्ग में आत्मसुरक्षा की आक्रामकता पैदा हो जाती है। फिर अगर मंच से कोई बहका नेता ‘120 करोड़ पर 15 करोड़ भारी’ कहता है तो उसे घसीटकर पूरे समाज को बताना होता है कि भारी लोगों की संख्या नहीं, बल्कि कानून और पुलिस है।लेकिन इसकी शर्त यह है कि सरकार को यह ताकत तब भी दिखानी होती है जब चुनाव के दौरान केंद्र का मंत्री ‘देश के गद्दारों को’ कहकर भीड़ को ‘गोली मारो सा... को’ कहलवाता है। आज जरूरत है कि देश का मुखिया वस्तु स्थिति समझे और एक मजबूत, निष्पक्ष राजदंड का प्रयोग हर उस शख्स के खिलाफ करे जो भावनाओं को भड़काने के धंधे में यह सोचकर लगा है कि इससे उसका राजनीतिक अस्तित्व पुख्ता होगा। भारत को सीरिया बनने से बचाने के लिए एक मजबूत राज्य का संदेश देना जरूरी है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
m ‘हुनूज दूर अस्थ’ By Published On :: Fri, 28 Feb 2020 19:01:00 GMT खबर यह है कि हुक्मरान नया संसद भवन बनाना चाहते हैं। इतिहास में अपना नाम दर्ज करने की ललक इतनी बलवती है कि देश की खस्ताहाल इकोनॉमी के बावजूद इस तरह के स्वप्न देखे जा रहे हैं। खबर यह भी है कि नया भवन त्रिभुज आकार का होगा। मौजूदा भवन गोलाकार है और इमारत इतनी मजबूत है कि समय उस पर एक खरोंच भी नहीं लगा पाया है।क्या यह त्रिभुज समान बाहों वाला होगा या इसका बायां भाग छोटा बनाया जाएगा? वामपंथी विचारधारा से इतना खौफ लगता है कि भवन का बायां भाग भी छोटा रखने का विचार किया जा रहा है। स्मरण रहे कि फिल्म प्रमाण-पत्र पर त्रिभुज बने होने का अर्थ है कि फिल्म में सेंसर ने कुछ हटाया है। ज्ञातव्य है कि सन 1912-13 में सर एडविन लूट्यन्स और हर्बर्ट बेकर ने संसद भवन का आकल्पन किया था, परंतु इसका निर्माण 1921 से 1927 के बीच किया गया।किंवदंती है कि अंग्रेज आर्किटेक्ट को इस आकल्पन की प्रेरणा 11वीं सदी में बने चौसठ योगिनी मंदिर से प्राप्त हुई थी। बहरहाल, 18 जनवरी 1927 को लॉर्ड एडविन ने भवन का उद्घाटन किया था। सन् 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने भवन के ऊपर दो मंजिल खड़े किए। इस तरह जगह की कमी को पूरा किया गया।13 दिसंबर 2001 में संसद भवन पर पांच आतंकवादियों ने आक्रमण किया था। उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। फिल्मकार शिवम नायर ने इस सत्य घटना से प्रेरित होकर एक काल्पनिक पटकथा लिखी है। जिसके अनुसार 6 आतंकवादी थे। पांच मारे गए, परंतु छठा बच निकला और इसी ने कसाब की मदद की जिसने मुंबई में एक भयावह दुर्घटना को अंजाम दिया था। पटकथा के अनुसार यह छठा व्यक्ति पकड़ा गया और उसे गोली मार दी गई।बहरहाल, शिवम नायर ने इस फिल्म का निर्माण स्थगित कर दिया है। विनोद पांडे और शिवम नायर मिलकर एक वेब सीरीज बना रहे हैं, जिसकी अधिकांश शूटिंग विदेशों में होगी। वेब सीरीज बनाना आर्थिक रूप से सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि यह सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए नहीं बनाई जाती। आम दर्शक इसका भाग्यविधाता नहीं है। एक बादशाह को दिल्ली को राजधानी बनाए रखना असुरक्षित लगता था। अत: वह राजधानी को अन्य जगह ले गया।उस बादशाह ने चमड़े के सिक्के भी चलाए थे। यह तुगलक वंश का एक बादशाह था, जिसके परिवार के किसी अन्य बादशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया था। दिल्ली में भगदड़ मच गई थी, परंतु हजरत निजामुद्दीन औलिया शांत बने रहे। उन्होंने कहा ‘हुनूज (अभी) दिल्ली दूर अस्थ’ अर्थात अभी दिल्ली दूर है। सचमुच वह आक्रमण विफल हो गया था। फौजों को यमुना की उत्तंुग लहरें ले डूबी थीं। आक्रमणकर्ता के सिर पर दरवाजा टूटकर आ गिरा और वह मर गया।वर्तमान समय में भी दिल्ली जल रही है। समय ही बताएगा कि यह साजिश किसने रची। मुद्दे की बात यह है कि अवाम ही कष्ट झेल रहा है। देश के कई शहर उस तंदूर की तरह हैं जो बुझा हुआ जान पड़ता है, परंतु राख के भीतर कुछ शोले अभी भी दहक रहे हैं। दिल्ली के आम आदमी में बड़ा दमखम है। वह आए दिन तमाशे देखता है।केतन मेहता की फिल्म ‘माया मेमसाब’ का गुलजार रचित गीत याद आता है- ‘यह शहर बहुत पुराना है, हर सांस में एक कहानी, हर सांस में एक अफसाना, यह बस्ती दिल की बस्ती है, कुछ दर्द है, कुछ रुसवाई है, यह कितनी बार उजाड़ी है, यह कितनी बार बसाई है, यह जिस्म है कच्ची मिट्टी का, भर जाए तो रिसने लगता है, बाहों में कोई थामें तो आगोश में गिरने लगता है, दिल में बस कर देखो तो यह शहर बहुत पुराना है।’ Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today संसद भवन (फाइल फोटो)। Full Article
m ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ बिजनेस के लिए, जिंदगी के लिए नहीं By Published On :: Mon, 02 Mar 2020 21:25:00 GMT रविवार को देर शाम मैं भोपाल एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन जा रहा था, जहां से मुझे एक कार्यक्रम के लिए सतना पहुंचना था। तब वहां तेज बारिश हो रही थी। मेरी आदत है कि जब मैं ट्रेन से सफर करता हूं तो ज्यादा वजन लेकर नहीं चलता, क्योंकि मुझे रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर अपना सूटकेस खींचना कई कारणों से पसंद नहीं है। इनमें से एक कारण स्वच्छता भी है। मैं यह हल्की अटैची भी कुली से उठवाता हूं, न सिर्फ इस अच्छी मंशा के लिए कि इससे उस कुली की कुछ आय हो जाएगी, बल्कि इसलिए भी कि मेरी अटैची के व्हील्स को गंदे रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर न खींचना पड़े।मैं बेमौसम तेज बरसात के बीच जब भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर चल रहा था, तभी मैंने एक खबर पढ़ी। लिखा था कि टेक्सटाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, इंसानों के लिए दवाओं से लेकर पौधों के लिए कीटनाशकों तक और जूतों से लेकर सूटकेस तक, भारत सरकार ऐसे करीब 1,050 आइटम्स दुनियाभर में तलाश रही है, क्योंकि चीन से आने वाली सप्लाई कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हुई है। भारत के आयात में 50 फीसदी हिस्सेदारी चीन से होने वाली सप्लाई की होती है।खबर के मुताबिक कुछ क्षेत्रों में सरकार खरीदी में ज्यादा प्राथमिकता दिखाएगी, लेकिन जहां संभव हो, वहां स्थानीय उत्पादन को भी बढ़ावा देगी। और यही भारतीय व्यापार के लिए अनपेक्षित व्यापार उद्योगों से ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ (हाथ मिलाने के असंभव लगने वाले अवसर) का मौका है। जैसा कि 53 वर्षीय कुमार मंगलम बिड़ला भी सलाह देते हैं। करीब 6 अरब डॉलर की नेटवर्थ वाले उद्योगपति बिड़ला ने हाल में सोशल मीडिया पर 10 पेज लंबा लेख साझा किया है, जिसमें उन्होंने पिछले कुछ सालों में जो कुछ सीखा है, उसका सार बताया है।बिड़ला मानते हैं कि उनके सभी बिजनेस की ग्रोथ का अगला चरण ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ से आएगा। वे लिखते हैं, ‘बिजनेस में वैल्यू बनाने का नए युग का तरीका ग्रोथ के ऐसे बेमेल साधनों से आएगा, जो बहुत अलग तरह के ‘लगने वाले’ उद्योगों और कंपनियों से उत्पन्न होंगे।’ वे अपनी बात समझाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस का उदाहरण देते हैं, जो फिटनेस वियरेबल कंपनीज, जिम, फार्मेसी, डायटिशियंस और वेलनेस कोच का इकोसिस्टम बना रहा है।जहां बिजनेस में ज्यादा से ज्यादा ‘अनलाइकली हैंडशेक्स’ की सलाह दी जा रही है, वास्तविक जीवन में न सिर्फ सरकार और प्राइवेट संस्थाएं, बल्कि चीन, फ्रांस, ईरान और दक्षिण कोरिया जैसे देश लोगों से मिलने के दौरान ‘हाथ मिलाने’ के विरुद्ध चेतावनी दे रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में लोग हाथ मिलाना बंद कर रहे हैं।पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (पीएमसी) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसे संस्थान लोगों से दोस्तों, सहकर्मियों और रिश्तेदारों का अभिवादन करने के लिए पारंपरिक नमस्ते अपनाने पर जोर देने को कह रहे हैं। पीएमसी स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास से जुड़े सार्वजनिक महकमों में काम कर रहे लोगों के बीच हाथा मिलाना, फिस्ट बंप (मुटि्ठयां टकराना) और गले लगना बंद करने को लेकर जागरूकता लाने का काम रहा है। उनकी प्राथमिकता न सिर्फ कोरोना वायरस से बल्कि स्वाइन फ्लू और अन्य वायरस व कीटाणुओं से बचना है, जो श्वास संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मुंबई में कई संस्थानों ने साफ-सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और अपने कर्मचारियों में स्वच्छता की आदत को बढ़ावा देने के लिए बार-बार साबुन से हाथ धोने पर जोर दे रहे हैं।इससे मुझे याद आया कि कैसे हमारे माता-पिता छोटी-छोटी बात पर भी हमसे हाथ धोने को कहते थे। मेरी मां इस मामले में इतनी सख्त थीं कि मुझे स्कूल जाते समय जूतों के फीते बांधने के बाद भी हाथ धोने पड़ते थे। उनका तर्क था कि मैं इन्हीं हाथों से किताबें पकड़ूंगा, जिससे मां सरस्वती का अपमान होगा। अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो सोचता हूं कि वे दरअसल बैक्टीरिया को हाथों के जरिये किताबों तक जाने से रोक रही थीं, क्योंकि किताबें कभी-कभी तकिए के पास या बिस्तर पर भी रखी जाती हैं। मेरे घर में न सिर्फ खाने का कोई सामान छूने से पहले हाथ धोना जरूरी था, बल्कि किचन के अंदर जाने से पहले पैर और हाथ धोने का भी नियम था, यहां तक कि मेरे पिता के लिए भी। वे भी इन नियमों का पूरी तत्परता से पालन करते थे।फंडा ये है कि बिजनेस की ग्रोथ के लिए ‘अनलाइकली हेंडशैक्स’ करने होंगे, जबकि खुद की देखभाल के लिए इनसे बचना होगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today 'Unlicensed handshakes' for business, not for life Full Article
