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जेईई मेंस के एक महीने बाद 23 अगस्त को होगी होगी जेईई एडवांस: एचआरडी मिनिस्टर ने की घोषणा

(प्रवीण जैन)।लॉकडाउन के चलते जेईई मेंस के बाद अब जेईई एडवांस 23 अगस्त को आयोजित की जाएगी। यह परीक्षा एक महीने के अंतराल के बाद होगी। इस संबंध में सेंट्रल एचआरडी मिनिस्टरडॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी दी।

ट्वीट मेंमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने लिखा कि जेईई मेन परीक्षा तिथि की घोषणा के बाद गुरुवार को जेईई एडवांस की परीक्षा तिथि 23-8-2020 तय कर दी गई है। मैं इस परीक्षा में शामिल होनेवाले सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं।

12 हजार 463 सीटों के लिए होगी परीक्षा

एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि जेईई मेंस की तिथि जारी होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री ने आईआईटी की 12 हजार 463 सीटों के लिए होने वाली जेईई एडवांस परीक्षा तिथि जारी कर दी है। उन्होंने बताया कि यह परीक्षा दो पारियों में होगी।

हालांकि रात कोजेईई एडवांस का ऑफिशियल नोटिफिकेशन वेबसाइट पर जारी नहीं हुआ। स्टूडेंट्स वेबसाइट को तलाश करने में लगे रहे। एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि पहले एडवांस परीक्षा 17 मई को की जानी प्रस्तावित थी। इसमें पहला पेपर सुबह प्रथम नौसे 12 तथा दूसरा पेपर दोपहर 2:30 से 5:30 बजे निश्चित किया था।



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मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल।




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नादौती तहसील क्षेत्र में आज से तीन दिन 3 घंटे पावर कट

नादौती तहसील क्षेत्र के 11 केवी बिजली ग्रिड के तीन फीडर की बिजली सप्लाई शुक्रवार से 3 दिन तक तीन घंटे बंद रहेगी। बिजली निगम के कनिष्ठ अभियंता राजकुमार मीना ने बताया कि 11 केवी फीडर चिरांवडा, गुढ़ाचन्द्रजी, तालचिड़ा क्षेत्र में लाइन स्पर्श करने वाले पेड़ की कटिंग का कार्य शुक्रवार से रविवार तक किया जाएगा। इस दौरान सुबह 7 से 10 बजे बिजली सप्लाई बंद रहेगी।



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काेरोना से मरने वाली वृद्धा के संपर्क में आए 13 परिजन, 10 पड़ौसी, 5 स्वास्थ्यकर्मी क्वारेंटाइन किए

सपोटरा उपखंड के कुडगांव के पास बालाजी बैरवा बस्ती रुंडी का पुरा की 67 वर्षीय वृद्धा की एसएमएस अस्पताल जयपुर में उपचार के दौरान मौत हो गई। इसके बाद वृद्धा की जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई, जिससे प्रशासन हड़कंप मचा गया व लोगों में भय व्याप्त हो गया। गुरुवार सुबह जिला प्रशासनिक अधिकारी कस्बे में पहुंचे और सुरक्षा व्यवस्थाओं के इंतजामात को लेकर तहसील कार्यालय में अधिकारी कर्मचारियों की बैठक लेकर क्षेत्र का दौरा किया। वहीं कुड़गांव व सलेमपुर क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है।मौत के बाद वृद्धा की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने से जिला प्रशासन हरकत में आ गया और गुरुवार सुबह कलेक्टर डॉ. एम.एल. यादव और पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल कुडगांव पहुंचे। यहां उप तहसील कार्यालय भवन में उपखंड अधिकारी कैलाश चंद शर्मा, तहसीलदार विष्णु चंद भारद्वाज, बीसीएमओ डॉ मुकेश मीना, कुडगांव चिकित्सा अधिकारी अमित कुमार उपाध्याय, थानाधिकारी ओमेंद्र सिंह सहित सभी अन्य विभागों के कर्मचारियों की बैठक ली, जिसमें सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर दिशा निर्देश दिए गए। इसके बाद जिला प्रशासनिक अधिकारी रुंडी का पुरा हनुमान मंदिर बैरवा बस्ती मृतक वृद्धा के मोहल्ले में पहुंचे। जहां गेट के बाहर से मृतका के घर में बैठे परिजनों से कलेक्टर और पुलिस ने गत एक माह में संपर्क होने वाले लोगों की हिस्ट्री के बारे में जानकारी ली गई। वही परिवार में देवस्थान भी बना हुआ है। जिसको लेकर भी प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके पास यहां आने वाले लोगों की भी जानकारी ली। सुरक्षा व्यवस्थाओं के इंतजाम को लेकर बस्ती का दौरा किया और सरपंच एवं सचिव को भोजन पानी की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी गई। जयपुर से पहुंची मेडिकल टीम की मौजूदगी और पुलिस सुरक्षा में हुआ अंतिम संस्कार स्वास्थ विभाग की जानकारी के अनुसार कुडगांव के पास रूंडी का पूरा हनुमान मंदिर बैरवा बस्ती की वृद्धा की मौत के बाद जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने से मृतक वृद्धा का अंतिम संस्कार जयपुर एसएमएस अस्पताल स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन सुरक्षा द्वारा कड़ी सुरक्षा के बीच करवाया गया। 28 लोगों को क्वॉरेंटाइन किया चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित कुमार उपाध्याय ने बताया कि वृद्धा की जयपुर एसएमएस अस्पताल में मृत्यु से पूर्व संपर्क में आने वाले 13 परिजन एवं 10 पड़ोसी और कुडगांव कस्बे के अस्पताल में वृद्धा का बीमारी के उपचार के दौरान संपर्क में आने वाले चिकित्सा कर्मियों को क्वॉरेंटाइन किया गया है। वही अन्य संपर्क वालों की जानकारी भी ली जा रही है। आसपास के गांवों में घर-घर होगा सर्वे चिकित्सा अधिकारी ने बताया की मृत्यु के बाद जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के कारण कि क्षेत्र के गावों में घर-घर सर्वे का कार्य शुरू करवा दिया गया है। जिसमें आंगनबाड़ी स्वास्थ्यकर्मी, आशा सहयोगिनी, मेल नर्स लगाए गए हैं।इनके द्वारा कार से आने वाले प्रवासी एवं सभी परिजनों की जांच की जाएगी। इस दौरान संदिग्ध पाए जाने वालों को लक्षणों के अनुसार क्वॉरेंटाइन एवं होम आइसोलेशन स्क्रीन जांच की व्यवस्था की जाएगी।



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13 relatives, 10 neighbors, 5 health workers came in contact with old woman who died from kerona




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नया पॉजिटिव नहीं, 136 में से 129 ठीक हुए

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में लगातार सुधार हो रहा हैं। यही कारण हैं टोंक शहर को छोड़कर कई जगहों पर लॉकडाउन में ढील मिलने से धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही हैं। हालांकि टोंक शहर में कर्फ्यू जारी हैं। जयपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों के रिकवर होने पर उन्हें डिस्चार्ज करने के बाद लापरवाही सामने आई हैं और मजबूरन डिस्चार्ज हुए सातों लोगों को निजी एंबुलेंस करके घर लौटना पड़ा।
दूसरी ओर गुरुवार को दिनभर में एक भी कोरोना पॉजिटिव नही मिलने से कुल संक्रमितों की संख्या 136 बनी हुई हैं। जयपुर में एक्विट 2 केस लगावा टोंक के सआदत अस्पताल में 5 कोरोना मरीज ही भर्ती हैं। बाकी 129 पहले ही पॉजिटिव से नेगेटिव आ चुके हैं। कलेक्टर केके शर्मा ने बताया कि जिले मे अब तक 3 हजार 990 लोगों के सेम्पल लिए गए हैं, इनमें 136 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वही 175 की जांच रिपोर्ट के परिणाम प्रतीक्षा में हैं। वही 76 लाेग क्वारेंटाइन सेन्टर में हैं। कलेक्टर ने बताया कि शहर में आठवें सर्वे राउण्ड के तहत सर्वे टीमों की ओर से कंटेनमेंट जोन में 1 लाख 48 हजार 21 घरों के 8 लाख 85 हजार 731 का सर्वे किए हैं। इनमें आइएलआइ के केस 1 हजार 160 हैं। बफर जोन में एक लाख 23 हजार 573 घरों के 7 लाख 21 हजार 25 व्यक्तियों का सर्वे में आइएलआइ के 224 केस मिले हैं। उन्होंने बताया कि आईएलआई मरीजों की क्लॉज मॉनिटरिंग की जा रही हैं। होम आइसोलेशन में 42 हजार 99 में से 38 हजार 459 व्यक्तियों ने होम आइसोलेशन की 14 दिन की अवधि पूर्ण कर ली हैं। फिलहाल 3 हजार 640 लोग होम आइसोलेशन में है। वही सीएमएचओ ने मोबाइल मेडिकल ओपीडी के माध्यम से अब तक 4 हजार 741 लोगों की जांच एवं उपचार किया जा चुका हैं। जिन्हें निशुल्क जांच व परामर्श के बाद जरुरी दवाएं भी वितरित की जाती हैं।



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Not new positive, 129 out of 136 corrected




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पंचायत सहायकों का कार्यकाल अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाया

शिक्षा विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी कर ग्राम पंचायत सहायकों का कार्यकाल 31 मार्च 2021 तक बढ़ाया है। प्रदेश में करीब 27 हजार पंचायत सहायक 6 हजार रुपए मासिक मानदेय पर काम कर रहे हैं। आदेश में ग्राम पंचायतों को कहा है कि वे अपनी निजी आय से पंचायत सहायकों के मासिक मानदेय का भुगतान करेंगी। छठे वित्त आयोग के गठन के बाद 2020-21 के लिए आयोग की अनुशंषा के अनुसार आगे निर्णय लिया जाएगा। पंचायत सहायकों का कार्य संतोषजनक होने का प्रमाणीकरण एवं उपस्थिति प्रमाण पत्र पीईईओ को उपलब्ध कराना होगा।



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प्रदेश के 33 में से 31 जिले संक्रमित;1 से 2 जिलों में संक्रमण फैलने में 17 दिन लगे, अगले 30 दिन में ही 20 और जुड़ गए

राजस्थान में कोरोना बढ़ रहा है... गुरुवार को सिरोही में एक मरीज मिलने के साथ ही अब कोरोना 33 में से 31 जिलों में पहुंच चुका है। सिर्फ श्रीगंगानगर और बूंदी में ही अब तक कोई केस नहीं आया है। चौंकाने वाली बात ये है कि प्रदेश में सबसे पहले 2 मार्च को जयपुर में पहला रोगी मिला था और इसके 17 दिन बाद दूसरा जिला भीलवाड़ा संक्रमित हुआ था। मगर इसके बाद अगले 30 दिन के अंदर ही 20 जिले और कोरोना की चपेट में आ गए। 6 से 12 जिलों तक संक्रमण फैलने में मात्र 9 दिन लगे। एक से 5 अप्रैल तक मात्र 5 दिन में ही जिले 12 से बढ़कर 21 हो गए। जालोर-सिरोही में मिले पहले रोगी प्रवासी हैं।
5 दिन नए रोगी नहीं मिले तो कैटेगरी बदलेंगे : मंत्री
कोटा में नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि अगर किसी भी इलाके में अगले पांच दिन केस नहीं आए तो उसकी कैटेगरी बदलेंगे। वहां से कर्फ्यू हटाया जाएगा। अधिकारियाें ने उन्हें बताया कि कोटा में अब तक 20 स्थान चिन्हित किए थे, जहां से रोगी मिल रहे थे। इनमें से 16 जगह पर अब भी कर्फ्यू लगा है। इन 16 में से भी 10 स्थान से अब मरीज नहीं आ रहे हैं। अगर अगले 5 दिन कोई केस न आया तो कर्फ्यू हटा लेंगे।
अब इन क्षेत्राें काे 5 दिनाें तक वाॅच किया जाएगा। इनमें यदि अब नया काेई केस नहीं आया ताे न केवल कर्फ्यू हटाया जाएगा बल्कि, इन्हें ऑरेंज जाेन में रखा जाएगा। साथ ही अधिकारियाें काे कहा गया कि वे टेस्टिंग की स्पीड बढ़ाए। जो इलाके कोरोनामुक्त हो चुके हैं, उनकी कैटेगरी बदली जाएगी।

जिलों में संक्रमण फैलने का ग्राफ अप्रैल में तेजी से बढ़ा। मार्च में 2 से 19 मार्च तक 17 जिन में एक से 2 जिले संक्रमण ग्रसित हुए। फिर 2 से छह मात्र 2 दिन में हो गए। 6 से 12 जिलों तक संक्रमण फैलने मात्र 9 दिन लगे। एक से 5 अप्रैल तक मात्र 5 दिन में ही जिले 12 से बढ़कर 21 हो गए। इसके बाद इक्का-दुक्का जिला जुड़ते गए। जिलों में संक्रमण फैलने का ग्राफ अप्रैल में तेजी।

67 दिन से सुरक्षित; श्रीगंगानगर-बूंदी में अभी तक कोई कोरोना रोगी नहीं

अब ग्रीन जोन में केवल दो जिले बचे हैं- श्रीगंगानगर और बूंदी। यहां अभी तक 67 दिन में कोई कोरोना रोगी नहीं मिला। हालांकि, संक्रमित होने वाले पांच जिले अब कोरोना मुक्त हो चुके हैं और दो जिलों में मात्र एक-एक रोगी बचा है। वह भी ठीक होने वाला है। ऐसे में 9 जिले संक्रमण फ्री होने की ओर हैं। चूरू, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, करौली और सवाई माधोपुर में सभी रोगी ठीक हो चुके हैं। अब वहां एक भी नया रोगी नहीं है। बीकानेर और प्रतापगढ़ में एक-एक रोगी है। इस लिहाज से प्रदेश के 24 जिलों में रोगी हैं।



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अब ग्रीन जोन में केवल दो जिले बचे हैं- श्रीगंगानगर और बूंदी। यहां अभी तक 67 दिन में कोई कोरोना रोगी नहीं मिला।




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पहली मौत के बाद 32 दिनों मे गई थी 50 लोगों की जान, अब सिर्फ 11 दिनों में 100 पर पहुंचा आंकड़ा

राजस्थान में शुक्रवार को मौत का कोरोना से मौत का आंकड़ा100 पर पहुंच गया। 100वीं मौत अजमेर में हुई। यहां 65 साल के एक खानाबदोशव्यक्ति नेदम तोड़ दिया। वह दो दिन पहले ही अजमेर के दरगाह के पास मिला था। यह इलाका संक्रमण का हॉट स्पॉट है। इसलिए, इसकी जांच कराई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। राजस्थान में संक्रमण से पहली मौत 26 मार्च को भीलवाड़ा में हुई थी। यहां एक ही दिन में दो संक्रमितों की जान गई थी। इसके बाद सेअब तक यानी 43 दिन में मौत का आंकड़ा 100 तक पहुंच गया।

राज्य में यूं बढ़ा मौत आंकड़ा

26 मार्च के बाद17 दिन में यानी 12 अप्रैल तक संक्रमण से मौत का आंकड़ा10 पर पहुंच गया। इसके बाद कोरोना से होने वाली मौतों में तेजी आने लगी।18 अप्रैल को राज्य में मौत की संख्या21 पहुंची। फिर24 अप्रैल यानी महज 6 दिन में यह आंकड़ा32 पर पहुंच गया। 22 अप्रैल कोजयपुर में 4 लोगों की मौत हुई। इसके बाद 26 अप्रेल को राज्य मेंएक सात लोगों की मौत के साथ आंकड़ा 41 पर पहुंच गया। राज्य में अब तक सबसे ज्यादा मोतें27 अप्रैल को हुई। इस दिन9 कोरोना संक्रमित लोगों की मौत हुई। इसके बाद आंकड़ा 50 पहुंच गया। जो कि अब8 अप्रैल को 100 पर पहुंच गया।

तीन गुनी रफ्तार से बढ़ी मौत
डराने वाली बात यह है किराजस्थान में मौत का आंकड़ा करीब तीन गुना कीरफ्तार से बढ़ा है। क्योंकि, 26 मार्च से 27 अप्रैल तक यानी 32दिनों मे 50 लोगों की मौत हुई। वहीं, इसके बाद महज 11 दिन में मौत की संख्या100 पर पहुंच गई।

सबसे ज्यादा 55 की जान जयपुर में गई

राज्य में हुई कुल मौतों में अब तक सबसे ज्यादाजयपुर में हुई है। अकेले जयपुर में 55 लोगों की संक्रमण से जान जा चुकी है। वहीं, जोधपुर में16, कोटा में10, अजमेर में 3, की जान जा चुकी है। इसके अलावा भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, नागौर, सीकर, भरतपुर में 2-2 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, करौली, प्रतापगढ़, अलवर, बीकानेर, सवाई माधोपुर और टोंक में संक्रमण से एक-एक मौत हो चुकी है।

20 साल से कम पांच की जान गई
अब तक हुई 100 मौतों में पांच की उम्र 20 साल से कम थी। इनमें एक 20 दिन का बच्चा भी है। हालांकि, इनकी मेडिकल हिस्ट्री थी या नहीं इस बारे में मेडिकल विभाग ने कुछ नहीं बताया है।



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अजमेर में काेराेना पाजिटिव की माैत के बाद माेर्चरी से शव काे ले जाते निगम के कर्मचारी।




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उदयपुर में सबसे ज्यादा 59 नए पॉजिटिव केस सामने आए, जयपुर में 34 और चित्तौड़गढ़ में 10 संक्रमित; तीन की मौत

राजस्थान में कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को कोरोना के 152 नए पॉजिटिव मामले सामने आए। जिसमें उदयपुर में 59, जयपुर में 34, चित्तौड़गढ़ में 10,कोटा में 9, जोधपुर में 9, अजमेर में 9, राजसमंद में 6, पाली में 5, भीलवाड़ा में 4,अलवरऔरझालावाड़ में 2-2, सिरोही,करौली और सीकर में 1-1 संक्रमित मिला।जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 3579 पहुंच गई।वहीं चार लोगों की मौत भी हो गई। जिसमें अजमेर में 2, जयपुर और जोधपुर में 1-1 की मौत हो गई। जिसके बाद कुल मौतों का आंकड़ा 103पहुंच गया।

इससे पहले गुरुवार को कोरोना के 110 केस पॉजिटिव आए। जिसमें जोधपुर में 30 लोग संक्रमित मिले। वहीं जोधपुर में ही बीएसएफ के 12 जवान भी पॉजिटिव पाए गए। इसके साथ जयपुर में 21 चित्तौड़गढ़ में 16, पाली में 10, अजमेर मे 5, उदयपुर में 5, धौलपुर में 4, अलवर और कोटा में 2-2, जालौर, राजसमंद और सिरोही में 1-1 संक्रमित मिला।

