विशेष कोलकाता से लौट रहा कोरियंधा का युवक कोरोना पॉजिटिव 1250 प्रवासी कामगारों को लेकर तेलंगाना से पहुंची विशेष ट्रेन By Published On :: Fri, 08 May 2020 23:32:00 GMT जिले में कोरोना का एक और मरीज शुक्रवार को मिला। मरीज की उम्र 38 वर्ष है। इसके साथ ही जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। शुक्रवार को मिला कोरोना का पांचवां मरीज बांका थाना क्षेत्र के कोरियंधा गांव का रहने वाला है। उक्त मरीज अपने पिता के साथ कोलकाता में रहता था। कुछ दिनों पहले उसके पिता की कोलकाता में मौत हुई थी। जिसके बाद वह कोलकाता से कार रिजर्व कर भागलपुर आया, जहां 6 मई को मोजाहिदपुर थाना पुलिस ने जांच के क्रम में उसे रोका। उसकी तबियत खराब देख उसे मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया और सैंपल जांच को भेजा। जांच के बाद 8 जून को उसकी रिपोर्ट पाॅजिटिव मिली। हालांकि जिले के राहत की बात यह है कि उक्त युवक बांका नहीं आया था। फिलहाल उसका इलाज मायागंज में किया जा रहा है। दूसरी ओर शुक्रवार शाम श्रमिक स्पेशल ट्रेन 1250 प्रवासी कामगारों को लेकर तेलंगाना से बांका पहुंची। जहां सभी को जांच के बाद प्रखंड में क्वारेंटाइन करने के लिये बस से भेज दिया गया। इस दौरान बांका के डीएम सुहर्ष भगत और एसपी अरविन्द कुमार गुप्ता उपस्थित थे।लिंगमपल्ली से आई इस विशेष रेलगाड़ी से आने वाले सभी व्यक्तियों का बांका जंक्शन पर जिला प्रशासन की कड़ी निगरानी में स्वास्थ्य कर्मियों ने थर्मल स्क्रीनिंग की उसके बाद प्रखंड में बने क्वारेंटाइन सेंटर में भेज दिया गया।थर्मल स्क्रीनिंग के बाद क्वारेंटाइन सेंटर भेजाएक-एक व्यक्ति को स्टेशन परिसर में बने गोल घेरे में खड़ा कर उनका थर्मल स्क्रीनिंग कराया गया। जिसके बाद पुलिस पदाधिकारी के साथ उन्हें बस तक ले जाया गया जहां से मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति कर उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर भेज दिया गया। माइकिंग के द्वारा सभी को सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने का भी हिदायत दिया गया। लिंगमपल्ली से आए 1250 लोगों को जिला प्रशासन द्वारा नाश्ता पानी भी दिया गया।सभी प्रवासियों का किया गया रजिस्ट्रेशनलगातार दूसरे दिन तेलंगाना के लिंगमपल्ली से एक विशेष ट्रेन बांका जंक्शन पहुंची। 1250 लोग बांका जिले के अलावा अन्य जिलों के भी थे, जिन्हें संबंधित जिला भेज दिया गया। वही जितने भी लोग ट्रेन से पहुंचे उनका स्टेशन पर ही रजिस्ट्रेशन कराया गया। जिससे कि आने वाले दिनों में अगर कोई परेशानी होती है तो उनका ट्रैवल हिस्ट्री के माध्यम से जानकारी प्राप्त हो सके।बेलहर का रेल कर्मी दूसरा कोरोना पॉजिटिवइधर एम्बुलेंस में साथ चल रहे दूसरे युवक बेलहर के थे, जो मुंबई में रेलवे कर्मचारी हैं। प्रशासन ने बेलहर के विशनपुर गांव से युवक सहित उनके परिवार के छह सदस्य और चेन में आये लोगों को बांका में क्वारेंटाइन कर दिया। इन लोगों का सेंपल बांका से जांच के लिये पटना भेज दिया गया। जांच के बाद 24 अप्रैल को युवक का रिपोर्ट जहां पॉजिटिव पाया गया, वहीं उनके परिवार के छह सदस्यों सहित अन्य ग्रामीणों का रिपोर्ट निगेटिव पाया गया। जो यहां के लोगों के लिये एक राहत भरी खबर थी। हालांकि प्रशासन ने युवक का रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही बेलहर के बिशनपुर गांव को कन्टेंमेंट जोन घोषित करते हुए तीन किलोमीटर को सील किया गया था।शंभूगंज की युवती छपरा में मिली थी पॉजिटिवशंभूगंज की युवती छपरा में कोरोना पॉजिटिव मिली है। संदेह पर उसे छपरा इंजीनियरिंग कॉलेज में क्वारेंटाइन किया गया है और उसका सैंपल जांच के लिये भेजा गया था। मंगलवार को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। शंभूगंज की 20 वर्षीय युवती के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद शंभूगंज ही नहीं, पूरे जिले में हड़कंप मच गया था लेकिन उसके बांका नहीं आने की सूचना पर लोगों ने राहत की सांस ली। युवती छपरा में सेल्स का काम करती थी। इस दौरान किसी काम से वह यूपी के देवरिया गयी थी। जहां से लौटने के बाद उसे छपरा में क्वारेंटाइन किया गया था।महाराष्ट्र से बांका में हुई थी कोरोना की इंट्रीजिले में कोरोना का पहला केस महाराष्ट्र से आए युवक से आई थी। अमरपुर के मैनमा गांव की महिला की मुंबई में मौत हुई थी। 18 अप्रैल को मृत महिला के पुत्र के साथ एम्बुलेंस से चार व्यक्ति मुंबई से बांका के लिए चले थे। भागलपुर के विक्रमशिला पुल पर चिकित्सक ने थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान युवक को कोरोना के संदेह के आधार पर एम्बुलेंस से उतारकर मायागंज अस्पताल भेज दिया था। जहां युवक का मायागंज अस्पताल से सैंपल जांच के लिए पटना भेजा गया था। 22 अप्रैल को युवक का जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पाया गया। इस चेन से 70 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today श्रमिक ट्रेन से आए युवक की थर्मल स्क्रीनिंग करते स्वास्थ्य कर्मी। स्टेशन पर जायजा लेते बांका के डीएम सुहर्ष भगत और एसपी अरविन्द कुमार गुप्ता। Full Article
विशेष तेलंगाना से विशेष ट्रेन से छपरा आए 1250 प्रवासी 14 काउंटरों पर स्क्रीनिंग कर भेजा गया गृह जिला By Published On :: Sat, 09 May 2020 01:02:00 GMT लगातार दूसरे दिन श्रमिक स्पेशल ट्रेन छपरा जंक्शन पहुंची। कल सूरत से पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन आयी थी और गुरुवार को तेलंगाना से आयी। सर्वप्रथम डीएम और एसपी के द्वारा ट्रेन की सबसे पिछली बोगी तक जाकर निकलने वाले सबसे पहले व्यक्ति का स्वागत किया गया। इसके बाद बारी-बारी से लोगों के उतरने का सिलसिला शुरू हुआ। लोगों ने अपने धैर्य का परिचय दिया और सभी प्रक्रियाओं का समुचित रूप से पालन किया।प्लेटफार्म पर ही लोगों को और उनके बैग या थैले को सेनेटाइज किया गया। इसके लिए टीम लगी हुयी थी। प्लेटफार्म से बाहर निकलने पर सभी की स्क्रीनिंग की गयी जिसके लिए 14 काउंटर बनाये गये थे और सभी काउंटर पर दो-दो प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी लगाये गये थे। इसके बाद सभी लोगों को जिला प्रशासन द्वारा तैयार कराए गए फूड पैकेट्स और पानी का बोतल दिया गया। बच्चों को अलग से बिस्किट, टाॅफी और कुरकुरे का पैकेट दिया गया उसके बाद लोगों को उनके गंतव्य के जिलों में बसों के माध्यम से भेज दिया गया।इलाहाबाद से पहुंचे साइकिल से मिस्कारी टोला गाव के प्रवासीबनियापुरप्रखंड के कन्हौली मनोहर पंचायत के मिस्कारी टोला गांव में 18 प्रवासी इलाहबाद से साइकिल से गांव पहुंचे जहां गांव वालों द्वारा हो हल्ला मचाने पर गांव के मदरसा को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया है। जहां क्वारेंटाइन सेटर में प्रवासी मुन्ना मोहम्मद सहित सभी प्रवासियों ने बताया कि हम सभी इलाहबाद मेला में सदियों से बांसुरी बेचने के काम से जाते रहे है जहां लॉक डाउन के वजह से मेले में फंस गए।जिसके बाद रहने खाने की समस्या विकट हो गयी। जहां तहां लम्बे लाक डाउन से स्थित दयनीय होने के बाद सइकिल से ही हम लोग 18 आदमी एक साथ घर के लिए रवाना हो गए। बनियापुर पहुंचने पर स्थानीय मुखिया के द्वारा थाना और अस्प्ताल भेजे गए। जहां जांचोपरांत प्रखंड क्वारें टाइन सेंटर भेजा गया।परन्तु पैदल और बिना रजिस्ट्रेशन के मजदूरों का व्यवस्था नहीं होने पर कहा गया कि गाव से दो सौ मीटर की दुरी पर आईसोलेट किए जाने को कहा गया।तब हम लोगो ने गांव के मदरसा को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने का फैसला किया जो गाव से अलग है। घर से खाना माँगकर खाते है।फूलों से सजाया गया था स्टेशनछपरा जंक्शन पर काफी अच्छी व्यवस्था की गयी थी। रेलवे स्टेशन को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया था। प्रवासी यात्री छपरा पहुंचकर काफी खुश दिखे। आगंतुकों के द्वारा यहां की गयी व्यवस्था को काफी अच्छा बताया गया।सबसे अधिक मधुबनी के थेछपरा आए 1250 लोगों में सबसे अधिक मधुबनी के 723, सीवान के 264 तथा सारण जिला के विभिन्न प्रखंडों के 263 व्यक्ति शामिल थे।54 सैंपल जांच के लिए भेजा गयाडीएमने बताया कि बाहर से आये हुए प्रवासियों का 54 सैंपल जांच के लिए भेजा गया है तथा सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया है कि क्वारेंटाइन कैंप में रह रहे एवं आने वाले प्रवासियों में सभी बुजुर्ग व्यक्तियों तथा इन्फ्लूएंजा के लक्षण वाले व्यक्तियों का सैंपल लेकर जांच करा ली जाए।