m ‘गुड न्यूज’ और ‘परवरिश’ का लिंक By Published On :: Mon, 02 Mar 2020 21:33:00 GMT कुछ महीने पूर्व प्रदर्शित फिल्म ‘गुड न्यूज’ में स्पर्म प्रयोगशाला में समान सरनेम होने के कारण स्पर्म की अदला-बदली हो जाती है। यह फिल्म ‘विकी डोनर’ नामक फिल्म की एक शाखा मानी जा सकती है। मेडिकल विज्ञान की खोज से प्रेरित फिल्में बन रही हैं। ‘गुड न्यूज’ साहसी विषय है। चुस्त पटकथा एवं विटी संवाद के कारण दर्शक प्रसन्न बना रहता है। समान सरनेम होने से प्रेरित एक अन्य कथा में तलाक लिए हुए पति-पत्नी को रेल के एक कूपे में आरक्षण मिल जाता है। वे एक-दूसरे की यात्रा से अनजान थे। ज्ञातव्य है कि भारतीय रेलवे के प्रथम श्रेणी में कूपे का प्रावधान होता था, जिसमें दो-दो यात्री सफर करते हैं। कूपे के इस सफर के दौरान उन दोनों के बीच की गलतफहमी दूर हो जाती है और वे पुन: विवाह करके साथ रहने का निर्णय लेते हैं।किसी भी रिश्ते का आधार समान विचारधारा नहीं वरन् परस्पर आदर और प्रेम होता है। एक ही राजनीतिक विचारधारा को मानने वालों में भी मतभेद हो सकता है, परंतु पहले से तय किए समान एजेंडा के लिए वे साथ मिलकर काम कर सकते हैं। वैचारिक असमानता का निदान हिंसा में नहीं वरन् आपसी बातचीत द्वारा स्थापित करने में निहित है। आचार्य कृपलानी और उनकी पत्नी की राजनीतिक विचारधारा परस्पर विरोधी थी, परंतु इस कारण उनके विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। शौकत आज़मी सामंतवादी परिवार में जन्मी थीं, परंतु उनका प्रेम विवाह वामपंथी कैफी आज़मी से हुआ था।विगत सदी के छठे दशक में एक फिल्म ‘परवरिश’ में राज कपूर, महमूद और राधा कृष्ण ने मुख्य भूमिकाएं अभिनीत की थीं। कथासार यूं था कि एक अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में एक समय दो शिशुओं का जन्म होता है। एक शिशु की माता संभ्रांत परिवार की सदस्य थी तो दूसरी एक तवायफ थी। दोनों की पहचान गड़बड़ा जाती है और विवाद का यह हल निकाला जाता है कि दोनों शिशुओं का लालन-पालन सुविधा संपन्न परिवार में होगा। वयस्क होने पर उनकी पहचान कर ली जाएगी। तवायफ का भाई कहता है कि वह अपने भांजे के हितों की रक्षा के लिए संपन्न परिवार में ही रहेगा। कथा में यह पेंच भी था कि वह तवायफ उसी साधन संपन्न व्यक्ति की रखैल थी। अतः पिता एक ही है, परंतु माताएं अलग-अलग हैं। ज्ञातव्य है कि परवरिश के पहले महमूद ने कुछ फिल्मों में एक या दो दृश्यों में दिखाई देने वाले पात्र अभिनीत किए थे। गुरु दत्त की एक फिल्म में उन्होंने मात्र दो दृश्य अभिनीत किए थे। अपने संघर्ष के दिनों में महमूद कुछ समय तक मीना कुमारी के ड्राइवर भी रहे।‘परवरिश’ में वयस्क होते ही राज कपूर अभिनीत पात्र समझ लेता है कि पहचान के निर्णय के बाद महमूद अभिनीत पात्र का जीवन अत्यंत संघर्षमय हो जाएगा। अत: वह पात्र शराबी, कबाबी और चरित्रहीन होने का स्वांग रचता है। ज्ञातव्य है कि इस फिल्म का संगीत शंकर-जयकिशन के सहायक दत्ता राम ने रचा था। इस फिल्म में हसरत जयपुरी का लिखा और मुकेश का गाया गीत-‘आंसू भरी हैं जीवन की राहें, उन्हें कोई कह दे कि हमें भूल जाएं’ अत्यंत लोकप्रिय हुआ था।रणधीर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘धरम-करम’ में भी दो शिशुओं का जन्म एक ही समय में होता है। एक का पिता संगीतकार है तो दूसरे का पिता पेशेवर मुजरिम है। मुजरिम संगीतकार के शिशु को अपने बच्चे से बदलकर भाग जाता है। उसे विश्वास है कि संगीतकार के घर पाले जाने पर उसका पुत्र एक कलाकार बनेगा। वह अपने साथियों से कहता है कि संगीतकार के शिशु को बचपन से ही अपराध के रास्ते पर अग्रसर होने दो। प्रेमनाथ अभिनीत ये पात्र कहता है कि उसने शिशुओं की अदला-बदली करके ‘ऊपर वाले का डिजाइन बदल दिया है’। कालांतर में अपराध जगत के परिवेश में पला बालक संगीत विधा में चमकने लगता है और प्रेमनाथ का पुत्र संगीतकार के घर में पलने के बावजूद अपराध प्रवृत्ति की ओर आकर्षित हो जाता है।यह आश्चर्य की बात है कि राज कपूर ने प्रयाग राज की लिखी ‘धरम-करम’ का निर्माण किया था, जबकि कथा उनकी सर्वकालिक श्रेष्ठ रचना ‘आवारा’ की कथा के विपरीत धारणा अभिव्यक्त करती है। ख्वाजा अहमद अब्बास की लिखी ‘आवारा’ का आधार यह है कि परवरिश के हालात मनुष्य की विचारधारा को ढालते हैं। फिल्म में जज रघुनाथ का बेटा गंदी बस्ती में परवरिश पाकर आवारा बन जाता है। जज रघुनाथ ने एक फैसला दिया था जिसमें एक निरपराध व्यक्ति को वे केवल इसलिए सजा देते हैं कि उसका पिता जयराम पेशेवर अपराधी था। उन्हें गलत सिद्ध करने के लिए उनके अपने पुत्र का पालन पोषण अपराध की दुनिया में किया जाता है। दरअसल ख्वाजा अहमद अब्बास की प्रगतिवादी पटकथा ‘ब्लू ब्लड’ मान्यता की धज्जियां उड़ा देती है कि अच्छे व्यक्ति का पुत्र अच्छा और बुरे का पुत्र बुरा होता है। इस तरह ‘धरम-करम’ राज कपूर की श्रेष्ठ फिल्म ‘आवारा’ के ठीक विपरीत विचारधारा को अभिव्यक्त करती है।मनुष्य पर कई बातों के प्रभाव पड़ते हैं। जब हम प्याज की सारी परतें निकाल देते हैं तो प्याज ही नहीं बचता, परंतु हाथ में प्याज की सुगंध आ जाती है जो प्याज का सार है। मनुष्य व्यक्तित्व भी प्याज की तरह होता है और उसका सार भी प्याज की सुगंध की तरह ही होता है। व्यक्तिगत प्रतिभा अपनी परंपरा से प्रेरणा लेकर अपने निजी योगदान से उस परंपरा को ही मजबूत करती हुई चलती है। बहरहाल, गुड न्यूज यह है कि विज्ञान की नई खोज से प्रेरित फिल्में बन रही हैं और अवाम उन्हें पसंद भी कर रहा है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Link to 'Good News' and 'Upbringing' Full Article
m ‘मध्य प्रदेश वायरस’ महाराष्ट्र में भी पहुंचेगा क्या? By Published On :: Thu, 12 Mar 2020 18:58:00 GMT दुबई से प्रवास कर लौटी पुणेकर दंपति में कोरोना वायरस के लक्षण सामने आए हैं। उनके बाद उनकी बेटी, उन्होंने जिस कैब में सफर किया उसका चालक, विमान के सहयात्री में भी कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। इसके बाद पुणे सहित महाराष्ट्र दहल गया। सभी ओर यह चर्चा है, लेकिन राजकीय उठापटक की चर्चा का स्तर अलग ही है।कोरोना वायरस से भी ज्यादा ‘एमपी वायरस’ के बारे में महाराष्ट्र में ज्यादा बोला जा रहा है। विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से महाराष्ट्र में दहशत का माहौल है। 21 अक्टूबर 2019 को वोटिंग हुई, 24 अक्टूबर 2019 को परिणाम आया। सरकार ने शपथ ली 28 नवंबर को। मंत्रिमंडल ने आकार लिया 30 दिसंबर को। यानी 21 सितंबर को आचार संहिता लागू हुई और 30 दिसंबर तक, यानी पूरे 100 दिन तक महाराष्ट्र में सरकारी कामकाज ठप ही रहा। इस अवधि में सरकार स्थापित हुई और इस दौरान एक सरकार अस्तित्व में आने के साढ़े तीन दिन में ही ढह गई।भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। लेकिन, वह आज विरोधी पक्ष बना हुआ है। शिवसेना ने भाजपा के साथ चुनाव लड़ा, उसका अब मुख्यमंत्री है। मणिपुर, मेघालय, गोवा जैसे छोटे राज्यों में भाजपा ने सत्ता स्थापित करने के लिए पूरा जोर लगा दिया, ऐसे में महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य कैसे छोड़ दिया, यह प्रश्न सबको परेशान कर रहा है। इस पर उत्तर यही है कि ऐसा प्रयत्न उन्होंने करके देखा है। लेकिन रात में बनी सरकार के गिरने से देवेंद्र फड़नवीस औंधे मुंह गिरे। तब भाजपा ने कोशिशें बंद कर दीं और इस सरकार में ‘ऑल इज वेल’ है, ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है।मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद राजस्थान, महाराष्ट्र में भी पुनरावृत्ति हो सकती है, ऐसी चर्चा शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा ही ‘सिंगल लार्जेस्ट पार्टी’ है। इस वजह से यहां यह कोशिश तो होगी ही, ऐसा कइयों को लगता है। ऐसी चर्चा करने से पहले आंकड़ों को ध्यान में रखना होगा। मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन की वजह से सदन की प्रभावी संख्या है 228 सीटों की। ऐसे में जादुई नंबर 115 हो जाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायक हैं, जिससे प्रभावी संख्या रह गई- 206 सीटें। ऐसे में 104 जादुई अंक होगा और भाजपा के पास अपने 107 विधायक तो हैं ही।ऐसा प्रयोग महाराष्ट्र में करना आसान नहीं। भाजपा सिंगल लार्जेस्ट पार्टी है जरूर, लेकिन बहुमत से काफी दूर है। जादुई अंक है 145 सीटों का और भाजपा के पास 105 विधायक ही हैं। इस वजह से 40 विधायक जुटाना अथवा सदन की प्रभावी सदस्य संख्या को इस कदर घटाना संभव नहीं है। किसी भी पार्टी में तोड़फोड़ मचाने के लिए दो-तिहाई विधायक साथ लाना होंगे। पर्याय है तो विधायकों के इस्तीफे लेने का। इसके लिए विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या को 210 तक लाना होगा।इसके लिए 78 विधायकों से इस्तीफा लेना असंभव है। महाविकास आघाड़ी सरकार में नाराजगी भरपूर है। मंत्री पद न मिलने से कांग्रेस के विधायक संग्राम थोपटे ने बवाल मचाया था। शिवसेना में दिवाकर रावते नाराज हैं। राकांपा में अजित पवार, जयंत पाटिल जैसे दो गुट हैं। चुनावों में आयाराम-गयाराम का जो दौर चला और भाजपा में ‘इनकमिंग’ का दौर सभी ने देखा है। इस वजह से कोई धोखा नहीं देगा, यह सोचना भी संशय पैदा करता है। किसी पार्टी ने अधिकृत तौर पर भाजपा के साथ जाने का स्टैंड लिया तो ही महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार आ सकती है। फिर भी इसकी संभावना काफी कम है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है!’ Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today प्रतीकात्मक फोटो। Full Article
