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पंजीयन एक लाख से अधिक का, ऑनलाइन 932 छात्र ही पढ़ रहे

लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र रूचि नहीं ले रहे हैं। सरकार द्वारा पहली से 12वीं के छात्रों के लिए शुरू की गई इस योजना में बलौदाबाजार जिला पीछे हो रहा है। इस योजना के तहत जिले के 2 लाख 58 हजार छात्रों में सिर्फ आधे छात्रों ने यानी सिर्फ 1 लाख 28 हजार छात्रों ने ही पंजीयन कराया है। मगर सिर्फ 932 विद्यार्थी की ऑऩलाइन पढ़ाई में रूचि ले रहे है।
बीआरसी के शिक्षक एमएल साहू से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 9019 शिक्षकों में से 95 प्रतिशत शिक्षकों का पंजीयन हो चुका है। जिले में 1 लाख 28 हजार छात्रों ने पंजीयन जरूर कराया है लेकिन महज 932 छात्र ही इस एप के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र यहां के अधिकांश बच्चे पढ़ाई छोड़ क्रिकेट, गुल्ली, डंडा सहित अन्य खेलों में मस्त हैं। उल्लेखनीय है कि लाॅकडाउन की वजह से जिले के 1192 प्राइमरी, 643 मिडिल, 102 हाईस्कूल व 133 हायर सेंकंडरी, पांच अनुदान प्राप्त स्कूल, चार डीएव्ही, कस्तूरबा गांधी स्कूलों को मिलाकर कुल दो हजार 83 स्कूल बंद हैं। ऐसे में जिले में पहली से 12वीं तक के 2 लाख 58 हजार बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा ‘पढ़ाई तुहर द्वार‘ योजना के तहत् पढ़ाई कराई जा रही है। विद्यार्थियों द्वारा पंजीयन कराने के मामले में बलौदाबाजार जिले की स्थिति भले ही थोड़ी बेहतर है मगर इस योजना के तहत पढ़ाई में नेटवर्क तथा एंड्राइड मोबाइल की उपलब्धता तथा छात्रों के रूचि नहीं होने के कारण यह योजना वास्तविक उद्देश्यों से कोषों दूर दिखाई दे रही है।
बच्चे योजना समझ ही नहीं पाए, शिक्षकों में भी रुचि कम
यहां तो स्थिति ऐसी है कि बच्चों के पास एंड्राइड मोबाइल ही नहीं है, ऐसे में बच्चे पढ़ाई कैसे करेंगें। सूत्रों की मानें तो आज भी हजारों बच्चे इस योजना को समझ नहीं पाए हैं, योेजना के प्रति शिक्षकों का उत्साह भी कम दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों मेें बच्चे घूमते, खेलते नजर आ रहे हैं। लाॅकडाउन की वजह से लोग घरों में हैं, ऐसे में मोबाइल डाटा का उपयोग भी ज्यादा हो रहा है। वही वनांचल क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या ज्यादा है यही कारण है कि यहां एंड्राइड मोबाइल फोन व नेटवर्क की समस्या ज्यादा होने लगी है।



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Registration of more than one lakh, online only 932 students are studying




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हेल्पलाइन नंबर किसी काम के नहीं, 43 मजदूर गोंदिया से बेरोकटोक पलारी आ गए

लॉकडाउन में फंसे मजदूर परिवारों की घर वापसी लगातार जारी है। सरकार इनकी सुरक्षित वापसी का दावा तो कर रही है मगर जिस तरह हेल्पलाइन नंबर देकर लोगों को परीक्षण के बाद ही प्रवेश करने की हिदायत दी जा रही है, उन निर्देशों का पालन खुद अधिकारी ही नहीं कर रहे हैं। इससे बिना परीक्षण के ही मजदूर गांवों तक पहुंच जा रहे हैं, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा है।
गोंदिया से ऐसे ही 43 मजदूर पलारी पहुंच गए पर राजधानी रायपुर में उन्हें किसी ने रोका तक नहीं, और तो और वे शहर में गाड़ी तलाशते घूमते भी रहे। छेरकाडीह, साराडीह, टेमरी के 43 मजदूरों को जब मदद के लिए राज्य हेल्पलाइन नंबर 0771-2443809 पर लगातार 4 दिनों तक किसी ने फोन नहीं उठाया जबकि बलौदाबाजार जिला हेल्पलाइन 07727-223697 पर बात हुई लेकिन किसी ने मदद नहीं की क्योंकि महाराष्ट्र ज्यादा इंफेक्टेड है। जब खाने पीने की तकलीफ बढ़ने लगी तो सभी मंगलवार को भूखे प्यासे गोंदिया के एक गांव से मंगलवार दोपहर दो बजे पैदल ही चलकर रोड तक आ गए। इतनी बड़ी संख्या में मजदूर परिवारों को पैदल आते देवरी के कुछ सरदारों और समाजसेवी लोगों ने रोककर पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सभी लोहारा बस्ती जिला गोंदिया (महाराष्ट्र) से आ रहे हैं। इन समाजसेवियों ने पहले उन्हें खाना खिलाया और उसके बाद उन लोगों को उनके छतीसगढ़ जा रहे ट्रक को रोककर सभी मजदूरों को उसमें बैठाकर मंगलवार की शाम 4 बजे रायपुर भेजा। बुधवार सुबह 11 बजे पलारी पहुंचते ही नायब तहसीलदार कुणाल पांडेय ने इनकी मेडिकल जांच करवाकर छेरकाडीह के सरपंच मोहर नीलकंठ बंजारे और साराडीह के सरपंच राजू बंजारे से मजदूरों को गांव के बाहर स्कूल में 14 दिनों तक क्वरेंटाइन करने को कहा। इन मजदूरों को पलारी अस्पताल से उनके गांवों तक गाड़ियों से रवाना किया गया।
अफसरों ने दिया ये जवाब
राज्य हेल्पलाइन नंबर 0771-2443809 पर बुधवार रात भास्कर प्रतिनिधि ने 9.21 बजे फोन लगाया तो लेबर इस्पेक्टर आरआर पाॅल ने बताया कि रोज लाखों की संख्या में फोन आ रहा हैं और हम मदद भी कर रहे हैं। हो सकता है मजदूरों को फोन इंगेज मिला हो। इसी तरह जिला हेल्पलाइन 07727-223697 पर 9.35 बजे फोन लगाने पर जिला श्रम अधिकारी तेजस चंद्राकर ने बताया कि महाराष्ट्र चूंकि ज्यादा इंफेक्टेट है इसलिए वहां से किसी को आने की अनुमति नहीं है। यदि मजदूर किसी तरह ट्रक से पहुंचे हैं तो यह लगत है।



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The helpline number is of no use, 43 laborers have come from Gondia to unopposed Palari




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9.20 लाख से ठाकुर तालाब का होगा गहरीकरण, 2.13 लाख से घाट निर्माण

ग्राम पंचायत सेमरा के आश्रित ग्राम भाटखार में 9.20 लाख की लागत से ठाकुर देव तालाब गहरीकरण और निर्मला घाट निर्माण शुरू हो गया है। तालाब के गहरीकरण पर 7.7 लाख और निर्मला घाट बनाने पर 2.13 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। तालाब गहरीकरण रोजगार गारंटी कार्य जारी हैं। ग्राम पंचायत सेमरा में नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य मीना बंजारे सोमवार को सेमरा भाटखार ठाकुर देव तालाब गहरीकरण कार्य देखने गए। मजदूरों से मिले। उन्होंने सभी मजदूरों का हाल चाल जाना एवं सोशल डिस्टेंस बनाकर कार्य करने को कहा।
मजदूरों ने बताया कि ठाकुर देव तालाब में कार्य करने के लिए रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य करने के लिए मांग पत्र में अपना नाम एवं जाब कार्ड नंबर दर्ज कराया जा रहा हैं।इससे प्रति जाब कार्ड के प्रत्येक सदस्य को काम दिया जा रहा है। लॉकडाउन होने से लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई हैं। मजदूरों को रोजी रोटी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
ग्राम पंचायत सेमरा में लगभग 1600 मजदूरों का 700 जाब कार्ड बना है। सेमरा ग्राम पंचायत बड़ा ग्राम पंचायत होने के कारण मजदूरों की संख्या अधिक है, जिससे मजदूरों को बारी-बारी से काम कराया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए हर दिन लगभग 150 से 200 मजदूर काम कर रहे हैं। सेमरा सरपंच श्रवण कुमार ध्रुव, कुशल राम साहू वार्ड पंच, उपसरपंच घनश्याम साहू ने सभी लोगों ने मजदूरों से सोशल डिस्टेंस बनाकर काम करने कहा।



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Thakur pond will be deepened from 9.20 lakhs, ghat construction from 2.13 lakhs




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प्रदेश के 56.48 लाख परिवार को बांटा 3 महीने का राशन, शराबबंदी पर जिलाध्यक्ष ने साधी चुप्पी

जिला कांग्रेस कमेटी ने बुधवार को फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में पत्रकारों को सरकार के काम गिनाए। इस दौरान शराब बंदी पर पूछे गए सवालों पर चुप्पी साध गए।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष शरद लोहाना ने लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार के किए काम बताए। शराब बंदी के सम्बंध में उन्होंने कहा की 50 शराब दुकानें बंद हो गई है। धीरे-धीरे अन्य शराब दुकान भी बंद होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर के 56.48 लाख परिवार को अप्रैल, मई, जून के 3 महीने का राशन निशुल्क दिया। अन्य राज्यों में संकट का सामना कर रहे 16 हजार 886 श्रमिकों को करीब 66 लाख रुपए की राशि दी गई।
कोटा में फंसे छत्तीसगढ़ के 2252 छात्र-छात्राओं को 97 बसों से वापस राज्य लाया गया। 1.45 करोड़ रुपए खर्च किए गए। किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत लॉकडाउन की अवधि में अब तक 900 करोड़ रुपए की राशि उनके खातों में दी गई। इस मौके पर महापौर विजय देवांगन, पंकज महावर, मोहन लालवानी, नीशु चंद्राकर, आलोक जाधव मौजूद थे।
सरकार की अर्थव्यवस्था शराब पर टिकीः अजय
पूर्व मंत्री व कुरूद विधायक अजय चंद्राकर ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए जिले के पत्रकारों से भाजपा कार्यालय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्व इस समय जिस परिस्थिति से गुजर रहा है, ऐसे समय में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार शराब बेचना शुरू किया है। सरकार की अर्थव्यवस्था शराब पर टिकी है। सत्ता में आने से पहले प्रदेश में शराब बंदी की बात कही थी। अब होम डिलीवरी की सुविधा दे रही हैं।



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56.48 lakh families distributed 3-month ration in the state




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ओले से 80% धान को नुकसान, कुरूद व धमतरी में 1535 हेक्टेयर की फसल खराब

रबी फसल 2019-20 में धमतरी जिले में 27 हजार हेक्टेयर में धान की फसल ली गई। 20 अप्रैल को जिले में हुई ओलावृष्टि और बारिश ने धान की फसल खराब कर दी है। कृषि व राजस्व विभाग ने नुकसान का आकलन जारी किया है। इसमें धमतरी और कुरूद ब्लॉक में 35 से 80 प्रतिशत तक फसलों को नुकसान हुआ है। आकलन में बालियों से दाने ज्यादा गिरे हैं।
ओलावृष्टि से फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। धमतरी ब्लॉक के 17 गांवों में फसल को 35 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है। कुरूद ब्लॉक के 13 गांव में भी सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। दोनों ब्लॉक में 1535.250 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई। मगरलोड और नगरी ब्लॉक में विभाग अब तक फसल क्षति का आकलन नहीं कर पाया है। 20 अप्रैल के बाद फिर चले आंधी तूफान व बारिश होने का कृषि व राजस्व विभाग द्वारा अंतिम आकलन किया जा रहा है।
दलहन-तिलहन में 769 हेक्टेयर फसल में नुकसान हुआ
फरवरी माह में हुई बारिश से दलहन-तिलहन फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। धमतरी ब्लॉक में 968 हेक्टेयर में चने की फसल ली गई थी, इसमें से 735 हेक्टेयर चने की फसल बर्बाद हुई। धमतरी ब्लॉक में गेंहूं की 9 हेक्टेयर की पूरी फसल बारिश से खराब हो गई। सब्जी फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। विभाग के अनुसार सब्जी की फसल 1.800 हेक्टेयर में जिले में ली गई थी, धमतरी ब्लॉक में 4 हेक्टेयर की फसल को नुकसान हुआ है।

5.7 करोड़ रुपए का कराया गया बीमा

कृषि विभाग अनुसार जिले में दलहन-तिलहन व रबी धान के लिए 2121 किसानों ने 1928.89 हेक्टेयर का फसल बीमा कराया है। इन किसानों ने 5 करोड़ 78 लाख 33 हजार रुपए का बीमा कराया है। इसमें कृषक अंश राशि 86 हजार 8 लाख67 हजार 501 रुपए शामिलहै। फसल नुकसान होने केबाद किसान जिला प्रशासनको आवेदन सौंपकर जल्द मुआवजा राशि दिलाने की मांग करने लगे हैं।



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80% paddy loss due to hail, 1535 hectare crop in Kurud and Dhamtari damaged




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अंता में लगाए शिविर में युवाओं ने किया 32 यूनिट रक्तदान

हाड़ौती ब्लड डोनर सोसायटी अंता की ओर से लगाए शिविर में युवाओं ने 32 यूनिट रक्तदान किया। सोसायटी अंता के को-ऑर्डिनेटर पवन मोहबिया ने बताया कि कोटा एमबीएस ब्लड बैंक में रक्त की कमी से थैलेसीमिया के बच्चों, डिलेवरी वाली महिलाओं व गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बुधवार काे सुबह 11 बजे से राधिका मैरिज गार्डन के पास एमबीएस कोटा की मोबाइल वैन में शिविर लगाया गया। गत दिनों कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हुए जवानों को यह रक्तदान शिविर समर्पित किया गया। शिविर के दौरान भारतीय सैनिकों के चित्र के समक्ष पालिका अंता के अधिशासी अधिकारी मनीष गौड़ ने दीप प्रज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान पालिका के कनिष्ठ अभियंता हरिमोहन प्रजापति, विमला शर्मा, पवन अदलक्खा, ममता सुमन, कमलेश गुप्ता, राजकुमार नन्दवाना, रजनीकांत मालव, रामप्रसाद प्रजापति, माणकचंद राठौर, भूपेंद्र राठौर, दीपक गोयल, अरविन्द गालव भाया, अखलाक खान, उस्मान खान, अजय गुर्जर, भुवनेश गौतम, रवि सोना, अनूप अरविंद, अनुराग त्रिवेदी, अंकुर रावत, तरुण पंजाबी, अतुल गौतम, ध्रुव मोहबिया, गोविंद मंगल सहित कई युवाओं व रक्तदाताओं ने शहीदों को भावभीनी पुष्पांजलि अर्पित की। शिविर के दौरान दंपती रेखराज मीणा व सावित्री मीणा तथा देवेन्द्र, अरविंद व मंजू अरविंद एवं ममता गौड़ ने भी रक्तदान किया।
एमबीएस कोटा ब्लड बैंक टीम से आए डॉ. बृजबहादुर सुमन, मनीष सांवरिया, पल्लव चतुर्वेदी, शैलेन्द्र राय, अभिषेक पंवार, वैभव सिंह व गणेश बैरवा ने रक्त संग्रहित किया।



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Youth donated 32 units of blood in a camp in Anta




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धार का रिकवरी रेट 34% है, यह हमारे लिए अच्छा संकेत, कमिश्नर और आईजी ने काेराेना संक्रमण की राेकथाम के कार्याें की समीक्षा की

इंदौर कमिश्नर आकाश त्रिपाठी और आईजी विवेक शर्मा कोरोना संक्रमण रोकथाम के कार्याें की समीक्षा के लिए बुधवार काे धार आए। यहां पर दोनों अधिकारियों ने विभिन्न कंटेनमेंट एरिया का दौरा किया। पहले उन्हाेंने उटावद दरवाजा वाले क्षेत्र काे देखा, इसके बाद पाटीदार क्वारेंटाइन सेंटर और महाजन अस्पताल के आइसाेलेशन सेंटर का निरीक्षण किया। इसके बाद अधिकारियों ने जिला प्रशासन से बैठक की।


त्रिपाठी ने पत्रकारों से चर्चा में बताया कि हम कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कई प्रयोग कर रहे हैं उसमें सबसे प्रमुख यह है कि जिला मुख्यालय पर टेस्टिंग की संख्या बढ़ा रहे हैं ताकि मरीजों को हम जल्दी ढूंढ सके। इंदौर के मामले में आपने कहा कि वहां पर अब पाॅजिटिव सैंपल आने की दर काॅफी रिड्यूस हुई है। इस संभाग का खरगोन जिला ऐसा जहां पाॅजिटिव केस आने की दर बिलकुल खत्म हो जाएगी। धार में भी कोरोना के जो केस है उसका 34 प्रतिशत रिकवरी रेट है यह अच्छी बात है।


इस सबंध में इंदौर संभाग कमिश्नर आकाश त्रिपाठी ने बताया कि धार में जो केसेस है वह 76 केसेस में से 26 डिस्चार्ज हो चुके हैं और 34 प्रतिशत की रिकवरी रेट है। 12 सैंपल पहले निगेटिव हो चुके हैं और दूसरे निगेटिव होने के बाद उनको भी डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। सब से अच्छी बात यह है कि इनके यहां के सभी मरीज जो है वो काफी हद तक कम लक्षए वाले हैं। केवल दो केसे ऐसे हैं आज की डेट मेंजो थोड़े माडरेट लक्षण है। यहां पर डिसीएससी लेवल की व्यवस्था इनके पास महाजन हाॅस्पिटल में रखी हुई है। कमिश्नर ने कहा अगर 12 लोग और जोड़ लें तो लगभग ये 45 परसेंट के आसपास ये रिकवरी रेट चला जाएगा।



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The recovery rate of Dhar is 34%, a good sign for us, the commissioner and IG reviewed the actions of Raketham of Karena infection.




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काव्य पाठ में 30 कवियों ने दी प्रस्तुति

मानव कल्याण एवं सामाजिक विकास संगठन द्वारा संचलित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उत्थान मंच द्वारा संस्था के व्हाट्सएप समूह में ऑनलाइन संसद काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि डॉ. अजय पाल सिंह, विशिष्ट अतिथि उमेश कुमार सहित 30 से भी अधिकर रचनाकारों ने घर बैठे ऑडियो क्लिप और टंकित रचनाओं के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी।
भानुप्रतापपुर के कवित्री नलिनीप्रभा बाजपेई बताया कवि अपनी रचना गोष्ठियों के माध्यम से लोगों के सामने लाते हंै। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन का असर कवियों पर भी पड़ा है, जिसके कारण सभी रचनाकारों से फोन पर समन्वय स्थापित कर व्हाट्सएप ग्रुप से माध्यम से सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया। ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम आशा पांडेय प्रदेश अध्यक्ष साहित्य मंच, उपाध्यक्ष पूनम दुबे, सचिव मंशा शुक्ला के संयोजक में की गई। ऑनलाइन काव्यपाठ का संचालन अर्चना पाठक और रश्मि विपिन अग्निहोत्री, सावित्री मिश्रा, पूनम दुबे, अर्चना पाठक, मंशा शुक्ला, दीपमाला पांडेय, एकता सिरीकर, अनुसुईया झा, अनिता झा, अनिता मंदलवार, रश्मि लता मिश्रा, सुनील दत्त मिश्रा, प्रो. प्यारेलाल अदिले, डीसी त्रिपाठी, शत्रुंजय तिवारी, गजेंद्र द्विवेदी, आर्या के द्वारा स्वरचित उल्लेखनीय व उत्कृष्ट रचनाओं के प्रस्तुत करने पर उन्हें अखंड भारत सम्मान से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि डॉक्टर अजय पाल सिंह व संयोजिका आशा पांडे द्वारा सभी रचनाकारों को सोशल मीडिया में माध्यम से अपने-अपने घर में एकाग्रचित होकर इस आयोजन में ऑनलाइन भाग लेकर उत्कृष्ट रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आभार जताया।



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जिला प्रशासन का दावा- 80 बसें तैयार खुली पोल, तीन ट्रकों में पहुंचे 324 लोग

दंतेवाड़ा के 3000 से ज्यादा मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं। लॉकडाउन में ढील दी गई तो दूसरे प्रदेशों से मजदूरों के आने का सिलसिला अब वाहनों के ज़रिए भी शुरू हो गया है। सोमवार को कोंटा बार्डर पर दंतेवाड़ा के करीब 100 मजदूर रोके गए। उन्हें लेने दंतेवाड़ा से बसों को प्रशासन ने रवाना किया। अब बुधवार को 3 ट्रकों में भरकर आंधप्रदेश और तेलंगाना से करीब 324 मजदूरों की वापसी हुई है। इस वापसी ने इस बात को उजागर कर दिया है कि कोरोना और लॉकडाउन की चुनौती के बीच दूसरे राज्यों व स्थानीय प्रशासन के बीच आपस में समन्वय ही नहीं है।
इधर जिला प्रशासन का दावा है कि दंतेवाड़ा में मजदूरों को लाने प्रशासन ने 80 बसें तैयार कर रखी हैं। चूंकि मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे हैं, ऐसे में उन्हें लाने के लिए प्रशासन सरकार के निर्देश का इंतजार कर रही है। बताया जा रहा है पड़ोसी प्रदेशों के प्रशासन ने छत्तीसगढ़ सरकार या स्थानीय जिला प्रशासन को सूचना दिए बिना ही मजदूरों को ट्रकों तो पिकअप में भरकर भेज दिया है।
बुधवार को भी दंतेवाड़ा के करीब 300 से ज्यादा मजदूर ट्रकों और पिकअप के जरिए दंतेवाड़ा के अलग-अलग इलाके में पहुंचे। चिलचिलाती धूप में भेड़ बकरियों की तरह ट्रकों में सवार होकर मजदूर घर वापसी को मजबूर हैं। सोशल डिस्टेंसिंग तक नहीं थी। ऐसे में अगर एक भी व्यक्ति संक्रमित होता है तो ग्रीन जोन दंतेवाड़ा को नुकसान झेलना पड़ सकता है। इस बात की जानकारी जब दंतेवाड़ा के अफसरों को पता चली तो हरकत में आ गए।
बसें भेजने के लिए शासन के आदेश का इंतजार
एसडीएम लिंगराज सिदार ने बताया कि ट्रकों में सवार होकर मजदूर को आंध्रप्रदेश से आए हैं। हमारे पास बसें तैयार हैं। सूचना मिलने पर हम कोंटा बॉर्डर भेज रहे हैं। लेकिन दूसरे राज्यों में बसें भेजने के लिए शासन स्तर से निर्देश मिलेंगे तभी होगा। मजदूरों को ट्रकों से भेजने की सूचना दंतेवाड़ा पहुंचने पर ही मिली। पहले पता होता तो बसें भेजते।
सभी को क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा
तहसीलदार विजय कोठारी ने बताया कि जो मजदूर आए हैं उनमें से अधिकतर ग्रामीण डब्बा, गुडसे, पालनार और तेलम के है। ये सभी तेलंगाना के ग्रीन जोन से लौटे हैं। इन सभी ग्रामीणों को ग्रीन जोन धनिकरका, बेंगलूर में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। शिक्षक से लेकर सचिव की ड्यूटी लगाई गई है।

जनवरी में हुआ था सबसे अधिक पलायन
स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने से कटेकल्याण और कुआकोंडा के ग्रामीण हर साल बड़ी संख्या में तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में काम करने के लिए पलायन करते हैं। तहसीलदार ने बताया कि पलायन को लेकर पिछले चार महीने की तुलना की जाए तो सबसे अधिक पलायन जनवरी में हुआ था। यही लोग दूसरे राज्यों में काम करने के लिए गए थे जो अब वापस आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर जो क्वारेंटाइन सेंटन बनाए गए हैं उनमें भी ग्रीन, आरेंज और रेड जोन वाले सेंटर बनाए गए हैं जो जिस जोन से आएगा उसे उसी जोन में रखा जाएगा।



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District administration claims - 80 buses ready open pole, 324 people arrived in three trucks




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हर माह 30 हजार सैलरी पाने वाला जिम ट्रेनर लॉकडाउन में बेच रहा सब्जी, खुद को फिट रखना मुश्किल

तालाबंदी के चलते फिटनेस इंडस्ट्री की सेहत बिगड़ रही है। हालात ऐसे हैं कि इंटरनेशनल फ्रैंचाइजी जिम में काम करने वाला ट्रेनर भी सड़क पर सब्जी-भाजी बेचने को मजबूर है। वहीं बहुत से ट्रेनर खुद की फिटनेस को कायम रखने के लिए दूध, अंडे, प्रोटीन जैसी डाइट तक नहीं जुटा पा रहे हैं। पुराने शहर में छोटे बड़े मिलाकर 100 से भी ज्यादा जिम हैं। इनमें एक हजार से ज्यादा नौजवान बतौर फिटनेस ट्रेनर काम करते हैं। सामान्य तौर पर एक ट्रेनर महीने में 25 से 30 हजार या इससे भी ज्यादा रुपए कमा लेता है, लेकिन तालाबंदी की शुरूआत से ही जिम बंद पड़े हैं। रायपुर में कुछ नौजवान ट्रेनर ऐसे भी हैं जो अपने गांव शहर को छोड़कर यहां ट्रेनर का काम कर रहे हैं। कुछ जिम में सैलरी बेस पर काम करते हैं जबकि कुछ ट्रेनर घरों में जाकर भी पर्सनल ट्रेनिंग देते हैं। आम तौर पर छोटे या बड़े जिम में एक क्लाइंट से औसतन 2-5 हजार महीने तक फीस ली जाती है। शहर में चल रहे बड़े जिमों में एक अनुमान के मुताबिक पंद्रह हजार से ज्यादा क्लाइंट हैं। लॉकडाउन के कारण किसी भी ट्रेनर को बीते दो महीने से सैलरी नहीं मिली है। कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास घर का किराया देने तक के पैसे नहीं है। उधर, जिम के सहारे अपनी सेहत बनाने वाले लोगों के सामने भी खुद को फिट रखने का संकट आ गया है।
सब्जी-भाजी की दुकान लगाई : पांच लोगों के बड़े परिवार को चलाने वाले ट्रेनर भूपेंद्र नायक के सामने रोटी-रोजी का संकट ऐसा आया कि उन्हें मजबूरी में कटोरा तालाब में सब्जी-भाजी की दुकान लगानी पड़ गई। उनके परिवार में तीन छोटे भाई, मां और मामा रहते हैं।