कौन-कौन दुकानें कब खुलेगीडीएम ने बताया कि ऑटोमोबाईल्स, टायर एवं ट्यूब्स, लुब्रीकेन्ट की दुकान सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को, सीमेंट, स्टील, बालू, स्टोन, गिट्टी सीमेंट ब्लाॅक, ईट, प्लास्टिक पाईप, हार्डवेयर, सैनिटरी फिटिंग, लोहा, पेंट, शटरिंग सामग्री की दुकाने 10ः00 से 1ः00 बजे तक प्रतिदिन, ऑटोमोबाईल, स्पेयर पाटर्स की दुकानें 9ः00 बजे से 2ः00 बजे तक केवल सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को, गैरेज, साईकिल, मोटर साईकिल मरम्मत एवं वर्कशॉप 9ः00 बजे से 2ः00 तक केवल सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को, इलेक्ट्रिक गुड्स पंखा, कुलर विक्रय व मरम्मत 3ः00 बजे से 6ः00 बजे तक केवल मंगलवार, गुरुवार व शनिवार को, इलेक्ट्रिाॅनिक गुड्स-यथा, मोबाईल, कम्प्यूटर, लैपटाॅप, युपीएस एवं बैट्री की विक्रय एवं मरम्मत 3 बजे से 6 बजे तक केवल मंगलवार, गुरुवार, एवं शनिवार को, हाई सेक्युरिटी रजिस्ट्रेशन पलेट की दुकान 11 बजे से 2ः00 तक प्रति दिन खुलेगी लेकिन इसके लिए जिला परिवहन पदाधिकारी, सारण से अनुमति प्राप्त कर जिला में केवल एक सेंटर खोला जाना है। प्रदूषण जांच केन्द्र 11 बजे से 2 बजे तक प्रतिदिन, सैलून, स्पा 7 बजे से 11ः00 बजे तक केवल रविवार, सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को दुकान खुलेगी।सुबह-शाम कराया जाएगा योगाभ्यास: डीएमइस अवसर पर मीडिया से वार्ता में डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि आये हुए सभी लोगों को उनके गृह जिला में भेजा जा रहा है जहाँ से उन्हें उनके गृह प्रखंड में बनाए गये क्वारें टाइन कैम्प में रखा जाएगा। सारण जिला में भी जो 263 लोग आज तेलंगाना से आये है उन्हें भी उनके गृह प्रखंड में बनाये गये क्वारेंटाइन कैम्प में भेजा जा रहा है। इस कैम्प में उन्हें 21 दिन रखा जाएगा। वहाँ सभी लोगों को डिग्निटी किट उपलब्ध कराया जाएगा जिसमें पहनने का कपड़ा, थाली-ग्लास, बाल्टी-मग, साबुन-सर्फ, ऐनक-कंघी, टूथपेस्ट-ब्रस आदि रहेगा। इन कैम्पों में सुबह में नाश्ता और दो बार का भोजन ससमय उपलब्ध कराया जाएगा। इन कैंप में मनोरंजन के लिए टेलीविजन (एलसीडी) भी लगाया गया है तथा सुबह-शाम योगाभ्यास भी कराया जा रहा है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today 1250 migrants who came to Chhapra by special train from Telangana were screened at 14 counters and sent home. Full Article
विशेष चर्म रोग की ओपीडी पहले ही हो चुकी बंद, एलएनजेपी अस्पताल में अब मनोरोग विशेषज्ञ ने भी दिया इस्तीफा By Published On :: Thu, 07 May 2020 00:22:00 GMT शहर का सिविल अस्पताल पहले डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। अभी तक सरकार स्वास्थ्य विभाग यहां जरूरत के मुताबिक डॉक्टर्स मुहैया नहीं करा पाया। दो साल से कई गंभीर रोगों से संबंधित ओपीडी डॉक्टर होने के कारण बंद पड़ी हैं। एक तरफ जहां विभाग डॉक्टर मुहैया नहीं करा पा रहा है। वहीं सरकारी अस्पताल में नौकरी को अलविदा कहने वाले डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अस्पताल से पहले ही चर्म राेग विशेषज्ञ व मनाेराेग प्रमुख इस्तीफा दे चुके हैं। अब एलएनजेपी में मनोरोग ओपीडी में एक ही चिकित्सक रह गया है जिससे मरीजाें काे इलाज के लिए परेशानी झेलनी पड़ेगी।मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा दुआ सोबती ने भी नौकरी छोड़ने के लिए विभाग को नोटिस दे दिया है। सरकार और विभाग सरकारी अस्पतालों में स्टाफ से लेकर हर सुविधा मुहैया कराने के दावे कर रहा है लेकिन चाह कर भी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर नहीं कर पा रहे हैं। एलएनजेपी के लिए 42 चिकित्सकों की जरूरत है। इतनी पोस्ट भी यहां के लिए सेंक्शन हैं, लेकिन महज 30 ही डॉक्टर यहां उपलब्ध हैं। इनमें भी ज्यादातर एमओ हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स काफी कम हैं।हर माह भेज रहे डिमांड अधिकारी ने बताया कि चिकित्सकों की कमी को लेकर कई बार महानिदेशक को अवगत करा चुके हैं। अब फिर से डिमांड भेजेंगे।कई विशेषज्ञ छोड़ चुके नौकरी जिला अस्पताल से डॉ. अनुराग कौशल ने 2011, गायनी सर्जन डॉ. नेहा 2015, डॉ. विवेक ने 2016 में, मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र परूथी, दंत राेग विशेषज्ञ डॉ. पूजा ललित भी नौकरी छोड़ चुकी हैं।औसतन 200 की ओपीडी, मरीजों को होगी दिक्कत अब मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा दुअा साेबती ने भी इस्तीफा दे दिया है। मनोरोग विभाग में औसतन 200 मरीज पहुंचते हैं। मनाेराेग अाेपीडी में दाे चिकित्सक थे अब डाॅ. सुरेंद्र मढान ही मरीजाें का इलाज करेंगे। अब मरीजों को इलाज लेने में ज्यादा समय लगेगा जिससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। बता दें कि मनोरोग में अधिकांश का लंबे समय तक इलाज चलता है। ऐसे में जिनका पहले से इलाज यहां चल रहा है, उन्हें भी दिक्कत होगी।अधिकांश ने खोले क्लीनिकहालांकि जिन चिकित्सकों ने पिछले पांच साल के दौरान नौकरी छोड़ी है, उनमें से अधिकांश अब अपना ही क्लीनिक खोल चुके हैं। बताया जाता है कि डॉ. नेेहा की रिटायरमेंट में अभी दस साल बाकी हैं, लेकिन वे भी अपना ही क्लीनिक खोलेंगी इसीलिए उन्होंने भी सरकारी नौकरी को अलविदा कहा है। सिविल सर्जन डाॅ. सुखबीर सिंह ने कहा किहाल ही में मनाेराेग विशेषज्ञ डाॅ. नेहा दुआ साेबती ने इस्तीफा दिया है। अब मनाेराेग की ओपीडी में एक ही चिकित्सक से व्यवस्था बनाई जाएगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Full Article
विशेष विशेष ट्रेन से रतलाम पहुंचे 900 से ज्यादा मजदूर, 40 बसों से शहर लेकर आए, जांच के बाद घर भेजा By Published On :: Fri, 08 May 2020 23:30:00 GMT राजकोट से विशेष ट्रेन के जरिए गुजरात में फंसे जिले के 900 से ज्यादा मजदूर मजदूर शुक्रवार को रतलाम पहुंचे। इन सभी को वहां से बस के द्वारा जिले में लाया गया। जलसा गार्डन में स्वास्थ्य परीक्षण किया। भोजन के पैकेट दिए। कलेक्टर अमित तोमर ने बताया प्रत्येक मजदूर की व्यक्तिगत जानकारी नोट कर उन्हें उनके घरों तक बस से पहुंचाया गया। मजदूरों की जानकारी गांव के सरपंच व सचिव से सांझा की जाएगी, ताकि वे 14 दिन तक होम क्वारंटाइन में रहना सुनिश्चित करवा सके।6 माह पहले रोजगार के लिए गए थे गुजरातपांचपुला दक्षिण निवासी इकराम सरदार 6 माह पहले मजदूरी करने गुजरात के चरखड़ी गए थे। उनके साथ पत्नी कोमाबाई भी थी। इकराम ने बताया वह अपने 6 बच्चों को गांव में ही रिश्तेदारों के यहां छोड़ गया था। गांव के ही गुलसिंह, पत्नी फरकीबाई व दो बच्चों के साथ लौटा। गुलसिंह ने बताया डेढ़ माह से वह गोहद में फंसा हुआ था। इसी तरह सुस्तीखेड़ा निवासी दिलीप बरडे, पत्नी रमबाई व मां चेतरीबाई के साथ मजदूरी करने गुजरात के नेताखंबा गए थे। साथ में उनका छोटा बेटा भी था।निजी वाहन से पहुंचे कई मजदूर, घर जाने की खुशी में भूले सोशल डिस्टेंसिंग का पालनघर लौटने की खुशी में मजदूर सोशल डिस्टेंस का पालन करना भूल गए। वहीं कर्मचारी भी इसका पालन सख्ती से नहीं करा सके। हालांकि वे बार-बार मजदूरों को दूरी बनाने के निर्देश दे रहे थे। शुक्रवार को गुजरात से सैकड़ों मजदूर जीप, लोडिंग वाहन व बसों से पैरामाउंट स्कूल पहुंचे। इन सभी के चेहरे पर बेबसी दिख रही थी। लोडिंग वाहनों में सामान के साथ मजदूर घिरे नजर आए। वहीं जीप में क्षमता से अधिक लोग बैठे थे। इसके चलते वाहनों में भी सोशल डिस्टेंसिंग गायब हो गई।मजदूरों को अब घर लौटने की खुशी के साथ गांव में रोजगार मिलने की चिंता सता रही है। लॉकडाउन के कारण ये सभी डेढ़ माह से गुजरात में फंसे हुए थे। काम बंद होने के बाद से आर्थिक संकट से जूझ रहे मजदूर वाहनों से घर लौटे है, ताकि गांव में खेती व रोजगार हासिल कर आजीविका चला सके। स्कूल में हाथ धुलवाने के साथ सभी की जानकारी दर्ज कर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस दौरान भीड़ लगी रही। इस कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हुआ। हालांकि यहां मौजूद कर्मचारी व स्वास्थ्य विभाग की टीम बार-बार उन्हें दूरी बनाने के निर्देश दे रही थी, जो घर लौटने की खुशी पर भारी पड़ा।मोरबी, केसूद से लौटे 5 सौ से अधिक मजदूरजानकारी अनुसार सुबह से मजदूरों का आना शुरू हो गया था। गुजरात के मोरबी, केसूद, अमराली सहित अन्य जिलों से दोपहर तक 500 से ज्यादा मजदूर लौटे। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सर्दी-जुकाम व बुखार की जानकारी लेने के साथ इनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसके बाद उन्हें भोजन व नाश्ता देकर बसों से घर भेजा गया। लेकिन अधिक संख्या में आने के कारण सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं हुआ।मेघनगर से आज आएंगे 987 मजदूर, 32 बस भेजीशनिवार 987 मजदूर ट्रेन से मेघनगर पहुंचेंगे। इन्हें लाने के लिए 32 बस मेघनगर भेजी हैं। शनिवार सुबह 6 बजे ट्रेन मेघनगर आएगी। जिले से 32 बसों को उनके प्रभारी अधिकारियों व नोडल अधिकारियो के साथ सूखा नाश्ता देकर रवाना किया गया। नोडल अधिकारी मजदूरों का ट्रेन से उतरने के साथ स्वास्थ्य परीक्षण करवाएंगे। जिला मुख्यालय आने पर फिर से उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर भोजन करवाकर बस से घर भेजा जाएगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today More than 900 laborers reached Ratlam by special train, brought to the city in 40 buses, sent home after investigation Full Article