m बस्ती की पहचान इतनी सख्त हो चली है कि गूगल पर ‘रविदास कैंप’ सर्च करो तो निर्भया के दोषियों के चेहरे दिखाई पड़ते हैं By Published On :: Fri, 20 Mar 2020 08:43:17 GMT दिल्ली के रविदास कैंप से. आरके पुरम इलाके में साफ-सुथरी और चौड़ी सड़कों से सटी एक छोटी-सी झुग्गी बस्ती है- रविदास कैंप। 90 के दशक की शुरुआत में बसी इस बस्ती की आज सबसे बड़ी पहचान एक ही है- निर्भया के 6 दोषियों में से 4 इसी बस्ती में रहते थे। बस्ती की यह पहचान इतनी सख्त हो चली है कि गूगल पर भी ‘रविदास कैंप’ सर्च करने पर निर्भया के दोषियों के चेहरेही दिखाई पड़ते हैं।आरके पुरम सेक्टर-2 स्थित यह बस्ती ‘बिजरी खान के मकबरे’ से बिलकुल सटी हुई है और इसमें करीब ढाई सौ परिवार रहतेहै। बेहद पतली-संकरी गलियों और खुली नालियों वाली इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए हैं। बस्ती की शुरुआत में कुछ दुकानें और कुछ फास्ट-फूड के स्टॉल लगे हुए हैं। इनमें एक स्टॉल राजवीर यादव का भी है, जो इसी बस्ती के रहने वाले हैं। वे कहते हैं, ‘निर्भया मामले के बाद इस बस्ती की पहचान यही हो गई कि वो अपराधी यहां के रहने वाले थे। अब हम चाहें भी तो इस पहचान को मिटा नहीं सकते।’2012 में जब निर्भया के साथ बर्बरता हुई थी और पड़ताल में सामने आया था कि दोषी इस बस्ती के रहने वाले हैं तो लोगों का आक्रोश बस्ती के अन्य लोगों पर भी फूटने लगा था। यहां के निवासी विश्वकर्मा शर्मा बताते हैं, ‘उस घटना के कुछ ही दिनों बाद एक दिन एक आदमी यहां बम लेकर चला आया था। उसने आरोपी राम सिंह का पता पूछा और घर के पास पहुंचकर बम लगा दिया। लोगों को जब इसकी भनक लगी तो पुलिस बुलाई। फिर बम निरोधक दस्ते ने आकर हालात को काबू में लिया। उसके बाद काफी समय तक यहां पुलिस सुरक्षा रखी गई।’16 दिसंबर की उस कुख्यात घटना के बाद इस बस्ती की पहचान पूरी तरह से बदल गई। यहां के रहने वाले, जहां कहीं भी जाते। लोग उनसे निर्भया मामले पर ही तरह-तरह के सवाल पूछने लगते। विश्वकर्मा शर्मा कहते हैं, ‘उस वक्त तो कई बार ऐसा होता कि मैं किसी सरकारी दफ्तर जाता तो अधिकारी पहचान पत्र पर मेरा पता देखते ही मुझे अलग बुला लेते और पूछने लगते कि उस घटना के बारे में बताओ, दोषियों के बारे में बताओ, वो कैसे लड़के हैं आदि। लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगा। अब इन दोषियों को फांसी हो रही है तो मीडिया का आना-जाना एक बार फिर बढ़ गया है।’गुरुवार की शाम, जब निर्भया के दोषियों को फांसी होने में 12 घंटे से भी कम समय रह गया था, बस्ती का माहौल आम दिनों जैसा ही बना हुआ था। हालांकि, पुलिस की आवाजाही यहां बीते कुछ दिनों से कुछ बढ़ ज़रूर गई थी। पुलिस कई बार बस्ती में आकर दोषियों के परिजनों को तिहाड़ जेल लेकर जाती रही ताकि वे आखिरी समय में उनसे मिल सकें।पतली-संकरी गलियों और खुली नालियों वाली इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए हैं।निर्भया के दोषियों को फांसी होने के बारे में बस्ती के लोग मिली-जुली राय रखते हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि दोषियों को फांसी होना सही है तो वहीं कई लोग यह कहते भी मिलते हैं कि इन दोषियों को फांसी सिर्फ इस वजह से हो रही है क्योंकि ये सभी बेहद गरीब परिवारों से आते हैं। इन लोगों का मानना है कि अगर ये दोषी अमीर होते तो बलात्कार और हत्या के तमाम अन्य अपराधियों की तरह इन्हें भी ज्यादा से ज्यादा उम्र कैद की सजा हो सकती थी, लेकिन फांसी नहीं।बस्ती के अधिकतर लोग मीडिया से बात करने से कतराते हुए भी नजर आते हैं। बस्ती के शुरुआती घरों में ही बिहारी लाल का घर है जो यहां के प्रधान भी हैं। घर का दरवाजा खटखटाने पर उनकी बेटी बाहर आती हैं और बताती है कि उनके पिता घर पर नहीं है। वो कब तक लौटेंगे, यह सवाल करने पर वो कहती हैं कि उनके लौटने का कोई निश्चित समय नहीं। बिहारी लाल का फोन नम्बर मांगने पर उनकी बेटी कहती हैं, ‘पापा ने कल ही नया नंबर लिया है, जो मेरे पास भी नहीं है। उनका पुराना नंबर अब काम नहीं कर रहा।’बिहारी लाल के घर के बाहर उनके नाम के साथ ही एक फोन नंबर दर्ज है। इस पर फोन करने से मालूम होता है कि वे घर से बमुश्किल सौ मीटर दूर ही फास्ट-फूड का ठेला लगाते हैं और इस वक्त भी वहीं मौजूद हैं। न तो उनका पुराना फोन बदला है और न ही वो काम के लिए घर से कहीं ज्यादा दूर जाते हैं। बिहारी लाल की बेटी जब देखती हैं कि उनका झूठ पकड़ा गया है तो वे बिना कुछ कहे बस घर के अंदर चली जाती हैं।बस्ती से लगी हुई मेन रोड के पास ही बिहारी लाल स्टॉल लगाए खड़े हैं। उनके साथ उनका बेटा भी है जो ऑटो भी चलाता है और फास्ट फूड बनाने में अपने पिता की मदद भी करता है। मीडिया वालों को देखते ही बिहारी लाल का बेटा कहता है, ‘अब आप क्या लिखने आए हैं। अब तो सब खत्म हो रहा है। उन्हें फांसी हो रही है। जिनके जवान बेटे मरने वाले हैं, उनका दर्द आप नहीं समझ सकते। विनय तो मेरा बचपन का दोस्त था। हम साथ में…’ अपने बेटे को बीच में रोकते हुए और लगभग डपटते हुए बिहारी लाल कहते हैं, ‘कोई दोस्त नहीं था वो तुम्हारा। जो जैसा काम करेगा, वैसा भरेगा।’ बिहारी लाल के इतना कहने और गुस्सा करने पर उनके बेटे उठकर वहां से चल देते हैं।बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग छोटी-मोटी दुकान चलाते हैं या ऑटो ड्राइवर हैं।बिहारी लाल बताते हैं, ‘इन लड़कों ने जो किया, उसकी सजा इनको मिल गई। अब इस बस्ती वालों का या इन लड़कों के परिवार का तो इसमें कोई दोष नहीं है। हम बस यही चाहते हैं कि लड़के के परिवार को इसकी सजा न मिले। उन्हें अब बार-बार इसके लिए परेशान न किया जाए।’ बिहारी लाल के स्टॉल पर ही मौजूद एक अन्य व्यक्ति फांसी के इस फैसले और मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘आप लोग जैसे लगातार निर्भया के दोषियों को फांसी देने का सवाल उठाते रहे ऐसे ही आप बाकी मामलों को क्यों नहीं उठाते? आप आसाराम को फांसी देने की मांग क्यों नहीं करते? उसने भी बलात्कार किया है, बल्कि एक से ज्यादा किए हैं। उसके आश्रम में छोटे-छोटे बच्चों की लाश निकली हैं। उसके कई गवाहों की तो हत्याएं भी कर दी गईं। इस सब के बाद भी आपने कभी उसे फांसी देने की मांग की है? संसद में बलात्कार के कितने आरोपी बैठे हैं? क्या आपने कभी उन्हें फांसी देने की मांग उठाई? ये लड़के अगर गरीब नहीं होते तो न तो इन्हें फांसी होती और न आप लोग भी ऐसी कोई माँग उठा रहे होते। हम ये नहीं कह रहे कि इन्होंने अपराध नहीं किया। लेकिन अगर कानून सबके लिए एक है तो फांसी सिर्फ इन्हें ही क्यों? सारे बलात्कारियों या हत्यारों को क्यों नहीं?’रविदास बस्ती के अधिकतर लोग इन दोषियों के परिजनों से सहानुभूति भी जताते हैं। दोषी पवन के घर के ठीक सामने रहने वाली महिला कहती हैं, ‘जिनके जवान बच्चे फांसी पर लटकाए जा रहे हैं, उनका दर्द हम कैसे नहीं समझेंगे। उस मां का तो कोई दोष नहीं। और बच्चा चाहे जितना भी नालायक हो मां कभी उसका बुरा नहीं सोच सकती।’ ये महिला आगे कहती हैं, ‘पवन और विनय तो बहुत छोटे बच्चे हैं। घटना के समय ये दोनों 20 साल के भी पूरे नहीं थे। ये बाकियों के चक्कर में फंस गए।’पवन और विनय से विशेष सहानुभूति इस बस्ती के अधिकतर लोगों में दिखती है। बस्ती के लोग साफ कारण नहीं बताते लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि पवन और विनय का मुख्य दोष ये था कि वो गलत समय, गलत संगत में थे। 16 दिसंबर की घटना के लिए बस्ती के अधिकतर लोग पवन और विनय को कम जबकि मोहल्ले के बाकी दो लड़कों को ज़्यादा दोषी मानते हैं।निर्भया मामले के चलते सुर्खियों में आई इस बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग छोटी-मोटी दुकान चलाते हैं या ऑटो ड्राइवर हैं। करीब 900 वोटरों वाली इस बस्ती में शायद ही कोई सरकारी नौकरी वाला है। बस्ती के लोग बताते हैं कि यहां के जिन लोगों की सरकारी नौकरी लगी, वो फिर बस्ती छोड़कर कहीं बेहतर जगह चले गए। बस्ती में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिन्होंने यहीं रहकर बेहद गरीबी में पढ़ाई की और फिर अपनी अलग पहचान बनाई। ऐसा ही नाम अंकित का भी सुनने को मिलता है, जिनका बचपन इसी बस्ती की गरीबी में बीता लेकिन वो आज क्राइम ब्रांच में अधिकारी हैं। बस्ती के लोग अब यही चाहते हैं कि उनकी पहचान अंकित जैसे उदाहरणों के साथ जोड़ी जाए और निर्भया के दोषियों से उनकी पहचान जोड़ने का सिलसिला खत्म हो। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today रविदास कैंप: दक्षिणी दिल्ली का स्लम एरिया। यहीं विनय, पवन, मुकेश और रामसिंह रहते थे। Full Article