खुद काे फिट रखने के लिए कैसे खाएं खुराक
बिहार के रहने वाले आलोक सिंह बीते पांच साल से शहर में फिटनेस ट्रेनर का काम कर रहे हैं। आलोक के मुताबिक हेल्दी डाइट लेने के लिए एक ट्रेनर को औसतन पंद्रह हजार रुपए खुद पर खर्च करने पड़ते हैं। सैलरी नहीं मिल रही है, लिहाजा दूध अंडा प्रोटीन कुछ भी नहीं ले पा रहे हैं। अनहेल्दी खाना खाने और जिम नहीं जाने के कारण उनका वजन दस किलो से ज्यादा बढ़ गया है। राशन कार्ड भी नहीं है, मकान का किराया देने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा।



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Gym Trainer, who gets 30 thousand salary every month, is selling vegetables in lockdown, it is difficult to keep himself fit




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निजी स्कूलों में आरक्षित आरटीई सीटों के लिए आवेदन 30 मई तक, जून में लॉटरी

निजी स्कूलों में आरक्षित शिक्षा का अधिकार (आरटीई) की सीटों के लिए आवेदन 30 मई तक स्वीकार किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया फिर शुरू हो चुकी है। रायपुर जिले के प्राइवेट स्कूलों में आरटीई की 8678 सीटें हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग को 8695 आवेदन मिले हैं। सीटों के आबंटन के लिए जून के पहले सप्ताह में लॉटरी होने की संभावना है।
आरटीई के दायरे में आने वाले राज्यभर के निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए आवेदन की प्रक्रिया मार्च से शुरू हुई। शुरुआत में आवेदन की संख्या अच्छी रही। लेकिन लॉकडाउन की वजह से धीरे-धीरे यह कम हो गई। राज्य के 6480 निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार से 81452 सीटें आरक्षित है। इनके लिए 60678 आवेदन मिले हैं। यानी जितनी सीटें हैं उतने भी आवेदन विभाग को नहीं मिले हैं। रायपुर व कुछ अन्य जिलों को छोड़ दिया जाए तो कई जगह सीटों की तुलना में आरटीई आवेदन कम मिले हैं। कुछ दिन पहले आवेदन की प्रक्रिया को शिक्षा विभाग ने स्थगित किया था। एक बार फिर फार्म स्वीकार किए जा रहे हैं। 30 मई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बने नोडल सेंटर की मदद से भी आरटीई के लिए आवेदन भरे जाते थे। स्कूल अभी बंद है इसलिए आवेदन में पैरेंट्स को परेशानी हो रही है। इसके अलावा साइबर कैफे भी बंद है, इसकी वजह से भी आवेदन में कमी आई है। गौरतलब है कि ऑनलाइन पोर्टल eduportal.cg.nic.in/rte के माध्यम फार्म भरे जा सकते हैं। आवेदन के लिए जन्म प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा से नीचे प्रमाण, सरकारी अस्पताल से प्रमाण पत्र, चाइल्ड वेलफेयर समिति की सूची में नाम जरूरी है।
रायपुर में सीट से ज्यादा आवेदन : रायपुर के निजी स्कूलों में आरटीई की 8678 सीटें हैं। इनकी तुलना में आवेदन की संख्या कुछ ज्यादा है। जबकि दूसरे अन्य जिलों में सीटों के आवेदन कम मिले हैं। जैसे बिलासपुर में 10578 सीट है। इसके लिए 5169 आवेदन मिले हैं। राजनांदगांव में 4558 सीटों के लिए 3611 आवेदन मिले हैं। जांजगीर चांपा में 6734 सीटों के लिए शिक्षा विभाग को 4796 फार्म मिले हैं। इसके अलावा कई अन्य जिले हैं जहां सीटों से आवेदन कम प्राप्त हुए हैं।

उम्र के अनुसार क्लास का होगा चयन

शिक्षा के अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों में आरक्षित सीटों के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। उम्र के अनुसार क्लास का चयन होगा। उसके अनुसार ही सीटों का आबंटन होगा। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी-1 और कक्षा पहली में प्रवेश होगा। 3 से 4 वर्ष तक की उम्र के लिए नर्सरी। 4 से 5 साल के लिए केजी-1 और 5 से साढ़े छह साल तक की उम्र वाले के बच्चों का प्रवेश कक्षा पहली में होगा।



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Application for reserved RTE seats in private schools till May 30, lottery in June




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व्यावसायिक बिजली पर 3 माह डिमांड चार्ज नहीं, फिर 6 माह की किस्त में 1% डिलेड पेमेंट सरचार्ज से करना होगा भुगतान

कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने गैर घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओंको बिजली बिल में राहत दी है। राज्य सरकार ने व्यावसायिक बिजली उपभोक्ताओं के लिए 3 माह का डिमांड चार्ज स्थगित करने का फैसला किया है। इसके बाद उपभोक्ताओं को 6 किस्त में भुगतान करना होगा। हालांकि इस पर डिलेड पेमेंट सरचार्ज को 1.5 से घटाकर 1 फीसदी कर दिया है।


दरअसल, लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय नहीं होने के कारण उद्योग लगातार बिजली के डिमांड चार्ज को माफ करने की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के घरेलू, व्यवसायिक, कृषि आधारित उद्योग समेत अन्य औद्योगिक उपभोक्ताओं के हित में गुरुवार को कई फैसले लिए हैं। इस पर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग भी सहमती जताई है।

औद्योगिक इकाईयों को ये सुविधाएं मिलेंगी

  • व्यावसायिक व अन्य औद्योगिक विद्युत कनेक्शन के अप्रैल, मई और जून के बिलों पर डिमांड चार्जेज भुगतान को स्थगित कर दिया गया है।
  • स्थगन अवधि (मॉरिटोरियम पीरियड) के बाद उक्त प्रभार की राशि को समान मासिक किश्तों में अगले 6 माह में बिजली बिल के साथ भुगतान करना होगा।
  • इस दौरान इन तीन महीनों के बिलों पर डिलेड पेमेंट सरचार्ज देना होगा। जाे कि 1.5 प्रतिशत से घटाकर अब एक फीसदी ही लिया जाएगा।
  • 23 मार्च से 30 जून 2020 के बीच क्रय की जाने वाली बिजली बिलों के भुगतान पर वर्तमान में लागू डिलेड पेमेंट सरचार्ज पर 50 फीसदी की कमी की गई है।

घरेलू उपभोक्ताओं को भी बिल में राहत
प्रदेश भर के सभी नगद बिल संग्रहण केंद्रों को अस्थाई रूप से बंद किया गया था। इसे देखते हुए ऐसे सभी घरेलू बिजली उपभोक्ता जिन्हें 23 मार्च से 3 मई की अवधि में बिल का भुगतान करना था, वे अब 31 मई तक बिल जमा कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें कोई सरचार्ज का भुगतान नहीं करना होगा।



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छत्तीसगढ़ में उद्योगों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिजली के डिमांड चार्ज को तीन माह तक स्थगित कर दिया है। इसे किस्त में भुगतान करना होगा। इसके लिए डिलेड चार्ज भी 1 फीसदी कर दिया गया है।




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तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, 32 नग हीरे के साथ मैनपुर का पूर्व पंच गिरफ्तार

जिले के पुलिस ने हीरे की तस्करी के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत ग्राम पंचायत मैनपुर के पूर्व पंच रूपेश कश्यप को पकड़ा गया है। आरोपी के पास से 32 नग हीरे मिले हैं। इनकी कीमत 4 लाख 50 हजार रूपये है। थाना प्रभारी भूषण चन्द्राकर की टीम गुरूवार को सूचना मिली थी कि नेशनल हाईवे पर मैनपुर से महज 2 किमी दूर ग्राम गौरघाट में हीरा बेचने की फिराक में पंच किसी का इंतजार कर रहा था। पुलिस मौके पर गई और रुपेश की तलाशी लेने हीरे मिले।

इस इलाके में हीरे की खाने हैं, पिछले कुछ दिनों में रुक-रुक कर हो रही बारिश के चलते मिट्‌टी में नमी है। तस्करी से जुड़े लोग चोरी छिपे प्रतिबंधित इलाकों में जाकर खुदाई कर रहे हैं। पिछले महीने यहां से एक पूर्व सरकारी को भी पकड़ा गया था। यह युवक भी इसी तरह हीरे निकालने में कामयाब हो चुका था। यहां से हीरे को बेचा जाता है। आभूषणों के कारोबार से जुड़े लोग यहां इस तरह मिले हीरों को तराशकर उन्हें ऊंची कीमतों पर बेचते हैं।



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तस्वीर मैनपुर थाने की है, आरोपी के खिलाफ मायनिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।




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केंद्र ने 3 माह का राशन दिया, छग समेत 14 राज्यों ने सिर्फ एक माह का कोटा ही उठाया

राशन का उठाव करने में फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया राज्यों को हर तरह की मदद कर रहा है। छत्तीसगढ़ समेत 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र द्वारापीएम गरीब कल्याण योजना के तहत आवंटित राशन में से केवल एक माह के राशन का ही उठाव किया है। इनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
केवल पांच राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों ने ही तीन माह के कोटे के राशन का उठाव किया है। छत्तीसगढ़ को केंद्र की तरफ से 3 लाख 1155 मीट्रिक टन चावल का आवंटन अप्रैल- मई और जून माह के लिए किया गया है। राज्य सरकार ने अभी तक केवल एक लाख 95 हजार 788 मीट्रिक टन चावल का उठाव किया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने कोरोना प्रभावित आबादी के बीच देश भर में 120 लाख मीट्रिक चावल बांटने के लिए सभी राज्यों के लिए कोटा तय किया है। अभी तक राज्यों ने केवल 69 लाख मीट्रिक टन राशन का ही उठाव किया है। योजना के तहत प्राथमिकता वाले परिवारों को उनके कोटे से दूना राशन दिया जाना है। अंत्योदय परिवारों को हर माह मिलने वाले 35 किलो के अलावा 5 किलो राशन अतिरिक्त दिया जाना है।



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5 साल में 300 घायलों की बचाई जान, अब कोरोना से जंग में आगे

रेडक्रॉस का मतलब सेवा है। लोगों की जान बचाने, घायलों की सेवा करने से इसकी शुरुआत हुई। जिले में रेडक्रॉस वॉलंटियर्स यह उद्देश्य पूरा भी कर रहे हैं। 32 हजार युवा रेडक्रॉस में जुड़कर असहाय और पीड़ित मानवता की सहायता के लिए काम करते आ रहे हैं। 5 साल में जिले के 300 लोगों की जान सड़क दुर्घटना से बचाई है। वॉलंटियर्स शांति काल में देश के ज्वलंत मुद्दों पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आपदा में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्वच्छता, पर्यावरण में सबसे ज्यादा काम किया। वर्तमान में 465 वॉलंटियर्स लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने जागरूक कर रहे हैं। इन्हें पुरस्कार भी मिले हैं।
केस 1: मौके पर दिया सीपीआर, धड़कनें चालू की
8 अक्टूबर 2019 की रात नेशनल हाईवे पर पुट्टू ढाबे के पास अंधेरे सड़क में खड़े एक ट्रक से तेज रफ्तार बाइक टकरा गई। बाइक चालक दशरथ सिंह अचेत हो गया। सड़क से गुजर रहे रेडक्रॉस सोसायटी के जिला संगठक प्रदीप साहू ने रुककर राहगीरों की मदद से उसे बाहर निकाला। तुरंत सीपीआर देकर धड़कनें चालू कीं। जिला अस्पताल उपचार के लिए भेजा।
केस 2: घायल को ऑटो चालक ने भर्ती कराया
जून 19 में रात 10 बजे दुर्घटना हुई। इसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर मौजूद ऑटो चालक दुर्घटना मित्र साहिल अहमद ने प्राथमिक इलाज दिया। घायलों अस्पताल में भर्ती कराया।
केस 3: दुर्घटना मित्रों ने प्राथमिक इलाज दिया

21 अक्टूबर 19 को 4 लोग रायपुर से लोग धमतरी की ओर आ रहे थे। मरौद के पास शाम करीब 7 बजे दुर्घटना हो गई। इन्हें मौके पर ही दुर्घटना मित्रों ने प्राथमिक इलाज दिया। भर्ती कराया।

केस 4: डुबान क्षेत्र में भी मदद कर रहे वॉलंटियर्स
डुबान क्षेत्र के बरपदर में बाइक सवार सुषेन पेड़ से जाकर टकरा गया। उसे फैक्चर हो गया। सिर में भी चोट आ गई। यहां दुर्घटना मित्र गोकरण यादव ने प्राथमिक इलाज दिया। अस्पताल भेजा।



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300 injured lives saved in 5 years, now ahead of Corona in battle




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बिना जांच के राजनांदगांव से 3 बसों में भेज दिए 150 मजदूर, बढ़ी फिक्र

कोरोना के मामले में कबीरधाम जिला रेड जोन में पहुंच गया है। इस बीच दूसरे राज्यों से प्रवासी श्रमिकों की वापसी का सिलसिला शुरु हो चुका है। इससे भी कहीं अधिक चिंता का विषय यह है कि मजदूरों की घर वापसी को लेकर अफसरों में तालमेल की कमी है। इसकी बानगी बुधवार की रात लगभग दो बजे देखने को मिली। बिना जांच के राजनांदगांव से 3 बसों में 150 मजदूरों को कवर्धा भेज दिए । स्थानीय प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं दी गई ।
रात के अंधेरे में अचानक मजदूरों के पहुंचने की खबर से अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। कवर्धा एसडीएम विपुल गुप्ता ने बताया कि राजनांदगांव से आए मजदूरों को किसी तरह उनके घर जाने से रोका गया और भागूटोला राहत शिविर में ठहराए।
राजनांदगांव से एक बस मजदूरों को भेजने की सूचना थी। लेकिन रात में ही अचानक 2 अन्य बसों में लगभग 100 मजदूर पहुंच गए। कवर्धा-राजनांदगांव बॉर्डर पर मजदूरों को उतारकर बस वापस राजनांदगांव चली गई। बस से उतरने पर कई मजदूर झोला-गठरी लेकर अपने गांवों की ओर चल पड़े। तभी प्रशासन को इसकी खबर मिली। आनन-फानन में मजदूरों को रोका गया और भागूटोला में बने राहत शिविर में लेकर आए।
नागपुर और हैदराबाद से लौटे थे सभी मजदूर : बुधवार की रात राजनांदगांव से बसों में कवर्धा पहुंचे सभी मजदूर कमाने-खाने के लिए नागपुर (महाराष्ट्र) और हैदराबाद (तेलंगाना) गए थे। लॉकडाउन के चलते पिछले एक महीने से वहां फंसे थे। उसके बाद पैदल चलकर राजनांदगांव पहुंचे। वहां से इन्हें बसों में बैठाकर कवर्धा भेजा गया। इनमें से ज्यादातर मजदूर कबीरधाम जिले के पंडरिया और मुंगेली जिले के विभिन्न गांवों के रहने वाले थे। कवर्धा पहुंचने पर मुंगेली के मजदूरों को वहां के लिए रवाना कर दिए। वहीं पंडरिया के मजदूरों को संबंधित क्षेत्र में बने सेंटर में क्वारेंटाइन किया गया है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी हो गया है। इस दौरान कहीं-कहीं पर अव्यवस्था भी हो रही है।

बगैर सूचना के 2 अन्य बसों में भेज दिए मजदूर

कवर्धा एसडीएम विपुल गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र और हैदराबाद से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक राजनांदगांव पहुंचे हैं। वहां से श्रमिकों की लिस्टिंग कर उन्हें उनके जिलों में भेजा जा रहा है। बुधवार को राजनांदगांव से सूचना दी थी कि एक बस में लगभग 40 मजदूरों को भेज रहे हैं, जो पंडरिया और मुंगेली के रहने वाले हैं। उनके आने के बाद अचानक दो अन्य बसों में आए मजदूरों को बॉर्डर पर उतार दिए। उसकी सूचना राजनांदगांव से नहीं दी गई थी।

आज 500 मजदूरों को भेजेंगे, बॉर्डर पर निगरानी बढ़ाई
राजनांदगांव में बड़ी संख्या में मजदूर पहुंचे हुए हैं। कबीरधाम जिले के 500 मजदूरों को शुक्रवार को राजनांदगांव से रवाना किया जाएगा। इसे लेकर जिले के बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी गई है। ताकि बसों से उतरने के बाद मजदूर अपने घर न जा पाएं। एहतियात के लिए पहले उनकी स्क्रीनिंग कराई जाएगी। फिर 21 दिन के लिए अलग-अलग सेंटर में उन्हें क्वारेंटाइन करेंगे ।
500 में से 337 लोगों की जांच रिपोर्ट आई निगेटिव
रेंगाखार व समनापुर जंगल में एक साथ 6 कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कोविड- 19 की जांच के लिए सैंपल की संख्या बढ़ाई है। जिले में अब तक 500 से अधिक सैंपल भेजे जा चुके हैं। इनमें से 337 की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने से राहत है। अब भी 150 से अधिक सैंपल की जांच रिपोर्ट आना बाकी है। सीएमएचओ डॉ. एसके तिवारी के मुताबिक कंटेनमेंट जोन में शामिल रेंगाखार, समनापुर जंगल, चमारी, तितरी गांव में लोगों की रैपिड किट से जांच की जाएगी। जांच के लिए अलग-अलग टीमें बनी है ।



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150 laborers sent in 3 buses from Rajnandgaon without investigation, worry increased




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कोरोना से जंग में आगे आए रेडक्रॉस वॉलंटियर्स, 35 हजार मास्क, ढाई हजार लीटर सैनिटाइजर बांट चुके

रेडक्रॉस का नाम सुनते ही सेवा का भाव मन में आता है। रेडक्रॉस की स्थापना युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की मदद, इलाज करने और युद्ध के समय दुनियाभर के विभिन्न देशों की सरकार के बीच समन्वय का कार्य करने के लिए की गई थी, लेकिन बदलते परिवेश में रेडक्रॉस की जिम्मेदारियां भी बदल गई हैं।
शुक्रवार को अंतराष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस है। खास बात यह है कि भारत में इसकी स्थापना के सौ साल पूरे हो रहे हैं। भारत में स्थापना के सौ साल पूरे होने के बाद भी रेडक्रॉस अपने इतिहास के अनुरूप ही सेवा का काम रह रही है। पहले युद्ध क्ष्रेत्र में काम करने वाली रेडक्रॉस अब कोराना से चल रही जंग में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। कोरोना संक्रमण कॉल के दौरान रेडक्रॉस ने न सिर्फ लोगों को दवा बल्कि खाना-पीना, मास्क और सैनिटाइजर भी उपलब्ध करवाया। रेडक्रॉस ने अभी तक करीब ढाई हजार लीटर सैनिटाइजर, 35 हजार मास्क, हाईड्रॉसीक्लोरोक्वीन की 3-3 हजार टेबलेट मेकॉज और महारानी हॉस्पिटल को उपलब्ध करवाई। इसके अलावा होम क्वारेंटाइन में रहने वाले लोगों को जरूरत का सामान जैसे दवा, खाना मुफ्त में उपलब्ध करवा रही है। रेडक्रॉस के अध्यक्ष कलेक्टर अय्याज तंबोली और सचिव सीएमएचओ आरके चतुर्वेदी हैं।
14.50 लाख खर्च, 12 लाख प्रोत्साहन राशि भी बांटेंगे
रेडक्रास न सिर्फ सेवा का काम करती है और बल्कि वह लोगों से आर्थिक मदद लेकर जरूरतमंदों की मदद भी करती है। कोरोना संक्रमण कॉल में अब तक रेडक्रॉस को 20 लाख का दान मिल चुका है। इसमें से अलग-अलग कार्यों के लिए 14.50 लाख खर्च भी हो चुके हैं। उपाध्यक्ष अलेक्जेंडर चेरियन ने बताया कि रेडक्रॉस की सबसे बड़ी पहल यह रही कि उसने अपने स्तर पर कोरोना की जांच और सिस्टम से जुड़े अफसरों को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय किया है। अभी प्रति मरीज की जांच के बदले रेडक्रॉस चार सौ डाॅक्टर और अन्य स्टाफ को देगी। अब तक करीब 12 लाख की प्रोत्साहन राशि बन चुकी है।

अन्य राज्यों से मजदूरों को लाने में भी की मदद
इधर अभी दीगर राज्यों में फंसे छात्रों और मजूदरों को वापस घर लाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में भी रेडक्रॉस की महत्वपूर्ण भूमिका है। कोटा व अन्य स्थानों से छात्रों और मजदूरों को लाने के लिए जो प्रारंभिक खर्च हुआ है उसका भुगतान रेडक्रॉस कर रही है। हालांकि यह राशि सरकार वापस कर देगी।



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Red Cross Volunteers came forward in battle with Corona, distributed 35 thousand masks, two and a half thousand liters sanitizer




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पहले 16 कोरोना मरीज मिले 23 दिन में अब इतने 5 दिन में ही

राजधानी में रामनगर के बाद कुकुरबेड़ा में मिले कोरोना मरीजों को संक्रमण किससे लगा, यह अब तक साफ नहीं हो सका है। सरकारी एजेंसियों का मानना है कि दोनों को किसी न किसी से संक्रमण मिला, अर्थात शहर में कोरोना के कैरियर हो सकते हैं जो अभी प्रशासन की नजर में नहीं हैं। इसलिए राजधानी में एक बार फिर अलग-अलग एजेंसियों ने मिलकर मरीजों की खोज की बड़ी मुहिम छेड़ी है। डाक्टरों की दूसरी चिंता ये है कि प्रदेश में पहले 16 मरीज 23 दिन में अाए थे लेकिन अंति 16 मरीज पिछले 5 दिन में ही निकल गए हैं। उनका कहना है कि अब कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसलिए अब जांच में तेजी जरूरी हो गई है।
प्रदेश में दूसरे राज्यों की तुलना में मरीज बहुत कम हैं। अभी तक किसी मरीज की मौत भी नहीं हुई है, इस लिहाज से छग सुरक्षित है। लेकिन बावजूद पिछले चार दिनों में 16 मरीज मिलने को अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। इस तरह, एक दिन में चार मरीजों का औसत है, हालांकि ये प्रवासी मजदूर हैं। लेकिन रायपुर के दो मरीजों को लेकर प्रशासन में भारी संशय है। रामनगर के बाद कुकुरबेड़ा का संक्रमण भी डाक्टरों की समझ से बाहर है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों ही युवक किसी न किसी कोरोना पॉजीटिव मरीज के संपर्क में आया हो। बिना संपर्क में आए कोई बीमार नहीं पड़ सकता। इसलिए तलाश जरूरी हो गई है।
टीमें 800 घरों में पहुंचीं, डेढ़ हजार परिवारों की होगी जांच
बिना स्त्रोत वाले दो मरीजों के मिलने के बाद कड़ियां जोड़ने के लिए हेल्थ विभाग की 20 टीमों ने केवल कुकुरबेड़ा कंटेनमेंट एरिया के 800 से ज्यादा घरों में सर्वे किया है। हेल्थ विभाग सर्वे के साथ कोरोना जैसे लक्षणों की सूरत में सैंपल भी कलेक्ट कर रही है। वहीं नगर निगम का स्वास्थ्य अमला पूरे इलाके को सेनिटाइज करने और ब्लीचिंग पाउडर छिड़काव के अभियान में जुटा है। हेल्थ विभाग ने डेढ़ हजार घरों तक सर्वे करने का टारगेट रखा है। इसके अलावा कंटेनमेंट जोन के बाहर भी संपर्क मिलने पर सर्वे सैंपल लिए जाएंगे। हेल्थ विभाग सर्वे के साथ लोगों के टेस्ट भी कर रहा है। एएनएम और मितानिनों की 20 टीमों में 60 हेल्थ वर्कर हैं।
भास्कर नॉलेज : संक्रमण की तलाश इस तरह

किसी भी मामले में जब कोरोना पॉजिटिव केस की पुष्टि हो जाती है। तो संबंधित शख्स से उसके एक से दो हफ्ते के बीच में आए लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। कई बार मरीज को याद नहीं रहता, इसलिए ऐसी स्थिति में उसके बताए लोगों के जरिए बाकी लोगों तक पहुंचा जाता है। कोरोना के नियंत्रण में ट्रेसिंग और ट्रेकिंग की अहम भूमिका होती है। इसके माध्यम से ही संपर्क में सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश होती है।

ऐसी टीम

सैंपल लेने वाली टीम करीब 12 (एक टीम में औसतन दो से तीन लोग)
जानकारी जुटाने वाली टीम 20 (एक टीम में औसतन तीन लोग)

गर्मी का असर दिखा तो नहीं
पिछले एक हफ्ते में जिस तरह कोरोना के मरीज बढ़े हैं, उससे विशेषज्ञों की इस थ्योरी को धक्का पहुंचा है कि ज्यादा तापमान में कोरोना के वायरस मर जाएंगे। प्रदेश में रविवार को 14, सोमवार व मंगलवार को एक-एक मरीज मिला। ये मरीज दुर्ग, भिलाई व कवर्धा के हैं। सभी क्वारेंटाइन में दुर्ग में थे और वहां का तापमान 41 डिग्री से ज्यादा था। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान के भरोसे ज्यादा रहने के बजाय अब सोशल डिस्टेंसिंग के साथ जरूरी सावधानी अपनानी होगी।