विशेष लॉकडाउन थ्री में नहीं है कोई विशेष छूटसभी व्यवस्थाएं पहले की तरह ही होंगी By Published On :: Tue, 05 May 2020 23:30:00 GMT लॉकडाउन थ्री को लेकर लोग ज्यादा उत्साहित नहीं हो। लॉकडाउन थ्री में कोई विशेष छूट नहीं है। शराब दुकान व निजी कार्यालयों को कुछ शर्तों पर खोलने की छूट दी गई है। इसके अलावा पूर्व से संचालित व्यवस्थाएं ही सुचारू रहेंगी। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई जाएगी तथा मुकदमा दर्ज किया जाएगा। ऐसे में लोग अधिक जागरूकता के साथ लॉकडाउन थ्री की पालना करें। यह बात मंगलवार को कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव को लेकर जिले में किए जा रहे कार्यों की कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान जिलाधिकारियों ने कही। इस मौके पर कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया, पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी, सीएमएचओ डॉ. तेजराम मीणा उपस्थित रहे। जिले में 304 मजदूर आए तो 1010 गए: कलेक्टर ने बताया कि राज्य सरकार के आदेशानुसार दूसरे जिलों के लोगों को उनके क्षेत्र में पहुंचाया गया तथा अन्य जिलों व प्रदेशों से जिले के लोगों को बुलाया गया है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान जिले में मध्यप्रदेश से 75 व अन्य जिलों व प्रदेशों से 229 कुल 304 मजदूर आए हैं। इसी तरह जिले से उत्तरप्रदेश में 312, एमपी में 667, तमिलनाडु में 171 कुल 1 हजार 10 लोगों को भेजा गया है। बाहर से जिले में आने वाले लोगों की चिकित्सा विभाग द्वारा सैंपलिंग कर होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है। ऐसे लोगों से एक फार्म भी भरवाया जा रहा है, जिसमें उनकी पूरी डिटेल तथा होम क्वारेंटाइन का उल्लंघन नहीं करने व होम क्वारेंटाइन का उल्लंघन करने पर आपराधिक कृत्य के लिए स्वयं दोषी होने का शपथ पत्र लिया जा रहा है। ऐसे लोगों को राज कोविड एप से जोड़कर प्रदेश स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है। हॉट स्पॉट एरिया से जिले में आने वाले लोगों की जांच कर होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है। टीकाकरण तथा नॉन कोविड बीमारियों के उपचार के लिए ओपीडी की समुचित व्यवस्था करवाने, मोबाइल ओपीडी वेन के माध्यम से लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए है। एक कार्मिक व दो पड़ोसी को दी जाएगी जिम्मेदारी कलेक्टर ने बताया कि होम क्वारेंटाइन वाले लोग मेडिकल प्रोटोकॉल की पालना करें, इसके लिए एक कार्मिक तथा दो पड़ोसियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। होम क्वारेंटाइन का उल्लंघन करने पर इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकेगी। बाइक पर एक ही व्यक्ति हो। प्रात: 7.30 बजे से शाम 6 बजे तक ही दुकानें खुलेंगी। इसके बाद दुकानें खुली पाई जाने पर नियमानुसार दुकानदार पर कार्रवाई की जाएगी। जिले में बाहर से आने वाले 8211 प्रवासियों का ऑनलाइन पंजीयन हो चुका है। इनमें से 7222 को अनुमति पास जारी हो चुके हंै। इसी प्रकार जिले में 2830 लोगों ने अन्य प्रदेश/जिले में जाने के लिए पंजीयन करवाया है। जिनमें से 1762 के अनुमति पत्र जारी हो चुके हैं। हमारी सैंपलिंग दर स्टेट एवरेज से अधिक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने कहा कि हमारे जिले में सैंपलिंग दर स्टेट एवरेज से अधिक है। जिले में मिले आठ पॉजीटिव केस में से पांच ठीक हो चुके हैं। शेयर नहीं करें शराब, साफ करें हाथ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि लॉक डाउन थ्री में शराब की दुकानों को खोलने की छूट दी गई है। शराब एक दूसरे से शेयर नहीं करें। सेनिटाइजर से हाथ साफ करें। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। सार्वजनिक स्थानों पर शराब का सेवन निषेध है। ऐसा करते पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। अभी नहीं टला है कोरोना का खतरा पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है। ऐसे में बाहर से आने वाले सभी लोग होम क्वारेंटाइन हो। कर्फ्यू क्षेत्र में जीरो मोबिलिटी हो यही हमारी प्राथमिकता है। लॉकडाउन थ्री में राहत का दुरूपयोग नहीं करें। ऐसे में लोग विशेषकर बाहर से जिले में आने वाले लोग मेडिकल प्रोटोकाल का पालन कर पुलिस, प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग का सहयोग करें। जिले में 2324 लोगों की हुई सैंपलिंग सीएमएचओ डॉ. तेजराम मीणा ने बताया कि जिले में दो हजार 324 लोगों की सैंपलिंग हुई है। इसमें से 2270 की जांच प्राप्त हुई। 2262 की रिपोर्ट नेगेटिव, 8 की पॉजीटिव आई। 54 की जांच आनी शेष है। 8 पॉजीटिव केस में से 5 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अब जिले में मात्र 3 केस पॉजीटिव हैं। जिले में 123 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। नौ स्थानों पर 449 संस्थागत क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए है। अब तक 23 लाख 54 हजार 79 का सर्वे किया जा चुका है। जिले में 92 लोग आइसोलेशन वार्ड में है। 25 हजार 427 लोग होम क्वारेंटाइन है। इसमें से 5 हजार 271 लोगों को छोड़कर सभी को 28 दिन पूरे हो चुके हैं। जिले में सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंद है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Full Article
विशेष बाहर से आने वाले मजदूर व प्रवासियों की विशेष स्क्रीनिंग कर पूरा डाटा रखें By Published On :: Thu, 07 May 2020 23:30:00 GMT कलेक्टर डॉ.मोहन लाल यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह बाहर से आने वाले मजदूर व प्रवासियांें की विशेष स्क्रीनिंग करते हुए उनका पूरा डाटा रखें। उनमें जुकाम, खांसी, बुखार व अन्य लक्षण दिखने पर उन्हें संस्थागत क्वारंेटाइन करने व स्वस्थ होने पर 14 दिन के होम क्वारेंटाइन करने के निर्देश दिए।कलेक्टर यादव ने यह बात प्रमुख सचिव की वीसी के बाद अधिकारियों से कहीं। उन्होंने कहा कि होम क्वारेंटाइन के नियमों की सख्ती से पालना कराएं। पड़ौसी व ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कमेटियों द्वारा प्रतिदिन मॉनीटरिंग करने व सुबह 11 बजे बैठक आयोजित करें। उन्होंने बताया कि बैठक में अगले दिन की कार्ययोजना बनाई जाए एवं यह सुनिश्चित किया जाए की उक्त बैठक में सभी सदस्य अनिवार्य रूप से उपस्थित हों।बिना मास्क वालों के खिलाफ पेनल्टी की कार्यवाही करें उन्होंने समस्त एसडीएम को ब्लॉक में क्वारंेटाइन किए गए व्यक्तियों की समय-समय पर सीडीआर चेक करने, मांग के अनुसार टैंकरों से पेयजल व्यवस्था कराते हुए पूरा रिकॉर्ड संधारण करने, समर्थन मूल्य पर खरीद की व्यवस्था करने, मास्क नहीं लगाने वालों के खिलाफ पेनल्टी की कार्यवाही करने, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नरेगा के तहत कार्य स्वीकृत कर अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए पुलिस व प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी समन्वय स्थापित कर कार्य करें। इस मौके पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर सुदर्शन सिंह तौमर, सीएमएचओ डॉ.दिनेश मीना, पीएमओ डॉ.दिनेश गुप्ता, एसडीएम करौली देवेन्द्र सिंह परमार, टोडाभीम दुर्गाप्रसाद मीना, हिंडौन सुरेश कुमार यादव, नादौती रामनिवास मीना, सहायक कलेक्टर ओमप्रकश मीना, अंशुल सिंह सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थ्ति थे। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Keep complete data by conducting special screening of workers and migrants coming from outside Full Article
विशेष मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त आतंकी हरनेक सिंह को हाईकोर्ट से मिली 28 दिन की विशेष पैरोल, 2007 से जयपुर जेल में बंद है By Published On :: Fri, 08 May 2020 13:36:00 GMT (संजीव शर्मा)। कोर्ट ने राजेन्द्र मिर्धा अपहरण केस में जयपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आतंकी अभियुक्त हरनेक सिंह को सशर्त 28 दिन की विशेष पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया है। वहीं राज्य सरकार के 17 अप्रैल 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिमें अभियुक्त को 13 अप्रैल को दी गई विशेष पैरोल पर रिहा करने का आदेश निरस्त कर दिया था।सीजे इन्द्रजीत महान्ति व जस्टिस एसके शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश शुक्रवार को हरनेक सिंह की आपराधिक याचिका पर दिया। अदालत ने कहा कि अभियुक्त 13 साल से ज्यादा की सजा काट चुका है और पूर्व में मिली पैरोल के तय समय में वापस आ गया था। उसे भी 13 अप्रैल के आदेश से 147 अन्य कैदियों के साथ राज्य स्तरीय पैरोल कमेटी की सिफारिश पर विशेष पैरोल मिली थी, लेकिन उसे पैरोल पर नहीं छोड़ा और बाद में 17 अप्रैल को पैरोल आदेश रद्द कर दिया। इस दौरान न तो परिस्थतियों में कोई बदलाव हुआ और न ही पैरोल रद्द करने का कोई उचित कारण दिया है। ऐसी स्थिति में प्रार्थी अभियुक्त को पैरोल मंजूर करने व राज्य सरकार का 17 अप्रैल का आदेश रद्द किया जाता है।