m ‘जनता कर्फ्यू’ के दौरान अपने जीवन में मूल्य जोड़ें By Published On :: Fri, 20 Mar 2020 20:01:00 GMT कोई भी शिक्षक अपने बेटे या बेटी को शिक्षा दिलाए तो इसमें कोई नई बात नहीं है। लेकिन शिक्षा पूरी करने के दौरान ही शिक्षक की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा? आरजे लिनज़ा के साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ, जब वह 2001 में बैचलर डिग्री की पढ़ाई कर रही थी। उसके पिता, संस्कृत के शिक्षक राजन केके का निधन हो गया। किसी भी दौर में संस्कृत शिक्षक की तनख्वाह कितनी होगी, इसका अंदाजा कोई भी लगा सकता है। स्कूल ने उसे केरल के कासरगोड जिले में स्थित उसी स्कूल में अनुकंपा के आधार पर सफाईकर्मी की नौकरी का प्रस्ताव दिया। यह ‘लीव वैकेंसी’ का प्रस्ताव था, यानी उसे सिर्फ तभी काम पर बुलाया जाता, जब कोई कर्मचारी छुट्टी पर जाता। उसने इस प्रस्ताव को इसलिए मान लिया क्योंकि उसपर परिवार की और खासतौर पर भाई की जिम्मेदारी थी, जो तब 11वीं कक्षा में था। स्कूल में काम करने के दौरान बचे हुए समय में वह पढ़ाई करती, ताकि वह बीए और फिर एमए कर सके। चूंकि समय गुजरता जाता है और उम्र के साथ शादी भी जरूरी होती है। लिहाजा, लिनज़ा ने 2004 में सुधीरन सीवी से शादी कर ली, जो एक कॉलेज में क्लर्क था। लिनज़ा का पद और उसकी आय, जो वह पीहर में साझा करती थी, कभी भी उसके वैवाहिक जीवन में आड़े नहीं आई। कुछ सालों में वह दो बच्चों की मां बन गई।लेकिन लिनज़ा ने 12 साल तक स्कूल में सफाईकर्मी का काम करते हुए भी व्यवस्थित ढंग से अपनी पढ़ाई की योजना बनाई और केरल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट और स्टेट एलिजिबिलटी टेस्ट पास किए, जो कि शिक्षक बनने के लिए जरूरी होते हैं। फिर 2018 में जब एक शिक्षक की जगह खाली हुई तो उसने आवेदन दिया और उसे नौकरी मिल गई। आज इस अंग्रेजी की शिक्षिका को अपने जीवन में मूल्य जोड़ने की इच्छा शक्ति के लिए सलाम किया जाता है। अब उसे पदोन्नति का भी इंतजार है।एक और शख्सियत है, जो कॅरिअर के शिखर पर पहुंचने के बाद भी अपनी शिक्षा में मूल्य जोड़ना नहीं भूली। ये हैं सेबर इंडिया, हैदराबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की निदेशक प्रिया ढंडपानी। आज वह 93 प्रोफेशनल्स की एक वैश्विक टीम को लीड कर रही हैं, जिसमें टेक्निकल आर्किटेक्ट, डेवलपमेंट मैनेजर, क्वालिटी एनालिस्ट, प्रोडक्ट ओनर्स और डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर शामिल हैं।सेबर में 40 वर्षीय प्रिया पर नौ उत्पादों के पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी है, जिनमें से अधिकांश उत्पाद ‘मिशन-क्रिटिकल’ हैं। प्रिया हिस्सेदारों और ग्राहक प्रतिनिधियों के साथ काम करती हैं। वह सॉफ्टवेयर विकास को तकनीकी दिशा देती हैं, उत्पादों से जुड़ी योजनाएं बनाती हैं, निष्पादन और क्लाउड पर माइग्रेशन को पूरा करती हैं। इस टेक्नो-फंक्शनल भूमिका को आमतौर पर पुरुषों का कार्यक्षेत्र माना जाता है, लेकिन प्रिया को यह काम पसंद है। दो बच्चों की इस मां ने चार संस्थानों के साथ काम किया है। सेबर के साथ उनका यह दूसरा कार्यकाल है, जो चार अरब अमेरिकी डॉलर की ट्रैवल टेक्नोलॉजी कंपनी है। उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस (एप्लाइड साइंस एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी) के बाद एमसीए किया। इसके बावजूद उन्होंने खुद को और सीखने से रोका नहीं। प्रिया ने हाल ही में एमआईटी स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिजनेस स्ट्रैटजी में इसके इंप्लीकेशंस पर एक ऑनलाइन कोर्स किया है। उनका मानना है कि हर चीज में सुधार की गुंजाइश होती है।अपने आप को अधिक मूल्यवान बनाना पूरी तरह स्वार्थ नहीं है। जब आप ज्ञान प्राप्त करते हैं, एक नया कौशल सीखते हैं या नया अनुभव प्राप्त करते हैं, तो आप न केवल खुद को बेहतर बनाते हैं, बल्कि दूसरों की मदद करने की आपकी क्षमता भी बढ़ती है। जब तक आप खुद को और अधिक मूल्यवान नहीं बनाते, आप दूसरों के जीवन में मूल्य नहीं जोड़ सकते। दूसरों को आगे बढ़ाने की क्षमता पाने के लिए, पहले खुद आगे बढ़ना होगा।इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने सभी को जितना ज्यादा हो सके, घर पर रहने के लिए कहा है, जिसे ‘जनता कर्फ्यू’ कहा गया है (जो कि वर्तमान में कोरोनावायरस के हमले से लड़ने के लिए आवश्यक है)। हमें इसे खुद में मूल्य जोड़ने के तरीके खोजने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। इस समय का उपयोग नया कौशल सीखने, अच्छी पुस्तकें पढ़ने या ऐसी तकनीक सीखने में कर सकते हैं, जो आपको दुनिया से अलग तरीके से जोड़ता है। मर्जी आपकी है।फंडा यह है कि ‘जनता कर्फ्यू’ जैसी स्थिति का लाभ उठाएं और योजना बनाएं कि आप जीवन में मूल्य कैसे जोड़ सकते हैं क्योंकि आवश्यक कौशल नहीं होने पर आप दूसरों को कुछ नया नहीं दे सकते। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Add value to your life during 'Janata Curfew' Full Article
m ‘कहां-कहां से गुजर गया मैं’ By Published On :: Fri, 20 Mar 2020 20:06:00 GMT अनिल कपूर अभिनीत पहली फिल्म एम.एस. सथ्यु की थी जिसका टाइटल था ‘कहां-कहां से गुजर गया मैं’। अपनी पहली फिल्म के नाम के अनुरूप ही अनिल कपूर आंकी-बांकी गलियों से गुजरे हैं। सफर में बहुत पापड़ बेले हैं। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अनिल कपूर को सुनीता से प्रेम हो गया। सुनीता योग करती हैं और सेहत के लिए क्या, कब, कितनी मात्रा में लेना है, इस क्षेत्र की वह विशेषज्ञ हैं।उन्होंने लंबे समय तक व्यावसायिक रूप से इस जीवन शैली का प्रशिक्षण भी दिया है। उनके जुहू स्थित बंगले की तल मंजिल पर सुनीता की कार्यशाला है।सुरेंद्र कपूर ‘मुगल-ए- आजम’ में सहायक निदेशक नियुक्त हुए थे। उन्होंने 1963 से ही फिल्म निर्माण प्रारंभ किया। दारा सिंह अभिनीत ‘टार्जन कम्स टू देहली’ में उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ। दोनों कपूर परिवार चेंबूर मुंबई में पड़ोसी रहे हैं। सुरेंद्र कपूर के जेष्ठ पुत्र अचल उर्फ बोनी कपूर ने युवा आयु में ही पिता की निर्माण संस्था में काम करना शुरू कर दिया था। सुरेंद्र कपूर की ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ के निर्देशक सुरेंद्र खन्ना की अकस्मात मृत्यु से फिल्म काफी समय तक अधूरी पड़ी रही। बाद में इस फिल्म को येन केन प्रकारेण पूरा किया गया। बोनी कपूर ने दक्षिण भारत के फिल्मकार के. बापू से उनकी अपनी फिल्म का हिंदी संस्करण बनाने का आग्रह किया। अनिल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे और नसीरुद्दीन शाह के साथ ‘वो सात दिन’ फिल्म बनाई गई। पद्मिनी कोल्हापुरे को राज कपूर की ‘प्रेम रोग’ में बहुत सराहा गया था। इस सार्थक फिल्म ने खूब धन कमाया। अनिल कपूर के अभिनय को सराहा गया, परंतु वे भीड़ में उन्माद जगाने वाला सितारा नहीं बन पाए।गौरतलब है कि ‘वो सात दिन’ तथा संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ में बहुत साम्य है। दोनों में पति अपनी पत्नियों को उनके भूतपूर्व प्रेमी से मिलाने का प्रयास करते हुए एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। बोनी कपूर ने महसूस किया कि अनिल को सितारा बनाने के लिए भव्य बजट की फिल्म बनाई जाए। उन्होंने शेखर कपूर को अनुबंधित किया ‘मिस्टर इंडिया’ बनाने के लिए। फिल्म के आय-व्यय का समीकरण ठीक करने के लिए उन्होंने बड़े प्रयास करके शिखर सितारा श्रीदेवी को फिल्म में शामिल किया। यह भी गौरतलब है कि फिल्म में कभी-कभी दिखाई न दिए जाने वाले पात्र को अभिनीत करके अनिल कपूर ने सितारा हैसियत प्राप्त की।जब अनिल को ज्ञात हुआ कि राज कपूर तीन नायकों वाली ‘परमवीर चक्र’ बनाने का विचार कर रहे हैं और अनिल को एक भूमिका मिल सकती है तब उसने खड़कवासला जाकर फौजी कैडेट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह बात अलग है कि राज कपूर ने ‘परमवीर चक्र’ नहीं बनाई, परंतु इस प्रकरण से हमें अनिल की महत्वाकांक्षा और जुझारू प्रवृत्ति का आभास होता है।अनिल कपूर की घुमावदार कॅरिअर यात्रा में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘1942 ए लव स्टोरी’ एक यादगार फिल्म साबित हुई। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कोई चमत्कार नहीं किया, परंतु आर.डी.बर्मन के मधुरतम संगीत के कारण यह फिल्म यादगार बन गई। यश चोपड़ा की फिल्म ‘लम्हे’ में भी अनिल कपूर को बहुत सराहा गया, परंतु इसे भी बड़ी सफलता नहीं मिली। नायक-भूमिकाओं की पारी के बाद अनिल कपूर ने चरित्र भूमिकाओं में भी प्रभावोत्पादक अभिनय किया। अनिल कपूर को डैनी बॉयल की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में महत्वपूर्ण भूमिका मिली। उनकी भूमिका कौन बनेगा करोड़पतिनुमा कार्यक्रम में एंकर की है। इस फिल्म में एंकर जान-बूझकर गरीब प्रतियोगी को एक प्रश्न का उत्तर देने में गुमराह करता है।साधन संपन्न व्यक्ति साधनहीन व्यक्ति को सफल होने का अवसर ही नहीं देना चाहते। इस दृश्य के द्वारा फिल्मकार बड़े लोगों के ओछेपन को उजागर करता है। एंकर की कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है और न ही इसमें उसका अपना कोई आर्थिक जोखिम भी नहीं था, परंतु समाज में आर्थिक वर्गभेद हमेशा कायम रहे। इसके लाख जतन किए जाते हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today अभिनेता अनिल कपूर- फाइल । Full Article
m Mountain biker hard at work from 'home office' during lockdown By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 19:44:20 +0530 With a home office like no other, when Red Bull mountain biker Fabio Wibmer 'works', you can expect an array of insane tricks and stunts to keep his roommates company. Full Article
m Mountain biker hard at work from 'home office' during lockdown By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 20:10:18 +0530 With a home office like no other, when Red Bull mountain biker Fabio Wibmer 'works', you can expect an array of insane tricks and stunts to keep his roommates company. Full Article
m Urban tennis conquers city squares in corona times By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 20:26:20 +0530 Tennis in the time of coronavirus serves up a new sort of court as World Club players take their game to Munich's now empty squares and boulevards. Full Article
