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30 हेक्टेयर में फैले एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में 13 लाख फूल खिल चुके हैं, लेकिन इस बार इन्हें देखने कोई नहीं आएगा

एशिया के सबसे बड़े श्रीनगर के इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन में फूलों का मौसम आ गया है। जबरवान पहाड़ियों के मुहाने पर 30 एकड़ में बने इस खूबसूरत गार्डन में इस बार 55 वैरायटी के 13 लाख ट्यूलिप खिले हैं। कोरोना संकट के चलते इस बार गार्डन में फूल देखने कोई नहीं आएगा। लिहाजा पार्क सूना पड़ा है।

साल में बमुश्किल तीन से चार हफ्तों के लिए आबाद रहने वाला यह गुलशन इस बार वीरान है।

गार्डनफूल तो शबाब पर हैं, लेकिन इन्हें देखने इस बार कोई नहीं आएगा। कोरोना वायरस के चलते कश्मीर में लॉकडाउन कब तक रहेगा फिलहाल कहना मुश्किल है। सिर्फ कश्मीर में अभी तक 168 कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं, जबकि 3 की मौत हो चुकी है।

मार्च-अप्रैल में ट्यूलिप गार्डन खुलने के साथ ही कश्मीर में टूरिस्ट सीजन की शुरुआत होती है।

बर्फबारी के बाद ट्यूलिप गार्डन और बादामवारी में फूल खिलना कश्मीर में बसंत के आने की निशानी होती है। इससे पहले के सालों में भी लाखों लोग इसे देखने आते रहे हैं।गार्डन का टिकट करीब 50 रुपएहोता है।

पिछले साल करीब ढाई लाख लोग यहां आए थे, जिसमें से एक लाख बाहरी पर्यटक थे। इनमें विदेशी भी शामिल हैं।

कश्मीर में कुल 308 बाग-बगीचे हैं। जिनकी देखरेख फ्लोरीकल्चर डिपार्टमेंट करता है। ट्यूलिप गार्डन भी उन्हीं के जिम्मे आता है। डिपार्टमेंट के 100 माली इसकी देखरेख करते हैं।पहले हार्वेस्टिंग फिर दो-तीन बार सनबर्न और नवंबर में रीप्लांट का काम होता है।

इस बगीचे की तैयारी पूरे साल चलती है। ट्यूलिप का मौसम बीत जाने के तुरंत बाद अगले साल की तैयारी शुरू हो जाती है।

ट्यूलिप गार्डन के एक ओर है डल झील, दूसरी ओर मुगलों का बनाया निशात बाग और तीसरी ओर वह ऐतिहासिक चश्म-ए-शाही,जहां के लिए कहा जाता है कि पंडित नेहरू सिर्फ वहां के चश्मे से निकला पानी ही पीते थे।

यहां हर साल नीदरलैंड्स से 60-70 लाख रुपए के फूल लाए जाते हैं। सरकार ने इसे पिछले साल 80 लाख रु.में आउटसोर्स किया था।

हर साल ट्यूलिप गार्डन में 10 दिन का ट्यूलिप फेस्टिवल होता है, जिसका नाम बहार-ए-कश्मीर है। इस फेस्टिव में घाटी के पारंपरिक संगीत और कला से जुड़े लोग शामिल होते हैं। इस साल इसके होने की भी कोई उम्मीद नहीं है। गार्डन की जमीन सिराजुद्दीन मलिक की थी, जो 1947 के बंटवारे में पाकिस्तान चले गए। तब सरकार ने इसे अपने कब्जे में ले लिया।

पहले कश्मीर का यह ट्यूलिप गार्डन सिराजबाग कहलाता था।

हॉलैंड के ट्यूलिप दुनियाभर में मशहूर हैं। यहां का कोएकेनहोफ ट्यूलिप गार्डन दुनिया का सबसे बड़ा फूलों का बाग है, जिसे फूलों से प्यार करनेवालों का मक्का कहा जाता है। यहां हर साल सात मिलियन, यानी 70 लाख फूल रोपे जाते हैं, जिनमें ट्यूलिप, डेफोडिल्स, गुलाब और लिली शामिल हैं।

दुनिया के पांच मशहूर ट्यूलिप गार्डन और फेस्टिव में शामिल है श्रीनगर।

दुनिया में ट्यूलिक गार्डन्स मेंपहले नंबर पर हॉलैंड का कोएकेनहोफ आता है, दूसरे नंबर पर अमेरिका के माउंट वरनोन का स्कगित ट्यूलिप फेस्टिवल है। कनाडा के ओटावा का ट्यूलिप गार्डन तीसरा सबसे मशहूर बाग है।कश्मीर का ट्यूलिप गार्डन दुनिया में पांचवा सबसे मशहूर बाग माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया के सिलवन टाउन में टेसेलार ट्यूलिप फेस्टिवल दुनिया का चौथा सबसे शानदार आयोजन कहलाता है।

कश्मीर का ट्यूलिप गार्डन दुनिया में पांचवें नंबर पर है।


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कश्मीर के ट्यूलिप गार्डन को दुनिया का पांचवा सबसे मशहूर बाग माना जाता है। तीन से चार हफ्तों के लिए आबाद रहने वाला यह गुलशन इस बार वीरान है।




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चढ़ाई की सालभर तैयारी करने वाले 3000 नेपाली शेरपा बेरोजगार, अब गांव में कर रहे खेती; नेपाल को 9 हजार करोड़ रु. का नुकसान

24 मार्च, यानी वह तारीख जब काठमांडू से एवरेस्ट बेस कैंप के लिए लुम्बा जाने वाली उड़ानें पूरी तरह बंद कर दी गईं। ये वह वक्त था जब एवरेस्ट पर चढ़ाई का सीजन बस शुरू होने को था। एक-दो दिन में ही सरकार परमिट देना शुरू करने वाली थी।


तीन हफ्ते के लिए नेपाल में लॉकडाउन की घोषणा हुई और सभी माउंटेन एक्सपीडिशन पर रोक लगा दी गई। इसमें एवरेस्ट भी शामिल था। नेपाल में ऐसा पहली बार हुआ। पहला ही मौका है जब देश में एक भी विदेशी टूरिस्ट नहीं है। वरना भूकंप के दौरान भी विदेशी मौजूद थे। कई सारे विदेशी लोग और एनजीओ यहां रीहेबिलिटेशन में मदद करने को आ गए थे।


एवरेस्ट बेस कैम्प पूरा खाली पड़ा है। इस साल सीजन शुरू ही नहीं हो पाया। पिछले साल मई के अंत में सीजन खत्म होने पर क्लाइंबर्स, शेरपा और ग्राउंड स्टाफ लौट चुके थे। जून में बसंत खत्म होते ही बर्फ पिघलने लगती है और फिसलन भरे रास्ते में चढ़ाई खतरनाक हो जाती है।


यहां सरकार क्लाइंबिग के लिए 75 दिन का परमिट देती है। नेपाल सरकार को अलग-अलग पर्वतों पर चढ़ाई के शौकीनों से हर साल अपनी जीडीपी का 4% रेवेन्यू मिलता है। इस साल, यानी 2020 में 2 मिलियन, यानी करीब 20 लाख पर्यटकों के आने का सरकारी टारगेट था।

पर्वतारोहियों से नेपाल को हर साल अपनी जीडीपी का 4% रेवेन्यू मिलता है।


आशंका जताई गई है कि कोरोना के चलते टूरिज्म को 150 बिलियन नेपाली रुपए, यानी 9000 करोड़ भारतीय रुपए का नुकसान होगा। जिसमें एयरलाइन, होटल, ट्रैवल, ट्रैकिंग, एक्सपीडिशन और खाना-पीना सब शामिल है। यही नहीं लॉकडाउन के चलते 11 लाख लोगों की नौकरी भी खतरे में है।


इनमें वे शेरपा भी शामिल हैं जो सालभर उन 75 दिनों का इतंजार करते हैं जब वह बतौर गाइड विदेशियों के साथ एवरेस्ट की चढ़ाई करते हैं और सालभर के लिए पैसा जुटा लाते हैं। इस बार भी अप्रैल में शुरू होने वाले सीजन की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं।


बेस कैंप के सबसे नजदीक जो शेरपा गांव है उसकी दूरी 20 किमी के करीब है। नाम है खारीखोला। लोअर एवरेस्ट इलाके के इस गांव से बेस कैंप पहुंचने में आमतौर पर 6-7 घंटे लगते हैं, लेकिन शेरपाओं के लिए ये बमुश्किल 3 से 4 घंटे का काम है। आंन्ग दावा शेरपा और उनकी पत्नी पसांग फूती शेरपा इसी गांव में अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं। आन्ग दावा 9 बार एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं। जबकि उनकी पत्नी पिछले साल पहली बार एवरेस्ट की चढ़ाई करने गई थीं।


इस साल भी दोनों एवरेस्ट जाने वाले थे, कई विदेशी पर्यटकों से बात भी हो रखी थी। लेकिन अब वह अपने गांव लौट आए हैं। सरकार ने कोरोना को लेकर जब सभी क्लाइंबिंग एक्टीविटीज पर रोक लगा दी तो दोनों ने तय किया कि इस साल खेती करेंगे। उन्होंने कीवी उगाई है। गांव के ज्यादातर शेरपा भी खेती किसानी में लग गए हैं।

एवरेस्ट पर चढ़ाई के साथ-साथ नेपाल के बाकी एक्सपीडिशन भी बंद हैं, इसलिए शेरपा अपने गांव लौट आए हैं और आलू, कीवी, मक्के की खेती कर रहे हैं


पसांग कहती हैं कि उन लोगों ने काफी तैयारियां कर ली थीं, लेकिन अचानक सबकुछ कैंसिल हो गया। इस साल 3000 से ज्यादा शेरपा ऐन वक्त पर बेरोजगार हो गए। यही हालात थामे, फोर्चे जैसे एवरेस्ट शेरपाओं के बाकी गांवों का भी है। 15 मार्च को ही सरकार ने घोषणा कर दी थी कि इस बार कहीं भी पर्वतारोहण नहीं होगा।


इससे पहले 2014 में खुम्बू आइसफॉल के पास आए बर्फीले तूफान के बाद एवरेस्ट पर पर्वतारोहण बंद कर दिया था। इस हादसे में 14 शेरपाओं की मौत हो गई थी। हालांकि, तब नेपाल के बाकी हिस्सों में एक्सपीडिशन बदस्तूर चल रहे थे।


एवरेस्ट से कमाई का गुणा गणित कुछ यूं है- हर साल 45 टीमें एक्सीपीडिशन पर जाती हैं, जिनका खर्च 11 हजार डॉलर प्रति व्यक्ति होता है। हर टीम में 15-20 लोग होते हैं, कुल 600 क्लाइंबर हर साल एवरेस्ट के लिए सफर करते हैं।


नेपाल की जनसंख्या 3 करोड़ है और यहां कोरोना के 9 पॉजिटिव केस मिले हैं। जबकि इस महामारी में कोई भी मौत नहीं हुई है। 9 में से एक व्यक्ति का इलाज हो चुका है और उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। जो भी पॉजिटिव मरीज हैं, वह काठमांडू या पश्चिमी नेपाल में हैं। इनमें से ज्यादातर वह हैं जो फ्रांस, बेल्जियम या अरब देशों से लौटे हैं।



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तस्वीर खाली पड़े एवरेस्ट बेस कैंप की है, जो आन्ग शेरपा ने 2019 में सीजन खत्म होने पर लौटते वक्त ली थी।




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लॉकडाउन से पहले नए केस की एवरेज ग्रोथ रेट 35% थी, बाद में घटकर 15% पहुंची; इस दौरान रोज औसतन 58 मरीज भी ठीक हुए

चीन के वुहान शहर से निकला कोरोनावायरस दुनिया के लिए सिरदर्द बन चुका है। फिलहाल, कोरोना का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं है। इसलिए, दुनियाभर की सरकारें इसे रोकने के लिए एक ही तरीका अपना रही हैं और वो तरीका है- लॉकडाउन।


भारत में भी कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। पहले लॉकडाउन 21 दिन के लिए लगाया गया था, लेकिन बाद में इसे 19 दिन और बढ़ा दिया गया। लॉकडाउन का पहला फेज 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच लागू रहा और दूसरा फेज 15 अप्रैल से 3 मई तक रहेगा।


लॉकडाउन बढ़ाने के पीछे यही तर्क था कि देश में कोरोना के मामले कम होने के बजाय बढ़ते ही रहे। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस को बताया था, दुनिया में कोरोना 41% की ग्रोथ रेट से फैल रहा था। अगर सरकार की तरफ से शुरुआत में कोई एक्शन नहीं लिया जाता, तो इसी ग्रोथ रेट के हिसाब से 15 अप्रैल तक 8.2 लाख लोगों के संक्रमित होने की आशंका थी।


लॉकडाउन से पहले क्या थी हमारी हालत?
देश में लॉकडाउन उस समय लगाया गया, जब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने लगी थी। देश में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। उसके बाद 2 फरवरी तक 3 मामले थे। लेकिन, फिर पूरे महीनेभर कोई नया मामला नहीं आया। ये तीनों मरीज भी ठीक हो चुके थे। उसके बाद 2 मार्च से देश में कोरोना के मामले अचानक बढ़ने लगे।


22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। और 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लागू हो गया। लॉकडाउन से एक दिन पहले तक यानी 24 मार्च तक देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 571 थी। तब तक 10 मौतें भी हो चुकी थीं। लॉकडाउन से पहले तक देश में कोरोना के मामले दिखने में भले ही कम लग रहे हों, लेकिन इनकी एवरेज ग्रोथ रेट 35% के आसपास थी। यानी, हर दिन कोरोना के 35% नए मरीज मिल रहे थे।

लॉकडाउन के पहले फेज में क्या सुधार हुआ?
लॉकडाउन लगने के बाद भी 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच देशभर में कोरोना के 10 हजार 919 नए मामले बढ़े। यानी, 14 अप्रैल तक देश में कोरोना के जितने मामले आए, उसमें से 95% मामले लॉकडाउन में आए।


लेकिन, राहत की एक बात ये भी रही कि लॉकडाउन के दौरान कोरोना के नए मामलों की एवरेज ग्रोथ रेट में कमी आई। लॉकडाउन से पहले कोरोना की एवरेज ग्रोथ रेट 35% थी, जो लॉकडाउन में घटकर 15% रह गई।


इसको ऐसे समझिए : लॉकडाउन से पहले कोरोना की ग्रोथ रेट 35% थी। यानी, सोमवार को अगर कोरोना के 100 मरीज हैं, तो मंगलवार को मरीजों की संख्या 135 हो जा रही थी। लेकिन, लॉकडाउन में ग्रोथ रेट 15% हो गई। इसका मतलब हुआ कि, पहले मंगलवार को कोरोना संक्रमितों की संख्या 100 से 135 हो रही थी तो अब ये 100 से 115 ही बढ़ सकी।


राहत की एक बात ये भी, लॉकडाउन में हर दिन औसतन 58 मरीज ठीक हुए
लॉकडाउन के पहले फेज में राहत की एक और बात रही और वो ये कि इस दौरान कोरोना के संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी। 24 मार्च तक देश में 40 मरीज ही ठीक हुए थे। लेकिन 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 1 हजार 325 मरीज ठीक हुए। अगर इसका औसत निकालें तो हर दिन 58 मरीज कोरोना से ठीक हुए।

लेकिन, लॉकडाउन के 21 दिन में 384 मौतें हुईं, हर दिन औसतन 18 मौतें
24 मार्च तक देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 10 ही थी। लेकिन, 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच इन 21 दिनों में 384 लोगों की जान कोरोना से गई। यानी, हर दिन औसतन 18 मौतें। जबकि, लॉकडाउन से पहले तक औसतन हर 5.5 दिन में एक मौत हो रही थी।



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ढाई वर्ग किमी में रहती है 15 लाख की आबादी; दस बाई दस के कमरे में 10-10 लोग, 73% पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते हैं

धारावी चारों ओर से सील है। कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां अंदर नहीं जा सकता। हर ओर पुलिस के बैरिकेट्स हैं और सख्त पहरा भी। यह शहर के अंदर एक शहर है। फिल्मों और लेखकों का पसंदीदा मुद्दा और लोकेशन रहा है। इतना पसंदीदा की मुंबई में धारावी के लिए स्लम टूरिज्म होता है।

दुनिया के इस सबसे बड़े स्लम (2.6 स्क्वायर किलोमीटर इलाका) में 15 लाख लोग रहते हैं। यहां दस बाईदस फीट का कमरा 8-10 लोगों का घर होता है। यहां 73 फीसदी लोग पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते हैं। किसी टायलेट में 40 सीट होती हैं, कहीं 12 और कहीं 20 सीट वाले टॉयलेट होते हैं। एक सीट को रोज अंदाजन 60 से 70 लोग इस्तेमाल करते हैं, यानी एक दिन में एक हजार से ज्यादा लोग पब्लिक टॉयलेट में आते हैं।

जाहिर है इन सबके बीच सोशल डिस्टेंसिंग कैसे संभव हो सकती है। जिस सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पूरा देश घर के अंदर रहता है, उसी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए धारावी घर से बाहर रहता है। यहां सुबह होते ही लोग इन घुटन भरे कमरों से बाहर गलियों में निकल आते हैं।

यहां सायन अस्पताल के एक 20 बेड के वॉर्ड को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां भर्ती होने के तीन या चार दिन बाद सैंपल लिया जाता है और तीन दिन बाद रिपोर्ट आती है। जहां से कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलता है, उसके घर में जगह है तो परिवार और आसपास के लोगों को घर में क्वारैंटाइन होने के लिए कहा जाता है। उनसे बोल दिया जाता है कि लक्षण आने पर वे फौरन अस्पताल आएं, बीएमसी के डॉक्टर भी कॉल करके फॉलोअप लेते हैं। लेकिन अब मरीज इतने हो गए हैं कि डॉक्टर कॉल नहीं कर पा रहे हैं। पॉजिटिव मिलने पर उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। जाना तो कोई नहीं चाहता लेकिन उन्हें जबरदस्ती ले जाया जाता है।

बॉलीवुड-हॉलीवुड की कई फिल्मों में धारावी को दिखाया गया है। दुनिया के इस सबसे बड़े स्लम में ढाई स्क्वायर किमी में 15 लाख लोग रहते हैं।

15 अप्रैल को धारावी में 56 वर्षीय मोहम्मद तालिब शेख का कोविड-19 से इंतकाल हो गया। उनके दोनों बेटे उनके पास नहीं थे। एक सउदी में तो दूसरा उत्तर प्रदेश में है। उनके करीबी रिश्तेदार मतिउर्ररहमान बताते हैं, "हम कोरोना से इतना परेशान नहीं थे, उसका इलाज करवा लेते लेकिन शेख साहब को वक्त पर डायलिसिस नहीं मिला। क्योंकि कोरोना मरीजों का डायलिसिस अलग मशीन से किया जा रहा है और पूरे मुंबई में वह मशीन खाली नहीं थी। मेरे सामने हर दिन उनका पेट फूलता चला गया और वह बुरी तरह तड़प कर मरे हैं। ‘ मतिउर्ररहमान, तालिब शेख की वजह से धारावी के पास सायन अस्पताल में पांच दिन तक रहे।
धारावी के मरीजों और संदिग्धों के लिए यहीं क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है। मतिउर्रहमान बताते हैं कि यहां 20 बेड का एक कमरा है, जहां कोरोना पॉजिटिव, निगेटिव और संदिग्ध मरीजों को रखा गया है। तालिब शेख को लक्षण आने के बाद 7 अप्रैल को सायन अस्पताल के क्वारंटीन सेंटर ले जाया गया था, जहां तीन दिन बाद उनका टेस्ट हुआ।

वह पहले से किडनी और लो बीपी के मरीज थे। उनकी हालत ऐसी नहीं थी कि वह वहां ज्यादा दिन रह सकते लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना था कि उनके पास टेस्टिंग किट आएगी तो ही वह टेस्ट कर सकेंगे।

मतिउर्ररहमान ने दबाव से तालिब शेख को उस क्वारैंटाइन सेंटर से निकाला और चैंबूर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया, जहां उनकी कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई लेकिन यह सुनते ही तालिब शेख को हार्ट अटैक आ गया।

धारावी में सामुदायिक तौर पर कोरोना फैलने की शुरुआत हो चुकी है। इसमें कोई शक नहीं कि यहां लोग लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और कोरोना के भयानक नतीजों से भी बेखबर हैं। शाम के वक्त जब खाना बंटता है तो यहां मेला लग जाता है। सामान्य दिनों से ज्यादा बुरी हालत होती है।

एक अनुमान के मुताबिक, धारावी में 1 बिलियन डॉलर का कारोबार इनफॉर्मल इंडस्ट्री से होता है। फिलहाल यहां सबकुछ बंद है।

टेड स्पीकर और टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) के छात्र फाहद अहमद बताते हैं, "हम मुंबई के बड़े स्लम धारावी-कमाठीपुरा में राशन और खाना बंटवाते हैं लेकिन धारावी में स्थितियां हाथ से निकल चुकी हैं। सरकारी मदद के बिना धारावी को बचाया नहीं जा सकता है।"

"पहले यह होता था कि धारावी में लोग सुबह काम पर निकल जाते थे और रात में बुरी तरह थककर सो जाते थे। पांव पसारने की जगह भी मिल जाती थी तो नींद आ जाती थी अब सुबह से रात तक एक खोली में 10-10 लोगों के रहने से मानसिक बीमारियां भी हो रही हैं और ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग तो हो ही नहीं सकती है।"

फहाद कहते हैं, "धारावी में लॉकडाउन असंभव है। अगर लॉकडाउन लगवाना है तो यहां के हर घर से आधे से ज्यादा लोगों को किसी स्कूल या किसी मैदान में शिफ्ट करना होगा। तब जाकर पॉपुलेशन डेनसिटी कम होगी।"

फाहद बताते हैं, "बीमारी फैल रही है इसमें यहां लोगों की भी गलती है। कुछ लोग तो पुलिस को भी चिढ़ाते लगते हैं कि देखो हम घर से बाहर हैं। मेरे सामने कोरोना से चार मौतें हो चुकी हैं लेकिन अब कुछ दिनों में भूख से मौतें शुरू हो जाएंगी। खाने की कतारें हर दिन लंबी होती जा रही हैं। हर दिन 40 से 50 लोगों को बिना खाने के लौटाना पड़ता है।"

धारावी में राशन बंटने के दौरान इसी तरह भीड़ इकट्ठा हो जाती है।

लंबे समय से विदेशी मीडिया के लिए धारावी कवर कर रहे पार्थ एमएन कहते हैं, "अगर धारावी पैरालाइज हो गया तो मुंबई की आर्थिक व्यवस्था में यह एक बड़ा धक्का होगा। कामगारों की एक बड़ी संख्या यहां से ही आती है। यहां दस हजार से ज्यादा मैन्युफैक्चिरिंग यूनिट्स हैं जो कि बंद पड़े है। यहां घर-घर में जींस, रेडीमेड कपड़े, लेबलिंग, प्लास्टिक और लैदर का होलसेल काम होता है और फैक्ट्रियां चलती हैं। 1 बिलियन डॉलर का कारोबार यह इनफॉर्मल इंडस्ट्री से होता है।"

लगभग दस लाख आबादी वाले धारावी को 7 वॉर्ड में बांटा गया है। यहां के सबसे अधिक प्रभावित वॉर्ड के नगर सेवक बाबू खान बताते हैं कि अगर धारावी के लिए पहले से प्रशासन सतर्क होता तो शायद हालात संभले हुए होते। लोग डरे हुए हैं, बदहवास हैं, इनके हलक सूखे हुए हैं, ये भूखे हैं, बिना पैसे के हैं, दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।

बाबू खान को बीएमसी की तरफ से 500 पैकेट खाने के दिए जाते हैं। जिसमें चावल होते हैं। वह कहते हैं कि एक मजदूर का उस चावल से क्या होगा? दूसरा यह भी कि इलाके में डेढ़ लाख लोग रहते हैं। डेढ़ लाख में से बीएमसी सिर्फ 500 लोगों को मुट्ठी भर चावल दे रही है।



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धारावी में बड़ी संख्या में कामगार और मजदूर रहते हैं। यहां दस हजार से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। यहां घर-घर में जींस, रेडीमेड कपड़े, लेबलिंग, प्लास्टिक और लैदर का होलसेल काम होता है।




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2004 की एक गलती ने 2013 में दस हजार लोगों की जान ली, पर सजा आज तक किसी को नहीं मिली

16 साल पहले इन्होंने केदारनाथ से पहली रिपोर्ट की थी

अगले हफ्ते केदारनाथ के कपाट खुलेंगे। कहते हैं करीब हजार साल पुराना है यह मंदिर। आदि शंकराचार्य ने बनवाया था। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के इस शहर कीऐसी पहचान है कि उसी के नाम से जाना भी जाता है।

सात साल पहले यानी 2013 में इस शहर ने सबसे बड़ी त्रासदी झेली थी। तब दस हजार लोगों की मौत हो गई थी। और कितने अब भी गायब बताए जाते हैं। दैनिक भास्कर के एडिटर लक्ष्मी पंत ने उस त्रासदी को कवर किया था। पर ऐसा होने वाला है, इसकी आशंका उन्होंने 2004 में अपनी एक रिपोर्ट में जता दी थी। 16 साल पुरानी उस पहली खबर से लेकर त्रासदी तक की कहानी उन्होंने ही बांची हैं...तो पढ़ें इसे...