प्रार्थी के अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने केवल इस आधार पर हरनेक की मंजूर की गई विशेष पैरोल को रद्द कर दिया था कि वह बाहरी राज्य का है और राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड का अभियुक्त है। कानूनी रूप से दी गई पैरोल रद्द करने के लिए यह कोई आधार नहीं है। इसलिए प्रार्थी अभियुक्त को विशेष पैरोल पर रिहा किया जाए। हरनेक सिंह फरवरी 2007 से ही जयपुर जेल में बंद है।यह है मामलाप्रदेश में चर्चित रहे इस मामले में कांग्रेस के तत्कालीन वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी, 1995 को सी-स्कीम स्थित घर से अपहरण हुआ था। आतंकियों ने मिर्धा का अपहरण खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को रिहा करने के लिए किया था। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए जयपुर के मॉडल टाउन कॉलोनी में मकान नंबर बी-117 पर छापा मारा और गोलीबारी की।पुलिस कार्रवाई में आतंकी नवनीत सिंह कांदिया मारा गया जबकि दयासिंह लाहौरिया व उसकी पत्नी सुमन सूद और हरनेक सिंह फरार हो गए थे। बाद में लाहौरिया व सुमन सूद अमेरिका भाग गए थे। इन दोनों को तीन फरवरी, 1997 को प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया।कोर्ट ने लाहौरिया को उम्रकैद व सुमन को पांच साल कैद की सजा दी। इस दौरान पंजाब पुलिस ने हरनेक सिंह को 2004 में गिरफ्तार किया और 26 फरवरी 2007 को राजस्थान पुलिस के सुपुर्द किया। मिर्धा अपहरण कांड में महानगर की एडीजे कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को उम्रकैद की सजा दी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Rajendra Mirdha kidnapping case accused harnek singh gets 8 days parole Full Article
विशेष मिर्धा अपहरण कांड में आतंकी हरनेक सिंह को विशेष पैरोल By Published On :: Sat, 09 May 2020 01:53:00 GMT हाईकोर्ट ने राजेन्द्र मिर्धा अपहरण केस में जयपुर जेल में उम्रकैद काट रहे आतंकी हरनेक सिंह को सशर्त 28 दिन की विशेष पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया है। वहीं राज्य सरकार के 17 अप्रैल 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमेंं अभियुक्त को 13 अप्रैल को दी गई विशेष पैरोल पर रिहा करने का आदेश निरस्त कर दिया था। सीजे इन्द्रजीत महान्ति व जस्टिस एसके शर्मा ने यह आदेश हरनेक सिंह की याचिका पर दिया। अदालत ने कहा अभियुक्त 13 साल से ज्यादा की सजा काट चुका है और पूर्व में मिली पैरोल के तय समय में वापस आ गया था।उसे भी 13 अप्रैल के आदेश से 147 अन्य कैदियों के साथ पैरोल कमेटी की सिफारिश पर विशेष पैरोल मिली थी। 17 अप्रैल को पैराेल आदेश रद्द कर दिया और न ही पैरोल रद्द करने का कारण दिया है। प्रार्थी अभियुक्त को पैरोल मंजूर करने व सरकार का 17 अप्रैल का आदेश रद्द किया जाता है। प्रार्थी के अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने कोर्ट को बताया सरकार ने इस आधार पर हरनेक की मंजूर की गई विशेष पैरोल को रद्द कर दिया था कि वह बाहरी राज्य का है और राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड का अभियुक्त है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Full Article
विशेष कृषि विशेषज्ञ वाट्सएप ग्रुप बना किसानों को दे रहे हैं खेती-किसानी की जानकारी By Published On :: Wed, 06 May 2020 23:30:00 GMT चंबल फर्टिलाइजर्स की कृषि विकास प्रयोगशाला की ओर से क्षेत्र के कई गांवों के किसानों को महामारी व लॉकडाउन के चलते सैकड़ों किसानों को कृषि विकास प्रयोगशाला के कृषि विशेषज्ञ वाट्सएप ग्रुप बनाकर घर बैठे खेती की जानकारी दे रहे हैं।कृषि विकास प्रयोगशाला के डॉ. जगमोहन सैनी ने किसानों को लहसुन भंडारण करने की जानकारी दी। क्योंकि महामारी के कारण जारी लॉकडाउन में अभी मंडियों में किसान लहसुन ले कर नहीं आ रहे हैं। जिससे लहसुन के उचित भंडारण के अभाव में नुकसान होने की संभावना अधिक है। डॉ. सैनी ने बताया कि प्रदेश का 90 प्रतिशत लहसुन उत्पादन हाड़ौती क्षेत्र में होता है। इस फसल का कटाई के समय बाजार मूल्य कम और कमरे के तापमान पर लहसुन के भंडारण से 40-50 फीसदी तक नुकसान होता है। जिले में भंडारण के दौरान लहसुन का नुकसान 35 फीसदी पाया जाता है। इसलिए इस फसल का उचित तरीके से भंडारण करना जरूरी है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना ‘लहसुन उत्कृष्टता केंद्र’ परियोजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में केवल एक लाख रुपए की लागत वाली एक छप्पर वाली बांस की लहसुन भंडारण संरचना विकसित की गई है। जिसमें 10 टन लहसुन आसानी से रखा जा सकता है। जिससे लहसुन में सड़ांध कम होती है और लहसुन का वजन भी उपयुक्त बना रहता है। कम लागत की भंडारण संरचना की सुविधा किसानों को लंबे समय तक लहसुन भंडारित करने में मदद करेगी। डॉ. सैनी ने किसानों को बताया कि लहसुन भंडारण के समय लगने वाले फफूंदी रोगों की रोकथाम के लिए भंडारण से पहले लहसुन को अच्छी तरह सुखाकर साफ करें। भंडारण की जगह नमी रहित और हवादार होनी चाहिए। लहसुन को पत्तियों से गुच्छों में बांध कर रस्सियों पर लटका दें। समय-समय पर सड़ी-गली गांठों को निकालते रहें। लहसुन की फसल की खुदाई के 3 हफ्ते पहले करीब तीन हजार पीपीएम मैलिक हाइड्रोजाइड का छिड़काव कर दें। इससे लहसुन के सुरक्षित भंडारण की अवधि बढ़ जाती है। भंडारित लहसुन में मकड़ी को नियंत्रित करने के लिए मिथाइल ब्रोमाइड की धूनी 32 ग्राम/मीटर के अनुसार 2 घंटों के लिए 21 सेल्सियस तापमान पर करनी चाहिए। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Full Article
विशेष मास्क, गॉगल्स और विशेष सूट के बावजूद डॉक्टर्स वायरस से बच नहीं पाए, यहां युवाओं को भी वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ रही By Published On :: Sat, 04 Apr 2020 10:15:03 GMT मिसेज एममिलान में रहती हैं। उम्र 70 साल है और वे कोरोना पॉजिटिव हैं। इलाज के बावजूद जब उनकी हालत में सुधार नहीं आया तो डॉक्टर ने उनकी बेटी को कॉल कर उनकी खराब तबीयतकी जानकारी दी। बेटी ने दूसरी तरफ से जवाब दिया- पापा भी कोरोना पॉजिटिव हैं और उनका इलाज शहर के दूसरे हॉस्पिटल में चल रहा है। पति-पत्नी एक-दूसरे से बहुत दूर एक महामारी से लड़ रहे हैं और बेटी भी उन्हें देखनहीं पा रही है। यह महज एक घर की कहानी है, लेकिन ऐसी कहानी इन दिनों इटली के कई घरों में देखी जा रही है। मिलान में इमरजेंसी मेडिसिन स्पेशलिस्ट फेडरिका (34) ऐसे कई किस्सों की गवाह हैं।इटली में जब यह महामारी अपने शुरुआती दौर में थी, तभी से फेडरिका अपने हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम में कोरोना पॉजिटिव लोगों का इलाज कर रही हैं। फिलहाल घर पर क्वारैंटाइन पीरियड बीता रही हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमितों के बीच रहते-रहते सभी सावधानियां बरतने के बावजूद वे भी संक्रमित हो गईं। वे बीते कुछ दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि, “शुरुआत में इटली के लोडी और कोडोग्नो शहर इस महामारी की चपेट में आए थे। इन शहरों के हालात से हम बहुत कुछ सीख चुके थे। हमें यह पता था कि यह जल्द ही हमारी ओर भी रूख करेगाऔर फिर ठीक एक सुनामी की तरह इसकी पहली लहर हम तक पहुंच गई।”हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम को दो हिस्सो में बांट दिया गया- एक बड़ा हिस्सा कोरोना के मरीजों का, दूसरा हिस्सा अन्य मरीजों के लिए थाफेडरिका कहती हैं, “कोरोना के फैलाव को देखते हुए हमारे हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम को दो हिस्सों में बांट दिया गया था- एक बड़े हिस्से में वे लोग होते थे, जिनमें कोरोनोवायरस के लक्षण मिल रहे थे और दूसरी तरफ एक छोटा हिस्सा, जहां अन्य मरीजों को रखा जाने लगा। धीरे-धीरे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। कारण एक जैसे थे- खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ। हमारी तैयारी बहुत अच्छी थी, लेकिन इसके बावजूद हर दिन हॉस्पिटल में भीड़ बढ़ती जा रही थी। हमारे पास जगह कम पड़ने लगी। हॉस्पिटल के अन्य डिपार्टमेंट्स में हर दिन थोड़ी-थोड़ी जगह बनाई जाने लगी।”इटली के ब्रेसिया शहर के स्पेडाली सिविल हॉस्पिटल में मरीज की मदद करते एक डॉक्टर।फेडरिका बताती हैं, “मामले बढ़ते गए और इमरजेंसी रूम में शिफ्ट में वर्किंग शुरू हो गई। एक-एक शख्स 12 से 13 घंटे काम कर रहा था। इमरजेंसी रूम में घुसने से पहले उन्हें मास्क और विशेष तरह के गॉगल्स दिए जाते। मास्क तो इमरजेंसी रूम से बाहर आते ही डिस्पोज कर दिए जाते, लेकिन गॉगल्स को हमेशा साथ ही रखना होता था।”कुछ मरीज गुस्सा करते, कुछ रोते रहतेऔर हम उन्हें थोड़ी राहत देने की कोशिश करते रहतेफेडरिका बताती हैं कि, “बूढ़े, वयस्क, युवा और बच्चे सभी इसकी जद में हैं। सभी के लक्षण एक जैसे होतेहैं। कई मरीज गंभीर होते हैं, इनमें से कुछ को यह भी पता नहीं होता है कि वे कम ऑक्सीजन ले पा रहे हैं। सभी बहुत डरे हुए होते हैं।