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दूरदर्शन पर "बुनियाद'

आजकल दूरदर्शन अपने पुराने कार्यक्रमों का पुन: प्रसारण कर रहा है। मनोहर श्याम जोशी की लिखी और रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित ‘बुनियाद’ देश के विभाजन के समय एक परिवार की कथा प्रस्तुत करता है। आलोकनाथ एवं अनिता कंवर ने केंद्रीय भूमिकाएं अभिनीत की हैं। कार्यक्रम में प्रस्तुत कालखंड विभाजन पूर्व से प्रारंभ होकर स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद के पहले दशक तक जाता है। रमेश सिप्पी ने इसके 40 एपिसोड निर्देशित किए थे। उनके सहायकों ने शेष एपिसोड्स निर्देशित किए थे। व्यापारी परिवार के मुखिया हवेलीराम हैं। उनकी संपत्ति में निरंतर इजाफा हो रहा है। मुखिया के दो पुत्र और एक पुत्री है। पुत्री का नाम वीरांवाली है और पुत्र हवेलीराम, रलिया राम हैं। भाई आत्मानंद स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेता है। उसकी भांजी लाजवंती का विवाह उसके लालची चाचा उम्रदराज व्यक्ति से करा देते हैं। दूल्हा इतनी बड़ी ‌उम्र का है कि विवाह की रात ही लाजवंती विधवा हो जाती है।

विधवाओं के साथ हमारा व्यवहार कभी अच्छा नहीं रहा। दीपा मेहता की फिल्म ‘वॉटर’ में इसका मार्मिक चित्रण है। वीरांवाली लाजवंती की सहेली है, आत्मानंद के अनुयायी हवेलीराम लाजवंती को पढ़ाने जाते हैं। हवेलीराम के परिवार को इस पर सख्त ऐतराज है। उसकी मां उसे समझाती है कि लाजवंती के सम्मान के लिए उसे उससे दूर रहना चाहिए, अन्यथा अफवाहें फैलेंगी। ज्ञातव्य है कि दूरदर्शन पर मनोहर श्याम जोशी का लिखा ‘हमलोग’ दिखाया गया था। इस सीरियल में निम्न, मध्यम वर्ग के पात्रों की कठिनाइयों को प्रस्तुत किया गया था। बड़ी पुत्री को बड़की कहा जाता है और उसके विवाह के प्रसंग को प्रसारित किए जाने वाले दिन अवाम अपनी दुकानें बंद करके घर लौट आए थे। दूरदर्शन ने मनोहर श्याम जोशी को ‘सोप ओपेरा’ विधा के अध्ययन के लिए ब्राजील भेजा। घर की कामकाजी स्त्रियों के मनोरंजन के लिए यह दोपहर में प्रसारित किया जाता था। संभवत: साबुन बनाने वाली कंपनी प्रायोजक थी। सोप ओपेरा रेडियो पर प्रसारित किए जाते थे। ब्राजील में इसे ‘टेलीनावेला’ कहा गया। इस विधा का प्रारंभ 1931 में हुआ था।

मनोहर श्याम जोशी ने अपनी विदेश यात्रा में इस विधा का अध्ययन किया। उन्हें यह लगा कि विधा मुर्गी के दड़बे की तरह है और पात्र चूजों की तरह बाहर आते हैं। मुर्गी को आसानी से पकड़ा जा सकता है। ज्ञातव्य है कि किशोर कुमार की फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ के एक दृश्य में नायिका मधुबाला किशोर कुमार को मुर्गी पकड़ने के लिए कहती है। यह अत्यंत मनोरंजक दृश्य रहा। रलिया राम और हवेलीराम के पिता का नाम लाहौरी राम है। सुधीर पांडे ने इस पात्र को अभिनीत किया था।
उन्होंने ‘टॉयलेट एक प्रेमकथा’ में परंपरावादी और जिद्दी ब्राह्मण की भूमिका अभिनीत की थी। मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कसप’ अत्यंत लोकप्रिय हुआ। उनके आत्म कथात्मक उपन्यास ‘कुरु कुरु स्वाहा’ में उन्होंने अपने तीन स्वरूप प्रस्तुत किए। मनोहर चंचल है, जोशीजी संस्कृत के विद्वान हैं और श्याम प्रेमालू व्यक्ति है। उपन्यास विधा में यह अभिनव प्रयास माना गया। दरअसल हर आदमी में दस आदमी मौजूद रहते हैं। इस उपन्यास की नायिका को ‘पहुंचेली’ कहकर संबोधित किया गया है। मनोहर श्याम जोशी को शास्त्रीय संगीत का ज्ञान था। खाकसार का उनके साथ परिचय था। ‘बुनियाद’ बनते समय उन्होंने रमेश सिप्पी से आग्रह किया कि खाकसार से संपर्क करा दें। रमेश सिप्पी ने रणधीर कपूर के माध्यम से मुझसे संपर्क किया। खाकसार मनोहर श्याम जोशी को राज कपूर के घर ले गया। मनोहर श्याम जोशी के संगीत ज्ञान से राज कपूर प्रभावित हुए और उनसे पटकथा लिखने का अनुरोध भी किया। ‘मैं कौन हूं’ नामक इस प्रस्तावित फिल्म का कथासार यह था कि मुंबई के ठाणे स्थित पागलखाने में एक महिला हमेशा यही बात कहती है कि ‘कत्ल उसने नहीं किया’।

मनोहर श्याम जोशी को बंगाल के बाउल गीतों की जानकारी थी। कुछ कारणों से पटकथा नहीं लिखी गई। ‘बुनियाद’ में सोनी राजदान ने अभिनय किया था। महेश भट्‌ट और सोनी की पुत्री आलिया आज लोकप्रिय सितारा है और रणबीर कपूर से उसका विवाह हो सकता है। व्यापारी लाहौरी राम की हवेली ‘कूचा ए राधाकिशन’ में स्थित है और आत्मानंद का घर ‘बिछौलीवाली गली’ में है। इस घर में एक तहखाना है। देश के विभाजन के समय हवेलीराम तलघर में छिप गए थे। दंगे-फसाद के समय घर में उनकी घड़ी और चश्मा मिलता है। उन्हें मृत मान लिया जाता है, परंतु कथा के अंत समय वे दिल्ली के शरणार्थी कैंप में मिलते हैं।

बहरहाल, पुन: प्रसारण के दौर में कुंदन शाह और अजीज मिर्जा का ‘नुक्कड़’, सतीश शाह एवं रत्ना पाठक अभिनीत ‘सारभाई वर्सेस साराभाई’ और शरद जोशी का लिखा ‘यह जो है जिंदगी’ भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए।



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‘बुनियाद’ में अनिता कंवर और आलोकनाथ




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वक्त रहते पता चलता तो संक्रमण फैलने में 95% की कमी हो सकती थी; वुहान में लॉकडाउन देर से लगा, तब तक 50 लाख लोग वहां से निकल गए

कोरोनावायरस को लेकर दुनियाभर में एक नई बहस चल रही है। और वो बहस है, इस वायरस को फैलाने का जिम्मेदार कौन है? 100 में से 99 लोग इसके लिए चीन कोजिम्मेदार बता रहे हैं। उसका कारण भी है। लोगों का दावा है कि एक तरफ चीन में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्याघट रही है, तो दूसरी तरफचीन से बाहर इसका संक्रमण बढ़ता जा रहा है। चीन के वुहान शहर से ही कोरोनावायरस से संक्रमण का पहला केस आया था। लेकिन, अब वुहान शहर दोबारा पटरी पर लौट रहा है। वहां कारखाने खुल रहे हैं। लोग काम पर जा रहे हैं। जबकि, दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी अभी भी घर में कैद रहने को मजबूर है।

हाल ही में इजरायल की कंपनी लाइट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था- कोरोना के कहर के बाद चीन और चीनियों के प्रति ट्विटर पर हेट स्पीट 900% तक बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर पर चाइनीजवायरस, कम्युनिस्टवायरस और कुंगफ्लू जैसे हैशटैग का इस्तेमाल हो रहा है। भास्कर ने कई मीडिया रिपोर्ट्स, रिसर्च और एक्सपर्ट के आधार पर ऐसे कुछ कारण निकाले हैं, जो कोरोना संक्रमण के पीछे चीन का हाथ होने का इशारा करते हैं।

1) कोरोना के बारे में बताने में देरी की
चीन की न्यूज वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सरकारी दस्तावेजों के हवाले से खुलासा किया था कि हुबेई प्रांत में पिछले साल 17 नवंबर को ही कोरोना का पहला मरीज ट्रेस कर लिया गया था। दिसंबर 2019 तक ही चीन के अधिकारियों ने कोरोनावायरस के 266 मरीजों की पहचान कर ली थी। हालांकि, मेडिकल जर्नल द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, वुहान के एक झिंयिंतान अस्पताल में कोरोनावायरस का पहला कन्फर्म केस 1 दिसंबर को रिपोर्ट किया गया था। इतना ही नहीं, कोरोनावायरस के बारे में सबसे पहले बताने वाले चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग को भी चीन की सरकार ने नजरअंदाज किया और उनपर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया। बाद में ली की मौत भी कोरोना की वजह से हो गई। चीन ने जनवरी में कोरोनावायरस के बारे में दुनिया को बताया।

इसका नतीजा क्या हुआ : ब्रिटेन की साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर चीन 3 हफ्ते पहले तक कोरोना के बारे में बता देता, तो इससे संक्रमण के फैलने में 95% तक की कमी आ सकती थी।

2) महीनेभर तक नहीं माना- कोरोना इंसान से इंसान में फैलता है
अमेरिकी वेबसाइट नेशनल रिव्यू के मुताबिक, वुहान के दो अस्पतालों के डॉक्टरों में वायरल निमोनिया के लक्षण मिले थे, जिसके बाद 25 दिसंबर 2019 को वहां के डॉक्टरों ने खुद को क्वारैंटाइन कर लिया। लेकिन चीन ने इस वायरस के इंसान से इंसान में फैलने की बात को नकार दिया। 15 जनवरी को जापान में कोरोना का पहला मरीज मिला। वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरीज कभी वुहान के सीफूड मार्केट में नहीं गया, लेकिन हो सकता है कि वह किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आया हो। इसके बाद भी चीन ने ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की बात नहीं मानी। आखिरकार 20 जनवरी को चीन ने माना कि कोरोनावायरस इंसान से इंसान में फैल रही है।

इसका नतीजा क्या हुआ : ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की बात को नकारने से दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चालू रहीं। दुनियाभर में लोग एक देश से दूसरे देश आते-जाते रहे। इससे बाकी देशों में भी कोरोनावायरस फैल गया।

3) चीन ने 7 हफ्ते बाद वुहान को लॉकडाउन किया
दिसंबर 2019 में ही चीन में कोरोनावायरस फैलाने लगा था। न्यूयॉर्क टाइम्स में अमेरिकी पत्रकार निकोलस डी. क्रिस्टॉफ ने लिखा था- 'चीन ने वायरस को रोकने की बजाय उन लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जो इस वायरस के बारे में चेता रहे थे।' उन्होंने लिखा कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार हमेशा ऐसा ही दिखाती रही कि इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, वायरस का पहला केस आने के करीब 7 हफ्ते बाद यानी 23 जनवरी को वुहान को लॉकडाउन किया गया।

इसका नतीजा क्या हुआ : लॉकडाउन होने के चार दिन बाद 27 जनवरी को वुहान के मेयर झोऊ शियानवेंग ने बताया था कि लॉकडाउन लगने से पहले ही करीब 50 लाख लोग वुहान छोड़कर चले गए। ये 50 लाख लोग कहां गए, अब तक नहीं पता।

4) कोरोना के बाद भी चीन ने कोई सख्त एक्शन नहीं लिया
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के डॉ. एंथनी फौसी ने नेशनल रिव्यू को बताया था कि कोरोना की वजह से इटली की इतनी बुरी हालत इस वजह से हुई, क्योंकि इटली में सबसे ज्यादा चीनी पर्यटक आते हैं। उनके अलावा यहां 3 लाख से ज्यादा चीनी लोग काम करते हैं। डॉ. फौसी कहते हैं कि इटली से चीनी लोग नया साल मनाने के लिए चीन आए और फिर वापस इटली लौट गए। चीन में नया साल 25 जनवरी को मनाया गया था। यानी कोरोनावायरस फैलने के बाद भी चीन ने अपने लोगों को वापस इटली जाने से नहीं रोका।

इसका नतीजा क्या हुआ: इटली में चीन से भी ज्यादा कोरोना के मामले आए। 5 अप्रैल तकइटली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.28लाख के पार पहुंच गई। यहां साढ़े 15 हजार से ज्यादा मौतें भी हुई हैं, जो कोरोना से किसी भी देश में होने वाली सबसे ज्यादा मौतें हैं।



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Had it been known in time, there could have been a 95% reduction in infection; Lockdown delayed in Wuhan, by then 5 million people left




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चढ़ाई की सालभर तैयारी करने वाले 3000 नेपाली शेरपा बेरोजगार, अब गांव में कर रहे खेती; नेपाल को 9 हजार करोड़ रु. का नुकसान

24 मार्च, यानी वह तारीख जब काठमांडू से एवरेस्ट बेस कैंप के लिए लुम्बा जाने वाली उड़ानें पूरी तरह बंद कर दी गईं। ये वह वक्त था जब एवरेस्ट पर चढ़ाई का सीजन बस शुरू होने को था। एक-दो दिन में ही सरकार परमिट देना शुरू करने वाली थी।


तीन हफ्ते के लिए नेपाल में लॉकडाउन की घोषणा हुई और सभी माउंटेन एक्सपीडिशन पर रोक लगा दी गई। इसमें एवरेस्ट भी शामिल था। नेपाल में ऐसा पहली बार हुआ। पहला ही मौका है जब देश में एक भी विदेशी टूरिस्ट नहीं है। वरना भूकंप के दौरान भी विदेशी मौजूद थे। कई सारे विदेशी लोग और एनजीओ यहां रीहेबिलिटेशन में मदद करने को आ गए थे।


एवरेस्ट बेस कैम्प पूरा खाली पड़ा है। इस साल सीजन शुरू ही नहीं हो पाया। पिछले साल मई के अंत में सीजन खत्म होने पर क्लाइंबर्स, शेरपा और ग्राउंड स्टाफ लौट चुके थे। जून में बसंत खत्म होते ही बर्फ पिघलने लगती है और फिसलन भरे रास्ते में चढ़ाई खतरनाक हो जाती है।


यहां सरकार क्लाइंबिग के लिए 75 दिन का परमिट देती है। नेपाल सरकार को अलग-अलग पर्वतों पर चढ़ाई के शौकीनों से हर साल अपनी जीडीपी का 4% रेवेन्यू मिलता है। इस साल, यानी 2020 में 2 मिलियन, यानी करीब 20 लाख पर्यटकों के आने का सरकारी टारगेट था।

पर्वतारोहियों से नेपाल को हर साल अपनी जीडीपी का 4% रेवेन्यू मिलता है।


आशंका जताई गई है कि कोरोना के चलते टूरिज्म को 150 बिलियन नेपाली रुपए, यानी 9000 करोड़ भारतीय रुपए का नुकसान होगा। जिसमें एयरलाइन, होटल, ट्रैवल, ट्रैकिंग, एक्सपीडिशन और खाना-पीना सब शामिल है। यही नहीं लॉकडाउन के चलते 11 लाख लोगों की नौकरी भी खतरे में है।


इनमें वे शेरपा भी शामिल हैं जो सालभर उन 75 दिनों का इतंजार करते हैं जब वह बतौर गाइड विदेशियों के साथ एवरेस्ट की चढ़ाई करते हैं और सालभर के लिए पैसा जुटा लाते हैं। इस बार भी अप्रैल में शुरू होने वाले सीजन की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं।


बेस कैंप के सबसे नजदीक जो शेरपा गांव है उसकी दूरी 20 किमी के करीब है। नाम है खारीखोला। लोअर एवरेस्ट इलाके के इस गांव से बेस कैंप पहुंचने में आमतौर पर 6-7 घंटे लगते हैं, लेकिन शेरपाओं के लिए ये बमुश्किल 3 से 4 घंटे का काम है। आंन्ग दावा शेरपा और उनकी पत्नी पसांग फूती शेरपा इसी गांव में अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं। आन्ग दावा 9 बार एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं। जबकि उनकी पत्नी पिछले साल पहली बार एवरेस्ट की चढ़ाई करने गई थीं।


इस साल भी दोनों एवरेस्ट जाने वाले थे, कई विदेशी पर्यटकों से बात भी हो रखी थी। लेकिन अब वह अपने गांव लौट आए हैं। सरकार ने कोरोना को लेकर जब सभी क्लाइंबिंग एक्टीविटीज पर रोक लगा दी तो दोनों ने तय किया कि इस साल खेती करेंगे। उन्होंने कीवी उगाई है। गांव के ज्यादातर शेरपा भी खेती किसानी में लग गए हैं।

एवरेस्ट पर चढ़ाई के साथ-साथ नेपाल के बाकी एक्सपीडिशन भी बंद हैं, इसलिए शेरपा अपने गांव लौट आए हैं और आलू, कीवी, मक्के की खेती कर रहे हैं


पसांग कहती हैं कि उन लोगों ने काफी तैयारियां कर ली थीं, लेकिन अचानक सबकुछ कैंसिल हो गया। इस साल 3000 से ज्यादा शेरपा ऐन वक्त पर बेरोजगार हो गए। यही हालात थामे, फोर्चे जैसे एवरेस्ट शेरपाओं के बाकी गांवों का भी है। 15 मार्च को ही सरकार ने घोषणा कर दी थी कि इस बार कहीं भी पर्वतारोहण नहीं होगा।


इससे पहले 2014 में खुम्बू आइसफॉल के पास आए बर्फीले तूफान के बाद एवरेस्ट पर पर्वतारोहण बंद कर दिया था। इस हादसे में 14 शेरपाओं की मौत हो गई थी। हालांकि, तब नेपाल के बाकी हिस्सों में एक्सपीडिशन बदस्तूर चल रहे थे।


एवरेस्ट से कमाई का गुणा गणित कुछ यूं है- हर साल 45 टीमें एक्सीपीडिशन पर जाती हैं, जिनका खर्च 11 हजार डॉलर प्रति व्यक्ति होता है। हर टीम में 15-20 लोग होते हैं, कुल 600 क्लाइंबर हर साल एवरेस्ट के लिए सफर करते हैं।


नेपाल की जनसंख्या 3 करोड़ है और यहां कोरोना के 9 पॉजिटिव केस मिले हैं। जबकि इस महामारी में कोई भी मौत नहीं हुई है। 9 में से एक व्यक्ति का इलाज हो चुका है और उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। जो भी पॉजिटिव मरीज हैं, वह काठमांडू या पश्चिमी नेपाल में हैं। इनमें से ज्यादातर वह हैं जो फ्रांस, बेल्जियम या अरब देशों से लौटे हैं।



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तस्वीर खाली पड़े एवरेस्ट बेस कैंप की है, जो आन्ग शेरपा ने 2019 में सीजन खत्म होने पर लौटते वक्त ली थी।




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वैक्सीन नहीं आया तो सीजनल फ्लू बन सकता है कोविड-19, यानी हर साल लौटेगा; 2022 तक तो सोशल डिस्टेंसिंग रखनी ही होगी

महज दो महीने के भीतर ही चीन से निकलकर कोरोनावायरस पूरी दुनिया में फैल गया। 1.5 लाख लोगों की जान ले चुके कोरोनावायरस के डर से दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी घर पर रहने को मजबूर है। अमेरिका जैसे ताकतवर देश भी इसके आगे बेबस हैं। लेकिन, बड़ा सवाल अब भी है कि ये महामारी खत्म कैसे होगी?