वह 15-16 जुलाई 2004 का खूबसूरत दिन था। सूरज घर के बरामदे में अच्छा लगने लगा था। काले और नमी से भरे बादल लंबी और सूखी गर्मी के खत्म होने का इशारा कर रहे थे। आप कह सकते हैं कि मानसून हिमालय में पहुंच गया था और अब पहाड़ की खूबसूरत तस्वीर एक स्वप्न की मानिंद हमारे सामने आने ही वाली थी। देहरादून घाटी में पहाड़ की कठिनाई और ऊंचाई तो नहीं है लेकिन उसकी आब-ओ-हवा बदस्तूर महसूस कर सकते हैं। दूसरे लफ्जों में शहर का शहर और पहाड़ का पहाड़।

किसी से सुना है कि जिंदगी लकीरों और तकदीरों का खेल है। मेरे कलम की लकीरें, पहाड़ की पथरीली पगडंडियों से यूं ही नहीं जुड़ जातीं। पहाड़ और इससे मेरा कभी न खत्म होने वाला आकर्षण कोई इत्तेफाक नहीं है। बस यूं कहिए कि एक-एक वाकया और बात चुन-चुनकर लिखी और रखी गई है।

पत्रकार के तौर पर चाहे वो देहरादून में रहते हुए एन्वायरमेंट और वैदर रिपोर्टिंगकरना हो या इसी जिम्मेदारी के रहते कपां देने वाली केदारनाथ त्रासदी की वैज्ञानिक भविष्यवाणी इसके घटने से दस साल पहले कर देना हो। आपको याद दिलाना जरूरी है कि केदारनाथ त्रासदी जून 2013 में हुई। इस हादसा में दस हजार से ज्यादा लोग मारे गए। कितने लापता हैं यह आज तक राज ही है।

लेकिन एक दूसरा सच यह है कि तमाम रिसर्च और सूबतों के आधार पर मैंने 2004 में अपनी एक रिपोर्ट में इसकी भविष्यवाणी 2004 में ही कर दी थी। पत्रकार के तौर पर यह एक सनसनीखेज खुलासा था। लेकिन सरकारी व्यवस्था केदारनाथ मंदिर और अपने कामकाजी सम्मोहन में इस कदर लिप्त थी उसे मेरे सारे दस्तावेजी सच पूरी तरह झूठे ही लगे।

और पूरी जिम्मेदारी से यह भी कह रहा हूं कि आप जिस वक्त या जिस भी कालखंड में केदारनाथ त्रासदी की इस कहानी से गुजरेंगे इसे पढ़ते वक्त त्रासदी की कराहऔर कराहकर रोते लाखों श्रद्धालुओं की चीखें आपको जरूर सुनाई देंगी।

यह कहानी कुछ पुरानी जरूर है लेकिन आज भी बिलकुल ताजा। इसके एक-एक पात्र किसी दुराग्रह से नहीं गढ़े गए हैं। सभी सच के साक्षी हैं। कहानी का अनदेखा-अनजाना यह घटनाक्रम कुछ तरह है। हुआ यूं कि मैं उन दिनों दैनिक जागरण के देहरादून संस्करण में विशेष संवाददाता हुआ करता था। हिमालय और उसके ग्लेशियर मेरी जिंदगी का हिस्सा तो थे ही, अब रिपोर्टिंग का हिस्सा भी थे।

वह तबाही मंदाकिनी के किनारे केदानाथ से लेकर 18 किमी दूर सोनप्रयाग तक सबकुछ बहाकर ले गई थी।

इसी कारण जब भी मेरे सर्किल में किसी को पहाड़ से जुड़ी किसी हलचल की जानकारी मिलती, खबर मुझतक पहुंच जाती। मेरा काम होता उसकी जड़ तक पहुंचना और सच सामने लाना। इसी रौ में जब मुझे पता चला कि केदारनाथ के ठीक ऊपर स्थित चैराबाड़ी ग्लेशियर पर ग्लेशियोलॉजिस्ट की एक टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है तो मेरी भी बेचैनी बढ़ गई। मैं देहरादून से ऊखीमठ और फिर गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ जा पहुंचा।

केदारनाथ से चैराबाड़ी ग्लेशियर की दूरी 6 किलोमीटर है। 8 जुलाई 2004 को जब मैं उस ग्लेशियर लेक के पास पहुंचा तो वहां मेरी मुलाकात वाडिया इंस्टीट्यूट के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. डीपी डोभाल से (अब वे यहां एचओडी हैं) हुई। डोभाल उस वक्त वहां उस झील की निगरानी के लिए अपने यंत्र इन्स्टॉल कर रहे थे। झील का जलस्तर 4 मीटर के आसपास रहा होगा।

मैंने पूछा- जलस्तर नापने और ग्लेशियर के अध्ययन के मायने क्या हैं? डोभाल कुछ हिचकते हुए बोले- मंदिर के ठीक ऊपर होने के कारण चैराबाड़ी झील के स्तर से केदारनाथ सीधे जुड़ा है। यदि जलस्तर खतरे से ऊपर जाता है तो कभी भी केदारनाथ मंदिर और आसपास के इलाके में तबाही आ सकती है।

लक्ष्मी प्रसाद पंत की यह रिपोर्ट 2 अगस्त 2004 को प्रकाशित हुई थी।

मेरी जिज्ञासा डोभाल के जवाब से और बढ़ गई। मैंने पूछा कि क्या इतना पुराना मंदिर भी इस झील के सैलाब में बह सकता है? उनका जवाब था, हां। यह संभव है, लेकिन अभी तक झील का स्तर खतरनाक होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। यदि यह 11 से 12 मीटर तक पहुंचता है तो जरूर खतरा होगा। उन्होंने बात संभालते हुए कहा- एवलांच तो इस इलाके के लिए आम हैं। ये कितने खतरनाक हो सकते हैं, किसी से छुपा नहीं है।

यदि झील का स्तर बढ़ा तो एवलांच के साथ मिलकर यह किसी बम से भी ज्यादा खतरनाक असर वाला होगा। यूं समझिए कि बम के साथ बारूद का ढेर रखा है। बम फटा तो बारूद उसका असर कई गुणा बढ़ा देगा। मेरे माथे पर शिकन पड़ गई। खबर का कुछ मसौदा मिलता दिखाई दिया।

अब मेरा सवाल था, इतना खतरा? फिर तो काफी दिन से निगरानी चल रही होगी? मेरे सीधे सवालों से लगातार परेशान हो रहे डोभाल ने झल्लाते हुए कहा- हां, 2003 से। इसके बाद उन्होंने मेरे बाकी सवाल अनसुने कर दिए। हकीकत यही है कि मेरा उनसे संपर्क इससे आगे नहीं बढ़ पाया।

अब केदारनाथ के ठीक ऊपर पल रहे एक खतरे ने मुझे चौकन्ना कर दिया। फिर एक खबरनवीस के तौर पर खबर ब्रेक करने की बेचैनी कैसी रही होगी, आप समझ सकते हैं। जानकारी बेहद अहम थी। सवाल सिर्फ हिन्दू आस्था के एक बड़े तीर्थ केदारनाथ से ही नहीं, कई लोगों की जिंदगी से भी सीधे जुड़ा था। चैराबाड़ी ग्लेशियर झील की कुछ तस्वीरें लेकर मैं देहरादून पटेल नगर स्थित अपने दफ्तर लौट आया।

केदारनाथ के खतरे और चैराबाड़ी ग्लेशियर की नाजुक स्थिति पर खबर लिखकर मैंने पहला ड्राफ्ट अपने संपादक अशोक पांडे को सौंपा। इसे पढ़कर वे भी चौंक गए। बोले, ग्लेशियर, झील और एवलांच कैसे केदारनाथ जैसे ऐतिहासिक मंदिर के लिए खतरा हो सकते हैं? मैंने इतना ही कहा, विशेषज्ञ ग्लेशियर झीलों पर जाकर 2003 से ग्राउंड स्टडी कर रहे हैं। डाटा इकठ्‌ठा किया जा रहा है। टीम बनी है। इतना सब कुछ किसी आधार पर ही कर रहे होंगे। मैं खुद उन्हें ये सब करते हुए देखकर आया हूं।
जवाब मिला- लेकिन कोई कुछ बता क्यों नहीं रहा? प्रशासन को तो कोई जानकारी होगी? क्या सीएम या किसी मंत्री से कुछ पूछा? सबके वर्जन हैं या नहीं? मैं चुप था। मैंने समझाने की कोशिश की- सर। अगर बात इतनी आगे पहुंच गई तो खबर सबको मिल जाएगी। फिर मेरे वहां रातों रात जाने का क्या फायदा? अब मैंने अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारी का हवाला देते हुए खबर छापने पर जोर दिया। केदारनाथ में कितना बडा खतरा पल रहा है इसके दस्तावेजी सबूत उनकी टेबल पर रखें।
फिर भी लंबे तर्क-वितर्क हुए। खबर में कुछ काट-छांट भी। इसके बाद खबर छपने के लिए तैयार हुई। मामला चूंकि बड़ा था इसलिए पांडे जी ने कानपुर स्थित हैड ऑफिस में फोन कर जानकारी दे दी। अंत में, एक अगस्त के दिन फैसला हुआ कि खबर वाकई बड़ी है और फ्रंट पेज की लीड बनाई जाए।

केदारनाथ से सिर्फ 2 किमी दूर चौराबाड़ी झील जो 400 मीटर लंबी, 200 मीटर चौड़ी और 20 मीटर गहरी थी, फटने से 10 मिनट में खाली हो गई।

खबर छपने के बाद चैराबाड़ी झील तो खैर नहीं फटी, लेकिन मेरे ऑफिस में पूछताछ का एवलांच सा आ गया। वाडिया इंस्टीट्यूट के कार्यवाहक डायरेक्टर और भू-वैज्ञानिक ए के नंदा (डायरेक्टर प्रो. बीआर अरोड़ा उस वक्त छुट्टी पर थे) ने गुस्से में मुझे फोन किया। बौखलाहट में बोले- यह क्या छाप दिया है। आपको कुछ गलतफहमी है। हमारा कोई वैज्ञानिक चैराबाड़ी लेक पर गया ही नहीं है और न ही हम कोई ऐसी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

एकबारगी तो मैं भी हैरान रह गया। मैंने कहा यह खबर दफ्तर में बैठकर नहीं लिखी है। झील पर होकर आया हूं। वही लिखा है जो मुझे आपके ही एक वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया है। न तो उन्होंने मेरी दलील सुनी और न यकीन किया। और तो और उन्होंने खबर के गलत और बेबुनियाद होने का एक लंबा-चैड़ा नोटिस भी इंस्टीट्यूट की ओर से भेज दिया। मुझ पर खंडन छापने के लिए दबाव डाला गया। इंस्टीट्यूट में आने के लिए भी मुझ पर पाबंदी लगा दी गई।

पत्रकार जानते हैं कि जब किसी रिपोर्टर की खबर फ्रंट पेज की लीड खबर बनी हो और उसे गलत करार दे दिया जाए तो उस पर कितना दबाव रहता है। साथी पत्रकार भी टेढे-मेढे कयास लगाने लगते हैं। मेरे पास पर्याप्त सबूत और रिकॉर्डिंग्स होने के कारण खंडन तो नहीं छपा लेकिन मेरी इस खबर ने मुझ पर संदेह का एवलांच जरूर छोड़ दिया। जाहिर है, इंस्टीट्यूट ने सवाल-जवाब डोभाल से भी किए। मैंने भी बाद में उनसे मिलकर अपनी खबर पर बात करनी चाही कि आखिर इसमें गलत क्या था? जवाब तो नहीं मिला, लेकिन उन्होंने मुझसे दूरी जरूर बना ली। खबर से मची हलचल भी धीरे-धीरे थम गई। लेक की निगरानी कर रही टीम देहरादून लौट आई। प्रोजेक्ट रोक दिया गया।

अक्टूबर 2004 में मैंने दैनिक जागरण देहरादून छोड़ दिया। खबर भी भुला दी गई। खुद पर उठे सवालों का जवाब देने की बेचैनी मन में ही बनी रही। मैं उत्तराखंड से राजस्थान, फिर कश्मीर और फिर राजस्थान आ गया। बेहतर से और बेहतर होने की यह यात्रा चलती रही। जिंदगी सिखाती रही, मैं सीखता रहा।

समय के साथ बहुत कुछ बदला। बेहिसाब चुनौतियां भी आईं लेकिन कुछ चीजों की पहचान कभी खत्म नहीं हुई। देहरादून छोड़ने के नौ साल बाद 15-16 जून 2013 की अल-सुबह चैराबाड़ी का सच केदारनाथ की तबाही के तौर पर पहाड़ से नीचे उतरा। मेरी खबर के सच का खुलासा इस तरह होगा, मैंने कभी नहीं सोचा था।

कुछ ऐसे कि इसने मुझे हिला दिया और दुनिया को भी। मैं दुखी था। दिल भी रो पड़ा। चांद की तरह गोल चैराबाड़ी झील पहाड़ों को भी खा गई। सब बहा ले गई। पीड़ा और उत्तेजना दोनों मुझ पर हावी होने लगे। आज मैं उस दिन को कोस रहा था जब इस खबर के सही होने की जिद पकड़े था। तब मैं चाहता था कि यह खबर सही हो, आज मुझे अपनी चाहत पर अफसोस और क्षोभ था। पत्रकार की जीत थी, मगर जीवन प्रकृति से हार गया था।

2013 की घटना के बाद सेना के दस हजार जवान, 11 हेलिकॉप्टर, नौसेना के 45 गोताखोर और वायुसेना के 43 विमान यहां फंसे यात्रियों को बचाने में जुटे हुए थे।20 हजार लोगों को वायुसेना ने एयरलिफ्ट किया था।

दुनिया छोटी है और गोल भी। 2004 में छोड़ी अपनी बीट पर जून 2013 में मैं फिर तैनात था। देहरादून जाकर डोभाल से मिला। मेरे जाने के बाद उनके साथ इस खबर के बारे में क्या-क्या हुआ मैं नहीं जानता। लेकिन तबाही के बाद एके नंदा ने डोभाल को फिर फोन किया और कहा- डोभाल तुम भी उस वक्त सही थे और पंत की वह खबर भी सही थी। ये स्वीकारोक्ति महज औपचारिक थी। खबर पर तो प्रकृति की निर्मम मुहर पहले ही लग चुकी थी।

देहरादून सचिवालय में मेरी मुलाकात मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा (अब बीजेपी में शामिल) से भी हुई। मेरा सवाल था-दस हजार मौतों का जिम्मेदार कौन? क्या आपदा रोकी जा सकती थी? इस सवाल पर उनका जवाब था...यह इंसानी नहीं दैवीय आपदा है। डरपोक और कायर सरकारें अपनी नाकामी ऐसी ही छिपाती हैं।


मैं चैराबाड़ी ग्लेशियरभी गया। जिस नीली झील को नौ साल पहले मैंने लबालब देखा था आज जैसे यहां किसी ने ट्रैक्टर चलाकर उसे सपाट कर दिया हो। झील नहीं यहां उसके अवशेषही शेष थे। केदारनाथ तबाही का ये एपिसेंटर उजाड़ और वीरान पड़ा था। तबाही ने मौत और जिंदगी सबके मायने बदल दिए थे।  

और क्या लिखा जाए। नंदा कुछ साल पहले रिटायर हो चुके हैं। डोभाल अब वाडिया में विभाध्यक्ष हैं और किसी और ग्लेश्यिर पर काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे आज भी केदारनाथ त्रासदी का दर्द परेशान करता है। क्योंकि धूर्त और अंहकारी व्यवस्था के कारण चैराबाड़ी झील को पालने-पोसने की भारी कीमत केदारनाथ हादसे के रूप में पूरे देश ने चुकाई है।

और हां, मैं यकीनी तौर पर कह सकता हूं कि आपदा के तीन अक्षर, आशाके दो अक्षरों पर भारी रहे हैं। और यह कहानी भरोसे के बनने की नहीं, भरोसे के टूटने की कहानी भी है।

-लक्ष्मी प्रसाद पंत दैनिक भास्करराजस्थान के स्टेट एडिटर हैं।



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साल के कुछ महीनों के लिए खुलनेवाले इस केदारनाथ मंदिर में 2013 में आई त्रासदी के वक्त पहली बार पूजा रोकी गई थी।




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मशीनों में कैश डालने वाली इस कंपनी में 4500 कैश कस्टोडियन के बीच देशभर में सिर्फ 3 महिलाएं, कारगिल और जम्मू जैसे इलाकों में ड्यूटी करती हैं

कोरोनावायरस से जारी युद्ध में जिस शिद्दत से डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी जुटे हैं, उसी जुनून से बैंककर्मी भी। सोचिए यदि एटीएम जाएं और वहां पैसा न मिले तब? यहां बात उन तीन महिलाओं की हो रही है जो एटीएम में पैसा डालने वाली कंपनी एजीएस में काम करती हैं। देशभर में इस कंपनी के 12000 कर्मचारी हैं। इनमें से करीब साढ़े चार हजार कैश कस्टोडियन हैं। इन साढ़े हजार कैश कस्टोडियन में सिर्फ 3 महिलाएं हैं। कंपनी ने इन्हें सालभर के अंदर ही अपॉइंट किया है। फिलहाल इनकी ड्यूटी बर्फ के रेगिस्तान कहलाने वाले लद्दाख सेक्टर के कारगिल और जम्मू में हैं।जहां देश में सबसे ऊंचाई पर स्थित एटीएम के लिए यह काम करती हैं।

गर्भवती हैं, सर ने कहा-छुट्‌टी ले लो तो मना कर दिया

जम्मू शहर में रहने वाली बिल्किस बानों गर्भवती हैं। 6 माह पहले की कैश कस्टोडियन की नौकरी मिली। कोरोनावायरस आया तो कंपनी की तरफ से कहा गया कि, आप गर्भवती हैं, इसलिए चाहो तो छुट्‌टी ले लो। लेकिन बिल्किस ने छुट्‌टी लेने से इंकार कर दिया और प्रेग्नेंसी के आठवें महीनें में भी फील्ड पर जाकर अपना फर्ज निभा रही हैं।

बोलीं, मैं रोजाना सुबह साढ़े नौ बजे एक गनमैन, ड्राइवर और सहयोगी के साथ निकलती हूं। जो भी हमारा रूट होता है, हम उन मशीनों में कैश डालते हैं।
कोरोनावायरस आने पर मुझे कंपनी की ओर से फील्ड में जाने का मना किया गया था, लेकिन मैं नहीं मानी। मुझे लगता है कि ऐसे समय में हम जो भी सेवाएं दे सकते हैं हमे देना चाहिए। मैं पूरी सेफ्टी के साथ अपनी ड्यूटी निभा रही हूं। मुझे ये दिन हमेशा याद रहेंगे कि जब दुनिया में कोई महामारी आई थी तो हमने भी लोगों की मदद की थी।

पति की दुकान बंद, घर भी संभालती हैं और ड्य्टी का फर्ज भी

सईदा पिछले 6 माह से कैश कस्टोडियन के पद पर कंपनी में सेवाएं दे रही हैं।

33 साल की सईदा बेगम की 12 साल की बेटी है। पति की दुकान है लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका काम धंधा बंद है। कहती हैं, मुझे कई लोगों ने बोला कि, अभी कोरोनावायरस चल रहा है, छुट्टी ले लो लेकिन मेरे लिए अपना फर्ज पहले है।
चेहरे पर मास्क, हाथों में ग्लव्ज और हैंड सैनिटाइजर लेकर हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अभी तक हमने अपने इलाके के किसी भी एटीएम में कैश की कमी नहीं आने दी। हालांकि लॉकडाउन के कारण अब कैश निकल भी कम रहा है, लेकिन रोजाना फील्ड पर जाते ही हैं और जहां पैसा डालना होता है, वहां डालते हैं।
सईदा के पास इस काम का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन ट्रेनिंग ली और काम शुरू कर दिया। बोलती हैं, अब कोरोनावायरस के बीच अपनी जिम्मेदारी निभा कर गर्व की अनुभूति भी होती है। मशीनों में कैश डालने जाते हैं तो कई बार लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं, कि देखो लड़कियां भी अब यह जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह सुनकर अच्छा लगता है।

कारगिल में दो-तीन मामले आए, लेकिन सावधानी रखकर काम में जुटीं

कारगिल में स्थित एटीएम में कैश पहुंचाने का काम करती हैं जाकिया बानो।

देश के सबसे ऊंचे इलाकों में से एक लद्दाख के कारगिल के एटीएम तक पैसे पहुंचाने का काम जाकिया बानो कर रही हैं। जाकिया 27 साल की हैं और इनके परिवार में चार बहनें और एक भाई है। बोलीं, कारगिल में एक एटीएम में कैश पहुंचाने की जिम्मेदारी मेरी है। कोरोना से डर लगता है? ये पूछने पर बोलीं, हमारे यहां दो-तीन केस आए हैं, लेकिन हम मास्क और ग्लव्ज पहनकर अपना काम कर रहे हैं।

देशभर में 60 हजार से ज्यादा एटीएम को मैनेज करने वाली एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजी लिमिटेड के एचआर (ग्रुप हेड) पाथ समाई कहते हैं कि, फील्ड में काम कर रहे हमारे कर्मचारियों के लिए भी उनकी फैमिली फिक्रमंद रहती है। जितना रिस्क डॉक्टर, नर्स उठा रहे हैं, उतना ही रिस्क एटीएम तक पैसा पहुंचाने वाली टीम भी उठा रही है। खतरे के बावजूद हर कोई अपना सौ प्रतिशत दे रहाहै, इसी का नतीजा है कि एटीएम में कैश की किल्लत नहीं हो रही।



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Coronavirus In Jammu Kashmir/Kargil Lockdown Update; Meet Woman Who Deliver Money to ATM




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मानसरोवर में 90 और अमरनाथ में 45 किमी की चढ़ाई, 12 साल में एक बार होने वाली नंदा देवी यात्रा में 280 किमी का सफर 3 हफ्ते में

नेशनल लॉकडाउन के कारण अमरनाथ यात्रा से लेकर कैलाश मानसरोवर तक की यात्राओं पर संशय के बादल हैं। केदारनाथ के कपाट खुल चुके हैं लेकिन अभी वहां जाने पर रोक है। अमरनाथ, केदारनाथ और मानसरोवर तीनों ही दुर्गम यात्राएं मानी जाती हैं। यहां पहुंचना आसान नहीं है। पर्वतों के खतरों से भरे रास्तों से गुजरना होता है। लेकिन, ये तीन ही अकेले ऐसे तीर्थ नहीं हैं। दर्जन भर से ज्यादा ऐसे कठिन रास्तों वाले तीर्थ हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बूते का नहीं है। कुछ स्थान तो ऐसे हैं, जहां पहुंचने में एक दिन से लेकर एक हफ्ते तक का समय लग सकता है।

ऊंचे पर्वत क्षेत्रों के मंदिर आम भक्तों के लिए कब खोले जाएंगे, ये स्पष्ट नहीं है। हाल ही में केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनौत्री धाम के कपाट खुल गए हैं, बद्रीनाथ के कपाट भी खुलने वाले हैं, लेकिन यहां आम भक्त अभी दर्शन नहीं कर पाएंगे। भारत के 14 ऐसे दुर्गम तीर्थों जहां हर साल लाखों भक्त पहुंचते हैं, लेकिन इस साल ये यात्राएं अभी तक बंद हैं...