वे जानते हैं कि इस वक्त बीमार होना बहुत बड़ा जोखिम है, खासकर अगर वे बूढे हैं तो डर और बढ़ जाता है। जब आप उनसे बात करते हैं, तो कुछ रोने लगते हैं, कुछ बहुत गुस्सा भी करते हैं। मेरी एक ही कोशिश रही कि मैं उन लोगों को कुछ राहत दे सकूं। मैं उन्हें बताती थी कि सबसे अच्छी बात यह है कि आप इस समय हॉस्पिटल में हैं और आपके पास सांस लेने के लिए ऑक्सीजन सपोर्टर है।”जो कोरोना पॉजिटिव युवा मजबूत और स्वस्थ थे, कुछ दिनों बाद उन्हें भी वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ने लगीमार्च के पहले हफ्ते में ही फेडरिका ने 34 साल के एक भारतीय मरीज को हॉस्पिटल में देखा था। वे बताती हैं कि, "वह कोरोना पॉजिटिव था, बुखार भी तेज था। उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, लेकिन उसकी हालत ज्यादा खराब नहीं थी। उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। 3 दिन बाद मैंने उसे फिर से इमरजेंसी रूम में ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ देखा। मैं यही सोच रही थी कि वह मेरी उम्र का ही है, लगभग ठीक हो चुका था, फिर वह इतनी बुरी हालत में कैसे पहुंच गया?”इटली में मार्च के तीसरे हफ्ते में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोनावायरस से हुई 3200 मौतों में से महज 36 ऐसे थे जो 50 से कम उम्र के थे। हालांकि यहां बड़ी संख्या में युवा और बच्चे कोरोना संक्रमित हैं।हालत यह थी कि युवाओं में भी यह वायरस तेजी से फैल रहा था। एक और उदाहरण देते हुए फेडरिका कहती हैं, “एक 18 साल का लड़का था। वह बहुत मजबूत और स्वस्थ था। उसे कई दिनों से बुखार था और फिर उसे अचानक इमरजेंसी रूम में भर्ती किया गया। इलाज के बावजूद वह ठीक नहीं हो रहा था। वह कहता था कि वह डर नहीं रहा, वह ठीक-ठाक महसूस कर रहा है, लेकिन यह कहते-कहते भी वह तेजी से सांस लेने लगता था। आखिर में उसे भी इंट्यूबेटेड कर ऑक्सीजन पहुंचाना पड़ा।19 मार्च को डॉ. फेडरिका कोरोना पॉजिटिव पाईं गईं, पति भी संक्रमित हो गएफेडरिका के पति मार्को एक फोटोग्राफर हैं। 19 मार्च को इनकी जिंदगी में भी कोरोनावायरस की एंट्री हो गई। पहला लक्षण मिलते ही जब फेडरिका का टेस्ट हुआ तो नतीजा खून जमा देने वाला था। वे कोरोना पॉजिटिव पाईं गईं। उसी दिन उनके पति में भी इस बीमारी के कुछ लक्षण दिखे। वे कहती हैं, "मैंने उन्हें संक्रमित किया। मैं बहुत डरी हुई थी। उन दिनों का तनाव में बयां नहीं कर सकती। अभी हम क्वारैंटाइन में हैं। चीजें अब ठीक होने लगी हैं। जैसे ही क्वारेंटाइन पीरियड खत्म होगा, वैसे ही मैं फिर से काम पर लौट जाऊंगी।”पाउला, 32 साल से मेडिकल प्रोफेशन में हैं, सतर्कता बरतने के बावजूद कोरोना से संक्रमित हो गईंफेडिरका की तरह ही पाउला (50) भी जल्द ही काम पर लौटेंगी। पाउला की शादी को 25 साल हो चुके हैं। उनके 2 बच्चे हैं और 32 साल से वे मिलान शहर के नजदीक सरनुस्को सुल नेवीग्लियो हॉस्पिटल में हेल्थकेयर प्रोफेशनल हैं। जब उनके हॉस्पिटल में पहले कोरोना संदिग्ध की बात सामने आई तो उनका भी टेस्ट किया गया। 2 दिनों बाद उन्हें कॉल पर बताया गया कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं। पाउला कहती हैं, "मैं खुद के लिए और अपने परिवार के लिए बहुत डरी हुईथीं। हर पल खुद को शांत करने की कोशिश करती रहती।”पिछले चार हफ्तों से इटली पूरी तरह लॉकडाउन है।पाउला के संक्रमित होते ही उन्हें फौरन उनके परिवार से अलग किया गया। बहुत जरूरी होने पर ही वे कमरे से बाहर निकलती हैं और इसके बाद वे जिस भी चीज को हाथ लगाती उसे तुरंत डिसइन्फेक्टेड किया जाता है। पाउला कहती हैं, "मैं कुछ ही बार अपने कमरे से बाहर निकली हूं और जब भी निकली हूं तो मास्क लगाकर। जब भी मेरी बेटियां मेरे लिए खाना लाती हैं, तब भी मैं मास्क लगाकर ही दरवाजे खोलती हूं।"क्वारैंटाइन पीरियड के बाद फिर से काम पर लौटने का एक डर अभी से सता रहा हैपाउला की बेटी कियारा (23) लॉ स्टूडेंट हैं। वे बताती हैं कि,"जब हमें पता चला कि ममी कोरोना पॉजिटिव हैं तो सभी डरे हुए थे। पर क्योंकि वे लम्बे समय से हॉस्पिटल में काम कर रही हैं तो अन्य के मुकाबले वे बेहतर तरीके से इसे मैनेज कर रही हैं।" पाउला कहती हैं, "मैं काम पर फिर से जाने को लेकर थोड़ी डर रही हूं। डर यहहै कि फिर से बीमार लोगों के संपर्क में आ गई तो क्या होगा। कहीं मैं कोरोनावायरस को अपने घर में न ले आऊं। लेकिन हां, जब भी जरूरत पड़ी,मैं काम के लिए जाने के लिए तैयार हूं।"33 साल के प्लास्टिक सर्जन एंड्रिया कोरोना के विशेषज्ञ नहीं, लेकिन लोगों की मदद के लिए खुद आगे आएइस महामारी से निपटने के लिए कई लोग खुद आगे आ रहे हैं। 33 साल के प्लास्टिक सर्जन एंड्रिया की कहानी इसका एक उदाहरण है। कोरोनावायरस का ग्राफ जब बढ़ने लगा तो उन्होंने अपने निजी स्टूडियो को बंद कर लोगों की मदद करने के तरीकेखोजने शुरू किए। वे कहते हैं, "मुझमें इस महामारी से निपटने के लिए विशेष योग्यता नहीं है। लेकिन क्योंकि मैं एक डॉक्टर हूं तो मैं चाहता हूं कि इस समय में लोगों की मदद कर सकूं।” उन्होंने बरगामो में अपने एक साथी डॉक्टर से इस पर बात की। इटली में बरगामो उन शहरों में से एक है जो इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है।डेटा से पता चलता है- पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस महामारी से कम प्रभावित रही हैंएंड्रिया बताते हैं, "मुझे मरीजों का डेटा इकट्ठा करने और स्टडी करने का काम मिला। और अब जब मैं यह कर रहा हूं तो कई सवाल सामने आए हैं। जैसे- यह पता नहीं चल पा रहा है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं और बच्चे इस महामारी से कम प्रभावित कैसेहैं?पुरुषों के मामले में यह वायरस इतना तेजी से प्रभावित करता है कि कुछ ही दिनों में शख्स की मौत हो जाती है।"एंड्रिया (33)प्लास्टिक सर्जन हैं। इन दिनोंवे कोरोना संक्रमित मरीजों के डेटा पर स्टडी कर रहे हैं।एंड्रिया अपना बहुत सारा समय फेसबुक पर भी बिताते हैं। उन्होंने एक पेज बनाया है, जहां पूरे इटली के डॉक्टर्स इस महामारी से जुड़े जरूरी फैक्ट्स और जानकारियां साझा करते हैं ताकि इससे निपटने में कुछ मदद मिल सके। एंड्रिया बताते हैं, "मैं रात के 4 बजे तक कोरोनावायरस को ठीक से समझ पाने के लिए डॉक्टरों की कमेंट पढ़ते रहताहूं। यहां कई साथी हैं, जो मदद के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। हॉस्पिटलों में बहुत ज्यादा डर है, लेकिन इन सब के बीच एक सकारात्मक वातावरण में काम करना बहुत जरूरी है।"हॉस्पिटलों में बाकी इलाज के लिए भी तरीके बदल गए हैंकोरोनावायरस के कारण बाकी इलाज में भी तरीके बदल गएहैं। जैसे- प्रसव के दौरान होने वाले ऑपरेशन। मिकोल (35) दो बच्चों की मां हैं और फिलहाल प्रेग्नेंट हैं। वे कहती हैं, "एक साथ लोग इकट्ठे नहीं हो सकते। ऐसे में महिलाएं गर्भ के दौरान सावधानियां और सतर्कता बरतने की क्लासेस अटेंड नहीं कर पा रही हैं। जो पहली बार प्रेग्नेंट हैं, उनके लिये यह थोड़ा परेशानीभरा है।"मिकोल (35) का रेग्युलर चेक-अप बंद है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हॉस्पिटल में एक खास प्रक्रिया से गुजरने के बाद उनका इलाज किया जाता है।वे बताती हैं कि"रेग्युलर चेक-अप बंद हैं। हॉस्पिटल में घुसने से पहले आपको एक डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करना होता है कि आप पिछले 15 दिनों से किसी कोरोनावायरस संक्रमित के संपर्क में नहीं आए हैं और आपमें कोरोना के कोई लक्षणनहीं हैं। जब आप बच्चे को जन्म देने वाली होती हैं तो सिर्फ पति ही आपके साथ हॉस्पिटल आ सकते हैं, वो भी तब जब वह पूरी तरह ठीक हों। अगर आपको थोड़ी भी सर्दी-खासी हो तो आपको प्रसव के दौरान ही हॉस्पिटल में एडमिट किया जाएगा। लेकिन अगर आपको सांस लेने में भी थोड़ी समस्या आ रही हैऔर कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो ऐसी महिलाओं को अलग वार्ड में भेजा जाता है। हाल ही के दिनों में कोरोना संक्रमित कई महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। किस्मत से वे सभी स्वस्थ हैं।" Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today इटली में 27 मार्च तक कोरोनावायरस से संक्रमित 45 डॉक्टरों की मौत हो चुकी थी। यहां 6 हजार से ज्यादा हेल्थ वर्कर कोरोना पॉजिटिव हैं। Full Article