कुछ दिन पहले अमेरिका के कोरोनावायरस टास्क फोर्स के डॉ. एंथनी फाउची ने कहा था कि इस बात की पूरी संभावना है कि कोरोना सीजनल फ्लू या मौसमी बीमारी बन जाए। अब ऐसी ही बात साइंस मैगजीनमें छपी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में भी सामने आई है। इस रिसर्च में कहा गया है, जब तक कोरोनावायरस का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं मिल जाता, तब तक इस महामारी को खत्म करना नामुमकिन है। इसके मुताबिक, बिना वैक्सीन या असरदार इलाज के कोरोना सीजनल फ्लू बन सकता है और 2025 तक हर साल इसका संक्रमण फैलने की संभावना है।

17 अप्रैल तक दुनियाभर में कोरोनावायरस के 22 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। जबकि, 1.50 लाख लोगों की मौत हुई है।

कोरोना क्यों सीजनल फ्लू बन सकता है?
सबसे पहले तो ये कि इस बीमारी का नाम कोविड-19 है, जो सार्स कोव-2 नाम के कोरोनावायरस से फैलती है। कोरोनावायरस फैमिली में ही सार्स और मर्स जैसे वायरस भी होते हैं। सार्स 2002-03 और मर्स 2015 में फैल चुका है। इसी फैमिली में दो ह्यूमन वायरस भी होते हैं। पहला: HCoV-OC43 और दूसरा : HCoV-HKU1।

सार्स और मर्स जैसी महामारियों से जल्द ही छुटकारा मिल गया था। जबकि, HCoV वायरस हर साल सर्दियों के मौसम में इंसानों को संक्रमित करता है। इसी वायरस की वजह से सर्दी के मौसम में सर्दी-जुकाम होता है।

दरअसल, किसी भी बीमारी से लड़ने में इम्यून सिस्टम मददगार होता है। किसी इंसान का इम्यून सिस्टम जितना स्ट्रॉन्ग होगा, वह किसी बीमारी से उतनी ही मजबूती से लड़ सकेगा। इसलिए जब हम बीमार होते हैं, तो हमारा शरीर उस बीमारी से लड़ने की इम्युनिटी बना लेता है और हम ठीक हो जाते हैं।

अब दोबारा HCoV पर आते हैं। हर साल इंसानों को सर्दी के मौसम सर्दी-जुकाम होता है। इसका मतलब हुआ कि, इस वायरस से लड़ने के लिए इंसानों में इम्युनिटी शॉर्ट-टर्म के लिए ही डेवलप होती है। यही वजह है हर साल हमें सर्दी-जुकाम हो जाता है।

इसी तरह से अगर सार्स कोव-2 से लड़ने की इम्युनिटी भी शॉर्ट-टर्म के लिए रही तो ये वायरस हमारे जीवन का हिस्सा बन सकता है और हर साल लौट सकता है। यानी, कोरोनावायरस या कोविड-19 के सीजनल फ्लू बनने की संभावना भी है।

डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में बताया है कि दुनियाभर में कोरोना की 70 वैक्सीन पर काम हो रहा है। जिसमें से 3 पर ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो चुका है।

2025 तक भी रह सकती ये बीमारी
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी में पाया गया है कि अगर कोविड-19 को लेकर इम्युनिटी बन भी गई, तो भी इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म होने में 2025 तक का समय लगेगा। हालांकि, इस बात की संभावना भी कम है क्योंकि, अकेले दक्षिण कोरिया में 111 लोग जो कोरोना से ठीक हो गए थे, वे दोबारा संक्रमित हुए हैं।

कोरोना से निपटने के लिए ज्यादातर देशों में लॉकडाउन है और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे तरीक अपना रहे हैं। लेकिन, वैज्ञानिकों का कहना है कि लॉकडाउन से भी कोरोना के संक्रमण को खत्म नहीं किया जा सकता है। उनके मुताबिक, लॉकडाउन लगाकर कोविड-19 के फैलने की रफ्तार को कुछ दिन के लिए कम कर सकते हैं या रोक सकते हैं, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा, दोबारा इसका संक्रमण फैल सकता है। इसीलिए, जब तक कोविड-19 का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं आ जाता, तब तक इससे बचने का एकमात्र तरीका है- सोशल डिस्टेंसिंग।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनोलॉजी एंड इन्फेक्शियस के रिसर्चर और इस स्टडी के लीड ऑथर स्टीफन किसलेर का मानना है कि कोविड-19 से बचने के लिए हमें कम से कम 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग बनानी होगी।

टोटल लॉकडाउन नहीं, लेकिन डेढ़ साल तक कुछ प्रतिबंध जारी रखने होंगे
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता एरिन मोर्डेकाई कहती हैं कि, 1918 में जब स्पैनिश फ्लू फैला था, तब अमेरिका के कुछ शहरों ने 3 से 8 सप्ताह तक लगी पाबंदी को अचानक हटा दिया था। इसका नतीजा ये हुआ था कि ये फ्लू कम समय में ही ज्यादा जगहों में फैल गया। स्पैनिश फ्लू से 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे, जबकि 5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी।

एरिन आगे कहती हैं किकोरोना के डर से हमें साल-डेढ़ साल के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन रखने की जरूरत नहीं है,लेकिन12 से 18 महीनों तक हमें कुछ प्रतिबंध जारी रखने होंगे।



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Coronavirus Vaccine | Harvard University Researchers Novel Coronavirus (COVID-19) Report Updates On How To Stop Global Spread OF Virus Over Coronavirus Vaccine




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लॉकडाउन के कारण नहीं हो रही फूलों की बिक्री, कर्ज में डूबे किसान; 9 साल के बच्चे ने वीडियो में कहा- देखो, गेंदा कैसे फेंकना पड़ रहा

कुणाल की उम्र नौ साल है और वो मेरठ जिले के लावड कस्बे में रहते हैं। उनके दादा छेद्दा सिंह एक किसान हैं और बीते कई साल से गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं। इस साल जब लॉकडाउन के चलते छेद्दा सिंह की फूलों की सारी फसल बर्बाद होने लगी तो कुणाल ने अपने दादा की मदद के लिए एक बेहद मासूम प्रयास किया।कुणाल ने एक बर्बाद होते फूलों का एक वीडियो बनाया और टिकटॉक पर इसे साझा करते हुए कहा, ‘देखिए भाइयों देखिए। किसानों को खेत से बाहर कैसे फेंकना पड़ रहा है गेंदा। किसानों का कोरोनावायरस की वजह से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। इसीलिए इस वीडियो को लाइक और शेयर करके आगे बढ़ाएं।’ देश में सबसे अच्छा गेंदा मेरठ में होता है, उस इलाके से एक रिपोर्ट...

भरपूर मासूमियत और बेहद उत्साह के साथ कुणाल बताते हैं कि उनका ये वीडियो अब तक 125 लोगों ने देख लिया है। यह पूछने पर कि उन्होंने यह वीडियो क्यों बनाया, वे पूरे आत्मविश्वास के साथ कहते हैं, ‘ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जान सकें कि कोरोनावायरस के कारण किसानों को कितना नुकसान हो रहा है।’

जिस नुकसान का जिक्र कुणाल कर रहे हैं उसकी मार इन दिनों मेरठ की सरधना तहसील के सैकड़ों किसान झेल रहे हैं। यहां लावड कस्बे में सब्जियों और फूलों की अच्छी-खासी खेती होती है। सैकड़ों किसान अपने खेतों में गेंदे के फूल उगाते हैं जिनकी बिक्री उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों से लेकर दिल्ली तक होती है। इन दिनों लावड के खेत गेंदे के सुंदर फूलों से लहलहा रहे हैं, लेकिन इन्हें खरीदने वाला कोई नहीं है। लिहाजा किसान इन फूलों को फेंकने को मजबूर हो गए हैं और लाखों रुपए के कर्ज में डूब गए हैं।

मेरठ की सरधना तहसील के लावण कस्बे में 90 के दशक में गेंदे के फूलों की खेती शुरू हुई थी। अब यहां सैकड़ों किसान इसकी खेती करते हैं।

60 साल के हरपाल सिंह ने अपने छह बीघे के खेत में गेंदे के फूल उगाए थे। फूलों की पैदावार भी इस साल अच्छी हुई और हरपाल को उम्मीद थी कि उन्हें फूलों के अच्छे दाम मिल जाएंगे। लेकिन कोरोना के चलते हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने उनकी तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

हरपाल बताते हैं, ‘मंडी सिर्फ दो घंटे के लिए खुल रही है। उसमें भी सिर्फ सब्जियां ही बिक पाती हैं। फूलों की बिक्री बिलकुल बंद है। एक दिन हम फूल लेकर मंडी गए भी थे लेकिन तभी पुलिस डंडे बजाने लगी। सारे फूल वहीं छोड़ कर किसी तरह खुद को बचाकर भागे।’ हरपाल अब अपने पूरे खेत से गेंदे को उखाड़ कर फेंक चुके हैं और नए सिरे से सब्जियां उगा रहे हैं। यही स्थिति इस इलाके के तमाम अन्य किसानों की भी हो गई है।

70 साल के छेद्दा सिंह उन लोगों में से हैं जिन्होंने लावड के इस इलाके में फूलों की खेती की शुरुआत की थी। वो बताते हैं कि 90 के दशक की शुरुआत में जब उन्होंने यहां फूल उगाने शुरू किए तो उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा। लेकिन उस वक्त स्थानीय मंडी में फूलों की ज्यादा मांग नहीं थी लिहाजा उन्हें फूल बेचने दिल्ली आना पड़ता था। तब उन्होंने इलाके के कई किसानों को फूलों के बीज मुफ्त बांटे और उन्हें भी इसकी खेती के लिए प्रेरित किया ताकि सब किसान मिलकर अपने फूल दिल्ली ले जाएं और ढुलाई का खर्चा कम आए।

छेद्दा सिंह की पहल से स्थानीय किसानों को अच्छी खासी बचत होने लगी तो देखते ही देखते इलाके के सैकड़ों किसानों ने गेंदे की खेती शुरू कर दी। छेद्दा सिंह कहते हैं, ‘गेंदे का फूल किस कीमत बिक जाए, कोई भरोसा नहीं। कभी ये पांच रुपए किलो बिकता है तो कभी पचास रुपए किलो तक भी बिक जाता है। लेकिन मोटा-मोटा औसत देखें तो मरे-से-मरा भी दस रुपए किलो तो हर साल बिकता ही है। इस रेट पर भी अगर इस साल माल बिकता तो मेरे 12 बीघे की फसल का कम-से-कम दो लाख रुपए तो तय था। किस्मत अच्छी रहती तो तीन-चार लाख तक भी मिल सकता था। लेकिन सब बर्बाद हो गया और एक पैसा भी नहीं आया।’

छेद्दा सिंह ने अपने 14 बीघे के खेत में से 12 बीघा पर गेंदा ही उगाया था। इसके लिए उन्होंने आढ़तीयेसे पचास हजार का कर्ज भी लिया था।

छेद्दा सिंहकहते हैं, ‘मैंने ये सोच कर कर्ज लिया था कि पैदावार अच्छी होने पर चुका दूंगा। क्या मालूम था कि अच्छी पैदावार के बाद भी सारी फसल बर्बाद चली जाएगी। अब सरकार से अगर कोई मदद नहीं मिली तो हम इस कर्ज से पता नहीं कैसे उभर सकेंगे।’ लाखों का नुकसान झेल रहे छेद्दा सिंह को सरकारी मदद के नाम पर अब तक मात्र पांच सौ रुपए मिले हैं जो उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी के जन-धन खाते में सरकार की ओर से आए हैं।

गेंदा उगाने वाले कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्हें अब भी उम्मीद है कि शायद लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनके फूल बिकने लगें और नुकसान की कुछ तो भरपाई हो सके। लेकिन ऐसा भी सिर्फ वे ही किसान कर पा रहे हैं जिनके फूल अभी पूरी तरह खिले नहीं हैं और इसमें अभी 15-20 दिन का समय बाकी है। वरना ज्यादातर किसान अब नियति से हार चुके हैं और फूलों की फसल की बर्बादी को स्वीकार करते हुए अन्य विकल्प तलाशने लगे हैं।

20 साल के शनि सिंह कहते हैं, ‘मैंने तीन बीघे पर फूल उगाए थे जो इस वक्त खेत में खिलखिला रहे हैं। लेकिन अब इन्हें उखाड़ रहा हू और तोरई लगा रहा हूं। सब्जियों का तो ऐसा है कि भले ही कुछ कम दाम मिले लेकिन बिक तो जाती है। फूल तो पूरी तरह बर्बाद हुए हैं। एक पैसा भी नहीं मिला।’ इन तमाम किसानों द्वारा फेंके जा रहे ये फूल अब सिर्फ उन लोगों के काम आ रहे हैं जो अपने जानवरों के चारे में मिलाने के लिए इनमें से कुछ फूल उठा कर ले जाते हैं।

देश भर में हुए लॉकडाउन के चलते सब्जी मंडियां तो खुल रही हैं लेकिन फूलों की बिक्री पूरी तरह बंद हो गई है। ये फूल ज्यादातर या तो मंदिरों और उनके पास लगने वाली दुकानों में जाते थे या फिर ब्याह-बारात जैसे आयोजनों में सजावट के काम आते थे। चूंकि इन दिनों मंदिर-मस्जिद भी बंद हैं और हर तरह के बड़े आयोजनों पर भी रोक है लिहाजा इन फूलों को खरीदने वाला कोई नहीं है। ऐसे में फूल उगाने वाले ये सैकड़ों किसान भारी आर्थिक बोझ तले दाब चुके हैं।

सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति फूल की खेती करने वालों से कुछ बेहतर है लेकिन नुकसान उन्हें भी कम नहीं हुआ है। ये किसान बताते हैं कि मंडियां सिर्फ दो घंटे के लिए खुलती हैं तो वहां माल-भाव की गुंजाइश ही नहीं बचती और बड़े ठेकेदार मनमाने दाम पर सब्जी लेते हैं।

गोभी की खेती करने वाले कृष्ण पाल कहते हैं, ‘मुझे वो गोभी चार रुपए किलो बेचनी पड़ी जो कम-से-कम 22 से 25 रुपए किलो बिकनी थी। लेकिन मंडी में ठेकेदार कहता है कि बेचनी है तो बोला वरना वापस ले जाओ। इन दिनों न तो कहीं हाट लग रही है और न कोई और जगह है जहां हम सब्जी बेचने जा सकें। इसलिए उनकी मनमानी चल रही है। दो घंटे के बाद पुलिस लठ चलाने लगती है और वहां रुकने नहीं देती। मजबूरी में जो दाम मिले उसी पर बेच रहे हैं लेकिन इस दाम पर हमारी लागत तक नहीं निकल रही।’

कृष्ण पाल की ही बात को आगे बढ़ाते हुए छेद्दा सिंह कहते हैं, ‘इसने जो गोभी लगाई थी उसका बीज ही 70 हजार रुपए प्रति किलो मिलता है। खेत की लागत और महीनों की मेहनत अलग से। इसके बाद भी ऐसे कौड़ियों के दाम सब्जी बिकेगी तो किसान कैसे जिंदा रहेगा। वही गोभी जब आम आदमी तक पहुंचेगी तो कम से कम 40-50 रुपए किलो बिकेगी और किसान को उसके सिर्फ छह रुपए मिल रहे हैं। इतनी हसीन गोभी होने के बाद भी किसान कर्ज में ही है।’

गोभी की खासियत बताते हुए जब छेद्दा सिंह ‘हसीन’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो उस लगाव की साफ झलक दे जाते हैं जो एक किसान का अपनी उपज से होता है। वही लगाव जो एक रचनाकार अपनी उस रचना से रखता है जिसे रचने में उसने खुद को झोंक दिया होता है। और तब किसान का ये नुकसान सिर्फ आर्थिक पैमानों पर मापे जाने से कहीं बड़ा नजर आने लगता है।



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कुणाल की उम्र 9 साल है। उनके दादा छेद्दा सिंह फूलों की खेती करते हैं।




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मोदी ने 5 महीने में कोई विदेश यात्रा नहीं की, 6 साल में दूसरी बार ऐसा; 29 फरवरी से तो दिल्ली से बाहर भी नहीं गए

कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए दुनियाभर की सरकारें लॉकडाउन का तरीका अपना रही हैं। भारत में भी40 दिन का लॉकडाउन है, जिसका आज 29वां दिन है। पिछले करीब एक महीने से देश की 135 करोड़ की आबादी घर में कैद है। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से सिर्फ आम लोग ही नहीं, जो कहीं आ-जा नहीं पा रहे। बल्कि, प्रधानमंत्री मोदी भी कहीं आ-जा नहीं पा रहे हैं।प्रधानमंत्री मोदी को विदेश से लौटे आज 5 महीने, 6 दिन हो चुके हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 6 साल में ये दूसरी बार है, जब वे इतने लंबे समय तक देश में ही हैं।

इससे पहले मोदी ने 2016-17 में 6 महीने तक कोई विदेश यात्रा नहीं की थी। उस समय मोदी 12 नवंबर 2016 को जापान से लौटे थे और उसके बाद 11 मई 2017 को श्रीलंका के दौरे पर गए थे। हालांकि, उस समय देश में चुनाव भी थे। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में चुनाव हुए थे।
हर साल 10 से ज्यादा विदेशी यात्राएं करते हैं मोदी
मोदी को प्रधानमंत्री बने करीब 5 साल 11 महीने हो चुके हैं। मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, मोदी ने 2014 से लेकर अब तक 59 बार विदेश के लिए रवाना हुए हैं। इस दौरान उन्होंने 106 देश (इनमें 2 या उससे ज्यादा दौरे भी) की यात्रा की है। मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से हर साल 10 से ज्यादा विदेशी यात्राएं करते हैं।
दिसंबर 2018 में राज्यसभा में दिए जवाब में उस समय के विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने प्रधानमंत्री के विदेश दौरे पर होने वाले खर्च का ब्योरा दिया था। इसके मुताबिक, 2018-19 तक मोदी की विदेश यात्रा पर 2,021.54 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद मोदी ने 14 यात्राएं और कीं, जिसमें 90.70 करोड़ रुपए और खर्च हुए थे। हालांकि, इस खर्चमें प्रधानमंत्री के विमान के रखरखाव और हॉटलाइन का खर्चशामिल नहीं था।

2017 में 5 राज्यों में चुनाव थे, इस बीच 6 महीने तक मोदी विदेश नहीं गए थे
नवंबर 2016 से मई 2017 के बीच प्रधानमंत्री मोदी किसी भी विदेश दौरे पर नहीं गए थे। इसका एक कारण ये भी था कि, उस समय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव भी थे। इन 5 राज्यों में मोदी ने नवंबर 2016 से लेकर मार्च 2017 के बीच 38 दौरे किए थे। इसमें से सबसे ज्यादा 27 दौरे अकेले उत्तर प्रदेश में किए थे। चुनाव में भाजपा ने यहां की 403 सीटों में से 325 सीटें जीती थीं। भाजपा 5 में से 4 राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। अकेले पंजाब में उसे सरकार गंवानी पड़ी थी।

मोदी हर साल राज्यों के दौरे पर भी जाते हैं, लेकिन 29 फरवरी से दिल्ली में ही हैं
प्रधानमंत्री मोदी आखिरी बार दिल्ली से बाहर 29 फरवरी को गए थे। इस दिन वे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और मध्य प्रदेश के चित्रकूट आए थे। प्रयागराज में वे सामाजिक आधिकारिता शिविर में शामिल हुए थे। जबकि, चित्रकूट में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करने और किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड बांटने गए थे।

भास्कर नॉलेज : चौधरी चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री, जो किसी विदेशी दौरे पर नहीं गए

  • पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 68 देशों की यात्रा की थी। वे 1947 से 1962 तक प्रधानमंत्री रहे थे। उनकी पहली विदेश यात्रा 11 से 15 अक्टूबर 1949 को हुई थी। पहली विदेश यात्रा पर नेहरू अमेरिका गए थे।
  • इंदिरा गांधी ने 15 साल के दौरान 116 देशों की यात्राएं की थीं।
  • 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक) ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने एक भी विदेशी दौरा नहीं किया था।
  • अटल बिहारी वाजपेयी ने 48 देशों की यात्रा की थी।
  • डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल में 93 देशों की यात्रा की थी।


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Narendra Modi Latest News; Coronavirus | Coronavirus (COVID-19) Spread Latest Impact On PM Narendra Modi Foreign Trips




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क्या मोदी सरकार कोविड-19 के दौर में मिली ताकत छोड़ सकेगी?