m Trump contradicts nurse who says PPE has been 'sporadic' By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 07 May 2020 00:46:20 +0530 At a ceremony honoring nurses at the White House on Wednesday, U.S. President Donald Trump contradicted a New Orleans nurse who said the availability of personal protective equipment has been 'sporadic.' Full Article
m Trump had 'little' contact with valet who tested positive By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 08 May 2020 01:43:19 +0530 U.S. President Donald Trump on Thursday described a valet of his reportedly testing positive for the coronavirus as "one of those things" and said that he and Vice President Mike Pence have since been tested and they are both negative. Full Article
m Free milk and potatoes in the U.S. to avoid waste By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 08 May 2020 05:31:19 +0530 In Washington State and Boston, two initiatives are helping prevent potatoes from being thrown out and milk from being poured down the drain. Gavino Garay has more. Full Article
m Class of 2020 graduates with 'robot ceremony' By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 08 May 2020 22:26:19 +0530 Arizona State University's Thunderbird School of Global Management utilizes robots to give its students a virtual graduation ceremony. Freddie Joyner has more. Full Article
m Brazil refuge welcomes eagle hatchling By feeds.reuters.com Published On :: Sat, 09 May 2020 00:14:18 +0530 Brazil's Bela Vista Biological Refuge Veterinarian Pedro Enrrique Ferreira says the Harpy Eagle hatchling born on April 26 only weighs 150 grams now but could one day grow to weigh some 20 pounds. Full Article
m No clowning around with masks on Mexico City metro By feeds.reuters.com Published On :: Sat, 09 May 2020 05:40:18 +0530 A campaign in Mexico City to get residents to wear face masks is now reinforced with a new secret weapon: clowns. They're telling metro riders, 'Wear a face mask -- don't be a clown!' as they spray riders' hands with disinfectant. Gavino Garay has more. Full Article
m औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट हुआ, शहर का नाम संभाजीनगर' करने की तैयारी By Published On :: Thu, 05 Mar 2020 16:14:58 GMT औरंगाबाद. महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदल दिया है। अब यह छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई थी, जिसको लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में काफी विवाद हुआ था।सरकार जल्द ही औरंगाबाद का नाम बदलकर 'संभाजीनगर' करने वाली है। शिवसेना बाला साहब ठाकरे के समय से ही इसे संभाजीनगर कहती रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शहर का नाम बदलने की अपनी पार्टी की मांग को पिछले हफ्ते दोहराया था।नाम बदलने की कागजी कार्रवाई शुरूकार्यवाहक कलेक्टर भानूदास पालवे ने कहा कि राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलने के लिए जिला प्रशासन से रेलवे और डाक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने को कहा था। पालवे ने कहा- "मंडलीय आयुक्त के कार्यालय नेएनओसी लेने को कहा है। जैसे ही हमें दस्तावेज मिलते हैं, हम उन्हें उच्च अधिकारियों को भेज देंगे।" Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today औरंगाबाद एयरपोर्ट-फाइल फोटो Full Article
m महिला टीम का विराट कोहली कहलाती हैं 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध स्मृति मंधाना By Published On :: Sat, 07 Mar 2020 17:49:00 GMT सांगली. रविवार को विश्व महिला दिवस पर भारतीय महिला टीम पहली बार टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल जरूर खेली, लेकिन जीत का स्वाद नहीं चख पाई। इस मैच में वह महज 11 रन बनाने वालीभारतीय टीम की ओपनर स्मृति मंधाना महाराष्ट्र के छोटे शहर सांगली की रहने वाली हैं। 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध 23 साल की स्मृति को बेहतरीन बैटिंग के साथ उनकी स्माइल और लुक्स की वजह से उन्हें विराट कोहली से कम्पेयर किया जाता है।पिता और भाई भी हैं क्रिकेटरस्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई 1996 को मुंबई में हुआ। वे जब 2 साल की थीं तब उनका परिवार मुंबई से सांगली शिफ्ट हो गया और वहीं से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पिता श्रीनिवास मंधाना और भाई श्रवण मंधाना दोनों डिस्ट्रिक्ट लेवल के अच्छे क्रिकेटर हैं। उन्हीं को देख मंधाना ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। फाइनल को लेकर पूरी फैमिली स्मृति की अच्छी परफॉर्मेंस कि दुआएं कर रही है। उनके पिता ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि उनकी देर रात स्मृति से फोन पर बात हुई। वे फाइनल को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं। अगर भारत जीतता है तो घर पर जश्न की तैयारियां की गई हैं।ऐसे हुआ क्रिकेट से जुड़ावस्मृति के भाई श्रवण मंधाना ने बताया कि स्मृति 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रही हैं। वे जब भी प्रैक्टिस के लिए जाते तो स्मृति भी उनके साथ जाती थीं। उन्हें खेलता देख अक्सर बैटिंग की जिद करती। स्मृति ने जब बैट थामा तो उनके स्टाइल को देख श्रवण को लगा कि वह अच्छा क्रिकेट खेल सकती हैं और इस तरह स्मृति को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया।सेमीफाइनल जितने के बाद खुशी से रोने लगी स्मृतिस्मृति 2017 में हुए महिला वर्ल्डकप का हिस्सा भी रह चुकी हैं। टीम इंडिया ने भले ही यह कप अपने नाम नहीं किया लेकिन स्मृति ने उस दौरान खूब सुर्खियां बटोरी थी। वर्ल्डकप से ठीक पहले 2017 जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलते हुए स्मृति को बड़ी इंजरी हो गई थी। जिसके चलते उन्हें काफी दिनों तक व्हील चेयर पर पर रहना पड़ा था। उनके पिता ने बताया, 'पूरी परिवार बेहद डर गया था। लेकिन, मंधाना ने हिम्मत नहीं हारी और आज वे टीम की एक स्टार प्लेयर हैं।' रिकवर करने के बाद मंधाना ने महिला वर्ल्ड कप के पहले दो मैचों में 90 और नॉटआउट 106 रनों की पारी खेल सभी को हैरत में डाल दिया था।9 साल की उम्र में हुआ सिलेक्शन9 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुना गया। जब वो 11 साल की हुईं तब उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-19 टीम के लिए चुन लिया गया। साल 2013 में वेस्ट जोन अंडर-19 टूर्नामेंट में स्मृति ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर सनसनी मचाई थी। स्मृति ने 150 बॉल पर 224 रन बनाए थे। मंधाना ने अपना पहला टेस्ट मैच वर्मस्ली पार्क में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इस मैच में पहली पारी में 22 और दूसरी में 51 रन बनाया था।पढ़ाई में भी होनहार हैं स्मृतिक्रिकेट के साथ-साथ स्मृति पढ़ाई में भी होनहार रही हैं। दसवीं क्लास में उन्हें 85% मार्क्स मिले थे। उन्होंने चिंतामनराव कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रैजुएशन किया है।पंजाबी गानों की दीवानी हैं स्मृतिस्मृति को कार ड्राइविंग काफी पसंद है। विराट कोहली, ए बी डिविलियर्स और सचिन तेंदुलकर उनके रोल मॉडल हैं। उन्हें पंजाबी गाने सुनना पसंद है। वे क्लासिक हिन्दी फिल्मों की भी दीवानी हैं। ट्रैवलिंग की शौकीन मंधाना के लिए महाबलेश्वर, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। स्मृति को ट्रेडिशनल इंडियन ड्रेस की जगह जींस और टी शर्ट पसंद हैं। स्मृति को कभी मिरर के आगे खड़ा होना पसंद नहीं है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History Full Article
m 63 साल की शैलजा आदिवासी और ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को सिखा रही कबड्‌डी; मैदान का भी कराया निर्माण By Published On :: Mon, 09 Mar 2020 08:37:53 GMT नासिक. ईरान की महिला कबड्डी टीम को एशियन चैंपियन बना चुकीं महाराष्ट्र की शैलजा जैन अब ग्रामीण और आदिवासी इलाके में इंटरनेशनल कबड्डी प्लेयर तलाश रही हैं। 63 साल की शैलजा नासिक से 150 किमी दूर गुही इलाके में लड़कियों को कबड्डी की ट्रेनिंग दे रही हैं। इसी इलाके की मिट्टी ने देश को ओलिंपियन मैराथनर कविता राऊत, मोनिका आथरे और ताई बामणे जैसी खिलाड़ी दी हैं।बच्चों को लाने के लिए माता-पिता को समझायाशैलजा ने एक साल पहले ट्रेनिंग देना शुरू किया था। उन्होंनेखुद गुही गांव जाकर बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित किया। उनके माता-पिता को भी मोटिवेट किया। कुछ पेरेंट्स अपनी लड़कियों को खेलने नहीं भेजना चाहते थे तो शैलजा ने उन्हें समझाया। इसके बाद जिन खिलाड़ियों में टैलेंट दिखा, उन्हें अपनी एकेडमी में लाकर ट्रेनिंग देना शुरू किया। वे खिलाड़ियों को सभी जरूरी सामान्य उपलब्ध कराती हैं। किट से लेकर डाइट तक की सुविधा देती हैं। शैलजा 5 साल खेलीं, 1983 से कोचिंग करिअर की शुरुआत कीशैलजा 5 साल तक विदर्भ टीम, नागपुर यूनिवर्सिटी और नेशनल टीम से खेलीं। इसके बाद 1983 से कोचिंग करिअर शुरू किया। अपने कोचिंग करिअर में वे भारतीय महिला कबड्डी टीम, नेपाल और ईरान की टीम को भी ट्रेनिंग दे चुकी हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ी। Full Article
m वर्ली में जलाया गया 'कोरोनासुर' का पुतला, लोगों को उम्मीद इसे जलाने से खत्म होगा कोरोनावायरस By Published On :: Tue, 10 Mar 2020 05:33:55 GMT मुंबई. वर्ली में कोरोनावायरस की थीम पर आधारित 'कोरोनासुर' का पुतला जलाया गया। नीले रंग के बड़े से पुतले में COVID-19 लिखा था। इसके हाथ में एक सूटकेस था, जिसमें आर्थिक मंदी लिखा था। लोग उम्मीद कर रहे हैं इस पुतले के जलाने पर कोरोनावायरस का भी खात्मा हो जाएगा।इस साल होली 10 मार्च को मनाई जा रही है। होलिका दहन 9 मार्च को हुआ। इस होली लोगों में कोरोनावायरस को लेकर डर भी है। लोग रंग खेलने से हिचकिचा रहे हैं। दरअसल, लोगों में डर है कि कहीं रंग और पिचकारी चाईना मेड न हो। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि कोरोनावायरस को लेकर वे भी डरे हुए हैं, इसीलिए चाईना से माल आया ही नहीं है।भारत में अब तक 43 मामले सामने आएस्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक कोरोनावायरस के 43 मामले सामने आए हैं। तीन पॉजिटिव मरीजों को अब डिस्चार्ज कर दिया गया है। नए मामले दिल्ली, यूपी, केरल और जम्मू-कश्मीर से आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में अब तक कोरोनावायरस संक्रमण के 2,241 नए मामलों की पुष्टि हुई है। संक्रमित लोगों की संख्या 95,333 हो गई है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today वर्ली इलाके में बना 'कोरोनासुर' का पुतला। Full Article
m यूपी-एमपी समेत 7 राज्यों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्‌टी, इंदौर प्रशासन ने गेर और बजरबट्‌टू की अनुमति रद्द की By Published On :: Fri, 13 Mar 2020 17:01:14 GMT लखनऊ/ जयपुर/ पुणे/ पटना/ पानीपत/ जालंधर. कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण का असर अब देश के विभिन्न राज्यों की व्यवस्थाओं पर दिखने लगा है। ज्यादातर राज्यों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई है। हालांकि, परीक्षा कार्यक्रम स्थगित नहीं किए गए हैं। इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाले गेर (जुलूस) और बजरबट्टू हास्य सम्मेलन की अनुमति प्रशासन ने रद्द कर दी है।बिहार में अनिश्चितकाल के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है। वहीं, अटारी-बाघा बार्डर से पाकिस्तानी नागरिकों और मालवाहकों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुंबई के अलाना हाउस ने नमाज पर रोक लगा दी है। दुनियाभर में जहां भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम से बचा जा रहा है, वहीं राजस्थान में नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है।यूपी में 22 मार्च तक स्कूल-कॉलेजों की छुट्टीलखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस से संक्रमित 11 मरीजों की पुष्टि हुई है। कोरोना के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी स्कूल-कॉलेज 22 मार्च तक बंद रखने का निर्णय लिया है। मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई भी नहीं होगी। जिन विद्यालयों में परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, वे जारी रहेंगी। सीएम योगी ने कहा-यूपी में अब तक कुल 11 पॉजिटव केस पाए गए हैं, जिनमें 10 का उपचार दिल्ली में व एक का केजीएमयू लखनऊ में उपचार चल रहा है। इनमें आगरा के सात, गाजियाबाद के दो और नोएडा व लखनऊ में एक-एक केस हैं। यह बीमारी पैनिक न हो, इसके लिए एपेडमिक एक्ट के तहत इसे फारवर्ड किया है। लेकिन, इसे महामारी घोषित नहीं किया गया है।एमपी में 12वीं तक के स्कूल-कॉलेजऔरसिनेमाघरबंद, हॉकी टूर्नामेंट टलाभोपाल.कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने सभी स्कूल-कॉलेजबंद कर दिए हैं। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभागरश्मि अरुण शमी ने आदेश जारी करते हुए बताया- 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं यथावत जारी रहेंगी। सिनेमाघरों को भी बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।इसके अलावा 15 मार्च से भोपाल के ऐशबाग, ध्यानचंद स्टेडियम और साई सेंटर पर होने वाले नेशनल हॉकी टूर्नामेंट को भी टाल दिया गया है।नहीं मनेगा बिहार दिवस, सभी स्कूल-कॉलेज और सिनेमाघर 31 मार्च तक बंदपटना. बिहार सरकार ने 31 मार्च तक सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों और सिनेमाघरों को बंद रखने का आदेश दिया है। सीबीएसई की परीक्षाएं जारी रहेगी। दूसरे स्कूलों में चल रही परीक्षाओं के संबंध में सरकार ने संबंधित अथॉरिटी से कहा है कि परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाने को लेकर विचार करें। 22 से 24 मार्च तक आयोजित बिहार दिवस कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया गया है। बिहार से लगी नेपाल सीमा पर कड़ी चेकिंग का आदेश दिया गया है। सरकारी कर्मियों को अल्टरनेट-डे बुलाने पर विचार हो रहा है। ज्ञान भवन, एसके मेमोरियल हॉल और बापू सभागार समेत सभी हॉल में आयोजित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। 31 मार्च तक सभी तरह के कार्यक्रमों की बुकिंग पर रोक लगा दी गई है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद रखने का फैसला किया गया है। खेल और कल्चरल प्रोग्राम पर भी रोक रहेगी। म्यूजियम, चिड़ियाघर के साथ ही पटना के सभी पार्कों को भी बंद रखा जाएगा।दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स बंदनई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सभी स्कूल, कॉलेज, मल्टीप्लेक्स 31 मार्च तक बंद करने के आदेश जारी किए हैं।मुंबईके अलाना हाउस में नमाज बंदमुंबई. कोरोनावायरस के डर के चलते मुंबई के कोलाबा के अलाना हाउस में नमाज को बंद कर दिया गया। यह जानकारी अलाना हाउस की ओर से बयान करके दी गई। इसमें कहा गया- जब तक वायरस का असर पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता, यहां नमाज बंद रहेगी। महाराष्ट्र में अब तक 11 लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा सरकार ने भी सभी कार्यक्रम रद्द करने तथा आम आदमी से 15-20 दिन के लिए धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम टालने की अपील की है। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशन पर बना हेरिटेज संग्रहालय 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है।हरियाणा के सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेज 31 मार्च तक बंदपानीपत. हरियाणा सरकार ने कोरोनावायरस के प्रभाव के कारण प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश जारी किया है। 13 मार्च को हरियाणा हायर एजुकेशन विभाग द्वारा सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को पत्र जारी किया गया। कोरोनावायरस को महामारी घोषित करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। वहीं, रोहतक में कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में 2 हफ्ते की छुट्टी करने के आदेश दिए हैं।विदेश से लौटे चार अफसरोंको घर में रहने का आदेश, स्कूल-कॉलेजबंदचंडीगढ़/जालंधर. पंजाब सरकार ने कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते सभी सरकारी तथा प्राइवेट स्कूल कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी 31 मार्च तक बंद करने का फैसला किया है। यह जानकारी उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने दी है। प्रदेश में अभी तक सिर्फ एक ही केस पॉजिटिव आया है, लेकिन, इसके बावजूद ऐहतियात बरता जा रहा है। इस फैसले का असर परीक्षाओं पर नहीं होगा। परीक्षाएं चलती रहेंगी। कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए विदेश से लौटे दो आईएएस और दो आईपीएस अधिकारियों को 14 दिन तक अपने घरों में रहने के आदेश दिए हैं। इनमें मोहाली के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) गिरीश दयालन, फतेहगढ़ साहिब की एसएसपी अमनीत कौंडल, संगरूर के एसएसपी संदीप गर्ग और पटियाला डेवलपमेंट अथॉरिटी की मुख्य प्रशासक सुरभि मलिक शामिल हैं।अटारी-वाघा बार्डर के जिरए नहीं आ सकेंगे पाकिस्तानीअमृतसर. कोरोनावायरस से बचाव के लिए एहतियातन देश में विदेशियों के प्रवेश पर लगाई गई रोक शुक्रवार से प्रभावी कर दी गई है। अटारी-वाघा बार्डर से आने वालों पर भी रोक लग गई है। इनमें पाकिस्तानी नागरिकों के अलावा अफगानिस्तान से माल लेकर आने वाले ट्रक ड्राइवर भी शामिल रहेंगे। कस्टम विभाग का कहना है- सरकार की एडवाइजरी का पालन किया जा रहा है। गुरुवार को अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट लेकर आखिरी 12 गाड़ियों को आईसीपी के जरिए भारत लाया गया। इसके साथ ही 90 यात्री पाकिस्तान से यहां पहुंचे। इनमें ज्यादातर पाकिस्तानी हिंदू हैं।छत्तीसगढ़ में स्कूल-कॉलेज बंद, हॉस्टल खाली कराया; परीक्षाएं जारी रहेंगेरायपुर. देश में कोरोनावायरस के चलते छत्तीसगढ़ में सभी स्कूल, कॉलेज 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। बोर्ड की परीक्षाएं यथावत चलती रहेंगी। कॉलेज की परीक्षाओं को भी स्थगित नहीं किया गया है, लेकिन प्रशिक्षण से संबंधित सारे सेंटर इस दौरान बंद रहेंगे। इसी तरह दिल्ली से लौटीं दो छात्राओं में सर्दी-खांसी की शिकायत मिली तो हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल खाली करवा दिया और 18 मार्च तक छुट्टी का ऐलान किया। स्टूडेंट्स की घर वापसी के लिए यूनिवर्सिटी ने बसें भी लगवा दीं। हालांकि जांच में दोनों छात्राओं के सैंपल नेगेटिव निकले।राजस्थान में नगर निगम चुनाव की अधिसूचनाजयपुर. दुनियाभर में महामारी घोषित हो चुके कोरोनावायरस से राजस्थान अछूता नहीं है। कोरोना के कारण दुनियाभर में भीड़भाड़ वाले समारोह व कार्यक्रम स्थगित किए जा रहे हैं, वहीं राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयोग ने जयपुर सहित तीन शहरों के 6 निगमों के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। जयपुर, जोधपुर और कोटा में पिछले साल अक्टूबर में नव सृजित 2-2 नगर निगमों में वार्ड पार्षदों के लिए 5 अप्रैल को एक साथ वोटिंग कराई जाएगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Coronavirus Jaipur, Pune, Patna, Updates: Schools, Colleges, Closed In UP Lucknow, Rajasthan Nagar Nigam Election 2020 Notification Full Article
m महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए 'दिशा एक्ट' लागू करने की तैयारी, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया By Published On :: Sat, 14 Mar 2020 11:23:34 GMT मुंबई. महिलाओं के खिलाफहोने वाले अपराध को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसमें आंध्रप्रदेशमें लागू हुए 'दिशा एक्ट' जैसे कानून को पास किया जाएगा। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शनिवार को यह जानकारी दी। दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलतेइस बार तय समय से पहले शनिवार कोविधानसभा का बजट सत्र खत्म कर दिया जा रहा है। पहले यह 20 मार्च तक चलने वाला था। गृह मंत्री अनिल देशमुखने कहा, 'कोरोना वायरस संकट के कारण, हमें विधानसभा के बजट सत्र में कटौती करनी होगी। विधेयक को मंजूरी देने के लिए हम कोरोना वायरस का संकट समाप्त होने के बाद दो दिन का सत्र बुलाने पर विचार कर रहे हैं।'देशमुख ने कहा, 'हम अधिनियम का अध्ययन करने के लिए आंध्र प्रदेश गए थे और इस पर गौर करने के लिए एक टीम बनाई गई है। हम जल्द ही विशेष सत्र के बारे में कार्यक्रम की घोषणा करेंगे।'उद्धव ने वर्धा की घटना के बाद कड़े कानून लागू करने की बात कही थीफरवरी में महाराष्ट्र के वर्धा में एकतरफा प्यार में जिंदा जलाई गई महिला लेक्चरर की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जल्द ही एक ऐसे कानून बनेगा, जिसमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सजा के कड़े प्रावधान होंगे। माना जा रहा है कि 'दिशा कानून' उसी ओर सरकार का बढ़ाया एक कदम है।क्या है दिशा एक्ट?साल 2019 में आंध्रप्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश क्रिमिनल लॉ संशोधन बिल (आन्ध्र प्रदेश दिशा बिल, 2019 अथवा दिशा बिल) को पारित किया था। इस बिल के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस बिल के मुताबिक मामला दर्ज होने के21 दिन के भीतर ही सजा दी जाएगी।इसमेंदुष्कर्मऔरतेजाब हमलों जैसे अपराधों मेंमृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।दिशा के तहतबच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के अपराधों के लिए दोषियों को 10 से 14 वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों के विरुद्ध भी कड़ी कारवाई की जायेगी जो सोशल मीडिया पर महिलाओं के विरुद्ध अभद्र पोस्ट अपलोड करते हैं, इस मामले में पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की जेल की सज़ा तथा दूसरीबार अपराध करने वाले व्यक्ति को चार वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Uddhav Thackeray Minister Anil Deshmukh On Vidhan Sabha Special Session Over Crimes Against Women In Mumbai Maharashtra Full Article
m कबूतर न रह जाएं भूखे, इसलिए एक कपल ने तोड़ा 'जनता कर्फ्यू' By Published On :: Sun, 22 Mar 2020 10:37:00 GMT पुणे. शहर के सभी इलाके 'जनता कर्फ्यू' के चलते लॉकडाउन हैं। सड़कों पर न के बराबर लोग नजर आ रहे हैं। इस बीच पुणे में एक कपल शहर के कसबापेठ इलाके में कबूतरों को खाना खिलाता नजर आया। इस कपल ने कबूतरों को दाना खिलाने के लिए पुलिसवालों से स्पेशल मंजूरी भी ली थी।25 साल से खिला रहे हैं दानाकसबापेठ में रहने वाले अमित पिछले 25 साल से लगातार कबूतरों को दाना खिला रहे हैं। वे हर दिन मॉर्निंग वाक पर अपनी पत्नी के साथ जाते हैं और सैंकड़ों कबूतरों को दाना खिलाते हैं। अमित ने बताया कि 'जनता कर्फ्यू' में इंसानों ने अपने खाने का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन मेरे भोजन की आस में बैठे ये कबूतर कैसे दाना चुगते। इसलिए मैंने इन्हें आज भी दाना खिलाने के लिए यह जनता कर्फ्यू में भी बाहर आने का निर्णय लिया। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today पिछले 25 साल से हर दिन यह कपल इसी तरह कबूतरों को दाना खिला रहा है। Full Article
m आज सड़कों पर नजर आई भारी भीड़, संजय राउत बोले-पीएम मोदी ने इसे 'त्यौहार' बना डाला, सरकार गंभीर होगी, तभी जनता गंभीर होगी By Published On :: Mon, 23 Mar 2020 07:10:00 GMT मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन के बाद रविवार को पूरे राज्य में सुबह 7 बजे से शाम 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' लगा। लोगों ने घरों से बहार नहीं निकलकर इसे सफल बनाने का प्रयास किया। हालांकि, सोमवार को स्थिति इसके विपरीत नजर आई। पूरे राज्य में धारा 144 लागू होने के बावजूद कई शहरों में सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ नजर आई। मुंबई एक वेस्टर्न-एक्सप्रेसवे पर भी भारी संख्या में लोग सड़कों पर नजर आये। इसमें ज्यादातर वे लोग थे जो बंदी के चलते घरों का राशन खरीदने के लिए बाहर निकले थे।सरकार गंभीर, तभी जनता होगी गंभीर'जनता कर्फ्यू' के मुद्दे पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र पर निशाना साधा है। सोमवार को ट्वीट कर संजय राउत ने लिखा,'हमारे प्रधानमंत्री की चिंता है की,'लॉकडाऊन' को अभी भी लोग गंभीरता से नहीं ले रहे है। प्रिय प्रधानमंत्री जी, आपने डर और चिंता के माहोल मे भी 'त्यौहार' जैसी स्थिती पैदा कर दि तो ऐसा ही होगा। सरकार गंभीर होगी, तो जनता गंभीर होगी। जय हिंद, जय महाराष्ट्र'आज की भीड़ से पीएम हुए नाराज आज सड़कों पर आई भीड़ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाराजगी व्यक्त की है। पीएम मोदी ने सोमवार को ट्वीट करके कहा है कि लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वे नियमों और कानूनों का पालन करवाएं।##मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे बंद भीड़ को रोकने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे को सरकार ने अगले आदेश तक बंद रखने का फैसला किया है। यह देश का सबसे पहला एक्सप्रेसवे हैं। आम दिनों में यहां लगभग हर दिन दो से पांच किलोमीटर का जाम लगता है।महाराष्ट्र के ये जिले लॉकडाउनकोरोना के बढ़ते केसों के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने अहमदनगर, औरंगाबाद, मुंबई, नागपुर, मुंबई सब-अर्ब, पुणे, रत्नागिरी, रायगढ़, ठाणे, यवतमाल जिलों को लॉकडाउन कर दिया है। यानी जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद है।महाराष्ट्र में कहां-कितने करोनावायरस संक्रमितकुल संख्या-89 जिले संक्रमित पिंपरी 12 पुणे 16 मुंबई 39 नागपुर 04 यवतमाल 03 नवी मुंबई 03 कल्याण 04 अहमदनगर 02 रायगढ़ 01 ठाणे 01 उल्हासनगर 01 औरंगाबाद 01 रत्नागिरी 01 Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today मुलुंड टोल नाके पर लगा गाड़ियों का लंबा जाम। Full Article
m कोरोना की पहली स्‍वदेशी टेस्टिंग किट के कमर्शियल प्रोडक्शन को मंजूरी, दावा- इससे प्राइवेट लैब में एक दिन में 1000 टेस्ट हो सकेंगे By Published On :: Tue, 24 Mar 2020 10:31:09 GMT पुणे. शहर की मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस कंपनी कोकोविड-19 (कोरोनावायरस) की टेस्ट किट के लिए सोमवार को कमर्शियलप्रोडक्शन की अनुमति मिल गई। परमिशन पाने वाली यह देश की पहली कंपनी है। कंपनी ने बताया कि कोरोनावायरस की जांच करने वाली उसकी ‘मायलैब पैथोडिटेक्ट कोविड-19 क्वॉलिटेटिव पीसीआर किट’ को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अनुमति दीहै।कंपनी का दावा है कि वे एक टेस्टिंग किट से 100 लोगों की जांच कर सकते हैं। इसके बाजार में आ जाने से एक प्राइवेट लैब में दिन में कोरोना के एक हजार टेस्ट किए जा सकेंगे। अभी एक लैब में औसतन दिनभर में 100 नमूनों की कोरोना जांच हो पाती है।'मेक इन इंडिया' है यह किटकंपनी के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल ने कहा, 'स्थानीय और केंद सरकार से मिले सहयोग और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए उसने कोविड-19 की जांच के लिए एक किट तैयार की है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है। कोरोना वायरस की जांच किट को स्थानीय स्तर पर बनाने से इसकी मौजूदा लागत घटकर एक चौथाई रह जाएगी।'ब्लड जांच से लेकर एचआईवी जांच के लिए किट बना चुकी है मायलैबमायलैब वर्तमान में ब्लड बैंकों, अस्पतालों, एचआईवी जांच की किट बनाती है।मायलैब के कार्यकारी निदेशक शैलेंद्र कावडे ने कहा- हम अपने देश को अत्याधुनिक तकनीक, उचित और सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। चूंकि यह परीक्षण संवेदनशील तकनीक पर आधारित है, इसलिए प्रारंभिक चरण के संक्रमण का भी पता लगाया जा सकता है। इस किट से की गई जांच के परिणाम काफी सटीक हैं।कोरोना जांच के मामले में भारत सबसे पीछेवर्तमान में, भारत प्रति मिलियन जनसंख्या पर किए गए परीक्षण के मामले में सबसे नीचे है। यह आंकड़ा सिर्फ6.8 काहै। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिएभारत सरकार ने जर्मनी से लाखों टेस्टिंगकिट आयातकी हैं। मायलैब का दावा है कि आने वाले समय मेंएक हफ्ते में एक लाख किट का बनाई जा सकेंगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today कोरोना टेस्टिंग की एक किट में 100 मरीजों की जांच हो सकती है। इसे किट को बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि वह एक हफ्ते में एक लाख किट बना सकती है। Full Article