अमरनाथ यात्रा

सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक है अमरनाथ की यात्रा। से कश्मीर के बलटाल और पहलगाम से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है। ये तीर्थ अनंतनाग जिले में स्थित है। अमरनाथ की गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। यहां पहुंचने का रास्ता चुनौतियों से भरा है। प्रतिकूल मौसम, लैंडस्लाइड, ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं के बावजूद लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं। शिवजी के इस तीर्थ का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां स्थित शिवलिंग पर लगातार बर्फ की बूंदें टपकती रहती हैं, जिससे 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग निर्मित होता है। गुफा में शिवलिंग के साथ ही श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी निर्मित होते हैं।

हेमकुंड साहिब

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां बर्फ की बनी झील है जो सात विशाल पर्वतों से घिरी हुई है, जिन्हें हेमकुंड पर्वत भी कहते हैं। मान्यता है कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह ने करीब 20 सालों तक तपस्या की थी। जहां गुरुजी ने तप किया था, वहीं गुरुद्वारा बना हुआ है। यहां स्थित सरोवर को हेम सरोवर कहते हैं। जून से अक्टूबर तक हेमकुंड साहिब का मौसम ट्रैकिंग के लिए अनुकूल रहता है। इस दौरान अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान -4 डिग्री तक हो जाता है। यहां पहुंचने के लिए ग्लेशियर और बर्फ से ढंके रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।

कैलाश मानसरोवर

शिवजी का वास कैलाश पर्वत माना गया है और ये पर्वत चीन के कब्जे वाले तिब्बत में स्थित है। ये यात्रा सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक है। यहां एक सरोवर है, जिसे मानसरोवर कहते हैं। मान्यता है कि यहीं माता पार्वती स्नान करती हैं। प्रचलित कथाओं के अनुसार ये सरोवर ब्रह्माजी के मन से उत्पन्न हुआ था। इसके पास ही कैलाश पर्वत स्थित है। इस जगह को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म में भी बहुत पवित्र माना जाता है। मानसरोवर का नीला पानी पर्यटकों के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र है। यह यात्रा पारंपरिक रूप से लिपुलेख उत्तराखंड रूट और सिक्किम नाथुला के नए रूट से होती है।

वैष्णोदेवी

जम्मू के रियासी जिले में वैष्णोदेवी का मंदिर स्थित है। ये मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। यहां भैरव घाटी में भैरव मंदिर स्थित है। मान्यता के अनुसार यहां स्थित पुरानी गुफा में भैरव का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया और शरीर इस गुफा में रह गया था। प्राचीन गुफा में गंगा जल प्रवाहित होता रहता है। वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई पड़ाव पार करने होते हैं। इन पड़ावों में से एक है आदि कुंवारी या आद्यकुंवारी।

केदारनाथ

बुधवार, 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है। ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मान्यता है कि प्राचीन समय में बदरीवन में विष्णुजी के अवतार नर-नारायण इस क्षेत्र में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करते थे। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए थे। केदारनाथ मंदिर का निर्माण पाण्डव वंश के राजा जनमेजय द्वारा करवाया गया था और आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जिर्णोद्धार करवाया था। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 16 किमी की ट्रेकिंग शुरू होती है। मंदाकिनी नदी के किनारे बेहद खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। एक यात्रा गुप्तकाशी से भी होती है। नए रूट में सीतापुर या सोनप्रयाग से यात्रा शुरू होती है। गुप्तकाशी रूट पर ट्रैकिंग ज्यादा करना होती है।

श्रीखंड महादेव

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में श्रीखंड महादेव शिवलिंग स्थित है। यहां शिवलिंग की ऊंचाई करीब 75 फीट है। इस यात्रा के लिए जाओं क्षेत्र में पहुंचना होता है। यहां से करीब 32 किमी की ट्रेकिंग है। मार्ग में जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर स्थित हैं। मान्यता है शिवजी से भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। तब भगवान विष्णु ने भस्मासुर को इसी स्थान पर नृत्य करने के लिए राजी किया था। नृत्य करते-करते भस्मासुर ने खुद का हाथ अपने सिर पर ही रख लिया था, जिससे वह भस्म हो गया।

नंदादेवी यात्रा

उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में हर 12 साल में एक बार नंदादेवी की यात्रा होती है। नंदा देवी पर्वत तक जानेवाली यह यात्रा छोटे गांव और मंदिरों से होकर गुजरती है। इसकी शुरूआत कर्णप्रयाग के नौटी गांव से होती है। 2014 में ये यात्रा आयोजित हुई थी। मान्यता है कि हर 12 साल में नंदा मां यानी देवी पार्वती अपने मायके पहुंचती हैं और कुछ दिन वहां रूकने के बाद भक्तों के द्वारा नंदा को घुंघटी पर्वत तक छोड़ा जाता है। घुंघटी पर्वत को शिव का निवास स्थान और नंदा का सुसराल माना जाता है।

मणिमहेश

हिमाचल के चंबा जिले में स्थित है मणिमहेश। यहां शिवजी मणि के रूप में दर्शन देते है। मंदिर भरमौर क्षेत्र में है। भरमौर मरु वंश के राजा मरुवर्मा की राजधानी थी। मणिमहेश जाने के लिए भी बुद्धिल घाटी से होकर जाना पड़ता है। यहां स्थित झील के दर्शन के लिए भक्त पहुंचते हैं।

शिखरजी

झारखंड के गिरीडीह जिले में जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ शिखरजी स्थित है। ये मंदिर झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था।

यमनोत्री

यमुनादेवी का ये मंदिर उत्तराखंड के चारधामों में से एक है। यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। ये यमुना नदी का उद्गम स्थल है और ऊंची पर्वतों पर स्थित है। हनुमान चट्टी से 6 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है और जानकी चट्टी करीब 4 किमी ट्रेकिंग करनी होती है।

फुगताल या फुक्ताल

लद्दाख के जांस्कर क्षेत्र में स्थित है फुगताल यानी फुक्ताल। यहां 3850 मीटर ऊंचाई पर बौद्ध मठ स्थित है। ये मंदिर 12वीं शताब्दी का माना जाता है।

तुंगनाथ

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के संबंध में मान्यता है कि ये हजार साल पुराना है। यहां मंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी बहती है। इस क्षेत्र में चोपटा चंद्रशिला ट्रेक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

गौमुख

उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री स्थित है। यहां से करीब 18 किमी दूर गौमुख है। यहीं से गंगा का उद्गम माना जाता है। इस क्षेत्र में गंगा को भागीरथी कहते हैं। ये क्षेत्र उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।

रुद्रनाथ

रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित है। यहां शिवजी का मंदिर है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,600 मीटर है। मान्यता है कि रुद्रनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। सभी पांडव यहां शिवजी की खोज में पहुंचे थे। महाभारत युद्ध में मारे गए यौद्धाओं के पाप के प्रायश्चित के लिए पांडव यहां आए थे।



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Pilgrimage in India | 14 Famous Pilgrimage in India Full List Updates; Amarnath Yatra to Kailash Mansarovar




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महू में 15 नए पॉजिटिव, इनमें से 2 की पहले ही हो चुकी है मौत, अब तक 61 संक्रमित, 32 में से 17 की रिपोर्ट आई निगेटिव

शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मंगलवार देर रात मिली 32 और सैंपल रिपोर्टों में से 15 पॉजिटिव निकली हैं, शेष 17 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। संक्रमितों का अब तक का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। पॉजिटिव रिपोर्टों में शामिल दो की रिपोर्ट आने के पहले मौत हो चुकी है। इन्हें मिलाकर संक्रमितों की कुल संख्या 61 हो चुकी है। कुल संक्रमितों की रिपोर्ट में शामिल मृतकों की संख्या आठ हो चुकी है। जिन 15 लोगों की रिपोर्ट आई है उनमें शहर के दो नए क्षेत्रों पेंशनपुरा और राजा गली के भी शामिल हैं।
स्थानीय प्रशासन ने अागामी अादेश तक के लिए कर्फ्यू लगाया है। मंगलवार काे शहर के विभिन्न स्थानाें पर लाेग कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए घर से ही सब्जी व किराना का व्यापार कर रहे थे। इस मामले में पुलिस-प्रशासन ने अलसुबह ही दबिश देकर ऐसे लाेगाें काे पकड़ा। इसमें सब्जी बेचने के मामले में महिला सहित दाे व बेवजह घूमते हुए पांच लाेगाें पर लाॅकडाउन उल्लंघन की कार्रवाई की गई। अभी भी लोगों द्वारा लॉकडाउन का पालन नहीं किया जा रहा है। यदि ऐसा ही रहा तो संक्रमण का खतरा अाैर बढ़ने की संभावना है।

शहर में मंगलवार सुबह छह बजे से ही नायब तहसीलदार रीतेश जाेशी पुलिस बल के साथ हाट मैदान पहुंचेे। यहां पर भगवान काैशल अपने घर से ही बड़ी मात्रा में सब्जी बेचने का काम करता मिला। जिस पर सब्जी जब्त करने के साथ ही उसे पकड़कर थाने भिजवाया। इसके अलावा गुजरखेड़ा में भी राधा नामक महिला अपने घर से सब्जी बेच रही थी। टीम ने उसे भी पकड़ा व थाने भिजवाया।

188 में कार्रवाई : हाट मैदान के काैशल काे दूसरी बार सब्जी बेचते पकड़ा...
प्रशासन ने हाट मैदान में भगवान काैशल काे घर से सब्जी बेचते हुए पकड़ा है। इस पर घर से सब्जी बेचने व लाॅकडाउन उल्लंघन की दूसरी बार कार्रवाई की गई है। इससे पहले भी कर्फ्यू के दाैरान प्रशासन काैशल काे घर से सब्जी बेचने के मामले में पकड़ा जा चुका है, उस पर लाॅकडाउन उल्लंघन के तहत 188 की कार्रवाई की गई थी।
बेवजह घूम रहे लोगों को कोर्ट में पेश किया : राजमाेहल्ला, श्याम विलास चाैराहा, हाट मैदान आदि क्षेत्राें से प्रशासन ने दाेपहिया वाहनाें पर बेवजह घूम रहे उमेश पिता श्रीराम पाल निवासी गुजरखेड़ा, भीम पिता कुंजीलाल काैशल निवासी हाट मैदान, पिंटू पिता रामअवतार वर्मा निवासी राजमाेहल्ला पर भी केस दर्ज किया। दाेपहर में इन सभी काे प्रशासन ने न्यायालय में भी पेश किया गया। शहर के अलग-अलग इलाकाें में काेराेना संक्रमित मिलने के बाद बनाए गए कंटेनमेंट एरिया में लाेगाें की सुबह के समय खासी चहल-पहल देखी जा रही है। इसके लिए प्रशासन काे सतर्कता बरतने की खासी जरूरत है।

घर से बेच रहा था किराना, दुकान बंद करवाई...
नायब तहसीलदार जाेशी काे सूचना मिली थी कि गाेकुलगंज क्षेत्र में कुणाल नामक व्यक्ति अपने घर से ही किराना बेच रहा है। जिस पर टीम ने वहां दबिश दी, ताे कुणाल अपने घर से ही लाेगाें काे किराना सामग्री बेचता मिला। जिस पर उसे भी पकड़कर थाने भिजवाया। अभी कर्फ्यू के दाैरान प्रशासन ने सिर्फ एक दिन छाेड़कर एक दिन किराना सामग्री हाेम डिलीवरी के माध्यम से ही सप्लाय करने की अनुमति दी है। इसके बावजूद नगर में सब्जी बेची जा रही है।

एसएएफ की कंपनी भी शहर पहुंची, आज से 80 जवान संभालेंगे माेर्चा
शहर में लगातार बढ़ रहे काेराेना संक्रमित अांकड़े काे लेकर लाेगाें से सख्ती के साथ लाॅकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस-प्रशासन लगातार काेशिश कर रहा है। इसी के चलते अब ईगल वन कमांडेंट छिंदवाड़ा धर्मराज मीणा ने एसएएफ के 80 जवानाें की कंपनी अाैर बुलवाई है। इस कंपनी के जवानाें काे बुधवार से शहर के विभिन्न पाइंट पर तैनात किया जाएगा, जिससे लाॅकडाउन का पालन अाैर बेहतर तरीके से हाे सके।



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15 new positives in Mhow, 2 of them have already died, 61 infected so far, 17 out of 32 reported negative




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8 दिन छूट दी तो दुकानें खोली, भीड़ लगाई, सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया पालन, इसलिए जिले में 3 मई तक फिर लगा कर्फ्यू

जिले में पहला पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद कलेक्टर सुरभि गुप्ता ने 20 अप्रैल तक कर्फ्यू लगाया था। इसके बाद कर्फ्यू समाप्त कर जरूरी सामान और आवश्यक वस्तुओं के लिए छूट दे दी। लेकिन लोगों ने इस छूट का गलत फायदा उठाया।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक के बाजार में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही थी। किराना दुकान वालों ने दुकानें खोलना शुरू कर दी। दुकानों पर गोल घेरे नहीं होने से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा था। सब्जीवाले जारी किए गए पास के अनुसार वार्ड में सब्जियां बांटने की जगह सड़क पर दुकानें लगाकर बैठने लगे। प्रशासन लगातार कार्रवाई भी कर रहा था। लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा था। भास्कर ने इस संबंध में लगातार खबरें प्रकाशित की। इस पर प्रशासन ने संज्ञान लिया और कर्फ्यू के आदेश 3 मई तक के लिए जारी किए।

ये हैं आदेश : जिले की संपूर्ण राजस्व सीमा में लागू रहेगा कर्फ्यू
लॉकडाउन के चलते निर्धारित शर्तों के अंतर्गत छूट दी गई थी। लेकिन आमजन ने सोशल डिस्टेंसिंग व निर्देशों का उल्लंघन किया। जिले की सीमाओं व क्षेत्रों से लगे जिला धार के कुक्षी, गुजरात राज्य के जिला दाहोद, जिला छोटा उदयपुर व तहसील कंवाट में कोविड-19 की संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में आलीराजपुर जिले की राजस्व सीमा अंतर्गत समस्त क्षेत्र में इसकी रोकथाम के लिए यह आवश्यक हो गया है कि सीमाओं को सील किया जाए।

अब यह नहीं कर सकेंगे - कलेक्टर गुप्ता ने कोरोना संक्रमण से स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा से उत्पन्न खतरे को देखते हुए लोक शांति बनाए रखने एवं सोशल डिस्टेसिंग के उद्देश्य से जिले में कर्फ्यू के आदेश का सख्ती से पालन कराए जाने के आदेश दिए हैं। आदेश के तहत किसी भी व्यक्ति के जिले की राजस्व सीमाओं में स्थित सड़कों पर, सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक मार्गों या अन्य किसी भी स्थल पर एकत्रित होने, खड़े होने, वाहन, यातायात का कोई भी साधन का उपयोग करने पर तत्काल प्रभाव से पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा। जिलेवासी अपने-अपने घरों में ही रहे, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित हो सके।

यहां लागू नहीं है आदेश - प्रतिबंधात्मक आदेश के दौरान शासकीय, निजी अस्पताल, संस्था व उनके कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों एवं अन्य अमला, पुलिसबल, नगर पालिका, कार्यालिक मजिस्ट्रेट, विद्युत मंडल, इंटरनेट, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर, किसी भी तरह की एंबुलेंस सेवा, शासकीय कार्य संपादित करने के लिए नियुक्त अधिकारी, कर्मचारी, आवश्यक वस्तुओं की घर पहुंच सेवा, होम डिलेवरी में लगे कर्मचारियों, रसोई गैस सिलेंडर वितरण व्यवस्था, मीडियाजन, दवा दुकानें, सभी प्रकार के ईंधन, परिवहन के साधन व भंडारण डिपो, खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल अन्य कोई भी खाद्य सामग्री की निर्माण इकाईयां, दवा, सैनिटाईजर, मास्क एवं चिकित्सीय उपकरण, समर्थन मूल्य पर मंडियों में अनाज की खरीदी, गैस सिलेंडर की आपूर्ति पर छूट का प्रावधान रहेगा।



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Shops were opened for 8 days, crowds opened, social distancing was not followed, so curfew was imposed again till May 3 in the district.




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दाहोद के क्वारेंटाइन सेंटरों से 230 लोग लौटे, राजस्थान-उत्तर प्रदेश वाले भी जाएंगे

गुजरात से मजदूरों को लाने के लिए बॉर्डर चार दिन पहले खोली गई, लेकिन अभी तक इसका कुछ खास फायदा नजर नहीं आ रहा। सैकड़ों गाड़ियां लोगों को अपने जिले में छोड़ने के लिए बुलवाई गई, लेकिन गुजरात की तरफ से लोग आ नहीं रहे। अब प्रदेश सरकार और गुजरात सरकार की बात चल रही है। गुजरात से आसपास के जिलों के मजदूर बसों से छुड़वा दिए गए, लेकिन दूर के जिलों के नहीं। अब ये चर्चा की जा रही है कि या तो गुजरात सरकार मजदूरों को लाकर यहां छोड़ दे या प्रदेश की बसों को वहां तक जाने की अनुमति दे दी जाए। अभी राजस्थान और उत्तर प्रदेश से भी इसे लेकर बात चल रही है।

अब तक इतने आए

  • 3575 मजदूर
  • 74गाड़ियों से भेजे

उप्र और राजस्थान के लोग वहां ज्यादा संख्या में हैं
मजदूरों के अलावा दाहोद के 42 क्वारेंटाइन सेंटरों में लॉकडाउन के समय से रह रहे प्रदेश के 230 लोग यहां आ चुके हैं। प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोग वहां ज्यादा संख्या में हैं। दाहोद कलेक्टर विजय खराड़ी ने बताया, जैसे ही कोई निर्णय होता है और निर्देश आते हैं, वैसा किया जाएगा।
छांव के लिए टेंट लगाए
गुजरात की ओर से आने वालों की स्क्रीनिंग की जगह पर टेंट नहीं होने से 40 डिग्री तापमान के बीच लोगों को धूप में कतार में खड़े रहकर इंतजार करना पड़ रहा था। इनमें बच्चे भी शामिल थे। दैनिक भास्कर में खबर के बाद स्क्रीनिंग वाली जगह पर टेंट व्यवस्था की गई।



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230 people returned from quarantine centers of Dahod, Rajasthan-Uttar Pradesh people will also go




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काेराेना की कैद से मुक्त हुआ बचपन; 3 साल का काेराेना पाॅजिटिव हुआ ठीक, घर पहुंचते ही लगा दी दाैड़

जिले का सबसे छाेटा काेराेना पाॅजिटिव 3 साल का मुमताज ठीक हाे गया है। रिपाेर्ट निगेटिव अाने के बाद मंगलवार काे उसे जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 20 दिन की अाइसाेलेशन सेंटर अाैर जिला अस्पताल की कैद से वह जैसे ही पानीगांव में अपने घर पहुंचा, गाेद से उतरकर दाैड़ लगा दी अाैर खेलने लगा।
3 साल के मुमताज की रिपाेर्ट 16 मार्च काे पाॅजिटिव आई थी। उसे आठ दिन क्वारेंटाइन सेंटर में और फिर 12 दिन जिला अस्पताल के आइसाेलेशन वार्ड में रहना पड़ा। वह अपनी मां के साथ था, जिनकी रिपाेर्ट निगेटिव आई थी। मंगलवार काे बच्चे अाैर मां दाेनाें की रिपाेर्ट निगेटिव आने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई। मासूम बच्चे की देखभाल अस्पताल स्टाफ नहीं कर पाता, इसलिए मुमताज पिता सरताज नबी मंसूरी के साथ उसकी मां सायबा काे भी रखा गया था। अस्पताल के एक वार्ड में 12 दिन तक बच्चे काे संभालना मां के लिए भी कठिन था, क्याेंकि बच्चा बार-बार घर जाने की जिद कर रहा था। पानीगांव से 8 लाेगाें को 8 मार्च की रात में लाए थे, जिन्हें अस्पताल के पीछे नर्सिंग काॅलेज में रखा था, इनकी जांच के लिए सैंपल लिए और 16 मार्च काे 2 की रिपाेर्ट पाॅजिटिव आने पर एक काे अमलतास और बच्चे काे जिला अस्पताल में रखा गया था।
सुतार बाखल के 15 लाेगाें काे क्वारेंटाइन सेंटर भेजा
साेमवार काे सुतारबाखल में एक महिला की पाॅजिटिव रिपाेर्ट आने के बाद से उस घर काे स्वास्थ्य विभाग ने सील कर दिया था। मंगलवार काे टीम ने घर के सदस्य और सभी किरायेदार 13 लाेगाें काे क्वारेंटाइन सेंटर में भेज दिया है। दाेपहर में इंदाैर से मरीज के पास से लाैटे बेटे-बहू सहित कुल 15 लाेगाें काे क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है।

राेजाना घर जाने की जिद करता था : मां
मां सायबा ने बताया, बच्चे को संक्रमण हाेने की रिपाेर्ट आने पर हम सहम गए थे, पता नहीं मेरे फूल जैसे बच्चे का क्या हाेगा। अल्लाह से बहुत दुआएं की और अस्पताल के डाॅक्टर अतुल पवनीकर औरउनके स्टाफ नर्स ने बहुत अच्छा इलाज किया। वह बच्चे का चेकअप भी करते थे। मुमताज मुझसे कहता था, मम्मी घर चलाे, घर चलाे, मैं उसे माेबाइल पर वीडियाे काॅलिंग कर उसके पापा, दादा और बुआजी से बात करवा देती थी। राेजाना घर जाने की जिद करता था, ताे मैं कहती थी, बेटा जल्दी घर चलेंगे और उसे दूसरी बात में लगा देती थी। हम घर आए, वैसे ही वह मेरी गाेद से उतरा अाैर घर के चाराें तरफ घूमने के बाद खेलने लगा। मैं भी बच्चे के साथ अस्पताल में 12 दिनाें तक रही, जहां डाॅक्टर मुझे बहुत अच्छे से समझाते थे, नर्स भी मदद करती थी। बच्चे से भी अच्छे से बात कर उसे भी समझाते थे कि जल्द तुम्हे घर छाेड़ देंगे। हम जैसे ही गांव पहुंचे ताे लाेगाें ने स्वागत किया, यह माहाैल देख मेरा दिल खुश हाे गया। डाॅक्टराें ने हमें 14 दिन तक घर से बाहर नहीं जाने का कहा है।

क्वारेंटाइन सेंटर से 11 लाेगाें काे हाथ में फूल देकर छाेड़ा घर : नाेडल अधिकारी डाॅ. एसएस मालवीय ने बताया, अानंद नगर, रघुनाथपुरा और रेवाबाग में पाॅजिटिव मरीजाें के सामने आने के बाद उनके परिवार के 11 लाेगाें काे बालगढ़ राेड स्थित छात्रावास में क्वारेंटाइन सेंटर में लाया गया था। इन लाेगाें के सैंपल जांच के लिए इंदाैर भेजे थे, जहां से रिपाेर्ट निगेटिव आने पर मंगलवार काे पुष्प देकर घर छाेड़ दिया है। आनंद नगर के 6, रेवाबाग के 4 व रघुनाथपुरा के 1 युवक काे घर छाेड़ दिया गया। इसके साथ ही जिला अस्पताल के आइसाेलेशन वार्ड में ड्यूटी करने वाली 3 नर्साें के भी सैंपल जांच के लिए भेजे थे, इनकी रिपाेर्ट भी निगेटिव आई है। नर्साें की ड्यूटी अब आइसाेलेशन वार्ड के बजाय दूसरे वार्ड में लगाई गई है। नगर निगम कर्मचारी इकबाल भी अमलतास में भर्ती हैं, जिनकी रिपाेर्ट निगेटिव अाई है।