"शुरुआती दिनों की तुलना में नए मरीज तेजी से मिल रहे हैं। ऐसे में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। तापमान के भरोसे न रहें। बाहर से आने वाले मजदूर कोई समस्या न बनें, इसके लिए जांच जरूरी है।"
-डॉ. आरके पंडा, चेस्ट विशेषज्ञ व सदस्य कोर कमेटी कोरोना सेल



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First 16 corona patients were found in 23 days, now in only 5 days




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लॉकडाउन से 33 हजार करोड़ रुपए का कारोबार ठप, 4 हजार करोड़ का घाटा

देश की नामी कंपनियों और बड़े व्यापारिक संगठनों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लॉकडाउन में केवल छत्तीसगढ़ में ही 33 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ है। इसके असर से आने वाले दिनों में 20 प्रतिशत से ज्यादा उद्योग-धंधे बंद की स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिपोर्ट में दावा किया गया कि देशभर में 24 मार्च से 30 अप्रैल तक 5.50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ है। छत्तीसगढ़ में 5 मई तक राज्य शासन को करीब 4 हजार रुपए के टैक्स का नुकसान हो चुका है।
कैट की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिटेलर्स रोजाना लगभग 20 हजार करोड़ का कारोबार करते हैं। 48 दिनों से लगभग पूरे व्यापार में तालाबंदी है। यानी 5.50 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान अभी तक कारोबारियों को हो चुका है। इस वजह से देशभर के 7 करोड़ व्यापारियों में से लगभग 1.5 करोड़ कारोबारियों को आने वाले महीनों में अपने व्यापार को स्थायी रूप से बंद करना पड़ सकता है।

इसका असर यह होगा कि लगभग 75 लाख व्यापारी जो इन 1.5 करोड़ कारोबारियों पर निर्भर हैं, उन्हें भी अपना व्यापार बंद करना होगा।
नहीं मिला कोई राहत पैकेज
रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में व्यापार बंद होने से कम से कम 20 फीसदी व्यापारियों और उन व्यापारियों पर निर्भर लोगों को कारोबार बंद करना होगा। इस मामले में कई बार केंद्र और राज्य सरकार को चिट्ठी लिखी गई है, लेकिन अभी तक कोई भी बड़ा राहत पैकेज नहीं मिला है। कैट की ओर से लगातार इस बात की मांग की गई है कि लॉकडाउन के दौरान रायपुर में सभी तरह के कारोबार की अनुमति दी जाए। इससे व्यापारियों को राहत मिलनी शुरू होगी।

जीएसटी का बड़ा नुकसान
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी और कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में हर दिन 700 से 800 करोड़ का व्यापार होता है। इसमें 60 हजार व्यापारियों से 20 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। लॉकडाउन के 42 दिनों में प्रदेश में 33 हजार करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ। व्यापार बंद होने से सरकार को औसतन 12 फीसदी जीएसटी के अनुमान से लगभग 4000 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है।



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Business worth 33 thousand crores stalled due to lockdown, loss of 4 thousand crores




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श्रमिकों को लेकर आने वाली ट्रेन रुकी, राज्य ने अनुमति नहीं दी; केंद्र ने 3 माह का राशन दिया, प्रदेश सरकार ने एक माह का ही उठाया

छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को लेकर गुजरात से आने वाली स्पेशल ट्रेन को रोक दिया गया है। यह ट्रेन नाडियाड से प्रदेश के 1156 श्रमिकों को लेकर शुक्रवार शाम बिलासपुर पहुंचने वाली थी। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिलने के कारण ट्रेन को नाडियाड से ही गुरुवार शाम चलने नहीं दिया गया है। अब शुक्रवार को चलने वाली दूसरी ट्रेन भी टल गई है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रेनों से आने वाले श्रमिकों को लेकर बाहर मार्किंग की गई है। इसी के आधार पर मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग में खड़ा करने की तैयारी है।

राज्य सरकार की अनुमति के बिना नहीं आएगी ट्रेन

  • गुजरात से प्रदेश के श्रमिकों के बारे में पूरी जानकारी राज्य सरकार को दो दिन पहले ही मिल गई थी। रेलवे की ओर से इसकी तैयारी हो गई थी, मगर राज्य ने अनुमति नहीं दी।
  • नडियाड कलेक्टर ने ट्रेन रुकवा दी। जब तक प्रदेश से सहमति नहीं मिलेगी, वहां से ट्रेन रवाना नहीं हो सकती है। रायपुर रेल मंडल के डीआरएम श्यामसुंदर गुप्ता इसके नोडल अफसर हैं।
  • नडियाड से गुरुवार को रवाना होने वाली पहली ट्रेन में 11 जिले के मजदूरों को रवाना किया जा रहा था। इनकी नाम-पतों के साथ जिलेवार सूची भेज दी थी।
  • नडियाड कलेक्टर के पत्र में बताया गया था कि गुरुवार की पहली ट्रेन में 1156 और शुक्रवार की ट्रेन में 1200 मजदूर भेजे जा रहे हैं।

14 राज्यों ने एक माह का ही राशन उठाया
फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से राज्यों को तीन माह का राशन दिया गया है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ समेत 14 राज्यों ने सिर्फ एक माह का ही राशन उठाया। इनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। यह राशन पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत आवंटित किया गया है।

  • 3 लाख 1155 मीट्रिक टन चावल का आवंटन केंद्र की ओर से छत्तीसगढ़ को अप्रैल-मई और जून माह के लिए किया गया।
  • छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने अभी तक केवल 195788 मीट्रिक टन चावल का ही उठान किया है।
  • कोरोना प्रभावित आबादी के बीच 120 लाख मीट्रिक चावलबांटने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कोटा तय किया है।
  • अभी तक सभी 14 राज्यों ने 69 लाख मीट्रिक टन राशन का ही उठान किया है।
  • 35 किलो के अलावा अंत्योदय परिवारों को हर माह मिलने राशन से 5 किलो अतिरिक्त दिया जाएगा।
  • योजना के तहत प्राथमिकता वाले परिवारों को उनके कोटे से दूना राशन दिया जाना है।

छत्तीसगढ़ में कोरोना एक्टिव अब 21

छत्तीसगढ़ में कोराेना संक्रमित दो और मरीज गुरुवार कोपूरी तरह से ठीक हो चुकेहैं। इनमेंएक सूरजपुर से आयाथा, जबकि दूसरा एम्स का ही नर्सिंग स्टाफ है।प्रदेश में ​एक्टिव मरीजों की संख्या अब 21 हो गई है। अभी तक38 लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।

  • छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के अब तक 59 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें क्वारैंटाइन सेंटर से भागे झारखंड के पॉजिटिव दो मजदूरों को जाेड़ दें तो यह संख्या 61 होती है।
  • संक्रमितों में अब तक सबसे ज्यादा कोरबा जिले से 28, सूरजपुर 6, रायपुर 7, दुर्ग 9, कवर्धा 6, राजनांदगांव और बिलासपुर से एक-एक पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं।
  • प्रदेश में अब एक्टिव केस की संख्या 21है। अब सूरजपुर के 5, दुर्ग के 9, कवर्धा के 6 और रायपुर के एक मरीजका इलाज एम्स में चल रहा है।
  • कटघोरा में 16 अप्रैल के बाद कोई नया केस नहीं आया है। वहां के मरीज 4 अप्रैल से भर्ती होना शुरू हुए और सभी 27 की छुट्‌टी हो चुकी है।

रायपुर : छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने17 मई तक पहले की तरह हीदफ्तर खोलने की मांग की। प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने इस संबंध में सीएस आरपी मंडल को पत्र लिखा है। कहा है कि रायपुर का तापमान 43 डिग्री चल रहा है। सेंट्रल एसी बंद होने से अधिकारी-कर्मचारियों को काम करने में काफी दिक्कत आ रही है। सीनियर कर्मचारियों के तकलीफ बढ़ने के कारण घर रवाना करना पड़ा। सिर्फ 21 विभागों के लिए ही बस की सुविधा है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में लॉकडाउन के दौरान ढील दी गई है। ऐसे में तंग गलियों में भी लोगों की भीड़ जुटने लगी है। न सोशल डिस्टेंसिंग का पता है और न लोग मास्क लगा रहे हैं।

बिलासपुर : विशाखापट्टनम की फैक्ट्री से जहरीली गैस लीक होने के कारण वहां से होकर गुजरने वाली स्पेशल ट्रेनों का रूट डायवर्ट कर दिया गया है। यह चार ट्रेनें श्रमिकों को लेकर जा रही हैं। अब से चारों बिलासपुर से होकर गुजरेंगी। इन ट्रेनों से उत्तर भारत से चलकर पूर्वी भारत की ओर श्रमिकों को ले जा रही हैं। अब बल्लारशाह, गोंदिया, रायपुर, बिलासपुर औरझारसुगुड़ा होकर ट्रेनें गंतव्य को जाएगी। इनमें कोड़ी कोट से कटिहार, घाट केश्वर से कटिहार, कट्टी पडे से दावे और लिंगमपल्ली से भागलपुर शामिल है।

छत्तीसगढ़ के भिलाई में पुलिस ने 5 किमी पैदल मार्च निकला। इस दौरान 100 पुलिसकर्मी गली-मोहल्लों में पहुंचे और लोगों को जिला प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के दौरान बदले गए नियमों और कोविड-19 को लेकर बचाव की जानकारी दी।

भिलाई : कलेक्टर अंकित आनंद, एसएसपी अजय यादव समेत करीब 100 पुलिसकर्मियों ने 5 किमी पैदल मार्च किया। इस दौरान गली-मोहल्लों में जाकर लोगों को कोरोनावायरस को लेकर जागरूक किया। इस दौरान जिले में लॉकडाउन के बदले नियमों के बारे में भी जानकारी दी। बताया गया कि अब सभी दुकानें कुछ प्रतिबंध के तहत सोमवार से शुक्रवार तक खुल सकती हैं और शनिवार औररविवार को पूर्ण लॉकडाउन रहेगा।

रायगढ़ : जांजगीर-चांपा जिला कलेक्टर ने नाई दुकान, सैलून और पान दुकान को खोलने की अनुमति दे दी है। यह दुकानें सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक खुलेंगी। हालांकि आदेश में यह भी कहा गया है कि दुकानों को खोलने के लिए दुकान संचालकों को सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन के नियमों को पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।

रायगढ़ में लॉकडाउन और धारा 144 के उल्लंघन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में पुलिस ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। वाहनों की चेकिंग करने के साथ ही लोगों को बीच रास्ते से ही उनके घरों को लौटाया जा रहा है।


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बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशन ट्रेनों के आने को लेकर रेलवे ने तैयारी शुरू कर दी थी। इसको लेकर मौका का जायजा लिया गया। वहीं, विशाखापट्नम गैस लीक के चलते रूट डायवर्ट होने के कारण चार ट्रेनें रायपुर और बिलासपुर होकर गुजरेंगी।




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लॉकडाउन में छूट, 8 दिनाें में 3000 बढ़े हाेम क्वारेंटाइन

लॉकडाउन-3 में आने जाने की छूट मिलने से दूसरे राज्याें से प्रदेश में आने वालाें की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले आठ दिनों में शुक्रवार तक करीब 3000 लोग दूसरों राज्यों से छत्तीसगढ़ लौटे हैं। इन सभी को होम क्वारेंटाइन किया गया है। सरकारी क्वारेंटाइन सेंटरों में भी 100 लोग बढ़ गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार आने वाले दिनों में क्वारेंटाइन किए गए लोगों के संख्या बढ़ने की संभावना है। इसमें प्रवासी मजदूर शामिल हैं। उनके लिए हर गांव के बाहर क्वारेंटाइन सेंटर बनाया जा रहा है। राज्य में अब तक 20,432 लोगों को होम क्वारेंटाइन किया जा चुका है। 148 सरकारी क्वारेंटाइन सेंटर में 582 कोरोना संदिग्धों को रखा गया है। 30 अप्रैल को 17 हजार होम क्वारेंटाइन थे। अभी इनकी संख्या बढ़ चुकी है। इस बीच सरकारी क्वारेंटाइन सेंटर 138 से बढ़ाकर 148 कर दिए गए हैं। इन सेंटरों में 2,991 लोगों को एक साथ रखने की व्यवस्था है। अधिकारियों के अनुसार अन्य राज्यों में फंसे कई लोग पास लेकर तो कई बिना पास आ रहे हैं। ये महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना व झारखंड के रास्ते से आ रहे हैं। एहतियात के तौर पर उन्हें 14 दिनों के क्वारेंटाइन में रखा जा रहा है, ताकि कोरोना का संक्रमण हो तो क्वारेंटाइन के दौरान उसके लक्षण सामने आ जाए और तुरंत इलाज शुरू किया जा सके। इससे कोरोना का संक्रमण फैलेगा भी नहीं। एम्स में ड्यूटी कर रहे अंबेडकर अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों को भी निमोरा में रखा गया है। वे वहीं से ड्यूटी आना-जाना कर रहे हैं। प्रदेश में मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को नजदीकी अस्पताल में जानकारी देने व स्वास्थ्य की जांच कराने को कहा जा रहा है। लोग टोल फ्री नंबर 104 पर आने-जाने वालों की जानकारी दे सकते हैं। इस नंबर पर लोग अपने अपने पड़ोस में दूसरे राज्यों से आने वालों की जानकारी भी दे सकते हैं। कोरोना सेल के मीडिया प्रभारी डॉ. अखिलेश त्रिपाठी के अनुसार क्वारेंटाइन लोगाें की सख्ती से मानीटरिंग की जा रही है।



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1 साल इंतजार के बाद 3636 छात्राओं को मिलेगी साइकिल


सत्र 2019-20 की साइकिल अब जल्द ही छात्राओं को मिलने वाली है। साइकिल की खरीदी कर ली गई है। एक-दो दिन में जिले में आ जाएगी। शिक्षा विभाग अब साइकिल आने का इंतजार कर रहा है। साइकिल आते ही इनके पुर्जे जोड़ने का काम भी शुरू हो जाएगा, इसकी तैयारी भी कर ली है। शिक्षा विभाग लाॅकडाउन खत्म होने के बाद स्कूलों को साइकिल देगा। स्कूल द्वारा अपने स्तर पर साइकिल वितरण शुरू कर दिया जाएगा। धमतरी जिले में 9वीं की 3 हजार 636 छात्राओं को सरस्वती साइकिल योजना के तहत साइकिल दी जाना है। छात्राओं को करीब एक साल बाद नए शिक्षा सत्र में साइकिल मिलेगी। सभी लड़कियां दसवीं में आ गईं हैं।
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद दूसरी बार छात्राओं को एक साल बाद साइकिल मिलेगी। इसके पहले सत्र 2018-19 की साइकिल भी शिक्षा सत्र बीतने के बाद मई माह में वितरण की गई थी। चुनाव आचार संहिता के स्कूल शिक्षा विभाग ने खरीदने में देरी की। सत्र 2019-20 में नई सरकार आने के बावजूद साइकिल खरीदी में देरी की गई। वर्ष 2020 में खरीदी की प्रक्रिया शुरू हुई। मार्च में साइकिल आनी थी, लेकिन इसी दौरान कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया। अब लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद छात्राओं को साइकिल दी जाएंगी।
सोशल डिस्टेंस का करेंगे पालन: शिक्षा अधिकारी
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी विपिन देशमुख ने कहा कि सरस्वती साइकिल योजना के तहत 3 हजार 636 छात्राओं को साइकिल दी जानी है। धमतरी जिले में एक-दो दिन में आ जाएंगी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्कूलों से साइकिल बांटी जाएगी। वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन किया जाएगा।



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रेडक्रॉस वॉलंटियर्स ने 352 पंचायतों में मजदूरों को कोरोना से बचने बताए उपाय

इंडियन रेडक्राॅस सोसायटी ने विश्व रेडक्राॅस दिवस को मनाया। इस अवसर पर जिले के मनरेगा मजदूरों को सोशल डिस्टेंस का पालन कराकर कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोगों को जागरूक किया। जिले के सभी रेडक्रॉस वॉलंटियर्स ने लोगों को सोशल डिस्टेंस, फिजिकल डिस्टेंस बनाने, मास्क लगाकर काम करने, हाथ धोते रहने की शपथ दिलाई। इस दौरान तालियां बजाकर लोगों का उत्साहवर्धन किया। लोगों ने रेडक्रॉस वॉलंटियर्स का सम्मान तालियां बजाकर किया।
शताब्दी समारोह में जिले के 352 ग्राम पंचायतों में 1 लाख 90 हजार 675 परिवार रोजगार गारंटी के तहत काम कर रहे हैं। पंचायतों में गांव के स्कूल व कालेज के वॉलंटियर्स ने जाकर सुबह से ही लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया। गांव में बाहरी व्यक्तियों को प्रवेश न देने, संदिग्ध व्यक्ति मिलता है, तो तत्काल पुलिस को सूचना देने कहा। रेडक्राॅस वालंटियर्स ने गीत, गजल, कविता, स्लोगन, कहानी, नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर लोगों में कोरोना से बचने जागरूकता अभियान चलाया। इसके अलावा मनरेगा मजदूरों को प्राथमिक उपचार करने के तरीके भी बताए। काम के दौरान बेहोश होने की स्थिति, हार्ट अटैक आने पर, मिरगी आने पर, दुर्घटना होने पर, सांप के काटने, हड्डी टूटने पर, ब्लीडिंग होने पर किस प्रकार से मरीजों को तत्काल सहायता दी जा सकती है, इसका डेमो कराया।
मजदूरों ने रेडक्राॅस काउंसलर सत्यप्रकाश प्रधान, आकाश गिरि गोस्वामी, खोमनलाल साहू, अवधराम साहू, खूबलाल साहू, रूपेश कुमार नापित से प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण भी लिया। ग्राम पंचायत अर्जुनी एवं ग्राम पंचायत खपरी में माही नर्सिग कालेज के वॉलेंटियर्स दामिनी, शैल नेताम, खेमचंद साहू ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया। इस अवसर पर जनपद पंचायत सीईओ अमित दुबे, गोविंद साहू, मूलसंजीवन, लोकेश बाघमार समेत पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कीप क्लैपिंग फॉर वॉलंटियर्स थीम पर मनाया शताब्दी वर्ष
जिला संगठक प्रदीप कुमार साहू ने बताया कि रेडक्रॉस के स्वयंसेवक असहाय एवं पीड़ित मानवता की सहायता के लिए काम करते आ रहे हैं। भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ। तब से रेडक्रॉस के स्वयं सेवक विभिन्न प्रकार के आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाए दे रहे हैं। 100 वर्ष पूर्ण होने पर विश्वव्यापी आपदा कोविड-19 के चलते इस वर्ष राष्ट्रीय रेडक्रॉस का थीम-कीप क्लैपिंग फाॅर वॉलेंटियर्स नारा दिया है। विश्व के लगभग 189 देश किसी एक विचार पर सहमत है, तो वह है रेडक्रास के विचार हैं। युद्ध के मैदान में घायल सैनिकों की चिकित्सा के साथ प्रकृति के महाविनाश के बीच फंसे लोगों की मदद के लिए हमेशा डटे रहते हैं।रेडक्रॉस को चार बार नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।



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Red Cross volunteers told workers in 352 panchayats to avoid Corona




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31 मई तक हर शनिवार, रविवार रहेगी तालाबंदी, गैर जरूरी दुकानें बंद रहेंगी

लॉकडाउन को पूरे 45 दिन हो गए। अब मई माह में हर शनिवार व रविवार को जिले की गैरजरूरी दुकानों पर पूरी तरह तालाबंदी होगी। यह आदेश कलेक्टर रजत बंसल ने शुक्रवार शाम जारी कर दिए हैं। इस दौरान दूध डेयरी, सब्जी व मेडिकल स्टोर खुले रहेंगे।जरूरी सेवाओं के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
साथ ही निजी बसें, टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा, रिक्शा भी नहीं चलेंगे। केवल आवश्यक वस्तुओं, सेवाओं के उत्पादन एवं उनके परिवहन में लगे निजी वाहनों को ही सड़क में चलने की छूट रहेगी। नियम तोड़नेपर एफआईआर होगी।

इन्हें लॉकडाउन से किया मुक्त
कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा से संबंधित पदाधिकारी, कर्मी, सभी अस्पताल, मेडिकल काॅलेज, लाईसेंस प्राप्त पंजीकृत अस्पताल, दवा दुकान, चश्मा की दुकान, खाद्य पदार्थ, किराने का सामान, दूध, ब्रेड, फल एवं सब्जी, चिकन, मटन, मछली एवं अंडा बिक्री, दूध प्लांट, घर जाकर दूध बांटने वाले को तालाबंदी से मुक्त किया गया है। साथ ही न्यूज पेपर हाॅकर सुबह 6.30 से सुबह 9.30 बजे तक लाॅकडाउन मुक्त रहेंगे।

इनके लिए कोईसमय सीमा नहीं
मेडिकल सेवाएं, पेट्रोल पंप, एटीएम, मीडिया संस्थान, टेलीफोन एवं इंटरनेट सेवाएं, फायर ब्रिगेड, पेयजल सुविधा, सफाई-स्वच्छता से जुड़ी सेवाएं, दवा, एटीएम, वाहन, एलपीजी गैस सिलेंडर का वाहन, बिजली, पानी, अग्निशमन सेवाएं, आईटी आधारित सेवाएं, मोबाइल रिचार्ज एवं सर्विसेस सेवाएं, एलपीजी, जीएनजी गैस परिवहन एवं भंडारण गतिविधि, दवा एवं चिकित्सा उपकरण सहित सभी आवश्यक वस्तुओं की ई-काॅमर्स आपूर्ति, सुरक्षा काम में लगी सभी एजेंसियां (निजी एजेंसियां सहित), प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया को छूट हैं।
ये नियम अनिवार्य रूप से लागू

  • सभी प्रकार के आयोजन प्रतिबंधित। धार्मिक स्थल बंद रहेंगे।
  • अंत्येष्टि और अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोग शामिल होंगे।
  • सार्वजनिक स्थानों पर थूकना, बिना मुंह ढंके निकलने पर अर्थदंड लगाया जाएगा।
  • सार्वजनिक स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य है।
  • दो पहिया वाहन पर एक और चार पहिया वाहन में 2 लोग ही आ-जा सकेंगे। विशेष परिस्थतियों में कार में ड्राइवर सहित 2 लोग और बैठ सकेंगे।

इन पर पूरी तरह प्रतिबंध

नाई की दुकानें, स्पा, सैलून बंद, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, जिम, खेलकूद कॉप्लेक्स, स्वीमिंग पूल, पार्क, थियेटर, बार, सभागार, चाट-ठेले की दुकानें फिलहाल 17 मई तक बंद ही रहेंगी।
मनरेगा काम होंगे, औद्योगिक संस्थान को भी छूट
जिला प्रशासन के आदेश अनुसार मनरेगा का काम चालू रहेंगे। सभी औद्योगिक संस्थान इकाइयों एवं खान को इस प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है। साथ ही कम कर्मचारियों को बुलाकर काम करने का आदेश है। आदेश का उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी।



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Lockdown will be held every Saturday, Sunday till May 31, non-essential shops will remain closed




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3656 जगह के पानी में आयरन-फ्लोराइड ज्यादा, छिंदावाड़ा में ई-कोलाई बैक्टीरिया

बस्तर जिले में साढ़े 3 हजार से ज्यादा बसाहटों में पानी में दूषित रासायनिक पदार्थ मिले हैं। ऐसे में ये पानी उपयोग के लायक तो नहीं है, इसके बावजूद इन बसाहटों के लोग यही पानी पी रहे हैं। बताया जाता है कि इन बसाहटों में जो दूषित पदार्थ पानी में मिल रहे हैं, वे रासायनिक तत्वों से बने हुए हैं। इन हालातों के बाद भी पीएचई लोगों को साफ पानी मुहैया नहीं करवा पा रहा है।
बताया जाता है कि पिछले दिनों पीएचई ने बस्तर जिले के सातों ब्लॉक में अलग-अलग 11403 जगहों पर पानी की जांच की, जिसमें से गुरुवार तक की रिपोर्ट के मुताबिक 3656 बसाहटों में रासायनिक पदार्थ मिले हैं। इनमें आयरन और फ्लोराइड सबसे ज्यादा मिले हैं। इसके अलावा दरभा ब्लॉक के छिंदावाड़ा में बैक्टेरियोलॉजिकल पदार्थ, जिसमें ई-कोलाई बैक्टेरिया मिले हैं। कुल मिलाकर 3657 बसाहटों का पानी किसी भी हालत में पीने के लायक नहीं है।
1149 जगहों के पानी में आयरन तो 92 में मिला फ्लोराइड, दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक: बस्तर जिले में सबसे ज्यादा रासायनिक पदार्थ आयरन मिले हैं, जबकि फ्लोराइड के ट्रेसेस भी पानी में मिले हैं। जिलेभर की 1149 बसाहटों में जहां आयरन की मात्रा काफी ज्यादा मिली है, वहीं 92 बसाहटें फ्लोराइड से प्रभािवत हैं। इसके अलावा अन्य कंटेमिनेशन से प्रभावित 17 और अलग-अलग कई पदार्थों के कारण पानी के दूषित होने वाली 5 बसाहटें हैं।
फिल्टर प्लांट खराब हो गए, 7 साल पहले ही बंद कर दिया गया था उपयोग: बस्तर जिले के आयरन और फ्लोराइड प्रभावित जलस्रोतों में आयरन रिमूवल और फ्लोराइड रिमूवल फिल्टर प्लांट लगाए गए थे, लेकिन सही रखरखाव नहीं होने से करीब 7 साल पहले ही इनका उपयोग बंद कर दिया गया।

जानिए, यदि पानी में आयरन और फ्लोराइड की अधिकता हुई तो क्या हैं नुकसान

मेकॉज के मेडिसीन विभाग के डॉ. नवीन दुल्हानी बताते हैं कि आयरन की अधिकता से पाचनतंत्र कमजोर होता है, वहीं हृदयरोग का कारण भी आयरन बन सकता है। इसके अलावा त्वचा पर भी इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है। पानी में आयरन की मात्रा 10 पीपीएम, यानि 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। फ्लोराइड के दुष्प्रभावों के बारे में उन्होंने बताया कि इससे हडि्डयां और दांत कमजोर हो जाते हैं। हडि्डयों के कमजोर होने से शरीर में विकृति आने लगती है।

बस्तर में फ्लोराइड से प्रभावित जगह सबसे ज्यादा: पूरे बस्तर जिले में जगदलपुर ऐसा ब्लॉक है, जहां सबसे ज्यादा 737 बसाहटों के पानी में आयरन की अधिकता है। तोकापाल में 144, दरभा में 116, लोहंडीगुड़ा में 67, बकावंड में 59 और बास्तानार ब्लॉक में 26 बसाहटों के पानी में आयरन बहुत ज्यादा मिला है। वहीं बकावंड के 35, बस्तर के 45, बास्तानार के 5 और दरभा के 7 बसाहटों में फ्लोराइड ज्यादा है।
छिंदावाड़ा में पानी में मिला ई-कोलाई, बैक्टीरिया के संक्रमण से जूझ रहा गांव
दरभा ब्लॉक के छिंदावाड़ा में पानी में ई-कोलाई के ट्रेसेस मिलने का दावा किया जा रहा है। पानी में ई-कोलाई बैक्टीरिया पाया जाना इस बात का संकेत दे रहा है कि यहां जलस्रोत में मानवमल का संक्रमण है। ई-कोलाई बैक्टीरिया से जहां उल्टी-दस्त की समस्या बढ़ जाती है, वहीं शरीर में पानी की मात्रा में कमी भी इसका प्रमुख कारण है। डॉक्टरों की मानें तो ये बैक्टेरिया अमूमन मानवमल में पाया जाता है।
फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंपों को किया बंद: पीएचई ईई
पीएचई ईई एसके पांडे ने बताया कि बस्तर जिले में जितने भी फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंप हैं, उन्हें बंद कर दिया गया है, लेकिन आयरन प्रभावित हैंडपंपों को इसलिए बंद नहीं किया गया है, क्योंकि बस्तर में आयरन की अधिकता तो है ही, साथ ही इससे बहुत ज्यादा नुकसान लोगों को नहीं होता। फिर भी एक बार इन स्थितियों को दिखवा लेते हैं, फिर लोगों को शुद्ध पानी मिल सके, इसकी कोशिश की जाएगी।
ये भी जानिए, जिले में कितनी बसाहटों में पानी पीने योग्य नहीं
ब्लॉक कितनी बसाहटोंमें हुई जांच कितनों मेंमिले दूषित
बकावंड 1769 641
बास्तानार 917 230
बस्तर 2228 593
दरभा 1119 552
जगदलपुर 2543 713
लोहंडीगुड़ा 1443 552
तोकापाल 1384 375
बस्तर जिले में 11403 3656



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3656 more iron-fluoride in place water, e-coli bacteria in Chhindwara




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31 मई आखिरी तारीख फिर भी समितियों में मक्का बेचने एक भी किसान नहीं पहुंचा

बस्तर जिले में नान द्वारा की जाने वाली मक्के की खरीदी पर लॉकडाउन का असर देखा जा रहा है। 31 मई खरीदी का अंतिम दिन है। अब तक एक भी किसान ने समितियों में मक्का नहीं बेचा है। तमाम कवायदों के बाद भी समर्थन मूल्य पर जहां पिछले साल सिर्फ 70 क्विंटल मक्का किसानों ने बेचा था, वहीं इस साल लगभग तीन महीने गुजरने के बाद भी अब तक एक क्विंटल मक्का भी नहीं बेचा है। इस वर्ष राज्य सरकार किसानों से 1760 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर मक्का खरीद रही है, जबकि पिछले साल इसकी दर 1700 रुपए प्रति क्विंटल थी।
किसानों का कहना है कि खुले बाजार की दर भांपने में नाकाम रही सरकार ने इस बार सिर्फ 60 रुपए बढ़ाकर समर्थन मूल्य 1760 रुपए तय किया है, लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि मक्के की खरीदी जिले में एक दिसंबर से 31 मई तक करने की व्यवस्था की गई है। इस समय सीमा के खत्म होने में केवल 24 दिन बचे हैं। इस बीच किसान मक्का बेचने के लिए खरीदी केंद्रों में पहुंचेंगे, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। हालांकि किसान अपना मक्का मंडी में लेकर जरूर पहुंच रहे हैं।
रेट सही मिले तो एक हेक्टेयर में 35 हजार तक मुनाफा

नान के प्रबंधक एससी दिवेदी ने कहा कि मक्के का उत्पादन सही हो और रेट सही मिले तो 35 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर लाभ होगा। प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल इस बार औसत मक्के का उत्पादन हुआ है। एक हेक्टेयर पर 20 से 25 हजार रुपए खर्च है। बावजूद इसके मक्का बेचने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।

किसानों के लिए लॉकडाउन बना मुसीबत

भास्कर ने किसानों से समितियों में मक्का नहीं बेचने के कारणों की पड़ताल की। कुछ किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा मक्का खरीदी का रेट बढ़ा दिया गया है, लेकिन मक्के में नमी और क्वालिटी को लेकर किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। 14 प्रतिशत से अधिक नमी पर खरीदी नहीं की जाती है, जिसके चलते वे मक्का बेचने के लिए किसान समितियों में नहीं जा रहे हैं। वहीं कई किसानों ने कहा
कि धान बेचने के बाद वे मक्का बेचने की तैयारी में थे, लेकिन अचानक लॉकडाउन के चलते वे अपने घरों से
नहीं निकल पाए। समय पर मक्के की तुड़ाई नहीं होने से सहकारी समितियों में मक्का नहीं बेच पाए।
इस साल 19 नए किसानों ने कराया पंजीयन
मक्के के बंपर उत्पादन के बाद भी किसान सहकारी समितियों में बेचने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिले में इस बार 7 हजार 845 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती हुई है। पांच हजार से अधिक किसान मक्के की खेती कर रहे हैं। वहीं डेढ़ लाख क्विंटल तक उत्पादन का अनुमान है। हालत यह है कि इन किसानों में से केवल 431 किसानों ने ही मक्का बेचने के लिए पंजीयन कराया है। इसमें से इस साल केवल 19 नए किसान शामिल हैं। बाकी सब किसान पिछले साल के पंजीकृत हैं।



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May 31 last date, yet not a single farmer selling maize in committees arrived




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देवघर से पश्चिम बंगाल के लिए निकले 33 मजदूराें काे चाकुलिया में कराया भाेजन

पश्चिम बंगाल के 33 मजदूरों को लेकर बुधवार को देवघर से एक बस चाकुलिया पहुंची। चाकुलिया में सीओ अरविंद कुमार ओझा एवं थाना प्रभारी अनिल कुमार नायक ने मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र में बस को रोककर मजदूरों को भोजन कराया। इसके बाद पदाधिकारियों ने चाकुलिया की सीमा पर पश्चिम बंगाल के औडो में जाकर सभी मजदूरों को बस से उतारा। बंगाल के पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष मजदूरों को पहुंचा कर बस वापस देवघर लौट गई। मजदूरों ने बताया कि वे बिहार के बरौनी में एक कंपनी में काम करने के लिए गए थे।

लाॅकडाउन शुरू होने पर वह अपने घर के लिए निकल पड़े। झारखंड की सीमा में प्रवेश करते ही उन्हें पकड़कर क्वारेंटाइन कर दिया गया। 35 दिनों तक क्वारेंटाइन में रहने के बाद देवघर के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारियों की पहल पर उन्हें बस से उनके घर पहुंचाया गया। सभी मजदूर पश्चिम बंगाल के जांबमी थाना क्षेत्र एवं लालगढ़ थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। मजदूरों में सिबल मांडी, कालीचरण मांडी, जीवन हांसदा, रविन्द्र सोरेन, पीतांबर सोरेन, भीम मांडी आदि शामिल हैं।



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33 Majduras set out from Deoghar for West Bengal




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राज्य के 1233 श्रमिक परिवार सूरत से पहुंचे धनबाद, कहा - 29:30 घंटे के सफर में पानी तक नहीं मिला

सूरत से स्पेशल ट्रेन से 1233 प्रवासी श्रमिक परिवार बुधवार काे धनबाद पहुंचे। 29:30 घंटे का सफर तय करने के बाद जब वे अपने राज्य पहुंचे ताे उनके चेहरे पर खुशी के साथ थकान और परेशानियाें का सबब भी था। सूरत से धनबाद की 1775 किमी यात्रा के लिए उन्हें 750-720 रुपए चुकना पड़ा। पैसे दिए तो ट्रेन की टिकट मिली। साेचा था सरकार की ओर से खाने-पीने का उत्तम व्यवस्था हाेगी, लेकिन खिचड़ी और बिरयानी खाकर भूख मिटानी पड़ी। चाय और नाश्ता तक नहीं मिला। इस तपती गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस गए।

तमाम मुश्किलों के के बीच सुबह 4:35 बजे प्रवासी परिवार धनबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे। सेनेटाइजर से हैंड वॉश कराया गया। मेडिकल जांच हुई, जिसमें सभी स्वस्थ्य पाए गए। इसके बाद फूल देकर स्वागत किया गया। सभी काे अल्पाहार दिया गया। स्टेशन परिसर में ही बसाें में बैठाकर गृह जिला के लिए भेज दिया गया। माैके पर उपायुक्त अमित कुमार एसएसपी अखिलेश बी वारियार और सीनियर डीसीएम अखिलेश कुमार पांडेय सहित प्रशासन, पुलिस विभाग व धनबाद रेल मंडल के अधिकारी और कर्मचारी माैजूद थे।

सबसे अधिक 1157 यात्री गिरिडीह के थे | सूरत से आने वाली ट्रेन से प्रवासी श्रमिकों को सबसे आगे और सबसे पीछे की बोगी से प्लेटफॉर्म पर उतारा गया। सूरत से अाने वाले कामगाराें में सबसे अधिक 1157 प्रवासी गिरिडीह जिला के थे। जबकि देवघर के 40, धनबाद के 2, दुमका एवं हजारीबाग के 1- 1, कोडरमा के 5 तथा रांची के 27 श्रमिक थे।

सूरत से 1198 लोगों काे लेकर आज भी आएगी ट्रेन

गुजरात से धनबाद के लिए दूसरी ट्रेन भी खुल गई है। सूरत से खुली यह दूसरी स्पेशल ट्रेन गुरुवार को 1198 प्रवासी मजदूरों को लेकर सुबह 3:15 बजे धनबाद स्टेशन पहुंचेगी। डीसी अमित कुमार ने बताया कि सूरत से 22 बोगियों के साथ आने वाली ट्रेन में झारखंड के गिरिडीह, देवघर, कोडरमा, हजारीबाग, जामताड़ा, सिमडेगा, सरायकेला, पलामू, लातेहार, गढ़वा तथा चतरा जिले के प्रवासी मजदूर हैं। ट्रेन में सबसे अधिक गिरिडीह के 1094 मजदूर हैं। जबकि देवघर के 7, कोडरमा के 30, हजारीबाग के 11, जामताड़ा, सिमडेगा और सरायकेला के 1-1, पलामू के 29, लातेहार के 3, गढ़वा के 2 तथा चतरा के 5 श्रमिक ट्रेन में सवार हैं। सभी काे उनके गृह जिला पहुंचाने के लिए स्टेशन पर 56 बसाें की व्यवस्था की गई है।

वेल्लाेर से ट्रेन चलाने की विधायक ने की मांग

लाॅकडाउन के कारण वेल्लाेर में फंसे झारखंड के लाेगाें काे वापस लाने के लिए विधायक राज सिन्हा ने पीएम अाैर सीए को पत्र लिखा है। विधायक ने वेल्लाेर से धनबाद के लिए ट्रेन चलाने की मांग की है। विधायक ने कहा कि हजाराें की संख्या में लाेग वेल्लाेर में फंसे हुए हैं। वहां फंसे लाेगाें का जीवन-यापन मुश्किल हाे गया है।

तेलंगाना से 1400 लोगों को लेकर आएगी ट्रेन

तेलंगाना राज्य के लिंगमपाली से एक विशेष ट्रेन चलेगी। यह ट्रेन लगभग 14 साै मजदूराें काे लेकर शुक्रवार काे दाेपहर 12:30 बजे धनबाद पहुंचेगी। कुल 24 काेच हाेंगे। ट्रेन लिंगमपाली से खुलकर बल्हारशा, नागपुर, इटावा, कटनी, मानिकपुर, प्रयागराज, पंडित दीन दयाल उपाध्याय, गया हाेते हुए धनबाद पहुंचेगी।



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1233 laborers of the state reached Dhanbad from Surat, said - no water was found in 29:30 hours journey




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'I felt humiliated' Brazilian nurses face attacks

Health workers face a growing tide of hostility in Brazil for potentially spreading COVID-19.




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Trump 'very happy for' Flynn on news DOJ dropping charges

U.S. President Donald Trump described his former national security adviser Michael Flynn as an 'innocent man' after learning that the U.S. Justice Department on Thursday abruptly sought to drop the criminal charges against Flynn.




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Biden's accuser says he should drop out of White House race

Tara Reade, the woman who alleges Joe Biden sexually assaulted her in 1993, said in a video interview on Thursday that he should withdraw from the White House race. Gloria Tso reports.




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Syria's mosques open for prayer as coronavirus lockdown eases

Syria's government allowed mosques to open on Friday for worshipers willing to perform prayers. The mosque had remained closed as part of the measures taken to contain the spread of coronavirus.




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'Never give up': Queen praises Britons on Victory in Europe Day

Britain's Queen Elizabeth honored those who died in World War Two on Friday, the 75th anniversary of Victory in Europe Day, and used the occasion to say she was proud of how people had responded to the coronavirus pandemic.




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Youth recreate Iraq's ancient Nineveh in VR technology

Stone by stone, digital artists and game developers from Mosul are rebuilding Nineveh's heritage sites in the digital world. Francis Maguire reports.




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मोदी-राहुल अपराधियों को टिकट देने पर सवाल खड़े करते हैं, लेकिन 5 साल में भाजपा और कांग्रेस ने 30-30% टिकट दागियों को बांटे

नई दिल्ली. आज से 5 साल 10 महीने और 8 दिन पीछे चलें तो तारीख आती है- 7 अप्रैल 2014। यह वो तारीख है जब भाजपा ने 2014 के आम चुनावों के लिए घोषणा पत्र जारी किया था। इस घोषणा पत्र मेंवादा किया "भाजपा चुनाव सुधार करने के लिए कटिबद्ध है, जिससे अपराधियों को राजनीति से बाहर किया जा सके।' लेकिन 2014 के ही आम चुनाव में भाजपा के 426 में से 33% यानी 140 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले थे। इन 140 में से 98 यानी 70% जीतकर भी आए। इसके बाद 2019 के आम चुनावों में भी भाजपा के433 मेंसे 175 यानी 40% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज थे।जिसमें से 116 यानी 39% जीतकर भी आए थे।इतना ही नहीं, 2014 के आम चुनाव के बाद से अब तक सभी 30 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हो चुके हैं। इन विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 3 हजार 436 उम्मीदवार उतारे, जिनमें से 1 हजार 4 दागी थे। मोदी अकेले ऐसे नेता नहीं है जो चुनाव सुधार की बातें करते हैं। बल्कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी राजनीति से अपराधियों को दूर रखने की बात अक्सर कहते रहते हैं। 2018 में ही कर्नाटक चुनाव के दौरान राहुल ने दागियों को टिकट देने पर मोदी पर सवाल उठाए थे। लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस ने भी 2014 के चुनाव में 128 तो 2019 में 164 दागी उतारे थे। भाजपा-कांग्रेस ही नहीं बल्कि कई पार्टियां चुनावों में दागियों को टिकट देती हैं और जीतने के बाद राजनीति के अपराधिकरण को रोकने की बातें करती हैं।

2014 में भाजपा के घोषणा पत्र में चुनाव सुधार की बात कही गई थी।


लोकसभा चुनाव : 2014 में 34% दागी चुने गए, 2019 में 43% हो गए
2014 के आम चुनावों में 545 सीट पर 8 हजार 163 उम्मीदवार खड़े हुए। इनमें से 1 हजार 585 उम्मीदवार अकेले 6 राष्ट्रीय पार्टियों में से थे। इन 6 राष्ट्रीय पार्टियों में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, भाकपा, माकपा और राकांपा है। इस चुनाव में खड़े हुए 1 हजार 398 यानी 17% उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। जब मई 2014 में नतीजे आए तो 185 सांसद आपराधिक रिकॉर्ड वाले भी चुनकर लोकसभा आए। यानी 34%। भाजपा के 281 में से 35% यानी 98 सांसद दागी थे। कांग्रेस में ऐसे सांसदों की संख्या 44 में से 8 थी।

पार्टी कुल उम्मीदवार दागी उम्मीदवार जीते दागी जीते
भाजपा 426 140 (33%) 281 98 (35%)
कांग्रेस 462 128 (28%) 44 8 (18%)
बसपा 501 114 (23%) 00 00
सीपीएम 93 33 (35%) 9 5 (56%)
सीपीआई 68 19 (28%) 0 00
राकांपा 35 18 (51%) 6 5 (83%)
अन्य/निर्दलीय 6578 946 (14%) 202 71 (35%)

2019 के आम चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों की संख्या 2014 की तुलना में घट तो गई, लेकिन दागी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ गई। 2019 में कुल 7 हजार 928 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 19% यानी 1500 दागी उम्मीदवार थे। इस चुनाव में इन सभी 6 राष्ट्रीय पार्टियों ने 1 हजार 384 उम्मीदवारों को उतारा, जिनमें से 496 पर आपराधिक मामले थे। नतीजे आए तो 233 यानी 43% दागी उम्मीदवार चुनकर लोकसभा आए।

पार्टी कुलउम्मीदवार दागी उम्मीदवार जीते दागी जीते
भाजपा 433 175 (40%) 301 116 (39%)
कांग्रेस 419 164 (39%) 51 29 (57%)
बसपा 381 85 (22%) 10 5 (50%)
सीपीएम 69 40 (58%) 9 5 (56%)
सीपीआई 48 15 (31%)

00

00

राकांपा 34 17 (50%) 5 2 (40%)
अन्य/निर्दलीय 6544 1004 (15%) 169 79 (47%)
कुल 7928 1500 (19%) 539 233 (43%)


विधानसभा चुनाव : 30 राज्यों के चुनाव में 1476 दागी चुने गए, सिक्किम में एक भी दागी नहीं
पिछले 5 साल में सभी 30 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। सभी राज्यों को मिलाकर 4 हजार 33 सीटें होती हैं। इन सीटों के लिए 39 हजार 218 उम्मीदवार खड़े हुए, जिसमें से 7 हजार 481 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। इन 7 हजार 481 उम्मीदवारों में से 1 हजार 476 यानी 20% उम्मीदवार जीतकर विधानसभा भी पहुंचे। इस हिसाब से हर 4 में से एक विधायक पर आपराधिक मामला दर्ज है। अगर बात 6 राष्ट्रीय पार्टियों की करें, तो अकेले इन 6 पार्टियों की टिकट पर 2 हजार 762 दागी उतरे, जिसमें से 840 यानी 30% दागी उम्मीदवार जीते।


30 राज्यों के चुनाव, 1476 दागी चुने गए; सिक्किम में एक भी दागी नहीं
2014 के आम चुनाव से लेकर अब तक सभी 30 राज्यों के विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। सभी राज्यों को मिलाकर 4 हजार 33 सीटें होती हैं। इन सीटों के लिए 39 हजार 218 उम्मीदवार खड़े हुए, जिसमें से 7 हजार 481 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। इन 7 हजार 481 उम्मीदवारों में से 1 हजार 476 यानी 20% उम्मीदवार जीतकर विधानसभा भी पहुंचे। इस हिसाब से हर 4 में से एक विधायक पर आपराधिक मामला दर्ज है। अगर बात 6 राष्ट्रीय पार्टियों की करें, तो अकेले इन 6 पार्टियों की टिकट पर 2 हजार 762 दागी उतरे, जिसमें से 840 यानी 30% दागी उम्मीदवार जीते।

राजनीति के अपराधिकरणपर रिसर्च कर चुके और"व्हेन क्राइम पेज़ : मनी एंड मसल इन इंडियन पॉलिटिक्स' किताब लिख चुके मिलन वैष्णव का ओपिनियन

पार्टियां दागियों को इसलिए उतारती हैं, ताकि वे अपना खर्चा खुद उठाएं

राजनीतिक पार्टियों की तरफ से चुनाव में आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को इसलिए उतारा जाता है, ताकि वे पैसे का इंतजाम कर सकें। आजकल चुनाव लड़ना वैसे भी महंगा होता जा रहा है, इसलिए पार्टियां ऐसे उम्मीदवार उतारती हैं, जो खुद पैसा खर्च कर सकें। आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों न सिर्फ अपने कैंपेन का खर्चा उठा सकते हैं, बल्कि पार्टी को भी पैसा दे सकते हैं। इसके साथ ही अगर किसी उम्मीदवार के पास पैसा नहीं है, तो उसका भी खर्च उठा सकते हैं। क्योंकि ऐसे उम्मीदवारों के पास संसाधन जुटाने के लिए लोग भी होते हैं।

दागी खुद को 'रॉबिन हुड' की तरह पेश करते हैं, इसलिए जीत जाते हैं
जहां कई लोग मानते हैं कि वोटर आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को गरीबी और नादानी की वजह से वोट देते हैं, वहीं मेरा मानना है कि लोग उन्हें सरकार के खराब कामकाज (पुअर गवर्नेंस) की वजह से ऐसा करते हैं। भारत जैसे देश में जहां कानून काफी कमजोर है और लोग सरकार को पक्षपाती माना जाता है, वहां उम्मीदवार अपनी आपराधिकता को काम कराने की क्षमता और विश्वसनीयता के तौर पर पेश कर लेते हैं। यह ऐसी जगहों पर ज्यादा देखा जाता है, जहां लोग जाति और धर्म के नाम पर बंटे हैं। यानी इन जगहों पर आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोग खुद को रॉबिन हुड (गुंडई से काम कराने वाले) की तरह दिखाते हैं।



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BJP Vs Congress Vs All Parties {Criminal Candidates}; Dainik Bhaskar Research On Candidates With Criminal Cases List In Vidhan Sabha Lok Sabha Election
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मोदी-राहुल अपराधियों को टिकट देने पर सवाल खड़े करते हैं, लेकिन 5 साल में भाजपा और कांग्रेस ने 30-30% टिकट दागियों को बांटे

नई दिल्ली.आज से 5 साल 10 महीने और 8 दिन पीछे चलें तो तारीख आती है- 7 अप्रैल 2014। यह वो तारीख है जब भाजपा ने 2014 के आम चुनावों के लिए घोषणा पत्र जारी किया था। इस घोषणा पत्र मेंवादा किया "भाजपा चुनाव सुधार करने के लिए कटिबद्ध है, जिससे अपराधियों को राजनीति से बाहर किया जा सके।' लेकिन 2014 के ही आम चुनाव में भाजपा के 426 में से 33% यानी 140 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले थे। इन 140 में से 98 यानी 70% जीतकर भी आए। इसके बाद 2019 के आम चुनावों में भी भाजपा के433 मेंसे 175 यानी 40% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज थे।जिसमें से 116 यानी 39% जीतकर भी आए थे।इतना ही नहीं, 2014 के आम चुनाव के बाद से अब तक सभी 30 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हो चुके हैं। इन विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 3 हजार 436 उम्मीदवार उतारे, जिनमें से 1 हजार 4 दागी थे। मोदी अकेले ऐसे नेता नहीं है जो चुनाव सुधार की बातें करते हैं। बल्कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी राजनीति से अपराधियों को दूर रखने की बात अक्सर कहते रहते हैं। 2018 में ही कर्नाटक चुनाव के दौरान राहुल ने दागियों को टिकट देने पर मोदी पर सवाल उठाए थे। लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस ने भी 2014 के चुनाव में 128 तो 2019 में 164 दागी उतारे थे। भाजपा-कांग्रेस ही नहीं बल्कि कई पार्टियां चुनावों में दागियों को टिकट देती हैं और जीतने के बाद राजनीति के अपराधिकरण को रोकने की बातें करती हैं।

2014 में भाजपा के घोषणा पत्र में चुनाव सुधार की बात कही गई थी।


लोकसभा चुनाव : 2014 में 34% दागी चुने गए, 2019 में 43% हो गए
2014 के आम चुनावों में 545 सीट पर 8 हजार 163 उम्मीदवार खड़े हुए। इनमें से 1 हजार 585 उम्मीदवार अकेले 6 राष्ट्रीय पार्टियों में से थे। इन 6 राष्ट्रीय पार्टियों में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, भाकपा, माकपा और राकांपा है। इस चुनाव में खड़े हुए 1 हजार 398 यानी 17% उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। जब मई 2014 में नतीजे आए तो 185 सांसद आपराधिक रिकॉर्ड वाले भी चुनकर लोकसभा आए। यानी 34%। भाजपा के 281 में से 35% यानी 98 सांसद दागी थे। कांग्रेस में ऐसे सांसदों की संख्या 44 में से 8 थी।

पार्टी कुल उम्मीदवार दागी उम्मीदवार जीते दागी जीते
भाजपा 426 140 (33%) 281 98 (35%)
कांग्रेस 462 128 (28%) 44 8 (18%)
बसपा 501 114 (23%) 00 00
सीपीएम 93 33 (35%) 9 5 (56%)
सीपीआई 68 19 (28%) 0 00
राकांपा 35 18 (51%) 6 5 (83%)
अन्य/निर्दलीय 6578 946 (14%) 202 71 (35%)
कुल 8163 1398 (17%) 542 187 (35%)

2019 के आम चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों की संख्या 2014 की तुलना में घट तो गई, लेकिन दागी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ गई। 2019 में कुल 7 हजार 928 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 19% यानी 1500 दागी उम्मीदवार थे। इस चुनाव में इन सभी 6 राष्ट्रीय पार्टियों ने 1 हजार 384 उम्मीदवारों को उतारा, जिनमें से 496 पर आपराधिक मामले थे। नतीजे आए तो 233 यानी 43% दागी उम्मीदवार चुनकर लोकसभा आए।

पार्टी कुलउम्मीदवार दागी उम्मीदवार जीते दागी जीते
भाजपा 433 175 (40%) 301 116 (39%)
कांग्रेस 419 164 (39%) 51 29 (57%)
बसपा 381 85 (22%) 10 5 (50%)
सीपीएम 69 40 (58%) 9 5 (56%)
सीपीआई 48 15 (31%)

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राकांपा 34 17 (50%) 5 2 (40%)
अन्य/निर्दलीय 6544 1004 (15%) 169 79 (47%)
कुल 7928 1500 (19%) 539 233 (43%)


विधानसभा चुनाव : 30 राज्यों के चुनाव में 1476 दागी चुने गए, सिक्किम में एक भी दागी नहीं
पिछले 5 साल में सभी 30 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। सभी राज्यों को मिलाकर 4 हजार 33 सीटें होती हैं। इन सीटों के लिए 39 हजार 218 उम्मीदवार खड़े हुए, जिसमें से 7 हजार 481 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। इन 7 हजार 481 उम्मीदवारों में से 1 हजार 476 यानी 20% उम्मीदवार जीतकर विधानसभा भी पहुंचे। इस हिसाब से हर 4 में से एक विधायक पर आपराधिक मामला दर्ज है। अगर बात 6 राष्ट्रीय पार्टियों की करें, तो अकेले इन 6 पार्टियों की टिकट पर 2 हजार 762 दागी उतरे, जिसमें से 840 यानी 30% दागी उम्मीदवार जीते।


30 राज्यों के चुनाव, 1476 दागी चुने गए; सिक्किम में एक भी दागी नहीं
2014 के आम चुनाव से लेकर अब तक सभी 30 राज्यों के विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। सभी राज्यों को मिलाकर 4 हजार 33 सीटें होती हैं। इन सीटों के लिए 39 हजार 218 उम्मीदवार खड़े हुए, जिसमें से 7 हजार 481 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। इन 7 हजार 481 उम्मीदवारों में से 1 हजार 476 यानी 20% उम्मीदवार जीतकर विधानसभा भी पहुंचे। इस हिसाब से हर 4 में से एक विधायक पर आपराधिक मामला दर्ज है। अगर बात 6 राष्ट्रीय पार्टियों की करें, तो अकेले इन 6 पार्टियों की टिकट पर 2 हजार 762 दागी उतरे, जिसमें से 840 यानी 30% दागी उम्मीदवार जीते।

राजनीति के अपराधिकरणपर रिसर्च कर चुके और"व्हेन क्राइम पेज़ : मनी एंड मसल इन इंडियन पॉलिटिक्स' किताब लिख चुके मिलन वैष्णव का ओपिनियन

पार्टियां दागियों को इसलिए उतारती हैं, ताकि वे अपना खर्चा खुद उठाएं

राजनीतिक पार्टियों की तरफ से चुनाव में आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को इसलिए उतारा जाता है, ताकि वे पैसे का इंतजाम कर सकें। आजकल चुनाव लड़ना वैसे भी महंगा होता जा रहा है, इसलिए पार्टियां ऐसे उम्मीदवार उतारती हैं, जो खुद पैसा खर्च कर सकें। आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों न सिर्फ अपने कैंपेन का खर्चा उठा सकते हैं, बल्कि पार्टी को भी पैसा दे सकते हैं। इसके साथ ही अगर किसी उम्मीदवार के पास पैसा नहीं है, तो उसका भी खर्च उठा सकते हैं। क्योंकि ऐसे उम्मीदवारों के पास संसाधन जुटाने के लिए लोग भी होते हैं।

दागी खुद को 'रॉबिन हुड' की तरह पेश करते हैं, इसलिए जीत जाते हैं
जहां कई लोग मानते हैं कि वोटर आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को गरीबी और नादानी की वजह से वोट देते हैं, वहीं मेरा मानना है कि लोग उन्हें सरकार के खराब कामकाज (पुअर गवर्नेंस) की वजह से ऐसा करते हैं। भारत जैसे देश में जहां कानून काफी कमजोर है और लोग सरकार को पक्षपाती माना जाता है, वहां उम्मीदवार अपनी आपराधिकता को काम कराने की क्षमता और विश्वसनीयता के तौर पर पेश कर लेते हैं। यह ऐसी जगहों पर ज्यादा देखा जाता है, जहां लोग जाति और धर्म के नाम पर बंटे हैं। यानी इन जगहों पर आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोग खुद को रॉबिन हुड (गुंडई से काम कराने वाले) की तरह दिखाते हैं।

(सोर्स- एडीआर रिपोर्ट्स। नोट- विधानसभा और लोकसभा चुनावों के डेटा में उपचुनावों के आंकड़े शामिल नहीं है।)



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दोषियों के वकील एपी सिंह बोले- आप लिखकर रख लो, 3 तारीख को फांसी नहीं होगी

नई दिल्ली.निर्भया केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को चारों दोषियों के लिए नयाडेथ वॉरंट जारी किया। पिछले 41 दिनों में यह तीसरा डेथ वॉरंट है।इसमें चारों दोषियों को 3 मार्च कीसुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश है। हालांकि चार दोषियों में से एक के पास अभी दया याचिका और क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प है। ये दोनों विकल्प खारिज होने के बाद भी दोषी नए सिरे से राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज सकते हैं। दोषियों के खिलाफ एक मामला दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रहा है, जिस पर फैसला आने तक फांसी नहीं हो सकती। यह बात पिछले 7 साल से निर्भया के दोषियों के लिए केस लड़ रहे वकील एपी सिंह ने कही। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में यह भी कहा किलिखकर रख लो, 3 मार्च को फांसी नहीं होगी।

एपी सिंह ने बताया,''मैं क्लाइंट से मिलूंगा। सभी कानूनी विकल्प पर बातचीत करूंगा और फिर वे जो चाहेंगे, जो उनके परिवार वाले चाहेंगे, वो करूंगा। अभी कई कानूनी विकल्प बाकी हैं। सभी का उपयोग किया जाएगा। राष्ट्रपति के पास दोबारा दया याचिका भी भेजी जाएगी और खारिज होने पर भी जो विकल्प होंगे उनका भी उपयोग किया जाएगा। यह पूछने पर कि क्या आगे भी एक-एक कर कानूनी विकल्प उपयोग किए जाएंगे, क्या चारों की याचिकाएं एक साथ नहीं भेजी जा सकती? इस पर उनका जवाब था- दया याचिका के लिए सभी क्लाइंट का आधार अलग-अलग होता है। तो ऐसे में एक-एक कर ही ये याचिकाएं लगाई जाएंगी।


एपी सिंह के इस बयान को सुनने पर ऐसा लगा कि शायद 2 से 3 महीने तक दोषियों की फांसी को आसानी से टाला जा सकता है। जब हमने उनसे यह पूछा कि सभी कानूनी विकल्प का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा कितने समय तक फांसी टाली जा सकती है? इस पर उन्होंने एक बात कोट कर लिखने के लिए कही, ''न मैं परमात्माहूं। न मैं यमराज हूं। मैं एडवोकेट हूं। जो क्लाइंट कहेगा, क्लाइंट के परिवार वाले कहेंगे, उनको भारतीय संविधान, सुप्रीम कोर्ट के लैंडमार्क जजमेंट के अनुसार सभी कानूनी विकल्प उपलब्ध कराऊंगा। बेशक इस केस में मीडिया ट्रायल है। पब्लिक और पॉलिटिकल प्रेशर भी है लेकिन उससे मैं न्याय की पराकाष्ठा को झुकने नहीं दूंगा।''


निर्भया के दोषियों पर लूट का केस भी, इस मामले में उन्हें 10 साल की सजा
निर्भया के साथ दुष्कर्म करने से पहल उसके 6 दोषियों- राम सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और नाबालिग ने राम आधार नाम के व्यक्ति से भी लूटपाट की थी। इस मामले में निर्भया के चार दोषियों- मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को 2015 में पटियाला हाउस कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी। वकील एपी सिंह बताते हैं कि दिल्ली हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई है और यह मामला अभी पेंडिंग है। और जब तक केस का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक चारों को फांसी नहीं हो सकती।


कानूनी रास्ते: क्यों 3 मार्च को भी दोषियों को फांसी मुमकिन नहीं?
1) क्यूरेटिव पिटीशन : तीन दोषी- मुकेश, विनय और अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो चुकी है। लेकिन पवन के पास अभी भी क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प है।
2) दया याचिका : पवन के पास दया याचिका का विकल्प भी है। इसके अलावा संविधान के तहत दोषियों के पास दोबारा दया याचिका लगाने का भी विकल्प है।
3) दया याचिका को चुनौती : राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
4) प्रिजन मैनुअल : दिल्ली का 2018 का प्रिजन मैनुअल कहता है- जब तक दोषी के पास एक भी कानूनी विकल्प बाकी है, उसे फांसी नहीं हो सकती। अगर उसकी दया याचिका खारिज भी हो जाती है तो भी उसे 14 दिन का समय दिया जाना चाहिए।



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Nirbhaya Lawyer AP Singh | Nirbhaya Rape Case Convicts Lawyer AP Singh On Nirbhaya Hanging Date Latest News and Updates On Delhi Gang Rape And Murder Case




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दौरे से 3 महीने पहले ही सीक्रेट सर्विस के एजेंट पहुंच जाते हैं, राष्ट्रपति के रूट पर गाड़ी पार्क करने की भी मनाही

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी को भारत के दौरे पर रहेंगे। वे गुजरात के अहमदाबाद और आगरा के ताजमहल भी जाएंगे। अमेरिका का राष्ट्रपति दुनिया का सबसे ताकतवर नेता होता है। इसलिए सिक्योरिटी भी खास होती है। भारत आने पर ही ट्रम्प थ्री-लेयर की हाई सिक्योरिटी में रहेंगे। पहले घेरे में अमेरिका की सीक्रेट सर्विस, इसके बाद एसपीजी और फिर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की टीम रहेगी।अमेरिकी न्यूज वेबसाइट ओरेगोनियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति के किसी भी दौरे से पहले सीक्रेट सर्विस तीन महीने पहले ही वहां पहुंच जाती है और वहां की लोकल पुलिस के साथ मिलकर सिक्योरिटी की तैयारी शुरू कर देती है। राष्ट्रपति के आने से पहले ही एयरस्पेस क्लीयर करवा लिया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प एयरफोर्स वन से भारत आएंगे। इसे दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान कहा जाता है। ये विमानराष्ट्रपति ऑफिस की तरह ही रहता है। इसमें वह सारी सुविधाएं रहती हैं, जो एक ऑफिस में रहती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के आने से पहले किस तरह की तैयारी होती है?

  • राष्ट्रपति के दौरे से कम से कम 3 महीने पहले ही यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां पहुंच जाते हैं। एजेंट यहां पर लोकल पुलिस, एजेंसियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति के दौरे का खाका तैयार करते हैं। ट्रेवल रूट और सबसे नजदीकी ट्रॉमा सेंटर की पहचान भी करते हैं। इसके साथ ही किसी भी तरह के संभावित हमले या इमरजेंसी से निपटने के लिए राष्ट्रपति के लिए सेफ लोकेशन भी तय करते हैं।
  • यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट लोकल पुलिस के साथ मिलकर संभावित खतरे की पहचान करते हैं।जिन लोगों से राष्ट्रपति को खतरा हो सकता है, ऐसे लोगों की पहचान की जाती है और फिर उन पर नजर रखी जाती है।
  • राष्ट्रपति के दौरे से कुछ दिन पहले से स्नीफर डॉग्स को लाया जाता है। इनकी मदद से राष्ट्रपति के रूट की जांच की जाती है। ताकि विस्फोटक का पता लगाया जा सके।उनके रूट के आसपास गाड़ियों को भी खड़ा नहीं होने दिया जाता, ताकि कोई कार या गाड़ी में बम न रख दे।

एयरफोर्स वन : दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान, इसी से राष्ट्रपति सफर करते हैं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका से भारत एयरफोर्स वन विमान से आएंगे। ये विमान बोइंग 747-200बी सीरीज का विमान होता है। ऐसे दो विमान होते हैं, जिन पर 28000 और 29000 कोड होता है। एयरफोर्स वन को मिलिट्री विमान की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि ये किसी भी तरह का हवाई हमला झेल सकता है। ये न सिर्फ दुश्मन के रडार को जाम कर सकता है, बल्कि मिसाइल भी छोड़ सकता है। इस विमान में हवा में ही फ्यूल भरा जा सकता है। एयरफोर्स वन एक तरह से राष्ट्रपति ऑफिस की तरह ही काम करता है। इसमें वो सारी सुविधाएं होती हैं, जो राष्ट्रपति ऑफिस में होती है। इसमें एक कम्युनिकेशन सेंटर भी होता है, जिससे राष्ट्रपति जब चाहें, जिससे चाहें फोन पर बात कर सकते हैं। इसमें 85 ऑनबोर्ड टेलीफोन, कम्प्यूटर सिस्टम और रेडियो सिस्टम होते हैं।

विमान में 4 हजार स्क्वायर फीट का एरिया, दो किचन, कमरे, कॉन्फ्रेंस रूम भी
तीन फ्लोर वाले इस विमान में 4 हजार स्क्वेयर फीट का एरिया होता है। इसमें राष्ट्रपति के लिए सुइट होता है। मेडिकल फैसिलिटी होती है। कॉन्फ्रेंस रूम, डाइनिंग रूम और जिम भी होता है। इसमें दो किचन भी होतेहैं, जिसमें एक बार में 100 लोगों का खाना बन सकता है। इसके साथ ही इसमें प्रेस, सिक्योरिटी स्टाफ, ऑफिस स्टाफ और वीआईपी के लिए भी कमरे बने होते हैं।

राष्ट्रपति के पास न्यूक्लियर अटैकका बटन हमेशा साथ रहता है
2018 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन ने ट्रम्प को धमकी देते हुए कहा था कि उनके पास न्यूक्लियर बम का बटन है। जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कह दिया कि उनके पास उनसे ज्यादा शक्तिशाली और बड़ा बटन है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के साथ हमेशा एक लेदर बैग लिए सेना का अफसररहता है। इस बैग में न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल और उनके लॉन्च करने का कोड होता है। इस बैग को ‘फुटबॉल’कहते हैं। यह यूनिक कोड होता है, जो हमेशा राष्ट्रपति के साथ रहता है। राष्ट्रपति बाहर दौरे पर भी हैं, तो भी उनके साथ यह कोड होता है। अगर कोई इमरजेंसी आ जाए या युद्ध जैसे हालात हों, तो राष्ट्रपति दुनिया में कहीं से भीन्यूक्लियर हथियारों को लॉन्च करने का आदेश दे सकते हैं।

ट्रम्प की कार "द बीस्ट': न्यूक्लियर अटैक तक झेल सकती है, टायर पंक्चर भी हो, फिर भी चलेगी

  • ट्रम्प के दौरे से पहले ही उनकी कार "द बीस्ट' अमेरिकी एयरफोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से भारत आ चुकी हैं। इस कार को अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स ने तैयार किया है। ट्रम्प की कार को दुनिया की सबसे सुरक्षित कार माना जाता है, जिसपर न्यूक्लियर अटैक और कैमिकल अटैक तक का भी असर नहीं होता। इस कार का वजन 20 हजार पाउंड यानी करीब 10 हजार किलो की होती है। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपए के आसपास है।
  • इस कार में मशीन गन, टियर गैस सिस्टम, फायर फाइटिंग और नाइट विजन कैमरा जैसे इक्विपमेंट होते हैं। जरूरत पड़ने पर इस कार से दुश्मन पर हमला भी किया जा सकता है। कार की टायर की रिम मजबूत स्टील से बनी होती है। इसका मतलब है कि अगर टायर पंक्चर भी हो जाए तो भी कार की स्पीड पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस कार में जो पेट्रोल डाला जाता है, उसमें खास तरह का फोम मिक्स किया जाता है, ताकि धमाका न हो।
  • कार के गेट 8 इंच मोटे होते हैं और इसकी विंडो बुलेट-प्रूफ होती है। हालांकि, कार की सिर्फ एक ही विंडो खुलती है जो ड्राइवर सीट के साइड में होती है। ड्राइवर का कैबिन और ट्रम्प के कैबिन के बीच में एक कांच की दीवार भी होती है, ताकि ट्रम्प सीक्रेट मीटिंग कर सकें और सीक्रेट बात भी। ट्रम्प के पास एक सैटेलाइट फोन होता है, जिसकी मदद से वे कभी भी किसी से भी बात कर सकते हैं। इस कार की डिग्गी में ट्रम्प के ब्लड ग्रुप वाला खून भी रहता है।



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360 करोड़ लीटर पानी सहेजने को 4 घंटे में बना डाली 40 हजार जल संरचना



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यह फोटो झाबुआ के हाथीपावा की पहाड़ी का है। यहां रविवार को शिवगंगा संस्था ने शिवजी का हलमा कार्यक्रम किया। गांवों से आए हजारों कार्यकर्ताओं ने चार घंटे तक पहाड़ी पर श्रमदान कर 40 हजार के लगभग कंटूर ट्रेंच बनाए। इस अभियान के तहत लगभग 360 करोड़ लीटर पानी सहेजने का लक्ष्य रखा गया है। बारिश का पानी पहाड़ पर इन कंटूर ट्रेंच के जरिये जमीन में उतरेगा।
बारिश का पानी पहाड़ पर इन कंटूर ट्रेंच के जरिये जमीन में उतरेगा। इस तरह से वर्षाजल को सहेजकर भूजल स्तर बढ़ेगा। परमार्थ की इस परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से विद्यार्थी, पर्यावरणविद्, समाजसेवी और ब्यूरोक्रेट्स पहुंचे।




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मेघालय में 30% परिवार की जिम्मेदारी सिंगल वुमन के कंधों पर, सब्जी-फल बेचकर खर्च चलाती हैं

शिलॉन्ग. इस साल जनवरी में नॉर्थ-ईस्ट के एक न्यूज चैनल पर खबर चल रही थी कि असम भारत में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि असम में महिलाओं के ट्रैप होने के सबसे ज्यादा 66 मामले दर्ज हुए। 265 महिलाएं साइबर अपराध की शिकार हुईं। 2018 में असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 27,728 मामले दर्ज हुए, जो भारत के कुल अपराध का 7.3 % है।


इससे भी ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े मां की पूजा करने वाले मेघालय के हैं। मेघालय पुलिस के हालिया आंकड़े बताते हैं कि यहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के 481 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि बच्चों के खिलाफ 292 केस दर्ज हुए। महिलाओं के खिलाफ दर्ज हुए 481 मामलों में से 58 दुष्कर्म के इरादे से की गई मारपीट के थे, 67 दुष्कर्म के थे। इसके अलावा 17 केस दुष्कर्म के प्रयास, 36 अपहरण, 14 केस सम्मान को ठेस पहुंचाने को लेकर थे।


मेघालय में करीब 30% परिवार की जिम्मेदारी सिंगल वुमन (अकेली रहने वाली महिला) के जिम्मे है। ये वे महिलाएं हैं, जिन्हें उनके पति ने छोड़ दिया या तलाक दे दिया है। बच्चे इन्हीं के साथ रहते हैं। 29% आबादी इन्हीं घरों में रहती है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि महिलाएं घर चलाती हैं, वे बाजार के बड़े हिस्से पर प्रभाव रखती हैं, लेकिन वे सब्जियों और फल जैसे जल्दी खराब हो जाने वाले सामान ही बेचती हैं।

शिलॉन्ग की ज्यादातर महिलाएं सब्जी और फल बेचती हैं।

नगालैंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध दो साल में तीन अंकों से दो अंकों में पहुंचा
बात नगालैंड की करें तो यहां 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 105 केस दर्ज हुए थे। पर यह दो साल के अंदर ही दो अंकों में पहुंच गए। एनसीआरबी के मुताबिक, 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 75 केस दर्ज हुए, 2017 में 79 केस थे। आंकड़े 90 के पार जा सकते थे, पर कई ऐसे मामले भी थे, जो दर्ज ही नहीं किए गए। वास्तव में मणिपुर की पहाड़ियों पर जहां नगा रहते हैं, वहां भारतीय कानून के तहत किसी के खिलाफ केस दर्ज नहीं किए जा सकते। नागा समुदाय अभी भी अपनी संप्रभुता को बचाए रखने के लिए भारतीय सरकार से बातचीत जारी रखे हुए हैं।


छेड़छाड़ की रिपोर्ट इसलिए भी दर्ज नहीं हो पाती, क्योंकि इसे अभी भी शर्म माना जाता है
एनसीआरबी के 2017 के आंकड़े बताते हैं कि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा में महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस केवल तीन अंकों में हैं। यह पूरे भारत के आंकड़ों का 1% भी नहीं है। हर कोई जानता है कि मिजोरम में अपराध दर सबसे कम है, पर यह इसलिए है, क्योंकि यहां केस दर्ज नहीं किए गए। अपराध, दुष्कर्म और छेड़छाड़ की रिपोर्ट इसलिए भी दर्ज नहीं हो पाती, क्योंकि समाज में इसे शर्म की बात माना जाता है। इसके अलावा चर्च का प्रभुत्व भी महिलाओं द्वारा केस दर्ज कराने के रास्ते में मुश्किल बनता है।


महिलाएं वोट करने में पुरुष से आगे हैं, पर विधानसभा पहुंचने में पीछे
नॉर्थ-ईस्ट में मेघालय लैंगिक समानता के लिहाज से सबसे ज्यादा बेहतर है। यह बात आंकड़े साबित करते हैं। फिलहाल मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा में 4 महिलाएं हैं, यह सदस्यों का 6.6 % है। असम के 126 विधायकों में 8 महिला हैं। यह कुल सदस्यों का 6.34% है। नगालैंड ओर मिजोरम में एक भी महिला विधायक नहीं हैं। मणिपुर में 60 विधायकों में 2 महिला हैं। त्रिपुरा के 30 विधायकों में से 3 महिला हैं। सिक्किम की 30 सदस्यीय विधानमंडल में 4 महिला विधायक हैं। ताजुब की बात यह है कि नॉर्थ-ईस्ट में हर चुनाव में महिला मतदाता पुरुषों से वोट करने में आगे रहती हैं। लेकिन सिर्फ राजनीति ही ऐसी जगह नहीं है, जहां महिलाएं हासिए पर हैं।


असम के सिवाय इस क्षेत्र में एक दशक में साक्षरता दर में काफी सुधार हुआ है
साक्षरता के मामले में जेंडर गैप बाकी देश की तुलना में इस क्षेत्र में कम है। 2001 और 2011 में राष्ट्रीय साक्षरता दर में जेंडर गैप क्रमशः 21.6% और 16.68% है। यह मिजोरम, मेघालय और नगालैंड के लिहाज से कम था। यहां अरुणाचल प्रदेश में साक्षरता दर में जेंडर गैप सबसे ज्यादा था। हालांकि पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में साक्षरता दर बहुत सुधार हुआ है। असम को छोड़कर इस क्षेत्र के सभी राज्यों में साक्षरता में जेंडर गैप कम हो गया है। हैरानी की बात कि यह गैप असम में बढ़ गया है।


नॉर्थ-ईस्ट स्वास्थ्य और देखभाल के मामले में लगातार पिछड़ रहा है
नॉर्थ-ईस्ट स्वास्थ्य और देखभाल के मामले में लगातार पिछड़ रहा है। असम में मातृत्व मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। यहां एक लाख बच्चों के जन्म में औसतन 300 मांओं की जान जाती है। जबकि देश में औसत दर 178 है। शिशु मृत्यु दर भी असम में सबसे ज्यादा है। यहां 1000 बच्चों में से 48 की मौत होती है। एनएसएसओ के 2017 के आंकड़ों के मुताबिक देश में यह दर 37 है।


बदलाव के लिए आवाज उठानी होगी, क्योंकि हमें एक स्वस्थ लोकतंत्र और राजनीति चाहिए
दुर्भाग्य है कि नॉर्थ-ईस्ट की सरकारों की खामियों को दूर करने में कई अड़चनें आ जाती हैं। यह उस समाज की ओर से आती हैं, जहां आवाजों को पहले परंपराओं द्वारा दबाया जाता है फिर धर्मों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। लोगों को लगता है कि उनकी आवाज कोई नहीं सुनता। कई इसलिए भी आवाज उठाने में संकोची हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं समाज के लोगों, उनके साथियों और परिवार द्वारा उनकी आलोचना न हो जाए।


आवाज एजेंसी जैसी है और यह आवाज इसलिए जरूरी है, क्योंकि हमें एक स्वस्थ लोकतंत्र और राजनीति चाहिए।



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शिलॉन्ग स्थित सब्जी मार्केट, जिसे महिलाएं ही चलाती हैं।




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भारत में साल भर में करीब 1 करोड़ टूरिस्ट आते हैं, उसका 20% तक मार्च-अप्रैल में आ जाते हैं; वीजा पर प्रतिबंधों से सरकार को 33 से 34 हजार करोड़ का नुकसान संभव

नई दिल्ली.कोरोनावायरस केडर से दुनिया सहमी हुई है। कोरोना को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल तक दुनियाभर के लोगों के वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया है। मतलब, 15 अप्रैल तक अब कोई भी विदेशी व्यक्ति भारत नहीं आ सकेगा। हालांकि, डिप्लोमैटिक और एम्प्लॉयमेंट वीजा को इस दायरे से बाहर रखा गया है। सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर टूरिज्म सेक्टर पर पड़ेगा। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सालभर में जितने विदेशी पर्यटक आते हैं, उनका करीब 15 से 20% अकेले मार्च-अप्रैल में ही आते हैं। 2019 में मार्च-अप्रैल के दौरान 17 लाख 44 हजार 219 विदेशी पर्यटक भारत आए थे। जबकि, पूरे सालभर में 1.08 करोड़ पर्यटकों ने भारत की यात्रा की थी। वीजा रद्द होने से सरकार को 33 से 34 हजार करोड़ रुपए का नुकसान भी हो सकता है। पिछले साल मार्च-अप्रैल में सरकार को टूरिज्म सेक्टर से 33 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई थी।

बिजनेस: 2019 में जितनी कमाई हुई, उसकी 16% अकेले मार्च-अप्रैल महीने में हुई

टूरिज्म सेक्टर से सरकार को हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती है। 2019 में सरकार को विदेशी पर्यटकों से 2.10 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। इसमें से 16% यानी 33 हजार 186 करोड़ रुपए की कमाई अकेले मार्च-अप्रैल में हुई थी। पिछले 5 साल के आंकड़े भी यही कहते हैं कि सरकार को विदेशी पर्यटकों से सालभर में जितनी कमाई होती है, उसमें से 15 से 20% की कमाई अकेले मार्च-अप्रैल में ही हो जाती है। मार्केट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि पिछले साल के आंकड़ों को देखें तो मार्च-अप्रैल में पर्यटकों के नहीं आने से सरकार को 33 हजार से 34 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। ये कमाई सरकार को फॉरेन करंसी में होती है।

कोरोना की दहशत:इस साल जनवरी में पिछले 10 साल में सबसे कम रही पर्यटकों की ग्रोथ

कोरोना का असर दुनियाभर के टूरिज्म सेक्टर पर पड़ा है। दुनिया के प्रमुख पर्यटक स्थल सूने हो गए हैं। भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी में 11.18 लाख विदेशी पर्यटक ही आए, जबकि जनवरी 2019 में 11.03 लाख पर्यटक भारत आए थे। जनवरी 2019 की तुलना में जनवरी 2020 में विदेशी पर्यटकों की संख्या भले ही बढ़ी है, लेकिन ग्रोथ रेट 10 साल में सबसे कम रहा। जनवरी 2020 में विदेशी पर्यटकों का ग्रोथ रेट सिर्फ 1.3% रहा। जबकि, जनवरी 2019 में यही ग्रोथ रेट 5.6% था।

10 साल में जनवरी में आने वाले पर्यटकों की संख्या और ग्रोथ रेट

साल पर्यटकों की संख्या ग्रोथ रेट
जनवरी 2020 11.18 लाख 1.3%
जनवरी 2019 11.03 लाख 5.6%
जनवरी 2018 10.45 लाख 8.4%
जनवरी 2017 9.83 लाख 16.5%
जनवरी 2016 8.44 लाख 6.8%
जनवरी 2015 7.90 लाख 4.4%
जनवरी 2014 7.57 लाख 5.2%
जनवरी 2013 7.20 लाख 5.8%
जनवरी 2012 6.81 लाख 9.4%
जनवरी 2011 6.22 लाख 9.5%

राहत की बात: जनवरी 2020 में विदेशी पर्यटकों से होने वाली कमाई 12.2% बढ़ी

भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की ग्रोथ रेट में भले ही कमी आई हो, लेकिन उनसे होने वाली कमाई बढ़ी है। जनवरी 2020 में सरकार को विदेशी पर्यटकों से 20 हजार 282 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जो पिछले साल से 12.2% ज्यादा रही। जबकि, जनवरी 2019 में सरकार को 18 हजार 79 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी, जो जनवरी 2018 की तुलना में सिर्फ 1.8% ही ज्यादा थी। हालांकि, फरवरी के बाद कोरोनावायरस के मामले बढ़ने और मार्च-अप्रैल में वीजा पर प्रतिबंध लगने की वजह से विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आनी तय है। इससे सरकार की आमदनी पर भी असर पड़ेगा।

पांच साल में जनवरी महीने में सरकार को पर्यटन सेक्टर से होने वाली आमदनी

साल कमाई ग्रोथ रेट
जनवरी 2020 20,282 12.2%
जनवरी 2019 18,079 1.8%
जनवरी 2018 17,755 9.9%
जनवरी 2017 16,135 18%
जनवरी 2016 13,671 13%

सबसे ज्यादा पर्यटक दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते हैं, लेकिन घूमने के लिए तमिलनाडु पसंदीदा जगह
पर्यटन मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों से आने वाले पर्यटक सबसे ज्यादा दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते हैं। 2018 में दिल्ली एयरपोर्ट पर 30.43 लाख पर्यटक उतरे थे। लेकिन पर्यटकों को घूमने के लिए तमिलनाडु सबसे पसंदीदा जगह है। 2018 में 60.74 लाख विदेशी पर्यटक तमिलनाडु गए थे। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तीसरे पर उत्तर प्रदेश है।

5 एयरपोर्ट या इंटरनेशनल चेक पोस्ट, जहां सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक उतरते हैं

एयरपोर्ट/ इंटरनेशनल चेक पोस्ट पर्यटकों की संख्या
दिल्ली 30.43 लाख
मुंबई 16.36 लाख
हरिदासपुर 10.37 लाख
चेन्नई 7.84 लाख
बेंगलुरु 6.08 लाख



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India Tourist Visa | Coronavirus India Tourist Visas Ban Latest Updates On India ForeignTourist Arrivals Research and Statistics




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38 साल पहले हरियाणा से शुरू हुई थी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स, तब से अब तक 9 राज्यों में 14 बार सरकार बचाने-बनाने के लिए विधायकों को होटल भेजा गया

भास्कर रिसर्च. मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम में भाजपा-कांग्रेस, कमलनाथ-सिंधिया के अलावा एक और शब्द है, जिसकी चर्चा जोरों पर है। वो शब्द है- रिसॉर्ट पॉलिटिक्स। इस शब्द की चर्चा इसलिए भी क्योंकि भाजपा ने पहले अपने 107 में से 105 विधायक दिल्ली, मनेसर और गुरुग्राम के होटल भेजे। उसके बाद कांग्रेस ने भी अपने 80 विधायक जयपुर के होटल में भेज दिए। कांग्रेस के ही 20 बागी विधायक पहले से बेंगलुरु के एक होटल में हैं। देश में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स का इतिहास 38 साल पुराना है। मई 1982 में हरियाणा में आईएनएलडी के चीफ देवी लाल ने इसकी शुरुआत की थी। तब से अब तक ये 9 राज्यों में ये 14वीं बार है, जब सरकार बचाने-बनाने के लिए विधायकों को होटल भेजा गया है। इसमें से भी 9 बार सीधी लड़ाई भाजपा-कांग्रेस के बीच रही। 4 बार एक ही पार्टी के बीच रही और एक बार क्षेत्रीय पार्टियों के बीच हुई। एक बार फिर इतिहास पर नजर डालते हैं और देखते हैं कि देश में कब-कब रिसॉर्ट पॉलिटिक्स देखने को मिली...

पहली बार : मई 1982 । हरियाणा
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

विधानसभा चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और भाजपा के बीच गठबंधन हुआ। यहां की 90 सीटों में से किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। भाजपा-आईएनएलडी ने 37 और कांग्रेस ने 36 सीटें जीतीं। उस समय आईएनएलडी के चीफ देवी लाल ने भाजपा-आईएनएलडी के 48 विधायकों को दिल्ली के एक होटल में भेज दिया था। एक विधायक तो होटल के वाटर पाइप के जरिए वहां से भागकर भी आ गया था। उसके बाद तत्कालीन गवर्नर जीडी तपासे ने देवी लाल को बहुमत साबित करने को कहा, लेकिन वे बहुमत साबित ही नहीं कर पाए। उसके बाद कांग्रेस ने गठबंधन बनाकर सरकार बनाई, जिसमें भजन लाल मुख्यमंत्री बने।

देवी लाल और भजन लाल।- फाइल फोटो

दूसरी बार : अक्टूबर 1983 । कर्नाटक
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

उस समय कर्नाटक में जनता पार्टी की सरकार थी और रामकृष्ण हेगड़े मुख्यमंत्री थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हेगड़े सरकार गिराना चाहती थीं। इससे बचने के लिए हेगड़े ने अपने 80 विधायकों को बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में भेज दिया। हालांकि, हेगड़े बाद में विधानसभा में बहुमत साबित करने में कामयाब रहे थे।

रामकृष्ण हेगड़े। - फाइल फोटो


तीसरी बार : अगस्त 1984 । आंध्र प्रदेश
किस-किसके बीच : टीडीपी v/s टीडीपी

उस समय राज्य में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार थी और मुख्यमंत्री एनटी रामा राव थे। उस समय एनटीआर अमेरिका गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में गवर्नर ठाकुर रामलाल ने टीडीपी के ही एन. भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया। लेकिन,भास्कर राव के मुख्यमंत्री बनते ही पार्टी में अंदरुनी कलह पैदा हो गई। अमेरिका से लौटने से पहले ही एनटीआर ने अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु भेज दिया। एक महीने में ही भास्कर राव को इस्तीफा देना पड़ा और एनटीआर मुख्यमंत्री बन गए।

एनटीआर और भास्कर राव।- फाइल फोटो


चौथी बार : सितंबर 1995 । आंध्र प्रदेश
किस-किसके बीच : टीडीपी v/s टीडीपी

आंध्र प्रदेश में ही 10 साल बाद फिर एनटीआर को अंदरुनी कलह का सामना करना पड़ा। इस बार उनके सामने उनके ही दामाद चंद्रबाबू नायडू थे। नायडू ने अपने समर्थक विधायकों को हैदराबाद के वायसराय होटल भेज दिया। 1 सितंबर 1995 को चंद्रबाबू नायडू पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। एनटीआर उसके बाद कभी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।

एनटीआर के बगल में बैठे चंद्रबाबू नायडू।- फाइल फोटो


पांचवीं बार : अक्टूबर 1996 । गुजरात
किस-किसके बीच : भाजपा v/s भाजपा

शंकर सिंह वाघेला पहले भाजपा के नेता थे, लेकिन 1996 में उन्होंने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय जनता पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई। गुजरात में उस समय भाजपा की ही सरकार थी, जिसमें केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री थे। वाघेला बागी हो गए। उन्होंने अपने 47 समर्थक विधायकों को मध्य प्रदेश के खजुराहो के एक होटल में भेज दिया। उस समय जिन विधायकों ने वाघेला का साथ दिया, उन्हें "खजुरिया' कहा जाने लगा और जिन विधायकों ने साथ नहीं दिया, उन्हें ‘‘हजुरिया’’कहा जाने लगा। हजुरिया का मतलब वफादार। उसके बाद वाघेला ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला।- फाइल फोटो


छठी बार : मार्च 2000 । बिहार
किस-किसके बीच : जदयू v/s राजद-कांग्रेस

2000 के विधानसभा चुनाव के बाद जब राजद-कांग्रेस विश्वास मत हार गए, तो उसके बाद नीतीश कुमार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। 3 मार्च को नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। विश्वास मत से पहले जदयू ने अपने विधायकों को पटना के एक होटल भेज दिया, लेकिन उसके बाद भी नीतीश बहुमत साबित नहीं कर पाए और 10 मार्च को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राबड़ी देवी दूसरी बार बिहार की मुख्यमंत्री बनीं।

नीतीश कुमार।- फाइल फोटो

सातवीं बार : जून 2002 । महाराष्ट्र
किस-किसके बीच : भाजपा-शिवसेना v/s कांग्रेस-राकांपा

1999 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार बनी। लेकिन तीन साल के अंदर ही महाराष्ट्र में सियासी उठापठक शुरू हो गई। कांग्रेस-राकांपा ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को रोकने के लिए अपने 71 विधायकों को मैसूर के एक होटल में ठहराया। तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता स्वर्गीय विलासराव देशमुख भी विधायकों से मिलने बार-बार होटल जाते थे। हालांकि, भाजपा-शिवसेना सरकार नहीं बना सकी थी।

स्व. विलासराव देशमुख।- फाइल फोटो

आठवीं बार : मई 2016 । उत्तराखंड
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

9 कांग्रेस विधायक और 27 भाजपा विधायकों ने तत्कालीन गवर्नर केके पॉल से मिलकर तत्कालीन हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। इसके बाद भाजपा ने अपने 27 विधायकों को दो ग्रुप में जयपुर के अलग-अलग होटल भेजा। एक ग्रुप को होटल जयपुर ग्रीन्स में ठहराया गया, जबकि दूसरे ग्रुप को जयपुर के एक फार्म हाउस में ठहराया गया। भाजपा-कांग्रेस ने एक-दूसरे पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया। कई दिनों तक चली उठापठक के बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव हार गई और भाजपा की सरकार बनी।


नौवीं बार : फरवरी 2017 । तमिलनाडु
किस-किसके बीच : अन्नाद्रमुक v/s अन्नाद्रमुक

दिसंबर 2016 में जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया। कारण था- अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) में ही गुटबाजी होना। इससे नाराज तत्कालीन मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जयललिता की भतीजी शशिकला मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन,सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बेनामी संपत्ति के मामले में सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। इसके बाद शशिकला ने पलानीसामी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया। पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी गुट की वजह से शशिकला ने अपने 130 समर्थक विधायकों को चेन्नई के एक होटल भेज दिया। हालांकि, कुछ समय बाद जब फ्लोर टेस्ट हुआ तो पलानीसामी की जीत हुई।

ओ पन्नीरसेल्वम और ई पलानीसामी।- फाइल फोटो

दसवीं बार : अगस्त 2017 । गुजरात
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस

इस साल गुजरात की तीन राज्यसभा सीट पर चुनाव होने थे। दो पर भाजपा की जीत पक्की थी। इन दो सीटों में से एक पर अमित शाह और दूसरी पर स्मृति ईरानी खड़ी हुईं। तीसरी पर कांग्रेस के अहमद पटेल थे, जिनकी जीत भी लगभग तय थी। लेकिन भाजपा ने कांग्रेस से बागी बलवंत राजपूत को अहमद पटेल के खिलाफ खड़ा कर दिया। राज्यसभा चुनाव से पहले शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने से कई कांग्रेस विधायक भी बागी हो गए। कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए बेंगलुरु के ईगलटन रिजॉर्ट में बंद कर दिया। इन्हें 8 अगस्त को वोटिंग वाले दिन ही विधानसभा लाया गया। हालांकि, काफी देर चली खींचतान के बाद अहमद पटेल ही जीते।

बेंगलुरु के रिसॉर्ट मेंकांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल के साथ कांग्रेस के 44 विधायक। फोटो-जुलाई 2017

11वीं बार : मई 2018 । कर्नाटक
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस-जेडीएस

मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। भाजपा 104 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। राज्यपाल ने भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली। लेकिन तभी सुप्रीम कोर्ट ने 48 घंटे के अंदर येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने का आदेश दिया। हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए कांग्रेस-जेडीएस ने अपने विधायकों को हैदराबाद के एक होटल में भेज दिया। हालांकि, फ्लोर टेस्ट से पहले ही येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी।

कांग्रेस-जेडीएस के विधायक कर्नाटक के होटल से हैदराबाद के होटल जाते हुए। फोटो- मई 2018

12वीं बार : जुलाई 2019 । कर्नाटक
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस-जेडीएस
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार से 17 विधायकों ने अचानक इस्तीफा दे दिया। इन विधायकों को मुंबई के रेनेसां होटल में ठहराया गया। कुछ दिन बाद इन्हें गोवा के एक रिसॉर्ट में शिफ्ट कर दिया गया। 23 जुलाई 2019 को कुमारस्वामी सरकार को बहुमत साबित करना था, लेकिन ये विधायक वहां भी नहीं पहुंचे और कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई। इसके बाद येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा ने भी फ्लोर टेस्ट से पहले अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु के चांसरी पैवेलियन होटल में ठहराया था। इन 17 में से 15 विधायकों ने दोबारा चुनाव लड़ा, जिसमें से 11 जीतकर आए।

कर्नाटक के बागी कांग्रेस विधायक मुंबई के होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान। फोटो- जुलाई 2019

13वीं बार : नवंबर 2019 । महाराष्ट्र
किस-किसके बीच : भाजपा v/s शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना में गठबंधन था, लेकिन नतीजे आने के बाद शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग पूरी नहीं होने पर गठबंधन तोड़ दिया। बाद में राकांपा के अजित पवार भाजपा से मिले और आनन-फानन में देवेंद्र फडनवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। इसके बाद टूट के डर से शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने अपने विधायकों को मुंबई के हयात होटल में ठहरवाया। हालांकि, इससे पहले भी इसी डर से शिवसेना के विधायक होटल द ललित, राकांपा के विधायक द रेनेसां और कांग्रेस के विधायक जेडब्ल्यू मैरियट होटल में ठहरे थे। निर्दलीय विधायकों को भी गोवा के एक रिसॉर्ट में ठहराया गया था। हालांकि, फ्लोर टेस्ट से पहले ही अजित पवार भी अलग हो गए और देवेंद्र फडनवीस ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राज्य में शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार बनी।

नवंबर में महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक उठापठक के बीच मुंबई के रेनेसां होटल जाते राकांपा के विधायक।

14वीं बार : मार्च 2020 । मध्य प्रदेश
किस-किसके बीच : भाजपा v/s कांग्रेस
10 मार्च को कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया। इससे एक दिन पहले से ही उनके समर्थक विधायकों के फोन बंद हो रहे थे। बाद में पता चला कि इन विधायकों को बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में रखा गया है। इसके बाद 10 मार्च की रात ही भाजपा ने भी अपने 107 में से 105 विधायकों को गुरुग्राम के आईटीसी ग्रैंड होटल में भेज दिया। 11 मार्च को कांग्रेस के 80 विधायक जयपुर के एक होटल भेजे गए।



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जयपुर एयरपोर्ट से बस से रिसॉर्ट जाते कांग्रेस विधायक




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आखिरकार दुष्कर्मियों को कल सुबह 5:30 बजे होगी फांसी, मौत की सजा से एक दिन पहले दोषियों की 5 याचिकाएं खारिज

नई दिल्ली. निर्भया को न्याय मिलते-मिलते आखिरकार मिल ही गया। उसके चारों दुष्कर्मियों- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर ने मौत से एक दिन पहले तक बचने के लिए सारी तिकड़में लगा दीं, लेकिन कोर्ट ने उनकी फांसी नहीं टाली। गुरुवार को एक ही दिन में दोषियों की 5 याचिकाएं खारिज हो गईं। पवन-अक्षय ने दूसरी बार दया याचिका भेजी, वो भी खारिज हो गई। मुकेश ने वारदात वाले दिन दिल्ली में नहीं होने का दावा किया था, वो भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। फांसी पर रोक लगाने के लिए भी याचिका लगाई थी, लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट ने इसे भी नहीं माना। अब शुक्रवार सुबह 5:30 बजे चारों दुष्कर्मियों को तिहाड़ की जेल नंबर-3 में फांसी मिल जाएगी।

तलाक की अर्जी भी लगाई थी, लेकिन फांसी नहीं रोक सके
फांसी रोकने के लिए दोषी अक्षय की पत्नी पुनीता ने 18 मार्च को औरंगाबाद की एक कोर्ट में तलाक की अर्जी भी लगाई थी। उसने दलील दी थी कि वो विधवा की तरह नहीं जीना चाहती। लेकिन उसके बाद भी दोषियों की फांसी नहीं रुक सकी। इसका कारण भी था। 35 साल तक तिहाड़ में लॉ अफसर रहे सुनील गुप्ता और वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने दैनिक भास्कर से बातचीत में पहले ही कह दिया था कि तलाक की अर्जी लगी होने के बाद भी दोषियों की फांसी रोकने की गुंजाइश न के बराबर है। क्योंकि तलाक सिविल मामलों में आता है और फांसी क्रिमिनल मामलों में। और क्रिमिनल मामलों पर सिविल मामले असर नहीं डालते।

लेकिन दोषियों के वकील कहते रहे- पुनीता को न्याय मिलना चाहिए
बार-बार फांसी टलवा रहे दोषियों के वकील एपी सिंह को जब इस बार फांसी टलवाने का कोई कारण नहीं मिला, तो उन्होंने कहा कि उसे (अक्षय की पत्नी) न्याय मिलना चाहिए। एपी सिंह ने भास्कर से फोन पर बात करते हुए कहा था- "वो (अक्षय की पत्नी) पीड़िता है। उसका अधिकार है। अगर उसको (अक्षय) फांसी दे दोगे, तो उसकी पत्नी के अधिकारों का क्या होगा? वो तो विधवा हो जाएगी। वो तो जवान लड़की थी। उसकी एक साल पहले ही शादी हुई थी और दो महीने का बच्चा था। तबसे अक्षय जेल में है।' एपी सिंह ने ये भी बताया था कि दोषियों की जितनी भी लीगल रेमेडिज बाकी थी, वो सब लगा दी थी।

दोषियों की फांसी नहीं टल सकी, उसके दो कारण

1) 14 दिन का समय खत्म : सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि डेथ वॉरंट और फांसी की तारीख में 14 दिन का अंतर होना चाहिए। दोषियों का डेथ वॉरंट 5 मार्च को जारी हुआ था।
2) सारे कानूनी रास्ते भी खत्म : फांसी की सजा में दोषी को सारे कानूनी रास्ते इस्तेमाल करने का अधिकार होता है और चारों दोषियों ने अपने सारे कानूनी अधिकार इस्तेमाल भी कर लिए हैं। चारों की रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका भी खारिज हो चुकी है।



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Nirbhaya Convicts Hanging Latest News: Nirbhaya Rapists Lawyer and Tihar Jail Officer Speaks To Dainik Bhaskar On Delhi Gang Rape And Murder Case Convicts Akshay Kumar Singh, Pawan, Vinay Kumar Sharma, Mukesh Kumar




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23 साल 7 महीने पहले इंदौर में हत्या के दोषी को दी गई फांसी की आंखों देखी रिपोर्ट

शुक्रवारसुबह 5 बजे निर्भया के चारों दोषियाें को फांसी होनी है।
क्या होता है फांसी के वक्त? कौन क्या करता है? आखिरी के दो घंटे कैसे होते हैं? फांसी के बाद माहौल कैसा होता है?
क्या आपको मालूम है इस बारे में? नहीं ना... हमें भी नहीं मालूम। लेकिन हम आपसे एक फांसी का आंखों देखा हाल साझा कर रहे हैं। भास्कर आर्काइव से। ये फांसी 5 अगस्त 1996 को इंदौर जेल में दी गई थी। 23 साल7 महीने पहले हुई इस फांसी की आंखों देखी रिपोर्ट सिर्फ भास्कर के पास थी।

हत्यारे उमाशंकर को ऐसे दी गई फांसी
कीर्ति राणा
इंदौर, 5 अगस्त 1996
टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां 4.57 से 58 की ओर खिसक रही हैं... पानी का बरसना जारी है... फांसी घर में एकत्र अधिकारियों, जेल कर्मचारियों के दिलों की धड़कन तेज होती जा रही हैं... 15 कदम की दूरी पर बने चबूतरे में मोटी रस्सी के फंदे में कैदी उमाशंकर पांडे की गर्दन फंसी हुई है... जल्लाद बालकृष्ण राव गर्दन पर रस्सी की गठान को हल्का सा झटका देकर अपने अनुभव का परीक्षण करता है... पांच के अंक पर खड़ा छोटा कांटा दोनों बड़े कांटों के 12 के अंक पर पहुंचने की बेताबी से प्रतीक्षा कर रहा है...। बड़ा कांटा 59 मिनट की परिक्रमा पूरी कर चुका है... सेकंड के कांटे का सफर जारी है...।


गहरे नीले रंग की नकाब से कैदी उमाशंकर का मुंह ढंका बंधा है... दोनों हाथ पीछे की तरफ कमर से नायलोन की गुलाबी रस्सी से कसकर बंधे हैं... पैरों में करीब 25 किलोग्राम रेत की पोटली बांधी जा चुकी है... कैदी की अनंत यात्रा की सभी तैयारियां ठीक हैं। जल्लाद के चेहरे पर निश्चिंतता के भाव हैं.....। सन्नाटा और गहराता जा रहा है। सबकी सांसें थम सी गई हैं...।


दोनों बड़े कांटे 12 की तरफ खिसक रहे हैं... हाथों में मजबूती से लीवर का हत्था पकड़े जल्लाद की नजर जेलर एसपी. जैन के हाथ के इशारे पर है... उधर, हाथ का हल्का सा इशारा होता है, इधर जल्लाद के लीवर के हत्थे को पूरी ताकत से अपनी ओर खींचता है... ‘खट’ की हल्की सी आवाज होती है... चबूतरे पर कुछ पल पहले छटपटाता-पानी मांगता उमाशंकर सबकी नजरों से ओझल हो चुका है...।

चेहरे पर नकाब, पैरों में 25 किलो बालू रेत की पोटली, वह नीचे की कोशिश....
पत्नी और दो बच्चों के हत्यारे उमाशंकर की देह झूल रही है, मोटी रस्सी से। हैलोजन की तेज पीली रोशनी...। बारिश पानी और सन्नाटे में कुछ सुनाई दे रहा है, तो बूंदों की टप-टप... स्टेशन से गुजरती हुई रेलगाड़ी की सीटी...। अपने सेवाकाल में पहली फांसी देखने और इस कार्रवाई को कराने वाले करीब 50 लोग बुत बने खड़े हैं। मानो इन सबने ही फांसी की पीड़ा को भोगा हो...। सावन के पहले सोमवार पर ब्रह्ममुहुर्त में उमाशंकर पांडे की इस फांसी बाद निर्मित खामोशी जल्लाद बालकृष्ण राव की चहलकदमी से टूटती है...। गर्दन झुकाकर नीचे कोठरी में कुछ देखने के बाद उसकी गर्दन गर्व से तन जाती है...। कुछ पल पहले लीवर का हत्था पकड़ने वाले हाथ अपनी बड़ी-बड़ी मूंछों पर फेरते हुए वह अधिकारियों की तरफ देखता है...। जेल अधिकारी और कर्मचारी हरकत में आते हैं। चबूतरे के नीचे बनी कोठरी का दरवाजा खुल रहा है...। हल्के उजाले में मृत उमाशंकर पांडे की देह झूल रही है...। कुछ पल पहले मौत से बचने के लिए छटपटाने वाले उमाशंकर की आत्मा सारे बंधनों से मुक्त हो चुकी है...। आस्था की इस अनंत यात्रा में कहीं न कहीं उसकी पत्नी और दो बच्चों की आत्माएं भी भटक रही होंगी।


सुबह के चार बजने को हैं...। सेंट्रल जेल में स्थित कैदियों की बैरक से पृथक एक कोने में बनी काल कोठरी में जाग रहे उमाशंकर की जिंदगी और मौत मात्र एक छोटा सा शेष है...। जेल कर्मचारियों के साथ पहुंचे जेलर जैन आवाज लगाते हैं... ‘ऐ उमाशंकर। बाहर आओ।’ अन्य जवान भी पुकारते हैं। ‘पांडेजी बाहर आ जाओ... देखो, साहब आए हैं मिलने’ जवानों की फुसफुसाहट से स्पष्ट होता है कि जेलर के समीप खड़े एसडीएम पीसी. राठी हैं, कुछ जवान बहस कर रहे हैं कि ये नए कलेक्टर हैं....।


वृद्ध पुलिसकर्मी खान को जेल की कोठरी का दरवाजा खोलने का निर्देश देते हैं। अपना छाता और डंडा दूसरे जवानों को सौंपते हुए खान दरवाजा खोलता है...। कुछ समय बाद मरने जा रहे उमाशंकर के ‘अंतिम दर्शन’ हेतु जेल जवान गर्दन ऊंची कर-करके उसे देख रहे हैं। लठ्ठे के मटमैले कपड़े....उनींदी आंखें... एक हड्डी की काया... बढ़ी हुई दाढ़ी... चढ़ी हुई त्योरियां... एक नजर में सबको पहचानने का प्रयास करती आंखें...। फिर भी हालत ऐसी कि शेर के सामने मेमना खड़ा हो...। एसडीएम राठी पूछ रहे हैं, ‘क्या नाम है? अरे भाई क्या नाम है तुम्हारा....। रूखा सा जवाब, उमाशंकर पांडे। फिर बाप, गांव, जिले आदि के बारे में पूछा जाता है, हर प्रश्न का संक्षिप्त जवाब देने के साथ ही उमाशंकर की बेचैनी भी बढ़ती जाती है...।


सेंट्रल जेल के अनुभवी चिकित्सक डॉक्टर बीएल निधान और शरद जैन आगे बढ़ते हैं और उसका मरने से पहले स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं....। वजन तौलने की मशीन उसका वजन बताती है 50 किलो। डॉक्टर निधान आश्चर्यचकित स्वर में कहते हैं, ‘अरे साहब, इसका तो वजन बढ़ गया है...’ जेलर जैन एसडीएम राठी को बताते हैं कि पहले इसका वजन 46 किलो था...। अब कैदी भी समझ चुका है कि ये सारी तैयारियां उसकी अंतिम विदाई की हैं...। जेल जवान अनुरोध करते हैं, आओ पंडित जी स्नान कर लो...। वह आगे बढ़ता है। एक जवान साबुन, तौलिया लेकर खड़ा है...। गर्म पानी की कोठी, ठंडे पानी से भरी बाल्टी के समीप जाकर वह ठिठक जाता है...। जवान फिर अनुरोध कर रहे हैं, ‘चलो पांडे जी नहा लो, आज महाकाल का दिन है... सावन का पहला सोमवार है।’ एक जवान चुल्लु में गर्म पानी लेकर उसके हाथ पर डालता है। ये लो पांडे जी, आप गर्म पानी से नहा लो। सबके अनुरोध मनुहार की अनसुनी करते हुए वह निर्विकार भाव से खड़ा रहता है...। जेल अधीक्षक राजाराम खन्ना पूछते हैं, ‘क्यों भई पांडेजी, क्या बात है इच्छा नहीं है क्या...’ अब वह धीरे से कहता है... टट्टी जाना है। जेल जवान लोटा भरके उसके हाथ में देते हैं, कहते हैं वहां सामने आड़ में कर लो, चार जवानों के घेरे में वह शौच के लिए जा रहा है...। लौटने पर साबुन से हाथ धोता है, फिर मनुहार की जाती है, नहा लो भाई, लेकिन वह इनकार कर देता है, तो अधिकारी कहते हैं- चलो जैसी तुम्हारी इच्छा वैसे भी बारिश में भीगने से स्नान जैसा तो हो ही गया...।


नीले रंग की स्लीपर पहने उमाशंकर को जेल जवान पकड़कर पुन: कोठरी की तरफ ला रहे है... एक जवान हाथ में लठ्ठे के कपड़े की आधे बांह की कमीज, पैजामा लेकर आगे बढ़ता है... लो उमाशंकर नए कपड़े पहन लो। आज सावन सोमवार है... भगवान को याद करो... चादर की आड़ की जाती है....उमाशंकर नए कपड़े पहन रहा है। वह उदास है और उसकी उदासी जेलकर्मियों को झकझोर रही है। नामी गिरामी अपराधियों की दादागिरी भुला देने वाले जेलकर्मियों में से कई के लिए किसी आदमी को कुछ मिनट बाद अपनी आंखों के सामने मरते देखने का पहला अनुभव है।


सुबह के 4 बजकर 25 मिनट हो चुके हैं, जेलर जैन अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि सब अपनी घड़ियां मिला लें... जल्लाद बालकृष्ण राव, जेल अधीक्षक राजाराम खन्ना, एसडीएम पीसी. राठी, सीएसपी राजेश हिंगनकर आदि अपनी-अपनी घड़ियों के कांटे 4.25 पर कर लेते हैं, यह व्यवस्था इसलिए की जाती है, ताकि सुबह ठीक 5 बजे फांसी देने के आदेश के पालन में समय का हेरफेर न हो पाए।


जेल जवानों-अधिकारियों के बीच से निकलकर सफेद-कुर्ता पैजामा पहने एक व्यक्ति उमाशंकर के पास जाने लगता है, अधिकारी पूछते हैं तो जवाब मिलता है, ‘पंडित जी हैं...’ कुर्ते की जेब में रखी एक पुस्तिका निकालकर पंडित सत्यनारायण जोशी गीता के श्लोक बुदबुदाने लगते हैं। कंबल पर खड़े पांडे से चप्पल उतारकर बैठने के लिए कहा जाता है, वह चप्पल उतार देता है, लेकिन खड़ा ही रहता है...पंडित जी बैठ चुके हैं, दरवाजे की देहरी पर उमाशंकर का ध्यान भी श्लोक सुनने में नहीं है, पंडित जी भी जैसे-तैसे पाठ करके खड़े हो जाते हैं।


साढ़े चार बज चुके हैं... जल्लाद बालकृष्ण राव दो मुस्टंडे जवानों को पांडे के हाथ पीछे कसने के लिए कहता है, वह विरोध करता है, लेकिन फुर्ती से अपने एक हाथ में पकड़ी नायलोन की गुलाबी रस्सी से उसके हाथ कमर के पीछे बांध देता है... जेल अधीक्षक आरआर खन्ना ब्लैक वॉरंट की फाइल लाने के लिए कह रहे हैं। फाइल जेलर जैन के हाथों में सौंपी जाती है।


फांसी दिए जाने वाले कैदी का हुलिया बताया जा रहा है... कद पांच फीट ढाई इंच, दाएं तरफ नाक पर मस्सा, दाएं कंधे पर तिल, बाएं कंधे पर चोट के निशान...। अब ब्लैक वॉरंट पढ़ा जा रहा है, जिसमें आजीवन कारावास, उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय में चले प्रकरण, दया की अपील पर राज्यपाल एवं राष्ट्रपति की असहमति के उल्लेख के साथ कहा गया है उम्र 42 वर्ष, जाति ब्राह्मण, निवासी लक्ष्मीपुरा (कायथा थाना) उज्जैन- आपको प्रथम श्रेणी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एससी. व्यास के न्यायालय ने 22 फरवरी 95 को धारा 302, 302, 302 एवं धारा 307, 307, 307 के अंतर्गत मृत्युदंड-आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 24 फरवरी 95 को उच्च न्यायालय इंदौर से आपकी अपील पत्र क्रमांक 340/ विधि दिनांक 11 जुलाई 95 को खारिज कर दी गई थी। इस कार्यालय के माध्यम से उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली को की गई अपील क्रमांक 771/95 भी खारिज कर दी गई थी। उच्च न्यायालय डेथ रिफरेंस क्रमांक 2/95 क्रिमिनल अपील 113/95 पेश हुआ, जिस पर मृत्यु दंडादेश की पुष्टिकर अपील निरस्त कर दी गई।


काल-कोठरी परिसर में सन्नाटा है... बारिश से बचने के लिए अधिकारी, कर्मचारी छाते ताने खड़े हैं... जेलर जैन अंतिम पत्र पढ़ रहे हैं... उज्जैन के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश केके सक्सेना के पत्र क्रमांक 216, 27 मार्च 96 द्वारा सूचना भेजी गई कि मध्य प्रदेश की जेल नियमावली वॉल्यूम 2 के नियम 475 के नियम तथा समस्त जेल नियमों के पालन पश्चात मृत्युदंड का निष्पादन करें। कार्यालय के पत्र 2475/ डेथ वॉरंट/ 3 अप्रैल 96 द्वारा आपकी दया याचिका मृत्युदंड को निरस्त करने के लिए राज्यपाल एवं राष्ट्रपतिजी को भेजी गई थी। राज्यपाल एवं राष्ट्रपतिजी द्वारा दया अपील को मंजूरी देने में असमर्थता व्यक्त की गई। तदपश्चात जेल नियमावली 778 (6) डी. द्वारा निर्धारित नियमों के तहत 5 अगस्त 96 की सुबह पांच बजे फांसी देना तय किया गया है।


...तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा हो तो बोलो उमाशंकर... वह चुप है, उसकी चुप्पी यथावत है, जेल के बंदूकधारी जवान गीले हो रहे हैं, लेकिन उसका चेहरा देखने की उत्सुकता भी है...। कलेक्टर के प्रतिनिधी के रूप में मौजूद एसडीएम पीसी. राठी स्नेह भरे स्वर में पूछ रहे हैं... देखो भई तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा हो तो बोलो। कुछ खाना चाहते हो... किसी से मिलना हो... बच्चों के लिए कुछ संदेश देना हो तो बता दो... उसका शरीर निढाल हो चुका है... चेहरे के हावभाव में लाचारी झलक रही है। राठी फिर पूछते हैं- क्यों भई कोई इच्छा तो नहीं है... मृत्यु मार्ग की ओर धकेले जाने की मुद्रा में जवान सतर्क हो जाते हैं...। एसडीएम राठी के निर्देश पर उमाशंकर को फांसी घर की तरफ ले जाने की तैयारी हो जाती है...।


चिड़ियों के चहचहाने से नई सुबह का आभास होने लगा है... सुबह के 4:40 हो चुके हैं... जेलर जैन व्यंग्य से कहते हैं- चलो उमाशंकर तुमने अपनी पत्नी और बच्चों को जहां भेजा है वहां भी तुम्हें भी चलना है... आगे बंदूकधारी जवान बीच में जवानों से घिरे उमाशंकर को धकियाते हुए ले जा रहे हैं, फांसी घर की तरफ पीछे-पीछे कीचड़ में मजबूती से पांव जमाते हाथ में छाता संभाले अधिकारी भी चल रहे हैं। काल-कोठरी से फांसी घर के चबूतरे का 50 कदम का फासला तय हो चुका है.... अधिकारी फांसी घर के आगे खड़े हैं... अधिकारियों से ऊंचाई पर खड़ा है वह... उसकी बेअदबी माफ है। उसके चेहरे पर गहरे नीले रंग के मोटे कपड़े का नकाब पहनाया जा चुका है। इस चबूतरे पर एक साथ दो कैदियों को फांसी देने की व्यवस्था है। थुल-थुल शरीर, बड़ी-बड़ी सफेद मूंछ, हल्के कत्थई रंग का चटकदार स्वेटर पहने जल्लाद बालकृष्ण राव अपने पैंट की जेब से रूमाल निकालकर हाथ और चेहरा पोंछते हैं... रस्सी को झटके से खींचने वाले लीवर के हत्थे को साफ करता है, तीन बार प्रणाम की मुद्रा में हाथों से लीवर को छूता है।


बारिश जारी है... घड़ी की टिक-टिक जारी है। चबूतरे के सामने खड़े अधिकारी-जवान देख रहे हैं... कुछ मिनट बाद मरने वाले उमाशंकर को। उमाशंकर के चेहरे पर नकाब है। पैरों में 25 किलो बालू रेत की पोटली बांधी जा चुकी है, फांसी का फंदा एक झटके में ही आपा ले ले इसलिए फंदे पर कम से कम 75 किलो का वजन लटकना जरूरी है, 50 किलो का उमाशंकर और 25 किलो की रेत की पोटली। तेल कम हो तो दिये के जैसे बुझने से पहले अचानक रोशनी से तेज हो जाती है। ऐसे ही उमाशंकर मौत के फंदे से मुक्ति के लिए जान छुड़ाने की कोशिश करता है। जेल के जवानों की मजबूत पकड़ उसके मंसूबों को विफल कर देती है...वह बैठने की कोशिश करता है, लेकिन जवान उसे फिर विफल कर देते हैं। मौत से कुछ सेकंड के फासले पर खड़ा उमाशंकर ताकत लगाकर बचने की कोशिश करता है। दूसरी तरफ, जल्लाद और चबूतरे पर खड़े जवान कहते हैं, ‘उमाशंकर राम-राम बोलो...’। उमाशंकर कुछ सुनने का प्रयास करता है कि तभी ‘खट’ की आवाज के साथ लीवर हिल जाता है। चबूतरे पर उमाशंकर के पैरों के नीचे लगी लोहे की प्लेट नीचे की तरफ खुल जाती है। और उमाशंकर नीचे कोठरी में लटक जाता है...हवा के जोर से हिल रही रस्सी के कारण उसकी देह लोहे के पिंजरे में हिल रही है लेकिन पंछी उड़ चुका है....। आधे घंटे तक शव कोठरी में लटका रहने दिया जाता है। कुछ देर पहले जो जवान अपने हाथों से पकड़कर उसे चबूतरे तक लाए थे, अब फटे हुए कपड़े एकत्र कर एक-दूसरे को बांटते हैं। और इन कपड़ों की मदद से उसकी भूत देह पकड़ते हैं। डॉक्टर विधान और डॉक्टर जैन द्वारा उसे मृत घोषित किए जाने के पश्चात ये जवान उसकी देह स्ट्रेचर पर रखकर बाहर खड़े रिश्तेदारों के सुपुर्द कर देते हैं।

5 अगस्त 1996 को भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट।



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Nirbhaya Rapist Hanging Tihar Jail Live | Dainik Bhaskar Latest News Updates Nirbhaya Hanging; Know What happens at the time of hanging?




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निर्भया के दोषियों को सुबह जेल स्टाफ ने चाय और नाश्ते की पेशकश की, सुबह 5:30 बजे सुपरिंटेंडेंट का इशारा मिलते ही चारों को फांसी दी गई

भास्कर रिसर्च टीम. 16 दिसंबर 2012... ये वो तारीख है, जिस दिन दिल्ली की सड़कों पर रात के अंधेरे में चलती बस में निर्भया के साथ 6 दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। इन 6 में एक ने जेल में आत्महत्या कर ली। उसका नाम राम सिंह था, जो बस ड्राइवर और मुख्य आरोपी था। एक नाबालिग था, जो 3 साल की सजा काटकर 20 दिसंबर 2015 को रिहा हो चुका है और कहीं चैन से अपनी जिंदगी जी रहा है। बचे चार। इनके नाम थे- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर। इन दोषियों को उनके गुनाह की सजा 7 साल 3 महीने और 4 दिन बाद मिली। चारों दोषियों को तिहाड़ की जेल नंबर-3 में 20 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे फांसी पर लटकाया गया। फांसी देने के लिए जल्लाद पवन 17 तारीख को ही तिहाड़ पहुंच चुका था। लेकिन फांसी से कुछ घंटे पहले इन दरिंदों के साथ क्या-क्या हुआ? फांसी पर चढ़ाने की पूरी प्रोसेस क्या है? इसे जानते हैं…

दोषियों को फांसी सुबह 5:30 बजे हुई, लेकिन तैयारी रात से ही शुरू हुई।

दोषियों को नहलाया। उन्हें पहनने के लिए साफ और नए कपड़े मिले।

उसके बाद उन्हें नाश्ता दिया गया।

फांसी से एक घंटे पहले जेल सुपरिटेंडेंट, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, डीएम या एडीएम और मेडिकल ऑफिसर इन दोषियों से मिले।

दोषियों को जेल नंबर-3 में ले जाया गया।

दोषियों के सामने हिंदी में डेथ वॉरंट पढ़ा गया।

जल्लाद आया। दोषियों के पैरों को कसकर बांधा। उनकी गर्दन पर फांसी का फंदा भी जल्लाद ने ही डाला। ​​

सुपरिटेंडेंट ने जल्लाद को इशारा किया और जल्लाद ने लीवर खींच दिया। चारों दोषी नीचे लटक गए।

इन दोषियों को फंदे पर तब तक लटके रहने दिया गया, जब तक मेडिकल ऑफिसर इनके मरने की पुष्टि नहीं की।

किस-किस ने देखीइन चारों दोषियों की फांसी?
जेल सुपरिंटेंडेंट, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर मौजूद रहे। उनके अलावा डीएम या एडीएम भी रहे, जिन्होंनेवॉरंट पर साइन किया।इन सबके अलावा कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल या वॉर्डनभी थे। जब तक इन दोषियों की फांसी की प्रोसेस पूरी नहीं हुई, तब तक जेल में रह रहे सभी कैदी अपनी-अपनी सेल में ही बंद रहे।

(दिल्ली प्रिजन मैनुअल 2018 में फांसी की प्रोसेस और फांसी वाले दिन क्या-क्या होता है, इस बारे में बताया गया है। ये स्टोरी भी प्रिजन मैनुअल के आधार पर ही तैयार की गई है)

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Nirbhaya Rapists Convicts Hanging | Nirbhaya Case Convicts Hanging Latest Updates Delhi Gang Rape And Murder Case; Know What What happens on day of Hanging




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दुष्यंत ने 13 मार्च को सिंगर कनिका के साथ पार्टी की, उसके बाद 3 दिन लोकसभा गए, 18 तारीख को यूपी-राजस्थान के 96 सांसदों के साथ राष्ट्रपति से भी मिले

नई दिल्ली. बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। कनिका 9 मार्च को ही लंदन से लौटी थीं। इसके बाद वे कम से कम 4 पार्टी और एक फैमिली फंक्शन में शामिल हुईं, जिनके सबूत हर कहीं मौजूद हैं। ऐसी ही एक पार्टी 13 मार्च को लखनऊ के ताज होटल में भी हुई थी। इसमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बेटे दुष्यंत सिंह और बहू निहारिका के साथ मौजूद थीं। कनिका के कोरोना पॉजिटव होने की खबर के बाद वसुंधरा और दुष्यंत ने खुद को क्वारैंटाइन कर लिया। हालांकि बात यहीं खत्म नहीं होतीभाजपा सांसद दुष्यंत के ट्विटर अकाउंट से पता चलता है कि वे दो दिन पहले राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे।

दुष्यंत सिंह ने दो दिन पहले राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई सांसदों के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से नाश्ते पर मुलाकात की थी। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के 96 सांसद आए थे। इस कार्यक्रम की जारी तस्वीर में दुष्यंत राष्ट्रपति के ठीक पीछे खड़े दिख रहे हैं। दुष्यंत के साथ मौजूद प्रमुख नेताओं मेंपूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर, मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, कांग्रेस की कुमारी सैलजा और बॉक्सर मैरी कॉम शामिल हैं।इधर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सभी अपाइनमेंट निरस्त कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति अपनी जांच भी कराएंगे।

15 मार्च के बाद से दुष्यंत कम से कम तीन दिन लोकसभा भी पहुंचे थे और वहां की कार्यवाही में शामिल हुए थे। उनके संपर्क में आने वाले कई भाजपा और विपक्षी दल के नेता अब खुद को क्वारैंटाइन कर रहे हैं।तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन, दुष्यंत के साथ ढाई घंटे बैठे थे। अब उन्होंने खुद को अलगथलग कर लिया है। इसी तरह अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल, भाजपा सांसद वरुण गांधी और कांग्रेस सांसद दीपेंदर हुड्डा ने भी खुद को आइसोलेट कर लिया है। इनके अलावा यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व सांसद जितिन प्रसाद नेभी खुद को अलग-थलग रहने का फैसला लिया है।

तारीख : 13मार्च । जगह : लखनऊ

इस फोटो में जो बीच में नजर आ रहे हैं, उनका नाम आदिल अहमद है। आदिल सेलेब्रिटी इंटीरियर डिजाइनर हैं। 13 मार्च को आदिल ने लखनऊ में बर्थडे पार्टी रखी थी। इसी पार्टी में कनिका कपूर, वसुंधरा राजे, दुष्यंत सिंह पहुंचे थे। वसुंधरा राजे के नई दिल्ली स्थित घर कोआदिल ने ही डिजाइन किया है।

तारीख : अभी कन्फर्म नहीं । जगह : अभी कन्फर्म नहीं

कनिका कपूर और वसुंधरा राजे आदिल अहमद की बर्थडे पार्टी के अलावा एक और पार्टी में भी साथ में मौजूद थीं। हालांकि, अभी तक ये कन्फर्म नहीं हो पाया है कि ये किस पार्टी की तस्वीर है।

तारीख : 13-14 मार्च । जगह : कानपुर

कनिका 13 और 14 मार्च को कानपुर में अपने मामा विपुल टंडन के घर रुकी थीं।

तारीख : 15 मार्च । जगह : लखनऊ

यूपी लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्रा के घर हुई इस पार्टी में बसपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे अशु मिश्रा भी शामिल हुए थे। बिजनेसमैन नीरज यादव उनकी पत्नी नैना यादव भी इस पार्टी में मौजूद थे।

तारीख : 16 मार्च । जगह : लोकसभा

दुष्यंत सिंह सोमवार को लोकसभा पहुंचे थे। वे यहां 9 मिनट 12 सेकंड तक बोले भी थे।

तारीख : 17 मार्च । जगह : लोकसभा

दुष्यंत मंगलवार कोभी लोकसभा पहुंचे थे। इस बार उन्होंने किसानों को मुद्दा उठाया था।

तारीख : 18 मार्च । जगह : राष्ट्रपति भवन

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और दुष्यंत सिंह(दाएं से पहले)।

18 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद में राष्ट्रपति भवन में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सांसदों को ब्रेकफास्ट पर इनवाइट किया था। इसमें उत्तर प्रदेश-राजस्थान के 96 सांसद मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी यहां आए थे।

तारीख : 19 मार्च । जगह : लोकसभा

गुरुवार कोदुष्यंत फिर लोकसभा पहुंचे थे। इस बार उन्होंने टूरिज्म का मुद्दा उठाया था।

डेरेक ने कहा- संसद सत्र स्थगित कर दें
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा- ‘‘यह सरकार सभी को खतरे में डाल रही है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि सेल्फ आइसोलेट करो। लेकिन संसद चल रही है। मैं दुष्यंत के साथ एक दिन ढाई घंटे तक बैठा था। बताया जा रहा है कि दो और सांसद सेल्फ आइसोलेशन में हैं। मौजूदा संसद सत्र को स्थगित कर देना चाहिए।’’ इसके बाद डेरेक ने भी खुद को सेल्फ आइसोलेट कर लिया।

वसुंधरा ने कहा- मैं और दुष्यंत आइसोलेशन में हैं

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सांसद अनुप्रिया पटेल ने भी कहा- मैं सेल्फ आइसोलेशन में जा रही हूं
अपना दल की अध्यक्ष और मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल भी सेल्फ आइसोलेशन में चली गई हैं।

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फोटो 18 मार्च की है। जिसमें दुष्यंत सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के ठीक पीछे खड़े हैं।




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फरवरी में 3 मरीज थे; महीनेभर तक कोई मामला नहीं आया, 2 मार्च के बाद 320 मामले आए, पिछले 10 दिन में ही 454% की बढ़ोतरी

नई दिल्ली.देश में कोरोनावायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। उसके बाद 1 और 2 फरवरी को भी केरल में 1-1 मरीज मिला। ये तीनों मरीज कुछ ही समय में ठीक हो गए। इसके बाद पूरे महीनेभर देशभर में एक भी कोरोनावायरस का नया मामला नहीं आया। लेकिन, 2 मार्च के बाद से मामलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती गई। 2 मार्च को कोरोनावायरस के 5 मामले (इसमें 3 केरल के केस, जो अब ठीक हो चुके हैं) थे। इसके बाद 21 मार्च तक 320 नए मामले सामने आए। पिछले 10 दिन में ही 11 मार्च से 21 मार्च के बीच देश में कोरोना के मामलों में 454% की बढ़ोतरी हुई है। 11 मार्च को 71 मामले थे और 21 मार्च को रात 11 बजे तक कुल 323 केस हो गए। संक्रमण के चलतेदेश में 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। अब तक सबसे ज्यादा 64मामले महाराष्ट्र में आए हैं। उसके बाद केरल (52 मामले) और दिल्ली (26 मामले) हैं। अभी तक जितने भी लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं, उनमें से ज्यादातर की ट्रैवल हिस्ट्री रही हैयानी ये लोग हाल में विदेश से लौटे थे।

मार्च के पहले हफ्ते में 36 नए मामले आए थे, तीसरे हफ्ते में 176 नए मामले मिले

देश में कोरोनावायरस के नए मामले 2 मार्च के बाद से ही बढ़ने शुरू हो गए। मार्च के पहले हफ्ते यानी 2 मार्च से 8 मार्च के बीच कोरोनावायरस के 36 नए मामले सामने आए थे।दूसरे हफ्ते यानी 9 मार्च से 15 मार्च के बीच 70 नए मामले सामने आए। लेकिन, तीसरे हफ्ते यानी 16 मार्च से 21 मार्च के बीच 181 नए मामले सामने आ चुके हैं। शनिवार को ही शाम 7:30बजे तक 57 नए मामले सामने आ गए।

ईरान में सबसे ज्यादा 255 भारतीय कोरोना संक्रमित

18 मार्च को लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन के दिए जवाब के मुताबिक, 7 देशों में 276 भारतीय कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। ईरान में सबसे ज्यादा 255 भारतीय कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। उसके बाद यूएई है, जहां 12 भारतीय संक्रमित हैं।

देश

कोरोना से संक्रमित भारतीय

ईरान 255
यूएई 12
इटली 5
हॉन्ग कॉन्ग 1
कुवैत 1
रवांडा 1
श्रीलंका 1

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# दुष्यंत ने 13 मार्च को सिंगर कनिका के साथ पार्टी की, उसके बाद 3 दिन लोकसभा गए, 18 तारीख को यूपी-राजस्थान के 96 सांसदों के साथ राष्ट्रपति से भी मिले



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मार्च के 27 दिनों में चीन में कोरोना के 1.7% केस आए, 383 मौतें हुईं; दुनिया में 573% मामले बढ़े और 27 हजार की जान गई

नई दिल्ली.दुनिया के लिए मार्च का महीना बेहद खराब रहा। वो इसलिए, क्योंकि मार्च के 27 दिनों में दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामले 573% बढ़ गए। लेकिन इसी दौरान जिस चीन से ये वायरस निकला, वहां सिर्फ 1.7% ही नए मामले आए। 1 मार्च तकदुनियाभर में 88 हजार 585 और चीन में 80 हजार 26 मामले थे। इस तरह से उस समय दुनिया के कुल मामलों में चीन की हिस्सेदारी 90% तक थी। लेकिन 27 तारीख तक दुनिया में कोरोना के 5.96 लाख और चीन में 81 हजार 394 मामले हो गए। अब कुल मामलों में चीन की हिस्सेदारी घटकर 15% से भी कम हो गई।

मौतें : दुनिया में 27 दिन में मौतों का आंकड़ा 798% बढ़ा, चीन में 13% ही
मार्च के इन 27 दिनों में मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता रहा। 1 मार्च तक दुनियाभर में 3 हजार 50 मौतें हुई थीं, उनमें से 95% से ज्यादा यानी 2 हजार 912 मौतें अकेले चीन में हुई थी। इसके बाद 27 मार्च तक चीन में मौत का आंकड़ा बढ़कर 3 हजार 295 पर पहुंच गया, लेकिन दुनियाभर में ये आंकड़ा 798% बढ़कर 27 हजार 371 पर आ गया।

रिकवरी : चीन में अब तक 92% मरीज ठीक हुए, दुनिया में यही आंकड़ा 22% का
चीन में कोरोनावायरस का पहला केस 27 दिसंबर को सामना आया था। उसके बाद से 27 मार्च तक चीन में 81 हजार 394 मामले आ चुके हैं। इनमें से 92% यानी 74 हजार 971 मरीज ठीक भी हो गए। जबकि, 3 हजार 295 मरीजों की मौत हो गई। जबकि, दुनियाभर में अब तक 5.96 लाख मामले मिले हैं, जिनमें से 22% यानी 1.33 लाख से ज्यादा मरीज ही रिकवर हुए हैं।

और भारत में : 885 नए मरीज आए, 22 मौतें हुईं

मार्च का महीना हमारे देश के लिए भी बहुत खराब रहा। देश में कोरोनावायरस का पहला केस 30 जनवरी को केरल में आया था। उसके बाद 1 और 2 फरवरी को भी केरल से ही 1-1 केस और आए। लेकिन कुछ ही समय में ये तीनों मरीज ठीक भी हो गए। लेकिन मार्च के महीने में देश में 2 मार्च के बाद से रोजाना मामले बढ़ते गए। इस महीने 27 मार्च तक देश में 886 मामले आए। इस दौरान 22 मौतें भी हुईं।

इस महीने सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में बढ़े, लेकिन सबसे ज्यादा मौतें इटली में हुईं

देश मामले बढ़े मौतें हुईं
अमेरिका 1.04 लाख+ 1,695
इटली 85,370 9,105
स्पेन 65,661 5,138
जर्मनी 50,792 351
फ्रांस 32,864 1,993


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In 27 days of March, 1.7% of Corona cases occurred in China, 383 deaths occurred, but 573% cases increased in the world and 27 thousand deaths occurred.




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द्वारका से 1700 लोगों को बसों से घर तक छोड़ा गया, उज्जैन में भी प्रशासन की मदद से यात्री बाहर भेजे गए; अजमेर शरीफ में अब तक 3500 जायरीन फंसे हुए हैं

देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या जैसे ही 100 के पार हुई थी, ठीक वैसे ही केन्द्र समेत अलग-अलग राज्य सरकारें एक्शन में आने लगीं थीं। स्कूल, कॉलेज, पर्यटन स्थलों, रेस्त्रां, बार को बंद किया जाने लगा था। 15 मार्च के बाद अलग-अलग राज्यों में मंदिर-मस्जिद में भी एंट्री बैन होने लगी। हालांकि कुछ जगहों पर लोग मंदिरों में पूजा और मस्जिदों में इबादत के लिए अच्छी संख्या में जुटते रहे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ और फिर एक के बाद एक सैकड़ों शहर लॉकडाउन होते गए। 2 दिन बाद यानी 25 मार्च को पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। ऐसे में धर्म स्थलों के दरवाजे तो बंद हो गए लेकिन यहां पहुंचे हजारों लोग अपने घर नहीं लौट पाए। कुछ जगहों पर प्रशासन की मदद से लोगों को उनके शहर तक छोड़ दिया गया लेकिन कई जगहों पर सैकड़ों की तादाद में लोग अब भी फंसे हुए हैं। दैनिक भास्कर के 10 रिपोर्टरों की इस ग्राउंड रिपोर्ट में आप काशी से लेकर अजमेर तक और वैष्णोदेवी से लेकर तिरूपति तक देश के बड़े धार्मिक स्थलों के ताजा हालातों के बारे में पढ़ेंगे...

अजमेर से विष्णु शर्मा...

ख्वाजा शरीफ की दरगाह पर चादर चढ़ाने आए साढ़े 3 हजार जायरीन अभी भी फंसे हुए हैं
केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद 20 मार्च को जुमे की नमाज के बाद ही दरगाह शरीफ परिसर को पूरी तरह से खाली कर दिया गया था। यहां रोजाना की रस्म अदायगी के लिए दरगाह कमेटी के लोगों को विशेष पास दिए गए है।दरगाह पर तो ज्यादालोग नजर नहीं आते लेकिन इसके आसपास की होटलों, गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं में करीब 3500 लोग फंसे हुए हैं। जनता कर्फ्यू (22 मार्च) के बाद से ही ये लोग यहां से निकल नहीं पाए।

दरगाह शरीफ के 11 गेटों में से सिर्फ 2 गेट ही खुले हैं।रोजाना की रस्म अदायगी के लिए कुछ लोगों को पास दिए गए हैं।

दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान ने केंद्र और राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर इन लोगों के अजमेर में फंसने की जानकारी दी थी, साथ ही इनके ठहरने, खाने-पीने की व्यवस्था करने की भी गुजारिश की थी। दरगाह थाना प्रभारी हेमराज सिंह चौधरी के मुताबिक, सभी लोगों पर निगरानी है। फिलहाल किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं। हर दिन दरगाह प्रबंधन और मस्जिदों से अनाउंसमेंट कर लोगों से अपील की जा रही है कि अगर किसी में कोरोना के लक्षण नजर आए तो वे तत्काल प्रशासन को सूचना दें। कुछ के टेस्ट भी किए गए, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आई है।


वाराणसी से अमित मुखर्जी...

काशी विश्वनाथ मंदिर 20 मार्च से बंद है, घाटों पर सिर्फ एक-एक व्यक्ति गंगा आरती करता है
बनारस के दशाश्वमेध घाट पर 30 सालों से हो रही गंगा आरती इन दिनों सिर्फ सांकेतिक रूप से हो रही है। जिस आरती में सात पंडित या अर्चक होते थे, वहां अब सिर्फ एक व्यक्ति होता है। बिना किसी भजन या संगीत के आरती होती है।यही हाल अस्सी घाट पर होने वाली सुबह की आरती का भी है।

18 मार्च से ही काशी केदशाश्वमेध घाट पर एक ही व्यक्ति गंगा आरती करते हुए नजर आता है।

इन घाटों और आरतीयों को देखने आए 435 यात्री यहां फंसे हुए हैं, इनमें 35 विदेशी और 400 भारतीय हैं। होटलों और आश्रमों में ठहरे इन लोगों की लगातार मॉनिटरिंग हो रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर,संकट मोचन मन्दिर,सारनाथ,म्यूजियम में लोगों की एंट्री बैन है। 17 मार्च से ही विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन और गर्भ गृह में प्रवेश बन्द कर दिया गया था और फिर 20 मार्च से पूरे मंदिर को ही बंद कर दिया गया।

उज्जैन से राजीव तिवारी...

23 मार्च से सभी श्रद्धालुओं को जिले की सीमा से बाहर भेजना शुरू किया गया
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एकमहाकाल के साथ-साथ उज्जैन में कई प्राचीन मंदिर हैं। आम दिनों मेंयहां की होटलों, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में भी लोगों की अच्छी खासी भीड़होतीहैलेकिन लॉकडाउन के बाद ये सब खाली है। जनता कर्फ्यू (22 मार्च) केदो दिन पहले ही प्रशासन ने महाकाल, हरसिद्धि, कालभैरव, मंगलनाथ सहित शहर के सभी मंदिर सील कर दिए थे और फिर 22 मार्च की रात से ही जिले को लॉकडाउन कर दिया गया। 23 मार्च को सभी श्रद्धालुओं को जिले की सीमा से बाहर भेजना शुरू किया गया। 300 श्रद्धालु ऐसे थे, जिन्हें साधन नहीं मिले तो प्रशासन ने अपने वाहनों से व्यवस्था कर उनके शहर-गांव भेज दिया।

मंदिरों की नगरी उज्जैन में हर दिन 20 हजार लोग महाकाल समेत अन्य मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। 20 मार्च से यहां के सभी मंदिर बंद हैं।

107 श्रद्धालु जो गरीब हैं और अपने घर नहीं जा सकते थे, उन्हें नगर निगम के रैन बसेरों में ठहराया गया है। इनके खाने-पीने का इंतजाम नगर निगम कर रहा है। इनकी स्क्रीनिंग हुई है, इनमें से दो में कोरोना के लक्षण मिले हैं, जिन्हें माधव नगर अस्पताल में भर्ती किया गया है।

अमृतसरसे बलराजमोर...

एक चीनी और आठ पाकिस्तानियों समेत 200 से ज्यादा यात्री मौजूद हैं
अमृतसर में 200 यात्री मौजूद हैं, इनमें आठपाकिस्तानी और एक चीनी नागरिक भी शामिल हैं। दरबार साहिब की सराय गुरु रामदास में 150 लोग ठहरे हैं। सभी के स्क्रीनिंग टेस्ट हो चुके हैं, कोई भी पॉजिटिव नहीं पाया गया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने 28 मार्च को श्री दरबार साहिब में फंसे लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए विशेष बसें चलाई और दिल्ली, शाहजहांपुर और बठिंडा के लिए चार बसों को रवाना किया। इसी तरह 30 मार्च को अमृतसर से 180 लोग मलेशिया के लिए रवाना हुए। इनमें से ज्यादातर भारतीय मूल के लोग हैं, जिन्हें मलेशिया की नागरिकता हासिल है। मलेशिया सरकार ने इन्हें वहां बुलाने के लिए विशेष विमान भेजा था। इंटरनेशनल फ्लाइट्स रद्द होने के कारण वे यहां फंसे थे।

एक मुस्लिम सूफी संत ने 1588 ईस्वी में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी थी। करीब 200 साल बाद राजा रणजीत सिंह ने इसके एक खास हिस्से पर सोने की परत चढ़वाई।


शिरडी से आशीष राय...

मंदिर के पुजारी तय समय पर आते हैं, मास्क लगाकर आरती करते हैं और चले जाते हैं
साईं बाबा के इस प्रसिद्ध मंदिर के कपाट आम लोगों के लिए 17 तारीख की शाम 3 बजे के बाद से बंद हैं। यहां कोई भी श्रद्धालु नहीं है। मंदिर के पास स्थित ट्रस्ट का हॉस्पिटल खुला हुआ है, जहां स्टाफ और कुछ मरीज हैं। मंदिर के प्रसादालय में सिर्फ मेडिकल और सिक्यूरिटी स्टाफ के लिए खाना बनता है। मंदिर के पुजारी तय समय पर आते हैं, आरती करते हैं और चले जाते हैं। इस दौरान वहां मौजूद स्टाफ मास्क लगाकर दूर-दूर खड़े रहते हैं।

शिरडी के साईं मंदिर में पिछले साल 1 करोड़ 63 लाख भक्त आए थे। यानी हर दिन करीब 45 हजार लोग यहां साईं बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। पिछले 18 दिनों से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।

द्वारका से जिग्नेश कोटेजा...

22 बसों से 1700 लोगाें को उनके शहर भेजा गया
जहां हमेशा “जय द्वारकाधीश” के स्वर गूंजा करते थे, वहां अब केवल पक्षियों के कलरव ही सुनाई दे रहे हैं। यहां सभी मंदिर बंद है। सुबह-शाम पुजारी आते हैं ओर पूजा करके चले जाते हैं। बिहार के 100 और कोलकाता के 28 यात्री यहां के सनातन सेवा मंडल आश्रम में ठहरे हुए हैं। जबकि 1700 लोगों को लॉकडाउन के बाद द्वारका प्रशासन ने 22 बसों से उनके शहर पहुंचाया। यहां 100 से ज्यादा होटलें हैं, सभी को खाली करवाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें सेनटाइज किया है।

द्वारकाधीश मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के 4 धामों में से एक है। श्री कृष्ण भगवान का यह मंदिर करीब 2500 साल पुराना माना जाता है।

पुरी से सरत कुमार पात्रा...

15 हजार टूरिस्ट को चेक पोस्ट पर रोका, प्रशासन ने ट्रेन-फ्लाइट टिकट बुक करने में मदद की
कोरोना का फैलाव रोकने के लिए पुरी प्रशासन ने 17 तारीख को एडवाइजरी जारी की थी। उसी दिन से होटल, लॉज खाली करवाने और अगले आदेश तक कोई भी नई बुकिंग नहीं लेने के निर्देश दिए गए थे। इससे पहले 15 से 17 मार्च के बीच करीब 15 हजार टूरिस्ट को शहर के बाहर ही चेकपोस्ट बनाकर लौटा दिया गया था। जिला प्रशासन ने ट्रेन और फ्लाइट के टिकट बुक करने में यात्रियों की मदद भी की थी। जब सभी टूरिस्ट को यहां से लौटा दिया गया तो एक होटल में तीन विदेशी टूरिस्ट छिपे थे। होटल ने उनके होने की बात छिपाई थी। जिसके बाद पुलिस ने होटल को सील कर उन टूरिस्ट को दिल्ली भेज दिया।

पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी चार धामों में से एक है। यहां की रथयात्रा दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

वैष्णोदेवी से मोहित कंधारी...

चैत्र नवरात्र में मातावैष्णो देवी के दर्शन के लिए 35 से 40 हजार यात्री आते हैं, लेकिन इस साल यह पूरे नौ दिन बंद रहा
माता वैष्णोदेवी की यात्रा रोकने के ठीक एक दिन पहले 17 मार्च को श्राइन बोर्ड में 14 हजार 816 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। दर्शन के बाद इनमें से ज्यादातर लोग कटरा रेलवे स्टेशन से अपने घरों के लिए लौट गए। कुछ जो आसपास के इलाकों में घूमने निकले थे, उन्हें अथॉरिटी ने घर लौटने को कहा। नवरात्र में आमतौर पर यहां 35 से 40 हजार यात्री आते हैं। जबकि इस साल यात्रा पूरे नौ दिन बंद रही।

कटरा से 12 किमी दूर मां वैष्णोदेवी का मंदिर है। यह समुद्रतल से 5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

तिरुपति से बीएस रेड्‌डी...

बालाजी मंदिर मेंदर्शन बंद हैं लेकिन पूरे समय एक हजार सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं
तिरुपति बालाजी मंदिर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद ही ट्रस्ट के 16 हजार से ज्यादा कर्मचारी जो मंदिर के आसपास या तिरुमाला पहाड़ पर रहते थे, उन सभी को परिवार सहित नीचे बनें आश्रमों में भेज दिया गया। करीब 1000 कर्मचारी बारी-बारी से 7-7 दिनों के लिए मंदिर की सुरक्षा और देखरेख के लिए ऊपर ही रहते हैं। इनमें सेना के रिटायर्ड अफसर और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। इन सभी लोगों को चेकअप के बाद ही ऊपर भेजा जाता है और जब यह 7 दिन के बाद वापस लौटते हैं तो दोबारा जांच की जाती है। इसके बाद फिर नए दल को तैयार कर 1000 लोगों को अगले 7 दिन के लिए भेजा जाता है।

तिरुपति देवस्थानम तिरुमाला (आंध्रप्रदेश) के श्री वेंकटेश्वर स्वामी का यह मंदिर उत्तर भारत में तिरुपति बालाजी नाम से ही प्रसिद्द है। यह भारत में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला धार्मिक स्थल है।

मंदिर में बाहरी लोगों का दर्शन के लिए आना बंद है। हर दिन सिर्फ भगवान की पूजा के लिए अखंड दीप और भोग चढ़ाने के लिए पुजारी मंदिर में जाते हैं। लॉकडाउन खुलने पर मंदिर और पर्वत का पक्षालन किया जाएगा यानी वैदिक विधान से चारों ओर गंगाजल से सफाई की जाएगी। इसके बाद ही दर्शन के लिए इसे खोला जाएगा। ऐसा सूर्यग्रहण के बाद भी किया जाता है।

अयोध्या से भास्कर रिपोर्ट...

लॉकडाउन होने के दो दिन पहले ही रामनवमी मेले पर प्रतिबंध लगाने के आदेश आ गए थे
मंदिर से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद इस साल आयोध्या में रामनवमी की भव्य तैयारियां थी। लेकिन रामनवमी मेले पर प्रतिबंध का आदेश लॉकडाउन होने के दो दिन पहले ही जारी कर दिया गया था। यहां सख्ती से धारा 144 लागू है। लॉकडाउन से पहले दो दिनों के अंदर ही अन्य राज्यों सेअयोध्या पहुंचे पर्यटक वापस लौट गए। हालांकि इसके बावजूद अयोध्या में अब तक 4 हजार लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है, इनमें से 266 लोग विदेश से लौट कर अयोध्या पहुंचे हैं।

भगवान राम की इस नगरी में धुमधाम से रामनवमी मनाने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना के चलते यहां की गलियां तक सूनसान हैं।

यहां के जैन मंदिर में एक महिला की मौत लॉकडाउन के दौरान हो गई थी। उसके अंतिम संस्कार में शामिल 27 लोंगों को जैन मंदिर में ही क्वारेंटाइन किया गया है।



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Coronavirus Shrine (Mandir) Ground Report Latest; Gujarat Dwarkadhish Temple, Ujjain Mahakal Mandir




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दूरदर्शन पर "बुनियाद'

आजकल दूरदर्शन अपने पुराने कार्यक्रमों का पुन: प्रसारण कर रहा है। मनोहर श्याम जोशी की लिखी और रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित ‘बुनियाद’ देश के विभाजन के समय एक परिवार की कथा प्रस्तुत करता है। आलोकनाथ एवं अनिता कंवर ने केंद्रीय भूमिकाएं अभिनीत की हैं। कार्यक्रम में प्रस्तुत कालखंड विभाजन पूर्व से प्रारंभ होकर स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद के पहले दशक तक जाता है। रमेश सिप्पी ने इसके 40 एपिसोड निर्देशित किए थे। उनके सहायकों ने शेष एपिसोड्स निर्देशित किए थे। व्यापारी परिवार के मुखिया हवेलीराम हैं। उनकी संपत्ति में निरंतर इजाफा हो रहा है। मुखिया के दो पुत्र और एक पुत्री है। पुत्री का नाम वीरांवाली है और पुत्र हवेलीराम, रलिया राम हैं। भाई आत्मानंद स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेता है। उसकी भांजी लाजवंती का विवाह उसके लालची चाचा उम्रदराज व्यक्ति से करा देते हैं। दूल्हा इतनी बड़ी ‌उम्र का है कि विवाह की रात ही लाजवंती विधवा हो जाती है।

विधवाओं के साथ हमारा व्यवहार कभी अच्छा नहीं रहा। दीपा मेहता की फिल्म ‘वॉटर’ में इसका मार्मिक चित्रण है। वीरांवाली लाजवंती की सहेली है, आत्मानंद के अनुयायी हवेलीराम लाजवंती को पढ़ाने जाते हैं। हवेलीराम के परिवार को इस पर सख्त ऐतराज है। उसकी मां उसे समझाती है कि लाजवंती के सम्मान के लिए उसे उससे दूर रहना चाहिए, अन्यथा अफवाहें फैलेंगी। ज्ञातव्य है कि दूरदर्शन पर मनोहर श्याम जोशी का लिखा ‘हमलोग’ दिखाया गया था। इस सीरियल में निम्न, मध्यम वर्ग के पात्रों की कठिनाइयों को प्रस्तुत किया गया था। बड़ी पुत्री को बड़की कहा जाता है और उसके विवाह के प्रसंग को प्रसारित किए जाने वाले दिन अवाम अपनी दुकानें बंद करके घर लौट आए थे। दूरदर्शन ने मनोहर श्याम जोशी को ‘सोप ओपेरा’ विधा के अध्ययन के लिए ब्राजील भेजा। घर की कामकाजी स्त्रियों के मनोरंजन के लिए यह दोपहर में प्रसारित किया जाता था। संभवत: साबुन बनाने वाली कंपनी प्रायोजक थी। सोप ओपेरा रेडियो पर प्रसारित किए जाते थे। ब्राजील में इसे ‘टेलीनावेला’ कहा गया। इस विधा का प्रारंभ 1931 में हुआ था।

मनोहर श्याम जोशी ने अपनी विदेश यात्रा में इस विधा का अध्ययन किया। उन्हें यह लगा कि विधा मुर्गी के दड़बे की तरह है और पात्र चूजों की तरह बाहर आते हैं। मुर्गी को आसानी से पकड़ा जा सकता है। ज्ञातव्य है कि किशोर कुमार की फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ के एक दृश्य में नायिका मधुबाला किशोर कुमार को मुर्गी पकड़ने के लिए कहती है। यह अत्यंत मनोरंजक दृश्य रहा। रलिया राम और हवेलीराम के पिता का नाम लाहौरी राम है। सुधीर पांडे ने इस पात्र को अभिनीत किया था।
उन्होंने ‘टॉयलेट एक प्रेमकथा’ में परंपरावादी और जिद्दी ब्राह्मण की भूमिका अभिनीत की थी। मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कसप’ अत्यंत लोकप्रिय हुआ। उनके आत्म कथात्मक उपन्यास ‘कुरु कुरु स्वाहा’ में उन्होंने अपने तीन स्वरूप प्रस्तुत किए। मनोहर चंचल है, जोशीजी संस्कृत के विद्वान हैं और श्याम प्रेमालू व्यक्ति है। उपन्यास विधा में यह अभिनव प्रयास माना गया। दरअसल हर आदमी में दस आदमी मौजूद रहते हैं। इस उपन्यास की नायिका को ‘पहुंचेली’ कहकर संबोधित किया गया है। मनोहर श्याम जोशी को शास्त्रीय संगीत का ज्ञान था। खाकसार का उनके साथ परिचय था। ‘बुनियाद’ बनते समय उन्होंने रमेश सिप्पी से आग्रह किया कि खाकसार से संपर्क करा दें। रमेश सिप्पी ने रणधीर कपूर के माध्यम से मुझसे संपर्क किया। खाकसार मनोहर श्याम जोशी को राज कपूर के घर ले गया। मनोहर श्याम जोशी के संगीत ज्ञान से राज कपूर प्रभावित हुए और उनसे पटकथा लिखने का अनुरोध भी किया। ‘मैं कौन हूं’ नामक इस प्रस्तावित फिल्म का कथासार यह था कि मुंबई के ठाणे स्थित पागलखाने में एक महिला हमेशा यही बात कहती है कि ‘कत्ल उसने नहीं किया’।

मनोहर श्याम जोशी को बंगाल के बाउल गीतों की जानकारी थी। कुछ कारणों से पटकथा नहीं लिखी गई। ‘बुनियाद’ में सोनी राजदान ने अभिनय किया था। महेश भट्‌ट और सोनी की पुत्री आलिया आज लोकप्रिय सितारा है और रणबीर कपूर से उसका विवाह हो सकता है। व्यापारी लाहौरी राम की हवेली ‘कूचा ए राधाकिशन’ में स्थित है और आत्मानंद का घर ‘बिछौलीवाली गली’ में है। इस घर में एक तहखाना है। देश के विभाजन के समय हवेलीराम तलघर में छिप गए थे। दंगे-फसाद के समय घर में उनकी घड़ी और चश्मा मिलता है। उन्हें मृत मान लिया जाता है, परंतु कथा के अंत समय वे दिल्ली के शरणार्थी कैंप में मिलते हैं।

बहरहाल, पुन: प्रसारण के दौर में कुंदन शाह और अजीज मिर्जा का ‘नुक्कड़’, सतीश शाह एवं रत्ना पाठक अभिनीत ‘सारभाई वर्सेस साराभाई’ और शरद जोशी का लिखा ‘यह जो है जिंदगी’ भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए।



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‘बुनियाद’ में अनिता कंवर और आलोकनाथ