जब आपके सामने बहुत अधिक ढोंग और नैतिकता का दिखावा होने लगे तो आपको एक असली पंजाबी की तरह जो सच है, उसे जस का तस कहना पड़ता है। पिछले हफ्ते पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐसा ही किया। इससे उन्होंने कोरोना वायरस के कारण हमारी राष्ट्रीय राजनीति और शासन में 35 साल बाद एक शक्तिशाली केंद्र की वापसी को भी रेखांकित किया। एक पंजाबी चैनल से बातचीत में उन्होंने शराब की देशव्यापी बिक्री पर केंद्र द्वारा लगाए प्रतिबंध पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि शराब का कोराना वायरस से क्या लेना-देना। पटियाला के पूर्व महाराजा अमरिंदर सिंह इस मामले को एक अच्छी वजह से उठा रहे हैं, क्याेंकि राज्य का खजाना खाली हो रहा है। शराब और पेट्रोलियम ही दो ऐसे उत्पाद हैं, जिन पर राज्य सरकारें खुद सीधे कर लगा सकती हैं। खासकर जीएसटी के बाद सभी कर केंद्र के पास चले गए और वह इसमें से राज्यों को उनका हिस्सा देता है। इसलिए शराब और पेट्रोलियम ही राज्यों की आय का प्रमुख साधन रह गए हैं। कोविड महामारी की वजह से अभूतपूर्व उपाय करने की जरूरत है। इसलिए केंद्र सरकार ने 1887 के महामारी कानून और 2005 के आपदा प्रबंधन कानून को लागू करके असाधारण शक्तियां हासिल कर ली हैं। इसी के तहत उसने देशव्यापी लॉकडाउन करके यह तय किया कि क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा।
असल में अमरिंदर जिस बात की शिकायत कर रहे हैं, वही सभी राज्यों की परेशानी है। लेकिन, शराब की बात कोई नहीं करना चाहता। अमरिंदर इस आडंबर को नहीं मानते। सबसे जरूरी बात यह है कि उन्हें आज केंद्र से अपने उस अधिकार के लिए मांग करनी पड़ रही है, जो हमेशा से राज्यों का अपना रहा है। इसलिए हम कह रहे हैं कि काेरोना वायरस ने उस ताकतवर केंद्र की वापसी कर दी है, जिसके बारे में हमें लगता था कि हम उसे 1989 में ही पीछे छोड़ आए हैं। आज केंद्र की टीमें यह निगरानी और ऑडिट करने के लिए राज्यों में जा रही हैं कि वे कोविड संकट से कैसे निपट रहे हैं। वे सवाल पूछ रही हैं, सूचनाएं मांग रही हैं और राज्यों की आलोचना भी कर रही हैं। राज्य सरकारें बात मान रही हैं। शुरू महाराष्ट्र से करते हैं। शायद वह राज्यों में सबसे अधिक मित्रवत रहा है। राजस्थान का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल भी साथ आ रहा है। केंद्र सरकार उसके चिकित्सकीय रिकॉर्ड मांग रही है, सभी मौतों की जांच कर रही है, ताकि पता लग सके कि आंकड़ों से छेड़छाड़ तो नहीं हो रही। बंगाल सरकार को न केवल कई सवालों के जवाब देना पड़ रहे हैं, बल्कि आंकड़ों में संशोधन भी करना पड़ रहा है। गत गुरुवार और शुक्रवार के बीच राज्य ने मृतकों के आंकड़े को बढ़ाकर 15 से 57 किया।
यह संख्या कोई बड़ी नहीं है, लेकिन हमें याद नहीं है कि जाने कब पश्चिम बंगाल के साथ पहले ऐसा हुआ था, क्योंकि वह अपने अधिकारांे वाले गणतंत्र की तरह काम कर रहा था। पहले करीब 34 साल वामशासन में और लगभग एक दशक से ममताराज में। अगर आप सोचते हैं कि यह बदलाव महत्वपूर्ण नहीं है, तो जरा उस मुख्यमंत्री को याद करें, जो प्रधानमंत्री के साथ बैठक करने और वार्ता में आने से इनकार करती रही हैं। यही नहीं, एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी के लिए भी नहीं आती हैं। वह अपने प्रिय आईपीएस को बचाने के लिए सीबीआई से लड़ती हैं और जीतती हैं। इस महामारी से यह बदलाव आया है। लेकिन, इसकी प्रमुख वजह वित्तीय है। पेट्रोल-डीजल की बिक्री गिरने आैर शराब की बिक्री बंद होने से राज्यों को वेतन देने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि गरीबों के लिए मदद भी सीधे केंद्र से आ रही है।
कांग्रेस के तीन दशक के शासन, विशेषकर इंदिरा गांधी के समय हम सिर्फ नाम के ही गणराज्य रहे। अधिकतर राज्यों में कांग्रेस का शासन था और मुख्यमंत्रियों को डीएम व एसपी के तबादले के लिए भी केंद्र से अनुमति लेनी पड़ती थी। सिर्फ अंगुली के इशारे पर मुख्यमंत्रियांे को बदल दिया जाता था। 1989 में कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्व खोने के बाद भारत की राजनीति बदल गई। कांग्रेस हमेशा यह डर दिखाती थी कि क्षेत्रवाद देश को तोड़ देगा, लेकिन यह गलत साबित हुआ। बल्कि भारत का संघवाद और मजबूत ही हुआ। आज भारत पहले से कहीं मजबूत है। लेकिन, मोदी के काम के तरीके से यह बदल रहा है। महामारी इसे उचित ठहराने की वजह बनी है। ऐसा अमेरिका में भी हो रहा है। यह अस्वाभाविक समय है, जो गुजर जाएगा। लेकिन, क्या ये बदलाव पलटे जा सकेंगे? अमेरिका में संस्थागत ढांचे अधिक मजबूत हैं। लेकिन, हमारे यहां केंद्र ने मोदी के नेतृत्व में उस ताकत का स्वाद ले लिया है, क्या वह वापस पुरानी व्यवस्था पर लौटेगा? हमारा राजनीतिक इतिहास बहुत आशा नहीं जगाता।(यह लेखक के अपने विचार हैं।)



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Will the Modi government give up the power it got in the Kovid-19 era?




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लोगों को रीइन्वेंट करना सिखा रहा है कोविड-19 का यह दौर

हाल ही में प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद का एक फोटो वायरल हुआ है, जिसमें वे हाथ से चलने वाली मशीन पर आश्रय घर के लिए मास्क सिल रही हैं। यह एक प्रेरक और हौसला बढ़ाने वाली दृष्टि है, उनका यह योगदान इस बात का भी संकेत है कि कोविड-19 किस तरह से हमारी भूमिकाएं बदल रहा है। कोरोना वायरस का हमला हमारे जीवन की एक अप्रत्याशित घटना है और इसका एक ही प्रबंधन है- आइसोलेशन और एक-दूसरे से दूरी बनाना। यह दुनियाभर के लोगों को पुनर्विचार और खुद को रीइन्वेंट करना सिखा रहा है।

ऑटो जायंट महिंद्रा ने अपनी फैक्टरियों को वेंटिलेटर बनाने की दिशा में मोड़ दिया, फ्रांस की परफ्यूम और कॉस्मेटिक बनाने वाली एलवीएमएच ने अपनी कई यूनिटों को अस्पतालों के लिए हैंड सैनिटाइजर्स बनाने के लिए समर्पित कर दिया है। फैशन डिजाइनर मास्क बनाने के व्यापार में आ गए हैं। हमारे देशव्यापी पोस्टमैन अब स्थानीय बैंकर बन गए हैं, क्योंकि वे दूरस्थ क्षेत्रों में ग्राहकों के किसी बैंक में स्थित अकाउंट से उन्हें नगदी लाकर उपलब्ध कराते हैं।

24 मार्च से 23 अप्रैल के बीच ऐसे 21 लाख ट्रांजेक्शन के जरिये पोस्ट ऑफिसाें ने ग्रामीण व बिना बैंकों वाले इलाकों में 412 करोड़ रुपए लोगों तक पहुंचाए। अप्रैल तक ही रेलवे अपने 5000 कोचों को आइसोलेटेड वार्डों मंे बदल चुका है, ताकि जरूरत पड़ने पर देश के पिछड़े इलाकों में चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। इससे स्पष्ट है कि बदलाव आज की जरूरत है।
जैसे उद्योग और व्यापार और अन्य सेक्टर इस संकट के समय अपने उत्पादों और सेवाओं में बदलाव करके चुनौतियों से निपट रहे हैं, वैसे ही लोग और ग्रुप भी मदद की अपनी छिपी हुई क्षमताओं का अहसास कर रहे हैं। मीडिया में जनसेवकों द्वारा अपने क्षेत्रों में जरूरतमंदों को भाेजन व राशन वितरित करने की अनगिनत कहानियां हैं।

नगर निगम के मालियों द्वारा मदद के लिए स्वच्छता टीम में शामिल होने की भी खबरें हैं। अपनी नियमित ड्यूटी के अलावा पुलिस व हेल्थ वर्कर लोगों की मदद के लिए आजकल अपनी भूमिकाओं से भी आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। डॉक्टर भी जिंदगी बचाने के अलावा मृतकों का अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं। आईएफएस, आईएएस, आईपीएस और आईआरएस जैसी सिविल सेवाओं के संगठनों ने वायरस से लड़ने के लिए ‘करुणा (सीएआरयूएनए)’ नाम से पहल की है।

सीएआरयूएनए का मतलब ‘सिविल सर्विस एसोसिएशन रीच टु सपोर्ट नेशनल डिजास्टर’ है। इस पहल के जरिये सिविल अधिकारी माइग्रेशन की जानकारी और डाटाबेस तैयार करने, जरूरी सामान की आपूर्ति और औपचारिक प्रयासों को गति देने के लिए मास्क, वेंटिलेटर व पीपीई आदि की व्यवस्था के लिए अपने नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं।
अनगिनत स्वयंसेवी संगठन, सिविल सोसायटी ग्रुप और अनौपचारिक समूह गरीबों, बुजुर्गों और संकट में फंसे अन्य लोगों तक पहुंच रहे हैं। लोगों को जरूरी चीजें, दवाएं, सूचनाएं और अन्य तरह की मदद उपलब्ध कराने के लिए भी लोग आगे आ रहे हैं। इस दाैर में स्टार्टअप्स ने अपने नवाचारांे को जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में मोड़ दिश है। कोविड-19 के प्रबंधन में आईआईटी अनुसंधान के क्षेत्र में सबसे आगे है।

जीवन के हर क्षेत्र में यह बात नजर आ रही है कि हमें अपने आराम के जोन से बाहर निकलकर औरों की मदद करनी चाहिए। यहां तक कि हमारे व्यक्तिगत जीवन में बदलाव आ रहा है। हम अपने पास समय और इंटरनेट होने की वजह से अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ नया कर रहे हैं। कुछ कुकिंग कर रहे हैं, अन्य संगीत या कोई विदेशी भाषा सीख रहे हैं। कुछ लोग लिख रहें या पढ़ने में व्यस्त हैं। कला वीथियों, या शहरों के वर्चुअल टूर, आॅनलाइन संगीत समारोह, ओपेरा या फिर साधारण हैंगआउट भी उपलब्ध हैं। जिज्ञासा और अपनी रुचि की किसी भी चीज को जानने कीे आज जगह मिल रही है। ऑनलाइन दुनिया में वह हर चीज कोर्सों से भरी पड़ी है, जिसके बारे में सोचा जा सकता है। लाॅकडाउन के इस दौर में नियमित तौर पर सीखने की ललक अपने आप उभर रही है।
महामारी के फैलने से पहले लोगों ने अलग-अलग काम किए। भाग्यशाली लोगों के पास ही नियमित नौकरी, निर्धारित भूमिका और वह दायरा है, जिसमें वे रहते और काम करते थे। कई बार काम, नौकरी या भूमिका से अधिक हमने जो प्रदर्शन किया वह हमें परिभाषित करता है। कोई एक ऑटो जायंट या एक कॉस्मेटिक बनाने वाला या एक रेलवे कैरियर या पोस्टल विभाग या एक एंटरटेनर रहा होगा। व्यक्तिगत तौर पर कोई सिविल सेवक, पुलिस, मैनेजर, आर्टिस्ट, बैंकर या कॉर्पोरेट प्रमुख या ऐसा ही कुछ हो सकता है।

इस वायरस ने इन परिभाषाओं की बाध्यताओं को पिघला दिया है। इसने हमें यह अहसास कराया है कि हम अपनी नौकरी और भूमिकाओं से बहुत अधिक हैं। आज एक व्यक्ति और समूह के तौर पर हम आइडिया, प्रक्रियाएं और पहल को तलाशने की अपनी क्षमता का विस्तार कर रहे हैं। जब हम अपनी जिंदगी के इस दौर से गुजर जाएंगे तो यह ज्ञान और क्षमता निश्चित ही हमारे साथ रहेगी। नौकरी और भूमिकाओं की जो परिभाषाएं हमें सीमा में बांधती हैं, हम उनसे कहीं अधिक हैं। प्रथम महिला की यह फोटो इसका ही प्रमाण है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)



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This round of Kovid-19 is teaching people to reinvent




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ऋषि 1990 में पाकिस्तान में पेशावर वाले पुश्तैनी घर आए थे, लौटते वक्त आंगन की मिट्‌टी साथ ले गए, ताकि विरासत याद रख सकें

लगातार दूसरा दिन है जब किसी बॉलीवुड सितारे की मौत हुई है। सिसकियां सरहद के इस ओर से भी सुनाई दी हैं। एक दिन पहले इरफान खान और आज ऋषि कपूर की मौत का गम पाकिस्तान में भी है।

जहां एक ओर दिलों पर राज करने वाले ऋषि कपूर की इबारत भारतीय सिनेमा में हमेशा के लिए जिंदा रहेगी, वहीं उनके खानदान की विरासत सरहद के इस पार पाकिस्तान में भी खड़ी है। पाकिस्तान में ऋषि कपूर को उनकी अदाकारी के अलावा खैबर पख्तून की राजधानी पेशावर में मौजूद उनके खानदान की जड़ों के लिए भी पहचाना जाता है।

भारतीय सिनेमा के कपूर खानदान की यह मशहूर कपूर हवेली पेशावर के रिहायशी इलाके में हैं।यह कपूर परिवार की कई पुश्तों का घर रहा है। बंटवारे से पहले बनी यह हवेली पृथ्वीराज कपूर के पिता और ऋषि कपूर के परदादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने 1918-1922 के बीच बनवाई थी। पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री लेनेवाले कपूर खानदान के पहले व्यक्ति थे। इसी हवेली में पृथ्वीराज कपूर के छोटे भाई त्रिलोकी कपूर और बेटे राजकपूर का जन्म हुआ था।

हवेली के बाहर लगी लकड़ी की प्लेट के मुताबिक, बिल्डिंग का बनना 1918 में शुरू हुआ और 1921 में यह तैयार हो गई। इस हवेली में 40 कमरे हैं और हवेली के बाहरी हिस्से में खूबसूरत मोतिफ उकेरे हुए हैं। आलीशान झरोखे इस हवेली के ठाठ की गवाही देतेहैं।

यह फिल्म हिना का सीन है जो भारत और पाकिस्तान के बीच नायक-नायिकाओं की एक प्रेम कहानी है। इसकी शूटिंग पाकिस्तान में भी हुई थी।

1947 में बंटवारे के बाद कपूर खानदान के लोग बाकी हिंदुओं की तरह शहर और हवेली छोड़कर चले गए। 1968 में एक ज्वैलर हाजी कुशल रसूल ने इसे खरीद लिया और फिर पेशावर के ही एक दूसरे व्यक्ति को बेच दिया।

फिलहाल हवेली के मालिक हाजी इसरार शाह हैं। वह कहते हैं कि उनके पिता ने 80 के दशक में यह हवेली खरीदी थी। उस इलाके में रहनेवालों के मुताबिक, इस जगह का इस्तेमाल बस शादी ब्याह जैसे जश्न में किया जाता है। पेशावर में ही रहनेवाले वहां पुराने मेयर अब्दुल हाकिम सफी बताते हैं कि ये हवेली पिछले दो दशकों से खाली पड़ी है और इसके मालिक भी कभी कबार हीयहां आते हैं।

राजकपूर के छोटे भाई शशि कपूर और बेटे रणधीर-ऋषिको 1990 में पाकिस्तान के पेशावर वाले अपने पुश्तैनी घर जाने का मौका मिला था। लौटते वक्त वह आंगन की मिट्‌टी साथ ले गए थे, ताकि अपनी विरासत को याद रख सकें।

ऋषि कपूर ने अपनी इस यात्रा का जिक्र एक इंटरव्यू में भी किया था। वह 1990 में फिल्म हिना की शूटिंग के लिए लाहौर, कराची और पेशावर गए थे। इसके डायलॉग राजकपूर के कहने पर पाकिस्तानी लेखक हसीना मोइन ने लिखे थे।

हवेली के पुराने मालिकों ने इस धरोहर की ऊपरी तीन मंजिलों को कई साल पहले गिरा दिया। भूकंप से उनकी दीवारों में दरारें पड़ गईं थीं। अब यह हवेली आसपास से दुकानों से घिरी हुई है, जो इसकी दीवारों पर बोझ बन इसके लिए खतरा पैदा कर रही हैं।

हाल ही में ऋषि कपूर ने पाकिस्तान की सरकार से इसे बचाने के लिएमदद मांगी थी। विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी कहते हैं, ऋषि कपूर ने मुझे फोन किया था। वह चाहते थे कि उनके पारिवारिक घर को म्यूजियम या इंस्टीट्यूट बना दिया जाए। हमने उनका आग्रह मान लिया है।

पाकिस्तान सरकार पेशावर किस्सा ख्वानी बाजार के इसघर को अब म्यूजियम बनाने जा रही है। इसमें आईएमजीसी ग्लोबल एंटरटेंमेंट और खैबर पख्तून की सरकार भी मदद कर रही है। यहपाकिस्तान में बॉलीवुड की सबसे मजबूत धरोहर है।कई विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग इसे देखने आतेहैं।

एक किस्सा यह भी..

रावलपिंडी में रहनेवाले सिनेमा एक्सपर्ट आतिफ खालिद कहते हैं, कपूर पेशावर के जानेमाने पठान थे। वे पृथ्वीराज कपूर का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब सब इंस्पेक्टर बशेश्वरनाथ का बेटा (पृथ्वीराज) पेशावर से बांबे फिल्मों में काम करने गया तो भारत में तब की सबसे बड़ी फिल्म मैगजीन के एडिटर बाबूराव ने लिखा था - जो पठान ये सोचते हैं कि वह एक्टर बन जाएंगे तो उनकी यहां कोई जगह नहीं है। लेकिन कपूर खानदान ने वहां जो नाम कमाया, वैसा और किसी के हिस्से नहीं आया।

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यह पुश्तैनी हवेली पेशावर में है जहां ऋषि कपूर के दादा पृथ्वीराज कपूर और पिता राज कपूर का जन्म हआ था।




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60% शहरी और 89% ग्रामीण घरों में सीधे पानी की सुविधा नहीं; 60% भारतीय परिवार खाने से पहले बिना साबुन के ही हाथ धोते हैं

चीन के वुहान शहर से निकला कोरोनावायरस 5 महीने के भीतर ही दुनिया के लगभग सभी देशों में पहुंच गया है। अब तक 30 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और करीब 2.5 लाख लोगों की मौत हो गई है। कोरोना का अभी कोई असरदार इलाज नहीं मिल सका है। जिस तरह इसको फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र तरीका है। उसी तरह से इससे बचे रहने का भी एकमात्र तरीका साफ-सफाई और बार-बार हाथ धोना है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोरोना से बचने के लिए दिन में बार-बार कम से कम 20 सेकंड तक अच्छी तरह साबुन से हाथ धोना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इस तरह की एडवाइजरी आ चुकी है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर हाथ धोने के लिए पानी ही न हो, तो क्या करें? मुंह पर हाथ रखकर खांसने या छींकने के बाद, आंख, नाक या मुंह पर हाथ लगाने के बाद हाथ धोना चाहिए। इसके अलावा किसी अजनबी व्यक्ति से संपर्क में आने पर, शौच के बाद, किसी सरफेस पर हाथ लगने के बाद और खाना खाने से पहले भी हाथ धोना चाहिए।

एक व्यक्ति को हाथ धोने के लिए दिन में 20 पानी चाहिए

अगर डब्ल्यूएचओ के तय मानकों पर बार-बार हाथ धोएं जाए तो एक दिन में कम से कम एक व्यक्ति10 बार हाथ धोएगा। एक व्यक्ति को 20 सेकंड तक हाथ धोने के लिए कम से कम 2 लीटर पानी की जरूरत है। मतलब दिनभर में 20 लीटर। इस तरह से 4 लोगों के एक परिवार को दिन में 10 बार हाथ धोने के लिए 80 लीटर पानी चाहिए। लेकिन, सच्चाई तो ये है कि भारत में आधे से ज्यादा आबादी के पास पानी की कोई सुविधा ही नहीं है।

आंकड़े क्या कहते हैं?
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ ने जुलाई से दिसंबर 2018 के बीच एक सर्वे किया था। इस सर्वे को पिछले साल ही जारी किया गया है। इस सर्वे के मुताबिक, देश के सिर्फ 21.4% घरों में ही पाइप के जरिए सीधे पानी आता है। यानी, 79% घर ऐसे हैं, जहां सीधे पानी नहीं आता। इसका मतलब ये हुआ कि इन्हें पानी के लिए ट्यूबवेल, हैंडपंप, कुएं, वॉटर टैंकर के भरोसे रहना पड़ता है।

शहरी : देश की 20% आबादी ही शहरों में रहती है। शहरों के 40.9% घरों में ही पाइपलाइन के जरिए पानी आता है। यानी, 59% परिवार पानी के लिए दूसरे सोर्स पर निर्भर हैं।

ग्रामीण : अभी भी 80% आबादी ग्रामीण इलाकों में ही रहती है। यहां के सिर्फ 11.3% घरों में ही पाइपलाइन के जरिए पानी आता है। यानी, यहां के 89% परिवार पानी के लिए दूसरे सोर्स पर निर्भर हैं।

सब साबुन से हाथ धोने की बात कह रहे, लेकिन हमारे यहां 60% से ज्यादा परिवारों में खाना खाने से पहले हाथ साबुन से नहीं धोते
एनएसएसओ के इसी सर्वे के मुताबिक, देश के सिर्फ 35.8% परिवार ही ऐसे हैं, जहां खाना खाने से पहले हाथ धोने के लिए साबुन या डिटर्जेंस का इस्तेमाल होता है। जबकि, 60.4% परिवार ऐसे हैं, जहां खाने से पहले सिर्फ पानी से ही हाथ धो लिए जाते हैं।

कितने घरों में खाने से पहले साबुन से हाथ धोते हैं लोग?

साबुन/डिटर्जेंट से सिर्फ पानी से
देश 35.8% 60.4%
शहरी 56.0% 42.1%
ग्रामीण 25.3% 69.9%

इसी तरह से 74% परिवार में ही शौच के बाद साबुन या डिटर्जेंट से हाथ धोए जाते हैं। जबकि, 13.4% परिवारों में शौच के बाद सिर्फ पानी से ही हाथ धुलते हैं।

कितने घरों में शौच के बादहाथ धोने के लिए साबुन भी नहीं?

साबुन/डिटर्जेंट से सिर्फ पानी से
देश 74.1% 13.4%
शहरी 88.3% 9.8%
ग्रामीण 66.8% 15.2%

एक सर्वे ये भी; 40% भारतीयों को टॉयलेट के बाद हाथ धोने की आदत ही नहीं
यूके की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने 24 मार्च को एक सर्वे जारी किया था। इस सर्वे में 63 देशों को शामिल किया गया था। सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि टॉयलेट के बाद हाथ धोते हैं या नहीं? हैरानी वाली बात ये है कि, इसमें 40% भारतीयों ने माना कि टॉयलेट के बाद उन्हें हाथ धोने की आदत ही नहीं है। इस मामले में भारत 10वें नंबर पर था।

चीन, जहां से कोरोनावायरस निकला, वहां के 77% लोग ऐसे थे, जिन्होंने सर्वे में टॉयलेट के बाद हाथ न धोने की बात मानी। चीन के बाद जापान के 70%, दक्षिण कोरिया के 61% और नीदरलैंड के 50% लोगों ने यही बात मानी थी। सर्वे में अमेरिका का स्कोर सबसे अच्छा रहा। वहां के 23% लोगों ने ही माना कि वो टॉयलेट के बाद हाथ नहीं धोते।



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Coronavirus (India) Update, COVID-19 News; Rural Area Water Supply and Sanitation In Uttar Pradesh Maharashtra Tamil Nadu Bihar West Bengal




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मानसरोवर में 90 और अमरनाथ में 45 किमी की चढ़ाई, 12 साल में एक बार होने वाली नंदा देवी यात्रा में 280 किमी का सफर 3 हफ्ते में

नेशनल लॉकडाउन के कारण अमरनाथ यात्रा से लेकर कैलाश मानसरोवर तक की यात्राओं पर संशय के बादल हैं। केदारनाथ के कपाट खुल चुके हैं लेकिन अभी वहां जाने पर रोक है। अमरनाथ, केदारनाथ और मानसरोवर तीनों ही दुर्गम यात्राएं मानी जाती हैं। यहां पहुंचना आसान नहीं है। पर्वतों के खतरों से भरे रास्तों से गुजरना होता है। लेकिन, ये तीन ही अकेले ऐसे तीर्थ नहीं हैं। दर्जन भर से ज्यादा ऐसे कठिन रास्तों वाले तीर्थ हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बूते का नहीं है। कुछ स्थान तो ऐसे हैं, जहां पहुंचने में एक दिन से लेकर एक हफ्ते तक का समय लग सकता है।

ऊंचे पर्वत क्षेत्रों के मंदिर आम भक्तों के लिए कब खोले जाएंगे, ये स्पष्ट नहीं है। हाल ही में केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनौत्री धाम के कपाट खुल गए हैं, बद्रीनाथ के कपाट भी खुलने वाले हैं, लेकिन यहां आम भक्त अभी दर्शन नहीं कर पाएंगे। भारत के 14 ऐसे दुर्गम तीर्थों जहां हर साल लाखों भक्त पहुंचते हैं, लेकिन इस साल ये यात्राएं अभी तक बंद हैं...

अमरनाथ यात्रा

सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक है अमरनाथ की यात्रा। से कश्मीर के बलटाल और पहलगाम से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है। ये तीर्थ अनंतनाग जिले में स्थित है। अमरनाथ की गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। यहां पहुंचने का रास्ता चुनौतियों से भरा है। प्रतिकूल मौसम, लैंडस्लाइड, ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं के बावजूद लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं। शिवजी के इस तीर्थ का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां स्थित शिवलिंग पर लगातार बर्फ की बूंदें टपकती रहती हैं, जिससे 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग निर्मित होता है। गुफा में शिवलिंग के साथ ही श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी निर्मित होते हैं।

हेमकुंड साहिब

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां बर्फ की बनी झील है जो सात विशाल पर्वतों से घिरी हुई है, जिन्हें हेमकुंड पर्वत भी कहते हैं। मान्यता है कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह ने करीब 20 सालों तक तपस्या की थी। जहां गुरुजी ने तप किया था, वहीं गुरुद्वारा बना हुआ है। यहां स्थित सरोवर को हेम सरोवर कहते हैं। जून से अक्टूबर तक हेमकुंड साहिब का मौसम ट्रैकिंग के लिए अनुकूल रहता है। इस दौरान अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान -4 डिग्री तक हो जाता है। यहां पहुंचने के लिए ग्लेशियर और बर्फ से ढंके रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।

कैलाश मानसरोवर

शिवजी का वास कैलाश पर्वत माना गया है और ये पर्वत चीन के कब्जे वाले तिब्बत में स्थित है। ये यात्रा सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक है। यहां एक सरोवर है, जिसे मानसरोवर कहते हैं। मान्यता है कि यहीं माता पार्वती स्नान करती हैं। प्रचलित कथाओं के अनुसार ये सरोवर ब्रह्माजी के मन से उत्पन्न हुआ था। इसके पास ही कैलाश पर्वत स्थित है। इस जगह को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म में भी बहुत पवित्र माना जाता है। मानसरोवर का नीला पानी पर्यटकों के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र है। यह यात्रा पारंपरिक रूप से लिपुलेख उत्तराखंड रूट और सिक्किम नाथुला के नए रूट से होती है।

वैष्णोदेवी

जम्मू के रियासी जिले में वैष्णोदेवी का मंदिर स्थित है। ये मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। यहां भैरव घाटी में भैरव मंदिर स्थित है। मान्यता के अनुसार यहां स्थित पुरानी गुफा में भैरव का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया और शरीर इस गुफा में रह गया था। प्राचीन गुफा में गंगा जल प्रवाहित होता रहता है। वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई पड़ाव पार करने होते हैं। इन पड़ावों में से एक है आदि कुंवारी या आद्यकुंवारी।

केदारनाथ

बुधवार, 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है। ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मान्यता है कि प्राचीन समय में बदरीवन में विष्णुजी के अवतार नर-नारायण इस क्षेत्र में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करते थे। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए थे। केदारनाथ मंदिर का निर्माण पाण्डव वंश के राजा जनमेजय द्वारा करवाया गया था और आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जिर्णोद्धार करवाया था। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 16 किमी की ट्रेकिंग शुरू होती है। मंदाकिनी नदी के किनारे बेहद खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। एक यात्रा गुप्तकाशी से भी होती है। नए रूट में सीतापुर या सोनप्रयाग से यात्रा शुरू होती है। गुप्तकाशी रूट पर ट्रैकिंग ज्यादा करना होती है।

श्रीखंड महादेव

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में श्रीखंड महादेव शिवलिंग स्थित है। यहां शिवलिंग की ऊंचाई करीब 75 फीट है। इस यात्रा के लिए जाओं क्षेत्र में पहुंचना होता है। यहां से करीब 32 किमी की ट्रेकिंग है। मार्ग में जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर स्थित हैं। मान्यता है शिवजी से भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। तब भगवान विष्णु ने भस्मासुर को इसी स्थान पर नृत्य करने के लिए राजी किया था। नृत्य करते-करते भस्मासुर ने खुद का हाथ अपने सिर पर ही रख लिया था, जिससे वह भस्म हो गया।

नंदादेवी यात्रा

उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में हर 12 साल में एक बार नंदादेवी की यात्रा होती है। नंदा देवी पर्वत तक जानेवाली यह यात्रा छोटे गांव और मंदिरों से होकर गुजरती है। इसकी शुरूआत कर्णप्रयाग के नौटी गांव से होती है। 2014 में ये यात्रा आयोजित हुई थी। मान्यता है कि हर 12 साल में नंदा मां यानी देवी पार्वती अपने मायके पहुंचती हैं और कुछ दिन वहां रूकने के बाद भक्तों के द्वारा नंदा को घुंघटी पर्वत तक छोड़ा जाता है। घुंघटी पर्वत को शिव का निवास स्थान और नंदा का सुसराल माना जाता है।

मणिमहेश

हिमाचल के चंबा जिले में स्थित है मणिमहेश। यहां शिवजी मणि के रूप में दर्शन देते है। मंदिर भरमौर क्षेत्र में है। भरमौर मरु वंश के राजा मरुवर्मा की राजधानी थी। मणिमहेश जाने के लिए भी बुद्धिल घाटी से होकर जाना पड़ता है। यहां स्थित झील के दर्शन के लिए भक्त पहुंचते हैं।

शिखरजी

झारखंड के गिरीडीह जिले में जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ शिखरजी स्थित है। ये मंदिर झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था।

यमनोत्री

यमुनादेवी का ये मंदिर उत्तराखंड के चारधामों में से एक है। यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। ये यमुना नदी का उद्गम स्थल है और ऊंची पर्वतों पर स्थित है। हनुमान चट्टी से 6 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है और जानकी चट्टी करीब 4 किमी ट्रेकिंग करनी होती है।

फुगताल या फुक्ताल

लद्दाख के जांस्कर क्षेत्र में स्थित है फुगताल यानी फुक्ताल। यहां 3850 मीटर ऊंचाई पर बौद्ध मठ स्थित है। ये मंदिर 12वीं शताब्दी का माना जाता है।

तुंगनाथ

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के संबंध में मान्यता है कि ये हजार साल पुराना है। यहां मंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी बहती है। इस क्षेत्र में चोपटा चंद्रशिला ट्रेक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

गौमुख

उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री स्थित है। यहां से करीब 18 किमी दूर गौमुख है। यहीं से गंगा का उद्गम माना जाता है। इस क्षेत्र में गंगा को भागीरथी कहते हैं। ये क्षेत्र उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।

रुद्रनाथ

रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित है। यहां शिवजी का मंदिर है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,600 मीटर है। मान्यता है कि रुद्रनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। सभी पांडव यहां शिवजी की खोज में पहुंचे थे। महाभारत युद्ध में मारे गए यौद्धाओं के पाप के प्रायश्चित के लिए पांडव यहां आए थे।



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Pilgrimage in India | 14 Famous Pilgrimage in India Full List Updates; Amarnath Yatra to Kailash Mansarovar




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कुक्षी के काेराेना पाॅजिटिव का राजगढ़ में हुआ था इलाज, 19 लाेग संपर्क में आए थे

कुक्षी के जिस युवक काे काेराेना पाॅजिटिव पाया गया है। उसका आठदिन पहले राजगढ़ में इलाज कराया गया था। इस दाैरान तीन परिवार के 19 लाेग संपर्क में आए थे। साथ ही राजगढ़ और सरदारपुर के डाॅक्टराें ने इलाज किया था। इसी के चलते प्रशासन ने कुक्षी सहित राजगढ़ और सरदारपुर में भी साेमवार देर रात से कर्फ्यू लगा दिया है। इधर धार में 18 लाेगाें की रिपाेर्ट निगेटिव आईहै। जबकि काेई नया केस सामने नहीं अाया है। धार के 54 और राजगढ़ के 6 लाेगाें के सैंपल लिए गए हैं।
धार में 3 दिन में 98 निगेटिव रिपाेर्ट : जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डाॅ. संजय भंडारी के अनुसार धार में मंगलवार काने 18 लगें की रिपोर्ट निगेटिव आई है। उन्हें डिस्चार्ज किया जा रहा है। इस प्रकार गत तीन दिन में पहले 30 फिर 50 अकार अब 18 मिलाकर 98 लगें की रिपोर्ट निगेटिव आचुकी है। मंगलवार काने काई नया केस सामने नहीं आया।

13 अप्रैल से खराब थी पिता की तबीयत, 17 काे हाे गई थी माैत, इसके बाद बेटे की तबीयत बिगड़ी

पॉजिटिव आए युवक के पिता की मौत 17 अप्रैल को हुई थी। मौत के 1 दिन पहले उन्हें बड़वानी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया था, उनके साथ बेटा भी गया था, जाे वर्तमान में पॉजिटिव है। जानकारी में सामने अाया है कि पॉजिटिव युवक के पिता की 13 अप्रैल से ही तबीयत खराब चल रही थी। जब उसके पिता की मौत हुई उसके बाद 19 अप्रैल काे बेटे को धार बुलाकर सैंपल लिया गया। लेकिन उसे वापस भेज दिया, जबकि उसे धार में ही क्वारेंटाइन करना था। अगर स्वास्थ विभाग उसे वहीं रोक लेता है ताे सरदारपुर, राजगढ़ और कुक्षी में यह स्थिति नहीं होती। क्याेंकि 20 अप्रैल से बेटे की तबीयत भी बिगड़ने लगी थी। बताया जा रहा है कि पाॅजिटिव युवक को धार से आने के बाद फिर तबियत बिगड़ी तो इंदौर ले जा रहे थे, राजगढ़ के परिवार द्वारा निवेदन करने पर 21 अप्रैल काे सरदारपुर के डॉक्टर ने उनकी जांच की अाैर राजगढ़ मानव सेवा हॉस्पिटल में बाटल चढ़ाई थी। इस बीच युवक के राजगढ़ के ससुराल पक्ष के लोग भी इससे मिलने पहुंचे थे।
कुक्षी के 11 हाईरिस्क और 17 लाे रिस्क पर : मंगलवार को कुक्षी में धार से आई टीम ने पॉजिटिव युवक के परिजन को हाईरिस्क पर 11 अकार 17 लोगों को लो रिस्क पर रखा गया है। परिवार के शेष 9 अन्य लोगों सैंपल लिए हैं। इन्हें कुक्षी के समीप तालनपुर में स्थित क्वारिन्टाइन सेंटर में रखा गया है। राजगढ़ के दाने डाॅक्टर, पाजीटिव युवक के साले अकार अस्पताल की स्टाफ नर्स अकार अटेंडर के सैंपल लिए गए हैं।

आज से देंगे कर्फ्यू में ढील
बुधवार को कर्फ्यू में सशर्त ढील रहेगी लेकिन जो संदिग्ध क्षेत्र हैं उस में कर्फ्यू लगा रहेगा। शेष यथावत जो चल रहा था वही चलेगा। दूध वालों को घर पर ही दूध देना है। सब्जी वालों को डोर टू डोर जाना है। किराना वाले को घर-घर सामान भेजना है। कुक्षी के पाजीटिव युवक के परिजन जो राजगढ़ में हैं उनको होम क्वारिन्टाइन में रहना है।विजय राय, एसडीएम सरदारपुर

भक्तामर और माेहनखेड़ा तीर्थ ने अपने यहां लोगों को रखने से मना किया
मंगलवार काे देवी राेड स्थित भक्तामर तीर्थ पर स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस पहुंची थी। इसमें भाजीबाजार में पाॅजिटिव पाए गए व्यक्ति के वृद्ध माता पिता के अलावा अन्य लाेग थे। यहां टीम के लाेगाें काे कह दिया गया कि वे उनके यहां पर किसी काे भी नहीं रख सकते क्याेंकि ट्रस्ट से अभी काेई आदेश नहीं मिले हैं। यह कहकर टीम काे लाैटा दिया गया। इसी प्रकार राजगढ़ के माेहनखेड़ा तीर्थ से भी प्रशासन काे उनके यहां लाेगाें काे क्वारेंटाइन करने से मना कर दिया गया। भक्तामर तीर्थ से मना हाेने के बाद टीम अलग-अलग एंबुलेंस में करीब 16 लाेगाें काे लेकर इधर घूमती रही। अंतत: उत्कृष्ट बालक छात्रावास, अाईटीअाई काॅलेज के पीछे कन्या छात्रावास अाैर श्रद्धा गार्डन में इन लाेगाें काे क्वारेंटाइन किया गया। एसडीएम एसएन दर्राे, डीएमअाे जैन अाैर जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डाॅ. संजय भंडारी ने व्यवस्था कराई। जानकारी के अनुसार लाॅकडाउन के पहले इन तीर्थ ने उनके यहां लाेगाें काे ठहराने की स्वीकृति दी थी।



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Kukshi's Karenna positive was treated in Rajgarh, 19 people came in contact




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कोई बीड़ी लेने निकला, तो किसी को गुटखेे की तड़प थी, 19 लोगों को उठाया, अस्थाई जेल में किया बंद, दोपहर बाद मुचलके पर छोड़ा

जिले में छूट मिली थी लोगों ने इसका गलत फायदा उठाया। अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कलेक्टर सुरभि गुप्ता ने मंगलवार दोपहर जिले में कर्फ्यू के आदेश जारी कर दिए। आदेश का पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारी और मैदानी अमले ने सख्ती से पालन कराया।
रात में एसडीएम विजय कुमार मंडलोई, एसडीओपी धीरज बब्बर के मार्गदर्शन में वाहनों का काफिला पूरे नगर में निकला। विभिन्न मार्गों और चौराहों पर दुपहिया वाहनों से निकलने वालों पर सख्ती बरतते हुए घरों में ही रहने की चेतावनी दी। सुबह 4 बजे फिर पुलिस प्रशासन जगह-जगह तैनात हो गया। इस दौरान बेवजह घूमते मिले लोगों पर सख्ती की गई। बहानेबाजी करने वालों की पिटाई भी की।
हाट, गली, एमजी रोड, रणछोड़ राय मार्ग, बस स्टैंड, रामदेव मंदिर चौराहा, सिनेमा चौराहा आदि स्थानों से करीब 19 लोगों को पुलिस ने अपने वाहन में बैठा लिया। लोगों ने कई बहाने बनाए- कोई बोला हम तो बीड़ी लेने निकले थे, किसी ने कहा कि गुटखे की तड़प लगी थी तो कोई रनिंग कर के लौट रहा था। सभी को अस्थाई जेल में बंद किया गया। नायब तहसीलदार शंशाक दुबे ने कहा कि एडमिशन चालू है प्रवेश लेना है तो बेवजह घरों से निकलें। दोपहर बाद सभी को 20 हजार के मुचलके पर छा़ेड़ दिया गया।

सुनसान नजर आई सड़कें, दिनभर रही चर्चा, कभी नहीं देखी ऐसी सख्ती
मंगलवार को जो सड़कें लोगों की भीड़ से पटी थीं बुधवार को प्रशासन की सख्ती के बाद सुनसान नजर आईं। दिनभर पुलिस के वाहन साइरन बजाते हुए भ्रमण करते रहे। ओटलों पर बैठे लोग भी पुलिस को देखकर चुपचाप अंदर चले गए। पुलिस की सख्ती की चर्चा दिनभर शहर में रही। लोगों ने कहा कि आलीराजपुर के इतिहास में ऐसी सख्ती पहले कभी नहीं देखी।

पुलिस, प्रशासन ने लोगों पर की गई कार्रवाई के वीडियो भी बनाए। जिसमें कुछ लोग गिड़गिड़ाते नजर आए। लेकिन किसी की एक न चली। लोगों ने इन वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब वायरल किया। इस कार्रवाई के बाद लोगों में पुलिस का खौफ भी बना। शहर में दिनभर शांति का माहौल रहा। लोगों ने यह भी चर्चा की पहले लगे कर्फ्यू के दौरान ही पुलिस सख्ती करती तो दूसरी बार कर्फ्यू लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

और... नानपुर, जोबटमें भी नजर आया खौफ
आलीराजपुर की ही तरह नानपुर और जोबट में भी लोगों में पुलिस का खौफ नजर आया। दिनभर पुलिस के वाहन घूमते रहे। हांलाकि यहां किसी को अस्थाई जेल में नहीं डाला गया। सख्ती से समझाइश देकर घरों में रहने काे कहा गया। लोगों ने भी समर्थन किया और दिनभर सड़कें सुनसान रहीं।



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When someone came out to take bidi, someone had a craving for gutkha, picked up 19 people, kept them in temporary jail, and left them in the afternoon




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फोर्स दोगुना किया, 90 कॉलोनी में बनी टीमें, सेहरी-इफ्तारी में पेट्रोलिंग बढ़ाई

(गौरव शर्मा)कोरोना को लेकर इंदौर देश के हॉट स्पॉट में से है। यहां 1466 मरीज मिल चुके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा खजराना में110 से ज्यादा हैं। यहां चार मौतें भी हो चुकी हैं। मरीजों के मामले में इसके बाद टाटपट्टी बाखल (37) औरअहिल्या पल्टन (35 केस) हैं। खजराना भी क्वारेंटाइन इलाका घोषित है। चारों तरफ से सील। खजराना क्षेत्र में संक्रमण के खतरनाक संकेत उसी दिन मिल गए, जब यहां एक ही परिवार के नौ लोग पॉजिटिव निकले थे। इतनी स्थिति बिगड़ने के बाद खजराना में अब चल क्या रहा है? बचाव के लिए रहवासी कितने जागरूक हुए? लॉकडाउन में लोग घर से नहीं निकले,
इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने क्या किया, यही देखने भास्कर इस हॉट स्पॉट में पहुंचा।
हर चौराहे पर कर रहे अनाउंसमेंट
रमजान में लोग घर से निकलकर सड़क पर नहीं आएं, यह सबसे बड़ी चुनौती है। इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने सेहरी के दौरान रात ढाई से सुबह पांच और इफ्तारी के दौरान शाम पांच से सात बजे तक पेट्रोलिंग बढ़ा दी है। एएसपी राजेश रघुवंशी ने बताया क्षेत्र में पहले 85 जवानों का पुलिस बल था, जिसे अब 190 का कर दिया। नगर सुरक्षा समिति के सदस्य भी हर चौराहे पर खड़े रहते हैं। थाने के अनाउंसमेंट सिस्टम को बढ़ाया, ताकि ज्यादा से ज्यादा घरों तक जानकारी पहुंचे। थाने के पुलिसकर्मियों का ड्यूटी समय भी बढ़ाया है। कई मौकों पर 12-12 घंटे ड्यूटी भी की।
48 लोग क्वारेंटाइन होकर घर लौटे
कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि क्षेत्र के लोग पूरी तरह से पुलिस, प्रशासन और मेडिकल टीम का सपोर्ट कर रहे हैं। यहां के जिन लोगों की क्वारेंटाइन अवधि पूरी हो गई, उनमें से 48 लोग सेंटर से अब घर भी लौट चुके हैं।

पुलिस ने रहवासियों की मदद की, समझाया भी
रहवासी अन्नू पटेल का कहना है कि क्षेत्र की सभी 65 मस्जिदों से ऐलान किया जा रहा है कि लोग घरों में ही रहें। पुलिस-प्रशासन ने जो एक्शन प्लान पर काम किया, उससे फायदा हुआ। सभी 90 कॉलोनियों में लोगों की टीम बनाई, जिन्होंने घर-घर जाकर समझाइश दी। रहवासी शफी शेख कहते हैं कि यहां पुलिस की भूमिका सबसे अहम है। यहां सख्ती की गई लेकिन इसके साथ ही लोगों को समझाइश भी दी गई। जिन परिवारों को परेशानी थी या उन्हें कोई जरूरत थी तो वहां पुलिस ने रहवासियों की मदद की।

टाटपट्‌टी बाखल... 22 मरीज मिले, तीन से ज्यादा टीमें कर रही जांच, 500 से ज्यादा सैंपल लिए

इंदौर की अदब की गली। 450 से ज्यादा परिवारों के इस इलाके में काेराेना के 22 मरीज मिले थे। संक्रमण से एक मौत भी, पर अब कई लोग अस्पतालाें से ठीक होकर घर लौट रहे हैं। तीन से ज्यादा टीमें यहां जांच में लगी हैं। अब तक 500 से ज्यादा लाेगाें के सैंपल लिए जा चुके हैं। डोर-टू-डोर सर्वे किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से ठीक होकर घर आए वसीम खान कहते हैं कि हमारी गली अदब की गली के नाम से देशभर में पहचानी जाती थी। डॉक्टरों को पत्थर मारे जाने की घटना ने न सिर्फ हमारे क्षेत्र, बल्कि इंदौर का नाम खराब किया। हमें इसका अफसोस है। मेडिकल टीमें 24 घंटे रहवासियों के लिए जान की बाजी लगाकर जुटी हुई हैं। सही समय पर हमें और अन्य लोगों को इलाज के लिए भेजा। इससे क्षेत्र में संक्रमण नहीं फैला। क्वारेंटाइन सेंटर भेजी गईं फिरोज बी कहती हैं कि पुरानी बातें भूलकर हम अपने क्षेत्र और मेडिकल टीम की बेहतरी के लिए जो कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। आगे भी करेंगे। मेडिकल टीम के साथ पहले दिन से साथ रहे तहसीलदार चरणजीतसिंह हुड्डा कहते हैं कि रहवासियों को अहसास है कि कुछ लोगों की वजह से क्षेत्र का नाम खराब हुआ। अब अब यहां के लोग हमें, मेडिकल टीम को परिवार की तरह मानने लगे हैं। रहवासियों को हमने मास्क से लेकर फूड, राशन पैकेट उपलब्ध करवाए। शहर काजी डॉ. मो. इशरत अली कहते हैं कि विश्वास बढ़ने और सकारात्मक रवैये से यह संभव हुआ।



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एक तरफ हजारों रहवासी, पुलिस, प्रशासन संक्रमण रोकने की कोशिश कर रहे हैं, इधर चंद लोग इस तरह की नादानी कर रहे हैं।




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पिछले साल अप्रैल में 400 से ज्यादा तापमान 23 दिन रहा, इस साल 9 दिन ही

लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम हुआ तो गर्मी भी कम पड़ रही है। अप्रैल में भी लू के थपेड़े अब जाकर महसूस हो रहे हैं। जबकि हर साल मार्च के आखिर में मौसम ऐसा हो जाता है। पिछले साल मार्च के आखिरी तीन दिन जितना तापमान था, वो इस साल अप्रैल के आखिरी में हुआ। ो
साल 2019 में अप्रैल महीने में 23 दिन अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। इस बार ऐसा 9 दिन हुआ। गुरुवार को महीने का आखिरी दिन है। आज भी पारा 40 डिग्री रहा तो कुल 10 दिन होंगे।
ज्यादा तापमान और लू के थपेड़ों के बीच दोपहर बाद आसमान में बादल भी छाए। लेकिन इनके कारण गर्मी कम नहीं हुई। फिलहाल लोग घरों में हैं तो गर्मी से राहत मिली हुई है। मई में अगर लॉकडाउन खुलता है तो गर्मी सहन कर पाना मुश्किल होगा। मौसम विभाग के अनुसार अब तापमान ज्यादा बना रह सकता है। मौसम विभाग से मिले पूर्वानुमान के अनुसार फिलहाल 3 मई तक तो पारा 40 डिग्री से ज्यादा ही रहेगा। अच्छे मानसून के लिए ये जरूरी भी है।

अधिकतम तापमान1 डिग्री कम
साल 2019 की 27 अप्रैल को अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था। इस बार सबसे ज्यादा तापमान 15 अप्रैल काे 42 डिग्री सेल्सियस रहा। मार्च काे देखा जाए तो 2019 के मार्च की 29, 30 और 31 तारीख को तापमान 40 डिग्री से ज्यादा था। इस बार मार्च भी ठंडा था। 13 मार्च को तापमान 28 डिग्री से ऊपर नहीं गया। इस दिन न्यूनतम तापमान 10.6 डिग्री था।



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Last year in April, more than 400 temperatures were 23 days, this year only 9 days.




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कोरोना के आंकड़ों में 29 जून तक होगा सुधार, 31 जुलाई बाद 90% कम होगी मृतकों की संख्या : ऋषभचंद्र

सन् 1720 में महामारी प्लेग थी, 1820 में कालरा थी, 1920 में स्पेनिश फ्लू था और अब 2020 में कोविड-19 है। हर 100 वर्ष में कोई न कोई प्रकृति जन्य रोग होते हैं। कोरोना के आंकड़ों में 29 जून तक राहत के आंकड़े सुधरेंगे। 31 जुलाई के बाद इस रोग से मरने वालों की संख्या में 90% गिरावट आएगी। भूंकप जैसी विपदाएं भी अनेक देश देखेंगे। आचार्य विजय ऋषभचंद्र सूरि ने ज्योतिष के मुताबिक यह बताया। सोशल मीडिया के माध्यम से जारी पत्र में उन्होंने बताया ज्योतिष विज्ञान के रचयिता आचार्य भद्रबाहु स्वामी की रचना भद्रबाहु संहिता में कहा गया है कि शुक्र सूर्य के साथ असमय उदय हो तो महामारी फैलती है। 25 मार्च भारतीय संवत्सर से 31 जुलाई तक शुक्र
वृषभ राशि में उदय-अस्त-वक्री मार्गी 125 दिन एक राशि
में आगे-पीछे रहेगा, जो सामान्य रूप से 27 से 30 दिन ही किसी भी राशि में गोचर रहता है।
आंधी-तूफान, ओलावृष्टि होगी तो खत्म होने की ओर बढ़ेगी महामारी : ऋषभचंद्रजी के अनुसार मेरा ज्योतिष अनुमान है कि 30 अप्रैल से 15 मई तक आंधी-तूफान, ओलावृष्टि और बरसात होती है तो यह रोग समाप्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा और जनमानस आंकड़ों में राहत महसूस करेगा। 29 जून तक राहत के आंकड़े सुधरेंगे। 31 जुलाई के बाद इस रोग से मरने वालों की संख्या में 90 प्रतिशत गिरावट आएगी।



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ऋषभचंद्




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55% सैंपल पॉजिटिव आ रहे थे, अब 6%; 286 सैंपल में से 19 पॉजिटिव, 3 की मौत

(नीता सिसौदिया) मध्य प्रदेश मेंकोरोना के हॉटस्पॉट बने इंदौर के लिए बुधवार को राहतभरी खबर आई। शहर में 286 सैंपल में 19 नए पॉजिटिव मरीज मिले हैं। 267 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। यानी पॉजिटिव रेट 6.64% रह गया। इसके साथ ही कुल मरीजों की संख्या 1485 हो गई है। हालांकि, इसी दौरान तीन और लोगों की मौत भी हुई है। तीनों मृतक पुरुष हैं। इनकी उम्र 40 से 69 वर्ष के बीच है। लॉकडाउन के जिस दूसरे चरण ने इंदौर की चिंता बढ़ाई थी, उसी के अंतिम दौर में मरीजों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

44 मरीज डिस्चार्ज

दूसरे चरण की शुरुआत में कुल सैंपल में पॉजिटिव की संख्या 55.59 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। वो अब घटने लगी है। इसी बीच, बुधवार को तीन अस्पतालों से 44 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया। अरबिंदो अस्पताल से 38, चोइथराम से 5 और एमआर टीबी अस्पताल से एक मरीज घर रवाना हुआ। सुदामा नगर निवासी श्रद्धा शर्मा ने बताया कि वो 16 अप्रैल को अरबिंदो अस्पताल में भर्ती हुई थीं। डॉक्टर्स, नर्स और स्टाॅफ की सेवा से स्वस्थ हुईं। कैलाश लहरी, सुरभि समाधिया, प्रवीण पोद्दार, संजू शर्मा औरजय रांका भी डिस्चार्ज हुए।



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इंदौर में पॉजिटिव मामलों की रफ्तार गिरी है। इसी दौरान स्वस्थ होने वालों की तादाद बढ़ी है।




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प्रदेश के 9 रेड जोन जिलों में मालवा-निमाड़ के 6 जिले, हॉटस्पॉट शहर इंदौर में 1513, उज्जैन में 142 कोरोना पॉजिटिव

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कोरोना के रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के बारे में जानकारी दी है। देश के 130 जिलों में 3 मई के बाद भी सख्ती जारी रह सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन्हें रेड जोन घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि रिकवरी रेट बढ़ा है। इसी हिसाब से अब अलग-अलग इलाकों में जिलों को जोन वाइज बांटा जा रहा है। मध्यप्रदेश जोलिस्ट भेजी गई है,उसमें 52 में से 9 जिलों को रेड, 19 को ऑरेंज और 24 को ग्रीन जोन में रखा गया है। इसमें से रेड जोन में सबसे ज्यादा मालवा निमाड़ के 15 में से 6 जिले शामिल हैं। वहीं, ग्रीन जोन में केवल दो जिले हैं।

मालवा निमाड़ के 15जिलों के हाल

जिला जोन संक्रमित संख्या
इंदौर रेडजोन 1513
उज्जैन

रेडजोन

142
देवास

रेडजोन

26
खंडवा (ईस्ट निमाड़) रेडजोन 46

बड़वानी

रेडजोन

26
धार

रेडजोन

48
खरगोन ऑरेंज जोन 71
रतलाम ऑरेंज जोन 14
मंदसौर ऑरेंज जोन 19
शाजापुर ऑरेंज जोन 06
आगर-मालवा

ऑरेंज जोन

12
बुरहानपुर

ऑरेंज जोन

01
आलीराजपुर

ऑरेंज जोन

03
झाबुआ ग्रीनजोन 00
नीमच ग्रीनजोन 00
मध्य प्रदेश के जिलों में काेरोना संक्रमण की स्थिति।

    ये कैसा आकलन:खरगोन में 71 कोरोना संक्रमित, फिर भी ऑरेंज जोन में

    सीएमएचओ डॉ. दिव्येश वर्मा ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया कि बीते 24 घंटे में 25 नए सैंपल भेजे गए। गुरुवार को 1 पॉजिटिव आया। अब जिले में 71 कोरोना संक्रमित हो गए।593 व्यक्ति निगेटिव मिले। जबकि 125 की रिपोर्ट शेष है। 8 सैंपल रिजेक्ट किए गए हैं। 7 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई।22 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं। जिले में अब कुल 14 कंटेनमेंट एरिया घोषित हैं। 24 घंटे में 383 लोगों ने होम क्वारैंटाइन अवधि पूरी की है।

    रेड जोन में कंटेनमेंट क्षेत्र

    • इंदौर : जिले में कुछ 74 क्षेत्रों को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया गया है। इनमें रानीपुरा, हाथीपाला, स्नेह नगर, खातीवाला टैंक, चंदन नगर, गुमास्ता नगर, टाटपट्‌टी बाखल, खजराना, मूसाखेड़ी, मनीषबाग, काेयला बाखल, निपानिया, लिंबोदी, आहिल्या पलटन, रवि नगर, सांईधाम काॅलोनी, एमआर 9, आजाद नगर, मनोरमागंज, वल्लभ नगर, पुलिस लाइन, मेडिकल कॉलेज गर्ल्स हॉस्टल, स्नेहलतागंज, उदापुरा, इकबाल कॉलोनी, गांधी नगर, अंबिकापुरी कॉलोनी, मोती तबेला, सागोर कुटी, सुखलिया, जवाहर मार्ग, पिंजारा बाखल, बंबई बाजार, गणेश नगर, उषागंज छवनी, लोहरपट्टी, जूना रिसाला, नयापुरा, समाजवाद नगर, नेहरू नगर, शिक्षक नगर, साकेत धाम, ब्रुकबांड कॉलोनी, सिद्वीपुरम कॉलोनी, ग्रीन पार्क, अनूप नगर, विद्या पैलेस, लोकमान्य नगर, साउथ तोड़ा, तिलक नगर, ब्रह्मबाग कॉलोनी, बुधबन कॉलोनी, सुदामा नगर, सैफी नगर, जबरन कॉलोनी, रूपराम नगर, पैलेस कॉलोनी, मरीमाता, विनोबा नगर, ओम विहार, लोधीपुरा, सांई रायल, सत्यदेव नगर, बड़वाली चौकी, साउथ बजरिया, विंध्यनगर, मिष्ती मोहल्ला, पल्हर नगर, शीतलामाता बाजार, लोकनायक नगर, छत्रीपुरा, कुशवाह नगर, प्रेम नगर, बीसीएम सिटी, एएसपी बंगला एरिया महू।
    • देवास : जिले में 18 केंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किए गए हैं। इसमें जबरेश्वर मंदिर गली, शिमला कॉलोनी, स्टेशन रोड, पठानकुआं, पीठा रोड, नाहर दरवाजा, ग्राम लोहार पिपलिया, सिल्वर पार्क, स्वास्तिक नगर, रघुनाथपुरा, नई आबादी, सम्यक बिहार, आनंद नगर, वार्ड, हाटपिपल्या का क्रमांक 4 और वार्ड क्रमांक 9, टोंकखुर्द का वार्ड क्रमांक 1 और 2, कन्नौद का पनीगांव शामिल है।
    • खंडवा : जिले में कुल 18 कंटेनमेंट एरिया घोषित किए गए हैं। इसमें शहर के 12 और ग्रामीण के 6 क्षेत्र शामिल हैं। शहर में खानशाहवली संजय कॉलोनी, खड़कपुरा, मेडिकल कॉलेज, लाल चौकी, वार्ड क्रमांक - 43 मोघट थाने के पीछे, पदमकुंड वार्ड, संतोष नगर, आनंद नगर, गणेशतलाई, पड़ावा, बड़ाबम, रामेश्वर रोड श्रीमाली हॉस्पिटल के पीछे, हातमपुरा, परदेशीपुरा, पंधाना ब्लॉक के ग्राम गुड़ीखेडा रैयत, कुमठी, खिराला, बोरगांव बुजुर्ग, कृषि उपज मंडी पंधाना व ग्राम पाडल्या, तहसील खंडवा ग्राम दूगवाड़ा को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है।
    • उज्जैन : जानसापुरा, अंबर काॅलाेनी, दानीगेट, काेट माेहल्ला, दिशावाल का बाड़ा, माेतीबाग, बेगमबाग, ताेपखाना, नागाैरी माेहल्ला, अमरपुरा, गांधाीनगर, कमरी मार्ग, केडी गेट, अवंतीपुरा, बंगाली काॅलाेनी, महानंदा नगर, सांई विहार काॅलाेनी, वल्लभ भाई मार्ग पटेल गली, मुनिनगर और कामदारपुरा शामिल
    • बड़वानी : बड़वानी जिले में रुकमणि नगर, रैदास मार्ग, सुतार गली, दर्जी मोहल्ला और पूजा स्टेट इसके अलावा सेंधवा में खलवाड़ी मोहल्ला, अमन नगर आदि।
    • धार : उतावद दरवाजा बख्तावर मार्ग, जानकी नगर, भाजी बाजार, पट्‌ठा चौपाटी, गांधी कॉलोनी, इस्लामपुरा, एलआईजी कॉलोनी,धरमपुरी तहसील के ग्राम बलवाडा, ए/एल 199 हाउसिंग काॅलोनी पीथमपुर और चौधरी काॅलोनी सागौर तहसील पीथमपुरआदि।


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    इंदौर में राज मोहल्ला क्षेत्र में रहवासी लाॅकडाउन के चलते छतों पर विभिन्न खेल जैसे क्रिकेट, पंतगबाजी, रस्सी कूद, हास्य, योग के जरिए खुद काे फिट रखने की कोशिश कर रहे हैं।




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    कोरोनावायरस से जंग जीतकर 40 लोग और घर लौटे, अब तक 291 मरीज ठीक हुए

    कोरोनावायरस के संक्रमण से स्वस्थ हुए 40 मरीजों को आज अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। इनमें 20 मरीजों का उपचार नेमावर रोड स्थित इंडेक्स कॉलेज और 20 का उपचार अरबिंदो अस्पतालमें किया जा रहा था। अस्पताल के स्टाफ ने तालियां बजाकर इन्हें विदाई दी। शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए इन मरीजों के बादअबकोरोना के सक्रमण से स्वस्थ होने वालेमरीजों कीसंख्या बढ़कर 291 हो गई है।

    इससे पहलेगुरुवार को भी चार अस्पतालों से कोरोनावायरस की जंग जीतने वाले 30 मरीजों को छुट्‌टी दी गई थी।इंडेक्स अस्पताल से 13, एमआर टीबी से दो गर्भवती महिलाओं समेत 8, अरबिंदो से 5 और चोइथराम से 4 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया था। गुरुवार तक कुल 251 मरीज स्वस्थ हो चुके थे, जबकि शुक्रवार को कोरोना से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 291 हो गई है।

    उधर, गुरुवार रात प्राप्त रिपोर्ट में 28 नए मरीजों में कोरोनावायरस की पुष्टि हुई है। इसे मिलाकर इंदौर में कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 1513 हो गई है। अब तक इस बीमारी से 72 लोगों ने दम तोड़ दिया है।

    कोरोना पॉजिटिव इमरा ने दिया बच्चे को जन्म, उसका भी होगा टेस्ट

    कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच 20 साल की इमरा के घर गुरुवार को खुशियों ने दस्तक दी। सेम्स कोविड अस्पताल में वह खुद कोरोना से लड़ रही हैं। फिलहाल, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। ग्रीन पार्क कॉलोनी निवासी 20 साल की इमरा और उनके पति दोनों कोरोना पॉजिटिव हैं। पीपीई किट से लैस डॉक्टरों और नर्सिंग टीम ने बुधवार रात इमरा की नाॅर्मल डिलिवरी करवाई। अब बच्चे का भी सैंपल भेजेंगे। बच्चे को मां के साथ ही रखा गया है।



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    गुरुवार तक कुल 251 मरीज स्वस्थ हो चुके थे। शुक्रवार को कोरोना से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 291 हो गई।




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    उज्जैन में दो साल की बच्ची समेत 9 लोग कोराेना संक्रमित, अब तक कुल 156 पाॅजिटिव, 30 लाेगाें की जान गई

    धार्मिक नगर उज्जैन में कोरोना का संक्रमण लगातार पैर पसार रहा है। शनिवारजारी रिपोर्ट में 9नए मामले सामने आए। वहीं, तीनलोगों की मौत की पुष्टि हुई। इसे मिलाकर जहां संक्रमितों का आंकड़ा अब 156पहुंच गया है। वहीं, मरने वालों की संख्या 30 हो गई है। संक्रमितों में नागदा और बड़नगर के लोग भी शामिल हैं। उज्जैन में बेगम बाग की करीब दो सालबच्ची में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। इसके अलावा ज्यादातर पाॅजिटिव मरीज कंटेनमेंट एरिया से ही हैं।


    केडी गेट व कमरी मार्ग सबसे ज्यादा संक्रमित
    सबसे ज्यादा असर भार्गव मार्ग, केडी गेट, कमरी मार्ग के कंटेनमेंट एरिया में है, जहां 29 पॉजिटिव हैं। दूसरा नागौरी मोहल्ला, तोपखाना, अमरपुरा कंटेनमेंट क्षेत्र है जहां 25 पॉजिटिव हैं। तीसरा बेगमबाग, जबरन कॉलोनी कंटेनमेंट है जहां 12 पॉजिटिव हैं। सबसे पहले कंटेनमेंट क्षेत्र बने जांसापुरा में 8, गीता कॉलोनी, पटेल मार्ग, रविंद्रनाथ टैगोर मार्ग एरिया में 7 पॉजिटिव हैं। 9 कंटेनमेंट एरिया में 1-1, 3 में 2-2 तथा 2 में 3-3, 1 में 4 तथा 2 में 5 पॉजिटिव मरीज मिले।


    10 लोगों को हाई बीपी और शुगर थी
    कोरोना पॉजिटिव सबसे ज्यादा 10 लोगों की मौत हाई बीपी, अस्थमा, दिल की बीमारियां, शुगर के कारण चपेट में आने से हुई है। कोरोना के लक्षणों वाली बीमारियों से 4 तथा 11 अन्य की मौत कोरोना के साथ हाईपरटेंशन व बीमारियों के कारण चपेट में आने से हुई। विश्लेषकों ने पीड़ितों की बीमारियों को 12 केटेगरी में रखा है। विश्लेषकों के अनुसार जिन मरीजों को पहले से हाइपरटेंशन, शुगर, अस्थमा, बीपी जैसी गंभीर बीमारियां हैं, उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए। यदि उन्हें कोरोना के प्रमुख लक्षण जैसे सर्दी, जुखाम, बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी आदि नजर आते हैं तो तुरंत जांच कराना चाहिए।


    23 अप्रैल- कोरोना ब्लॉस्ट का दिन
    25 मार्च को पहला पॉजिटिव मिला था। इन दिनों में 23 अप्रैल ऐसी तारीख है जो कोरोना विस्फोट के रूप में जानी जाएगी। इस दिन 43 पॉजिटिव मिले। इसके पहले 22 को 20 और इसके बाद 24 को 15 पॉजिटिव आए। 39 में से 15 दिन सुकून के थे जब एक भी पॉजिटिव नहीं आया।



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    वार्ड एक के पार्षद संजय कोरट अपने 10 कार्यकर्ताओं के साथ पारस नगर, राम नगर, कोलूखेड़ी, आबूखाना, तोड़ी बस्ती आदि क्षेत्रों में रोजाना 400 परिवारों तक भोजन व सूखी खाद्य सामग्री पहुंचाते थे। हालांकि बढ़ते संक्रमण की वजह से 5 कार्यकर्ताओं ने आना बंद कर दिया।




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    431 किसानाें से 33 हजार 378 क्विंटल खरीदा गेहूं, 239 किसानाें काे मिला भुगतान

    ई ऊपार्जन केंद्र बालाजी वेयर हाउस मनासा में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी 15 अप्रैल से की जा रही है। प्रबंधक राधेश्याम यादव ने बताया शुक्रवार तक 431 किसानाें से 33 हजार 378 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। इसकी राशि 6 करोड़ 42 लाख 53 हजार 612 रु. होती है। इसमें से अब तक 239 किसानाें काे 2 करोड़ 46 लाख 21 हजार 48 रु. खाते में जमा की जा चुकी है।
    शेष 192 किसानों का भुगतान शीघ्र हाेगा। गेहूं की अावक बढ़ने से वेयर हाउस भर चुका है। बाहर ही गेहूं की बोरियां रखना पड़ रही हैं। 75 से अधिक किसानों के ट्रैक्टर-ट्राॅली कतार में खड़े हैं।



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    कुक्षी के गणगौर पैलेस व छात्रावास में 14 दिन पूर्व क्वारेंटाइन किए 53 लोगों काे घर भेजा, 4 नए केस मिलने के बाद 59 काे किया क्वारेंटाइन

    कुक्षी में काेराेना पाॅजिटिव मरीजाें की संख्या बढ़ने लगी है। अब तक यहां 9 मरीज काेराेना के मिले हैं जबकि इनके संपर्क में आए 59 लाेगाें काे क्वारेंटाइन किया गया है। पूर्व में मिले मरीजाें के संपर्क में रहे 53 लाेगाें काे गणगाैर पैलेस व छात्रावास में 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया गया था। इनके स्वस्थ हाेने पर प्रशासन ने रविवार काे घर भेज कर हाेम आइसाेलेट में रहने की सलाह दी है।एमजी रोड (सुतार मोहल्ला) के एक कोरोना संक्रमित युवक के बाद उसके परिवार के चार सदस्यों की शनिवार रात में रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इससे प्रशासन रात से ही व्यवस्था संभालने में जुट गया। कुक्षी में अब एक ही परिवार के 5 लोग कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। इससे कोरोना पॉजिटिव संख्या बढ़कर 9 हो गई है।


    हालांकि इनमें से एक की मृत्यु व एक की रिपोर्ट दोबारा में नेगेटिव आने से वर्तमान में 7 व्यक्ति कोरोना संक्रमित चल रहे हैं। इनमें शनिवार सुबह भट्टी मोहल्ले के दंपती कोरोना पॉजिटिव मिले थे। क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के मनोज दुबे (बीआरसी डही) नेे बताया भट्टी मोहल्ले में दंपती के संपर्क में आने वाले 18 लोगों को बालक छात्रावास कुक्षी में क्वारेंटाइन किया है जबकि सुतार मोहल्ला व धान मंडी में कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाले 41 लोगों को जैन धर्मशाला तालनपुर में क्वारेंटाइन किया है।


    कुक्षी के ग्रामीण क्षेत्र डेहरी में कोरोना पॉजिटिव युवक के संपर्क में आने वाले 26 लोगों को वहां के छात्रावास में क्वारेंटाइन किया गया है। इस तरह वर्तमान में 85 लोगों को प्रशासन ने क्वारेंटाइन किया है। गणगौर पैलेस व एक छात्रावास में 14 दिन पूर्व क्वारेंटाइन किए गए 53 लोगों को समय पूर्ण होने व स्वस्थ होने के चलते घर छोड़ा गया। इधर एसडीएम बीएस कलेश, तहसीलदार सुनील कुमार डावर, थाना प्रभारी कमलसिंह पंवार, नगर परिषद सीएमओ रवींद्र बोरदे लगातार हालात का जायजा लेकर व्यवस्था करने में जुटे रहे। साथ ही कर्फ्यू के दौरान कानून व्यवस्था पर भी मुस्तैदी से नजर बनाए हुए हैं।

    सीएम रिलीफ फंड में 10 लाख रुपए जमा कराए
    डही विकासखंड अंतर्गत पदस्थ अध्यापक संवर्ग व नियमित कर्मचारियों, शिक्षकों सहित बीईओ, बीआरसी कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा एक दिन के वेतन से 10 लाख रु. सीधे मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराए गए हैं। मप्र ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी इरफान मंसूरी, प्रांतीय संयुक्त सचिव अरुण कुशवाह, ब्लॉक अध्यक्ष स्वरूपचंद मालवीया ने बताया विकासखंड से अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन से 6 लाख रु. जबकि नियमित शिक्षकों व आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारियों के वेतन से 4 लाख रु. इस तरह 10 लाख रु. सीएम रिलीफ फंड में जमा कराए गए है। इसमें बीईअाे सतीशचंद्र पाटीदार, बीआरसी मनोज दुबे ने भी अपना एक दिन का वेतन जमा कराया है।



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    Sent home to 53 people who had quarantined 14 days ago in Gangaur Palace and Hostel of Kukshi, 59 quarantines done after getting 4 new cases




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    पिटोल बॉर्डर से यूपी के 91 लोगों को राणापुर भेजा

    गुजरात से प्रदेश में पिटोल बॉर्डर से आ गए उत्तर प्रदेश के 91 लोगों को राणापुर भेजा गया। यूपी सरकार द्वारा इन्हें वहां आने की अनुमति नहीं दिए जाने से ये लोग बार्डर पर अटके हुए थे। 31 लोगों को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय छात्रावास में रखा गया। 60 लोगों की व्यवस्था बालक छात्रावास में की गई। इन 60 लोगों की मेडिकल टीम द्वारा स्क्रीनिंग की गई। उसके बाद इन लोगों ने होस्टल में अंदर जाने से इंकार कर दिया। सब बाहर ही खड़े हो गए।
    उनका कहना था कि वे लोग पैदल ही यूपी जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें झूठ बोलकर गाड़ी में बिठाया कि वे उन्हें यूपी छोड़ देंगे। पुलिस धोखे से उन्हें यहां ले आई। इन लोगों को डर था कि उन्हें यहां 14 दिन रहना पड़ेगा। उनका कहना था कि 14 दिन बाद जब यहां से यूपी जाएंगे तो वहां फिर से 14 दिन के लिए उन्हें क्वारेंटीन किया जाएगा। ये लोग यहां से भाग निकलने का प्रयास कर रहे थे। स्थिति देखते हुए अधीक्षक ने पुलिस को बुलवा लिया। पुलिस द्वारा समझाइश के बाद ये लोग छात्रावास में दाखिल हुए।



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    91 people from UP sent to Ranapur from Pitol border




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    जिले में 90% हुआ मूल्यांकन, ओएमआर शीट भरने का काम हुआ 20%

    वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण के चलते माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा कक्षा 10वीं-12वीं की वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का गृह मूल्यांकन कराया जा रहा है। कॉपिया जांचने की लिए 10 दिन की समयसीमा दी गई थी, हालांकि पूरा मूल्यांकन होने में अभी करीब एक सप्ताह और लग सकता है।जिले में 90 प्रतिशत कॉपियों का मूल्यांकन हो चुका है। चूंकि लॉकडाउन 17 मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। लिहाजा जिस तरह शिक्षकों के घर-घर कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेजी गई हैं, वैसे ही जमा भी कराई जाएंगी। सहायक समन्वयक एमके खुराना ने बताया प्रत्येक मूल्यांकनकर्ता शिक्षक से लगातार संपर्क हैं। रोजाना चैक होने वाली कॉपियों की गणना कर प्रतिदिन की अपडेट रिपोर्ट ली जा रही है। कॉपियां जांचने के लिए झाबुआ सहित राणापुर, पेटलावद, रामा, मेघनगर व थांदला विकासखंड के शिक्षकों को दी गई है। पूरी कॉपी जंचने में करीब एक सप्ताह और लग सकते हैं। इसके बाद इन्हें जमा करने का सिलसिला शुरू होगा। गौरतलब है कि लॉकडाउन 17 मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। इस दौरान सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं। इस कारण जिस तरह शिक्षकों के घरों में कॉपियां भेजी गई थी, उसी तरह जमा भी कराई जाएंगी।

    शुरू हुआ ओएमआर शीट भरने का काम
    झाबुआ विकासखंड में किए जा रहे मूल्यांकन कार्य के बाद ओएमआर शीट भरने का काम भी शुरू कर दिया गया है। शीट भरने का काम सभी विकासखंड के शिक्षकों को समन्वयक संस्था उत्कृष्ट विद्यालय झाबुआ आकर ही करना होगा। इसे प्रारंभिक अंक सूची भी कह सकते हैं। इसमें शिक्षकों को अंक भरना होंगे। ओएमआर शीट भरने का काम 20 प्रतिशत हो चुका है। खुराना ने बताया जांच गई कॉपी में से 10 प्रतिशत का मूल्यांकन डिप्टी हेड करेंगे। इसके अलावा शून्य अंक और 90 अंक व अधिक वाली कॉपियों का भी डिप्टी हेड को पुन: परीक्षण करना होगा।



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    जिले में 90% हुआ मूल्यांकन, ओएमआर शीट भरने का काम हुआ 20%

    वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण के चलते माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा कक्षा 10वीं-12वीं की वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का गृह मूल्यांकन कराया जा रहा है। कॉपिया जांचने की लिए 10 दिन की समयसीमा दी गई थी, हालांकि पूरा मूल्यांकन होने में अभी करीब एक सप्ताह और लग सकता है।जिले में 90 प्रतिशत कॉपियों का मूल्यांकन हो चुका है। चूंकि लॉकडाउन 17 मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। लिहाजा जिस तरह शिक्षकों के घर-घर कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेजी गई हैं, वैसे ही जमा भी कराई जाएंगी। सहायक समन्वयक एमके खुराना ने बताया प्रत्येक मूल्यांकनकर्ता शिक्षक से लगातार संपर्क हैं। रोजाना चैक होने वाली कॉपियों की गणना कर प्रतिदिन की अपडेट रिपोर्ट ली जा रही है। कॉपियां जांचने के लिए झाबुआ सहित राणापुर, पेटलावद, रामा, मेघनगर व थांदला विकासखंड के शिक्षकों को दी गई है। पूरी कॉपी जंचने में करीब एक सप्ताह और लग सकते हैं। इसके बाद इन्हें जमा करने का सिलसिला शुरू होगा। गौरतलब है कि लॉकडाउन 17 मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। इस दौरान सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं। इस कारण जिस तरह शिक्षकों के घरों में कॉपियां भेजी गई थी, उसी तरह जमा भी कराई जाएंगी।

    शुरू हुआ ओएमआर शीट भरने का काम
    झाबुआ विकासखंड में किए जा रहे मूल्यांकन कार्य के बाद ओएमआर शीट भरने का काम भी शुरू कर दिया गया है। शीट भरने का काम सभी विकासखंड के शिक्षकों को समन्वयक संस्था उत्कृष्ट विद्यालय झाबुआ आकर ही करना होगा। इसे प्रारंभिक अंक सूची भी कह सकते हैं। इसमें शिक्षकों को अंक भरना होंगे। ओएमआर शीट भरने का काम 20 प्रतिशत हो चुका है। खुराना ने बताया जांच गई कॉपी में से 10 प्रतिशत का मूल्यांकन डिप्टी हेड करेंगे। इसके अलावा शून्य अंक और 90 अंक व अधिक वाली कॉपियों का भी डिप्टी हेड को पुन: परीक्षण करना होगा।



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    जिले में 90% हुआ मूल्यांकन, ओएमआर शीट भरने का काम हुआ 20%

    वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण के चलते माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा कक्षा 10वीं-12वीं की वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का गृह मूल्यांकन कराया जा रहा है। कॉपिया जांचने की लिए 10 दिन की समयसीमा दी गई थी, हालांकि पूरा मूल्यांकन होने में अभी करीब एक सप्ताह और लग सकता है।जिले में 90 प्रतिशत कॉपियों का मूल्यांकन हो चुका है। चूंकि लॉकडाउन 17 मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। लिहाजा जिस तरह शिक्षकों के घर-घर कॉपियां मूल्यांकन के लिए भेजी गई हैं, वैसे ही जमा भी कराई जाएंगी। सहायक समन्वयक एमके खुराना ने बताया प्रत्येक मूल्यांकनकर्ता शिक्षक से लगातार संपर्क हैं। रोजाना चैक होने वाली कॉपियों की गणना कर प्रतिदिन की अपडेट रिपोर्ट ली जा रही है। कॉपियां जांचने के लिए झाबुआ सहित राणापुर, पेटलावद, रामा, मेघनगर व थांदला विकासखंड के शिक्षकों को दी गई है। पूरी कॉपी जंचने में करीब एक सप्ताह और लग सकते हैं। इसके बाद इन्हें जमा करने का सिलसिला शुरू होगा। गौरतलब है कि लॉकडाउन 17 मई तक आगे बढ़ा दिया गया है। इस दौरान सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं। इस कारण जिस तरह शिक्षकों के घरों में कॉपियां भेजी गई थी, उसी तरह जमा भी कराई जाएंगी।

    शुरू हुआ ओएमआर शीट भरने का काम
    झाबुआ विकासखंड में किए जा रहे मूल्यांकन कार्य के बाद ओएमआर शीट भरने का काम भी शुरू कर दिया गया है। शीट भरने का काम सभी विकासखंड के शिक्षकों को समन्वयक संस्था उत्कृष्ट विद्यालय झाबुआ आकर ही करना होगा। इसे प्रारंभिक अंक सूची भी कह सकते हैं। इसमें शिक्षकों को अंक भरना होंगे। ओएमआर शीट भरने का काम 20 प्रतिशत हो चुका है। खुराना ने बताया जांच गई कॉपी में से 10 प्रतिशत का मूल्यांकन डिप्टी हेड करेंगे। इसके अलावा शून्य अंक और 90 अंक व अधिक वाली कॉपियों का भी डिप्टी हेड को पुन: परीक्षण करना होगा।



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    रविवार को सूरत से साइकिल रिक्शा से निकला श्रमिक परिवार... 579 किमी दूर नीमच के रामपुरा जाना है

    लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को घर पहुंचाने के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। भले ही ट्रेन चल गई लेकिन कई मजदूर अभी भी मोटरसाइकिल, साइकल व पैदल चलकर अपने घरों तक पहुंचने में लगे हैं। भरी गर्मी में यह मजदूर भूखे प्यासे अपने आशियाने की ओर बढ़ रहे हैं।


    रविवार को साइकिल और एक बाइक से करीब 6 लोग और 3 तीन बच्चे निकले। इन्हें 579 किलोमीटर दूर नीमच जिले के रामपुरा जाना है, सूरत से पेटलावद करीब 354 किमी ये तीन दिन में पहुंच गए। उम्मीद जता रहे हैं कि आने वाले तीन दिनों में घर पहुंच जाएंगे।

    मजदूरों में 3 महिलाएं, 3 बच्चे व 3 पुरुष हैं
    सामान ढोने वाली साइकिल रिक्शा से इस सफर को तय कर रहे है। मजदूर दिनेश, मानसिंह, जितेंद्र बंजारा ने बताया कि लॉकडाउन में हम गुजरात के सूरत में फंस गए थे, वहां खाने के लाले पड़ गए। दो दिन हो गए सूरत से निकले हैं। बुधवार शाम तक घर पहुंचने की उम्मीद है। खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। सफर कर रहे इन मजदूरों में 3 महिलाएं, 3 बच्चे तथा 3 पुरुष शामिल हैं।


    जब घाट आता है तो बाइक से खींचते है

    श्रमिक दिनेश ने बताया- एक बाइक भी है। जब रास्ता चढ़ाई वाला आता है तो उसकी मदद से बाइक खींच लेते हैं। सूरत में हमें खाने-पीने की दिक्कत हो गई थी। मजबूरी में घर के लिए निकलना पड़ा। अब घर पहंुचकर कुछ काम देख लेंगे। दो तीन दिन में घर पहुंच जाएंगे।




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    Labor family set out from Surat on cycle rickshaw on Sunday ... 579 km to go to Rampura in Neemuch




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    कुक्षी के 19 व डेहरी के 7 मरीजाें की रिपोर्ट आना बाकी, 15 धार रैफर, 42 क्वारेंटाइन

    कुक्षी सहित डेहरी में कोरोना मरीजाें की संख्या बढ़ी है। कुक्षी में सोमवार रात बढ़पुरा (सुभाष मार्ग) में रहने वाला एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया। वहीं डेहरी में 29 वर्षीय काेराेना पाॅजिटिव युवक के परिवार के 14 व्यक्तियों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। कुक्षी के कोरोना पॉजिटिव मृतक की मां और बहन सहित कुल 16 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अब तक कुक्षी में 8 और डेहरी में 15 लोग पॉजिटिव है।


    बढ़पुरा में 50 वर्षीय व्यक्ति की रिपोर्ट आने के बाद रात में ही एसडीएम बीएस कलेश, तहसीलदार सुनील कुमार डावर और थाना प्रभारी कमल सिंह पवार संबंधित क्षेत्र में पहुंच कर कंटेनमेंट एरिया घोषित किया। कुक्षी में हाईरिस्क श्रेणी में 19 और डेहरी में 7 लोग चल रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट आना शेष है। ये लोग कुक्षी के क्वारेंटाइन सेंटर में है। वहीं लो रिस्क श्रेणी के 87 लोग हैं। जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कुक्षी बीएमओ राजेंद्र सिंह मंडलोई को हटाते हुए जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. नरेंद्र पवैया को प्रभार सौंपा है।


    क्राइसिस मैनेजमेंट के मनोज दुबे (बीआरसी डही) ने बताया आइसोलेशन व उपचार के लिए 15 लोगों को धार रैफर किया है। 42 नए लोग कुक्षी में क्वारेंटाइन किए गए हैं। इधर नए केस आने के बाद प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है। पुलिस जवानाें के साथ महिला पटवारियों को चौराहे पर तैनात किया है। अधिकारी खुद सड़कों पर निकलकर पूरी तरह से कानून व्यवस्था पर नजर बनाते हुए सख्ती करते दिखे। सोमवार रात पुलिस प्रशासन ने फ्लैग मार्च निकाल कर लोगों से घरों में रहने की अपील की।

    प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिंघाना में कर्मचारियों के लिए सांसद छतरसिंह दरबार ने पीपीई किट, सैनिटाइजर एवं मास्क दिए। मेडिकल ऑफिसर डॉ. भूतल राठौर, कम्पाउंडर कुंवर पालसिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व जिला पंचायत निर्माण समिति अध्यक्ष देवराम पाटीदार, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ धार जिलाध्यक्ष अशोक राठौर, सुरेश भाई साद डोंगरगांव, सुरेश पाटीदार देवगढ़ सहित अन्य कार्यकर्ता माैजूद थे।



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    Reports of 19 patients of Kukshi and 7 of Dehri are yet to come, 15 Dhar Refer, 42 Quarantine




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    लॉकडाउन के 43 दिन : 4 सेंटरों में 259 को किया क्वारेंटाइन, 174 डिस्चार्ज हुए

    पेटलावद ब्लॉक मुख्यालय पर बनाए गए 4 क्वारेंटाइन सेंटरों में 85 लोग बचे हैं। लॉकडाउन के करीब 43 दिनों में यहां बाहर से आए ढाई सौ से अधिक लोगोंको क्वारेंटाइन किया गया था। हालांकि जिनकी भी अवधि पूरी हो गई उन्हें यहां से जाने दिया था।


    कस्तूरबा बालिका विद्यालय सीनियर छात्रावास, कन्या शिक्षा परिसर, अंग्रेजी माध्यम बालिका आश्रम और बालक उत्कृष्ट छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है। इन्हें 1 मार्च से शुरू किया गया है। इन सेंटरों में अब तक कुल 259 व्यक्तियों को क्वॉरेंटाइन किया गया। जिनमें से 174 को डिस्चार्ज कर दिया है। जबकि 94 के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 67 की रिपोर्ट निगेटिव आई। 7 विभिन्न कारणों से रिजेक्ट हो गई। उनमें से 2 पुनः सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इन सेंटरों पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर मुन्नालाल चोपड़ा एवं उनकी टीम द्वारा प्राथमिक जांच कर सूची बनाकर इन सेंटरों में भेजा जाता है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रतिदिन इन सेंटरों पर स्वास्थ्य परीक्षण एवं आवश्यक दवाई आदि देने नियमित आती है। नगर परिषद द्वारा प्रतिदिन इन केंपस को सैनिटाइजे किया जाकर जल की आपूर्ति की जा रही है।


    आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारी दे रहे ड्यूटी: इन क्वारेंटाइन सेंटरों में समस्त कर्मचारी आदिवासी विकास विभाग के शिक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। इन सेंटरों की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी शासकीय कन्या उमावि पेटलावद के प्राचार्य ओंकारसिंह मेड़ा को बनाया गया है। प्रत्येक क्वारेंटाइन सेंटर पर दो अधीक्षक को मेस संचालन एवं अन्य व्यवस्थाओं संबंधी दायित्व सौंपे गए हैं।



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    उज्जैन में 11 और संक्रमित मिले, पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 195 हुआ, अब तक 40 की जान गई

    कोरोना का संक्रमण अब नए शहर के नानाखेड़ा, नागेश्वर धाम कॉलोनी, सांदीपनि नगर ढांचा भवन सहित पांच नए क्षेत्र में पहुंच गया है। बुधवार को आई रिपोर्ट में 11 नए पॉजिटिव मरीज मिले। जिले में अब तक 195 मरीज पॉजिटिव मिल चुके हैं। इनमें से 40 की मौत हो गई है। वहीं, अब तक 57 लाेग काेराेना काे हराकर अपने घर लाैट चुके हैं। शहर में मरीज और मौतें तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सैंपलिंग काफी धीमी है। यहां तक कि कंटेनमेंट एरिया में ही जांच नहीं हो पा रही है। इसका एक ताजा उदाहरण नयापुरा की जैन कॉलोनी में नजर आया है।

    जैन कॉलोनी मेंरहने वाले 60 वर्षीय व्यक्ति की 30 अप्रैल की दोपहर आरडी गार्डी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। 4 मई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मृतक के घर बाहर व कॉलोनी में बैरिकेड्स लगाकर उसे कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया। 24 घंटे बाद भी मृतक की मां, पत्नी व बेटी समेत दो नाती के सैंपल लेने स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची। हालांकि भास्कर टीम ने जब जिम्मेदारों से बात की तो रात में परिवार के सैंपल लेने टीम पहुंची।
    परिवार की विनती- रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो आरडी गार्डी मत भेजना
    पिता को खोने वाली बेटी ने कहा 29 अप्रैल को पिता को शुगर बढ़ने से तकलीफ हो रही थी। हमने एंबुलेंस को फोन लगाया। तीन घंटे बाद शाम को एंबुलेंस आई। मां पिताजी को सीएचएल लेकर गई। वहां उनकी सोनोग्राफी हुई। वहां से आरडी गार्डी भेजने काे कहा। उन्होंने एंबुलेंस में मां को बैठाया व रात 11 बजे गदापुलिया पर उतार एंबुलेंस पिताजी को लेकर चली गई। मां पैदल घर आई व बताया कि तेरे पापा को आरडी गार्डी ले गए। रात 12.30 बजे फोन किया तो वे बोले- ऑक्सीजन मास्क लगाया हुआ है, बाद में बात करूंगा। सुबह बोले- वे ब्लड सैंपल ले गए हैं। दोपहर में पिता से दोबारा बात हुई, वे बोले- मुझे कोई आराम नहीं हुआ। रातभर भूखा रहा, दोपहर में पौने तीन बजे खाना दिया। यहां कुछ भी ठीक नहीं लग रहा है। शाम पांच बजे पता चला पिताजी की मौत हो गई। मेरे साथ मां-दादी व मेरे दो बच्चे हैं। प्रशासन हमारे सैंपल लेकर जांच रिपोर्ट बताए, हम भी अगर संक्रमित है तो घर आकर गोली मार दें लेकिन अब आरडी गारडी नहीं जाएंगे।
    रहवासी बोले- चाहकर भी मदद नहीं कर पा रहे
    जैन कॉलोनी में रहने वाले राजेश जैन समेत आसपास के लोगों ने बताया यहां 70 परिवार रहते हैं। पुलिस मृतक के घर वालों की जानकारी लेकर चली गई। निगम वाले सिर्फ पानी से सड़क धोकर चले गए। कॉलोनी के लोग दहशत में हैं कि संबंधित परिवार की जांच से स्थिति तो साफ हो ताकि आसपास के लोग राहत महसूस कर परिवार की मदद तो कर सकें।



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    मंगलवार को 33 लोग रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद घर पहुंचे। 22 मरीजों की छुट्‌टी आरडी गार्डी से हुई, तो 11 लोग पीटीएस से घर पहुंचे।




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    इंदौर में अब तक 83 लोगों की मौत, पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 1699 पहुंचा, कलेक्टर बोले- 7 से 10 दिन और संयम रखें

    बुधवार देर रात कोरोना के 18 नए मरीज मिले। दो मरीजों की मौत भी हुई। इसके साथ ही कुल मरीजों का आंकड़ा 1699 हो गया। हालांकि राहत की बात ये है कि 556 सैंपल में 538 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई। पॉजिटिव रेट भी घटकर 3.23 हो गया है। कोरोना से शहर में अब तक 83 लोग जान गंवा चुके हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि इंदौर काफी हद तक ठीक हो गया। लॉकडाउन की वजह से ही इंदौर में इतना सुधार हुआ है। अभी अस्पताल 75 फीसदी खाली हो गए हैं। 500 के करीब मरीज ठीक होकर जा चुके हैं। क्वारैंटाइन में करीब 2200 लोग थे। अब करीब दो से ढाई सौ लोग बचे हैं। अधिग्रहित मैरिज गार्डन और कुछ कोविड अस्पतालों को भी हम रिलीज करने का सोचरहे हैं। 7 से 10 दिन में यहां काफी सुधार दिखेगा। बस, लोगों को घरों में रहने की आवश्यकता है।

    सांवेर रोड स्थित पारले-जी की फैक्ट्री को बंद करने को लेकर कहा कि हमने इसे इसलिए बंद की, क्योंकि वहीं पर कर्मचारियों को रखकर काम करना था। वहां करीब ढाई से तीन सौ कर्मचारियों को ऐसे क्षेत्रों से बुलाया जा रहा था, जो कि वहां से नहीं बुलाया जाना था। लापरवाही के कारण हमने फैक्ट्री को बंद करवाया है। हमने काफी हद तक सफलता पा ली है, ऐसे में छोटी-सी भी लापरवाही नहीं करनी है। घर में रहना बहुत कठिन काम है, यह एक तपस्या जैसा है।लेकिन, यदि थोड़ा सा संयम रख लेते हैं तो हम इससे जीत जाएंगे। कलेक्टर ने संबंधित एजेंसी को हर दिन एक हजार से अधिक सैंपलिंग किट भेजने को कहा है। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने कहा कि इंदौर के सैंपल निजी लैब को दे रहे हैं, ताकि रिपोर्ट जल्दी मिले।

    रिकवरी दर 6.50 फीसदी से बढ़कर 37.35 फीसदी हुआ
    लॉकडाउन वन में इंदौर में मरीजों के ठीक होने की रिकवरी दर केवल 6.50 फीसदी थी, जो बढ़कर 37.35 फीसदी हो गई है। एक हजार से अधिक कोविड मरीजों वाले शहरों में रिकवरी रेट में जयपुर (41.52 फीसदी) के बाद इंदौर दूसरे स्थान पर आ गया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 28.29 फीसदी है। सैंपलिंग के लिए प्रशासन ने 25 टीमें बनाकर तेजी ला दी है। पहले 450 के आसपास सैंपल लिए जा रहे थे, जो मंगलवार को 723 और बुधवार को 1174 हो गए।

    अब रेड जोन शहरों के लिए भी ई पास
    प्रदेश से अन्य राज्यों में जाने और वहां से इंदौर आने के लिए mapit.gov.incovid-19 पोर्टल पर आवेदन करने पर मंजूरी मिल रही है। इसके साथ ही अब शासन ने निर्देश जारी कर रेड जोन में आए इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगोन, खंडवा व धार जिलों से भी अन्य जिलों में जाने के लिए ई पास मंजूर करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इन जिलों से अभी तक केवल मेडिकल इमरजेंसी व मृत्यु की स्थिति में ही जारी हो रहे थे।


    सैंपल के लिए अब आधार नंबर जरूरी
    जिला प्रशासन ने सैंपल लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए एक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है, जिसमें सैंपल लेने से पहले मरीज का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। दरअसल, इस हफ्ते जितने पॉजिटिव केस सामने आए, उनमें से 11 मरीज ऐसे थे जिनके मोबाइल नंबर गलत थे। जब रैपिड रिस्पांस टीम ने उन्हें फोन लगाया तो पता लगा कि नंबर्स गलत है। पता भी सही नहीं था। ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया है।


    3700 लोगों को आने और जाने की मंजूरी
    लॉकडाउन के कारण शहर में फंसे अन्य राज्यों के लोगों को ऑनलाइन मंजूरी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 24 घंटे में 3700 लोगों को ई-पास जारी किए हैं। नोडल अफसर व आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक, सिर्फ उन्हीं लोगों के आवेदन रिजेक्ट हुए, जिन्होंने आईडी नहीं लगाया। वे फिर से आईडी, सदस्य संख्या, वाहन नंबर के साथ आवेदन करें, मंजूरी दी जाएगी।



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    बुधवार को 140 लोग कोरोना से स्वस्थ होकर घर लौटे। अरबिंदो 100, इंडेक्स 21, एमटीएच 6, चोइथराम से 13 मरीज डिस्चार्ज हुए। 7 दिन की बच्ची भी मां इरम (20) के साथ घर लौटी। इरम पॉजिटिव निकलने के बाद से अरबिंदो अस्पताल में भर्ती थी। 30 अप्रैल को उसने बच्ची को जन्म दिया। बच्ची की रिपोर्ट निगेटिव आई।




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    पति ने टीआई को फोन किया- पत्नी 9 माह से गर्भवती है, आज उसका बर्थडे कैसे मनाऊं; पुलिस केक, सैनिटाइजर और नैपकिन लेकर पहुंची

    एक अनजान नंबर से युवक ने फोन लगाकर टीआई को बोला कि आज उसकी पत्नी का जन्मदिन है। उसे 9 माह का गर्भ है, लेकिन कहीं नहीं जा सकते। क्या करना चाहिए। कुछ देर बाद पुलिस केक, सैनिटाइजर और नैपकिन लेकर पहुंच गई। यह देख दंपति चौंक गए।

    राऊ टीआई दिनेश वर्मा को बुधवार काे रंजीत सिंह का नामक युवक का फोन आया। बोला कि मैं आपके थाना क्षेत्र के पास का हूं। एक विनती करना चाहता हूं, शादी को एक साल हुए हैं, लेकिन पत्नी अरुणा का यह बर्थडे लॉकडाउन में नहीं मन पा रहा है। कहीं भी केक का इंतजाम नहीं हुआ है। वह किशनगंज थाना क्षेत्र के आयुष्मान अपार्टमेंट में रहता है। पुलिस कुछ मदद कर सकती है क्या। इस पर टीआई एसआई, अनिला पाराशर के साथकेक लेकर पहुंच गए। कॉलोनी के गेट पर महिला को बुलाकर उसका बर्थडे मनाया। यह देख दंपत्ति चौंक गए। बोले कि सच में पुलिस ग्रेट है।



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    कॉलोनी के गेट पर पुलिस ने गर्भवती महिला का बर्थडे मनाया। कॉलोनी के लोगों ने पुलिसवालों के सम्मान में ताली बजाई और शुक्रिया कहा।




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    721 पंजीकृत किसानाें में से 469 ने बेचा 25 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं, सोनगढ़ और अमोदिया के किसान आना बाकी

    आदिम जाति सेवा समिति परिसर में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं का परिवहन समय पर नहीं होने से 10 हजार बोरी का स्टॉक हो गया है। परिवहन रुक-रुककर होने से यहां प्रतिदिन गेहूं का स्टॉक बढ़ता ही जा रहा है। संपूर्ण सोसायटी परिसर गेहूं से भर गया है। यदि एक दो दिन में यहां से गेहूं नहीं हटाया गया तो समिति को खरीदी बंद करना पड़ सकती है।


    इधर सोसायटी द्वारा खरीफ फसल के लिए किसानों को खाद देेने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। समिति प्रबंधक के अनुसार समिति में सभी प्रकार की खाद का भरपूर स्टाक है। समिति में अब तक दो तिहाई से अधिक किसान अपना गेहूं बेच चुके हैं। खरीदी 30 मई तक होना है।


    समिति में 15 अप्रैल से खरीदी प्रारंभ होने के बाद अब तक 25 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं की खरीदी हो चुकी है जबकि परिवहन करीब 20 हजार क्विंटल ही हुआ है। 5 हजार क्विंटल गेहूं की 10 हजार बोरियां सोसायटी परिसर में आसमान के नीचे खुले में पड़ी है।


    यदि बारिश होती है तो गेहूं का नुकसान हो सकता है। प्रबंधक सुनील जायसवाल ने बताया धार जिले के सभी गाेदाम जहां पर गेहूं का परिवहन हो रहा था वे गेहूं से भर गए हैं। अब यहां से मेघनगर रेक पाइंट पर गेहूं का परिवहन होगा।


    10 हजार प्लास्टिक के बारदान आए
    पूर्व में समिति मेंजूट के बारदान आए थे। अब जबकि समिति में जूट के बारदान खत्म हो चुके हैं। ऐसे में अब प्लास्टिक की थैलियां गेहूं भरने के लिए आई है। जायसवाल ने बताया 10 हजार प्लास्टिक के बारदान आए हैं। इन्हीं में गेहूं भरकर परिवहन किया जा रहा है। इनका वजन 135 ग्राम है। अब लगता हंै खरीदी के आखिर दिनोंतक उन्हें बारदान की आवश्यकता नहीं होगी।


    दो तिहाई से अधिक किसान गेहूं समिति में बेच चुके
    प्रबंधक के अनुसार समिति में 22 दिनों में कुल पंजीकृत 721 किसानों में से 469 किसान गेहूं बेच चुके हैं। अब केवल 252 किसान बचे हैं। जिनका गेहूं समिति में आना है। इसमें भी सर्वाधिक सोनगढ़ ग्राम के 62 एवं अमोदिया के 61 किसान शेष है। धुलेट के 52, दलपुरा के 41 एवं राजगढ़ के भी 26 किसानों ने अपना गेहूं अभी समिति में नहीं बेचा है। भानगढ़, टीमायची एवं कुमारुंडी के बहुत कम किसान अब बचे हैं। जिनका गेहूं समिति में तुलनाबाकी है।



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    Out of 721 registered farmers, 469 sold more than 25 thousand quintals of wheat, farmers of Sonegarh and Amodia and the rest




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    कलेक्टाेरेट में 900 लीटर खाद्य तेल और 1.25 क्विंटल दिया सूखा मसाला, ताकि मंडी में भाेजन पैकेट बनते रहें

    शहर से लेकर ग्रामाें में गरीब, बेसहारा और जरूरतमंदाें की मदद के लिए जन सहास संस्था लाॅकडाउन के पहले दिन से जिला प्रशासन के सहयाेग से मदद करती आ रही, जाे 17 मई तक जारी रहेगी। इसी कड़ी में बुधवार काे संस्था ने खाद्य तेल और सूखे मसाले कृषि उपज मंडी में बन रहे भाेजन पैकेट के लिए कलेक्टाेरेट में दिए गए।


    संस्था के द्वारा गरीब असहाय, प्रवासी कामगार मजदूरों के लिए सतत गरीब बस्तियों और गावों में जाकर जरूरतमंदाें तक मदद पहुंचा रहे हैं। सूखे राशन में दाल, चावल, आटा, साबुन, चायपत्ती, सेनेटरी पेड, तेल, मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स आदि सामग्री का वितरण किया गया। लॉकडाउन के बाद से सतत आज तक 363 टन सूखा राशन शहर सहित जिले के गांवाें में वितरित किया जा चुका है। कलेक्टर श्रीकांत पांडेय, एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी के आग्रह पर बुधवार काे जन साहस ने 900 लीटर खाद्य तेल और 1.25 क्विंटल सूखा मशाला मंडी प्रशासन की खाना बनाने की सेवा को निरंतर जारी रखने के लिए कलेक्टोरेट कार्यालय में दिया गया। डायरेक्टर आशिफ शेख, थीमेटिक डायरेक्टर करन राठौर, टीम साथी जितेंद्र सुनारतीय व विक्रम अटेडिया उपस्थित थे।



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    900 liters of edible oil and 1.25 quintal of dry seasoning in the collectorate, so that packet packets are made in the market




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    19 और कोरोना पॉजिटिव मिले, इनमें उज्जैन के 11 और बड़नगर के 8 संक्रमित शामिल

    उज्जैन में कोराेना मरीजों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआहै। शुक्रवार काे जारी मेडिकल रिपोर्ट में 19 मरीजों में संक्रमण पाया गया है। संक्रमितों में उज्जैन के 11 और बड़नगर के 8 मरीज शामिल हैं। इसके साथ ही जिले में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 220 हो गई है। वहीं, इस वायरस से अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच एक राहतभरी खबर यह है कि 62 मरीज कोरोना को हराकर अपने घर लौट चुके हैं। उधर, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में जांच सैंपल की क्षमता पूरी हो गई तो बचे सैंपल गुजरात की निजी लैब में भेजने की व्यवस्था भी शुरू हो गई है।

    सीएम बोले- उज्जैन की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दें, विशेषज्ञों को लगाएं
    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना रोकथाम की उज्जैन की व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान देने को कहा। उज्जैन में विशेषज्ञ चिकित्सक लगाए जाने के निर्देश भी दिए। बोले कि हमें पूरा प्रयास करना होगा कि वहां एक भी संक्रमित की कोरोना से मृत्यु ना हो। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के अलावा उज्जैन में ट्रॉमा सेंटर भी शीघ्र कोविड अस्पताल के रूप में शुरू किया जाएं। इसके अलावा इंदौर के अस्पताल में भी 100 बेड उज्जैन के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। कलेक्टर आशीष सिंह ने जानकारी दी कि उज्जैन में जहां एक और गहन सर्वे कार्य किए जाकर कोरोना टेस्ट की संख्या को बढ़ाया है, वहीं अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कार्य में समाज के सभी वर्गों का सहयोग लिया जाएं।


    उज्जैन में 10 मरीज और ठीक हुए, डिस्चार्ज किया
    आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज से सात तथा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर से तीन मरीज स्वस्थ होकर गुरुवार को घर लौट गए। उन्होंने कहा- हमने बीमारी नहीं छुपाई तो स्वस्थ हो गए हैं। शहर में कोई व्यक्ति बीमार है तो वह अपनी बीमारी नहीं छुपाए और हॉस्पिटल जाकर जांच करवाए। अपर कलेक्टर सुजान सिंह रावत ने बताया 10 मरीजों की दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आने पर डिस्चार्ज किया है। जिनमें कमाल हुसैन उम्र 36 साल, हसमलउद्दीन दिन उम्र 60 साल, गुलफशा उम्र 21 साल, निजामुद्दीन उम्र 42 साल, इशाद, अनवर हुसैन उम्र 45 साल, शाहीन उम्र 42 साल तथा सुनील परमार उम्र 30 साल शकील हुसैन उम्र 22 साल अतिका उम्र 38 साल स्वस्थ होकर घर लौटे हैं।



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    कलेक्टर द्वारा सभी तरह के पास निरस्त करने के बाद शहर में रोज की तुलना में कम लोग सड़कों पर निकले। जो निकले, उन्हें पुलिस ने सख्ती से घर भेज दिया। इसीलिए दोपहर में शहर की सड़कें पूरी तरह खाली दिखाई दीं।




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    समाजसेवी संस्थाओं ने उपलब्ध करवाए 5991 भोजन पैकेट

    शहर की आसरा सामाजिक लोक कल्याण समिति ने 1400, कृषि उपज मंडी ने 1170, देवास सेवा समिति ने 1100, वीई आयसर कमर्शिलय प्रालि ने 1000, संस्था कृपालु परिवार ने 590, शिवशक्ति सेवा मंडल ने 211, गुरुद्वारा सेवा समिति ने 200, गायत्री शक्तिपीठ ने 100, संस्था सिद्धि विनायक (रवि जैन) ने 100, अभिभाषक संघ परिवार ने 70, हेल्पिंग हैंड ने 50 इस तरह से कुल 5991 भोजन के पैकेट अाैर रामाश्रय पैराडाइज ने 500 सब्जी के पैकेट निगम को दिए। निगम के दल ने शहर के विभिन्न वार्डाें की काॅलाेनियाें में जरूरतमंदाें तक यह सामग्री पहुंचाई। इसी कड़ी में सामाजिक संस्था मां भगवती ने 500 रोटी, संस्था साथी हाथ बढ़ाना ने 1000 टोस निगम की टीम के समन्वय से मूक पशुओं को खिलाए।



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    एमआर-3, 5 और 9 के लिए 100 करोड़, नदी सफाई, पानी पर खर्चेंगे 200 करोड़

    नगर निगम का बजट शुक्रवार को पेश किया गया। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने बताया बजट में मास्टर प्लान के तहत बनाई जाने वाली सड़कें एमआर-3, 5, 9 और आरई-2 के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। हालांकि यह रोड बेटरमेंट टैक्स प्राप्त कर बनाई जाना हैं, बावजूद सड़कों के लिए निगम बैंक से लोन लेगा। इसका प्रस्ताव पूर्व में ही एमआईसी, निगम परिषद की बैठक में स्वीकृत होकर शासन के पास लंबित है। बजट में सबसे ज्यादा फोकस एमआर रोड, कान्ह, सरस्वती नदी की सफाई पर रखा है।
    संभागायुक्त के मुताबिक अमृत योजना से मिलने वाले फंड के अलावा अलग से 100 करोड़ का प्रावधान रखा है। इसमें 5 एसटीपी प्लांट का निर्माण तथा वहां तक के लिए ड्रेनेज लाइन डालने और नाला टेपिंग का कार्य हो सकेगा। इन पांच एसटीपी के अलावा एक एसटीपी का निर्माण स्मार्ट सिटी तथा एक अन्य का निर्माण निगम से किया जाएगा। पेयजल वितरण लाइन, पेयजल टंकी निर्माण एवं आवश्यक सुविधाओं के निर्माण के लिए भी 100 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। ड्रेनेज लाइन, एसटीपी के मेंटेनेंस, तालाबों के विकास के लिए 242 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। नर्मदा जल प्रदाय में बिजली का बिल कम करने के लिए 500 करोड़ के ग्रीन मसाला बांड जारी कर उससे 100 मेगावाॅट का सोलर प्लांट जलूद और यशवंत सागर में लगाने की राशि स्वीकृत की गई।