33 में से 31 जिलों में पहुंचा कोरोना
प्रदेश में संक्रमण के सबसे ज्यादा केस जयपुर में हैं। यहां 1149(2 इटली के नागरिक) संक्रमित हैं। इसके अलावा जोधपुर में 898 (इनमें 47 ईरान से आए), कोटा में 232, अजमेर में 196, टोंक में 136,नागौर में 119, चित्तौड़गढ़ में 126,भरतपुर में 116, बांसवाड़ा में 66,पाली में 55, जैसलमेर में 49 (इनमें 14 ईरान से आए),झालावाड़ में 47, झुंझुनूं में 42,भीलवाड़ा में 43, बीकानेर में 38, मरीज मिले हैं। उधर,उदयपुर में 79, दौसा औरधौलपुर में 21-21, अलवर में 20,चूरू में 14,राजसमंद में 13, हनुमानगढ़ में 11, सवाईमाधोपुर, डूंगरपुर औरसीकर में 9-9,करौली में 5, प्रतापगढ़औरजालौर में 4-4, बाड़मेर में 3कोरोना मरीज मिल चुके हैं। सिरोही में 2, बारां में 1संक्रमित मिला है। वहीं जोधपुर में बीएसएफ के 42 जवान भी संक्रमित हैं।

अब तक 103लोगों की मौत
राजस्थान में कोरोना से अब तक 103लोगों की मौत हुई है। इनमें 10 कोटा, 2 भीलवाड़ा, 2 चित्तौड़गढ़ 56जयपुर (जिसमें दो यूपी से), 17जोधपुर, 4अजमेर, दो नागौर, दो सीकर, दो भरतपुर, एक करौली, एक प्रतापगढ़, एक अलवर, एक बीकानेर, एक सवाई माधोपुर और एक टोंक में हो चुकी है।

राजस्थान; 1 से 2 जिले संक्रमित होने में 17 दिन लगेे, 30 दिन में ही 20 और जुड़ गए

सिरोही में एक मरीज मिलने के साथ ही अब कोरोना 33 में से 31 जिलों में पहुंच चुका है। सिर्फ श्रीगंगानगर और बूंदी में ही अब तक कोई केस नहीं आया है। चौंकाने वाली बात ये है कि प्रदेश में सबसे पहले 2 मार्च को जयपुर में पहला रोगी मिला था और इसके 17 दिन बाद दूसरा जिला भीलवाड़ा संक्रमित हुआ था। मगर इसके बाद अगले 30 दिन के अंदर ही 20 जिले और कोरोना की चपेट में आ गए। 6 से 12 जिलों तक संक्रमण फैलने में मात्र 9 दिन लगे। एक से 5 अप्रैल तक मात्र 5 दिन में ही जिले 12 से बढ़कर 21 हो गए। जालोर-सिरोही में मिले पहले रोगी प्रवासी हैं।

67 दिन से सुरक्षित; श्रीगंगानगर-बूंदी में अभी तक कोई कोरोना रोगी नहीं
अब ग्रीन जोन में केवल दो जिले बचे हैं- श्रीगंगानगर और बूंदी। यहां अभी तक 67 दिन में कोई कोरोना रोगी नहीं मिला। हालांकि, संक्रमित होने वाले पांच जिले अब कोरोना मुक्त हो चुके हैं और दो जिलों में मात्र एक-एक रोगी बचा है। वह भी ठीक होने वाला है। ऐसे में 9 जिले संक्रमण फ्री होने की ओर हैं। चूरू, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, करौली और सवाई माधोपुर में सभी रोगी ठीक हो चुके हैं। अब वहां एक भी नया रोगी नहीं है। बीकानेर और प्रतापगढ़ में एक-एक रोगी है। इस लिहाज से प्रदेश के 24 जिलों में रोगी हैं।



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तस्वीर जयपुर परकोटे की है। जहां पुलिस लगातार गश्त कर रही है।




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15 राज्यों में फंसे जिले के 350 लोग लौटेंगे इधर बार्डर पर जरूरी उपकरण व किट नहीं

स्वास्थ्य और पुलिस विभाग पर पूरे जिले को कोरोना वायरस से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लॉकडाउन के तीसरे फेस तक इनके पास सुरक्षा के लिए कोई उपकरण नहीं है। बार्डर में बैरियर बनाकर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अफसर-कर्मियों को तैनात को कर दिया है, लेकिन उनके पास बीमारी के प्राथमिक लक्षण की पहचान करने तापमान मापक यंत्र तक नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मी सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की ही जानकारी जुटा रहे हैं। वहीं अब दिल्ली, महराष्ट, गुजरात, पंजाब समेत 15 राज्यों से जिले में 350 से अधिक की लोगों के आने की संभावना है। वे खड़गवां धनपुर, कोड़ा और जरौंधा से दाखिल हो सकते हैं। कोरिया जिले से बाहर गए लोगों की जनपद द्वारा सूची तैयार कराई गई। इसमें अब तक 350 लोगों के खड़गवां ब्लाॅक की ओर से जिले में घुसने की संभावना है। इसे देखते हुए खडगवां के तीनों पंचायतों में बैरियर बनाया गया है और पकड़े जाने वालों को 77 पंचायतों में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। जिले को लॉकडाउन के तीसरे फेस में ग्रीन जोन में बनाए रखने जिले के स्वास्थ्य, पुलिस और सफाईकर्मियों के सामने बड़ी चुनौती है। यहां बता दें कि कोरिया जिला मध्यप्रदेश के सीधी, अनूपपुर, शहडोल समेत छग के सूरजपुर, कोरबा, पेंड्रा-गौरेला से लगा हुआ है। ऐसे में इन सीमाओं को पार कर हजारों लोग अपने गृह ग्राम में आना चाह रहे हैं।
कलेक्टर ने कहा- हमारे पास पर्याप्त संसाधन
लॉकडाउन-3 में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के सवाल पर कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन है। जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। बिना अनुमति के कोई भी जिले के भीतर दाखिल नहीं हो सकता है। दूसरे राज्य और कोरिया जिले से लगे छग के अन्य जिले की सीमाओं में चौकसी बढ़ा दी गई है। बाहर से आने वालों को तत्काल क्वारेंटाइन सेंटर में भेजा जा रहा है।
धनपुर, कोड़ा और जरौंधा के रास्ते लौटने की संभावना
धनपुर, कोड़ा, जरौंधा के रास्ते दूसरे राज्यों से लोगों के आने की संभावना है। यहीं वजह है कि यहां बैरियर बनाकर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अफसर-कर्मियों को तैनात किया गया है। जिन अधिकारी-कर्मचारियों को जिले के साढ़े 6 लाख लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके ही पास इस वायरस के लक्षण की पहचान करने तापमान मापक यंत्र समेत अन्य जरूरी उपकरण और सामग्री उपलब्ध नहीं है।
मजदूरों की देखरेख करने वालों के पास नहीं था किट
गौरतलब है कि इससे पहले राजनांदगांव से रवाना हुए 46 मजदूरों में से 2 कोरोना पाॅजिटिव झारखंड की ओर भाग गए। उनके संपर्क में रहे सभी कर्मचारियों को इन दिनों मनेंद्रगढ़ के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। यहां जो स्वास्थ्य कर्मचारी मजदूरों को सेवाएं दे रहे थे, उनके पास भी पीपीई किट नहीं था।
अब तक जिले में 223 लोगों को किया गया क्वारेंटाइन
बता दें कि रविवार और सोमवार को दूसरे जिले से आने वाले लोगों को धनपुर बैरियर में रोककर स्वास्थ्य परीक्षण समेत पूरी जानकारी इकट्‌ठा कर 233 लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया गया। सामान्य और रेड जोन से आने वालों के लिए अलग-अलग सेंटर बनाए गए हैं। कोड़ा, धनपुर, जरौंधा नाके पर रेड जोन से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर नाके पर ही क्वारेंटाइन किया जा रहा है।
जिले के 350 से अधिक लोग दूसरे राज्यों में फंसे
संभावना जताई जा रही है कि धनपुर, कोड़ा, जरौंधा के रास्ते से आने वालें दिनों में 350 से अधिक लोग दाखिल होंगे। इसमें कर्नाटक 25, मध्यप्रदेश 37, झारखंड 26, केरल 9, महराष्ट्र 40, तमिलनाडू 25 और सबसे अधिक गुजरात में जिले से काम करने गए लोग लौटेंगे। इसके अलावा उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, यूपी, असम, दिल्ली, पंजाब समेत पश्चिम बंगाल से भी लोग वापस आएंगे।
स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट भी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तापमान मापक यंत्र नहीं मिलने से बार्डर में सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की ही जांच कर रहे हैं। जिनमें ये लक्षण दिख रहे हैं, उन्हें सामुदायिक और जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट तक उपलब्ध नहीं है। जिससे बाहर से आने वालों के कारण इनमें भी संक्रमण फैलने की संभावना बनी हुई है।
बिना तापमान मापक यंत्र के बार्डर में तैनात स्वास्थ्य और पुलिस कर्मी। यहां पहुंचने वालों का सर्दी-खास
जिले में दाखिल होने के लिए खड़गवां का रास्ता सबसे आसान
तापमान मापक यंत्र नहीं होने से बढ़ा खतरा
गौरतलब है कि बगैर तापमान मापक यंत्र के ही अन्य जिले और प्रदेश से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बार्डर में तैनात अधिकारी-कर्मचारी किस तरह से जोखिम उठा रहे हैं। अन्य प्रदेश व छग के दूसरे जिले से कोरिया जिले में पहुंच रहे लोगों का बार्डर पर ही खानापूर्ति के साथ स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें सीधे 14 दिन के क्वारेंटाइन में भेजा रहा है।



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350 people from the trapped districts in 15 states will return, no necessary equipment and kits on the border




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लॉकडाउन 3.0: गया की एकमात्र स्लीपर फैक्ट्री को नहीं मिल रहे श्रमिक, उत्पादन में आई भारी गिरावट

एक तरफ राज्य सरकार मजदूरों को अपने ही राज्य में रोजगार व्यवस्था कराने का दावा कर रही है। वहीं दूसरे तरफ जिला के एक मात्र रेल स्लीपर फैक्ट्री, जहां प्रतिदिन सात शिफ्टों में सात सौ मजदूरों द्वारा प्रतिदिन ढ़ाई हजार स्लीपरों का उत्पादन करते थे, वहां मजदूरों के अभाव में उत्पादन घट कर महज 750 पर सिमट गया है। गौरतलब रहे कि कोरोना के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ शर्तों में छूट के साथ लॉक डाउन 3.0 की घोषणा किया गया है।

बावजूद इसके पाटिल ग्रुप द्वारा संचालित दयानंद इंजीनियरिंग वर्क्स अपनी सम्पूर्ण क्षमता के अनुरूप स्लीपर का उत्पादन नहीं कर पा रहा है। नतीजतन इसके बन्द होने का खतरा मंडराने लगा है। बताते चले कि कारखाने में प्रतिदिन 32 सौ स्लीपर बनाने का क्षमता है और मानपुर में निर्मित स्लीपरों का सप्लाई पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर जोन के विभिन्न डिवीजनों में किया जाता है।
कारखाने पर छाने लगे हैं संकट के बादल
इस संबंध में उप महाप्रबंधक राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जिला के वरीय अधिकारियों से कामगारों को लेकर कई दौर का बातचीत की गई। रेलवे द्वारा भेजे गए पत्रांक डब्लू/7ए/पीएससी स्लीपर/मानपुर दिनांक 17 अप्रैल 2020 के जवाब में जिला प्रशासन द्वारा कारखाने के भीतर मौजूद ठेके पर रखे गए 180 मजदूरों से मात्र दो शिफ्ट में काम कराने की अनुमति प्रदान किया गया, जो कारखाने को विधिवत संचालित करने के लिए नाकाफी है। बताया कि कारखाने को बदस्तूर जारी रखने के लिए कम से कम प्रतिदिन बाईस-तेईस सौ स्लीपर का उत्पादन होना आवश्यक है। ऐसा नहीं होता है तो फिर कारखाने पर संकट के बादल छा जाएगा। बता दे कि वर्तमान समय मे दया इंजीनियरिंग ग्रुप मानपुर के पास रेलवे द्वारा 90 हजार प्रति माह स्लीपर आपूर्ति करने का आर्डर है।



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Lockdown 3.0: Gaya is not the only sleeper factory to get workers, huge drop in production




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100 बिस्तर वाले बीएसपी अस्पताल में 30 साल बाद सिर्फ 24 बिस्तर की सुविधा बची

भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा बीएसपी कर्मचारियोें काे तत्काल बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को ध्यान में रखते हुए 100 बिस्तर अस्पताल की स्थापना की गई थी। जो अब मात्र 24 बिस्तर में सिमट रह गया है। डाॅक्टर व आवश्यक सुविधा नहीं हाेने से रेफर सेंटर बन कर रह गया है। लगभग 30 वर्ष पूर्व अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त 100 बिस्तर अस्पताल बनाया गया था। जहां बीएसपी कर्मचारियों व मजदूरों का इलाज बेहतर तरीके से किया जाता था।
यहां पर पर्याप्त सर्जन, विशेषज्ञ चिकित्सक, सहायक चिकित्सक, नर्स, हेड नर्स, वार्ड बाय, ड्रेसर, फार्मासिस्ट सहित अन्य कर्मचारियों की पदस्थापना की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे सभी सुविधाअाें में कटाैती हाे रही है। इस अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर है। पूर्व मेंकिसी भी प्रकार का बड़ा से बड़ा ऑपरेशन इसी अस्पताल में किया जाता था। यहां तक ऑपरेशन के लिए भिलाई सेक्टर 9 से चिकित्सकों को विशेष वाहन से बुलाया जाता था। माइंस क्षेत्र होने के कारण यहां पर आए दिन दुर्घटना व परिवार के सदस्यों को किसी न किसी तरह के बीमारी से ग्रसित होने से इलाज होता था।
यहां गायनोलाॅजिस्ट, आर्थोपेडिक, दंत चिकित्सक तक नहीं
बीएसपी अस्पताल में 7 चिकित्सकों की पदस्थाना है। जिसमें एक मेडिसिन चिकित्सक और अन्य एमबीबीएस चिकित्सक हैं। इतने बड़े अस्पताल में गायनोलाॅजिस्ट, आर्थोपेडिक, दंत चिकित्सक, सोनोग्राफी चिकित्सक की पदस्थाना नहीं की गई। जिससे संबंधित मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। पैथोलाॅजी लैब नाममात्र का रह गया है। लैब टेक्निशियन के अनुभव की कमी के चलते रिपोर्ट में त्रुटियां पाई जाती है जिससे मरीजों के जान को खतरा बना रहता है। इसके लिए मरीज निजी पैथालाॅजी से टेस्ट करा कर चिकित्सक से सलाह लेते हैं।
चिकित्सकों की भर्ती की जा रही: महाप्रबंधक
अस्पताल प्रबंधक मनोज डहरवाल से पूछे जाने पर इस संबंध में किसी प्रकार की चर्चा करने से इंकार कर दिया। खान मुख्य महाप्रबंधक तपन सूत्रधार ने बताया कि चिकित्सकों की नई भर्ती की जा रही है जिसमंे एक गायनोलाॅजिस्ट शामिल है। साथ ही दो नई एम्बुलेंस की खरीदी की जा रही है।
एक हाॅल में मरीजाें का जांच करते हैं डाॅक्टर
चिकित्सकों के लिए पर्याप्त कमरा होने के बावजूद वहां न बैठ कर एक हाॅल में सभी चिकित्सक बिना पर्दा के मरीजों की जांच करते हैं। वहीं जांच के दौरान चिकित्सक को सभी मरीज घेरे रहते हैं। जिस पर कई मरीज संकोच के कारण बिना जांच कराए वापस चले जाते हैं। कई अपनी गुप्त बीमारी को चिकित्सक के सामने साझा करने से कतराते हैं।
यहां की नर्स ठेका श्रमिकोंसे कराती हैं पूरा काम
हेड नर्स व नर्स कुर्सी में बैठे-बैठे इशारे से अपना सारा काम ठेका श्रमिकोंसे कराती हैं। यहां तक मरीजों की ईसीजी जैसे अनेक कार्य अकुशल ठेका श्रमिकोंद्वारा कराया जाता है। ईसीजी से दवाई वितरण केन्द्र में चिकित्सक के पहुंचने से पहले अपना काउन्टर बंद कर चले जाते हैं। जिससे कई मरीजों को दवाई लेने के दूसरे दिन वापस काउंटर में लाइन लगाकर लेना पड़ता है।
मरीजों को घंटाें करना पड़ता है इंतजार
छोटी बीमारी तक के लिए भिलाई रेफर कर देते हैं
धीरे-धीरे बीएसपी अस्पताल अब मात्र 24 बेड पर सिमट कर रह गया। 12 बिस्तर पुरुष व महिलाओं के 12 बिस्तर लगाया गया है। वर्तमान में महिला एवं पुरुष वार्ड में एक भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। मरीज को आपातकालीन स्थिति में चिकित्सक बिना जांच के रेफर कर देते हैं। जिसके कारण बेड खाली पड़ा रहता है। छोटी बीमारी के लिए भिलाई रेफर कर दिया जाता है।
एम्बुलेंस बीच रास्ते में ही कभी भी हो जाती है खराब
बीएसपी द्वारा संचालित एंम्बुलेंस कंडम हो चुकी है। जिसके सहारे मरीजों को सेक्टर 9 रेफर किया जाता है। एम्बुलेंस बीच रास्ते में ही खराब हो जाती है। जिससे मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। एक ओर प्रबंधन माइंस क्षेत्र में उत्पादन काे बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से नई-नई मशीन लगा रही है। लेकिन बीएसपी कर्मचारियों के लिए ठेके पर एम्बुलेंस चला रही है।
बीएसपी कर्मचारी अपना इलाज निजी अस्पतालों में कराने में विश्वास रखते हैं। केवल गरीब व मजदूर ही बीएसपी अस्पताल में पहुंचते हैं। उन्हें भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा भिलाई सेक्टर 9 रेफर करने की बात करते हैं। सेक्टर 9 अस्पताल पहुंचता है तो वहां के चिकित्सकों द्वारा जांच करते ही मरीज की हालत सामान्य हाेने पर वापस राजहरा भेज दिया जाता है। एक मात्र मेडिसिन चिकित्सक हेड बन कर बैठे हैं, जो अस्पताल मेें कभी भी समय पर उपस्थित नहीं रहता। इनके अनुशरण में अस्पताल के सभी कर्मचारी अपना टाइम टेबल व कर्तव्य भूल चुके हैं। अस्ताल में मरीजों को घंटाें इंतजार करना पड़ता है। इंताजर में अस्पताल बंद होने का समय आ जाता है जिससे बिना इलाज के मरीज लौट जाते हैं।



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जो गोले शराब लेने वालों के लिए बनाए, उसी में खड़ी हुईं महिलाएं और शुरू किया नशे के खिलाफ आंदोलन; 3 दिन से नहीं खुल सका ठेका

कापन गांव की देशी शराब दुकान तीसरे दिन भी नहीं खुल सकी। वजह हैं-यहां की महिलाएं। हर रोज सुबह दुकान खुलने के समय से लेकर बंद होने के वक्ततक यहां प्रदर्शन किया जा रहा है। बुधवार को इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए पास के गांव मौहाडीह औरमुड़पार की महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचीं। जिन गोलों को प्रशासन ने शराब लेने आने वालों के लिए बनवाया था, महिलाएं उसी मेंखड़ेहोकर प्रदर्शन कर रही हैं। सोशल डिस्टेंसिंग की समझ और नशे के खिलाफ जागरुकता देख प्रशासन भी इन पर सख्ती नहीं दिखा पा रहा है।