विशेष इंदौर में अवैध शराब आने से रोकने के लिए आबकारी विभाग ने सीमा पर 13 टीमें तैनात कीं, बाहरी इलाकों में विशेष चेकिंग होगी By Published On :: Wed, 06 May 2020 07:28:47 GMT शहर में लॉकडाउन के चलते रेड जोन घोषित किए जाने के बाद से शराब दुकानें बंद हैं। 5 मई को ग्वालियर से आए आदेश के बाद धार, बड़वानी, देवास के मुख्य शहरी क्षेत्र को छोड़कर इन जिलों के आउटर में स्थित शराब दुकानों को खोलने केआदेश हो गए हैं। इस आदेश के बाद यहां से होने वाली शराब तस्करी को लेकर भी आबकारी विभाग ने अपनी तैयारी कर ली है। विभाग द्वारा शहर के 13 प्रमुख पॉइंटपर विशेष चेकिंग दल तैनात किए गए हैं। यह दल इंदौर में आने वाली अवैध शराब पर नजर रखेंगे और वाहनों की सख्ती से चेकिंग की जाएगी।असिस्टेंट आबकारी आयुक्त राजनारायण सोनी ने बताया कि 5 मई को धार, बड़वानी और देवास जिले की शराब दुकानें संचालित करने के आदेश ठेकेदारों को दिए गए हैं। आदेश के बाद इन जिलों से इंदौर शहर में शराब की तस्करी ना हो उसकी भी तैयारी की गई है। हमारे जिले की 13 आबकारी टीमें तैयार की हैं। येटीमें शहर के सीमावर्ती इलाकों पर तैनात रहकर वाहनों में अवैध रूप से लाई जा रही शराब की चेकिंग करेंगे। किसी भी अन्य जिले की खोली दुकान से यदि भारी मात्रा में कोई शराब लाता पाया गया तो दल उन पर सख्ती से कार्रवाई भी करेगा।यहां होगी विशेष चेकिंगआबकारी अधिकारियों के मुताबिक शहर के आउटर इलाके में अरविंदोके आगे टोलनाका, शिप्रा नाका, 9 मील नाका, मांगलिया नाका, गांधीनगर यशवंत सागर और बेटमा नाका।इसके अलावा राऊ टोल नाका आईआईएम, विशाल चौराहा, आईसर चौराहा, पीथमपुर, काली बिल्लौद घाटा, बिल्लौद आदि अन्य नाकों पर विशेष टीमें अवैध रूप से इंदौर में लाई जाने वाली शराब पर नजर रखेंगी। यह आदेश इंदौर जिले में 17 मई तक लागू रहेगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today धार, बड़वानी, देवास में आउटर की शराब दुकानें खुलीं हैं। शहर में शराब की अवैध तस्करी रोकने के लिए विभाग ने योजना तैयार की है। Full Article
विशेष विधायकों के सवालों पर जवाब नहीं देने पर मुख्य सचिव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव, डिप्टी सीएम ने मांगी माफी By Published On :: Tue, 03 Mar 2020 05:51:00 GMT मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायकों द्वारा उठाए गए प्रासंगिक मुद्दों पर कोई जवाब न देने पर विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने सोमवार को मुख्य सचिव अजॉय मेहता को विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी किया है। पटोले ने मुख्य सचिव को विधानसभा के गेट पर आकर माफी मांगने का फरमान सुनाया। इसपर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार फौरन में आये और सरकार की तरफ से खेद व्यक्त करते हुए उन्होंने अध्यक्ष से अपना आदेश वापस लेने की अपील की। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने अपना आदेश वापस ले लिया।पूर्व सीएम ने मामले को तूल नहीं देने को कहामुख्य सचिव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह विधायकों के अधिकारों को लेकर अध्यक्ष की भावना को समझते हैं। किन्तु जब उपमुख्यमंत्री ने माफी मांग ली है तो मामले को तूल नहीं देना चाहिए।84 में से सिर्फ चार मामलों का जवाब दियाविधानसभा में प्रश्नकाल के बाद औचित्य के मुद्दे के तहत विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र और राज्य से जुड़े तात्कालिक महत्व के मुद्दों को उठाते हैं और प्रशासन को एक महीने के भीतर इसका जवाब देना होता है। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को बताया कि शीतकालीन सत्र के दौरान विधायकों द्वारा उठाए गए औचित्य के 83 मुद्दों में से सिर्फ चार पर ही सचिवालय के संबंधित विभागों ने जवाब दिए हैं।विधायकों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी ताकत लगा दूंगा: विधानसभा स्पीकरनाना पटोले ने कहा कि शीतकालीन सत्र बीते दिसंबर में हुआ था। इस सत्र में 83 मामले उठाए गए थे, लेकिन प्रशासन ने केवल चार पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मैं विधायकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करूंगा। पटोले ने कहा कि तहसीलदार और कनिष्ठ पुलिस अधिकारी विधायकों का सम्मान नहीं करते। उनके पत्रों को कूड़ेदान में फेंक देते हैं। प्रश्नकाल के बाद प्रासंगिकता के बिंदु के तहत विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाते हैं। इस प्रशासन को एक महीने के भीतर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today मुख्य सचिव अजॉय मेहता-फाइल फोटो Full Article
विशेष महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए 'दिशा एक्ट' लागू करने की तैयारी, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया By Published On :: Sat, 14 Mar 2020 11:23:34 GMT मुंबई. महिलाओं के खिलाफहोने वाले अपराध को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसमें आंध्रप्रदेशमें लागू हुए 'दिशा एक्ट' जैसे कानून को पास किया जाएगा। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शनिवार को यह जानकारी दी। दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलतेइस बार तय समय से पहले शनिवार कोविधानसभा का बजट सत्र खत्म कर दिया जा रहा है। पहले यह 20 मार्च तक चलने वाला था। गृह मंत्री अनिल देशमुखने कहा, 'कोरोना वायरस संकट के कारण, हमें विधानसभा के बजट सत्र में कटौती करनी होगी। विधेयक को मंजूरी देने के लिए हम कोरोना वायरस का संकट समाप्त होने के बाद दो दिन का सत्र बुलाने पर विचार कर रहे हैं।'देशमुख ने कहा, 'हम अधिनियम का अध्ययन करने के लिए आंध्र प्रदेश गए थे और इस पर गौर करने के लिए एक टीम बनाई गई है। हम जल्द ही विशेष सत्र के बारे में कार्यक्रम की घोषणा करेंगे।'उद्धव ने वर्धा की घटना के बाद कड़े कानून लागू करने की बात कही थीफरवरी में महाराष्ट्र के वर्धा में एकतरफा प्यार में जिंदा जलाई गई महिला लेक्चरर की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जल्द ही एक ऐसे कानून बनेगा, जिसमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सजा के कड़े प्रावधान होंगे। माना जा रहा है कि 'दिशा कानून' उसी ओर सरकार का बढ़ाया एक कदम है।क्या है दिशा एक्ट?साल 2019 में आंध्रप्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश क्रिमिनल लॉ संशोधन बिल (आन्ध्र प्रदेश दिशा बिल, 2019 अथवा दिशा बिल) को पारित किया था। इस बिल के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस बिल के मुताबिक मामला दर्ज होने के21 दिन के भीतर ही सजा दी जाएगी।इसमेंदुष्कर्मऔरतेजाब हमलों जैसे अपराधों मेंमृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।दिशा के तहतबच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के अपराधों के लिए दोषियों को 10 से 14 वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों के विरुद्ध भी कड़ी कारवाई की जायेगी जो सोशल मीडिया पर महिलाओं के विरुद्ध अभद्र पोस्ट अपलोड करते हैं, इस मामले में पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की जेल की सज़ा तथा दूसरीबार अपराध करने वाले व्यक्ति को चार वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Uddhav Thackeray Minister Anil Deshmukh On Vidhan Sabha Special Session Over Crimes Against Women In Mumbai Maharashtra Full Article
विशेष महाराष्ट्र में 15 दिन में बना विशेष अस्पताल, नगालैंड में पीएमओ के दखल के 5 घंटे बाद टेस्टिंग सेंटर का काम शुरू By Published On :: Wed, 15 Apr 2020 00:31:26 GMT (मंगेश फल्ले) महाराष्ट्र का पहला कोरोना स्पेशल अस्पताल पुणे में तैयार हो गया है। ससून हॉस्पिटल परिसरमें मौजूद इस 11 मंजिला इस इमारत का निर्माण कार्य2008 से काम चल रहा था। इस साल मार्च तक 75 प्रतिशत काम पूरा हो गया था। बाकी बचा काम एक साल में होना था। लेकिन कोरोना के तहत इमरजेंसी को देखते हुएमहज 15 दिन में ही बाकी काम पूरा कर लिया गया।अस्पताल में 700 बिस्तरों की व्यवस्था है। सोमवार को इसमें 70 से ज्यादा कोरोना मरीजों को शिफ्ट भी कर दिया गया।पीडब्ल्यूडी के अधीक्षक राजेंद्र रहाणे ने बताया कि मार्च में जब हमने इस इमारत के निर्माण कार्य को तेज करने का फैसला किया,तब प्लास्टर, पेंटिंग, प्लम्बर, लिफ्ट का काम बचा था। साफ-सफाई, अग्निशामक व्यवस्थाएं, अंडरग्राउंड पाइपलाइन, पानी की पाइपलाइन, मेडिकल गैस की पाइपलाइनऔर इसी तरह कीअन्य व्यवस्थाओं को युद्ध स्तर पर जुटाया गया। लॉकडाउन की वजह से काम में अड़चन आ रही थी तो घर-घर जाकर लोगों को लाए और15 दिन के भीतर पेंटिंग के साथ ही लिफ्ट लगाने का काम पूरा किया।15 दिन में कैसे पूरा किया काम 9 दिन में ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम सेट किया। पूरी इमारत को एयरकंडीशन करने के लिए नया ट्रांसफार्मर लगाया गया। 11 मंजिला इमारत के लिए 36 घंटों में हाई-टेंशन बिजली कनेक्शन दिया गया। यह भी एक रिकॉर्ड है।अस्पताल में 40 वेंटिलेटर लगाए गएकोरोना के गंभीर मरीजों को सांस लेने के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ता है। देश के सामान्य से लेकर बड़े अस्पतालों तक में वेंटिलेटर की कमी है। लेकिनससून अस्पताल में कोरोना को देखते हुएइनकी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। अस्पताल केडीन डॉ. अजय चंदनवाले ने बताया कि यहां 40 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए हैं।पीएमओ से फोन आया, 5 घंटे में टेस्टिंग सेंटर का काम शुरूनागालैंड में दो दिन पहले ही कोरोना का पहला केस आया है। इसके बादवहां के डॉक्टर पंकज गुप्ता ने मरीज की कहानी का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया। उन्होंने पीएमओ को भी टैग किया। दो घंटे में ही उनके पास फोन आया। पांच घंटे बाद ही दीमापुर और कोहिमा में सेंटर बनाने की कवायद शुरू हो गई। नागालैंड के स्वास्थ्य मंत्री एसपी फाेम ने बताया कि दो सेंटर बनाए जा रहे हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today पुणे के इस 11 मंजिला अस्पताल को महज 15 दिन में तैयार किया गया। यहां 700 मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है। Full Article