16 मार्च काे जयप्रकाश मार्ग की जिस 85 साल की महिला की माैत हुई, वह काेराेना पाॅजिटिव
देवास में काेराेना से मरने वालाें की संख्या 7 हुई, कुल मरीज 25
शहर के जयप्रकाश मार्ग के हवा पहलवान की गली में रहने वाली 85 साल की बुजुर्ग महिला शेर बानाे की 16 मार्च काे माैत हाे गई थी। उनकी रिपाेर्ट 12 दिन बाद पाॅजिटिव आई है। इससे अब देवास जिले में काेराेना से मरने वालाें की संख्या 7 हाे गई है। कुल मरीज 25 हाे गए हैं।
मृतक के संदिग्ध हाेने पर डाॅक्टराें की टीम ने उनके सैंपल लिए थे, रिपाेर्ट मंगलवार काे अाई। डाॅक्टराें ने उस क्षेत्र काे 20 मार्च काे सील कर दिया था। महिला की रिपाेर्ट अाने के बाद से माेहल्ले वाले भी सतर्क हाे गए हैं। माेहल्ले वालाें ने बताया, महिला के परिवार में 45 छाेटे-बड़े सदस्य रहते हैं। उनके पांच बेटों का भरा-पूरा परिवार है, जाे माेहल्ले वालाें से ज्यादा बात नहीं करता है। घर वालाें की आदत है कि यह घर में रहते ज्यादा किसी से लेना-देना नहीं है। मृतका के दाे लड़के वेल्डिंग का काम, एक लड़का ड्रायवर, एक लड़का ठेकेदारी, एक घर पर रहता और एक लड़के की साइकिल की दुकान है।
जिस माेहल्ले में पाॅजिटिव मृतक महिला का मकान है, उस माेहल्ले में जाने का एकमात्र रास्ता हाेकर तीनाें तरफ से रास्तें बंद है। इसलिए इस क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग काे भी ज्यादा मशक्कत नहीं करना पड़ी। परिवार में किसी भी सदस्य के बीमार हाेने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सैंपल भी नहीं लिए हैं। अब रिपाेर्ट पाॅजिटिव अाने के बाद महिला के परिवार के सदस्याें की स्क्रीनिंग कर सैंपल लेने की प्रक्रिया की जाएगी। इनकी गली के अलावा पत्ती बाजार वाले रास्ते सहित अन्य रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं।



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Childhood freed from Caraina's captivity; 3-year-old Carena became positive, hit her when she got home




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सेंट्रल जेल के एक और कैदी व प्रधान आरक्षक की रिपोर्ट पॉजिटिव, अब तक 30 को हुआ संक्रमण

जेल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार रात आई रिपोर्ट में 19 कैदियों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी वहीं मंगलवार रात आई रिपोर्ट में एक कैदी और एक प्रधान आरक्षक को कोरोना से पीड़ित बताया गया है। इस प्रकार जेल से जुड़े 30 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके है।

जेल अधिकारियों के अनुसार चंदननगर क्षेत्र में पत्थरबाजी करने वाले आरोपियों को सेंट्रल जेल में भेजने के बाद कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ना शुरू हो गई थी। सोमवार को आई रिपोर्ट में असरावद खुर्द में बनी अस्थाई जेल में कैद 10 और सेंट्रल जेल में बंद 9 कैदियों में कोरोना की पुष्टि हुई थी। वहीं मंगलवार रात आई रिपोर्ट में एक और कैदी फिरोेज खाना कोरोना पॉजिटिव पाया गया। वहीं जेल के प्रधान आरक्षक राजेन्द्र पंवार भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए है। इसे मिलाकर अब तक सेंट्रल जेल से जुड़े 29 लोगों को कोरोना हो चुका है। वहीं जिला जेल में बंद एक कैदी सद्दाम की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।

160 से ज्यादा प्रहरी रोज शहर के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं ड्यूटी करने

  • भास्कर की पड़ताल में पता चला कि सेंट्रल जेल में 160 से ज्यादा प्रहरी रोज शहर के अलग-अलग हिस्सों से ड्यूटी करने आते हैं। वे सिर्फ मास्क लगाते हैं। सफाई के लिए निगमकर्मी भी सैनिटाइज हुए बिना आ रहे थे। मेडिकल टीम भी आ रही है। रोज गाड़ियों से सब्जी आ रही है, जिन्हें पहले सैनिटाइज किए बिना अंदर लाया जा रहा था।
  • आशंका है इन्हीं कारणों से जेल में संक्रमण फैला हैं। लॉक डाउन के बाद से ही जेल में टेलीफोन पर कैदियों की बात होती थी। संभव है कि एक कैदी के संक्रमित होने से टेलीफोन के मार्फत रिसीवर से दूसरे कैदी भी संक्रमित हुए।
  • नतीजतन 13 अप्रैल को जेल में कैदी हुकुमसिंह की अचानक तबीयत बिगड़ी, जहां चार दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद प्रबंधन ने ताबड़तोड़ 80 से ज्यादा कैदियों की स्क्रीनिंग करवाई। सोमवार को उसी की बैरक के 10 कैदी पॉजिटिव मिले।बताया जा रहा है कि अभी 50 से ज्यादा कैदियों में कोरोना जैसे लक्षण लग रहे हैं, जिनके सैंपल भेजे गए हैं।
  • सेंट्रल जेल में कोरोना फैलने का दूसरा कारण चंदन नगर का नासिर है, जो जबलपुर भेजे गए संक्रमित कैदी जावेद का पिता है। नासिर भी संक्रमित था। उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा, पर वहां मौजूद 15 कैदी भी संक्रमित हो गए। कुछ की रिपोर्ट आना है।

सद्दाम बना कोरोना का वाहक : उधर, जिला जेल का कैदी सद्दाम भी पॉजिटिव निकला है। वह भी चंदन नगर की पत्थरबाजी में गिरफ्तार हुआ था। वह एक रात थाने की हवालात में कैदी जावेद के साथ बंद रहा था। जावेद के संक्रमण से सद्दाम भी चपेट में आ गया। आशंका है कि सद्दाम के कारण जिला जेल के कैदियों में भी संक्रमण फैलेगा।



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लॉक डाउन के बाद से ही जेल में टेलीफोन पर कैदियों की बात होती थी। संभव है कि एक कैदी के संक्रमित होने से टेलीफोन के मार्फत रिसीवर से दूसरे कैदी भी संक्रमित हुए।




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3 क्वारेंटाइन सेंटरों में रखे गए 170 लोगों में से 134 हुए डिस्चार्ज

पेटलावद में बनाए गए तीन क्वारेंटाइन सेंटरों में कुल 170 लोगों को रखा गया था, इसमें से अब तक 134 को अब तक डिस्चार्ज कर दिया गया है। यहां कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, कन्या शिक्षा परिसर व अंग्रेजी माध्यम स्कूल को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया था। जहां प्रशासन बाहर से आए लोगों व मजदूरों को क्वारेंटाइन कर रही है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय पर 101 लोगों को लाया गया था। इनमें से 51 को डिस्चार्ज कर दिया, 50 लोग अब भी यहां रखे गए हैं। साथ ही कन्या शिक्षा परिसर में 36 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था, जिसमें से 21 को डिस्चार्ज कर दिया है।
वर्तमान में यहां 24 लोग रखे गए हैं। इसी तरह अंग्रेजी माध्यम में 33 लोगों को रखा गया था, जिनमें से 11 को डिस्चार्ज कर दिया गया है। वर्तमान में 22 लोग यहां और हैं। बीएमओ डॉ. एमएल चोपड़ा ने बताया कुल 170 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था। तीनों सेंटरों में से अब तक 134 को घर भेज दिया है। इसके अलावा उन्हें होम क्वारेंटाइन में रहने की सलाह दी है। नोडल अधिकारी ओएस मेड़ा ने बताया केंद्र पर विशेष साफ-सफाई की जा रही है। प्रतिदिन सैनिटाइजर भी किया जा रहा है।



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134 out of 170 people kept in 3 quarantine centers




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पिछले साल अप्रैल में 400 से ज्यादा तापमान 23 दिन रहा, इस साल 9 दिन ही

लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम हुआ तो गर्मी भी कम पड़ रही है। अप्रैल में भी लू के थपेड़े अब जाकर महसूस हो रहे हैं। जबकि हर साल मार्च के आखिर में मौसम ऐसा हो जाता है। पिछले साल मार्च के आखिरी तीन दिन जितना तापमान था, वो इस साल अप्रैल के आखिरी में हुआ। ो
साल 2019 में अप्रैल महीने में 23 दिन अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। इस बार ऐसा 9 दिन हुआ। गुरुवार को महीने का आखिरी दिन है। आज भी पारा 40 डिग्री रहा तो कुल 10 दिन होंगे।
ज्यादा तापमान और लू के थपेड़ों के बीच दोपहर बाद आसमान में बादल भी छाए। लेकिन इनके कारण गर्मी कम नहीं हुई। फिलहाल लोग घरों में हैं तो गर्मी से राहत मिली हुई है। मई में अगर लॉकडाउन खुलता है तो गर्मी सहन कर पाना मुश्किल होगा। मौसम विभाग के अनुसार अब तापमान ज्यादा बना रह सकता है। मौसम विभाग से मिले पूर्वानुमान के अनुसार फिलहाल 3 मई तक तो पारा 40 डिग्री से ज्यादा ही रहेगा। अच्छे मानसून के लिए ये जरूरी भी है।

अधिकतम तापमान1 डिग्री कम
साल 2019 की 27 अप्रैल को अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था। इस बार सबसे ज्यादा तापमान 15 अप्रैल काे 42 डिग्री सेल्सियस रहा। मार्च काे देखा जाए तो 2019 के मार्च की 29, 30 और 31 तारीख को तापमान 40 डिग्री से ज्यादा था। इस बार मार्च भी ठंडा था। 13 मार्च को तापमान 28 डिग्री से ऊपर नहीं गया। इस दिन न्यूनतम तापमान 10.6 डिग्री था।



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Last year in April, more than 400 temperatures were 23 days, this year only 9 days.




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कोरोना के आंकड़ों में 29 जून तक होगा सुधार, 31 जुलाई बाद 90% कम होगी मृतकों की संख्या : ऋषभचंद्र

सन् 1720 में महामारी प्लेग थी, 1820 में कालरा थी, 1920 में स्पेनिश फ्लू था और अब 2020 में कोविड-19 है। हर 100 वर्ष में कोई न कोई प्रकृति जन्य रोग होते हैं। कोरोना के आंकड़ों में 29 जून तक राहत के आंकड़े सुधरेंगे। 31 जुलाई के बाद इस रोग से मरने वालों की संख्या में 90% गिरावट आएगी। भूंकप जैसी विपदाएं भी अनेक देश देखेंगे। आचार्य विजय ऋषभचंद्र सूरि ने ज्योतिष के मुताबिक यह बताया। सोशल मीडिया के माध्यम से जारी पत्र में उन्होंने बताया ज्योतिष विज्ञान के रचयिता आचार्य भद्रबाहु स्वामी की रचना भद्रबाहु संहिता में कहा गया है कि शुक्र सूर्य के साथ असमय उदय हो तो महामारी फैलती है। 25 मार्च भारतीय संवत्सर से 31 जुलाई तक शुक्र
वृषभ राशि में उदय-अस्त-वक्री मार्गी 125 दिन एक राशि
में आगे-पीछे रहेगा, जो सामान्य रूप से 27 से 30 दिन ही किसी भी राशि में गोचर रहता है।
आंधी-तूफान, ओलावृष्टि होगी तो खत्म होने की ओर बढ़ेगी महामारी : ऋषभचंद्रजी के अनुसार मेरा ज्योतिष अनुमान है कि 30 अप्रैल से 15 मई तक आंधी-तूफान, ओलावृष्टि और बरसात होती है तो यह रोग समाप्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा और जनमानस आंकड़ों में राहत महसूस करेगा। 29 जून तक राहत के आंकड़े सुधरेंगे। 31 जुलाई के बाद इस रोग से मरने वालों की संख्या में 90 प्रतिशत गिरावट आएगी।



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ऋषभचंद्




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55% सैंपल पॉजिटिव आ रहे थे, अब 6%; 286 सैंपल में से 19 पॉजिटिव, 3 की मौत

(नीता सिसौदिया) मध्य प्रदेश मेंकोरोना के हॉटस्पॉट बने इंदौर के लिए बुधवार को राहतभरी खबर आई। शहर में 286 सैंपल में 19 नए पॉजिटिव मरीज मिले हैं। 267 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। यानी पॉजिटिव रेट 6.64% रह गया। इसके साथ ही कुल मरीजों की संख्या 1485 हो गई है। हालांकि, इसी दौरान तीन और लोगों की मौत भी हुई है। तीनों मृतक पुरुष हैं। इनकी उम्र 40 से 69 वर्ष के बीच है। लॉकडाउन के जिस दूसरे चरण ने इंदौर की चिंता बढ़ाई थी, उसी के अंतिम दौर में मरीजों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

44 मरीज डिस्चार्ज

दूसरे चरण की शुरुआत में कुल सैंपल में पॉजिटिव की संख्या 55.59 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। वो अब घटने लगी है। इसी बीच, बुधवार को तीन अस्पतालों से 44 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया। अरबिंदो अस्पताल से 38, चोइथराम से 5 और एमआर टीबी अस्पताल से एक मरीज घर रवाना हुआ। सुदामा नगर निवासी श्रद्धा शर्मा ने बताया कि वो 16 अप्रैल को अरबिंदो अस्पताल में भर्ती हुई थीं। डॉक्टर्स, नर्स और स्टाॅफ की सेवा से स्वस्थ हुईं। कैलाश लहरी, सुरभि समाधिया, प्रवीण पोद्दार, संजू शर्मा औरजय रांका भी डिस्चार्ज हुए।



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इंदौर में पॉजिटिव मामलों की रफ्तार गिरी है। इसी दौरान स्वस्थ होने वालों की तादाद बढ़ी है।




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सेंट्रल जेल के एक और कैदी की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट, अब तक 31 संक्रमित हुए

सेंट्रल जेल में बंद एक और कैदी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसे मिलाकर जेल से जुड़े 31 लोगों को कोरोना संक्रमण हो चुका। इसके अलावा सेंट्रल जेल से 12 और कैदियों को अस्थाईजेल में शिफ्ट किया गया। अस्थाईजेल के 7 कैदियों को उपचार के लिए टीबी अस्पताल भेजा गया है।

बुधवार रात आई रिपोर्ट में सेंट्रल जेल में बंद सोनू नामक कैदी में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। इससे पहले 27 अप्रैल की रात आई रिपोर्ट में 19 कैदियों में कोरोनावायरस की पुष्टि हुई थी। वहीं, 28 अप्रैल की रात आई रिपोर्ट में एक कैदी और एक प्रधान आरक्षक को कोरोना से पीड़ित बताया गया था। जिला जेल में बंद एक कैदी सद्दाम की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। इस प्रकार अब तक जेल से जुड़े 31 लोगों में कोरोनावायरस की पुष्टि हो चुकी है।

जेल अधिकारियों के अनुसार, चंदननगर क्षेत्र में पत्थरबाजी करने वाले आरोपियों के जेल में आने के बाद से जेल में कोरोना की एंट्रीहुईथी। कोरोना के संक्रमण को देखते हुए असरावद खुर्द में अस्थाई जेल बनाई गई है, जहां 123 कोरोना पॉजिटिव और संदिग्ध कैदियों को रखा गया है। गुरुवार को सेंट्रल जेल में बंद 12 और कैदियों को सर्दी-खांसी की शिकायत के बाद अस्थाईजेल में शिफ्ट किया गया। अब अस्थाईजेल में कैदियों की संख्या बढ़कर 135 हो गई है। अस्थाईजेल के आइसोलेशन वार्ड में रह रहे 7 कैदियों को उपचार के लिए टीबी अस्पताल भेजा गया है।



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असरावद खुर्द स्थित अस्थाई जेल के आइसोलेशन वार्ड में कैदियों को रखा गया है।




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23 लोग स्वस्थ होकर घर लौटे, बोले- डॉक्टर और स्टाफ के कारण हम कोरोना से जीते, उनका दिल से शुक्रिया

कोरोनावायरस से जंग जीतकर स्वस्थ हुए 23 मरीजगुरुवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए। घर लाैटने वालों में13 मरीज इंडेक्स अस्पताल से, 5 मरीज एमआरटीबी अस्पताल से और 5 मरीज अरबिंदो अस्पताल के शामिल हैं। इससे पहले बुधवार को तीन अस्पतालों से 44 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया था। अरबिंदो अस्पताल से 38, चोइथराम से 5 और एमआर टीबी अस्पताल से एक मरीज घर रवाना हुआ।

घर रवाना होने से पहले अब्दुल रहीम ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ काे शुक्रिया कहा। उन्हाेंने कहा कि यहां 25 दिन बाद घर लाैट रहा हूं। यहां हर काम बहुत टाइम से हाेता है। कुछ डाॅक्टर, स्टाफ ताे बहुत ही मन सेलोगों की सेवा कर रहे हैं। अक्षत ने बताया कि उसे 11 अप्रैल को पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं। थोड़ा निराश जरूर हुआ। सरकार ने हमारा फ्री में इलाज करवाया। सरकार और डॉक्टर के कारण ही आज हम अपने घर लौट रहे हैं। वहीं, लुकमान ने कहा कि सरकार ने फ्री में हमारा इलाज करवाया। उनके इस पहल से गरीबों को काफी फायदा हो रहा है। यहां खाने के साथ ही इलाज की बेहतर सुविधा है।

इंडेक्स हॉस्पिटल से अब तक70 से 80 मरीज ठीक होकर लौटे

इंडेक्स हॉस्पिटल के नोडल अधिकारी सुधीर मौर्य ने बताया कि अब तक इस कॉलेज में हमने साढ़े 300 कोरोना मरीजों का इलाज किया है। इतना ही नहीं, यहां से 70 से 80 मरीज ठीक होकर अपने घर लाैट चुके हैं। हमारे यहां अभी भी ढाई सौ के करीब मरीज भर्ती हैं। हमारा 11 बेड का अस्पताल है, जिसमें से करीब 900 बेड कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए रखे गए हैं। पीपीई इंचार्ज सपना भदौरिया ने बताया कि हमारे यहां पर पीपीई किट की कमी नहीं है। हमारे लिए यह खुशी की बात है कि सबसे ज्यादा मरीज यहां पर एडमिट हुए और डिस्चार्ज होकर गए।

बुधवार की रिपोर्ट में मिली हल्की राहत

कोरोना के हॉटस्पॉट बने इंदौर के लिए बुधवार को राहतभरी खबर आई। शहर में 286 सैंपल में 19 नए पॉजिटिव मरीज मिले। 267 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई। यानी पॉजिटिव रेट 6.64% रह गया। इसके साथ ही कुल मरीजों की संख्या 1485 हो गई। हालांकि तीन लोगों की मौत भी हुई है। तीनों मृतक पुरुष हैं और इनकी उम्र 40 से 69 वर्ष के बीच है। इधर, लॉकडाउन के जिस दूसरे चरण ने इंदौर की चिंता बढ़ाई थी, उसी के अंतिम दौर में मरीजों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। दूसरे चरण की शुरुआत में कुल सैंपल में पॉजिटिव की संख्या 55.59 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, वह घटने लगी है।



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यहां से लौटे सभी मरीजों ने मुख्यमंत्री के साथ मेडिकल स्टाफ का शुक्रिया अदा किया।




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विक्रमपुर में महुआ खरीदी शुरू, 35 रुपए प्रतिकिलाे में खरीदकर नकद भुगतान कर रहे

प्राथमिक लघु वनोपज समिति विक्रमपुर में 13 गांवाें के महुआ संग्रहणकर्ता से महुआ खरीदी का कार्य शुरू किया गया। इससे संग्रहणकर्ता को नुकसान न हो और उन्हें सही दाम मिल सके। प्राथमिक लघु वनोपज समिति मर्यादित विक्रमपुर के पालक अधिकारी महेशचंद्र वर्मा ने बताया शासन के निर्देशानुसार 35 रु. प्रतिकिलो के हिसाब से महुआ खरीदी कर रहे हैं। इनसे महुआ खरीदकर इन्हें नकद भुगतान किया जाएगा। साथ ही महुआ खरीदी में सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है। आने वाले संग्रहणकर्ता को सैनिटाइज कर उसके हाथ धुलवाए गए। इसके बाद महुअा लिया जा रहा है।



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Mahua purchase started in Vikrampur, paying Rs. 35 cash in cash




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प्रदेश के 9 रेड जोन जिलों में मालवा-निमाड़ के 6 जिले, हॉटस्पॉट शहर इंदौर में 1513, उज्जैन में 142 कोरोना पॉजिटिव

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कोरोना के रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के बारे में जानकारी दी है। देश के 130 जिलों में 3 मई के बाद भी सख्ती जारी रह सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन्हें रेड जोन घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि रिकवरी रेट बढ़ा है। इसी हिसाब से अब अलग-अलग इलाकों में जिलों को जोन वाइज बांटा जा रहा है। मध्यप्रदेश जोलिस्ट भेजी गई है,उसमें 52 में से 9 जिलों को रेड, 19 को ऑरेंज और 24 को ग्रीन जोन में रखा गया है। इसमें से रेड जोन में सबसे ज्यादा मालवा निमाड़ के 15 में से 6 जिले शामिल हैं। वहीं, ग्रीन जोन में केवल दो जिले हैं।

मालवा निमाड़ के 15जिलों के हाल

जिला जोन संक्रमित संख्या
इंदौर रेडजोन 1513
उज्जैन

रेडजोन

142
देवास

रेडजोन

26
खंडवा (ईस्ट निमाड़) रेडजोन 46

बड़वानी

रेडजोन

26
धार

रेडजोन

48
खरगोन ऑरेंज जोन 71
रतलाम ऑरेंज जोन 14
मंदसौर ऑरेंज जोन 19
शाजापुर ऑरेंज जोन 06
आगर-मालवा

ऑरेंज जोन

12
बुरहानपुर

ऑरेंज जोन

01
आलीराजपुर

ऑरेंज जोन

03
झाबुआ ग्रीनजोन 00
नीमच ग्रीनजोन 00
मध्य प्रदेश के जिलों में काेरोना संक्रमण की स्थिति।

    ये कैसा आकलन:खरगोन में 71 कोरोना संक्रमित, फिर भी ऑरेंज जोन में

    सीएमएचओ डॉ. दिव्येश वर्मा ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया कि बीते 24 घंटे में 25 नए सैंपल भेजे गए। गुरुवार को 1 पॉजिटिव आया। अब जिले में 71 कोरोना संक्रमित हो गए।593 व्यक्ति निगेटिव मिले। जबकि 125 की रिपोर्ट शेष है। 8 सैंपल रिजेक्ट किए गए हैं। 7 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई।22 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं। जिले में अब कुल 14 कंटेनमेंट एरिया घोषित हैं। 24 घंटे में 383 लोगों ने होम क्वारैंटाइन अवधि पूरी की है।