आंदोलन मेंदिव्यांग महिला भी आई

दिव्यांग कुमारी कश्यप भी अपनी ट्राइसिकिल से विरोध करने पहुंचीं। करीब 7 घंटे तक दुकान के बाहर यूं ही डटी रहीं।

विरोध कर रहीं माधुरी बाई औरमीना बाई ने कहा- अधिकारी हमारी बात नहीं सुन रहे। हमारे इस प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन ने दुकान को हटाने का फैसला नहींलिया। देशी शराब दुकान को बंद करने के लिए जब तक आदेश जारी नहीं किया जायेगा, गांव की महिलाओं का धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। हर रोज महिलाएं यहीं बैठकर अपना वक्त बिता रही हैं। सभी के हाथ में दुकान को हटाए जाने की मांग लिखी तख्तियां होती हैं।



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यह तस्वीर कापन गांव की शराब दुकान के बाहर हो रहे विरोध की है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ महिलाएं यह सोशल जवाबदारी निभा रही हैं।




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पत्नी व बेटे को पत्थर से कुचलकर मार डाला, 3 दिन बाद ससुर को दी जानकारी

खाने को लेकर विवाद हुआ तो गुस्सैल ग्रामीण ने पत्नी और अपने दो साल के मासूम बेटे की पत्थर से कुचल कर हत्या कर दी। 3 मई को हत्या कर उसने शवों को जंगल में सुरंगनुमा जगह में छिपा दिया। घटना के तीन दिन बाद संयोग से घर आए ससुर ने जब बेटी और नाती के विषय में पूछा तो आरोपी ने वारदात का खुलासा किया। मृतका के पिता की सूचना पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे जेल भेज दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक कापू थाना क्षेत्र के कंचीरा मोहल्ले के तेंदुडांड़ निवासी गुरबारु मझवार अपनी पत्नी सुबासो (30) और बेटे परसा (2) के साथ मछली और केकड़ा पकड़ने गया था। मछली बनाने को लेकर पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद हुआ। जिससे नाराज गुरबारु ने जंगल में पड़े पत्थर से पत्नी और बेटे पर कई बार वार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। गुस्से में घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस से बचने के लिए आरोपी ने दोनों के शव सुरंग में छिपा दिए। घर आए ससुर घुरन साय मझवार को आरोपी ने रोते हुए पूरी घटना बताई। बेटी और नाती की हत्या की जानकारी मिलते ही वृद्ध पिता ने कापू थाने को जानकारी दी। ग्रामीणों के साथ जंगल में पहुंची पुलिस ने दोनों के शव सुरंग से बरामद किए। थाना प्रभारी ने बताया कि शव दो दिन पुराने हैं, जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

बात-बात पर आ जाता था गुस्सा, अब कर रहा पछतावा
घुरन ने पुलिस को बताया कि आठ वर्ष पूर्व उसने बेटी सुबासो की शादी गुरबारु से की थी। गुरबारु गुस्सैल है, बात-बात पर झगड़ा करता था, कई बार उसने मारपीट कर बेटी को घायल भी किया। समझाकर मामला शांत कराया जाता था। गुरबारु के दो बेटों को नाना घुरन ने अपने पास ही रखा हुआ है। गुरवारु ने पुलिस को बताया कि सुबासो मछली पकड़ रही थी, ये लोग घर से खाना लेकर गए थे। भूख लगने पर गुरवारु ने पूरा खाना खा लिया। पत्नी ने खाना खत्म होने की बात कही तो कम खाना लाने की बात पर वह विवाद करने लगा। गुस्से में पत्थर उठाकर मारा तो बेटे परसा को लगा। इससे उसका गुस्सा और भड़क गया। फिर उसने पत्नी और बेटे दोनों को पत्थर से कुचल दिया। उसे गुस्से का एहसास हुआ लेकिन जंगल में उपचार नहीं होने के कारण पत्नी और बेटे ने दम तोड़ दिया। दो-तीन घंटे वह शव के नजदीक बैठकर रोता रहा। पुलिस ने बचने उसने शवों को छिपा दिया।



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अजमेर से लौटे परिवार के 6 सदस्यों को होम क्वारेंटाइन किया, सिर्फ 3 का हुआ रैपिड टेस्ट

अजमेर से लौटने वाले एक परिवार के 6 लोगों को हॉस्टल से होम क्वारेंटाइन कर दिया गया है। वहीं 6 में से सिर्फ 3 लोगों की जांच की गई। जिम्मेदार कह रहे हैं कि इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है, इसलिए बच्चों की जांच नहीं की गई, यदि एक की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती तो सभी की जांच की जाती। वहीं सीएमएचओ ने कहा कि अभी इस संबंध में कुछ नहीं बता सकता।
छत्तीसगढ़ सरकार के बाद अब अन्य स्टेट गवर्नमेंट ने भी प्रवासियों को गृह ग्राम भेजने कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत रतनपुर के एक मुस्लिम परिवार को राजस्थान सरकार ने सुरक्षित घर वापस भेजा है। राजस्थान अजमेर जियारत करने गए रतनपुर के एक मुस्लिम परिवार के 6 सदस्यों को राजस्थान से लौटने पर मंगलवार को रतनपुर में बनाए गए अस्थायी क्वारेंटाइन सेंटर प्री-मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में ठहराया गया। बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाॅ. विजय चंदेल टेक्नीशियन सीताराम पटेल खंड विस्तार प्रशिक्षण अधिकारी नौशाद अहमद और सहायक सूर्यकांत रजक की टीम बालक छात्रावास के अस्थायी क्वारेंटाइन सेंटर पहुंची। यहां राजस्थान से लौटे परिवार के एक पुरुष अाैर दो महिलाओं का सैंपल लेकर रैपिड टेस्ट किया। इनमें तीनों की रिपोर्ट निगेटिव आने से प्रशासन ने राहत की सांस ली। इस दौरान मुख्य नपाधिकारी रतनपुर मधुलिका सिंह अपने स्टाफ के साथ मौजूद रही। बता दें कि रतनपुर के एक करैहापारा निवासी मुस्लिम परिवार को राजस्थान सरकार ने सुरक्षित घर वापस भेजा है। परिवार के 6 सदस्य 16 मार्च को ख्वाजा गरीब नवाब की जियारत करने अजमेर शरीफ गए हुए थे। इनकी 23 मार्च को घर वापसी की टिकिट थी, लेकिन इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना कोविद 19 के चलते लॉकडाउन हो गया और उनका पूरा परिवार अजमेर में ही फंसकर रह गया था।

विभाग से 6 पीपीई किट मांगे गए थे, मिले सिर्फ 3

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रतनपुर सीएचसी द्वारा जिला प्रशासन से 6 पीपीई किट की मांग की गई थी, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें सिर्फ 3 किट ही दिया। साथ ही यह भी कहा कि अभी वे 3 लोगों की सैंपल लेकर रैपिड टेस्ट करके देखें, यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो फिर सभी के लिए पीपी किट भेजकर उनका भी टेस्ट किया जाएगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों में जांच के बाद आने की मिली अनुमति

जिला प्रशासन ने रतनपुर के मुस्लिम परिवार के पूरे सदस्यों का पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराया, फिर उनके लिए एक गाड़ी की भी व्यवस्था की। इसमंे वह मंगलवार देर रात रतनपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बताया कि रास्ते मे उनके खाने की व्यवस्था की गई थी। वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में उनकी जांच के बाद ही उन्हें गृहग्राम आने की अनुमति मिल सकी। जहां पहुंचकर उन्होंने राहत की सांस ली है।
प्रशासन ने परिवार को मंगलवार रात पहुंचाया रतनपुर
लंबे समय के बाद अजमेर के जिला प्रशासन ने अन्य राज्यों के फंसे पर्यटकों को रेस्क्यू कर उन्हें सकुशल वापस भेजने कठिन प्रक्रिया को आसान करते मंगलवार की रात 9 बजे उन्हें रतनपुर वापस भेजा है। उनके सकुशल लौटने पर बिलासपुर जिला प्रशासन ने उन्हें रतनपुर के क्वारेंटाइन सेंटर में रखकर पूरे परिवार का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इसी परिवार के 3 लोगों का बुधवार को स्वास्थ्य टीम ने सैंपल लेकर रैपिड टेस्ट किया, जिसमें तीनों की रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद उन्हें उनके पूरे परिवार के साथ करैहापारा के उनके निवास में ले जाकर होम क्वारेंटाइन कर दिया।



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Quarantined 6 members of the family who returned from Ajmer, only 3 had a rapid test




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पहले रायपुर में हुई देरी, फिर बिलासपुर की प्रक्रिया, रात 3.30 बजे स्टूडेंट्स आ पाए घर

राजस्थान के कोटा से बिलासपुर संभाग के 772 स्टूडेंट्स 28 अप्रैल को रायपुर पहुंचे। वहां 7 दिन क्वारेंटाइन रहने के बाद उन्हें मंगलवार की रात अलग-अलग जिलों के लिए रवाना कर दिया गया। रवाना होने से पूर्व सभी स्टूडेंट्स से शपथ-पत्र भरवाया कि वे बाकी 7 दिन हाेम क्वारेंटाइन में रहेंगे। इसके बाद वे निकले और रात 12.30 बजे बिलासपुर के 167 स्टूडेंट्स जैन इंटरनेशनल स्कूल पहुंचे। यहां भी शपथ-पत्र भरवाया गया कि वे 14 दिन के क्वारेंटाइन पीरियड को पूरा करेंगे। इस प्रक्रिया को करते-करते रात 3.30 बज गए। कोटा, सीपत और तिफरा सहित दूर दराज के स्टूडेंट्स को लेने उनके माता-पिता परेशान होते रहे और पूरी रात प्रशासन की प्रक्रिया में चली गई। असल में रायपुर से स्टूडेंट्स को देर से भेजा गया, इसी कारण यहां वे रात 12.30 बजे पहुंचे और पूरी रात परेशान होना पड़ा। जिन पालकों के पास चारपहिया वाहन नहीं है वे अपने बच्चों को लेने बाइक से पहुंचे और ज्यादा सामान देखकर हैरान हो गए। कांग्रेस जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी और प्रमोद नायक ने परेशान हो रहे बच्चों को घर तक पहुंचवाने में मदद की।



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First delay in Raipur, then process of Bilaspur, students could come home at 3.30 pm




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कोटा से 32 स्टूडेंट को रायगढ़ से लेकर सूरजपुर पहुंची बस

राज्य शासन ने कोटा में मेडिकल व इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की पढ़ाई कर रहे छात्रों की परेशानी को देखते हुए उनकी मदद के लिए कदम बढ़ाया और उन्हें कोटा से लाकर विभिन्न जिलों में 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया था।
जिन्हें अब उनके गृह जिलों में बसों से पहुंचाया जा रहा है। अब सभी छात्रों एवं उनके अभिभावकों को 14 दिनों तक घरों पर ही होम आइसोलेशन में रहना होगा ताकि कोविड-19 के संक्रमण के संभावित खतरे से बचा जा सके। इन बच्चों को सुरक्षित घर वापसी को लेकर कलेक्टर दीपक सोनी व पुलिस अधीक्षक राजेश कुकरेजा ने इंतजाम कराया है। कोटा के स्टूडेंट जो रायगढ़ से सूरजपुर में आ रहे है उनकी थर्मल स्क्रीनिंग जांच, बच्चों को मास्क वितरण, स्टूडेंट को उनके अभिभावकों के साथ घोषणा पत्र लेकर भेजने एवं वाहन के सैनेटाइजेशन की व्यवस्था कराई है। प्रशासन की टीम के द्वारा बच्चों के जिले में आने की सूचना पूर्व से ही सभी पालकों को दे दी गई थी। बुधवार को कोटा में पढ़ने वाले 32 स्टूडेंट जिन्हें रायगढ़ में क्वारेंटाइन कर रखा गया था, उन्हें सुबह एक बस मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल लेेकर तिलसिवां पहुंची। बसों से स्टूडेंट के उतरने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनकी थर्मल स्क्रीनिंग करते हुए मास्क वितरण किया। विभिन्न जिलों में ठहरे 158 स्टूडेंट जो सूरजपुर, प्रेमनगर, प्रतापपुर, रामानुजनगर, भैयाथान व ओड़गी के रहने वाले हैं उनमें से 32 स्टूडेंट आ चुके हैं।



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Bus from Kota to 32 students from Raigarh to Surajpur




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3 दिन में शहर की चार शराब दुकानें खाली, अब नए स्टॉक का इंतजार

लॉकडाउन के बाद शराब दुकान खुलने के दो दिनों में ही खत्म हो गई है। शहर के सभी चार दुकानों में गिनती के ही स्टॉक मौजूद हैं। सस्ती रेंज की लगभग पूरी शराब बिक गई है। इसके बाद अब नए स्टॉक का इंतजार किया जा रहा है। बुधवार शाम में दुकान बंद होने के पहले स्टॉक खत्म हो जाने की वजह से ज्यादातर लोगों को बैरंग लौटना पड़ा।
दुकान खुलने के पहले ही दिन सोमवार को शौकीनों ने पौने तीन करोड़ रुपए की शराब खरीद ली थी, दूसरे दिन मंगलवार को भी 2 करोड़ 81 लाख रुपए की शराब बिक गई। बगैर किसी त्योहारी सीजन के आम दिनों की तुलना में जिले में ये बिक्री का रिकाॅर्ड ही बताया जा रहा है। दो दिन की बंपर बिक्री के बाद बुधवार दोपहर तक ही दुकानों के स्टॉक खत्म हो गए। शहर में दो अंग्रेजी और दो देशी शराब की दुकान मौजदू हैं। इन चारों दुकानों में स्टॉक अंतिम स्टेज पर रहा। जो शराब उपलब्ध थे, वे भी हैवी रेंज की श्रेणी के थे। इसके चलते तीसरे दिन शराब दुकानों से कतार गायब हो गई और लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ गया। इधर ड्राइ हो चुके दुकानों में वापस स्टॉक के लिए शराब से भरी गाड़ियां दुकानों में पहुंचने लगी थी। मामले को लेकर सहायक आबकारी आयुक्त नीतू नोतानी ठाकुर ने बताया कि तीन दिन में लगभग साढ़े 6 करोड़ रुपए की शराब बिक गई है।

दुकानों से भीड़ कम करने के लिए होम डिलीवरी शुरू

इधर शराब की होम डिलीवरी के लिए बनाए गए एप में भी ऑर्डर आने शुरू हो गए हैं। तीन दिनों में आबकारी को एप में 850 से अधिक ऑर्डर मिले हैं। इन्हें एप्रूव कर डिलीवरी पहुंचाई भी जा रही है। बुधवार तक करीब 22 लोगों को शराब की होम डिलीवरी दी गई थी, आगे इसमें तेजी लाने का प्रयास आबकारी विभाग की टीम कर रही है, ताकि शराब की दुकानों में भीड़ कम से कम हो सके।



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पानी चाहिए तो डायल करें 07763-223757 या फिर 18002330008

जिले में ग्रीष्मकाल के दौरान संभावित पानी की किल्लत से निपटने एवं हैंडपंपों को निरंतर चालू रखने के लिए जिले एवं उपखंड स्तर पर पानी निगरानी कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। इसमें नियुक्त अधिकारी और कर्मी शिकायत मिलने पर तुरंत पानी की समस्या दूर करेंगे। इस कंट्रोल रूम की सेवा 30 जून तक अथवा मानसून आने तक मिलेगी। इसके लिए जिला स्तरीय कंट्रोल रूम का नंबर 07763-223757 और राज्य स्तरीय टोल फ्री नंबर 18002330008 जारी किया है।
पीएचई से मिली जानकारी के अनुसार जिला स्तर पर पेयजल निगरानी कंट्रोल रूम प्रभारी का दायित्व होगा कि प्रतिदिन शाम 5.30 बजे तक टेलीफोन एवं अन्य किसी माध्यम से प्राप्त खराब हैंडपंपों एवं पानी संबंधी शिकायतोें का पंजीयन कर उनके समस्याओं के निराकरण संबंधी प्रतिवेदन दर्ज करेंगे।

अधिकारियों के मोबाइल में भी कर सकते हैं शिकायत
कंट्रोल रूम में जिलास्तरीय कंट्रोल रूम के प्रभारी अनुरेखक रामपप्रसाद लिमजे मोबाइल नंबर 7610652310 को नियुक्त किया है। इसी तरह उपखंडस्तर जशपुर में सहायक अभियंता उपखंड जशपुर कमल प्रसाद कंवर 8519064845, जशपुर के लिए उप अभियंता सुरेन्द्र कुमार साय,8319644924 एवं मनोरा के लिए उपअभियंता उत्पल यादव 9340108565 की ड्यूटी लगाई है। इसी प्रकार उपखंड स्तर कुनकुरी के लिए सहायक अभियंता कुनकुरी एनकेएस महतो 9303823121, फरसाबहार ब्लाक के लिए एनकेएस महतो 9303823121, दुलदुला के लिए उप अभियंता बसंत कुमार एक्का 8770748912 एवं कुनकुरी के लिए उपअभियंता प्रमोद कुमार महतो 9479087270 की ड्यूटी लगाई गई है। पत्थलगांव ब्लाक में उप अभियंता संतोष कुमार नायक 9754199570 की ड्यूटी लगाई गई है।



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जांच के लिए भेजे 433 सैंपल में 263 की रिपोर्ट निगेटिव