विशेष भगवान शिव को विशेष शृंगार कर कोरोना महामारी से बचने की मन्नत मांगी By Published On :: Mon, 20 Apr 2020 21:15:31 GMT पलाना कला में सोमवार को शिव नगरी में स्थित शिव मंदिर पर भगवान शिव को पंडित हितेश शर्मा ने विशेष शृंगार धराया। साथ ही पूजा-अर्चना कर पूरे में फैली कोरोना महामारी से बचाने की मन्नत मांगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Lord Shiva was vowed to make a special appearance to avoid the Corona epidemic. Full Article
विशेष ओड़िशा को छोड़ अन्य राज्यों के लिए 30 से अधिक विशेष रेलगाड़ियों का संचालन By Published On :: Sat, 09 May 2020 02:29:00 GMT ओड़िशा हाई कोर्ट की ओर से गुजरात से प्रवासी मजदूरों में कोरोना संक्रमण की पूरी जांच के बिना नहीं भेजे जाने के फैसले के बाद आज राज्य से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए 30 से अधिक श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चलायी जा रही हैं। इसके साथ ही गत दो मई से अब तक इस पश्चिमी राज्य से चलने वाली ऐसी रेलगाड़ियाें की संख्या 120 से अधिक हो गयी हैं। पूरे देश में अब तक ऐसी 218 ट्रेने ही चली हैं।गुजरात से केवल ट्रेन से ही एक लाख 45 हजार से अधिक श्रमिकों को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड अौर ओड़िशा जैसे राज्यों में भेजा जा चुका है। यह पूरे देश में इस मामले में अब तक सबसे अव्वल है। गुजरात से ही अब तक ऐसी सर्वाधिक श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चली हैं। श्रम एवं नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा श्रमिकों की वापसी के लिए नोडल अधिकारी विपुल मित्रा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आज भी लगभग 36 हजार श्रमिकों को लेकर ट्रेने रवाना हो रही हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Full Article
विशेष राजस्थान में अटके बिहार के मजदूरों की होगी घर वापसी, अजमेर से पूर्णिया जाएगी विशेष ट्रेन By Published On :: Sat, 09 May 2020 04:29:00 GMT अजमेर सहित आसपास के जिलों में फंसे बिहार के मजदूरों के लिए राहत भरी खबर है। रेलवे और जिला प्रशासन की ओर से आने वाले दो-तीन दिन में बिहार के पूर्णिया के लिए स्पेशल ट्रेन रवाना की जा सकती है, ताकि वे अपने घरों को लौट सकें। इस मामले में अजमेर जिला प्रशासन ने रेलवे के अधिकारियों से बात की है। इस ट्रेन से करीब 900 मजदूरों को रवाना करने की संभावना है।जिला प्रशासन ने 5 दिन पहले ही अजमेर से कोलकाता के लिए 1086 जायरीन को रवाना किया था। इसके बाद से ही मजदूरों के लिए बिहार ट्रेन भेजे जाने की तैयारी चल रही थीं। रेलवे और संबंधित सरकार की अनुमति मिलने के साथ ही इन मजदूरों को स्पेशल ट्रेन से बिहार भेजा जाएगा।अजमेर स्टेशन से गुजर चुकी हैं 12 ट्रेनेंअजमेर से करीब एक दर्जन नॉन स्टॉप मजदूर स्पेशल ट्रेनें गुजर चुकी हैं। इन ट्रेनों का अजमेर में ठहराव नहीं किया जा रहा। आईआरएसआरटीसी कुछ ट्रेनों में यात्रियों को खाना देने के लिए इन्हें 2 से 3 मिनट तक रूकवाती भी है तो इन ट्रेनों में से मजदूरों को बाहर नहीं निकलने दिया जाता। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Shramik Train For Bihar | Bihar Migrant Workers Stranded In Rajasthan News Updates From Ajmer To Purnia District Full Article
विशेष बाड़मेर से बिहार के 1200 श्रमिकों को लेकर रविवार को मोतिहारी जाएगी विशेष ट्रेन By Published On :: Sat, 09 May 2020 14:13:42 GMT कोरोना संक्रमण से बचाव को जारी लॉक डाउन के कारण फ़ंसे प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी के लिए रविवार को एक विशेष रेलगाड़ी बाड़मेर से बिहार जाएगी। यह यह रेल दिन को बारह बजे प्रस्थान करेगी। इसमें 1200 श्रमिक अपने गृह राज्य बिहार जाएंगे। यह बाड़मेर से मोतिहारी तक जाएगी। इसमें जाने वाले श्रमिकों की सूची तैयार हो गई है और इनके लिए बिहार सरकार ने अनुमति प्रदान कर दी है। बाड़मेर जिला कलेक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी की राजस्थान सरकार की योजना के अंतर्गत रविवार को बाड़मेर से बिहार के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाई जाएगी। यह बिहार में मोतिहारी के लिए बाड़मेर से 1200 श्रमिको को लेकर प्रस्थान करेगी। इसमें बाड़मेर, बालोतरा, गुड़ामालानी, सिवाना एवं सिणधरी से श्रमिक जाएंगे। ये सभीसुबह 8 बजे बाड़मेर रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे। इन सभी की मेडिकल जांच की जाएगी। पूर्व पंजीकृत ही जा पाएंगे विशेष रेल से जाने वाले श्रमिको की सूची पहले से ही जिला प्रशासन ने तैयार कर ली थी, जिस पर बिहार सरकार द्वारा स्वीकृति जारी की जा चुकी है। जिला कलेक्टर ने बताया कि इस रेल से पूर्व में पंजीकृत श्रमिक ही जा पाएंगे, नए लोगों को शामिल नही किया जाएगा।खाना-पानी भी मिलेगाविशेष रेल से जाने वाले सभी श्रमिको को जिला प्रशासन द्वारा भोजन के पैकेट तथा पानी की बोतल दी जाएगी। साथ ही उन्हें मास्क एवं सेनेटाइजर प्रदान किए जाएंगे।रेल होगी सैनेटाइजविशेष रेल की रवानगी से पूर्व उसे पूरी तरह से सैनेटाइज किया जाएगा। वहीं इससे पहले पूरा रेलवे प्लेटफॉर्म ही सैनेटाइज किया जाएगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today हैदराबाद से जोधपुर पहुंचे प्रवासी श्रमिक। Full Article
विशेष पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा- कोरोना संकट के भय से सहमी है जनता, इसको लेकर विशेष सत्र बुलाए सरकार By Published On :: Fri, 01 May 2020 05:06:00 GMT उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश सरकार को तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। लॉकडाउन के कारण एक महीने से अधिक समय से जनता घरों में है। अस्पतालों में अन्य बीमारियों का इलाज नहीं हो पा रहा है। कोरोना इलाज के भय से जनता सहमी हुई है। कोरोना जांच किट की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण मरीजों की सही संख्या पता नहीं चल पा रही है।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि प्रशासनिक तालमेल की कमी जगह-जगह दिख रही है। पिछले दिनों आगरा से रात में ही एक बस भर कर कोरोना पॉजिटिव मरीज सैफई अस्पताल भेज दिए गए। किंतु सैफई अस्पताल प्रशासन को सूचना तक नहीं दी गई। यहां मरीज घंटों सड़क पर भर्ती के लिए इंतजार में बैठे रहे।यूपी के सीएम का लोकतंत्र में विश्वास नहीं - अखिलेशकहा- कोरोना के खिलाफ लड़ाई लंबी चलने वाली है। अभी तक राज्य सरकार केवल अधिकारियों के भरोसे है। विपक्ष संकट के समाधान में ऐसे सुझाव दे सकता है जिससे प्रभावी नियंत्रण होने में आसानी हो। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। सरकार पहले भी विशेष सत्र बुला चुकी है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है। उनका तो पूरा विश्वास नौकरशाही पर है। लॉकडाउन की लंबी अवधि में जनता की तकलीफें बढ़ी हैं। किसान पर बे-मौसम बरसात और ओलावृष्टि की मार पड़ी है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कोरोना संकट को देखते हुए उप्र सरकार से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। अखिलेश ने कहा है कि अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल का आभाव दिख रहा है। Full Article
विशेष अखिलेश के विशेष सत्र बुलाने की मांग पर यूपी सरकार ने दिया जवाब, कहा- ऐसा करने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संभव नहीं होगा By Published On :: Fri, 01 May 2020 08:44:53 GMT उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधानसभा सत्र बुलाए जाने के सवाल पर प्रतिक्रिया दी है। सुरेश खन्ना ने कहा कि मौजूदा समय में सोशल डिस्टेंसिंग ही कोरोना संक्रमण से बचाव का सही तरीका है।अखिलेश ने कहा था कि कोरोना संकट को लेकर जनता पूरी तरह से भयभीत है और प्रशासनिक अधिकारी भी बेहतर तालमेल के साथ काम नहीं कर रहे हैं। लिहाजा इस मामले को लेकर सरकार को विशेष सत्र बुलाना चाहिए।उन्होंने कहा, अगर विधानसभा सत्र बुलाया जाता है तो इसका मतलब होगा लोगों का जमावड़ा। ऐसा करने से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन होगा। हम सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार नहीं रख पाएंगे। सुरेश खन्ना ने कहा कि हम नेताओं के लगातार संपर्क में हैं, मेरा मानना है कि सरकार ने सभी स्तरों पर सतर्कता और ईमानदारी दिखाई है। आवश्यकता पड़ने पर निर्णय लिए गए। जरूरतमंदों की मदद की जा रही है। गेहूं की फसल की कटाई की जा रही है। कोरोना का मुकाबला करने के लिए सरकार सभी प्रयास कर रहीअखिलेश यादव ने की थी विशेष सत्र बुलाने की मांगउत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश सरकार को तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। लॉकडाउन के कारण एक महीने से अधिक समय से जनता घरों में है। अस्पतालों में अन्य बीमारियों का इलाज नहीं हो पा रहा है। कोरोना इलाज के भय से जनता सहमी हुई है। कोरोना जांच किट की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण मरीजों की सही संख्या पता नहीं चल पा रही है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कोरोना संकट को देखते हुए विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी जिसे यूपी सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इससे लोगों का जमावड़ा होगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा। Full Article
विशेष महाराष्ट्र से 2127 श्रमिकों को लेकर पहुंची दो विशेष ट्रेन; थर्मल स्क्रीनिंग के बाद 60 बसों से घरों को हुए रवाना By Published On :: Mon, 04 May 2020 08:32:07 GMT कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र में फंसे 2127 मजदूरों को लेकर दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन गोरखपुर पहुंची हैं। प्लेटफार्म नंबर एक पर ट्रेन के पहुंचने के बाद यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की गई। जांच के बाद एक-एक यात्री का नाम दर्ज करके उन्हें बस में बैठाकर उनके खाने पीने का सामान देकर रवाना किया गया। प्रशासन ने मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए 60 बसों का इंतजाम किया है।पहली ट्रेन रात ढेड़ बजे पहुंचीएडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव ने बताया कि 23 मार्च के बाद रविवार को पहली श्रमिक स्पेशल देर रात 1:30 बजे के करीब गोरखपुर पहुंची। ये ट्रेन महाराष्ट्र के वसई और भिवंडी से रवाना हुई थी। दूसरी ट्रेन सोमवार सुबह 5.15 बजे प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची। पहली ट्रेन में 1145 श्रमिक और दूसरी ट्रेन से 982 यात्री सवार थे। इनका थर्मल चेकअप करने के बाद नाम, पता, मोबाइल नंबर और अन्य विस्तृत जानकारी नोट की गई। इसके बाद उन्हें बसों से घर भेजा जा रहा है। ट्रेन में किया गया सोशल डिस्टेंसिंग का पालनएनडीआरएफ के इंस्पेक्टर गोपी गुप्ता ने कहा- ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके, इसके लिए एक बोगी में महज 54 लोगों को ही प्रवेश दिया गया था। रास्ते में किसी तरह की असुविधा से बचने के लिए आरपीएफ स्टाफ के साथ ही टीटीइ भी तैनात किए गए थे। बीच के स्टेशनों पर श्रमिकों के लिए जलपान की व्यवस्था की गई थी। लॉक डाउन में पहली बार गोरखपुर पहुंची यात्री ट्रेन को देखते हुए रेलवे के साथ ही जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद दिखी। महाराष्ट्र से गोरखपुर पहुंचे मजदूर।श्रमिकों ने जताई खुशी, बोले- खाने का था इंतजामइन यात्रियों में ज्यादातर गोरखपुर केखजनी, बांसगांव और गोला तहसील के रहने वाले हैं। भिवंडी के हथकरघा कारखाने में काम करने वाले मजदूर राम शबद ने कहा- मुझे खुशी है कि मैं आखिरकार अपने घर पहुंच गया। रास्ते में हमें खाना पीना दिया गया। ट्रेन में सवार होने से पहले हमारा आधार कार्ड और पता आदि से जुड़े दस्तावेजों की जांच की गई। गोरखपुर स्टेशन पर भी चेकिंग की गई। दस्तावेजों की जांच हुई। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today ये तस्वीर गोरखपुर की है। यहां दो स्पेशल ट्रेन महाराष्ट्र से चलकर पहुंचीं। जिनमें सवार यात्रियों को जांच के बाद उन्हें रोडवेज बसों से घर भेजा गया। Full Article
विशेष 56 डॉक्टर होम क्वारैंटाइन; संक्रमित मिले बाल रोग विशेषज्ञ ने 7 दिन पहले एक ट्रेनिंग सेशन में लिया था हिस्सा By Published On :: Tue, 05 May 2020 07:37:00 GMT जिले में मधुबन स्थित आस्था चाइल्ड केयर क्लीनिक चलाने वाले बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरके संक्रमित पाए जाने के बाद प्रशासन व हेल्थ विभाग की चुनौतियां बढ़ गई हैं। बीते 29 अप्रैल को संक्रमित डॉक्टर ने जिला अस्पताल में आयोजित प्रशिक्षण में हिस्सा लिया था। जिसमें शहर के तमाम डॉक्टर शामिल हुए थे। अब इन डॉक्टरों में संक्रमित हाेने का भय है। एहतियातन 56 डॉक्टरों को प्रशासन ने होम क्वारैंटाइन किया है। डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि, उन्होंने इस दौरान जिन मरीजों का इलाज किया है, अब वे कैसे ट्रेस होंगे। यदि कोई उनमें से संक्रमित मिला तो कोरोना की लंबी चेन मिल सकती है।यहां अब तक 44 संक्रमित मिल चुके हैं।प्रशासन ने संक्रमित डॉक्टर की क्लीनिक को सील कर इलाके को हॉटस्पॉट तय किया है। डॉक्टर बच्चों का इलाज कर रहे थे, इसलिए प्रशासन उन बच्चों की भी ट्रेसिंग करने में जुटा है। संक्रमित डॉक्टर की पत्नी समेत परिवार के अन्य पांच सदस्यों को दयानंद पीजी कॉलेज में बने क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया है।एक निजी चिकित्सक ने कहा- कोरोना महामारी से निपटने के लिए बीते 20 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने एक ट्रेनिंग आयोजित कराई थी। जिसमें संक्रमित बाल रोग विशेषज्ञ भी शामिल हुए थे। जब यह बात पता चली तो शहर के 56 डॉक्टर होम क्वारैंटाइन हुए हैं। फिलहाल अन्य किसी डॉक्टर में अभी कोरोना जैसे लक्षण नहीं हैं। फिर भी सावधानी बरती जा रही है। डॉक्टरों की सैंपलिंग कराई जाएगी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today ये तस्वीर रायबरेली के डॉक्टरों की है। यहां 29 मार्च को हेल्थ विभाग की तरफ से ट्रेनिंग का आयोजन किया गया था। संक्रमित मिले डॉक्टर ने इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया था। संक्रमण की आशंका से शहर के कई डॉक्टर क्वारैंटाइन हुए। Full Article
विशेष औरंगाबाद से विशेष ट्रेन से आए 1223 मजदूर, 43 बस और 9 जीप से 24 जिलों के लिए रवाना By Published On :: Sat, 09 May 2020 02:45:00 GMT 45 दिन से लॉकडाउन में फंसे मजदूर अपने घर जाते समय काफी खुश थे, उन्हें लग रहा था कि अब घर पहुंचकर उनकी सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। दूसरे प्रदेशों में काम बंद होने से उनके सामने भोजन के भी लाले पड़ गए थे। ऐसे 24 जिलों के 1223 मजदूरों को औरंगाबाद से लेकर एक स्पेशल ट्रेन शुक्रवार की सुबह 7 बजे रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज रेलवे स्टेशन पर पहुंची।यहां प्रशासन, पुलिस, डॉक्टरों की 8 टीमें पहले से ही मौजूद थीं। ट्रेन से उतरे मजदूर मयंक चतुर्वेदी के चेहरे पर एक गजब की चमक और मुस्कुराहट थी और आंखों में बड़ा सुकून और खुशी के आंसू। मयंक छतरपुर जिले के हरपालपुर का रहने वाला है जो औरंगाबाद की आयरन फैक्ट्री में मजदूर के रूप में काम कर रहा था। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी क्योंकि अब उसे अपने घर वालों से मिलने के लिए बस कुछ घंटे का इंतजार करना था। रेलवे स्टेशन पर 7 बजे पहली घोषणा हुई कि औरंगाबाद से आने वाली पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन प्लेटफार्म पर कुछ ही मिनटों में आ रही है। इसकी सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य अमला सतर्क हो गया। एडीएम अनिल डोमर, एएसपी एपी सिंह, गौहरगंज एसडीएम विनीत तिवारी ने वहां की व्यवस्थाएं संभाली। तहसीलदार संतोष बिटोलिया ने बताया कि विशेष ट्रेन से आने वाले श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उन्हें उनके गृह जिलों के लिए भेज दिया। आपबीती : पुलिस वाले भैया बने देवदूतछतरपुर के मयंक चतुर्वेदी बताते है कि वे जिस आयरन कंपनी में काम करते थे। उसने लॉकडाउन के बाद पैसा नहीं दिया। भूखे मरने की नौबत आ गई थी। तब एक पुलिस वाले भैया देवदूत बनकर आए 40 दिन तक उन्होंने मुझे भोजन कराया। कंपनी से किसी तरह की सहायता ना मिलने के कारण मैंने वापस घर आने का निर्णय लिया और इस विशेष ट्रेन से वापस लौट आया।40 किमी पैदल चले तब बन पाया ई-पासबालाघाट के कन्जेई निवासी बृजेश निवारे 22 वर्ष बताते है कि वे औरंगाबाद के पास स्थित अंबाला शहर में एलएनटी फैक्ट्री में ऑपरेटर का काम करते थे। वे बताते हैं कि औरंगाबाद रेड जोन में है और हमारे साथ काम करने वाले इंजीनियर औरंगाबाद से ही अप-डाउन करते थे। इसके अलावा हम एक रूम में 10-12 लड़के एक साथ रहते थे। 40 किमी चलकर थाने में ई-पास बनवाया और इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन से यहां तक पहुंचे। अब काम करने वह वापस औरंगाबाद नहीं जाएगे।ये भी जरूरी : जांच के बाद गृह जिलों के लिए भेजाबीएमओ डॉ. अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि सभी 1223 मजदूरों की मेडिकल स्क्रीनिंग कराई गई। इस दौरान ग्वालियर जिले के बेहट निवासी बृजकिशोर धाकड़ (26 वर्ष) को सांस लेने में दर्द और चक्कर आने की शिकायत मिली। जिसे प्राथमिक उपचार देने के बाद हमीदिया रेफर कर दिया गया। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today 1223 laborers arrived by special train from Aurangabad, 43 buses and 9 jeeps left for 24 districts Full Article