m Trump says up to 100,000 Americans may die from coronavirus By feeds.reuters.com Published On :: Mon, 04 May 2020 19:04:19 +0530 The president once again raised his forecast for how many Americans may die from COVID-19 as the toll continues to climb. This report produced by Zachary Goelman. Full Article
m Exclusive: U.S. drafting pact for moon mining By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 18:53:23 +0530 Sources tell Reuters the White House will soon propose an international agreement governing mining and commerce on the moon, aiming to attract like-minded space-faring countries to update a 1967 agreement on space law. Full Article
m GM sets May 18 North American restart, profit falls 88% By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 20:38:19 +0530 General Motors on Wednesday outlined plans for a May 18 restart of most of its North American plants shut down by the coronavirus pandemic as it reported a huge plunge in first-quarter profit. This report produced by Yahaira Jacquez. Full Article
m Facebook names first members of content oversight board By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 21:24:37 +0530 Facebook's new content oversight board will include a former prime minister, a Nobel Peace Prize laureate and several constitutional law experts and rights advocates in its first 20 members. Full Article
m Trump's re-election pitch: Blame China. Remake economy By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 07 May 2020 19:51:04 +0530 Aides to U.S. President Trump say their 2020 campaign will now be focus on two themes: Trump is the only candidate who can resurrect the economy and that Democrats will not be as tough on China, a country Trump is blaming for the pandemic. Full Article
m Trump had 'little' contact with valet who tested positive By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 08 May 2020 01:43:19 +0530 U.S. President Donald Trump on Thursday described a valet of his reportedly testing positive for the coronavirus as "one of those things" and said that he and Vice President Mike Pence have since been tested and they are both negative. Full Article
m Trump tests negative after valet contracts virus By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 08 May 2020 03:54:20 +0530 U.S. President Donald Trump on Thursday said it's "one of those things" after he learned that a White House valet tested positive for the coronavirus, noting contact with that person was limited. Gavino Garay has more. Full Article
m Missing for a century, giant Galapagos tortoise is discovered again By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 27 Feb 2019 00:33:41 +0530 Forrest Galante, a host of 'Extinct or Alive' on the 'Animal Planet,' recounts the locating of the Fernandina Island tortoise that hasn't been heard from since 1906. (Dan Fastenberg reports.) Full Article
m 'Play It Loud: Instruments of Rock & Roll' exhibit set to launch at New York's 'Met' Museum By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 02 Apr 2019 09:15:44 +0530 It's only 'Rock and Roll,' but one of the world's preeminent museums likes it; New York's Metropolitan Museum of Art will display instruments from Chuck Berry, The Rolling Stones, Kurt Cobain, Lady Gaga and more until October 1. Rough Cut. (No Reporter Narration.) Full Article
m Analysis shows Leonardo was ambidextrous By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 09 Apr 2019 05:07:40 +0530 An in-depth study of Leonardo da Vinci's earliest-known drawing has proved definitively that the great Renaissance artist was in fact comfortable working with either hand. Dan Fastenberg reports. Full Article
m On AI: Meet your new maths teacher By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 28 Apr 2020 21:35:53 +0530 Whether learning from home or back at school in smaller classrooms, AI platform Blutick could play a valuable role helping parents and teachers with teaching children maths. Full Article
m 5G and smart cities By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 30 Apr 2020 04:55:42 +0530 As the number of connected devices within the Internet of Things grows, 5G technology could soon become the foundation for greener, safer, more sustainable cities worldwide. Full Article
m On AI: How AI affects human rights By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 05 May 2020 22:33:34 +0530 From surveillance to healthcare, artificial intelligence is getting personal. As companies join the AI race, the technology is also raising ethical concerns. Full Article
m Lego-based robot sanitizer created at refugee camp By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 16:42:20 +0530 Refugees at the Zaatari camp in Jordan have designed a robot prototype made from LEGOs, which automatically dispenses sanitizer to avoid contact with the bottle and help prevent the spread of the coronavirus. Full Article
m Lego-based robot sanitizer created at refugee camp By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 06 May 2020 16:44:19 +0530 Refugees at the Zaatari camp in Jordan have designed a robot prototype made from LEGOs, which automatically dispenses sanitizer to avoid contact with the bottle and help prevent the spread of the coronavirus. Full Article
m Class of 2020 graduates with 'robot ceremony' By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 08 May 2020 22:26:19 +0530 Arizona State University's Thunderbird School of Global Management utilizes robots to give its students a virtual graduation ceremony. Freddie Joyner has more. Full Article
m Self-driving cars find use in challenging times By feeds.reuters.com Published On :: Thu, 30 Apr 2020 01:53:35 +0530 After being sidelined as a non-essential business, some self-driving car companies can put their vehicles back on the roads to make food and other deliveries - a win-win scenario that allows them to continue testing their nascent technology. Full Article
m Social media's newest stars: Dr. Birx's scarves By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 01 May 2020 01:47:25 +0530 U.S. coronavirus task force coordinator Dr. Deborah Birx is best-known for her calm, authoritative briefings at the daily White House press conferences. But she has also become a pop culture phenomenon for her scarves. Full Article
m Locked down UK comedians aim for record with virtual pub quiz By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 01 May 2020 22:07:18 +0530 Russell Howard, Nish Kumar, Jon Richardson and others help 'landlady' Kiri Pritchard-Mclean host 'The Big Comedy Quiz at The Covid Arms' and break a Guinness World Record. Full Article
m Mumbai lake turns pink with flamingos By feeds.reuters.com Published On :: Fri, 01 May 2020 22:14:18 +0530 Thousands of pink-plumed flamingos were spotted in a lake in India's western Maharashtra state on Friday. Full Article
m Coffee and croissants back on the menu in Italy By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 05 May 2020 15:49:18 +0530 Romans flocked to the city's bars and cafes for their caffeine fix on Tuesday - but only takeaway options are permitted. Full Article
m Reuters Newsmaker full event: Ryanair’s O’Leary on growth, Brexit, the environment and executive pay By feeds.reuters.com Published On :: Tue, 01 Oct 2019 16:42:35 +0530 Ryanair Group CEO Michael O’Leary sits down with Reuters Tim Hepher to discuss challenges including industry-wide consolidation, environmental taxes, Brexit, the grounding of the Boeing 737 MAX and his 5-year, 100 million euro bonus package. Watch here the full event. Full Article
m Spain's Economy Minister, Nadia Calviño, speaks to Reuters By feeds.reuters.com Published On :: Wed, 16 Oct 2019 20:35:16 +0530 Minister of Economy, Nadia Calviño, only the second woman to hold the position in Spanish history, speaks to Breakingviews Global Editor Rob Cox as Spain prepares to hold parliamentary elections on Nov. 10 for the second time in a year. Full Article