काेविड-19 वायरस के संक्रमण की रोकथाम के क्रम में जिले में स्वास्थ्य विभाग यह पता करने में भिड़ा है कि कहीं कोई वायरस से संक्रमित तो नहीं, जिनमें कोविड-19 से ग्रसित होने के जरा से भी लक्षण नजर आ रहे हैं, उनके सैंपल लेकर जांच के लिए रायपुर भेजा जा रहा है। विभाग ने अब तक 433 लोगों के सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेज चुकी हैं। सैँंपल जांच में 263 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। विभाग को 164 सैंपल की रिपोर्ट आने का इंतजार है। अब तक भेजे गए सैंपल में से 6 रिजेक्ट किए गए हैं, जिसे फिर से कलेक्ट कर भेजा जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल कलेक्शन की व्यवस्था हर विकासखंड में रखी है। इसके लिए सभी सीएचसी के डॉक्टर व लैब कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई है। जिले के विकासखंडों से कलेक्ट किए जाने सैंपलों को जिला मुख्यालय लाया जाता है और यहां से एक साथ सभी सैंपल रायपुर भेजे जा रहे थे। रायगढ़ में जांच की सुविधा शुरू होने के बाद यहां से सैंपल रायगढ़ भेजे जा रहे हैं। विभाग के मुताबिक अभी बीमार मरीजों के सैंपल कलेक्शन का काम किया जा रहा है। सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, नाक बहना, गले में लंबे समय से कफ जमा होने की शिकायत लेकर जो मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं, उनके सैंपल लिए जा रहे हैं। बीमार लोगों का पता करने के लिए वार्ड व गांव में सर्वे कराया जा रहा है। जो लोग बाहर से आए हुए हैं और वे बीमार पड़ रहे हैं तो उनका सैंपल खास तौर पर लिया जा रह है। क्वारेंटाइन में रह रहे लोगों के सभी सैंपल लिए गए हैं। इसके अलावा सुरक्षा में लगे पुलिस जवान, स्टाफ नर्सों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। विभाग द्वारा रोजाना ही सैंपल कलेक्शन किया जा रहा है। बुधवार को जिले से 19 नए सैंपल लिए गए हैं।
आप बीमार हैं तो अस्पताल जाकर तुरंत कराएं जांच
स्वास्थ्य विभाग ने अपील जारी की है कि यदि आप बीमार पड़ते हैं तो खुद से दवा ना करें। कोरोना वायरस के संक्रमण के एक भी लक्षण यदि आपके शरीर में दिखाई पड़ रहे हैं तो तत्काल अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं। जरूरत पड़ने पर सैंपल लेकर उसे जांच के लिए भेजा जाएगा। जशपुर जिला अभी ग्रीन जोन में है पर पड़ोसी राज्यों के जिले रेड व ऑरेंज जोन में हैं। इसलिए यहां संक्रमण के कई माध्यम हैं।
अभी बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों से है खतरा
जिले में कोरेाना वायरस की एंट्री की आशंका बढ़ गई है। सरकार बाहर फंसे हुए मजदूरों को लाया जा रहा है। जिले से 1500 मजदूरों की लिस्ट श्रम विभाग ने बनाई है, जो बाहर हैं। प्रशासन ने बाहर से आए मजदूरों के लिए पंचायत स्तर पर क्वारेंटाइन सेंटर बनाने का काम शुरू कर दिया है। लॉकडाउन से पहले जिले में 42 लोग विदेश व 25 सौ लोग दूसरे राज्यों से लौटे थे। जिन्हें होम क्वारेेंटाइन किया था। उनकी अवधि पूरी हो चुकी है।



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Out of 433 samples sent for investigation, 263 report negative




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मदनपुर में क्वारेंटाइन सेंटर बनाने पर भड़के ग्रामीण, 3 घंटे प्रदर्शन

सिलफिली से लगे ग्राम मदनपुर में स्थित पार्वती नर्सिंग कॉलेज को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने के निर्णय के खिलाफ मदनपुर समेत आसपास के ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर आपत्ति जताई।राज्य सरकार दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस बुला रही है। जिसके लिए जिला प्रशासन एहतियातन क्वारेंनटाइन सेंटर बना रहा है। जिसका ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया है। ऐसे में प्रशासन उन्हें समझाने में जुटा है। इसके बाद भी ग्रामीण मानने को तैयार नहीं है। ग्राम मदनपुर में स्थित निजी नर्सिंग कॉलेज पार्वती इंस्टिट्यूट में सेंटर खोले जाने के विरोध में सिलफिली, मदनपुर, पर्वतीपुर, गनेशपुर, पहाड़ गांव, पंडोनगर के सैकड़ों महिला-पुरुषों ने पार्वती कॉलेज के समीप एकत्रित हो सेंटर खोले जाने का विरोध किया। विरोध प्रदर्शन की सूचना पर पहुंची पिलखा नायब तहसीलदार गरिमा ठाकुर को प्रदर्शनकारी जनपद सदस्य युग्मेश सिंह टेकाम, पंडोनगर सरपंच आगर साय पंडो, मदनपुर सरपंच ओमप्रकाश अगरिया के नेतृत्व में कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा।
ग्रामीणों ने तहसीलदार से लिखित में मांगा आश्वासन
ग्रामीणों ने तहसीलदार से लिखित में आश्वासन मांगा कि सेंटर यह नहीं खुलेगा तो उन्होंने लिखित में देने से मना कर ग्रामीणों से कहा कि आप निश्चिन्त रहें, यहां क्वारेंटाइन सेंटर नहीं खुलेगा। जिसके बाद करीब एक बजे ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन समाप्त किया। बताया जाता है कि मंगलवार शाम प्रशासनिक अमले ने उक्त चयनित भवन का निरीक्षण किया था, जिसके बाद सेंटर बनाने की तैयारी थी।
जजावल में संक्रमण फैलने से लोग दहशत में
ग्रामीणा का कहना था कि वे जजावल वाली स्थिति निर्मित नहीं होने देना चाहते हैं। उन्होंने नायब तहसीलदार को बताया कि सिलफिली में प्रदेश की बड़ी सब्जी मंडी है। चिन्हाकित भवन आसपास दर्जनों गांव के मध्य स्थित एनएच 43 से लगा है, जिससे संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो सकता है। नायब तहसीलदार ने उन्हें अवगत कराया कि भवन का चिन्हांकन अवश्य किया गया है, लेकिन अब वे कलेक्टर को मामले से अवगत करा ग्रामीणों का पक्ष रखेंगी।



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Villagers agitated over construction of Quarantine Center in Madanpur, 3-hour demonstration




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विकास कार्य के लिए शासन ने दी 99.35 लाख रुपए की मंजूरी

नगर पालिका परिषद जामुल में सड़क, नाली और बाउंड्रीवाल समेत विभिन्न विकास कार्यों के लिए 99.35 लाख रुपए की मंजूरी राज्य सरकार ने दी है।
नगरीय प्रशासन एंव विकास विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक 10 अप्रैल 2020 को विभिन्न विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी। इसके बाद 20 अप्रैल को 99.35 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है। आदेश में पेवर ब्लॉक निर्माण, बाउंड्रीवाल व अन्य निर्माण कार्य, बीटी रोड निर्माण और उद्यानिकी का कार्य किया जाएगा। नगर पालिका परिषद जामुल की अध्यक्ष सरोजनी चंद्राकर ने बताया कि क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को दिया था। जिसकी मंजूरी मिल गई है। अन्य जरूरी विकास कार्यों का प्रस्ताव बनाया गया है। लोगों की मांग अनुरूप क्षेत्र में विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
जामुल में इन कार्यों के लिए दी मंजूरी
21.23 लाख रुपए वार्ड 18 उद्यान में बाउंड्रीवाल और अन्य निर्माण होंगे।
14.61 लाख रुपए से पुरैना तालाब में पेवर ब्लॉक निर्माण होगा।
15 लाख रुपए से वार्ड 3 में पुरैना तालाब में देना बैंक तक बीटी रोड निर्माण।
14.66 लाख रुपए से वार्ड 18 स्टेडियम में बाउंड्रीवाल।
12.77 लाख रुपए से वार्ड 4 में दुर्गा मंदिर से स्कूल तक बीटी रोड निर्माण।
10.65 लाख से वार्ड 1 में ट्रांसफॉर्मर के पास बीटी रोड।
10.43 लाख से वार्ड 18 स्टेडियम में उद्यानिकी कार्य होगा।



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दस नालों में 3.25 करोड़ रुपए से पानी करेंगे स्टोर

जंगल से गुजरे 10 नालों को संवारने के लिए फारेस्ट विभाग ने सवा तीन करोड़ के प्रोजेक्ट की मंजूरी शासन से मांगी है। ताकि उन्हें बारिश से पहले संवर्धित कर वन्यजीवों के लिए पानी स्टोर किया जा सके। विभाग इन सभी नालों पर आवश्यकता अनुरूप ग्रेबियन स्ट्रक्चर, लूज बोल्डर, ब्रशवुड चेकडेम बनाएगी।
शासन के नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बाड़ी योजना में शासन की मांग पर विभाग लगातार नालों को संवर्धित करने में जुटा हुआ है। विभाग ने मार्च में वन कर्मियों को चेकडेम में अलग-अलग स्ट्रक्चर की तकनीकी जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से दी थी। फील्ड पर रायपुर से आए इंजीनियरों ने स्ट्रक्चर तैयार कर बारीकियां भी वन कर्मियों को बताई थी, ताकि नरवा विकास के कार्य में किसी तरह की कोई लापरवाही न हो। वर्तमान सरकार इस योजना के माध्यम से वन्य जीव के साथ वन क्षेत्रों से सटे गांवों में जल आपूर्ति के उद्देश्य से नालों को संवारने का काम कर रही है।
इन नालों में होगा काम
खरसिया के शंकरपाठ नाला, धरघोड़ा के हाथीझरिया नाला, घरघोड़ा उपकानाला, तमनार के बरझरिया नाला, रायगढ़ चिटकाझरिया नाला, रायगढ़ भंवरखोल नाला, सारंगढ़ सेमरानाला, गोमर्डा अभयारण्य बंजारी और करपन नाला
नालों को संवारने की हो रही है तैयारी
"बारिश से पहले हमने नालों को संवर्धित करने के लिए नरवा योजना के तहत प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। वन मंडल के लगभग 10 नालों को इस हमने चुना है, जिनमें ग्रेबियन स्ट्रक्चर, लूज बोल्डर चेक डेम बना कर सुरक्षित किया जाएगा। ''

-मनोज पांडेय, डीएफओ रायगढ़ वन मंडल



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लॉकडाउन में रायगढ़ की पेपर मिल में जहरीली गैस का रिसाव, 7 मजदूर हुए बेहोश, 3 की हालत गंभीर; मिल मालिक ने घटना छिपाई, एफआईआर

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ स्थित एक पेपर मिल में बुधवार शामजहरीली गैस का रिसाव हो गया। इसकी चपेट में आकर 7 मजदूर बेहोश हो गए हैं। हादसे की सूचना पर सभी मजदूरों को स्थानीय जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से तीन मजदूरों की हालत गंंभीर देख उन्हें गुरुवार को पटवारी और रेडक्रास के लोगों के साथ रायपुर रेफर कराया है। वहीं मिल को सील कर दिया गया है।

रायगढ़ में हुए मिल में गैस रिसाव हादसे के कारणों और घटनाक्रम को लेकर कलेक्टर और एसपी ने मजदूरों से बात की। इसके साथ ही वे मौके पर मिल में भी गए और जायजा लिया।

पुसौर क्षेत्र के तेतला गांव में आरडी गुप्ता कीशक्ति पेपर मिल लॉकडाउन के कारण बंद पड़ी थी। इसी मिल में सफाई के लिए कर्मचारी बुधवारको पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि पेपर रिसायकल चैंबर की सफाई के दौरान बुधवार शाम करीब 4.30 बजेजहरीली गैस का रिसाव हो गया। इससे चैंबर और पास में काम कर रहे मजदूरों की तबियत बिगड़ गई। इनमें से दो अचेत होकर गिर पड़े, जबकि कुछ उल्टियां करने लगे।

मजदूरों की तबियत बिगड़ने लगी तो प्रशासन को दी सूचना

हालत बिगड़ती देख मिल प्रबंधन की ओर से देर शाम सभी मजदूरों कोरायगढ़ के संजीवनी हास्पिटल में भर्ती कराया गया। इसके बाद अगले दिन गुरुवार दोपहर इनमें से 3 मजदूरों की हालत ज्यादा बिगड़ गई। इस पर मिल प्रबंधन की ओर से प्रशासन को सूचना दी गई। जिसके बादकलेक्टर यशवंत कुमार, एसपी संतोष कुमार सिंह, एसडीएम युगल किशोर सहित स्वास्थ्य अधिकारी अस्पताल पहुंचे।

चैंबर में उतरते ही बिगड़ने लगी तबीयत

शक्ति पेपर मिल को चालू करने के लिए साफ सफाई काम चल रहा था। कुछ मजदूर फैक्ट्री के अंदर रिसायकल चेंबर की सफाई करने की तैयारी कर रहे थे। जैसे ही मजदूर डोलामणि सिदार (35), सुरेंद्र गुप्ता (28) अपधर मालाकार (40) टैंक में उतरने लगे तभी उनकी तबियत बिगड़ गई। इन लोगों ने टैंक का ढक्कन हटाया ही था किपास खड़े पुरन्धन कुमार (21), अनिल कुमार (22), निमाणी भोय (40), रंजीत सिंह (34) अचेत हो गए।

मिल हादसे में घायल हुए मजदूरों से मुलाकात के लिए अस्पताल पहुंचे अधिकारियों ने उनका हाल जाना। इस दौरान गंभीरों को रायपुर रेफर कराया गया है।

तहसीलदार को रात में पता चला, पर मिल मालिक ने नहीं की बात

सरपंच के माध्यम से रात करीब 9 बजे जानकारी मिली थी। जब वे मौके पर गईं तो वहां कोई नहीं था। इस पर कलेक्टर से बात कर उन्हें बताया और सरपंच से घटना की ताकीद की, लेकिन उसने शंका जाहिर कर दी। मिल मालिक को भी फाेन किया, लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। अब मिल को सील कर दिया गया है। रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी है।
- माया आंचल, नायब तहसीलदार पुसौर

मिल मालिक पर दर्ज होगी एफआईआर

मिल मालिक आरडी गुप्ता ने घटना को छिपाने का प्रयास किया। रात को भी मेकाहारा से हादसे को लेकर कन्फर्म किया गया था, लेकिन सभी मजदूरों को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके कारण पता नहीं चल सका। मजदूरों की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर सूचना दी गई। घटना को छिपाने और लापरवाही के चलते मिल मालिक पर एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।

-संतोष कुमार सिंह, एसपी, रायगढ़



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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ स्थित पेपर मिल में गैस रिसाव होने से 7 मजदूर बेहोश हो गए। सभी को अस्पताल में भर्ती करया गया है। जहां प्रशासन की टीम उन्हें देखने के लिए पहुंची है।




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फरीदनगर की पॉजिटिव महिला के संपर्क में आने वाले 13 लोगों की रिपोर्ट आई निगेटिव

फरीद नगर निवासी कोरोना पॉजिटिव महिला के क्लोज कांटेक्ट में रहने वाले 13 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। महिला को एम्स में शिफ्ट करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उसके कांटेक्ट में आने वाले कुल 16 लोगों को डॉटा तैयार किया था।
इनमें से 13 की रिपोर्ट गुरुवार की शाम एम्स से जारी कर दी गई। शेष 3 की रिपोर्ट की शुक्रवार को आने की संभावना है। उसमें पॉजिटिव के परिवार के बच्चे और वृद्ध शामिल हैं। इससे पहले 3 अप्रैल को एक ही दिन मिले 8 पॉजिटिव के क्लोज कांटेक्ट में आने वाले करीब सभी की रिपोर्ट भी निगेटिव आ चुकी है। इसमें कुछ हेल्थ वर्कर और आश्रय स्थलों में तैनात कर्मचारियों की रिपोर्ट का अभी इंतजार है। पिछले 5 दिनों में जितने भी एक्टिव केस मिले उनके मातहतों ने सबकी कांटेक्ट हिस्ट्री तलाश ली गई है। जो भी अपनी ट्रैवलिंग हिस्ट्री छिपाएंगे, उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत एक्टिव केस के पति पर अपराध दर्ज किया गया है।

फरीदनगर में 25 सैंपलों की जांच निगेटिव आई है
फरीदनगर की पॉजिटिव मरीज के आस-पास रहने वालों की स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को शिविर लगाया। इसके तहत 25 संदेहास्पद लोगों की रैपिड किट से कोरोना की जांच की गई। इस जांच में सभी के सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है।

तीनों बार्डर पर आवाजाही करने वालों की स्क्रीनिंग
जिले के तीनों बार्डर क्रमश: अंजोरा, धमधा और कुम्हारी पर 8 मई से स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात रहेगी। सीएमएचओ ने तीनों टीमों को बनाकर जिम्मेदारी सौंप दी है। यहां दूसरे प्रदेशों से पैदल या किसी अन्य साधन से दुर्ग आने वालों को रोक लिया जाएगा।

कोरोना से संबधित तीन चिंताजनक खबरें भी आई
1 कोरोना के नोडल अफसर 6 दिन की छुट्टी पर

नोडल ऑफिसर इंचार्ज ऑफ कोविड-19 डॉ. आरके खंडेलवाल गुरुवार से 6 दिन की छुट्टी पर चले गए है। सीएमएचओ को भेजे पत्र में स्वास्थ्यगत कारणों को हवाला दिया है। खंडेलवाल नोडल के साथ आईडीएसपी, नर्सिंग होम एक्ट व एनसीडी का प्रभारी थे।

2 होम क्वारेंटाइन के लिए टीमें बुलाया, सूची नहीं दी

कैंप और रिसाली में बाहर से आने वालों की निगरानी के साथ ही होम क्वारेंटाइन करने के लिए जो दो टीमें बनाई गई जिम्मेदार उनको शाम तक उनकी सूची ही नहीं दे पाए। ऐसे में दोनों टीमों के एक-एक सदस्यों को शाम 5 बजे बिना काम के बैठना पड़ा। तीन टीमों ने 3 बजे सूची दी।
3 निर्णय लेने में देरी, पांच घंटे में लिया सैंपल

फिवर क्लीनिक में सैंपल देने जाने वालों को पांच से सात घंटे लग रहे हैं। संभावितों के बारे में निर्णय लेने लेटलतीफी की जा रही। दो वरिष्ठ डॉक्टरों को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन फिर भी सुधार नहीं हो पाया है।61 बाहर से आए, सभी को होम क्वारेंटाइन किया है
24 घंटे में बाहर से आने वाले 61 लोगों को स्वास्थ्य विभाग ने ट्रेस किया है। प्रोटोकॉल के अनुसार सभी को होम क्वारेंटाइन करा दिया गया है। ग्रीन जोन से जिले में आए हैं। 355 से बढ़कर 414 हो गई है।

कोरोना नोडल का प्रभार दूसरे को दिया गया है
"स्वास्थ्य कारणों से कोरोना के नोडल इंचार्ज डॉ. आरके खंडेलवाल छह दिनों की छुट्टी पर चले गए है। उनकी जगह दूसरे डॉक्टर को प्रभार मैने दे दिया है।"
-डॉ. गंभीर सिंह, सीएमएचओ, दुर्ग



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Report of 13 people who came in contact with positive woman of Faridnagar came negative




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30 दिन में 5 हजार जरूरतमदों को खिलाया खाना

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के साथ ही शहर में रहने वाले गरीब और बेसहारा लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में कई समाज सेवी संस्था, व्यापारी संगठन और दानवीरों ने मोर्चा संभाला। शहर में गायत्री परिवार है जो 30 दिनों से लगातार लोगों की मदद के लिए डटा हुआ है। परिवार से जुड़े सदस्य, अनुयायी महिला, बुजुर्ग हर रोज छूट के वक्त चक्रधरनगर के सिंधु भवन में इकट्ठा होते हैं। सब मिलकर 150 पैकेट्स भोजन बनाते हैं ताकि कम से कम कुछ जरूरतमंदों की मदद हो सके। महीनेभर में गायत्री परिवार लगभग 5 हजार लोगों को भोजन करा चुका है। भोजन बनाकर ये लोग पुलिस के जरिए बंटवाते हैं।
मानव सेवा परमो धर्म...यह शब्द जितना छोटा है, इसके अर्थ उतने ही व्यापक है। जीवन का वह दौर चल रहा है, जहां इंसान अपना सब कुछ छोड़कर बस घर पहुंचने की आस में लगा हुआ है। पेट की भूख से परेशान लोगों की मदद के लिए गायत्री परिवार देवदूत बनकर कार्य कर रहा है। कोरोना लॉकडाउन में लोगों की परेशानी देखकर गायत्री परिवार ने रोजाना 150 लोगों को भोजन कराने की फैसला किया। मानवसेवा योजना की शुरुआत 4 अप्रैल से हांडी चौक स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर से शुरू हुई। वहा 10 दिनों तक लगातार हर रोज गायत्री परिवार के लोग भोजन बना कर पुलिस को देते रहे।
फिर 14 अप्रैल के बाद कुछ कारणों से मंदिर समिति ने वहां मना कर दिया। इसके बाद भी इनके हौसले कम नहीं हुए। समाजसेवा की सच्ची भावना रखने वाले इन लोगों को योग वेदांता सेवा समिति का सहयोग मिला। जिन्होंने 18 अप्रैल से नि:शुल्क सिंधु भवन उपलब्ध करा दिया। इसके साथ टेंट के सामान सहित 4 से 5 सदस्यों को भी इस काम के लिए लगा दिया। अब यह स्थिति है जहां रोजाना सुबह पटेलपाली से सब्जियां आती हैं। इसके बाद 8 बजे से 12 बजे तक चार घंटे में महिलाएं, पुरुष, मिलकर भोजन तैयार करते है। बंशीधर पटेल ने बताया कि हम 17 मई के बाद यदि फिर से लॉकडाउन लगाता है तो उसके आगे भी अपना कार्य जारी रखेंगे।



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Food fed to 5 thousand needy people in 30 days




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रिसाइकिल चेंबर में उतरे थे 3 मजदूर, पानी डालते ही बनी गैस से हुए बेहोश, ऊपर खड़े 4 मजदूर भी आए चपेट में

विशाखापटनम में गैस लीकेज से लोगों की मौत की खबर की चर्चा के बीच पुसौर के तेतला में स्थित शक्ति पेपर मिल में गैस लीकेज से सात लोगों के बीमार होने की खबर आई। हादसा बुधवार की दोपहर 4.30 बजे के करीब हुआ था लेकिन मिल संचालक ने इस छिपाया। बीमार हुए लोगों में तीन गंभीर थे फिर भी उन्हें चुपचाप अस्पताल में भर्ती करा दिया। पुसौर की नायब तहसीलदार को रात 9 बजे सरपंच से जानकारी मिली।
बड़े अफसरों को 16 घंटे बाद घटना का पता चला। गुरुवार को कलेक्टर यशवंत कुमार और एसपी संतोष सिंह अस्पताल पहुंचे। पटवारियों और रेडक्रास कर्मचारियों को काम पर लगाया और तीन मजदूर रायपुर के अस्पताल भेजे गए। पेपर मिल सील करने के साथ ही संचालक पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। उल्लेखनीय है कि पुसौर क्षेत्र के तेतला गांव में आरडी गुप्ता की शक्ति पेपर मिल लॉकडाउन के कारण बंद पड़ी थी। इस मिल में साफ-सफाई के लिए कर्मचारी बुधवार को पहुंचे थे। शाम 4:30 बजे के करीब सात मजदूरों को पेपर रिसाइकिल चैंबर की सफाई करने के लिए भेजा गया। जिसमें तीन मजदूर चेंबर में उतर गए और पानी डाल कर टैंक साफ करने लगे। पानी डालते है चेंबर में जहरीली गैस बन गई। जिससे टैंक के अंदर उतरे तीनों मजदूर बेहोश हो गए। यह देख पास खड़े चार मजदूर और चैंबर में उतरने लगे, लेकिन गैस बनने का आभास होने पर वह अंदर नहीं उतरे और नीचे उतर कर उल्टियां करने लगे। मिल के संचालक ने आनन-फानन में चेंबर में बेहोश पड़े तीन लोगों को निकलवाया। सभी को इलाज के लिए रायगढ़ भिजवाया।

तबीयत बिगड़ी तो प्रशासन को दी सूचना

हालत बिगड़ती देख मिल प्रबंधन की ओर से देर शाम सभी मजदूरों को रायगढ़ के संजीवनी हास्पिटल में भर्ती कराया गया। इसके बाद अगले दिन गुरुवार दोपहर इनमें से 3 मजदूरों की हालत ज्यादा बिगड़ गई। इस पर मिल प्रबंधन की ओर से प्रशासन को सूचना दी गई। जिसके बाद कलेक्टर यशवंत कुमार, एसपी संतोष कुमार सिंह, सीएमएचओ डॉ. एसएन केशरी, एएसपी अभिषेक वर्मा, एसडीएम युगल किशोर सहित स्वास्थ्य अधिकारी अस्पताल पहुंचे।

चेंबर में उतरते ही इनकी बिगड़ी हालत
शक्ति पेपर मिल को चालू करने के लिए साफ सफाई काम चल रहा था। कुछ मजदूर फैक्ट्री के अंदर रिसाइकिल चेंबर की सफाई करने की तैयारी कर रहे थे। जैसे ही मजदूर डोलामणि सिदार (35), सुरेंद्र गुप्ता (28) अपधर मालाकार (40) टैंक में उतरने लगे तभी उनकी तबीयत बिगड़ गई। इन लोगों ने टैंक का ढक्कन हटाया ही था कि पास खड़े पुरंधन कुमार (21), अनिल कुमार (22), निमाणी भोय (40), रंजीत सिंह (34) अचेत हो गए।

पेपर मिल प्रबंधन पर गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज
एसपी संतोष सिंह ने बताया कि मिल में रिसाइकिल चेंबर की सफाई में बरती गई लापरवाही और हादसे को छिपाने के मामले में ऑपरेटर रंजीत सिंह और मालिक गुप्ता के खिलाफ देर शाम अपराध दर्ज कर लिया गया है। कर्मचारियों को बगैर सुरक्षा उपकरण के जोखिम वाला काम लापरवाही से कराने और जानलेवा गलती छिपाने के लिए पुलिस को सूचना नहीं दी। धारा 120(बी), 202, 284, 308 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

फैक्ट्री या कंस्ट्रक्शन साइट पर सतर्क रहें

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इस घटना के संबंध में कहा है कि, कई दिनों से बंद फैक्ट्री में ऐसा खतरा है। किसी टैंक या चेंबर की सफाई करते समय ध्यान रखें। इसके साथ ही निर्माणाधीन मकानों में टंकी या सेप्टिक टैंक में पानी, केमिकल, बांस, लकड़ी जैसी चीजें भरी होती हैं। कई दिनों की गर्मी और उमस के कारण खतरनाक गैस बनती है। मजदूरों से इसकी सफाई कराते समय विशेष ध्यान रखें। कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड गैस बनती है जो जानलेवा हो सकती है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने जाना हाल
पुसौर के तेतला पेपर मिल में प्रबंधन की लापरवाही से गैस रिसाव की घटना को लेकर प्रदेश में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी मिलते ही प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने मजदूरों के बेहतर इलाज के लेकर कलेक्टर और एसपी से हाल जाना। मंत्री ने अफसरों से कहा कि मजदूरों के इलाज में कमी न रखी जाए, प्रशासन द्वारा पीड़ित तथा उनके परिजनों को हर संभव मदद मुहैया कराई जाए। इसके साथ ही उन्होंने पूरे मामले की जांच के निर्देश भी दिए हैं।

रात को जानकारी नहीं मिली, सुबह पहुंची पेपर मिल

"सरपंच के माध्यम से रात करीब 9 बजे जानकारी मिली थी। रात में मिल मालिक से संपर्क कर जानकारी लेनी चाही, लेकिन पूरी जानकारी नहीं मिल सकी। सुबह वे मौके पर गईं तो वहां कोई नहीं था। इस पर उच्चाधिकारियों को जानकारी दी गई। मिल मालिक आरडी गुप्ता की लापरवाही सामने आने पर पंचनामा बना कर पेपर मिल को सील कर लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है। साथ ही सरपंच को निगरानी रखने के निर्देश दिए गए है।''
-माया आंचल, नायब तहसीलदार पुसौर



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3 laborers landed in the Recycling Chamber, unconscious of gas created by pouring water, 4 laborers standing above also came in grip and started vomiting.




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नया जिला अस्पताल 100 बेड का बनेगा, डाॅक्टरों व स्टाफ सहित 133 पद मंजूर

मेडिकल काॅलेज के अलावा अब जिले के लिए एक नया जिला अस्पताल भी बनेगा। इसके लिए शासन ने विशेषज्ञ डाॅक्टर सहित 133 पद स्वीकृत कर दिए हैं। इसके बजट के लिए डीडीओ एकाउंट भी शासन से जारी हो गया है।
अभी पुराने जिला अस्पताल के मेडिकल काॅलेज में समायोजित होने से यह कार्यरूप में नहीं रह गया था। यहां के पदस्थ डाॅक्टर व अन्य कर्मचारी भी मेडिकल काॅलेज का स्टाफ बन गए थे। इससे इनका वेतन भी मेडिकल कॉलेज के डीडीओ से निकलता है। नया जिला अस्पताल बनने से अब इसी के डीडीओ से इनका वेतन आने वाले समय में निकलेगा। नया जिला अस्पताल 100 बेड का होगा।
हालांकि नए जिला अस्पताल के पूरी तरह अस्तित्व में आने तक इसके डाॅक्टर व अन्य स्टाफ मेडिकल काॅलेज में अटैच रहेंगे, ताकि यहां का सेटअप में प्रावधान न हो। मेडिकल काॅलेज अस्पताल के एमएस सह सीएमएचओ डाॅ. पीएस सिसोदिया ने बताया कि जिला अस्पताल के लिए शासन का आदेश आ गया है।
10 स्पेशलिस्ट और 11 मेडिकल ऑफिसर होंगे

नए जिला अस्पताल में मेडिसिन, सर्जरी, शिशु रोग, गाइनिक, ईएनटी, निश्चेतना में विशेषज्ञ डाॅक्टर के दो-दो पद स्वीकृत हैं। इसके अलावा 11 मेडिकल ऑफिसर व 45 नर्सिंग स्टाफ सहित 133 कर्मचारी रहेंगे। आने वाले समय में इसका ओपीडी शुरू होगा। संभव है एमसीएच में इसका अलग से सेटअप तैयार कर दिया जाए।

शासन ने की थी घोषणा लेकिन पद अब हुए मंजूर

राज्य शासन ने अंबिकापुर में नया जिला अस्पताल के लिए घोषणा की थी, लेकिन पद अब तक स्वीकृत नहीं हुए थे। इसको लेकर एमएस सह सीएमएचओ डाॅ. पीएस सिसोदिया द्वारा शासन को पत्र लिखा गया था। फिर 4 मई को डीडीओ के लिए प्रस्ताव भेजा गया। इसके बाद शासन से पद भी स्वीकृत कर डीडीओ एकाउंट चालू कर दिया गया। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।



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दूसरे राज्यों में काम करने गए 30355 मजदूर फंसे

बेमेतरा जिले से दूसरे राज्यों में मजदूरी करने 30355 मजदूर गए हुए हैं जो लॉकडाउन के कारण फंसे हैं। जिला पंचायत सीईओ रीता यादव के मुताबिक ये आंकड़े जिला प्रशासन द्वारा शासन को भेजा गया है। इसमें मुख्य रूप से जिले के करीब 15 हजार मजदूर महाराष्ट्र के पुणे शहर में फंसे हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी फैली हुई है। एहतियात के तौर पर महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश के लखनऊ से आने वाले मजदूरों के ठहरने के लिए जिला प्रशासन ने अलग से व्यवस्था बनाई है। शासन द्वारा ऐसे मजदूरों को घर वापसी की अनुमति दी गई है जो धीरे-धीरे अपने गांव पहुंचने लगे हंै।
राज्य शासन को स्थानीय प्रशासन द्वारा मजदूरों की जानकारी भेज दी गई है। मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखने के लिए ग्राम पंचायत, सामुदायिक भवन व स्कूल में रखने की व्यवस्था की गई है। जहां 14 दिन तक क्वारेंटाइन में रखा जाएगा। व्यवस्था बनाने को लेकर जिला प्रशासन द्वारा पंचायत भवन, स्कूल की साफ-सफाई कर सैनिटाइज करने कहा गया है।
सचिव, पुलिस व पंचायत पदाधिकारी करेंगे मजदूरों की निगरानी: जिला पंचायत सीईओ रीता यादव ने बताया कि बेमेतरा जिले से 30355 मजदूर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए है। जिसकी जानकारी राज्य सरकार को भेजी गई है। इसमें करीब 15000 मजदूर महाराष्ट्र के पुणे शहर में है। मजदूरों के लौटने पर उन्हें ग्राम पंचायत, सामुदायिक भवन में 14 दिन तक क्वारेंटाइन पर रखा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे मजदूरों का स्वास्थ्य जांच किया जाएगा। मजदूरों की निगरानी रखने सचिव, पुलिस बल के साथ कोटवार और पंचायत प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ताकि कोई भी व्यक्ति क्वारेंटाइन सेंटर से बिना अनुमति के बाहर ना निकल सके।

इधर गांव में रह रहे लोग संक्रमण की आशंका से डरे
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के फैलने व मजदूरों के लौटने से गांवों के लोग दहशत में है। इसके साथ ही सुरक्षा को देखते हुए ग्रामीण मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर से बाहर नहीं निकलने की मांग कर रहे हैं। ताकि संक्रमण का खतरा न रहे। शहरी क्षेत्र में क्वारेंटाइन सेंटर में एक साथ बड़ी संख्या में मजदूरों को ठहराने की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होने के कारण प्रशासन फिलहाल गांव गांव में सरकारी भवनों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने व स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर व्यवस्था बनाई गई है। ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवा के अलावा रहने की समुचित सुविधाएं मिल सके।



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अप्रैल-मई का अतिरिक्त चावल व चना 31 तक ले सकेंगे फ्री में

जिले के 442 राशन दुकानों में चावल लेने को लेकर लगाई गई बंदिशें हटा दी गई है। अब बीपीएल कार्डधारी कभी भी इस माह के अंदर चावल लेने पहुंच सकते हैं।
अप्रैल-मई का अतिरिक्त चावल पहुंच गया है। जिसे 31 मई तक मुफ्त में ले सकेंगे। जून का चावल इस माह नहीं ले जाएंगे तो अगले माह ले जा सकते हैं। पहले वार्डवार हितग्राहियों को बुलाकर चावल वितरित किया जा रहा था। जिसके कारण लोग जरुरी काम छोड़कर चावल लेने लाइन लगाने मजबूर थे लेकिन अब आवश्यकता अनुसार पहुंच सकते हैं। मास्क पहनना जरूरी है। इस माह से अप्रैल, मई और जून का अतिरिक्त चावल बांटा जा रहा है। इसके अलावा जून माह का आवंटन हिसाब से बांट रहे हैं।
अफसरों का कहना है कि लोगों में जागरुकता आने लगी है, भीड़भाड़ न हो इसलिए राशन दुकानों के सामने मार्किंग की गई है। इसी हिसाब से लोग अपने सुविधानुसार चावल लेने के लिए पहुंच रहे हैं।
साबुन, बाल्टी, पानी की व्यवस्था की गई है ताकि हाथ धोकर लोग चावल लेने लाइन में लग सकें। इससे कोरोना का संक्रमण भी नहीं रहेगा। सोशल डिस्टेंस का पालन होगा। पहली बार चार ब्लॉक बालोद, गुरूर, गुंडरदेही व डौंडीलोहारा के बीपीएल परिवारों को चावल के साथ एक किलो चना भी दिया जा रहा है।
जिला खाद्य अधिकारी विजय किरण ने बताया कि अप्रैल-मई का अतिरिक्त चावल राशन दुकानों में पहुंच चुका है, कार्ड दिखाकर हितग्राही 31 मई तक ले जा सकते हैं। इसके बाद जून माह में उसी माह का आवंटन ले सकते हैं। इसमें किसी तरह की बाध्यता नहीं है। हमारा उद्देश्य यही है कि सभी को शासन के आदेश व आवंटन अनुसार चावल मिले।

जिनके पास कार्ड नहीं वे परेशान न हों, उन्हें पंचायतों व अन्न बैंक से मिलेगा चावल, नान से कर रहे हैं भंडारण
जिले के 8 शहरी और 435 ग्राम पंचायत क्षेत्र में जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी प्रत्येक सदस्य के हिसाब से 5-5 किलो चावल मिलेगा। ऐसे परिवारों के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अलग-अलग व्यवस्था बनाई गई है। ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं शहरी क्षेत्र में अन्न बैंक के माध्यम से जरूरतमंदों को चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्तमान में आवंटन अनुसार बीपीएल व एपीएल परिवारों को चावल वितरण किया जा रहा है। जिला खाद्य अधिकारी विजय किरण ने बताया कि जिन परिवारों के पास कार्ड नहीं है, आवेदन लेकर राशन कार्ड बना रहे हैं। दरअसल शासन ने निर्णय लिया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में प्रभावित राशनकार्ड विहीन परिवारों को भी खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराया जाए। सभी राशन दुकानों में चावल, चना का वितरण हो रहा है। शासन, खाद्य, नान विभाग की ओर से चावल, चना का भंडारण अब तक जारी है। ताकि सभी लोगों को सामग्री दी जा सके और कोई परेशानी न हो।



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Additional rice and gram of April-May can be taken up to 31 free




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निजी स्कूलों में आरटीई सीटों के लिए आवेदन 30 तक

निजी स्कूलों में आरक्षित शिक्षा का अधिकार (आरटीई) की सीटों के लिए आवेदन 30 मई तक स्वीकार किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया फिर शुरू हो चुकी है। सीटों के आबंटन के लिए जून के पहले सप्ताह में लॉटरी होने की संभावना है।
आरटीई के दायरे में आने वाले राज्यभर के निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए आवेदन की प्रक्रिया मार्च से शुरू हुई। शुरुआत में आवेदन की संख्या अच्छी रही। लेकिन लॉकडाउन की वजह से धीरे-धीरे यह कम हो गई। राज्य के 6480 निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार से 81452 सीटें आरक्षित है। इनके लिए 60678 आवेदन मिले हैं। यानी जितनी सीटें हैं उतने भी आवेदन विभाग को नहीं मिले हैं। रायपुर व कुछ अन्य जिलों को छोड़ दिया जाए तो कई जगह सीटों की तुलना में आरटीई आवेदन कम मिले हैं। कुछ दिन पहले आवेदन की प्रक्रिया को शिक्षा विभाग ने स्थगित किया था। एक बार फिर फार्म स्वीकार किए जा रहे हैं। 30 मई तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बने नोडल सेंटर की मदद से भी आरटीई के लिए आवेदन भरे जाते थे। स्कूल अभी बंद है इसलिए आवेदन में पैरेंट्स को परेशानी हो रही है। इसके अलावा साइबर कैफे भी बंद है, इसकी वजह से भी आवेदन में कमी आई है।
गौरतलब है कि ऑनलाइन पोर्टल eduportal.cg.nic.in/rte के माध्यम फार्म भरे जा सकते हैं। आवेदन के लिए जन्म प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा से नीचे प्रमाण, सरकारी अस्पताल से प्रमाण पत्र, चाइल्ड वेलफेयर समिति की सूची में नाम जरूरी है।
सिर्फ रायपुर में ही सीट से ज्यादा आवेदन
रायपुर के निजी स्कूलों में आरटीई की 8678 सीटें हैं। इनकी तुलना में आवेदन की संख्या कुछ ज्यादा है। जबकि दूसरे अन्य जिलों में सीटों के आवेदन कम मिले हैं। जैसे बिलासपुर में 10578 सीट है। इसके लिए 5169 आवेदन मिले हैं। राजनांदगांव में 4558 सीटों के लिए 3611 आवेदन मिले हैं। जांजगीर चांपा में 6734 सीटों के लिए शिक्षा विभाग को 4796 फार्म मिले हैं। इसके अलावा कई अन्य जिले हैं जहां सीटों से आवेदन कम प्राप्त हुए हैं।
उम्र के अनुसार क्लास का होगा चयन
शिक्षा के अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों में आरक्षित सीटों के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। उम्र के अनुसार क्लास का चयन होगा। उसके अनुसार ही सीटों का आबंटन होगा। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी-1 और कक्षा पहली में प्रवेश होगा। 3 से 4 वर्ष तक की उम्र के लिए नर्सरी। 4 से 5 साल के लिए केजी-1 और 5 से साढ़े छह साल तक की उम्र वाले के बच्चों का प्रवेश कक्षा पहली में होगा।



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32 करोड़ से दोबारा बनेंगी पीएमजीएसवाय की 98 सड़कें, ऑपरेटर नहीं मिलने से सिर्फ 5 का ही काम शुरू

जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी 10 साल पुराने सड़कों को दोबारा बनाने 32 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है। इसके साथ ही पांचों ब्लाॅक में 98 सड़कों को नए सिरे से बनाया जाएगा। अब लॉकडाउन में निर्माण शुरू करने की छूट मिलने के बाद मशीन ऑपरेटर ही नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह से पांच सड़कों का निर्माण ही शुरू हो पाया है। बारिश के पहले सभी सड़कें बनना मुश्किल है। इन सड़कों के नहीं बनने से 3 लाख आबादी को फायदा होगा, लेकिन अभी बन रही सड़कों से मात्र 20 हजार को आवाजाही में सुविधा मिल पाएगी।
मुख्य सड़कों के साथ ही ग्रामीण सड़कों की हालत ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 से 15 साल पुरानी सड़कें उखड़ गई हैं। जिसकी वजह से ग्रामीणों को आवाजाही में परेशानी होती है। पीएमजीएसवाय फेस-3 के तहत इन सड़कों को फिर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। 98 सड़कों के लिए फंड की मंजूरी मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण करा ली गई थी। लेकिन काम शुरू होता इसके पहले ही लॉकडाउन लग गया। अब जाकर काम शुरू कराया गया है। बारिश के पहले अधिकांश सड़कों की हालत नहीं सुधर पाएगी। इस मुख्य वजह ठेका कंपनियों के पास काम करने वाले ऑपरेटरों की कमी भी है। अधिकांश आॅपरेटर झारखंड, बिहार के होते हैं। जो लॉकडाउन में वापस लौट चुके हैं।
सड़कों का काम पूरा कराने का प्रयास: ईई
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के ईई कमल साहू का कहना है कि अभी 5 सड़कों का काम चल रहा है और भी काम शुरू हों, इसका प्रयास किया जा रहा है। ठेकेदारों से चर्चा की जा रही है। जो काम चल रहे हैं वह जून तक पूर्ण हो जाएगा। एक ठेकेदार के पास कई काम हैं इसलिए और भी सड़कों का रीनिवल हो जाएगा।
जानिए किस ब्लाॅक में कितने किलोमीटर की सड़कें बनेंगी
ब्लाॅक संख्या लंबाई लागत (लाख में)
करतला 19 55.43 730.79
कोरबा 17 63.64 1013
कटघोरा 16 36 563.83
पोड़ी-उपरोड़ा 22 91.70 1345.13
पाली 24 76.49 1103
इन पांच सड़कों का चल रहा है निर्माण
98 में से 5 सड़कों का काम चल रहा है। जिसमें बालको रिंगरोड से कुदरी तक 2.22 किलोमीटर, पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाॅक में पडरापथरा सड़क, सेन्हा रोड, मदनपुर रजकम्मा के साथ बिंझरा सड़क शामिल है। इन सड़कों का काम जून तक पूर्ण हो जाएगा।
पर्यटन केंद्र जाने सतरेंगा की सड़क अभी तीन महीने और नहीं बन पाएगी
पर्यटन केन्द्र सतरेंगा जाने के लिए बालको से गढ़ उपरोड़ा तक सड़क बनाने 30 करोड़ मंजूर हैं। अभी मरम्मत के नाम पर गड्‌ढों को मिट्टी से पाटा गया है। अप्रैल में काम शुरू होने वाला था। लेकिन टेंडर प्रक्रिया लॉकडाउन की वजह से समय पर नहीं हो पाई। अब अनुबंध करने में ही समय लग जाएगा। तीन महीने बाद ही सड़क बनेगी।
लेटलतीफी का यह होगा असर : लोगों को तीन माह फिर करना पड़ेगा इंतजार
बारिश के पहले जून तक सड़कें नहीं बनीं तो तीन माह और इंतजार करना पड़ेगा। ग्रामीणों को खराब सड़कों पर ही चलने की मजबूरी होगी। खरवानी से सरईपाली तक 2 किलोमीटर की सड़क इतनी खराब है कि पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। जिले की कई ग्रामीण सड़कों की यही हालत है।



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PMGSY's 98 roads to be rebuilt from 32 crores, only 5 work started due to lack of operator




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रिकवरी 0.37% बढ़ी पर शक्कर उत्पादन 40% घटा, सीएम ने प्रबंधन से मांगे जवाब

जिले के एकमात्र शक्कर कारखाना करकाभाट में इस सीजन पेराई सत्र खत्म होने के बाद भी आय-व्यय कितना हुआ है, इसको लेकर बैठक नहीं हो पाई है। अफसर तर्क दे रहे हैं कि लॉकडाउन के कारण अभी हिसाब नहीं कर पाए हैं। जबकि राज्य शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कारखाना घाटे में चल रहा है इसलिए प्रबंधन से जवाब मांगा गया है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संज्ञान लेकर दो सप्ताह में जवाब देने कहा है, ताकि वास्तविकता जान सकें।
पिछले साल की तुलना में इस सीजन रिकवरी 0.37% बढ़ा है पर शक्कर उत्पादन 40% कम हुआ है। लिहाजा नुकसान तय है। महाप्रबंधक पीतांबर ठाकुर कह रहे हैं कि फायदा नहीं होगा लेकिन घाटा भी कम होगा। फिलहाल शक्कर कारखाना 48 करोड़ 41 लाख 99 हजार रुपए के घाटे में चल रहा है। जिसकी पुष्टि खुद कारखाना महाप्रबंधक व संचालक बोर्ड अध्यक्ष कर रहे हैं। जबकि वर्ष 2009 में कारखाना तैयार होने में ही 50 करोड़ रुपए की लागत आई थी। अब नए सिरे से जवाब प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं।

1 किलो शक्कर बनाने में खर्च 37 रु., बेच रहे 31 में
कारखाना प्रबंधन के अनुसार एक किलो शक्कर बनाने में 37 रुपए खर्च हो रहा है। जिसमें गन्ना से लेकर कर्मचारियों के मजदूरी लागत शामिल है, जबकि एक किलो शक्कर 31 रुपए या इससे कम में बिक रहा है यानि आय और व्यय में ही 6 रुपए का अंतर है। यह इसलिए हो रहा है कि क्योंकि रिकवरी प्रतिशत 10 के नीचे ही है।
पांच महीने लगातार पहुंचे गन्ना तब दूर होगी समस्या
कारखाना में लगातार पांच माह तक पेराई के लिए 3500 हेक्टेयर यानि दो लाख मीट्रिक टन गन्ने की जरूरत है। लेकिन 5 जिले से गन्ना मंगाने के बाद भी यह कोटा पूरा नहीं हो पाता। बालोद से 1703.02 हेक्टेयर रकबे में लगा गन्ना कारखाना पहुंचता है। यहां 1803.02 हेक्टेयर में गन्ना लगाने रकबा तय है।
इस बार गन्ने की कमी के कारण उत्पादन कम
कारखाना में 48 करोड़ रुपए से ज्यादा घाटा ही है। कारखाना महाप्रबंधक पीतांबर ठाकुर ने कहा कि शासन ने जवाब मांगा है, देंगे। इस बार गन्ने की कमी के कारण उत्पादन कम हुआ है, इसलिए फायदा नहीं होगा हालांकि नुकसान भी कम होगा। अभी आय-व्यय का आकलन नहीं किए हैं।
गन्ना के बजाय धान को ज्यादा महत्व दे रहे किसान
जिले में सवा लाख किसान हैं। जिसमें एक लाख 11 हजार किसान धान की खेती करते हैं। कुछ ही किसान धान के अलावा शौक के लिए गन्ना लगाते हैं। किसान नेता छगन देशमुख, चंद्रेश हिरवानी ने कहा कि गन्ने का सही दाम मिले तो हालात सुधर सकते हैं। गन्ना किसानों की कमी हो रही है।
अफसरों से मांगेंगे जवाब: संचालक मंडल बोर्ड अध्यक्ष बल्दू राम साहू ने कहा कि अफसरों से जवाब मांगेगे कि इस साल कारखाना घाटे में रहा या घाटे में, अब तक बैठक नहीं हो पाई है। इसलिए मुझे जानकारी नहीं है। वैसे शासन ने जवाब मांगा है। इसी आधार पर सब तय होगा।
यह 6 सवालों का जवाब देगा प्रबंधन
1. कारखानों का शक्कर उत्पादन, लागत शक्कर के विक्रय मूल्य से हमेशा अधिक रहा है, उत्पादन लागत अधिक होने के क्या कारण हैं?
2. उत्पादन लागत कम करने के लिए प्रबंध संचालकों ने क्या कार्रवाई की है?
3. कारखानों में कर्मचारियों व श्रमिकों की संख्या आवश्यकता से अधिक नियुक्ति क्यों की गई है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
4. शक्कर कारखानों में प्रबंध संचालकों ने स्थापना व्यय कम करने के लिए क्या क्या प्रयास किए हैं?
5. शक्कर कारखाने के प्रबंधन ने भारत सरकार से विक्रय के लिए प्राप्त आवंटन कोटे का विक्रय निर्धारित समय सीमा में की है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
6. सहकारी शक्कर कारखाना द्वारा आवंटित निर्यात कोटे का शक्कर विक्रय निर्धारित समयावधि में की गई है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा जाए। सहकारी शक्कर कारखानों का वैधानिक अंकेक्षण पूरा किया गया है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सहकारी शक्कर कारखानों के वित्तीय हानि को दूर करने के उपायों पर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए।
ऐसे समझें- रिकवरी और उत्पादन को
कारखाना संचालक मंडल के अनुसार पिछले साल 83 हजार 200 क्विंटल शक्कर उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल 52 हजार 740 क्विंटल शक्कर उत्पादन हुआ है। पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत उत्पादन कम हुआ है। वहीं पिछले साल की अपेक्षा इस बार रिकवरी प्रतिशत 0.37 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले साल रिकवरी 9.12 प्रतिशत तो इस बार 9.49 प्रतिशत रहा।



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90 पक्षकारों ने लिया ई-अपाइंटमेंट, 45 ही पहुंच पाए कार्यालय, 43 की हुई रजिस्ट्री

सैंतालीस दिनों बाद जिले के उपपंजीयक कार्यालय शुरू हुए। रजिस्ट्री कराने के लिए आइंटमेंट अनिवार्य होने के कारण 90 लोगों ने ई-अपाइंटमेंट के लिए आवेदन किया था, लेकिन रजिस्ट्री कराने केवल 45 लोग ही पहुंचे। सरकार को इससे पहले ही दिन 16 लाख 69 हजार 930 रुपए राजस्व प्राप्त हुए।
पिछला वित्तीय वर्ष मार्च माह समाप्त होने के अंतिम दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन हो गया। वैसे मार्च के अंतिम दिनों में ही रजिस्ट्री अधिक होती है, लेकिन सभी कार्यालय बंद होने के कारण 20 मार्च के बाद से कहीं रजिस्ट्री नहीं हो सकी। इसके बाद 45वें दिन उप पंजीयक कार्यालय खोलने का आदेश हुआ। 4 मई से कार्यालय खुलने थे, लेकिन उप पंजीयक कार्यालयों को भी अ, ब और स श्रेणी में विभाजित कर उनके खुलने के लिए अलग अलग दिन निर्धारित किए गए। अ वर्ग के उप पंजीयक कार्यालय रोज खोले जा रहे हैं वहीं ब वर्ग के लिए दो दिन बुधवार और शुक्रवार निर्धारित किया गया है तथा स वर्ग के उप पंजीयक कार्यालय में केवल एक दिन बुधवार को ही रजिस्ट्री होगी।
अपाइंटमेंट लेकर एक मिनट भी लेट पहुंचने पर नहीं हो सकेगी रजिस्ट्री
जमीन की खरीदी बिक्री के लिए ई आइंटमेंट अनिवार्य किया गया है। विक्रेता को संपूर्ण दस्तावेज के साथ पंजीयक कार्यालय में उनके लिए निर्धारित समय से कम से कम दस मिनट पहले पहुंचना होगा। ताकि उनके दस्तावेजों की जांच की जा सके। इसे ऐसे समझें यदि किसी व्यक्ति को 12 बजे का समय मिला है तो उसे 11:50 बजे तक हर हाल में उपपंजीयक के सामने दस्तावेजों सहित उपस्थित होना पड़ेगा। क्योंकि दस्तावेजों की जांच पहले उप पंजीयक करेंगे, फिर उन पेपर्स की जांच के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा उसकी स्कैनिंग की जाएगी। इसके बाद फिर रजिस्ट्री का प्रोसेस शुरू होगा, यदि नियत समय पर नहीं पहुंचे तो आइंटमेंट का वह समय स्वयं ही कैंसिल हो जाएगा।
जिले के 7 कार्यालयों में हुई रजिस्ट्री, ये आज भी खुलेंगे
जिले में कुल नौ उप पंजीयक कार्यालय हैं। इनमें से सात जांजगीर, चांपा, अकलतरा, सक्ती, पामगढ़, जैजैपुर और नवागढ़ को रजिस्ट्री की संख्या के आधार पर ब वर्ग में रखा गया है। ये सभी रजिस्ट्रार कार्यालय सप्ताह में दो दिन यानि बुधवार और शुक्रवार को खुलेंगे। वहीं मालखरौदा और डभरा को स वर्ग में रखा गया है। इन दोनों कार्यालयों में केवल बुधवार को ही रजिस्ट्री होगी।
कहां कितनी रजिस्ट्री हुई पहले दिन
तहसील ईअपाइंटमेंट उपस्थित रजिस्ट्री राजस्व
जांजगीर 18 05 05 4,30,440
सक्ती 12 07 07 1, 67, 085
चांपा 02 02 02 1, 06, 280
डभरा 08 06 06 3, 27, 410
पामगढ़ 08 04 04 77,490
मालखरौदा 01 0 0 0
जैजैपुर 19 09 07 1,69,730
नवागढ़ 17 08 08 2,75, 800
अकलतरा 05 04 04 1, 15, 695
डेटा स्त्रोत: जिला पंजीयक कार्यालय
एक-एक कर तीन को ही प्रवेश की अनुमति
जांजगीर के उप पंजीयक अमित शुक्ला ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सरकार के गाइडलाइन के अनुसार सेनिटाइजेशन की पूरी व्यवस्था की गई है। फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए रस्सी भी लगाई गई है। अधिक लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। पहले विक्रेता को बुलाया जाता है फिर क्रमश: क्रेता व एक गवाह को ही बारी बारी से प्रवेश की अनुमति है।
लेना होगा ई अपाइंटमेंट, आरोग्य सेतु एप भी जरूरी, तभी हो सकेगी कार्यालय में एंट्री
जिला पंजीयक बीएस नायक ने बताया रजिस्ट्री कराने वाले पक्षकार को विभाग के पोर्टल https://epanjeeyan.cg.gov.in/IGRPortalWeb में जाकर ई आइंटमेंट लेना होगा। कार्यालय में प्रवेश करने वालों केलिए यह भी अनिवार्य है कि वे अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड रखें ताकि उनके स्वास्थ्य की जानकारी हो सके।



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भिलाई तीन में 350 लीटर केरोसीन से भरा टैंकर जब्त

भिलाई-3 पुलिस ने गुरुवार को केरोसीन से भरा टैंकर जब्त किया है। टैंकर में करीब 350 लीटर पीडीएस केरोसीन होने की संभावना हैं। शंका है कि टैंकर के जरिए मिट्टी तेज की कालाबाजारी की जा रही थी। पुलिस को टैंकर लावारिश हालत में क्षेत्र में खड़ा मिला है।
पुलिस टैंकर के चालक और मालिक की तलाश कर रही है। टीआई संजीव मिश्रा के मुताबिक कोवित्रम इंजीनियरिंग वर्क के सामने टैंकर के खड़े होने की सूचना मिली थी। इंजीनियरिंग वर्कस में ट्रक की बॉडी बनाने का काम होता है। टीम पहुंची तो वहां पर ना मालिक मिला और न ड्राइवर का पता चला।
रसोई गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी, 11 की जब्ती
दुर्ग | शहर में गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी शुरू हो गई है। यह सिलेंडर कहां से और कैसे पहुंच रहे हैं, फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो पाया है। खाद्य विभाग ने केलाबाड़ी क्षेत्र से करीब 11 नग सिलेंडर जब्त किया है। मामले में आरोपी जेठूराम साहू के विरुद्ध घरेलू सिलेंडरों का अवैध भंडारण एवं परिवहन के मामले में द्रवित पेट्रोलियम गैस प्रदाय एवं वितरण अधिनियम आदेश 2000 की धारा (3)(4)(6) व (7) के तहत कार्रवाई की। खाद्य नियंत्रक सीपी दीपांकर ने बताया कि मामले में आगे की कार्यवाई जारी है।



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3 करोड़ रु. बिल वसूलने 200 को बीएसपी ने थमाया नोटिस

बीएसपी के नगर सेवाएं प्रशासन की बिजली विभाग ने 3 करोड़ से अधिक बकाया बिजली बिल वसूलने के लिए इनकम टैक्स, बीएसएफ, पुलिस प्रशासन सहित 200 उपभोक्ताओं को नोटिस जारी किया है। इन्हें बकाया बिजली बिल का भुगतान करने 15 दिनों का समय दिया है। इस अवधि में भुगतान नहीं करने की स्थिति में बीएसपी प्रबंधन ने बिजली कनेक्शन काटने की चेतावनी दी है।
बिजली विभाग ने ऐसे करीब 400 उपभोक्ताओं की सूची तैयार की है, जिन्होंने वर्षों से बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। इनमें इनकम टैक्स विभाग (9 लाख), बीएसएफ ( साड़ी 5 लाख) और पुलिस प्रशासन (7 लाख) जैसे उपभोक्ता शामिल हैं।

नोटिस देकर ली जा रही है रिसिप्ट, चेतावनी भी दी
बिजली विभाग पूर्व में बकायादारों को नोटिस तो जारी करता था लेकिन रिसीव कॉपी नहीं लेता था। इस बार विभाग ने इस प्रैक्टिस को बदलते हुए नोटिस थमाने के साथ ही रिसिप्ट भी ले रहा है। नोटिस में भुगतान के लिए 15 दिनों का समय दिया जा रहा है। कनेक्शन काटने की भी चेतावनी दी है।
दोबारा लाइन जोड़ने पर भी वसूली जाएगी पेनाल्टी
बिजली विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करने पर लाइन तो काटी जाएगी, इसके बाद भुगतान करने पर दोबारा लाइन जोड़ने के लिए भारी भरकम जुर्माना वसूला जाएगा।



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राहत...नावाबाजार के 33 संदिग्ध श्रमिकों का सैंपल आया निगेटिव

नावाबाजार के सटे पीएचसी में बने क्वारेंटाइन सेंटर में प्रवास से लौटे व विगत 29 अप्रैल से भर्ती 33 प्रवासी श्रमिकों का सैंपल निगेटिव आने पर प्रखंडवासी प्रशासन व वासियों ने खुशी जाहिर करने के साथ सभी को सुकून मिला।ब्लॉक प्रमुख रविंद्र कुमार पासवान, सेंटर प्रभारी अशोक कुमार मीणा व इटको मुखिया दीपक गुप्ता तथा रबदा पंचायत के मुखिया डॉ. बीरेंद्र राम ने उन्हें सेंटर से विदा होने के समय सभी 33 प्रवासी श्रमिकों के ऊपर फूल बरसाए। वहीं सामुदायिक प्रभारी ने सभी को घर में रहने, सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने तथा जरूरी होने पर मास्क लगाकर ही बाहर निकलने व हैंड वाश व सैनिटाइजर के इस्तेमाल की शपथ दिलायी।



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फसल ली ही नहीं और उठा रहे बीमा का फायदा, 25 से 30 हजार रुपए तक भुगतान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उन किसानों को भी बीमा की राशि मिल गई है जिन्होंने धान की फसल ली ही नहीं। पटवारी ने फसल नुकसान की ऐसी रिपोर्ट बनाई कि अपात्रों को भी फायदा हो गया। ऐसा ही मामला लिटिया गांव में सामने आया है। यहां 6 किसानों को खेती के बिना ही बीमा योजना का लाभ मिल गया है।
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी कर दी है और हल्का पटवारी पर गड़बड़ी का आरोप लगाया है। कृषि विभाग के उप संचालक जीएस ध्रुव ने बताया कि ग्रामीणों को इस संबंध में बीमा कंपनी से शिकायत करनी होगी। बीमा राशि कंपनी के माध्यम से जारी हुई है। लिटिया में फसल बीमा की राशि आने के बाद जब चर्चा छिड़ी तब इस बात का खुलासा हुआ कि कुछ ऐसे किसान भी हैं जो कि तीन से चार साल से खेती नहीं कर रहे हैं और जमीन बेकार पड़ी है पर इन किसानों को बीमा की राशि मिली है। जबकि कुछ किसानों को नुकसान झेलने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है।

बीमा लाभ के लिए पटवारी की रिपोर्ट जरूरी

गांव के राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि पटवारी के रिपोर्ट के आधार पर ही फसल बीमा का लाभ मिलता है। यह खुद पटवारी ने ही बताया है। पटवारी के पास जब कोई छोटा किसान बीमा संबंधित काम के लिए संपर्क करता हैं तो उसे टाल दिया जाता है। जबकि बड़े किसानों को पूरा तवज्जो दिया जा रहा है। ग्रामीण वीरेंद्र जंघेल ने बताया कि पटवारी की मिलीभगत से ही बड़े किसानों को खेती नहीं करने के बाद भी बीमा की राशि मिली है। इस संबंध में बताया कि जिस किसान को फायदा हुआ है, उसकी जमीन पांच साल से बेकार पड़ी है। ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार इसकी शिकायत कर रहे हैं पर अफसर जांच करने सामने नहीं आ रहे हैं। बताया कि कृषि विभाग के अफसरों से संपर्क किया गया था पर लॉकडाउन का बहाना कर गांव ही नहीं आए।



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शहर में 1.35 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी सड़क विधायक छाबड़ा ने किया शुभारंभ

विधायक आशीष छाबड़ा ने शुक्रवार को नगर में 1.35 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले सड़क डामरीकरण रिनुवल कार्य का नारियल फोड़कर शुभारंभ किया। शहर के पियर्स चौक से लेकर जिला सत्र न्यायालय से होकर भगवान परशुराम चौक होते हुए दुर्ग रोड तक सीमेंट सड़क पर डामरीकरण किया जाना है। सड़क पर डामरीकरण कार्य हो जाने से बेमेतरा शहर की आंतरिक मार्गों का भी सौंदर्यीकरण हो जाएगा। इससे लोगों को सड़कों पर बने गड्ढे से राहत मिलेगी। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष शकुंतला मंगत साहू, सभापति मनोज शर्मा, नगर पालिका उपाध्यक्ष पंचू साहू, पार्षद रानी सेन, प्रांजल तिवारी, प्रवीण राजपूत, सीएमओ होरी सिंह ठाकुर, कार्यपालन अभियंता निर्मल सिंह, अनुविभागीय अधिकारी दलगंजन साय, उपअभियंता सचिन शर्मा, राकेश वर्मा मौजूद थे।



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MLA Chhabra inaugurates ~ 1.35 crore road in the city




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पति के बाहर होने पर 3 दोस्तों ने की दुष्कर्म की कोशिश, विरोध करने पर जलाया, आरोपी गिरफ्तार

बांगो थाना अंतर्गत मोरगा चौकी के पतुरियाडांड निवासी एक व्यक्ति से मिलने के लिए बुधवार की रात 10 बजे पहुंचे गिद्धमुड़ी गांव के शरद मसीह (27), प्रीतम पैकरा (22) व सरोज गोड़(22) ने उसकी गैरमौजूदगी में उसकी पत्नी पर मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगा दी। रात में ही महिला को पोड़ी-उपरोड़ा अस्पताल पहुंचाया गया।
जहां 40 फीसदी से अधिक झुलसे होने की वजह से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। पुलिस ने राजपत्रित अधिकारी की मौजूदगी में गुरुवार को वहां पीड़िता का मरणासन्न बयान लिया था। जिसमें उसने घटना का जिक्र करते हुए आरोपियों को सजा दिलाने की मांग की। बयान के आधार पर बांगो थाना में तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास व छेड़छाड़ का अपराध दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार को उन्हें कोर्ट पेश किया गया। कटघोरा एसडीओपी पंकज पटेल ने बताया कि पीड़िता के बयान में तीनों आरोपियों को रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। घटना के समय घर पर पीड़िता की 11 साल की पुत्री व 3 साल का पुत्र सो रहे थे। पुलिस ने जब पुत्री का बयान लिया तो उसने मां की चीख-पुकार सुनकर डर से आंख बंद करके लेटे रहने की बात कही है। दूसरी ओर पीड़िता को जिला अस्पताल से सिम्स बिलासपुर रेफर कर दिया गया है। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। पुलिस मामले में आगे की जांच-पड़ताल कर रही है।
पति के घर पर नहीं होने पर बिगड़ी थी दोस्तों की नीयत
पुलिस के मुताबिक तीनों आरोपी पीड़िता के पति से मिलने पहुंचे थे। दरवाजा खटखटाने पर पत्नी ने दरवाजा खोला और पति के बाहर होने की बात उनसे कही। इतने में उन तीनों की नीयत खराब हो गई। उन्होंने दुष्कर्म की कोशिश की तो महिला ने विरोध करते हुए चिल्लाने लगी। इतने में उन लोगों ने पकड़े जाने के डर से घर में रखे मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगा दी और वहां से भाग गए। महिला की चीख-पुकार से आसपास के लोग उठकर वहां पहुंचे। आग को बुझाया गया। महिला का पति भी लौट आया। घटना की सूचना पुलिस को देते हुए महिला को पोड़ी-उपरोड़ा अस्पताल भर्ती कराया गया।



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एक डॉक्टर सहित 9 नए संक्रमित, 523 एक्टिव केस के साथ राजस्थान में पहले नंबर पर पहुंचा जोधपुर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में कोरोना का फैलाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुलांचे भर तेजी से फैलते कोरोना को लेकर शुक्रवार को अलबत्ता कुछ राहत मिली और 9 नए संक्रमित सामने आए। इनमें महात्मा गांधी अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर भी शामिल है। वहीं 523 केस के साथ जोधपुर प्रदेश में एक्टिव केस के मामले में पहले स्थान पर पहुंच गया है।

साथ ही बाहरी क्षेत्र में नए मरीज मिलने से प्रशासन की मशक्कत बढ़ गई है। शहर में अब तक 851 कोरोना संक्रमित मिल चुके है। इनमें से सोलह की मौत हो चुकी है। वहीं 291 लोग ठीक होकर अपने घर लौट चुके है। जोधपुर शहर में आज नई सड़क क्षेत्र से 3, मधुबन हाउसिंग बोर्ड से 3, बलदेव नगर, शांतिप्रिय नगर व भदवासिया स्कूल के पीछे से एक-एक संक्रमित मिला है।

सबसे ज्यादा एक्टिव केस जोधपुर में

आंकड़ों के अनुसार पिछले एक सप्ताह से प्रदेश में सबसे ज्यादा राेगी जोधपुर में ही मिल रहे हैं, जिससे जोधपुर में एक्टिव केस भी बढ़ गए हैं। जोधपुर ने एक्टिव केस के मामले में जयपुर को भी पीछे छोड़ दिया है। जोधपुर में 851 मरीजों में 523 एक्टिव केस हैं ताे जयपुर में 1137 केसों में 407 एक्टिव केस हैं, जाे जोधपुर से 116 कम हैं। अजमेर 130 एक्टिव केस के साथ तीसरे नंबर पर है, लेकिन ये आंकड़ा जोधपुर से चार गुना कम है। चौथे नंबर पर चित्तौड़गढ़ में 114 एक्टिव केस हैं।

जयपुर-जाेधपुर में पॉजिटिव केस का अंतर भी घटा

जयपुर और जोधपुर में पॉजिटिव केस का अंतर भी लगातार घटता जा रहा है। 25 अप्रैल काे जयपुर में कुल पॉजिटिव केस 792 थे और जोधपुर में 326 यानी जोधपुर में जयपुर से 466 मरीज कम थे, लेकिन पिछले 10 दिन में जोधपुर में तेजी से मरीज बढ़े हैं और अंतर घटकर 286 का ही रह गया। नए मरीज मिलने से ही एक्टिव केस के मामले में जोधपुर सबसे आगे निकल गया।



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कोरोना को मात देकर अपने घर लौटते लोग।




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राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- दुष्कर्म पीड़िता को मुआवजा दिए जाने के बाद उसके पक्षद्रोही होने पर क्या किया, 13 मई तक जवाब देने का आदेश

(संजीव शर्मा)। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि दुष्कर्म मामले में पीड़िता को मुआवजा राशि देने के बाद में उसके पक्षद्रोही होने पर सरकार दिए गए मुआवजे की वसूली के लिए क्या कार्रवाई करती है? जस्टिस एसपी शर्मा ने यह अंतरिम निर्देश दुष्कर्म के आरोपी रिंकू की जमानत अर्जी पर दिया। वहीं, अदालत ने इस संबंध में सरकार से 13 मई को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

आरोपी ने यह कहा याचिका में
आरोपी ने याचिका में कहा कि नाबालिग पीड़िता के पिता ने 31 अक्टूबर को भरतपुर के भुसावर पुलिस थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में दुकान का शटर गिराकर पीड़िताके साथ दुष्कर्म करने की बात कही थी, लेकिन ट्रायल में पीड़िता ने दुष्कर्म से इनकार कर दिया और कोर्ट ने उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया,इसलिए उसे जमानत दी जाए।

इसके विरोध में सरकार ने कहा कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयानों में अपराध को दोहराया था,इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दें। जिस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दुष्कर्म मामलों में सरकार पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत जो मुआवजा राशि देती है यदि पीड़िता पक्षद्रोही हो जाती है तो वह दिए मुआवजे की वसूली के लिए क्या करती है।



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Rajasthan High Court on Ashok Gehlot Govt Over Bharatpur Bhusawar case




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कोरोना वार्ड में ड्यूटी के लिए 5 साल की बेटी व 3 साल के बेटे को दूर रखा

मेडिकल कॉलेज में मेल नर्स मुकुट नागर और उनकी पत्नी जिज्ञासा पिछले 14 दिनों से कोरोना वार्ड में सेवाएं देने के बाद क्वारेंटाइन में हैं। उनके 5 वर्ष की बेटी प्रज्ञा व 3 वर्ष का बेटा शुभम है, जो पिछले 46 दिनों से अपने माता-पिता से दूर गांव में अपने दादा-दादी के पास रह रहे हैं। वह बार-बार अपने माता-पिता के पास आने की जिद करते हैं, लेकिन किसी तरह उसे समझा बुझाकर रोक रखा है। दोनों पति-पत्नी बच्चे की चिंता न करते हुए कोरोना मरीजाें की सेवा में जुटे हुए हैं।
लगातार ड्यूटी के कारण दोनों पति-पत्नी भी आपस में मिलना तो दूर बात भी नहीं कर पा रहे हैं। मुकुट का कहना है कि मरीजों की सेवा करना हमारा कर्तव्य है। उसे ही प्राथमिकता देकर उन्हें स्वस्थ करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। जिज्ञासा नागर का कहना है कि मेडिकल के क्षेत्र में मरीजों की सेवा के लिए अाई हूं। उसे पूरा कर रही हूं। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में मरीजों की सेवा करने का पहली बार माैका मिला है जिससे बहुत कुछ नया सीखने को मिला है।



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5 year old daughter and 3 year old son kept away for duty in Corona ward




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नए अस्पताल से 3 और मरीज डिस्चार्ज किए गए

कोरोना मुक्त होने के बाद नए अस्पताल से शुक्रवार को भी 3 मरीज डिस्चार्ज किए गए। इसी के साथ कोटा से डिस्चार्ज हो चुके मरीजों का आंकड़ा 119 पहुंच गया है। अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील ने बताया कि आज डिस्चार्ज किए गए मरीजों में मोखापाड़ा की 35 साल की महिला, चंद्रघटा का 34 साल का पुरुष व 13 साल की बच्ची शामिल है। शुक्रवार काे हमारे यहां तीन मरीजों की डेथ भी हुई है, जो सभी कोरोना निगेटिव थे, इन्हें दूसरी बीमारियां थीं। गौरतलब है कि कोटा में अब तक कुल 174 मरीज ठीक हो चुके हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से बचाव के लिए सतर्कता दलाें का गठन हाेगा : कसेरा

ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से बचाव एवं निगरानी के लिए सतर्कता दलों का गठन किया जाएगा। यह आदेश कलेक्टर ओम कसेरा ने जारी किए। इन दलों का गठन लोकसेवक की देखरेख में स्थानीय लोगों द्वारा किया जाएगा। यह दल उस ग्राम में बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी रखने के साथ उसके आइसोलेशन की स्थिति पर भी निगरानी रखेंगे। ऐसे व्यक्ति से फॉर्म संख्या-4 भरवाना सुनिश्चित करेंगे और आइसोलेशन की अवधि पूर्ण होने तक उस पर निगरानी रखेंगे।



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7 मरीज चंद्रघटा के; इस इलाके में 1 महीने से कर्फ्यू फिर भी 232 में 143 पॉजिटिव यहीं से

काेटा में एक बार फिर काेराेना संक्रमित नए मरीजाें की संख्या में वृद्धि हुई है। शुक्रवार काे एक ही दिन में 9 नए मरीज आए हैं। इसी के साथ काेटा में कुल मरीजाें का आंकड़ा 232 पहुंच गया है। नए मरीजाें में छह चंद्रघटा, एक इंदिरा मार्केट, एक बाेरखेड़ा के महालक्ष्मीपुरम व एक लाडपुरा के विक्रम चाैक का निवासी है। महालक्ष्मीपुरम में रहने वाला 35 वर्षीय व्यक्ति काेटा थर्मल का कर्मचारी है, जाे थर्मल की आवासीय काॅलाेनी में सिविल मेंटीनेंस का काम देखता है और अपनी ड्यूटी के तहत उसका कर्मचारियाें की क्वार्टराें में आना-जाना रहता है। इसकी सूचना मिलने के बाद थर्मल प्रबंधन में भी हड़कंप मच गया और चीफ इंजीनियर ने उन सभी लाेगाें की सूची बनाकर चिकित्सा विभाग काे भेज दी, जाे बीते कुछ दिनाें में उक्त कार्मिक के संपर्क में आए हैं। इसके संपर्क में आए कुछ सहकर्मियाें और इंजीनियराें काे भी आइसाेलेट किया गया है। यह कार्मिक संक्रमित कैसे हुआ? इसे लेकर चिकित्सा विभाग पड़ताल कर रहा है, इतना जरूर सामने आया है कि वह नियमित ड्यूटी जा रहा था।

कम सैंपलिंग भी वायरस फैलने की वजह
कोटा में कम सैंपलिंग भी संक्रमण फैलने की बड़ी वजह है। टेस्टिंग कम होने से समय पर मरीजों का पता नहीं लगता। इस दौरान वे अन्य लोगों को संक्रमित कर देते हैं। हालांकि पिछले 2 दिनों से सैंपलिंग की संख्या बढ़ी है।

पैरेलल इन्वेस्टिगेशन:परकोटे में काेराेना आउटब्रेक के दाे बड़े कारण

1.तंग गलियाें वाले इस इलाके में कर्फ्यू की पालना नहीं हाे रही है।

2.राशन और दूध की लाइन में भी मिल रहा वायरस का इंफेक्शन

2 मृतकों के 7 परिजन और किराएदार मिले पॉजिटिव

नए आए मरीजाें में 7 उन 2 परिवाराें से संबंधित हैं, जिनके सदस्याें का काेराेना से निधन हाे गया था। इसमें इंदिरा मार्केट निवासी सर्राफा व्यवसायी की पत्नी (54) भी पाॅजिटिव आई है। सर्राफा व्यवसायी 4 मई काे पाॅजिटिव आए थे और उनकी 5 मई काे ही माैत हाे गई थी। वहीं, मकबरा निवासी जिस 76 वर्षीय वृद्ध की गुरुवार को मौत हुई थी, उनके परिवार से 42 वर्षीय पुरुष, 16 वर्षीय बच्चा, 35 वर्षीय महिला, 39 वर्षीय पुरुष, 40 वर्षीय पुरुष और 52 साल की महिला शामिल है। इनमें से कुछ किराएदार हैं।