    रेड जोन में कंटेनमेंट क्षेत्र

    • इंदौर : जिले में कुछ 74 क्षेत्रों को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया गया है। इनमें रानीपुरा, हाथीपाला, स्नेह नगर, खातीवाला टैंक, चंदन नगर, गुमास्ता नगर, टाटपट्‌टी बाखल, खजराना, मूसाखेड़ी, मनीषबाग, काेयला बाखल, निपानिया, लिंबोदी, आहिल्या पलटन, रवि नगर, सांईधाम काॅलोनी, एमआर 9, आजाद नगर, मनोरमागंज, वल्लभ नगर, पुलिस लाइन, मेडिकल कॉलेज गर्ल्स हॉस्टल, स्नेहलतागंज, उदापुरा, इकबाल कॉलोनी, गांधी नगर, अंबिकापुरी कॉलोनी, मोती तबेला, सागोर कुटी, सुखलिया, जवाहर मार्ग, पिंजारा बाखल, बंबई बाजार, गणेश नगर, उषागंज छवनी, लोहरपट्टी, जूना रिसाला, नयापुरा, समाजवाद नगर, नेहरू नगर, शिक्षक नगर, साकेत धाम, ब्रुकबांड कॉलोनी, सिद्वीपुरम कॉलोनी, ग्रीन पार्क, अनूप नगर, विद्या पैलेस, लोकमान्य नगर, साउथ तोड़ा, तिलक नगर, ब्रह्मबाग कॉलोनी, बुधबन कॉलोनी, सुदामा नगर, सैफी नगर, जबरन कॉलोनी, रूपराम नगर, पैलेस कॉलोनी, मरीमाता, विनोबा नगर, ओम विहार, लोधीपुरा, सांई रायल, सत्यदेव नगर, बड़वाली चौकी, साउथ बजरिया, विंध्यनगर, मिष्ती मोहल्ला, पल्हर नगर, शीतलामाता बाजार, लोकनायक नगर, छत्रीपुरा, कुशवाह नगर, प्रेम नगर, बीसीएम सिटी, एएसपी बंगला एरिया महू।
    • देवास : जिले में 18 केंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किए गए हैं। इसमें जबरेश्वर मंदिर गली, शिमला कॉलोनी, स्टेशन रोड, पठानकुआं, पीठा रोड, नाहर दरवाजा, ग्राम लोहार पिपलिया, सिल्वर पार्क, स्वास्तिक नगर, रघुनाथपुरा, नई आबादी, सम्यक बिहार, आनंद नगर, वार्ड, हाटपिपल्या का क्रमांक 4 और वार्ड क्रमांक 9, टोंकखुर्द का वार्ड क्रमांक 1 और 2, कन्नौद का पनीगांव शामिल है।
    • खंडवा : जिले में कुल 18 कंटेनमेंट एरिया घोषित किए गए हैं। इसमें शहर के 12 और ग्रामीण के 6 क्षेत्र शामिल हैं। शहर में खानशाहवली संजय कॉलोनी, खड़कपुरा, मेडिकल कॉलेज, लाल चौकी, वार्ड क्रमांक - 43 मोघट थाने के पीछे, पदमकुंड वार्ड, संतोष नगर, आनंद नगर, गणेशतलाई, पड़ावा, बड़ाबम, रामेश्वर रोड श्रीमाली हॉस्पिटल के पीछे, हातमपुरा, परदेशीपुरा, पंधाना ब्लॉक के ग्राम गुड़ीखेडा रैयत, कुमठी, खिराला, बोरगांव बुजुर्ग, कृषि उपज मंडी पंधाना व ग्राम पाडल्या, तहसील खंडवा ग्राम दूगवाड़ा को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है।
    • उज्जैन : जानसापुरा, अंबर काॅलाेनी, दानीगेट, काेट माेहल्ला, दिशावाल का बाड़ा, माेतीबाग, बेगमबाग, ताेपखाना, नागाैरी माेहल्ला, अमरपुरा, गांधाीनगर, कमरी मार्ग, केडी गेट, अवंतीपुरा, बंगाली काॅलाेनी, महानंदा नगर, सांई विहार काॅलाेनी, वल्लभ भाई मार्ग पटेल गली, मुनिनगर और कामदारपुरा शामिल
    • बड़वानी : बड़वानी जिले में रुकमणि नगर, रैदास मार्ग, सुतार गली, दर्जी मोहल्ला और पूजा स्टेट इसके अलावा सेंधवा में खलवाड़ी मोहल्ला, अमन नगर आदि।
    • धार : उतावद दरवाजा बख्तावर मार्ग, जानकी नगर, भाजी बाजार, पट्‌ठा चौपाटी, गांधी कॉलोनी, इस्लामपुरा, एलआईजी कॉलोनी,धरमपुरी तहसील के ग्राम बलवाडा, ए/एल 199 हाउसिंग काॅलोनी पीथमपुर और चौधरी काॅलोनी सागौर तहसील पीथमपुरआदि।


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    इंदौर में राज मोहल्ला क्षेत्र में रहवासी लाॅकडाउन के चलते छतों पर विभिन्न खेल जैसे क्रिकेट, पंतगबाजी, रस्सी कूद, हास्य, योग के जरिए खुद काे फिट रखने की कोशिश कर रहे हैं।




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    2 मौत; 507 सैंपल में से 32 ही पॉजिटिव, हर दिन 500 सैंपल होंगे, सख्ती बरकरार

    शुक्रवार को शहर में कोरोना के 28 नए मरीज मिले। इसे मिलाकर पॉजिटिव मरीजों की संख्या 1545 हो गई है। कुल 507 सैंपल में से 453 निगेटिव आए। दो मरीजों की मौत भी हुई, अब तक 74 लोगों की जान जा चुकी है। इधर, शहर अब लॉकडाउन 3.0 के लिए तैयार है। इसके लिए प्रशासन ने तीन बिंदुओं सैंपलिंग, टेस्टिंग और सख्ती को फोकस कर रणनीति बनाई है, जिस पर शनिवार से ही अमल शुरू होगा। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी के मुताबिक, हर दिन औसत 400 सैंपल ले रहे हैं, उन्हें बढ़ाकर 500 करेंगे। इसमें कंटेनमेंट एरिया के सामान्य लोग के सैंपल भी रहेंगे। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि अब कोरोना कंट्रोल में आ रहा है, लिहाजा शहर में बेवजह घूमने वालों की गाड़ी जब्त करेंगे, उन्हें गिरफ्तार कर खुली जेल में भेजा जाएगा। तीनों बिंदुओं पर सख्ती से काम करेंगे, ताकि शहर कोरोना फ्री हो जाए।
    सेंट्रल जेल का मुख्य द्वार प्रहरी भी कोरोना पॉजिटिव

    सेंट्रल जेल के मुख्य द्वार पर ड्यूटी करने वाले प्रहरी की गुरुवार रात को रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। वहीं 68 वर्षीय एक कोरोना संदिग्ध कैदी की उपचार के दौरान शुक्रवार को मौत हो गई। नया पॉजिटिव मिलने से जेल से जुड़े 32 लोग कोरोना संक्रिमत हो चुके हैं। गुरुवार रात आई रिपोर्ट में प्रहरी सचिन द्विवेदी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कोरोना लक्षण दिखाई देने पर सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। जेल में कोरोना के संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने असरावद खुर्द में अस्थाई जेल तैयार की है, इसमें 133 कैदियों को क्वारेंटाइन किया गया है। अब तक चार प्रहरी पॉजिटिव आ चुके हैं।



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    Indore Coronavirus News | Indore Coronavirus Lockdown 3.0 Latest News Updates | Corona Cases in Madhya Pradesh Indore rise to 1545; Death Toll at 74




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    उज्जैन में दो साल की बच्ची समेत 9 लोग कोराेना संक्रमित, अब तक कुल 156 पाॅजिटिव, 30 लाेगाें की जान गई

    धार्मिक नगर उज्जैन में कोरोना का संक्रमण लगातार पैर पसार रहा है। शनिवारजारी रिपोर्ट में 9नए मामले सामने आए। वहीं, तीनलोगों की मौत की पुष्टि हुई। इसे मिलाकर जहां संक्रमितों का आंकड़ा अब 156पहुंच गया है। वहीं, मरने वालों की संख्या 30 हो गई है। संक्रमितों में नागदा और बड़नगर के लोग भी शामिल हैं। उज्जैन में बेगम बाग की करीब दो सालबच्ची में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। इसके अलावा ज्यादातर पाॅजिटिव मरीज कंटेनमेंट एरिया से ही हैं।


    केडी गेट व कमरी मार्ग सबसे ज्यादा संक्रमित
    सबसे ज्यादा असर भार्गव मार्ग, केडी गेट, कमरी मार्ग के कंटेनमेंट एरिया में है, जहां 29 पॉजिटिव हैं। दूसरा नागौरी मोहल्ला, तोपखाना, अमरपुरा कंटेनमेंट क्षेत्र है जहां 25 पॉजिटिव हैं। तीसरा बेगमबाग, जबरन कॉलोनी कंटेनमेंट है जहां 12 पॉजिटिव हैं। सबसे पहले कंटेनमेंट क्षेत्र बने जांसापुरा में 8, गीता कॉलोनी, पटेल मार्ग, रविंद्रनाथ टैगोर मार्ग एरिया में 7 पॉजिटिव हैं। 9 कंटेनमेंट एरिया में 1-1, 3 में 2-2 तथा 2 में 3-3, 1 में 4 तथा 2 में 5 पॉजिटिव मरीज मिले।


    10 लोगों को हाई बीपी और शुगर थी
    कोरोना पॉजिटिव सबसे ज्यादा 10 लोगों की मौत हाई बीपी, अस्थमा, दिल की बीमारियां, शुगर के कारण चपेट में आने से हुई है। कोरोना के लक्षणों वाली बीमारियों से 4 तथा 11 अन्य की मौत कोरोना के साथ हाईपरटेंशन व बीमारियों के कारण चपेट में आने से हुई। विश्लेषकों ने पीड़ितों की बीमारियों को 12 केटेगरी में रखा है। विश्लेषकों के अनुसार जिन मरीजों को पहले से हाइपरटेंशन, शुगर, अस्थमा, बीपी जैसी गंभीर बीमारियां हैं, उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए। यदि उन्हें कोरोना के प्रमुख लक्षण जैसे सर्दी, जुखाम, बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी आदि नजर आते हैं तो तुरंत जांच कराना चाहिए।


    23 अप्रैल- कोरोना ब्लॉस्ट का दिन
    25 मार्च को पहला पॉजिटिव मिला था। इन दिनों में 23 अप्रैल ऐसी तारीख है जो कोरोना विस्फोट के रूप में जानी जाएगी। इस दिन 43 पॉजिटिव मिले। इसके पहले 22 को 20 और इसके बाद 24 को 15 पॉजिटिव आए। 39 में से 15 दिन सुकून के थे जब एक भी पॉजिटिव नहीं आया।



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    वार्ड एक के पार्षद संजय कोरट अपने 10 कार्यकर्ताओं के साथ पारस नगर, राम नगर, कोलूखेड़ी, आबूखाना, तोड़ी बस्ती आदि क्षेत्रों में रोजाना 400 परिवारों तक भोजन व सूखी खाद्य सामग्री पहुंचाते थे। हालांकि बढ़ते संक्रमण की वजह से 5 कार्यकर्ताओं ने आना बंद कर दिया।




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    431 किसानाें से 33 हजार 378 क्विंटल खरीदा गेहूं, 239 किसानाें काे मिला भुगतान

    ई ऊपार्जन केंद्र बालाजी वेयर हाउस मनासा में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी 15 अप्रैल से की जा रही है। प्रबंधक राधेश्याम यादव ने बताया शुक्रवार तक 431 किसानाें से 33 हजार 378 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। इसकी राशि 6 करोड़ 42 लाख 53 हजार 612 रु. होती है। इसमें से अब तक 239 किसानाें काे 2 करोड़ 46 लाख 21 हजार 48 रु. खाते में जमा की जा चुकी है।
    शेष 192 किसानों का भुगतान शीघ्र हाेगा। गेहूं की अावक बढ़ने से वेयर हाउस भर चुका है। बाहर ही गेहूं की बोरियां रखना पड़ रही हैं। 75 से अधिक किसानों के ट्रैक्टर-ट्राॅली कतार में खड़े हैं।



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    23 नए केस मिले, अब तक कुल 1568 संक्रमित; खजराना गणेश मंदिर के पुजारी के घर पर क्वारैंटाइन का नोटिस चस्पा

    इंदौर में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शनिवार रात आई रिपोर्ट में 23 नए केसमिले। शहर में मरीजों की संख्या बढ़कर 1568 पर पहुंच गई। अब तक 76 मरीज दम तोड़ चुके हैं। खजराना गणेश मंदिर के पुजारी के परिवार में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने पर उनके घर पर प्रशासन ने क्वारैंटाइन का नोटिस लगाया है।

    सीएमएचओ कार्यालय के अनुसार, शनिवार को कुल 515 सैंपल की जांच रिपोर्ट आई। इसमें492 की रिपोर्ट निगेटिव है। 23 संक्रमित हैं।दो मरीजों की मौत भी हुई। इधर, खजराना गणेश मंदिर के पुजारी भट्ट परिवार के एक सदस्य उमेश भट्ट (नानू महाराज) पॉजिटिव मिले हैं। परिवार के सभी 14 सदस्य होम क्वारैंटाइन हैं। हालांकि, पुजारी परिवार ने कहा कि हम सभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। दरअसल, मंदिर के पंडित अशोक भट्ट परिवार के सदस्यों की पिछले दिनों तबीयत खराब हुई थी।

    पुजारी परिवार में 3 लोगों की तबीयत बिगड़ी थी

    सबसे पहले इनके सबसे बड़े भाई धर्मेंद्र, फिर अशोक और दो दिन के बाद छोटे भाई उमेश भट्ट की तबीयत खराब हुई। एक हफ्ते के अंतराल में परिवार के लगभग सभी सदस्यों को बुखार आ गया। इसके बाद उन्होंने उपचार करवाया। तीन-चार दिनों में सभी सदस्यों की तबीयत भी ठीक हो गई। लेकिन उमेश भट्ट की तबीयत फिर बिगड़ गई। उन्हें बेचैनी और घबराहट होने लगी। पंडित अशोक भट्ट ने बताया कि उमेश की तबीयत अब ठीक है। वो चोइथराम अस्पताल में भर्ती हैं। हम सभी सदस्य पूरी तरह से होम क्वारैंटाइन हैं। प्रशासन के नियमों का पालन कर रहे हैं। उमेश जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे। उनकी दो रिपोर्ट आना बाकी हैं।

    भास्कर संवाददाता ने कोरोना से जंगजीती
    भास्कर संवाददाता देव कुंडल ने भी कोरोना से जंग जीत ली। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें 14 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके अलावा चार अस्पतालों और दो कोविड सेंटर से शनिवार को 121 मरीज डिस्चार्ज हुए, यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। अरबिंदो से 54, एमआर टीबी से 1, चोइथराम से 8, वाटर लिली से 27, प्रेसीडेंट पार्क से 19, रॉबर्ट नर्सिंग होम से 11 मरीज घर लौटे। अब तक 350 मरीज कोरोना से जंग जीतकर घर लौट चुके हैं।



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    चार अस्पतालों और दो कोविड सेंटर से शनिवार को 121 मरीज डिस्चार्ज हुए। यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।




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    संक्रमितों के आंकड़े में नहीं हुआ इजाफा, एक पाॅजिटिव की मौत के साथ आंकड़ा बढ़कर 31 हुआ

    रविवार का दिन उज्जैनवासियों के लिए राहतभरा रहा।शनिवार को जिले में कोरोना के 9 नए पॉजिटिव औरतीन 3 लोगों की मौत के बाद रविवार को पॉजिटिव मरीजों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ। हालांकि एक मरीज की मौत के साथ मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 31 हो गया।जिले में पॉजिटिव रोगियों का आंकड़ा 157 पहुंच गया है। वहीं, अब तक 16 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं।शनिवार कोजो पॉजिटिव आए थे,उनमें बेगमबाग की पौने दो साल की बच्ची, ब्राह्मण गली बहादुरगंज का 17 साल का किशोर भी था। शनिवार को 108 सैंपलों में से 90 निगेटिव और 9 की पॉजिटिव आए। 9 सैंपल रिजेक्ट किए।


    इनकी आई थीपॉजिटिव रिपोर्ट

    • बेगमबाग निवासी पौने दो साल की बच्ची।
    • शिकारी गली निवासी 22 वर्षीय युवक।
    • कमरी मार्ग निवासी 48 वर्षीय महिला।
    • सैफी मोहल्ला बोहराबाखल निवासी 68 वर्षीय वृद्ध।
    • ब्राह्मण गली बहादुरगंज निवासी 17 वर्षीय किशोर व 47 वर्षीय पुरुष।
    • मोतीबाग निवासी 50 वर्ष की महिला।
    • बड़नगर की 61 वर्षीय महिला।
    • नागदा का 62 वर्षीय वृद्ध।


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    जिस नानाखेड़ा बस स्टैंड से इंदौर के लिए हर पांच मिनट में बस खचाखच भर जाती हैं वहां अभी 40 दिन से ये नजारा है।




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    कुक्षी के गणगौर पैलेस व छात्रावास में 14 दिन पूर्व क्वारेंटाइन किए 53 लोगों काे घर भेजा, 4 नए केस मिलने के बाद 59 काे किया क्वारेंटाइन

    कुक्षी में काेराेना पाॅजिटिव मरीजाें की संख्या बढ़ने लगी है। अब तक यहां 9 मरीज काेराेना के मिले हैं जबकि इनके संपर्क में आए 59 लाेगाें काे क्वारेंटाइन किया गया है। पूर्व में मिले मरीजाें के संपर्क में रहे 53 लाेगाें काे गणगाैर पैलेस व छात्रावास में 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया गया था। इनके स्वस्थ हाेने पर प्रशासन ने रविवार काे घर भेज कर हाेम आइसाेलेट में रहने की सलाह दी है।एमजी रोड (सुतार मोहल्ला) के एक कोरोना संक्रमित युवक के बाद उसके परिवार के चार सदस्यों की शनिवार रात में रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इससे प्रशासन रात से ही व्यवस्था संभालने में जुट गया। कुक्षी में अब एक ही परिवार के 5 लोग कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। इससे कोरोना पॉजिटिव संख्या बढ़कर 9 हो गई है।


    हालांकि इनमें से एक की मृत्यु व एक की रिपोर्ट दोबारा में नेगेटिव आने से वर्तमान में 7 व्यक्ति कोरोना संक्रमित चल रहे हैं। इनमें शनिवार सुबह भट्टी मोहल्ले के दंपती कोरोना पॉजिटिव मिले थे। क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के मनोज दुबे (बीआरसी डही) नेे बताया भट्टी मोहल्ले में दंपती के संपर्क में आने वाले 18 लोगों को बालक छात्रावास कुक्षी में क्वारेंटाइन किया है जबकि सुतार मोहल्ला व धान मंडी में कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाले 41 लोगों को जैन धर्मशाला तालनपुर में क्वारेंटाइन किया है।


    कुक्षी के ग्रामीण क्षेत्र डेहरी में कोरोना पॉजिटिव युवक के संपर्क में आने वाले 26 लोगों को वहां के छात्रावास में क्वारेंटाइन किया गया है। इस तरह वर्तमान में 85 लोगों को प्रशासन ने क्वारेंटाइन किया है। गणगौर पैलेस व एक छात्रावास में 14 दिन पूर्व क्वारेंटाइन किए गए 53 लोगों को समय पूर्ण होने व स्वस्थ होने के चलते घर छोड़ा गया। इधर एसडीएम बीएस कलेश, तहसीलदार सुनील कुमार डावर, थाना प्रभारी कमलसिंह पंवार, नगर परिषद सीएमओ रवींद्र बोरदे लगातार हालात का जायजा लेकर व्यवस्था करने में जुटे रहे। साथ ही कर्फ्यू के दौरान कानून व्यवस्था पर भी मुस्तैदी से नजर बनाए हुए हैं।

    सीएम रिलीफ फंड में 10 लाख रुपए जमा कराए
    डही विकासखंड अंतर्गत पदस्थ अध्यापक संवर्ग व नियमित कर्मचारियों, शिक्षकों सहित बीईओ, बीआरसी कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा एक दिन के वेतन से 10 लाख रु. सीधे मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराए गए हैं। मप्र ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी इरफान मंसूरी, प्रांतीय संयुक्त सचिव अरुण कुशवाह, ब्लॉक अध्यक्ष स्वरूपचंद मालवीया ने बताया विकासखंड से अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन से 6 लाख रु. जबकि नियमित शिक्षकों व आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारियों के वेतन से 4 लाख रु. इस तरह 10 लाख रु. सीएम रिलीफ फंड में जमा कराए गए है। इसमें बीईअाे सतीशचंद्र पाटीदार, बीआरसी मनोज दुबे ने भी अपना एक दिन का वेतन जमा कराया है।



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    Sent home to 53 people who had quarantined 14 days ago in Gangaur Palace and Hostel of Kukshi, 59 quarantines done after getting 4 new cases




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    आजीविका मिशन की महिलाओं ने तिरला ब्लाॅक के 5 गांवाें में बनाई किट, आगे 3 ब्लॉक में शुरू करेंगी

    कोराेना वाॅरियर्स काे 90 जीएसएम नानवुवल फेबरिक से बनी पीपीई किट पहनने काे मिलेगी। इसकी माेटाई अधिक है। इससे काेराेना के कीटाणु याेद्धाओं के शरीर काे छू नहीं सकेंगे। काेराेना के हमारे याेद्धा सुरक्षित रहें इसलिए मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन ने पीपीई किट बनाना शुरू की है।


    फिलहाल प्रयाेगिक ताैर पर केवल तिरला ब्लाॅक के पांच गांवाें में किट बनाने का काम किया जा रहा है। आगे निसरपुर, बदनावर, नालछा आदि ब्लाॅक में काम शुरू करने कीयाेजना है।किट की क्वालिटी काे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि 80 से अधिक जीएसएम नानवुवल फेबरिक क्वालिटी की पीपीई किट बेहतर रहती है। एनआरएलएम की प्रबंधक साैम्या जैन ने बताया फिलहाल 100 किट तैयार कर धार मंगवाई गई है। जिसे न्यूनतम कीमत में बेची जाएगी। रविवार काे यह किट पुलिसकर्मियाें के लिए डीआरपी लाइन में दी गई। मांग अनुसार किट बनवाई जा रही है।

    महिलाओंने बड़वानी जिले से मंगवाया राॅ मटेरियल

    तिरला समूह के विकासखंड प्रबंधक राकेशसिंह ताेमर ने बताया महिलाओं ने पीपीई किट का राॅ मटेरियल बड़वानी जिले से मंगवाया है। इसमें किट का ऊपरी कपड़ा, प्लास्टिक, जूते बनाने का सामान, ट्रांसपेरेंट शीट, धागा, इलास्टिक है। महिलाओंद्वारा बनाई जा रही किट में ग्लब्ज, सफेद कलर का सूट इसमें पीछे टाेपा भी अटैच है। एक हेड भी बनाया है। जिसमें सामने की ओर सफेद चश्मानुमा प्लास्टिक है। इससे किट पहनने वाले काे अलग से चश्मा पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी।



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    Women of Aajeevika Mission will launch kits in 5 villages of Tirla block, will start in 3 blocks ahead




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    लॉकडाउन-2 में संभला इंदौर, अब 3.0 में उबर सके इसलिए सख्ती जरूरी

    तीसरे लॉकडाउन की शुरुआत सोमवार से हो रही है। पिछले दो लॉकडाउन की तुलना करें तो सैंपलिंग दोगुना हो गई है। लेकिन रिकवरी दर में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है और वहीं मृत्यु दर काफी कम हुई है। एेसे में संकेत हैं कि अब तीसरे लॉकडाउन के दौरान इंदौर में तेजी से सुधार होगा, क्योंकि टेस्ट पॉजिटिव रेट भी 10% के नीचे सैटल होते नजर आ रहा है। बीते चार दिनों से यह चार से दस फीसदी के बीच चल रहा है।

    पीपीई किट पहनने के बाद स्टाफ की तबीयत बिगड़ी, ताबड़तोड़ किट बदलवाए

    कोरोना से लड़ने के लिए चिकित्सकीय स्टाफ किन मुश्किलों से काम कर रहा है, इसका ताजा मामला एमवाय में सामने आया। फ्लू-ओपीडी में शनिवार सुबह स्टाफ के 2 कर्मचारी पीपीई पहनने के कुछ देर बाद घबरा गए। पसीना-पसीना हो गए। उन्हें तुरंत कैजुअल्टी ले जाया गया, जहां उनकी जांच की गई। इसी तरह की समस्या एमटीएच अस्पताल में भी एक कर्मचारी ने दर्ज करवाई।

    अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यही किट स्टाफ के अन्य सदस्यों ने भी पहनी थी। सिर्फ दो लोगों को बेचैनी महसूस हुई। तत्काल उन्हें बदलकर दूसरी किट दे दी गई थी। जानकारी के अनुसार ओपीडी में शनिवार को एक वार्ड बॉय और शासकीय नर्सिंग कॉलेज की छात्रा को पीपीई किट पहनने के कुछ देर बाद ही घबराहट और बेचैनी महसूस होने लगी। चंद मिनटों में ही वह पसीना-पसीना हो गई और घबराहट के मारे गिरने की स्थिति में आ गई। अन्य स्टाफ दौड़ते हुए पहुंचा और उसे पंखे के नीचे लेटाया। इसकी सूचना अस्पताल प्रशासन को मिली। ताबड़तोड़ किट बदलकर दूसरी किट उपलब्ध करवाई गई। स्टाफ का कहना है कि किट की क्वालिटी अच्छी नहीं थी। इससे गर्मी बढ़ गई। यह प्लास्टिक के मटेरियल के बने थे। अंदर भी लेमिनेटेड लेयर थी। गर्मी बढ़ने से पसीना-पसीना हो गए और घबराहट होने लगी। वैसे भी इन दिनों तापमान 40 डिग्री के आसपास चल रहा है। ऐसे में पीपीई पहनकर काम करना दुरूह कार्य है।


    अधीक्षक डॉक्टर पीएस ठाकुर ने बताया कि किट की क्वालिटी में कोई खराबी नहीं है क्योंकि उस दिन सभी को यह किट उपलब्ध करवाई गई थी। अन्य स्टाफ ने भी यही किट पहनी थी। किसी को परेशानी नहीं हुई। दो लोगों को डिहाइड्रेशन की शिकायत हो गई थी। किट पहनने के बाद उन्हें गर्मी ज्यादा लगी। उन्हें बदलकर दूसरी किट दे दी गई थी।



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    तीसरे लॉकडाउन की शुरुआत सोमवार से हो रही है। पिछले दो लॉकडाउन की तुलना करें तो सैंपलिंग दोगुना हो गई है।




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    समर्पण जागरण मंच दाे साल से चला रहा अभियान, लक्ष्य 300 सकाेरे बांटने का

    गर्मी में बढ़ते तापमान से निजात दिलाने का सबसे सरल साधन पानी है। यह इंसान और पशु-पक्षियों के लिए जरूरी है। इंसान तो आसानी से इसकी व्यवस्था कर लेता है। लेकिन पशु पक्षियों को काफी दिक्कत होती है। इसको देखते हुए सामाजिक संगठन और समाजसेवी जुट गए हैं। बेजुबान पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए सकोरे की व्यवस्था कर लाेगाें काे नि:शुल्क बांट रहे हैं ताकि वे पानी भरकर छत व पेड़-पाैधाें के पास रख सकें। समर्पण जागरण मंच बगड़ी ने लाॅकडाउन में कुम्हार परिवार काे राेजगार उपलब्ध कराने के लिए मिट्टी के सकाेरे बनवाए। सकाेरे बनने के बाद नगर में घूम कर बेजुबान पशु, पक्षियों की प्यास बुझाने के 100 सकाेरे बांटे। जिस घर परिवार में यह सकाेरे दिए उन्हें राेजाना इसमें पानी भरकर घर की छत, बालकनी व पेड़-पाैधे के आसपास भरकर रखने का निवेदन किया। लाेगाें ने भी सहयाेग का भराेसा दिलाया।

    संस्था के कपिल चाैधरी ने बताया 2 वर्षों से सकाेरे बांट रहे हैं। अब तक 500 से अधिक सकोरों का नि:शुल्क वितरण कर चुके हैं। इस साल 300 सकोरे बांटने का लक्ष्य है। बगड़ी के अलावा आसपास के गांवों में भी सकाेरे बांट कर नियमित पानी और दाना डालने के लिए प्रेरित किया जाएगा। धीरज कामदार, निर्मल मंडलोई, हेमंत कोटवाल, अक्षय पटेल, अभिषेक सोनवानिया, अंकित राठौर, शुभम शर्मा सहयाेग कर रहे।

    घर की छत पर अनाज औरपानी से भरा सकोरा रखा

    इस भीषण गर्मी में प्यासे पक्षियों के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आह्वान पर एसएफडी द्वारा सेल्फी विथ सकाेरा अभियान चलाया जा रहा है। अभाविप की जिला विभाग छात्रा प्रमुख सृष्टि बिल्लोरे सहित पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा अभियान में हिस्सा लेकर घर की बालकनी, छत पर पानी का सकोरा व अनाज रख सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही। इस अभियान में अभाविप के कार्यकर्ताओं सहित नागरिकों, समाजसेवियों, संघ के स्वयं सेवकों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया। भाजयुमो खेल समिति इंदौर संभाग संयोजक एवं धार जिला क्रिकेट एसोसिएशन उपाध्यक्ष निखिल ग्वाल ने भी छत पर सकोरे व अनाज रखा।



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    Dedication Jagran Manch campaign for the last two years, the goal of sharing 300




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    नीमच से झाबुआ होकर दाहोद गए दो भाई कोरोना पॉजिटिव, साथ आए जिले के 34 लोगों की तलाश

    ग्रीन जोन में चल रहे झाबुआ के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया। 29 अप्रैल को राजस्थान सीमा के नयागांव से मजदूरों के लिए चली बस में बैठकर दाहोद के एक परिवार के 11 लोग पिटोल पहुंचे। परिवार 20 मार्च को नीमच शादी में गया था। लॉकडाउन के कारण वहीं फंसा था। बस आने की खबर मिली तो सब नयागांव बॉर्डर पहुंच गए। वहां से पिटोल बॉर्डर बस से आए और यहां से दाहोद से आई प्राइवेट गाड़ी से रवाना हो गए। बॉर्डर पर स्क्रीनिंग में दो भाईयों में लक्षण दिखे तो उनके सैंपल 30 तारीख को लिए। शनिवार को आई रिपोर्ट में एक भाई पॉजिटिव आया और रविवार को दूसरे भाई की भी पॉजिटिव रिपोर्ट आ गई।

    इस खबर के बाद यहां हड़कंप मच गया। बस में उनके साथ जिले के 34 लोग थे। अब इनकी तलाश की जा रही है। अभी तक सभी लोगों के बारे में पता नहीं चला है। बस में ड्राइवर और कंडक्टर के अलावा कुल 45 लोग आए थे। लिस्ट में जो नाम लिखे उनमें पता नहीं लिखा गया। न किसी का मोबाइल नंबर है। ऐसे में उनकी जानकारी निकालना मुश्किल हो रहा है। दाहोद से खबर है कि दोनों भाइयों के परिवार के लोगों को सरकारी सेंटर में क्वारेंटाइन कर दिया गया। उनके सैंपल भी लिए गए हैं।

    झाबुआ में उतरना बताया
    पिटोल में उतारे गए इस परिवार को इस लिस्ट में झाबुआ में उतारना बताया गया। अब चिंता इस बात की हो रही है कि अगर बस में आए दाहोद के पॉजिटिव व्यक्ति की रिपोर्ट शनिवार देर रात आई। इसके बाद यहां अफरा-तफरी मच गई। स्वास्थ्य विभाग वाले सुबह से शहर में तलाश करने लगे। लगभग 11 बजे खबर मिली कि जिस व्यक्ति का नाम है, वो परिवार सहित दाहोद में है। उसका और परिवार के सदस्यों का नाम लिस्ट से मैच भी हो गया। दोपहर में दूसरे भाई की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई। इधर, बस में साथ आए ज्यादातर लोगों का पता नहीं लग पाया है।

    40 दिन से एक जगह पर थे, अगर रास्ते में संक्रमण आया तो ये बड़ा खतरा

    जिन दोनों भाइयाें में संक्रमण मिला, वो दोनों परिवार सहित नीमच में 20 मार्च से थे। 29 मार्च को वो वहां से निकले। ऐसे में ये संभावना कम मानी जा सकती है कि घर रहते संक्रमण नहीं हुआ होगा। अगर ये सही है तो संक्रमण की संभावना या तो राजस्थान बॉर्डर से आने वालों के कारण है या बस से। बस में सवार कोई अन्य व्यक्ति संक्रमित हुआ तो जिले के लिए ये बड़ा खतरा है। अभी तक नीमच भी ग्रीन जोन में है और झाबुआ भी।



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    Two brothers, Corona positive who went to Dahod from Jembua from Neemuch, came together to search for 34 people of the district




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    30 क्वारेंटाइन सेंटर से 1300 लोग घर पहुंचे, 450 और बचे

    शहर में कोरोना संकट के बीच एक अच्छी खबर। कोरोना के संक्रमित व संदिग्ध मरीज और उनके परिजन के लिए 46 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए। इनमें से 30 सेंटरों के सभी 1300 से ज्यादा लोग क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर घर जा चुके हैं। ये पूरी तरह ठीक हैं। अब 16 सेंटर में 450 लोग क्वारेंटाइन में हैं। इनमें से भी ज्यादातर लोगों को एक हफ्ते या उससे ज्यादा का समय पूरा हो चुका है। शहर में जो लोग कोरोना पॉजिटिव मिले थे, उनके परिजन (प्राथमिक संपर्क में आने वाले) को क्वारेंटाइन किया था। धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता गया। स्थिति को देखते हुए क्वारेंटाइन सेंटर की संख्या भी बढ़ाई। हालांकि अब जिन सेंटर से लोग घर जा चुके, उन्हें खाली करवाकर सैनिटाइजेशन करवा दिया है। क्वारेंटाइन सेंटर प्रभारी विवेक श्रोत्रिय के अनुसार, अब सिर्फ 450 लोग क्वारेंटाइन सेंटर में हैं। इनकी संख्या भी कम हो रही है। अब जो लोग पॉजिटिव आ रहे हैं, उनके प्राथमिक संपर्क में आने वाले लोग सक्षम हैं तो उन्हें होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है। बाकी को क्वारेंटाइन सेंटर लाया जा रहा है।

    आठ सेंटरों पर 25 से ज्यादा
    16 सेंटर में से चार पर 15-15 से ज्यादा लोग हैं। 25 से ज्यादा लोगों वाले आठ सेंटर हैं। सबसे ज्यादा 102 लोग निर्वाणा रिजॉर्ट में हैं। बाकी कुछ सेंटर पर दो, पांच और सात लोग भी हैं।
    आठ सेंटरों पर 25 से ज्यादा
    16 सेंटर में से चार पर 15-15 से ज्यादा लोग हैं। 25 से ज्यादा लोगों वाले आठ सेंटर हैं। सबसे ज्यादा 102 लोग निर्वाणा रिजॉर्ट में हैं। बाकी कुछ सेंटर पर दो, पांच और सात लोग भी हैं।
    पांच सेंटर को कोविड केयर सेंटर में बदला
    क्वारेंटाइन सेंटर में से ही 5 सेंटर को कोविड केयर सेंटर में बदल दिया है। यहां उन लोगों को रखा है, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है पर उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण नहीं हैं। डॉक्टर इनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दोनों तरह के सेंटर में रहने वाले लोगों को रोज काढ़ा, च्यवनप्राश, चाय-दूध, नाश्ता, खाना दिया जा रहा है। क्वारेंटाइन सेंटर में देखभाल के लिए 250 लोगों की टीम है।
    क्वारेंटाइन सेंटर में से ही 5 सेंटर को कोविड केयर सेंटर में बदल दिया है। यहां उन लोगों को रखा है, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है पर उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण नहीं हैं। डॉक्टर इनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दोनों तरह के सेंटर में रहने वाले लोगों को रोज काढ़ा, च्यवनप्राश, चाय-दूध, नाश्ता, खाना दिया जा रहा है। क्वारेंटाइन सेंटर में देखभाल के लिए 250 लोगों की टीम है।



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    तस्वीर शुभकारज मैरिज गार्डन की है। यहां 73 लोग थे। सभी अब घर चले गए। इन लोगों ने रोज योग किया। फोटो | ओपी सोनी




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    उज्जैन में कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा बढ़ा, 15 नए केस सामने आए, अब तक 173 लोग संक्रमित

    दाे दिन की राहत के बाद साेमवार काे धार्मिक नगरी उज्जैन में फिर से 17लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। इसके साथपाॅजिटिव मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 173हो गया है, जबकि इस वायरस से अब तक 35 लोगोंकी जान जा चुकी है। सुबह जारी बुलेटिन 10 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए, जबकि शाम को आई रिपोर्ट में 7 और लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई।

    रविवार को पार्षद समेत दो लोगों की जानगई थी
    भाजपा पार्षद सहित दो लोगों की रविवार को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हाे गई थी। भाजपा पार्षद मुजफ्फर हुसैन उम्र 55 साल निवासी तोपखाना वार्ड में गरीब लोगों को राशन वितरण के दौरान संक्रमित हुए थे। वार्ड में सैनिटाइज का कार्य भी उन्होंने अपनी मौजूदगी में करवाया था। 24 अप्रैल को तबीयत खराब होने पर उन्हें माधव नगर अस्पताल में लिया था, जहां से उन्हें मेडिकल कॉलेज शिफ्ट किया था। इलाज के दौरान के स्वास्थ्य में सुधार हो गया था। जिसके चलते उन्हें मक्सी रोड स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर बिल्डिंग में बनाए क्वारैंटाइन सेंटर में शिफ्ट कर दिया था।

    सांस लेने में तकलीफ के बाद शनिवार को उन्हें वापस मेडिकल कॉलेज लाया था। सीएमएचओ डॉ. अनुसुइया गवली ने बताया रविवार शाम उनकी मौत हो गई। डॉक्टर के अनुसार उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। हुसैन बेमिसाल बेकरी का संचालन भी करते थे। उनके अलावा जानसापुरा की 45 साल की महिला की भी मौत हो गई।

    पढ़िए पार्षद मुजफ्फर हुसैन के आखिरी वीडियो के अंश
    प्यारे भाइयों व बहनों... आरडी गार्डी में न तो साबुन अवेलेबल, न मास्क, न पानी अवेलेबल है, न बाथरूम में लाइट है, तो कैसे चलेगा यह? शहरवासियों से गुजारिश करता हूं कि लॉकडाउन का पालन करें, घरों से न निकलें और अच्छे से रहें, स्वास्थ्य का लाभ लें। और मैं कलेक्टर साहब से एक और गुजारिश करना चाहता हूं कि मुझे यहां योगा क्लास चलाने के लिए थोड़ी जगह दे दी जाएं, जहां आठ-दस लोग बैठ जाएं। मैं एक घंटे की योगा क्लास चला सकता हूं। इससे हम लोग जल्द बाहर आएंगे। कलेक्टर साहब से गुजारिश है यहां विजिट तो करें। देखें क्या हो रहा है यहां। मैं मुजफ्फर हुसैन पार्षद आप सभी का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं, सभी भाई मुझे दुआ में याद रखें, इंशा अल्लाह, कम बैक करूंगा।

    ये लापरवाही भी आई सामने
    भाजपा पार्षद सत्यनारायण चौहान ने बताया कि ब्राह्मण गली के श्याम गोयल की मृत्यु को लेकर भी लापरवाही सामने आई है। निजी अस्पताल में खांसी का इलाज कराने गए तो उन्हें आरडी गार्डी भेज दिया। वहां कोरोना वार्ड में भर्ती कर दिया। परिवार वाले बताते रहे हरनिया की तकलीफ है, पर किसी ने नहीं सुनी। दूसरे दिन उनकी मौत हो गई। इस मामले में माली समाज सरकार के सामने मुद्दे को उठाएगा।



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    मुंगी तिराहे पर अगैर अनुमति के निकला युवक तो पुलिस ने पकड़कर उठक-बैठक लगवाई। युवक बोला- अब घर से नहीं निकलूंगा।




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    अरबिंदो अस्पताल से 47, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से 48 और चोइथराम से 3 लोग घर लौटे, बोले- डाॅक्टरों और स्टाफ ने बहुत हौसला बढ़ाया

    कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए 98 मरीजों कोसाेमवार काे अस्पताल से छुट्‌टी दे दी गई। अरबिंदो अस्पताल से 47 मरीज घर लौटे। वहीं,इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के 48 और चोइथराम अस्पताल से 3लोगों ने काेरोना को मात दी। इनकी दाेनाें रिपाेर्ट निगेटिव आने के बाद घर रवाना किया गया। अब 14 दिनों तकहोम क्वारैंटाइन में रहना होगा। अब तक458लोग ठीक होकर घर लौट चुके हैं।

    मनीषा ने हॉस्पिटल में अच्छी व्यवस्था के लिए सभी का आभार माना।

    डॉक्टरों और स्टाफ ने अपना समझा, हमारा हौसला बढ़ाया

    इंदौर की रहने वाली मनीषा ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद वह 17 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुई थी। इतने दिनों तक यहां पर डॉक्टरों और स्टाफ ने उनकी खूब सेवा की। शासन-प्रशासन और मेडिकल स्टाफ को धन्यवाद देना चाहूंगी कि उनकी ओरसे हमारी इतनी केयर की गई।फरा ने कहा कि मैं 11 अप्रैल को भर्ती हुई थी। यहां पर बहुत अच्छे तरीके से हमार इलाज किया गया। डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ की वजह से मैं अब घर जा रही हूं। उन्होंने अपना समझकर इलाज किया और हमारा हौसला बढ़ाते रहे।विकास ने कहा कि इंडेक्स कॉलेज के सभी डॉक्टर और स्टाफ को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं।

    70 साल की पहलवान समेत 12 लोग रविवार को घर लौटे
    अस्पतालों और कोरोना सेंटर्स से मरीजों के स्वस्थ होकर घर लौटने का सिलसिला जारी है। रविवार को तंबोली बाखल में अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां कोरोना की जंग जीतकर लौटे 70 साल के बाबूलाल यादव के स्वागत में दीपावली जैसा नजारा दिखा। पूरी गली में रंगोली बनाई, दीये जलाए और तालियां बजाकर रहवासियों ने स्वागत किया। रविवार को मनोरमा राजे टीबी अस्पताल से आठ मरीजों और चोइथराम अस्पताल से चार मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया।

    डॉक्टर्स, नर्स, पैरामेडिकल और सफाई कर्मचारियों ने तालियां बजाकर उन्हें विदाई दी। टीबी अस्पताल से अब्दुल हमीद, साजिद खान, भरत पटवा, रामकुमार जाट, शबाना बी, साजिद (बड़वानी), अंकिता दास और बानो बी (बड़वानी) को डिस्चार्ज किया गया। चोइथराम अस्पताल से डिस्चार्ज हुए मरीजों में प्रगति सिंह, कमर कुरैशी, बाबूलाल यादव और ख्याति ओझा शामिल हैं।



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    कोरोना से जंग जीतकर कर घर लौट रहे मरीजों काे डॉक्टर और स्टाफ ने ताली बजाकर विदा किया।




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    1 घंटे में रिपोर्ट देने वाली 30 मशीनें, अनुमति ही नहीं, ...जबकि जांचें बढ़ाने की हर संभावना तलाशनी चाहिए

    सुनील सिंह बघेल.कोविड-19 की जांच रिपोर्ट के लिए 3 से 10 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि प्रदेश में बैटरी चलित करीब 30 औरइंदौर में पांच मशीनें ऐसी भी हैं, जो 1 घंटे में संक्रमण का पता लगा सकती हैं। माइक्रो पीसीआर तकनीक की इन स्वदेशी मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा क्योंकि आईसीएमआर ने सिर्फ निजी लैब संचालकों को महंगी आरटी पीसीआर मशीन भी खरीदने की शर्त लगा दी।

    सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर नीरज कहते हैं कि किसी के पास पहले से आरटी पीसीआर है तो वह यह छोटी मशीन खरीदेगा ही क्यों। इस एक ट्रू-नेट मशीन से रोजाना 20 से 50 तक जांच की जा सकती है। इस मशीन का इस्तेमाल पहले भी देशभर में टीबी और दूसरे वायरस की जांच के लिए होता रहा है। इन्हें दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग यूनिट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 40 डिग्री तापमान पर भी काम करने में सक्षम, प्रदेश में फिलहाल उपलब्ध ट्रू-नेट मशीनों से ही रोजाना 1 हजार से ज्यादा जांच की जा सकती हैं।

    इनमें एक बार सैंपल डालने के बाद जांच के लिए जरूरी आरएनए एक्सट्रैक्शन सहित सारी प्रक्रिया स्वचालित है । यही नहीं इन की स्थापना के लिए किसी विशेष कक्ष की जरूरत भी नहीं होती। संदिग्ध संक्रमित से लिए गए सैंपल को जिस वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया(वीटीएम) में रखने के बाद उससे संक्रमण की संभावना भी खत्म हो जाती है।


    आंध्र तमिलनाडु में 100 मशीनें कर रही काम
    दरअसल, आईसीएमआर ने माइक्रो पीसीआर तकनीक आधारित इन मशीनों से की गई कोरोना की जांच को मान्यता तो दे रखी है लेकिन वायरोलॉजी लैब से पुनः कंफर्मेशन की शर्त भी रख दी है। डॉक्टरों का कहना है कि 50 सैंपल की जांच में यदि 5 सैंपल पॉजिटिव आते हैं तो सिर्फ 5 सैंपल ही कंफर्मेशन के लिए वायरोलॉजी लैब भेजना होगा। इससे वायरोलॉजी लैब पर बोझ कम होगा। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकारें पहले से काम कर रही 100 मशीनों की संख्या 250 तक बढ़ा रही है। जबकि प्रदेश सरकार की ओर से ऐसी कोई पहल नजर नहीं आ रही।



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    माइक्रो पीसीआर तकनीक की इन स्वदेशी मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा क्योंकि आईसीएमआर ने सिर्फ निजी लैब संचालकों को महंगी आरटी पीसीआर मशीन भी खरीदने की शर्त लगा दी।




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    मवेशी चराने गए 10 साल के बालक पर जानवर का हमला, सिर में 23 टांके आए

    अपने सहयोगी के साथ मवेशी चराने गए 10 वर्षीय बालक पर तेंदुए ने हमला कर दिया। जिससे बालक गंभीर रूप से घायल हो गया। असपास के लोगों के शोर मचाने पर तेंदुआ वहां से भाग निकला। ग्रामीणों ने 108 को सूचना दी। जिससे घायल बालक को स्वास्थ्य केंद्र जोबट लाया गया। बालक बुरी तरह जख्मी है, सिर में 23 टांके आए हैं। मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने कहा कि तेंदुआ ही होगा। क्याेंकि तेंदुआ ही सिर और गले में वार करता है। घटना मंगलवार सुबह करीब 11 बजे जोबट से 6 किमी दूर उंडारी गांव के पटेल फलिया की है। इधर.. घटना के साढ़े 8 घंटे बाद शाम 7.30 बजे तक भी डीएफओ डूडवे को मामले की जानकारी नहीं थी। जिससे घटनास्थल के आसपास जंगल में अभी तक तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा नहीं रखा गया। वनविभाग की लापरवाही के कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।


    जानकारी अनुसार ग्राम उंडारी के पटेल फलिया निवासी वीरेंद्र पिता केसरसिंह (10) अपने सहयोगी के साथ मवेशी चरा कर उन्हें पानी पिलाने के लिए छोटे डैम पर ले गया। उसी समय वहां छिपे तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। साथियों व आसपास के लोगों ने शोर मचाया। तेंदुआ बालक को छोड़कर भाग निकला। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त जानवर तेंदुआ था। जिसके पूरे शरीर पर गोल धब्बे बने थे। सूचना पर डिप्टी रेंजर प्रकाश मकवाना, वन आरक्षक धर्मेंद्र चौहान ने बालक के घायल होने का पंचनामा बनाया।