    अफसरों की बजट बैठक में सोशल डिस्टेंस

    संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने नर्मदा जल प्रदाय में बिजली का बिल कम करने के लिए 500 करोड़ के ग्रीन मसाला बांड जारी करने पर भी स्वीकृति दी। सफाई के लिए आवश्यक उपकरण व संसाधन के लिए 48 करोड़ रुपए का प्रावधान किया।

    पीएम आवास योजना... 600 करोड़ में गरीबों के आवास
    प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 600 करोड़ रुपए की राशि प्रस्तावित की गई है। इसमें गरीबों के लिए आवास निर्माण के साथ पेयजल, सीवरेज लाइन, स्ट्रीट लाइन, विद्युतीकरण, उद्यान, पौधारोपण, पहुंच मार्ग और निर्माण स्थल पर आंतरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रावधान किया है।
    ये भी फैसले लिए... ट्रैफिक सुधार के लिए 21 करोड़

    • शहरी परिवहन के लिए 20.60 करोड़, स्टॉर्म वाटर लाइन के लिए 5 करोड़, उद्यानों के विकास, निर्माण व संधारण के लिए 93 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
    • स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शहर में सफाई व्यवस्था और आवश्यक उपकरण व संसाधन के लिए राशि 48 करोड़ की स्वीकृत की गई।
    • ट्रैफिक संबंधित सुधार कार्य और रोड डिवाइडर के लिए 21 करोड़ स्वीकृत किए गए। प्रमुख सड़कों और फुटपाथ के लिए 152 करोड़, पुल व ब्रिज बनाने के लिए 51 करोड़ के साथ ही जनकार्य विभाग द्वारा किए जाने वाले कार्य सड़क, स्कूल भवन, श्मशान घाट, कब्रिस्तान निर्माण और मेंटेमेंस के लिए 440 करोड़ स्वीकृत किए गए।
    • सफाई कामगारों के वेतन, पेंशन और संसाधनों के लिए 200 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। उद्यानों में, खेल मैदान में स्ट्रीट लाइट के मेंटेनेंस और निर्माण के लिए 98 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
    • कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के मेंटेनेंस और नए निर्माण के लिए 12 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।


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    संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने नर्मदा जल प्रदाय में बिजली का बिल कम करने के लिए 500 करोड़ के ग्रीन मसाला बांड जारी करने पर भी स्वीकृति दी। सफाई के लिए आवश्यक उपकरण व संसाधन के लिए 48 करोड़ रुपए का प्रावधान किया।




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    बैंक में पैसा जमा करने जा रहे मैनेजर काे बाइक सवाराें ने राेककर लूट ली 2.90 लाख रुपए की सिल्लक

    क्षेत्र के छड़ाैदा निवासी पेट्राेल पंप के मैनेजर के साथ गत दिवस लूट की बड़ी घटना हाे गई। वह ग्राम गिराेता के आगे स्थित एक पंप से सिल्लक लेकर बैंक में जमा करने जा रहा था। इस दाैरान बीच रास्ते में दाे बाइक सवार बदमाशाें ने उसे रास्ता पूछने के बहाने राेका और आंखाें में मिर्ची झाेंककर 2.90 लाख रूपयाें से भरा बैग लूटकर फरार हाे गए।

    यह घटना ग्राम छड़ाैदा निवासी भगवतीप्रसाद पिता निर्भयसिंह नागर के साथ हुई। वह गिराेता स्थित जय अंबे पेट्रोल पंप मैनेजर पद पर कार्यरत है। राेज की तरह वह गत दिवस छडोदा से गिरोता पंप के लिए निकला। वहां से दाेपहर एक बजे करीब पंप की सिल्लक के 2.90 लाख रुपए से भरा बैग लेकर चंद्रावतीगंज स्थित यूको बैंक में उक्त राशि जमा कराने को निकला। इसी दौरान पारदाखेड़ा से अजनारा मार्ग के बीच बाइक पर सवार दो बदमाशों ने रास्ता पूछने के बहाने भगवती की गाड़ी रुकवाई। इसी दौरान पीछे बैठे एक बदमाश ने भगवती की आंख में मिर्ची झोंक दी और रुपयों से भरा बैग लेकर फरार हो गए। वह अपनी आंखें साफ करता उससे पहले ही लुटेरे भाग चुके थे। भगवती ने तुरंत घटना की जानकारी भेरूगढ़ थाना उज्जैन को दी। वहां के थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और छानबीन में जुटे। रात तक सीएसपी अश्विनी नेगी व अन्य पुलिस अधिकारी भी मौके उपस्थित थे। उन्हाेंने माैके पर पूरी घटना के बारे में जानकारी ली। लॉकडाउन में दिनदहाड़े इतनी बड़ी लूट का यह पहला मामला है। घटना के बाद आसपास के थानों को भी अलर्ट कर दिया गया है।


    जगह-जगह तलाश शुरू कर दी गई है...
    उज्जैन सीएसपी नेगी ने बताया डाॅयल 100 पर लूट की जानकारी मिली थी। दो बदमाशों ने आंखों मिर्ची फेंक कर पेट्राेल पंप मैनेजर से रुपयों से भरा बैग लूटा था। पुलिस की टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर छानबीन शुरू की गई है। क्षेत्र में चेकिंग व जगह-जगह तलाश भी की जा रही है। फरियादी व अन्य लाेगाें से पूछताछ जारी है। जल्द ही मामले का खुलासा होगा।



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    The biker of the manager who is going to deposit money in the bank robbed him of Rs 2.90 lakh




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    Mountain biker hard at work from 'home office' during lockdown

    With a home office like no other, when Red Bull mountain biker Fabio Wibmer 'works', you can expect an array of insane tricks and stunts to keep his roommates company.




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    Mountain biker hard at work from 'home office' during lockdown

    With a home office like no other, when Red Bull mountain biker Fabio Wibmer 'works', you can expect an array of insane tricks and stunts to keep his roommates company.




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    Trump contradicts nurse who says PPE has been 'sporadic'

    At a ceremony honoring nurses at the White House on Wednesday, U.S. President Donald Trump contradicted a New Orleans nurse who said the availability of personal protective equipment has been 'sporadic.'




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    Artist Banksy pays superhero tribute to Britain's NHS staff

    A young boy chooses a nurse as the superhero he wants to play with over Batman and Spiderman in a new artwork by Banksy that encapsulates the gratitude Britons have felt toward the country's National Health Service during the coronavirus crisis.




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    Trump had 'little' contact with valet who tested positive

    U.S. President Donald Trump on Thursday described a valet of his reportedly testing positive for the coronavirus as "one of those things" and said that he and Vice President Mike Pence have since been tested and they are both negative.




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    Class of 2020 graduates with 'robot ceremony'

    Arizona State University's Thunderbird School of Global Management utilizes robots to give its students a virtual graduation ceremony. Freddie Joyner has more.




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    मुंबई में 9 मार्च तक के लिए धारा-144 लगाई गई, सोशल मीडिया पर भी नजर रख रही पुलिस

    मुंबई.दिल्ली में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़के दंगों को लेकर महाराष्ट्र पुलिस अलर्ट है। पुलिस ने एहतियात के तौर पर 9 मार्च तक के लिए मुंबई में धारा-144 लागू कर दी है। ऐसे में अब 9 मार्च तक शहर में धरना, रैली, आतिशबाजी या किसी अन्य कार्यक्रम के आयोजन पर पाबंदी रहेगी।

    मुंबई पुलिस उपायुक्त (अभियान) के आदेश पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में धारा-144 को लागू किया गया है। हालांकि, इस दौरान विवाह समारोह, विवाह से संबंधित अन्य समारोह, कंपनियों की बैठकें, सहकारी समितियों की बैठक और क्लबों में कार्यक्रम करने की छूट रहेगी।

    यहां नहीं लागू होगी धारा-144
    व्यापरिक प्रतिष्ठान, सिनेमाघरों, थिएटरों और सार्वजनिक मनोरंजन के अन्य स्थानों, अदालतों, सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों, कंपनियों, कारखानों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों को इससे अलग रखा गया है।

    इसलिए लगाई गई धारा-144
    मुंबई में पिछले कुछ महीनों में सीएए कानून के विरोध में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इन्हीं विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में हिंसा हुई और दंगे भड़क गए। इसलिए, मुंबई पुलिस अलर्ट मोड पर है। पुलिस मुंबई के संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से भी निगरानी कर रही है। मुखबिर तंत्र को भी सक्रिय किया गया है।

    एनपीआर और सीएए को लेकर विधानसभा में कोई प्रस्ताव नहीं: अजित पवार
    उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि सीएए और एनआरसी को लेकर राज्य के लोगों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे पर ‘गलत सूचना’ फैलाने वालों की आलोचना भी की है। पार्टी के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजित ने कहा कि सीएए और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में किसी तरह के प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है।



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    मुंबई के कई इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई गई है-प्रतीकात्मक फोटो




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    औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट हुआ, शहर का नाम संभाजीनगर' करने की तैयारी

    औरंगाबाद. महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदल दिया है। अब यह छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। गुरुवार को इसकी घोषणा की गई। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई थी, जिसको लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में काफी विवाद हुआ था।


    सरकार जल्द ही औरंगाबाद का नाम बदलकर 'संभाजीनगर' करने वाली है। शिवसेना बाला साहब ठाकरे के समय से ही इसे संभाजीनगर कहती रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शहर का नाम बदलने की अपनी पार्टी की मांग को पिछले हफ्ते दोहराया था।

    नाम बदलने की कागजी कार्रवाई शुरू
    कार्यवाहक कलेक्टर भानूदास पालवे ने कहा कि राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलने के लिए जिला प्रशासन से रेलवे और डाक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने को कहा था। पालवे ने कहा- "मंडलीय आयुक्त के कार्यालय नेएनओसी लेने को कहा है। जैसे ही हमें दस्तावेज मिलते हैं, हम उन्हें उच्च अधिकारियों को भेज देंगे।"



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    औरंगाबाद एयरपोर्ट-फाइल फोटो




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    महाराष्ट्र के किसानों के 13.88 लाख खातों में 9035 करोड़ जमा

    मुंबई. महात्मा जोतिराव फुले किसान कर्जमुक्ति योजना की दूसरी सूची जारी होने के बाद पिछले पांच दिनों में 15 लाख 45 हजार किसानों को सत्यापित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इनमें से 13 लाख 88 हजार खातों में सरकार ने 9035 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं। राज्य सरकार ने गुरूवार को यह जानकारी दी।

    सिर्फ दो से तीन मिनट में हो रहा है किसानों का सत्यापन
    मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सहकारिता विभाग को निर्देश दिए हैं कि किसानों की शिकायतों को तुरंत हल किया जाए। सहकारिता विभाग की प्रधान सचिव आभा शुक्ला ने बताया कि सभी जिलों में जिला प्रशासन ने लाभान्वित किसानों के नामों की सूची प्रकाशित की है और आधार प्रमाणित करने का काम किया जा रहा है। राज्य के सभी जिलों में यह काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। हर जिले में स्थित 'आपले सरकार सेवा केंद्रों' और बैंकों की शाखाओं में आने वाले किसानों का सत्यापान दो से तीन मिनट में हो रहा है, इससे किसान भी खुश और उत्साहित हैं।

    सत्यापित करने के बाद किसानों के कर्ज खाते की रकम मान्य हो अथवा अमान्य उन्हें कंप्यूटर से निकली रसीद दी जाती है। सत्यापित करने के दौरान जिन किसानों के आधार कार्ड और कर्जखातों में दिखाई गई रकम अमान्य की गई है उस पर जिलास्तरीय समिति के जरिए तुरंत कार्रवाई की जा रही है। प्रमाणीकरण के बाद लाभार्थी किसानों के बैंकों में स्थित खातों में 24 घंटे में जबकि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों में स्थित खातों में 48 घंटों में कर्ज की रकम जमा की जा रही है।



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    प्रतीकात्मक फोटो




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    महिला टीम का विराट कोहली कहलाती हैं 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध स्मृति मंधाना

    सांगली. रविवार को विश्व महिला दिवस पर भारतीय महिला टीम पहली बार टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल जरूर खेली, लेकिन जीत का स्वाद नहीं चख पाई। इस मैच में वह महज 11 रन बनाने वालीभारतीय टीम की ओपनर स्मृति मंधाना महाराष्ट्र के छोटे शहर सांगली की रहने वाली हैं। 'ब्यूटी विद टैलेंट' के नाम से प्रसिद्ध 23 साल की स्मृति को बेहतरीन बैटिंग के साथ उनकी स्माइल और लुक्स की वजह से उन्हें विराट कोहली से कम्पेयर किया जाता है।

    पिता और भाई भी हैं क्रिकेटर
    स्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई 1996 को मुंबई में हुआ। वे जब 2 साल की थीं तब उनका परिवार मुंबई से सांगली शिफ्ट हो गया और वहीं से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पिता श्रीनिवास मंधाना और भाई श्रवण मंधाना दोनों डिस्ट्रिक्ट लेवल के अच्छे क्रिकेटर हैं। उन्हीं को देख मंधाना ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। फाइनल को लेकर पूरी फैमिली स्मृति की अच्छी परफॉर्मेंस कि दुआएं कर रही है। उनके पिता ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि उनकी देर रात स्मृति से फोन पर बात हुई। वे फाइनल को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं। अगर भारत जीतता है तो घर पर जश्न की तैयारियां की गई हैं।

    ऐसे हुआ क्रिकेट से जुड़ाव
    स्मृति के भाई श्रवण मंधाना ने बताया कि स्मृति 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रही हैं। वे जब भी प्रैक्टिस के लिए जाते तो स्मृति भी उनके साथ जाती थीं। उन्हें खेलता देख अक्सर बैटिंग की जिद करती। स्मृति ने जब बैट थामा तो उनके स्टाइल को देख श्रवण को लगा कि वह अच्छा क्रिकेट खेल सकती हैं और इस तरह स्मृति को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

    सेमीफाइनल जितने के बाद खुशी से रोने लगी स्मृति
    स्मृति 2017 में हुए महिला वर्ल्डकप का हिस्सा भी रह चुकी हैं। टीम इंडिया ने भले ही यह कप अपने नाम नहीं किया लेकिन स्मृति ने उस दौरान खूब सुर्खियां बटोरी थी। वर्ल्डकप से ठीक पहले 2017 जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलते हुए स्मृति को बड़ी इंजरी हो गई थी। जिसके चलते उन्हें काफी दिनों तक व्हील चेयर पर पर रहना पड़ा था। उनके पिता ने बताया, 'पूरी परिवार बेहद डर गया था। लेकिन, मंधाना ने हिम्मत नहीं हारी और आज वे टीम की एक स्टार प्लेयर हैं।' रिकवर करने के बाद मंधाना ने महिला वर्ल्ड कप के पहले दो मैचों में 90 और नॉटआउट 106 रनों की पारी खेल सभी को हैरत में डाल दिया था।

    9 साल की उम्र में हुआ सिलेक्शन
    9 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुना गया। जब वो 11 साल की हुईं तब उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-19 टीम के लिए चुन लिया गया। साल 2013 में वेस्ट जोन अंडर-19 टूर्नामेंट में स्मृति ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर सनसनी मचाई थी। स्मृति ने 150 बॉल पर 224 रन बनाए थे। मंधाना ने अपना पहला टेस्ट मैच वर्मस्ली पार्क में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इस मैच में पहली पारी में 22 और दूसरी में 51 रन बनाया था।

    पढ़ाई में भी होनहार हैं स्मृति
    क्रिकेट के साथ-साथ स्मृति पढ़ाई में भी होनहार रही हैं। दसवीं क्लास में उन्हें 85% मार्क्स मिले थे। उन्होंने चिंतामनराव कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रैजुएशन किया है।

    पंजाबी गानों की दीवानी हैं स्मृति
    स्मृति को कार ड्राइविंग काफी पसंद है। विराट कोहली, ए बी डिविलियर्स और सचिन तेंदुलकर उनके रोल मॉडल हैं। उन्हें पंजाबी गाने सुनना पसंद है। वे क्लासिक हिन्दी फिल्मों की भी दीवानी हैं। ट्रैवलिंग की शौकीन मंधाना के लिए महाबलेश्वर, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। स्मृति को ट्रेडिशनल इंडियन ड्रेस की जगह जींस और टी शर्ट पसंद हैं। स्मृति को कभी मिरर के आगे खड़ा होना पसंद नहीं है।

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    Smriti Mandhana | Women Day Mahila Diwas 2020 Special, IND W AUS W T20, World Cup Opener Smriti Mandhana Success Story and Life-History
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    वर्ली में जलाया गया 'कोरोनासुर' का पुतला, लोगों को उम्मीद इसे जलाने से खत्म होगा कोरोनावायरस

    मुंबई. वर्ली में कोरोनावायरस की थीम पर आधारित 'कोरोनासुर' का पुतला जलाया गया। नीले रंग के बड़े से पुतले में COVID-19 लिखा था। इसके हाथ में एक सूटकेस था, जिसमें आर्थिक मंदी लिखा था। लोग उम्मीद कर रहे हैं इस पुतले के जलाने पर कोरोनावायरस का भी खात्मा हो जाएगा।

    इस साल होली 10 मार्च को मनाई जा रही है। होलिका दहन 9 मार्च को हुआ। इस होली लोगों में कोरोनावायरस को लेकर डर भी है। लोग रंग खेलने से हिचकिचा रहे हैं। दरअसल, लोगों में डर है कि कहीं रंग और पिचकारी चाईना मेड न हो। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि कोरोनावायरस को लेकर वे भी डरे हुए हैं, इसीलिए चाईना से माल आया ही नहीं है।


    भारत में अब तक 43 मामले सामने आए
    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक कोरोनावायरस के 43 मामले सामने आए हैं। तीन पॉजिटिव मरीजों को अब डिस्चार्ज कर दिया गया है। नए मामले दिल्ली, यूपी, केरल और जम्मू-कश्मीर से आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में अब तक कोरोनावायरस संक्रमण के 2,241 नए मामलों की पुष्टि हुई है। संक्रमित लोगों की संख्या 95,333 हो गई है।



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    वर्ली इलाके में बना 'कोरोनासुर' का पुतला।




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    महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए 'दिशा एक्ट' लागू करने की तैयारी, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया

    मुंबई. महिलाओं के खिलाफहोने वाले अपराध को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसमें आंध्रप्रदेशमें लागू हुए 'दिशा एक्ट' जैसे कानून को पास किया जाएगा। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शनिवार को यह जानकारी दी। दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलतेइस बार तय समय से पहले शनिवार कोविधानसभा का बजट सत्र खत्म कर दिया जा रहा है। पहले यह 20 मार्च तक चलने वाला था।

    गृह मंत्री अनिल देशमुखने कहा, 'कोरोना वायरस संकट के कारण, हमें विधानसभा के बजट सत्र में कटौती करनी होगी। विधेयक को मंजूरी देने के लिए हम कोरोना वायरस का संकट समाप्त होने के बाद दो दिन का सत्र बुलाने पर विचार कर रहे हैं।'

    देशमुख ने कहा, 'हम अधिनियम का अध्ययन करने के लिए आंध्र प्रदेश गए थे और इस पर गौर करने के लिए एक टीम बनाई गई है। हम जल्द ही विशेष सत्र के बारे में कार्यक्रम की घोषणा करेंगे।'

    उद्धव ने वर्धा की घटना के बाद कड़े कानून लागू करने की बात कही थी
    फरवरी में महाराष्ट्र के वर्धा में एकतरफा प्यार में जिंदा जलाई गई महिला लेक्चरर की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जल्द ही एक ऐसे कानून बनेगा, जिसमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सजा के कड़े प्रावधान होंगे। माना जा रहा है कि 'दिशा कानून' उसी ओर सरकार का बढ़ाया एक कदम है।

    क्या है दिशा एक्ट?
    साल 2019 में आंध्रप्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश क्रिमिनल लॉ संशोधन बिल (आन्ध्र प्रदेश दिशा बिल, 2019 अथवा दिशा बिल) को पारित किया था। इस बिल के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस बिल के मुताबिक मामला दर्ज होने के21 दिन के भीतर ही सजा दी जाएगी।इसमेंदुष्कर्मऔरतेजाब हमलों जैसे अपराधों मेंमृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।

    दिशा के तहतबच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के अपराधों के लिए दोषियों को 10 से 14 वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों के विरुद्ध भी कड़ी कारवाई की जायेगी जो सोशल मीडिया पर महिलाओं के विरुद्ध अभद्र पोस्ट अपलोड करते हैं, इस मामले में पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की जेल की सज़ा तथा दूसरीबार अपराध करने वाले व्यक्ति को चार वर्ष कैद की सजा दी जा सकती है।



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    Uddhav Thackeray Minister Anil Deshmukh On Vidhan Sabha Special Session Over Crimes Against Women In Mumbai Maharashtra