किराने की दुकान चलाता है लाडपुरा का मरीज

विक्रम चौक लाडपुरा निवासी 60 वर्षीय वृद्ध कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। वे किराने की दुकान चलाते हैं। अभी उनको बीमारी के लक्षण नहीं हैं। इसकी दुकान पर दिनभर लोग सामान लेने आते-जाते रहते हैं। इस वजह से कई लोगों को इंफेक्शन की संभावना है।

चंद्रघटा में एक माह से कर्फ्यू है, लेकिन इसके बावजूद इस एरिया में वायरस कंट्राेल नहीं हो रहा। भास्कर ने काेटा में अब तक आ चुके 232 मरीजाें का विश्लेषण किया ताे सामने आया कि इनमें से 143 मरीज काे अकेले चंद्रघटा एरिया से ही हैं। यानी कुल मरीजाें का 61.63 प्रतिशत। चंद्रघटा में सबसे पहले 6 अप्रैल काे यहां का रहने वाला एक टैक्सी ड्राइवर पाॅजिटिव आया था, उसी दिन से यहां कर्फ्यू लगा दिया गया था।
मेन राेड पर ताे पुलिस तैनात है, लेकिन गलियाें में लाेग आराम से टहल रहे हैं। इस इलाके की गलियां इतनी तंग हैं कि साेशल डिस्टेंसिंग की पालना भी नहीं हाे रही। इस वजह से संक्रमण फैल रहा है।
इस इलाके में जरूरी सामान की किल्लत है। इस वजह से सामान की वैन आते ही भीड़ लग जाती है। पुलिस साेशल डिस्टेंसिंग की सख्ती से पालना नहीं कराती इस वजह से लाेग आसपास ही खड़े रहते हैं और आसानी से संक्रमित हाे जाते हैं।



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दुकानदार का रास्ता राेक हमला किया,23800 रुपए छीने, पांच लाेग नामजद

रामपुरा न्यौला के बाइक सवार दो जनों के साथ सादकवाला के नजदीक 23800 रुपए नगदी लूट ले जाने का मामला सामने आया है। थाने में सादकवाला के 5 लाेगाें के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है। रामपुरा न्यौला के संदीप कुमार शर्मा(28) पुत्र जगदीश प्रसाद ने एफआईआर दर्ज करवाई है। पुलिस के अनुसार संदीप अपने साथी प्रवीण कुमार पुत्र इंद्राज निवासी 3 एसएचपीडी दुकान बंद कर रात 8:40 बजे बाइक पर घर जा रहे थे। सादकवाला गांव से निकलने के बाद पुलिया के पास सामने से आ रहे बाइक चालक ने टक्कर मारी। उस बाइक से उतरे रघुवीर सिंह उर्फ सोनी पुत्र कृष्ण सिंह व उसके साथी शम्मी पुत्र करनैल सिंह, कृष्ण सिंह पुत्र जागीर सिंह ने दाेनाें से गाली गलौज किया।



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3 युवकाें ने कार चुराने का प्रयास किया, मालिक जागा ताे आराेपी भागे

शहर की एक पाॅश काॅलाेनी में चाेराें द्वारा कार चुराने के प्रयास का मामला प्रकाश में आया है। घटना जवाहरनगर के सेक्टर नंबर 2 में गुरुवार देर रात हुई। बताया जा रहा है कि एक वरना कार और एक्टिवा स्कूटर पर सवार हाेकर आए तीन संदिग्ध युवकों ने घर के बाहर खड़ी कार चोरी करने का प्रयास किया। इन युवकों ने कार की ड्राइविंग सीट वाली विंडो का कांच तोड़ दिया। जैसे ही कार स्टार्ट करने की कोशिश की, खटपट की आवाजें सुनकर कार मालिक का परिवार जाग गया।

उन्होंने शोर मचाया ताे यह युवक अपनी कार और एक्टिवा पर भाग निकले। वार्ड 50 पार्षद प्रियंक भाटी सहित अन्य ने बताया कि घटना गुरुवार रात लगभग 12:15 बजे सेक्टर नंबर 2 में डॉ. अजय मिश्रा के निवास के नजदीक शीतल बिड़ला के घर के सामने हुई। पुलिस के मुताबिक शीतल बिड़ला ने रिपोर्ट दी है, जिसके आधार पर चाेराें तक पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। लाेगाें का आराेप था कि पुलिस काे घटनाक्रम की जानकारी दी लेकिन ना ताे नाकाबंदी कराई गई और न ही चाेराें के पकडने के लिए काेई प्रयास हुए। जवाहरनगर थाने के एएसआई व जांच अधिकारी राजेंद्र स्वामी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर माैका निरीक्षण कर जानकारी जुटाई गई है। मामला दर्ज कर लिया गया है। सीसीटीवी कैमरे देखे जा रहे हैं। जल्द आराेपी पकड़े जाएंगे।



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3 young men tried to steal the car, the owner woke up and ran away




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कुल संक्रमितों में से 57 घर लौटे, सिर्फ 3 पॉजिटिव शेष

जिले के ओरेंज जोन में आने के बाद कोरोना पॉजिटिव के आंकड़ों में जहां तेजी से कमी आई हैं। वही इस दौरान महज दो ही पॉजिटिव केस सामने आए हैं। शुक्रवार को राहत की खबर यह रही हैं कि कुल 136 पॉजिटिव में महज 3 संक्रमित रोगी बचे हैं। 132 रिकवर हो चुके हैं।
करीब एक सप्ताह पूर्व एक मई को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत कोविड-19 संक्रमण में जिला रेड़ से ओरंेज जोन में आ गया था। उस दिन ठीक होने के वाले मरीजों की संख्या 85 थी जो शुक्रवार को आठवेंे दिन 131 हो चुकी हैं। ओरेंज जोन में आने के बाद 45 से ज्यादा की रिपोर्ट नेगेटिव से पॉजिटिव आ चुकी हैं। वही दौरान 38 लोग स्वस्थ होकर घर भी लौट चुके हैं। अब तक टोंक सआदत व जयपुर से कुल 57 मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं।
संघपुरा में पॉजिटिव आए व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव आई हैं। जिसका दूसरा सेंपल भेजा जाएगा। कलेक्टर केके शर्मा ने बताया कि जिले मंे 4 हजार 196 व्यक्तियों के सैम्पल लिए जा चुके हैं। इनमें से 136 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हैं तो 208 का परिणाम आना बाकी है।
फिलहाल 76 लोग अभी भी क्वारेंटाइन सेन्टर में है। वहीं होम आइसोलेशन में 42 हजार 383 लोगों मे से 40 हजार 243 ने होम आइसोलेशन की 14 दिन की अवधि पूर्ण कर ली हैं। अब तक 2 हजार 140 लोग ही होम आईसोलेशन में है। सआदत अस्पताल पीएमओं डॉ. नविंद्र पाठक ने बताया कि संघपुरा में पॉजिटिव आए व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। उसका दूसरा सेंपल भेजा जाएगा। वही उसके परिजनों की रिपोर्ट भी नेगेटिव है। उन्होंने बताया कि अब तक भेजे गए कुल 4196 सेंपल में से 3866 नेगेटिव मिले हैं और कुल 136 संक्रमितों में से 132 ठीक हो चुके हैं।

57 की दो बार सैंपलिंग, रिपोर्ट नेगेटिव
जिले के लिए सुखद भरी खबर यह है कि कोरोना पॉजिटिव से नेगिटिव होकर स्वस्थ होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अस्पताल व क्वारेंटाइन सेंटर से क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर लौट रहे हैं। आज तक जिले में 136 में 75 लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। कलेक्टर के.के. शर्मा एवं मेडिकल स्टाॅफ ने शुक्रवार काे एक निजी विद्यालय के छात्रावास से स्वस्थ हुए 16 कोरोना पाॅजीटिव मरीजों को पुष्पवर्षा कर उनके घर के लिए एम्बुलेन्स में बिठाकर विदा किया। कलेक्टर ने कहा कि अब तक 136 पाॅजीटिव में से 75 पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके है। शुक्रवार को 16 व्यक्ति टोंक से तथा 18 व्यक्ति जयपुर से स्वस्थ होकर अपने-अपने घर पहुंच चुके है, जहां यह 14 दिन होम आइसोलेशन में रहेंगे। 57 व्यक्ति ऐसे है जिनकी दो बार की सैंपल रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है, और वे भी स्वस्थ है। केवल 3 कोरोना पाॅजीटिव मरीज है जिनमें एक टोंक में तथा 2 जयपुर में भर्ती है। जिला अभी ओरेंज जोन में है।

कंटेनमेंट व बफर जोन में 16 लाख 41 हजार 114 का सर्व

कलेक्टर केके शर्मा ने बताया कि शहर में आठवें सर्वे राउण्ड़ के तहत सर्वे टीमों की ओर से कंटेनमेंट जोन में 1 लाख 51 हजार 247 घरों के 9 लाख 5 हजार 91 व्यक्तियों के किए गए में 1 हजार 130 आइएलआइ के केस हैं। बफर जोन में 1 लाख 26 हजार 125 घरों के 7 लाख 36 हजार 23 व्यक्तियों का सर्वे किया गया हैं। इनमंे आइएलआइ के 200 केस हैं। उन्होने बताया कि आईएलआई मरीजों की क्लोज मॉनिटरिंग कर किसी भी व्यक्ति में लक्षण दिखने पर चिकित्सक टीम भेज कर स्क्रीनिंग व सैम्पलिंग की जाती हैं। सीएमएचओें डाॅ. अशोक कुमार यादव ने बताया कि कर्फ्यूग्रस्त इलाकों के चलाए जा रहे मोबाईल मेडिकल ओपीडी के माध्यम से 5 हजार 162 लोगों की जांच कर उपचार कर उन्हे जरुरी दवाएं भी वितरित की गई हैं।
बीसीएमएचओ ने किया बस स्टैंड का दौरा
रोडवेज बसों के माध्यम से लाए जा रहे प्रवासियों का चिकित्सा विभाग की टीम की ओर से स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। टोंक ग्रामीण के बीसीएमओ डॉ. कमलेश चांवला ने टोंक बस स्टैंड ने बस स्टेंड़ का दौरा कर प्रवासियों की स्क्रीनिंग करने के बाद उनको होम क्वारेन्टाइन के लिए पाबंद किया। वही कोरोना से बचाव के लिए जरुरी जानकारी भी दी। इस मौके पर बीपीएम जावेद अली, डॉ. रक्षंदा खान, डॉ. अंजनी कुमार व अन्य उपस्थित रहे। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. महबूब खान ने बताया कि जिले से बाहर रहकर अपना कारोबार, मजदूरी करने वाले प्रवासी कोरोना काल में अपने गृह जिले में वापस आ रहे हैं। जिन्हे रोडवेज बसों के माध्यम से लाया जा रहा हैं।
टोंक शहर में पसरा है सन्नाटा

शहर में लॉकडाउन के 47वेंऔर कर्फ्यू के 35वें दिन विभिन्न चौराहों, मुख्य सड़क सहित बस्तियाें में सन्नाटा पसरा नजर आया। शहर में केमिस्ट व किराना व्यापारियों की ओर से अपने-अपने कर्मचारियों के साथ सामान व दवाइयां सप्लाई के अलावा गली-मोहल्लों में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में सोशल डिस्टेंस की पालना कर के साथ सब्जियां व किराना सामान बैचे गए। घंटाघर, बमोर गेट, धन्नातलाई, नोशेमियां का पुल, काफला बाजार सहित विभिन्न चौराहे पर पसरा सन्नाटा। वही कर्फ्यू में गश्त करते वाहन प्रशासन व पुलिस के वाहन दौड़ते नजर आए। वही बाकि समय शहर में सड़कों व गलियों सहित सभी चौराहों पर ड्यूटी कर रहे जवानों के अलावा सन्नाटा पसरा नजर आया।



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टोंक| कोरोना वायरस पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोगों को कलेक्टर, चिकित्सा अधिकारी व कार्मिक शुक्रवार को माला पहनाकर घरों के लिए विदा करते हुए।




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35 दिन से अवनि रोज बना रही एक ड्राइंग, हर चित्र के साथ स्लोगन भी, सरकारी कार्यालय, राशन डिपो और एटीएम केबिन में लगाकर लोगों को कर रहे जागरूक

आज मिलिए 6 साल की बेटी अवनि अरोड़ा से। अवनि की खूबी यह है कि पिछले 35 दिनों ने रोजाना एक पेंटिंग बना रही है और हर पेंटिंग में कोरोना से जीतने का एक सकारात्मक संदेश। अवनि द्वारा बनाई यह सारी पेंटिंग सरकारी कार्यालयों में, पुलिस की गश्ती गाड़ी पर, एटीएम, राशन डिपो, दुकानों पर लगाई गई हैं। मकसद-लोग कोराेना के खिलाफ जागरूक हों। अवनि के सोशल मीडिया पर भी काफी वीडियाे आ हैं। जिसमें वह लोगों को जागरूक कर रही है।

बच्ची के पापा हरीश अरोड़ा ने बताया कि अवनि का शौक है पेंटिंग करना। जब लॉकडाउन हुआ, तब अवनि ने पूछा कि पापा यह सब क्या है? हम स्कूल क्यों नहीं जा रहे? फिर अवनि को बताया कि कोरोना वायरस के कारण हमें अपने घरों में ही रहना है। हम घरों में रहेंगे, तभी सुरक्षित रहेंगे। तब से अवनि सारा दिन घर में रहती और कोरोना के ऊपर ही पेंटिंग बनाती रहती। पेंटिंग बनाते समय बहुत सवाल करती है। पापा कोराेना को कैसे हराएंगे। कभी टीवी पर देखकर तो कभी अखबारों में देखकर कोरोना के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के संदेश के साथ वह पेंटिंग बनाती है। इस काम में सारा परिवार अवनि की सहायता करता है। इतना ही नहीं, परिचित, मित्र और विभिन्न कार्यालयों से जुड़े लोग अवनि की पेंटिंग को वहां लगा देते हैं। हमारा सब का एक ही मकसद है- काेराेना को हराना, ताकि ग्रीन रहे हमारा जिला।



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A drawing made by Avni daily for 35 days, slogan with every picture, also making people aware by putting in government office, ration depot and ATM cabin




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लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर 113 एफआईआर दर्ज, 259 लोग गिरफ्तार

कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घाेषित लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर जिले में पुलिस की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। एसपी हेमंत शर्मा ने बताया कि जिले में अब तक कुल 113 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें 259 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 151 के तहत 325 व्यक्तियों के खिलाफ 114 इस्तगासे से पेश किए गए हैं। अनावश्यक रूप से वाहन लेकर घूम रहे लोगों के खिलाफ भी बड़ी संख्या में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

एसपी ने बताया कि अब तक 15 हजार 471 वाहनों के चालान काटे गए हैं और 3 हजार 652 वाहन सीज किए गए हैं। इन कार्यवाहियों के तहत 30 लाख 40 हजार 450 का जुर्माना वसूल किया गया है। राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए महामारी आपदा प्रबंधन अध्यादेश 2020 के तहत जिले में अभी तक 320 व्यक्तियों की जुर्माना रसीदें पुलिस और प्रशासन द्वारा काटी गई हैं। यह रसीदें उन व्यक्तियों की काटी गई हैं जिन्होंने मास्क नहीं पहने हुए थे। इनसे 69800 का जुर्माना वसूल किया गया है। जिले में 381 व्यक्तियों के खिलाफ इस्तगासा किया गया है। जिले के रामसिंहपुर सिंहपुर थाना में लवप्रीत और मदनलाल नामक व्यक्तियों के मास्क नहीं पहने होने के कारण महामारी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।



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कश्मीर से आए गुजरात के 12 व्यक्ति, 7:30 घंटे की जांच के बाद दी अनुमति

संदीपसिंह धामू साधुवाली चेक पोस्ट से. अंतरराज्यीय सीमाएं सील करने के बाद शुक्रवार को भी पंजाब से आवाजाही पर सख्ती रही। जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन के दौरान अटके गुजरात के पालनपुर के 12 यात्रियों को एंट्री के लिए अंतरराज्यीय बॉर्डर पर 7:30 घंटे की मशक्कत करनी पड़ी। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद इन्हें एंट्री देकर गंतव्य की ओर रवाना किया गया। जिन लोगों ने राज्य के गृह विभाग से अनुमति ली थी, उन्हें ही राज्य सीमा में एंट्री दी गई। अंतरराज्यीय बॉर्डर पर स्थित साधुवाली चेक पोस्ट पर अन्य दिनों की अपेक्षा सख्ती रही। अबोहर से आए तीन मेडिकल इमरजेंसी प्रकरणों में भी हाथोंहाथ आवेदन करवा स्वीकृति जारी होने पर ही एंट्री दी गई। चेक पोस्ट पर खाली ट्रकों की निगरानी के लिए दो सीसीटीवी कैमरे और लगाए गए हैं।
गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर निवासी यासीन अहमद, सद्दाम, फारुख, हामीद सहित 12 लोग 13 मार्च को जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में गए। उन्हें एक माह रहने के बाद लौटना था। यासीन अहमद के अनुसार उन्होंने बड़ी मशक्कत के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन से घर लौटने की अनुमति और गुजरात सरकार से एनओसी ली। गुरुवार रात 10 बजे वे गुजरात की बस से रवाना हुए। जम्मू-कश्मीर-पंजाब बॉर्डर पर उन्हें अनुमति पत्र की चेकिंग के बाद एंट्री दे दी गई। यासीन के अनुसार शुक्रवार सुबह 6 बजे वे साधुवाली स्थित पंजाब राजस्थान चेक पोस्ट पर पहुंचे। तब राजस्थान के प्रशासन ने उन्हें एंट्री नहीं दी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से दिया गया यात्रा का पास और गुजरात की एनअाेसी भी दिखाई लेकिन उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया। चेक पोस्ट पर तैनात पुलिस कर्मियों व प्रशासनिक अमले ने अंतरराज्यीय इंट्री नहीं होने का हवाला देकर उन्हें रोक लिया। हालांकि उन्होंने राजस्थान में ठहराव नहीं करना था। उनके पास शिनाख्त के सभी दस्तावेज गुजरात के थे, फिर भी गर्मी में सात घंटे तक रोके रखा गया। जबकि उनके पास कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट भी थी।
श्रीगंगानगर से इलाज करवाने के लिए अबोहर कई लोग आए। सामान्य राेगियों को अनुमति नहीं होने पर लौटा दिया गया। डायलिसिस करवाने आए तीन रोगियों को गंभीरता के आधार पर मौके पर ही ई मित्र संचालक को बुलाकर आवेदन करवाया गया। तब प्रशासनिक अमले ने कलेक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते को फोन कर अनुमति दिलवाई। कलेक्टर नकाते के अनुसार साधुवाली चेक पोस्ट पर एक ई मित्र संचालक भी रहेगा, जो मेडिकल इमरजेंसी मामलों में लोगों की आवेदन करने में मदद करेगा। राजस्थान में पंजाब की अपेक्षा किडनी रोगियों का डायलिसिस सस्ता होने की वजह से वहां के लोग श्रीगंगानगर आते हैं।



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12 persons from Gujarat from Kashmir, permission given after 7:30 hours investigation