    डिप्टी रेंजर मकवाना ने कहा तेंदुआ सदैव शिकार को गर्दन या सिर से पकड़ता है। इसलिए यह हमलावर तेंदुआ ही हो सकता है। हमने पंचनामा बनाकर वरिष्ठ अधिकारी को भिजवा दिया है। घायल बालक का उपचार शासकीय अस्पताल में किया जा रहा है। इसलिए फिलहाल सहायता नहीं मिल सकती। यदि बालक को इलाज के लिए यहां से अन्यत्र ले जाना पड़े तो दवाई का खर्च विभाग स्वीकृत करेगा।

    डीएस डूडवे, डीएफओ, वन विभाग ने कहा-टीम जंगल में होगी, इसलिए मुझे जानकारी नहीं
    मेरे संज्ञान में अब तक ऐसा कोई मामला नहीं आया है। कहां का मामला है मैं पता करवाता हूं। हमारी टीम जंगल में होगी। वहां नेटवर्क समस्या होती है इसलिए मुझे जानकारी नहीं मिल पाई है।’



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    10-year-old boy attacked cattle for cattle grazing, 23 stitches in his head




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    25 केंद्राें पर 5823 किसानाें से 4.21 लाख क्विंटल की खरीदी, परिवहन नहीं हाेने से 20 जगह गेहूं खुले में पड़ा, बारदान की है कमी

    समर्थन मूल्य पर 25 केंद्राें पर गेहूं खरीदा जा रहा है। इसमें से 20 जगह खरीदा गेहूं परिवहन नहीं होने से गेहूं रखने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब तक 5823 किसानों से 4 लाख 21 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। इसमें से 3 लाख क्विंटल का ही परिवहन हाे पाया है। 1 लाख 21 हजार क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा है। जो मौसम में बदलाव से खराब होने का अंदेशा है। वहीं जिला मुख्यालय से मार्केटिंग फेडरेशन के अधिकारियों ने बारदान परिवहन नहीं किया। कई केंद्रों पर बारदान की कमी है। कुछ केंद्र प्रभारी ने स्वयं का वाहन भेज कर बारदान मंगवा कर खरीदी शुरू की है।


    काछीबड़ाेदा केंद्र पर गेहूं का परिवहन नहीं होने से सोमवार को खरीदी नहीं हुई। मैसेज मिलने पर उपज लेकर आए किसान परेशान होते रहे। केंद्र पर खुले में पड़े गेहूं को तिरपाल से ढंका गया है। सहकारिता अधिकारी वर्मा का कहना है गेहूं परिवहन के लिए वरिष्ठ अधिकारी को सूचित कर दिया है। वाहन की कमी होने से परिवहन में देरी होने से कई केंद्राें पर गेहूं का स्टाॅक पड़ा है। शीघ्र ही गेहूं उठवाया जाएगा।

    तलवाड़ा वेयर हाउस फूल, अब बगड़ी मंंडी परिसर में हाेगी खरीदी

    उपार्जन केंद्र तलवाड़ा वेयर हाउस में क्षेत्र के किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा था। जहां दो संस्थाओं की खरीदी हाेने व परिवहन नहीं हाेने से वेयर हाउस पूरा भर गया। किसानों काे भी 7 से 15 किमी की दूरी तय कर तलवाड़ा जाना पड़ता था। किसानों ने एसडीएम सत्यनारायण दर्रो से चर्चा कर खरीदी केंद्र को बगड़ी में करने की मांग की थी। एसडीएम ने अधिकारियों से चर्चा कर खरीदी केंद्र बगड़ी किया है। अब बगड़ी संस्था के किसानों की उपज कृषि उप मंडी में खरीदी जाएगी। नायब तहसीलदार जितेंद्रसिंह तोमर ने गेहूं तुलाई के बाद प्रतिदिन परिवहन करने के लिए संबंधित अधिकारियाें काे निर्देश दिए। थाना प्रभारी बीएस वसुनिया, बीएमओ चमनदीप अरोरा ने भी खरीदी केंद्र का निरीक्षण कर संस्था प्रबंधन कृष्णा वर्मा, कालूराम वर्मा व किसानाें से चर्चा की।

    अधिक किसानाें काे बुलाने से लग रही भीड़
    ई-उपार्जन केंद्र पर ज्यादा किसान पहुंचने लगे हैं। भाेपाल से मैसेज मिलने के बाद उपज लेकर अाने से वाहनाें की कतार केंद्र के बाहर लग रही। खरीदी केंद्र पर भीड़ बनने से निश्चित दूरी का पालन नहीं हाे रहा। वंदना वेयर हाउस मनासा में कतार में वाहन आगे पीछे करने को लेकर किसानों के बीच विवाद हाे गया। 100 डायल व कानवन थाना बीट प्रभारी रवींद्र चाैधरी ने पहुंचकर किसानों को समझाइश दी। नागदा स्थित वेयर हाउस के बाहर वाहनाें की भीड़ बढ़ने से मंडी परिसर में खड़े कराए। नायब तहसीलदार मनीष जैन ने पहुंच कर भंडारण व रखरखाव को लेकर प्रभारी विजेंद्रसिंह बना से जानकारी ली। वेयरहाउस भर जाने से गेहूं बाहर पड़ा है। नायब तहसीलदार जैन ने किसानों से कहा कि अाप धैर्य के साथ सहयोग करें। सभी का गेहूं खरीदा जाएगा। मैसेज सीमित रखने के लिए प्रभारी बना को जीएसओ से चर्चा कर व्यवस्था बनाने की बात कही। पेयजल की व्यवस्था व निश्चित दूरी, मास्क का उपयाेग करने के निर्देश दिए। ई-उपार्जन केंद्र नागदा व मनासा में अब तक 633 किसानों से 49335 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है।



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    Purchased 4.21 lakh quintals from 5823 farmers at 25 centers, wheat was left in the open due to lack of transportation, there is shortage of gunny bags
    Purchased 4.21 lakh quintals from 5823 farmers at 25 centers, wheat was left in the open due to lack of transportation, there is shortage of gunny bags




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    लॉकडाउन के 43 दिन : 4 सेंटरों में 259 को किया क्वारेंटाइन, 174 डिस्चार्ज हुए

    पेटलावद ब्लॉक मुख्यालय पर बनाए गए 4 क्वारेंटाइन सेंटरों में 85 लोग बचे हैं। लॉकडाउन के करीब 43 दिनों में यहां बाहर से आए ढाई सौ से अधिक लोगोंको क्वारेंटाइन किया गया था। हालांकि जिनकी भी अवधि पूरी हो गई उन्हें यहां से जाने दिया था।


    कस्तूरबा बालिका विद्यालय सीनियर छात्रावास, कन्या शिक्षा परिसर, अंग्रेजी माध्यम बालिका आश्रम और बालक उत्कृष्ट छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है। इन्हें 1 मार्च से शुरू किया गया है। इन सेंटरों में अब तक कुल 259 व्यक्तियों को क्वॉरेंटाइन किया गया। जिनमें से 174 को डिस्चार्ज कर दिया है। जबकि 94 के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 67 की रिपोर्ट निगेटिव आई। 7 विभिन्न कारणों से रिजेक्ट हो गई। उनमें से 2 पुनः सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इन सेंटरों पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर मुन्नालाल चोपड़ा एवं उनकी टीम द्वारा प्राथमिक जांच कर सूची बनाकर इन सेंटरों में भेजा जाता है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रतिदिन इन सेंटरों पर स्वास्थ्य परीक्षण एवं आवश्यक दवाई आदि देने नियमित आती है। नगर परिषद द्वारा प्रतिदिन इन केंपस को सैनिटाइजे किया जाकर जल की आपूर्ति की जा रही है।


    आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारी दे रहे ड्यूटी: इन क्वारेंटाइन सेंटरों में समस्त कर्मचारी आदिवासी विकास विभाग के शिक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। इन सेंटरों की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी शासकीय कन्या उमावि पेटलावद के प्राचार्य ओंकारसिंह मेड़ा को बनाया गया है। प्रत्येक क्वारेंटाइन सेंटर पर दो अधीक्षक को मेस संचालन एवं अन्य व्यवस्थाओं संबंधी दायित्व सौंपे गए हैं।



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    इंदौर में अवैध शराब आने से रोकने के लिए आबकारी विभाग ने सीमा पर 13 टीमें तैनात कीं, बाहरी इलाकों में विशेष चेकिंग होगी

    शहर में लॉकडाउन के चलते रेड जोन घोषित किए जाने के बाद से शराब दुकानें बंद हैं। 5 मई को ग्वालियर से आए आदेश के बाद धार, बड़वानी, देवास के मुख्य शहरी क्षेत्र को छोड़कर इन जिलों के आउटर में स्थित शराब दुकानों को खोलने केआदेश हो गए हैं। इस आदेश के बाद यहां से होने वाली शराब तस्करी को लेकर भी आबकारी विभाग ने अपनी तैयारी कर ली है। विभाग द्वारा शहर के 13 प्रमुख पॉइंटपर विशेष चेकिंग दल तैनात किए गए हैं। यह दल इंदौर में आने वाली अवैध शराब पर नजर रखेंगे और वाहनों की सख्ती से चेकिंग की जाएगी।

    असिस्टेंट आबकारी आयुक्त राजनारायण सोनी ने बताया कि 5 मई को धार, बड़वानी और देवास जिले की शराब दुकानें संचालित करने के आदेश ठेकेदारों को दिए गए हैं। आदेश के बाद इन जिलों से इंदौर शहर में शराब की तस्करी ना हो उसकी भी तैयारी की गई है। हमारे जिले की 13 आबकारी टीमें तैयार की हैं। येटीमें शहर के सीमावर्ती इलाकों पर तैनात रहकर वाहनों में अवैध रूप से लाई जा रही शराब की चेकिंग करेंगे। किसी भी अन्य जिले की खोली दुकान से यदि भारी मात्रा में कोई शराब लाता पाया गया तो दल उन पर सख्ती से कार्रवाई भी करेगा।

    यहां होगी विशेष चेकिंग
    आबकारी अधिकारियों के मुताबिक शहर के आउटर इलाके में अरविंदोके आगे टोलनाका, शिप्रा नाका, 9 मील नाका, मांगलिया नाका, गांधीनगर यशवंत सागर और बेटमा नाका।इसके अलावा राऊ टोल नाका आईआईएम, विशाल चौराहा, आईसर चौराहा, पीथमपुर, काली बिल्लौद घाटा, बिल्लौद आदि अन्य नाकों पर विशेष टीमें अवैध रूप से इंदौर में लाई जाने वाली शराब पर नजर रखेंगी। यह आदेश इंदौर जिले में 17 मई तक लागू रहेगा।



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    धार, बड़वानी, देवास में आउटर की शराब दुकानें खुलीं हैं। शहर में शराब की अवैध तस्करी रोकने के लिए विभाग ने योजना तैयार की है।




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    एक हजार फीट ऊंचाई से शहर का 360 डिग्री ग्लोब फोटो ड्रोन से साकेत नगर चौराहा से खींचा गया

    दैनिक भास्कर के लिए ये 360 डिग्री ग्लोब फोटो ड्रोन से कुलदीप सराटकर ने लिया है। देश के सबसे साफ शहरों में शुमार इंदौर का सौंदर्य लॉकडाउन के दौरान और भी निखर गया है। साकेत नगर चौराहे से ड्रोन कैमरे के जरिये एक हजार फीट ऊंचाई से ली गई इस तस्वीर में हराभरा शहर ंनजर आया। इसमें खजराना गणेश मंदिर, रेडिसन चौराहा, विजयनगर चौराहा, मालवा मिल क्षेत्र, गीता भवन चौराहा और बंगाली चौराहा दिखाई दे रहा है। लॉकडाउन के 41 दिनों में लोगों के घरों में रहने से वायु गुणवत्ता सूचकांक में 27 अंकों का सुधार हुआ है, वहीं ध्वनि प्रदूषण 75 डेसीबल घटा है। 24 मार्च को रीगल क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 116 था, जो 5 मई को 89 दर्ज हुआ। वहीं 25 मार्च को ध्वनि प्रदूषण 105 डेसीबल था, जो 5 मई को 30 डेसीबल दर्ज किया गया।



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    ड्रोन से साकेत नगर चौराहा से खींचा गया फोटो।




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    खजराना समेत पांच हॉट स्पॉट में 300 मरीज; 200 से ज्यादा स्वस्थ, घर लौटे

    (गौरव शर्मा )शहर के पांच हॉट स्पॉट खजराना, टाटपट्टी बाखल, रानीपुरा क्षेत्र (दौलतगंज, हाथीपाला), चंदननगर, अहिल्या पल्टन। इन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण में अब सुधार हो रहा है। कोरोना पॉजिटिव मरीज यहीं सबसे तेजी से बढ़े थे। अब उनमें से ज्यादातर ठीक होकर घर भी लौट आए हैं। टाटपट्टी बाखल में तो कोरोना के सभी मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। अब कोई भी अस्पताल में भर्ती नहीं है। रानीपुरा, दौलतगंज, हाथीपाला के सिर्फ दो कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, बाकी सभी लोग पूरी तरह ठीक हो गए हैं। खजराना, चंदननगर, अहिल्या पल्टन में से भी आधे से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। जो भी मरीज ठीक होकर घर लौटे हैं, सभी होम क्वारेंटाइन हैं।
    टाटपट्टी बाखल : 37 में से एक मौत, बाकी सब ठीक
    टाटपट्टी बाखल में कुल 37 कोरोना पॉजिटिव आए थे। इनमें से एक की मौत हुई बाकी सभी 36 ठीक होकर घर लौट गए हैं। यहां पर कुल 92 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था। उनमें से भी सभी को सेंटर से घर भेज दिया है। खास बात ये है कि इस क्षेत्र में पिछले 15 दिनों में कोई भी नया मरीज सामने नहीं आया। चिह्नित मरीज में से ही पॉजिटिव सामने आए हैं। जिन चार मरीजों की अस्पताल से छुट्टी हुई वे जब क्षेत्र में पहुंचे तो यहां पर लोगों ने मेडिकल, पुलिस-प्रशासन के लिए तालियां बजाकर स्वागत भी किया।

    रानीपुरा क्षेत्र : 65 में से तीन की मौत, 2 भर्ती, बाकी सभी स्वस्थ
    रानीपुरा, दौलतगंज, हाथीपाला क्षेत्र में 65 पॉजिटिव थे। यहां तीन मौत हुई थी। बाकी 62 में से 60 लोग ठीक होकर घर लौट आए। 2 लोग अब भी भर्ती हैं। यहां के 180 लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर भेजा था। वे सब भी ठीक होकर घर लौट आए हैं। पिछले एक सप्ताह में इस क्षेत्र से चिह्नित मरीज को छोड़ बाकी नया कोरोना केस नहीं आया है।
    चंदननगर : 24 में से 11 लोग घर लौटे, पूरे थाना क्षेत्र में 18 मौतें
    चंदननगर से ही कोरोना का मरीज डेढ़ महीने पहले सबसे पहले यहीं से आया था। यहां के कुल 24 मरीज में से 11 ठीक होकर घर लौट आए हैं। उधर, चंदननगर थाना क्षेत्र (गुमाश्तानगर, रामानंद नगर, सिरपुर सहित अन्य इलाकों) में कुल 105 लोगों में से 29 लोग ठीक होकर आ गए हैं। कोरोना से 18 मौत चंदननगर थाना क्षेत्र में हो चुकी है।
    खजराना : 155 में से 85 ठीक अहिल्या पल्टन के भी 15 लौटे
    इंदौर में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले खजराना क्षेत्र में 155 हैं। यहां पर एक ही परिवार के नौ लोग पॉजिटिव भी आए थे। यहां के अब 85 मरीज ठीक होकर घर वापस आ गए हैं। अहिल्या पल्टन के भी 35 में से 15 लोग घर लौट आए हैं। पुलिस-प्रशासन ने यहां पूरे एरिया को सील किया हुआ है।



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    300 patients in five hot spots including Khajrana; More than 200 healthy, returned home




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    मजदूरों ने 1.35 लाख में भाड़े पर ली बस, नेमावर में हुई खराब, दूसरे दिन सुधरने पर हुए रवाना

    हैदराबाद से 38 मजदूर एक निजी बस 1 लाख 35 हजार रुपए में भाड़े पर लेकर मंगलवार सुबह अपने घर राजस्थान के जालोर जिले के लिए रवाना हुए। मंगलवार रात करीब 1.30 बजे नेमावर थाने के सामने बस का पम्प खराब हाे गया। सभी मजदूराें और उनके परिवार ने जैसे-तैसे रात गुजारी।


    बुधवार सुबह जब थाना प्रभारी नरेंद्रसिंह परिहार ने बस काे देखा ताे मजदूराें से जानकारी ली। इसके बाद उन्हाेंने सभी के लिए भाेजन की व्यवस्था कर थाने के सामने स्थित साहू समाज धर्मशाला खुलवाकर उसमें उन्हें ठहराया। मजदूर अशोक कुमार, मालाराम, शंकर भाई एवं राजू भाई ने बताया हम सभी राजस्थान के जालाेर जिले के रहने वाले हैं। हैदराबाद में मजदूरी करते हैं। लॉकडाउन के कारण फंस गए थे। हमारे पास जो जमा पूंजी थी उससे सभी ने मिलकर घर पहुंचने के लिए भाड़े पर बस की। हमें प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है। हालांकि नेमावर में प्रशासन और थाना प्रभारी ने हमारे भाेजन की व्यवस्था करवाई। भरत जाट ने हमें चाय, नाश्ता एवं बच्चाें के लिए दूध व बिस्किट दिए। चालक-परिचालक ने दिनभर की कड़ी मशक्कत कर बस ठीक की। रात करीब 8 बजे से राजस्थान के लिए रवाना हुए।



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    Workers take bus for 1.35 lakhs on hire




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    इंदौर में अब तक 83 लोगों की मौत, पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 1699 पहुंचा, कलेक्टर बोले- 7 से 10 दिन और संयम रखें

    बुधवार देर रात कोरोना के 18 नए मरीज मिले। दो मरीजों की मौत भी हुई। इसके साथ ही कुल मरीजों का आंकड़ा 1699 हो गया। हालांकि राहत की बात ये है कि 556 सैंपल में 538 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई। पॉजिटिव रेट भी घटकर 3.23 हो गया है। कोरोना से शहर में अब तक 83 लोग जान गंवा चुके हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि इंदौर काफी हद तक ठीक हो गया। लॉकडाउन की वजह से ही इंदौर में इतना सुधार हुआ है। अभी अस्पताल 75 फीसदी खाली हो गए हैं। 500 के करीब मरीज ठीक होकर जा चुके हैं। क्वारैंटाइन में करीब 2200 लोग थे। अब करीब दो से ढाई सौ लोग बचे हैं। अधिग्रहित मैरिज गार्डन और कुछ कोविड अस्पतालों को भी हम रिलीज करने का सोचरहे हैं। 7 से 10 दिन में यहां काफी सुधार दिखेगा। बस, लोगों को घरों में रहने की आवश्यकता है।

    सांवेर रोड स्थित पारले-जी की फैक्ट्री को बंद करने को लेकर कहा कि हमने इसे इसलिए बंद की, क्योंकि वहीं पर कर्मचारियों को रखकर काम करना था। वहां करीब ढाई से तीन सौ कर्मचारियों को ऐसे क्षेत्रों से बुलाया जा रहा था, जो कि वहां से नहीं बुलाया जाना था। लापरवाही के कारण हमने फैक्ट्री को बंद करवाया है। हमने काफी हद तक सफलता पा ली है, ऐसे में छोटी-सी भी लापरवाही नहीं करनी है। घर में रहना बहुत कठिन काम है, यह एक तपस्या जैसा है।लेकिन, यदि थोड़ा सा संयम रख लेते हैं तो हम इससे जीत जाएंगे। कलेक्टर ने संबंधित एजेंसी को हर दिन एक हजार से अधिक सैंपलिंग किट भेजने को कहा है। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने कहा कि इंदौर के सैंपल निजी लैब को दे रहे हैं, ताकि रिपोर्ट जल्दी मिले।

    रिकवरी दर 6.50 फीसदी से बढ़कर 37.35 फीसदी हुआ
    लॉकडाउन वन में इंदौर में मरीजों के ठीक होने की रिकवरी दर केवल 6.50 फीसदी थी, जो बढ़कर 37.35 फीसदी हो गई है। एक हजार से अधिक कोविड मरीजों वाले शहरों में रिकवरी रेट में जयपुर (41.52 फीसदी) के बाद इंदौर दूसरे स्थान पर आ गया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 28.29 फीसदी है। सैंपलिंग के लिए प्रशासन ने 25 टीमें बनाकर तेजी ला दी है। पहले 450 के आसपास सैंपल लिए जा रहे थे, जो मंगलवार को 723 और बुधवार को 1174 हो गए।

    अब रेड जोन शहरों के लिए भी ई पास
    प्रदेश से अन्य राज्यों में जाने और वहां से इंदौर आने के लिए mapit.gov.incovid-19 पोर्टल पर आवेदन करने पर मंजूरी मिल रही है। इसके साथ ही अब शासन ने निर्देश जारी कर रेड जोन में आए इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगोन, खंडवा व धार जिलों से भी अन्य जिलों में जाने के लिए ई पास मंजूर करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इन जिलों से अभी तक केवल मेडिकल इमरजेंसी व मृत्यु की स्थिति में ही जारी हो रहे थे।


    सैंपल के लिए अब आधार नंबर जरूरी
    जिला प्रशासन ने सैंपल लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए एक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है, जिसमें सैंपल लेने से पहले मरीज का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। दरअसल, इस हफ्ते जितने पॉजिटिव केस सामने आए, उनमें से 11 मरीज ऐसे थे जिनके मोबाइल नंबर गलत थे। जब रैपिड रिस्पांस टीम ने उन्हें फोन लगाया तो पता लगा कि नंबर्स गलत है। पता भी सही नहीं था। ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया है।


    3700 लोगों को आने और जाने की मंजूरी
    लॉकडाउन के कारण शहर में फंसे अन्य राज्यों के लोगों को ऑनलाइन मंजूरी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 24 घंटे में 3700 लोगों को ई-पास जारी किए हैं। नोडल अफसर व आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक, सिर्फ उन्हीं लोगों के आवेदन रिजेक्ट हुए, जिन्होंने आईडी नहीं लगाया। वे फिर से आईडी, सदस्य संख्या, वाहन नंबर के साथ आवेदन करें, मंजूरी दी जाएगी।



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    बुधवार को 140 लोग कोरोना से स्वस्थ होकर घर लौटे। अरबिंदो 100, इंडेक्स 21, एमटीएच 6, चोइथराम से 13 मरीज डिस्चार्ज हुए। 7 दिन की बच्ची भी मां इरम (20) के साथ घर लौटी। इरम पॉजिटिव निकलने के बाद से अरबिंदो अस्पताल में भर्ती थी। 30 अप्रैल को उसने बच्ची को जन्म दिया। बच्ची की रिपोर्ट निगेटिव आई।




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    350 ई-पास और जारी, अब तक 4050 लोगों को इंदौर से बाहर जाने और आने के लिए अनुमति दी गई

    लॉकडाउन के कारण शहर में फंसे अन्य राज्यों के लोगों को इंदौर से बाहर जाने और अन्य स्थानों से इंदौर में आने के लिए ऑनलाइन मंजूरी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बुधवार तक 3700 लोगों को ई-पास जारी किए गए थे। वहीं, गुरुवार सुबह 350 लोगों को और ई-पास जारी किए गए। इस प्रकार अब तक 4050 लोगों को इंदौर आने एवं इंदौर से जाने के लिए अनुमति प्रदान की गई है।

    प्रदेश से अन्य राज्यों में जाने और वहां से इंदौर आने के लिए mapit.gov.incovid-19 पोर्टल पर आवेदन करने पर मंजूरी मिल रही है। इसके साथ ही अब शासन ने निर्देश जारी कर रेड जोन में आए इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगोन, खंडवा व धार जिलों से भी अन्य जिलों में जाने के लिए ई पास मंजूर करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इन जिलों से अभी तक केवल मेडिकल इमरजेंसी व मृत्यु की स्थिति में ही जारी हो रहे थे।

    नोडल अफसर व आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक, सिर्फ उन्हीं लोगों के आवेदन रिजेक्ट हुए, जिन्होंने आईडी नहीं लगाया। वे फिर से आईडी, सदस्य संख्या, वाहन नंबर के साथ आवेदन करें, मंजूरी दी जाएगी। ई-पास के लिएकलेक्ट्रेट या कहीं और भटकने की आवश्यकता नहीं है, अपने मोबाइल या कंप्यूटर से रेजिस्ट्रशन कर घर बैठे ही मोबाइल पर ही पास डाउनलोड कर सकते हैं।

    आवेदन में इन बातों का ध्यान रखें

    • आवेदनhttps://mapit.gov.in/covid-19/पर किया जाए
    • अपना आईडी प्रूफ़ अवश्य अपलोड करें
    • वाहन क्रमांकएवं यात्रियों का विवरण अवश्य लिखें
    • आपका ई-पास आपको आपके मोबाइल पे ही भेजा जाएगा


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    लॉकडाउन के चलते शहर में फंसे लोग इस तरह से कलेक्टर कार्यालय पर पहुंचकर अनुमति प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे।




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    मां नहीं हैं, पिता एक्सीडेंट के कारण चल नहीं पाते, 3 बच्चे तपती धूप में 5 किमी नंगे पैर पैदल चलकर राशन लेने जाते हैं

    कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन जरूरी है, लेकिन इसके कारण कई लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानियांश्रमिक परिवार झेल रहे हैं। किसी के सामने खाने-पीने के लाले पड़े हैं, काेई अपने परिवार से जुदा हाेकर रह रहा है। उनकी व्यथा सुनने वाला काेई नहीं मिल रहा है। ऐसे ही तीनकहानियां हैं... जो बता रही हैं लॉकडाउन में श्रमिक परिवारोंका दर्द।

    समाजसेवी द्वारा नई चप्पल दिलवाने के बाद बच्चों के चेहरे खिल उठे।

    1) नंगे पांव को चप्पल मिली तो बच्चे बोले- जीवन में पहली बार एक नहीं, दो जोड़ चप्पल पहनेंगे
    नंगे पैर तपती धूप में चलने वाले ये तीन बच्चे देपालपुर के हैं। इन्हें राशन लेने के लिए तपती धूप में नंगे पैर 5 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। बच्चे यहांयुवा नेता चिंटू वर्मा के पेट्रोल पंप पर राशन लेने आए थे। वर्मा ने उन्हें देखा और अपनी कार से राशन समेत घर तक पहुंचवाया। पता चला कि इनकी मां की मौत हो चुकी है। एक्सीडेंट के कारण पिता चल नहीं पाते, ऐसे में बच्चे ही घर का जिम्मा संभाले हुए हैं। लाॅकडाउन में रुकी हुई रफ्तार को यही बच्चे गति देने में लगे हुए हैं। घर में राशन खत्म हुआ तो ये तपती धूप में ही राशन लेने निकल पड़े। इसकी जानकारी समाजसेवी राजेंद्र चौधरी को लगी तो उन्होंने एक दुकान खुलवाकर मासूमों के लिए 10 जोड़ी चप्पल भिजवा दी। बच्चों का कहना है कि वे जीवन में पहली बार एक नहीं, 2-2 जोड़ चप्पल पहनेंगे। उनकी छोटी-सी उम्र मे मिली बड़ी जिम्मेदारी ने तपती धूप को भी मात दे दी है।बच्चों का वीडियो और फोटो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

    बाइपास पर कुछ लोगों ने रोककर महिला को पानी पिलाया और थोड़ा आराम करने को कहा।

    2)तपती धूप में मां का सफर, एक हाथ में मासूम और दूसरे हाथ में बैग
    लॉकडाउन के दर्द की तीसरी तस्वीर भी झकझोर देने वालीहै। काम-धंधा बंद होने पर एक मां अपने बच्चे को लेकर पैदल ही तपती धूप में अपने गंतव्य की ओर निकल पड़ी। बाइपास से गुजर रही एक मजबूर मां ने बताया कि सूरत में फैक्ट्रियां बंद होने से काम धंधा बंद हो गया। ऐसे में खाने-पीने की समस्या सामने खड़ी हो गई। वहां भूखे मरने से अच्छा परिवार ने तय किया कि पैदल ही अपने गांव जाएंगे। इसके बाद परिवार के 14 सदस्यों के साथ सूरत से इलाहाबाद के लिए पैदल ही निकल आए। तपती धूप में अपने मासूम बच्चे को गोद में लिए यह मां तेजी से घर के लिए कदम आगे बढ़ारही है। एक हाथ से उसने मासूम को संभाल रखा था, जबकि दूसरे हाथ से बैग को खींचरही थी। वीडियो सामने आने के बाद नगर निगम कर्मचारियों ने इन्हें खोजा और भोजन के पैकेट दिए। इतना ही नहीं, उन्हें भोपाल की ओर जा रहे ट्रक में भी बिठाया।

    3)आधा परिवार गुजरात में, आधा परिवार इंदौर में फंसा, मां का रोकर बुरा हाल
    क्षेत्र के रलायता गांव के इस श्रमिक परिवार मेंसात सदस्य हैं। पिता अंबाराम मालवीय, माता सुमित्रा बाई, बेटी ज्याेत्सना (17), दुर्गा (15), मोनिका (13), मेघा (12) औरसबसे छोटा बेटा चंदन (10 साल) 2साल पहले मजदूरी के लिए गुजरात के अमरेली जिले के साजियावदर गांव में गएथे। लॉकडाउन के पहले परिवार के सबसे छोटा सदस्य चंदन बीमार हो गया। उसके इलाज के लिए माता-पिता औरसबसे छोटी बेटी मेघा इंदौर के एमवाय अस्पताल इलाज कराने आए। यहां उपचार के दाैरान चंदन काे कुछ दिन भर्ती रखा गया। इसी बीच लॉकडाउन लग गया। ऐसे मेंमाता-पिता और दोनों बच्चेवापस गुजरात नहीं पहुंच पा रहे हैं।वहां तीन नाबालिग बेटियां हैं।वे एक-दूसरे से मिलने को तरस रहे हैं। माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता यह है कि उनकी तीनों बेटियांदूर दिन-रात आंसू बहा रही हैं।तीनों बेटियों को गुजरात से लाने के लिए सभी अधिकारी को अवगत कराया गया है। अन्य प्रयास भीकिए जा रहे हैं ताकि परिवार के सभी सदस्य एक स्थान पर मिल जाएं।

    गुजरात में फंसी बेटियां अपने माता-पिता के आने का इंतजार कर रहे हैं।


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    राशन लेकर नंगे पैर ही तपती दोपहरी में घर की ओर चल पड़े तीनों मासूम।




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    लॉकडाउन में शहर के 300 सोनोग्राफी सेंटर बंद, खतरे में गर्भवती

    (सुनील सिंह बघेल).लॉकडाउन का एक और घातक असर दिखने लगा है। शहर के लगभग 300 में से ज्यादातर सोनोग्राफी केंद्र बंद पड़े हैं। जिन बड़े निजी अस्पतालों में सुविधा है तो वे सिर्फ अपने यहां भर्ती मरीजों की ही जांच कर रहे हैं। इस सबके चलते गर्भ में पल रहे सैकड़ों बच्चों और उनकी मांओं का जीवन खतरे में पड़ गया है। सोनोग्राफी नहीं होने से गर्भाशय में पानी कम होने, गले में नाल लिपट जाने जैसी कई जटिलताओं का पता ही नहीं चल पाता। ऐसे में डॉक्टर, जच्चा-बच्चा की जान खतरे में डालकर डिलीवरी करवाने को मजबूर हैं। इंदौर जिले के 150 सरकारी और निजी अस्पतालों में हर साल 70 हजार से ज्यादा प्रसव होते हैं। इसमें से आधे यानी करीब 35 हजार निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में होते हैं। गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार बार सोनोग्राफी की जरूरत होती है। सिजेरियन डिलीवरी के मामले में तो अंदरूनी हालत जानने के लिए सोनोग्राफी रिपोर्ट और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इंदौर शहर में लगभग 340 डायग्नोस्टिक सेंटर में 408 सोनोग्राफी मशीनें रजिस्टर्ड हैं। अस्पतालों और नर्सिंग होम को छोड़कर 270 से ज्यादा मशीनें छोटे डायग्नोस्टिक सेंटर के पास हैं। लॉकडाउन के चलते जिला प्रशासन ने इन सबकी अनुमति निरस्त कर रखी है। 40 हजार से लेकर एक लाख के पैकेज वाले जिन बड़े अस्पतालों में यह सुविधा है भी, वह गर्भवती को अपने यहां भर्ती करने की शर्त रख रहे हैं। ऐसे में कई परिवार ऐसे छोटे नर्सिंग होम का सहारा लेते हैं, जहां सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है। कुछ अस्पताल रेड और यलो कैटेगरी में आ गए हैं। गर्भवती महिला को एक से दूसरे अस्पताल में भटकना पड़ रहा है। यह संक्रमण की दृष्टि से भी पेट में पल रहे बच्चे और मां दोनों के लिए बहुत खतरनाक है। फिलहाल सिर्फ एक ही निजी सोडानी डायग्नोस्टिक सेंटर को ही अनुमति है। रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएशन के डॉ. राजेश गुप्ता कहते हैं जो डायग्नोस्टिक सेंटर सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर सकते हैं, उन्हें तत्काल अनुमति देना चाहिए।

    इतनी जरूरी है... गर्भावस्था में होती है चार सोनोग्राफी
    गर्भावस्था के दौरान सामान्य तौर पर चार बार सोनोग्राफी होती है। इसमें जुड़वां, शारीरिक विसंगति, बच्चे व मस्तिष्क का विकास, हृदय की धड़कन आदि का पता लगाया जाता है। गायनेकोलॉजिस्ट पायल तिवारी कहती हैं डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि से पीड़ित गर्भवती, सिजेरियन डिलीवरी के मामले में तो यह बहुत ही जरूरी हो जाती है। जान जाने का भी खतरा होता है।

    जानलेवा गड़बड़ी... बच्चा पेट में और बता दिया मिस अबॉर्शन
    कुछ छोटे अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट के बजाय गायनेकोलॉजिस्ट ही सोनोग्राफी तो कर रहे हैं, लेकिन वर्क लोड के चलते रिपोर्ट में घातक गलतियां भी हो रही हैं। ऐसे ही एक मामले में एमवायएच के सामने एक निजी नर्सिंग होम के डॉक्टर ने ‘मिस्ड अबॉर्शन’ की रिपोर्ट दे दी। यानी महिला का गर्भ खत्म हो चुका है। महिला ने जब रिपोर्ट अपनी डॉक्टर को दिखाई तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ, कुछ शंका हुई। डॉक्टर ने पुरानी रिपोर्ट अपने पास रखकर, दो-तीन दिन बाद फिर उसी नर्सिंग होम में भेजा। नई रिपोर्ट में महिला को 7 हफ्ते से ज्यादा का स्वस्थ गर्भ बताया गया।



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    शहर के लगभग 300 में से ज्यादातर सोनोग्राफी केंद्र बंद पड़े हैं। (फाइल फोटो)




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    कनाेजिया परिवार पर काेराेना का कहर, हाेटल व्यवसायी की माैत के 36 घंटे के भीतर पिता भी जंग हारे, 2 सदस्य अब भी अस्पताल में

    हाेटल व्यवसायी की माैत के 36 घंटे के भीतर ही शहर में गुरुवार काे इंदाैर में उपचाररत उनके पिता की भी माैत हाे गई है। काेराेना संक्रमित मरीजाें की माैत की संख्या 12 पर पहुंच गई है। इसके अलावा सुबह आई आठ रिपाेर्टों में काेराेना के दाे नए मरीज भी सामने आए हैं। इनमें एक पत्ती बाजार व दूसरा यादव माेहल्ला का है। प्रशासन ने दाेनाें ही इलाकाें में कंटेनमेंट एरिया बनाकर पूरे क्षेत्र काे सील भी कर दिया है। काेराेना संक्रमित की संख्या भी 79 हो गई है। इधर संक्रमितों के मिलने के चलते शहर में कर्फ्यू भी जारी है। प्रशासन द्वारा दूध, किराना और सब्जी आदि मुहैया कराई जा रही है।


    शहर में गुरुवार सुबह मेडिकल बुलेटिन में कुल आठ लाेगाें की रिपाेर्ट आई है। इनमें छह लाेगाें की निगेटिव व दाे की पाॅजिटिव रिपाेर्ट मिली है। पाॅजिटिव रिपाेर्ट वाले दाेनाें मरीज नए इलाके के हाेने से प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। प्रशासन सुबह से ही यादव माेहल्ला व पत्ती बाजार एरिया में सील करने की कार्रवाई के साथ ही उनके परिजन काे क्वारेंटाइन करने की प्रक्रिया में दिनभर लगा रहा। इसी बीच बुधवार काे हाेटल व्यवसायी शशि कनाेजिया की माैत की घटना के 36 घंटे के भीतर ही गुरुवार दाेपहर 3 बजे करीब उनके पिता खूबचंद कनाेजिया की माैत भी इंदाैर में उपचार के दाैरान हाे गई। इस माैत की खबर के बाद कनाेजिया परिवार में अब तक दाे लाेगाें की माैत काेराेना से हाे गई है। वहीं परिवार के दाे सदस्य अब भी काेराेना संक्रमित हाेने के चलते इंदाैर में उपचाररत हैं।

    आवाजाही बंद

    बंडा बस्ती से भगाेरा जाने वाले मार्ग पर महू-सनावद मीटर गेज सेक्शन ट्रेन की आवाजाही के लिए लगाया रेलवे फाटक भी दिनभर बंद रहता है। इसके चलते यहां गांव से आने वाले दूध वाहनाें काे भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणाें ने बताया दूध वाहन काे लेकर उन्हें 5 किमी का लंबा चक्कर लगाकर महू आना पड़ रहा है। इसमें समय भी लग रहा है। इससे दूध वितरण प्रक्रिया शुरू करने में भी देरी हाे रही है।



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    Karenna's havoc on Kangeya family, father lost battle within 36 hours of the death of a hotelier, 2 members still in hospital




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    गाैतमपुरा मंडी में गेहूं खरीदी की शुरुआत, 13 ट्राॅली गेहूं बिका

    जिला प्रशासन के आदेशानुसार स्थानीय कृषि उपज मंडी में सभी सुरक्षा मापदंडों व सोशल डिस्टेसिंग के साथ गेहूं नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई।


    यहां आसपास के किसानों द्वारा 13 ट्रॉली गेहूं नीलामी के लिए लाया गया। जाे किस्म के अनुसार 1750 से लेकर 1930 रु. क्विंटल तक बिके। मंडी सचिव मदनसिंग अखाड़े के अनुसार किसान अपनी उपज मंडी में लाने के एक दिन पहले मंडी में एक बार संपर्क कर लें। उन्हाेंने किसानों, मंडी कर्मचारियों, व्यपारियों व हम्मालों को सभी सुरक्षा मापदंडों व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सुचारू रूप से नीलामी करवाने का आश्वासन दिया।



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    Wheat procurement begins in Gaitampura mandi, 13 trolley wheat sold




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    पिटोल बॉर्डर पर अचानक बढ़ी भीड़, 6-6 घंटों में स्क्रीनिंग का नंबर आया, 13 दिन में 33 हजार लोग आए

    तीन दिनों तक पिटोल बॉर्डर पर गुजरात से आने वाले प्रदेश के लोगों की संख्या कम रही। लेकिन गुरुवार सुबह से अचानक भीड़ बढ़ गई। लंबी कतारें लग गई। स्क्रीनिंग के लिए लोगों को कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ा। खाने के पैकेट लेने के लिए भी लंबी लाइन रही। 25 अप्रैल से 7 मई तक 33 हजार लोग आ चुके हैं। इन्हें 750 बसों और 180 तूफान जीपों से रवाना किया गया।


    भीड़ बढ़ने के पीछे कारण बताया जा रहा है, गुजरात से अब लोगों को बॉर्डर तक आने के लिए साधन मिलना शुरू हो गए। ग्रीन और ऑरेंज जोन से लोग बसों में बैठकर आ रहे हैं। रेड जोन के भी कंटेनमेंट एरिया को छोड़कर लोग निकल रहे हैं। गुरुवार को 3 से 4 हजार लोग शाम तक आ चुके थे। इन्हें 60 बसों और तूफान जीपों से रवाना किया। शाम तक स्क्रीनिंग की कतार लंबी थी।


    सुबह 7 बजे पहुंची, शाम 4 बजे स्क्रीनिंग हुई
    अहमदाबाद से मुरैना के लिए गौरी अपने तीन बच्चों के साथ बुधवार को निकली। वहां से बस में आई। बस वाले ने 700 रुपए एक व्यक्ति का किराया लिया। गौरी ने बताया, सुबह 7 बजे यहां पहुंच गए। एकाध घंटे में स्क्रीनिंग की लाइन में लग गए। शाम तकरीबन 4 बजे नंबर आया। भूख-प्यास से बेहाल हो गए। यहां व्यवस्थाएं बढ़ाना चाहिए। ऐसे तो लोग धूप में खड़े रहकर मर जाएंगे। बच्चों की हालत सबसे ज्यादा खराब हो गई।

    बॉर्डर पर पहुंचने के बाद मुफ्त मिल रहा साधन
    बॉर्डर पर पहुंचने के बाद लोगों को परिवहन साधन मुफ्त मिल रहा है। लेकिन गुजरात के अपने शहर से बॉर्डर तक आने के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ रहा है। यहां आने के बाद भी परेशानियां कम नहीं हो रही। स्क्रीनिंग की कम स्पीड के कारण आधा किलोमीटर तक लंबी कतार लगी रही। इन लाइनों में लोग 6-6 घंटे तक भूखे-प्यासे खड़े रहे। इनके साथ बच्चे भी थे। गर्मी काफी ज्यादा होने के बावजूद घर पहुंचने की आस में ये लोग लाइन में लगे रहे। थककर कई गर्म फर्श पर बैठ गए। गुरुवार को यहां तापमान 41.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।



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    The crowd suddenly increased at the Pitol border, the number of screenings came in 6-6 hours, 33 thousand people came in 13 days




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    कोरोना मरीज के 30 रिश्तेदारों के सैंपल भेजे, ससुराल के 18 और मायके के 13 लोग क्वारेंटाइन सेंटर भेजे

    पेटलावद के पास नाहरपुरा की महिला के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद यहां अफरा तफरी का माहौल है। अफसर, स्वास्थ्य विभाग के लोग, पुलिस वाले सबकी ड्यूटी नाहरपुरा और महिला के मायके केसरपुरा में लगाई गई है। महिला राजस्थान से लौटने के बाद अपने मायके भी गई थी। दोनों गांवों में कंटेनमेंट एरिया बनाए गए हैं। 25 टीमों को काम पर लगाया गया है। 473 घरों के 2845 लोगों की जांच की गई। महिला के 31 रिश्तेदारों को क्वारेंटाइन कर 30 के सैंपल भेजे गए हैं। 2 महीने के एक बालक के सैंपल नहीं लिए गए। इनमें से नाहरपुरा के 18 और केसरपुरा के 13 लोग हैं।


    महिला के संपर्क वाले नाहरपुरा खोरिया व केसरपुरा को सील करके स्क्रीनिंग व सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है। बीएमओ एमएल चौपड़ा ने बताया, महिला के संपर्क में आए 18 लोगों को दाढ़िया के आश्रम में क्वारेंटाइन कर इनके सैंपल भेजे हैं। ये सारे क्लोज कांटेक्ट वाले हैं। जो 16 अन्य लोग महिला के परिवार के साथ पेटलावद हॉस्टल में क्वारेंटाइन थे, उन्हें अभी छुट्‌टी नहीं दी जाएगी। 14 दिन का क्वारेंटाइन पीरियड फिर से काउंट होगा।


    चौपड़ा के अनुसार दाढ़ी आश्रम व महिला के घर में आने-जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। नाहरपुरा में स्वास्थ्य विभाग के 10 कर्मचारी व पुलिस टीम लगी है। केसरपुरा में भी बीएमओ सहित विभाग के 10 लोगों की टीम है। 13 लोगों को अंग्रेजी बालिका छात्रावास पेटलावद में क्वारेंटाइन किया गया। दो माह के बच्चों को छोड़कर 12 लोगों के सैंपल भेज दिए हैं। पॉजिटिव महिला के सीधे संपर्क में आने वाले 31 लोगों में से 30 के सैंपल भेजे गए। अब 31 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। एक सैंपल पुराना है।



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    Corona sent samples to 30 relatives of the patient, 18 in-laws and 13 from the maternal grandfather sent to the Quarantine Center.




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    56, सराफा जैसे मार्केट और टॉयलेट में लगेंगे वाॅश बेसिन, उधर कंटेनमेंट एरिया में 300 सीसीटीवी कैमरों से नजर

    इंदौर से कोरोना संकट पूरी तरह खत्म होने में पूरा साल लग सकता है। इसके लिए प्रशासन बहुत सख्त गाइडलाइन बना रहा है। इसे तब लागू किया जाएगा, जब शहर धीरे-धीरे खुलने लगेगा। यानी इंदौरवासी कोरोना के साथ कैसे जिएं, इस पर काम चल रहा है। कुल मिलाकर पोस्‍ट लॉकडाउन इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर की तैयारी की जा रही है। इसके तहत शहर के 56 दुकान, सराफा जैसे सभी मार्केट, सार्वजनिक शौचालय, धार्मिक स्थलों पर वाॅश बेसिन लगेंगे। सैनिटाइजर की व्यवस्था भी अनिवार्य होगी। अनेक स्थानों पर बिना केमिकल वाली सैनिटाइजेशन टनल बनाई जाएंगी, ताकि शहरवासी काम करते हुए भी कोरोना संक्रमण से बच सकें। संभावना है छह माह तक बस, वैन, मैजिक, आई-बस जैसे सभी लोक परिवहन वाहनों में सवारियों की संख्या 50% तक कम की जाएगी। सांसद शंकर लालवानी का कहना है पोस्ट लॉकडाउन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम हो रहा है। सख्त गाइडलाइन बनाई जाएगी, जिसका पालन हम सबको लंबे समय तक करना पड़ेगा।
    गाइडलाइन में और क्या
    जब दफ्तर खुलेंगे, बिना मास्क काम नहीं कर सकेंगे। सैनिटाइजर की व्यवस्था अनिवार्य होगी।
    घर से ऑफिस या कहीं जाने वाले हर शख्स को मास्क पहनना होगा।
    लंबे समय तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
    बिना अनुमति के कोई रैली, बैठक भी नहीं हो सकेगी।
    रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड पर सैनिटाइजर की टनल लगेंगी।

    कंटेनमेंट एरिया में 300 सीसीटीवी कैमरों से नजर
    शहर में कोविड मरीजों को लेकर चिह्नित 25 हॉट स्पॉट एरिया में लोगों से लॉकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस, प्रशासन ने इन एरिया की गलियों में 300 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं। इनके जरिए कंट्रोल रूम से हर गली में नजर रखी जा रही है। इन कैमरों को लगाने व मेंटेनेंस के लिए काम कर रहे सुखमनी कंपनी के संचालक जसदीप सिंह ने कहा कि कैमरों और इससे लाइव फीडिंग में कोई समस्या नहीं आए, इसके लिए पूरी टीम लगातार पीपीई किट पहनकर काम कर रही है। कंट्रोल रूम से फोन आते ही टीम के सदस्य मौके पर पहुंचकर तकनीकी काम करती है। रानीपुरा, खजराना, आजादनगर, टाटपट्टी बाखल सभी जगह यह कैमरे संक्रमण के खतरे के दौरान भी लगाए गए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि तीन दिन में ही यह कैमरे टीम द्वारा लगाए गए। अभी और जगह चिह्नित कर 200 कैमरे और लगवाए जा रहे हैं।



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    प्रशासन ने इन एरिया की गलियों में 300 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं।